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खुशी का खजाना - स्वमान

अव्यक्त मुरली (1969 to 2017)


अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 1 ]

Contents
SELF RESPECT EXCERPTS FROM AVYAKT MURLI.................................................................................................................. 2
SELF RESPECT DIRECT TITLES ............................................................................................................................................ 293
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 2 ]

SELF RESPECT EXCERPTS FROM AVYAKT MURLI

माया और प्रकृति जीि बनाने वाले ।

सदा यही स्मृति रखो तक हम पूज्य हैं।

सदा स्वयं बाप के समीप रत्न समझिे हो?

लकी िो सभी हो जो बाप ने अपना बना तदया।

सभी बाप के सदा तनयरेस्ट और तियरेस्ट हो।

सभी अपने को सदा बाप के समीप आत्मायें समझिे हो?

सदा अपने को तवशेष पाटट धारी समझ पाटट बजािे हो?

आज बागवान अपने रूहे-गल


ु ाब बच्चों को देख रहे हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 3 ]

पहले भी पदमा पदम भाग्यशाली बने थे अब भी बन रहे हो।

हरेक को यह नशा रहना ही चातहए तक मैं गले का हार हूँ।

तजसका भाग्य स्वयं भगवान बनाये वह तकिने श्रेष्ठ हुए।

बालक सो मातलकपन के नशे में रहने के तलए मन का राजा बनो

सदा अपना आक्यूपेशन तक मैं तवश्व में ब्राह्मण चोटी हूँ।

ऐसे मन से खुशी का आवाज़ तनकलिा है तक पाना था वो पा तलया?

सदैव यही खुशी के गीि गािे रहो तक जो पाना था, वह पा तलया।

तिकालदशी तस्थति के श्रेष्ठ आसन द्वारा सदा तवजयी बनो ।


अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 4 ]

बाप-दादा हरेक बच्चे को पदमापदम भाग्यशाली आत्मा देखिे हैं।

तनबटल नहीं हो, बलवान हो। क्योंतक मास्टर सवटशतक्तवान हो।

आपके द्वारा बहुिों को सन्देश तमलिा रहेगा। आप सब मैसेन्जर हो।

सदा इस नशें में रहो तक हमको जो तमला वह तकसी को तमल नहीं सकिा।

समथट आत्मायें हैं, तवशेष आत्मायें हैं यह नशा और खुशी सदा रहे।

हम तवश्व में शातन्ि स्थापन करने वाली आत्मा हैं , यह नशा रहिा है ?

कल्प-कल्प के िकदीरवान हो। ऐसी िकदीर कभी तकसी की बन भी नहीं सकिी।

आपका टाइटल ही है - मास्टर सवटगण


ु सम्पन्न, मास्टर सवट शतक्तवान।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 5 ]

सदा अपने को रूहानी शस्त्रधारी शतक्त सेना या पाण्िवसेना समझिे हो ?

हरेक रत्न तकिना अमूल्य है जो तवश्व के शो के श के बीच रखने वाला है।

अभी संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें हैं - इसी नशे में सदा रहो।

जैसे बाप जैसा कोई नहीं वैसे आपके भाग्य जैसा और कोई भाग्यशाली नहीं।

हरेक अपने को कोटों में कोऊ, कोऊ मे कोऊ, ऐसी श्रेष्ठ आत्मा समझिे हो?

सभी अपने को कोटों में कोई और कोई में भी कोई ऐसी महान आत्मा समझिे हो?

ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें , िायरेक्ट बीज से तनकले हुए िना स्वरूप बच्चे हो।

मैं साधारण आत्मा नहीं हूँ, मैं तशव शतक्त हूँ, बाप मेरा और मैं बाप की।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 6 ]

जो घर बैठे बाप का पररचय तमल गया है। इिना भाग्यवान अपने को समझिे हो ना?

श्रेष्ठ िे श्रेष्ठ क न ? बाप। और बाप के साथ पाटट बजाने वाले क्या हुए?

स्वमान की सीट क न-सी है? ऊूँचे िे ऊूँचा बाप के ऊूँचे बच्चे व ब्राह्मण हैं।

सदा श्रेष्ठ लक्ष्य रखना तक हम ही कल्प पहले वाले तवजयी थे और सदा रहेंगे।

सभी अपने को सदा सवट आत्माओ ं से श्रेष्ठ आत्मा समझ श्रेष्ठ कमट करिे हो?

सदा इसी खुशी में रहो तक तजसको तवश्व ढूंढिा है , उसने हमको अपना बनाया है।

अपनी ि्यूटी सदा स्मृति में रहनी चातहए तक मैं तवश्व कल्याण की इन्चाजट हूँ।

सदा यह स्मृति में रखो तक हम मास्टर नालेज- फुल हैं। िो जैसा बाप वैसे बच्चे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 7 ]

हम स्वगट में जायेंगे, ऐसा नशा और खुशी रहे - हम तवश्व के मातलक के बालक हैं।

बापदादा ऐसे नयनों के नूरों से तमलने आयें हैं। नूरे रत्नों से तमलने आये हैं।

इसी नशे में रहो तक हम तवश्व के मातलक के बालक हैं िो मांगना समाप्त हो जायेगा।

बहुि पुरानी बाि है - वाह रे मैं - यह सनु िे खुश भी होिे हो तफर भी भूल जािे हो।

बाप को जान तलया, पा तलया इससे बड़ा भाग्य िो कोई होिा नहीं। घर बैठे बाप तमल
गया।

सदा अपने को तवजयी पाण्िव समझ कर चलो। पाण्िवों की तवजय कल्पकल्प की


प्रतसद्ध है।

सदा अपने को पूज्य आत्मायें समझकर चलिे हो? पूज्य आत्मायें अथाटि् महान
आत्मायें।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 8 ]

यह स्मृति रखो तक हमारे जैसा महान न कोई बना है , न बनेगा! वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य!

सारे कल्प में महान आत्मायें प्रैतक्टकल में आप हो, िो सक


ं ल्प से भी चैतकंग और
चेंज।

हर कदम में पदमों की कमाई जमा हो रही है? ऐसे अपने को पदमापदम भाग्यशाली
अनुभव करिेहो?

सभी अपने को तवश्व के अन्दर तवशेष पाटट बजाने वाले हीरो एक्टर समझकर पाटट
बजािे हो?

तकसके बने हैं और क्या बने हैं तसफट यह भी सोचो िो कभी भी व्यक्त भाव में नहीं आ
सकिे।

आप सब बड़े िे बड़े व्यापारी हो ना? तवश्व के अन्दर कोई भी इिना बड़ा तबजनेस नहीं
कर सकिा।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 9 ]

बापदादा के तदलिख्ि-नशीन रहिे हुए सदा इसी नशे में रहो तक हम कल्प-कल्प के
अतधकारी हैं।

सदा अपने को आतद देव ब्रह्मा के आतद रत्न, आतद पाटट धारी आत्माएं समझिे हो?
इिना नशा है?

आप जैसा खुशनसीब सारे कल्प में कोई आत्मायें नहीं। इिना नशा चेहरे और चलन
से अनुभव कराओ।

एक-एक बच्चा बाप के नयनों का नूर है इसतलए आप सब एक दो में टाइटल देिे हैं
नयनों के नूर।

पा रहा हूँ, पा रहा हूँ यह अतधकारी के बोल नहीं। सम्पन्न बाप के बालक हो सागर के
बच्चे हो।

सदा सम्पन्न आत्मायें, अप्राप्त नहीं कोई वस्िु इस ब्राह्मण जीवन में - ऐसे अनुभव
करिे हो ना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 10 ]

आप जैसी तवशेष आत्मायें सारे तवश्व में बहुि थोड़ी हैं। थोड़ों में आप हो-इसी खुशी में
सदा रहो।

इिने महान हो जो परम आत्मा को भी प्रत्यक्ष करने वाले हो। हरे क की सूरि से बाप
के गुण तदखाई दें।

सदा स्वयं को तवश्व की स्टे ज पर हीरो पाटट बजाने वाली श्रेष्ठ आत्मायें हैं, यह समझकर
चलिे रहो।

बाप की माला िो आत्मायें जपिी हैं लेतकन बच्चों की माला परमात्मा जपिे हैं। िो
भाग्यशाली क न हुए!

आपका आक्यूपेशन ही है पतिि पावनी िो अपना आक्यूपेशन न भूलना है, न छोड़ना


है िो मायाजीि बन जायेंगे।

सदा स्वयं को बाप-दादा के सहयोगी तवश्व पररविटन के कायट में उसी लगन से लगे हुए
हो समझकर चलिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 11 ]

सदैव अपने को ऐसे अनुभव करिे हो जैसे ऊपर से अविररि होकर साकार सतृ ि में
सेवा के तलए आये हुए हैं।

सदा इसी खुशी में रहो तक पाना था सो पा तलया.. क्या से क्या बन गये। कहाूँ पड़े थे
और कहाूँ पहुूँच गये!

वरदािा बाप बन गया, वरदािा तशक्षक बन गया, सद्गुरू बन गया िो और बाकी क्या
रहा! ऐसी स्मृति सदा रहे।

सभी अपने को िबल राज्य-अतधकारी समझिे हो? विटमान भी राज्य- अतधकारी और


भतवष्य में भी राज्य-अतधकारी।

बाप-दादा सभी बच्चों को सतवटसएबुल, तवश्व में नाम बाला करने वाले तवश्व-
कल्याणकारी बच्चा समझिे हैं।

जैसे ड्रामा करिे हो िो नकली फेस लगा देिे हो ना! जैसा गुण जैसा कर्त्टव्य वैसा ही
फेस लगा देिे हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 12 ]

सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ आत्मायें , पुरूषोर्त्म आत्मायें वा ब्राह्मण चोटी महान
आत्मायें समझिे हो?

तसवाय बच्चों के , बाप प्रत्यक्ष हो भी नहीं सकिा। िो बाप को भी प्रत्यक्ष करने वाले
तकिने श्रेष्ठ ठहरे ?

यह न्यारा और प्यारा मेला तसफं िुम सवटश्रेष्ठ आत्मायें अनुभव कर सकिी हो और


अभी ही अनुभव कर सकिी हो।

आप सब तकिने लकीएस्ट हो जो दूर-दूर से बाप ने अपने बच्चों को ढूढं तलया।


इसतलए सदा अपने को तसकीलधे समझो।

कभी कुछ भी देखो-सनु ो िो अपने -आपसे बाि करो तक मैं वही पांिव हूँ, अनेक बार
की तवजयी हूँ। यही खश
ु ी है ना?

तवजय का तिलक तमला हुआ है। यह सदा स्मृति रहे हम ही कल्प कल्प के तवजयी हैं।
थे, हैं और कल्प-कल्प बनेंगे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 13 ]

सभी ब्राह्मण आत्मायें अपने को आतद सनािन प्राचीन धमट की श्रेष्ठ आत्मायें अथाटि्
धमाटत्मा मानिे ही हो।

घर बैठे भगवान तमल जाए िो इससे बड़ा लक और क्या चातहए। जो स्वप्न में न हो
और साकार हो जाए िो और क्या चातहए।

सभी ने घर बैठे भाग्य ले तलया है ना! घर बैठे ऐसा श्रेष्ठ िे श्रेष्ठ भाग्य तमला है जो अन्ि
िक गाया जायेगा।

लक्की (Lucky) हो, जो ब्राह्मण पररवार में ब्राह्मण बनने की लाटरी तमली है। कोटों
में कोऊ को यह लॉटरी तमलिी है।

सदा इसी नशे में रहो हम कल्प पहले वाली गोतपयाूँ हैं। बाप तमला गोया सब-कुछ
तमला। कोई अप्राप्त वस्िु है ही नहीं।

सदा इसी स्मृति में रहो तक बाप को जानने वाली, बाप को पाने वाली कोटो में कोई
जो गाई हुई आत्मायें हैं, वह हम हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 14 ]

बाप िो हर एक बच्चे को अपने से भी ऊूँचा बनािे हैं इसतलए बच्चे को कहिे ही हैं
तसरिाज। ऐसा तसरिाज अपने को समझिे हो?

अपने को सदा तदल िख्िनशीन समझिे हो? यह तदलिख्ि सारे कल्प में तसवाए इस
सगं म युग के कहाूँ भी प्रातप्त नहीं हो सकिा।

आप जैसा खुश और कोई संसार में होगा? िो सदा क्या गीि गािे हो? "वाह मेरा श्रेष्ठ
भाग्य!"-यह गीि गाना सभी को आिा है।

``पाना था सो पा तलया'' और प्रातप्त की खुशी में नाचिे रहो। गािे रहो, नाचिे रहो िो
घुटके और झुटके खत्म हो जायेंगे।

सगं मयुग तवशेष युग है और इसी तवशेष युग में आप सवट तवशेष आत्माओ ं का तवशेष
पाटट हैं। क्योतक बापदादा के सहयोगी हो।

यह भी नशा चातहए तक हम श्रेष्ठ आत्माओ ं का आह्वान हो रहा है। और हम ही बाप


द्वारा उन्हों को ररटनट तदलाने वाले हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 15 ]

आप जैसा खुश और कोई संसार में होगा? िो सदा क्या गीि गािे हो? "वाह मेरा श्रेष्ठ
भाग्य!"-यह गीि गाना सभी को आिा है।

शरीर भी पतवि हो और आत्मा भी पतवि हो - ऐसी पतवििा आप आत्मायें प्राप्त करिी


हो। िो ऐसे होलीएस्ट आत्मायें हो।

सदा अपनी श्रेष्ठ िकदीर को स्मृति में रख समथट स्वरूप में रहो। ऐसे ही अनुभव करिे
हो ना! जो बाप के गुण वह जमारे गुण।

तकिना बड़ा भाग्य तमला है, घर बैठे भगवान तमल जाए इससे बड़ा भाग्य और क्या
होगा! इसी भाग्य को स्मृति में रख हतषटि रहो।

बाप के भाग्य को िो आत्मायें वणटन करिी हैं लेतकन आपके भाग्य को बाप वणटन
करिे हैं। इससे बड़ा भाग्य न हुआ है, न होगा।

अपने जन्म के तनजी सस्ं कार जन्म की पहली स्मृति, जन्म का पहला बोल - मैं श्रेष्ठ
ब्राह्मण आत्मा हूँ इसको भी भूल जािे हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 16 ]

सभी सदा फररश्िों के समान िबल लाइट तस्थति में तस्थि रहिे हो। फररश्िों का जो
गायन है, वह हमारा गायन है ऐसे अनुभव करिे हो?

सदा अपना राज्य अतधकारी स्वरूप और पज्ू य स्वरूप - मैं पज्ू य आत्मा हूँ, औरों को
देने वाली दािा हूँ। लेविा नहीं, देविा हूँ।

सबसे ऊूँच जीवन है ब्राह्मण जीवन। नया जन्म है ऊूँचे िे ऊूँचा ब्राह्मण जन्म, तजसको
अल तकक जन्म कहा जािा है। िो यह नशा रहिा है ?

सदैव नशे में रहो तक हम अतवनाशी खज़ाने के मातलक हैं। जो बाप का खज़ाना ज्ञान,
सख
ु शातन्ि, आनन्द है... वह सवट गण
ु हमारे हैं।

सदा स्वयं के श्रेष्ठ स्वमान मास्टर सवटशतक्तवान के स्मृति में रहिे हो? सबसे श्रेष्ठ स्वमान
क नसा है? मास्टर सवटशतक्तवान।

आज बाप-दादा अपने कल्प पहले वाले तसकीलधे कोटों में से कोई, बाप को जानने
और वसाट पाने वाले तकसी तवशेष ग्रुप को देख रहे थे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 17 ]

सगं मयुग की तवशेषिाओ ं का सदा स्मृति स्वरूप बनो िो तवशेष आत्मा हो ही जायेंगे।
``पाना था सो पा तलया'' - सदा यह गीि गािे रहो।

भक्त लोग िो दुआ लेने के तलये तकिना पुरूषाथट करिे हैं। तकिनी िकलीफ लेिे हैं।
और आपको बाप की दुआयें हर समय तमलिी रहिी हैं।

यह एक-एक बच्चा कुल का दीपक है। तवश्व पररविटन करने के तनतमर्त् आत्मा है। हर
एक चमकिा हुआ तसिारा तवश्व को रोशनी देने वाला है।

सारे तवश्व में तवशेष आत्मायें हैं , यह स्मृति सदा रहिी है? तवशेष आत्माएं सेकण्ि भी
एक संकल्प, एक बोल भी साधारण नहीं कर सकिी।

सभी रत्न अमूल्य हो क्योंतक बाप को जाना और बाप से सब कुछ पाया। िो सदा
अपने को इसी खश ु ी में रखना और सबको यही खश
ु ी बाूँटिे रहना।

सदा अपने को शातन्ि का सन्देश देने वाले , शातन्ि का पैगाम देने वाले सन्देशी समझिे
हो? ब्राह्मण जीवन का कायट है - सन्देश देना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 18 ]

सदा अपने भाग्य का तसिारा चमकिा हुआ देखो। दुतनया वाले आज भी आपके भाग्य
का वणटन कर रहे हैं , िो अपने भाग्य का तसिारा देखिे रहो।

सदा यह याद है तक हम तकस बागवान के बगीचे के फूल हैं। िायरेक्ट बाप फूलों को
अपने स्नेह का पानी दे रहे हैं , िो तकिने लकी हो गये!

आज की यह सभा क न सी सभा है ? यह है तवतध-तवधािाओ ं की सभा। तसतद्ध-


दािाओ ं की सभा। अपने को ऐसे तवतध-तवधािा वा तसतद्ध दािा समझिे हो?

हम बेहद के मातलक के बालक हैं , यह स्मृति सदा रहे। क्या बन गये, क्या तमल गया
यह स्मृति रहिी है! बस इसी खुशी में सदा आगे बढ़िे रहो।

ब्राह्मणों का कर्त्टव्य के आधार से तवशेष टाइतटल है तवश्व कल्याणकारी, तवश्व के


आधारमूिट, तवशेष उद्धारमूर्त्ट, तवश्व के पररविटक।

बाप-दादा आज सभी को इि देव वा इि देवी के रूप में देख रहे हैं तक मेरे बच्चे तकिने
पूज्य हैं! अपना पूज्य स्वरूप भी सदा सामने रखो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 19 ]

िुम िायरेक्ट वश
ं ावली हो। समझा तकिने भाग्यशाली हो, जो स्वयं भगवान आपका
भाग्य बाला करिे हैं! िो सदा अपने ऐसे भाग्य को स्मृति में रखो।

सदा अमृिवेले अपने पोजीशन को स्मृति में लाओ तक हमारा पोजीशन तवश्व
कल्याणकारी का है। अपने पोजीशन पर सेट होने से आपोजीशन से बच जाएगं े।

िो सदा यह स्मृति में रखो तक मैं बाप के गले का हार हूँ, इससे माया से हार खाना
समाप्त हो जायेगा। हार तखलाने वाले होंगे ,खाने वाले नहीं।

कोटों में कोई और कोई में भी कोई! िो यह खुशी सदा रखो तक जो सनु िे थे, वणटन
करिे थे, कोटों में कोई, कोई में भी कोई आत्मा, वह हम ही है।

मतन्दरों में जो शतक्तयों की पूजा होिी है, वही हो ना! एक-एक कुमारी बहुि बड़ा कायट
कर सकिी। तवश्व पररविटन करने के तनतमर्त् बन सकिी हो।

सभी अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा अनुभव करिे हो? सबसे बड़ा भाग्य -
भाग्यतवधािा अपना बन गया। सदा इस श्रेष्ठ भाग्य की खुशी और नशा रहे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 20 ]

तकिना परमात्म प्यार है। गीि गािे हो ना-इिना प्यार करे गा क न? परमात्म प्यार कोई
और दे ही नहीं सकिा। असम्भव है। िो आशायें सब पूरी हुई?

अपने को भाग्यवान खुशबूदार रूहानी गुलाब समझिे हो ना! सदा इसी स्मृति में रहो
तक 'हम अल्लाह के बगीचे के रूहानी गुलाब' - यही नशा सदा रहे।

जो पहले की जीवन थी उससे तबल्कुल बदलकर, बस - श्रेष्ठ आत्मा हूँ, पतवि आत्मा
हूँ, महान आत्मा हूँ, भाग्यवान आत्मा हूँ, इसी याद में रहो।

बापदादा के तवशेष श्रगृं ार हो गये ना! सभी को यह नशा है ना तक हम तवश्व के तवशेष


के मातलक के बालक हैं। इसी नशे में खुशी में सदा नाचिे रहो।

ब्राह्मण बनना यह बहुि बड़ा भाग्य है। िो आपने अपना भाग्य ले तलया। ले तलया ना।
हर कदम में अपने श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख आगे बढ़िे चलो।

सदा यह नशा रहिा है तक हम ही कल्प-कल्प के अतधकारी आत्मायें हैं हम ही थे हम


ही हैं, हम ही कल्प कल्प होंगे। आज ब्राह्मण हैं , कल देविा बनेंगे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 21 ]

मािाओ ं को देख कर बहुि खश


ु ी होिी है। मािायें तगरीं िो चरणों िक, चढ़िी हैं िो
एकदम तसर का िाज। बहुि तगरा हुआ बहुि ऊंचा चढ़ जाए िो खुशी होगी ना।

चारों ओर का तचल्लाना आप सबके कानों िक पहुूँचिा है? ऐसे समय पर बाप के


साथ-साथ आप सब भी टॉवर ऑफ पीस हो। सबकी नज़र टॉवर ऑफ पीस की िरफ
जा रही है।

जैसे आकाश के ऊपर चमकिे हुए तसिारों को ऊूँची नज़र से देखिे वैसे आप सबको
सवटश्रेष्ठ महान, लकीएस्ट (Luckiest), समीप आत्माओ ं की नज़र से देखिे हैं।

तजस किटव्य के तलए अविररि होिे हैं वही किटव्य याद रहिा है। अविार आिे ही हैं
कोई महान किटव्य करने के तलए। तवश्व-पररविटन के किटव्य के तलए।

जो भी उत्सव मनािे हैं उनको बड़ा तदन कहा जािा है। क्योंतक तवश्व के बड़ों का तदन
है। तवश्व में सबसे बड़े िे बड़े क न हैं ? आप सभी अपने को समझिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 22 ]

परमात्म बाप के बच्चे हो। महात्मा, धमाटत्मा के नहीं हो, परम आत्मा के हो। अभी िो
सब नशे में ठीक हो, वो िो तदखाई दे रहा है लेतकन सदा रहेगा ना?

अनेक जन्म सध ु ारने वाले, मास्टर भाग्य तवधािा हो। क्योतक उनका भाग्य बदलने के
तनतमर्त् बन जािे हो ना! तगरिी कला के बदले चढ़िी कला का भाग्य हो जािा।

सदैव भाग्यतवधािा बाप और और भाग्यवान मै , यह रूहानी नशा रहिा है ना? रूहानी


नशा अथाटि् अतवनाशी नशा। बापदादा सभी से पूछिे हैं तक सिं ुि रहिे हो?

सदा यह याद रखो तक मैं ब्राह्मण आत्मा राज्य सर्त्ा और धमट सर्त्ा की अतधकारी
आत्मा हूँ। यह स्मृति का तनश्चय है िो नशा है, तनश्चय कम िो नशा भी कम।

अपने को अके ला नहीं समझो। आप एक-एक के पीछे आपकी राजधानी है। वे भी


आप को देख रहे हैं। इसतलए यह याद रहे तक जो कमट मैं करूंगा मुझे देख सभी करेंगे।

ऐसा श्रेष्ठ भाग्य तजसका गायन स्वयं भगवान करे , ऐसा भाग्य तफर कभी तमलेगा?
भतवष्य में भी ऐसा भाग्य नहीं होगा, अब नहीं िो कब नहीं, ऐसी खुशी होिी है?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 23 ]

श्रेष्ठ ब्राह्मणों का संकल्प आत्मा के िकदीर की लकीर खींचने वाला साधन है।
आपका एक सक ं ल्प एक तस्वच है तजसको ऑन कर सेकेण्ि में अन्धकार तमटा सकिे
हो।

आप सब सदा सागर से सम्बन्ध रखने वाली ज्ञान नतदयाूँ हो तजसमें अनेक आत्मायें
ज्ञान स्नान कर पावन बनिी हैं िो पावन बनाने की सेवा में सदा ित्पर रहिे हो?

अल्लाह के बगीचे के 'रूहे गुलाब'। यह िो नाम लेना पड़िा है फलाना देश, फलाना
देश, वैसे एक ही बगीचे के , एक ही बाप की पालना में आने वाले , रूहे गल
ु ाब हो।

सदा स्वयं को ऊूँचे से ऊूँचे बाप के िायरेक्ट ईश्वरीय सन्िान समझिे हुए सदा समथट
तस्थति में रहिे हो ? जैसे बाप सदा समथट है वैसे बाप समान समथट बने हो?

``पाना था सो पा तलया'' यह गीि गाना भल ू जािे हो। यह एक गीि भलू ने से अनेक


प्रकार के घुटके खािे हो। गीि गाओ िो घुटके भी खत्म िो झुटके भी खत्म हो जाएूँ।

कहलािे हैं 'मास्टर सवटशतक्तवान', 'तवजयी रत्न', 'स्वदशटन चक्रधारी', 'तशव शतक्त
पांिव सेना', 'सहज राजयोगी', 'महादानी वरदानी', 'तवश्व कल्याणकारी' हैं ।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 24 ]

आजकल देखों काूँटों की कुसी को भी कोई नहीं छोड़िा। आपको िो बाप-दादा सदा
सख
ु दाई तस्थतिा् की सीट दे रहे हैं। पोज़ीशन पर तबठा रहे हैं तफर नीचे क्यों आिे हो?

मांगिे भी तकससे हैं? बाप से और आप पूज्य आत्माओ ं से। क्योंतक आप श्रेष्ठ


आत्मओ ं को भाग्य देने वाला स्वयं भाग्यतवधािा बाप है। आपका िो मांगना परू ा हो
गया ना।

वैसे िो आप बाप के बच्चे वी.वी.वी.आई.पी. हो। आप सबसे बड़ा िो कोई भी नहीं


है लेतकन जो इस दुतनया के वी.आई.पी. हैं उन आत्माओ ं को भी सन्देश देने का यह
चान्स है।

ब्राह्मण पररवार में चाहे लास्ट नम्बर हो लेतकन तवश्व की अनेक आत्माओ ं के अन्िर में
वह भी तवशेष गाये जािे। इसतलए 'कोटों में कोई, कोई में भी कोई' गाया हुआ है।

सगं मयुग पर ही असम्भव, सम्भव होिा है। सवट पररविटन का युग संगमयुग है। िो ऐसे
युग पर श्रेष्ठ पाटट बजाने वाले हीरो आर हीरोइन एक्टर हो। इिना नशा सदा रहिा है ?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 25 ]

सदा अपने को पूज्य आत्मा समझो िो पूज्य आत्मा अथाटि् पावन आत्मा। कल्प-
कल्प पूज्य हैं। पूज्य समझने से संकल्प और स्वप्न भी सदा पावन होंगे। िो ऐसा नशा
रहिा है?

एक िो बाप के अमूल्य रत्न हो, हीरो िायमण्ि हो। दूसरा हीरो पाटट बजाने वाले हीरो
हो। इसतलए बापदादा हर सेकण्ि हर सक ं ल्प, हर जन्म की अतवनाशी मुबारक दे रहे
हैं।

जब आप ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ि फादर के बच्चे हैं, आपके ही सभी तबरादरी हैं , शाखायें हैं ,
पररवार है, आप ही भक्तों के इि देव हो। यह नशा है तक हम ही इि देव हैं ?

अपने भाग्य के गीि गािे रहो। वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य! भगवान का बनाना - इससे बड़ा
भाग्य और क्या होगा! इसतलए सदा गीि गािे रहो और ससदा खुशी के झूले में झूलिे
रहो।

भक्त बाप का नाम लेने के तलए प्रयत्न करिे रहिे हैं , सोचिे हैं बाप का नाम मुख पर
रहे लेतकन बाप के मुख पर तकसका नाम रहिा? आप बच्चों का नाम बाप के मुख
पर है समझा।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 26 ]

दुतनया में साहकार देखना हो िो आपको देखें। क्योंतक सच्चा धन आपके पास है।
तवनाशी धन िो आज है , कल नहीं होगा। लेतकन अतवनाशी धन आपके पास है। िो
सबसे साहकार आप हो।

सोचो, याद रखो तक हम तकिने लािले हैं , तकसके लािले हैं! सियुग में भी परमात्म
लािले नहीं होंगे। तदव्य आत्माओ ं के लािले होंगे। लेतकन इस समय परमात्म बाप के
लािले हो।

जैसे आज की दुतनया में राजपूि वंश वाले अपने वंश की स्मृति तदलािे िो कमज़ोर में
भी तहम्मि आ जािी - ऐसे तवश्व कल्याणकारी - कमज़ोर आत्मा को भी मतहमा से
महान बना देंगे।

यह तनश्चय रहिा है तक मैं ही कल्प पहले भी समाधान स्वरूप अथाटि् सफल आत्मा
बना था, बनी हूँ और कल्प के बाद भी मैं ही बनूंगी। िो यह नशा ड्रामा का तनश्चय
पक्का करािा।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 27 ]

शुरू-शुरू में अखबार में तनकाला गया था तक 'ओम् मण्िली इज तद ररचेस्ट इन तद


वल्िट (Om Mandali Is Richest In The World)' िो यही बाि तफर अन्ि
में, सबके मुख से तनकलेगी।

यह ज़रूर अपने को समझना है तक सारे तवश्व से चुने हुए हम तवशेष आत्मायें हैं। तजिनी
तवशेष आत्मायें उिनी उनके हर कमट में तवशेषिा होिी है। तवशेष आत्मा हो ना। कम
नहीं हो।

आज बापदादा ने देखा तक एक िो सभी पवू टज हैं और दूसरा सबसे बड़े िे बड़े पज्ू य
आत्मायें भी आप हो। आप जैसी पूजा सारे कल्प में तकसकी नहीं होिी। िो पूवटज भी
हो और पूज्य भी।

फररश्िे सदा उड़िे रहिे हैं और मैसेज देिे रहिे हैं। फररश्िा आया, सन्देश तदया और
उड़ा। िो वो फररश्िे क न हैं ? आप ही हो ना? फलक से कहो-हम ही थे , हम ही हैं
और हम ही रहेंगे।

इस समय अथाटि् सगं मयुग को कल्याणकारी युग कहा जािा है। यह कल्याणकारी
युग है और कल्याणकारी आप आत्मायें हो। िो सदा ये अपना स्वमान याद रहिा है
तक मैं कल्याणकारी आत्मा हूँ?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 28 ]

इस ड्रामा के अन्दर तवशेष पाटट बजाने वाली तवशेष आत्मायें हैं - ऐसे अनुभव करिे
हो? जब अपने को तवशेष आत्मा समझिे हैं िो बनाने वाला बाप स्वि: याद रहिा है ,
याद सहज लगिी है।

बापदादा जानिे हैं तक यह एक एक आत्मा अनेक बार स्नेही बनी है अभी भी बनी है
और हर कल्प यही आत्मायें स्नेही बनेंगी। नशा है खश
ु ी है तक हम ही हर कल्प के
अतधकारी आत्मायें हैं?

तजसको दुतनया ढूूँढ रही है उसके बच्चे बने हैं। दुुःख की दुतनया से तकनारा कर तलया।
सखु के सस ु के सागर में लहरािे , सबको सख
ं ार में पहुूँच गये। िो सदा सख ु के खज़ाने
से भरपूर करो।

िना द्वारा ही सवट शाखाओ ं को शतक्त प्राप्त होिी है।ऐसे आप आत्माओ ं द्वारा ही सवट
आत्माओ ं को श्रेष्ठ सक
ं ल्पों की शतक्त वा सवटशतक्तयों की प्रातप्त ऑटोमेटीकली होिी
रहिी है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 29 ]

क्योंतक सारी दुतनया ही अपना पररवार है। सवट आत्माओ ं का िना आप ब्राह्मण हो।
यह सारी शाखाएं अथाटि् तभन्न-तभन्न धमट की आत्माएं भी मूल िना से तनकली हैं। िो
सभी अपने हुए ना।

बापदादा के द्वारा प्राप्त हुए श्रेष्ठ आत्मा के स्वमान सदा स्मृति में रहे तक मैं परमात्मा
द्वारा स्वमानधारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ। साधारण आत्मा नहीं, परमात्म स्वमानधारी आत्मा।

बाप-दादा अपने सवट महान आत्माओ,ं धमट आत्माओ,ं पुण्य आत्माओ,ं महान पतवि
आत्माओ ं को देख हतषटि होिे हैं। परमात्मा के बच्चे परम पतवि बच्चे हैं। पतवििा की
ही महानिा है।

क न सी तवशेषिा है सभी में ? बाप को जानने की तवशेषिा है। जो बड़े बड़े ऋतष मुतन
नहीं जान सके वह आपने जान तलया, पा तलया। वह तबचारे िो नेिी नेिी करके चले
गये। आपने सब कुछ जान तलया।

जो स्वप्न में बनना न था, वह साकार स्वरूप में अनुभव कर रहे हो इसीतलए बाप-दादा
सभी बच्चों को लकी तसिारे कहिे हैं। िो लकी तसिारे हो ना? तसिारा कहा ही उसको
जािा है जो सदा जगमगािा रहे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 30 ]

आज तवश्व रचिा, तवश्व की श्रेष्ठ िकदीर बनाने वाले बापदादा अपने श्रेष्ठ िकदीर की
िस्वीर - स्वरूप बच्चों को देख रहे हैं। आप सभी ब्राह्मण आत्मायें तवश्व की श्रेष्ठ
िकदीर की िस्वीर हो।

आपको कापी करने वाले सारे कल्प में हैं। भतक्त के मास्टर भगवान हो, सियुग िेिा
में प्रजा के तलए प्रजातपिा हो। सगं म पर बापदादा के नाम और कर्त्टव्य को प्रियक्ष
करने के आधारमूर्त्ट हो।

देखो, तकिने श्रेष्ठ अतधकारी हो जो स्वयं बाप ऑलमाइटी अथॉररटी के ऊपर


अतधकार रख तदया। परमात्म-अतधकारी-इससे बड़ा अतधकार और है ही क्या!जब
बीज को अपना बना तलया िो वृक्ष िो समाया हुआ है ही।

बाप ने सनु ाया तक हर एक ब्राह्मण बच्चे के कदम में पदम की रे खा है। सोचो कदम में
पदम की रेखा िो तकिने पदमों के तलए सगं मयुग पर गोल्िन चांस है। हर एक को यह
अपना भाग्य स्मृति में रखना है।

देखो, सारे तवश्व में बापदादा के सम्बन्ध का प्रैतक्टकल में अनुभव करने वाले तकिने
और क न हैं! िो आप सभी प्रत्यक्ष प्रमाण हो, तदल से प्यार है और प्यार की पालना
से आगे से आगे बढ़ रहे हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 31 ]

हर कमट का आधार, कुल की मयाटदाओ ं का आधार, रीति-रस्म का आधार, पवू टज


होिे हैं। िो सवट आत्माओ ं के आधार मूर्त्ट और उद्धार मूर्त्ट आप पूवटज हो। ऐसे अपने
श्रेष्ठ स्वमान में तस्थि रहिे हो?

सभी बृहस्पति की दशा वाले, श्रेष्ठ भाग्य की लकीर वाले श्रेष्ठ आत्माओ ं को बापदादा
आज के वृक्षपति तदवस की याद-प्यार दे रहे हैं। वृक्षपति बाप ने सभी बच्चों की श्रेष्ठ
िकदीर, अतवनाशी बना दी।

राजा हो ना! राजयोगी हो तक प्रजा योगी हो? इस समय सब तदलिख्िनशीन, स्वराज्य


अतधकारी राजा बच्चा हो। इिना रूहानी नशा रहिा है ना? क्योंतक इस समय के
स्वराज्य से ही भतवष्य राज्य प्राप्त होिा है।

सारे तवश्व की सवट आत्माओ ं में से तसफट थोड़ी-सी आत्माओ ं को यह तवशेष पाटट तमला
हुआ है। तकिनी थोड़ी आत्मायें हैं तजन्हों को बीज के साथ सम्बन्ध द्वारा श्रेष्ठ प्रातप्त का
पाटट तमला हुआ है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 32 ]

राजा हो ना! राजयोगी हो तक प्रजा योगी हो? इस समय सब तदलिख्िनशीन, स्वराज्य


अतधकारी राजा बच्चा हो। इिना रूहानी नशा रहिा है ना? क्योंतक इस समय के
स्वराज्य से ही भतवष्य राज्य प्राप्त होिा है।

सवट आत्माओ ं में से बहुि थोड़ी-सी आत्माओ ं का ऐसा श्रेष्ठ भाग्य है - जैसे बच्चे भाग्य
तवधािा बाप को देख हतषटि होिे हैं वैसे बाप भी भाग्यवान बच्चों को पाकर बच्चों से
भी ज्यादा खश
ु होिे हैं।

आप सब बाप-दादा के तसर के िाज के सच्चे हीरे हो। एक हीरा चमकने वाला और


एक हीरा सबसे श्रेष्ठ मेन पाटट बजाने वाला, हीरो हीरोइन। िो िबल हीरा हो गये ना।
सदा इसी नशे में रहो तक हम िबल हीरा हैं।

सदा ये नशा रहिा है तक हम भाग्य तवधािा के बच्चे हैं ? भाग्य तवधािा बाप स बन
गया और क्या चातहये? सब चाहनायें पूरी हो गई तक और रही हुई हैं ? नशा सदा बढ़िा
जािा है या कभी कम होिा है , कभी बढ़िा है?

एक है बाप द्वारा पालना का भाग्य दूसरा है तशक्षक रूप में तशक्षा का भाग्य िीसरा है
सिगुरू द्वारा वरदानों का भाग्य। िीनों भाग्य चमकिा हुआ देख रहे हैं। हर एक का
मस्िक िीनों भाग्य से चमक रहा है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 33 ]

बाप से पछ
ू िे हैं तक सारा तदन क्या करिे हो? बाप क्या कहिे हैं तक सारा तदन बच्चों
को ही याद करिे हैं। और काम ही क्या है ? ये नशा है ना? दुतनया वाले बाप को याद
करिे हैं और बाप आपको याद करिे हैं।

जैसे ल तकक आक्यूपेशन वाली आत्मा के साथ भी कायट करने वाले को तकिना
ऊंचा समझिे हैं! लेतकन आपका पाटट , आपका कायट स्वयं बाप के साथ है। पहले िो
तसफट पक
ु ारिे थे तक थोड़ी घड़ी के तलए दशटन तमल जाए।

यह तमलन-आत्मा का परमात्मा बाप से और अल तकक पररवार से तकिना प्यार है।


यह मेला प्यारा लगिा है ना? सदा खुशी में ही गीि गािे हो। ऐसा गीि हो जो आपके
तदल के खुशी का गीि भगवान् को भी खुश कर देिा है।

आपके दृति से सतृ ि बदल रही है। आपके श्रेष्ठ कमों से श्रेष्ठाचारी दुतनया बन रही है।
िो तकिनी तजम्मेवारी है! तवश्व की तजम्मेवारी का िाज पहना हुआ है ना? तक कभी
भारी लगिा है िो उिार देिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 34 ]

एक धारा - "मैं एक श्रेष्ठ आत्मा हूँ'', यह खुशी की धारा है। मैं तवश्व के मातलक का
बालक हूँ। मैं सृति के आतद मध्य अन्ि का नालेजफुल हूँ। ऊंचे िे ऊंचे बाप के साथ
श्रेष्ठ मंच पर मेरा हीरो पाटट है।

घर बैठे इिनी श्रेष्ठ प्रातप्त है , घर बैठे भगवान तमल गया ना! िो अपने भागय की सदा
मतहमा करिे रहो, सदा मन में अपने भाग्य के गीि गािे हुए खश
ु रहो, अगर कहीं भी
लगाव होगा, मोह होगा िो दुख की लहर आयेगी।

'सदा पुण्य का खािा जमा करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ' - ऐसे अनुभव होिा हैं ? यह
सेवा - नाम सेवा का है , लेतकन पुण्य का खािा जमा करने का साधन है। िो पुण्य के
खािे सदा भरपूर हैं और आगे भी भरपूर रहेंगे।

सभी अपने को सदा कोटों में कोई और कोई में भी कोई श्रेष्ठ आत्मा अनुभव करिे
हों? तक कोटों में कोई जो गाया हुआ है वो और कोई है ? या आप ही हो? िो तकिना
एक-एक आत्मा का महत्व है अथाटि् हर आत्मा महान है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 35 ]

'सदा अपने को सवटशतक्तवान बाप की शतक्तशाली आत्मा हूँ' - ऐसा अनुभव करिे
हो? शतक्तशाली आत्मा सदा स्वयं भी सन्िुि रहिी है और दूसरों को भी सन्िुि करिी
है। ऐसे शतक्तशाली हो? सन्िुििा ही महानिा है।

इसी एक नशे में रहो िो सदा जैसे नशे में सब बािें भूल जािी हैं, सस
ं ार ही भूल जािा
है, ऐसे इस में रहने से यह पुरानी दुतनया सहज ही भूल जायेगी। िो सदा चेक करो -
आज ब्राह्मण कल देविा, यह तकिना समय नशा रहा।

बापदादा सभी बच्चों को महान आत्मायें देखिे हैं। दुतनया वाले तजन आत्माओ ं को
महात्मा कहिे ऐसे महात्मायें भी आप महान आत्माओ ं के आगे क्या तदखाई देंगे!
सबसे बड़े से बड़ी महानिा तजससे महान बने हो, वह जानिे हो?

भगवान की दृति के पाि बने हो, साधारण बाि नहीं। पालना के पाि बने हो।
अतवनाशी पतवििा के जन्म-तसद्ध अतधकार के अतधकारी बने हो। इसतलए जन्म तसद्ध
अतधकार कभी मुतश्कल नहीं होिा है। सहज प्राप्त होिा है।

सदा अपने को बाप के तदलिख्िनशीन आत्मायें अनुभव करिे हो? ऐसा िख्ि सारे
कल्प में अब एक बार ही तमलिा है और कोई समय नहीं तमलिा। जो श्रेष्ठ बाि हो
और तमले भी एक ही बार-िो उस िख्ि को कभी भी छोड़ना नहीं चातहए।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 36 ]

बाप-दादा बच्चों को स्वयं से भी सवट श्रेष्ठ िाज, िख्ि नशीन परमधाम के चमकिे हुए
तसिारे और तवश्व के सवट आत्माओ ं के तदल के सहारे , तवश्व की आत्माओ ं के आगे
सदा पवू टज और पज्ू य - ऐसे श्रेष्ठ देखने चाहिे हैं।

मािाओ ं को सदा तवशेष खश


ु ी होनी चातहए तक क्या से क्या बन गई। ना-उम्मीद से
सवट उम्मीदों वाली जीवन बन गई, पास्ट की जीवन में क्या थे अब क्या बन गये।
दुतनया भटक रही है और आप तठकाने पर, िो खश
ु ी होनी चातहए ना?

आज बेगमपरु के बादशाह अपने बेगमपरु के मातलकों से तमलने आये हैं। ऐसे मातलकों
को देख बापदादा भी खुश हो रहे हैं तक हर बालक, मातलक बन गये हैं। संगमयुग
बेगमपरु , मूलविन बेगमपरु , स्वगट बेगमपुर, िीनों के मातलक।

सदा अपने तवशेष पाटट को देख हतषटि रहिे हो? ऊूँचे िे ऊूँचे बाप के साथ पाटट बजाने
वाले तवशेष पाटट धारी हो। तवशेष पाटट धारी का हर कमट स्वि: ही तवशेष होगा क्योंतक
स्मृति में है तक - मैं तवशेष पाटट धारी हूँ।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 37 ]

आप जैसा शुद्ध भोजन, याद का भोजन तवश्व में तकसको भी प्राप्त नहीं है! इस भोजन
को ही कहा जािा है - दु:ख भज
ं न भोजन। याद का भोजन सब दु:ख दूर कर देिा है।
क्योंतक शद्ध
ु अन्न से मन और िन दोनों शद्ध
ु हो जािा हैं।

सगं मयुग सदा सवट प्रातप्त करने का युग है। सगं मयुग श्रेष्ठ बनने और बनाने का युग है।
ऐसे युग में पाटट बजाने वाली आत्मायें तकिनी श्रेष्ठ हो गई! िो सदा यह स्मृति रहिी है-
तक हम सगं मयुगी श्रेष्ठ आत्मायें हैं?

तवश्व के तलए तवश्व आधार मूिट हो। तवश्व के आगे जहान के नूर हो। जहान के कुल
दीपक हो। जो भी श्रेष्ठ मतहमा है - सवट श्रेष्ठ मतहमा के अतधकारी आत्मायें अब तवश्व
के आगे अपने सम्पन्न रूप में प्रत्यक्ष हो तदखाओ।

सदा नव जीवन के इस उत्साह में उड़िे चलो क्योंतक आप आधारमूिट हो। तसफट अपने
जीवन के तलये आधार नहीं हो लेतकन तवश्व के सवट आत्माओ ं के आधारमूिट हो।
आपकी श्रेष्ठ वतृ र्त् से तवश्व का वािावरण पररविटन हो रहा है।

जैसे कोई भी तवशेष तदन होिा है वा कोई तवशेष कायट करिा है िो क्या करिे हो?
उसको बधाई देिे हो ना, एक दो को बधाई देिे हो। िो सारे कल्प में सगं मयुग का हर
तदन तवशेष तदन है और आप तवशेष युग के तवशेष पाटट धारी हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 38 ]

सारी तवश्व तजस बाप को एक सेकण्ि की झलक देखने की चािक है ,उस बाप के
सेकण्ि में अतधकारी बनने वाले हम श्रेष्ठ आत्मायें हैं। यह स्मृति में रहिा है ? यह स्मृति
स्वि: ही समथट बनािी है। ऐसी समथट आत्मायें बने हो?

सारी सतृ ि की आत्माओ ं की भेंट में तकिनी आत्माओ ं को यह भाग्य प्राप्त हुआ है। िो
तकिनी खुशी होनी चातहए। खुशी िो नयनों में, मस्िक में, होठों में झलकिी रहनी
चातहए। जो है ही खुशी के खज़ाने का मातलक, उसके बालक हो।

तकिनी भी आजकल की नामीग्रामी आत्मायें हैं लेतकन आपवे श्रेष्ठ प्रातप्त के आगे
कुछ भी नहीं है। िो सबसे श्रेष्ठ हुए ना। आज की दुतनया के प्रेज़ीिेन्ट भी आपको कहें
ब्रह्माकुमार के बजाए प्रेज़ीिेन्ट बन जाओ िो बनेंगे?

नॉलेजफुल मास्टर ज्ञान सागर और कर्त्टव्य है, तवश्व सेवाधारी अथाटि् गािली
सतवटसएबल। दोनों तवशेषिाओ ं को तनरन्िर स्मृति में रखिे हो? आप लोग कहलािे
भी हो तक हम वल्िट सवेन्ट (World Servant;तवश्व सेवाधारी) हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 39 ]

फररश्िा सदैव लाइट में तदखािे है , चमकिा हुआ तदखािे हैं। आप भी चमकिे हुए
तसिारे हो, फररश्िे हो- यह नशा सदा रहिा है या कभी-कभी रहिा है ? िो सदा याद
रखना तक हम फररश्िा अविररि हुई आत्मायें है , ब्राह्मण-आत्मायें है।

एक-एक रत्न ऐसे चमकिे हुए लाइट स्वरूप हो जो हजारों बल्ब भी वह रोशनी नहीं दे
सकिे। ऐसे चमकिे हुए रत्न - अपने लाइट माइट स्वरूप को जानिे हो ना! सारे तवश्व
को अन्धकार से रोशनी में ले जाने वाले आप चमकिे हुए रत्न हो।

अपने एक-एक शान को याद करो और तकसने शान में तबठाया? बाप ने तबठाया। बाप
के तदलिख्िन-शीन हैं। सबसे बड़े िे बड़ी शान राज्य पद है ना! िो आपको िख्ि-िाज
तमल गया है ना! जो परम आत्मा के िख्िनशीन हैं इससे बड़ी शान क्या है!

आज भाग्य तवधािा बाप अपने तवश्व में सवट श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों को देख रहे हैं। हर
बच्चे के भाग्य की मतहमा स्वयं भगवान गा रहे हैं। बाप की मतहमा िो आत्मायें गािी
हैं लेतकन आप बच्चों की मतहमा स्वयं बाप करिे हैं।

सभी अपने को सदा श्रेष्ठ भाग्यवान, श्रेष्ठ आत्मायें समझिे हो? सदा यह खश
ु ी रहिी
है तक हम ऊूँचे िे ऊूँचे बाप के बच्चे हैं ? क्योंतक जैसा बाप वैसे बच्चे हैं ना। बाप सदा
खश ु ी का भण्िार है िो बच्चे भी बाप समान होंगे ना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 40 ]

हर कदम बाप साथ है िो बधाई भी साथ है। सदा इसी स्मृति में रहो तक स्वयं भगवान
हम आत्माओ ं को बधाई देिे हैं। जो सोचा नहीं था वह पा तलया! बाप को पाया सब
कुछ पाया। सवट प्रातप्त स्वरूप हो गये। सदा इसी भाग्य को याद करो।

भक्त, भगवान के आगे पररक्रमा लगािे हैं लेतकन भगवान अब क्या करिे हैं ? भगवान
बच्चों के पीछे पररक्रमा लगािे हैं। आगे बच्चों को करिे पीछे खदु चलिे हैं। सब कमट
में चलो बच्चे - चलो बच्चे कहिे रहिे हैं। यह तवशेषिा है ना।

जो हूँ वैसा अपने को समझकर चलना - जो हूँ अथाटि् श्रेष्ठ आत्मा हूँ, िायरेक्ट बाप
की सन्िान हूँ, बेहद के प्रॉपटी की अतधकारी हूँ, मास्टर सवटशतक्तवान हूँ ऐसे जो हूँ वैसे
समझकर चलना इसको कहा जािा है स्वयं का ररगािट।

कोई भी ब्राह्मण बच्चा ऐसा नहीं तजसमें कोई तवशेषिा न हो सबसे पहली तवशेषिा
िो यही है जो बाप को जान तलया, बाप को पा तलया। कोटो में कोई और कोई में भी
कोई ने जाना। िो बाप भी उसी नज़र से देखिे हैं तक यह तवशेष आत्मायें हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 41 ]

भतक्त मागट में भक्त को यतद एक वरदान भी तमल जािा है िो वो क्या से क्या बन जािा
है! और आप तकिने लक्की हो जो भगवान रोज वरदान देिे हैं। पालना ही वरदानों से
हो रही है। िो वरदान याद रहिा है ? या सनु ने के टाइम याद रहिा है?

तवशेष हैं और सदा सारे कल्प में तवशेष होंगे। और तकसी भी धमट नेिा या महात्माओ ं
की ऐसे तवतधपूवटक पूजा नहीं होिी। जैसे देविाओ ं की पूजा होिी है, वैसे तकसी की
भी नहीं होिी। नेिाओ ं को िो तबचारों को धपू में लटका देिे हैं।

अमूल्य रत्न तजन्हों को बाप ने अपने गले का हार बनाया, तदलिख्ि नशीन बनाया,
नयनों के तसिारे बनाया, तसर का िाज बनाया, तवश्व में अपने साथ-साथ पूज्यनीय
बनाया, अनेक भक्तों के ईि देव बनाया-ऐसे स्वमान में सदा तस्थि रहिे हो?

आप तकिनी बड़ी अथाटी वाले हो और तकिने प्रकार की अथाटी वाले हो, ज्ञान की
अथाटी, योगबल की अथाटी, श्रेष्ठ धारणा स्वरूप की अथाटी, िायरेक्ट बाप के
वाररसपन की अथाटी, तवश्व पररविटन करने के तनतमर्त् बनने की अथाटी।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 42 ]

हरेक बच्चा स्वगट का अतधकारी है। बच्चों के अतधकार को देख बाप-दादा को भी


ईश्वरीय फखुर है तक सारे तवश्व में ऐसे िकदीरवान बच्चे तकसी के हो नहीं सकिे। ऐसा
फखुर बच्चों को भी रहिा है तक हमारे जैसी िकदीर तकसी की हो नहीं सकिी।

बच्चों के त्याग की तहम्मि देख, िपस्या का उमंग देख बापदादा खश ु होिे हैं। बाप
की मतहमा िो भक्त करिे हैं लेतकन बच्चों की मतहमा बाप करिे हैं। तकिने जन्म आपने
माला तसमरण की? अभी बाप ररटनट में बच्चों की माला तसमरण करिे हैं।

जैसे कोई आजकल की दुतनया में वी.आई.पी. का बच्चा होगा िो वह अपने को भी


वी.आई.पी. समझेगा ना। िो आप से ऊूँचा िो कोई है ही नहीं। िो ऐसे , ऊूँचे-िो-ऊूँचे
बाप की सन्िान ऊूँचे -िे-ऊूँची आत्मायें हैं - यह स्मृति सदा शतक्तशाली बनािी है।

ु ी है , बापदादा एक-एक बच्चे को समान बनने की,


समान बनना है ना! बाप को खश
श्रेष्ठ सक
ं ल्प करने की पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो,
मुबारक हो। नशा है ना - हमारे तजिना पदम-पदम भाग्यवान क न? इसी नशे में रहो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 43 ]

आतद रिन समझेंगे िो अपने जीवन के मूल्य को जानेंगे। आप सब प्रभु के रिन, ईश्वर
के रिन हो, िो आपकी तकिनी वैल्यू हो गई। सदा अपने को आतद देव के बच्चे मास्टर
आतद देव, आतद रिन समझो िो जो भी कायट करें गे वह समथट होगा व्यथट नहीं।

िो सदा इसी स्मृति में रहो तक हम भाग्यवान आत्मायें हैं, कोई साधारण भाग्यवान,
कोई श्रेष्ठ भाग्यवान हैं। 'श्रेष्ठ' - शब्द सदा याद रखना, "श्रेष्ठ आत्मा हूँ, श्रेष्ठ बाप का
हूँ और श्रेष्ठ भाग्यवान हूँ" - यही वरदान सदा साथ रहे।

हर एक बच्चा ऐसा होलीएस्ट बनिा है जो सारे कल्प में और कोई भी ऐसा महान
पतवि आत्मा न बना है , न बन सकिे हैं। समय प्रति समय धमट आत्मायें , महान
आत्मायें, पतवि रहे हैं लेतकन उन्हों की पतवििा और आपकी पतवििा में अन्िर है।

इस जन्मतदन को तशवजयन्िी भी कहिे हैं और तशवराति भी कहिे हैं। िो जन्म के साथ


किटव्य का भी यादगार है। अंधकार तमटने का और प्रकाश फैलने का यादगार है। िो
ऐसे अल तकक जन्म तदन आप बापदादा के साथ मनाने वाले भाग्यवान आत्मायें हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 44 ]

जैसे बाप सदैव हाूँ बच्चे , मीठे बच्चे, तवश्व के मातलक बच्चे समझ कर अपना तसरिाज
बनािे हैं, ऐसे तसरिाज तस्थति में तस्थि रहिे हो? ब्राह्मणों की चोटी का स्थान कहाूँ
होिा है? तसर के ऊपर है न। िो ब्राह्मण चोटी अथाटि् बाप के तसरिाज।

आप सभी श्रेष्ठ आत्माओ ं की श्रेष्ठिा प्यूररटी ही है - प्यूररटी ही इस भारि देश की


महानिा है, प्यूररटी ही आप ब्राह्मण आत्माओ ं की प्रोस्पेटी (property) है जो इस
जन्म में प्राप्त करिे हो वही अनेक जन्मों के तलए प्राप्त करिे हो।

वह(सकामी अल्पकाल के राजायें) अपने हुक्म के आधार से जो च्हें वह कर सकिे हैं


- ऐसे आप एक सक
ं ल्प के आधार से आत्माओ ं को तजिना चाहे उिना ऊंचा उठा
सकिे हो क्योंतक िायरेक्ट परमात्म- अतधकार प्राप्त हुआ है - ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें हो?

सदा अपने भाग्य को देख हतषटि होिे हो! सदा 'वाह-वाह' के गीि गािे हो? 'हाय-
हाय' के गीि समाप्त हो गये या कभी दु:ख ही लहर आ जािी है ? दुुःख के सस ं ार से
न्यारे हो गये और बाप के प्यारे हो गये , इसतलए दुुःख की लहर स्पशट नहीं कर सकिी।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 45 ]

शुद्ध फीतलंग रहे - 'मैं सवटश्रेष्ठ अथाटि् कोटों में कोई आत्मा हूँ, मैं देव आत्मा, महान
आत्मा, ब्राह्मण आत्मा, तवशेष पाटट धारी आत्मा हूँ।' इस फीतलगं में रहने वाले को
व्यथट फीतलंग का फ्लू नहीं होगा। इस शुद्ध फीतलंग में रहो।

बाप का बनना-यह तकिनी खुशी की बाि है! कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा तक भगवान
के इिने समीप सम्बन्ध में आयेंगे! लेतकन साकार में बन गये! िो क्या याद रखेंगे?
सदा खुशी के गीि गाने वाले। यह खश ु ी के गीि कभी भी समाप्त नहीं हो सकिे हैं।

अपने आप में भी इिना ही तनश्चय होना चातहए तक मैं भी वही कल्प पहले वाली,
बाप के साथ पाटट बजाने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ और साथ- साथ ड्रामा के हर पाटट को
भी इसी तस्थति से देखें तक हर पाटट मुझ श्रेष्ठ आत्मा के तलए कल्याणकारी है।

बाप का बनना अथाटि् तवशेष आत्मा बनना। जब से बाप के बने उस घड़ी से तवश्व के
अन्दर सवट से श्रेष्ठ गायन योग्य और पूज्यनीय आत्मा बने। अपनी मान्यिा, अपना
पज
ू न तफर से चैिन्य रूप में देख भी रहे हो और सनु भी रहे हो। ऐसे अनुभव करिे हो?

बच्चे,आप सब श्रेष्ठ आत्मायें बाप समान सवट गुणों में , सवट प्रातप्तयों में मास्टर हो। बाप
से भी श्रेष्ठ बाप के तसर के िाज हो। जो पहले -पहले इशारा तमला उसी इशारे प्रमाण
बाप समान मास्टर सवटशतक्तवान, मास्टर सवटगुण सम्पन्न बने हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 46 ]

आप लोग िो बहुि-बहुि भाग्यवान आत्मायें हो जो तवनाश के पहले अपना अतधकार


पा तलया। और सब तचल्लायेंगे, हाय हमने कुछ नहीं पाया, और आप बापदादा के
साथ तदलिख्ि नशीन होकर उन्हों को वरदान देंगे। िो तकिने भाग्यवान हो। सदा ही
खुश रहिे हो ना?

खुश नसीब हैं और खुशी की खुराक खाने वाले हैं और खुशी बांटने वाले हैं - ये याद
रहिा है? तदल से तनकलिा है तक मेरे जैसा खुशनसीब और कोई हो नहीं सकिा? सारे
तवश्व में और कोई है ? लण्िन की महारानी वा अमेररका का प्रेजीिेन्ट है ? कोई नहीं?

जब पुराने वृक्ष को बीमारी लग गई,जड़जड़ीभूि हो गया िो अब नया वृक्ष-आयेपण


आप आधार मूतिटयों द्वारा ही होगा। ब्राह्मण हैं ही नये वक्ष
ृ की जड़ें अथाटि् फाउण्िेशन,
आप हो फाउण्िेशन। िो देखा तक फाउण्िेशन तकिना पॉवरफुल तनतमर्त् बना हुआ है।

बाप मुस्करा रहे थे तक आजकल के चाहे भतक्त के नामीग्रामी, चाहे धन के नामीग्रामी,


चाहे तकसी भी आक्यूपेशन के नामीग्रामी - अपने ही कायट में तबजी हैं। लेतकन आप
साधारण आत्माओ ं ने बाप से सोदा कर तलया। पाण्िवों ने पक्का स दा कर तलया
ना?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 47 ]

सबसे बड़े-िे-बड़ा नशा बच्चों को सदा यही रहिा है तक दुतनया बाप को याद करिी
लेतकन बाप तकसको याद करिा! बाप को िो तफर भी आत्मायें याद करिी लेतकन
आप आत्माओ ं को क न याद करिा! तकनना बड़ा नशा है! यह नशा सदा रहिा है ?
कम ज्यादा िो नहीं होिा?

जब साइन्स का यंि गमी का या सदाट का वायब्रेशन वायुमण्िल बना सकिे हैं िो


मास्टर सवटशतक्तवान अपने साइलेन्स (silence) अथाटि् याद की शतक्त से अपने
लग्न की तस्थति द्वारा जो वायुमण्िल या वायब्रेशन फैलाना चाहें वह सब बना सकिे
हैं।

आज बाप-दादा सदा अपने तसकीलधे लािले बच्चों को स्नेह की नज़र से , अपने सवट
श्रेष्ठ तसरिाज बच्चों को उसी पद्मापद्म भाग्यशाली रूप में देखिे हुए सदा खश ु होिे हैं
तक कल्प पहले वाले तबछुड़े हुए बच्चे तकिना श्रेष्ठ पद पाने के योग्य बने हैं।

अधर कुमारों के साथ - आधाकल्प आप दशटन करने जािे रहे , अभी बाप परमधाम से
आिे हैं आपके दशटन के तलए। देखने को ही दशटन कहिे हैं। बाप बच्चों को देखने के
तलए आिे हैं। वह दशटन नहीं यह दशटन अथाटि् तमलना। ऐसा दशटन तजससे प्रसन्न हो
जाए।ं
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 48 ]

बापदादा एक-एक रत्न की वैल्यु को जानिे हैं। एक-एक रत्न तवश्व में अमूल्य रत्न है
इसतलए बापदादा उसी तवशेषिा को देखिे हुए हर रत्न की वैल्यु को देखिे हैं। एक-
एक रत्न अनेकों की सेवा के तनतमर्त् बनने वाला है। सदा अपने को तवजयी रत्न अनुभव
करो।

प्रकृति के भी मातलक आप हो ना! आपके पररविटन से प्रकृति का पररविटन होिा है।


इस समय आप सिोप्रधान बन रहे हो िो प्रकृति भी िमो से सिो में पररविटन हो रही
है। आप रजोगुणी बनिे हो िो प्रकृति भी रजोगुणी बनिी है। िो श्रेष्ठ क न हुआ? आप
हुए ना।

बापदादा भी मािाओ ं को सदा ही नमस्कार करिे हैं क्योंतक मािाओ ं ने सदा सेवा में
आगे कदम रखा है। बापदादा मािाओ ं के गुण गािे हैं - तकिनी श्रेष्ठ मािाएूँ बन गई,
जो बापदादा भी देख हतषटि होिे हैं। बस, सदा अपने इसी भाग्य को स्मृति में रख खुश
रहो।

आज सतृ ि वृक्ष के बीजरूप बाप अपने वृक्ष के फाउन्िेशन बच्चों को देख रहे हैं। तजस
फाउण्िेशन द्वारा सारे वृक्ष कातवस्िार होिा है। तवस्िार करने वाले सार स्वरूप तवशेष
आत्माओ ं को देख रहे हैं अथाटि् वृक्ष के आधार मूिट आत्माओ ं को देख रहे हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 49 ]

सगं मयुग के समय को हर कदम में पदमों की कमाई का वरदान - सदा स्वयं को हर
कदम में पदमों की कमाई करने वाले पदमापदम भाग्यशाली आत्मायें समझिे हो -
चेक करिे हो तक हर कदम में जमा होिा जा रहा है! संगमयुग को यही वरदान तमला
हुआ है, हर कदम में पदम जमा।

वैसे भी लण्िन राजधानी है ना! िो राजधानी में रहिे हुए अपना राज्य सदा याद रहिा
है ना! रानी का महल देखिे हुए अपने महल याद आिे हैं ? आपके महल तकिने सन्ु दर
होंगे, जानिे हो ना! ऐसा आपका राज्य है जो अब िक कोई ऐसा राज्य न हुआ ह। न
होगा। ऐसा नशा है ?

तकिने टाइटल्स हैं आपके ? आज की दुतनया में तकिने भी बड़े िे बड़े टाइटल हों
आपके आगे सब छोटे हैं। वह टाइटल देने वाली आत्मायें हैं लेतकन अब बाप बच्चों
को टाइटल देिे हैं। िो अपने तभन्न-तभन्न टाइटल्स को स्मृति में रख उसी खुशी, उसी
सेवा में सदा रहो।

कभी स्वप्न में भी सोचा था तक क्या हम ऐसे बाप के तसकीलधे बनेंगे? लेतकन बाप
िो बच्चों को कोने -कोने से भी छाूँटकर अपने पररवार के गुलदस्िे में लगा देिे हैं। िो
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 50 ]

सब तभन्न-तभन्न स्थान से आये हुए एक ही ब्राह्मण पररवार के गुलदस्िे के वैराइटी पुष्प


हो।

वैसे िो बेगर बन गये अथाटि् यह देह रूपी घर भी अपना नहीं। बेगर हो गये ना। लेतकन
बाप के सवट खज़ानों के मातलक भी िो बन गये। स्वराज्य अतधकारी भी बन गये। ऐसा
नशा वा खुशी रहिी है? इसको ही कहा जािा है - 'बेगमपुर के बादशाह'। िो सभी
बादशाह बैठे हो ना।

सबसे बड़े िे बड़े तबजनेसमेन या इन्ितस्ियतलस्ट आप हो। कोई का तकिना भी बड़ा


व्यापार हो, धन्धा हो, फैक्टरी हो लेतकन वो अगर कमाई करे गा िो तकिनी करेगा?
एक तदन में एक करोड़ भी कमा ले , लेतकन आपकी सारे तदन में तकिनी कमाई है ?
(अनतगनि) िो इिने बड़े हो ना।

बाप ने बच्चों को अपने से भी ऊूँचा स्वमान तदया है। हर एक बच्चे को पाूँव में तगरने
से छुड़ाए तसर का िाज बना तदया। स्वयं कोसदा ही प्यारे बच्चों का सेवाधारी
कहलाया। इिनी बड़ी अथॉररटी का स्वमान बच्चों को तदया। िो हर एक अपने
कोइिना स्वमानधारी समझिे हैं ?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 51 ]

आज वृक्षपति बाप अपने वृक्ष के पहले-पहले पर्त्ों को वा वृक्ष के आधारमूर्त्ट श्रेष्ठ


आत्माओ ं को देख रहे हैं। ब्राह्मण आत्मायें ही नये वृक्ष के कलम हैं। कलम पर ही
आधार होिा है -नये वक्ष
ृ का। आप हर आत्मा नये वक्ष
ृ के कलम हो, इसतलए हर
आत्मा अमूल्य है।

तबना आपके बाप कुछ नहीं कर सकिा। इसतलये बापदादा भी कहिे हैं पहले बच्चे।
िो हरेक समझिा है तक मैं प्यारा हूँ? एक ही बेहद का बाप सबको प्यार दे सकिा है।
आत्मायें नहीं दे सकिी, बाप दे सकिा है। क्योंतक बेहद है। िो हर एक समझिा है मैं
बाप का प्यारा हूँ।

अिीतन्िय सख
ु पूछना हो िो गोप-गोतपयों से पूछो। सारे तवश्व के अन्दर सबसे श्रेष्ठ
नसीब अथाट ि् िकदीर हमारी है, ऐसा तनश्चय रहिा है। हमारे जैसा खुशनसीब और कोई
हो नहीं सकिा। बाप ने स्वयं आकर अपना बनाया। इस भाग्य का वणटन करिे सदा
खुशी में नाचिे रहो।

आप सबका तकिना श्रेष्ठ भाग्य है जो बच्चों से तमलने बाप खुद आिे हैं। इसी भाग्य
का तसमरण कर सदा हतषट ि रहो - तक बाबा हमारे तलए आया है। भगवान को मैंने
लाया। भगवान को अपने प्रेम के बंधन में बाूँध लेना और क्या चातहए। ऐसे नशे में रहो
िो माया भाग जायेगी।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 52 ]

अपना भाग्य देखो - बाप स्वयं तशक्षक बन तकिना दूर देश से आपको पढ़ाने आिा
है! लोग िो भगवान के पास जाने के तलए प्रयत्न करिे और भगवान स्वयं आपके पास
तशक्षक बन पढ़ाने आिे हैं, तकिना भाग्य है! और तकिने समय से सेवा की ि्यूटी बजा
रहे हैं! कभी सस्ु िी करिा है?

पूज्य वह तजसकी आंख बाप के तसवाए कहाूँ भी न िूबे सदा यह नशा रहिा है तक हम
कल्प-कल्प की सवटश्रेष्ठ पूज्य आत्मायें बनिे हैं? तकिनी बार आपकी पूजा हुई है ?
पूज्य आत्मा हूँ-यह पूज्यपन की अनुभूति क्या होिी है? तनशानी क्या है? नशा है,
खुशी है-वह िो ठीक है।

साकारी सतृ ि की आत्मायें आकाश की िरफ देखिी हैं और आकाश से भी परे रहने
वाला बाप साकारी सतृ ि में धरिी के तसिारे देखने आये हैं। जैसे चन्िमा के साथ
तसिारों की ररमतझम अति सन्ु दर लगिी है वैसे ही ब्रह्मा चन्िमा बच्चे अथाटि् तसिारों
से ही सजिे हैं।

सगं मयुगी श्रेष्ठ आत्माओ ं का स्थान ही है बाप का तदलिख्ि।ऐसा िख्ि सारे कल्प में
नहीं तमल सकिा, तवश्व के राज्य का वा स्टे ट के राज्य का िख्ि िो तमलिा रहेगा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 53 ]

लेतकन ऐसा िख्ि तफर नहीं तमलेगा - यह इिना तवशाल िख्ि है जो चलो तफरो,
खाओ-सोयो लेतकन सदा िख्िनशीन।

बाप कल्याणकारी िो बच्चे भी कल्याणकारी। बच्चों को बाप अपने से भी आगे


रखिे हैं। िबल पूजा आपकी है, िबल राज्य आप करिे हो। इिना नशा और इिनी
खशु ी सदा रहे - 'वाह रे मैं श्रेष्ठ आत्मा, वाह रे मैं पुण्य आत्मा, वाह रे मैं तशव शतक्त' -
इसी स्मृति में सदा रहो।

जानिे हो ना! सारे कल्प में कोई भी आत्मा िीन िख्ि के मातलक नहीं बन सकिी
लेतकन आप श्रेष्ठ आत्माये ूँ िीन िख्ि के मातलक बन तकिने रूहानी प्यार में, नशे में
रहिे हो! हर एक अपने से पछ
ू े इिनी खश
ु ी, इिना रूहानी नशा सदा स्मृति में रहिा
है?सदा शब्द सदा याद है ?

सारे तवश्व के अन्दर तवशेष आत्मायें क न है ? अगर आप तवशेष आत्मायें न होिी िो


बाप ने अपना क्यों बनाया। अपने को तवशेष आत्मा समझने से तवशेषिा आएगी।
अगर साधारण समझेंगी िो किटव्य भी साधारण करें गी। एक-एक आत्मा अपने को
तवशेष समझ औरों में भी तवशेषिा लानी है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 54 ]

जो स्वप्न में भी नहीं था वह प्रातप्त हो गई, बाप तमला सब-कुछ तमला। इसी खुशी में
रहो िो सदा समथी स्वरूप रहेंगे। जैसे ब्राह्मणों की मतहमा ऊूँची है वैसे अपने को सच्चे
ब्राह्मण अथाटि् ऊूँची तस्थति वाले अनुभव करिे हो। ऊूँचे से ऊूँचा बाप और ऊूँचे से
ऊूँचे आप।

सभी अपने को बहुि-बहुि भाग्यवान समझिे हो? क्योंतक कभी स्वप्न में भी सक
ं ल्प
नहीं होगा तक ऐसी श्रेष्ठ आत्माएं बनेंगे, लेतकन अभी साकार में बन गये ? देखो कहाूँ-
कहाूँ से बापदादा ने रत्नों को चुनकर, रत्नों की माला बनाई है। ब्राह्मण-पररवार की
माला में तपरो गये।

बाप-दादा हर बच्चे को सवटश्रेष्ठ आत्मा के रूप में देखिे हैं , क्योंतक तवश्व के अन्दर
तकिनी भी श्रेष्ठ आत्मायें हैं लेतकन आपके आगे क्या है ? िुच्छ अथाटि् कुछ भी नहीं।
जो आत्मायें अपने अतवनाशी बाप की तवशेष रचना-स्वगट के अतधकारी नहीं बन
सकिी - िो क्या हुई?

दुतनया वाले भटक रहे हैं, ढूूँढ रहे हैं और िुम लोगों ने जान तलया, पा तलया, तकिनी
िकदीरवान, भाग्यवान हो! भगवान के बन गये इससे बड़ा भाग्य और कुछ होिा है !
िो सदा भाग्यवान आत्मा हूँ - इसी खुशी में रहो। यह खुशी अगर गुम हुई िो तफर कभी
रोयेंगे, कभी चंचलिा करें गे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 55 ]

सभी स्वयं को सारे तवश्व में तवशेष आत्मायें हैं - ऐसे अनुभव करिे हो? क्योंतक सारे
तवश्व की अनेक आत्माओ ं में से बाप को पहचानने का भाग्य आप तवशेष आत्माओ ं
को तमला है। ऊूँचे िे ऊूँचे बाप को पहचानना यह तकिना बड़ा भाग्य है! पहचाना और
सम्बन्ध जोड़ा और प्रातप्त हुई।

सदा अपने भाग्य का तसमरण करिे खुशी में रहिे हो? वाह मेरा भाग्य! यह गीि सदा
मन में बजिा रहिा है ? वाह बाप, वाह ड्रामा और वाह मेरा पाटट - सदा इसी स्मृति में
हर कायट करिे ऐसे अनुभव होिा है -- जैसे कमट करिे हुए भी कमट के बन्धन से मुक्त,
सदा जीवन मुक्त है।

अपने को इिने अमूल्य रत्न समझिे हो?तकिनी भाग्यवान आत्मायें हो जो इिनी दूर
से भी बाप ने ढूूँढ कर अपना बनाया है। आज की दुतनया में जो बड़े-बिे तवद्वान,
आचायट हैं, उन्हों से आप पद्मगण
ु ा अतधक भाग्यवान हो। बस इसी खश
ु ी मे रहो तक -
"जो जीवन में पाना था वह पा तलया"।

तजिना बड़ा आदमी उिना टाइम-टे बल तफक्स होिा है। िो आप बड़े-िे-बड़े आदमी
हो ना! सारे कल्प में ढूूँढ़कर के आओ - ब्राह्मणों से बड़ा कोई है! देविायें भी नहीं हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 56 ]

चाहे आप ही देविा बनेंगे लेतकन इस जीवन के आगे वह भी कुछ नहीं है। जीवन है िो
ब्राह्मण जीवन अति श्रेष्ठ है।

आज तवश्व को सच्चे िायमण्ि समान चमकाने वाले , प्रकृति को भी िायमण्ि समान


चमकाने वाले , तवश्व की आत्माओ ं में से अपने िायरेक्ट बच्चों को िायमण्ि बनाने
वाले, साथ-साथ नये वषट के साथ नव-युग, नये-तवश्व स्थापन करने वाले बाप
िायमण्ि बनने वाले बच्चों को देख रहे हैं।

अभी ऐसा समय आने वाला है जो इन तदनों को याद करेंगे इसतलए आप अपना कायट
करिे रहो। वह तबचारे हैं। आप लोग िो भाग्यवान हैं अपना भाग्य प्राप्त हुआ, उसको
अनुभव कर रहे हो और बापदादा भी खश ु है तक अव्यक्त होिे हुए भी बच्चों ने पहचाना
और सेवा का भाग्य भी ले रहे हैं।

भतक्त में देविाओ ं को भगवान समझ भक्त घण्टी बजाकर उठािे हैं और आपको
भगवान खुद उठािे हैं, तकिना भाग्य है! अमृिवेले से लेकर बाप बच्चों के सेवाधारी
बन सेवा करिे हैं और तफर आह्वान करिे हैं - 'आओ, बाप समान तस्थति का अनुभव
करो, मेरे साथ बैठ जाओ।' बाप कहाूँ बैठा है ?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 57 ]

सदा अपने को तवश्व के अन्दर कोटो में से कोई हम हैं - ऐसे अनुभव करिे हो? जब भी
यह बाि सनु िे हो - कोटों से कोई, कोई में भी कोई िो वह स्वयं को समझिे हो? जब
हबह पाटट ररपीट होिा है िो उस ररपीट हुए पाटट में हर कल्प आप लोग ही तवशेष होंगे
ना! ऐसे अटल तवश्वास रहे।

तवनाशकाल में तवश्व के तलए महान कल्याणकारी, महावरदानी, महादानी, महान


पुण्य आत्माओ ं के स्वरूप में होंगे। िो सवट काल में तकिने महान हो! हर काल में
आधारमूर्त्ट हो। ऐसे अपने को समझिे हो? आतद में भी, मध्य में भी और अन्ि में भी,
िीनों ही काल का पररचय स्मृति में आया।

सभी अपने को खुशनसीब आत्मायें अनुभव करिे हो? खुशी का भाग्य जो स्वप्न में
भी नहीं था वो प्राप्त कर तलया। िो सभी की तदल सदा यह गीि गािी है तक सबसे
खशु नसीब हूँ िो मैं हूँ। यह है मन का गीि। मुख का गीि गाने के तलये मेहनि करनी
पड़िी है। लेतकन मन का गीि सब गा सकिे हैं।

यह िो नशा है ना तक हम ही तवशेष आत्मयें सतृ ि के आतद से अन्ि िक कापाटट बजाने


वाली हैं। ब्रह्मा बाप के साथ साथ सतृ ि के आतद तपिा और आतद मािा के साथ सारे
कल्प में तभन्न-तभन्न पाटट बजािे आये हो ना। ब्रह्मा बाप के साथ पूरे कल्प की प्रीि
कीरीति तनभाने वाले हो ना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 58 ]

सबसे ज्यादा भाग्यवान क न है ? सभी कहेंगे - मैं भाग्यतवधािा बाप का बच्चा


भाग्यवान हूँ। क्योंतक यह रूहानी नशा है , यह बॉिी-कॉनसेस नहीं है। इसतलए, हर एक
बाप के बच्चे एक दो से भाग्यवान, श्रेष्ठ हो। यह शुद्ध नशा है। इस नशे में भाग्य को
देख भाग्यतवधािा बाप याद रहिा है।

बापदादा एक-एक रत्न की वैल्यु को जानिे हैं। उसी अमूल्य रत्न की दृति से देखिे हैं।
है ना अमूल्य रत्न! कम भाग्य नहीं है जो ऊंचे िे ऊंचे भगवान् के बन गये। िो खश
ु रहो
और खुशी बांटिे चलो। भरपूर हैं ना तक थोड़ा कम है? जो फुल होिा है वह फेल नहीं
होिा। िो तवजयी हैं ना?

