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सामा जक ग तशीलता

य , प रवार या अ य ेणी के लोग का समाज के


एक वग (strata) से सरे वग म ग त सामा जक
ग तशीलता (Social mobility) कहलाती है। इस
ग त के प रणाम व प उस समाज म उस या
प रवार क सर के सापे सामा जक थ त ( टै टस)
बदल जाता है।

प रचय
सामा जक ग तशीलता से अ भ ाय का एक
थान से सरे थान तक प ँचने से होता है। जब एक
थान से सरे थान को जाता है तो उसे हम
साधारणतया आम बोलचाल क भाषा म ग तशील होने
क या मानते ह। परंतु इस कार क ग तशीलता का
कोई मह व समाजशा ीय अ ययन म नह है।
समाजशा ीय अ ययन म ग तशीलता से ता पय एक
सामा जक व था म एक थ त से सरे थ त को पा
लेने से है जसके फल व प इस तरीकृत सामा जक
व था म ग तशील का थान उँचा उठता है व
नीचे चला जाता है। एक थान से उपर उठकर सरे
थान को ा त कर लेना, जो उससे उँचा है, न संदेह
ग तशीलता है। सरल श द म यह कहा जा सकता है क
समाजशा म सामा जक ग तशीलता का अ भ ाय है
कसी , समूह या ेणी क त ा म प रवतन।

ायः इस कार क ग तशीलता का उ लेख मोटे तौर


पर वसा यक े तथा समा जक वग म प रवतन से
होता है। अ सर सामा जक ग तशीलता को इस समाज
म मु या पछड़ेपन का ोतक माना जाता है।
सामा जक ग तशीलता के अ ययन म ग तशीलता क
दर, व क नयु भी शा मल क जाती है। इस
संदभ म एक पीढ़ से सरे पीढ़ के सामा जक संदभ के
तहत प रवार के सद य का आदान- दान या ऊँचा
उठना व नीचे गरना शा मल है। एस एम लपसेट तथा
आर ब ड स का मानना था क औ ो गक समाज के
वा म व के लए सामा जक ग तशीलता आव यक है।
जे एच गो ड थोप ने इं लड म सामा जक ग तशीलता
क चचा करते ए इसके तीन मह वपूण वशेषता क
बात क है-

(क) पछले 50 साल म ग तशीलता के दर म यादा


वृ ई है।
(ख) मज र वग क थ त म म यम तथा उ च
थ त म काफ प रव न आया है।
(ग) उ च थान तथा म यम तर पर ग तशीलता म
यादा लचीलापन दे खने म आया है।

सामा जक ग तशीलता के कार


पी सोरो कन ने सामा जक ग तशीलता के न न दो
कार का उ लेख कया है-

(क) ै तज सामा जक ग तशीलता (Horizontal


Social Mobility)
(ख) लंबवत सामा जक ग तशीलता (Vertical
Social Mobility)
(अ) लंबवत उप रमुखी ग तशीलता
(आ) लंबवत अधोमुखी ग तशीलता

ै तज सामा जक ग तशीलता
जब एक का थाना तरण एक ही तर पर एक
समूह से सरे समूह म होता है तो उसे ै तज सामा जक
ग तशीलता कहते है। इस कार क ग तशीलता म
का पद वही रहता है केवल थान म प रव न
आता है। उदाहरण के लए यह कहा जा सकता है क
सरकारी द तर म कई बार टन तबादले होते ह
जसम एक श क जो एक शहर म पढ़ा रहे थे, उ ह
उस शहर से तबादला कर सरे शहर म भेज दया जाता
है। इसी कार सेना म काम कर रहे जवान का भी एक
थान से सरे थान पर भेजा जाना बना कसी
पदो त के एक टन तबादला है।

लंबवत सामा जक ग तशीलता

जब कसी को एक पद से उपर या नीचे क


थ त पर काम करने के लए कहा जाता है तो वह
लंबवत सामा जक ग तशीलता कहलाती है। उदाहरण के
लए एक श क को पदो त कर उसे सपल बना
दे ना तथा एक सूबेदार को सेना म तर क दे कर उसे
कै टे न का पद दे ना लंबवत सामा जक ग तशीलता के
उदाहरण ह। लंबवत सामा जक ग तशीलता म अगर पद
म उ त हो cसकती है तो पद म गरावट भी दे खी जा
सकती है। उदाहरण के लए कै टे न के पद से हटाकर
वापस एक जवान को सूबेदार बना दे ना भी संभव है जो
लंबवत सामा जक ग तशीलता के उदाहरण माने जा
सकते ह। लंबवत सामा जक ग तशीलता के दो उप
कार ह-U J