बाप जानिे हैं - जैसे राज्य-पररवार के हर व्यतक्त में इिनी सम्पन्निा जरूर होिी है जो
वह तभखारी नहीं हो सकिा। ऐसे गुणों के सागर बाप के बच्चे कोई भी गुण की
तवशेषिा के तबना बच्चा कहला नहीं सकिे। िो सभी गुणवान हो, महान हो, तवशेष
आत्माये हो, चैिन्य िारामण्िल का श्रृगार हो।

यही कमाल है जो साधारण आत्मायें अति श्रेष्ठ बन गयीं! तजन्हों के तलए कोई सोच
भी नहीं सकिा तक ये आत्मायें इिने वसे के अतधकारी बनेंगी! दुतनया सोचिी रहिी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 59 ]

और आप बन गये! वो िो ढूूँढिे रहिे -तकस वेष में आयेंगे, कब आयेंगे? और आप


क्या कहिे ? पा तलया। िो 'पा तलया' की खश
ु ी है ना।

बना बनाया भाग्य हथेली पर आ जािा है। जैसे कृष्ण के तचि में स्वगट हथेली पर है िो
सगं म पर भाग्य का गोला हाथ में है। इिने भाग्यवान हो। यह सेवा अभी साधारण बाि
लगिी लेतकन यह साधारण नहीं है। यह वन्िरफुल लकीर है।तजिना समय यह लाटरी
तमलिी है, इसी लाटरी को अतवनाशी बना सकिे हो।

अपने को साधारण मािा नहीं समझो - जगि् मािा समझो, जगिमािा अथाटि् तवश्व-
कल्याणकारी। पांिव भी महावीर समझ सेवा में उपतस्थि हो? महावीर मुतश्कल को
सहज बनािा, यादगार देखा ना, सजं ीवनी बूटी लाना तकिना मुतश्कल था, लेतकन
सारा पहाड़ ही ले आया। महावीर अथाटि् पहाड़ को राई बनाने वाला।

बापदादा को यह खुशी है तक ऐसा कोई बाप सारे वल्िट में नहीं होगा तजसका हरेक
बच्चा श्रेष्ठ हो। बापदादा एक-एक बच्चे की अगर तवशेषिा का वणट न करें िो कई वषट
बीि जाएूँ। हरेक बच्चे की मतहमा के बड़े-बड़े शाि बन जाएूँ। तवशेष आत्मा हो - ऐसा
तनश्चय हो िो सदा मायाजीि स्वि: हो जायेंगे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 60 ]

सवट शतक्तयाूँ बाप के अतधकार का खज़ाना है , वसाट है , जन्म तसद्ध अतधकार है। िो
जन्मतसद्ध अतधकार का तकिना नशा होिा है! छोटा-सा राजकुमार होगा, क्या खज़ाना
है, उसका पिा भी नहीं होगा लेतकन थोड़ा ही स्मृति में आने से तकिना नशा रहिा-मैं
राजा का बच्चा हूँ! िो यह मातलकपन का नशा है ना।

तवश्व में तजिनी भी श्रेष्ठ आत्माएं गाई जािी हैं उनसे आप तकिने श्रेष्ठ हो। बाप आपका
बन गया। िो आप तकिने श्रेष्ठ बन गये! सवटश्रेष्ठ हो गये। सदैव यह स्मृति में रखो - ऊंचे
िे ऊंचे बाप ने सवटश्रेष्ठ आत्मा बना तदया। दृति तकिनी ऊंची हो गई, वृतर्त् तकिनी
ऊंची हो गई! सब बदल गया।

तकसी भी आत्मा को देखिे हो वा सम्पकट में आिे हो िो यह स्मृति में आिा है तक सवट
आत्माओ ं के हम पूवटज हैं वा सारे वृक्ष की शाखायें , उपशाखायें, सबके मूल आधार
हैं अथाटि् फाउन्िेशन हैं। यह स्मृति सदा इमजट रूप में रहिी है? इस श्रेष्ठ स्मृति से स्वि:
ही समथट स्वरूप हो ही जायेंगे।

विटमान समय की तलस्ट तनकालो - क्या हो, िो तकिनी लम्बी तलस्ट होगी! तकिने
टाइटल बाप ने तदये! औरों को जो टाइटल तमलिे हैं वह आत्माओ ं द्वारा आत्माओ ं
को तमलिे हैं और अल्पकाल का टाइटल होिा है , एक जन्म भी चले या नहीं चले।
आज प्राइम-तमतनस्टर का टाइटल तमला, तकिना समय चला? आज है कल नहीं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 61 ]

एक-एक रिन वैल्युएबल है क्योंतक अगर वैल्युएबल रिन नहीं होिे िो कोटो में कोई
आप ही कै से आिे। तजसको दुतनया अपनाने के तलए िड़प रही है उसने मुझे अपना
तलया। एक सेकेण्ि के दशटन के तलए दुतनया िड़प रही है, आप िो बच्चे बन गये िो
तकिना नशा, तकिनी खुशी होनी चातहए, सदा मन खुशी में नाचिा रहे।

जैसे बच्चे बाप को देख खुश होिे हैं, िो बाप बच्चों को देखकर और ही पदमगुणा
खशु होिे हैं क्योंतक बापदादा जानिे हैं तक बच्चा तकिना िकदीरवान है। हरेक के
िकदीर की रेखा तकिनी महान है। वे आजकल के महात्मा िो आप लोगों के आगे
कुछ भी नहीं हैं, नामधारी हैं और आप प्रैतक्टकल काम करने वाले हो।

बापदादा को देखकर खुशी होिी है तक वाह बच्चे वाह! अपने प्राप्त हुए भाग्य को सदा
सामने रखिे हुए अिीतन्िय सख
ु में झल
ू िे रहो और झुलािे रहो। बापदादा को हर एक
के भाग्य पर नाज़ है। कॉमन बाि नहीं है ड्रामानुसार यह भाग्य प्राप्त होना भी आपके
जीवन का एक बहुि बहुि बड़े में बड़ी प्रातप्त है।

जब तवश्व का मातलक अपना हो गया िो तवश्व अपनी हो गई ना। जैसे बीज अपने हाथ
में है िो वृक्ष िो है ही ना। तजसको ढूूँढिे थे उसको पा तलया। घर बैठे भगवान तमला।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 62 ]

िो तकिनी खुशी होनी चातहए। भगवान ने मुझे अपना बनाया, इसी खुशी में रहो िो
कहीं भी आूँख नहीं िूबेगी। सामने देखिे भी नज़र नहीं जायेगी।

परमात्म प्यार अनेक जन्मों के दु:खों को एक सेकण्ि में समाप्त कर देिा है। परमात्म
प्यार सवट शतक्त सम्पन्न है, जो तनबटल आत्माओ ं को शतक्तशाली बना देिा है। ऐसे श्रेष्ठ
परमात्म प्यार के आप तकिनी थोड़ी सी आत्मायें पाि हो। ऐसी श्रेष्ठ पाि आत्माओ ं
को बापदादा देख-देख हतषटि होिे हैं।

यह है साहबजादे और साहबजातदयाूँ सो भतवष्य में शहजादे-शहजातदयों की सभा।


सच्चे साहब के बच्चे सब साहबजादे और साहबजातदयाूँ हैं। यह नशा सदैव रहिा है ?
शहजादे वा शहजातदयों के जीवन से यह जीवन पदमगुणा श्रेष्ठ है। ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें
अपनी श्रेष्ठिा को जानिे हुए तनरन्िर उसी खुमारी में रहिे हो?

मधुबन वालों को और भी तवशेष तलफ्ट है। बाप-दादा की पालना िो तमलिी ही है ,


लेतकन साकार रूप में तनतमर्त् बनी हुई श्रेष्ठ आत्माओ ं की भी पालना तमलिी है, िो
िबल पालना की तलफ्ट है और बना-बनाया सब साधन प्राप्त होिा है िो ऐसे श्रेष्ठ
भाग्यशाली अपना श्रेष्ठ भाग्य जान सेवा के तनतमर्त् बन चलिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 63 ]

बापदादा आज संगम युगी बेगमपुर के बादशाहों की सभा देख रहे हैं। सगं म युग है ही
- बेगमपुर। सगं मयुगी सवट ब्राह्मण बेगमपुर के बादशाह हैं। सियुगी बादशाही इस
सगं मयुग की बेगमपुर की बादशाही के आगे कुछ भी नहीं है। विटमान समय की प्रातप्त
का नशा, खुशी, सियुग की बादशाही से पद्मगुणा श्रेष्ठ हैं।

बापदादा बच्चों को देख खुश होिे हैं और तदल में बच्चों के गीि गािे हैं वाह बच्चे
वाह!क्योंतक बच्चे बाप के भी तसर के िाज हैं। देखो बच्चों की पूजा िबल रूप में
होिी है, बाप की पज
ू ा एक रूप में होिी है। िो बच्चे बाप से भी बाप द्वारा आगे जािे
हैं इसतलए बाप बच्चों के पुरूषाथट को देख खुश है।

भतक्त मागट में एक शंकर के तलए कह तदया है तक आूँख खोली और पररविटन हो गया
लेतकन यह गायन आप तशववंशी नूर जहान का है। यह जहान की आूँखें जब अपनी
सम्पण
ू ट स्टे ज िक पहुूँचेंगी अथाटि् सम्पण
ू टिा की आूँख खोलें गी िो सेकेण्ि में पररविटन
हो जायेगा। िो जहान के नूर, बिाओ, सम्पूणटिा की ऑख कब खोलेंगे?

मेरे को िेरे में पररविटन कर देंगे क्योंतक सारे कल्प में तसवाए आप बच्चों के िबल
िाजधारी बेतफक्र बादशाह कोई नहीं बना है। आपके तचिो में सदा िबल िाज है।
द्वापर में कई राजे बने लेतकन िबल िाजधारी और तफर स्वराज्य वाला राजा, ऐसे कोई
नहीं बना। िो आज का अपना टाइटल बेतफक्र बादशाह सदा याद रखना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 64 ]

सभी लकी तसिारे हो ना? तकिना भाग्य प्राप्त कर तलया! इस जै सा बड़ा भाग्य कोई
का हो नहीं सकिा। क्योंतक भाग्य तवधािा बाप ही आपका बन गया। उसके बच्चे बन
गये। जब भाग्य तवधािा अपना बन गया िो इससे श्रेष्ठ भाग्य क्या होगा! िो ऐसे श्रेष्ठ
भाग्यवान चमकिे हुए तसिारे हो। और सबको भाग्यवान बनाने वाले हो।

सभी अपने को मोस्ट लकीएस्ट समझिे हो? ऐसे अनुभव करिे हो तक हमने जो देखा,
हमने जो पाया वह तवश्व की आत्मायें नहीं पा सकिी। वह एक बूूँद के तलए भी प्यासी
हैं और आप सब मास्टर सागर बन गये िो मोस्ट लकीएस्ट हुए ना! ऐसा अपना भाग्य
समझकर सदा चलिे हो? सारा तदन याद रहिा है या प्रवृतर्त् में भूल जािे हो?

आप सभी भी अविार हो ना! अविार अथाटि् श्रेष्ठ स्मृति -"मैं तदव्य जीवन वाली
ब्राह्मण आत्मा हूँ।" िो नया जन्म हुआ ना! ऊूँची स्मृति से इस साकार शरीर में
अविररि हो तवश्व-कल्याण के कायट में तनतमर्त् बने हो। िो अविार हुए ना। जैसे बाप
अविररि हुए हैं वैसे आप सब अविररि हुए हो तवश्वपररविट न के तलए।

एक-एक ब्राह्मण आत्मा हीरे से भी मूल्यवान हो। यह स्थूल हीरा िो आपके आगे कुछ
भी नहीं है। इस दुतनया में हीरे का मूल्य है इसतलये हीरे -जैसा कहा जािा है। लेतकन
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 65 ]

आपके मूल्य के आगे हीरा क्या है! कुछ भी नहीं। यही हीरे िो आपके महलों में ,
दीवारों में होंगे। हीरे से भी ज्यादा एक-एक ब्राह्मण आत्मा हो।

अपने को पद्मापदम भाग्यवान अनुभव करिे हो? क्योंतक देने वाला बाप इिना देिा
है जो एक जन्म िो भाग्यवान बनिे ही हो लेतकन अनेक जन्म िक यह अतवनाशी भाग्य
चलिा रहेगा। ऐसा अतवनाशी भाग्य कभी स्वप्न में भी सोचा था! असम्भव लगिा था
ना? लेतकन आज सम्भव हो गया। िो ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें है - यह खुशी रहिी है?

गरीब का चेहरा भी देखो और राजकुमार का चेहरा भी देखो, तकिना फकट होगा!


उसके शक्ल की झलक-फलक और गरीब के चेहरे की झलक- फलक में राि-तदन
का फकट होगा। आप िो राजाओ ं का भी राजा बनाने वाले बाप के िायरेक्ट बच्चे हो।
िो तकिनी झलक-फलक है! शक्ल में वह पद्मों की कमाई का नशा तदखाई देिा है या
गप्तु रहिा है?

बालक या बच्चा यह एक शब्द पढ़ तलया िो सारे इस तवश्व की िो क्या लेतकन िीनों


लोकों का नॉलेज पढ़ तलया। आज की दुतनया में तकिने भी बड़े नॉलेजफुल हों लेतकन
िीनों लोकों की नॉलेज नहीं जान सकिे। इस बाि में आप 'एक शब्द पढ़े' हुए के आगे
तकिना बड़ा नॉलेजफुल भी - अन्जान है। ऐसे मास्टर नॉलेजफुल तकिना सहज बने
हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 66 ]

बापदादा सभी बच्चों को उसी नज़र से देखिे हैं तक यह हर एक रत्न इस ब्राह्मण पररवार
का श्रृंगार है। श्रृंगार हो ना? बहुि वैल्युएबल श्रृंगार हो। इसतलए अभी िक आपके जड़
तचिों को तकिना श्रृंगार करिे रहिे हैं। अभी लास्ट जन्म िक भी श्रृंगार होिा रहिा है।
ऐसी खुशी है? भगवान का श्रृंगार बनना कम बाि है क्या!

सदा अपने हीरो पाटट को देख हतषटि रहो, वाह ड्रामा और वाह मे रा पाटट ! अगर जरा भी
साधारण कमट हुआ िो हीरो नहीं कहला सकिे। जैसे बाप हीरो पाटट धारी है िो उनका
हर कमट गाया और पूजा जािा है, ऐसे बाप के साथ जो सहयोगी आत्मायें हैं उन्हों का
भी हीरो पाटट होने के कारण हर कमट गायन और पूजन योग्य हो जािा है।

ये परमात्म तमलन कम भाग्य नहीं है! ये परमात्म तमलन का श्रेष्ठ भाग्य कोटो में कोई
आप आत्माओ ं को ही तमलिा है। अच्छा! तमल तलया ना! भतक्त में िो जड़ तचि
तमलिा है और यहाूँ चैिन्य में बाप बच्चों से तमलिे भी हैं , रूहररहान भी करिे हैं। िो
ये भाग्य कोई कम है! तफर भी आप सब लक्की हो, समय की गति बदलिी जािी है।

अपने को इस ड्रामा के अन्दर तवशेष पाटट बजाने वाले , तवशेष पाटट धारी समझिे हो?
तवशेषिा यह है तक बाप के साथ साथी बन पाटट बजािे हो, और साथ-साथ हर पाटट
अपने साक्षीपन की तस्थति में तस्थि हो बजािे हो। िो तवशेषिा हुई - 'बाप के साथ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 67 ]

साथी की और साक्षीपन की। उस तवशे षिा के कारण ही तवशेष पाटट धारी गाए जािे
हैं।

सदा अपने को सगं मयुगी हीरे िुल्य आत्मायें अनुभव करिे हो? आप सभी सच्चे हीरे
हो ना! हीरे की बहुि वैल्यु होिी है। आपके ब्राह्मण जीवन की तकिनी वैल्यु है।
इसीतलये ब्राह्मणों को सदा चोटी पर तदखािे हैं। चोटी अथाटि् ऊूँचा स्थान। वैसे ऊूँचे
हैं देविा लेतकन देविाओ ं से भी ऊूँचे िुम ब्राह्मण हो - ऐसा नशा रहिा है?

मैं ब्राह्मण आत्मा हूँ, मै सवटश्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ-इस तनश्चय और नशे में सदा ही
रहना। यह तसफट बुतद्ध में नहीं हो लेतकन चलन और चेहरे में तदखाई दे, जो भी आपके
सम्पकट में आये वो अनुभव करे तक ये साधारण नहीं हैं लेतकन न्यारे हैं। और अल तकक
न्यारापन ही िो प्यारा लगिा है ना! िो न्यारा बनना आिा है ?

भगवान द्वारा फल तमलेगा - यह िो स्वप्न में भी नहीं था! िो जो बाि ख्याल-ख्वाब


में नहीं हो और वो हो जाए िो तकिनी खश ु ी होिी है! आजकल की अल्पकाल की
लॉटरी आिी है, िो भी तकिनी खुशी होिी है! और यह प्रत्यक्षफल सो भतवष्य फल
हो जािा है। िो नशा रहिा है ना, कभी कम कभी ज्यादा िो नहीं? सदा एकरस तस्थति
में उड़िे चलो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 68 ]

परमात्मा और आत्माओ ं का यह साकार तमलन कोटों में कोई आत्माओ ं को अनुभव


होिा है। यह परमात्मा और आत्माओ ं का तमलन कल्प में अब संगम पर ही होिा है
और वह स भाग्यशाली क्या पदम भाग्यशाली आत्मायें आप सम्मुख तमलन मना रहे
हैं। सबके तदल में इस समय यही तमलन का भाग्य प्राप्त होिा है। सबके मन में मेरा
बाबा, मेरापन है।

अपने से भी आगे शतक्तयों को रखिे हैं िो शतक्तयों को तवशेष खुशी होनी चातहए -
शतक्त का चेहरा सदा चमकिा हुआ तदखाई दे, क्योंतक बाप ने तवशेष आगे रखा है।
वैसे भी कोई अल्पकाल की प्रातप्त होिी है िो वह चमक चेहरे पर तदखाई देिी है , यह
तकिनी प्रातप्त है ! मािायें कभी रोिी िो नहीं हैं , कभी आंखों में आूँसू भरिे हैं?

कुमारी ल तकक जीवन में भी ऊंची गई जािी है और ज्ञान में िो कुमारी है ही महान।
ल तकक में भी श्रेष्ठ आत्मायें और पारल तकक में भी श्रेष्ठ आत्मायें। ऐसे अपने को
महान समझिी हो? आप िो 'हाूँ' ऐसे कहो जो दुतनया सनु े। कुमाररयों को िो बापदादा
अपने तदल की तिजोरी में रखिा है तक तकसी की भी नजर न लगे। ऐसे अमूल्य रिन
हो।

बापदादा देख रहे हैं तक दुतनया के तहसाब से आत्मायें तकिनी साधारण हैं लेतकन
भाग्य तकिना श्रेष्ठ है! जो सारे कल्प में , चाहे कोई धमट आत्मा हो, महान आत्मा हो,
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 69 ]

लेतकन ऐसा श्रेष्ठ भाग्य न िो तकसी को प्राप्त है , न हो सकिा है। िो अति साधारण और
अति श्रेष्ठ भाग्यवान! बापदादा को साधारण आत्मायें ही पसन्द हैं - क्यों?

सभी अपने को इस तवश्व के अन्दर सवट आत्माओ ं में से चुनी हुई श्रेष्ठ आत्मा समझिे
हो? यह समझिे हो तक स्वंय बाप ने हमें अपना बनाया है? बाप ने तवश्व के अन्दर से
तकिनी थोड़ी आत्माओ ं को चुना। और उनमें से हम श्रेष्ठ आत्मायें हैं। यह सक
ं ल्प करिे
ही क्या अनुभव होगा? अिीतन्िय सख
ु की प्रातप्त होगी। ऐसे अनुभव करिे हो?

ऐसे अपने दोनों की स्मृति रहिी है तक हम ही सवट धमट स्थापक व सवट धमट की
आत्माओ ं के पवू टज हैं? 'ब्राह्मण सो देविा' अथाटि् आतद सनािन धमट की आत्माएं
बीज अथाटि् बाप द्वारा िायरेक्ट िना के रूप में हैं। िो मूल आधार अथाटि् सवट के पूवटज
'ब्राह्मण सो देविा' हैं, ऐसे पूवटज अथाटि् आतद देव द्वारा आतद रचना हो।

बाप की छिछाया में रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ - यही अनुभूति होिी है। जो अभी
छिछाया में रहिे, वही छिधारी बनिे हैं। िो छिछाया में रहने वाली भाग्यवान आत्मा
हूँ - यह खुशी रहिी है ना। छिछाया ही सेफ्टी का साधन है। इस छिछाया के अन्दर
कोई आ नहीं सकिा। बाप की छिछाया के अन्दर हूँ - यह तचि सदा सामने रखो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 70 ]

परमात्म-प्यार का अतधकारी बनना-ये तकिना बड़ा फायदा है! कभी सोचा था तक ऐसे
अतधकारी बनेंगे? स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा लेतकन ऐसे अतधकारी बन गये। िो
सदा यह स्मृति में लाओ तक परमात्म-प्यार के पाि आत्मायें हैं! दुतनया िो ढूूँढ़िी रहिी
है और आप पाि बन गये। िो सदा "वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य!"-यह गीि गािे रहो, उड़िे
रहो।

तसफट बाप को नही पक


ु ार रहे हैं। लेतकन बाप के साथ आप पज्ू य आत्माओ ं को भी
पुकार रहे हैं। हरेक समझिे हैं - हमारा पैगम्बर कहो, मैसेन्जर कहो, देव आत्मा कहो,
वह आवे और हमें साथ ले चले। यह तवश्व की पक ू ट करने वाले क न हैं ? आप
ु ार पण
पूज्य देव आत्माओ ं का इन्िजार कर रहे हैं तक हमारे देव आयेंगे, हमें जगायेंगे और ले
जायेंगे।

हर कदम में पद्मों की कमाई जमा हो रही है। ऐसे अनतगनि पद्मों का मातलक अनुभव
करिे हो सारी सतृ ि के अन्दर ऐसा अपना श्रेष्ठ भाग्य बनाने वाले कोटो में कोई हैं ना।
जो गायन है कोटो में कोई, कोई में कोई यह हम आत्माओ ं का गायन है, क्योंतक
साधारण रूप में आये हुए बाप को और बाप के कर्त्टव्य को जानना यह कोटो में कोई
का पाटट है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 71 ]

सभी ने होली िो मनाई आपकी िो सारा सगं म ही होली है। परमात्मा के संग के रंग में
ही रहिे हो। यादगार मनािे हैं एक दो तदन लेतकन आप िो पूरा संगम प्रभु के संग में
रहने वाले हो। नशा है ना! लोग तबचारे मांगिे रहिे हैं हे प्रभु यह कर दो वह कर दो
लेतकन आपको 21 जन्म की गैरन्टी तमली है कभी दु:ख का स्वप्न में भी कोई दृश्य
नहीं आयेगा।

बाप-दादा आज अपने सहयोगी वा सहजयोगी बच्चों को, तजनका नाम ही है - खुदाई


तखदमिगार, ऐसे बच्चों को देख सदा हतषटि होिे हैं। खदु ाई तखदमिगार अथाटि् जो
खुदा व बाप ने तखदमि अथाटि् सेवा दी है उसी सेवा में सदा ित्पर रहने वाले। बच्चों
को यह भी तवशेष नशा होना चातहए तक हम सभी को खदु ा ने जो तखदमि दी है, हम
उसी सेवा में लगे हुए हैं।

यह खुशी िो सभी को है ना तक हम तवशेष आत्मायें हैं? सारे तवश्व में से तकिनी थोड़ी
सी आत्मायें सदा बाप की सेवा में ित्पर रहने वाली तनतमर्त् बनिी हैं। िो जो कोटो में
कोई, कोई में कोई आत्मायें तनतमर्त् बनिी हैं उसमें हमारा ही पाटट है , हमारा नाम है,
ु ी है! कोटों में कोई...यह हमारा गायन है, यह रूहानी नशा रहिा
यह तकिनी बड़ी खश
है?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 72 ]

हम आत्मायें तवश्व की ऐसी श्रेष्ठ तवशेष आत्मायें बनेंगी, िायरेक्ट बाप से सम्बन्ध में
आने वाली बनेंगी - ऐसा कब सोचा था! तक्रतश्चयन से कृष्णपुरी में आ जायेंगे यह कभी
सोचा था! धमटतपिा के फालोअर थे। िना के बजाए टाली में अटक गये। और अब इस
वैरायटी कल्प वृक्ष का िना आतद सनािन ब्राह्मण सो देविा धमट के बन गये।
फाउन्िेशन बन गये।

हरेक कोटों में कोई, कोई-में-कोई है ; िो तवशेष है। बापदादा हर बच्चे को तवशेष
आत्मा के रूप में देखिे हैं , ऐसे बच्चे भी ऊूँचे -िे-ऊूँचे हुए ना! सभी श्रेष्ठ हैं और श्रेष्ठ ही
रहेंगे, अनेक जन्म के तलए श्रेष्ठ रहेंगे। बापदादा उसी नजर से देखिे हैं। यह ब्राह्मण
आत्मायें सो देव आत्मायें हैं। िो तकिने महान हुए! क्या मतहमा करें! अच्छा।

सदा यह खुशी रहिी है तक बाप मेरे तलए आये हैं ? अनुभव होिा है, इसतलए सभी
खश ु ी और नशे से कहिे हो मेरा बाबा। मेरा अथाटि् अतधकार है। जहाूँ अतधकार होिा
है वहाूँ मेरा कहा जािा है। िो तकिने समय का अतधकार है तफर-तफर प्राप्त करिे हो।
अनतगनि बार यह अतधकार प्राप्त तकया है , जब यह सोचिे हो िो तकिनी खुशी होिी
है। यह खुशी खत्म हो सकिी है?

यह सीज़न स्वरूप देखने की है या तसफट सनु ने की है! तफर सनु ायेंगे तक समय क्या
पुकार रहा है! भक्त क्या पुकार रहे हैं! दुखी, अशान्ि आत्मायें क्या पुकार रही हैं! धमट-
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 73 ]

नेिायें, वैज्ञातनक, राजनैतिक क्या पुकार रहे हैं! प्रकृति भी क्या पुकार रही है! सबकी
ु ार - हे उपकारी आत्मायें , सनु ने में आिी हैं या गतु ड़यों के खेल में ही तबज़ी हो?
पक

ऊूँचे िे ऊूँचे बाप के साथ पाटट बजाने वाली श्रेष्ठ आत्मायें हैं , यही सदा याद रहे। कोई
तकिना भी कई जन्म पुरूषाथट करे लेतकन आप जै सा ऊूँच पाटट धारी नहीं बन सकिा।
महात्मा बन सकिे , धमट तपिा बन सकिे। वह मैसेन्जर हैं , आप बच्चे हो। तकिना राि-
तदन का फकट है। ऐसे अपने श्रेष्ठ भाग्य को सदा स्मृति में रखिे हो वा कभी भूलिा,
कभी याद रहिा?

बापदादा को बच्चों का स्नेह, बच्चों का प्यार देख खुशी होिी है और तदल ही तदल
में चारों ओर के बच्चों के तलए गीि गािे हैं –“वाह! श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चे वाह! भगवान
के प्यार के पाि आत्मायें वाह”! इिना बड़ा भाग्य और इिना साधारण रूप में सहज
प्राप्त होना है , यह स्वप्न में भी नहीं सोचा था। लेतकन आज साकार रूप में भाग्य को
देख रहे हो।

आप लोगों ने िो बाप को इनिायरेक्ट जड़ तचिों द्वारा चैिन्य को मालायें पहनाने की


कोतशश की और बाप सदा बच्चों के गुणों की माला सतु मरण करिे रहिे हैं। िो तकिने
लकी हो! बाप को आत्मायें याद करिी हैं और आप महान आत्माओ ं को बाप याद
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 74 ]

करिे हैं। िो बाप से भी ऊंचे हो गये । इसतलए बच्चों का स्थान बाप के िाज में है। िाज
के भी वैल्युएबुल मणके हो।

सबसे बड़ी खुशी की बाि है-बाप ने अपना बना तलया! दुतनया वाले िड़पिे हैं तक
भगवान की एक सेकेण्ि भी नज़र पड़ जाये और आप सदा नयनों में समाये हुए हो! वो
िो एक घड़ी की नज़र कहिे हैं और आप रहिे ही बाप की नज़रों में हो। इसीतलए
टाइटल है-नूरे रत्न आंखों के नूर। िो वे िड़पिे हैं और आप समा गये। इसको कहा
जािा है खुशनसीब। सोचा नहीं था लेतकन बन गये।

सगं मयुग का एक-एक सेकेण्ि अति भाग्यशाली है। एक सेकेण्ि कई जन्मों का भागय
बनाने के तनतमर्त् बनिा है। िो ऐसे श्रेष्ठ भाग्य को सदा याद रखिे , अन्दर में भाग्य को
देख करके सदा खुशी में नाचिे रहो। वाह मेरा भाग्य - ऐसे अन्दर की खुशी बाहर
तदखाई देिी है दूसरे भी देखने वाले अनुभव करें तक इन्हों को कुछ तमला है, कुछ पाया
है। ऐसे सदा खुश रहो।

कभी तकसी के प्रति कोई संकल्प भी आये िो याद रखो तक मैं क न हूँ? मेरे जड़-तचि
भी रूहानी नैनधारी है िो मैं िो चैिन्य कै सा हूँ? लोग अभी िक भी आपकी मतहमा
में कहिे है - सवटगुण सपं न्न, समूणट तनतवटकारी। िो आप क न हो? सम्पूणट तनतवटकारी
हो ना! अंशमाि भी कोई तवकार न हो। सदैव यह स्मृति रखो तक मेरे भक्त मुझे इस रूप
से याद कर रहे है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 75 ]

सदा अपनी प्रातप्तयों की स्मृति में रहो। सदा अपनी बुतद्ध में सवट प्रातप्तयों की तलस्ट
रखो। कॉपी में नहीं, बुतद्ध में रखो। अगर प्रातप्तयों की तलस्ट सामने रहे िो सदा अपना
श्रेष्ठ शान स्वि: स्मृति में रहेगा। एक भी प्रातप्त को सामने रखो िो तकिनी शतक्त आिी
है! और सवट प्रातप्तयां स्मृति में रहें िो सवटशतक्तवान तस्थति सहज हो जायेगी।

देखो यह समय तकिना वैल्युबुल है, जो पहचान रहे हैं तक हमको राज्य भाग्य तमल
रहा है। हम हैं क्या और क्या बनने वाले हैं! नशा है , खुशी है, हम ही थे और हम ही हो
रहे हैं। खुशी है! है खश
ु ी िो हाथ उठाओ। यह तमलन िायरेक्ट बाप और बच्चे का
तमलन यह सोचो तकिना महान है। सब इसी तदन का इन्िजार करिे थे। ऐसे साकार
रूप में तमलन यह बड़ा अमूल्य तमलन है।

देखो कोने -कोने में तबछुड़े हुए बच्चे तकिने वाह वाह! बच्चे तनकल आये। और आपको
नशा होगा िो हम हर कल्प के साथी हैं। थे भी हैं भी और होंगे भी। है ना! नशा है ना!
देखो बाप की नज़र आपको कोने कोने में होिे भी पहचान तलया बाप ने भी पहचाना
आपने भी पहचाना। लोग तबचारे आयेगा आयेगा आयेगा करिे और आप क्या
कहिे? आ गये। गीि गािे हो ना मेरा बाबा आ गया।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 76 ]

बापदादा हरेक रत्न की वैल्यु को जानिे हैं। बच्चे कभी-कभी अपनी वैल्यु को कम
जानिे हैं। बाप िो अच्छी िरह से जानिे है। कै सा भी बच्चा हो, भले अपने को लास्ट
नम्बर में समझिा हो, िो भी महान है क्योंतक कोटो में कोई-कोई में भी कोई है। िो
करोड़ो में से वह एक भी महान हुआ ना! िो सदा अपनी महानिा को जानो इससे महान
आत्मा बन तफर देवात्मा बन जायेंगे।

हर एक ब्राह्मण बच्चें का भाग्य दुतनया के साधारण आत्माओ ं में से अति श्रेष्ठ है क्योंतक
हर एक ब्राह्मण आत्मा कोटों में से कोई और कोई में भी कोई है। कहाूँ साढ़े पांच स
करोड़ आत्मायें और कहाूँ आप ब्राह्मणों का छोटा - सा सस ं ार है! उन्हों के अन्िर में
तकिने थोड़े हो! इसतलए अज्ञानी, अन्जान आत्माओ ं के अन्िर में आप सभी ब्राह्मण
श्रेष्ठ भाग्यवान हो।

सभी अपने को पूज्य आत्मायें अनुभव करिे हो? पुजारी से पूज्य बन गये ना! पूज्य
को सदा ऊूँचे स्थान पर रखिे हैं। कोई भी पज
ू ा की मूतिट होगी िो नीचे धरिी पर नहीं
रखेंगे। िो आप पज्ू य आत्मायें कहाूँ रहिी हो! ऊपर रहिी हो! भतक्त में भी पज्ू य
आत्माओ ं का तकिना ररगािट रखिे हैं। जब जड़ मूतिट का इिना ररगािट है िो आपका
तकिना होगा? अपना ररगािट स्वयं जानिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 77 ]

आज बापदादा हर एक बच्चे के मस्िक में िीन भाग्य के तसिारे चमकिे हुए देख रहे
है। एक परमात्म पालना का भाग्य, परमात्म पढ़ाई का भाग्य, परमात्म वरदानों का
भाग्य। ऐसे श्रेष्ठ भाग्य के तसिारे सारे तवश्व में और तकसी के भी मस्िक में चमकिे हुए
नहीं नजर आयेगे। यह भाग्य के तसिारे िो सभी के मस्िक में चमक रहे हैं , लेतकन
चमक में कहाूँ-कहाूँ अन्िर तदखाई दे रहा है।

स्मृतिस्वरूप स्पि तसिारे सदैव अपने को तदव्य तसिारा समझिे हो? विटमान समय
का श्रेष्ठ भाग्य बापदादा के नैनों के तसिारे और भतवष्य जो प्राप्त होने वाली िकदीर
बना रहे हो, उन श्रेष्ठ िकदीर के तसिारे अपने को देखिे हुए चलिे हो? जब अपने को
तदव्य तसिारा नहीं समझिे हो िो यह दोनों तसिारे भी स्मृति में नहीं रहिे। िो अपने
तसिारा रूप को सदैव स्मृति में रखो।

कमाल िो बच्चों की है जो तनबटन्धन को भी बन्धन में बाूँध देिे हैं। बापदादा को भी


तहसाब तसखा देिे तक इस तहसाब से तमलो। िो जादूगर क न हुए - बच्चे वा बाप?
ऐसा स्नेह का जादू बच्चे बाप को लगािे हैं जो बाप को तसवाए बच्चों के और कुछ
सझू िा ही नहीं। तनरन्िर बच्चों को याद करिे हैं। िुम सब खािे हो िो भी एक का
आह्वान करिे हो। िो तकिने बच्चों के साथ खाना पड़े।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 78 ]

'बाप ने सारे तवश्व में से हमें चुनकर अपना बना तलया' - यह खुशी रहिी है ना। इिने
अनेक आत्माओ ं में से मुझ एक आत्मा को बाप ने चुना - यह स्मृति तकिना खुशी
तदलािी है! िो सदा इसी खश ु ी से आगे बढ़िे चलो। बाप ने मुझे अपना बनाया क्योंतक
मैं ही कल्प पहले वाली भाग्यवान आत्मा थी, अब भी हूँ और तफर भी बनूूँगी - ऐसी
भाग्यवान आत्मा हूँ। इस स्मृति से सदा आगे बढ़िे चलो।

सबसे पहले अपने आपको और बाप को जानने की तवशे षिा जो आप ब्राह्मण बच्चों
में है वह तकसी भी नामीग्रामी आत्मा में नहीं है। इसतलए भोले , साधारण होिे हुए,
वरदािा से वरदान ले जन्म-जन्म के तलए तवशेष पूज्य आत्मायें बन जािे हैं। जो आज
की नागीग्रामी आत्मायें हैं वह भी पज्ू य आत्माओ ं के आगे नमन-वन्दन करिी हैं। ऐसी
तवशेष आत्मायें बन गये। ऐसा रूहानी नशा अनुभव करिे हो?

सदा अपने मस्िक पर श्रेष्ठ भाग्य की लकीर देखिे रहो - वाह मेरा श्रेष्ठ ईश्वरीय भाग्य!
धन-द लि का भाग्य नही, ईश्वरीय भाग्य। इस भाग्य के आगे धन िो कुछ नहीं है , वह
िो पीछे -पीछे आयेगा। जैसे परछाई होिी है वह आपेही पीछे -पीछे आिी है या आप
कहिे हो तपछे आओ । िो यह सब परछाई हैं लेतकन भाग्य है - 'ईश्वरीय भाग्य' । सदा
इसी नशे में रहो - अगर पाना है िो सदा का पाना है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 79 ]

सबसे नाम की तवशेषिा ये है तक आपका नाम क न जपिा है ? स्वयं भगवान आपका


नाम जपिा है! िो इससे बड़ा नाम क्या होगा! आपके नाम से अभी लास्ट जन्म में भी
अनेक आत्मायें अपना शरीर तनवाट ह चला रही हैं। आप ब्राह्मण हो ना, िो ब्राह्मणों के
नाम से आज भी नामधारी ब्राह्मण तकिना कमा रहे हैं! अभी िक नामधारी ब्राह्मण भी
तकिना ऊंचे गाये जािे हैं! िो आपके नाम की तकिनी मतहमा है!

वह भले वी.आई.पी. हैं लेतकन सारे तवश्व में ईश्वरीय सन्िान के नािे , ब्राह्मण-जीवन
के नािे आप तकिनी भी वी. आगे लगा दो िो भी कम है। क्योंतक आपके आधार पर
तवश्वपररविट न होिा है। आप तवश्व के नव-तनमाटण के आधारमूिट हो। बेहद के ड्रामा
अंदर हीरो एक्टर हो और हीरे िुल्य जीवन वाले हो। िो तकिने बड़े हुए! यह शद्ध ु नशा
समथट बनािा है और देह-अतभमान का नशा नीचे ले आिा है।

आपकी पोज़ीशन के आगे माया नमस्कार करे गी। पांच तवकार और पांच ित्व आपके
आगे दास रूप में बन जायेंगे। और आप पांच तवकारों को ऑिटर करें गे तक आधा कल्प
के तलए तवदाई ले जाओ। प्रकृति सिो प्रधान सख ु दाई बन जायेगी। अगर पवू टज की
पोजीशन से सकं ल्प द्वारा आिटर करेंगे िो वह न माने , यह हो नहीं सकिा। अथाटि्
प्रकृति पररविटन में न आए व पांच तवकार तवदाई न लें , यह हो नहीं सकिा।

आप सभी भी जब दीपमाला के तदन जगे हुए दीपकों को देखिे हो िो देखिे हुए यह


खुशी होिी है तक हमारी ही यादगार मना रहे हैं ? जैसे जगा हुआ दीपक प्यारा लगिा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 80 ]

है, वैसे अपनी यादगार को देख स्मृति आने से आप सभी भी तवश्व के बाप और सारे
तवश्व के आत्माओ ं को प्यारे लगिे हो। िो आज यादगार रूप को प्रत्यक्ष रूप में देखने
आए हैं। माला में एक दाना नहीं होिा है, अनेकों की माला बनिी है।

जो हीरो पाटट धारी होिे हैं उनको हर कदम पर अपने ऊपर अटे न्शन रहिा है , उनका हर
कदम ऐसा उठिा है जो सदा वाह-वाह करें , वन्स मोर करें। अगर हीरो पाटट धारी का
कोई भी एक कदम नीचे ऊपर हो जािा है िो वह 'हीरो' नहीं कहला सकिा। िो आप
सभी िबल हीरो हो। हीरो तवशेष पाटट धारी भी हो और हीरो जैसा जीवन बनाने वाले
भी। िो ऐसा अपना स्वमान अनुभव करिे हो?एक है जानना और दूसरा है जानकर
चलना।

भतक्त मागट में िो तसफट पांव रखने के तलये इिनी मेहनि करिे हैं, आपको सोने के तलये
िीन पैर नहीं िो दो पैर िो तमलिा है। आपने िो मांगा था तक चरणों में जगह दे दो
लेतकन बाप ने चरणों की बजाय पटरानी बना तदया। तफर भी मधुबन का आंगन है ना।
चाहे कहाूँ भी सोिे हो लेतकन हैं िो मधबु न के आगं न में। इिना बाप के समीप आने
का अतधकार तमलेगा-ये िो स्वप्न में भी नहीं था। िो सब खुश हो ना?

यह ब्राह्मण संसार सियुगी संसार से भी अति न्यारा और अति प्यारा है। इस अल तकक
सस
ं ार की ब्राह्मण आत्मायें तकिनी श्रेष्ठ हैं तवशेष हैं! देविा रूप से भी यह ब्राह्मण
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 81 ]

ं ार की मतहमा है , न्यारापन है। इस सस


स्वरूप तवशेष है। इस सस ं ार की हर आत्मा
तवशेष है। हर आत्मा ही स्वराज्यधारी राजा है। हर आत्मा स्मृति की तिलकधारी,
अतवनाशी तिलकधारी, स्वराज्य तिलकधारी, परमात्म तदल-िख्िनशीन है।

बापदादा के तवशेष शृंगार हो ना! सबसे श्रेष्ठ शृंगार है - मस्िकमतण। मतण सदा मस्िक
पर चमकिी है। िो ऐसे मस्िकमतण बन सदा बाप के िाज में चमकने वाले तकिने
अच्छे लगेंगे। मतण सदा अपनी चमक द्वारा बाप का भी शृंगार बनिी और औरों को
भी रोशनी देिी है। िो ऐसे मस्िकमतण बन औरों को भी ऐसे बनाने वाले हैं - यह लक्ष्य
सदा रहिा हैं ? सदा शभ
ु भावना सवट की भावनाओ ं को पररविटन करने वाली है।

तवदेशी भाई बतहनों से पसटनल मुलाकाि - अपने को भाग्यवान आत्मायें समझिे हो?
इिना भाग्य िो बनाया जो भाग्यतवधािा के स्थान पर पहुूँच गये। समझिे हो यह क न-
सा स्थान है? शातन्ि के स्थान पर पहुूँचना भी भाग्य है। िो यह भी भाग्य प्राप्त करने का
रास्िा खुला। ड्रामा अनुसार भाग्य प्राप्त करने के स्थान पर पहुूँच गये। भाग्य की रेखा
यहाूँ ही खींची जािी है। िो अपना श्रेष्ठ भाग्य बना तलया।

आज बाप-दादा तवशेष चारों ओर के बच्चों की रमणीक रंगि देख रहे थे। बाप-दादा
देख रहे थे तक सगं म युगी, सवट श्रेष्ठ हीरे िुल्य युग के वासी और सवट श्रेष्ठ बाप-दादा
के बच्चे, ईश्वरीय सन्िान, ब्राह्मण कुल की श्रेष्ठ आत्माओ ं को व लािले , तसकीलधे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 82 ]

बच्चों को बाप-दादा ने तवशेष सारे तदन के तलए तभन्न-तभन्न प्रकार की ड्रेस और


श्रृंगार, साथ-साथ बैठने के स्थान व आसन तकिने श्रेष्ठ तदये हैं।

िबल हीरो समझिे हो? हीरे िुल्य जीवन बन गई। िो हीरे समान बन गये और सतृ ि
ड्रामा के अन्दर आतद से अन्ि िक हीरो पाटट बजाने वाले हो। िो िबल हीरो हो गये
ना। कोई भी हद के ड्रामा में पाटट बजाने वाले हीरो एक्टर गाये जािे हैं लेतकन िबल
हीरो कोई नहीं होिा। और आप िबल हीरो हो। बाप के साथ पाटट बजाना - यह तकिना
बड़ा भाग्य है! िो सदा इस श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख आगे बढ़ रहे हो ना।

सदा अपने को हम कोटों में कोई और कोई में भी कोई आत्मायें हैं , ऐसा अनुभव करिे
हो? जो गायन है कोटों में कोई, कोई में भी कोई, िो वो क न-सी आत्मायें हैं, तकसका
गायन है? आन्रा वालों का है ? चाहे कै सी भी आत्मायें हो लेतकन बाप की िो प्यारी
ु ी सदा रहे तक जो हूँ, जैसी हूँ लेतकन बाप की प्यारी हूँ इसतलये कोटों
हो ना। िो ये खश
में कोई, कोई में भी कोई आत्मा बनने का भाग्य आपको तमला है।

वह लोग अखबार में तनकालिे हैं तक क न-क न बड़े हैं। ह इज ह? आप लोग िो जन्म-
जन्मान्िर के तलए पूज्य बनिे हो। वह िो आज ह इज़ ह की तलस्ट में हैं कल साधारण
प्रजा की तलस्ट में हैं। आप सदा से इसी तलस्ट में हो। सदा के पूज्य हो। आधा कल्प
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 83 ]

चेिना में पूज्य के रूप में हो, आधा कल्प जड़ तचिों के रूप में पूजे जािे हो। िो सारा
ही कल्प ह इज ह हुए। ऐसा नशा रहिा है तक हम बहुि बड़े लोग हैं ?

हरेक बच्चा विटमान समय में तवश्व की सवट आत्माओ ं में श्रेष्ठ है और भतवष्य में भी
तवश्व द्वारा पूज्यनीय हैं। ऐसे सवट श्रेष्ठ गायन और पूजन योग्य योगी िू आत्माएूँ, ज्ञानी
िू आत्मायें, तदव्य-गणु धारी, सदा तवश्व के सेवाधारी बाप-दादा के सदा स्नेह और
सहयोग में रहने वाले - ऐसे बच्चों को देख बाप को तकिनी खुशी होिी है! नम्बरवार
होिे हुए भी लास्ट नम्बर का मणका भी तवश्व के आगे महान है।

अमरनाथ बाप का पहला वरदान है - बच्चे अमरभव! अमरनाथ की कथा सनु ने वाले
आप सब हो ना? यह खश ु ी होिी है तक हम सबका यादगार अब िक भी चल रहा है ?
कल्प पहले का यादगार अभी भी देख रहे हो। अमरनाथ में आपका ही यादगार है।
एक-एक बच्चे की तकिनी मतहमा करें। तजिनी आप सबने द्वापर से बाप की मतहमा
गाई है उिनी बाप अभी आप बच्चों की गािे हैं। रोज़ नया टाइतटल देिे हैं िो मतहमा
हुई ना। बहुि-बहुि लकी हो।

आप सब बच्चे बाप के नव-तनमाटण करने के कायट में समीप सम्बन्धी हो। वैसे तवश्व
नव-तनमाटण के कायट में प्रकृति भी सहयोगी बनिी है, विटमान समय के नामीग्रामी
वैज्ञातनक बच्चे भी सहयोगी बनिे हैं लेतकन आप सभी समीप के साथी हो। सभी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 84 ]

बच्चों के इस ब्राह्मण-जीवन का तवशेष कर्त्टव्य अथवा सेवा क्या है ? तदन-राि सेवा


के उमंग-उत्साह में उड़ रहे हो। तकस कायट के तलए? तवश्व को नया बनाने के तलए।

सदा ईश्वरीय नशे में और भतवष्य देवपद के नशे में रहिे हो? सगं म युग की प्रालब्ध
क्या है? बाप को पाना। और भतवष्य की प्रालब्ध देवपद पाना। तजसको बाप तमल
गया उसको नशा तकिना होगा, बाप से ऊपर और कुछ नहीं! बाप तमला सब कुछ
तमला। सारे तवश्व के अन्दर कोटों में कोई गाई हुई आत्माएं तकिनी थोड़ी सी हैं , तजन्होंने
बाप को पाया है। न तसफट जाना, लेतकन जानने के साथ-साथ, तजसको पाना था, वो
पा तलया।

आज तवश्वेश्वर बाप अपनी तवश्व की श्रेष्ठ रचना वा श्रेष्ठ आतद रिनों से , अति स्नेही और
समीप बच्चों से तमलन मनाने आये हैं। तवश्वेश्वर बाप के बच्चे िो तवश्व की सवट आत्मायें
हैं। लेतकन ब्राह्मण आत्मायें अति स्नेही समीप की आत्मायें हैं क्योंतक ब्राह्मण आत्मायें
आतद रचना हैं। बाप के साथ - साथ ब्राह्मण आत्मायें भी ब्राह्मण जीवन में अविररि
हो बाप के कायट में सहयोगी आत्मायें बनिी हैं।

सगं मयुग पर सबसे बड़े िे बड़ी आप ब्राह्मणों की शान क नसी है ? ईश्वरीय शान है ना-
सवटश्रेष्ठ आत्माए हैं। िो सवटश्रेष्ठ बनने का शान है। िो याद रहिा है तक हम ही ऊंचे िे
ऊंचे भगवान के बच्चे ऊंचे िे ऊंचे हैं। जब ये शान याद रहिा है िो कभी भी परेशान
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 85 ]

नहीं होंगे। देविाई शान से भी ऊंचा ये ब्राह्मण शान है। देविाई िाज और िख्ि से ऊंचा
िख्ि अभी है। िो िख्ि पर बैठना आिा है या तखसक जािे हो नीचे ?

हर एक बच्चा तदलाराम के दुलार का पाि है। यह तदव्य दुलार, परमात्म दुलार कोटों
में कोई भाग्यवान आत्माओ ं को ही प्राप्त होिा है। अनेक जन्म आत्माओ ं वा महान
आत्माओ ं द्वारा दुलार अनुभव तकया। अब इस एक अल तकक जन्म में परमात्म प्यार
वा दुलार अनुभव कर रहे हो। इस तदव्य दुलार द्वारा राज दुलारे बन गये हो। इसतलये
तदलाराम बाप को भी अल तकक फखर है तक मेरा हर एक बच्चा राजा बच्चा है। राजा
हो ना?

बापदादा िख्िनशीन बच्चों को देख सदा हतषटि रहिे हैं -वाह मेरे िख्िनशीन बच्चे!
बच्चे बाप को देख खुश होिे हैं, आप सभी बापदादा को देख खुश होिे हो लेतकन
बापदादा तकिने बच्चों को देख खुश होिे हैं क्योंतक हर एक बच्चा तवशेष आत्मा है।
चाहे लास्ट नम्बर भी है लेतकन तफर भी लास्ट होिे भी तवशेष कोटो में कोई, कोई में
कोई की तलस्ट में है। इसतलए एक-एक बच्चे को देख बाप को ज्यादा खुशी है वा
आपको है?

बापदादा ने पहले भी कहा है तक बापदादा लास्ट बच्चे को भी अति भाग्यवान समझिे


हैं क्यों? भगवान को पहचानना, साधारण रूप में बाप को पहचानना, जो इिने बड़े-
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 86 ]

बड़े महात्मायें भी पहचान नहीं सके , लेतकन बापदादा का लास्ट बच्चा भी मेरा बाबा
कहिा है। तदल से मेरा बाबा कहिे हैं। िो बापदादा जै से लास्ट बच्चे की भी तवशेषिा
देख, जैसे बच्चों को लाि प्यार, यादप्यार देिे हैं वैसे लास्ट वालों को भी देिे हैं।

सदा अपने को गॉिली (Godly) स्टूिेण्ट (Student) समझिे हो? गॉिली स्टूिेण्ट
लाइफ (Godly Student Life) सबसे बेस्ट (Best) गाई जािी है। ऐसे सदा
बेस्ट (Best) अथाटि् श्रेष्ठ जीवन का अनुभव करिे हो। जै से स्टूिेण्ट (Student)
सदा हंसिे, खेलिे और पढ़िे रहिे और कोई बाि बुतद्ध में तवघ्न रूप नहीं बनिी ऐसे
ही पढ़ना, पढ़ाना तनतवटघ्न रहना, बाप के साथ उठना, बैठना, खाना पीना यह है
गॉिली स्टूिेण्ट लाइफ।

एक - हर एक बच्चा इस सवट मनुष्यात्माओ ं के पूवटज, सारे वृक्ष का फाउण्िेशन है।


क्योंतक जड़ से सारा वृक्ष तनकलिा है और दूसरे रूप में पूवटज बड़े को भी कहिे हैं। िो
सतृ ि के आतद में आप आत्माओ ं का ही पाटट है। इसतलए बड़े िे बड़े हो, इस कारण
सवट आत्माओ ं के पूवटज हो। साथ-साथ ऊंचे िे ऊंचे बाप की पहली रचना आप ब्राह्मण
आत्मायें हो। िो जैसे ऊंचे िे ऊंचा भगवन है वैसे बड़े िे बड़े पूवटज आप हो।

तकिना भी आज की दुतनया में कोई धनवान हो लेतकन जो खज़ाना आपके पास है


वह तकसी के पास भी नहीं है। िो वास्ितवक सच्चे वी.आई.पी क न हैं ? आप हो ना!
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 87 ]

वह पोजीशन िो आज है कल नहीं लेतकन आपका यह ईश्वरीय पोजीशन कोई छीन


नहीं सकिा। बाप के घर के शृंगार बच्चे हो। जैसे फूलों से घर को सजाया जािा है ऐसे
बाप के घर के शृंगार हो। िो सदा स्वयं को - मैं बाप का शृंगार हूँ ऐसा समझ श्रेष्ठ तस्थति
में तस्थि रहो।

कमेतन्ियों के वशीभूि नहीं हो, इसतलए बालक सो मातलक हो। बालकपन का भी


ईश्वरीय नशा अनुभव करिे हो और स्वराज्य के मातलकपन का नशा भी अनुभव करिे
हो। िबल नशा है। नशे की तनशानी है अतवनाशी रूहानी खशु ी। सदा अपने को तवश्व
में खुशनसीब आत्माएं समझिे हो? वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य अथाटि् श्रेष्ठ नसीब! खुशनसीब
भी हो और सदा खुशी की खुराक खािे और तखलािे हो। साथ-साथ सदा खुशी के
झल ू े में झूलिे रहिे हो।

आज तवश्व अपने आधारमूिट श्रेष्ठ आत्माओ ं को तभन्न-तभन्न रूप से, तभन्न-तभन्न तवतध
ु ार रहा है, याद कर रहा है। िो ऐसे सवट दुखी अशान्ि आत्माओ ं को सहारा देने
से पक
वाले, अंचली देने वाले , सख
ु -शांति का रास्िा बिाने वाले, ज्ञान-नेिहीन को तदव्य
नेि देने वाले , भटकिी हुई आत्माओ ं को तठकाना देने वाले , अप्राप्त आत्माओ ं को
प्रातप्त की अनुभूति कराने वाले, उद्धार करने वाले - आप श्रेष्ठ आत्मायें हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 88 ]

सदा यह खुशी रहिी है तक हम बाप के वसे के अतधकारी हैं ? और तशक्षक द्वारा श्रेष्ठ
पढ़ाई से श्रेष्ठ पद प्राप्त करने वाले हैं और सिगुरू द्वारा वरदान प्राप्त करने वाली श्रेष्ठ
आत्माएं हैं। िीनों सम्बन्ध द्वारा िीनों ही प्रातप्तयों की स्मृति रहने से सदा ही सहज िीव्र
पुरुषाथी हो जायेंगे। तसफट वसाट नहीं तमलिा लेतकन श्रेष्ठ पद भी है और वरदान भी है।
िो िीनों ही प्रातप्तयों का नशा सदा रहना चातहए।

सभी की तवशेष एक बाि की तवशेषिा वा महानिा बहुि स्पि है, जो कोई भी महारथी
हो, वा प्यादा हो, छोटा तसिारा हो वा बड़ा तसिारा हो, लेतकन बाप को जानने की
तवशेषिा, बाप का बनने की तवशेषिा, यह िो सब में है ना! बाप को बड़े-बड़े शास्त्र
की अथाटी, धमट के अथाटी, तवज्ञान के अथाटी, राज्य के अथाटी, बड़े-बड़े तवनाशी
टाइटल्स के अथाटीज, उन्होने नहीं जाना, लेतकन आप सबने जाना। वे अब िक
आह्वान ही कर रहे हैं।

सदा यह नशा रहिा है तक हम तवशेष आत्मायें हैं ? िो गाया हुआ है कोटों में कोई,
कोई में भी कोई िो पहले सनु िे थे लेतकन अभी अनुभव कर रहे हो तक हम ही कोटों
में कोई आत्मायें थी और हैं और सदा बनेंगी। कभी सोचा था तक इिना तवशेष पाटट
इस ड्रामा के अन्दर हमारा नूूँधा हुआ है! लेतकन अभी प्रैतक्टकल में अनुभव कर रहे
हो। पक्का तनश्चय है ना। कल्प-कल्प क न बनिा है? क्या कहेंगे? हम ही थे , हम ही
हैं और हम ही रहेंगे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 89 ]

रोज़ हर बच्चे की तवशेषिा और गुणों को सामने लािे हैं क्योंतक जो भी बाप के बच्चे
बने हैं वह हैं ही तवशेष आत्मायें। िो तवशेष आत्माओ ं की तवशेषिा बाप भी गािे हैं।
जैसे ज हरी हर रत्न की वैल्यू को जानिे हैं वैसे बाप भी हर बच्चे की श्रेष्ठिा को जानिे
हैं। हर रिन एक-दूसरे से श्रेष्ठ है। िो ऐसे श्रेष्ठ समझकर चलिे हो? साधारण नहीं हो।
लास्ट दाना भी साधारण नहीं है बाप को जानने की तवशेषिा िो लास्ट में भी है।

बाप द्वारा की गई मतहमा का सतु मरण करने से समथट स्टे ज का अनुभव - सदा अपने
भाग्य की मतहमा के गीि गािे रहिे हो? जैसे स्थूल साधारण गीि भी गािे हैं िो तकिना
खुशी में आ जािे हैं। भतक्तमागट में कीिटन करिे हैं िो भी तकिना खुश होिे हैं। िो आप
सभी भी बाप द्वारा की गई मतहमा के गीि सदा गािे रहो। पहले हम क्या थे और बाप
ने क्या बना तदया, उसी का सतु मरण करिे सदा हतषटि रहो। इसी सतु मरण में समथी
समाई हुई है।

शतक्तयों के तबना िो तशव भी नहीं है। तशव नहीं िो शतक्तयाूँ नहीं, शतक्तयाूँ नहीं िो तशव
भी नहीं। बाप भी भुजाओ ं के तबना क्या कर सकिा। िो पहली भुजायें क न? वाह रे
मैं!" आज बापदादा तवश्व की सवट आत्माओ ं प्रति प्रत्यक्ष जीवन का प्रमाण देने वाले
बच्चों से तमलने आये हैं। कुमार सो ब्रह्माकुमार, िपस्वी कुमार, राजऋतष कुमार, सवट
त्याग से भाग्य प्राप्त करने वाले कुमार ऐसी श्रेष्ठ आत्माओ ं का आज तवशेष संगठन है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 90 ]

अपने स्व स्वरूप में, भतवष्य स्वरूप में और सगं म का महान स्वरूप िीनों रूपों को
जानिे हो? और सदा िीनों ही स्वरूप एक सेकण्ि में सामने आ जािे हैं ? इस समय
बापदादा बच्चों की विटमान ब्राह्मण स्वरूप की मतहमा देख रहे हैं। हर एक की मतहमा
बहुि महान है क्योंतक सारे कल्प में सबसे भाग्यवान स्वरूप इस समय यह सगं मयुग
के समय का है और सगं मयुग के भाग्य को हर एक अनुभव कर रहे हैं। वाह सगं मयुग
का वरदानी समय वाह! ठीक है।

सबसे वैल्युएबुल आत्मायें हो, अमूल्य हो। अमूल्य आत्माओ ं का कोई दुतनया वालों
से मूल्य नहीं कर सकिे। दुतनया वाले िो आप सबको साधारण समझेंगे। लेतकन आप
साधारण नहीं हो, तवशेष आत्मायें हो। तवशेष आत्मा का अथट ही है जो भी कमट करे ,
जो भी सक ं ल्प करे , जो भी बोल बोले वो हर बोल और हर सकं ल्प तवशेष हैं, साधारण
नहीं हो। समय भी साधारण रीति से नहीं जाये। हर सेकेण्ि और हर सक ं ल्प तवशेष हो।
इसको कहा जािा है तवशेष आत्मा।

सदाकाल के तलए खुशी, सदा के तलए नशा, अनुभूति ऐसे सवट प्रकार का प्रसाद
पाया? िो प्रसाद बांटकर खाया जािा है। प्रसाद आंखों के ऊपर, मस्िक के ऊपर
रखकर खािे हैं। िो यह प्रसाद ऑखों मे समा जाए। मस्िक में स्मृति स्वरूप हो जाए
अथाटि् समा जाए। ऐसा प्रसाद इस महायज्ञ में तमला? महाप्रसाद लेने वाले तकिने
महान भाग्यवान हुए ऐसे चान्स तकिनों को तमलिा है ? बहुि थोड़ों को उन थोड़ो में से
आप हो। िो महान भाग्यवान हो गये ना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 91 ]

वह लोग पीस मेकसट टाइटल देिे हैं। लेतकन आज बापदादा सभी बच्चों को टाइटल
देिे हैं की आप सभी लॉ मेकसट हो। सियुगी जो भी लॉ चलने वाले है उसे बनाने वाले
आप हो। हम लॉ मे कसट हैं – यह स्मृति में रखेंगे िो कोई भी कदम सोच समझ कर
उठाएगं े। आप जो कदम उठािे हो वह मानो लॉ बन रहे हैं। जैसे जतस्टस वा चीफ़
जतस्टस होिे हैं वह जो भी बाि फाइनल करिे हैं िो वह लॉ बन जािा है। िो यहाूँ भी
सभी जतस्टस बैठे हुए हैं। लॉ मेकसट हो।

सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें अनुभव करिे हो? सच्चे ब्राह्मण
अथाटि् सदा सत्य बाप का पररचय देने वाले। ब्राह्मणों का काम है कथा करना, िुम
कथा नहीं करिे लेतकन सत्य पररचय सनु ािे हो। ऐसे सत्य बाप का सत्य पररचय देने
वाले, ब्राह्मण आत्मायें हैं , यही नशा रहे। ब्राह्मण देविाओ ं से भी श्रेष्ठ हैं। इसतलए
ब्राह्मणों का स्थान चोटी पर तदखािे हैं। चोटी वाले ब्राह्मण अथाटि् ऊूँची तस्थति में रहने
वाले।

कभी स्वप्न में भी सोचा था तक ड्रामा में मुझ आत्मा का ऐसा भी भाग्य(आत्मा का
परमात्मा से तमलन) नूंधा हुआ है। था और है - आत्मा का परमात्मा से तमलने का।
बाप भी हर एक बच्चे के भाग्य को देख हतषटि होिे हैं। वाह! भाग्यवान बच्चे वाह!
अपने भाग्य को देख तदल में अपने प्रति वाह! मैं वाह! वाह! मेरा भाग्य वाह ! वाह!
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 92 ]

मेरा बाबा वाह ! वाह ! मेरा ब्राह्मण पररवार वाह ! यह वाह, वाह के गीि ऑटोमेतटक
तदल में गािे रहिे हो ना।

बाप ने हरेक बच्चे को महान बना तदया। तवश्व में आपसे महान और कोई है ? सबसे
नीचे भारिवासी तगरे और उसमें भी जो 84 जन्म लेने वाली ब्राह्मण आत्मायें हैं , वह
नीचे तगरी। िो तजिना नीचे तगरे उिना अभी ऊूँचा उठ गये। इसतलए कहिे हैं ब्राह्मण
अथाटि् ऊूँची चोटी। जो ऊूँचाई का स्थान होिा है उसको चोटी कहा जािा है। पहाड़ों
की ऊूँचाई को भी चोटी कहिे हैं। िो यह खुशी है तक क्या-से-क्या बन गये! पांिवों
को ज्यादा खुशी है या शतक्तयों को?

बाप-दादा सदा बच्चों की िकदीर को देख हतषटि होिे। वाह िकदीर वाह! ऐसी श्रेष्ठ
िकदीर जो बाप को भी अपने स्नेह सम्बन्ध से तनराकार से साकार बना लेिे। आवाज़
से परे बाप को आवाज़ में लािे। स्वयं भगवान को जैसे चाहे वैसे स्वरूप में लाने के
मातलक को सेवाधारी बना लेिे। बाप के सवट खज़ानों के अतधकारी बनने की वा बाप
को स्वयं पर समपटण कराने की चाबी बच्चों के हाथ में है। तजसके हाथ में ऐसी चाबी
हो उनसे श्रेष्ठ और कोई हो सकिा है ?

देखो, अभी के िकदीर की लकीर आपको सारे कल्प में भी श्रेष्ठ बनािी है , 21 जन्म
िो सदा सम्पन्न और सख
ु ी रहने की रेखा चलिी ही है और द्वापर, कतलयुग में भी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 93 ]

आपके पूज्य बनने की रेखा श्रेष्ठ रहिी है। िो इस समय के भाग्य की रेखा सारा कल्प
सदा साथ चलिी है क्योंतक अतवनाशी बाप की अतवनाशी रेखा है। िो सदा अपने श्रेष्ठ
भाग्य की रे खा स्मृति में रहिी है? रहिी िो है लेतकन कभी इमजट रहिी है , कभी मजट
रहिी है वा सदा ही इमजट रहिी है ?

लोग कहिे हैं ना आप सबको तक आपकी जीवनमुतक्त से हमारी मुतक्त अच्छी है। आप
िो चक्कर में आयेंगे, हम िो चक्कर से छूट जायेंगे। आप फलक से कह सकिे हो तक
मुतक्त का वसाट िो हमें भी तमलेगा लेतकन हम मुतक्त के बाद तफर जीवनमुतक्त का वसाट
लेंगे। िबल तमलिा है! मुतक्तधाम से वाया िो करें गे ना, िो िायरेक्ट कनेक्शन होने के
कारण विटमान और तफर मृत्यु के बाद और तफर नया शरीर लेिे िीनों ही काल वसे के
अतधकारी बनिे हो। इिना नशा है ?

ऐसा कभी सोचा था तक हम आत्माएं ऐसे पदमापदम भाग्यवान है जो िायरेक्ट तिमूतिट


तशव बाप के साथ साकार रूप में जयतन्ि मनायेंगे ' कभी स्वपन में भी सकं ल्प नहीं
था। दुतनया वाले यादगार तनि से जयतन्ि मनािे और आप चैिन्य में बाप को अविररि
कर जयतन्ि मनािे हो। िो शतक्तशाली क न हुआ - बाप या आप ? बाप कहिे हैं -
पहले आप। अगर बच्चे नहीं होिे िो बाप आकर क्या करिे! इसतलए पहले बाप बच्चों
को मुबारक देिे है, मन के मुहबि की मुबारक ।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 94 ]

तबजनेसमेन को अनुभव है ना। ग्राहक देरी से भी आये िो भी थकें गे नहीं, आह्वान करिे
हैं-आओ.....। क्यों नहीं थकिे ? क्योंतक प्रातप्त है। िो आपको तकिनी प्रातप्तयाूँ हैं ? हर
कदम में पद्मों की प्रातप्त है। सारे वल्िट में ऐसा साहकार कोई है तजसको कदम में पद्मों
की कमाई हो? तकिने भी नामीग्रामी हों लेतकन इिने साहकार कोई नहीं हैं। चक्कर
लगाकर आओ। देखो, तवदेश में कोई तमल जाये ? तकिना भी बड़ा हो लेतकन आपके
आगे वह कुछ भी नहीं है।

सदा अपने को भाग्य तवधािा के भाग्यवान बच्चे हैं - ऐसा अनुभव करिे हो? पद्मापद्म
भाग्यवान हो या स भाग्यवान हो? तजसका इिना श्रेष्ठ भाग्य है वह सदा हतषटि रहेंगे ।
क्योंतक भाग्यवान आत्मा को कोई अप्रातप्त है ही नहीं। िो जहाूँ सवट प्रातप्तयाूँ होंगी,
वहाूँ सदा हतषटि होंगे। कोई को अल्पकाल की लॉटरी भी तमलिी है िो उसका चेहरा
भी तदखािा है तक उसको कुछ तमला है। िो तजसको पद्मापद्म भाग्य प्राप्त हो जाए वह
क्या रहेगा? सदा हतषटि।

सभी अपने को सगं मयुगी हीरे िुल्य श्रेष्ठ आत्मा समझिे हो? क्योंतक सगं म पर इस
समय हीरे िुल्य हो। सियुग में सोने िुल्य बनेंगे। लेतकन इस समय सारे चक्र के अन्दर
श्रेष्ठ आत्मा का पाटट बजा रहे हो। िो हीरे समान जीवन अथाटि् इिनी अमूल्य जीवन
बनी है? सबसे बड़ी मूल्यवान जीवन सगं मयुग की है। िो ऐसी स्मृति रहिी है तक इिने
श्रेष्ठ हैं? क्योंतक जैसी स्मृति होगी वैसी तस्थति होगी। अगर स्मृति श्रेष्ठ है िो तस्थति
साधारण नहीं हो सकिी।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 95 ]

हर एक बच्चे के मस्िक में चमकिा हुआ भाग्य का तसिारा देख रहे हैं। यह भाग्य का
तसिारा सारे कल्प में आप भाग्यशाली बच्चों के तसवाए और कोई प्राप्त नहीं कर
सकिा। वह श्रेष्ठ भाग्य है तक आप बच्चे ही िबल पतवि अथाटि् होली बनिे हो। वैसे
धमाटत्मायें भी हैं लेतकन वह शरीर से पतवि नहीं बनिे हैं। आप ब्राह्मण आत्माओ ं का
भतवष्य में आत्मा भी पतवि बनिी और शरीर भी पतवि बनिा है। इनकी तनशानी
िबल पतवि िो िबल िाज प्राप्त होिा है।

आपकी होली दुतनया से न्यारी परमात्मा की प्यारी है। िो नशा रहिा है ना तक हमारी
होली प्रभु सगं के रंग के कारण आधाकल्प ऐसा पतवि बनािी है जो अब िक भी
आपके तचि कायदे प्रमाण पज ू े जािे हैं और कोई के भी तचि ऐसे प्रेम पवू टक पज
ू े नहीं
जािे हैं। आप स्वयं अपने तचिों को देख रहे हो। और भी पूजे जािे हैं लेतकन इिना
समय और ऐसे तवतधपूवटक पूजा नहीं होिी। आप सदा उमंग और उत्साह में रहिे हो।
रहिे हो ना! उमंग- उत्साह में रहिे हो?

एक-एक मणी की तकिनी वैल्यू होिी है। वो अमूल्य रिन हैं तजसकी कीमि आज के
मानव कुछ कर नहीं सकिे क्योंतक बाप के बन गये ना, जो बाप के बने वह अमूल्य
रिन हो गये। सारे तवश्व के अन्दर सवटश्रेष्ठ आत्मा हो गये। इिनी खुशी रहिी है ? जैसे
शरीर का आक्यूपेशन सदा याद रहिा है वैसे आत्मा का आक्यूपेशन भी कभी भूलना
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 96 ]

न चातहए। सगं मयुग का श्रेष्ठ भाग्य ही है - बाप के अमूल्य रिन बनना। इस भाग्य को
भूल कै से सकिे हैं! सभी सेवा में सहयोग देिे हैं।

अब िक भक्त माला के पहले , दूसरे दाने भी परमात्म-तमलन को बड़ा मुतश्कल, बहुि


जन्मों के बाद भी तमले या न तमले - यह भी तनतश्चि नहीं समझिे। एक सेकेण्ि के
साक्षात्कार को महान प्रातप्त समझिे हैं। साक्षाि् बाप अपना बन जाए व अपना बना
दे, इसको असम्भव समझिे हैं। वह लम्बी खजूर कहकर तदलतशकस्ि हो जािे हैं। और
आप सब लम्बी खजूर के बजाए घर बैठे कल्प-कल्प का अपना अतधकार अनुभव
करिे हो। वह तमलना मुतश्कल समझिे हैं और आप तमलना अतधकार समझिे हो।

वैसे अगर आज तकसी को कपड़ा देंगे िो कल अनाज की कमी पड़ जायेगी, कल


अनाज देंगे िो पानी की कमी पड़ जायेगी। एक-एक चीज़ कहाूँ िक बाूँटेंगे। उससे िृप्त
नहीं हो सकिे। लेतकन अगर भाग्य बाूँटा िो जहाूँ भाग्य है वहाूँ सब कुछ है। वैसे भी
कोई को कुछ प्राप्त हो जािा है िो कहिे हैं - वाह मेरा भाग्य! जहाूँ भाग्य है वहाूँ सब
प्राप्त है। िो आप सब श्रेष्ठ भाग्य का दान करने वाले हो। ऐसे श्रेष्ठ महादानी, श्रेष्ठ
भाग्यवान। यही स्मृति सदा उड़िी कला में ले जायेगी।

यह है ही बाप और बच्चों के मधुर तमलन का मे ला। तजस तमलन मेले के तलए अने क
आत्मायें अनेक प्रकार के प्रयत्न करिे हुए भी बेअन्ि, असम्भव वा मुतश्कल कहिे
इिं जार में ही रह गये हैं। कब हो जायेगा - इसी उम्मीदों पर चलिे चले और अब भी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 97 ]

चल रहे हैं। ऐसी भी अन्य आत्मायें हैं जो कब होगा, कब आयेंगे, कब तमलेंगे ऐसे
तवयोग के गीि गािे रहिे हैं। वो सभी हैं कब कहने वाले और आप सब हैं - अभी
वाले। वो तवयोगी और आप सहज योगी। सेकण्ि में तमलन का अनुभव करने वाले।

बापदादा सभी बच्चों के दोनों ही स्वरूप देखकर हतषटि होिे हैं। चाहे नम्बरवार हो,
लेतकन देव आत्मा िो सभी बनेंगे ना। देविाओ ं को पज्ू य, श्रेष्ठ महान सभी मानिे हैं।
चाहे लास्ट नम्बर की देव आत्मा हो तफर पूज्य आत्म की तलस्ट में हैं। आधा कल्प
राज्य भाग्य प्राप्त तकया और आधा कल्प माननीय और पूज्यनीय श्रेष्ठ आत्मा बने। जो
अपने तचिों की पज ू ा, मान्यिा चैिन्य रूप में ब्राहमण रूप से देव रूप की अभी भी
देख रहे हो। िो इससे श्रेष्ठ और कोई हो सकिा है।

सबसे ज्यादा खुशी तकसको रहिी है? तकस बाि की खुशी है? सदैव अपने प्राप्त हुए
भाग्य की तलस्ट सामने रखो। तकिने भाग्य तमले हैं ? इिने भाग्य तमले हैं जो आपके
भाग्य की मतहमा अभी कल्प के अन्ि में भी भक्त लोग कर रहे हैं। जब भी कोई कीिटन
सनु िे हो िो क्या लगिा है?तकसकी मतहमा है ? िबल फॉरेनसट का कीिटन होिा है ?
सगं म पर भाग्यवान बने हो और सगं म पर ही अब िक अपना भाग्य वणटन करिे हुए
सनु भी रहे हो। चैिन्य रूप में अपना ही जड़ तचि देख हतषटि होिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 98 ]

बच्चों का यह दृढ़ सक
ं ल्प बापदादा को भी प्यारा लगिा है। बापदादा िो बच्चों को
यही कहिे तक बाप से भी आगे जा सकिे हो क्योंतक यादगार में भी बाप की पूजा
तसगं ल है, आप बच्चों की पज
ू ा िबल है। बापदादा के तसर के भी िाज हो। बापदादा
बच्चों के स्वमान को देख सदा यही कहिे वाह श्रेष्ठ स्वमानधारी, स्वराज्यधारी बच्चे
वाह! हर एक बच्चे की तवशेषिा बाप को हर एक के मस्िक में चमकिी हुई तदखाई
देिी है। आप भी अपनी तवशेषिा को जान, पहचान तवश्व सेवा में लगािे चलो।

सदा भाग्यतवधािा बाप द्वारा प्राप्त हुए अपने भाग्य को सतु मरण करिे हुए, हतषटि रहिे
हो? क्योंतक सारे कल्प के अन्दर सवट श्रेष्ठ भाग्य इस समय ही प्राप्त करिे हो। इस समय
ही सदा भाग्यशाली तस्थति का अनुभव कर सकिे हो। भतवष्य नई दुतनया में भी ऐसा
भाग्य प्राप्त नहीं होगा। िो तजिना बाप बच्चों को श्रेष्ठ भाग्यशाली समझिे हैं , उिना
ही हरे क स्वयं को समझिे हुए चलिे हो? इसी को ही कहा जािा है - 'स्वमान में तस्थि
होना।' मन-वचन-कमट िीनों में ध्यान रखो।

पद्मापद्म भाग्यवान आत्मायें अनुभव करिे हो! इिना श्रेष्ठ भाग्य सारे कल्प में तकसी
भी आत्मा का नहीं है। चाहे तकिने भी नामीग्रामी आत्मायें हों,लेतकन आपके भाग्य
के आगे उन्हों का भाग्य क्या है ? वह है अल्पकाल का भाग्य और ब्राह्मण आत्माओ ं
का है - अतवनाशी भाग्य। तसफट इस एक जन्म का नहीं है , जन्म-जन्म का है। बाप का
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 99 ]

बनना अथाटि् भाग्य का वसाट अतधकार में तमलना। िो अतधकार िो तमल गया ना।
बच्चा अथाटि् अतधकार, वसाट। अतधकार का नशा है तक उिरिा चढ़िा है ?

आज की दुतनया में कोई तकसको तकिनी भी बड़े िे बड़ी स गाि दे, िो बड़े िे बड़ा
क्या देंगे, िाज वा िख्ि। लेतकन आपके गोल्िन दुतनया की तगफ्ट के आगे वह क्या
चीज़ है? कोई बड़ी चीज़ है! आपके तदल में खुशी है तक हमारे बाप ने हमें सबसे ऊंचे
िे ऊंची नव युग की तगफ्ट दे दी है। तनश्चय है और तनतश्चि है। यह भावी कोई टाल नहीं
सकिा। यह अटल तनश्चय सदा स्मृति में रहिा है! सदा रहिा है वा कभी-कभी कम हो
जािा है? जन्म तसद्ध अतधकार है िो जन्म तसद्ध अतधकार कभी टल नहीं सकिा।

द्वापर से भतक्त में पुकारा और अब प्राप्त कर तलया िो तकिनी खुशी होगी! 63 जन्म
प्राप्त करने की इच्छा रखी और 63 जन्मों की इच्छा पूणट हो गई िो तकिनी खुशी होगी!
तकसी भी चीज़ की इच्छा पण ू ट होिी है िो खशु ी होिी है ना। यह खशु ी ही तवश्व को
खश ु ी तदलाने वाली है। आप खुश होिे हो िो सारी तवश्व खश ु हो जािी है। ऐसी खुशी
तमली है ना! जब आप बदलिे हो िो दुतनया भी बदल जािी है। और ऐसी बदलिी है
तजसमें दुुःख और अशातन्ि का नामो-तनशान नहीं। िो सदा खुशी में नाचिे रहो।

मािायें सदा अपने को पद्मापद्म भाग्यवान समझिी हो? घर बैठे बाप तमला िो तकिना
बड़ा भाग्य है! दुतनया वाले बाप को ढूूँढने के तलए तनकलिे हैं और आपको घर बैठे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 100 ]

तमल गया। िो इिना बड़ा भाग्य प्राप्त होगा - ऐसे कभी संकल्प में भी सोचा था? यह
जो गायन है "घर बैठे भगवान तमला''.. यह तकसके तलए है ? आपके तलए है ना। िो
इसी श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख आगे बढ़िे चलो। 'वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य' - यह खुशी
के गीि गािे रहो। खश ु ी के झल ू े में झल
ू िे रहो। खश
ु ी में नाचो - गाओ।

सारे तवश्व के आगे श्रेष्ठ और ऊूँची आत्मायें आपके तसवाए कोई नहीं हैं , इसतलए िो
आप आत्माओ ं का ही गायन और पूजन होिा है। अभी िक गायन, पूजन हो रहा है।
कभी भी कोई मतन्दर में जायेंगे िो क्या समझेंगे? कोई भी मतन्दर में मूतिट देखकर क्या
समझिे हो? यह हमारी ही मूतिट है। तसफट बाप नहीं पूजा जािा, बाप के साथ आप भी
पूजे जािे हो। ऐसे महान बन गये! एक बार नहीं, अनेक बार बने हैं , यह नशा होगा वहाूँ
माया की आकषटण अपने िरफ आकतषटि नहीं कर सके गी, सदा न्यारे होंगे।

आज समथट बाप अपने समथट बच्चों को देख रहे हैं। तजन समथट आत्माओ ं ने सबसे
बड़े िे बड़ा समथट कायट , तवश्व को नया श्रेष्ठ तवश्व बनाने का दृढ़ सक
ं ल्प तकया है। हर
आत्मा को शान्ि वा सख ु ी बनाने का, समथट कायट करने का सक ं ल्प तकया है और इसी
श्रेष्ठ सक
ं ल्प को लेकर दृढ़ तनश्चय बुतद्ध बन कायट को प्रत्यक्ष रूप में ला रहे हैं। सभी
समथट बच्चों का एक ही यह श्रेष्ठ सक ं ल्प है तक यह श्रेष्ठ कायट होना ही है। इससे भी
ज्यादा यह तनतश्चि है तक यह कायट हुआ ही पड़ा है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 101 ]

नशा रहिा है तक हम सगं मयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें हैं? इसतलये ब्राह्मणों को सदा
ही ऊंची चोटी तदखािे हैं। िो जैसे ऊंचे से ऊंचे गाये हुए हो वैसे सदा ऊंची तस्थति भी
हो। साधारण तस्थति नहीं, सदा ऊंची तस्थति। कभी साधारण तस्थति में िो नहीं आ
जािे? बाप तमला सब कुछ तमला-यही स्मृति सदा ऊंचा बना देिी है। ये याद रहिा है
ना। ये आटोमेतटक गीि बजिा ही रहिा है। िो तकिना सहज और सवट प्रातप्त कर ली।
मेहनि करनी पड़ी? थोड़ी-थोड़ी मेहनि लगिी है? टाइटल ही है सहजयोगी।

आपके टाइटल अतवनाशी हैं क्योंतक देने वाला अतवनाशी बाप है। बाप ने 'नूरे रत्न'
बनाया िो सारा कल्प जहान के नूर बन गये। अपने राज्य में भी तवश्व की नजरों में होंगे
ना! िो नूरे जहान हो गये ना। और भतक्त में भी नूरे जहान होंगे। सारे जहान के आगे
तवशेष आत्माएं िो आिी हैं ना, िब िो पज ू िे हैं। िो अतवनाशी हो गये। िो तलस्ट
तनकालो - तकिने टाइटल परमात्मा द्वारा तमलिे हैं। और अतवनाशी टाइटल िो नशा
भी अतवनाशी होगा ना। जैसे कहा जािा है तक खुशी में सदा उड़िे रहिे हैं।

सभी अपने को सवटश्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करिे हो? तकिनी श्रेष्ठ आत्मायें हो जो स्वयं
बाप बच्चों से तमलने के तलए अपने विन को छोड़कर आिे हैं। आधा कल्प गाया तक
अपना विन छोड़कर आ जाओ लेतकन यह मालूम नहीं था तक कब और कै से तमलेगा,
तसफट इन्िज़ार में तदन तबिाये। अभी इन्िजार खत्म हुआ और सम्मुख तमलन मना रहे
हो! ऐसा श्रेष्ठ भाग्य और तकसी का होगा? स्वप्न में भी ऐसा नहीं सोचा होगा तक
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 102 ]

भगवान से बािें करें गे। टोली खायेंगे, बैठेंगे और अभी प्रैतक्टकल में अनुभव कर रहे
हो।

आज परदेशी बाप अपने अनातद देशवासी और आतद देशवासी सेवा अथट सभी
तवदेशी, ऐसे बच्चों से तमलने के तलए आये हैं। बापदादा जानिे हैं तक यही मेरे
तसकीलधे लाड़ले बच्चे हैं , अनातद देश परमधाम के तनवासी हैं और साथ - साथ सतृ ि
के आतद के इसी भारि भूतम में जब सियुगी स्वदेश था, अपना राज्य था, तजसको
अभी भारि कहिे हैं, िो आतद में इसी भारि देशवासी थे। इसी भारि भतू म में ब्रह्मा
बाप के साथ - साथ राज्य तकया है। अपने राज्य में सख
ु - शातन्ि सम्पन्न अनेक जन्म
व्यिीि तकये हैं।

सभी अपने को तवशेष आत्मा समझिे हो? तकस स्थान पर पहुूँचे हो? सोचो तक ऐसा
भाग्य तवश्व में तकिनी आत्माओ ं का होगा जो सम्मुख तमलन मनायें? इससे बड़ा भाग्य
और क्या चातहए? सदा अपने इसी भाग्य को स्मृति में रखो िो आपके भाग्य की प्रातप्त
की खुशी को देख और आपके समीप आयेंगे। और अपना भाग्य बनायेंगे। सदा खुश
रहो। बाप के बच्चे बने िो वसे में क्या तमला? खुशी तमली ना! िो इस वसे को सदा
साथ रखना, छोड़कर नहीं जाना। खुशी के खजानों के मातलक बन गये। िो सदा खुशी
में उड़िे रहना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 103 ]

सम्पूणट प्रातप्त अथाटि् िन, मन, धन, सम्बन्ध और प्रकृति के सवट सुख, तजसमें अप्राप्त
कोई वस्िु नहीं, दु:ख का नाम-तनशान नहीं - ऐसी श्रेष्ठ प्रातप्त अन्य कोई आत्मा को
प्राप्त नहीं होिी है। िायरेक्ट बच्चे होने के कारण, ऊूँच िे ऊूँच बाप की सन्िान होने के
कारण, परम पज्ू य तपिा की सन्िान होने कारण आप आत्माएं भी िबल रूप में पज
ू ी
जािी हो। एक सातलग्राम के रूप में , दूसरा देवी वा देविा के रूप में। ऐसे तवतध पूवटक
पूज्य, धमटतपिा वा कोई भी नामी-ग्रामी आत्मा नहीं बनिी।

बापदादा भी सदा एक गीि गािे रहिे हैं , क न सा गीि गािे हैं , जानिे हो ना? यही
गीि गािे- वाह मेरे बच्चे , वाह! वाह मीठे बच्चे , वाह! वाह प्यारे िे प्यारे बच्चे , वाह!
वाह श्रेष्ठ आत्मायें वाह! ऐसा ही तनश्चय और नशा सदा रहिा है ना। सारे कल्प में ऐसा
भाग्य प्राप्त नहीं हो सकिा जो भगवान बच्चों के गीि गाये। भक्त, भगवान के गीि
बहुि गािे हैं। आप सब ने भी बहुि गीि गाये हैं। लेतकन ऐसे कब सोचा तक कब
भगवान भी हमारे गीि गायेंगे! जो सोचा नहीं था वह साकार रूप में देख रहे हो।

जैसे आजकल की दुतनया में जो तवनाशी पद धारण करने वाली तवशेष आत्मायें हैं,
वह भी अपने हर बोल को चैक कर तफर ही बोलिी हैं तक कहीं मेरे द्वारा ऐसा कोई एक
बोल भी न तनकले , तक जो देश में व सातथयों में सघं षट का आधार बने। ऐसे ही तवश्व
का कल्याण करने के श्रेष्ठ कायट में तनतमर्त् बनी आप श्रेष्ठ आत्माएं हो; आपकी तवश्व
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 104 ]

में तवशेष तस्थति है। आपको यह भी चैक करना है तक मेरे द्वारा जो भी बोल तनकलिे
हैं, क्या वह सवट के व स्वयं के प्रति कल्याणकारी हैं ? व्यथट की िो बाि ही छोड़ दो।

बापदादा देख रहे हैं तक हर एक हाइएस्ट (Highet), ररचेस्ट (Richet) हैं। दुतनया
वाले िो कहिे हैं ररचेस्ट इन दी वल्िट लेतकन आप सभी हैं ररचेस्ट इन कल्पा। इस
समय का जमा तकया हुआ खज़ाना सारा कल्प साथ में चलिा है। सारे कल्प में ऐसा
कोई भी नहीं तमलेगा जो ये सोचे तक इस जन्म में िो ररचेस्ट हूँ लेतकन भतवष्य में भी
अनेक जन्म साहकार से साहकार रहंगा। और आप सभी तनश्चय और नशे से कहिे हो
तक हमारा ये खज़ाना अनेक जन्म साथ रहेगा। गैरेन्टी है ना? िो ऐसा ररचेस्ट सारे कल्प
में देखा?

आपका ऐसा श्रेष्ठ सम्पकट है जो आपके जड़ तचिों की सेकण्ि के सम्पकट की भी प्यासी


हैं। तसफट दशटन के सम्पकट के भी तकिने प्यासे हैं! सारी-सारी रािें जागरण करिे रहिे हैं।
तसफट सेकण्ि के दशटन के सम्पकट के तलए पुकारिे रहिे हैं। तचल्लािे रहिे वा तसफट
सामने जावें उसके तलए तकिना सहन करिे हैं! हैं तचि और ऐसे तचि घर में भी होिे हैं
तफर भी एक सेकण्ि के सम्मुख सम्पकट के तलए तकिने प्यासे हैं! एक बेहद के बाप के
बनने के कारण सारे तवश्व की आत्माओ ं से सम्पकट हो गया।

आज ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ि फादर अपने कोटों में कोई कोई में भी कोई बच्चों के भाग्य की
रेखायें देख रहे हैं। हर एक के मस्िक से चमकिी हुई तदव्य चमकिे हुए तसिारे की
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 105 ]

चमक देख रहे हैं। नयनों से स्नेह की रेखा देख रहे हैं। मुख से ज्ञान की रेखा देख रहे हैं।
तदल में तदलाराम के लवलीन की रेखा देख रहे हैं। हाथों में ज्ञान के खज़ानों की रेखा
देख रहे हैं। पांव में हर कदम में पदम की रे खा देख रहे हैं। हर एक बच्चा इन रेखाओ ं में
नम्बरवार सम्पन्न है। ऐसा भाग्य आपके तबना और तकसका भी नहीं है।

सदैव स्वयं को सवटश्रेष्ठ महान आत्मा समझिे हो। महान आत्मा तजसकी स्मृति से
स्वि: ही हर सक
ं ल्प और हर कमट महान अथवा सवटश्रेष्ठ होिे हैं। जैसे आजकल की
दुतनया में अल्पकाल की पाज़ीशन (Position) वाली आत्माएूँ अपने पोज़ीशन की
स्मृति में रहने के कारण तदन-राि स्वि: ही उसी नशे में रहिी हैं वैसे बाप द्वारा प्राप्त हुई
पोज़ीशन को स्मृति में रखना सहज और स्वि: है। जैसी पाज़ीशन है वैसा ही कमट ,
जैसा नाम वैसा ही श्रेष्ठ कमट भी है इसतलए विटमान समय सहजयोगी के साथ कमटयोगी
भी कहलायेंगे।

अपने को सदा हीरो पाटट धारी समझिे हुए हर कमट करो। जो हीरो पाटट धारी होिे हैं उनको
तकिनी खुशी होिी है, वह िो हुआ हद का पाटट । आप सबका बेहद का पाटट है। तकसक
साथ पाटट बजाने वाले हैं! तकसके सहयोगी हैं , तकस सेवा के तनतमर्त् हैं, यह स्मृति
सदा रहे िो सदा हतषटि, सदा सम्पन्न, सदा िबल लाइट रहेंगे हर कदम में उन्नति होिी
रहेगी। क्या थे और क्या बन गये! 'वाह मैं और वाह मेरा भाग्य!' सदा यही गीि खूब
गाओ और औरों को भी गाना तसखाओ। 5 हजार वषट की लम्बी लकीर तखच ं गई िो
खश ु ी में नाचो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 106 ]

इस सगं म पर जो आप बच्चों को स्वमान तमलिा है उससे बड़ा स्वमान सारे कल्प में
तकसी भी आत्मा को प्राप्त नहीं हो सकिा है। तकिना बड़ा स्वमान है , इसको जानिे
हो? स्वमान का नशा तकिना बड़ा है , यह स्मृति में रहिा है? स्वमान की माला बहुि
बड़ी है। एक एक दाना तगनिे जाओ और स्वमान के नशे में लवलीन हो जाओ। यह
स्वमान अथाटि् टाइटल्स स्वयं बापदादा द्वारा तमले हैं। परमात्मा द्वारा स्वमान प्राप्त है।
इसतलए इस स्वमान के रूहानी नशे को कोई अथॉररटी नहीं जो तहला सके क्योंतक
आलमाइटी अथॉररटी द्वारा प्रातप्त है।

कुमारी की, अब 84 वें अतन्िम जन्म में भी, चरणों की पूजा होिी है। िो इिनी पावन
बनी हो िब इिनी पूजा हो रही है। कुमाररयों को कभी भी झक ु ने नहीं देंगे। कुमाररयों
के चरणों में सब झुकिे हैं। चरण धोकर पीिे हैं। िो वह क न सी कुमाररयाूँ हैं?
ब्रह्माकुमाररयाूँ हैं ना! िो सेवाधारी ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें हो। तकसकी पूजा हो रही है ?
आप लोगों की। गीि भी है ना - पज ू ा होिी है घर-घर में...। इसतलए बोलो - जमारी
पूजा होिी है। बापदादा भी देखो नमस्िे करिे हैं ना! िो इिनी पूज्य हो िब िो बाप भी
नमस्िे करिे हैं।

बापदादा इिने सब बच्चों को, सातलग्रामों को देख यही खश


ु ी के गीि तदल में गािे हैं
तक वाह तसकीलधे बच्चे वाह! वाह लाड़ले बच्चे वाह! वाह अल तकक जन्म,
अल तकक बथट िे मनाने वाले वाह! िो बापदादा हर बच्चे के तलए वाह-वाह का गीि
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 107 ]

गा रहे हैं क्योंतक इिनी सारी तवश्व की आत्माओ ं में से तकिने थोड़े से आप बच्चे ऐसे
पद्मापद्म भाग्यवान बने हो और आगे भी भाग्यवान रहेंगे। अमर भाग्यवान आधा कल्प
रहेंगे। एक जन्म का वरदान नहीं है , अनेक जन्म अमर वरदानी बन गये। ऐसे बच्चों को
अपना स्व-मान तकिना स्मृति में रहिा है?

“वल्िट अथॉररटी के िायरेक्ट बच्चे हैं - इस स्मृति को इमजट रख सवट शतक्तयों को ऑिटर
से चलाओ''. वल्िट अथॉररटी के िायरेक्ट बच्चे हो, यह स्मृति का नशा सदा इमजट
रहे। अपने आपको चेक करो - वल्िट आलमाइटी अथॉररटी की अतधकारी आत्मा हूँ,
यह स्मृति स्वि: ही रहिी है? रहिी है या कभी-कभी रहिी है ? आजकल के समय में
िो अतधकार लेने के ही झगड़े हैं और आप सबको परमात्म अतधकार, परमात्म
अथॉररटी जन्म से ही प्राप्त है। िो अपने अतधकार की समथी में रहो। स्वयं भी समथट
रहो और सवट आत्माओ ं को भी समथी तदलाओ।

एक बाप साथ रखिे , दूसरा तवश्व के आगे अमूल्य रत्न हैं। अभी तवश्व नहीं जानिी,
आगे चल तकिनी ऊूँची नजर से देखेंगे! जैसे तसिारों को ऊूँची नजर से देखिे हैं ऐसे
आप ज्ञान तसिारों को देखेंगे। वेल्युएबल हो गये ना। तसफट चन्दन के वृक्ष में आ गये।
भगवान के साथी बन गये। िो सदा अपने को बाप के साथ रहने वाली नामीग्रामी
आत्माएूँ समझिे हो ना। तकिनी नामीग्रामी हो जो आज िक भी जड़ तचिों द्वारा गाये
और पज ू े जािे हो। सारा कल्प भी नामीग्रामी हो। घर बैठे पद्मापद्म भाग्यवान बन गये
हो ना। िकदीर आपके पास पहुूँच गई।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 108 ]

जैसे परम आत्मा ऊंचे िे ऊंचे हैं िो परमात्म-पालना भी तकिनी श्रेष्ठ है! और इस
परमात्म-पालना के पाि क न बने हैं और तकिने बने हैं? सारे तवश्व की आत्मायें 'बाप'
कहिी हैं लेतकन पालना और पढ़ाई के पाि नहीं बनिी हैं। और आप तकिनी थोड़ी-सी
आत्मायें इस भाग्य के पाि बनिी हो! सारे कल्प में यही थोड़ा-सा समय
परमात्म-पालना तमलिी है। दैवी पालना, मानव पालना-ये िो अनेक जन्म तमलिी है
लेतकन ये श्रेष्ठ पालना अब नहीं िो कब नहीं। ऐसे श्रेष्ठ भाग्य की श्रेष्ठ लकीर सदा अपने
मस्िक में चमकिे हुए अनुभव करिे हो?

आज बापदादा चारों ओर के अपने राज दुलारे परमात्म प्यारे बच्चों को देख रहे हैं।
यह परमात्म दुलार वा परमात्म प्यार बहुि थोड़े बच्चों को प्राप्त होिा है। बहुि थोड़े
ऐसे भाग्य के अतधकारी बनिे हैं। ऐसे भाग्यवान बच्चों को देख बापदादा भी हतषटि
होिे हैं। राज दुलारे अथाटि् राजा बच्चे। िो अपने को राजा समझिे हो? नाम ही है
राजयोगी। िो राजयोगी अथाटि् राजे बच्चे। विटमान समय भी राजे हो और भतवष्य में
भी राजे हो। अपना िबल राज्य पद अनुभव करिे हो ना? अपने आपको देखो तक मैं
राजा हूँ? स्वराज्य अतधकारी हूँ?

एक बाि भी स्मृति में रखो तक अमृिवेले आपको उठाने वाला क न? बाप का प्यार
उठािा है। तदन का आरम्भ तकिना श्रेष्ठ है! और बाप स्वयं तमलन मनाने के तलये बुलािे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 109 ]

हैं, रूहररहान करिे हैं, शतक्तयाूँ भरिे हैं! िो हर तदन का आतद तकिना श्रेष्ठ है! बाप की
मोहब्बि से उठिे हो तक कभी-कभी मजबूरी से भी उठिे हो? यथाथट िो मोहब्बि के
गीि आपको उठािे हैं। अमृिवेले से बाप तकिना स्नेह से बुलािे हैं , उठािे हैं - मीठे
बच्चे, प्यारे बच्चे , आओ.....। िो तजसका आतद इिना श्रेष्ठ है िो मध्य और अन्ि क्या
होगा? श्रेष्ठ होगा ना!

सदा इसी खुशी में नाचिे रहो - वाह मेरा भाग्य! यही गीि गािे रहो और इसी गीि के
साथ खश ु ी में नाचिे रहो। यह गीि गाना िो आिा है ना - वाह रे मेरा भाग्य और वाह
मेरा बाबा! वाह ड्रामा वाह! यह गीि गािे रहो। बहुि लकी हो। बाप िो सदा हर बच्चे
को लवली बच्चा ही कहिे हैं। िो लवली भी हो, लकीएस्ट भी हो। कभी अपने को
साधारण नहीं समझना, बहुि श्रेष्ठ हो। भगवान आपका बन गया िो और क्या चातहए!
जब बीज को अपना बना तदया िो वृक्ष िो आ ही गया ना! िो सदा इसी खुशी में रहो।
आपकी खुशी को देख दूसरे भी खश ु ी में नाचिे रहेंगे।

भतक्त में "हम सो, सो हम'' का मंि बहुि प्रतसद्ध है, अभी आप बच्चे 'हम सो' का
राज प्रैतक्टकल में अनुभव कर रहे हो। यह मंि जमारे तलए है , हम ब्राह्मण सो देविा
बनेंगे। हम ही सो देविा थे , सो देविा हम ब्राह्मण बने हैं। यह अभी पिा चला। अब
देविाओ ं के तचि देखकर बुतद्ध में आिा - यह जमारे ही तचि हैं। यही वन्िर हैं! इसी
स्मृति में रहो िो खुशी के झल
ू े में झल
ू िे रहेंगे देविाओ ं के तचि देखकर बुतद्ध में आिा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 110 ]

- यह जमारे ही तचि हैं। यही वन्िर हैं! इसी स्मृति में रहो िो खुशी के झूले में झूलिे
रहेंगे ।

यह परमात्म प्यार तसफट अभी संगम पर प्राप्त होिा है। देव आत्माओ ं का प्यार प्राप्त
होिा है लेतकन परमात्म प्यार इस एक जन्म में प्राप्त होिा है। िो बापदादा भी ऐसे पाि
आत्माओ ं को देख क्या कहिे हैं? वाह बच्चे वाह! आप ही कोटों में कोई पाि बने हैं
और हर कल्प आप ही पाि बनेंगे। ऐसा नशा चलिे तफरिे रहिा है ना! आपकी तदल
भी यह गीि गािी है वाह मेरा भाग्य! यह गीि गािे रहिे हो ना! बाप को भी खश
ु ी होिी
है तक यह सभी बच्चे अतधकारी हैं। अपने को कोई भी परमात्म प्यार में कम नहीं
समझिे। प्यार में सब पास हैं।

तजनमें दुतनया वालों की आूँख नहीं जािी उन्होंने ही बाप से स दा तकया और परमात्म
नयनों के तसिारे बन गये , नूरे रिन बन गये। ना उम्मीद आत्माओ ं को तवशेष आत्मा
बना तदया। ऐसा नशा सदा रहिा है ? परमात्म िायरेक्टरी के तवशेष वी.आई.पी. हम
हैं। इसतलए ही गायन है - भोलों का भगवान। है चिुरसज ु ान लेतकन पसन्द भोले ही
आिे हैं। दुतनया की बाहरमुखी चिुराई बाप को पसन्द नहीं। उन्हों का कतलयुग में राज्य
हैं। जहाूँ अभी-अभी लखपति अभी-अभी कखपति हैं। लेतकन आप सभी सदा के
तलए पद्मापद्पति बन जािे हो। भय का राज्य नहीं। तनभटय हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 111 ]

सदा अपने को पद्मापद्म भाग्यवान अनुभव करिे हो? क्योंतक बाप द्वारा वसाट तमला
है। िो वसे में तकिने अतवनाशी खज़ाने तमले हैं ? जब खज़ाने अतवनाशी हैं िो भाग्य
की स्मृति भी अतवनाशी चातहए। अतवनाशी का अथट क्या है ? सदा या कभी-कभी?
सदा अपने को पद्मापद्म भाग्यवान आत्मायें हैं-यह स्मृति में रखो और खज़ानों को सदा
सामने इमजट रूप में रखो। तकिने खज़ाने तमले हैं ? अगर सदा खज़ानों को सामने रखेंगे
िो नशा वा खुशी भी सदा रहेगी और कभी भी कम-ज्यादा नहीं रहेगी, बेहद की रहेगी।
िो खज़ाने को बढ़ाओ भी और इमजट रूप में भी रखो।

आज भाग्य तवधािा बाप अपने चारों ओर के पद्मापद्म भाग्यवान बच्चों को देख रहें
हैं। हर एक बच्चे के मस्िक पर भाग्य का चमकिा हुआ तसिारा देख हतषटि हो रहें हैं।
सारे कल्प में ऐसा कोई बाप हो नही सकिा तजसके इिने सभी बच्चे भाग्यवान हों।
नम्बरवार भाग्यवान होिे हुए भी दुतनया के आजकल के श्रेष्ठ भाग्य के आगे लास्ट
नम्बर भाग्यवान बच्चा भी अति श्रेष्ठ है। इसतलए बेहद के बापदादा को सभी बच्चों
के भाग्य पर नाज़ है। बापदादा भी सदा - वाह मेंरे भाग्यवान बच्चे , वाह एक लगन में
मगन रहने वाले बच्चे , यही गीि गािे रहिे हैं।

आप ब्राह्मण श्रेष्ठ आत्माएं सारे वृक्ष के फाउण्िेशन हो। सवट आत्माओ ं के दादे परदादे
िो आप ही हो ना। आपकी यह शाखायें हैं। वृक्ष का फाउण्िेशन आप बड़े िे बड़े
ब्राह्मण हो। इसतलए हर धमट की आत्मायें तकसी न तकसी रूप में आप आत्माओ ं को
और आपके सगं मयुगी रीति रसम को अभी िक भी मनािे रहिे हैं। ऐसी परमपरा की
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 112 ]

पूज्य आत्माएूँ हो। परम-आत्मा से भी िबल पूज्य आप हो। ऐसे स्वयं को बड़े िे बड़े,
श्रेष्ठ िे श्रेष्ठ समझिे हुए म जों के तदन मना रहे हो ना! मनाने के तदन तकिने थोड़े से हैं।
कल्प के तहसाब से एक ही बड़ा तदन खबू मनाओ।

बापदादा का एक एक बच्चे से स्पेशल प्यार है ऐसे नहीं तक तसफट तनतमर्त् बनने वालों
से लेतकन एक-एक बच्चा कोटों में कोई िो है ही लास्ट नम्बर भी कोटो में कोई है। िो
जो कोटो में कोई है वह िो महान हो गया ना। लेतकन कै सा भी कोई हो लास्ट हो उसके
प्रति भी सदा उसको आगे बढ़ाने के तलए एक िो एक दो को स्वमान की दृति से देखो
हर एक का स्वमान है लास्ट नम्बर का भी स्वमान है कोटो में कोई है। प्रेजीिेंट से िो
अच्छा है। पहचाना िो है मेरा बाबा िो कहिा है। िो स्वमान में रहो और सम्मान दो।
एकिा लास्ट नम्बर भी एक बाबा का बच्चा है।

इिने सब बच्चे तवश्व के आगे परम-पूज्य हैं। चाहे नम्बरवार पुरुषाथी हैं तफर भी लास्ट
बच्चा भी दुतनया के आगे गायन योग्य और पज्ू यनीय है। लास्ट बच्चे का भी अभी
िक गायन और पूजन चल रहा है। एक बेहद के बाप के इिने बच्चे ऐसे योग्य बनिे हैं।
अब सोचो तक सभी तकिने पदमापद्म भाग्यशाली हैं। अब िक भी भक्त लोग आप
नम्बरवार देविा धमट की आत्माओ ं के दशटन के तलए प्यासे हैं। चेिन में ऐसे भाग्यशाली
बने हैं, ऐसे योग्य बने हैं िब िो अभी िक भी उनके दशटन के प्यासे हैं। इसतलए बाप-
दादा को 16 हज़ार की माला के लास्ट दाने पर भी नाज़ है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 113 ]

सदा अपने कल्प पहले के यादगार को देखिे हुए, सनु िे हुए नशा रहिा है तक यह हमारा
ही गायन हो रहा है , तकसी भी यादगार स्थान पर जािे यह नशा रहिा है तक यह हमारा
यादगार है। यही वन्िरफुल बाि है जो चैिन्य में अपने जड़ यादगार देख रहे हैं। एक
ु ार रहे हैं , पज्ू य
िरफ जड़ तचि हैं दूसरे िरफ हम गप्तु चैिन्य में हैं। तकिने भक्त हमें पक
समझने से भक्तों पर रहम आयेगा। भक्त हैं तभखारी और आप हो सम्पन्न। िो भक्तों को
देख िरस आिा है ? इच्छा उत्पन्न होिी है तक भक्तों को भतक्त का फल तदलाने के
तनतमर्त् बनें? सेवा का सदा उमंग उत्साह रहिा है?

सगं मयुग पुरूषोर्त्म युग है, इस युग में पाटट बजाने वाले भी पुरूषोर्त्म हुए ना। दुतनया
की सवट आत्मायें आपके आगे साधारण हैं , आप अल तकक और न्यारी आत्मायें हो!
वह अज्ञानी हैं, आप ज्ञानी हो। वह शूि हैं, आप ब्राह्मण हो। वह दु:खधाम वाले हैं और
आप सगं मयुग वाले हो। सगं मयुग भी सख ु धाम है। तकिने दु:खो से बच गये हो! अभी
साक्षी होकर देखिे हो तक दुतनया तकिनी दु:खी है और उनकी भेंट में आप तकिने
ु ी हो! फकट मालूम होिा है ना! िो सदा हम पुरूषोर्त्म युग की पुरूषोर्त्म आत्मायें ,
सख
सखु स्वरूप श्रेष्ठ आत्मायें हैं, इसी स्मृति में रहो।

सदा 'दृढ़िा सफलिा की चाबी है ' - इस तवतध से वृतद्ध को प्राप्त करने वाली श्रेष्ठ
आत्मा हूँ, ऐसा अनुभव होिा है ना। दृढ़ सक
ं ल्प की तवशेषिा कायट में सहज सफल
बनाए तवशेष आत्मा बना देिी है और कोई भी कायट में जब तवशेष आत्मा बनिे हैं िो
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 114 ]

सबकी दुआयें स्वि: ही तमलिी हैं। स्थूल में कोई दुआयें नहीं देिा लेतकन यह सक्ष्ू म हैं
तजससे आत्मा में शतक्त भरिी है और स्व - उन्नति में सहज सफलिा प्राप्त होिी है। िो
सदा दृढ़िा की महानिा से सफलिा को प्राप्त करने वाली और सवट की दुआयें लेने
वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ - इस स्मृति से आगे बढ़िे चलो।

आप सब भी इस महान युग के परमात्म भाग्य को प्राप्त करने वाले पदमापदम


भाग्यवान हो ना! ऐसे अपने श्रेष्ठ भाग्य के रूहानी नशे और भाग्य को जानिे , अनुभव
कर रहे हो ना! खश
ु ी होिी है ना! तदल में क्या गीि गािे हो? वाह मेरा भाग्य वाह!
क्योंतक इस समय के श्रेष्ठ भाग्य के आगे और कोई भी युग में ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त हो
नहीं सकिा। िो बोलो, सदा अपने भाग्य को स्मृति में रखिे हतषटि होिे हो ना! होिे
हो? जो समझिे हैं तक सदा हतषटि होिे हैं , कभी-कभी वाले नहीं, जो सदा हतषटि रहिे
हैं वह हाथ उठाओ। सदा, सदा....। अण्िरलाइन करना सदा।

सभी अपने को बापदादा के तदलिख्ि नशीन अनुभव करिे हो ? ऐसा श्रेष्ठ स्थान कभी
भी नहीं तमलेगा। सियुग में हीरे सोने का तमलेगा लेतकन तदलिख्ि नहीं तमलेगा। िो
सबसे श्रेष्ठ आप ब्राह्मण और आपका श्रेष्ठ स्थान तदलिख्ि। इसतलए ब्राह्मण चोटी
अथाटि् ऊंचे िे ऊंचे हैं। इिना नशा रहिा है तक हम िख्िनशीन हैं? िाज भी हैं, िख्ि
भी है, तिलक भी है। िो सदा िाज, िख्ि, तिलकधारी रहिे हो? स्मृति भव का
अतवनाशी तिलक लगा हुआ है ना? सदा इसी नशे में रहो तक सारे कल्प में जमारे
जैसा कोई भी नहीं। यही स्मृति सदा नशे में रखेगी और खुशी में झूमिे रहेंगे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 115 ]

कभी सोचा था तक रोज भगवान का वरदान तमलेगा? इिने वरदान तकसी को भी,
कभी भी नहीं तमल सकिे। लेतकन आप िो कहिे हो हमारा िो अतधकार है। वसे पर
भी, पढ़ाई पर भी और वरदान पर भी। छोटी बाि नहीं है , बहुि बड़ी है! िीनों ही
सम्बन्ध से िीनों के ऊपर अपना अतधकार प्राप्त कर तलया ना? सभी फखुर से कहिे
हैं ना-बाप मेरा है। ये कहिे हो क्या तक मेरा नहीं, िेरा है? हमारे तलये बाप पढ़ाने आिा
है-ये समझिे हो ना? िो पढ़ाई पर अतधकार है ना? और वरदािा के पास वरदान है ही
तकसके तलये? हरेक सोचिा है तक मेरे तलये ही वरदािा बाप है। िो िीनों पर अतधकार
है।

और जो भी हद के गुरू होिे हैं तकिने वरदान देिे हैं , एक या दस, ज्यादा नहीं देिे हैं।
लेतकन आपको सिगुरू द्वारा रोज़ वरदान तमलिा है। ऐसा गुरू कब देखा? नहीं देखा
ना! आप लोगों ने ही देखा लेतकन कल्प-कल्प देखा। िो सदा अपने भाग्य की प्रातप्तयों
को सामने रखो। तसफट बुतद्ध में मजट नहीं रखो, इमजट करो। मजट रखने के सस्ं कार को
बदलकर इमजट करो। अपनी प्रातप्तयों की तलस्ट सदा बुतद्ध में इमजट रखो। जब प्रातप्तयों
की तलस्ट इमजट होगी िो तकसी भी प्रकार का तवघ्न वार नहीं करेगा। वह मजट हो
जायेगा और प्रातप्तयां इमजट रूप में रहेंगी।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 116 ]

आज ब्राह्मण पररवार के रचिा अपने चारों ओर के पररवार को देख रहे हैं। है छोटा सा
पररवार, छोटा सा संसार है लेतकन बहुि प्यारा है क्योंतक कोटों में से कोई है। क्यों
प्यारे हैं? क्योंतक बाप को पहचाना है। बाप से वसे के अतधकारी बने हैं। िो जै से बाप
प्यारे हैं वैसे यह ब्राह्मण पररवार भी प्यारा है। बापदादा ने जन्मिे ही हर बच्चे के मस्िक
में भाग्य के तसिारे को चमकाया है इसतलए यह छोटा सा सस ं ार अति प्यारा है। आप
सभी भी अपना इिना स्वमान जानिे हो ना! बापदादा भी एक-एक बच्चे को देख खुश
होिे हैं और क्या गीि गािे हैं ? वाह बच्चे वाह!

बेहद के बाप को बच्चों को देख रूहानी नशा वा फखुर है तक एक-एक बच्चा इस


तवश्व के आगे तवशेष आत्माओ ं की तलस्ट में है! चाहे 16,000 की माला का लास्ट
मणका भी है, तफर भी, बाप के आगे आने से, बाप का बनने से तवश्व के आगे तवशेष
आत्मा है। इसतलए, चाहे और कुछ भी ज्ञान के तवस्िार को जान नहीं सकिे लेतकन
एक शब्द 'बाबा' तदल से माना और तदल से औरों को सनु ाया िो तवशेष आत्मा बन
गये, दुतनया के आगे महान आत्मा बन गये, दुतनया के आगे महान आत्मा के स्वरूप
में गायन-योग्य बन गये। इिना श्रेष्ठ और सहज भाग्य है , समझिे हो? क्योंतक बाबा
शब्द है 'चाबी'।

बापदादा जब बच्चों की सभा को देखिे हैं िो िीन रूपों से देखिे हैं: - 1- विटमान
स्वराज्य अतधकारी, अभी भी राजे हो। ल तकक में भी बाप बच्चों को कहिे हैं मेरे राजे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 117 ]

बच्चे, राजा बच्चा। चाहे गरीब भी हो िो भी कहिे हैं राजा बच्चा। लेतकन बाप विटमान
सगं म पर भी हर बच्चे को स्वराज्य अतधकारी राजा बच्चा देखिे हैं। राजे हो ना!
स्वराज्य अतधकारी। िो विटमान स्वराज्य अतधकारी। 2- भतवष्य में तवश्व राज्य
अतधकारी और 3- द्वापर से कतलयुग अन्ि िक पूज्य, पूजन के अतधकारी - इन िीनों
रूपों में हर बच्चे को बापदादा देखिे हैं। साधारण नहीं देखिे हैं।

सारे कल्प में सबसे रॉयल आप श्रेष्ठ आत्माएं ही हो। अनातद आतत्मक स्वरूप में भी
सबसे श्रेष्ठ रॉयल आत्मायें हो और आतद स्वरूप देव आत्माओ ं के रूप में भी रॉयल
राज्य अतधकारी रॉयल फैमली हो। पूज्य रूप में भी आप देव आत्माओ ं की तकिनी
रॉयल्टी से पूजा होिी रहिी है और तकसी भी अन्य धमट आत्मा वा राजनीतिक
आत्माओ ं की ऐसी रॉयल पूजा नहीं होिी। िो िीनों रूपों में - अनातद, आतद और पूज्य
स्वरूप ऐसे रॉयल और कोई भी नहीं हैं। क्योंतक आप आत्माओ ं की प्योररटी की ही
ू ट पतवि और कोई भी आत्मा सारे कल्प में न ही बनी है, न
रॉयल्टी है। ऐसे सम्पण
बनेगी।

प्रातप्तयों को सदा सामने रखो िो प्रातप्त के स्मृति स्वरूप से कमज़ोररयाूँ सहज समाप्त
हो जायेंगी। अमृिवेले से लेकर क्या-क्या प्राप्त होिा है ? अगर कोई पछ ू े आपको
अमृिवेले क न उठािा है? कोई समझेगा तक परमात्मा इन्हों को उठािा है? हंसेंगे तक
परमात्मा आपके तलये बहुि फ्री बैठा है क्या? पढ़ाने के तलये भी फ्रीहै, उठाने के तलये
भी फ्री है? िो फलक से कहिे हो ना तक है ही हमारे तलये। कोई बुजुगट मािाओ ं से पूछे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 118 ]

- आपका टीचर क न है िो क्या कहेंगी? परमात्मा हमें पढ़ािा है! आश्चयट की बाि है
ना! परमात्मा को और कोई स्टूिेण्ट नहीं तमले! अच्छा!

यह न्यारा और प्यारा अल तकक हीरे िुल्य जन्म आज आप मना रहे हो। साथ-साथ
सभी को यह भी न्यारा और प्यारा-पन स्मृति में है तक यह अल तकक जन्म ऐसा तवतचि
है जो स्वयं भगवान बाप बच्चों का मना रहे हैं। परम आत्मा बच्चों का, श्रेष्ठ आत्माओ ं
का जन्म-तदवस मना रहे हैं। दुतनया में कहने माि कई लोग कहिे हैं तक हमको पैदा
करने वाला भगवान है , परम-आत्मा है। परन्िु न जानिे हैं, न उसी स्मृति में चलिे हैं।
आप सभी अनुभव से कहिे हो - हम परमात्म-वश ं ी हैं, ब्रह्मा-वश
ं ी हैं। परम आत्मा
हमारा जन्म-तदवस मनािे हैं। हम परमात्मा का जन्म-तदवस मनािे हैं।

सदा सफलिा के चमकिे हुए तसिारे हैं , यह स्मृति रहिी है? आज भी इस आकाश के
तसिारों को सब तकिने प्यार से देखिे हैं क्योंतक रोशनी देिे हैं , चमकिे हैं इसतलए प्यारे
लगिे हैं। िो आप भी चमकिे हुए तसिारे सफलिा के हो। सफलिा को सभी पसन्द
करिे हैं, कोई प्राथटना भी करिे हैं िो कहिे - यह कायट सफल हो। सफलिा सब मांगिे
हैं और आप स्वयं सफलिा के तसिारे बन गये। आपके जड़ तचि भी सफलिा का
वरदान अभी िक देिे हैं , िो तकिने महान हो, तकिने ऊूँच हो, इसी नशे और तनश्चय में
रहो। सफलिा के पीछे भागने वाले नहीं लेतकन मास्टर सवटशतक्तवान अथाटि् सफलिा
स्वरूप।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 119 ]

ये अल तकक जयन्िी सारे कल्प में नहीं होिी है। क्योंतक सारे कल्प में चाहे देव आत्मा
हो, चाहे महात्मा हो, चाहे साधारण आत्मायें हो लेतकन आत्मायें , आत्मा की जयन्िी
मनािे हैं। और इस सगं म पर आप श्रेष्ठ आत्मायें तकसकी जयन्िी मनाने आये हो? परम
आत्मा की और परम आत्मा बाप बच्चों की जयन्िी मनािे हैं। सियुग-िेिा में भी परम
आत्मा आपकी जयन्िी नहीं मनायेंगे वा आप परमात्मा की जयन्िी नहीं मनायेंगे। िो
तकिने पद्म-पद्म-पद्म गुणा भाग्यवान आत्मा हो। ऐसे कभी अपने श्रेष्ठ भाग्य को स्वप्न
में भी सोचा होगा? नहीं सोचा? लेतकन आज साकार रूप में मना रहे हैं।

सभी मधुबन महान िीथट पर मेला मनाने के तलए चारों ओर से पहुूँच गये हैं। इसी महान
िीथट के मेले की यादगार अभी भी िीथट स्थानों पर मेले लगिे रहिे हैं। इसी समय का
हर श्रेष्ठ कमट का यादगार चररिों के रूप में , गीिों के रूप में अभी भी देख और सनु रहे
हो। चैिन्य श्रेष्ठ आत्मायें अपना तचि और चररि देख सनु रही हैं। ऐसे समय पर बुतद्ध
ं ल्प चलिा है? समझिे हो ना तक हम ही थे , हम ही अब हैं। और
में क्या श्रेष्ठ सक
कल्प-कल्प हम ही तफर होंगे। यह "तफर से" की स्मृति और नालेज और तकसी भी
आत्मा को, महान आत्मा को, धमट आत्मा को वा धमट तपिा को भी नहीं है।

सदा अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान समझिे हो? भाग्य में क्या तमला? भगवान ही भाग्य में
तमल गया! स्वयं भाग्य तवधािा भाग्य में तमल गया। इससे बड़ा भाग्य और क्या हो
सकिा है ? िो सदा ये खुशी रहिी है तक तवश्व में सबसे बड़े िे बड़े भाग्यवान हम
आत्मायें हैं। हम नहीं, हम आत्मायें। आत्मायें कहेंगे िो कभी भी उल्टा नशा नहीं
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 120 ]

आयेगा। देही-अतभमानी बनने से श्रेष्ठ नशा - ईश्वरीय नशा रहेगा। भाग्यवान आत्मायें
हैं, तजन्हों के भाग्य का अब भी गायन हो रहा है। 'भागवि' - आपके भाग्य का यादगार
है। ऐसा अतवनाशी भाग्य जो अब िक भी गायन होिा है, इसी खुशी में सदा आगे
बढ़िे रहो।

बाप बच्चों के भाग्य को देख हतषट ि होिे हैं वाह मे रे श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चे वाह! जो बाप
के साथ-साथ अविररि हुए तवश्व के अन्धकार को तमटाने के तलए। सारे कल्प में ऐसा
बथट िे तकसी का भी नहीं हो सकिा, जो आप बच्चे परमात्म बाप के साथ मना रहे
हो। इस अल तकक अति न्यारे , अति प्यारे जन्म तदन को भक्त आत्मायें भी मनािी हैं
लेतकन आप बच्चे तमलन मनािे हो और भक्त आत्मायें तसफट मतहमा गािे रहिे हैं।
मतहमा भी गािे, पुकारिे भी, बापदादा भक्तों की मतहमा और पुकार सनु कर उन्हें भी
नम्बरवार भावना का फल देिे ही हैं। लेतकन भक्त और बच्चे दोनों में महान अन्िर है।

सभी चलिे तफरिे सदा ये अनुभव करिे हो तक हम तवश्व की सवट आत्माओ ं के पवू टज
हैं? आपसे ही सब तनकले हैं ना? िो सबसे बड़े िे बड़े पूवटज आप आत्मायें हो। पूवटज
स्वरूप से सदा तवश्व की सवट आत्माओ ं को रहम की भावना से देखिे , वरदानी बन
शुभ भावना और शुभ कामना का वरदान देिे रहो। साधारण नहीं, पूवटज हैं। पूवटज
अथाटि् रहमतदल आत्मा। रहम की भावना, शुभ भावना यही तवश्व की आवश्यकिा
है। िो सभी अपने को ऐसा तवश्व का पूवटज समझिे हो या कभी-कभी अपने को
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 121 ]

साधारण समझ लेिे हो? जैसे ब्रह्मा बाप ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ि फादर है िो ब्राह्मण क्या हैं ?
पवू टज हैं ना? समझा?

सगं म पर हरेक आत्मा का भाग्य अपना-अपना है। और हरेक का श्रेष्ठ भाग्य है। क्यों?
क्योंतक जब श्रेष्ठ िे श्रेष्ठ बाप के बच्चे बने िो श्रेष्ठ भाग्य हो गया ना। न इससे कोई बाप
श्रेष्ठ है, न इससे कोई भाग्य श्रेष्ठ है। ऊूँचे िे ऊूँचा बाप। यही याद रहिा है ना! भाग्य
तवधािा मेरा बाप है। इससे बड़ा नशा और क्या हो सकिा है। ल तकक रीति से बच्चे
को नशा रहिा - मेरा बाप इन्जीतनयर है, िाक्टर है, जज है या प्राइम तमतनस्टर है।
लेतकन आपको नशा है तक हमारा बाप 'भाग्यतवधािा' है। ऊूँचे िे ऊूँचा भगवान है।
यही नशा सदा रहिा है या कभी कभी भूल जािे हो? भाग्य को भूला िो क्या होगा?

चाहे लास्ट नम्बर भी हो तफर भी बापदादा का उस बच्चे पर भी अति प्यार है। क्यों?
ऐसे बच्चे कोई बाप को तमलने हैं ? एक ही बापदादा है , तजसको ब्राह्मण बच्चे तमलिे
हैं। कोई भी महात्मा हो, महामण्िेश्वर हो, धमटतपिा हो, कोई को भी ऐसे बच्चे तमले
हैं? जो हर बच्चा कहे मेरा बाबा। है कोई, तहस्िी में है? इसीतलए बापदादा हर बच्चे
के महत्व को जानिे हैं। बच्चे कहिे हैं हम गीि गािे हैं वाह बाबा वाह! बाप कहिे हैं
आपसे भी 100 गुणा ज्यादा बाप गीि गािा है , वाह बच्चे वाह! ठीक है ना! वाह वाह
हो ना! मधबु न वाले वाह वाह बच्चे हो ना! पीछे वाले वाह वाह बच्चे हो ना! अच्छा।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 122 ]

ब्रह्मा - भोजन तखलािा क न है ? नाम ही है - 'ब्रह्मा - भोजन'। ब्रह्मभोजन नहीं, ब्रह्मा


भोजन। िो ब्रह्मा यज्ञ का सदा रक्षक है। हर एक यज्ञ - वत्स वा ब्रह्मा - वत्स के तलए
ब्रह्मा बाप द्वारा ब्रह्मा - भोजन तमलना ही है। लोग िो वैसे ही कहिे तक हमको भगवान
तखला रहा है। मालूम है नहीं भगवान क्या,लेतकन तखलािा भगवान है। लेतकन ब्राह्मण
बच्चों को िो बाप ही तखलािा है। चाहे ल तकक कमाई भी करके पैसे जमा करिे ,
उसी से भोजन मंगािे भी हो लेतकन पहले अपनी कमाई भी बाप की भण्िारी में िालिे
हो। बाप की भण्िारी भोलानाथ का भण्िारा बन जािा है। कभी भी इस तवतध को
भलू ना नहीं।

एक-एक बच्चा, एक दो से अतधक तप्रय है। सभी में अपनी-अपनी तवशेषिायें हैं। चाहे
लास्ट नम्बर भी है लेतकन बाप का िो बच्चा ही है। कै से भी बच्चे हैं लेतकन तफर भी
त्याग और भाग्य िो पा तलया है ना। इसतलए सभी अपने को बाप के तप्रय समझो।
चाहे नम्बरवार हैं लेतकन याद-प्यार िो सबको तमलिा है। बापदादा सबको तसक व
प्रेम से याद-प्यार देिे हैं। तसक व प्रेम सभी के तलए एक जैसा है। सभी तसकीलधे स्ने ही,
बाप की भज ु ायें हो। इसतलए अपनी भज ु ायें िो जरूर तप्रय लगेंगी ना। अपनी भज
ु ायें
अतप्रय होिी हैं क्या! लास्ट नम्बर भी िो कोटो में कोई है ना! िो कोटो से िो तप्रय हो
ही गये ना!

आप सब सच्ची सुहातगन तवश्व के अन्दर सवट श्रेष्ठ आत्मायें गाई और पूजी जािी हो -
आज का तवश्व आप सदा सहु ातगन के जड़ तचिों को देख खुश होिा तक यह आत्मायें
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 123 ]

अमरनाथ अथाटि् पति परमेश्वर की सच्ची पावटतियाूँ हैं। आप सच्ची सहु ातगन आत्मायें
सदा स्मृति के तिलकधारी और मयाटदाओ ं के कंगनधारी आत्मायें , सदा तदव्य गुणों
के श्रृंगार से सजी सजाई आत्मायें , आप सदा सहु ातगन आत्मायें सदा सवट खज़ानों से
सम्पन्न और तवश्व के पररविटन के श्रेष्ठ कायट वा शुभ कायट के तनतमर्त् हो - संगम- युग
के इस श्रेष्ठ वा अतवनाशी बेहद के सहु ाग की रीति रसम हद के सहु ाग में भी चलिी
आ रही है।

इसी - मैं क न के क्वेश्चन में सारा ज्ञान आ जािा है। मैं क न, इसी प्रश्न के उर्त्र तनकालो
िो तकिनी तलस्ट बन जायेगी। अभी अभी सेकेण्ि में अगर स्मृति में लाओ िो तकिने
टाइटल्स याद आ जायेंगे। क्योंतक कमट के आधार पर सबसे ज्यादा टाइटल्स वह
आपके भी टाइटल्स। सबमें मास्टर हो गये ना। सारे कल्प के अन्दर टाइटल्स की तलस्ट
इिनी बड़ी तकसकी भी नहीं होगी। देविाओ ं की भी नहीं है। तसफट अपने टाइटल्स
तलखने लगो िो छोटा सा पस्ु िक बन सकिा है। यह इस सगं म के टाइटल्स आपकी
तिग्री हैं। उन्हों की तिग्री भले तकिनी भी बड़ी हो लेतकन आप लोगों के आगे वह कुछ
नहीं है। इिना नशा रहिा है ?

जैसे महान् आत्मा जो बनिे हैं वह कभी भी तकसी के आगे झक


ु िे नहीं हैं। उनके आगे
सभी झक ु िे हैं िब उसको महान आत्मा कहा जािा है। जो आजकल के ऐसे ऐसे महान्
आत्माओ ं से भी महान्, श्रेष्ठ आत्मायें , जो बाप की चुनी हुई आत्मायें हैं, तवश्व के
राज्य के अतधकारी हैं , बाप के वसे के अतधकारी हैं , तवश्व-कल्याणकारी हैं - ऐसी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 124 ]

आत्मायें कहां भी, कोई भी पररतस्थति में वा माया के तभन्न-तभन्न आकषटण करने
ु ा सकिे हैं ? आजकल के कहलाने वाले
वाले रूपों में क्या अपने आप को झक
महात्माओ ं ने िो आप महान् आत्माओ ं की कॉपी की है। िो ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें कहां
भी, तकसी रीति झक
ु नहीं सकिीं।

दुतनया के लोग कहिे हैं भगवान ने हमको रचा लेतकन न भगवान का पिा है, न रचना
का पिा है। आप हर एक भाग्यवान बच्चा अनुभव और फ़खुर से कहिे हो तक हम
तशव वंशी ब्रह्माकुमार ब्रह्माकुमाररयां हैं। हमको मालूम है तक हमें बापदादा ने कै से
रचा! चाहे छोटा बच्चा है , चाहे बुजुगट पाण्िव है, शतक्तयां हैं तकसी से भी पूछेंगे
आपका बाप क न है , िो क्या कहेंगे? फ़लक से कहेंगे ना तक हमको तशव बाप ने
ब्रह्मा बाप द्वारा रचा इसतलए हम भगवान के बच्चे हैं। भगवान से िायरेक्ट तमलिे हैं ,
न तसफट परम आत्मा वा भगवान हमारा बाप है लेतकन वह बाप भी है , तशक्षक भी है
और सिगुरू भी है। सबको यह नशा है ?

आज बापदादा अपने चारों ओर के राज दुलारे बच्चों को देख रहे हैं। यह परमात्म
दुलार आप कोटों में कोई श्रेष्ठ आत्माओ ं को ही प्राप्त है। हर एक बच्चे के िीन राज
िख्ि देख रहे हैं। यह िीन िख्ि सारे कल्प में इस सगं म पर ही आप बच्चों को प्राप्त
होिे हैं। तदखाई दे रहे हैं िीन िख्ि? एक िो यह भ्रकुटी रूपी िख्ि, तजस पर आत्मा
चमक रही है। दूसरा िख्ि है - परमात्म तदल िख्ि। तदल िख्ि नशीन हो ना! और
िीसरा है - भतवष्य तवश्व िख्ि। सबसे भाग्यवान बने हो तदल िख्िनशीन बनने से। यह
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 125 ]

परमात्म तदल िख्ि आप िकदीरवान बच्चों को ही प्राप्त है। भतवष्य तवश्व का राज्य
िख्ि िो प्राप्त होना ही है।

अगर लास्ट आये हो िो फास्ट जाना है। लेतकन सम्पन्न होने का, समातप्त का समय
सबका एक ही है इसतलये चाहे नये हो या पुराने हो लेतकन मैं स्वराज्य अतधकारी
आत्मा हूँ-सदा स्मृति का तिलक लगा हुआ ही है। कभी तमट जाये , कभी लगा हुआ
हो......। नहीं, राज्य अतधकारी अथाटि् तिलकधारी-इस स्मृति का तिलक अतवनाशी
रहे, साधारण नहीं। मैं तिलकधारी हूँ, मैं तवश्व कल्याण के तजम्मेवारी का िाजधारी हूँ।
तकिना बड़ा तवश्व है और आप सभी तवश्व कल्याणकारी हो। अके ला बाप नहीं है। बाप
के साथी आप सभी हो। िो तवश्व कल्याण की तजम्मेवारी के िाजधारी और सदा बाप
के तदलिख्िनशीन। नीचे नहीं आना। सदा िख्िनशीन।

सदा मैं तवश्व-कल्याणकारी आत्मा हूँ-इस स्मृति में रहने से जो भी कमट करें गे वह
कल्याणकारी करेंगे। कल्याणकारी समझने से सगं मयुग जो कल्याणकारी है वह भी
याद आिा है और कल्याणकारी बाप भी स्वि: याद आिा है। तसफट कल्याणकारी
नहीं, तवश्व-कल्याणकारी बनना है। सबसे बड़े भाग्य की तनशानी यह है जो सगं मयुग
पर साधारण आत्मा बने हो। अगर साहकार होिे िो बाप के नहीं बनिे , तसफट कतलयुग
की साहकारी ही भाग्य में तमलिी। िो साधारण बनना अच्छा है ना। स्थूल धन से
साधारण हो लेतकन ज्ञान-धन से साहकार हो। िो खश ु ी है ना तक बाप ने सारे तवश्व में
से हमें अपना बनाया। सारा तदन खुशी में रहिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 126 ]

हर एक ब्राह्मण के मस्िक पर भाग्य का तसिारा चमक रहा है। नम्बरवार होिे हुए भी
हर एक के तसिारे में भगवान को पहचानने और बनने के श्रेष्ठ भाग्य की चमक है। तजस
बाप को ऋतष, मुतन, िपस्वी नेिी-नेिी कहके चले गये , उस बाप को ब्राह्मण संसार
की भोली-भाली आत्माओ ं ने जान तलया, पा तलया। यह भाग्य तकन आत्माओ ं को
प्राप्त होिा है? जो साधारण आत्मायें हैं। बाप भी साधारण िन में आिे हैं , िो बच्चे भी
साधारण आत्मायें ही पहचानिी हैं। आज की इस सभा में देखो,क न बैठे हैं? कोई
अरब-खरबपति बैठे हैं? साधारण आत्माओ ं का ही गायन है। बाप गरीब-तनवाज गाया
हुआ है। अरब- खरबपति तनवाज नहीं गाया हुआ है।

बाप दादा िो मास्टर तशक्षक को बहुि श्रेष्ठ नजर से देखिे हैं, वैसे िो सवट ब्राहमण श्रेष्ठ
िे श्रेष्ठ हैं लेतकन जो मास्टर तशक्षक बन अपने तदल व जान, तसक व प्रेम से तदन राि
सच्चे सेवक बन सेवा करिे वह तवशेष में तवशे ष और तवशेष में भी तवशेष हैं। इिना
अपना स्वमान सदा स्मृति में रखिे हुए सक
ं ल्प,बोल और कमट में आओ। सदा यही
याद रखना तक हम नयनों के नूर हैं। मस्िक की मतण हैं , गले के तवजय माला के मणके
हैं और बाप के होठों की मुस्कान हम हैं। ऐसे सवट चारों ओर से आये हुए छोटे -छोटे और
बड़े तप्रय फ्रेंिस को वा जो भी सभी बच्चे आये हैं ,वह सभी अपने-अपने नाम से अपनी
याद स्वीकार करना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 127 ]

आप सभी भी स्नेह के गीि गािे हो। बापदादा भी बच्चों के स्नेह के गीि गािे हैं। सबसे
बड़े िे बड़ा स्नेह का गीि रोज बापदादा गािे हैं। तजस गीि को सनु -सनु सभी स्नेही
बच्चों का मन खुशी में नाचिा रहिा है। रोज गीि गािे इसीतलए यादगार में भी गीि
का महत्व श्रेष्ठ रहा है। बाप के गीि का यादगार - 'गीिा' बना दी। और बच्चों के गीि
सनु खश
ु ी में नाचने और खश ु ी में , आनन्द में, सख
ु में तभन्न-तभन्न अनुभवों के यादगार
- भागवि् बना तदया है। िो दोनों का यादगार हो गया ना। ऐसे श्रेष्ठ भाग्यवान अपने
को समझिे हो वा अनुभव करिे हो! समझने वाले अनेक होिे हैं लेतकन अनुभव करने
वाले कोटों में कोई होिे हैं।

अगर बार-बार तवघ्न आिे हैं और उसको तमटाने के तलए गुण और शतक्तयों का खचट
करिे हैं िो वह तकिना हुआ? और योगयुक्त अवस्था से बाप को साथी बनाकर सेवा
करने में पुण्य का खािा तकिना जमा हुआ? सबसे बड़े से बड़े मल्टीतमतलयनेर आप
हो। एक तदन में देखो तकिनी कमाई करिे हो? इिनी कमाई न फॉरेन में कोई कर
सकिा है , न भारि में कर सकिा है। िो मल्टी मल्टी लगािे जाओ जैसे तहसाब में
तबन्दी लगाओ िो बढ़ जािा है ना। एक के आगे एक तबन्दी लगाओ िो 10 हो जािा
है और दो तबन्दी लगाओ िो 100 हो जािा है और लगाओ िो हजार हो जािा है ,
तबन्दी की कमाल है। िो आप ऐसे तबन्दी लगािे जाओ, मल्टी मल्टी मल्टी-तमल्युनर
हो जाओ।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 128 ]

सभी अमूल्य रत्न हो। तकिने अमूल्य हो? इस दुतनया में ऐसा शब्द नहीं जो आपको
कहे! बहुि श्रेष्ठ रत्न हो, इसतलए द्वापर से जब आपके मंतदर बनिे है िो उसमे रत्न जड़िे
है, जि-तचिों को भी रत्नों से सजािे है। िो जब जड़-तचि इिने अमूल्य बने िो चैिन्य
में तकिने श्रेष्ठ हो, अमूल्य हो। और अपने राज्य में जब होंगे िो यह रत्न क्या होंगे! जैसे
यहाूँ पत्थर सजािे हो वैसे वही रत्न-जतड़ि महल होंगे। याद है अपने राज्य में क्या-क्या
तकया था? अनतगनि बार की बाि याद नहीं है! अपने विटमान समय को ही देखो िो
यह जीवन क ड़ी से क्या बन गई है ? हीरे िुल्य जीवन है ना! यह हीरे-रत्न आपके तलए
अनतगनि हो जायेंगे ।

सदा अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान समझिे हो? घर बैठे भाग्यतवधािा द्वारा श्रेष्ठ भाग्य तमल
गया। घर बैठे भाग्य तमलना - यह तकिनी खुशी की बाि है! अतवनाशी बाप,
अतवनाशी प्रातप्त करािे हैं। िो अतवनाशी अथाटि् सदा, कभीकभी नहीं। िो भाग्य को
देखकर सदा खुश रहिे हो? हर समय भाग्य और भाग्यतवधािा - दोनों ही स्वि: याद
रहें। सदा 'वाह, मेरा श्रेष्ठ भाग्य!' - यही गीि गािे रहो। यह मन का गीि है। तजिना यह
गीि गािे उिना सदा ही उड़िी कला का अनुभव करिे रहेंगे। सारे कल्प में ऐसा भाग्य
प्राप्त करने का यह एक ही समय है। इसतलये स्लोगन भी है 'अब नहीं िो कब नहीं'।
जो भी श्रेष्ठ कायट करना है , वह अब करना है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 129 ]

आप लोग तकिना म ज में रहिे हो। बेफकर बादशाह! तबन क ड़ी बादशाह! बेगमपुर
के बादशाह! ऐसी म ज में कोई रह न सके । दुतनया के साहकार से साहकार हो वा
दुतनया में नामीग्रामी कोई व्यतक्त हो, बहुि ही शास्त्रवादी हो, वेदों के पाठ पढ़ने वाले
हो, न धा भक्त हो, नम्बरवन साइन्सदान हो, कोई भी आक्यूपेशन वाले हो लेतकन
ऐसी म ज की जीवन नहीं हो सकिी। तजसमें मेहनि नहीं। मुहब्बि ही मुहब्बि है। तचंिा
नहीं। लेतकन शुभतचन्िक है,शुभतचन्िन है। ऐसी म ज की जीवन सारे तवश्व में चक्कर
लगाओ, अगर कोई तमले िो ले आओ। इसतलए गीि गािे हो ना। मधबु न में, बाप के
सस
ं ार में म जें ही म जें हैं। खाओ िो भी म ज, सोओ िो भी म ज।

सारे ड्रामा में अति श्रेष्ठ ससं ार है। क्योंतक ब्राह्मण सस


ं ार की हर गति-तवतध न्यारी और
तवशेष है। इस ब्राह्मण सस ं ार में ब्राह्मण आत्मायें भी तवश्व में से तवशेष आत्मायें हैं।
इसतलये ही ये तवशेष आत्माओ ं का सस ं ार है। हर ब्राह्मण आत्मा की श्रेष्ठ वृतर्त्, श्रेष्ठ
दृति और श्रेष्ठ कृति तवश्व की सवट आत्माओ ं के तलये श्रेष्ठ बनाने के तनतमर्त् है। हर
आत्मा के ऊपर ये तवशेष तजम्मेवारी है िो हर एक अपने इस तजम्मे वारी को अनुभव
करिे हो? तकिनी बड़ी तजम्मेवारी है! सारे तवश्व का पररविटन! न तसफट आत्माओ ं का
पररविटन करिे हो लेतकन प्रकृति का भी पररविटन करिे हो। ये स्मृति सदा रहे-इसमें
नम्बरवार हैं।

आज बापदादा हर एक छोटे -बड़े चारों ओर के देश-तवदेश के बच्चों का भाग्य देख


हतषटि हो रहे हैं। ऐसा भाग्य सारे कल्प में तसवाए ब्राह्मण आत्माओ ं के तकसी का भी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 130 ]

नहीं हो सकिा। देविायें भी ब्राह्मण जीवन को श्रेष्ठ मानिे हैं। हर एक अपने जीवन के
आतद से देखो तक हमारा भाग्य जन्मिे ही तकिना श्रेष्ठ है। जीवन में जन्मिे ही माूँ बाप
की पालना का भाग्य तमलिा है। उसके बाद पढ़ाई का भाग्य तमलिा है। उसके आगे
गुरू द्वारा मि वा वरदान तमलिा है। आप बच्चों को पालना, पढ़ाई और श्रीमि,
वरदान देने वाला क न? परम आत्मा द्वारा यह िीनों ही प्राप्त हैं। पालना देखो - परमात्म
पालना तकिने थोड़े कोटों में से कोई को तमलिी है।

ईश्वरीय नशे की मस्िी से कमाटिीि अवस्था का तनशाना अति समीप - आप श्रेष्ठ


आत्मायें ज्ञान सागर बाप द्वारा िायरेक्ट सवट प्रातप्त करने वाली हो और जो भी आत्मायें
हैं वह श्रेष्ठ आत्माओ ं के द्वारा कुछ न कुछ प्रातप्त करिी हैं, लेतकन आप िायरेक्ट बाप
द्वारा सवट प्रातप्त करने वाले हो, ऐसा श्रेष्ठ नशा रहिा है ? तजिना नशा होगा उिना अपना
कमाटिीि अवस्था का तनशाना नज़दीक तदखाई देगा। अगर नशा कम होगा िो तनशाना
भी दूर तदखाई देगा। इस ईश्वरीय नशे में रहने से दुखों की दुतनया को सहज ही भूल जािे
हैं, उस नशे में भी सब कुछ भूल जािा है ना िो इस ईश्वरीय नशे में रहने से सदाकाल
के तलए परु ानी दुतनया भल ू जािी।

आज अनातद बाप और आतद बाप अनातद शातलग्राम बच्चों को और आतद ब्राह्मण


बच्चों को िबल रूप से देख रहे हैं। शातलग्राम रूप में भी परम पूज्य हो और ब्राह्मण
सो देविा स्वरूप भी गायन और पूजन योग्य हो। दोनों - आतद और अनातद बाप दोनों
ही रूप से पज्ू य आत्माओ ं को देख हतषटि हो रहे हैं। अनातद बाप ने आतद तपिा सतहि
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 131 ]

अथाटि् ब्रह्मा बाप और ब्राह्मण बच्चों को अपने से भी ज्यादा िबल रूप में पूज्य बनाया
है। अनातद बाप की पूजा तसफट एक तनराकार रूप में होिी है लेतकन ब्राह्मा सतहि
ू ा "तनराकार'', "साकार'', - दोनों रूप से होिी है। िो बाप
ब्राह्मण बच्चों की पज
बच्चों को अपने से भी ज्यादा िबल रूप से महान मानिे हैं।

कभी स्वप्न में भी ऐसे भाग्य को सोचा था तक साकार रूप से िायरेक्ट प्रभु पररवार में
वाररस बन वसे के अतधकारी बनेंगे! वाररस बनना सबसे श्रेष्ठ िे श्रेष्ठ भाग्य है। कभी
सोचा था तक स्वयं बाप हम बच्चों के तलए हमारे समान साकार रूपधारी बन बाप
और बच्चे का वा सवट सम्बन्धों का अनुभव करायेंगे! साकार रूप में प्रभु पालना लेंगे!
यह कभी सक ं ल्प में भी नहीं था। लेतकन अभी अनुभव कर रहे हो ना! यह सब अनुभव
करने का भाग्य िब प्राप्त हुआ जब प्रभु पररवार के बने। िो तकिने ऊूँचे पररवार के
अतधकारी बच्चे बने। तकिनी पतवि पालना में पल रहे हो! कै से अल तकक प्रातप्तयों
के झूले में झूल रहे हो! यह सब अनुभव करिे हो ना।

आज बापदादा अपने चारों ओर से तवश्व के बाप के लव में लवलीन और लक्की


बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे के भाग्य पर बाप को भी नाज़ है तक मेरे बच्चे
विटमान समय इिने महान हैं जो सारे कल्प में चाहे देविा स्वरूप में , चाहे धमट नेिाओ ं
के रूप में, चाहे महात्माओ ं के रूप में, चाहे पदमपति आत्माओ ं के रूप में तकसी का
भी इिना भाग्य नहीं है तजिना आप ब्राह्मणों का भाग्य है। िो अपने ऐसे श्रेष्ठ भाग्य को
सदा स्मृति में रखिे हो? सदा यह अनहद गीि मन में गािे रहिे हो तक वाह भाग्य
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 132 ]

तवधािा बाप और वाह मुझ श्रेष्ठ आत्मा का भाग्य! यह भाग्य का गीि सदा
आटोमेतटक बजिा रहिा है ?बाप बच्चों को देख-देख सदा हतषटि होिे हैं।

सभी अपने को इस ड्रामा के अन्दर पाटट बजाने वाली श्रेष्ठ पाटट धारी आत्मायें अनुभव
करिे हो? जैसे बाप ऊंचे िे ऊंचा है, ऐसे ऊंचे िे ऊंचा पाटट बजाने वाली आप श्रेष्ठ
आत्माए हो। िबल हीरो हो। हीरे िुल्य जीवन भी है और हीरो पाटट धारी भी हो। िो
तकिना नशा हर कमट में होना चातहए! अगर स्मृति में यह श्रेष्ठ पाटट है, िो जैसी स्मृति
होिी है वैसी तस्थति होिी है और जैसी तस्थति होगी वैसे कमट होंगे। िो सदा यह स्मृति
रहिी है? जैसे शरीर रूप में जो भी हो, जैसा भी हो-वह सदा याद रहिा है ना। िो
आत्मा का ऑक्यूपेशन, आत्मा का स्वरूप जो है , जैसा है-वह भी याद रहना चातहए
ना। शरीर तवनाशी है लेतकन उसकी याद अतवनाशी रहिी है।

आप पवू टजों की वृतर्त् तवश्व के वािावरण को पररविट न करने वाली है। आप पवू टजों
की दृति सवट वंशावली को ब्रदरहुि की स्मृति तदलाने वाली है। आप पवू टजों की बाप
की स्मृति, सवट वंशावली को स्मृति तदलायेगी तक हमारा बाप आया है। आप पूवटजों
के श्रेष्ठ कमट वश
ं ावली को श्रेष्ठ चररि अथाटि् चररि तनमाकट ण की शुभ आशा उत्पन्न
करेंगे। सबकी नजर आप पूवटजों को ढूंढ रही है। अब बेहद के स्मृति स्वरूप बनो। िो
हद की व्यथट बािें स्वि: ही समाप्त हो जायेंगी। उल्टे वृक्ष के तहसाब से बीज के साथ
िना भी ऊपर ऊंचा है। िायरेक्टर बीज और मुख्य दो पर्त्े , तिमूतिट के साथ समीप के
सम्बन्ध वाले िना हो। तकिनी ऊंची स्टे ज हो गई।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 133 ]

एक-एक रत्न बहुि-बहुि वैल्यबु ुल है। बापदादा सदा एक-एक रत्न के तवशेषिाओ ं की
माला जपिे हैं। तवशेषिायें हैं िब तवशेष आत्मायें गाई हुई हैं। तसफट उस तवशेषिाओ ं
को सदा कायट में लगािे रहो। बापदादा हर एक के तवशे षिाओ ं की माला दोहरािे रहिे
हैं और यही गीि गािे - वाह मेरे तवशेष रत्न वाह! इसीतलए कहा ना तक बापदादा सदा
बच्चों की याद में रहिे हैं। बच्चे , महान हैं और अपनी महानिा से तवश्व को महान बनाने
वाले हैं। तकिनी मतहमा है? जैसे बच्चे बाप की मतहमा करिे हैं वैसे बाप भी हर बच्चे
की मतहमा करिे हैं। रूहानी नशा रहिा है ना? सदा अपने को तनतमर्त्, तवश्व की स्टे ज
पर हीरो पाटट बजाने वाले हीरो एक्टर समझकर चलो। सभी हीरो हैं ?

आज बापदादा अपने सामने या चारों िरफ के अपने छोटे से सस ं ार को देख हतषटि हो


रहे हैं क्योंतक यह सस
ं ार है छोटा लेतकन अति प्यारा है क्योंतक यह संसार की एक-एक
आत्मा श्रेष्ठ आत्मा हैं। कोटों में कोई आत्मायें हैं। बाप के वसे के अतधकारी आत्मायें
हैं। बापदादा हर बच्चे को देख खश ु होिे हैं तक यह एक-एक बच्चा राजा बच्चा है।
बापदादा ने हर एक बच्चे को स्वराज्य अतधकारी और तवश्व राज्य अतधकारी बनाया
है। इस समय सभी स्वराज्य अतधकारी हैं अथाटि् मन-बुतद्ध, सस्ं कार, कमेतन्ियों के
राजा हैं। कमेतन्ियों के वश नहीं हैं। मन के भी मातलक हैं। िो ऐसे ही आप हर एक
बच्चा अपने को मन के मातलक, सस्ं कारों के भी मातलक समझिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 134 ]

हर बच्चे के चेहरे में चमकिा हुआ भाग्य तदखाई दे रहा है। मस्िक में लाइट की प्रातप्त
चमक रही है। हाथों में ज्ञान का भण्िार तदखाई दे रहा है। तदल में तदलाराम तदखाई दे
रहा है। पांव में कदम में पदम तदखाई दे रहा है। ऐसा भाग्य देख हर एक का चेहरा चमक
से चमक रहा है। सभी चारों ओर के बच्चे सन्िुि स्वरूप तदखाई दे रहे हैं। ऐसे चेहरे
चमकिे हुए देख अन्य आत्मायें भी सोचिी हैं इन्हों को क्या तमला है। िो आप क्या
जवाब देंगे? जो पाना था वो पा तलया। सब सन्िुि मतणयों के रूप में चमक रहे हैं।
ऐसी अपनी मूिट को आप भी देख रहे हो ना! बापदादा भी ऐसी सन्िुिमतण आत्माओ ं
को देख क्या गीि गािे हैं। वाह मेरे सन्िुि आत्मायें वाह!

समझिे हो तक हम इिनी श्रेष्ठ आत्मायें हैं जो स्वयं परम आत्मा बाप, तशक्षक और
ु बने हैं। इससे बड़ा भाग्य और तकसी का हो सकिा है ? ऐसा भाग्य िो कभी
सिगरू
सोचा भी नहीं होगा तक सवट सम्बन्धों से परम-आत्मा तमल जायेगा। यह असम्भव बाि
भी सम्भव साकार में हो रही है िो तकिना भाग्य है। तसफट बाप नहीं लेतकन तशक्षक
और सिगुरू भी बनें। जैसे भक्त लोग कहिे हैं भगवान जब राज़ी हो जािे हैं िो छप्पर
फाड़ कर देिे हैं। िो यह भी इस आकाश ित्व को भी पार कर, देने के तलए आ गये
ना। वह िो तसफट छप्पर फाड़कर कहिे लेतकन यह िो आकाश ित्व से पार रहने वाले
5 ित्वों को भी पार करके प्रातप्त करा रहे हैं िो तकिने भाग्यशाली हुए। ऐसा भाग्य सदा
याद रहे।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 135 ]

शतक्तयों का पूजन देखकर क्या स्मृति में रहिा है? अपने को चेक करिे हो-जैसे शतक्तयों
को अि भज
ु ाधारी तदखािे हैं िो हम भी अि शतक्तवान, मास्टर सवटशतक्तवान आत्मा
हूँ। ये अि िो तनशानी माि हैं लेतकन हैं िो सवट शतक्तयाूँ। शतक्तयों का नाम सनु िे ,
शतक्तयों का पजू न देखिे सवट शतक्तयों की स्मृति आिी है या तसफट देखकर के खश ु
हो? जड़ तचिों में तकिनी कमाल भर देिे हैं! िो चैिन्य का ही जड़ बनिा है ना। िो
चैिन्य में हम तकिने कमाल के बने हैं अथाटि् श्रेष्ठ बने हैं! िो यह खुशी होिी है तक यह
हमारा यादगार है! या देतवयों का है ? देतवयों के साथ गणेश की भी पूजा होिी है ना।
िो प्रैतक्टकल में ऐसे बने हैं िब िो यादगार बना है।

आज सवट पुरुषाथी आत्माओ ं को देख-देख खुश हो रहे हैं क्योंतक जानिे हैं तक यही
श्रेष्ठ आत्मायें सतृ ि को पररविटन करने के तनतमि बनी हुई हैं। एक-एक श्रेष्ठ आत्मा
नंबरवार तकिनी कमाल कर रही है। विटमान समय भले कोई भी कमी वा कमजोरी है
लेतकन भतवष्य में यही आत्मायें क्या से क्या बनने वाली हैं और क्या से क्या बनाने
वाली हैं! िो भतवष्य को देख, आप सभी की सम्पण ू ट स्टे ज को देख हतषटि हो रहे हैं।
सभी से बड़े िे बड़े रूहानी जादूगर हो ना। जैसे जादूगर थोड़े ही समय में बहुि तवतचि
खेल तदखािे हैं, वैसे आप रूहानी जादूगर भी अपनी रूहातनयि की शतक्त से सारे तवश्व
को पररविटन में लाने वाले हो, कंगाल को िभले िाजधारी बनाने वाले हो।

तसकीलधे अथाटि् बड़े तसक से बाप ने हमें ढूूँढ़ा है। बाप ने बड़े तसक व प्रेम से आपको
ढूूँढ़ा है। आपने ढूूँढ़ा लेतकन तमला नहीं। पररचय ही नहीं था िो तमले कै से ? लेतकन
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 136 ]

बाप ने आपको ढूूँढ़ा इसतलए कहिे हैं - 'तसकीलधे'। िो तजसको बाप दुिं े वह तकिने
भाग्यवान होंगे! दुतनया वाले बाप को ढूूँढ़ रहे हैं और आप तमलन मना रहे हो। तकिने
थोड़े हो, बहुिों का पाटट है ही नहीं। थोड़ों का पाटट है , इसतलए गाया हुआ है - कोटों में
कोई। अक्षोणी सेना नहीं गाई हुई है , कोटों में कोई गाया हुआ है। िो यह खशु ी वा
स्मृति सदा इमजट रहे। हर कदम में खुशी अनुभव हो। अल्पकाल की प्रातप्त वालों के
चेहरे पर वह प्रातप्त की रे खा चमकिी है। आपको िो सदाकाल की प्रातप्त है।

सभी अपने को इस सृति ड्रामा के अन्दर तवशेष पाटट धारी समझिे हो? कल्प पहले
वाले अपने तचि अभी देख रहे हो! यही ब्राह्मण जीवन का वन्िर है। सदा इसी तवशेषिा
को याद करो तक क्या थे और क्या बन गये! क ड़ी से हीरे िुल्य बन गये। दु:खी सस ं ार
से सख ु ी सस
ं ार में आ गये। आप सब इस ड्रामा के हीरो हीरोइन एक्टर हो। एक-एक
ब्रह्माकुमार-कुमारी बाप का सन्देश सनु ाने वाले सन्देशी हो। भगवान का सन्देश सनु ाने
वाले सन्देशी तकिने श्रेष्ठ हुए! िो सदा इसी कायट के तनतमर्त् अविररि हुए हैं। ऊपर से
नीचे आये हैं यह सन्देश देने - यही स्मृति खुशी तदलाने वाली हैं। बस, अपना यही
आक्यूपेशन सदा याद रखो तक खतु शयों की खान के मातलक हैं। यही आपका
टाइतटल है।

दुतनया वाले भाग्य के पीछे भटक रहे हैं और आपको घर बैठे भाग्यतवधािा बाप ने
भाग्य दे तदया! तकिना बड़ा पररविटन आ गया! कभी भी अपने को इस श्रेष्ठ भाग्य से
अलग नहीं करो। मेरा भाग्य है, िो 'मेरा' कभी भल
ू िा है क्या? बाप का तदया हुआ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 137 ]

खज़ाना अपना है ना। इिनी श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मायें बनिी हो जो अभी िक भी


आपके भाग्य की मतहमा तकिनी करिे रहिे हैं! ये कीिटन क्या है ? आपके प्राप्त हुए
भाग्य की मतहमा है। िो जब भी कोई देवी-देविाओ ं का कीिटन सनु िे हो िो क्या लगिा
है? समझिे हो तक हमारी प्रातप्तयों की मतहमा कर रहे हैं! चैिन्य में अपने जड़ तचि की
ु ी तकसको है ? कोई को कम नहीं है! नम्बरवार
मतहमा सनु रहे हो। सबसे ज्यादा खश
िो होंगे ना।

आज तदलाराम बापदादा अपने चारों ओर के , सामने वालों को भी और दूर सो समीप


वालों को भी हर एक राज दुलारे , अति प्यारे बच्चों को देख हतषटि हो रहे हैं। हर एक
बच्चा राजा है इसतलए राज-दुलारे हैं। यह परमात्म प्यार, दुलार तवश्व में बहुि थोड़ी सी
आत्माओ ं को प्राप्त होिा है। लेतकन आप सभी परमात्म प्यार, परमात्म दुलार के
अतधकारी हैं। दुतनया की आत्मायें पक
ु ार रही हैं आओ, आओ लेतकन आप सभी
परमात्म प्यार अनुभव कर रहे हो। परमात्म पालना में पल रहे हो। ऐसा अपना भाग्य
अनुभव करिे हो? बापदादा सभी बच्चों को िबल राज्य अतधकारी देख रहे हैं। अभी
के भी स्व राज्य अतधकारी राजे हो और भतवष्य में िो राज्य आपका जन्म तसद्ध
अतधकार है। िो िबल राजे हो।

बापदादा को एक एक बच्चे को देख नाज़ है वाह मेरे बच्चे वाह! जैसे आप तदल में
गीि गािे हो ना आटोमेतटक वाह बाबा वाह! मेरा बाबा वाह! ऐसे ही बाप भी बच्चों
के प्रति यही गीि गािे तक वाह हर एक बच्चा वाह! क्योंतक बाप को भी कल्प के बाद
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 138 ]

आप बच्चे तमलिे हो और एक एक तवश्व के आगे महान है। िो बाप भी गीि गािे हैं
वाह बच्चे वाह! वाह वाह हो ना! वाह! वाह! बच्चे हो ना! वाह! वाह! बच्चे हाथ
उठाओ। िो सदा यही याद रखो हम वाह वाह! बच्चे हैं। चाहे परू ु षाथी हैं लेतकन हैं
वाह! वाह! बच्चे बाप के वाह! वाह! बच्चे बाप के साथ ही चलेंगे। रह िो नहीं जायेंगे
ना! बाप िो कहिे हैं हर एक बच्चे को स्नेह की गोदी में साथ ले जायें। िो िैयार हो!
िैयार हैं?

जो जैसा होिा है उसको वह याद रहिा है। जैसे प्रेजीिेन्ट है वह कोई भी काम करिे
यह नहीं भूलिा तक मैं प्रेजीिेन्ट हूँ। िो आप भी सदा अपनी पोजीशन याद रखो। इससे
सदा खुशी रहेगी, नशा रहेगा। सदा खुमारी चढ़ी रहे। हम ही देविा बनेंगे, अभी भी
ब्राह्मण चोटी हैं , ब्राह्मण िो देविाओ ं से भी ऊंच है। इस नशे को माया तकिना भी
िोड़ने की कोतशश करे लेतकन िोड़ न सके । माया आिी िभी है जब अके ला कर देिी
है। बाप से तकनारा करा देिी है। िाकू भी अके ला करके तफर वार करिे हैं ना। इसतलए
सदा कम्बाइन्ि रहो कभी भी अके ले नहीं होना। मैं और मेरा बाबा - इसी स्मृति में
कम्बाइन्ि रहो। देखो तकिना बड़ा भाग्य है जो वरदान भूतम पर वरदानों से झोली भरने
के तलए पहुूँच गये हो।

इस सगं मयुग पर पतवििा का व्रि लेनेवाले भाग्यवान बच्चे भतवष्य में िबल पतवि
शरीर से भी पतवि और आत्मा भी पतवि बनिे हैं। सारे कल्पमें चक्र लगाओ चाहे
तकिनी भी महान आत्मायें आये हैं लेतकन शरीर भी पतवि और आत्मा भी पतवि,ऐसा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 139 ]

पतवि न धमट आत्मा बने हैं, न महात्मा बने हैं। बापदादा को आप बच्चों के ऊपर नाज़
है वाह! मेरेमहान पतवि बच्चे वाह! िबल पतवि, िबल िाजधारी भी कोई नहीं बनिा,
िबल िाजधारी भी आप श्रेष्ठआत्मायें बनिी हैं। अपना वह िबल पतवि िबल
िाजधारी स्वरूप सामने आ रहा है ना। इसतलए आप बच्चों की जो इस संगमयुग में
प्रैतक्टकल जीवन बनी है, उस एक-एक जीवन की तवशेषिा का यादगार दुतनयावाले
उत्सव के रूप में मनािे रहिे हैं।

आज बापदादा हर एक बच्चे के मस्िक में भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। ऐसा भाग्य
और इिना बड़ा भाग्य सारे कल्प में तकसी को प्राप्त नहीं है क्योंतक आपको भाग्य देने
वाला स्वयं भाग्य दािा है। हर एक के मस्िक में पहले िो चमकिा हुआ तसिारा का
भाग्य चमक रहा है। मुख में मधुर वाणी की रेखा चमक रही है। होठों पर मधुर मुस्कान
की रेखा चमक रही है। तदल में तदलाराम बाप के लवलीन की रे खा चमक रही है। हाथों
में सवट खज़ानों के श्रेष्ठिा की रेखा चमक रही है। पांव में हर कदम में पदम की रेखा
चमक रही है। अभी सोचो ऐसा भाग्य और तकसका हुआ है! इसतलए आपके यादगार
तचिों का भी भाग्य वणटन होिा रहिा है। और यह भाग्य स्वयं भाग्यतवधािा ने हर एक
बच्चे का बनाया है।

सदा अपना रूहानी फररश्िा स्वरूप स्मृति में रहिा? ब्राह्मण सो फररश्िा, फररश्िा सो
देविा - यह पहली हल कर ली है ना! पहेतलयाूँ हल करना आिा है! सेकण्ि में ब्राह्मण
सो देविा, देविा सो चक्र लगािे ब्राह्मण, तफर देविा। िो 'हम सो, सो हम' की पहेली
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 140 ]

सदा बुतद्ध में रहिी है? जो पहेली हल करिे उन्हें ही प्राइज तमलिी है। िो प्राइज तमली
है ना! जो अभी तमली है , वह भतवष्य में भी नहीं तमलेगी! प्राइज में क्या तमला है ?
स्वयं बाप तमल गया, बाप के बन गये। भतवष्य की राजाई के आगे यह प्रातप्त तकिना
ऊूँची है! िो सदा प्राइज लेने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ - इसी नशे और खश
ु ी से सदा आगे
बढ़िे रहो। पहेली और प्राइज दोनों स्मृति में सदा रहें िो आगे स्वि: बढ़िे रहेंगे।

आप सबको भी मेला अच्छा लग रहा है ना! बापदादा िो बच्चों के भाग्य को देख


हतषटि होिे हैं और तदल में गीि गािे हैं -वाह बच्चे वाह! जो भाग्य स्वप्न में भी न था,
सकं ल्प में भी नहीं था लेतकन अब साकार में श्रेष्ठ भाग्य अनुभव कर रहे हैं। हर एक के
मस्िक पर श्रेष्ठ भाग्य की लकीर चमक रही है। सभी चमकिे हुए तसिारे हो ना? अपना
ये श्रेष्ठ भाग्य स्मृति में रहिा है ना! क्यों श्रेष्ठ भाग्य है ? क्योंतक भाग्य तवधािा द्वारा आप
भाग्यवान आत्माओ ं का तदव्य ब्राह्मण जन्म हुआ है। बाप को भी भाग्य तवधािा कहिे
हैं और ब्रह्मा को भी भाग्य तवधािा कहिे हैं। और आप सबका जन्म बापदादा द्वारा
हुआ है। िो तजसका बाप स्वयं भाग्य तवधािा है उसका भाग्य तकिना श्रेष्ठ होगा!

ऐसा कभी सोचा था-इिना बड़ा पररवार तमलेगा और इिना पररवार तकसको होगा?
आपके घर तकिने हैं? (एक है) और आपके सेवा के स्थान तकिने हैं ? (अनेक हैं) िो
उसको भी िो बाबा का घर कहिे हो ना! िो बाबा का घर आपका घर है। दुतनया कहिी
है घरबार छोड़िे हैं और आपने तकिने घर बनाये हैं! तगनिी नहीं कर सकिे हो, याद
रखना पड़िा है। िो ये छोड़ना नहीं है , बनाना है। और पररवार को छोड़ा है या पररवार
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 141 ]

इिना बड़ा बनाया है जो तमलना ही मुतश्कल होिा है। सारे ब्राह्मण तजिने भी जहाूँ भी
हैं, एक स्थान पर तमल सकिे हैं ? मुतश्कल होगा ना। क्योतक दूसरे का राज्य है ना,
अपना राज्य िो नहीं है। लेतकन बाप तमला, बेहद का पररवार तमला। िो बेहद को याद
करने से बेहद की खश
ु ी, बेहद का नशा होगा।

आज बापदादा अपने चारों ओर के परमात्म प्यारे बच्चों को देख रहे हैं। ऐसे परमात्म
प्यारे कोटो में कोई बच्चे हैं क्योंतक इस समय ही परमात्म प्यार का अनुभव कर सकिे ,
सारे कल्प में आत्माओ ं का प्यार, महात्माओ ं का, धमाटत्माओ ं का प्यार अनुभव तकया
लेतकन परमात्म प्यार तसफट अब सगं मयुग पर होिा है , जो आप सभी बच्चे अनुभव
कर रहे हैं। कोई आपसे पछ ू े परमात्मा कहाूँ है ? िो क्या जवाब देंगे? मेरे साथ है। मेरे
साथ ही रहिे हैं। मेरे तदल में ही रहिे हैं। ऐसा अनुभव कर रहे हो ना! आप ही जानिे हो
और आपको ही इस प्यार का अनुभव है तक हमारे तदल में बाप रहिे और बाप के तदल
में हम रहिे। जानिे हो तक यह परमात्म प्यार का नशा हमें ही अनुभव करने का भाग्य
प्राप्त हुआ है।

बापदादा पाण्िवों के मस्िक में सदा तवक्िी देखिे हैं और तवक्िी के बीच में आत्मा
चमक रही है। जैसे पाण्िवों का गायन है , पाण्िवों को ड्रामानुसार यादगार में भी तवजय
का वरदान तमला हुआ है। गायन ही है तवजयी पाण्िव। िो पाण्िवों को कभी भी
तकसी भी बाि में हार नहीं खाना है। बापदादा के गले का हार बनना, हार खाना नहीं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 142 ]

जब भी कोई ऐसी बाि आवे ना, िो कहो हम बापदादा के गले का हार हैं , हार खाने
वाले नहीं हैं। ऐसे पक्के हो? तक थोड़ी-थोड़ी हार खा भी लेिे हो? चलो बीिी सो
बीिी। अभी हार नहीं खाना। तवजय गले का हार है , हम बाप के गले का हार हैं। हार
खाने वाले नहीं। हार खाने वाले िो करोड़ों आत्मायें हैं , आप नहीं हैं। आप िो करोड़ों
में कोई, कोई में भी कोई आत्मा हो।

सदा अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान अनुभव करिे हो? तजसका बाप ही भाग्यतवधािा हो
वह तकिना न भाग्यवान होगा! भाग्यतवधािा बाप है िो वह वसे में क्या देगा? जरूर
श्रेष्ठ भाग्य ही देगा ना! सदा भाग्यतवधािा बाप और भाग्य दोनों ही याद रहें। जब अपना
श्रेष्ठ भाग्य स्मृति में रहेगा िब औरों को भी भाग्यवान बनाने का उमंग उत्साह रहेगा।
क्योंतक दािा के बच्चे हो। भाग्य तवधािा बाप ने बह्मा द्वारा भाग्य बाूँटा, िो आप
ब्राह्मण भी क्या करें गे? जो ब्रह्मा का काम, वह ब्राह्मणों का काम। िो ऐसे भाग्य बाूँटने
वाले। वे लोग कपड़ा बाूँटेंगे, अनाज बाूँटेंगे, पानी बाूँटेंगे लेतकन श्रेष्ठ भाग्य िो भाग्य
तवधािा के बच्चे ही बाूँट सकिे। िो भाग्य बाूँटने वाली श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मायें हो।

सदैव महान् और मेहमान समझकर चलने से विटमान में और भतवष्य में और तफर
भतक्त-मागट में भी मतहमा योग्य बन जायेंगे। अगर मेहमान वा महान् नहीं समझिे िो
मतहमा योग्य भी नहीं बन सकिे। मतहमा तसफट भतक्त में नहीं होिी लेतकन सारा कल्प
तकस-न-तकस रूप में मतहमा योग्य बनिे हो। सियुग में जो महान् अथाटि् तवश्व के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 143 ]

महाराजन वा महारानी बनिे हैं , िो प्रजा द्वारा मतहमा के योग्य बनिे हैं। भतक्त-मागट में
देवी वा देविा के रूप में मतहमा योग्य बनिे हैं और सगं मयुग में जो महान् कर्त्टव्य करके
तदखलािे हैं, िो ब्राह्मण पररवार द्वारा भी और अन्य आत्माओ ं द्वारा भी मतहमा के
योग्य बनिे हैं। िो तसफट इस समय मेहमान और महान् आत्मा समझने से सारे कल्प के
तलए अपने को मतहमा योग्य बना सकिे हो।

तनतमर्त् बनने का भाग्य - इसका महत्व अभी कभी-कभी साधारण लगिा है, लेतकन
यह भाग्य समय पर अति श्रेष्ठ अनुभव करेंगे। तकसने तनतमर्त् बनाया, तकसने मुझ
आत्मा को इस योग्य चुना - यह स्मृति ही स्वि: श्रेष्ठ बना देिी है । ' 'बनाने वाला
क न' ' !- अगर इस स्मृति में रहो िो बहुि सहज तनरन्िर योगी बन जायेंगे । सदा तदल
में, बनाने वाले बाप के गुणों के गीि गािे रहो िो तनरन्िर योगी हो जायेंगे । यह कम
बाि नहीं है! सारे तवश्व की कोटों की कोट आत्माओ ं में से तकिनी तनतमर्त् टीचसट बनी
हो! ब्राह्मण पररवार में भी टीचसट तकिनी हैं । िो कोई-में-कोई हो गई ना! टीचर अथाटि्
सदा भगवान और भाग्य के गीि गािी रहें। बापदादा को टीचसट पर नाज़ होिा है लेतकन
राज़युक्त टीचसट पर नाज़ होिा है अच्छा –

सदा हतषटि रहने के तलए क न-सी सहज युतक्त है? सदा हतषटि रहने का यादगार रूप में
क न-सा तचि है, तजसमें तवशेष हतषटिमुख को ही तदखाया है ? तवष्णु का लेटा हुआ
तचि तदखािे हैं। ज्ञान को तसमरण कर हतषटि हो रहा है। तवशेष, हतषटि होने का तचि ही
यादगार रूप में तदखाया हुआ है। तवष्णु अथाटि् युगल रूप। तवष्णु के स्वरूप आप लोग
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 144 ]

भी हो ना। नर से नारायण वा नारी से लक्ष्मी आप ही बनने वाले हो या तसफट बाप बनिे


हैं? नर और नारी, दोनों ही जो ज्ञान को तसमरण करिे हैं वह ऐसे हतषटि रहिे हैं। िो
हतषटि रहने का साधन क्या हुआ? ज्ञान का तसमरण करना। जो तजिना ज्ञान को
तसमरण करिे हैं वह उिना ही हतषटि रहिे हैं। ज्ञान का तसमरण ना चलने का कारण
क्या है? व्यथट तसमरण में चले जािे हो।

अपने को इस सतृ ि के अन्दर कोटों में कोई और कोई में भी कोई... ऐसी तवशेष आत्मा
समझिे हो? जो गायन है कोटों में कोई बाप के बनिे हैं , वह हम हैं। यह खुशी सदा
रहिी है? तवश्व की अनेक आत्मायें बाप को पाने का प्रयत्न कर रहीं हैं और हमने पा
तलया! बाप का बनना अथाटि् बाप को पाना। दुतनया ढूंढ रही है और हम उनके बन
गये! भतक्त मागट और ज्ञान मागट की प्रातप्त में बहुि अन्िर है। ज्ञान है पढ़ाई, भतक्त पढ़ाई
नहीं है। वह थोड़े समय के तलए आध्यातत्मक मनोरंजन है। लेतकन सदा काल की प्रातप्त
का साधन 'ज्ञान' है। िो सदा इसी स्मृति में रह औरों को भी समथट बनाओ। जो ख्याल
ख्वाब में न था - वह प्रैतक्टकल में पा तलया। बाप ने हर कोने से बच्चों को तनकाल
अपना बना तलया। िो इसी खुशी में रहो।

हर एक ब्राह्मण कोटों में कोई, कोई में भी कोई आत्मा है क्योंतक अपने बाप को
पहचान, बाप के वसे के अतधकारी बने हैं। जैसे बाप ऊंचे िे ऊंचा है िो बाप को
पहचान बाप का बनने वाली आत्मायें भी तवशेष आत्मायें हैं। हर ब्राह्मण आत्मा के
जन्मिे ही भाग्य तवधािा बाप ने मस्िक पर श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींच ली है , ऐसी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 145 ]

श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हैं। ऐसे भाग्यवान अपने को समझिे हो? इिना बड़ा रूहानी
नशा अनुभव होिा है? हर एक ब्राह्मण के तदल में तदलाराम, तदल का दुलार, तदल का
प्यार दे रहे हैं। यह परमात्म प्यार सारे कल्प में एक द्वारा और एक समय ही प्राप्त होिा
है। यह रूहानी नशा सदा हर कमट में रहिा है ? क्योंतक आप तवश्व को चैलेन्ज करिे हो
तक हम कमटयोगी जीवन वाले तवशेष आत्मायें हैं।

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों के मस्िक में भाग्य के चमकिे हुए तसिारे देख रहे
हैं। एक जन्म का, दूसरा सबं ंध का और िीसरा प्रातप्तयों का। िीनों भाग्य को देख हतषटि
हो रहे हैं। जन्म का भाग्य िो आप जानिे हो तक आप सबको यह तदव्य जन्म, ब्राह्मण
जन्म देने वाला स्वयं भाग्य तवधािा है। िो सोचो, तकिना बड़ा भाग्य है! साथ-साथ
सम्बन्ध, इसकी तवशेषिा जानिे हो तक िीनों सम्बन्ध बाप, तशक्षक, सिगुरू िीनों
सम्बन्ध एक बाप से हैं। एक में ही िीन सम्बन्ध हैं। प्रातप्तयों को भी जानिे हो, जहाूँ
बाप है वहाूँ प्रातप्तयां िो सवट और बेहद की है। एक में िीनों सम्बन्ध हैं। वैसे भी जीवन
में यह िीन सम्बन्ध आवश्यक हैं लेतकन दुतनया वालों के हरेक सम्बन्ध अलग- अलग
हैं और आपके िीनों सम्बन्ध एक में हैं।

बापदादा भी बच्चों को देख बहुि-बहुि खुश हो रहे हैं और गीि गािे रहिे वाह बच्चे
वाह! बच्चे कहिे वाह बाबा वाह! और बाप कहिे वाह बच्चे वाह! क्योंतक जो भी
बाप के बच्चे बने हैं वह सभी कोटों में कोई आत्मायें हैं। तवश्व में तकिनी कोट आत्मायें
हैं लेतकन उनमें से आप बच्चों ने तजसको बाप कहिे हैं लक्की और लवली बच्चे हैं
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 146 ]

उन कोटों में से कोई आप बच्चे हो। नशा है तक हमें कल्प कल्प के कोटों में कोई बच्चे
हैं। तकिने भी बड़े-बड़े मिटबे वाले आत्मायें विटमान समय भी हैं लेतकन बाप को
पहचान बाप का बथट िे मनाने वाले चारों ओर के पहचानने वाले बच्चे कोटों में कोई
हैं। िो यह खशु ी है तक हम कोटों में भी कोई हैं। नशा है! हाथ उठाओ। अतवनाशी नशा
है ना! कभी कभी वाला िो नहीं? सदा है और सदा ही रहेगा।

ब्रह्मा बाप आज बहुि मस्िी में गा रहे थे - तकिने भोले तकिने प्यार मीठे -मीठे बच्चे।
जैसे आप लोग बाप के तलए गािे हो ना। बाप भी बच्चों के तलए यही गीि गािे , ऐसे
ही इसी स्मृति-स्वरूप में तकसके प्यारे हैं , तकसके मीठे हैं , क न बच्चों का गीि गािा
है! यह स्मृति सदा तनमाटन बनाए स्व-अतभमान के नशे में तस्थि कर देिी है। इसी नशे
में कोई नुकसान नहीं। इिना नशा रहिा है! आधा कल्प आपने भगवान के गीि गाये
और अब भगवान गीि गा रहे हैं। ब्रह्मा बाप को आज भारि के और तवदेश के अनजान
बच्चे तवशेष याद आ रहे थे। दुतनया वाले िो उन्हों को वी.आई.पी कहिे हैं लेतकन
बाप उन बच्चों को वी.आई.पी. अथाटि् वेरी इनोसेन्ट परसन, इस रूप में देख रहे थे।
आप सेन्ट हो वे इनोसेन्ट हैं लेतकन अभी उन्हों को भी अंचली दो।

आपका सलोगन क्या है ? पाना था वो पा तलया। िो पा तलया तक थोड़ा-थोड़ा रह


गया है? क्योंतक बाप का बनना अथाटि् वसे का अतधकारी बनना। िो अतधकारी
आत्मायें हो ना? िो सदा क्या गीि गािे हो? पा तलया .. ये आपका गीि है या कोई-
कोई का है , कोई का नहीं है ?सभी का है ? कोई का दूसरा गीि हो िो बोलो। क्योंतक
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 147 ]

एक के हैं िो गीि भी एक ही है। और अब नहीं पाया िो कब पायेंगे? िो अपने को


सदा पद्््मापदम भाग्यवान समझो। पदमभी आपके आगे कुछ नहीं हैं। इिना नशा
है ना? तकिने भी साधन प्राप्त करने वाली आत्मायें हैं लेतकन तजिने ही तवनाशी प्रातप्त
वाले हैं उिने ही अतवनाशी प्रातप्त के तभखारी हैं। यह अनुभव है ना? तजिने ज्यादा
साधन होंगे उिनी शातन्ि की नींद भी नहीं होगी। और आपकी जीवन तकिनी शान्ि
है!कोई अशातन्ि है?

इस समय का बड़े-से-बड़ा स्वमान यही हुआ तक 'बाप के भी अभी िुम मातलक बनिे
हो।' तवश्व के मातलक बनने से पहले तवश्व के रचतयिा के भी मातलक बनिे हो। तशव
बाबा के भी मातलक हो। इसतलए 'वालेकम सलाम' कहिे हैं। सपु ाि बच्चा बाप का
भी मातलक है। इस समय बाप को भी अपना बना तलया है। सारे कल्प में बाप को ऐसे
अपना नहीं बना सकिे हो। अभी िो जब चाहो, तजस रूप में चाहो, उस रूप से बाप
को अपना बना सकिे हो। बाप भी इस समय तकस बन्धन में है ? (बच्चों के बन्धन
में)। िो रचतयिा को भी बन्धन में बाूँधने वाले , ऐसा स्वमान तफर कब अनुभव करेंगे?
रचतयिा को सेवाधारी बनाने वाले -बाप को गुलाम बना तदया ना, अपनी सेवा के
ु स्वमान। इसमें अतभमान नहीं होिा है। जहाूँ स्वमान होिा है, वहाूँ
तलये। यह है शद्ध
अतभमान नहीं होिा है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 148 ]

बापदादा हर एक बच्चे की तवशेषिा को देखिे हैं। चाहे सम्पूणट नहीं बने हैं, पुरूषाथाट
हैं लेतकन ऐसा एक भी बाप का बच्चा नहीं है तजसमें कोई तवशेषिा नहीं हो। सबमें
तवशेषिा है। सबसे पहली तवशेषिा िो कोटो में कोई के तलस्ट में िो हैं ना। और
तवशेषिा ये है तक बड़े-बड़े िपस्वी महान् आत्मायें, 16108 जगत्गुरू, चाहे शास्त्रवादी
हैं, चाहे महामण्िलेश्वर हैं , लेतकन बाप को नहीं जाना और बाप के सभी बच्चों ने बाप
को िो जान तलया ना। िो बाप को जानना यह तकिनी बड़ी तवशेषिा है। तदल से 'मेरा
बाबा' िो कहिे हैं ना। मेरा कह कर अतधकारी िो बन गये ना। िो इसको क्या कहेंगे?
तजसने बाप को परख तलया, पहचान तलया, िो पहचानना ये भी बुतद्ध की तवशेषिा
है, परखने की शतक्त है। िो आप सभी के परखने की शतक्त श्रेष्ठ है।

भगवान ने भी आपको अपने से आगे रखा है! पहले बच्चे। िो स्वयं बाप ने मान दे
तदया। तकिना आपका मान है, उसका प्रुफ देखो तक आपके जड़ तचिों का भी लास्ट
जन्म िक तकिना मान है! चाहे जाने , नहीं जाने लेतकन कोई भी देवी-देविा का तचि
होगा िो तकिने मान से उसको देखिे हैं! सबसे श्रेष्ठ मान अब िक आपके तचिों का
भी है। ये प्रुफ है। जब आपके तचि ही इिने माननीय, पूजनीय हैं िो तजसका मान रखा
जािा है उसको पूजनीय माना जािा है। हमेशा कहिे हैं ना-यह हमारे पूजनीय हैं, पूज्य
हैं। िो प्रैतक्टकल प्रुफ है तक आपके तचिों का भी मान है िो चैिन्य में हैं िब भी तचिों
का मान है। अगर चैिन्य में मान नहीं होिा िो तचिों को कै से तमलिा? बाप िो सदा
ू े जािे हैं, बाप तसगं ल।
कहिे हैं-पहले बच्चे। बच्चे िबल पज
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 149 ]

पहले चेतकंग तफर कदम क्योंतक आप िो सतृ ि ड्रामा के , आजकल के वी.वी.आई.पी.


जो हैं, वह िो एक जन्म के हैं। वह भी थोड़े समय के तलए हैं। और आप ब्राह्मण सो
फररश्िे तकिने भी वी.वी. लगा दो, इिने हो। देखो, आप अपने आगे वी.वी.वी. लगािे
जाओ, आपने अपने तचि िो देखे हैं ना जो पूजे जा रहे हैं , वह देखे है ना। चलो मतन्दर
नहीं देखे फोटो िो देखे हैं , अभी भी उन्हों की तकिनी वैल्यु है। तकिने बड़े-बड़े मतन्दर
बनािे हैं और आपका तचि जो है वह िो िीन फुट में आ जािा है, िो तकिना आपकी
वैल्यु है। जड़ तचि की भी वैल्यु है। है ना! वैल्यु है ना! आपके तचि का दशटन करने के
तलए तकिनी क्यु लगिी है। और चैिन्य में तकिने वी.वी.आई. पी. हो। िो कदम उठाने
के पहले चेक करो, करने के बाद चेक तकया, वह कदम िो गया।

आज बापदादा अपने चारों ओर के तदल िख्िनशीन, भ्रकुटी के िख्ि नशीन, तवश्व


के राज्य के िख्ि नशीन, स्वराज्य अतधकारी बच्चों को देख हातषटि हो रहे हैं। परमात्म
तदल िख्ि सारे कल्प में अब आप तसकीलधे , लािले बच्चों को ही प्राप्त होिा है।
भ्रकुटी का िख्ि िो सवट आत्माओ ं को है लेतकन परमात्म तदल िख्ि ब्राह्मण
आत्माओ ं के तसवाए तकसी को प्राप्त नहीं है। यह तदल िख्ि ही तवश्व का िख्ि तदलािा
है। विटमान समय स्वराज्य अतधकारी बने हो, हर एक ब्राह्मण आत्मा का स्वराज्य गले
का हार है। स्वराज्य आपके जन्म का अतधकार है। ऐसे स्वयं को ऐसा स्वराज्य
अतधकारी अनुभव करिे हो? तदल में यह दृढ़ संकल्प है तक हमारे इस बथट राइट को
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 150 ]

कोई छीन नहीं सकिा। साथ-साथ यह भी रूहानी नशा है तक हम परमात्म तदल


िख्िनशीन भी हैं।

पूवटज को ही सब फॉलो करिे हैं। िो जो संकल्प, जो कमट आप करें गे उसको स्थूल वा


सक्ष्ू म रूप में सब फॉलो करिे हैं। इिनी बड़ी तजम्मेवारी समझिे हुए सक
ं ल्प व कमट
करिे हो? आप पूवटज आत्माओ ं के आधार से सतृ ि का समय और तस्थति का आधार
है। जैसे आप सिो प्रधान हैं। गोल्िन एज प्रकृति वा वायुमंिल सारे तवश्व का सिो
प्रधान है। िो समय और स्टे ज का आधार, प्रकृति का आधार आप पूवटज के ऊपर है।
ऐसे नहीं समझो तक हमारे कमट का आधार तसफट अपने कमट के तहसाब से प्रालब्ध प्रति
है। लेतकन पवू टज आत्माओ ं के कमों की प्रालब्ध स्वयं के साथ-साथ सवट आत्माओ ं
के और सतृ ि चक्र के साथ सम्बतन्धि हैं। ऐसे महान आत्माएं हो? ऐसी स्मृति में रहने
से सदा स्वि: ही अटें शन रहेगा। तकसी भी प्रकार का अलबेलापन नहीं आयेगा।

आध्यातत्मक शतक्त के दािा आप ब्राह्मण आत्मायें ही हैं क्योंतक होलीएस्ट हाइएस्ट


और ररचेस्ट आप आत्मायें ही हैं। होलीएस्ट भी सब आत्माओ ं से ज्यादा आप हो।
आप आत्माओ ं की पूजा जैसे तवतधपूवटक होिी है वैसे और तकसकी भी नहीं होिी।
अभी लास्ट जन्म में भी आप आत्माओ ं की पूजा और कोई भी धमटतपिा वा महान
आत्मायें जो तनतमर्त् बनी हैं उन्हों की नहीं है। तवतधपवू टक पज
ू ा भले यादगार बनािे हैं
लेतकन तवतधपूवटक पूजा नहीं होिी। और आप जैसा खज़ाना ररचेस्ट इन दी वल्िट आप
ब्राह्मण आत्माओ ं का एक जन्म का खज़ाना गैरन्टी 21 जन्म चलना ही है क्योंतक बाप
द्वारा बाप का वसाट तमला है। िो जैसे बाप अतवनाशी है वैसे ही बाप द्वारा तमला हुआ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 151 ]

खज़ाना भी अतवनाशी हो जािा है। इसतलए ररचेस्ट इन दी वल्िट होलीएस्ट इन दी


वल्िट।

परमात्म स्नेह के पाि तसफट आप ब्राह्मण आत्मायें हो। भक्त आत्मायें परमात्म प्यार के
तलए प्यासी हैं , पक
ु ारिी हैं। आप भाग्यवान ब्राह्मण आत्मायें उस प्यार की प्रातप्त के
पाि हो। बापदादा जानिे हैं तक बच्चों का तवशेष प्यार क्यों हैं , क्योंतक इस समय ही
सवट खज़ानों के मातलक द्वारा सवट खज़ाने प्राप्त होिे हैं। जो खज़ाने तसफट अब का एक
जन्म नहीं चलिे लेतकन अनेक जन्मों िक यह अतवनाशी खज़ाने आपके साथ चलिे
हैं। आप सभी ब्राह्मण आत्मायें दुतनया के मुआतफक हाथ खाली नहीं जायेंगे, सवट
खज़ाने साथ रहेंगे। िो ऐसे अतवनाशी खज़ानों की प्रातप्त का नशा रहिा है ना! और
सभी बच्चों ने अतवनाशी खज़ाने जमा तकये हैं ना! जमा का नशा, जमा की खुशी भी
सदा रहिी है। हर एक के चेहरे पर खज़ानों के जमा की झलक नजर आिी है।

सभी अपने को बाप की तवशेष आत्मायें अनुभव करिे हो? सदा यही खश
ु ी रहिी है
तक जैसे बाप सदा श्रेष्ठ है वैसे हम बच्चे भी बाप समान श्रेष्ठ हैं? इसी स्मृति से सदा हर
कमट स्वि: ही श्रेष्ठ हो जायेगा। जैसा सक ं ल्प होगा वैसे कमट होंगे। िो सदा स्मृति द्वारा
श्रेष्ठ तस्थति में तस्थि रहने वाली तवशेष आत्मायें हो। सदा अपने इस श्रेष्ठ जन्म की
खुतशयाूँ मनािे रहो। ऐसा श्रेष्ठ जन्म जो भगवान के बच्चे बन जायें - ऐसा सारे कल्प में
नहीं होिा। पांच हजार वषट के अन्दर तसफट इस समय यह अल तकक जन्म होिा है।
सियुग में भी आत्माओ ं के पररवार में आयेंगे लेतकन अब परमात्म सन्िान हो। िो इसी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 152 ]

तवशेषिा को सदा याद रखो। सदा - मैं ब्राह्मण ऊूँचे िे ऊूँचे धमट , कमट और पररवार का
हूँ। इसी स्मृति द्वारा हर कदम में आगे बढ़िे चलो।

आज ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ि फादर अपने चारों ओर के कोटों में कोई और कोई में भी कोई
बच्चों के भाग्य को देख हतषटि हो रहेहैं। इिना तवशेष भाग्य और तकसी को भी तमल
नहीं सकिा। हर एक बच्चे की तवशेषिा को देख हतषटि होिे हैं। सबसे पहली तवशेषिा
साधारण रूप में आयें हुए बाप को पहचान "मेरा बाबा" मान तलया। यह पहचान
सबसे बिी तवशेषिा है। तदल से माना मेरा बाबा, बाप ने माना मेरा बच्चा। जो बड़े-
ं दान धमाटत्मा नहीं पहचान सके , वह साधारण बच्चों ने पहचान
बिे तफलासोफर साइस
अपना अतधकार ले तलया। कोई भी आकर इस सभा के बच्चों को देखे िो समझ नहीं
सकें गे तक इन भोली भोली मािाओ ं ने , इन साधारण बच्चों ने इिने बिे बाप को
पहचान तलया। िो यह तवशेषिा - पहचानना, बाप को पहचान अपना बनाना, यह
आप कोटों में कोई बच्चों का भाग्य है।

बापदादा का कोई भी बच्चा चाहे छोटा है , चाहे बड़ा है, चाहे महावीर है , चाहे
ु षाथी है, लेतकन हर एक बच्चा तसकीलधा है , क्यों? आपने िो बाप को ढूढं ा
परू
तमला नहीं, लेतकन बापदादा ने आप हर बच्चे को बहुि प्यार, तसक, स्नेह से कोने -
कोने से ढूढं ा है। िो प्यारे हैं िब िो ढूंढा। क्योंतक बाप जानिे हैं मेरा कोई एक भी बच्चा
ऐसा नहीं है तजसमें कोई भी तवशेषिा नहीं हो। कोई तवशेषिा ने ही लाया है। कम से
कम गप्तु रूप में आये हुए बाप को पहचान िो तलया। मेरा बाबा कहा, सब कहिे हो
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 153 ]

ना मेरा बाबा! कोई है जो कहिा है नहीं िेरा बाबा, कोई है? सब कहिे हैं मेरा बाबा।
िो तवशेष है ना। इिने बड़े बड़े साइन्सदान, बड़े बड़े वी.आई.पी. पहचान नहीं सके ,
लेतकन आप सबने िो पहचान तलया ना। अपना बना तलया ना। िो बाप ने भी अपना
बना तलया।

सदा अपने को पदमापदमपति समझिे हो? जो हर कदम में पदमों की कमाई जमा
करिे हैं वह क्या हो गये? पदमापदमपति हो गये ना! आपके आगे आजकल के
नम्बरवन धनवान भी क्या हैं ? तभखारी। क्योंतक तजिना धन होगा िो धन के साथ और
क्या होिा है , दुख भी होिा है। िो जो दुखी होंगे वह सखु के तभखारी िो होंगे ना। िो
चाहे तजिना भी बड़ा तवश्व में प्रतसद्ध नामी-ग्रामी धनवान हो लेतकन आपके आगे सब
तभखारी हैं। अब ऐसा समय प्रैतक्टकल में देखेंगे जो नामी-ग्रामी धनवान अभी सनु ने
के तलए िैयार नहीं हैं , तजन्हें सोचने की फुसटि नहीं है वह सब आपके आगे तभखारी
की क्यू में होंगे, िरसेंगे, िड़फेंगे एक सेकेण्ि के सख
ु के तलए। ऐसे समय पर आप
सभी महादानी स्टे ज पर तस्थि हो सबको दान देंगे। िो इिना नशा रहिा है ? तक हम
तवश्व में सबसे मालामाल हैं।

ब्राह्मण आत्मायें हो, इसतलए स्वदशटन-चक्रधारी हो। ब्राह्मणों को सदा चोटी पर


तदखािे हैं। चोटी अथाटि् ऊूँचा। ब्राह्मण अथाटि् सदा श्रेष्ठ कमट करने वाले , ब्राह्मण
अथाटि् सदा श्रेष्ठ धमट (धारणाओ)ं में रहने वाले - ऐसे ब्राह्मण हो ना? नामधारी ब्राह्मण
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 154 ]

नहीं, काम करने वाले ब्राह्मण। क्योंतक ब्राह्मणों का अभी अन्ि में भी तकिना नाम है!
आप सच्चे ब्राह्मणों का ही यह यादगार अब िक चल रहा है। कोई भी श्रेष्ठ काम होगा
िो ब्राह्मणों को ही बुलायेंगे। क्योंतक ब्राह्मण ही इिने श्रेष्ठ हैं। िो तकस समय इिने श्रेष्ठ
बने हो? अभी बने हो, इसतलए अभी िक भी श्रेष्ठ कायट का यादगार चला आ रहा है।
ं ल्प, हर बोल, हर कमट श्रेष्ठ करने वाले , ऐसे स्वदशटन- चक्रधारी श्रेष्ठ ब्राह्मण हैं
हर सक
- सदा इसी स्मृति में रहो।

अपने को सदा जगे हुए दीपक समझिे हो? आप तवश्व के दीपक अतवनाशी दीपक हो
तजसका यादगार अभी भी दीपमाला मनाई जािी है। िो यह तनश्चय और नशा रहिा है
तक हम दीपमाला के दीपक हैं ? अभी िक आपकी माला तकिनी तसमरण करिे रहिे
हैं? क्यों तसमरण करिे हैं ? क्योंतक अंधकार को रोशन करने वाले बने हो। स्वयं को
ऐसे सदा जगे हुए दीपक अनुभव करो। तटमतटमाने वाले नहीं। तकिने भी िूफान आयें
लेतकन सदा एकरस, अखण्ि ज्योति के समान जगे हुए दीपक। ऐसे दीपकों को तवश्व
भी नमन करिी है और बाप भी ऐसे दीपकों के साथ रहिे हैं। तटमतटमािे दीपकों के
साथ नहीं रहिे। बाप जैसे सदा जागिी ज्योति है , अखण्ि ज्योति है, अमर ज्योति है,
ऐसे बच्चे भी सदा 'अमर ज्योति'! अमर ज्योति के रूप में भी आपका यादगार है।
चैिन्य में बैठे अपने सभी जड़ यादगारों को देख रहे हो।

यह छोटा सा सस ं ार तकिना न्यारा भी है िो प्यारा भी है। क्यों प्यारा है? क्योंतक इस


ब्राह्मण सस
ं ार की हर आत्मा तवशेष आत्मा है। देखने में िो अति साधारण आत्मायें
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 155 ]

आिी हैं लेतकन सबसे बड़े से बड़ी तवशेषिा हर एक ब्राह्मण-आत्मा की यही है जो


परम-आत्मा को अपने तदव्य बुतद्ध द्वारा पहचान तलया है। चाहे 90 वषट के बुजुगट हैं ,
बीमार हैं लेतकन परमात्मा को पहचानने की तदव्य बुतद्ध, तदव्य नेि तसवाए ब्राह्मण
आत्माओ ं के नामीग्रामी वी.वी.आई.पी. में भी नहीं है। यह सभी मािायें क्यों यहाूँ
पहुूँची हैं? टाूँगें चलें, नहीं चलें लेतकन पहुूँच िो गई हैं। िो पहचाना है िब िो पहुच
ं ी हैं
ना! यह पहचानने का नेि, पहचानने की बुतद्ध तसवाए आपके तकसी को भी प्राप्त नहीं
हो सकिी। सभी मािायें यह गीि गािी हो ना - हमने देखा, हमने जाना....।

चाहे धमट सर्त्ा, चाहे राज्य सर्त्ा, चाहे साइस


ं की सर्त्ा, साइन्स भी अभी प्रकृति को
यथाथट रूप में चला नहीं सकिी। यही कहिे होना ही है क्योंतक साइस ं की सर्त्ा है
प्रकृति द्वारा सर्त्ा को कायट करना। िो प्रकृति भी साइस ं के साधन हािे प्रयत्न करिे
अभी कन्िोल में नहीं है आरै आगे चलकर यह प्रकृति के खेल और भी बढ़िे जायेंगे
क्योंतक प्रकृति में भी अभी आतद समय की शतक्त नहीं रही है। ऐसे समय पर अभी
सोचो, अभी क न सी सर्त्ा पररविटन कर सकिी! यह साइलेन्स की शतक्त तवश्व
पररविटन करेगी। यह चारों ओर की हलचल तमटाने वाले क न हैं ? जानिे हो ना!
तसवाए परमात्म पालना के अतधकारी आत्मा के और कोई नहीं कर सकिा। िो आप
सभी को यह उमंग-उत्साह है तक हम ही ब्राह्मण आत्मायें बापदादा के साथ भी हैं और
पररविटन के कायट के साथी भी हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 156 ]

चलिे-तफरिे इस साधारण रूप में तछपे हुए अमूल्य हीरा श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा को
कभी स्वयं भी भूल िो नहीं जािे हो, अपने को साधारण आत्मा िो नहीं समझिे हो?
िन पुराना है, साधारण है लेतकन आत्मा महान और तवशेष है। सारे तवश्व के भाग्य की
जन्मपतियाूँ देख लो, आप जैसी श्रेष्ठ भाग्य की लकीर तकसी की भी नहीं हो सकिी
है। तकिनी भी धन से सम्पन्न आत्मायें हों, शास्त्रं के आत्म ज्ञान के खजाने से सम्पन्न
आत्मायें हों, तवज्ञान के नॉलेज की शतक्त से सम्पन्न आत्मा हों लेतकन आप सबके
भाग्य की सम्पन्निा के आगे वह क्या लगेंगे? वह स्वयं भी अभी अनुभव करने लगे
हैं तक हम बाहर से भरपरू हैं, लेतकन अन्दर खाली है और आप अन्दर भरपरू हैं , बाहर
साधारण हैं। इसीतलए अपने श्रेष्ठ भाग्य को सदा स्मृति में रखिे हुए समथट -पन के रूहानी
नशे में रहो।

बापदादा देख रहे थे ब्राह्मण बच्चों का होलीएस्ट बनना तकिना सवट से न्यारा और
प्यारा है। वैसे द्वापर के आतद की महान आत्मायें और समय प्रति समय आये हुए धमट
तपिायें भी पतवि, होली बने हैं। लेतकन आपकी पतवििा सबसे श्रेष्ठ भी है , न्यारी भी
है। कोई भी सारे कल्प में चाहे महात्मा है , चाहे धमट आत्मा है , धमट तपिा है लेतकन
आप की आत्मा भी पतवि, शरीर भी पतवि, प्रकृति भी सिोप्रधान पतवि, ऐसा
होलीएस्ट कोई न बना है , न बन सकिा है। अपना भतवष्य स्वरूप सामने लाओ। सबके
सामने अपना भतवष्य रूप आया? या पिा ही नहीं है तक बनूंगा या नहीं बनूंगा! क्या
बनूंगा! कुछ भी बनेंगे लेतकन होंगे िो पतवि ना! शरीर भी पतवि, आत्मा भी पतवि
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 157 ]

और प्रकृति भी पतवि पावन, सुखदाई.... तनश्चय की कलम से अपना भतवष्य तचि


सामने ला सकिे हैं।

बापदादा चारों ओर के बच्चों के मस्िक में भाग्य का तसिारा चमकिा हुआ देख रहे
हैं। इिना बड़ा भाग्य सारे कल्प में और तकसका भी नहीं होिा। इस सगं मयुग के प्रातप्त
के आधार से आप बच्चे ही इिने श्रेष्ठ पतवि बनिे हो जो भतवष्य में आप िबल पतवि
बनिे हो। आत्मा भी पतवि और शरीर भी पतवि। सारे कल्प में चक्र लगाके देखो कोई
धमाटत्मा भी िबल पतवि नहीं बना है। आप बच्चे िबल पतवि भी बनिे हो और िबल
पतवििा की तनशानी िबल िाजधारी बनिे हो। आज होली सब मनािे हैं लेतकन आप
इस समय जो िबल होली बनिे हो उसका यादगार उत्सव के रूप में होली मनािे हैं।
आपके ही हर कदम-कदम का जीवन का महत्व उत्सव के रूप में मनािे हैं। आप इस
सगं म पर हर तदन, हर कदम उमंग और उत्साह में रहिे हो िो आपके उमंग-उत्साह का
यादगार यह उत्सव के रूप में मनािे हैं।

सारे तवश्व के चुने हुए कोटों में से कोई इस परमात्म प्यार के अतधकारी बनिे हैं। परमात्म
प्यार ने ही आप बच्चों को यहाूँ लाया है। यह परमात्म प्यार सारे कल्प में इस समय ही
अनुभव करिे हो। और सभी समय आत्माओ ं का प्यार, महान आत्माओ ं का, धमट
आत्माओ ं का प्यार अनुभव तकया लेतकन अभी परमात्म प्यार के पाि बन गये। कोई
आपसे पूछे परमात्मा कहाूँ है? िो क्या कहेंगे? परमात्म बाप िो हमारे साथ ही है। हम
उनके साथ रहिे हैं। परमात्मा भी हमारे तबना रह नहीं सकिा और हम भी परमात्मा के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 158 ]

तबना रह नहीं सकिे। इिना प्यार अनुभव कर रहे हो। फलक से कहेंगे वह हमारे तदल
में रहिा और हम उनके तदल में रहिे। ऐसे अनुभवी हैं ना! हैं अनुभवी? क्या तदल में
आिा? अगर हम नहीं अनुभवी होंगे िो क न होगा! बाप भी ऐसे प्यार के अतधकारी
बच्चों को देख हतषटि होिे हैं।

सदा अपने को इस सतृ ि-ड्रामा की बेहद स्टे ज पर पाटट बजाने वाले हीरो एक्टर समझिे
हो? ऊंचे िे ऊंचे बाप के साथ पाटट बजाने वाले ऊंचे िे ऊंचे एक्टर हो गये ना। बाप के
साथ पाटट बजा रहे हो, इसतलए तवशेष पाटट धारी बन गये। हीरो एक्टर के ऊपर सभी
की नज़र होिी है। िो सारे तवश्व के आत्माओ ं की नजर अभी आप सबके िरफ है! िो
एक नशा यह है तक हम बाप के साथ पाटट बजाने वाले हैं और दूसरा नशा है तक सारे
तवश्व की नजर हम श्रेष्ठ आत्माओ ं के ऊपर है! िो िबल नशा है। िबल खुशी है-एक
श्रेष्ठ आत्मा बनने की खश
ु ी, दूसरी बाप से तमलने की! िबल हीरो हो-एक हीरे िुल्य
जीवन बनाई है और दूसरा तवशेष पाटट धारी हो! ऐसा कभी सोचा था तक इिना तवशेष
पाटट बजाने वाली आत्मा हूँ? सोचा नहीं था लेतकन सेकेण्ि में बन गये। सेकेण्ि का
स दा है ना! सहज प्राप्त तकया या मेहनि लगी?

आप श्रेष्ठ आत्मायें जहान के नूर हो। अथाटि् जहान की रोशनी हो। जै से स्थूल नूर नहीं
िो जहान नहीं। क्योंतक नूर अथाट ि् रोशनी। रोशनी नहीं िो अंधकार के कारण जहान
नहीं। िो आप नूर नहीं िो दुतनया में रोशनी नहीं। आप हैं िो रोशनी के कारण जहान है।
िो बापदादा ऐसे जहान के नूर बच्चों को देख रहे हैं। ऐसे बच्चों की मतहमा सदा गाई
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 159 ]

और पूजी जािी है। ऐसे बच्चे ही तवश्व के राज्य भाग्य के अतधकारी बनिे हैं। बापदादा
हर ब्राह्मण बच्चे को जन्म लेिे ही तवशेष तदव्य जन्म-तदन की तदव्य दो स गाि देिे हैं।
दुतनया में मनुष्य आत्मायें, मनुष्य आत्मा को तगफ्ट देिी है लेतकन ब्राह्मण बच्चों को
स्वयं बाप तदव्य स गाि इस संगमयुग पर देिे हैं। क्या देिे हैं? एक तदव्य बुतद्ध और
दूसरा तदव्य नेि अथाटि् रूहानी नूर। यह दो तगफ्ट हर एक ब्राह्मण बच्चे को जन्म-तदन
की तगफ्ट है।

इिना ऊंच मिटबा बापदादा ने मािाओ ं को तदया है। ऐसी मािायें हो ना! सोई हुई
आत्माओ ं को जगायेंगी। तजन्होंने आपकी तनंदा की है वह आपका कीिटन गायेंगे
क्योंतक बाप की बन गई हैं ना! ऊूँचे िे ऊूँचे भगवन की साथी बन गई हो। जै से अभी
कोई भी बड़ा तदन होिा है ना! िो भारि मािा की जय गािे हैं ना! आगे चलकर आप
मािाओ ं की जय-जय गायेंगे। िो ऐसी मािाओ ं को बापदादा भी नमस्िे कहिे हैं। िो
मािायें जय-जयकार का आवाज सनु ेंगी। मािा गुरू का जो गायन है वह प्रत्यक्ष रूप
में तदखायेंगी। मािाओ ं का बहुि अच्छा पाटट है। मािाओ ं की तवशेषिा क्या है ?
मािाओ ं के चरणों में यह सब बड़े-बड़े मिटबे वाले आप सबके चरणों में झुकेंगे। यह
ु जो गाया हुआ है, वह सच्चा पाटट आप मािायें बजायेंगी। यह रूहानी नशा
मािा गरू
है ना? बाप को प्रत्यक्ष करने के तलए अपनी व दूसरों की वृतर्त् को पॉतजतटव बनाओ

यह परमात्म दुलार कोटों में कोई को प्राप्त होिा है। परमात्म दुलार में बापदादा ने हर
एक बच्चे को िीन िख्ि का मातलक बनाया है। पहला स्वराज्य अतधकार का भ्रकुटी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 160 ]

का िख्ि दूसरा बापदादा का तदलिख्ि और िीसरा है तवश्व के राज्य अतधकार का


िख्ि यह िीन िख्ि बाप ने अपने स्नेही दुलारे बच्चों को तदया है। िो यह िीनों िख्ि
सदा स्मृति में रहने से हर एक बच्चे को रूहानी नशा रहिा है। िो सभी बच्चे बाप द्वारा
प्राप्त वसे को देख खश ु ी में रहिे हैं ना! तदल में स्वि: यह गीि बजिा ही रहिा है वाह
बाबा वाह! और वाह मेरा भाग्य वाह! जो स्वप्न में भी नहीं था वह प्रैतक्टकल जीवन
में तमल गया। िख्ि के साथसाथ बापदादा ने इस संगम पर िबल िाज द्वारा उड़िी
कला का अनुभवी भी बनाया है। िो बापदादा चारों ओर के बच्चों की यह िबल
िाजधारी प्युररटी की रॉयल्टी, िबल िाजधारी देख रहे हैं।

आज बापदादा सवट बच्चों के भाग्य को देख हतषटि हो रहे हैं। सबसे बड़ा भाग्य सभी
के मस्िक में चमकिा हुआ तसिारा, चमकिा हुआ तदखाई दे रहा है। सबका मस्िक
चमक रहा है। साथ में सबके मुख में ज्ञान वाणी की चमक तदखाई दे रही है। सबके
होठों में मुस्कुराहट तकिनी सन्ु दर चमक रही है। हर एक के तदल में तदलाराम बाप की
लवलीन मूिट की झलक तदखाई दे रही है। सभी के हाथों में ज्ञान के खज़ानों की चमक
तदखाई दे रही है। हर एक के कदम में(पाूँव में)पदम की झलक तदखाई दे रही है। बोलो,
इिने बड़े भाग्य, तकिनी झलक से चमक रहे हैं। सोचो, इिना बड़ा भाग्य कै से बना।
स्वयं भाग्य तवधािा बाप ने भाग्य बनाया है। खुद भाग्य तवधािा ने आपका भाग्य
बनाया है। िो अपने भाग्य को देख हतषटि होिे रहिे हो ना! वाह भाग्य। और रोज
अमृिवेले अपने भाग्य को देखिे रहिे हो ना! सगं मयुग है ही भाग्य बनाने वाला।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 161 ]

आपका पाटट अच्छा है ना? सबसे अच्छा पाटट संगमयुग का कहेंगे। लेतकन आपका
देव आत्मा का पाटट भी तवश्व में सारे चक्र की आत्माओ ं से श्रेष्ठ है। चाहे धमट आत्मायें ,
महान आत्मायें भी पाटट बजािी हैं लेतकन वो आत्मा और शरीर दोनों से पतवि नहीं हैं
और आप देव आत्मायें शरीर और आत्मा दोनों से पतवि हैं , जो सारे कल्प में और
कोई आत्मा ऐसी नहीं। िो पतवििा का फाउण्िेशन तसवाए आपके और कोई भी
आत्मा का श्रेष्ठ नहीं है। आपको देव आत्मा का पाटट याद है ? पाण्िवों को याद है ?
देव आत्मा की पतवििा नेचुरल रूप में रही है। महान आत्मायें , आत्माओ ं को पतवि
बनािी हैं लेतकन बहुि पुरूषाथट से, नेचुरल नहीं। न नेचुरल है न नेचर रूप में है। और
आपकी आधा कल्प पतवििा की जीवन नेचुरल भी है और नेचर भी है। कोई परू ु षाथट
वहाूँ नहीं है। यहाूँ का पुरूषाथट वहाूँ नेचुरल हो जािा है।

विटमान फररश्िा रूप और भतवष्य देविा रूप, मध्य का पूज्य रूप - िीनों ही रूप
आतद, मध्य और अन्ि का देखिे हुए हरे क रत्न की वैल्यू को जानिे हैं। हरेक रत्न कोटों
में से कोई और कोई में भी कोई है। ऐसे ही अपने को समझिे हो ना? एक िरफ तवश्व
की कोटों आत्मायें रखो ओर दूसरी िरफ एक अपने को रखो िो कोटों से भी ज्यादा
आप हरे क का विटमान और भतवष्य श्रेष्ठ है। इिना नशा सदा रहिा है ? आज तदन िक
भी आपके पज्ू य स्वरूप देवी वा देविा के रूप की भक्त लोग पज
ू ा कर रहे हैं। आपके
ही जड़ तचिों में चैिन्य देविाओ ं का आह्वान कर रहे हैं। पुकार रहे हैं , आओ, आ करके
अशातन्ि से छुड़ाओ। भकिों की पक
ु ार, अपनी भतवष्य में होने वाली प्रजा का भी
आह्वान सनु ाई देिा है? आज की राजनीति की हलचल को देख आप तवश्व के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 162 ]

महाराजन महारातनयों को व वैकुण्ठ रामराज्य को सब याद कर रहे हैं तक अब वह राज्य


चातहए।

आज बापदादा अपने तवश्व के चारों ओर के तवशेष होवनहार पूज्य बच्चों को देख रहे
हैं। सारे तवश्व में से तकिने थोड़े अमूल्य रिन पूजनीय बने हैं! पूजनीय आत्मायें ही तवश्व
के तलए तवशेष जहान के नूर बन जािे हैं। जैसे इस शरीर में नूर नहीं िो जहान नहीं, ऐसे
तवश्व के अन्दर पूजनीय जहान के नूर आप श्रेष्ठ आत्मायें नहीं िो तवश्व का भी महत्त्व
नहीं। स्वणट -युग वा आतद-युग वा सिोप्रधान युग, नया सस
ं ार आप तवशेष आत्माओ ं
से आरम्भ होिा है। नये तवश्व के आधारमूिट, पूजनीय आत्मायें आप हो। िो आप
आत्माओ ं का तकिना महत्व है! आप पज्ू य आत्मायें सस ं ार के तलए नई रोशनी हो।
आपकी चढ़िी कला तवश्व को श्रेष्ठ कला में लाने के तनतमर्त् बनिी है। आप तगरिी
कला में आिे हो िो सस ं ार की भी तगरिी कला होिी है। आप पररविटन होिे हो िो
तवश्व भी पररविटन होिा है। इिने महान और महत्त्व वाली आत्मायें हो!

यह देखना है तक हर सेकेण्ि चढ़िी कला की िरफ हैं ? एक सेकेण्ि भी चढ़िी कला


के बजाय ठहरिी कला न हो, तगरिी कला की िो बाि ही नहीं। आप हो पण्िे। अगर
पण्िे ठहरिी कला में आ गये वा रूक गये िो आपके पीछे जो तवश्व की आत्माएं चलने
वाली हैं वे सब रूक जावेंगी। अगर इज
ं न ठहर जाय िो साथ ही िब्बे िो स्वि: ही ठहर
जावेंगे। आप सबके पीछे तवश्व की आत्मायें हैं। आप लोगों का एक सेकेण्ि भी रूकना
साधारण बाि नहीं है , क्या इिनी तज़म्मेवारी समझ कर चलिी हो? तवशेष स्थान पर
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 163 ]

और तवशेष स्थान के रूप में सबकी नजरों में हो न? िो जब ड्रामानुसार तवशेष स्थान
पर तवशेष पाटट बजाने का चान्स तमला है िो अपने तवशेष पाटट को महत्व दे चलना
चातहए न? अगर अपना महत्व न रखेंगे, िो अन्य भी आपका महत्व नहीं रखेंगे।
इसतलये अब अपने पाटट के महत्व को जानो। हमारे ऊपर कोई तज़म्मेवारी नहीं, अब
यह सक
ं ल्प भी नहीं करना है।

यह भी ड्रामा अनुसार उन आत्माओ ं को ऊूँचे -िे- ऊूँचे भगवन के साथ सवट चररि
देखने, सनु ने का श्रेष्ठ पाटट है लेतकन वह तकिने थोड़े हैं! आप सबका भी पाटट है, क्यों?
बापदादा ब्राह्मण वश ं ावली बना रहे हैं। इसतलए तवश्व के तहसाब से जो भी ब्राह्मण
आत्मायें हैं वह बहुि बहुि-बहुि भाग्यवान हैं, क्यों?कोटों में कोई की लाइन में और
कोई में भी कोई, एक िरफ तवश्व की कोटों आत्मायें, दूसरे िरफ आप हर एक ब्राह्मण
एक हो। िो जन्म तदन पर बापदादा हर एक बच्चे को, कोई-कोई को नहीं सभी बच्चों
की जन्मपिी देख हर एक के तवशेषिाओ ं की मालायें गले में िाल रहे थे। आप सभी
चाहे नये हैं, चाहे आतद के हैं , चाहे मध्य के हैं लेतकन तवशेष हैं और तवशेष रहेंगे ही।
सारा कल्प तवशेष रहेंगे। सारा कल्प तवश्व की सवट आत्माओ ं की आप श्रेष्ठ आत्माओ ं
के ऊपर महानिा की नज़र रहिी है। िो आप हर एक अपनी तवशेषिाओ ं को जानिे
हो?

हर कदम में अपने को तवशेष आत्मा समझो-िो जैसी स्मृति होगी वैसी तस्थति स्वि:
हो जायेगी। कमट भी तवशेष हो जायेंगे। िो सदा यह स्मृति रहे तक मैं तवशेष आत्मा हूँ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 164 ]

क्योंतक बाप ने अपना बना तलया। इससे बड़ी तवशेषिा और क्या हो सकिी है ?
भगवान के बच्चे बन जाना, यह सबसे बड़ी तवशेषिा है। सदा इसी स्मृति में रहना
अथाटि् पदमों की कमाई जमा करना। तकसके बने और क्या बने हैं यह भी याद रखो
िो कमाई होिी रहेगी। तवश्व के आत्माओ ं की तनगाह आपके ऊपर है , इिनी ऊंचे िे
ऊंची आत्माएं हो, िो सदा हर पाटट बजािे , उठिे-बैठिे, चलिे-तफरिे इस स्मृति में रहो
तक हम स्टे ज पर पाटट बजा रहे हैं। यह ब्राह्मण जीवन है ही आतद से अन्ि िक स्टे ज के
ऊपर पाटट बजाने वाले। जब सदा यह स्मृति रहेगी तक मैं बेहद तवश्व की स्टे ज पर हूँ िो
स्वि: हर कमट के ऊपर अटे न्शन रहेगा। इिना अटे न्शन रखकर कमट करेंगे िो कमाई
जमा होिी रहेगी।

सदा पररविटन शतक्त को यथाथट रीति से कायट में लगाने वाली श्रेष्ठ आत्मा हो ना। इसी
पररविटन शतक्त से सवट की दुआयें लेने के पाि बन जािे। जैसे घोर अन्धकार जब होिा
है, उस समय कोई रोशनी तदखा दे िो अन्धकार वालों के तदल से दुआयें तनकलिी हैं
ना। ऐसे जो यथाथट पररविटन शतक्त को कायट में लगािे हैं , उनको अने क आत्माओ ं द्वारा
दुआयें प्राप्त होिी हैं और सबकी दुआयें आत्मा को सहज आगे बढ़ा देिी हैं। ऐसे,
दुआयें लेने का कायट करने वाली आत्मा हूँ - यह सदा स्मृति में रखो िो जो भी कायट
करेंगे, वह दुआयें लेने वाला करें गे। दुआयें तमलिी ही हैं श्रेष्ठ कायट करने से। िो सदा
यह स्मृति रहे तक 'सबसे दुआयें लेने वाली आत्मा हूँ' - यही स्मृति श्रेष्ठ बनने का साधन
है, यही स्मृति अनेकों के कल्याण के तनतमर्त् बन जािी हैं। िो याद रखना तक पररविटन
शतक्त द्वारा सवट की दुआयें लेने वाली आत्मा हूँ।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 165 ]

तवश्व में अरब खरब पति बहुि हैं लेतकन परमात्म सच्चे प्यार के तभखारी हैं क्यों? अरब
खरब से यह प्यार नहीं तमलिा। साइन्स वालों ने देखो तकिने भी अल्पकाल के सख ु
के सादन तवश्व को तदया है लेतकन तजिने बड़े वैज्ञातनक हैं उिना और कुछ खोज करें ,
और कुछ खोज करें इस खोज में ही खोये हुए हैं। सन्िुििा की अनुभूति नहीं है , और
कुछ करें , और कुछ करें , इस में ही समय गूँवा देिे हैं। उन्हों का सस
ं ार ही खोज करना
हो गया है। आप जैसे स्नेह-सम्पन्न जीवन की अनुभूति नहीं है। नेिाएं देखो अपनी
कुसाट सम्भालने में ही लगे हुए हैं। कल क्या होगा- इस तचन्िा में लगे हुए हैं। और आप
ब्राह्मण सदा परमात्म-प्यार के झूले में झुलिे हो। कल का तफक्र नहीं हैं। न कल का
तफक्र है, न काल का तफक्र है। क्यों? क्योंतक जानिे हो - जो हो रहा है वह भी अच्छा
और जो होना है वह और अच्छा। इस-तलए अच्छा-अच्छा कहिे अच्छे बन गये हो।

बाप-दादा बच्चों के राजभाग्य को देख कर हतषटि हो रहे हैं। सारी सतृ ि की सवट
आत्माओ ं से तकिनी श्रेष्ठ आत्मायें हैं। तकिनी सवट खज़ानों से सम्पन्न आत्मायें हैं। इस
समय की सम्पन्निा का गायन आप श्रेष्ठ आत्माओ ं के कारण स्थान का गायन सदा
चलिा आ रहा है। अब अन्ि िक भी भारि भूतम का गायन तवदेश में भी महान है।
स्थान का महत्व आप चैिन्य महान आत्माओ ं के कारण है। आज िक भी
आध्यातत्मक खजाने के तलए सबकी नज़र भारि के िरफ ही जािी है। स्थूल धन में
गरीब माना जािा है लेतकन आध्यातत्मक खज़ाने अतवनाशी सख ु और शातन्ि, शतक्त
इन खज़ानों में भारि ही सबसे सम्पतर्त्वान गाया जािा है - िो आपकी इस सगं मयुगी
की सम्पन्न तस्थति के कारण ही स्थान का गायन है। इिने खज़ानों से सम्पन्न होिे हो
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 166 ]

जो आधा कल्प वही प्राप्त खजाने चलिे रहिे हैं। इिना खज़ाना जमा होिा जो अनेक
जन्म खािे रहिे। ऐसा कभी कोई सारे कल्प में नहीं बन सकिा।

आज स्वयं तशव तपिा अपने चारों ओर के आये हुए बच्चों से अपनी जयतन्ि मनाने
आये हैं। तकिना बच्चों का भाग्य है जो स्वयं बाप तमलने और मनाने आये हैं। दुतनया
वाले िो पुकारिे रहिे हैं - आओ, कब आयेंगे, तकस रूप में आयेंगे, आह्वान करिे
रहिे हैं और आप बच्चों से स्वयं बाप मनाने के तलए आये हैं। ऐसा तवतचि दृश्य कभी
स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा, लेतकन आज साकार रूप में मनाने के तलए भाग-भाग
कर पहुंच गये हो। बाप भी चारों ओर के बच्चों को देख हतषटि होिे हैं - वाह सातलग्राम
बच्चे वाह! वाह साकार स्वरूपधारी होवनहार फररश्िा सो देविा बच्चे वाह! भक्त
बच्चों और आप ज्ञानी िू आत्मा बच्चों में तकिना अन्िर है। भगि भावना का,
अल्पकाल का फल पाकर खुश हो जािे हैं। वाह-वाह के गीि गािे रहिे हैं और आप
ज्ञानी िू आत्मायें बच्चे थोड़ा सा अल्पकाल का फल नहीं पािे लेतकन बाप से परू ा
वसाट ले, वसे के अतधकारी बन जािे हो।

आज बापदादा हर बच्चे के भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। मस्िक में चमकिे हुए तसिारे
की रे खा, नयनों में स्नेह और शतक्त की रेखा, होठों में मुस्कान की रेखा, पांव में हर
कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। आप सभी भी अपने भाग्य की रेखायें देख हतषटि
होिे हो ना! तदल में यही गािे वाह मेरा भाग्य! हर एक का मस्िक उस तदव्य तसिारे से
चमकिा हुआ देख बापदादा भी खश ु हो रहे हैं और यही तदल में गीि गािे वाह बच्चे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 167 ]

वाह! बच्चों के तदल से क्या गीि सनु रहे हैं ? वाह बाबा वाह! िो बच्चे भी वाह! बाप
भी वाह! िो यह सारी सभा क्या हो गई? वाह! वाह! वाह! िो अपने भाग्य को देख
सदा ऐसे ही हतषटि रहो जैसे अभी सब हतषटि हो रहे हैं। यह भाग्य अब सगं मयुग में ही
तमलिा है। संगमयुग के हर घड़ी की बहुि बड़ी वैल्यु है। सगं मयुग की एक घड़ी
अतवनाशी हो जािी है क्योंतक हर घड़ी का 21 जन्मों के साथ सम्बन्ध है। अब की एक
घड़ी का सन्बन्ध 21 जन्मों के साथ है।

आप सभी ने अनेक जन्मों में बाप के नाम की माला तसमरण की और बाप अभी
सगं मयुग पर बच्चों को ररटनट दे रहे हैं। बच्चों की गुण माला तसमरण करिे हैं। तकिने
भोले बच्चे भोलानाथ को प्यारे हैं। तजिना ज्ञानस्वरूप, नॉलेजफुल, पावरफुल उिना
ही भोलापन। भगवान को भोलापन प्यारा है। ऐसे अपने श्रेष्ठ भाग्य को जानिे हो ना।
जो भगवान को मोह तलया। अपना बना तदया। आज भक्तों और बच्चों दोनों का तवशेष
मनाने का तदन है। भक्त िैयाररयां कर रहे हैं , आह्वान कर रहे हैं और आप सम्मुख बैठे
हो। भक्तों की लीला भी बाप देख-देख मुस्करािे हैं और बच्चों की तमलन लीला देख-
देख हषाटिे हैं। एक िरफ तवयोगी भक्त आत्मायें , दूसरे िरफ सहज योगी बच्चे। दोनों
ही अपनी- अपनी लगन से तप्रय हैं। भक्त भी कोई कम नहीं हैं। कल के तदन आकारी
इि रूप में चक्र लगाकर देखना। बाप के साथ शातलग्राम बच्चों की भी तवशेष रूप से
पजू ा होगी। अपना पज ू न बाप के साथ भक्तों का देखना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 168 ]

बापदादा ऐसे फॉलो फादर करने वाले बच्चों को आज्ञाकारी, वफादार,फरमानवरदार


सच्चे-सच्चे अमूल्य रत्न कहिे हैं। आप बच्चों के आगे यह स्थूल हीरे जवाहराि भी
तमट्टी के समान हैं। इिने अमूल्य हो। ऐसे अपने को अनुभव करिे हो तक मैं बापदादा
के गले की माला के तवजयी अमूल्य रत्न हूँ। ऐसा स्वमान रहिा है ? दुतनया बाप को
ढूूँढिी और बाप ने हमें ढूूँढा। ऐसे अपने को समझिे हो? दुतनया पकु ार रही है तक आ
जाओ और आप सभी नम्बरवार क्या गीि गािे हो? िुम्हीं से बैठूूँ, िुम्ही से खाऊूँ,
िुम्हीं से सदा साथ रहूँ। कहाूँ पक
ु ार और कहाूँ सदा साथ! राि तदन का अन्िर हो गया
ना! कहाूँ एक सेकण्ि की सच्ची अतवनाशी प्रातप्त के प्यासी आत्मायें और कहां आप
सभी प्रातप्त स्वरूप आत्मायें! वह गायन करने वाली और आप सभी बाप की गोदी में
बैठने वाले। वह तचल्लाने वाली और आप हर कदम उनकी मि पर चलने वाले। वह
दशटन की प्यासी और आप बाप द्वारा स्वयं दशटनीयमूर्त्ट बन गये।

बाप का बच्चों प्रति इिना स्नेह है जो सारी सतृ ि की आत्मायें बच्चे होिे हुए भी,
तजन्होंने प्रीि की रीति तनभाई है वा प्रीि-बुतद्ध बने हैं, ऐसे प्रीि की रीति तनभाने वालों
से इिनी प्रीि की रीति तनभाई है जो अन्य सभी आत्माओ ं को अल्पकाल का सख ु
प्राप्त होिा है लेतकन प्रीि की रीति तनभाने वाली आत्माओ ं को सारे तवश्व के सवट सख ु ों
की प्रातप्त सदाकाल के तलए होिी है। सभी को मुतक्तधाम में तबठाकर प्रीि की रीति
तनभाने वाले बच्चों को तवश्व का राज्य भाग्य प्राप्त करािे हैं। ऐसे स्नेही बच्चों के तसवाए
और कोई से भी सवट सम्बन्धों से सवट प्रातप्त का पाटट नहीं। ऐसे प्रीि तनभाने वाले बच्चों
के तदन-राि गुण-गान करिे हैं। तजससे अति स्नेह होिा है िो उस स्नेह के तलए सभी
को तकनारे कर सभी-कुछ उनके अपटण करिे हैं , यह है स्नेह का सबूि। िो सदा स्नेही
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 169 ]

और सहयोगी बच्चों के तसवाए अन्य सभी आत्माओ ं को मुतक्तधाम में तकनारे कर देिे
हैं।

देखो, भगवान की पसन्दगी क्या है ? तजसको कोई पसन्द नहीं करिे उसको बाप
पसन्द करिे हैं! बाप की नज़र तकसके ऊपर गई? आप लोगों के ऊपर। इिने नामीग्रामी
लोगों पर नज़र नहीं गई। कहिे हैं ना-िुम्हारी गि-मि िुम ही जानो, और कोई नहीं
जानिा। िो नशा है तक परमात्मा ने हमको पसन्द तकया है। िबल तवदेशी िबल नशे में
रहिे हैं। भारिवातसयों को िो भारि में ही आकर चुना। लेतकन िबल तवदेतशयों को
कहाूँ से चुना? इिना दूर से बाप ने हमको चुना। िो िबल नशा है ना। जैसे आत्मा और
शरीर साथ-साथ हैं और सदा साथ हैं , ऐसे यह नशा आत्मा के सदा साथ है। िो ऐसे
नशे में रहने वाली श्रेष्ठ िे श्रेष्ठ आत्माए! सदा खुशी में नाचने वाले। कोई प्रातप्त होिी है
िो खश ु ी में नाचिे हैं। आपको िो हर कदम में प्रातप्त ही प्रातप्त है। इिनी प्रातप्त है जो तदल
कहिा है तक अप्राप्त नहीं कोई वस्िु परमात्म-खज़ाने में। इस समय का यही गीि है -
ब्राह्मणों के खज़ानों में सवट प्रातप्तयाूँ हैं।

तकिने लक्की हो! सदा ब्रह्मा भोजन तमलिा रहे -यह कम भाग्य नहीं है! सदा आत्मा
की पालना तवशेष आत्माओ ं द्वारा होिी रहे-यह भी कम पालना नहीं है! सदा
वायुमण्िल श्रेष्ठ तमलिा रहे, सगं श्रेष्ठ तमलिा रहे-तकिने भाग्य हैं! अमृिवेले से लेकर
राि िक अपने तभन्न-तभन्न भाग्य को स्मृति में लाओ। तदनचयाट के आतद में ही पहला
भाग्य बाप से तमलन मनाना। दुतनया िड़पिी रहिी है और आप अमिृ वेले से राि िक
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 170 ]

तमलन मनािे रहिे हो। अगर राि को सोिे भी हो िो कहाूँ सोिे हो? तबस्िर पर?िो
देखो, आतद में भी भाग्य, मध्य में भी भाग्य और अन्ि में क्या होगा? भाग्य ही भाग्य
होगा ना। िो सदा अपने भाग्य की तलस्ट सामने रखो। और यही गीि सदा गािे रहो-
'वाह मेरा भाग्य'। वाह बाबा िो है ही लेतकन उसके साथ-साथ वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य।
हद का भाग्य नहीं, बेहद का श्रेष्ठ भाग्य। िो जो स्वयं सदा अपने भाग्य के स्मृति में
रहेंगे वो औरों को भी भाग्यवान बनायेंगे ना। जो जैसा होगा वैसा ही बनायेगा ना।

हर एक बच्चे के भाग्य की रेखायें देख-देख भाग्य तवधािा बाप भी हतषटि होिे हैं
क्योंतक सारे कल्प में चक्र लगाओ िो आप जै सा श्रेष्ठ भाग्य तकसी धमट आत्मा, महान
आत्मा, राज्य अतधकारी आत्मा, तकसी का भी इिना बड़ा भाग्य नहीं है, तजिना आप
सगं मयुगी श्रेष्ठ आत्माओ ं का है। मस्िक से अपने भाग्य की रेखाओ ं को देखिे हो?
बापदादा हर एक बच्चों के मस्िक में चमकिी हुई ज्योति की श्रेष्ठ रेखा देख रहे हैं।
आप सभी भी अपनी रेखायें देख रहे हो? नयनों में देखो िो स्नेह और शतक्त की रेखायें
स्पि हैं। मुख में देखो मधुर श्रेष्ठ वाणी की रेखायें चमक रही हैं। होठों पर देखो रूहानी
मुस्कान, रूहानी खश
ु ी की झलक की रे खा तदखाई दे रही है। ह्दय में देखो वा तदल में
देखो िो तदलाराम के लव में लवलीन रहने की रेखा स्पि है। हाथों में देखो दोनों ही
हाथ सवट खज़ानों से सम्पन्न होने की रेखा देखो, पांवों में देखो हर कदम में पदम की
प्रातप्त की रेखा स्पि है। तकिना बड़ा भाग्य है!
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 171 ]

बापदादा हर बच्चे के मस्िक में िीन भाग्य के िीन तसिारे चमकिे हुए देख रहे हैं। एक
भाग्य है - बापदादा की श्रेष्ठ पालना का, दूसरा है तशक्षक द्वारा पढ़ाई का, िीसरा है
सिगरूु द्वारा सवट वरदानों का चमकिा हुआ तसिारा। िो आप सब भी अपने मस्िक
पर चमकिे हुए तसिारे अनुभव कर रहे हो ना! सवट सम्बन्ध बापदादा से है तफर भी
जीवन में यह िीन सम्बन्ध आवश्यक हैं और आप सभी तसकीलधे लािले बच्चों को
सहज ही प्राप्त हैं। प्राप्त हैं ना! नशा है ना! तदल में गीि गािे रहिे हैं ना - वाह! बाबा
वाह! वाह! तशक्षक वाह! वाह! सिगुरू वाह! दुतनया वाले िो ल तकक गुरू तजसको
महान आत्मा कहिे हैं, उस द्वारा भी एक वरदान पाने के तलए तकिना प्रयत्न करिे हैं
और आपको बाप ने जन्मिे ही सहज वरदानों से सम्पन्न कर तदया। इिना श्रेष्ठ भाग्य
क्या स्वप्न में भी सोचा था तक भगवान बाप इिना हमारे ऊपर बतलहार जायेगा! भक्त
लोग भगवान के गीि गािे हैं और भगवान बाप तकसके गीि गािे ? आप लक्की
बच्चों का।

आप श्रेष्ठ आत्माएूँ ही जहान के आधार हो। आप सभी जगिे , जागिी ज्योि बनिे िो
जहान वाले भी जगिे। आप सोिे हैं िो जहान सोिा है। आप सब की चढ़िी कला
होिी िो सवट आत्माओ ं का कल्याण हो जािा। सवट यथाशतक्त समय प्रमाण मुतक्त और
जीवन-मुतक्त को प्राप्त होिे हैं। आप तवश्व पर राज्य करिे हो िो सवट आत्माएं मुतक्त की
तस्थति में रहिी हैं। िीनों लोकों में आपके राज्य समय दु:ख अशातन्ि का नाम तनशान
नहीं। ऐसी सवट आत्माओ ं को बाप द्वारा सख ु -शातन्ि की अंचली तदलािे जो उसी
अंचली द्वारा बहुि समय की मुतक्त की आशा सवट की पूणट हो जािी है। ऐसे सवट
आत्माओ ं को, तवश्व को यथाशतक्त प्रातप्त कराने वाले स्व-प्रातप्त स्वरूप हो ना! क्योंतक
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 172 ]

िायरेक्ट सवट प्रातप्तयों के दािा, सवट शतक्तयों के तवधािा, सेकण्ि में सवट अतधकार देने
वाले वरदािा, श्रेष्ठ भाग्य-तवधािा, अतवनाशी बाप के बच्चे बने। ऐसी अतधकारी
आत्माओ ं को सदा अतधकार को याद करिे रूहानी श्रेष्ठ नशा और सदा की खुशी
रहिी है?

जैसे ऊंचे से ऊंचा बाप है ऐसे हम आत्मायें भी ऊंचे से ऊंची श्रेष्ठ आत्मायें हैं-यह
अनुभव करिे हुए चलिे हो? क्योंतक दुतनया वालों के तलये िो सबसे श्रेष्ठ, ऊंचे से
ऊंचे हैं बाप के बाद देविायें। लेतकन देविाओ ं से ऊंचे आप ब्राह्मण आत्मायें हो,
फररश्िे हो-ये दुतनया वाले नहीं जानिे। देविा पद को इस ब्राह्मण जीवन से ऊंचा नहीं
कहेंगे। ऊंचा अभी का ब्राह्मण जीवन है। देविाओ ं से भी ऊंचे क्यों हो, उसको िो
अच्छी िरह से जानिे हो ना। देविा रूप में बाप का ज्ञान इमजट नहीं होगा। परमात्म
तमलन का अनुभव इस ब्राह्मण जीवन में करिे हो, देविाई जीवन में नहीं। ब्राह्मण ही
देविा बनिे हैं लेतकन इस समय देविाई जीवन से भी ऊंच हो, िो इिना नशा सदा रहे,
कभी-कभी नहीं। क्योंतक बाप अतवनाशी है और अतवनाशी बाप जो ज्ञान देिे हैं वह
भी अतवनाशी है , जो स्मृति तदलािे हैं वह भी अतवनाशी है, कभी-कभी नहीं। िो यह
चेक करो तक सदा यह नशा रहिा है वा कभी-कभी रहिा है ? मजा िो िब आयेगा
जब सदा रहेगा।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 173 ]

उमंग है - मुझे बाप समान सवट शतक्तयों, सवट गुणों, सवट ज्ञान के खज़ानों से सम्पन्न
होना ही है - क्योंतक कल्प पहले भी मैं श्रेष्ठ आत्मा बना था। एक कल्प की िकदीर
नहीं लेतकन अनेक बार के िकदीर की लकीर भाग्य तवधािा द्वारा खींची हुई है। इसी
उमंग के आधार पर उत्साह स्वि: ही उत्पन्न होिा है। उत्साह क्या होिा? "वाह मेरा
भाग्य"। जो भी बाप दादा ने तभन्न-तभन्न टाइतटल तदये हैं। उसी स्मृति स्वरूप में रहने
से उत्साह अथाटि् खुशी स्वि: ही और सदा ही रहिी है। सबसे बड़े िे बड़े उत्साह की
बाि है तक अनेक जन्म आपने बाप को ढूूँढा लेतकन इस समय बापदादा ने आप लोगों
को ढूूँढा। तभन्न-तभन्न पदों के अन्दर तछपे हुए थे। उन पदों के अन्दर से भी ढूूँढ तलया
ना? तबछुड़कर तकिने दूर चले गये ! भारि देश को छोड़कर कहाूँ चले गये! धमट , कमट,
देश, रीति-रसम, तकिने पदों के अन्दर आ गये। िो सदा इसी उत्साह और खश
ु ी में रहिे
हो ना! बाप ने अपना बनाया या आपने बाप को अपना बनाया! पहले मैसेज िो बाप
ने भेजा ना।

सभी अपने को तसकीलधे समझिे हो ना? तकिने तसक व प्रे म से बाप ने कहाूँ-कहाूँ से
चुनकर एक गुलदस्िे में िाला है। गुलदस्िे में आकर सभी 'रूहे गुलाब' बन गये। रूहे
गुलाब अथाटि् अतवनाशी खुशबू देने वाले। ऐसे अपने को अनुभव करिे हो? हरेक को
यही नशा है ना तक हम बाप को तप्रय हैं! हरे क कहेगा तक मेरे जै सा प्यारा बाप को और
कोई नहीं है। जैसे बाप जैसा तप्रय और कोई नहीं। वैसे बच्चे भी कहेंगे। क्योंतक हरे क
की तवशेषिा प्रमाण बाप को सभी से तवशेष स्नेह है। नम्बरवार होिे हुए भी सभी तवशेष
स्नेही हैं। बच्चों के मूल्य को तसफट बाप जानें और आप जानों। और कोई नहीं जान
सकिा। दूसरे िो आप लोगों को साधारण समझिे हैं , लेतकन कोटो में कोई और कोई
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 174 ]

में भी कोई आप हो। तजसको बाप ने अपना बना तलया। बाप का बनिे ही सवट प्रातप्तयाूँ
हो गई। खज़ानों की चाबी बाप ने आप सबको दे दी। अपने पास नहीं रखी। इिनी
चातबयाूँ हैं जो सबको दी है। यह मास्टर की (चाबी) ऐसी है जो तजस खज़ाने को लगाना
चाहो, लगाओ और खज़ाना प्राप्त करो।

एक लकीर है प्रभु पालना की, दूसरी लकीर है श्रेष्ठ पढ़ाई की और िीसरी लकीर है
श्रेष्ठ मि की। िीनों ही लकीर चमक रही हैं। यह िीनों लकीर सवट के भाग्य की लकीरे
हैं। आप सभी भी अपनी िीनों लकीरें देख रहे हो ना! प्रभु पालना का भाग्य तसवाए
आप ब्राह्मण आत्माओ ं के और तकसी को भी प्राप्त नहीं होिा है। परमात्म पालना तजस
पालना से तकिने श्रेष्ठ पूज्यनीय बन जािे हो। कभी स्वप्न में भी ऐसा सोचा था तक
मुझ आत्मा को परमात्म पढ़ाई का अतधकार प्राप्त होना है। लेतकन अभी साकार में
अनुभव कर रहे हो। स्वयं सिगुरू अमृिवेले से राि िक हर कमट की श्रेष्ठ मि दे कमट
बन्धन के पररविटन में , कमट सम्बन्ध में आने की श्रीमि देने के तनतमर्त् बनायेंगे - यह
भी स्वप्न में नहीं था। लेतकन अभी अनुभव से कहिे हो हमारा हर कमट श्रीमि पर चल
रहा है। ऐसा अनुभव है? ऐसा श्रेष्ठ भाग्य हर बच्चों का बापदादा भी देख-देख हतषटि
होिे हैं। वाह मेरे श्रेष्ठ भाग्यवान वाह! बच्चे कहिे वाह बाबा वाह! और बाप कहिे वाह
बच्चे वाह!

वाह रे - मैं! का नशा याद है ? वह तदन, वह झलक और फलक स्मृति में आिी है ? वह
नशे के तदन अल तकक थे। ऐसे नशे के तदन स्मृति में आिे ही नशा चढ़ जािा है - इिना
नशा इिनी खुशी जो स्थूल पाूँव भी चलिे -तफरिे नैचुरल िान्स करिे हैं - प्रोग्राम से
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 175 ]

िान्स नहीं। मन में भी नाच और िन भी नैचुरल नाचिा रहे। यह नैचुरल िान्स िो तनरन्िर
हो सकिा है ? ऑखों का देखना, हाथों का तहलना और पाूँव का चलना सब खुशी में
नैचुरल िान्स करिे हैं। उनको फररश्िों का िान्स कहिे हैं - ऐसे नैचुरल िान्स चलिा
रहिा है? जैसे कहिे हैं तक फररश्िों के पाूँव धरिी पर नहीं तटकिे। ऐसे फररश्िे बनने
वाली आत्मायें भी इस देह अथाटि् धरिी - जैसे वह धरिी तमट्टी है वैसे यह देह भी तमट्टी
है ना? िो फररश्िों के पाूँव धरिी पर नहीं रहिे अथाटि् फररश्िे बनने वाली आत्माओ ं
के पाूँव अथाटि् बुतद्ध इस देह रूपी धरिी पर नहीं रह सकिी। 'वाह रे मैं!' जैसे औरों की
वाह-वाह की जािी है ना - वैसे वाह रे मैं! यह स्वमान के शब्द हैं , न तक देह-अतभमान
के ।

ब्राह्मण अथाटि् ब्रह्मा मुख वशं ावली। हर ब्राह्मण आत्मा के भाग्य को देख बापदादा
भी हतषटि होिे हैं। हर ब्राह्मण आत्मा को जन्मिे ही स्वयं ब्रह्मा बाप द्वारा मस्िक में
स्मृति का तिलक लगिा है। स्वयं भगवान तिलकधारी बनािे हैं। साथ-साथ हर ब्राह्मण
आत्मा को पतवििा के महामन्ि द्वारा लाइट का िाज धारण करािे हैं और साथ-साथ
हर ब्राह्मण आत्मा को तवश्व-कल्याणकारी आत्मा बनाए तजम्मेवारी का िाज धारण
करािे हैं। िबल िाज है और भगवान स्वयं अपने तदल िख़्िनशीन बनािे हैं। िो जन्मिे
ही तिलक, िाज और िख़्िधारी बन जािे हैं। ऐसा श्रेष्ठ भाग्य सारे कल्प में कोई आत्मा
का नहीं हो सकिा। िो इिने श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति रहिी है तक हम ब्राह्मण जन्मिे ही
ऐसे भाग्यवान बनिे हैं? परमात्म-बाप द्वारा यह िीनों प्रातप्तयाूँ होना यह तसफट ब्राह्मणों
के भाग्य में है। िो बापदादा देख रहे थे तक मेरे बच्चों का तकिना बड़ा भाग्य का तसिारा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 176 ]

हर एक के मस्िक पर चमक रहा है। ऐसा भाग्य का तसिारा आपको अपने में तदखाई
देिा है?

बापदादा हर एक अति स्नेही, सहजयोगी, सदा बाप के कायट में सहयोगी, सदा पावन
वतृ र्त् से, पावन दृति से सतृ ि को पररविटन करने वाले सवट होली बच्चों को देख सदा
हतषटि होिे हैं। पावन िो आजकल के गाये हुए महात्मायें भी बनिे हैं लेतकन आप श्रेष्ठ
आत्मायें हाइएस्ट होली बनिे हो अथाटि् सक
ं ल्प - माि, स्वप्न माि भी अपतवििा
वतृ र्त् को, दृति को पावन तस्थति से नीचे नहीं ला सकिी। हर सक
ं ल्प अथाटि् स्मृति
पावन होने के कारण वृतर्त्, दृति स्वि: ही पावन हो जािी है। न तसफट आप पावन बनिे
हो लेतकन प्रकृति को भी पावन बना देिे हो। इसतलए पावन प्रकृति के कारण भतवष्य
अनेक जन्म शरीर भी पावन तमलिे हैं। ऐसे होलीहंस वा सदा पावन सक ं ल्पधारी श्रेष्ठ
आत्मायें बन जािी हो। ऊूँचे - िे - ऊूँचा बाप हर बाि में श्रेष्ठ जीवन वाले बनािे हैं।
पतवििा भी ऊूँचे - िे - ऊूँची पतवििा, साधारण नहीं। साधारण पतवि आत्मायें आप
महान पतवि आत्माओ ं के आगे मन से मानने का नमस्कार करेंगे तक आपकी पतवििा
अति श्रेष्ठ है।

आज बाप दादा हरेक बच्चे को देख हतषटि हो रहे हैं। क्योंतक बाप दादा जानिे हैं तक
हरेक बच्चा तकिनी श्रेष्ठ आत्मा है। हरेक बच्चा जहान का नूर है अथाटि् नूरे-जहान है।
बाप-दादा के भी नयनों के तसिारे हैं। बच्चों को नयनों पर तबठा कर ही चलिे हैं। अथाटि्
नयनों में समाये हुए हैं। नयनों की मतहमा बहुि गाई हुई है। अगर नयन नहीं िो मानव-
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 177 ]

जीवन के तलए जहान नहीं। जैसे शरीर में नयनों का महत्व है ऐसे िुम हरेक बच्चे जहान
के नूर हो। आप नूरे-जहान के तबना भी जहान का कोई मूल्य नहीं। जहान के नूर अपनी
इस तस्थति पर तस्थि होिे हैं िो जहान भी सखु मय बन जािा है, श्रेष्ठ बन जािा है। और
जहान के नूर अपनी श्रेष्ठ तस्थति से नीचे आ जािे हैं िो जहान भी असार संसार बन
जािा है। इिना आप सबके ऊपर आधार है। जैसे कहावि है आप जागे िो सस ं ार
जागा, आप सोये िो सस ं ार सोया ऐसे सस
ं ार के आधार मूिट हो। आपकी चढ़िी कला
से सवट की चढ़िी का सम्बन्ध है। आपकी तगरिी कला से तवश्व की तगरिी कला का
सम्बन्ध है। इिनी तजम्मेवारी हरेक के ऊपर है।

एक-एक तकिनी महान आत्मायें हो। इिनी महान आत्माओ ं का सगं ठन िो सारे कल्प
में ऐसा नहीं हो सकिा। कोई एक-एक का महत्व कम नहीं है। अभी िो आपस में भी
एक दो को साधारण समझिे हो, आगे चल एक दो को तवशेषिा प्रमाण तवशेष आत्मा
समझेंगे। अभी हल्की-हल्की बािें नोट ज्यादा होिी हैं , तवशेषिायें कम। बैठकर सोचो
िो एक-एक तकिने भक्तों के पूवटज हो। सभी इि देव और देतवयाूँ हो ना। एक-एक इि
देव के तकिने भक्त होंगे ? कम हतस्ियाूँ िो नहीं हो ना! एक मूतिट का भी इिना महत्व
होिा, इिने इि देव इकट्ठे हो जाएूँ िो क्या हो जाए! शतक्तशाली हो। परन्िु आपस में
भी तछपाया है िो तवश्व से भी तछपे हो। वैसे एक-एक का मूल्य अनतगनि है। बापदादा
िो जब बच्चों के महत्व को देखिे हैं िो नाज़ होिा है तक एक-एक बच्चा तकिना महान
है। अपने को भी कभी समझिे हो कभी नहीं। वैसे हो बहुि महान। साधारण हस्िी नहीं
हो! थोड़ी-सी प्रत्यक्षिा होगी तफर आपको भी मालूम पड़ेगा तक हम क न हैं! बाप िो
उसी महानिा से देखिे हैं। बाप के आगे िो सब प्रत्यक्ष है ना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 178 ]

दुतनया की अनेक आत्मायें परमात्म-तमलन की प्यासी हैं, इन्िजार में हैं। लेतकन आप
ब्राह्मण-आत्मायें दुतनया के कोने में गुप्त रूप में अपना श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त कर रहे हो
क्योंतक तदव्य बाप को जानने अथवा देखने के तलए तदव्य बुतद्ध और तदव्य दृति चातहए
जो बाप ने आप तवशेष आत्माओ ं को दी है इसतलए आप ब्राह्मण ही जान सकिे और
तमलन मना सकिे हो। दुतनया वाले िो पुकारिे रहिे -"एक बूंद के प्यासे हम'' और
आप क्या कहिे हो - हम वसे के अतधकारी हैं , तकिना अन्िर है - कहाूँ प्यासी और
कहाूँ अतधकारी! अभी भी सभी अतधकारी बनकर अतधकार से आकर पहुूँचे हो। तदल
में यह नशा है तक हम अपने बाप के घर में अथवा अपने घर में आये हैं। ऐसे नहीं कहेंगे
तक हम आश्रम में आये हैं। अपने घर में आये हैं - ऐसे समझिे हो ना? अतधकार की
तनशानी है - अपना-पन। अपने बाप के पास आये हैं , अपने पररवार में आये हैं। मेहमान
बन कर के नहीं आिे लेतकन बच्चे आये हैं अपने घर में। चाहे चार तदन के तलए आिे
हो लेतकन समझिे हो - मधुबन अपने स्थान पर पहुूँचे हैं।

ब्राह्मण आत्मायें तवश्व के सवट श्रेष्ठ कायट का, तनमाटण का मुहिट करने वाली हैं। ब्राह्मण
आत्मायें ही अवश्मेध राजस्व यज्ञ, ज्ञान यज्ञ रचने वाली श्रेष्ठ आत्मायें हैं। ब्राह्मण
आत्मायें हर आत्मा के 84 जन्म की जन्मपिी जानने वाली हैं। हर आत्मा के श्रेष्ठ भाग्य
की रेखा तवधािा द्वारा श्रेष्ठ बनाने वाली हैं। ब्राह्मण आत्मायें महान यािा - मुतक्त-
जीवनमुतक्त की यािा कराने के तनतमर्त् हैं। ब्राह्मण आत्मायें सवट आत्माओ ं को
सामूतहक सगाई बाप से कराने वाली हैं। परमात्म हाथ में हाथ का हतथयाला बंधवाने
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 179 ]

वाली हैं। ब्राह्मण आत्मायें जन्म-जन्म के तलए सदा पतवििा का बन्धन बाूँधने वाली
हैं। अमरकथा कर अमर बनाने वाली हैं। समझा - तकिने महान हो और तकिने
तजम्मेवार आत्मायें हो! पवू टज हो। जैसे पवू टज वैसी वंशावली बनिी है। साधारण नहीं
हो। पररवार के तजम्मेवार वा कोई सेवा स्थान के तजम्मेवार - इस हद के की तजम्मेवार
नहीं हो। तवश्व की आत्माओ ं के आधार मूिट हो। उद्धार मूिट हो। बेहद की तजम्मेवारी हर
ब्राह्मण आत्मा के ऊपर है।

तकिना बड़ा भाग्य, तजिने ही होलीएस्ट हैं उिने ही हाइएस्ट भी हैं। सारे कल्प में देखो
आप सबके भाग्य से ऊंचा भाग्य और तकसी का नहीं है। जानिे हो ना अपने भाग्य
को? विटमान समय भी परमात्म पालना, परमात्म पढ़ाई और परमात्म वरदानों से पल
रहे हो। भतवष्य में भी तवश्व के राज्य अतधकारी बनिे हो। बनना ही है , तनतश्चि है, तनश्चय
ही है। बाद में भी जब पूज्य बनिे हो िो आप श्रेष्ठ आत्माओ ं जैसी पूजा तवतधपूवटक
और तकसी की भी नहीं होिी है। िो विटमान, भतवष्य और पज्ू य स्वरूप में हाइएस्ट
अथाटि् ऊंचे िे ऊंचे हैं। आपके जड़ तचि उन्हों की भी हर कमट की पूजा होिी है। अने क
धमट तपिा, महान आत्मायें हुए हैं लेतकन ऐसे तवतध पवू टक पजू ा आप ऊंचे िे ऊंचे
परमात्म बच्चों की होिी है क्योंतक इस समय हर कमट में कमटयोगी बन कमट करने की
तवतध का फल पूजा भी तवतधपूवटक होिी है। इस संगम समय के पुरूषाथट की प्रालब्ध
तमलिी है। िो ऊंचे िे ऊंचे भगवन आप बच्चों को भी ऊंचे िे ऊंची प्रातप्त करािे हैं।
होली अथाटि् पतवििा, होलीएस्ट भी हो िो हाइएस्ट भी हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 180 ]

भारि देश की महानिा तकसके कारण है ? आप लोगों के कारण है। क्योंतक देश महान
बनिा है महान आत्माओ ं द्वारा। िो भारि की सवट महान आत्माओ ं में से महान क न?
आप हैं तक दूसरे हैं? इिनी महान आत्मायें हैं जो अब चक्कर के समातप्त में भी भारि
महान, आप महान आत्माओ ं के कारण गाया जािा है। और कोई भी देश में इिनी
महान आत्माओ ं का गायन या पूजन नहीं होिा। चाहे तकिने भी नामीग्रामी धमाटत्माएं
हो गई हों या राजनेिायें होकर गये हों वा आजकल के जमाने के तहसाब से वैज्ञातनक
भी नामीग्रामी हैं लेतकन तकसी भी देश में उस देश की इिनी महान आत्माओ ं के मतन्दर
हों,यादगार हों, पूजन हो, गायन हो - वह कहाूँ भी नहीं होगा। चाहे तवज्ञान में तवदेश
बहुि आगे है लेतकन गायन और पज ू न में नहीं है। वैज्ञातनकों का या राजनीतिज्ञों का
गायन भी होिा है लेतकन उस गायन और देवात्माओ ं के गायन में तकिना अन्िर है!
ऐसा गायन वहाूँ नहीं होिा। िो इिनी भारि की महा-निा बढ़ाने वाले हम महान
आत्मायें हैं - यह नशा तकिना श्रेष्ठ है! यहाूँ गली- गली में मतन्दर देखेंगे। िो इिना नशा
सदा स्मृति में रखो।

बाप-दादा के सम्मुख क नसे बच्चे सदा रहिे हैं ? सदा सम्मुख रहने वाले बच्चों की
तवशेषिा क्या है ? ऐसे तवशेष आत्माओ ं के प्रति बापदादा को तवशेष रूप से तमलन
मनाना होिा है। ऐसे बच्चों को नयनों के तसिारे व जहान के नूर कहा जािा है। जैसे
स्थूल शरीर के अन्दर सबसे तवशेष और सदा आवश्यक अंग नयन हैं। नयन नहीं िो
जहान नहीं। इसी प्रकार ऐसे बच्चे इिने तवशेष गाये हुए हैं। ऐसे बच्चे सतवटसएबल होने
के कारण तवश्व के तलये व जहान के तलए नूर अथाटि् प्रकाश व ज्योति के समान हैं।
जैसे जान (शरीर) के तलए नयन आवश्यक हैं वैसे ही जहान के तलए नूर आवश्यक हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 181 ]

अगर ऐसी आत्मायें तनतमर्त् नहीं बनें िो जहान जंगल बन जािा है अथाटि् जहान, जहान
नहीं रहिा। ऐसे सदा स्वयं को भी तसिारा ही समझकर कमट करिे हैं? तसिारा भी
चमकिा हुआ तसिारा। ऐसे बच्चे ही बापदादा के नयनों में समाये हुए अथाटि् बाप की
लगन में सदा मग्न रहने वाले हैं। साथ-साथ उनके नयनों में भी सदा बापदादा समाया
हुआ रहिा है। ऐसे नयनों के नूर तसवाय बाप के और कोई भी व्यतक्त व वस्िु को देखिे
हुए भी नहीं देखिे।

तकिनी श्रेष्ठ भाग्यवान आत्माएं हो! जो चैिन्य साकार स्वरूप में तशव बाप के साथ
तशवराति मना रहे हो। ऐसे कभी सकं ल्प में , स्वप्न में भी नहीं सोचिे थे तक ऐसी
अल तकक तशवराति मनाने वाले हम सातलग्राम आत्माएं हैं। आप सब चैिन्य रूप में
मनािे हो। उसका ही यादगार अब भक्तों द्वारा ज़ि-चिि में चैिन्य भावना से मनाने का
देख रहे हो। सच्चे भक्त तचि में भावना से, भावना स्वरूप अनुभव करिे और आप
सातल-ग्राम आत्माएं सम्मुख मनाने वाली हो। िो तकिना भाग्य है! पद्म, अरब, खरब
यह भी आपके भाग्य के सामने कुछ नहीं है। इसतलए सभी बच्चे तनश्चय के फलक से
कहिे हैं - हमने देखा, हमने पाया। यह गीि सभी का है या कोई-कोई का है ? सभी
गािे हैं ना? वा यह गािे हो तक देख लेंगे, पा लेंगे? पा तलया है वा पाना है ? िबल
तवदेशी क्या समझिे हैं पा तलया है ? बापको देखा भी है ना? तदल से कहिे हो तक
बाप को देखा है , पाया है। देखना और पाना िो क्या लेतकन बाप को अपना बना
तलया है। बाप आपको हो गया है ना। देखो, आपको बाप हो गया िब िो आपके
कहने से बाप आ जािे है ना। िो अतधकारी बन गये ना।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 182 ]

सभी सदा अपने को तवशेष आत्मायें अनुभव करिे हो? सारे तवश्व में ऐसी तवशेष
आत्मायें तकिनी होंगी? जो कोटों में कोई गायन है, वह क न हैं? आप हो ना! िो सदा
अपने को कोटों में कोई, कोई में भी कोई ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें समझिे हो? कभी स्वप्न
में भी ऐसा नहीं सोचा होगा तक इिनी श्रेष्ठ आत्मा बनेंगे लेतकन साकार रूप में अनुभव
कर रहे हो। िो सदा अपना यह श्रेष्ठ भाग्य स्मृति में रहिा है? वाह मे रा श्रेष्ठ भाग्य। जो
भगवान ने खुद आपका भाग्य बनाया है। िायरेक्ट भगवान ने भाग्य की लकीर खींची,
ऐसा श्रेष्ठ भाग्य है। जब यह श्रेष्ठ भाग्य स्मृति में रहिा है िो खश
ु ी में बुतद्ध रूपी पाूँव इस
पृथ्वी पर नहीं रहिे। ऐसे समझिे हो ना। वैसे भी फररश्िों के पाूँव धरनी पर नहीं होिे।
सदा ऊपर। िो आपके बुतद्ध रूपी पाूँव कहाूँ रहिे हैं ? नीचे धरनी पर नहीं। देह- अतभमान
भी धरनी है। देह-अतभमान की धरनी से ऊपर रहने वाले। इसको ही कहा जािा है -
'फररश्िा'। िो तकिने टाइतटल हैं - भाग्यवान हैं, फररश्िे हैं, तसकीलधे हैं - जो भी श्रेष्ठ
टाइतटल हैं वह सब आपके हैं। िो इसी खुशी में नाचिे रहो।

सदा अपने भाग्य के चमकिे हुए तसिारे को देखिे रहिे हो? भाग्य का तसिारा तकिना
श्रेष्ठ चमक रहा है! सदा अपने भाग्य के गीि गािे रहिे हो? क्या गीि है? वाह मे रा श्रेष्ठ
भाग्य! यह गीि सदा बजिा रहिा है ? आटोमेतटक है या मेहनि करनी पड़िी है ?
आटोमेतटक है ना। क्योंतक भाग्यतवधािा बाप अपना बन गया। िो जब भाग्यतवधािा
के बच्चे बन गये , िो इससे बड़ा भाग्य और क्या होगा! बस यही स्मृति सदा रहे तक
भाग्यतवधािा के बच्चे हैं। दुतनया वाले िो अपने भाग्य का वरदान लेने के तलए यहाूँ-
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 183 ]

वहाूँ भटकिे रहिे हैं और आप सभी को घर बैठे भाग्य का खज़ाना तमल गया। मेहनि
करने से छूट गये ना। िो मेहनि भी नहीं और प्रातप्त भी ज्यादा। इसको ही भाग्य कहा
जािा है-जो तबना मेहनि के प्राप्त हो जाये। एक जन्म में 21 जन्म की प्रातप्त करना-यह
तकिना श्रेष्ठ हुआ! और प्रातप्त भी अतवनाशी और अखण्ि है , कोई खतण्िि नहीं कर
सकिा। माया भी सरेन्िर हो जािी है , इसतलए अखण्ि रहिा है। कोई लड़ाई करके
तवजय प्राप्त करना चाहे िो कर सके गा? तकसकी िाकि नहीं है। ऐसा अटल-अखण्ि
भाग्य पा तलया! तस्थति भी अभी ऐसी अटल बनाओ।

आज की सभा में हर एक बच्चा हाइएस्ट और अतवनाशी खज़ानों से ररचेस्ट है। दुतनया


वाले तकिने भी ररचेस्ट हो लेतकन एक जन्म के तलए ररचेस्ट हैं। एक जन्म भी ररचेस्ट
रहेगा या नहीं, यह भी तनतश्चि नहीं है। चाहे तकिना भी ररचेस्ट इन वल्िट हो परन्िु एक
जन्म के तलए, और आप हो जो तनश्चय और नशे से कहिे हो तक हम अनेक जन्म
ररचेस्ट हैं क्योंतक आप सभी अतवनाशी खज़ानों से सम्पन्न हो। आप सभी जानिे हो
तक हम इस समय के पुरूषाथट से एक तदन में भी बहुि कमाई करने वाले हैं। जानिे हो
तक एक तदन में आप तकिनी कमाई करिे हो? तहसाब जानिे हो ना! गाया हुआ है ,
अनुभव है - `एक कदम में पद्म'। िो एक तदन में बाप द्वारा, बाप की नॉलेज द्वारा, याद
द्वारा हर कदम में पद्म जमा होिे हैं। िो सारे तदन में तजिने भी कदम याद में उठािे हो
उिने पद्म जमा करिे हो। िो ऐसा कमाई करने वाला, खज़ाना जमा करने वाला तवश्व
में कोई होगा! वा है ? तवश्व में चक्कर लगाकर आओ, तसवाए आपके इिना जमा कोई
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 184 ]

कर नहीं सकिा। इसतलए बाप कहिे हैं - इस श्रेष्ठ स्मृति में रहो तक हम आत्माओ ं का
भाग्य परम आत्मा द्वारा ऐसा श्रेष्ठ बना है।

पद्मा-पद्म भाग्यशाली अपने को समझिे हो या स भाग्यशाली या पद्मा-पद्म शब्द भी


कुछ नहीं है? अपने को क्या समझिे हो? कहो पद्म िो हमारे कदमों में समाये हुए हैं।
तजनके कदमों में अनेक पद्म भरे हुए हों वह स्वयं क्या हुआ? जैसे कोई भी तवशेषिा
सनु ािे हैं वा अपनी श्रेष्ठिा वणटन करिे हैं िो कहिे हैं ना वह िो हमारे पाूँव के नीचे हैं ,
यह हमारे आगे क्या हैं ? ऐसे ही पद्म िो आपके पॉव के नीचे हैं। ऐसे श्रेष्ठ लक्की हो?
तसफट अपने भाग्य का ही सतु मरण करो िो क्या बन जायेंगे? भाग्य का सतु मरण करिे-
करिे बाप से भी सवट-श्रेष्ठ और बाप के भी तसर के िाज बन जायेंगे। अपनी सवटश्रेष्ठ
तस्थति का यादगार तचि देखा है ? आपके सवटश्रेष्ठ भाग्य की तनशानी का यादगार तचि
क न-सा है तक तजससे सवट से ऊंचे प्रतसद्ध होिे हो? तवराट् स्वरूप में ब्राह्मणों की
सवटश्रेष्ठ यादगार में चोटी तदखाई है। चोटी से ऊंचा कुछ होिा है क्या? शतक्त सेना भी
ऐसे अपने को लक्की समझिी है ? यह (मीरा लण्िन की) सबसे अतधक अपने को
लक्की समझिी है , क्योंतक इसकी अपनी हम-तजन्स में िो यह एक ही तवशेष रत्न है
ना अभी।

एक परमात्म पालना की भाग्यवान लकीर, दूसरी सि तशक्षक की श्रेष्ठ तशक्षा की


भाग्यवान लकीर, िीसरी श्रीमि की चमकिी हुई लकीर। चारों ओर के बच्चों के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 185 ]

मस्िक बीच िीनों लकीरें बहुि अच्छी चमक रही हैं। आप सभी भी अपने िीनों भाग्य
की लकीर को देख रहे हैं ना। जब भाग्य तवधािा आप बच्चों का बाप है िो आपके
तसवाए श्रेष्ठ भाग्य और तकसका हो सकिा है! बापदादा देख रहे हैं तवश्व की अनेक
करोड़ आत्मायें हैं लेतकन उन करोड़ों में से 6 लाख पररवार... तकिने थोड़े हैं! कोटों में
कोई हो गये ना! वैसे हर मानव के जीवन में यह िीनों बािें पालना, पढ़ाई और श्रेष्ठ
मि, िीनों ही आवश्यक हैं। यह परमात्म पालना और देव आत्मायें वा मानव
आत्माओ ं की मि, पालना, पढ़ाई में राि-तदन का अन्िर है। िो इिना श्रेष्ठ भाग्य जो
सक ं ल्प में भी नहीं था लेतकन अब हर एक का तदल गािा है - पा तलया। पा तलया वा
पाना है? क्या कहेंगे? पा तलया ना! बाप भी ऐसे बच्चों के भाग्य को देख हातषटि होिे
हैं। बच्चे कहिे वाह बाबा वाह! और बाप कहिे वाह बच्चे वाह! बस इसी भाग्य को
तसफट स्मृति में नहीं रखना है लेतकन सदा स्मृति स्वरूप रहना है।

इिने सारे तवश्व के अन्दर बाप को जानने और अपना जन्म-तसद्ध अतधकार प्राप्त करने
वाले तकिने थोड़े हैं? अनतगनि नहीं हैं, तगनिी वाले हैं। उन थोड़े जानने वालों में आप
हो ना। िो पद्मापद्म भाग्यशाली नहीं हुए? अभी िो दुतनया अज्ञान की नींद में सोई है
और आप अनेकों में से थोड़ी-सी आत्माएं बाप के वसे के अतधकारी बन रहे हो। जब
वह सभी जाग जावेंगे, कोतशश करेंगे तक हम भी कुछ कणा-दाना ले आवें , लेतकन
क्या होगा? ले सकें गे ? जब लेट हो जावेंगे िो क्या ले पावेंगे? उस समय आप सभी
आत्माओ ं को भी अपने श्रेष्ठ भाग्य का प्रत्यक्ष रूप में साक्षात्कार होगा। अभी िो गुप्त
है ना। अभी गुप्त में न बाप को जानिे हैं, न आप श्रेष्ठ आत्माओ ं को जानिे हैं। साधारण
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 186 ]

समझिे हैं। लेतकन वह समय दूर नहीं जबतक जागेंगे, िड़पेंगे, रोयेंगे, पश्चािाप करेंगे
लेतकन तफर भी पा न सकें गे। बिाओ, उस समय आपको अपने ऊपर तकिना नाज़
होगा तक हम िो पहले से ही पहचान कर अतधकारी बन गये हैं! ऐसी खुशी में रहना
चातहए। क्या तमला है , क न तमला है और तफर क्या-क्या होने वाला है! यह सभी
जानिे हुए सदैव अतिइतन्िय सख
ु में झूमिे रहना है।

ररवाज़ी रीति से यतद कोई साधारण आत्मायें भी अल्पकाल की तसतद्ध प्राप्त कर लेिी
हैं, िो तकिनी अथॉररटी में रहिी हैं। यहाूँ सवट -तसतद्धयाूँ प्राप्त होिे हुए 1) चाहे सदा
तनरोगी बनने की तसतद्ध 2) चाहे कोई भी प्रकृति के ित्व को वश में करने की तसतद्ध
3) चाहे कोई दु:खी, तनधटन व अशान्ि आत्मा को अतवनाशी धनवान बनाने व सदा
सख ु ी बनाने की तसतद्ध 4) तनबटल को महा बलवान बनाने की तसतद्ध 5) सक ं ल्पों को
एक सेकेण्ि में जहाूँ और जैसे ठहराना चाहो वा सक ं ल्प को अपने वश में करने की
तसतद्ध 6) पाूँच तवकारों रूपी महाभूिों को वश में करने की तसतद्ध 7) नैनहीन को
तिनेिी बनाने की तसतद्ध 8) अनेक पररतस्थतियों की परेशानी में मूतछट ि हुई आत्मा को
स्व-तस्थति द्वारा सरु जीि करने व जी-दान देने की तसतद्ध 9) भटकी हुई आत्मा को
सदाकाल के तलए तठकाना देने की तसतद्ध 10) जन्मजन्मान्िर के तलए आयु लम्बी
करने की तसतद्ध 11) अकाले मृत्यु से बचाने की तसतद्ध 12) राज्यभाग व िाज-िख्ि
प्राप्त करने की तसतद्ध। ऐसी सवट -तसतद्धयों को तवतध द्वारा प्राप्त करने वाली आत्मायें
तकिने नशे में रहनी चातहए?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 187 ]

क्या थे और क्या बन गये - इस अन्िर को सदा स्मृति में रखिे हुए सभी इसी ईश्वरीय
नशे में रहिे हैं। इसको देख बापदादा भी फखुर से कहिे हैं - "वाह सगं मयुगी बच्चे ,
वाह!'' इिने िकदीरवान जो अब लास्ट जन्म िक भी आपके िकदीर की िस्वीर
मस्िक में मतहमा द्वारा, मुख में गीिों द्वारा और हाथों से तचि द्वारा, नयनों में स्नेह द्वारा
िकदीर की िस्वीर खींचिे रहिे हैं। अब िक भी आप श्रेष्ठ आत्माओ ं के शुभ घड़ी को
याद कर रहे हैं तक तफर से कब आयेंगे आह्वान की धूम मचाये हुए हैं। ऐसे िुम
िकदीरवान हो जो स्वयं बाप भी आपके िकदीर के गुण गािे हैं। अतन्िम भक्त िो
आपके चरणों को भी पज ू िे रहिे हैं। तसफट आपसे क्या माूँगिें है तक अपने चरणों में ले
लो। इिनी महान आत्मायें हो, इसतलए बापदादा भी देख हतषट ि होिे हैं। सदा अपना
ऐसा श्रेष्ठ स्वरूप , श्रेष्ठ िकदीर की िस्वीर स्मृति में रखो। इससे क्या होगा समथट स्मृति
द्वारा, सम्पन्न तचि द्वारा चररि भी सदा श्रेष्ठ ही होंगे। कहा जािा है - 'जैसा तचि वैसा
चररि'। जैसी स्मृति वैसी तस्थति। िो सदा समथट स्मृति रखो िो तस्थति स्वि: ही समथट
हो जायेगी।

एक-एक रिन अति तप्रय और अमूल्य है। क्योंतक हरेक रिन की अपनी-अपनी
तवशेषिा है। सवट की तवशेषिाओ ं द्वारा ही तवश्व का कायट सम्पन्न होना है। जैसे कोई
स्थूल चीज़ भी बनािे हैं, उसमें अगर सब चीजें न िालो, साधारण मीठा या नमक भी
न िालो िो चाहे तकिनी भी बतढ़या चीज़ बनाओ लेतकन वह खाने योग्य नहीं बन
सकिी। िो ऐसे ही तवश्व के इिने श्रेष्ठ कायट के तलए हरे क रिन की आवश्यकिा है।
सबकी अंगल ु ी चातहए। तचि में भी सबकी अंगल ु ी तदखािे हैं ना। तसफट महारतथयों की
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 188 ]

नहीं, सबकी अंगुली से ही तवश्व पररवर्त्टन का कायट सम्पन्न होना है। सब अपनी-अपनी
रीति से महारथी हैं। बापदादा भी अके ले कुछ नहीं कर सकिे। बापदादा बच्चों को
आगे रखिे हैं , तनतमर्त् आत्मायें भी सबको आगे रखिी हैं। िो सभी बहुि-बहुि
आवश्यक और श्रेष्ठ रिन हो। बापदादा के स्वीकार तकये हुए रिन हो। यादगार में िो
तदखािे हैं - भगवान की पत्थर पर भी नजर पड़ जाए िो पत्थर भी पारस बन जािा है ,
आप िो उनके स्वीकार तकये हुए श्रेष्ठ रिन हो। अपने कायट की श्रेष्ठिा की मूल्य को
जानो। शतक्तयों का अपना गायन है और पाण्िवों का अपना। िो आप सब महान
आत्मायें हो।

आज भाग्य तवधािा बापदादा अपने सवट बच्चों के मस्िक बीच भाग्य की रे खायें देख
रहे हैं। हर एक बच्चे के मस्िक में चमकिे हुए तदव्य तसिारे की रेखा तदखाई दे रही हैं।
हर एक के नयनों में स्नेह और शतक्त की रे खा देख रहे हैं। मुख में श्रेष्ठ मधुर वाणी की
रेखा देख रहे हैं। होठों पर मीठे मुस्कान की रेखा चमक रही है। तदल में तदलाराम के
स्नेह में लवलीन की रेखा देख रहे हैं। हाथों में सदा सवट खज़ानों के सम्पन्निा की रेखा
देख रहे हैं। पांव में हर कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। ऐसा श्रेष्ठ भाग्य सारे कल्प में
तकसी का नहीं होिा, जो आप बच्चों को इस सगं मयुग में भाग्य प्राप्त हुआ है। ऐसा
अपना भाग्य अनुभव करिे हो? इिने श्रेष्ठ भाग्य का रूहानी नशा अनुभव करिे हो?
तदल में स्विुः गीि बजिा है - वाह मेरा भाग्य! यह सगं मयुग का भाग्य अतवनाशी
भाग्य हो जािा। क्यों? अतवनाशी बाप द्वारा अतवनाशी भाग्य प्राप्त हुआ है। लेतकन
प्राप्त इस सगं म पर ही होिा है। इस सगं मयुग पर ही अनुभतू ि करिे हो, यह तवशेष
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 189 ]

सगं मयुग की प्रातप्त अति श्रेष्ठ है। िो ऐसे श्रेष्ठ भाग्य का अनुभव सदा इमजट रहिा है या
कभी मजट , कभी इमजट रहिा है ?

जो गाया हुआ है देविाओ ं के आगे प्रकृति हीरे रिनों की थातलयाूँ भर कर आये। पृथ्वी
और सागर यह आपके तलए चारों ओर फैला हुआ सोना और मोिी हीरे , एक स्थान
पर इकट्ठा करने के तनतमर्त् बनेंगे। इसी को कहा जािा है - थातलयाूँ भरकर आये। थाली
में तबखरी हुई चीज़ इकट्ठी हो जािी हैं ना। िो यह भारि और आसपास, यह स्थान
थाली बन जायेंगे। सेवक बनकर तवश्व के मातलकों के तलए िैयारी कर आपके आगे
रखेंगे। ऐसे ही देविाओ ं के तलए सवट ररतद्ध-तसतद्धयाूँ भी सेवाधारी बनिी हैं। यह जो
तभन्न-तभन्न प्रकार के साधनों द्वारा सफलिा अथाटि् तसतद्ध को प्राप्त करिे हैं यह सब
तसतद्धयाूँ अथाटि् साइन्स का भी ररफाइन रूप, सफलिा रूप तसतद्ध के रूप में आपके
सेवाधारी बनेंगे। अभी िो एक्सीिेन्ट भी है और प्रातप्त भी है। लेतकन ररफाइन तसतद्ध
रूप में दु:ख का कारण समाप्त हो सदा सख ु और सफलिा रूप बन जायेंगे। यह जो
तभन्न-तभन्न तिपाटट मेन्ट वाले हैं वे अपनी-अपनी नॉलेज की तसतद्ध, इन्वेन्शन की
तसतद्ध आपकी सेवा में लायेंगे। इसको कहा जािा है प्रकृति भी दासी और सवट
ररतद्धतसतद्ध की प्रातप्त। आिटर तकया और कायट हुआ। इसको कहा जािा है - `तसतद्ध
स्वरूप'।

आज बाप सवट देवों के भी देव, सवट राजाओ ं के भी राजा बनाने वाले रचतयिा की
रचना, अथाटि् श्रेष्ठ आत्माओ ं के श्रेष्ठ भाग्य को देख हतषटि हो रहे हैं। आप ऊंचे -से-
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 190 ]

ऊंचे, बाप से भी ऊंची बनने वाली आत्मायें हैं। आज ऐसी ऊंची आत्माओ ं की तवशेष
दो बािें देख रहे हैं। वह क न-सी हैं? एक रूहानी रॉयल्टी, दूसरी पसटनेतलटी। जब हैं ही
ऊंचे-से-ऊंचे बाप की ऊंची सन्िान - तजन्हों के आगे देविायें भी श्रेष्ठ नहीं गाये जािे ,
राजायें भी चरणों में झुकिे हैं, और सवट नामी-ग्रामी आत्मायें भी तभखारी बन ईश्वरीय
प्रसाद लेने के तलए तजज्ञासा रख आने वाली हैं िो ऐसी सवट - आत्माओ ं के तनतमर्त् बने
हुए आप सभी मास्टर-ज्ञानदािा और वरदािा हो। िो ऐसी रॉयल्टी है ? वास्िव में िो
प्योररटी ही रॉयल्टी है और प्योररटी ही पसटनेतलटी है। अब अपने को देखो तकिने
परसेन्ट प्योररटी धारण की हुई है? प्योररटी की परख व पहचान हरेक की रॉयल्टी और
पसटनेतलटी से हो रही है। रॉयल्टी क नसी है ? रॉयल आत्मा को हद की तवनाशी वस्िु
व व्यतक्त में कभी आकषटण नहीं होगा। ऐसी रॉयल्टी में रहने वाली आत्माओ ं की कभी
भी एक-दूसरे के अवगण ु ों या कमजोरी की िरफ आूँख भी नहीं जा सकिी।

'मैं हर कल्प की पज
ू ा आत्मा हूँ' - ऐसा अनुभव करिे हो? अनेक बार पज्ू य बने और
तफर से पूज्य बन रहे है! पूज्य आत्माएं क्यों बनिे हो? क्योंतक जो स्वयं स्वमान में रहिे
हैं उनको स्विुःही औरों द्वारा मान तमलना है। स्वमान को जानिे हो? तकिना ऊूँच
स्वमान है? तकिनी भी बड़े स्वमान वाले हो लेतकन वह आपके आगे कुछ भी नहीं है
क्योंतक उनका स्वमान हद का है और आपका आतत्मक स्वमान है। आत्मा अतवनाशी
है िो स्वमान भी अतवनाशी है। उनको है देह का मान। देह तवनाशी है िो स्वमान भी
तवनाशी है। कभी कोई प्रेजीिेंट बना या तमतनस्टर बना लेतकन शरीर जायेंगा िो स्वमान
भी जायेंगा। तफर प्रेजीिेंट होंगे क्या? और आपका स्वमान क्या है ? - श्रेष्ठ आत्मा हो,
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 191 ]

पूज्य आत्मा हो। आत्मा की स्मृति में रहिे हो, इसतलए अतवनाशी स्वमान है। आप
तवनाशी स्वमान की िरफ आकतषटि नहीं हो सकिे। अतवनाशी स्वमान वाले पूज्य
आत्मा बनिे है। अभी िक अपनी पज ू ा देख रहे हो। जब अपने पज्ू य स्वरूप को देखिे
हो िो स्मृति आिी है ना तक यह हमारे ही रूप है। चाहे भक्तो ने अपनी-अपनी भावना
से रूप दे तदया है लेतकन हो िो आप ही पूज्य आत्माये! तजिना ही स्वमान उिना ही
तफर तनमाटन। स्वमान का अतभमान नहीं है।

सभी अपने को खश
ु नसीब समझिे हो? सारे तवश्व में सबसे बड़े िे बड़ा नसीब तकसका
है? हरेक क्या समझिे हैं तक सबसे बड़े िे बड़ा नसीब मेरा है! हर एक ऐसा समझिे हैं ?
जब खुशनसीब हैं िो खुश रहिे हैं? सदा खुश रहिे हैं? कभी-कभी िो नहीं ना! जब
बापदादा ने भाग्य का तसिारा चमका तदया िो चमकिे हुए तसिारे को देख खुश रहिे
हो? तदल में सदा खश ु ी के बाजे बजिे हैं। बजिे हैं? क न सा गीि तदल गािी है?
``वाह मे रा श्रेष्ठ भाग्य'' - यह गीि गािे हो?सारा कल्प आपके भाग्य का गायन होिा
रहिा है। आधाकल्प भाग्य की प्रालब्ध भोगिे हो और आधा कल्प आपके भाग्य का
गायन अनेक आत्मायें गािी रहिी हैं। सबसे तवशेष बाि है तक बाप को सारे तवश्व में से
क न पसन्द आया? आप पसन्द आये ना! तकिनी आत्मायें हैं लेतकन आप ही पसन्द
आये। तजसको भगवान ने पसन्द कर तलया, उससे ज्यादा क्या होगा! िो सदा बाप के
साथ अपना भाग्य भी याद रखो। भगवान और भाग्य। सारे कल्प में ऐसी कोई आत्मा
होगी तजसको रोज याद प्यार तमले , प्रभु प्यार तमले। रोज यादप्यार तमलिा है ना। सबसे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 192 ]

ज्यादा लािले क न हैं ? आप ही लािले हो ना। िो सदा अपने भाग्य को याद करने से
व्यथट बािें भाग जायेंगी। भगाना नहीं पड़ेगा, सहज ही भाग जायेंगी।

सदा अपने को तवश्व - रचिा बाप की श्रेष्ठ रचना अनुभव करिे हो? ब्राह्मण जीवन
अथाटि् तवश्व - रचिा की श्रेष्ठ रचना। हम िायरेक्ट बाप की रचना हैं -यह नशा है?
दुतनया वाले िो तसफट अन्जान बनके कहिे हैं तक हमको भगवान ने पैदा तकया है। आप
सभी भी पहले अन्जान होकर कहिे थे लेतकन अभी जानिे हो तक हम तशववंशी
ब्रह्माकुमार - कुमारी हैं। िो अभी ज्ञान के आधार से, समझ से कहिे हो तक हमको
भगवान ने पैदा तकया है, हम मुख वंशावली हैं। िायरेक्ट बाप ने ब्रह्मा द्वारा रचना रची
है। िो बापदादा वा माि - तपिा की रचना हो। िायरेक्ट भगवान की रचना - यह अभी
अनुभव से कह सकिे हो। िो भगवान की रचना तकिनी श्रेष्ठ होगी! जै सा रचतयिा वैसी
रचना होगी ना। यह नशा और खुशी सदा रहिी है? अपने को साधारण िो नहीं समझिे
हो?यह राज़ जब बुतद्ध में आ जािा है िो सदा ही रूहानी नशा और खश ु ी चेहरे पर वा
चलन में स्वि: ही रहिी है। आपका चेहरा देखकर के तकसको अनुभव हो तक सचमुच
यह श्रेष्ठ रचिा की रचना हैं। जै से राजा की राजकुमारी होगी िो उसकी चलन से पिा
चलेगा तक यह रायल घर की है। यह साहकार घर की या यह साधारण घर की है। ऐसे
आपके चलन से, चेहरे से अनुभव हो तक यह ऊूँची रचना है, ऊूँचे बाप के बच्चे हैं!

सबसे बड़े िे बड़ी पसटनातलटी है - स्वप्न वा सक


ं ल्प में भी सम्पूणट प्युररटी की
पसटनातलटी। नम्बरवार है लेतकन तफर भी तवश्व की सवट आत्माओ ं से श्रेष्ठ है। िो
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 193 ]

बापदादा हर एक के मस्िक से पसटनातलटी की झलक देख रहे हैं। प्युररटी के साथ-


साथ सबके चेहरे और चलन में रूहातनयि की भी पसटनातलटी है। और पसटनातलटी
क्या होिी है? जो खज़ानों से सम्पन्न होिे हैं , उसकी भी पसटनातलटी होिी है लेतकन
तकिने भी बड़े-बड़े सम्पन्न आत्मायें हों, आपके आगे वह सम्पन्न आत्मायें भी कुछ
नहीं हैं क्योंतक वह भी अतवनाशी सख ु -शातन्ि के खज़ाने से खाली हैं। आपके पास
जो सम्पतर्त् है उसके आगे अरब-खरब-पति भी बाप से सख ु -शातन्ि मांगने वाले हैं और
आप सदा अतवनाशी खज़ानों से भरपूर हो। वह खज़ाने आज हैं कल नहीं लेतकन
आपका खज़ाना न कोई लटू सकिा है, न कोई आत्मा खज़ाने को तहला सकिी है।
अखुट है, अखण्ि है। ऐसी पसटनातलटी वाले आप बच्चे हो। सबसे ऊंचे िे ऊंची
पसटनातलटी वाले तफर भी आत्माओ ं द्वारा, तवनाशी धन द्वारा, तवनाशी आक्यूपेशन
द्वारा पसटनातलटीज़ बनिी हैं वा कहलाई जािी हैं। लेतकन आपको ऊंचे िे ऊंचे परम
आत्मा ने श्रेष्ठ पसटनातलटी वाले बना तदया। िो अपने ऊंची पसटनातलटी का रूहानी
नशा रहिा है ?

बापदादा को इस अविरण - तदवस की अथाटि् तशव जयतन्ि तदवस की बच्चों से भी


ज्यादा खुशी है, खुशी में खुशी है! क्योंतक यह अविरण का तदवस हर वषट यादगार िो
मनािे हैं लेतकन जब बाप का साकार ब्रह्मा िन में अविरण होिा है िो बापदादा को
इसमें भी तवशेष तशव बाप को तवशेष इस बाि की खुशी रहिी - तकिने समय से अपने
समीप स्नेही बच्चों से अलग परमधाम में रहिे , चाहे परमधाम में और आत्मायें रहिी
भी हैं लेतकन जो पहली रचना की आत्मायें हैं , जो बाप समान बनने वाली सेवा के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 194 ]

साथी आत्मायें हैं, वह तकिने समय के बाद अविररि होने से तफर से आकर तमलिी
हैं! तकिने समय की तबछुड़ी हुई श्रेष्ठ आत्मायें तफर से आकर तमलिी हैं! अगर कोई
अति स्नेही तबछुड़ा हुआ तमल जाए िो खश ु ी में तवशेष खश
ु ी होगी ना। अविरण तदवस
अथाटि् अपनी आतद रचना से तफर से तमलना। आप सोचेंगे - हमें बाप तमला और बाप
कहिे हैं - हमें बच्चे तमले! िो बाप को अपने आतद रचना पर नाज़ है। आप सब आतद
रचना हो ना, क्षतिय िो नहीं हो ना? सभी सयू टवश
ं ी आतद रचना हैं। ब्राह्मण सो देविा
बनिे हैं ना। िो ब्राह्मण आत्मायें आतद रचना हैं। अनातद रचना िो सब हैं , सारे तवश्व
की आत्मायें रचना हैं। लेतकन आप अनातद और आतद रचना हो। िो िबल नशा है ना।

सदा अपने इस ब्राह्मण जीवन की आतद से अब िक की सवट प्रातप्तयाूँ स्मृति में रहिी
हैं? तकिनी प्रातप्तयां हैं? अगर प्रातप्तयों की तलस्ट तनकालो िो तकिनी लम्बी है ? सार
रूप में यही कहेंगे तक अप्राप्त नहीं कोई वस्िु ब्राह्मण जीवन में। िो ऐसे अनुभव करिे
हो? सवट प्रातप्तयाूँ सम्पन्न हो गये ? और प्रातप्तयाूँ भी अतवनाशी हैं। एक जन्म, आधा
जन्म की नहीं, सदा काल के तलये प्रातप्तयाूँ प्राप्त हो गई। कोई भी युग नहीं जहाूँ आप
आत्माओ ं को कोई प्रातप्त नहीं हो। अगर द्वापर से तगरिी कला शुरू भी होिी है, तफर
भी द्वापर से लेकर अब िक पूजे िो जािे हो ना। िो आधा कल्प राज्य अतधकारी बनिे
हो और आधा कल्प पज्ू य बनिे हो। चाहे स्वयं पज ु ारी बन जािे हो चैिन्य में लेतकन
जड़ तचि के रूप में िो पूजे जािे हो। िो पूज्य की प्रातप्त िो है ही ना। चाहे जानिे नहीं
हो अपने को लेतकन प्रातप्त सारे कल्प के तलये है। राज्य पद और पूज्य पद। तकिने नशे
की बाि है। िो सदा सवट प्रातप्तयों की स्मृति में रहो, स्मृति स्वरूप रहो। िो प्रातप्तयाूँ याद
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 195 ]

रहिी हैं तक कभी भूल जािी हैं, कभी याद रहिी हैं? हद के प्रातप्त वालों को भी तकिना
नशा रहिा है। िो आपको अतवनाशी प्रातप्तयां हैं िो अतवनाशी रूहानी नशा है?

अपने को बाप के समीप रहने वाली श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करिे हो? बाप के बन गये
- यह खुशी सदा रहिी है? दु:ख की दुतनया से तनकल सख ु के ससं ार में आ गये। दुतनया
दु:ख में तचल्ला रही है और आप सख ु के संसार में , सख
ु के झूले में झूल रहे हो। तकिना
अंिर है! दुतनया ढूूँढ़ रही है और आप तमलन मना रहे हो। िो सदा अपनी सवट प्रातप्तयों
को देख हतषटि रहो। क्या-क्या तमला है , उसकी तलस्ट तनकालो िो बहुि लम्बी तलस्ट
हो जायेगी। क्या-क्या तमला? िन में खुशी तमली, िो िन की खुशी िन्दरूस्िी है; मन
में शातन्ि तमली, िो शातन्ि मन की तवशेषिा है और धन में इिनी शतक्त आई जो दाल-
रोटी 36 प्रकार के समान अनुभव हो। ईश्वरीय याद में दाल-रोटी भी तकिनी श्रेष्ठ लगिी
है! दुतनया के 36 प्रकार हों और आप की दाल-रोटी हो िो श्रेष्ठ क्या लगेगा? दाल-
रोटी अच्छी है ना। क्योंतक प्रसाद है ना। जब भोजन बनािे हो िो याद में बनािे हो,
याद में खािे हो िो प्रसाद हो गया। प्रसाद का महत्त्व होिा है। आप सभी रोज प्रसाद
खािे हो। प्रसाद में तकिनी शतक्त होिी है! िो िन-मन-धन सभी में शतक्त आ गई।
इसतलए कहिे हैं - अप्राप्त नहीं कोई वस्िु ब्राह्मणों के खज़ाने में। िो सदा इन प्रातप्तयों
को सामने रख खश
ु रहो, हतषटि रहो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 196 ]

बाप एक तिमूतिट तशव गाया और पूजा जािा है और आप सातलग्राम आत्मायें अनेक


हो। पूजा दोनों की होिी है। क्योंतक बाप ने सभी बच्चों को अपने समान पूज्य बनाया
है। कभी भी सातलग्राम को देखिे हो िो क्या अनुभव करिे हो? ये हम ही हैं-ऐसे लगिा
है? िो बाप ने बच्चों को समान िो क्या लेतकन अपने से भी श्रेष्ठ पूज्य बनाया है।
बच्चों की पज
ू ा िबल रूप में होिी है। बाप की पजू ा एक ही तशवातलंग के रूप में होिी
है। आप बच्चों की सातलग्राम के रूप में भी होिी है और देव आत्माओ ं के रूप में भी
होिी है। बाप से भी ज्यादा िबल रूप के पूजा के अतधकारी आत्मायें आप हो। जैसे
िबल तवदेशी कहलािे हो िो िबल पूज्य भी हो। िबल िाजधारी भी आप बनिे हो।
तनराकार बाप नहीं बनिे। कहाूँ-कहाूँ भक्त लोग तशव की प्रतिमा को िाज िाल देिे हैं।
क्योंतक िाजधारी बनाया है इसतलये कहाूँ-कहाूँ िाज तदखा देिे हैं। लेतकन बाप कभी
भी रत्न जतड़ि सोने -चाूँदी के िाजधारी नहीं बनिे। क्योंतक िाज धारण होिा है
प्रैतक्टकल में , मस्िक में। िो तनराकार बाप को मस्िक है क्या? शरीर ही नहीं है िो
िाज क्या धारण करें गे! लेतकन स्नेह के कारण िाज तदखा देिे हैं। िो बाप ने बच्चों को
ु ी और इिनी श्रेष्ठ स्मृति रहिी है?
अपने से भी आगे रखा है। इिनी खश

आज बापदादा बच्चों का गण ु गान कर रहे थे। गण ु गान करिे देखा तक ड्रामा के अन्दर
बच्चों का तकिना ऊंचा और सवटश्रेष्ठ पाटट है। वह भी कल्प में इसी सगं मयुग पर ही
मतहमा योग्य बनिे हैं। इसी युग में स्वयं परमात्मा भी आप श्रेष्ठ आत्माओ ं की मतहमा
गािे हैं। इस समय ही िुम िबल मतहमा के अतधकारी बनिे हो। एक बाप समान मास्टर
सागर बनिे हो, और जो बाप के गुण हैं व शतक्तयाूँ हैं उन दोनों में मास्टर बनिे हो।
साथ-साथ आत्मा की श्रेष्ठ स्टे ज की भी मतहमा है - सवटगुण सम्पन्न, सोलह कला
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 197 ]

सम्पूणट... इस मतहमा व् भी प्रैतक्टकल में अनुभव अभी करिे हो। सोलह कलायें क्या
हैं? मयाटदायें क्या हैं? इन सब बािों की नॉलेज इस समय ही धारण करिे हो। िो ही
िबल मतहमा के योग्य बनिे हो। दो जहान के मातलक बनिे हो, िबल पूजा के योग्य
बनिे हो। िबल वसाट 'मुतक्त और जीवन-मुतक्त' इन दोनों के अतधकारी बनिे हो, िबल
िाजधारी बनिे हो, िबल अतहंसक बनिे हो और िबल बाप के लािले और तसकीलधे
बच्चे बनिे हो। ऐसे बच्चों की श्रेष्ठिा का गुणगान कर रहे थे तक बच्चे कै से बालक बन
कर तवश्व के मातलक के भी मातलक बन जािे हैं। ऐसे अपनी मतहमा क्या स्वयं भी
सतु मरण कर हतषटि होिे हो? इस सतु मरण से कभी भी माया का वार नहीं हो सके गा।

सभी अपने को इस तवशाल ड्रामा के अन्दर हीरो पाटट धारी आत्मायें अनुभव करिे हो?
आप सबका हीरो पाटट है। हीरो पाटट धारी क्यों बने? क्योंतक जो ऊंचे िे ऊंचा बाप जीरो
है - उसके साथ पाटट बजाने वाले हो। आप भी जीरो अथाटि् तबन्दी हो। लेतकन आप
शरीरधारी बनिे हो और बाप सदा जीरो है। िो जीरो के साथ पाटट बजाने वाले हीरो
एक्टर हैं - यह स्मृति रहे िो सदा ही यथाथट पाटट बजायेंगे, स्वि: ही अटे न्शन जायेगा।
जैसे हद के ड्रामा के अन्दर हीरो पाटट धारी को तकिना अटे न्शन रहिा है! सबसे बड़े िे
बड़ा हीरो पाटट आप सबका है। सदा इस नशे और खुशी में रहो - वाह, मेरा हीरो पाटट
जो सारे तवश्व की आत्मायें बार-बार हेयर-हेयर करिी हैं! यह द्वापर से जो कीिटन करिे
हैं यह आपके इस समय के हीरो पाटट का ही यादगार है। तकिना अच्छा यादगार बना
हुआ है! आप स्वयं हीरो बने हो िब आपके पीछे अब िक भी आपका गायन चलिा
रहिा है। अतन्िम जन्म में भी अपना गायन सनु रहे हैं। गोपीवल्लभ का भी गायन है िो
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 198 ]

ग्वाल बाप का भी गायन है, गोतपकाओ ं का भी गायन है। बाप का तशव के रूप में
गायन है िो बच्चों का शतक्तयों के रूप में गायन है। िो सदा हीरो पाटट बजाने वाली
श्रेष्ठ आत्मायें हैं - इसी स्मृति में खुशी में आगे बढ़िे चलो।

जो सारे कल्प में आप जै सा होली पतवि और कोई बन नहीं सकिा। आपकी पतवििा
प्रभु के संग का रंग, परमात्म कम्बाइन्ि रहने का अनुभव सबसे न्यारा और प्यारा है।
और जो भी होली, पतवि बनिे हैं िो उन्हों का शरीर पतवि नहीं बनिा, आत्मा पतवि
बनिी है लेतकन आप ऐसे होली बनिे हो, पतवि बनिे हो जो आपका शरीर और
आत्मा दोनों पतवि रहिे हैं। और पतवििा को सख ु , शातन्ि, प्रेम, आनंद की जननी
कहा जािा है। जहाूँ पतवििा है वहाूँ सख ु शातन्ि साथ में है ही है क्योंतक जहाूँ जननी
होिी वहाूँ बच्चे होिे हैं क्योंतक बाप आके आपको ऐसा होली बनािा है जो आपके
जड़ तचि कतलयुग के लास्ट जन्म में भी आप अपने तचि देखिे हो तकिने तवतध पवू टक
उन्हों की पूजा होिी है, यह पतवििा की तवशेषिा है और तकिने भी महान आत्मायें ,
धमट आत्मायें पतवि बने हैं लेतकन मतन्दर तकसका नहीं बनिा है। ऐसे तवतध पवू टक पज ू ा
तकसकी भी नहीं होिी है और लास्ट जन्म िक आपके तचि भी दुआयें देिे रहिे हैं।
थोिे समय का सख ु शातन्ि अनुभव करािे हैं। िो आपकी होली और दुतनया वालों की
होली तकिना फकट है! भले मनोरंजन के तलए आप भी थोिा बहुि मनािे हो लेतकन
सच्ची होली परमात्म सगं के रंग की और कम्बाइन्ि स्वरूप की यथाथट होली आप
मनािे हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 199 ]

हम सभी पूज्य और पूवटज आत्मायें हैं - इिना नशा रहिा है? आप सभी इस सतृ ि रूपी
वक्ष
ृ की जड़ में बैठे हो ना? आतद तपिा के बच्चे आतद रिन हो। िो इस वक्ष
ृ के िना
भी आप हो। जो भी िाल-िातलयाूँ तनकलिी है वह बीज के बाद िना से ही तनकलिी
हैं। िो सबसे आतद धमट की आप आत्माएं हो और सभी पीछे तनकलिे हैं इसतलए पूवटज
हो। िो आप फाउन्िेशन हो। तजिना फाउन्िे-शन पक्का होिा है उिनी रचना भी पक्की
होिी है। िो इिना अटे न्शन अपने उपर रखना है। पूवटज अथाटि् िना होने के कारण
िाय-रेक्ट बीज से कनेक्शन है। आप फलक से कह सकिे हो तक हम िायरेक्ट
परमात्मा द्वारा रचे हुए हैं। दुतनया वालों से पछ ू ो तक तकसने रचा? िो सनु ी-सनु ाई कह
देंगे तक भगवान ने रचा। लेतकन कहने माि हैं और आप िायरेक्ट परम आत्मा की
रचना हो। आजकल के ब्राह्मण भी कहिे हैं तक हम ब्रह्मा के बच्चे हैं। लेतकन ब्रह्मा के
बच्चे प्रैतक्टकल में आप हो। िो यह खश ु ी है तक हम िायरेक्ट रचना है। कोई महान
आत्मा, धमट आत्मा की रचना नहीं, िायरेक्ट परम आत्मा की रचना हैं। िो िायरेक्ट
तकिनी शतक्त है! दुतनया वाले ढूूँढ़ रहे हैं तक कोई वेष में भगवान आ जायेगा और आप
कहिे तमल गया। िो तकिनी खश ु ी हैं! िो इिनी खश ु ी रहिी है तक आपको देख करके
और भी खुश हो जाए।ं

ब्रह्माकुमार का अथट ही है - 'पतवि कुमार'। ब्रह्मा बाप ने तदव्य जन्म देिे "पतवि भव,
योगी भव" यही वरदान तदया। ब्रह्मा बाप ने जन्मिे ही बड़ी माूँ के रूप में पतवििा के
प्यार से पालना की। माूँ के रूप से सदा पतवि बनो, योगी बनो, श्रेष्ठ बनो बाप समान
बनो, तवशेष आत्मा बनो, सवटगणु मूर्त्ट बनो, ज्ञान मूर्त्ट बनो, सख
ु शातन्ि स्वरूप बनो,
हर रोज यह लोरी दी। बाप के याद की गोदी में पालन तकया। सदा खुतशयों के झूले में
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 200 ]

झुलाया। ऐसे माि तपिा के श्रेष्ठ बच्चे - ब्रह्माकुमार वा कुमारी हैं। ऐसा स्मृति का समथट
नशा रहिा है! ब्रह्माकुमार के तवशेष जीवन के महत्व को सदा याद रखिे हो? तसफट
नामधारी ब्रह्माकुमार िो नहीं? अपने आपको श्रेष्ठ जीवनधारी ब्रह्माकुमार समझिे हो?
सदा यह याद रहिा है तक तवश्व की तवशाल स्टे ज पर पाटट बजाने वाले तवशेष पाटट धारी
हैं। वा तसफट घर में वा सेवाके न्ि पर वा दफ्िर में पाटट बजाने वाले हैं! हर कमट करिे
तवश्व की आत्मायें हमें देख रही हैं यह स्मृति में रहिा है ? तवश्व की आत्मायें तजस नजर
से आप सबको देखिी हैं यही तवशेष पाटट धारी अथाटि् हीरो पाटट धारी हैं , उसी प्रमाण
हर कमट करिे रहिे हो? वा यह याद रहिा तक साधारण रूप से आपस में बोल रहे हैं ,
चल रहे हैं!

दुतनया के तहसाब से िो बहुि भोले बच्चे हैं लेतकन भोले बच्चों ने चिुर-सज
ु ान बाप
को जाना। िो भोले वा चिुर हुए! दुतनया वाले जो अपने को अनेक बािों में चिुर
समझिे हैं उसके अन्िर में आप सबको भोले समझिे हैं लेतकन आप सब उनको भोले
कहिे हो - क्योंतक चिुर-सज
ु ान बाप को जानने की समझ, चिुराई उन्हों में नहीं है।
आप लोगों ने मूल को जान तलया और वह तवस्िार में जा रहे हैं। आप सबने एक में
पदम पा तलया और वह अरब-खरब तगनिे ही रह गये। पहचानने की आूँख, तजसको
श्रेष्ठ नॉलेज की आूँख कहिे हैं , वह कल्प-कल्प तकसको प्राप्त होिी है ? आप भोली
आत्माओ ं को। वे क्या और क्यों, ऐसे और कै से के तवस्िार में ढूूँढिे ही रह जािे हैं और
आप सभी ने 'वो ही मेरा बाप है', मेरा बाबा कहकर रत्नागर से स दा कर तलया। ज्ञान
सागर कहो, रत्नागर कहो, रत्नों की थातलयाूँ भर-भरकर दे रहे हैं। उन रत्नों से खेलिे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 201 ]

हो! रत्नों से पलिे हो। रत्नों में झूलिे हो। रत्न ही रत्न हैं। तहसाब कर सकिे हो। तकिने
रत्न तमले हैं। अमृिवेले आूँख खोलिे बाप से तमलन मनािे, रत्नों से खेलिे हो ना।
सारे तदन में धन्धा क न सा करिे हो! रत्नों का धन्धा करिे हो ना! बुतद्ध में ज्ञान रत्नों
की पाइटं ् स तगनिे हो ना। िो रत्नों के स दागर, रत्नों की खानों के मातलक हो।

अपने को ऊूँचे - िे - ऊूँचे बाप की ऊूँचे - िे - ऊूँची ब्राह्मण आत्मायें समझिे हो?
ब्राह्मण सबसे ऊूँचे गाये जािे हैं , ऊूँचे की तनशानी सदा ब्रह्मणों को चोटी पर तदखािे
हैं। दुतनया वालों ने नामधारी ब्राह्मणों की तनशानी तदखा दी है। िो चोटी रखने वाले
नहीं लेतकन चोटी की तस्थति में रहने वाले। उन्होंने स्थूल तनशानी तदखा दी है , वास्िव
में हैं ऊूँची तस्थति में रहने वाले। ब्राह्मणों को ही पुरूषोर्त्म कहा जािा है। पुरूषोर्त्म
अथाटि् परू
ु षों से उर्त्म, साधारण मनुष्यात्माओ ं से उर्त्म। ऐसे परू
ु षोर्त्म हो ना! परू
ु ष
आत्मा को भी कहिे हैं , श्रेष्ठ आत्मा बनने वाले अथाटि् पुरूषों से उर्त्म पुरूष बनने
वाले। देविाओ ं को भी परू ु षोर्त्म कहिे हैं क्योंतक देव - आत्मायें हैं। आप देव -
आत्माओ ं से भी ऊूँचे ब्राह्मण हो - यह नशा सदा रहे। दूसरे नशे के तलए कहेंगे - कम
करो, रूहानी नशे के तलए बाप कहिे हैं - बढ़ािे चलो। क्योंतक यह नशा नुकसान वाला
नहीं है, और सभी नशे नुकसान वाले हैं। यह चढ़ाने वाला है , वह तगराने वाले हैं। अगर
रूहानी नशा उिर गया िो पुरानी दुतनया की स्मृति आ जायेगी। नशा चढ़ा हुआ होगा
िो नई दुतनया की स्मृति रहेगी। यह ब्राह्मण ससं ार भी नया सस
ं ार है। सियुग से भी यह
ससं ार अति श्रेष्ठ है! िो सदा इस स्मृति से आगे बढ़िे चलो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 202 ]

यह परमात्म तदलिख्ि तसफट आप ब्राह्मणों के तलए ही है। भ्रकुटी का िख्ि िो सबके


पास है लेतकन परमात्म िख्ि तसफट ब्राह्मण आत्माओ ं के ही भाग्य में है। यह परमात्म
िख्ि तवश्व का िख्ि तदलािा है। िो िीनों िख्ि के अतधकारी आत्मायें आप ब्राह्मण
ही हो। यह परमात्म िख्ि तकिना श्रेष्ठ है और कोई युग में परमात्म िख्ि प्राप्त नहीं
होिा। यह परमात्म िख्ि गाया भी जािा है परमात्म िख्ि के अतधकारी भतक्त मागट में
भी माला के मणकों के रूप में गाये और पूजे जािे हैं। कोटों में कोई के रूप में गाये
जािे हैं। बड़ी भावना से एक-एक मणके को तकिनी ऊंची दृति से देखिे रहिे हैं। िो
आप सबको फखुर है ना! है फखुर? तक हमारे तसवाए कोई भी इस िख्ि का अनुभव
नहीं कर सकिे हैं। लेतकन आप सबका ब्राह्मणों का जन्म तसद्ध अतधकार है। आपके
तलए यह िख्ि गले का हार है। िो इिना नशा भगवान के तदलिख्ि के अतधकारी यह
नशा और खुशी सबको सदा स्मृति में रहिी है ? हम क न हैं! इसका तनश्चय और नशा
रहिा है? बापदादा िो ऐसे िीन िख्ि के अतधकारी बच्चों को देख खश ु होिे हैं वाह
मेरे श्रेष्ठ अतधकारी बच्चे वाह! बच्चे कहिे वाह बाबा वाह! और बाप कहिे वाह बच्चे
वाह! स्वयं बाप भी ऐसे बच्चों की मतहमा गािे हैं। िो नशा है हम क न हैं? तजिना
तनश्चय होगा उिना ही नशा होगा।

आप सबके यादगार तचि में भी खुशी का पोज़ तदखाया हुआ है - अपना तचि याद है
ना! अमृिवेले से लेकर इस खुशी के खज़ाने को यूज़ करो - सोचो - वा अपने आप से
बािें करो - ऑख खुलिे क न सामने आिा है! पहले-पहले सक ं ल्प में तकससे तमलन
होिा है - तवश्व के रचिा,सवट खज़ानों के दािा, सवट वरदानों के दाि बीज से तमलन
होिा है। तजसमें सारा वृक्ष समाया हुआ है - सवट आत्मायें तभखारी बन बाप की एक
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 203 ]

सेकेण्ि की झलक देखने की इच्छा से तकिने कतठन मागट अपनािे हैं - और आप श्रेष्ठ
आत्मायें सवट सम्बन्धों से तमलन मनाने के अनुभवों के श्रेष्ठ खजाने के अतधकारी हो -
िो सबसे पहली खश ु ी की बाि है अमृिवेले सवट सम्बन्ध से बाप से तमलन मनाना।
दुतनया तभखारी है और आप हो बच्चे - इससे बड़ी खश ु ी और कोई हो सकिी है क्या
- िो अमृिवेले से इस खुशी के खजाने को यूज़ करो। दूसरा खुशी का खज़ाना, इिनी
तसकीलधे श्रेष्ठ आत्मायें हो जो स्वयं भगवान आपको पढ़ाने के तलए परमधाम से आिे
हैं। लण्िन वा अमेररका से नहीं आिे हैं - इस लोक से भी पार जहाूँ िक साइन्स वाले
स्वप्न में भी पहुूँच नहीं सकिे ऐसे परमधाम से स्पेशल आपके पढ़ाने के तलए आिे हैं।
और तफर पढ़ाने की फी नहीं लेिे। और ही पढ़ाई की प्रालबध स्वगट का स्वराज्य स्वयं
नहीं लेिे, आपको देिे हैं। िो इससे बड़ी खुशी और क्या होिी है।

सबसे ज्यादा खुशी की बाि यह है तक तजनके ऊपर दुतनया के आत्माओ ं की कोई


नज़र नहीं उनके ऊपर परम आत्मा की नज़र पड़ गई! आजकल के जमाने में चुनाव
होिा है ना। िो आपको तकसने चुना? चुनाव में कोई गड़बड़ हुई है क्या? कोई खचाट
करना पड़ा है क्या? िो बाप ने हम आत्माओ ं को चुन तलया, अपना बना तलया।
दुतनया की नज़र में अति साधारण आत्माए थीं, लेतकन बाप की नज़र में महान
आत्माए, तवशेष आत्माए हो। िो इसी खुशी में रहो-कल क्या थे और आज क्या बन
गये, तकसकी नजर में आ गये! दुतनया-वालों ने ठुकरा तदया और बाप ने अपना बना
तलया। तकिनी ठोकरों से बचा तलया! 63 जन्म ठोकरें ही खाई ना। चाहे भतक्त की, िो
भी ठोकरें खाई। अपनी प्रवृतर्त् की लाइफ में भी तभन्न-तभन्न प्रकार की ठोकरें खािे
रहे। और बाप ने आकर तठकाना दे तदया। जब तठकाना तमल जािा है िो ठोकर खाना
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 204 ]

बन्द हो जािा है। िो तठकाना तमल गया है ना। िो क्या थे और क्या बन गये! स्वप्न में
था तक इिना महान बनेंगे? लेतकन तकिना सहज बन गये! कुछ भी मुतश्कल नहीं
देखनी पड़ी। तकिना श्रेष्ठ भाग्य है! िो क नसा गीि गािे हो? पाना था वो पा तलया।
यह गीि आटोमेतटक चलिा रहिा है। मुख से गाने की आवश्यकिा नहीं है लेतकन
तदल गािी रहिी है। यह तदल की टे पररकॉिट कभी खराब नहीं होिी, बार-बार चलाना
नहीं पड़िा, स्वि: ही चलिी रहिी है ना।

मुख्य बाि तितथ अथाटि् िारीख, समय, तवशेष ग्रह, कुल, धमट और सम्पतर्त्, सम्बन्ध
और आक्यूपेशन देखा जािा है। जो बाप के अविरण की िारीख है वह आपकी है।
ब्रह्मा सतहि ब्राह्मण भी पैदा हुए। िो जो आतद रिन हैं उनकी िारीख क नसी कहेंगे?
समय क न-सा है? यह सगं म ब्रह्मा मुहिट का समय है। िो सभी के जन्म का समय है -
ब्रह्म मुहिट और रातश क न-सी है? ल तकक रातशयाूँ िो तभन्न-तभन्न प्रकार की तदखाई
हैं लेतकन आप सबकी रातश जो बाप की रातश है तवश्व-कल्याणकारी, वही आप
सबकी रातश है। तजस रातश में सवट बाप के समान गण ु समाये हुए हैं। और दशा भी
गुरूवार की दशा है। कुल भी सवटश्रेष्ठ है। िायरेक्ट ईश्वर के कुल के हो, ईश्वरीय कुल
है। पोजीशन-मास्टर सवटशतक्तवान हो। सम्पतर्त्-अखुट और अतवनाशी सम्पतर्त् है। धमट
- ब्राह्मण चोटी के हो। बुतद्ध की लाइन तवशाल और तिकालदशी लाइन है। अब सोचो
इससे अतधक भाग्य की रेखायें और तकसी की श्रेष्ठ हो सकिी हैं। कमट -रेखा में तनरन्िर
कमटयोगी, सहजयोगी, राजयोगी - यह रेखा बाप ने स्पि खींच ली है। भाग्य के तसिारें
में िाज और िख्ि तदखाई देिा है। इससे श्रेष्ठ भाग्य और क्या होगा? जैसे बाप सवट के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 205 ]

भाग्य को देख हतषटि होिे हैं वैसे आप सभी स्वयं के भाग्य को देख हतषटि होिे हो?
छोटी-छोटी बािों में भाग्य को भूल िो नहीं जािे ?

आज बापदादा अपने परमात्म-पालना के अतधकारी बच्चों को देख हतषटि हो रहे हैं।


तकिने भाग्यवान हैं जो स्वयं परमात्मा की पालना में पल रहे हैं। दुतनया वाले कहिे हैं
तक हमें परम आत्मा पाल रहा है , लेतकन आप थोड़ी सी तवशेष आत्मायें प्रैतक्टकल
में पल रहे हो। परमात्म-पालना है , परमात्म-श्रीमि है, उसी श्रीमि से चल रहे हो, पल
रहे हो। ऐसे अपने को तवशेष आत्मायें अनुभव करिे हो? अपनी महानिा को जानिे
हो? विटमान समय िो ब्राह्मण आत्मायें महान हैं ही, और भतवष्य में भी सवट श्रेष्ठ महान
हो। द्वापर में भी आपके जड़ तचि इिने महान बनिे हैं जो कोई भी तचिों के आगे
जायेगा िो नमन करे गा। इिनी आपकी महानिा है जो आज तदन िक अगर तकसी भी
आत्मा को बनावटी देविा बना देिे, लक्ष्मी-नारायण बनायेंगे, श्रीराम बनायेंगे, िो
जब िक वह आत्मा देविा का पाटट बजािा है , िो उस आत्मा को जानिे हुए भी तक
यह साधारण मनुष्य है, लेतकन जब देविा रूप का पाटट बजािे हैं िो उस साधारण
आत्मा को भी नमन करेंगे। िो आपके रूप की महानिा िो है लेतकन नामधारी
आत्माओ ं को भी महान समझिे हैं। िो ऐसी महानिा अनुभव करिे हो? जानिे हो,
समझिे हो वा इमजट रूप में अपने को अनुभव करिे हो? क्योंतक मूल आधार ही है -
अनुभव करना। बापदादा सभी बच्चों को अनुभवी मूिट बनािे हैं। तसफट सनु ने वा जानने
वाले नहीं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 206 ]

आज बापदादा चारों ओर के अपने होलीएस्ट और हाइएस्ट बच्चों को देख रहे हैं। तवश्व
में सबसे हाइएस्ट ऊूँचे -िे-ऊूँचे श्रेष्ठ आत्मायें आप बच्चों के तसवाए और कोई है ?
क्योंतक आप सभी ऊूँचे -िे-ऊूँचे बाप के बच्चे हैं। सारे कल्प में चक्र लगाकर देखो िो
सबसे ऊूँचे मिटबे वाले और कोई नज़र आिे हैं? राज्य-अतधकारी स्वरूप में भी आपसे
ऊूँचे राज्य अतधकारी बने हैं ? तफर पज
ू न और गायन में देखो तजिनी पज
ू ा तवतधपवू टक
आप आत्माओ ं की होिी है उससे ज्यादा और तकसी की है ? वण्िरफुल राज़ ड्रामा का
तकिना श्रेष्ठ है जो आप स्वयं चैिन्य स्वरूप में, इस समय अपने पज्ू य स्वरूप को
नॉलेज के द्वारा जानिे भी हो और देखिे भी हो। एक िरफ आप चैिन्य आत्मायें हैं
और दूसरे िरप् आपके जड़ तचि पूज्य रूप में हैं। अपने पूज्य स्वरूप को देख रहे हो
ना? जड़ रूप में भी हो और चैिन्य रूप में भी हो। िो वण्िरफुल खेल है ना! और राज्य
के तहसाब से भी सारे कल्प में तनतवटघ्न, अखण्ि-अटल राज्य एक आप आत्माओ ं का
ही चलिा है। राजे िो बहुि बनिे हैं लेतकन आप तवश्वराज़न वा तवश्वराजन की रॉयल
फैतमली सबसे श्रेष्ठ है। िो राज्य में भी हाइएस्ट, पूज्य रूप में भी हाइएस्ट और अब
सगं म पर परमात्म-वसे के अतधकारी, परमात्म तमलन के अतधकारी, परमात्म-प्यार
के अतधकारी, परमात्म-पररवार की आत्मायें और कोई बनिी हैं ? आप ही बने हो ना?

जैसे बापदादा के महत्व को अच्छी िरह से जानिे हो वैसे ही इस सगं मयुगी ब्राह्मण
जन्म को व श्रेष्ठ आत्मा के अपने श्रेष्ठ पाटट को इिना ही अच्छी रीति से जानिे हो?
जैसे बाप महान् है, वैसे ही बाप के साथ तजन आत्माओ ं का हर कदम व हर चररि के
साथ सम्बन्ध व पाटट है , वह भी महान् हैं। इस महानिा को अच्छी रीति से जानिे हुए
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 207 ]

हर कदम उठाने से हर कदम में पद्मों की प्रातप्त स्वि: ही हो जािी है क्योंतक सारा आधार
स्मृति पर है। स्मृति सदा पॉवरफुल और महान् रहिी है या कभी महान् और कभी
साधारण रहिी है ? जो जैसा होिा है, वैसा ही वह सदा स्वयं को स्वि: ही समझ कर
चलिा है। वह कभी स्मृति िथा कभी तवस्मृति में नहीं आिा। ऐसे ही जब आप उच्च
ब्राह्मण हो, तवश्व में सवट श्रेष्ठ आत्माएूँ हो और तवशेष पाटट धारी हो, तफर अपने इस
अतन्िम जन्म के इस रूप की, अपनी पोजीशन की व अपने ऑक्युपेशन की स्मृति
कभी तवशेष और कभी साधारण क्यों रहिी है ? बार-बार उिरना और चढ़ना क्यों होिा
है? क्या इसके कारण को समझिे हो? जबतक तनजी स्वरूप है और जन्म ही महान् है ,
िो अपने जीवन की और जन्म की महानिा को भल ू िे क्यों हो? भल
ू ना िब होिा है
जब तक पाटट बजाने के तलये टे म्पोरेरी रूप बनाया जािा है। तनजी रूप न होने के कारण
बार-बार स्मृति-तवस्मृति होिी रहिी है। यहाूँ क्यों भूलना होिा है? देह-अतभमान के
कारण।

“सपूि बन अपनी सरू ि से बाप की सूरि तदखाना, तनमाटण (सेवा) के साथ तनमटल
वाणी, तनमाटन तस्थति का बैलेन्स रखना” सभी बच्चों के मस्िक में चमकिी हुई ज्योति
की रेखा चमक रही है। नयनों में रूहातनयि् की भाग्य रेखा तदखाई दे रही है। मुख में
श्रेष्ठ वाणी के भाग्य की रेखा तदखाई दे रही है। होठों में रूहानी मुस्कराहट देख रहे हैं।
हाथों में सवट परमात्म खज़ाने की रे खा तदखाई दे रही है। हर याद के कदम में पदमों की
रेखा देख रहे हैं। हर एक के ह्दय में बाप के लव में लवलीन की रे खा देख रहे हैं। ऐसा
श्रेष्ठ भाग्य हर एक बच्चा अनुभव कर रहे हैं ना! क्योंतक यह भाग्य की रेखायें स्वयं बाप
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 208 ]

ने हर एक के श्रेष्ठ कमट के कलम से खींची है। ऐसा श्रेष्ठ भाग्य जो अतवनाशी है , तसफट
इस जन्म के तलए नहीं है लेतकन अनेक जन्मों की अतवनाशी भाग्य रेखायें हैं।
अतवनाशी बाप है और अतवनाशी भाग्य की रेखायें हैं। इस समय श्रेष्ठ कमट के आधार
पर सवट रेखायें प्राप्त होिी हैं। इस समय का पुरूषाथट अनेक जन्म की प्रालब्ध बना देिी
है। बापदादा सभी बच्चों के इस समय भी जो प्रालब्ध अनेक जन्म तमलनी है वह इस
जन्म में परू
ु षाथट की प्रालब्ध की प्रातप्त अभी देखने चाहिे हैं। तसफट भतवष्य नहीं लेतकन
अभी भी यह सब रेखायें सदा अनुभव में आयें क्योंतक अभी के यह तदव्य सस्ं कार
आपका नया सस ं ार बना रहा है।

अपने को सारी दुतनया के बीच चमकिा हुआ तवशेष लक्की तसिारा अनुभव करिे
हो? ऐसे लक्की तजन्हों का स्वयं बाप गायन करिे हैं! इससे श्रेष्ठ भाग्य और तकसी का
हो सकिा है ? सदा ऐसी खुशी रहिी है, जो अपनी खुशी को देखिे हुए देखने वालों
के गम के बादल व दु:ख की घटायें समाप्त हो जायें , दु:ख को भूल सख
ु के झल
ू े में
झलू ने लग जायें! ऐसे अपने को अनुभव करिे हो? जैसे गायन है - पारस के संग में
लोहा भी पारस बन जािा है ; ऐसे आप पारसमतणयों के सगं से अन्य आइरन-एजि
आत्मायें गोल्िन बन जायें, ऐसी अवस्था अनुभव करिे हो? कोई भी आत्मा तभखारी
बन कर आये और वह मालामाल हो कर जाये , ऐसे अपने िकदीर की िस्वीर रोज
अपने दपटण में देखिे हो? तकस समय देखिे हो? क्या अमृिवेले? देखने का टाइम
तनतश्चि है अथवा चलिे -तफरिे जब आिा है िब देखिे रहिे हो? सारे तदन में तकिनी
बार देखिे हो? बार-बार देखिे हो या एक ही बार? आजकल का फैशन है तक बार-
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 209 ]

बार अपना चेहरा देखिे हैं। वह देखिे हैं अपने फीचसट और आप देखिे हो अपना
फ्यूचर आपका फीचसट िरफ अटे न्शन नहीं है लेतकन हर समय अपने फ्यूचर को श्रेष्ठ
बनाने का ही अटे न्शन है। िो अपने िकदीर की िस्वीर देखिे हो तक हमारी िस्वीर में
कहाूँ िक रूहातनयि बढ़िी जा रही है ? जैसे वे लोग ल तकक दृति से रूप में व शक्ल
में अपनी लाली को देखिे हैं तक कहाूँ िक 'लाल' हुए हैं; और आप सब अल तकक
िस्वीर देखिे हुए 'रूहातनयि' रूपी लाली को देखिे हो।

स्वमानधारी बच्चों का ही सारा कल्प सम्मान होिा है। एक जन्म स्वमानधारी, सारा
कल्प सम्मानधारी। अपने राज्य में भी राज्य-अतधकारी बनने के कारण प्रजा द्वारा
सम्मान प्राप्त होिा है और आधा कल्प भक्तों द्वारा सम्मान प्राप्त करिे हो। अब अपने
लास्ट जन्म में भी भक्तों द्वारा देव आत्मा वा शतक्त रूप का सम्मान देख रहे हो और
सनु रहे हो। तकिना तसक व प्रेम से अभी भी सम्मान दे रहे हैं! इिना श्रेष्ठ भाग्य कै से
प्राप्त तकया! मुख्य तसफट एक बाि के त्याग का यह भाग्य है। क न-सा त्याग तकया?
देह अतभमान का त्याग तकया। क्योंतक देह अतभमान के त्याग तबना स्वमान में तस्थि
हो ही नहीं सकिे। इस त्याग के ररटनट में भाग्यतवधािा भगवान ने यह भाग्य का वरदान
तदया है। दूसरी बाि - स्वयं बाप ने आप बच्चों को स्वमान तदया है। बाप ने बच्चों को
चरणों के दास वा दासी से अपने तसर का िाज बना तदया। तकिना बड़ा स्वमान तदया!
ऐसे स्वमान प्राप्त करने वाले बच्चों का बाप भी सम्मान रखिे हैं। बाप बच्चों को सदा
अपने से भी आगे रखिे हैं। सदा बच्चों के गुणों का गायन करिे हैं। हर रोज तसक व
प्रेम से यादप्यार देने के तलए परमधाम से साकार विन में आिे हैं। वहाूँ से भेजिे नहीं
लेतकन आकर देिे हैं। रोज यादप्यार तमलिा है ना। इिना श्रेष्ठ सम्मान और कोई दे नहीं
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 210 ]

सकिा। स्वयं बाप ने सम्मान तदया है , इसतलए अतवनाशी सम्मान अतधकारी बने हो।
ऐसे श्रेष्ठ भाग्य को अनुभव करिे हो?

ऊंचे िे ऊंचे बाप के बच्चे ऊंचे िे ऊंचे हैं। हाइएस्ट बनिे हो िब पज ू े जािे हो। चाहे
आजकल की हाइएस्ट आत्मायें , सकामी राजे थे , अब िो नहीं हैं। चाहे प्रेजीिेंट हो,
चाहे प्राइम तमतनस्टर हो लेतकन वह पज्ू य नहीं बनिे हैं। आप पज्ू य बनने वाली
आत्माओ ं के आगे पज ु ारी बन नमन और पज ू न करिे हैं। अभी भी स्व-राज्य अतधकारी
बनिे हो और भतवष्य में भी राजाओ ं के राजे बनिे हो। िो ऐसा हाइएस्ट पद प्राप्त करिे
हो। साथ में ररचेस्ट इन दी वल्िट हो। आपका टाइटल ही है पदमा-पदम-पति। और ऐसा
खज़ाना है जो अरबपति, खरबपति, अरब-खरब से भी ऐसा खज़ाना प्राप्त नहीं कर
सकिे। आप श्रेष्ठ आत्माओ ं का बाप द्वारा ऐसा भाग्य बना रहे हैं जो अनुभव करिे हो
और वणटन भी करिे हो तक हमारे कदम में पदम हैं। कदम में पदम हैं या स हैं , हजार
हैं? ऐसा कोई बड़े से बड़ा तमल्यूनर भी इिनी कमाई नहीं कर सकिा। कदम में तकिना
टाइम लगेगा? कदम उठाओ तकिना समय लगिा है ? सेकण्ि। चलो दो सेकण्ि कह
दो। अगर दो सेकण्ि भी कहो िो दो सेकण्ि में पदम, िो सारे तदन में तकिने पदम हुए?
तहसाब करो। ऐसा कोई तमल्यूनर है जो एक तदन में इिनी कमाई करे ? ऐसा कोई होगा?
िो ररचेस्ट इन दी वल्िट हो ना! और आपका ऐसा खज़ाना है जो आग भी नहीं जला
सकिी, पानी िुबो नहीं सकिा, चोर लटू नहीं सकिा, राजा भी खा नहीं सकिे। ऐसा
खज़ाना इस पुरूषोर्त्म सगं मयुग में ही प्राप्त करिे हो। िो अपना ऐसा स्वमान स्मृति में
रहिा है?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 211 ]

यह िो भक्त लोग तसफट यादगार मनािे रहिे और आप सम्मुख बाप के साथ मनािे हो।
ऐसा श्रेष्ठ भाग्य, कल्प-कल्प के भाग्य की लकीर अतवनाशी तखंच गई। सदा यह
समृति में रहे तक हमारा भगवान के साथ भाग्य है। िायरेक्ट भाग्य तवधािा के साथ
भाग्य प्राप्त करने का पाटट है। ऐसे िबल हीरो, हीरो पाटट धारी भी हो और हीरे िुल्य
जीवन वाले भी हो। िो िबल हीरो हो गये ना! सारे तवश्व की नजर आप हीरो पाटट धारी
आत्माओ ं की िरफ है। आप भाग्यवान आत्माओ ं की आज अतन्िम जन्म में भी वा
कल्प के अतन्िम काल में भी तकिनी याद, यादगार के रूप में बनी हुई है। बाप के वा
ब्राह्मणों के बोल यादगार रूप में शास्त्र बन गये हैं जो अभी भी दो वचन सनु ने के तलए
प्यासे रहिे हैं। दो वचन सनु ने से शातन्ि का, सख
ु का अनुभव करने लगिे हैं। आप
भाग्यवान आत्माओ ं के श्रेष्ठ कमट चररि के रूप में अब िक भी गाये जा रहे हैं। आप
ं ल्प 'दुआ' के रूप में
भाग्यवान आत्माओ ं की श्रेष्ठ भावना, श्रेष्ठ कामना का श्रेष्ठ सक
गाये जा रहे हैं। तकसी भी देविा के आगे दुआ मांगने जािे हैं। आप भाग्यवान आत्माओ ं
की श्रेष्ठ स्मृति-तसमरण के रूप में अब भी यादगार चल रहा है। तसमरण की तकिनी
मतहमा करिे हैं। चाहे नाम तसमरण करिे , चाहे माला के रूप में तसमरण करिे। यह
स्मृति का यादगार तसमरण रूप में चल रहा है। िो ऐसे भाग्यवान कै से बने! क्योंतक
भाग्य तवधािा के साथ भाग्यवान बने हो। िो समझिे हो तकिना भाग्यवान तदव्य जन्म
है?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 212 ]

जैसे कल्प पहले के यादगार शास्त्र में तलखा हुआ है - बाप के तलये कहिे हैं तक मैं
क न हूँ िो सवट में श्रेष्ठ का वणटन तकया है। ऐसे ही जैसे बाप का ऊंचे से- ऊंचे भगवान
का गायन है, िो भगवान बाप क्या गायन करिे हैं - ऊंचे-से- ऊंचे बच्चे। ऐसे अपने
ऊंच अथाटि् श्रेष्ठ स्वमान को सदा याद रखो तक ऊंचे बाप के भी 'बालक सो मातलक'
हैं। स्वयं बाप हम श्रेष्ठ आत्माओ ं की माला सतु मरण करिे हैं। बाप की मतहमा आत्मायें
करिी हैं , लेतकन आप श्रेष्ठ आत्माओ ं की मतहमा स्वयं बाप करिे हैं। सवट श्रेष्ठ
आत्माओ ं के सहयोग के तबना िो बाप भी कुछ नहीं कर सकिा। िो आप ऐसे श्रेष्ठ
स्वमान वाले हो। बाप को सवट-सम्बन्धों से प्रख्याि करने वाले व बाप का पररचय देने
वाली आप श्रेष्ठ आत्माएूँ हो। हर कल्प में ऊंचे से ऊंचे बाप के साथ उंचे से ऊंचे पाटट
बजाने वाली हो। सबसे बड़े स्वमान की बाि िो यह है तक जो सगं म युग पर बाप को
भी अपने स्नेह और सम्बन्ध की िोर में बांधने वाले हो। बाप को भी साकार में आप
समान बनाने वाले हो। बाप तनराकार रूप में आप समान बनािे हैं और आप तनराकार
को साकार में आने में उसे आप समान बनािे हो और आप स्वयं बाप की सवट मतहमा
के समान बनिे हो। इसतलये बाप भी कहिे हैं - मास्टर हो। िो अब समझा तक मैं क न
हूँ? - जो हूँ, जैसा हूँ, वैसा ही अपने को जानने से सदा स्वमान में रहेगे और देह-
अतभमान से स्वि: ही परे रहेगे। स्वमान के आगे देह-अतभमान आ ही नहीं सकिा।

सदा सवटश्रेष्ठ मूल्यवान जीवन अनुभव करने वाली आत्मा हूँ-यह स्मृति में इमजट रहे।
ऐसे नहीं तक मैं हूँ ही, मालमू है तक हम हीरे िुल्य हैं। लेतकन स्मृति में इमजट रूप में रहिा
है और उसी स्मृति से, उसी तस्थति से हर कायट करिे हो? क्योंतक हीरे िुल्य जीवन वा
हीरे िुल्य तस्थति वाले का हर कमट हीरे िुल्य होगा अथाटि् मूल्यवान होगा, ऊंचे िे ऊंचा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 213 ]

होगा। िो हर कमट ऐसे ऊंचा रहिा है या कभी ऊंचा, कभी साधारण? क्योंतक सदा हीरे
िुल्य हो। हीरा िो हीरा ही होिा है, वह कभी सोना वा चांदी नहीं बनिा। िो हर कमट
करिे हुए चेक करो तक हीरे िुल्य तस्थति है, चलिे-चलिे साधारणिा िो नहीं आ गई?
क्योंतक 63 जन्म का अभ्यास है साधारण रहने का। िो तपछला सस्ं कार कभी खींच
लेिा है। कमजोर को कोई खींच लेगा, बहादुर को कोई खींच नहीं सकिा। बहादुर
उसको भी चरणों में झक ु ा देगा। िो कभी भी साधारण तस्थति नहीं हो। अगर कोई
तवशेष ऑक्यूपेशन वाला ऐसा कोई साधारण कमट करे िो उसको क्या कहा जायेगा?
आज का प्राइम-तमतनस्टर अगर कोई ऐसा हल्का काम करे िो सभी उलहना देंगे ना,
अच्छा नहीं लगेगा ना। िो आप क न हो? इिना नशा स्मृति में रखो जो सबको चलिे -
तफरिे तदखाई दे तक यह कोई तवशेष आत्मायें हैं। जैसे हीरा तकिना भी तमट्टी में तछपा
हुआ हो लेतकन तफर भी अपनी चमक तदखािा है। िो चाहे आप तकिने भी साधारण
वायुमण्िल में हों, तकिने भी बड़े साधारण व्यतक्तयों के बीच हों लेतकन तवशे ष
आत्मा,अल तकक आत्मा तदखाई दो।

आप श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों की िकदीर तवश्व की िकदीर है। नये तवश्व के आधार स्वरूप
श्रेष्ठ बच्चे हो। नये तवश्व के राज्य-भाग्य के अतधकारी तवशेष आत्मायें हो। आपकी नई
जीवन तवश्व का नव-तनमाटण करिी हैं। तवश्व को श्रेष्ठाचारी सुखी-शान्ि-सम्पन्न बनाना
ही है, आप सबके इस श्रेष्ठ दृढ़ सक
ं ल्प की अंगलु ी से कलयुगी दु:खी ससं ार बदल
सखु ी सस
ं ार बन जािा है क्योंतक सवट शतक्तवान बाप की श्रीमि प्रमाण सहयोगी बने
हो। इसतलए बाप के साथ आप सबका सहयोग, श्रेष्ठ योग तवश्व-पररविटन कर लेिा है।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 214 ]

आप श्रेष्ठ आत्माओ ं का इस समय का सहजयोगी-राजयोगी जीवन का हर कदम, हर


कमट नये तवश्व का तवधान बन जािा है। ब्राह्मणों की तवतध सदा के तलए तवधान बन
जािी है। इसतलए दािा के बच्चे दािा, तवधािा और तवतध-तवधािा बन जािे हैं। आज
लास्ट जन्म िक भी आप दािा के बच्चों के तचिों द्वारा भक्त लोग मांगिे ही रहिे हैं।
ऐसे तवतध-तवधािा बन जािे जो अब िक भी चीफ जतस्टस भी सभी को कसम उठाने
के समय ईश्वर का या ईि देव का स्मृति स्वरूप बनाए कसम उठवािे हैं। लास्ट जन्म में
भी तवधान में शतक्त आप तवतध-तवधािा बच्चों की चल रही है। अपना कसम नही
उठािे। बाप का या आपका महत्व रखिे हैं। सदा वरदानी स्वरूप भी आप हो। तभन्न-
तभन्न वरदान, तभन्न-तभन्न देविाओ ं और देतवयों द्वारा आपके तचिों द्वारा ही मांगिे हैं।
कोई शतक्त का देविा है िो कोई तवद्या की देवी है। वरदानी स्वरूप आप बने हो िब
अभी िक भी परम्परा भतक्त की आतद से चलिी रही है।

आज बापदादा हर एक बच्चे के मस्िक पर िीन लकीरें देख रहे हैं। तजसमें एक लकीर
है - परमात्म पालना के भाग्य की लकीर। यह परमात्म पालना का भाग्य सारे कल्प में
अब एक बार ही तमलिा है , तसवाए इस संगमयुग के यह परमात्म पालना कभी भी
नहीं प्राप्त हो सकिी। यह परमात्म पालना बहुि थोड़े बच्चों को प्राप्त होिी है। दूसरी
लकीर है - परमात्म पढ़ाई के भाग्य की लकीर। परमात्म पढ़ाई यह तकिना भाग्य है जो
स्वयं परम आत्मा तशक्षक बन पढ़ा रहे हैं। िीसरी लकीर है - परमात्म प्रातप्तयों की
लकीर। सोचो तकिनी प्रातप्तयां हैं। सभी को याद है ना - प्रातप्तयों की तलस्ट तकिनी
लम्बी है! िो हर एक के मस्िक में यह िीन लकीर चमक रही हैं। ऐसे भाग्यवान आत्मायें
अपने को समझिे हो? पालना, पढ़ाई और प्रातप्तयां। साथ-साथ बापदादा बच्चों के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 215 ]

तनश्चय के आधार पर रूहानी नशे को भी देख रहे हैं। हर एक परमात्म बच्चा तकिना
रूहानी नशे वाली आत्मायें हैं! सारे तवश्व में और सारे कल्प में सबसे हाइएस्ट भी हैं ,
महान भी हैं और होलीएस्ट भी हैं। आप जैसी पतवि आत्मायें िन से भी, मन से भी
देव रूप में सवट गण
ु सम्पन्न, सम्पण
ू ट तनतवटकारी और कोई बनिा नहीं है। और तफर
हाइएस्ट भी हो, होलीएस्ट भी हो साथ-साथ ररचेस्ट भी हो। बापदादा स्थापना में भी
बच्चों को स्मृति तदलािे थे और फलक से अखबारों में भी िलवाया तक "ओम
मण्िली ररचेस्ट इन दी वल्िट"। यह स्थापना के समय की आप सबकी मतहमा है। एक
तदन में तकिना भी बड़े िे बड़ा मल्टी-मल्टी तमल्युनर हो लेतकन आप जैसा ररचेस्ट हो
नहीं सकिा।

सभी अपने भाग्य को देख सदा हतषटि रहिे हो? तदल में सदा ये गीि गािे हो तक वाह
मेरा श्रेष्ठ भाग्य तक कभी-कभी गीि बजिा है, कभी बन्द हो जािा है ? सदा एकरस
गीि बजिा है या कभी स्लो हो जािा है , कभी िेज हो जािा है ? सदा भाग्य के गीि
गािे रहो। क्योंतक ये भाग्य तकसने बनाया? भाग्य तवधािा ने भाग्य बनाया। ऊंचे िे
ऊंचे भगवान् ने भाग्य बनाया। िो जब स्वयं ऊंचे िे ऊंचा है िो भाग्य भी ऊंचा बनायेगा।
िो यह नशा और खुशी रहे तक भगवान् ने श्रेष्ठ भाग्य बना तदया और तकिने जन्मों का
भाग्य बनाया? जन्म-जन्म के तलये भाग्य बनाया। तसफट 21 जन्म नहीं लेतकन सारे
कल्प के अन्दर भाग्यवान रहे। 21 जन्म पज्ू य बनिे हो और तफर द्वापर से पज ु ारी
आपकी पूजा करिे हैं। िो वो चैिन्य पूज्य राज्य अतधकारी बनिे हो और द्वापर से जड़
तचि आपके पूजे जािे हैं। िो सारे कल्प का भाग्य है। अब अतन्िम जन्म में भी अपने
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 216 ]

यादगार देख रहे हो ना। एक िरफ चैिन्य में आप हो और दूसरे िरफ आपके ही जड़
तचि हैं िो तचि और चैिन्य दोनों सामने हैं। तचि को देखकरके भी खुशी होिी है ना
िो ऐसे पज्ू य बाप द्वारा बने हैं। सारे कल्प में कोई अपना चैिन्य रूप में जड़ तचि देखे,
यह नहीं होिा। अगर देखिे भी होंगे िो तभन्न जन्म होने के कारण जानिे नहीं हैं। लेतकन
आप जानिे हो तक ये हमारे ही जड़ तचि हैं। मािायें जानिी हो? आप सबकी पज
ू ा
होिी है? िो तचि और चैिन्य यही तवशेषिा है। कल क्या थे , आज क्या हैं और कल
क्या होंगे -िीनों ही काल सामने हैं। मािायें सदा खुश रहिी हो तक कभी-कभी रहिी
हो?

बाप के रूप में परमात्म पालना का अनुभव कर रहे हो। यह परमात्म पालना सारे कल्प
में तसफट इस ब्राह्मण जन्म में आप बच्चों को प्राप्त होिी है , तजस परमात्म पालना में
आत्मा को सवट प्रातप्त स्वरूप का अनुभव होिा है। परमात्म प्यार सवट सबं ंधों का
अनुभव करािा है। परमात्म प्यार अपने देह भान को भी भुला देिा, साथ-साथ अनेक
स्वाथट के प्यार को भी भल
ु ा देिा है। ऐसे परमात्म प्यार, परमात्म पालना के अन्दर
पलने वाली भाग्यवान आत्मायें हो। तकिना आप आत्माओ ं का भाग्य है जो स्वयं
बाप अपने विन को छोड़ आप गॉिली स्टूिेन्टस को पढ़ाने आिे हैं। ऐसा कोई टीचर
देखा जो रोज़ सवेरे-सवेरे दूरदेश से पढ़ाने के तलए आवे ? ऐसा टीचर कभी
देखा?लेतकन आप बच्चों के तलए रोज़ बाप तशक्षक बन आपके पास पढ़ाने आिे हैं
और तकिना सहज पढ़ािे हैं। दो शब्दों की पढ़ाई है - आप और बाप, इन्हीं दो शब्दों
में चक्कर कहो, ड्रामा कहो, कल्प वृक्ष कहो सारी नॉलेज समाई हुई है। और पढ़ाई में
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 217 ]

िो तकिना तदमाग पर बोझ पड़िा है और बाप की पढ़ाई से तदमाग हल्का बन जािा


है। हल्के की तनशानी है ऊंचा उड़ना। हल्की चीज़ स्वि: ही ऊंची होिी है। िो इस पढ़ाई
से मन-बुतद्ध उड़िी कला का अनुभव करिी है। िो तदमाग हल्का हुआ ना! िीनों लोकों
की नॉलेज तमल जािी है। िो ऐसी पढ़ाई सारे कल्प में कोई ने पढ़ी है। कोई पढ़ाने
वाला ऐसा तमला। िो भाग्य है ना! तफर सिगुरू द्वारा श्रीमि ऐसी तमलिी है जो सदा
के तलए क्या करूं, कै से चलूं, ऐसे करूं या नहीं करूं, क्या होगा..... यह सब क्वेश्चन्स
समाप्त हो जािे हैं। क्या करूं, कै से करूं, ऐसे करूं या वैसे करूं... इन सब क्वेश्चन्स का
एक शब्द में जवाब है - फॉलो फादर।

आज बापदादा अपने चारों ओर के बच्चों को देख हतषटि हो रहे हैं क्योंतक बाप जानिे
हैं तक मेरा एक-एक बच्चा चाहे लास्ट परुु षाथी भी है तफर भी तवश्व में सबसे बड़े िे
बड़े भाग्यवान है क्योंतक भाग्य तवधािा बाप को जान, पहचान भाग्यतवधािा के
िायरेक्ट बच्चे बन गये। ऐसा भाग्य सारे कल्प में तकसी आत्मा का न है , न हो सकिा
है। साथ-साथ सारे तवश्व में सबसे सम्पतर्त्वान वा धनवान और कोई हो नहीं सकिा।
चाहे तकिना भी पद्मपति हो लेतकन आप बच्चों के खज़ानों से कोई की भी िुलना
नहीं है क्योंतक बच्चों के हर कदम में पद्मों की कमाई है। सारे तदन में हर रोज़ चाहे एक
दो कदम भी बाप की याद में रहे वा कदम उठाया, िो हर कदम में पद्म... िो सारे तदन
में तकिने पद्म जमा हुए? ऐसा कोई होगा जो एक तदन में पद्मों की कमाई करे! इसतलए
बापदादा कहिे हैं अगर भाग्यवान देखना हो वा ररचेस्ट इन दी वल्िट आत्मा देखनी हो
िो बाप के बच्चों को देखो। आप बच्चों के पास तसफट एक स्थूल धन का खज़ाना
नहीं, वो िो तसफट धन के साहकार हैं और आप बच्चे तकिने खज़ानों से भरपूर हैं!
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 218 ]

खज़ानों की तलस्ट जानिे हो ना? यह स्थूल धन िो कोई बड़ी बाि नहीं है लेतकन
आपके पास जो ज्ञान का खज़ाना, शतक्तयों का खज़ाना, सवट गणु ों का खज़ाना, खश
ु ी
का खज़ाना और सवट को सख ु -शातन्ि का रास्िा बिाने से जो दुआओ ं का खज़ाना
तमलिा है, यह अतवनाशी खज़ाने तसवाए परमात्म बच्चों के अतवनाशी तकसके पास
नहीं हैं। िो बापदादा को ऐसे खज़ानों के मातलक बच्चों पर तकिना रूहानी नाज़ है।
बापदादा सदा बच्चों को ऐसे सम्पन्न देख यही गीि गािे वाह बच्चे वाह! आपको भी
अपने पर इिना रूहानी नाज़ अथाटि् नशा है ना! हाथ की िाली बजा सकिे हो।

"आज बापदादा तवश्व की आधारमूर्त्ट आत्माओ ं को देख रहे हैं। सवटश्रेष्ठ आत्मा तवश्व
के आधारमूर्त्ट हो। आप श्रेष्ठ आत्माओ ं की ही चढ़िी कला वा उड़िी कला होिी है िो
सारे तवश्व का उद्धार करने के तनतमर्त् बन जािे हो। सवट आत्माओ ं की जन्म-जन्मान्िर
की आशायें , मुतक्त वा जीवनमुतक्त प्राप्त करने की, स्वि: ही प्राप्त हो जािी हैं। आप
श्रेष्ठ आत्मायें मुतक्त अथाटि् अपने घर का गेट खोलने के तनतमर्त् बनिी हो िो सवट
आत्माओ ं को स्वीट होम का तठकाना तमल जािा है। बहुि समय का दु:ख और
अशातन्ि समाप्त हो जािी है क्योंतक शातन्िधाम के तनवासी बन जािे हैं। जीवनमुतक्त
के वसे से वतं चि आत्माओ ं को वसाट प्राप्त हो जािा है। इसके तनतमर्त् अथाटि् आधारमूर्त्ट
श्रेष्ठ आत्मायें , बाप - आप बच्चों को ही बनािे हैं। बापदादा सदा कहिे - पहले बच्चे
पीछे हम। आगे बच्चे पीछे बाप। ऐसे ही सदा चलािे आये हैं। ऐसे तवश्व के आधारमूर्त्ट
अपने को समझकर चलिे हो? बीज के साथ-साथ वृक्ष की जड़ में आप आधारमूर्त्ट
श्रेष्ठ आत्मायें हो। िो बापदादा ऐसी श्रेष्ठ आत्माओ ं से तमलन मनाने के तलए आिे हैं।
ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें हो जो तनराकार और आकार को भी आप समान साकार रूप में
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 219 ]

लािे हो। िो तकिने श्रेष्ठ हो गये। ऐसे अपने को समझिे हुए हर कमट करिे हो? इस
समय स्मृति स्वरूप से सदा समथट स्वरूप हो ही जायेंगे। यह एक अटे न्शन स्वि: ही हद
के टे न्शन को समाप्त कर देिा है।

आज जहाूँन के नूर अपने नूरे रत्नों से तमलने आये हैं। तसकीलधे बच्चे बाप के नूर हैं।
जैसे शरीर में , आूँखों में नूर नहीं िो जहाूँन नहीं, ऐसे तवश्व में आप रूहानी नूर नहीं िो
तवश्व में रोशनी नहीं, अंधकार है। बापदादा के नयनों के नूर अथाटि् तवश्व की ज्योति हो।
"

तवश्व में सबसे ज्यादा श्रेष्ठ भाग्यवान अपने को समझिे हो? सारा तवश्व तजस श्रेष्ठ भाग्य
के तलए पक ु ार रहा है तक हमारा भाग्य खल ु जाए... आपका भाग्य िो खल ु गया। इससे
बड़ी खुशी की बाि और क्या होगी! भाग्यतवधािा ही हमारा बाप है - ऐसा नशा है ना!
तजसका नाम ही भाग्यतवधािा है उसका भाग्य क्या होगा! इससे बड़ा भाग्य कोई हो
सकिा है ? िो सदा यह खुशी रहे तक भाग्य िो हमारा जन्म-तसद्ध अतधकार हो गया।
बाप के पास जो भी प्रापटी होिी है, बच्चे उसके अतधकारी होिे हैं। िो भाग्यतवधािा
के पास क्या है ? भाग्य का खज़ाना। उस खज़ाने पर आपका अतधकार हो गया। िो
सदैव 'वाह मेरा भाग्य और भाग्य-तवधािा बाप'! - यही गीि गािे खुशी में उड़िे रहो।
तजसका इिना श्रेष्ठ भाग्य हो गया उसको और क्या चातहए? भाग्य में सब कुछ आ
गया। भाग्यवान के पास िन-मन-धन-जन सब कुछ होिा है। श्रेष्ठ भाग्य अथाटि् अप्राप्त
कोई वस्िु नहीं। कोई अप्रातप्त है? मकान अच्छा चातहए, कार अच्छी चातहए... नहीं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 220 ]

तजसको मन की खुशी तमल गई, उसे सवट प्रातप्तयाूँ हो गई! कार िो क्या लेतकन कारून
का खज़ाना तमल गया! कोई अप्राप्त वस्िु है ही नहीं। ऐसे भाग्यवान हो! तवनाशी इच्छा
क्या करेंगे। जो आज है , कल है ही नहीं - उसकी इच्छा क्या रखेंगे। इसतलए, सदा
अतवनाशी खज़ाने की खुतशयों में रहो जो अब भी है और साथ में भी चलेगा। यह
मकान, कार वा पैसे साथ नहीं चलेंगे लेतकन यह अतवनाशी खज़ाना अनेक जन्म साथ
रहेगा। कोई छीन नहीं सकिा, कोई लूट नहीं सकिा। स्वयं भी अमर बन गये और
खज़ाने भी अतवनाशी तमल गये! जन्मजन्म यह श्रे ष्ठ प्रालब्ध साथ रहेगी। तकिना बड़ा
भाग्य है! जहाूँ कोई इच्छा नहीं, इच्छा मािम् अतवद्या है - ऐसा श्रेष्ठ भाग्य भाग्यतवधािा
बाप द्वारा प्राप्त हो गया।

तवश्व की िमोगुणी अपतवि आत्माओ ं के अन्िर में तकिनी श्रेष्ठ आत्मायें हैं! दुतनया में
सवट आत्मायें पुकारने वाली हैं, भटकने वाली, अप्राप्त आत्मायें हैं। तकिनी भी तवनाशी
सवट प्रातप्तयाूँ हो तफर भी कोई न कोई अप्रातप्त जरूर होगी। आप ब्राह्मण बच्चों को सवट
प्रातप्तयों के दािा के बच्चों को अप्राप्त कोई वस्िु नहीं। सदा प्रातप्त स्वरूप हो।
अल्पकाल के सुख के साधन अल्पकाल के वैभव, अल्पकाल का राज्य अतधकार न
होिे हुए भी तबन क ड़ी बादशाह हो। बेतफकर बादशाह हो। मायाजीि, प्रकृतिजीि
स्वराज्य अतधकारी हो। सदा ईश्वरीय पालना में पलने वाले खुशी के झल ू े में , अिीतन्िय
सख ु के झूले में झल
ू ने वाले हो। तवनाशी सम्पतर्त् के बजाए अतवनाशी सम्पतर्त्वान हो।
रत्न जतड़ि िाज नहीं लेतकन परमात्म बाप के तसर के िाज हो। रिन जतड़ि शगृं ार नहीं
लेतकन ज्ञान रत्नों, गुणों रूपी रत्नों के शृंगार से सदा शृंगारे हुए हो। तकिना भी बड़ा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 221 ]

तवनाशी सवट श्रेष्ठ हीरा हो, मूल्यवान हो लेतकन एक ज्ञान के रत्न, गुण के रत्न के आगे
उनकी क्या वैल्यु हैं? इन रत्नों के आगे वह पत्थर के समान हैं। क्योंतक तवनाशी हैं। न
लखे हार के आगे भी आप स्वयं बाप के गले का हार बन गये हो। प्रभु के गले के हार
के आगे न लाख कहो वा न पद्म कहो वा अनतगनि पद्म के मूल्य का हार कुछ भी
नहीं है। 36 प्रकार का भोजन भी इस ब्रह्मा भोजन के आगे कुछ नहीं है। क्योंतक
िायरेक्ट बापदादा को भोग लगाकर इस भोजन को परमात्म प्रसाद बना देिे हो। प्रसाद
की वैल्यु आज अतन्िम जन्म में भी भक्त आत्माओ ं के पास तकिनी हैं? आप साधारण
भोजन नहीं खािे। प्रभु प्रसाद खा रहे हो। जो एक-एक दाना पद्मों से भी श्रेष्ठ है। ऐसी
सवट श्रेष्ठ आत्मायें हो। ऐसा रूहानी श्रेष्ठ नशा रहिा है ?

अपने को सगं मयुगी श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करिे हो? ब्राह्मणों को सदा ऊंचे िे ऊंची
चोटी पर तदखािे हैं। चोटी का अथट ही है ऊंचा। िो सगं मयुगी अथाटि् ऊंचे िे ऊंची
आत्मायें। जैसे बाप ऊंचे िे ऊंचा गाया हुआ है, ऐसे बच्चे भी ऊंचे और संगमयुग भी
ऊंचा है। सारे कल्प में सगं मयुग जै सा ऊंचा कोई युग नहीं है क्योंतक इस युग में ही बाप
और बच्चों का तमलना होिा है। और कोई युग में आत्मा और परमात्मा का मेला नहीं
होिा है। िो जहाूँ आत्मा और परमात्मा का मे ला है , वही श्रेष्ठ युग हुआ ना। ऐसे श्रेष्ठ
युग की श्रेष्ठ आत्मायें हो! आप श्रेष्ठ ब्राह्मणों का कायट क्या है ? ब्राह्मणों का काम है -
पढ़ना और पढ़ाना। नामधारी ब्राह्मण भी शास्त्र पढ़ेंगे और दूसरों को सनु ायेंगे। िो आप
ब्राह्मणों का काम है ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ना और पढ़ाना तजससे ईश्वर के बन जाए।ं िो ऐसे
करिे हो? पढ़िे भी हो और पढ़ािे अथाटि् सेवा भी करिे हो। यह ईश्वरीय ज्ञान देना ही
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 222 ]

ईश्वरीय सेवा है। सेवा का सदा ही मेवा तमलिा है। कहावि है ना - 'करो सेवा िो तमले
ु का मेवा तमलिा है, शतक्तयों का मेवा
मेवा'। िो ईश्वरीय सेवा करने से अिीतन्िय सख
तमलिा है, खुशी का मेवा तमलिा है। िो ऐसा मेवा तमला है ना? तकिनी पाि आत्मायें
हो जो इस ईश्वरीय फल के अतधकारी बन गई! आप ब्राह्मणों के तसवाए और कोई भी
इस फल के अतधकारी बन नहीं सकिे। अतधकारी भी क न बने हैं ? तजनमें तकसी की
उम्मीद नहीं, वह उम्मीदवार बन गये! दुतनया वाले मािाओ ं के तलए कहिे - इनका
कोई अतधकार नहीं है और बाप ने मािाओ ं को तवशेष अतधकारी बनाया है, मािाओ ं
को इस सेवा की तवशेष तजम्मेवारी दी है। दुतनया वालों ने पाूँव की जुर्त्ी बना तदया
और बाप ने तसर का िाज बना तदया। िो साधारण मािायें नहीं हो, अभी िो बाप के
तसर के िाज बन गई।

बाप को भी खुशी होिी है तक मेरा एक-एक बच्चा तवशेष आत्मा है। चाहे बुजुगट
हैं,अनपढ़ हैं, छोटे बच्चे हैं, युवा हैं, प्रवतृ र्त् वाले हैं लेतकन सारे तवश्व के आगे तवशेष
हैं। चाहे तकिने भी बड़े-बड़े वैज्ञातनक चमत्कार तदखाने वाले भी हैं , चन्िमा िक पहुूँचने
वाले भी हैं लेतकन बाप के तवशेष बच्चों के आगे वो भी अन्जान हैं। पांचों ही ित्वों
को जान तलया, उन्हों पर तवजय भी प्राप्त कर ली लेतकन छोटी सी तबन्दु आत्मा को
नहीं जाना। यहाूँ छोटे बच्चे से भी पूछेंगे-िुम क न हो, िो क्या कहे गा? आत्मा हूँ कहेगा
ना। आत्मा कहाूँ रहिी है , वो भी बिायेगा। और वैज्ञातनक से पूछो आत्मा क्या है?
आत्मा के ज्ञान को अभी िक जान नहीं सके । िो तकिने भी बड़े तहस्िी के तहसाब से ,
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 223 ]

इस दुतनया के तहसाब से तवशेष हों लेतकन तजसने अपने को नहीं जाना, उससे िो यहाूँ
का पांच वषट वाला बच्चा तवशेष हो गया। आप लोगों का शुरू-शुरू का बहुि फ़लक
का गीि है , याद है क न सा गीि है ? एक गीि था-तकिना भी बड़ा सेठ, स्वामी हो
लेतकन अलफ़ को नहीं जाना....। िो तकिने भी बड़े हो, चाहे नेिा हो, चाहे अतभनेिा
हो लेतकन अपने आपको नहीं जाना िो क्या जाना? िो ऐसी तवशेष आत्मायें हो। यहाूँ
की अनपढ़ बुजुगट मािा है और दूसरी िरफ अच्छा महात्मा है लेतकन बुजुगट मािा
फ़लक से कहेगी तक हमने परमात्मा को पा तलया। और महात्मा कहेगा-परमात्मा को
पाना बहुि मुतश्कल है, लेतकन यहाूँ 100 वषट के आयु वाली भी तनश्चयबुतद्ध होगी िो
वो क्या कहेगी? िुम ढूढं िे रहो, हमने िो पा तलया। िो महात्मा भी आपके आगे क्या
है! प्रवृतर्त् वाले फ़लक से कहेंगे तक हम िबल पलंग पर सोिे , इकट्ठे रहिे भी पतवि
हैं, क्योंतक हमारे बीच में बाप है। और महात्मायें क्या कहेंगे ? कहेंगे - आग-कापस

इकठ्ठा रहना, यह िो असम्भव लगिा है। और आपके तलये क्या है ?

सदा भरपूर रहो। भरपूर आत्मा अचल होगी। जो भरपूर नहीं होगा उसमें हलचल होगी।
इस समय भी भरपूर बने हो, तफर भतवष्य में जब राज्य करें गे िो भी तकिने भरपूर होंगे!
कोई कमी नहीं होगी। और जब पूज्य बनिे हो िो आपके मतन्दर भी तकिने भरपूर हो
जायेंगे! भारि के मतन्दरों से और लोग मालामाल हुए। जब जड़ तचि मतन्दर भी आपके
इिने सम्पन्न थे िो आप तकिने सम्पन्न होंगे! अप्रातप्त का नाम-तनशान नहीं होगा।
सियुग में कोई अप्रातप्त होगी? अभी कोई अप्रातप्त है ? सब-कुछ तमल गया! अच्छा,
सियुग में बाप (तशवबाबा) होगा? िो अप्रातप्त हुई या नहीं हुई? हो गई ना। िो सियुग
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 224 ]

से भी ज्यादा सवट प्रातप्तयां अभी हैं। तकिनी खुशी, तकिना नशा है! सदा यह स्मृति में
रखो तक हम ही आधा कल्प राज्य-अतधकारी बनिे हैं और आधा कल्प पूज्य आत्माए
बनिे हैं और सगं म पर सवट प्रातप्त सम्पन्न आत्मा बनिे हैं। िो सारा कल्प भरपरू हो ना!
क्योंतक इस समय की सम्पन्निा सारे कल्प राज्य के रूप में और पूज्य रूप में चलिी
है। अभी भी देखो-चाहे कतलयुग का अन्ि है, तफर भी स्वयं सख
ू ी रोटी खायेंगे लेतकन
देविाओ ं को बतढ़या भोग लगायेंगे। चैिन्य मनुष्यों को रहने का स्थान नहीं होगा,
फुटपाथ पर सोिे हैं, झोपतड़यां लगाकर सोिे हैं और आपके जड़ तचि तकिने
तवतधपूवटक मतन्दरों में रहिे हैं! िो चैिन्य को जगह नहीं तमलिी लेतकन आपके जड़
तचिों को भी जगह देिे हैं! तकिने बड़े -बड़े मतन्दर हैं! और मूतिट तकिनी होिी है! िीन
पैर पृथ्वी चातहए लेतकन मतन्दर तकिने बड़े बनािे हैं! िो इस अतन्िम जन्म में भी आप
आत्माए तकिनी सम्पन्न हो! जड़ तचि भी आपके सम्पन्न हैं। िो चैिन्य में भी सम्पन्न
हो ना। सारे कल्प का श्रेष्ठ भाग्य अब तमल रहा है। तमल गया। भाग्यतवधािा ने हर बच्चे
की सारे कल्प की िकदीर की लकीर खींच दी। सारा कल्प नाम बाला होगा। िो इिना
नशा रहिा है ?

जो प्रभु को तप्रय लगिी हैं वह तवश्व की तप्रय बनिी ही हैं। सभी को यह रूहानी नशा,
रूहानी रूहाब, रूहानी फखर सदा रहिा है तक हम परमात्म-प्यारे , भगवान के प्यारे ,
जगि के प्यारे बन गये। तसफट एक आधी घड़ी की नजर वा दृति पड़ जाए, भक्त लोग
इसके प्यासे रहिे हैं। और इसी को महानिा समझिे हैं। लेतकन आप ईश्वरीय प्यार के
पाि बन गये। यह तकिना महान भाग्य है। आज हर आत्मा बचपन से मृत्यु िक क्या
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 225 ]

चाहिी है? बेसमझ बच्चे भी जीवन में प्यार चाहिा है। पैसा पीछे चाहिा लेतकन पहले
प्यार चाहिा। प्यार नहीं िो जीवन, तनराशा को जीवन अनुभव करिे, बेरस अनुभव
करिे हैं। लेतकन आप सवट आत्माओ ं को परमात्म प्यार तमला, परमात्मा के प्यारे बने।
इससे बड़ी वस्िु और कुछ है? प्यार है िो जहान है , जान है। प्यार नहीं िो बेजान,
बेजहान हैं। प्यार तमला अथाटि् जहान तमला। ऐसा प्यार, श्रेष्ठ भाग्य अनुभव करिे हो?
दुतनया इसकी प्यासी है। एक बूँूद की प्यासी है और आप बच्चों का यह प्रभु प्यार
प्रापटी है। इसी प्रभु प्यार से पलिे हो। अथाटि् ब्राह्मण जीवन में आगे बढ़िे हो। ऐसा
अनुभव करिे हो?प्यार के सागर में लवलीन रहिे हो? वा तसफट सुनिे वा जानिे हो?
अथाटि् सागर के तकनारे पर खड़े-खड़े तसफट सोचिे और देखिे रहिे हो! तसफट सनु ना
और जानना यह है तकनारे पर खड़ा होना। मानना और समा जाना यह है प्रेम के सागर
में लवलीन होना। प्रभु के प्यारे बनकर भी सागर में समा जाना, लीन हो जाना यह
अनुभव नहीं तकया िो प्रभु प्यार के पाि बन करके पाने वाले नहीं लेतकन प्यासे रह
गये। पास आिे भी प्यासे रह जाना इसको क्या कहेंगे? सोचो तकसने अपना बनाया!
तकसके प्यारे बने! तकसकी पालना में पल रहे हैं ? िो क्या होगा? सदा स्नेह में समाये
हुए होने कारण समस्यायें वा तकसी भी प्रकार की हलचल का प्रभाव पड़ नहीं सकिा।
सदा तवघ्न-तवनाशक, समाधान स्वरूप, मायाजीि अनुभव करें गें।

आज भाग्य तवधािा बाप अपने चारों ओर के श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों को देख हतषटि हो
रहे हैं। सारे कल्प में ऐसा श्रेष्ठ भाग्य तकसी का भी हो नहीं सकिा। कल्प-कल्प के आप
बच्चे ही इस भाग्य का अतधकार प्राप्त करिे हो। याद है - अपना कल्प-कल्प के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 226 ]

अतधकार का भाग्य? यह भाग्य सवट श्रेष्ठ भाग्य क्यों है ? क्योंतक स्वय भाग्यतवधािा
ने इस श्रेष्ठ भाग्य का तदव्य जन्म आप बच्चों को तदया है। तजसका जन्म ही भाग्य
तवधािा द्वारा है , उससे श्रेष्ठ भाग्य और हो ही नहीं सकिा। अपने भाग्य का नशा स्मृति
में रहिा है ? अपने भाग्य की तलस्ट तनकालो िो तकिनी बड़ी तलस्ट है ? अप्राप्त कोई
वस्िु नहीं आप ब्राह्मणों के भाग्यवान जीवन में। सबके मन में अपने भाग्य की तलस्ट
स्मृति में आ गई! स्मृति में लाओ, आ गई स्मृति में? तदल क्या गीि गािी? वाह भाग्य
तवधािा! और वाह मेरा भाग्य। इस श्रेष्ठ भाग्य की तवशेषिा यही है - एक भगवान द्वारा
िीन सम्बन्ध की प्रातप्त है। एक द्वारा एक में िीन सम्बन्ध, जो जीवन में तवशेष सम्बन्ध
गाये हुए हैं - बाप, तशक्षक, सिगरुु , तकसी को भी एक द्वारा िीन तवशेष सम्बन्ध और
प्रातप्त नहीं है। आप फलक से कहिे हो हमारा बाप भी है , तशक्षक भी है िो सिगुरु भी
है। बाप द्वारा सवट खज़ानों की खान प्राप्त है। खज़ानों की तलस्ट भी स्मृति में आई!
स्मृति में लाओ क्या-क्या खज़ाना बाप द्वारा तमल गया! तमल गया है या तमलना है ?
क्या कहेंगे? बालक सो मातलक है ही। तशक्षक द्वारा तशक्षा से श्रेष्ठ पद की प्रातप्त हो
गई। वैसे भी देखा जाए दुतनया में भी सबसे श्रेष्ठ पद राज्य पद गाया जािा है , िो आप
िो िबल राजे बन गये हो। विटमान स्वराज्य अतधकारी और भतवष्य में अनेक जन्म
राज्य पद अतधकारी। पढ़ाई एक जन्म की, वह भी छोटा सा जन्म और पद की प्रातप्त
अनेक जन्म, और राज्य भी अखण्ि, अटल, तनतवटघ्न राज्य। अभी भी स्वराज्य
अतधकारी बेतफकर बादशाह हो, है?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 227 ]

हर एक बच्चे का स्वमान इिना तवशेष है जो तवश्व में कोई भी आत्मा का नहीं है। आप
सभी तवश्व की आत्माओ ं के पूवटज भी हो और पूज्य भी हो। सारे सतृ ि के वृक्ष की जड़
में आप आधारमूिट हो। सारे तवश्व के पूवटज पहली रचना हो। बापदादा हर एक बच्चे
की तवशेषिा को देख खुश होिे हैं। चाहे छोटा बच्चा है, चाहे बुजुगट मािायें हैं, चाहे
प्रवृतर्त् वाले हैं। हर एक की अलग-अलग तवशेषिायें हैं। आजकल तकिने भी बड़े िे
ं दान हैं, दुतनया के तहसाब से तवशेष हैं लेतकन प्रकृतिजीि िो बनें, चन्िमां
बड़े साइस
िक भी पहुंच गये लेतकन इिनी छोटी सी ज्योति स्वरूप आत्मा को नहीं पहचान
सकिे। और यहाूँ छोटा सा बच्चा भी मैं आत्मा हूँ, ज्योति तबन्दु को जानिा है। फलक
से कहिा है मैं आत्मा हूँ। तकिने भी बड़े महात्मायें हैं और ब्राह्मण मािायें हैं, मािायें
फलक से कहिी हमने परमात्मा को पा तलया। पा तलया है ना! और महात्मायें क्या
कहिे? परमात्मा को पाना बहुि मुतश्कल है। प्रवृतर्त् वाले चैलेन्ज करिे हैं तक हम सब
प्रवतृ र्त् में रहिे, साथ रहिे पतवि रहिे हैं क्योंतक हमारे बीच में बाप है। इसतलए दोनों
साथ रहिे भी सहज पतवि रह सकिे हैं क्योंतक पतवििा हमारा स्वधमट है। पर धमट
मुतश्कल होिा है, स्व धमट सहज होिा है। और लोग क्या कहिे ? आग और कपूस
साथ में रह नहीं सकिे। बड़ा मुतश्कल है और आप सब क्या कहिे ? बहुि सहज है।
आप सबका शुरू शुरू का एक गीि था - तकिने भी सेठ, स्वामी हैं लेतकन एक अल्फ
को नहीं जाना है। छोटी सी तबन्दी आत्मा को नहीं जाना लेतकन आप सभी बच्चों ने
जान तलया, पा तलया। इिने तनश्चय और फखुर से बोलिे हो, असम्भव सम्भव है।
बापदादा भी हर एक बच्चे को तवजयी रत्न देख हतषटि होिे हैं क्योंतक तहम्मिे बच्चे
मददे बाप है। इसतलए दुतनया तलए जो असम्भव बािें हैं वह आपके तलए सहज और
सम्भव हो गई हैं। फखुर रहिा है तक हम परमात्मा के िायरेक्ट बच्चे हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 228 ]

अगर तगनिी करो िो आप सबके पास तकिने प्रकार की अथाटीज हैं। और आत्माओ ं
के पास एक दो अथाटी होगी। तकसको साइन्स की, तकसको शास्त्र की, तकसको
िाक्टरी के नालेज की, तकसको इन्जीतनयरी के नालेज की अथाटी होगी, आपको
क न सी अथाटी है ? तलस्ट तनकालो िो बहुि लम्बी तलस्ट हो जाये गी। सबसे पहली
अथाटी वल्िट आलमाइटी आपका हो गया। वल्िट आलमाइटी की अथाटी। जब वल्िट
आलमाइटी बाप आप का हो गया िो वल्िट की जो भी अथाटीज हैं वह आपकी हो
गई। ऐसे तलस्ट तनकालो। वल्िट के आतद मध्य अन्ि के नालेज की अथाटी, तजस
नालेज के यादगार शास्त्र बाइतबल वा कुरान आतद सब हैं। इसतलए गीिा ज्ञान को सवट
शास्त्र वा बुक्स का माई बाप कहिे हैं। तशरोमणी कहा जािा है। िायरेक्ट गीिा क न
सनु रहा है? िो अथाटी हो गये ना। इसी प्रकार सवट धमें में से नम्बरवन धमट तकसका
है? (ब्राह्मणों का) आपके ब्राह्मण धमट द्वारा ही सब धमट पैदा होिे हैं ब्राह्मण धमट िना
है। और भी इस धमट की तवशेषिा है। ब्राह्मण धमट िायरेक्ट परमतपिा का स्थापन तकया
हुआ है। और धमट , धमटतपिाओ ं के हैं और यह धमट परमतपिा का है। वह बच्चों द्वारा हैं।
सन आफ गाि कहिे हैं। वह गाि नहीं हैं। िो िायरेक्ट परमतपिा द्वारा श्रेष्ठ धमट की
स्थापन हुआ, उस धमट की अथाटी हो। आतद तपिा ब्रह्मा के िायरेक्ट मुख वश ं ावली
की अथाटी वाले हो। सवटश्रेष्ठ कमट के प्रैतक्टकल जीवन की अथाटी हो। श्रेष्ठ कमट की
प्रालब्ध तवश्व के अखण्ि राज्य के अतधकार की अथाटी हो। भक्तों के पूज्य की अथाटी
हो। ऐसे और भी तलस्ट तनकालो िो बहुि तनकलेगा। समझा आप तकिनी बड़ी अथाटी
हो! भक्तों के पूज्य की अथोटी हो। ऐसे और भी तलस्ट तनकालो िो बहुि तनकलेगा।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 229 ]

समझा आप तकिनी बड़ी अथाटी! ऐसे अथाटी वालों को बाप भी नमस्िे करिे हैं। यह
सबसे बड़ी अथाटी है। ऐसे अथाटी वालों को देख बाप-दादा भी हतषट ि होिे हैं।

सवट आत्मायें भी लाइट रूप में हैं लेतकन आपकी चमक सवट आत्माओ ं में श्रेष्ठ है। याद
आ रहा है परमधाम? अनातद काल से आपकी झलक फलक न्यारी है। जैसे आकाश
में देखा होगा तसिारे सभी चमकिे हैं , सब लाइट ही हैं लेतकन सवट तसिारों में कोई
तवशेष तसिारों की चमक न्यारी और प्यारी होिी है। ऐसे ही सवट आत्माओ ं के बीच
आप आत्माओ ं की चमक रूहानी रॉयल्टी, प्युररटी की चमक न्यारी है। याद आ रहा
है ना? तफर आतदकाल में आओ, आतदकाल को याद करो िो आतदकाल में भी
देविा स्वरूप में रूहानी रॉयल्टी की पसटनातलटी तकिनी तवशेष रही? सारे कल्प में
देविाई स्वरूप की रॉयल्टी और तकसी की रही है ? रूहानी रॉयल्टी, प्युररटी की
पसटनाल्टी याद है ना! पाण्िवों को भी याद है ? याद आ गया? तफर मध्यकाल में
आओ िो मध्यकाल द्वापर से लेकर आपके जो पज्ू य तचि बनािे हैं, उन तचिों की
रॉयल्टी और पूजा की रॉयल्टी द्वापर से अभी िक तकसी तचि की है ? तचि िो बहुिों
के हैं लेतकन ऐसे तवतध पूवटक पूजा और तकसी आत्माओ ं की है ? चाहे धमट तपिायें हैं ,
चाहे नेिायें हैं, चाहे अतभनेिायें हैं, तचि िो सबके बनिे लेतकन तचिों की रॉयल्टी
और पूजा की रॉयल्टी तकसी की देखी है ? िबल फारेनसट ने अपनी पूजा देखी है?
आप लोगों ने देखी है या तसफट सनु ा है? ऐसे तवतधपवू टक पज
ू ा और तचिों की चमक,
रूहातनयि और तकसकी भी नहीं हुई है , न होगी। क्यों? प्युररटी की रॉयल्टी है। प्युररटी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 230 ]

की पसटनाल्टी है। अच्छा देख तलया अपनी पूजा? नहीं देखी हो िो देख लेना। अभी
लास्ट में सगं मयुग पर आओ िो सगं म पर भी सारे तवश्व के अन्दर प्युररटी की रॉयल्टी
ब्राह्मण जीवन का आधार है। प्युररटी नहीं िो प्रभु प्यार का अनुभव भी नहीं। सवट
परमात्म प्रातप्तयों का अनुभव नहीं। ब्राह्मण जीवन की पसटनाल्टी प्युररटी है और प्युररटी
ही रूहानी रॉयल्टी है। िो आतद अनातद, आतद मध्य और अन्ि सारे कल्प में यह
रूहानी रॉयल्टी चलिी रही है।

बापदादा भतवष्य के िस्वीर बच्चों को देख हतषटि होिे हैं। िस्वीर भी आप हो, भतवष्य
की िकदीर के आधारमूिट भी आप हो। आप श्रेष्ठ बनिे, िब ही दुतनया भी श्रेष्ठ बनिी
है। आपकी उड़िी कला की तस्थति िो तवश्व की भी उड़िी कला है। आप ब्राह्मण
आत्मायें समय प्रति समय जैसी स्टे ज से पास करिे िो तवश्व की स्टे जेस भी पररविटन
होिी रहिी है। आपकी सिोप्रधान तस्थति है िो तवश्व भी सिोप्रधान है , गोल्िन एजेि
है। आप बदलिे िो दुतनया भी बदल जािी है। इिने आधारमूिट हो! विटमान समय बाप
के साथ तकिना श्रेष्ठ पाटट बजा रहे हो! सारे कल्प के अन्दर सबसे बड़े - िे - बड़ा तवशेष
पाटट इस समय बजा रहे हो! बाप के साथ - साथ सहयोगी बन तवश्व की हर आत्मा की
अनेक जन्मों की आशायें पूणट कर रहे हो। बाप द्वारा हर आत्मा को मुतक्त वा जीवनमुतक्त
का अतधकार प्राप्त कराने के तनतमर्त् बने हुए हो। सवट की इच्छाओ ं को पूणट करने वाले
बाप समान - 'कामधेनु' हो, कामनायें पण
ू ट करने वाले हो। ऐसे हर आत्मा को इच्छा -
मािम् - अतवद्या की तस्थति का अनुभव करािे हो जो आधाकल्प अनेक जन्म, न
भतक्त वाली आत्माओ ं को, जीवनमुक्त अवस्था वाली आत्माओ ं को कोई भी इच्छा
रहिी है। एक जन्म की इच्छायें पूणट कराने वाले नहीं लेतकन अनेक जन्मों के तलए
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 231 ]

इच्छा - मािम् - अतवद्या की अनुभूति कराने वाले हो। जै से बाप के सवट भण्िारे , सवट
खज़ाने सदा भरपरू हैं, अप्रातप्त का नाम तनशान नहीं है; ऐसे बाप समान, सदा और
सवट खज़ानों से भरपूर हो। ब्राह्मण आत्मा अथाटि् प्रातप्त स्वरूप आत्मा, सम्पन्न
आत्मा। जैसे बाप सदा लाइट - हाउस, माइट हाउस है; ऐसे ब्राह्मण आत्मायें भी बाप
समान हो,लाइटहाउस हो। इसतलए हर आत्मा को अपनी मंजल पर पहुूँचाने के तनतमर्त्
हो। जैसे बाप हर संकल्प, हर बोल, हर कमट से हर समय दािा हैं , वरदािा हैं;ऐसे आप
ब्राह्मण आत्मायें भी दािा हो, मास्टर वरदािा हो। ऐसे ब्राह्मण जीवन की िस्वीर हो?

सबसे बड़े िे बड़ा खज़ाना 'सन्िुििा' का बाप द्वारा आप सबने प्राप्त तकया है। इसतलए
सन्िुििा लेने के तलए सन्िोषी देवी की पूजा करिे रहिे हैं। सभी सन्िुि आत्मायें -
सन्िोषी माूँ हो ना। सब सन्िोषी हो ना! आप सभी सन्िुि आत्मायें सन्िोषी मूिट हो।
बापदादा द्वारा सफलिा जन्म-तसद्ध अतधकार रूप में प्राप्त की है इसतलए सफलिा का
दान, वरदान आपके तचिों से मांगिे हैं। तसफट अल्प-बुतद्ध होने के कारण, तनबटल
आत्मायें होने के कारण, तभखारी आत्मायें होने के कारण अल्पकाल की सफलिा
ही मांगिे हैं। जैसे तभखारी कभी भी यह नहीं कहेंगे तक हजार रूपया दो। इिना ही
कहेंगे कुछ पैसे दे दो। रूपया, दो दे दो। ऐसे यह आत्मायें भी सख
ु -शातन्ि पतवििा की
तभखारी अल्पकाल के तलए सफलिा मांगेंगी। बस यह मेरा कायट हो जाए, इसमें
सफलिा हो जाए। लेतकन मांगिे आप सफलिा स्वरूप आत्माओ ं से ही हैं। आप
तदलाराम बाप के बच्चे तदलवाला बाप को सभी तदल का हाल सनु ािे हो, तदल की
बािें करिे हो। जो तकसी आत्मा से नहीं कर सकिे वह बाप से करिे हो। सच्चे बाप के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 232 ]

सच्चे बच्चे बनिे हो। अब भी आपके तचिों के आगे सब तदल का हाल बोलिे रहिे
हैं। जो भी अपनी कोई तछपाने वाली बाि होगी, सबके स्नेही सम्बन्धी से तछपायेंगे
लेतकन देवी-देविाओ ं से नहीं तछपायेंगे। दुतनया के आगे कहेंगे मैं यह हूँ, सच्चा हूँ,
महान हूँ। लेतकन देविाओ ं के आगे क्या कहेंगे? जो हूँ वह यही हूँ। कामी भी हूँ िो
कपटी भी हूँ। िो ऐसे नये तवश्व की िकदीर हो। हर एक की िकदीर में पावन तवश्व का
राज्य भाग्य है। ऐसे तवधािा-वरदािा, तवतध-तवधािा सवट श्रेष्ठ आत्मायें हो। हरेक के
श्रेष्ठ मि रूपी हाथों में स्वगट के स्वराज्य का गोला है। ये ही माखन है। राज्य-भाग्य का
माखन है। हरेक के तसर पर पतवििा की महानिा का, लाइट का क्राउन है।
तदलिख्िनशीन हो। स्वराज्य के तिलकधारी हो। िो समझा 'मैं' क न? 'मैं क न'की
पहेली हल करने आये हो ना?

सबसे पहली श्रेष्ठ रचना आप ब्राह्मण श्रेष्ठ आत्मायें हो,इसतलए सवट रचना से तप्रय हो।
ब्रह्मा द्वारा ऊूँचे िे ऊूँची रचना - मुख वंशावली महान आत्मायें , ब्राह्मण आत्मायें हो।
देविाओ ं से भी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें गाई हुई हैं। ब्राह्मण ही फररश्िा सो देविा बनिे
हैं। लेतकन ब्राह्मण जीवन आतद तपिा द्वारा सगं मयुगी आतद जीवन है। आतद
सगं मवासी ज्ञानस्वरूप तिकालदशी, तिनेिी ब्राह्मण आत्मायें हैं। साकार स्वरूप में
साकारी सतृ ि पर आत्मा और परमात्मा के तमलन और सवट सम्बन्ध के प्रीति की रीति
का अनुभव परमात्म-अतवनाशी खज़ानों का अतधकार, साकार स्वरूप से ब्राह्मणों का
ही यह गीि है - हमने देखा हमने पाया तशव बाप को ब्रह्मा बाप द्वारा। यह देविाई
जीवन का गीि नहीं है। साकार सतृ ि पर इस साकारी नेिों द्वारा दोनों बाप को देखना
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 233 ]

उनके साथ खाना-पीना, चलना, बोलना, सनु ना, हर चररि का अनुभव करना,
तवतचि को तचि से देखना यह श्रेष्ठ भाग्य ब्राह्मण जीवन का है। ब्राह्मण ही कहिे हैं -
हमने भगवान को बाप के रूप में देखा। मािा, सखा, बन्ध,ु साज़न के स्वरूप में देखा।
जो ऋतष मुतन, िपस्वी, तवद्वान आचायट, शास्त्र तसफट मतहमा गािे ही रह गये। दशटन के
अतभलाषी रह गये। कब आयेगा, कब तमल ही जायेगा। इसी इन्िजार में जन्म-जन्म
के चक्र में चलिे रहे लेतकन ब्राह्मण आत्मायें फलक से , तनश्चय से कहिी, नशे से
कहिी, खुशी-खुशी से कहिी, तदल से कहिी - 'हमारा बाप अब तमल गया'। वह
िरसने वाले और आप तमलन मनाने वाले। ब्राह्मण जीवन अथाटि् सवट अतवनाशी
अखुट, अटल, अचल सवट प्रातप्त स्वरूप जीवन, ब्राह्मण जीवन इस कल्प-वृक्ष का
फाउण्िेशन, जड़ है। ब्राह्मण जीवन के आधार पर वह वृक्ष वृतद्ध को प्राप्त करिा है।
ब्राह्मण जीवन की जड़ों से सवट वैराइटी आत्माओ ं को बीज द्वारा मुतक्त-जीवनमुतक्त की
प्रातप्त का पानी तमलिा है। ब्राह्मण जीवन के आधार से यह टाल-टातलयाूँ तवस्िार को
पािी है।

आज बापदादा चारों ओर के अपने रूहानी रॉयल फैतमली को देख रहे हैं। सारे कल्प
में सबसे रॉयल आप आत्मायें ही हो। वैसे हद के राज्य-अतधकारी रॉयल फैतमली बहुि
गाये हुए हैं। लेतकन रूहानी रॉयल फैतमली तसफट आप ही गाये हुए हो। आप रॉयल
फैतमली की आत्मायें आतद काल में भी और अनातद काल में भी और विटमान
सगं मयुग में भी रूहानी रॉयल्टी वाली हो। अनातद काल स्वीट होम में भी आप तवशेष
आत्माओ ं की रूहातनयि की झलक, चमक सवट आत्माओ ं से श्रेष्ठ है। आत्मायें सभी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 234 ]

चमकिी हुई ज्योति-स्वरूप हैं, तफर भी आपकी रूहानी रॉयल्टी की चमक अल तकक
है। जैसे साकारी दुतनया में आकाश बीच तसिारे सब चमकिे हुए तदखाई देिे हैं , लेतकन
कोई तवशेष चमकने वाले तसिारे स्वि: ही अपनी िरफ आकतषटि करिे हैं , लाइट होिे
हुए भी उन्हों की लाइट तवशेष चमकिी हुई तदखाई देिी है। ऐसे अनातद काल परमधाम
में भी आप रूहानी तसिारों की चमक अथाटि् रूहानी रॉयल्टी की झलक तवशेष
अनुभव होिी है। इसी प्रकार आतद काल सियुग अथाटि् स्वगट में आप आत्मायें तवश्व-
राज्य की रॉयल फैतमली के अतधकारी बनिे हो। हर एक राजा की रॉयल फैतमली होिी
है। लेतकन आप आत्माओ ं की रॉयल फैतमली की रॉयल्टी वा देव-आत्माओ ं की
रॉयल्टी सारे कल्प में और तकसी रॉयल फैतमली की हो नहीं सकिी। इिनी श्रेष्ठ रॉयल्टी
चैिन्य स्वरूप में प्राप्त की है जो आपके जड़ तचिों की भी तकिनी रॉयल्टी से पूजा
होिी है। सारे कल्प के अन्दर रॉयल्टी की तवतध प्रमाण और कोई भी धमट -तपिा, धमट-
आत्मा या महान आत्मा की ऐसे पूजा नहीं होिी। िो सोचो-जब जड़ तचिों में भी
रॉयल्टी की पूजा है िो चैिन्य में तकिने रॉयल फैतमली के बनिे हो! िो इिने रॉयल
हो? वा बन रहे हो? अभी संगम पर भी रूहानी रॉयल्टी अथाटि् फररश्िा-स्वरूप बनिे
हो, रूहानी बाप की रूहानी रॉयल फैतमली बनिे हो। िो अनातद काल, आतद काल
और सगं मयुगी काल-िीनों काल में नम्बरवन रॉयल बनिे हो। ये नशा रहिा है तक हम
िीनों काल में भी रूहानी रॉयल्टी वाली आत्मायें हैं ? इस रूहानी रॉयल्टी का
फाउन्िेशन क्या है? सम्पूणट प्योररटी।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 235 ]

"आज बापदादा सवट बच्चों को तकस रूप में देख रहे हैं अथाटि् अपने खुदाई
तखदमिगार बच्चों को देख रहे हैं। परन्िु आप सब िो हैं ही 'खुदाई तखदमिगार'। तसफट
भगवान का नाम लेने वाले नहीं लेतकन भगवान के साथी बन श्रेष्ठ कायट करने वाले
हैं। िो खुदाई तखदमिगार बच्चों के हर कायट सफल हुए ही पड़े हैं।

सभी अपने को बाप के स्नेही और सहयोगी श्रेष्ठ आत्मायें समझिे हो ना? सदा यह
नशा रहिा है तक हम श्रेष्ठिे - श्रेष्ठ आत्मायें हैं क्योंतक बाप के साथ पाटट बजाने वाली
हैं। सारे चक्र के अन्दर इस समय बाप के साथ पाटट बजाने के तनतमर्त् बने हो। ऊंच-िे
ऊंच पाटट बजाने के तनतमर्त् बने हो। ऊंचे -िे-ऊंचे भगवान के साथ पाटट बजाने वाले
तकिनी ऊंची आत्मायें हो गई। ल तकक में भी कोई पद वाले के साथ काम करिे हैं ,
उनको भी तकिना नशा रहिा है! प्राइम तमतनस्टर के प्राइवेट सेक्रेटरी को भी तकिना
नशा रहिा! िो आप तकसके साथ हो? ऊंचे-िे-ऊंचे बाप के साथ और तफर उसमें भी
तवशेषिा यह है तक एक कल्प के तलए नहीं, अनेक कल्प यह पाटट बजाया है और सदा
बजािे ही रहेंगे। बदली नहीं हो सकिा। ऐसे नशे में रहो िो सदा तनतवटघ्न रहेंगे।

सबसे बड़े िे बड़ी महानिा है - पावन बनना। इसतलए आज भी इसी महानिा के आगे
तसर झुकािे हैं। वह जड़ तचि तकसके हैं ? अभी मतन्दर में जायेंगे िो क्या समझेंगे?
तकसकी पूजा हो रही है? स्मृति में आिा है-तक यह हमारे ही जड़ तचि हैं। ऐसे अपने
को महान आत्मा समझकर चलो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 236 ]

आज तवश्व-कल्याणकारी बाप अपने तवश्व-कल्याण के कायट के आधारमूर्त्ट बच्चों को


देख रहे हैं। यही आधारमूर्त्ट तवश्व के पररविट न करने में तवशेष आत्मायें हैं। ऐसी तवशेष
आत्माओ ं को बापदादा भी सदा तवशेष नजर से देखिे हैं। हरेक तवशेष आत्मा की
तवशेषिा सदा बापदादा के पास स्पि सािने है। हर बच्चा महान है,पुण्य आत्मा है।
पुरूषोर्त्म अथाटि् देव आत्मा है। तवश्व-पररविटन के तनतमर्त् आत्मायें हैं। ऐसे हरेक अपने
को समझकर चलिे हो? क्या थे और क्या बन गये हैं ? यह महान अन्िर सदा सामने
रहिा है? यह अन्िर महामन्ि स्वरूप स्वि: बना देिा है। "

सोचो, आप तवशेष आत्माओ ं की अनातद आतद पसटनैतलटी और रॉयल्टी तकिनी


ऊंची है! अनातद रूप में भी देखो जब आप आत्मायें परमधाम में रहिी िो तकिनी
चमकिी हुई आत्मायें तदखाई देिी हो। उस चमक की रॉयल्टी, पसटनैतलटी तकिनी
बड़ी है। तदखाई देिी है ? और बाप के साथ-साथ आत्मा रूप में भी रहिे हो, समीप
रहिे हो। परमधाम में भी आप बाप के समीप हो और तफर आतद सियुग में भी आप
देव आत्माओ ं की पसटनैतलटी, रॉयल्टी तकिनी ऊंची है। सारे कल्प में चक्कर लगाओ,
धमट आत्मा हो गये , महात्मा हो गये , धमट तपिायें हो गये , नेिायें हो गये , अतभनेिायें
हो गये, ऐसी पसटनैतलटी कोई की है, जो आप देव आत्माओ ं की सियुग में है ? अपना
देव स्वरूप सामने आ रहा है ना? आ रहा है या पिा नहीं हम बनेंगे या नहीं? पक्का है
ना! अपना देव रूप सामने लाओ और देखो, पसटनैतलटी सामने आ गई? तकिनी
रॉयल्टी है, प्रकृति भी पसटनैतलटी वाली हो जािी है। पछ
ं ी, वृक्ष, फल, फूल सब
पसटनैतलटी वाले , रॉयल। अच्छा तफर आओ नीचे , िो अपना पूज्य रूप देखा है?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 237 ]

आपकी पूजा होिी है! िबल फारे नसट पूज्य बनेंगे तक इतन्िया वाले बनेंगे? आप लोग
देतवयां, देविायें बने हो? सढूं वाला नहीं, पछ
ूं वाला नहीं। देतवयां भी वह काली रूप
नहीं, लेतकन देविाओ ं के मतन्दर में देखो, आपके पूज्य स्वरूप की तकिनी रॉयल्टी
है, तकिनी पसटनैतलटी है ? मूतिट होगी, 4 फुट, 5 फुट की और मतन्दर तकिना बड़ा
बनािे हैं। यह रॉयल्टी और पसटनैतलटी है। आजकल के चाहे प्राइम तमतन-स्टर हो, चाहे
राजा हो लेतकन धूप में तबचारे का बुि बनाके रख देंगे, क्या भी होिा रहे। और आपके
पूज्य स्वरूप की पसटनैतलटी तकिनी बड़ी है। है ना बतढ़या! कुमाररयां बैठी हैं ना!
रॉयल्टी है ना आपकी? तफर अन्ि में सगं मयुग में भी आप सबकी रॉयल्टी तकिनी
ऊंची है। ब्राह्मण जीवन की पसटनैतलटी तकिनी बड़ी है! िायरेक्ट भगवान ने आपके
ब्राह्मण जीवन में पसटनैतलटी और रॉयल्टी भरी है। ब्राह्मण जीवन का तचिकार क न?
स्वयं बाप। ब्राह्मण जीवन की पसटनैतलटी रॉयल्टी क न सी है ? प्युररटी। प्युररटी ही
रॉयल्टी है। है ना! ब्राह्मण आत्मायें सभी जो भी बैठे हो िो प्युररटी की रॉयल्टी है ना!
हाूँ, कांध तहलाओ।

आज सि बाप, सि तशक्षक, सिगुरू अपने चारों ओर के सत्यिा स्वरूप, शतक्त


स्वरूप बच्चों को देख रहे हैं क्योंतक सत्यिा की शतक्त सवटश्रेष्ठ है। इस सत्यिा की
शतक्त का आधार है सम्पूणट पतवििा। मन-वचन-कमट, सम्बन्ध-सम्पकट , स्वप्न में भी
अपतवििा का नाम तनशान न हो। ऐसी पतवििा का प्रत्यक्ष स्वरूप क्या तदखाई देिा?
ऐसी पतवि आत्मा के चलन और चेहरे में स्पि तदव्यिा तदखाई देिी है। उनके नयनों
में रूहानी चमक, चेहरे में सदा हतषटिमुखिा और चलन में हर कदम में बाप समान
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 238 ]

कमटयोगी। ऐसे सत्यवादी सि बाप द्वारा इस समय आप सभी बन रहे हो। दुतनया में भी
कई अपने को सत्यवादी कहिे हैं , सच भी बोलिे हैं लेतकन सम्पूणट पतवििा ही सच्ची
सत्यिा शतक्त है। जो इस समय इस सगं मयुग में आप सभी बन रहे हो। इस सगं मयुग
की श्रेष्ठ प्रातप्त है - सत्यिा की शतक्त, पतवििा की शतक्त। तजसकी प्रातप्त सियुग में
आप सभी ब्राह्मण सो देविा बन आत्मा और शरीर दोनों से पतवि बनिे हो। सारे सतृ ि
चक्र में और कोई भी आत्मा और शरीर दोनों से पतवि नहीं बनिे। आत्मा से पतवि
बनिे भी हैं लेतकन शरीर पतवि नहीं तमलिा। िो ऐसी सम्पूणट पतवििा इस समय आप
सब धारण कर रहे हो। फलक से कहिे हो, याद है क्या फलक से कहिे हो? याद करो।
सभी तदल से कहिे हैं , अनुभव से कहिे हैं तक पतवििा िो हमारा जन्म तसद्ध अतधकार
है, जन्म तसद्ध अतधकार सहज प्राप्त होिा है क्योंतक पतवििा वा सत्यिा प्राप्त करने के
तलए आप सभी ने पहले अपने सि स्वरूप आत्मा को जान तलया। अपने सि बाप,
तशक्षक, सिगुरू को पहचान तलया। पहचान तलया और पा तलया। जब िक कोई
अपने सि स्वरूप वा सि बाप को नहीं जानिे िो सम्पूणट पतवििा, सत्यिा की शतक्त
आ नहीं सकिी। िो आप सभी सत्यिा और पतवििा की शतक्त के अनुभवी है ना! हैं
अनुभवी? अनुभवी हैं? वह लोग प्रयत्न रिे हैं लेतकन यथाथट रूप में ना अपने स्वरूप,
न सि बाप के यथाथट स्वरूप को जान सकिे। और आप सबने इस समय के अनुभव
द्वारा पतवििा को ऐसे सहज अपनाया जो इस समय की प्रातप्त का प्रालब्ध देविाओ ं
की पतवििा नेचरल है और नेचर है। ऐसी नेचरल ने चर का अनुभव आप ही प्राप्त करिे
हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 239 ]

हर एक बच्चे के मस्िक में िीन परमात्म तवशेष प्रातप्तयां देख रहे हैं। एक है होलीएस्ट,
2- हाइएस्ट और 3- ररचेस्ट। इस ज्ञान का फाउण्िेशन ही है होली अथाटि् पतवि बनना।
िो हर एक बच्चा होलीएस्ट है , पतवििा तसफट ब्रह्मचयट नहीं लेतकन मन-वाणी-कमट ,
सम्बन्ध-सम्पकट में पतवििा। आप देखो, आप परमात्म ब्राह्मण आत्मायें आतद-मध्य-
अन्ि िीनों ही काल में होलीएस्ट रहिी हो। पहले -पहले आत्मा जब परमधाम में रहिे
हो िो वहाूँ भी होलीएस्ट हो तफर जब आतद में आिे हो िो आतदकाल में भी देविा
रूप में होलीएस्ट आत्मा रहे। होलीएस्ट अथाटि् पतवि आत्मा की तवशेषिा है - प्रवृतर्त्
में रहिे सम्पण
ू ट पतवि रहना। और भी पतवि बनिे हैं लेतकन आपकी पतवििा की
तवशेषिा है - स्वप्नमाि भी अपतवििा मन-बुतद्ध में टच नहीं करे। सियुग में आत्मा
भी पतवि बनिी और शरीर भी आपका पतवि बनिा। आत्मा और शरीर दोनों की
पतवििा जो देव आत्मा रूप में रहिी है , वह श्रेष्ठ पतवििा है। जैसे होलीएस्ट बनिे हो,
इिना ही हाइएस्ट भी बनिे हो। सबसे ऊंचे िे ऊंचे ब्राह्मण आत्मायें और ऊंचे िे ऊंचे
बाप के बच्चे बने हो। आतद में परमधाम में भी हाइएस्ट अथाटि् बाप के साथ-साथ
रहिे हो। मध्य में भी पज्ू य आत्मायें बनिे हो। तकिने सन्ु दर मतन्दर बनिे हैं और तकिनी
तवतधपूवटक पूजा होिी है। तजिनी तवतधपूवटक आप देविाओ ं के मतन्दर में पूजा होिी
है उिने औरों के मतन्दर बनिे हैं लेतकन तवतधपूवटक पूजा आपके देविा रूप की होिी
है। िो होलीएस्ट भी हो और हाइएस्ट भी हो, साथ में ररचेस्ट भी हो। दुतनया में कहिे हैं
ररचेस्ट इन दी वल्िट लेतकन आप श्रेष्ठ आत्मायें ररचेस्ट इन कल्प हैं। सारा कल्प ररचेस्ट
हो। अपने खज़ाने स्मृति में आिे हैं, तकिने खज़ानों के मातलक हो! अतवनाशी खज़ाने
जो इस एक जन्म में प्राप्त करिे हो वह अनेक जन्म चलिे हैं। और कोई का भी खज़ाना
अनेक जन्म नहीं चलिे। लेतकन आपके खज़ाने आध्यातत्मक हैं। शतक्तयों का खज़ाना,
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 240 ]

ज्ञान का खज़ाना, गुणों का खज़ाना, श्रेष्ठ सक


ं ल्प का खज़ाना और विटमान समय का
खज़ाना, यह सवट खज़ाने जन्म-जन्म चलिे हैं। एक जन्म के प्राप्त हुए खज़ाने साथ
चलिे हैं क्योंतक सवट खज़ानों के दािा परमात्मा बाप द्वारा प्राप्त होिा है। िो यह नशा
है तक हमारे खज़ाने अतवनाशी हैं ?

वैसे सवट आत्माएं बच्चे हैं, लेतकन आप आत्माएं िायरेक्ट बच्चे हो। तशव वश ं ी
ब्रह्माकुमार और कुमाररयाूँ हो। सारे तवश्व में जो भी अन्य आत्माएं धमट के क्षेि में वा
राज्य के क्षेि में महान वा नामी-ग्रामी बने हैं, धमट-तपिाएं बने हैं, जगि् गरू
ु कहलाने
वाले बने हैं ; लेतकन माि-तपिा के सम्बन्ध से , अल तकक जन्म और पालना तकसी
को भी प्राप्त नहीं होिा है। अल तकक मािा-तपिा का अनुभव स्वप्न में भी नहीं करिे।
और आप श्रेष्ठ आत्माएं वा पद्मापद्मपति आत्माएं हर रोज माि-तपिा की वा सवट
सम्बन्धों की याद प्यार लेने के पाि हो। हर रोज यादप्यार तमलिी है ना। न तसफट
यादप्यार, लेतकन स्वयं सवटशतक्तवान बाप, आप बच्चों का सेवक बन हर कदम में
साथ तनभािा है। अति स्नेह से तसर का िाज बनाकर नयनों का तसिारा बनाकर, साथ
ु वा धमटतपिा का नहीं हैं , क्योंतक आप श्रेष्ठ आत्माएं
ले जािे हैं। ऐसा भाग्य जगि् गरू
सम्मुख बाप की 'श्रीमि' लेने वाली हो। प्रेरणा द्वारा व टतचंग (Touching;प्रेरणा)
द्वारा नहीं, 'मुख वश
ं ावली' हो। िायरेक्ट मुख द्वारा सनु िे हो। ऐसा भाग्य तकन
आत्माओ ं का है? मैजाररटी (Majority;अतधकिर) भारिवासी गरीब, भोली सी
आत्माओ ं का है। जो ना उम्मीदवार थे तक हमें कब बाप तमल सकिा है। इिना श्रेष्ठ
भाग्य, तफर ऐसे नाउम्मीदवार को ही तमला है। जब कोई नाउम्मीदवार से उम्मीदवार
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 241 ]

बनिा है वा असम्भव से सम्भव बाि होिी है, िो तकिना नशा और खुशी होिी है!
ऐसा भाग्य अपना सदैव स्मृति में रहिा है? सारे ड्रामा के अन्दर और धमट की आत्माओ ं
को देखो और अपने को देखो िो महान अन्िर है। पहली बाि सनु ाई तक िायरेक्ट बच्चे
ु का अनुभव करने वाले , िायरेक्ट बच्चे होने
हो। मािा-तपिा वा सवट सम्बन्धों का सख
के कारण, तवश्व के राज्य का वसाट सहज प्राप्त हो जािा है। सृति के आतदकाल सियुग
अथाटि् स्वगट की सिो प्रधान, सम्पण ू ट प्रातप्त आप आत्माओ ं को ही प्राप्त होिी है। और
सवट आत्माएं आिी ही मध्यकाल में हैं। आप श्रेष्ठ आत्माओ ं का भोगा हुआ सख ु वा
राज्य रजो प्रधान रूप में प्राप्त करिे हैं। जैसे आप आत्माओ ं को धमट और राज्य दोनों
प्रातप्त हैं, लेतकन अन्य आत्माओ ं को धमट है िो राज्य नहीं,राज्य है िो धमट नहीं। क्योंतक
द्वापर युग से धमट और राज्य का दोनों पुर अलग-अलग हो जािे हैं। तजसकी तनशानी
सारे ड्रामा के अन्दर िबल िाजधारी तसफट आप हो।

बच्चों के भाग्य को 6 बािों के आधार से देख रहे थे। 1) आप श्रेष्ठ आत्माओ ं के नाम
का भी भाग्य है - जो आपके नाम अब भी तवश्व की आत्माएूँ वणटन करिी हैं। जै से
`ब्राह्मण चोटी'। आपके ब्राह्मण नाम से आज के नामधारी ब्राह्मण अब लास्ट समय
िक भी श्रेष्ठ गाये जा रहे हैं। अब िक भी काम बदल गया है लेतकन नाम का मान तमल
रहा है। ऐसे ही `पाण्िव सेना', आज िक भी इस पाण्िव नाम से तदलतशकस्ि आत्मा
स्वयं को उत्साह तदलािी है तक पाूँच पाण्िवों के समान बाप का साथ लेने से तवजयी
बन जायेंगे। पाण्िव सदा तवजयी रहे हैं। हम भी तवजयी बन सकिे हैं। इसी प्रकार
`गोप-गोतपयाूँ'। आज भी गोप गोतपयों की मतहमा करिे खुशी में आ जािे हैं। नाम
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 242 ]

सनु िे ही प्रेम में लवलीन हो जािे हैं। इसी प्रकार से आपके नाम का भी भाग्य है। 2)
रूप का भी भाग्य है - शतक्तयों के रूप में अब िक भी भक्त लोग दशटन के तलए सदाट -
गमाट सहन कर रहे हैं। यहाूँ िो तफर भी आराम है। वह िो धरिी और आकाश के बीच
खड़े-खड़े िपस्या करिे हैं। िो शतक्तयों के रूप में , देवी-देविाओ ं के रूप में पूजन होने
का भाग्य है। दोनों रूप में पूज्य बनिे हो। िो रूप का गायन और पूजन है। तवशेष पूजन
का ही भाग्य है। 3) आपके गण ु ों का भाग्य है - आज िक कीिटन के रूप में वणटन कर
रहे हैं। ऐसा वणटन करिे हैं जो आप के गुणों के भाग्य का प्रभाव अल्पकाल के तलए
कीिटन करने वालों को भी शातन्ि और खुशी का, आनन्द का अनुभव होिा है। यह है
गण
ु ों का भाग्य। 4) कर्त्टव्य का भाग्य - आज िक सारे वषट में तभन्न-तभन्न प्रकार के
उत्सव मनािे हैं। आप श्रेष्ठ आत्माओ ं ने अनेक प्रकार के साधनों द्वारा आत्माओ ं के
जीवन में उत्साह तदलाया है। इसतलए कर्त्टव्य के भाग्य की तनशानी उत्सव मनािे हैं।
5) तनवास स्थान - तनवास-स्थान अथाटि् रहने का धाम। उसका यादगार `िीथटस्थान'
है। आप के स्थान का भी इिना भाग्य हैं जो स्थान िीथट स्थान हो गये हैं। तजसकी तमट्टी
का भी भाग्य हैं। अगर िीथटस्थान की तमट्टी भी मस्िक में लगािे हैं िो अपने को
भाग्यशाली समझिे हैं। जो स्थान का भाग्य है और आगे – 6) इस सगं म समय के
भाग्य का वणटन तवशेष अमृिवेले के रूप में गाया जािा है। अमृिवेला अथाटि् अमृि
द्वारा अमर बनने की वेला। साथ-साथ धमाटऊ युग `परूु षोर्त्म युग'। नमु ाशाम का समय
भी श्रेष्ठ भाग्य का मानिे हैं। यह सब समय का गायन आपके इस समय का गायन है।
िो समझा, अपने श्रेष्ठ भाग्य को।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 243 ]

बड़े िे बड़े तचिकार आप हो जो अपना तचि भी बना रहे हो। आपके तचि बनिे ही
तवश्व का तचि बनिा जा रहा है। ऐसे अनुभव करिे हो ना। कई पूछिे हैं ना तक नई
दुतनया में क्या होगा? िो नई दुतनया की िस्वीर ही आप हो। आपकी जीवन से भतवष्य
स्पि होिा है। इस समय भी अपनी िस्वीर में देखो तक सदा ऐसी िस्वीर बनी है जो
कोई भी देखे िो सदा के तलए प्रसन्नतचर्त् हो जाए। कोई भी जरा भी अशातन्ि की लहर
वाला हो िो आपकी िस्वीर देख अशातन्ि को ही भूल जाएूँ, शातन्ि की लहरों में
लहराने लगे। अप्रातप्त स्वरूप, प्रातप्त की अनुभूति स्वि: ही अनुभव करे। तभखारी
बनकर आये , भरपूर बनकर जाये। आपकी मुस्करािी हुई मूिट देख मन का वा आूँखों
का रोना भूल जाएूँ, मुस्कराना सीख जाएूँ। आप लोग भी बाप को कहिे हो ना - तक
मुस्कराना तसखा तदया.. िो आपका काम ही है रोना छुड़ाना और मुस्कराना तसखाना।
िो ऐसी िस्वीर ब्राह्मण जीवन है! सदा यह स्मृति में रखों तक हम ऐसे आधारमूिट हैं,
ृ के तचि में देखा - ब्राह्मण कहाूँ बैठे हैं ? फाउण्िेशन में बैठे हो ना।
फाउण्िेशन हैं। वक्ष
ब्राह्मण फाउण्िेशन मजबूि है, िब आधा कल्प अचल - अिोल रहिे हो। साधारण
आत्मायें नहीं हो, आधारमूिट हो, फाउण्िेशन हो। इस समय की आपकी सम्पूणट तस्थति
सियुग की 16 कला सम्पूणट तस्थति का आधार है। अब की 'एक - मि' वहाूँ के एक
राज्य के आधारमूिट है। यहाूँ के सवट खज़ानों की सम्पन्निा - ज्ञान, गुण, शतक्तयाूँ, सवट
खज़ाने वहाूँ की सम्पन्निा का आधार हैं। यहाूँ का देह के आकषटण से न्यारापन, वहाूँ
के िन की िन्दरूस्िी के प्रातप्त का आधार है। अशरीरी - पन की तस्थति तनरोगी - पन
और लम्बी आयु के आधार स्वरूप है। यहाूँ की बेतफकर - बादशाह - पन की जीवन
वहाूँ के हर घड़ी मन की म ज जीवन, इसी तस्थति के प्रातप्त का आधार बनिी है। एक
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 244 ]

बाप दूसरा न कोई - यहाूँ की यह अखण्ि - अटल साधना वहाूँ अखण्ि, छोटा - सा
सस
ं ार बापदादा वा माि - तपिा और बहन - भाई, वहाूँ के छोटे सस ं ार का आधार
बनिा है। यहाूँ एक माि - तपिा के सम्बन्ध के सस्ं कार वहाूँ भी एक ही तवश्व के तवश्व -
महाराजन वा तवश्व - महारानी को माि - तपिा के रूप में अनुभव करिे हैं। यहाूँ के स्नेह
- भरे पररवार का सम्बन्ध,वहाूँ भी चाहे राजा और प्रजा बनिे लेतकन प्रजा भी अपने
को पररवार समझिी है , स्नेह की समीपिा पररवार की रहिी है। चाहे मिटबे रहिे हैं
लेतकन स्नेह के मिबे हैं, सक
ं ोच और भय के नहीं। िो भतवष्य की िस्वीर आप हो ना।

आज ऊूँचे िे ऊूँचा बाप अपने चारों ओर के श्रेष्ठ बच्चों को देख हतषट ि हो रहे हैं क्योंतक
सारे तवश्व की आत्माओ ं से आप बच्चे श्रेष्ठ अथाटि् हाइएस्ट हैं। दुतनया वाले कहिे हैं
हाइएस्ट इन दी वल्िट और वह भी एक जन्म के तलए लेतकन आप बच्चे हाइएस्ट श्रेष्ठ
इन दी कल्प हैं। सारे कल्प में आप श्रेष्ठ रहे हैं। जानिे हो ना? अपना अनातद काल
देखो अनातद काल में भी आप सभी आत्मायें बाप के नजदीक रहने वाले हो। देख रहे
हो, अनातद रूप में बाप के साथ-साथ समीप रहने वाले श्रे ष्ठ आत्मायें हो। रहिे सभी
हैं लेतकन आपका स्थान बहुि समीप है। िो अनातद रूप में भी ऊूँचे -िे-ऊूँचे हो। तफर
आओ आतदकाल में सभी बच्चे देव-पदधारी देविा रूप में हो। याद है अपना दैवी
स्वरूप? आतदकाल में सवट प्रातप्त स्वरूप हो। िन-मन-धन और जन चार ही स्वरूप में
श्रेष्ठ हैं। सदा सम्पन्न हो, सवट प्रातप्त स्वरूप हो। ऐसा देव-पद और तकसी भी आत्माओ ं
को प्राप्त नहीं होिा। चाहे धमट आत्मायें हैं , महात्मायें हैं लेतकन ऐसा सवट प्रातप्तयों में
श्रेष्ठ, अप्रातप्त का नाम-तनशान नहीं, कोई भी अनुभव नहीं कर सकिा। तफर आओ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 245 ]

मध्यकाल में , िो मध्यकाल में भी आप आत्मायें पूज्य बनिे हो। आपके जड़ तचि पूजे
जािे हैं। कोई भी आत्माओ ं की ऐसे तवतधपूवटक पूजा नहीं होिी। जै से पूज्य आत्माओ ं
की तवतधपूवटक पज ू ा होिी है िो सोचो ऐसे तवतधपवू टक और तकसकी पज ू ा होिी है! हर
कमट की पूजा होिी है क्योंतक कमटयोगी बनिे हो। िो पूजा भी हर कमट की होिी है।
चाहे धमट आत्मायें या महान आत्माओ ं को साथ में मतन्दर में भी रखिे हैं लेतकन
तवतधपवू टक पज ू ा नहीं होिी। िो मध्यकाल में भी हाइएस्ट अथाटि् श्रेष्ठ हो। तफर आओ
विटमान अन्िकाल में , िो अन्िकाल में भी अब सगं म पर श्रेष्ठ आत्मायें हो। क्या श्रेष्ठिा
है? स्वयं बापदादा - परमात्म-आत्मा और आतद-आत्मा अथाटि् बापदादा, दोनों द्वारा
पालना भी लेिे हो, पढ़ाई भी पढ़िे हो, साथ में सिगुरू द्वारा श्रीमि लेने के अतधकारी
बने हो। िो अनातदकाल, आतदकाल, मध्यमकाल और अब अन्िकाल में भी हाइएस्ट
हो, श्रेष्ठ हो। इिना नशा रहिा है ? बापदादा कहिे हैं इस स्मृति को इमजट करो। मन में ,
बुतद्ध में इस प्रातप्त को दोहराओ। तजिना स्मृति को इमजट रखेंगे उिना स्मृति से रूहानी
नशा होगा। खुशी होगी, शतक्तशाली बनेंगे। इिना हाइएस्ट आत्मा बने हैं। यह तनश्चय
है पक्का? तक हम ही हाइएस्ट, श्रेष्ठ बने थे, बने हैं और सदा बनिे रहेंगे। नशा है ?

स्वयं को सारे कल्प के अन्दर सवट आत्माओ ं से श्रेष्ठ पाटट बजाने वाली तवशेष आत्मायें
समझिे हो? आप तवशेष आत्माओ ं की आतद से अन्ि िक क्या-क्या तवशेषिायें हैं व
आपने क न-सा तवशेष पाटट बजाया है , उसको जानिे हो? एक होिा है तवशेष काम
करने के कारण तवशेष आत्मा कहलाना, दूसरा तवशेष गुणों के प्रभाव के कारण तवशेष
आत्मा कहलाना, िीसरा पोजीशन व स्टे टस के कारण और च था सम्बन्ध और
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 246 ]

सम्पकट द्वारा अनेकों को तवशेष प्रातप्त कराने के कारण। इन सब तवशेषिाओ ं को सामने


रखिे हुए देखो तक यह चार प्रकार की तवशेषिायें तकस स्टे ज िक और तकिने परसेन्टे ज
में हैं। सियुग के आतद में आप तवशेष आत्माओ ं की फस्टट स्टे ज क न-सी होिी है,
उनकी तवशेषिा आज के भक्त भी गािे रहिे हैं - तजसमें सम्पन्न और सम्पूणटिा का
गायन है वह िो सबकी स्मृति में है ना? अब आगे चलो। सियुग के बाद कहाूँ आिे
हो? - (िेिा) वहाूँ की तवशेषिा क्या है ? वहाूँ की तवशेषिा भी इिनी ही प्रतसद्ध है ,
तक जो आज के कतलयुगी नेिा उसी राज्य का स्वप्न देखिे रहिे तक ऐसा होना चातहए।
कोई भी प्लान सोचिे हैं , िो भी आपकी सेकेण्ि स्टे ज को अति तवशेष समझिे हुए
उसे सामने रखिे हैं। और आगे चलो िेिा के बाद कहाूँ आिे हैं ? (द्वापर) लेतकन द्वापर
में भी कहाूँ पहुूँचे। द्वापर में भी राज्य सर्त्ा िो होिी है ना? वहाूँ धमटसर्त्ा और राज्य
सर्त्ा दो टुकड़ों में बट जािी है। इसतलए द्वापर हो जािा है। दो परु हो गये ना? एक
राज्य-सर्त्ा दूसरी धमट सर्त्ा। तफर भी आप तवशेष आत्माओ ं के तवशेष सस्ं कार गायब
नहीं होिे। चाहे अन्य धमट तपिा, धमट सर्त्ा के आधार से धमट की स्थापना भी करिे हैं
लेतकन आपकी तवशेषिाओ ं का पूजन, गायन और वन्दन आरम्भ हो जािा है। यादगार
तफर भी आप तवशेष आत्माओ ं की ही बनायेंगे। गुणगान आप तवशेष आत्माओ ं के
ही होिे हैं। राज्य सर्त्ा में भी राजाई ठाठ और राजाई पावसट रहिी है। आपकी
तवशेषिाओ ं की यादगार में शास्त्र बन जािे हैं। अपनी तवशेषिायें याद आिी हैं ?
अच्छा, इससे आगे चलो। कहाूँ पहुूँचे? (कतलयुग) वहाूँ की तवशेषिा क्या है? आप
तवशेष आत्माओ ं के नाम से सब काम शुरू होिे हैं। हर कायट की तवतध में आपकी
तवशेषिाओ ं की तसतद्ध सतु मरण होिी रहिी है। आपके नाम से अनेक आत्माओ ं का
शरीर तनवाट ह होिा है। नाम की मतहमा - यह कतलयुग की तवशेषिा है। आपका नाम
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 247 ]

सब स्थूल-सक्ष्ू म प्रातप्तयों का आधार बन जािा है। क्या इस तवशेषिा को जानिे हो?


अच्छा तफर आगे चलो? कहाूँ पहुूँचे? (सगं म) जहाूँ हैं वहाूँ पहुूँच गये।

आज तवश्व-रचिा बाप अपनी श्रेष्ठ रचना को देख रहे हैं। सवट रचना में से श्रेष्ठ रचना
आप ब्राह्मण आत्मायें हो क्योंतक आप ही तवश्व की पूवटज आत्मायें हो। एक िरफ
पूवटज हो, साथ-साथ पूज्य आत्मायें भी हो। इस कल्प-वृक्ष की फाउन्िेशन अथाटि् जड़
आप ब्राह्मण आत्मायें हो। इस वृक्ष के मूल आधार-'िना'भी आप हो। इसतलए आप
सवट आत्माओ ं के तलए पूवटज हो। सतृ ि-चक्र के अन्दर जो तवशेष धमट -तपिा कहलाये
जािे हैं उन धमट -तपिाओ ं को भी आप पूवटज आत्माओ ं द्वारा ही बाप का सन्देश प्राप्त
होिा है, तजस आधार से ही समय प्रमाण वो धमट -तपिायें अपने धमट की आत्माओ ं
प्रति सन्देश देने के तनतमर्त् बनिे हैं। जैसे ब्रह्मा बाप ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ि फादर है , िो ब्रह्मा के
साथ आप ब्राह्मण आत्मायें भी साथी हो। इसतलए आप पूवटज आत्मायें गाई हुई हो।
पवू टज आत्माओ ं का, िायरेक्ट चाहे इन्िायरेक्ट, सवट आत्माओ ं से कनेक्शन है। जैसे-
वृक्ष की सवट टाल-टातलयों का सम्बन्ध जड़ से वा िना से जरूर होिा है। चाहे तकसी
भी धमट की छोटी वा बड़ी टाल-टातलयाूँ हों लेतकन सम्बन्ध स्वि: ही होिा है। िो पूवटज
हुए ना। आधा कल्प राज्य-अतधकारी बनने के बाद तफर पूज्य आत्मायें बनिे हो। पूज्य
बनने में भी आप आत्माओ ं जैसी पज ू ा और तकसी भी धमट के आत्माओ ं की नहीं
होिी। जैसे आप पूज्य आत्माओ ं की तवतधपूवटक पूजा होिी है , ऐसे कोई धमट -तपिा
की भी पजू ा नहीं होिी। बाप के कायट में जो आप ब्राह्मण साथी बनिे हो, उन्हों की भी
देविा वा देवी के रूप में तवतधपूवटक पूजा होिी है। और कोई भी धमट -तपिा के साथी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 248 ]

धमट की पालना करने वाली आत्माओ ं की तवतधपूवटक पूजा नहीं होिी, गायन होिा
है। स्टै च्यू (tatue) बनािे हैं लेतकन आप जैसे पूज्य नहीं बनिे। आपका गायन भी
होिा है िो पूजा भी होिी है। गायन की तवतध भी आप ब्राह्मण आत्माओ ं की सबसे
न्यारी है। जै से आप देवात्माओ ं का गायन बहुि सन्ु दर रूप से कीिटन के रूप में होिा
है, आरिी के रूप में होिा है , ऐसे अन्य आत्माओ ं का गायन इसी प्रकार से नहीं होिा।
ऐसे क्यों होिा? क्योंतक आप श्रेष्ठ रचना पूवटज और पूज्य हो। आतद आत्मायें आप
ब्राह्मण आत्मायें हो क्योंतक आतद देव ब्रह्मा के सहयोगी श्रेष्ठ कायट के तनतमर्त् बने हो।
अनातद रूप में भी परम आत्मा के अति समीप रहने वाले हो। आत्माओ ं का जो तचि
तदखािे हो उसमें सबसे समीप आत्मायें क नसी तदखािे हो? उसमें आप हो। िो
अनातद रूप में भी अति समीप हो तजसको िबल तवदेशी कहिे हैं -तनयरेस्ट और
तियरेस्ट। ऐसे अपने को समझिे हो?

सिगरूु द्वारा श्रीमि, वरदान आपको ही प्राप्त है। िो अपने भाग्य को अच्छी िरह से
जानिे हो? भाग्य को स्मृति में रखिे हुए झूलिे रहिे हो, गीि गािे रहिे हो - वाह मेरा
भाग्य! अमृिवेले से लेकर जब उठिे हो िो परमात्म प्यार में लवलीन होके उठिे हो।
परमात्म प्यार उठािा है। तदनचयाट की आतद परमात्म प्यार होिा है। प्यार नहीं होिा िो
उठ नहीं सकिे। प्यार ही आपके समय की घण्टी है। प्यार की घण्टी आपको उठािी
है। सारे तदन में परमात्म साथ हर कायट करािा है। तकिना बड़ा भाग्य है जो स्वयं बाप
अपना परमधाम छोड़कर आपको तशक्षा देने के तलए आिे हैं। ऐसे कभी सनु ा तक
भगवान रोज़ अपने धाम को छोड़ पढ़ाने के तलए आिे हैं! आत्मायें चाहे तकिना भी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 249 ]

दूर-दूर से आयें , परमधाम से दूर और कोई देश नहीं है। है कोई देश? अमेररका,
अफ्रीका दूर है? परमधाम ऊंचे िे ऊंचा धाम है। ऊंचे िे ऊंचे धाम से ऊंचे िे ऊंचे
भगवन, ऊंचे िे ऊंचे बच्चों को पढ़ाने आिे हैं। ऐसा भाग्य अपना अनुभव करिे हो?
सिगरू ु के रूप में हर कायट के तलए श्रीमि भी देिे और साथ भी देिे हैं। तसफट मि नहीं
देिे हैं , साथ भी देिे हैं। आप क्या गीि गािे हो? मेरे साथ-साथ हो तक दूर हो? साथ
है ना? अगर स्निे हो िो परमात्म टीचर से , अगर खािे भी हो िो बापदादा के साथ
खािे हो। अके ले खािे हो िो आपकी गलिी है। बाप िो कहिे हैं मेरे साथ खाओ।
आप बच्चों का भी वायदा है - साथ रहेंगे, साथ खायेंगे, साथ तपयेंगे, साथ सोयेंगे
और साथ चलेंगे..... सोना भी अके ले नहीं है। अके ले सोिे हैं िो बुरे स्वप्न वा बुरे
ख्यालाि स्वप्न में भी आिे हैं। लेतकन बाप का इिना प्यार है जो सदा कहिे हैं मेरे
साथ सोओ, अके ले नहीं सोओ। िो उठिे हो िो भी साथ, सोिे हो िो भी साथ, खािे
हो िो भी साथ, चलिे हो िो भी साथ। अगर दफ्िर में जािे हो, तबजनेस करिे हो िो
भी तबजनेस के आप िस्टी हो लेतकन मातलक बाप है। दफ्िर में जािे हो िो आप
जानिे हो तक हमारा िायरेक्टर, बॉस बापदादा है , यह तनतमर्त् माि है, उनके िायरेक्शन
से काम करिे हैं। कभी उदास हो जािे हो िो बाप फ्रेंि बनकर बहलािे हैं। फ्रेंि भी बन
जािा है। कभी प्रेम में रोिे हो, आंसू आिे हैं िो बाप पोछने के तलए भी आिे हैं और
आपके आंसू तदल के तिब्बी में मोिी समान समा देिे हैं। अगर कभी-कभी नटखट
होके रूठ भी जािे हो, रूसिे भी हो बहुि मीठा-मीठा। लेतकन बाप रूठे हुए को भी
मनाने आिे हैं। बच्चे कोई बाि नहीं, आगे बढ़ो। जो कुछ हुआ बीि गया, भूल जाओ,
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 250 ]

बीिी सो बीिी करो, ऐसे मनािे भी हैं। िो हर तदनचयाट तकसके साथ है ? बापदादा के
साथ।

आज बापदादा अपने सवट हाइएस्ट और होलीएस्ट बच्चों को देख रहे हैं। सभी बच्चे
इस बेहद के ड्रामा के अन्दर वा सतृ ि-चक्र के अन्दर सबसे हाइएस्ट भी हो और सबसे
ज्यादा होलीएस्ट भी हो। आतद से अब सगं म समय िक देखो तक आप आत्माओ ं से
कोई हाइएस्ट श्रेष्ठ बना है? तजिना आप श्रेष्ठ तस्थति को, श्रेष्ठ पद को प्राप्त करिे हो
इिना और कोई भी आत्मायें , चाहे धमट -तपिायें हैं, चाहे महान आत्मायें हैं-कोई भी
इिना श्रेष्ठ नहीं रहे। क्योंतक आप ऊंचे िे ऊंचे भगवान द्वारा िायरेक्ट पालना, पढ़ाई
और श्रेष्ठ जीवन की श्रीमि लेने वाली आत्मायें हो। जानिे हो ना अपने को? अपने
अनातद काल को देखो-अनातद काल में भी परमधाम में बाप के समीप रहने वाली हो।
अपना स्थान याद है ना? िो अनातद काल में भी हाइएस्ट हो, समीप, साथ हो और
आतदकाल में भी सतृ ि-चक्र के सियुग काल में देव-पद प्राप्त करने वाली आत्मायें हो।
देव आत्माओ ं का समय 'आतदकाल' भी सवटश्रेष्ठ है और साकार मनुष्य जीवन में सवट
प्रातप्त सम्पन्न, श्रेष्ठ हो। सतृ ि-चक्र के अन्दर ये देव पद अथाटि् देविा जीवन ही ऐसी
जीवन है जहाूँ िन, मन, धन, जन-चारों ही प्रकार की सवट प्रातप्तयां प्राप्त हैं। अपनी दैवी
जीवन याद है ? तक भूल गये हो? अनातद काल भी याद आ गया, आतद काल भी
याद आ गया! अच्छी िरह से याद करो। िो दोनों समय में हाइएस्ट हो ना! उसके बाद
मध्य काल में आओ। िो द्वापर में आप आत्माओ ं के जड़ तचि बनिे हैं अथाटि् पूज्य
आत्मायें बनिे हैं। पूज्य में भी देखो-सबसे तवतधपूवटक पूजा देव आत्माओ ं की होिी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 251 ]

है। आप सबके मतन्दर बने हैं। िबल तवदेतशयों के मतन्दर बने हुए हैं ? तक तसफट
भारिवातसयों के बनिे हैं? बने हुए हैं ना! जैसे देव आत्माओ ं की पज
ू ा होिी है ऐसे और
तकसी आत्माओ ं की पूजा नहीं होिी। कोई महात्मा वगैरह को मतन्दर में तबठा भी देिे
हैं, लेतकन ऐसे भावना और तवतधपवू टक हर कमट की पज
ू ा हो-ऐसी पूजा नहीं होिी। िो
मध्य काल में भी पूज्य रूप में श्रेष्ठ हो, हाइएस्ट हो। अब अन्ि में आओ-अब संगमयुग
पर भी ऊंचे िे ऊंचे ब्राह्मण आत्मायें 'ब्राह्मण सो फररश्िा' आत्मायें बनिे हो। िो
अनातद, आतद, मध्य और अन्ि-हाइएस्ट हो गये ना। है इिना नशा? रूहानी नशा है
ना! अतभमान नहीं लेतकन स्वमान है, स्वमान का नशा है। स्व अथाटि् आत्मा का, श्रेष्ठ
आत्मा का रूहानी नशा है। िो सारे चक्र में हाइएस्ट भी हो और साथ-साथ होलीएस्ट
भी हो। चाहे और आत्मायें भी होली अथाटि् पतवि बनिी हैं लेतकन आपकी विट मान
समय की पतवििा और तफर देविा जीवन की पतवििा सभी से श्रेष्ठ और न्यारी है।

सबसे साहकार से साहकार क न है? जो समझिे हैं तक सारे चक्र के अन्दर साहकार
से साहकार हम आत्मा हैं, वो हाथ उठाओ। तकसमें साहकार हो? तकिने प्रकार के धन
तमले हैं? वो तलस्ट याद रहिी है ? बहुि खज़ाने तमले हैं! एक तदन में तकिनी कमाई
करिे हो, मालूम है? पद्मों की कमाई करिे हो। रहिे गांव में हो और पद्मों की कमाई
कर रहे हो! देखो, यही परमात्मा तपिा की कमाल है जो देखने में साधारण लेतकन हैं
सबसे साहकार में साहकार! िो अखबार में तनकालेंगे-यहाूँ सबसे साहकार में साहकार
बैठे हैं। िो तफर सब आपके पीछे आयेंगे। आजकल आिंकवादी साहकारों के पीछे
पड़िे हैं ना। तफर आपके पीछे पड़ जायेंगे िो क्या करेंगे ? उन्हों को भी साहकार बना
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 252 ]

देंगे ना। हैं देखो तकिने साधारण रूप में , कोई आपको देखकर समझेंगे तक ये सारे
तवश्व में साहकार हैं या पद्मों की कमाई करने वाले हैं ? लेतकन साधारणिा में महानिा
समाई हुई है। तजिने ही साधारण हो उिने ही अन्दर महान हो! िो यह नशा रहिा है-
बाप ने क्या से क्या बना तदया और क्या-क्या दे तदया! दोनों ही बािें याद रहिी हैं ना।
िो अखबार में तनकालेंगे ना-ररचे स्ट इन दी वल्िट (Richest In The World;
तवश्व में सबसे अतधक धनवान)। और देखो, खज़ाना भी ऐसा है तजसको न चोर लूट
सकिा है , न आग जला सकिी है, न पानी िूबो सकिा है। ऐसा खज़ाना बाप ने दे
तदया। अतवनाशी खज़ाना है ना। अतवनाशी खज़ाना कोई तवनाश कर नहीं सकिा।
और तकिना सहज तमल गया! तजिना खज़ाना है उसके अन्िर में मे हनि की है कुछ?
त्याग तकया या भाग्य तमला? त्याग भी तकया िो बुराई का तकया ना। बुराई छोड़ना
भी कोई छोड़ना हुआ क्या? दुतनया कहिी है-त्याग तकया और आप कहिे हो-भाग्य
तमला है। साहकार को साहकार बनाना बड़ी बाि नहीं हुई ना। गरीब को साहकार
बनाना-यह है कमाल। जो आजकल के तवनाशी धन के साहकार हैं उनको बाप
साहकार नहीं बनािा। उनका भाग्य ही नहीं है। भाग्य है ही गरीबों का। कभी आपका
नाम आया है 'ह इज ह' (Who Is Who;नामीग्रामी व्यतक्तयों की तलस्ट) में ? औरों
का आिा है ना। और बाप की तिक्शनरी में, 'ह इज ह' में आपका नाम है। भगवान
का बुक ही न्यारा है। िो इिनी खुशी है ? धरिी और आकाश को माप लो, उससे भी
ज्यादा खश
ु ी है ना। बेअन्ि है ना। आकाश और धरिी िो हद हो जायेगी ना। आपकी
उससे भी बेहद है। बेहद के मातलक बन गये हो ना। जब बाप भी बे हद का बाप है, िो
प्रातप्त भी बेहद की करा-येगा ना। िो क्या याद रहिा है ? बेहद का बाप तमला, बेहद
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 253 ]

का राज्य-भाग्य तमला, बेहद का खज़ाना तमला। है नशा? हर कमट में यह रूहानी नशा
अनुभव होना चातहए-स्वयं को भी और औरों को भी। चाहे वे समझें, नहीं समझें,
इिना िो कहेंगे ना तक ये खुशी-म ज में रहिे हैं। यह िो अनुभव करा सकिे हो ना।

सभी के मस्िक भाग्य की रेखाओ ं से चमक रहे हैं। एक है परमात्म पालना के भाग्य
की रेखा। दूसरी है श्रेष्ठ तशक्षक द्वारा तशक्षा के भाग्य की रे खा। िीसरी है सिगुरू द्वारा
श्रीमि के भाग्य की रेखा। वैसो भाग्य आपका अथाह है तफर भी आज यह तवशेष िीन
रेखायें देख रहे हैं। आप भी अपने मस्िक में चमकिी हुई रेखायें अनुभव कर रहे हो ना!
सबसे श्रेष्ठ है परमात्म प्यार के पालना की रेखा। जैसे बाप ऊंचे िे ऊंचा है िो परमात्म
पालना भी ऊंचे िे ऊंची है। यह पालना तकिने थोड़ों को प्राप्त होिी है, लेतकन आप
सब इस पालना के पाि बने हो। यह पालना सारे कल्प में आप बच्चों को एक ही बार
प्राप्त होिी है। अब नहीं िो कब प्राप्त नहीं हो सकिी। यह परमात्म पालना, परमात्म
प्यार, परमात्म प्रातप्तयां कोटों में कोई आत्माओ ं को ही अनुभव होिी हैं। आप सभी
िो अनुभवी हो ना! अनुभव है? पालना का भी अनुभव है, पढ़ाई का भी और श्रीमि
का भी। अनुभवी मूिट हो। सदा अपने मस्िक में यह भाग्य का तसिारा चमकिा हुआ
तदखाई देिा है , सदा? तक कभी चमकिा हुआ तसिारा िल भी हो जािा है क्या! ढीला
नहीं होना चातहए। अगर चमकिा हुआ तसिारा ढीला होिा है , उसका कारण क्या है ?
जानिे हो? बापदादा ने देखा है तक कारण यह होिा है , स्मृति स्वरूप नहीं बने हो।
सोचिे हो मैं आत्मा हूँ, लेतकन सोचिा स्वरूप बनिे हो, स्मृति स्वरूप कम बनिे हो।
जब िक स्मृति स्वरूप सदा नहीं बनिे िो स्मृति ही समथी तदलािी है। स्मृति स्वरूप
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 254 ]

ही समथट स्वरूप है। इसतलए भाग्य का तसिारा कम चमकिा है। अपने आपसे पूछो
तक ज्यादा समय सोच स्वरूप बनिे हो वा स्मृति स्वरूप बनिे हो? सोच स्वरूप बनने
से सोचिे बहुि अच्छा हो, मैं यह हूँ, मैं यह ह,ूँ मैं यह हूँ.... लेतकन स्मृति न होने के
कारण सोचिे , व्यथट सक
ं ल्प साधारण सक
ं ल्प भी तमक्स हो जािे हैं। वास्िव में देखा
जाए िो आपका अनातद स्वरूप स्मृति सो समथट स्वरूप है। सोचने वाला नहीं, स्वरूप
है। और आतद में भी इस समय के स्मृति स्वरूप की प्रालब्ध प्राप्त होिी है। िो अनातद
और आतद स्मृति स्वरूप है और इस समय अन्ि में सगं म समय पर भी स्मृति स्वरूप
बनिे हो। िो आतद अनातद और अन्ि िीनों कालों में स्मृति स्वरूप हो। सोचना स्वरूप
नहीं हो। इसतलए बापदादा ने पहले भी कहा तक विटमान समय अनुभवी मूिट बनना
श्रेष्ठ स्टे ज है। सोचिे हो आत्मा हूँ, परमात्म प्रातप्त है, लेतकन समझना और अनुभव
करना इसमें बहुि अन्िर है। अनुभवी मूिट कभी भी न माया से धोखा खा सकिा, न
दु:ख की अनुभूति कर सकिा। यह जो बीच-बीच में माया के खेल देखिे हो, या खेल
खेलिे भी हो, उसका कारण है अनुभवी मूिट की कमी है। अनुभव की अथॉररटी सबसे
श्रेष्ठ है। िो बापदादा ने देखा तक कई बच्चे सोचिे हैं लेतकन स्वरूप की अनुभतू ि कम
है।

आप ब्राह्मण आत्माओ ं की प्युररटी का प्रभाव आतदकाल से प्रतसद्ध है। याद आिा है


अपना अनातद और आतदकाल! याद करो अनातदकाल में भी आप प्युअर आत्मायें
आत्मा रूप में भी तवशेष चमकिे हुए तसिारे , चमकिे रहिे हैं और भी आत्मायें हैं
लेतकन आप तसिारों की चमक सबके साथ होिे भी तवशेष चमकिी है। जै से आकाश
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 255 ]

में तसिारे अनेक होिे हैं लेतकन कोई कोई तसिारे स्पेशल चमकने वाले होिे हैं। देख
रहे हो सभी अपने को, तफर आतदकाल में आपके प्युररटी की रॉयल्टी और पसटनातलटी
तकिनी महान रही है! सभी पहुंच गये आतदकाल में? पहुंच जाओ। चेक करो मेरी
चमकने की रेखा तकिनी परसेन्ट में है ? आतदकाल से अतन्िम काल िक आपके
प्युररटी की रॉयल्टी, पसटनातलटी सदा रहिी है। अनातद काल का चमकिा हुआ
तसिारा, चमकिे हुए बाप के साथ-साथ तनवास करने वाले। अभी-अभी अपनी
तवशेषिा अनुभव करो। पहुंच गये सब अनातदकाल में ? तफर सारे कल्प में आप पतवि
आत्माओ ं की रॉयल्टी तभन्न-तभन्न रूप में रहिी है क्योंतक आप आत्माओ ं जैसा कोई
सम्पण
ू ट पतवि बने ही नहीं हैं। पतवििा का जन्म तसद्ध अतधकार आप तवशेष आत्माओ ं
को बाप द्वारा प्राप्त है। अभी आतदकाल में आ जाओ। अनातदकाल भी देखा, अब
आतदकाल में आपके पतवििा की रॉयल्टी का स्वरूप तकिना महान है! सभी पहुच ं
गये सियुग में। पहुच ं गये! आ गये ? तकिना प्यारा स्वरूप देविा रूप है। देविाओ ं
जैसी रॉयल्टी और पसटनातलटी सारे कल्प में तकसी भी आत्मा की नहीं है। देविा रूप
की चमक अनुभव कर रहे हो ना! इिनी रूहानी पसटनातलटी, यह सब पतवििा की
प्रातप्त है। अभी देविा रूप का अनुभव करिे मध्यकाल में आ जाओ। आ गये ?आना
अनुभव करना सहज है ना। िो मध्यकाल में भी देखो, आपके भक्त आप पूज्य
आत्माओ ं की पज ू ा करिे हैं, तचि बनािे हैं। तकिने रॉयल्टी के तचि बनािे और तकिनी
रॉयल्टी से पूजा करिे। अपना पूज्य तचि सामने आ गया है ना! तचि िो धमाट त्माओ ं
के भी बनिे हैं। धमट तपिाओ ं के भी बनिे हैं, अतभनेिाओ ं के भी बनिे हैं लेतकन आपके
तचि की रूहातनयि और तवतध पूवटक पज ू ा में फकट होिा है। िो अपना पज्ू य स्वरूप
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 256 ]

सामने आ गया! अच्छा तफर आओ अन्िकाल सगं म पर, यह रूहानी तड्रल कर रहे हो
ना! चक्कर लगाओ और अपने प्युररटी का, अपनी तवशेष प्रातप्त का अनुभव करो।
अतन्िमकाल संगम पर आप ब्राह्मण आत्माओ ं का परमात्म पालना का, परमात्म
प्यार का, परमात्म पढ़ाई का भाग्य आप कोटों में कोई आत्माओ ं को ही तमलिा है।
परमात्मा की िायरेक्ट रचना, पहली रचना आप पतवि आत्माओ ं को ही प्राप्त होिी
है। तजससे आप ब्राह्मण ही तवश्व की आत्माओ ं को भी मुतक्त का वसाट बाप से तदलािे
हो। िो यह सारे चक्कर में अनातदकाल, आतदकाल, मध्यकाल और अतन्िमकाल
सारे चक्र में इिनी श्रेष्ठ प्रातप्त का आधार पतवििा है।

आज बापदादा अपने होलीएस्ट, हाइएस्ट, लकीएस्ट, स्वीटे स्ट बच्चों को देख रहे हैं।
सारी तवश्व में समय प्रति समय होलीएस्ट आत्मायें आिी रही हैं। आप भी होलीएस्ट
हो लेतकन आप श्रेष्ठ आत्मायें प्रकृतिजीि बन, प्रकृति को भी सिोप्रधान बना देिी
हो। आपके पतवििा की पावर प्रकृति को भी सिोप्रधान पतवि बना देिी है। इसतलए
आप सभी आत्मायें प्रकृति का यह शरीर भी पतवि प्राप्त करिी हो। आपके पतवििा
की शतक्त तवश्व के जड़, चैिन्य, सवट को पतवि बना देिी है इसतलए आपको शरीर भी
पतवि प्राप्त होिा है। आत्मा भी पतवि, शरीर भी पतवि और प्रकृति के साधन भी
सिोप्रधान पावन होिे हैं। इसतलए तवश्व में होलीएस्ट आत्मायें हो। होलीएस्ट हो?
अपने को समझिे हो तक हम तवश्व की होलीएस्ट आत्मायें हैं ? हाइएस्ट भी हो, क्यों
हाइएस्ट हो? क्योंतक ऊूँचे -िे-ऊूँचे भगवान को पहचान तलया। ऊूँचे -िे-ऊूँचे बाप द्वारा
ऊूँचे-िे-ऊूँची आत्मायें बन गये। साधारण स्मृति, वृतर्त्, दृति, कृति, सब बदलकर श्रेष्ठ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 257 ]

स्मृति स्वरूप, श्रेष्ठ वृतर्त्, श्रेष्ठ दृति बन गई। तकसी को भी तमलिे हो िो तकस वृतर्त् से
तमलिे हो? ब्रदरहुि वतृ र्त् से, आतत्मक दृति से, कल्याण की भावना से, प्रभू पररवार
के भाव से। िो हाइएस्ट हो गये ना? बदल गये ना! और लकीएस्ट तकिने हो? कोई
ज्योतितष ने आपके भाग्य की लकीर नहीं खींची है , स्वयं भाग्य तवधािा ने आपके
भाग्य की लकीर खींची। और गैरन्टी तकिनी बड़ी दी है ? 21 जन्मों के िकदीर की
लकीर के अतवनाशी की गैरन्टी ली है। एक जन्म की नहीं, 21 जन्म कभी दु:ख और
अशातन्ि की अनुभूति नहीं होगी। सदा सख
ु ी रहेंगे। िीन बािें जीवन में चातहए - हेल्थ,
वेल्थ और हैपी। यह िीनों ही आप सबको बाप द्वारा वसे में प्राप्त हो गया। गैरन्टी है ना,
21 जन्मों की? सभी ने गैरन्टी ली है? पीछे वालों को गैरन्टी तमली है ? सभी हाथ उठा
रहे हैं, बहुि अच्छा। बच्चा बनना अथाटि् बाप द्वारा वसाट तमलना। बच्चा बन नहीं रहे
हो, बन रहे हो क्या? बच्चे बन रहे हो या बन गये हो? बच्चा बनना नहीं होिा। पैदा
हुआ और बना। पैदा होिे ही बाप के वसे के अतधकारी बन गये। िो ऐसा श्रेष्ठ भाग्य
बाप द्वारा अभी प्राप्त कर तलया। और तफर ररचेस्ट भी हो। ब्राह्मण आत्मा, क्षतिय नहीं
ब्राह्मण। ब्राह्मण आत्मा तनश्चय से अनुभव करिी है तक मैं श्रेष्ठ आत्मा, मैं फलाना नहीं,
आत्मा ररचेस्ट इन दी वल्िट है। ब्राह्मण है िो ररचेस्ट इन दी वल्िट है क्योंतक ब्राह्मण
आत्मा के तलए परमात्म याद से हर कदम में पदम हैं। िो सारे तदन में तकिने कदम
उठािे होंगे? सोचो। हर कदम में पदम, िो सारे तदन में तकिने पदम हो गये ? ऐसी
आत्मायें बाप द्वारा बन गये। मैं ब्राह्मण आत्मा क्या हूँ, यह याद रहना ही भाग्य है । िो
आज बापदादा हर एक के मस्िक पर भाग्य का चमकिा हुआ तसिारा देख रहे हैं।
आप भी अपने भाग्य का तसिारा देख रहे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 258 ]

सारे कल्प में तकसी भी जन्म में एक ही परमात्मा बाप भी बने , तशक्षक भी बने , सिगरू

भी बने और सवट सम्बन्ध भी तनभाये -ऐसा सियुग से कतलयुग िक तकसको भाग्य
तमला है? और अभी आपको तमला है! अभी आप तनश्चय और नशे से कहिे हो तक
हमारा पालनहार परम आत्मा है। दुतनया वाले कहने माि कहिे हैं तक परमात्मा ही
पाल रहा है लेतकन आप प्रैतक्टकल अनुभव से कहिे हो तक परमात्मा बाप है और
बाप ही पालनहार है , पालना कर रहे हैं! नशा है ना या थोड़ा-थोड़ा भल
ू जािे हो?
चलिे-चलिे अपने श्रेष्ठ भाग्य को साधारण समझ लेिे हो, है श्रेष्ठ लेतकन समझ
साधारण लेिे हो। इसतलए जो नशा और खुशी की झलक सदा होनी चातहये , वह नहीं
रहिी। वैसे एक सेकण्ि भी भूल नहीं सकिे लेतकन कॉमन समझ लेिे हो तक बाप तमल
गया, हमारा हो गया, हम भी बाप के हो गये....... जब हमारा है िो नशा (फखरु ) होना
चातहये ना? लेतकन कभी ऊंचा िो कभी मध्यम, कभी साधारण हो जािा है। सोचो,
हमारा बाप परम आत्मा है! और तफर तशक्षक िायरेक्ट परम आत्मा है! क्या तशक्षा
दी? आपको क्या बना तदया? तिनेिी, तिकालदशी, तिलोकीनाथ। ऐसी कोई पढ़ाई
पढ़िा है! अभी िक ये तिग्री सनु ी है ? जज बैररस्टर, िॉक्टर, इज
ं ीतनयर ये िो सब
तिग्रीज देखी हैं लेतकन तिलोकीनाथ, तिकालदशी, तिनेिी, नॉलेजफुल....ऐसी तिग्री
देखी है? द्वापर से कतलयुग िक तकसको तमली है ? आपको तमली थी? आपने भी
िो 63 जन्म तलये हैं। िो न तकसको तमली है , न तमलनी है। ऐसा तशक्षक हमारा है।
साइसं वाले साइसं की तकिनी भी योजना करें िो भी तिलोक िक नहीं पहुूँच सकिे।
िीनों लोकों का नॉलेज प्राप्त हो नहीं सकिा। और आपमें िो 5 वषट का बच्चा भी िीन
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 259 ]

लोकों की नॉलेज देिा है! वो भी फलक से कहेगा-हाूँ, सक्ष्ू म विन है, मूल विन है। िो
परम आत्मा तशक्षक भी है। श्रेष्ठ तशक्षा से ये तिग्री िो प्राप्त कराई लेतकन दुतनया में
सबसे बड़े िे बड़ा पद राज्य पद होिा है। िो पढ़ाई से पद भी तमलिा है ना! िो आपको
राजा बनाया है? अभी राजा हो या बनना है? हो राजा और बैठे पट में हो! पक्का
मकान भी नहीं, टे न्ट में बैठे हो! िो देखो श्रेष्ठ में श्रेष्ठ पद राज-पद है। अभी भी स्वराज्य
अतधकारी हो और भतवष्य में भी तवश्व राज्य अतधकारी बनना ही है। ये पक्का है ना?
तकसको राज्य करना है ? आप राज्य करेंगे तक आपके ऊपर कोई राजा राज्य करेगा?
नहीं। ये सब इिने राजा बन जायेंगे! इिने सब राज्य करें गे! प्रजा भी िैयार की है या
अपने ऊपर ही राज्य करें गे? िो अपना भाग्य देखो-परम आत्मा मे रा तशक्षक है , राज्य
पद देने वाला। और तफर सिगुरू बन..... गुरू क्या करिे हैं ? मन्ि देिे हैं ना। िो सिगरू

ने क्या मन्ि तदया? मनमनाभव। सिगरू
ु द्वारा महामन्ि भी तमला और सवट वरदान भी
तमले। तकिने वरदान तमले हैं ? वरदानों की तलस्ट देखो तकिनी लम्बी है! रोज वरदान
तमलिा है ना! तकिने समय से तमल रहे हैं! इिने वरदान कोई भी फॉलोअर को कोई
ु दे ही नहीं सकिे। ऐसा सिगुरू जो रोज वरदान दे, ऐसा देखा? अभी नशा है ना!
गरू
(हाूँ जी) बहुि अच्छा। सदा रखना।

सभी इस समय अपने श्रेष्ठ स्वमान के तसहं ासन पर तस्थि हो? श्रेष्ठ स्वमान का रूप
जानिे हो? इस समय तवश्व रचतयिा की िायरेक्ट रचना, पहली रचना, सवटश्रेष्ठ रचना
और रचतयिा के 'बालक सो मातलक', जो बापदादा के नूरे रत्न हो, तदल िख्ि नशीन
हो, मस्िक की मतणयाूँ हो और बापदादा के कर्त्टव्य में मददगार हो और जो तवश्व-
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 260 ]

कल्याणकारी, तवश्व के आधारमूर्त्ट, तवश्व के आगे श्रेष्ठ उदाहरण रूप में हो, क्या ऐसे
सच्चे स्वमान स्मृति में रहिे हैं? सदा स्वमान के तसहं ासन पर तस्थि रहिे हो? या
तसहं ासन पर तटक नहीं पािे हो? नाम ही है तसहं ासन। इसका अथट क्या हुआ? इस पर
क न तस्थि हो सकिा है? सवट शतक्त सम्पन्न ही इस आसन पर अथाट ि् तस्थति में तस्थि
हो सकिा है। तसहं अथाटि् शेर या शेरनी। अगर तसहं नहीं बने हो िो आसन पर तस्थि
नहीं हो सकिे हो। तसहं ासन तकस के तलए है? जो सवटशतक्तमान् की पहली रचना है।
पहली रचना में रचतयिा के समान सवट -शतक्तयाूँ स्वरूप में तदखाई देिी हैं ? पहली
रचना तक तवशेषिा जो इस समय है क्या उसको जानिे हो? तजस तवशेषिा के कारण
तवश्व रचतयिा के भी मातलक बनिे हो, बाप से भी तवशेष पूज्य योग्य बनिे हो, बाप
भी ऐसी रचना का गुणगान करिे हैं, और वन्दना करिे हैं , वह क न-सी तवशेषिा है?
बाप का गायन आत्मायें ही करिी हैं लेतकन ऐसी सवटश्रेष्ठ आत्माओ ं का गायन स्वयं
सवटशतक्तवान् करिे हैं अथाटि् परमात्मा द्वारा आत्माओ ं का गायन होिा है। स्वयं बाप
ऐसी आत्माओ ं का हर रोज बार-बार स्मरण करिे हैं। ऐसी तवशेष आत्माओ ं की मुख्य
तवशेषिा क्या है जो ऐसे श्रेष्ठ बने हो? अपनी उस तवशेषिा को जानिे हो? अवश्य ही
बाप से भी कोई तवशेषिा आपकी ज्यादा है। उसको जानिे हो? तकस बाि में बाप से
भी आगे हो? वह तवशेषिा सनु ाओ। बापदादा से तकस बाि में आगे हो? अि रत्नों में
तसफट शतक्तयाूँ हैं वा पाण्िव भी आ सकिे हैं। जब भाई-भाई हैं िो आतत्मक रूप की
तस्थति में तस्थि हुई आत्मा अि रत्न बन सकिे हैं? इसमें शतक्त अथवा पाण्िवों की
बाि नहीं है, अतपिु आतत्मक तस्थति की बाि है। दोनों आ सकिे हैं। पाण्िवों की सीट
भी आठ में है। अच्छा फस्टट तवशेषिा क्या हुई जो आत्माओ ं को बाप का भी मातलक
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 261 ]

बनािी है? वो बाप से भी श्रेष्ठ बनिे हैं। यह तवशेषिा है बाप को प्रत्यक्ष करना, बाप
के सम्बन्ध में समीप लाना, बाप के वाररस बनाना। यह आप पहली रचना का कर्त्टव्य
है। बाप बच्चों द्वारा ही प्रत्यक्ष होिे हैं। तनराकार बाप और साकार ब्रह्मा बाप दोनों को,
अपने तनश्चय, अपने ब्राह्मण जीवन के आधार से , अपने अनुभव के आधार से, तवश्व
के आगे प्रख्याि तकया िब तवशेष मानिे हैं। िो बाप को प्रख्याि करने की तवशेषिा
बच्चों की है, इसतलए बाप ररटनट में तवश्व के आगे , स्वयं गप्तु रूप में रह, शतक्त सेना व
पाण्िव सेना को प्रख्याि करिे हैं। िो यह तवशेषिा बच्चों की है इसतलए बाप से भी
ज्यादा पूज्य बने हो। ऐसी अपनी तवशेषिा स्मृति में रहिी है या भूल जािे हो?
सगं मयुगी ब्राह्मणों की तवशेषिा सदा स्मृति स्वरूप की है। िो ब्राह्मणपन की तवशेषिा
अनुभव करिे हो? शूिपन अथाटि् तवस्मृि स्वरूप।

सगं मयुग की श्रेष्ठिा तकिनी श्रेष्ठ है, उसके भी अनुभवी हो ना? 1) सियुग की
तदनचयाट में प्रकृति में नेचुरल साज़ जगायेंगे लेतकन सगं मयुगी ब्राह्मणों के आतदकाल
- अमृिबेले से श्रेष्ठिा देखो िो तकिनी महान है। वहाूँ प्रकृति का साधन है और संगमयुग
पर आतदकाल अथाटि् अमृिवेले क न जगािा है ? स्वयं प्रकृति का मातलक भगवान
िुम्हें जगािा हैं। 2) मधुर साज़ क न सा सनु िे हो? बाप रोज ``बच्चे - मीठे बच्चे''
कहकर बुलािे हैं। यह नेचुरल साज, ईश्वरीय साज़ सियुगी प्रकृति के साज़ से तकिना
महान है। उसके अनुभवी हो ना? िो सियुगी साज़ महान है या ये सगं मयुग के साज़
महान हैं? साथ-साथ सियुग के सस्ं कार और प्रालब्ध बनाने व भरने का समय है।
सस्ं कार भरिे हैं, प्रालब्ध बनिी है। इसी संगमयुग पर ही सब होिा है। 3) वहाूँ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 262 ]

सिोप्रधान अति स्वातदि रस वाले , वृक्ष के फल खायेंगे। यहाूँ वृक्षपति द्वारा सवट
सम्बन्धों के रस, सवट प्रातप्त-सम्पन्न प्रत्यक्ष फल खािे हो। 4) वह गोल्िन एज का फल
है। और यह िायमन्ि एज का फल है , िो श्रेष्ठ क न-सा हुआ? 5) वहाूँ दास-दातसयों
के हाथ में पलेंगे यहाूँ बाप के हाथों में पल रहे हो। 6) वहाूँ महान आत्माएूँ माूँ -बाप
होंगे, यहाूँ परमात्मा मािा-तपिा हैं। 7) वहाूँ रिन जतड़ि झ्लों में झूलेंगे यहाूँ सबसे बड़े-
से-बड़ा झूला क न-सा है, वह जानिे हो? बाप की गोदी झूला है। बच्चे के तलए सबसे
प्यारा झूला मािा-तपिा की गोदी है तसफट एक झूला भी नहीं, तभन्न-तभन्न झूलों में
झल ू सकिे हो। अिीतन्िय सख
ु का झलू ा, खतु शयों का झलू ा, वहाूँ रिन जतड़ि झलू ा
है और यह झल ू ा तकिना महान है। 8) वहाूँ रिनों से खेलेंगे, तखल नों से खेलेंगे,
आपस में खेलेंगे लेतकन यहाूँ बाप कहिे हैं सदा मेरे से , तजस भी रूप में चाहो उस रूप
में खेल सकिे हो। सखा बन करके खेल सकिे हो, बन्धु बनाकर भी खेल सकिे हो।
बच्चा बन करके भी खेल सकिे हो, बच्चा बनाकर भी खेल सकिे हो। ऐसा
अतवनाशी तखल ना िो कभी नहीं तमलेगा। 9) वहाूँ आराम से गदेलों पर सोयेंगे, यहाूँ
याद के गदेलों पर सो जाओ। 10) वहाूँ तनन्िा-लोक में चले जािे हो लेतकन सगं म पर
बाप के साथ सक्ष्ू मविन में चले जाओ। 11) वहाूँ के तवमानों में तसफट एक लोक का
सैर कर सकें गे अब बुतद्ध रूपी तवमान द्वारा िीनों लोकों का सैर कर सकिे हो। 12)
वहाूँ तवश्वनाथ कहलायेंगे और अब तिलोकीनाथ हो। 13) वहाूँ दो नेिी होंगे , यहाूँ िीन
नेिी हो। 14) संगमयुग के अन्िर में अथाटि् नॉलेजफुल, पावरफुल, तब्लसफुल इसके
अन्िर में वहाूँ क्या बन जायेंगे? रॉयल बुद्धू बन जायेंगे। 15) दुतनया के तहसाब से
परमपूज्य होंगे, तवश्व द्वारा माननीय होंगे लेतकन नॉलेज के तहसाब से महान अन्िर पड़
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 263 ]

जायेगा। 16) यहाूँ िो गुिमातनंग, गुिनाईट बाप से करिे हो और वहाूँ आत्माएूँ


आत्माओ ं से करें गी। 17) वहाूँ तवश्व राज्य-अतधकारी होंगे , राज्यकर्त्ाट होंगे और यहाूँ
तवश्व कल्याणकारी, महादानी, वरदानी हो। सियुगी बािें िो सनु कर सदा खुशी स्वरूप
बन जाओ। 18) वहाूँ वैराइटी प्रकार का भोजन खायेंगे और यहाूँ ब्रह्मा भोजन खािे
तजसकी मतहमा देविाओ ं के भोजन से भी अति श्रेष्ठ है। िो सदा सियुगी प्रालब्ध और
विटमान समय के महत्व और प्रातप्त को साथ साथ रखो। िो विटमान समय को जानिे
हुए हर सेकेण्ि और संकल्प को श्रेष्ठ बना सकें गे।

ृ के आप सभी जड़ हैं, िना भी हैं। िना का कनेक्शन सारे वक्ष


इस कल्पवक्ष ृ के टाल
टातलयों से, पर्त्ों से स्वि: ही होिा है। िो सभी अपने को ऐसी श्रेष्ठ आत्मा सारे वृक्ष
के पवू टज समझिे हो? जैसे ब्रह्मा को ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ि फादर कहा जािा है , उनके साथी
आप भी मास्टर ग्रेट ग्रैण्ि फादर हो। पूवटज आत्माओ ं का तकिना स्वमान है! उस नशे
में रहिे हो? सारे तवश्व की आत्माओ ं से चाहे तकसी भी धमट की आत्मायें हैं लेतकन
सवट आत्माओ ं के आप िना के रूप में आधारमूिट पूवटज हो। इसीतलए पूवटज होने के
कारण पूज्य भी हो। पूवटज द्वारा हर आत्मा को सकाश स्वि: ही तमलिी रहिी है। झाड़
को देखो, िना द्वारा, जड़ द्वारा लास्ट पर्त्े को भी सकाश तमलिी रहिी है। पवू टज का
कायट क्या होिा है? पूवटजों का कायट है सवट की पालना करना। ल तकक में भी देखो
पवू टजों द्वारा ही चाहे शारीररक शतक्त की पालना, स्थूल भोजन द्वारा वा पढ़ाई द्वारा
शतक्त भरने की पालना होिी है। िो आप पूवटज आत्माओ ं की पालना, बापद्वारा तमली
हुई शतक्तयों से सवट आत्माओ ं की पालना करना है। आज के समय अनुसार सवट
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 264 ]

आत्माओ ं को शतक्तयों द्वारा पालना की आवश्यकिा है। जानिे हो आजकल


आत्माओ ं में अशातन्ि और दु:ख की लहर छाई हुई है। िो आप पूवटज और पूज्य
ं ावली के ऊपर रहम आिा है ? जैसे जब कोई तवशेष अशातन्ि
आत्माओ ं को अपने वश
का वायुमण्िल होिा है िो तवशेष रूप से तमलेिी या पुतलस अलटट हो जािी है। ऐसे
ही आजकल के वािावरण में आप पूवटज भी तवशेष सेवा के अथट स्वयं को तनतमर्त्
समझिे हो! सारे तवश्व की आत्माओ ं के तनतमर्त् हैं , यह स्मृति रहिी है? सारे तवश्व की
आत्माओ ं को आज आपके सकाश की आवश्यकिा है। ऐसे बेहद के तवश्व की पूवटज
आत्मा अपने को अनुभव करिे हो? तवश्व की सेवा याद आिी है वा अपने सेन्टसट की
सेवा याद आिी है? आज आत्मायें आप पूवटज देव आत्माओ ं को पुकार रही हैं। हर
एक अपने-अपने तभन्न-तभन्न देतवयां वा देविाओ ं को पक
ु ार रहे हैं - आओ, क्षमा
करो, कृपा करो। िो भक्तों का आवाज सनु ने आिा है ? आिा है सनु ने या नहीं? कोई
भी धमट की आत्मायें हैं , जब उनसे तमलिे हो िो अपने को सवट आत्माओ ं के पूवटज
समझकर तमलिे हो? ऐसे अनुभव होिा है तक यह भी हम पूवटज की ही टाल-टातलयां
हैं! इन्हों को भी सकाश देने वाले आप पवू टज हो। अपने कल्प वक्ष
ृ का तचि सामने
लाओ, अपने को देखो आपका स्थान कहाूँ है! जड़ में भी आप हो, िना भी आप हो।
साथ में परमधाम में भी देखो आप पवू टज आत्माओ ं का स्थान बाप के साथ समीप
का है। जानिे हो ना! इसी नशे से कोई भी आत्मा से तमलिे हो िो हर धमट की आत्मा
आपको यह हमारे हैं , अपने हैं, उस दृति से देखिे हैं। अगर उस पूवटज के नशे से, स्मृति
से, वृतर्त् से, दृति से तमलिे हो, िो उन्हों को भी अपनेपन का आभास होिा है क्योंतक
आप सवट के पूवटज हो, सबके हो। ऐसी स्मृति से सेवा करने से हर आत्मा अनुभव
करेगी तक यह हमारे ही पवू टज वा ईि तफर से हमें तमल गये। तफर पज्ू य भी देखो तकिनी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 265 ]

बड़ी पूजा है, कोई भी धमाटत्मा, महात्मा की ऐसी आप देवी-देविाओ ं के समान तवतध-
पूवटक पूजा नहीं होिी। पूज्य बनिे हैं लेतकन िुम्हारे जैसी तवतध-पूवटक पूजा नहीं होिी।
गायन भी देखो तकिना तवतध-पूवटक कीिटन करिे हैं, आरिी करिे हैं। ऐसे पूज्य आप
पवू टज ही बनिे हो। िो अपने को ऐसे समझिे हो? ऐसा नशा है ? है नशा?

पवू टज आत्मायें अपने को समझिे हो ना। पज्ू य आत्माओ ं का तनवास कहाूँ हैं ? अपने
झाड़ को सामने लाओ उसमें देखो, आपका स्थान कहाूँ है? जानिे हो तक आप पूवटजों
का स्थान जड़ में है। झाड़ के जड़ में भी है , िना में भी है। िो जड़ के द्वारा ही सारे वृक्ष
को पालना तमलिी है। िो आप इस सारे वृक्ष के टाल टातलयां वा पर्त्ों की पालना
करने वाले , सकाश देने वाले पवू टज हो। पवू टज के साथ पज्ू य भी हो। िना द्वारा लास्ट
पर्त्े को भी सकाश तमलिी है। िो अपने को सारे वृक्ष को सकाश देने वाले अनुभव
करिे हो? नशा रहिा है तक हम पवू टज सवट आत्माओ ं रूपी टाल टातलयां या पर्त्ों को
सकाश दे रहे हैं! जैसे ब्रह्मा बाप को ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ि फादर कहिे हैं िो उनके आप बच्चे
साथी भी मास्टर ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ि फादर हो। सारे वृक्ष के आत्माओ ं की आप पूवटज
आत्माओ ं की िरफ आकषटण है। आप पूवटज आत्मायें उन्हों की पालना शतक्तयों द्वारा
करिे। जैसे आप सभी पूवटज आत्माओ ं की पालना बाप ने की िो बाप ने कै से की?
शतक्तयों द्वारा। वैसे आप भी पूवटज के नािे से शतक्तयों द्वारा उन्हों की पालना करने वाले
हो। आजकल देखिे हो तक सभी आत्मायें दु:खी हैं , पक
ु ार रही हैं, अपने-अपने देवी
देविाओ ं को, आओ हमारी रक्षा करो। हमें शातन्ि दो, हमें शतक्त दो। ओ क्षमा के सागर
पवू टज हमें पालना दो। िो यह आवाज आप पवू टज आत्माओ ं के कानों में सनु ाई दे रहा
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 266 ]

है? अनुभव करिे हो तक हम ही पूवटज हैं? सारे वृक्ष में देखो जो भी अन्य धमट वाली
आत्मायें भी हैं िो वृक्ष में टाल टातलयां होने के कारण वह भी आपको उसी नजर से
देखिे हैं। उन्हों के भी पवू टज आप ही हो। कोई भी धमट वाली आत्माओ ं से आप जब
तमलिे हो िो यह समझिे हो तक यह भी हमारे ही वृक्ष की टाल टातलयां हैं! वह भी
जब आपसे तमलिे हैं िो समझिे हैं तक यह अपने हैं! अपनेपन का अनुभव उन
आत्माओ ं को भी हो रहा है और होना है। िो इिना नशा, इिना अन्दर से आप लोगों
के पास रहम आिा है? वह तचल्ला रहे हैं रहम करो िो अभी समय अनुसार आप सभी
पवू टज आत्माओ ं को मन्सा द्वारा शतक्तयों की पालना करनी है। उन्हों को आवश्यकिा
है। िो तजिना आप अपने पूवटज के नशे में रहेंगे उिना ही आप द्वारा उन्हों की पालना
होगी। वैसे भी देखो तकसी की भी पालना ल तकक में भी बड़ों से होिी है। वही उन्हों
के शरीर के खाने पीने , पढ़ाई जो सोसट आफ इनकम है , उनका प्रबन्ध करिे हैं। िो जैसे
बाप ने आप सभी बच्चों की तभन्न-तभन्न शतक्तयों से पालना की है वैसे अभी आपका
कायट है सारे वृक्ष के टाल टातलयों और पर्त्ों की पालना करना। ऐसा उमंग आप पूवटज
आत्माओ ं को आिा है? नशा है पूज्य भी हो। देखो, सारे ड्रामा में तजिनी आप
आत्माओ ं की कायदे प्रमाण पूजा होिी है उिनी पूजा कोई भी महात्मा, धमट तपिा की
नहीं होिी। आपकी पूजा तनयम प्रमाण आरिी होना, भोग लगना, ऐसी तकसकी भी
नहीं होिी। गायन देखो आपका कायदे प्रमाण कीिटन होिा है। तकसी का भी ऐसे गायन
नहीं होिा। िो आप पवू टज के साथ पज्ू य भी हो। ड्रामा में आप जैसा पज
ू न और गायन
तकसी का भी नहीं है। िो बापदादा ऐसी आप पूज्य और पूवटज आत्माओ ं को देख
तकिना खुश होिे हैं! बाप के तदल से बार-बार यह गीि बजिा वाह मेरे सवट वृक्ष के
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 267 ]

पूवटज और पूज्य आत्मायें वाह! िो आजकल बापदादा आप सभी बच्चों को जो


आपका स्वमान है , बाप समान सम्पन्न सम्पूणट बनने का, वही रूप देखने चाहिे हैं।

तकिना श्रेष्ठ भाग्य है और तकिना सहज प्राप्त हुआ है। एक है अल तकक श्रेष्ठ जन्म का
भाग्य, दूसरा है - श्रेष्ठ सम्बन्ध का भाग्य, िीसरा है - सवट प्रातप्तयों का भाग्य। िीनों
भाग्य के चमकिे हुए तसिारों को देख बापदादा भी हतषटि हो रहे हैं। जन्म का भाग्य
देखो - स्वयं भाग्य तवधािा बाप द्वारा आप सबका जन्म है। जब जन्म-दािा ही भाग्य-
तवधािा है िो जन्म तकिना अल तकक और श्रेष्ठ है। आप सबको भी अपने इस भाग्य
के जन्म का नशा और खुशी है ना! साथ-साथ सम्बन्ध की तवशेषिा देखो - सारे कल्प
में ऐसा सम्बन्ध अन्य तकसी भी आत्मा का नहीं है। आप तवशेष आत्माओ ं को ही एक
द्वारा िीन सम्बन्ध प्राप्त हैं। एक ही बाप भी है , तशक्षक भी है और सिगुरू भी है। ऐसे
एक द्वारा िीन सम्बन्ध तसवाए ब्राह्मण आत्माओ ं के तकसी के भी नहीं हैं। अनुभव है
ना? बाप के सम्बन्ध से वसाट भी दे रहे हैं , पालना भी कर रहे हैं। वसाट भी देखो तकिना
ऊंचा और अतवनाशी है। दुतनया वाले कहिे हैं - हमारा पालनहार भगवान है लेतकन
आप बच्चे तनश्चय और नशे से कहिे हो हमारा पालनहार स्वयं भगवान है। ऐसी
पालना, परमात्म पालना, पर-मात्म प्यार, परमात्म वसाट तकसको प्राप्त है! िो एक ही
बाप भी है, पालनहार भी है और तशक्षक भी है । हर आत्मा के जीवन में तवश् ेष िीन
सम्बन्धी आवश्यक हैं लेतकन िीनों सम्बन्ध अलग-अलग होिे हैं। आपको एक में िीन
सम्बन्ध हैं। पढ़ाई भी देखो - िीनों काल की पढ़ाई है। तिकालदशी बनने की पढ़ाई है।
पढ़ाई को सोसट ऑफ इन्कम कहा जािा है। पढ़ाई से पद की प्रातप्त होिी है। सारे तवश्व
में देखो - सबसे ऊंचे िे ऊंचा पद, राज्य पद गाया हुआ है। िो आपको इस पढ़ाई से
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 268 ]

क्या पद प्राप्त होिा है? अब भी राजे और भतवष्य भी राज्य पद। अभी स्व-राज्य है,
राजयोगी स्वराज्य अतधकारी हो और भतवष्य का राज्य भाग्य िो अतवनाशी है ही।
इससे बड़ा पद कोई होिा नहीं। तशक्षक द्वारा तशक्षा भी तिकालदशी की है और पद भी
दैवी राज्य पद है। ऐसा तशक्षक का सबं ंध तसवाए ब्राह्मण जीवन के न तकसका हुआ
है, न हो सकिा है। साथ में सिगरू
ु का सम्बन्ध,सिगरू
ु द्वारा श्रीमि, तजस श्रीमि का
गायन आज भी भतक्त में हो रहा है। आप तनश्चय से कहिे हो हमारा हर कदम तकसके
आधार से चलिा है ? श्रीमि के आधार से हर कदम चलिा है। िो चेक करो - हर कदम
श्रीमि पर चलिा है? भाग्य िो प्राप्त है लेतकन भाग्य के प्रातप्त का जीवन में अनुभव
है? हर कदम श्रीमि पर है वा कभी-कभी मनमि या परमि िो नहीं तमक्स होिी?
इसकी परख है - अगर कदम श्रीमि पर है िो हर कदम में पदमों की कमाई जमा का
अनुभव होगा। कदम श्रीमि पर है िो सहज सफलिा है। साथ-साथ सिगुरू द्वारा
वरदानों की खान प्राप्त है। वरदान है उसकी पहचान - जहाूँ वरदान होगा वहाूँ मेहनि
नहीं होगी। िो सिगरूु के सम्बन्ध में श्रेष्ठ मि और सदा वरदान की प्रातप्त है। और
तवशेषिा सहज मागट की है , जब एक में िीन सम्बन्ध हैं िो एक को याद करना सहज
है। िीन को अलग-अलग याद करने की जरूरि नहीं इसीतलए आप सब कहिे हो एक
बाबा दूसरा न कोई। यह सहज है क्योंतक एक में तवशेष सम्बन्ध आ जािे हैं। िो भाग्य
के तसिारे िो चमक रहे हैं क्योंतक बाप द्वारा िो सवट को प्रातप्तयाूँ हैं ही। िीसरा भाग्य
का तसिारा है - सवट प्रातप्तयाूँ | गायन है अप्राप्त नहीं कोई वस्िु ब्राह्मणों के खज़ाने में।
याद करो अपने खज़ानों को। ऐसा खज़ाना वा सवट प्रातप्तयाूँ और कोई द्वारा हो सकिी
हैं! तदल से कहा मेरा बाबा, खज़ाने हातजर। इसतलए इिने श्रेष्ठ भाग्य सदा स्मृति में रहें ,
इसमें नम्बरवार हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 269 ]

आज बेहद का बाप अपनी आतद श्रेष्ठ िायरेक्ट रचना को देख रहे है। ब्राह्मण आत्मायें
िायरेक्ट तशव वंशी ब्रह्माकुमार और कुमाररयाूँ हो। ब्राह्मण आत्मायें आतद देव की
आतद रचना हो। इसतलए कल्प वृक्ष में ब्राह्मण फाउंिेशन अथाटि् जड़ में तदखाये गये
हैं। अपना स्थान देखा है ना? िो वक्ष
ृ में आप आतद रचना बीज के समीप जड़ में
तदखाये गये हो। इसतलए िायरेक्ट रचना हो। अन्य आत्मायें िायरेक्ट माि तपिा अथाटि्
तशव बाप और ब्रह्मा मािा अथाटि् िायरेक्ट परमात्म रचना नहीं हैं। आप िायरेक्ट
रचना का तकिना महत्त्व है। िायरेक्ट बीज के साथ सम्बन्ध है , उन्हों का इनिायरेक्ट
सम्बन्ध है, आपका िायरेक्ट है। आप सभी रूहानी नशे से कहेंगे तक हम परमात्म
सन्िान हैं। जो भी धमट वाली आत्मायें आिी हैं वह सभी अपने को तक्रतश्चयन, ब तद्ध,
इस्लामी कहलायेंगी। िायरेक्ट तशव वंशी वा आतद देव ब्रह्मा की रचना नहीं
ं ी तक्रतश्चयन कहेंगे, धमट तपिा क्राइस्ट के तक्रतश्चयन हैं - यही
कहलायेंगी। क्राइस्टवश
जानिे हैं। वह सभी धमट तपिा के वंश है। और आप कहेंगे परमात्मा के । िो धमटतपिा
और परमतपिा - तकिना अन्िर है! िबल तवदेशी क्या समझिे हैं परमतपिा के हो या
धमट तपिा के हो? परमतपिा के अथाटि् िायरेक्ट रचना होना। िो िायरेक्ट और
इनिायरेक्ट में तकिना अन्िर है! नशे में भी अन्िर है िो प्रातप्त में भी अन्िर है। इसतलए
भतक्तमागट में भी इनिायरेक्ट अपने इि द्वारा बाप को याद करिे हैं। अगर कोई तशव
भक्त भी हैं िो वो भी तशव शंकर एक मान करके याद करिे हैं। िो इनिायरेक्ट हो गया
ना! जानिे भी हैं तक राम का भी रामेश्वर है लेतकन तफर भी याद राम को ही करें गे। िो
भतक्त इनिायरेक्ट हो गई ना। क्योंतक भक्त आत्माओ ं की रचना भी पीछे की आत्मायें
हैं। आप िायरेक्ट परमात्म वंशी आत्मायें हो। द्वापर में भतक्त भी करिे हो, िो तबना
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 270 ]

पहचान के भी पहले तशव बाप की भतक्त करिे हो। ब्रह्मा, तवष्णु, शंकर यह सक्ष्ू म
देविाओ ं की पज
ू ा पीछे शरू ु होिी है, आतद में नहीं। िो अन्य आत्माएं रचना भी
इनिायरेक्ट आत्माओ ं द्वारा हैं और भतक्त में भी इनिायरेक्ट भतक्त है। आप िायरेक्ट
भक्त हो, इनिायरेक्ट नहीं। अथाटि् तशव की पज
ू ा ही आरम्भ करिे हो। िो प्रातप्त में भी
देखो आप िायरेक्ट आत्माओ ं अथाटि् िायरेक्ट रचना को अनेक जन्मों के तलए वसाट
जीवनमुतक्त का तमलिा है। अन्य आत्माओ ं को जीवनमुतक्त का वसाट इिने समय का
नहीं तमलिा है। आपकी जीवनमुतक्त आधा कल्प चलिी है और अन्य आत्माओ ं को
जीवन-मुतक्त और जीवन-बन्ध दोनों ही आधा कल्प के अन्दर तमलिा है। वह भी द्वापर
से आतद वाली आत्माओ ं को। पीछे वाली आत्माओ ं को िो थोड़े जन्मों में ही दोनों
ही प्रातप्त होिी है। और तवशेषिा यही है तक आपकी जीवन-मुतक्त अथाटि् गोल्िन,
तसल्वर एज चक्र के भी गोल्िन, तसल्वर समय पर प्राप्त होिी है। आपकी गोल्िन एज
है िो युग भी गोल्िन एज का है, प्रकृति भी गोल्िन एज है। चक्र को अच्छी िरह से
जानिे हो ना और अन्य आत्माओ ं की जब गोल्िन एज है िो युग कॉपर एज या आयरन
एज है, कॉपर एज में उन्हों की गोल्िन एज है और आप की गोल्िन एज में गोल्िन एज
है। तकिना अन्िर हुआ! आप सिोप्रधान हैं िो प्रकृति भी सिोप्रधान है। वह रजो प्रधान
प्रकृति में सिोप्रधान स्टे ज का अनुभव करिे हैं। िो िायरेक्ट और इनिायरेक्ट रचना
का तकिना अन्िर है! इिना नशा है तक हम िायरेक्ट परमात्म रचना हैं! सदा नशा रहिा
है या कभी-कभी नशा चढ़िा है ? परसेंटेज में फकट पड़ जािा है , कभी 100% रहिा है
िो कभी 50% | लेतकन रहना क्या चातहए?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 271 ]

आज रत्नागर बाप अपने अमूल्य रत्नों को देख रहे हैं। यह अल तकक अमूल्य रत्नों की
दरबार है। एक एक रत्न अमूल्य है। इस विटमान समय के तवश्व की सारी प्रॉपटी वा
तवश्व के सारे खजाने इकट्ठे करो उसके अन्िर में एक एक ईश्वरीय रत्न कई गुणा अमूल्य
हैं। आप एक रत्न के आगे तवश्व के सारे खजाने कुछ भी नहीं है। इिने अमूल्य रत्न हो।
यह अमूल्य रत्न तसवाए इस सगं मयुग के सारे कल्प में नहीं तमल सकिे। सियुगी-देव-
आत्मा का पाटट इस सगं मयुगी ईश्वरीय अमूल्य रत्न बनने के पाटट के आगे सेकण्ि नम्बर
हो जािा है। अभी िुम ईश्वरीय सन्िान हो, सियुग में दैवी सन्िान होंगे। जैसे ईश्वर का
सबसे श्रेष्ठ नाम है, मतहमा है, जन्म है, वमट है, वैसे ईश्वरीय रत्नों का वा ईश्वरीय सन्िान
आत्माओ ं का मूल्य सवटश्रेष्ठ है। इस श्रेष्ठ मतहमा का वा श्रेष्ठ मूल्य का यादगार अभी
भी 9 रत्नों के रूप में गाये और पूजे जािे हैं। 9 रत्नों को तभन्न-तभन्न तवघ्न तवनाशक
रत्न गाया जािा है जै सा तवघ्न वैसी तवशेषिा वाला रत्न ररंग बनाकर पहनिे हैं वा
लाके ट में िालिे हैं। वा तकसी भी रूप से उस रत्न को घर में रखिे हैं। अभी लास्ट जन्म
िक भी तवघ्न-तवनाशक रूप में अपना यादगार देख रहे हो। नम्बरवार जरूर हैं लेतकन
नम्बरवार होिे हुए भी अमूल्य और तवघ्न तवनाशक सभी हैं। आज भी श्रेष्ठ स्वरूप से
आप रत्नों का आत्मायें स्वमान रखिी हैं। बड़े प्यार से स्वच्छिा से सम्भाल के रखिी
हैं। क्योंतक आप सभी जो भी हो चाहे अपने को इिना योग्य नहीं भी समझिे हो लेतकन
बाप ने आप आत्माओ ं को योग्य समझ अपना बनाया है। स्वीकार तकया - 'िू मेरा मैं
िेरा'। तजस आत्मा के ऊपर बाप की नजर पड़ी वह प्रभू नजर के कारण अमूल्य बन ही
जािे हैं। परमात्म दृति के कारण ईश्वरीय सतृ ि के , ईश्वरीय सस
ं ार के श्रेष्ठ आत्मा बन ही
जािे हैं। पारसनाथ से सम्बन्ध में आये िो पारस का रंग लग ही जािा है। इसतलए
परमात्म-प्यार की दृति तमलने से सारा कल्प चाहे चैिन्य देविाओ ं के रूप में , चाहे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 272 ]

आधा कल्प जड़ तचिों के रूप में वा तभन्न-तभन्न यादगार के रूप में , जैसे रत्नों के रूप
में भी आपका यादगार है , तसिारों के रूप में भी आपका यादगार है। तजस भी रूप में
यादगार है, सारा कल्प सवट के प्यारे रहे हो। क्योंतक अतवनाशी प्यार के सागर के प्यार
की नजर सारे कल्प के तलए प्यार के अतधकारी बना देिी है। इसतलए भक्त लोग आधी
घड़ी एक घड़ी की दृति के तलए िड़पिे हैं तक नजर से तनहाल हो जावें। इसतलए इस
समय के प्यार की नजर, अतवनाशी प्यार के योग्य बना देिी है। अतवनाशी प्रातप्त स्वि:
ही हो जािी है। प्यार से याद करिे , प्यार से रखिे। प्यार से देखिे। दूसरी बाि- स्वच्छिा
अथाटि् पतवििा। िुम इस समय बाप द्वारा पतवििा का जन्म-तसद्ध अतधकार प्राप्त करिे
हो। पतवििा वा स्वच्छिा अपना स्वधमट जानिे हो - इसतलए पतवििा को अपनाने के
कारण जहाूँ आपका यादगार होगा वहाूँ पतवििा वा स्वच्छिा अभी भी यादगार रूप
में चल रही है। और आधाकल्प िो है ही पतवि पालना। पतवि दुतनया। िो आधाकल्प
पतवििा से पैदा होिे , पतवििा से पलिे और आधाकल्प पतवििा से पज
ू े जािे हैं।
िीसरी बाि- बहुि तदल से, श्रेष्ठ समझ, अमूल्य समझ सम्भालिे हैं। क्योंतक इस समय
स्वयं भगवान माि-तपिा के रूप से आप बच्चों को सम्भालिे हैं अथाटि् पालना करिे
हैं। िो अतवनाशी पालना होने के कारण, अतवनाशी स्नेह के साथ सम्भालने के कारण
सारा कल्प बड़ी रायल्टी से, स्नेह से, ररगािट से सम्भाले जािे हो। ऐसे प्यार, स्वच्छिा,
पतवििा और स्नेह से सम्भालने के अतवनाशी पाि बन जािे हो। िो समझा, तकिने
अमूल्य हो? हर एक रत्न का तकिना मूल्य है! िो आज रत्नागर बाप हर एक रिन के
मूल्य को देख रहे थे। सारे दुतनया की अक्षोणी आत्मायें एक िरफ हैं लेतकन आप 5
पाण्िव अक्षोणी से शतक्तशाली हो। अक्षोणी आपके आगे एक के बराबर भी नहीं हैं।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 273 ]

इिने शतक्तशाली हो। िो तकिने मूल्यवान हो गये! इिने मूल्य को जानिे हो? तक कभी-
कभी अपने आपको भूल जािे हो।

"बापदादा अपने ब्राह्मण कुल दीपकों से तमलने के तलए आये हैं। चैिन्य दीपकों की
माला को देख रहे हैं। हर एक दीपक तवश्व को रोशन करने वाले चैिन्य दीपक हैं। सवट
दीपकों का सम्बन्ध एक जागिी-ज्योति से है। हर दीपक की रोशनी से तवश्व का
अंधकार तमटिा हुआ, रोशनी की झलक आ रही है। हर दीपक की तकरणें फैलिी हुई
तवश्व के ऊपर प्रकाश की छिछाया बनी हुई है।

ब्राह्मण जगे िो तदन, रोशनी हो जािी है। और ब्राह्मणों की ज्योति बुझी िो तवश्व में
अंधकार, राि हो जािी है। िो तदन से राि, राि से तदन बनाने वाले आप चैिन्य दीपक
हो। इिनी तजम्मेवारी हर एक पर है।

अपने को सदा पद्मापद्म भाग्यशाली आत्मायें समझिे हो? हर समय तकिनी कमाई
जमा करिे हो? तहसाब तनकाल सकिे हो? सारे कल्प के अन्दर ऐसा कोई तबजनेसमैन
होगा जो इिनी कमाई करे! सदा यह खुशी की याद रहिी है तक हम ही कल्प-कल्प
ऐसे श्रेष्ठ आत्मा बने हैं? िो सदा यही समझो तक इिने बड़े तबजनेसमैन हैं और इिनी
ही कमाई में तबजी रहो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 274 ]

सिगुरू के रूप में वरदानी बच्चों को देख रहे हैं। सभी महामंिधारी, महादानी,
ु के बच्चे 'मास्टर सिगरू
वरदानी, सिगरू ु ' हो। वा यह कहो तक 'गुरू प िे' हो। पोिों
का हक ज्यादा होिा है। ब्रह्मा के बच्चे, िो प िे भी हुए ना। बच्चे भी हो, प िे भी हो।
तजिने बाप के सम्बन्ध उिने आपके सम्बन्ध। सवट सम्बन्ध में अतधकारी आत्मायें हो।
भोलेनाथ बाप से सब कुछ लेने में होतशयार हो। स दागर भी अच्छे हो। स दा कर तलया
है ना? ऐसे कभी सोचा था तक भगवान से स दा करें गे? और स दे में तलया क्या? स दे
में क्या तमला? (मुतक्त-जीवनमुतक्त) बस तसफट मुतक्त-जीवनमुतक्त तमली? स दागर के
साथ जादूगर भी हो। स दा तकया है िो इिना बड़ा तकया जो और स दा करने की
आवश्यकिा ही नहीं। कोई वस्िु का स दा नहीं तकया है लेतकन वस्िु के दािा का
स दा कर तलया। उसमें िो सब आ गया ना! दािा को ही अपना बना तलया। न्यूयाकट
(अमेररका)- अपने को कोटों में कोई, कोई में भी कोई आत्मा हम हैं - ऐसा अनुभव
करिे हो? ड्रामा के अन्दर हम आत्माओ ं का बाप के साथ िायरेक्ट सम्बन्ध और पाटट
है, इिना नशा और खुशी रहिी है? सदा खुशी में रहने की तकिनी बािें धारण कर ली
हैं? बापदादा हर तसकीलधे बच्चे को देख हतषटि होिे हैं। तकिने समय के बाद तमले
हो? स्मृति आिी है ना? इसी स्मृति में रहो तक हम श्रेष्ठ आत्माओ ं का ऊूँचे से ऊूँचे बाप
के साथ तवशेष पाटट है। िो जैसी स्मृति होगी वैसी तस्थति स्वि: बन जायेगी।

देखो, बापदादा ने जो बच्चे और-और धमों में तमक्स हो गये हैं, उन्हों को भी चुन करके
तनकाला है। िो तवशेष भाग्यवान हुए ना! आपने बाप को नहीं ढूूँढा लेतकन बाप ने
आपको ढूूँढ तलया है। आप ढूूँढिे िो भी नहीं ढूूँढ सकिे क्योंतक पररचय ही नहीं था
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 275 ]

ना। इसीतलए बाप ने आप आत्माओ ं को चुनकर अपने बगीचे के पुष्प बना तदया। िो
अभी आप सब अल्लाह के बगीचे के रूहानी गुलाब हो। ऐसे भाग्यवान अपने को
समझिे हो ना?

जैसे बाप की मतहमा के तलए कहा हुआ है तक सागर को स्याही बनाओ िो बच्चों की
भी तकिनी मतहमा करें! बाप बच्चों की मतहमा देख सदा बार-बार बतलहार जािे हैं।
हरेक बच्चा अपनी- अपनी स्टे ज पर हीरो पाटट बजा रहा है। एक बाप के सच्चे हीरो
पाटट धारी हो िो बाप को तकिना नाज़ होगा। सारे कल्प में ऐसा बाप भी नहीं हो सकिा,
िो ऐसे बच्चे भी नहीं हो सकिे। एक-एक की मतहमा के गीि गाने लगे िो तकिनी बड़ी
गीिमाला हो जायेगी। ब्रह्मा और तशवबाबा भी आपस में बहुि तचटचैट करिे हैं। वह
कहिे हैं- वाह मेरे बच्चे! और वह भी कहिे - वाह मेरे बच्चे! (तकस समय तचटचैट
करिे हैं) जब चाहें िब कर सकिे हैं। तबजी भी हैं और सारा तदन फ्री भी हैं। स्विन्ि भी
है और साथी भी हैं। जब हैं ही कम्बाइन्ि िो अलग कै से तदखाई देंगे, अलग कर सकिे
हो आप? आप अलग करेंगे वह आपस में तमल जायेंगे। जैसे बापदादा का आपस में
कम्बाइन्ि रूप है िो आपका भी है ना! आप भी बाप से अलग नहीं हो सकिे।

मैं परम पतवि आत्मा हूँ।'' सदा अपने इस स्वमान के आसन पर तस्थि होकर हर कमट
करो। िो सहज वरदानी हो जायेंगे। "
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 276 ]

प्योररटी ही पसटनातलटी है। तजिना तजिना जो प्योर हैं उिनी उनकी पसटनातलटी न तसफट
तदखाई देिी है लेतकन अनुभव होिी है। सभी अपने रूहानी पसटनातलटी को अनुभव
करिे हो? आप जैसी पसटनातलटी सियुग से अब िक कोई की है? सारे कल्प में
चक्कर लगाओ िो आप जैसी पसटनातलटी है ? नहीं है ना! िो आपको अपने रूहानी
पसटनातलटी का नशा है! अनातद काल में िो परमधाम में भी आप तवशेष आत्माओ ं
की पसटनातलटी सबसे ऊंची है। चाहे आत्मायें सब चमकिी हुई ज्योति हैं लेतकन आप
रूहानी पसटनातलटी वाली आत्माओ ं की चमक अन्य सब आत्माओ ं से न्यारी और
प्यारी है। अपने अनातद काल की पसटनातलटी को स्मृति में लाओ। आई स्मृति में ? देख
रहे हो? बापदादा के साथ-साथ कै से रूहानी पसटनातलटी में तदखाई दे रहे हैं। अपने
आपको देख सकिे हो? िो चले जाओ अनातद काल में। तकिने टाइम में जा सकिे
हो? जाने में तकिना टाइम लगेगा? सेकण्ि से कम ना! तक एक तदन, एक घण्टा
चातहये? सेकण्ि से भी कम जहाूँ चाहो वहाूँ पहुूँच सकिे हो। िो अनातद काल की
अपनी पसटनातलटी देख ली? अभी अनातद काल से आतद काल में आ जाओ। आ
गये या अभी चल रहे हो? पहुूँच गये ? िो अनातद काल से आतद काल में अपनी
रूहानी पसटनातलटी देखो-तकिनी श्रेष्ठ पसटनातलटी है! िन की भी िो मन की भी िो
धन की भी और सम्बन्ध की भी। सब प्रकार की पसटनातलटी तकिनी श्रेष्ठ है! िो आतद
काल की पसटनातलटी देख रहे हो? तकिने सन्ु दर लगिे हो, तकिने सजे हुए हो, तकिने
ु , शातन्ि, प्रेम, आनन्द स्वरूप हो िो आतद काल में भी अपनी पसटनातलटी को
सख
देखो। स्पि तदखाई देिी है वा 5 हजार वषट हो गये िो थोड़ा स्पि नहीं है ? सभी को
स्पि है? होतशयार हो सभी। िो आतद काल भी अपना देख तलया। अभी आओ मध्य
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 277 ]

काल में िो मध्य काल में भी आपकी पसटनातलटी क्या रही? आपके जड़ तचि तकिने
तवतधपवू टक पज
ू े और गाये जािे हैं। चाहे तकिने भी धमाटत्मा, महात्मा, नेिायें
पसटनातलटी वाले गाये जािे हैं लेतकन आपके जड़ तचिों की पसटनातलटी के आगे
उनकी पसटनातलटी कुछ भी नहीं है। जैसे आप सबकी पूजा होिी है वैसे कोई महात्मा
ू ा होिी है ? कभी देखी है ? आपके जड़
या नेिा की, धमट आत्मा की तवतधपवू टक पज
तचिों जैसे श्रृंगार तकसका होिा है? िो मध्य काल में भी आप आत्माओ ं के प्योररटी
की पसटनातलटी की तवशेषिा तकिनी श्रेष्ठ है! अपना तचि देखा? आपकी पूजा होिी
है तक नहीं? तसफट बड़े-बड़ों की होिी है , हमारी नहीं! िबल तवदेतशयों के मतन्दर हैं ?
देखा है, उसमें आपका तचि है ? तक सनु ा है िो कहिे हो तक हाूँ होंगे! स्मृति में है ? िो
मध्य काल भी आपका अति श्रेष्ठ है और अब लास्ट जन्म में जो मरजीवा ब्राह्मण जन्म
है उसकी पसटनातलटी देखो तकिनी बड़ी है! गायन तकिना है -कोई भी श्रेष्ठ कायट अब
िक भी आपके नामधारी ब्राह्मण ही करिे हैं। चाहे ब्राह्मण अभी ब्राह्मण रहे नहीं हैं
लेतकन नाम के िो ब्राह्मण है ना! आपके नाम से आपकी पसटनातलटी के कारण वो
भी श्रेष्ठ गाये जािे हैं। िो ब्राह्मण जन्म की पसटनातलटी तकिनी श्रेष्ठ है! आतद काल,
अनातद काल, मध्य काल और अब अन्ि काल-सारे कल्प में आपकी पसटनातलटी
सदा ही महान रही है। ल तकक पसटनातलटी वालों का अगर नाम भी आिा है िो कोई
तवशेष बुक में उन्हों का नाम आिा है-फलाने -फलाने हैं। लेतकन आपका नाम तकसमें
आिा है? साधारण बुक में नहीं आिा है, शास्त्र में आिा है। जो भी आतद काल से
शास्त्र बने उसमें तकसके चररि हैं? तकसका गायन है ? तकसकी कहातनयाूँ हैं ? िो
ल तकक पसटनातलटी वालों का गायन तवशेष बुक में होिा है और आपका गायन शास्त्र
में होिा है और शास्त्र को तकिना ररगािट देिे हैं। बड़े तवतधपवू टक शास्त्र को सम्भालिे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 278 ]

हैं, उसको भी बड़े पूज्य के रूप में देखिे हैं। जो सच्चे भक्त हैं वो शास्त्र को तवतधपूवटक
रखिे भी हैं और पढ़िे भी हैं। ऐसे ररवाजी तकिाबों के मातफक नहीं रखिे। िो अपनी
पतवििा की पसटनातलटी को सदा ही इमजट रूप में स्मृति में रखो। जानिे हैं.... या हैं िो
हम ही.... ऐसे मजट नहीं। स्मृति स्वरूप में रखो। तजसके बुतद्ध में ये इमजट रूप में स्मृति
रहिी है िो स्मृति ही समथी का आधार है।

सीट पर सेट िो सब बच्चे हैं लेतकन कई बच्चे एकाग्र तस्थति में सेट हैं और कोई बच्चे
सक
ं ल्प में थोड़ा-थोड़ा अपसेट हैं। बापदादा विटमान समय के प्रमाण हर बच्चे को
एकाग्रिा के रूप में स्वमानधारी स्वरूप में सदा देखने चाहिे हैं। सभी बच्चे भी
एकाग्रिा की तस्थति में तस्थि होना चाहिे हैं। अपने तभन्न-तभन्न प्रकार के स्वमान
जानिे भी हैं, सोचिे भी हैं लेतकन एकाग्रिा हलचल में ले आिी है। सदा एकरस तस्थति
कम रहिी है। अनुभव होिा है और यह तस्थति चाहिे भी हैं लेतकन कब-कब क्यों होिी
है,कारण! सदा अटे न्शन की कमी। अगर स्वमान की तलस्ट तनकालो िो तकिनी बड़ी
है। सबसे पहला स्वमान है - तजस बाप को याद करिे रहे, उनके िायरेक्ट बच्चे बने
हो, नम्बरवन सन्िान हो। बापदादा ने आप कोटों में से कोई बच्चों को कहाूँ -कहाूँ से
चुनकर अपना बना तलया। 5 ही खण्िों से िायरेक्ट बाप ने अपने बच्चों को अपना
बना तलया। तकिना बड़ा स्वमान है। सतृ ि रचिा की पहली रचना आप हो। जानिे हो
ना इस स्वमान को! बापदादा ने अपने साथ-साथ आप बच्चों को सारे तवश्व की
आत्माओ ं के पूवटज बनाया है। तवश्व के पूवटज हो, पूज्य हो। बापदादा ने हर बच्चे को
तवश्व के आधारमूिट, उदाहरणमूिट बनाया है। नशा है? थोड़ा-थोड़ा कभी कम हो जािा
है। सोचो, सबसे अमूल्य जो सारे कल्प में ऐसा मूल्य िख्ि तकसको नहीं प्राप्त होिा।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 279 ]

वह परमात्म िख्ि,लाइट का िाज, स्मृति का तिलक तदया। स्मृति आ रही है ना - मैं


क न! मेरा स्वमान क्या! नशा चढ़ रहा है ना! तकिना भी सारे कल्प में सियुगी अमूल्य
िख्ि है लेतकन परमात्म तदलिख्ि आप बच्चों को ही प्राप्त होिा है। बापदादा सदा
लास्ट नम्बर बच्चे को भी फररश्िा सो देविा स्वरूप में देखिे हैं। अभी-अभी ब्राह्मण
हैं, ब्राह्मण से फररश्िा, फररश्िा से देविा बनना ही है। जानिे हो अपने स्वमान को?
क्योंतक बापदादा जानिे हैं तक स्वमान को भूलने के कारण ही देहभान, देह अतभमान
आिा है। परेशान भी होिे हैं , जब बापदादा देखिे हैं देह-अतभमान वा देहभान आिा
है िो तकिने परेशान होिे हैं। सभी अनुभवी हैं ना! स्वमान की शान में रहना और इस
शान से परे परे शान रहना, दोनों को जानिे हो। बापदादा देखिे हैं तक सभी बच्चे
मैजॉररटी नॉलेजफुल िो अच्छे बने हैं, लेतकन पावर में फुल, पावरफुल नहीं हैं।
परसेन्टे ज में हैं। बापदादा ने हर एक बच्चे को अपने सवट खज़ानों के बालक सो मातलक
बनाया,सभी को सवट खज़ाने तदये हैं, कम ज्यादा नहीं तदये हैं क्योंतक अनतगनि
खज़ाना है, बेहद खज़ाना है। इसतलए हर बच्चे को बेहद का बालक सो मातलक
बनाया है। िो अभी अपने आपको चेक करो - बेहद का बाप, हद का बाप नहीं है ,
बेहद का बाप है , बेहद खज़ाना है। िो आपके पास भी बेहद है? सदा है तक कभी-
कभी कुछ चोरी हो जािा है? गुम हो जािा है? बाबा क्यों अटे न्शन तदला रहे हैं ?
परेशान न हो, स्वमान की सीट पर सेट रहो, अपसेट नहीं। 63 जन्म िो अपसेट का
अनुभव कर तलया ना! अभी और करने चाहिे हो? थक नहीं गये हो? अभी स्वमान
में रहना अथाटि् अपने ऊंचे िे ऊंचे शान में रहना। क्यों? तकिना समय बीि गया। 70
साल मना रहे हो ना! िो स्वयं की पहचान अथाटि् स्वमान की पहचान, स्वमान में
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 280 ]

तस्थि रहना। समय अनुसार अभी सदा शब्द को प्रैतक्टकल लाइफ में लाना, शब्द को
अण्िरलाइन नहीं करना लेतकन प्रैतक्टकल लाइफ में अण्िरलाइन करो। रहना है, रहेंगे,
कर िो रहे हैं.. कर लेंगे। यह बेहद के बालक और मातलक का बोल नहीं है। अभी िो
हर एक के तदल से यह अनहद शब्द तनकले , पाना था वह पा तलया। पा रहे हैं , यह
बेहद खज़ाने के बेहद बाप के बच्चे नहीं बोल सकिे। पा तलया, जब बापदादा को पा
तलया, मेरा बाबा कह तदया, मान तलया, जान भी तलया, मान भी तलया, िो यह
अनहद शब्द पा तलया... क्योंतक बापदादा जानिे हैं तक बच्चे स्वमान कभी-कभी होने
के कारण समय के महत्व को भी स्मृति में कम रखिे हैं। एक स्वयं का स्वमान, दूसरा
है समय का महत्व। आप साधारण नहीं हो, पूवटज हो, आप एक-एक के पीछे तवश्व की
आत्माओ ं का आधार है। सोचो, अगर आप हलचल में आयेंगे िो तवश्व की आत्माओ ं
का क्या हाल होगा! ऐसे नहीं समझो तक जो महारथी कहलाये जािे हैं , उनके पीछे
तवश्व का आधार है , अगर नये-नये भी हैं, क्योंतक आज नये भी बहुि आये होंगे।

आज तवधािा, वरदािा बापदादा अपने मास्टर तवधािा, वरदािा बच्चों को देख रहे
हैं। हर एक बच्चा तवधािा भी बने हो िो वरदािा भी बने हो। साथ - साथ बापदादा
देख रहे थे तक बच्चों का मिटबा तकिना महान है , इस सगं मयुग के ब्राह्मण जीवन का
तकिना महत्व है! तवधािा, वरदािा के साथ तवतध - तवधािा भी आप ब्राह्मण हो।
आपकी हर तवतध सियुग में कै से पररवतिटि होिी है - वह पहले सनु ाया है। इस समय
के हर कमट की तवतध भतवष्य में चलिी ही है लेतकन द्वापर के बाद भी भतक्तमागट में इस
समय के श्रेष्ठ कमों की तवतध भतक्तमागट की तवतध बन जािी है। िो पूज्य रूप में भी इस
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 281 ]

समय की तवतध जीवन के श्रेष्ठ तवधािा के रूप में चलिी है और पुजारी मागट अथाटि्
भतक्तमागट में भी आपकी हर तवतध नीति व रीति में चलिी आिी है। िो तवधािा,
वरदािा और तवतध - तवधािा भी हो। आपके मूल तसद्धान्ि तसतद्ध प्राप्त होने के साधन
बन जािे हैं। जैसे मूल तसद्धान्ि - "बाप एक है। धमट - आत्मायें, महान - आत्मायें अनेक
हैं लेतकन परम - आत्मा एक है ''। इसी मूल तसद्धान्ि द्वारा आधा कल्प आप श्रेष्ठ
आत्माओ ं को एक बाप के द्वारा प्राप्त हुआ वसाट तसतद्ध के रूप में प्राप्त होिा है। प्रालब्ध
तमलना अथाटि् तसतद्ध स्वरूप बनना। क्योंतक एक बाप है, बाकी महान - आत्मायें वा
धमट - आत्मायें हैं , बाप नहीं है , भाई - भाई हैं। वसाट बाप से तमलिा है , भाई से नहीं
तमलिा। िो इस मूल तसद्धान्ि द्वारा आधा कल्प आपको तसतद्ध प्राप्त होिी है और भतक्त
में भी 'गॉि इस वन' - यही तसद्धान्ि तसतद्ध प्राप्त करने का आधार बनिा है। भतक्त का
आतद आधार भी एक बाप के 'तशवातलंग' रूप से आरम्भ होिा है तजसको कहा जािा
है - 'अव्यतभचारी भतक्त'। िो भतक्तमागट में भी इसी एक तसद्धान्ि द्वारा ही तसतद्ध प्राप्त
होिी है तक 'बाप एक है'। ऐसे, जो भी आपके मूल तसद्धान्ि है, उस एक - एक तसद्धान्ि
द्वारा तसतद्ध प्राप्त होिी रहिी है। जै से इस जीवन का मूल तसद्धान्ि 'पतवििा' है। इस
पतवििा के तसद्धान्ि द्वारा आप आत्माओ ं के भतवष्य में तसतद्ध स्वरूप के रूप में लाइट
का िाज सदा ही प्राप्त है तजसका यादगार - रूप िबल िाज तदखािे हैं और भतक्त में
भी जब भी यथाथट और तदल से भतक्त करें गे िो पतवििा के तसद्धान्ि को मूल आधार
समझेंगे और समझिे हैं तक तसवाए पतवििा के भतक्त की तसतद्ध प्राप्त नहीं हो सकिी
है। चाहे अल्पकाल के तलए, तजिना समय भतक्त करिे हैं , उिना समय ही पतवििा
को अपनायें लेतकन 'पतवििा ही तसतद्ध का साधन है ' - इस तसद्धान्ि को अपनािे
अवश्य हैं। इसी प्रकार से हर एक ज्ञान का तसद्धान्ि वा धारणा का मूल तसद्धान्ि बुतद्ध
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 282 ]

से सोचे तक हर एक तसद्धान्ि तसतद्ध का साधन कै से बनिा है ? यह मनन करने का काम


दे रहे हैं। जैसे दृिान्ि सनु ाया, इसी प्रकार से सोचना। िो आप तवतध - तवधािा भी
बनिे हो, तसतद्ध - दािा भी बनिे हो। इसतलए आज िक भी तजन भक्तों को जो - जो
तसतद्ध चातहए, वो तभन्न - तभन्न देविाओ ं द्वारा तभन्न - तभन्न तसतद्ध प्राप्त करने के तलए,
उन्हीं देविाओ ं की पूजा करिे हैं। िो तसतद्ध - दािा बाप द्वारा आप भी तसतद्ध - दािा
बनिे हो - ऐसा अपने को समझिे हो ना। तजनको स्वयं सवट तसतद्धयाूँ प्राप्त है , वहीं
औरों को भी तसतद्ध प्राप्त कराने के तनतमर्त् बन सकिे हैं। तसतद्ध खराब चीज़ नहीं है।
क्योंतक आपकी ररतद्ध - तसतद्ध नहीं है। ररतद्ध - तसतद्ध जो होिी है वह अल्पकाल के
तलए प्रभावशाली होिी है। लेतकन आपकी यथाथट तवतध द्वारा तसतद्ध है। ईश्वरीय तवतध
द्वारा जो तसतद्ध प्राप्त होिी है , वह तसतद्ध भी ईश्वरीय तसतद्ध है। जैसे ईश्वर अतवनाशी है ,
िो ईश्वरीय तवतध और तसतद्ध भी अतवनाशी है। ररतद्ध - तसतद्ध तदखाने वाले स्वयं भी
अल्पज्ञ आत्मा हैं , उन्हों की तसतद्ध भी अल्पकाल की है। लेतकन आपकी तसतद्ध,
तसद्धान्ि की तवतध द्वारा तसतद्ध है। इसतलए आधाकल्प स्वयं तसतद्धस्वरूप बनिे हो
और आधा कल्प आपके तसद्धान्ि द्वारा भक्त आत्मायें यथा - शतक्त, िथा - फल की
प्रातप्त वा तसतद्ध की प्रातप्त करिे आिे हैं। क्योंतक भतक्त की शतक्त भी समय प्रमाण कम
होिी आिी है। सिोप्रधान भतक्त की शतक्त, भक्त आत्माओ ं को तसतद्ध की अनुभतू ि
आजकल के भक्तों से ज्यादा करािी है। इस समय की भतक्त िमोप्रधान भतक्त होने के
कारण न यथाथट तसद्धान्ि रहा है ना तसतद्ध रही है। िो इिना नशा रहिा है तक हम क न
हैं! सदा इस श्रेष्ठ स्वमान के तस्थति की सीट पर सेट रहिे हो?
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 283 ]

आज भाग्यतवधािा बापदादा अपने सवट बच्चों का श्रेष्ठ भाग्य देख हतषटि हो रहे हैं।
इिना श्रेष्ठ भाग्य और इिना सहज प्राप्त हो-ऐसा भाग्य सारे कल्प में तसवाए आप
ब्राह्मण आत्माओ ं के और तकसी का भी नहीं हैं। तसफट आप ब्राह्मण आत्माए इस भाग्य
के अतध-कारी हो। यह ब्राह्मण जन्म तमला ही है कल्प पहले के भाग्य अनुसार। जन्म
ही श्रेष्ठ भाग्य के आधार पर है। क्योंतक ब्राह्मण जन्म स्वयं भगवान द्वारा होिा है।
अनातद बाप और आतद ब्रह्मा द्वारा यह अल तकक जन्म प्राप्त हुआ है। जो जन्म ही
भाग्यतवधािा द्वारा हुआ है, वह जन्म तकिना भाग्यवान हुआ! अपने इस श्रेष्ठ भाग्य
को सदा स्मृति में रख हतषटि रहिे हो? सदा स्मृति प्रत्यक्ष-स्वरूप में हो, सदा मन में
इमजट करो। तसफट तदमाग में समाया हुआ है-ऐसे नहीं। लेतकन हर चलन और चेहरे में
स्मृतिस्वरूप प्रत्यक्ष रूप में स्वयं को अनुभव हो और दूसरों को भी तदखाई दे तक इन्हों
की चलन में , चेहरे में श्रेष्ठ भाग्य की लकीर स्पि तदखाई देिी है। तकिने प्रकार के
भाग्य प्राप्त हैं , उसकी तलस्ट सदा मस्िक पर स्पि हो। तसफट िायरी में तलस्ट नहीं हो
लेतकन मस्िक बीच भाग्य की लकीर चमकिी हुई तदखाई दे। पहला भाग्य-जन्म ही
भाग्यतवधािा द्वारा हुआ है। दूसरी बाि-ऐसा तकसी भी आत्मा वा धमाटत्मा, महान
आत्मा का भाग्य नहीं जो स्वयं भगवान एक ही बाप भी हो, तशक्षक भी हो और
सिगुरू भी हो। सारे कल्प में ऐसा कोई है ? एक ही द्वारा बाप के सम्बन्ध से वसाट प्राप्त
है, तशक्षक के रूप से श्रेष्ठ पढ़ाई और पद की प्रातप्त है , सिगरू
ु के रूप में महामन्ि और
वरदान की प्रातप्त है। वसे में सवट खज़ानों का अतधकार प्राप्त तकया है। सवट खज़ाने हैं
ना। कोई खज़ाने की कमी है ? टीचसट को कोई कमी है ? मकान बड़ा होना चातहए,
तजज्ञासु अच्छे -अच्छे होने चातहए - यह कमी है ? नहीं है। तजिनी सेवा तनतवटघ्न बढ़िी
है िो सेवा के साथ सेवा के साधन सहज और स्वि: बढ़िे ही हैं। बाप द्वारा वसाट और
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 284 ]

श्रेष्ठ पालना तमल रही है। परमात्म पालना तकिनी ऊंची बाि है! भतक्त में गािे हैं
परमात्मा पालनहार है। लेतकन आप भाग्यवान आत्माए हर कदम परमात्म पालना के
द्वारा ही अनुभव करिे हो। परमात्म श्रीमि ही पालना है। तबना श्रीमि अथाटि् परमात्म-
पालना के एक कदम भी नहीं उठा सकिे। ऐसी पालना तसफट अभी प्राप्त है , सियुग में
भी नहीं तमलेगी। वह देव आत्माओ ं की पालना है और अभी परमात्म पालना में चल
रहे हो। अभी प्रत्यक्ष अनुभव से कह सकिे हो तक हमारा पालनहार स्वयं भगवान है।
चाहे देश में हो, चाहे तवदेश में हो लेतकन हर ब्राह्मण आत्मा फलक से कहेगी तक
हमारा पालनहार परम आत्मा है। इिना नशा है! तक कब मजट हो जािा है , कब इमजट
होिा है? जन्मिे ही बेहद के खज़ानों से भरपूर हो अतवनाशी वसे का अतधकार ले
तलया। साथ-साथ जन्मिे ही तिकालदशी सि तशक्षक ने िीनों कालों की पढ़ाई तकिनी
सहज तवतध से पढ़ाई! तकिनी श्रेष्ठ पढ़ाई है और पढ़ाने वाला भी तकिना श्रेष्ठ है! लेतकन
पढ़ाया तकन्हों को है ? तजन्हों में दुतनया की नाउम्मीद है उन्हों को उम्मीदवार बनाया।
न तसफट पढ़ाया लेतकन पढ़ाई पढ़ने का लक्ष्य ही है ऊंच िे ऊंच पद प्राप्त करना।
परमात्म-पढ़ाई से जो श्रेष्ठ पद प्राप्त कर रहे हो, ऐसा पद सारे वल्िट के ऊंचे िे ऊंचे पद
के आगे तकिना श्रेष्ठ है! अनातद सृति-चक्र के अन्दर द्वापर से लेकर अभी िक जो भी
तवनाशी पद प्राप्त हुए हैं, उन्हों में सवटश्रेष्ठ पद पहले राज्य-पद गाया हुआ है। लेतकन
आपके राज्य-पद के आगे वह राज्य-पद क्या है? श्रेष्ठ है? आजकल का श्रेष्ठ िे श्रेष्ठ
पद प्रेजीिेन्ट, प्राइम-तमतनस्टर है। बड़े िे बड़ी पढ़ाई द्वारा तफ़लोसोफर बनेंगे, चेयरमेन,
िायरेक्टर आतद बन जायेंगे, बड़े िे बड़े ऑतफसर बन जायेंगे। लेतकन यह सब पद
आपके आगे क्या हैं! आपको एक जन्म में जन्म-जन्म के तलए श्रेष्ठ पद प्राप्त होने की
परमात्म-गारन्टी है और उस एक जन्म की पढ़ाई द्वारा एक जन्म भी पद प्राप्त कराने की
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 285 ]

कोई गारन्टी नहीं। आप तकिने भाग्यवान हो जो पद भी सवटश्रेष्ठ और एक जन्म की


पढ़ाई और अनेक जन्म पद की प्रातप्त! िो भाग्य है ना! चेहरे से तदखाई देिा है ? चलन
से तदखाई देिा है ? क्योंतक चाल से मनुष्य के हाल का पिा लगिा है। ऐसी चाल है
जो आपके इिने श्रेष्ठ भाग्य का हाल तदखाई देवे? या अभी साधारण लगिे हो? क्या
है? साधारणिा में महानिा तदखाई दे। जब आपके जड़ तचि अभी िक महानिा का
अनुभव करािे हैं। अब भी कै सी भी आत्मा को लक्ष्मी-नारायण वा सीिा-राम वा
देतवयाूँ बना देिे हैं िो साधारण व्यतक्त में भी महानिा का अनुभव कर तसर झुकािे हैं
ना। जानिे भी हैं तक यह वास्िव में नारायण वा राम आतद नहीं हैं , बनावटी हैं , तफर
भी उस समय महानिा को तसर झुकािे हैं, नमन-पज ू न करिे हैं। लेतकन आप िो स्वयं
चैिन्य देव-देतवयों की आत्माए हो। आप चैिन्य आत्माओ ं से तकिनी महानिा की
अनुभतू ि होनी चातहए! होिी है ? आपके श्रेष्ठ भाग्य को मन से नमस्कार करें , हाथ वा
तसर से नहीं। लेतकन मन से आपके भाग्य का अनुभव कर स्वयं भी खुशी में नाचें।
इिनी श्रेष्ठ पढ़ाई की प्रातप्त श्रेष्ठ भाग्य है। लोग पढ़ाई पढ़िे ही हैं इस जीवन के शरीर
तनवाटह अथट कमाई के तलए तजसको सोसट आफ इन्कम कहा जािा है। आपकी पढ़ाई
द्वारा सोसट आफ इन्कम तकिना है? मालामाल हो ना। आपकी इन्कम का तहसाब क्या
है? उनका तहसाब होगा लाखों में , करोड़ों में। लेतकन आपका तहसाब क्या है ?
आपकी तकिनी इन्कम है ? कदम में पद्म। िो सारे तदन में तकिने कदम उठािे हो और
तकिने पद्म जमा करिे हो? इिनी कमाई और तकसकी है ? तकिना बड़ा भाग्य है
आपका! िो ऐसे अपनी पढ़ाई के भाग्य को इमजट रूप में अनुभव करो। तकसी से पूछिे
हैं िो कहिे हैं-ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी िो हैं , बन िो गये हैं। लेतकन ब्रह्माकुमार
वा ब्रह्माकुमारी अथाटि् श्रेष्ठ भाग्य की लकीर मस्िक में चमकिी तदखाई दे। ऐसे नहीं
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 286 ]

तक ब्रह्माकुमार वा ब्रह्माकुमारी िो हैं लेतकन तमल जायेगा, कुछ िो बन ही जायेंगे,


चल िो रहे ही हैं, बन िो गये ही हैं...। बन गये हैं या भाग्य को देखकर के उड़ रहे हैं ?
इसमें बन िो गये हैं , बन ही रहे हैं , चल ही रहे हैं.... ये बोल तकसके हैं ? श्रेष्ठ भाग्यवान
के ये बोल हैं ? ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी अथाटि् म ज से मोहब्बि की जीवन
तबिाने वाले। ऐसे नहीं तक कभी मजबूरी, कभी मोहब्बि। जब कोई समस्या आिी है
िो क्या कहिे हो? चाहिे नहीं हैं लेतकन मजबूर हो गये हैं। भाग्यवान अथाटि् मजबूरी
खत्म, मोहब्बि से चलने वाले। चाहिे िो हैं लेतकन..... - ऐसी भाषा भाग्यवान ब्राह्मण
आत्माओ ं की नहीं है। भाग्यवान आत्माए मोहब्बि के झूले में म ज में उड़िी हैं। उड़िी
कला की म ज में रहिी हैं। मजबूरी उनके आगे आ नहीं सकिी। समझा? अपना श्रेष्ठ
ु द्वारा क्या भाग्य प्राप्त हुआ?
भाग्य मजट नहीं रखो, इमजट करो। िीसरी बाि-सिगरू
पहले िो महामन्ि तमला। सिगुरू का महामन्ि क्या तमला? पतवि बनो, योगी बनो।
जन्मिे ही यह महामन्ि सिगरू
ु द्वारा प्राप्त हुआ और यही महामन्ि सवट प्रातप्तयों की
चाबी सवट बच्चों को तमली। "योगी जीवन, पतवि जीवन" ही सवट प्रातप्तयों का आधार
है। इसतलए यह चाबी है। अगर पतवििा नहीं, योगी जीवन नहीं िो अतधकारी होिे हुए
भी अतधकार की अनुभूति नहीं कर सकें गे। इसतलए यह महामन्ि सवट खज़ानों के
अनुभूति की चाबी है। ऐसी चाबी का महामन्ि सिगुरू द्वारा सभी को श्रेष्ठ भाग्य में
तमला है और साथ-साथ सिगरू ु द्वारा वरदान प्राप्त हुए हैं। वरदानों की तलस्ट िो बहुि
लम्बी है ना! तकिने वरदान तमले हैं? इिने वरदानों का भाग्य प्राप्त है जो वरदानों से ही
सारी ब्राह्मण जीवन तबिा रहे हो और तबिा सकिे हो। तकिने वरदान हैं, तलस्ट का
मालूम है? िो वसाट भी है , पढ़ाई भी है, महामन्ि की चाबी और वरदानों की खान भी
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 287 ]

है। िो तकिने भाग्यवान हो! या तछपा कर रखा है , आगे चल अन्ि में खोलेंगे?
बहुिकाल से भाग्य की अनुभूति करने वाले अन्ि में भी पद्मापद्म भाग्यवान प्रत्यक्ष
होंगे। अब नहीं िो अन्ि में भी नहीं। अभी है िो अन्ि में भी है। ऐसे कभी नहीं सोचना
तक सम्पूणट िो अन्ि में बनना है। सम्पूणटिा की जीवन का अनुभव अभी से आरम्भ
होगा िब अन्ि में प्रत्यक्ष रूप में आयेंगे। अभी स्वयं को अनुभव हो, औरों को अनुभव
हो, जो समीप सम्पकट में आये हैं उन्हों को अनुभव हो और अन्ि में तवश्व में प्रत्यक्ष
होगा। समझा?

"आज बागवान बाप अपने चैिन्य बगीचे में वैरायटी प्रकार के फूलों को देख रहे हैं।
ऐसा रूहानी बगीचा बापदादा को भी कल्प में एक बार तमलिा है। ऐसा रूहानी बगीचा
रूहानी खुशबूदार फूलों की र नक और तकसी भी समय तमल नहीं सकिी। चाहे
तकिना भी नामीग्रामी बगीचा हो लेतकन इस बगीचे के आगे वो बगीचे क्या अनुभव
होंगे! यह हीरे िुल्य वो क ड़ी िुल्य। ऐसे चैिन्य ईश्वरीय बगीचे का रूहानी पष्ु प हूँ -
ऐसा नशा रहिा है ?

ब्रह्मा बाप बोले तक ऐसे बच्चों पर बाप की नज़र गई है तक तजनके तलए दुतनया वालों
का यह सोचना भी असम्भव है तक ऐसी आत्मायें भी श्रेष्ठ बन सकिी हैं। जो दुतनया
की नजरों में अति साधारण आत्मायें हैं उन्हों को बापदादा ने अपने नैनों के नूर बना
तलया है। तबल्कुल ही नाउम्मीद आत्माओ ं को तवश्व के आगे सवटश्रेष्ठ आत्मायें बना
तदया है। िो बापदादा अपनी सेना के महावीरों को, अस्त्रधारी आत्माओ ं को देख रहे
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 288 ]

थे तक क न-क न आलमाइटी अथाटी पाण्िव सेना में मैदान पर उपतस्थि हैं। क्या
देखा होगा? तकिनी वण्िरफुल सेना है! दुतनया के तहसाब से अनपढ़ तदखाई देिे हैं
लेतकन पाण्िव सेना में टाइटल तमला है - 'नालेजफुल'। सभी नालेजफुल हो ना?
शरीर से चलना, उठना भी मुतश्कल है लेतकन पाण्िव सेना के तहसाब से सेकण्ि में
परमधाम िक पहुूँच कर आ सकिे हैं। वे िो एक तहमालय के ऊपर झण्िा लहरािे हैं
लेतकन तशव शतक्त पाण्िव सेना ने िीनों लोकों में अपना झण्िा लहरा तदया है। भोले
भाले लेतकन ऐसे चिुर सज
ु ान हैं जो तवतचि बाप को भी अपना बना तदया है। िो ऐसी
सेना को देख बापदादा मुस्करा रहे थे। चाहे देश में चाहे तवदेश में सच्चे ब्राह्मण तफर
भी साधारण आत्मायें ही बनिे हैं। जो विटमान समय के वी. आई. पीज. गाये जािे ,
सबकी नजरों में हैं लेतकन बाप की नजरों में क न हैं ? वे नामीग्रामी, कतलयुगी
आत्माओ ं द्वारा स्वाथट के कारण गाये जािे वा माने जािे हैं। उन्हों की अल्पकाल की
कतलयुगी जमाने की मतहमा है। अभी-अभी मतहमा है , अभी-अभी नहीं है। लेतकन
आप संगमयुगी पाण्िव सेना के पाण्िव और शतक्तयों की मतहमा सारा कल्प ही
कायम रहिी है क्योंतक अतवनाशी बाप के मुख द्वारा जो मतहमा गाई जािी वह
अतवनाशी बन जािी है। िो तकिना नशा रहना चातहए! जैसे आजकल की दुतनया में
कोई नामीग्रामी श्रेष्ठ आत्मा गरू
ु के रूप में मानिे हैं जैसे तजनको ल तकक गरू
ु भी
अगर कोई बाि तकसको कह देिे हैं िो समझिे हैं गुरू ने कहा है िो वह सत्य ही होगा।
और उसी फलक में रहिे हैं। तनश्चय के आधार पर नशा रहिा है। ऐसे ही सोचो आपकी
मतहमा क न करिा है ? वरदािा कहो, तवधािा कहो, भाग्यदािा कहो, ऐसे बाप द्वारा
आप श्रेष्ठ आत्माओ ं को तकिने टाइटल तमले हुए हैं! दुतनया में तकिने भी बड़े-बड़े
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 289 ]

टाइटल हों लेतकन आप श्रेष्ठ आत्माओ ं के एक टाइतटल के आगे वह अनेक टाइतटल्स


भी कुछ नहीं हैं। ऐसी खुशी रहिी है?

सच्चे ब्राह्मणों के िकदीर की लम्बी लकीर - 21 जन्मों के तलए:- तकिने भाग्यवान हो


जो भगवान के साथ तपकतनक कर रहे हो! ऐसा कब सोचा था - तक ऐसा तदन भी
आयेगा जो साकार रूप में भगवान के साथ खायेंगे, खेलेंगे, हंसेंगे... यह स्वप्न में भी
नहीं आ सकिा लेतकन इिना श्रेष्ठ भाग्य है जो साकार में अनुभव कर रहे हो। तकिनी
श्रेष्ठ िकदीर की लकीर है - जो सवट प्रातप्त सम्पन्न हो। वैसे जब तकसी को िकदीर
तदखािे हैं िो कहेंगे इसके पास पुि है, धन है, आयु है लेतकन थोड़ी छोटी आयु है...
कुछ होगा कुछ नहीं। लेतकन आपके िकदीर की लकीर तकिनी लम्बी है। 21 जन्म
िक सवट प्रातप्तयों के िकदीर की लकीर है। 21 जन्म गारन्टी है और बाद में भी इिना
दुख नहीं होगा। सारे कल्प का प ना तहस्सा िो सख ु ही प्राप्त होिा है। इस लास्ट जन्म
में भी अति दुखी की तलस्ट में नहीं हो। िो तकिने श्रेष्ठ िकदीरवान हुए! इसी श्रेष्ठ िकदीर
को देख सदा हतषटि रहो।

हम अल्लाह के बगीचे के पुष्प हैं - इस स्वमान में रहो- सदा अपने को बापदादा के
अथाटि् अल्लाह के बगीचे के फूल समझकर चलिे हो? सदा अपने आप से पूछो तक
मैं रूहानी गुलाब बन सदा रूहानी खुशबू फैलािा हूँ? जैसे गुलाब की खुशबू सबको
मीठी लगिी है , चारों ओर फैल जािी है , िो वह है स्थूल, तवनाशी चीज और आप
सब अतवनाशी सच्चे गल ु ाब हो।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 290 ]

सदा इसी स्वमान में रहो तक हम अल्लाह के बगीचे के पष्ु प बन गये - इससे बड़ा
स्वमान और कोई हो नहीं सकिा। 'वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य' - यही गीि गािे रहो।
भोलानाथ से स दा कर तलया िो चिुर हो गये ना! तकसको अपना बनाया है? तकससे
स दा तकया है ? तकिना बड़ा स दा तकया है ? िीनों लोक ही स दे में ले तलए। आज
की दुतनया में सबसे बड़े िे बड़ा कोई भी धनवान हो लेतकन इिना बड़ा स दा कोई नहीं
कर सकिा, इिनी महान आत्मायें हो - इस महानिा को स्मृति में रखकर चलिे चलो।

देखो, सारे तवश्व में बापदादा के सम्बन्ध का प्रैतक्टकल में अनुभव करने वाले तकिने
और क न हैं! िो आप सभी प्रत्यक्ष प्रमाण हो, तदल से प्यार है और प्यार की पालना
से आगे से आगे बढ़ रहे हैं।

मायाजीि बनने के तलए स्वमान की सीट पर रहो:- सदा स्वयं को स्वमान की सीट पर
बैठा हुआ अनुभव करिे हो? पण्ु य आत्मा हैं, ऊूँचे िे ऊूँची ब्राह्मण आत्मा हैं , श्रेष्ठ
आत्मा हैं, महान आत्मा हैं, ऐसे अपने को श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर अनुभव करिे हो?
कहाूँ भी बैठना होिा है िो सीट चातहए ना! िो सगं म पर बाप ने श्रेष्ठ स्वमान की सीट
दी है, उसी पर तस्थि रहो। स्मृति में रहना ही सीट वा आसन है। िो सदा स्मृति रहे तक
मैं हर कदम में पण्ु य करने वाली पण्ु य आत्मा हूँ। महान सक
ं ल्प, महान बोल, महान
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 291 ]

कमट करने वाली महान आत्मा हूँ। कभी भी अपने को साधारण नहीं समझो। तकसके
बन गये और क्या बन गये ? इसी स्मृति के आसन पर सदा तस्थि रहो।

जैसे समय महान है वैसे आप भी महान आत्मा हो - क्योंतक बापदादा द्वारा हर बच्चे
को महान आत्मा बनने का वसाट तमला है। िो स्वयं के महत्व को भी जानकर हर
ं ल्प, हर बोल और हर कमट महान करो। सदा इसी स्मृति में रहो तक हम 'महान बाप
सक
के बच्चे महान हैं।' इससे ही तजिना श्रेष्ठ भाग्य बनाने चाहो बना सकिे हो।

आप सभी ब्राह्मण आत्माओ ं का तवश्व के मंच पर हीरो और हीरोइन का पाटट है।

यह ऐसे-ऐसे करिे भी तकिना समय चला जािा है। ऐसे ही नहीं लेतकन हीरे जैसे हैं। िो
अपने मूल्य को जानो। आपके जड़ तचिों का तकिना मूल्य है। एक सेकण्ि के दशटन
का भी मूल्य है। आपके एक सक ं ल्प का भी इिना मूल्य है जो आज िक उसको वरदान
के रूप में माना जािा है। भक्त लोग यही कहिे हैं तक एक सेकण्ि का तसफट दशटन दे
दो। िो दशटन 'समय' की वैल्यु है, वरदान 'सक
ं ल्प' की वैल्यु, आपके बोल की वैल्यु
- आज भी दो वचन सनु ने के तलए िड़पिे हैं। आपके दृति की वैल्यु आज भी नज़र से
तनहाल कर लो, ऐसे पुकारिे रहिे हैं। आपके हर कमट की वैल्यु है। बाप के साथ श्रेष्ठ
कमट का वणटन करिे गद्गद् होिे हैं। िो इिना अमूल्य है आपका हर सेकण्ि, हर सक
ं ल्प।
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 292 ]

बापदादा मेला मनाने वाले , स्नेह पाने के भाग्यशाली आत्माओ ं को देख हतषटि हो रहे
हैं तक सारे इिने तवशाल तवश्व में अथाह सख्ं या के बीच कै सी-कै सी आत्माओ ं ने तमलन
का भाग्य ले तलया! तवश्व के आगे ना उम्मीदवार आत्माओ ं ने अपनी सवट उम्मीदें पण ू ट
करने का भाग्य ले तलया। और जो तवश्व के आगे नामीग्रामी उम्मीदवार आत्मायें हैं वह
सोचिी और खोजिी रह गई। खोजना करिे -करिे खोज में ही खो गये। और आप
स्नेही आत्माओ ं ने स्नेह के आधार पर पा तलया। िो श्रेष्ठ क न हुआ? कोई शास्त्राथट
करिे शास्त्र में ही रह गये। कोई महात्मायें बन आत्मा और परमात्मा की छोटी सी
भ्रातन्ि में अपने भाग्य से रह गये। बच्चे बन बाप के अतधकार से वंतचि रह गये। बड़े-
बड़े वैज्ञातनक खोजना करिे उसी में खो गये। राजनीतिज्ञ योजनायें बनािे -बनािे रह
गये। भोले भक्त कण-कण में ढूूँढिे ही रह गये। लेतकन पाया तकन्हों ने ? भोलेनाथ के
भोले बच्चों ने। बड़े तदमाग वालों ने नहीं पाया लेतकन सच्ची तदल वालों ने पाया।
इसतलए कहावि है - सच्ची तदल पर साहब राजी। िो सभी सच्ची तदल से
तदलिख्िनशीन बन सकिे।

ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी बनना अथाटि् स्वगट के वसे के अतधकार की अतवनाशी


स्टै म्प लग जाना। सारे तवश्व से ऐसा अतधकार पाने वाली सवट आत्माओ ं में से कोई
आत्मायें ही तनकलिी हैं। इसतलए ब्रह्माकुमार-कुमारी बनना कोई साधारण बाि नहीं
समझना। ब्रह्माकुमार-कुमारी बनना ही तवशेषिा है और इसी तवशेषिा के कारण
तवशेष आत्माओ ं की तलस्ट में आ जािे हैं।

आप क न हो? इस सगं मयुग के हीरो पाटट धारी अथाटि् तवशेष आत्मायें।


अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 293 ]

ऐसे कोटों में कोई भाग्य तवधािा के सम्मुख सम्पकट में आिे हैं। अभी समय आने पर
यह अपना भाग्य स्मृति में आयेगा। आतद तपिा को पाना - यह है भाग्य की श्रेष्ठ
तनशानी।

बापदादा सभी बच्चों को देख हर बच्चे के विटमान लगन में मगन रहने की तस्थति,
और भतवष्य प्रातप्त को देख हतषटि हो रहे हैं। क्या थे , क्या बने हैं और भतवष्य में भी
क्या बनने वाले हैं। हरे क बच्चा तवश्व के आगे तवशेष आत्मा है। हर एक के मस्िक पर
भाग्य का तसिारा चमक रहा है।

SELF RESPECT DIRECT TITLES

मैं योगी हूँ| मैं सगं मयुगी बेपरवाह बादशाह हूँ|


मैं पारस हूँ| मैं इस समय इस शरीर का मातलक हूँ|
मैं शतक्त ह|ूँ मैं देने वाले दािा का बच्चा हूँ|
मैं तवजयी ह|ूँ मैं तवश्व में ब्राह्मण चोटी हूँ|
मैं अनन्य हूँ| मैं करनहार हूँ, करावनहार बाप है|
मैं पूवटज ह| मैं श्रेष्ठ गुणों का स्वरूप हूँ|
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 294 ]

मैं रचतयिा हूँ| मैं ही कल्प-कल्प का सहजयोगी हूँ|


मैं योद्धा हूँ| मैं सदा बाप की हूँ, बेहद की हूँ|
मैं बाप का हूँ| मैं इस कायट-अथट अविररि हुई हूँ|
मैं तवदेशी हूँ| मैं समथट बाप की समथट आत्मा हूँ|
मैं अजटनु हूँ| मैं सदा बाप के साथ कम्बाइण्ि हूँ|
मैं महावीर हूँ| मैं िस्टी हूँ, बन्धन मुक्त हूँ|
मैं बादशाह हूँ| मैं न्यारा और बाप का प्यारा हूँ|
मैं सहयोगी हूँ| मैं परमात्म-आज्ञाकारी बच्चा हूँ'|
मैं "तकसका हूँ"| मैं परमात्म कायट के तनतमर्त् हूँ|
मैं राजयोगी हूँ| मैं तबन्दु-तबन्दु की ही सिं ान हूँ|
मैं ररचेस्ट हूँ| मैं मास्टर मयाटदा पुरुषोर्त्म हूँ|
मैं मायापति हूँ| मैं चैिन्य सवटश्रेष्ठ मूतिट हूँ|
मैं तशवशतक्त हूँ| मैं ईश्वरीय वा खदु ाई-तखदमिगार हूँ|
मैं सेवाधारी ह|ूँ मैं सदा अपने को सम्पन्न आत्मा हूँ|
मैं नॉलेजफुल हूँ| मैं तवश्व के मातलक का मैं बालक हूँ|
मैं चिुभटुज हूँ| मैं तदव्य जीवन वाली ब्राह्मण आत्मा|
मैं लाइट-रूप हूँ| मैं स्वयं तवश्व की आधार मूर्त्ट हूँ|
मैं सन्िुि हूँ| मैं सबसे दुआयें लेने वाली आत्मा हूँ|
मैं हूँ ही मातलक| मैं मास्टर ज्ञान सयू ट प्रकाशमय हूँ|
मैं राजदुलारा हूँ| मैं हीरो, सच्चा हीरो, महान हीरो हूँ|
मैं सयू टवश
ं ी हूँ| मैं आत्मा हूँ, तशवबाबा का बच्चा हूँ|
मैं कम्बाइण्ि हूँ| मैं परमधाम तनवासी श्रेष्ठ आत्मा हूँ|
मैं सतवटसएबुल हूँ| मैं प्रभु का प्यारा जग का प्यारा ह|ूँ
मैं युगल मूिट हूँ| मैं तवशेष पाटट बजाने वाली आत्मा हूँ|
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 295 ]

मैं तवजयी रत्न हूँ| मैं तनतमर्त् सेवाधारी पण्ु य आत्मा हूँ|
मैं धमट-आत्मा हूँ| मैं इस समय अविार हूँ, धमट स्थापक ह|ूँ
मैं हूँ ही सहजयोगी| मैं बाप के वसे की अतधकारी आत्मा हूँ|
मैं गले का हार हूँ| मैं आत्मा भृकुटी के अकालिख्िनशीन हूँ!|
मैं सख ु स्वरूप हूँ| मैं व्यवहारी और परमाथी कम्बाइन्ि हूँ|
मैं जगि की मािा हूँ| मैं अतवनाशी बगीचे का अतवनाशी गल ु ाब हूँ|
मैं सहं ार मूिट हूँ| मैं महावीर हूँ, मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ,|
मैं आत्मा पुरूष हूँ| मैं स्वराज्य अतधकारी बेतफक्र बादशाह हूँ|
मैं महान् आत्मा हूँ| मैं कमल पष्ु प समान न्यारी और प्यारी हूँ|
मैं सदा सहु ातगन हूँ| मैं उड़िी कला में जाने वाला उड़िा पंछी हूँ|
मैं बहुि महावीर हूँ| मैं वही पांिव हूँ, अनेक बार की तवजयी हूँ|
मैं पूज्य आत्मा हूँ| मैं तवकारों को अधीन तकया हुआ अतधकारी हूँ|
मैं ज्ञानस्वरूप हूँ| मैं सदा रूह और सप्रु ीम रूह कम्बाइन्ि हूँ|
मैं ज्ञानी आत्मा हूँ| मैं जो हूँ और जैसा हूँ, वैसा ही बाप का हूँ|
मैं मास्टर सयू ट हूँ| मैं भाग्यतवधािा बाप का बच्चा भाग्यवान हूँ|
मैं ब्रह्माकुमार हूँ| मैं दािा का बच्चा अखण्ि महादानी आत्मा हूँ|
मैं तवशे ष आत्मा हूँ,| मैं बेहद की स्टे ज के बीच पाटट बजा रही हूँ|
मैं तवघ्न-तवनाशक हूँ| मैं तवश्व-पररविटन करने वाली पतिि-पावनी हूँ|
मैं आनन्द स्वरूप हूँ| मैं आत्मा हूँ, तबन्दु हूँ, ज्योतिस्वरूप हूँ|
मैं अशरीरी आत्मा ह|ूँ मैं तबन्दी हूँ, ज्योति हूँ, शान्िस्वरूप हूँ|
मैं बाप का बच्चा हूँ| मैं बाप का हूँ जैसा बाप वैसा मैं मास्टर हूँ|
मैं रूहानी गुलाब हूँ| मैं परमधाम में अनातद ज्योतितबन्दु स्वरूप हूँ|
मैं तसतद्ध स्वरुप हूँ| मैं दुआयें लेने का कायट करने वाली आत्मा हूँ|
मैं रूहानी यािी हूँ मैं पुरूषोर्त्म सगं मयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण हूँ|
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 296 ]

मैं मरु ब्बी बच्चा हूँ| मैं पतिि-पावनी, आसरु ी-पतिि सस्ं कार सहं ारी ह|ूँ
मैं मास्टर रचतयिा हूँ| मैं स्नेह के सिू में तपरोया हुआ मैं मणका हूँ|
मैं बालक सो मातलक हूँ| मैं बाप की श्रीमि पर चलने वाली तवशेष आत्मा हूँ|
मैं मास्टर तशक्षक हूँ| मैं बेहद बाप और बेहद वसे का बालक सो मातलक हूँ|
मैं बाप का शृंगार हूँ| मैं एक का हूँ एक की श्रेष्ठ मि पर चलने वाला हूँ|
मैं सहजयोगी आत्मा हूँ| मैं श्रेष्ठ आत्मा अनेक बार इसकी िख्िनशीन बनी हूँ|
मैं गॉिली स्टूिेन्ट हूँ मैं करावनहार के आधार पर मैं तनतमर्त् करने वाला हूँ
मैं फररश्िा चल रहा हूँ| मैं वल्िट आलमाइटी अथॉररटी की अतधकारी आत्मा हूँ,|
मैं महाकाली स्वरूप हूँ| मैं बाप के साथ पाटट बजाने वाली श्रेष्ठ आत्मा ह|ूँ
मैं पूज्य मूतर्त्ट हूँ| मैं तवश्व-कल्याणकारी हूँ, महादानी हूँ, वरदानी हूँ|
मैं खुशी का देविा हूँ!| मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ, सवटशतक्तवान की सन्िान हूँ|
मैं िो बहुि स्नेही हूँ| मैं अनातद बाप के वंश सम्पूणट सिोप्रधान आत्मा हूँ|
मैं कमटयोगी आत्मा हूँ | मैं श्रेष्ठ आत्मा मातलक भी हूँ और तफर बालक भी हूँ|
मैं हीरो पाटट धारी हूँ| मैं सहनशील का देविा हूँ, मैं सहनशीलिा की देवी हूँ|
मैं देने वाली दािा हूँ| मैं बाप की छिछाया में रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ|
मैं सफलिा का तसिारा हूँ| मैं ऊंची स्टे ज पर तस्थि रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा ह|ूँ
मैं िख्िनशीन आत्मा हूँ'| मैं बाप समान सम्पन्न सवट खजानों से भरपरू आत्मा हूँ|
मैं ज्योतितबटन्दु हूँ| मैं तनराकार सो साकार के आधार से यह कायट कर रहा हूँ|
मैं अव्यक्त फररश्िा ह|ूँ मैं आकारी फररश्िा हूँ और तनराकारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ|
मैं वल्िट सवेन्ट हूँ| हर कल्प मैं फररश्िे स्वरूप में ये पाटट बजा चुकी हूँ|
मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ| मैं एकरस तस्थति का अनभ ु व करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ|
मैं स्विन्ि आत्मा हूँ| मैं करनहार वह करावनहार है वह चला रहा, मैं चल रहा हूँ|
मैं तवशेष पाटट धारी ह|ूँ मैं पूज्य आत्मा इस शरीर रूपी मतन्दर में तवराजमान हूँ|
मैं आत्मा तबन्दु रूप हूँ| मैं सवट आत्माओ ं से श्रेष्ठ से श्रेष्ठ महान आत्मा ह|ूँ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 297 ]

मैं तनवारण करने वाली हूँ| मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ पज्ू य आत्मा हूँ तवशे ष आत्मा हूँ|
मैं िबल लाइट फररश्िा हूँ| मैं ब्राह्मण ऊूँ चे िे ऊूँ चे धमट , कमट और पररवार का हूँ|
मैं परम पतवि आत्मा हूँ| मैं बापदादा के साथ-साथ मैं श्रेष्ठ शतक्तशाली आत्मा हूँ|
मैं बाप का नूरे रत्न हूँ| मैं ब्राह्मण ऊंचे से ऊंची आत्मा हूँ, श्रेष्ठ आत्मा हूँ|
मैं ईश्वरीय सतवटस पर हूँ| मैं रूह हूँ, सदा सप्रु ीम रूह की छिछाया में चल रहा हूँ|
मैं राज्यपद पाने वाली हूँ| मैं यह कमट-इतन्ियाूँ मेरे कमटचारी हैं, मैं मातलक हूँ|
मैं हूँ ही तवश्व-पररविटक| मैं सदा बाप के स्नेह के पीछे कुबाटन जाने वाली आत्मा हूँ|
मैं तदलिख्िनशीन आत्मा हूँ| मैं परमात्मा का प्यारा हूँ, परमात्म-प्यार का अतधकारी हुूँ|
मैं स्वदशट न चक्रधारी हूँ| मैं तबन्दु बाप में समाया हुआ हूँ स्नेह में समाया हुआ हूँ|
मैं बाप के गले का हार हूँ| मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ मैं आत्मा शान्ि, सख ु , आनदं स्वरूप हूँ|
मैं हल्का हूँ, न्यारा हूँ| मैं जो हूँ जैसा हूँ अथाटि् जो आतद-अनातद श्रेष्ठ स्वरूप हूँ|
मैं मास्टर ज्ञान-सयू ट हूँ| मैं कल्प पहले वाला बाप का बच्चा ह,ूँ वाररस ह,ूँ
अतधकारी ह'ूँ |
मैं फररश्िा बाि कर रहा हूँ| मेरे तलये बाप टीचर बनकर आये हैं मैं स्पेशल लािला
स्टूिेन्ट ह|ूँ
मैं कल्प-कल्प की तवजयी मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ, िख्िनशीन आत्मा ह,ूँ तवश्व कल्याणी
हूँ| आत्मा|
मैं मास्टर ज्ञान सयू ट हूँ| मैं तिलकधारी हूँ, मैं तवश्व कल्याण के तजम्मेवारी का
िाजधारी ह|ूँ
मैं शुद्ध पतवि आत्मा हूँ| मैं ज्योतितबन्दु इन कमेतन्ियों द्वारा यह कमट कराने वाला हूँ|
मैं सदा भाग्यवान आत्मा हूँ| मैं ज्योति-तबन्दु वा श्रेष्ठ आत्मा हूँ ब्रह्माकुमार वा कुमारी ह|ूँ
मैं कल्प-कल्प का तवजयी मैं ब्राह्मण आत्मा राज्य सर्त्ा और धमट सर्त्ा की अतधकारी
हूँ| आत्मा ह|ूँ
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 298 ]

मैं रचतयिा बाप का बच्चा मैं स्वदशटन चक्रधारी हूँ, मैं नरू े रत्न हूँ, मैं तदलिख्िनशीन हूँ|
हूँ|
मैं तनराकारी और अलंकारी मैं आत्मा अब इस पुरानी सतृ ि में वा इस पुराने शरीर में
हूँ| मेहमान हूँ|
मैं ऊंच िे ऊंच ब्राह्मण हूँ| मैं अमर हूँ, अमर बाप का बच्चा हूँ, अमरपद प्राप्त करने
वाली आत्मा हूँ|
मैं मास्टर सवटशतक्तवान हूँ| मैं अशरीरी और परमधाम का तनवासी हूँ अथवा अव्यक्त
रूप में अविररि हुई हूँ|
मैं हाईएस्ट और होलीएस्ट हूँ| सारे तवश्व के अन्दर ब्रह्माण्ि और तवश्व का मातलक बनने
वाली मैं आत्मा हूँ|
मैं भगवान का तवद्याथी हूँ| मैं बाप-समान शतक्तयों का स्वरूप तदखाने वाला हूँ - अथाटि्
शतक्त स्वरूप हूँ|
मैं बाप की स्नेही आत्मा हूँ| मैं सारथी अथाट ि् सवट को चलाने वाली न्यारी और प्यारी
तस्थति में तस्थि हूँ|
मैं मास्टर तिकालदशी हूँ| मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ, पतवि आत्मा हूँ, महान आत्मा हूँ,
भाग्यवान आत्मा हूँ,|
मैं आत्मा परमधाम तनवासी मैं शान्ि स्वरूप आत्मा हूँ, शातन्ि के सागर का बच्चा हूँ
हूँ| शातन्ि तप्रय आत्मा हूँ|
मैं सदा स्वमानधारी आत्मा मैं करावनहार आत्मा हूँ, मातलक हूँ, तवशेष आत्मा, मास्टर
हूँ| सवटशतक्तवान आत्मा हूँ,|
मैं बच्चा हूँ, बाप के साथ हूँ| मैं तकिनी ऊंच-िे-ऊंच बाप की वही आत्मा हूँ और वही
बाप समाम बनने के लक्ष्यधारी हूँ|
मैं मास्टर तिमूतिट तशव ह|ूँ मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ, िायरेक्ट बाप की सन्िान ह,ूँ बेहद के
प्रॉपटी की अतधकारी हूँ|
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 299 ]

मैं मातलकपन की सीट पर मैं अविार हूँ अथाट ि् मैं अविररि हुई हूँ, अभी मैं ब्राह्मण हं
सेट हूँ| और तफर मैं देविा बनूंगी|
मैं हर कल्प की पूजा आत्मा मैं ही कल्प पहले वाली भाग्यवान आत्मा थी, अब भी हूँ
हूँ| और तफर भी बनूँगू ी - ऐसी भाग्यवान आत्मा हूँ|
मैं कल्प-कल्प का मैं स्वराज्य अतधकारी ह,ूँ मास्टर सवटशतक्तवान हूँ, बाप द्वारा
भाग्यवान हूँ| वसाट और वरदान का अतधकारी हूँ,|
मैं सवट खज़ानें की मैं फररश्िा तनतमर्त् इस कायट अथट पथ्ृ वी पर पाूँव रख रहा हूँ,
अतधकारी हूँ| लेतकन मैं हूँ अव्यक्त देश का वासी|
मैं हूँ ही ओरीजनल पतवि मैं आत्मा िो हूँ लेतकन क न सी आत्मा हूँ? कभी आातटट स्ट
आत्मा| की आत्मा हूँ, कभी तबजनेसमैन की आत्मा हूँ|
मैं आतद-अनातद पतवि मैं परमात्म रचना इस वक्ष ृ के जड़ में बैठी हुई पवू टज और
आत्मा हूँ| पूज्य आत्मा हूँ, इस स्मृति का तिलकधारी हूँ|
मैं सयू टमतण भी हूँ - शतक्त मैं तवशेष आत्मा, स्वमानधारी आत्मा, बापदादा की पहली
रूप| रचना श्रेष्ठ आत्मा, बापदादा के तदलिख्िनशीन हूँ|
मैं चन्िमतण भी हूँ - शीिल मैं पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा हूँ, मैं आतद रचना वाली
रूप| आत्मा हूँ, मैं बाप के तदलिख्िनशीन होने वाली आत्मा हूँ|
मैं लवली भी हूँ और लक्की मैं सवटश्रेष्ठ अथाटि् कोटों में कोई आत्मा हूँ, मैं देव आत्मा,
भी हूँ| महान आत्मा, ब्राह्मण आत्मा, तवशे ष पाटट धारी आत्मा हूँ|
मैं आत्मा महादानी और मैं अशरीरी आत्मा शरीर के बंधन से न्यारी ह,ूँ कमट करने के
वरदानी हूँ| तलए कमट में आिी हूँ और कमट समाप्त कर कमट-सम्बन्ध से
न्यारी हो जािी हूँ|
मैं मास्टर वरदािा बन वरदािा से वरदान लेने वाली श्रेष्ठ
आत्मा हूँ, िायरेक्ट भाग्यतवधािा द्वारा भाग्य प्राप्त करने
वाली पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा हूँ|
अव्यक्त मरु ली स्वमान (1969 to 2017) [ 300 ]

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