लंबवत उप रमुखी ग तशीलता

इस कार क ग तशीलता लंबवत सामा जक


ग तशीलता का ही उप कार है जहाँ एक ही दशा म
अथात पदो ती या तर क क थ त होती है। पदो त
के बाद एक कूल श क का सपल बनाया जाना
तथा एक सेना के जवान का सूबेदार के पद से कै टन
बनाया जाना लंबवत उप रमुखी ग तशीलता के उदाहरण
ह।

लंबवत अधोमुखी ग तशीलता

यह भी एक लंबवत सामा जक ग तशीलता का उप-


कार है परंतु इसम पदो त के बजाय पद म गरावट
आती है। अगर एक सपल को श क पद पर काम
करने के लए कहा जाय और इसी कार एक सेना के
जवान को कै टे न से हटाकर हवलदार बना दया जाये तो
ये उदाहरण ह लंबवत अधोमुखी ग तशीलता के।

इस कार सामा जक ग तशीलता ने मु य प से इन दो


कार क चचा क गयी है। ुम तथा से जनीक ने
त ा मक उपागम (Reputational approach) के
ारा दोन व तु न तथा आ म न उपागम के व भ
पहलु पर सामा जक थ त म प रव न का अ ययन
कये जाने पर बल दया है। उनका कहना था क ब त
से समाजशा ीय अ ययन म भी इसका वणन कया
गया है। एक प रवार म भी पता और पु के बीच के
वसाय से संबं धत दोन के पद म अंतर पाये जाते ह।
अगर पु का वसा यक पद अपने पता के अपे ाकृत
ऊँचा हो जाता है और कालांतर म उस पु के पु का भी
वसा यक पद अपने पता से ऊँचा हो जाये तो इस
कार के पदो ती को वंशानुगत ग तशीलता
(Generational Mobility) कहा जा सकता है। इस
कार वसा यक े म जो पद म तर क आती है
उसका अ ययन कर उसके जीवन-वृ म ग तशीलता
(Career Mobility) का समाजशा ीय अ ययन
त ा मक उपागम के आधार पर कया जा सकता है।
यह बताना भी आसान हो जाता है क एक प रवार क
जीवनवृ म ग तशीलता क दर तथा उसक दशा
कस तरफ रही है।

क सले डे वस ने सामा जक ग तशीलता के अ ययन म


जा त तथा वग से संबं धत पद म प रव न का अ ययन
कया है। उनका मानना था क जा त और वग
सामा जक ग तशीलता के अ ययन के दो मह वपूण
उदाहरण ह। जहाँ जा त म ग तशीलता नह होती है वह
वग म ग तशीलता पायी जाती है।

भारतीय संदभ म एम एन ी नवास ने जा त म


ग तशीलता का सां कृ तकरण (Sanskritisation)
क अवधारणा के ारा व तार से अ ययन कया है।
उनका यह मानना था क जा त मे सामा जक थ त य
तो सभी क ज म से नधा रत होती है जो थायी होती है
परंतु त ा मक उपागम के आधार पर कई न न जा त
के लोग अपनी थ त को उपर उठाने के लए कई
तरीक का इ तेमाल करते ह ता क वे उ च जा त के
लोग के समक आ सक। इस कार अपनी थ त को
उपर उठाने क को शश अ सर न न तरीय जा त के
लोग म पायी जाती है। उ ह ने यह पाया क न न जा त
के लोग अ सर ऊँची जा त के लोग के वहार से तथा
च लत सां कृ तक नयम के अनुसरण को अपनाकर
अपनी थ त को उपर उठाना चाहते ह। जन जा तय म
पहले उपनयन सं कार का चलन नह था वे इस
सं कार के ारा अपनी थ त को ऊँचा उठाना चाहते
ह। न न जा त के लोग ने यह भी पाया क उँची जा त
के लोग कई धा मक अनु ान के साथ-साथ नरा भष
भोजन भी नह करते। न न जा त के लोग ने अपने
आप को उँची जा त के करीब लाने के लए नरा मष
भोजन को लाकर धा मक अनु ान को भी मानना शु
कर दया और इस कार के क पत प से कमकांड
म बदलाव लाकर अपने आप को उँची जा त के समीप
लाने का यास शु कया। इस या को एम एन
ी नवास ने 'सं कृ तकरण' कहा है।

परंतु कई अ य समाजशा ीय ने यह माना है क


सां कृ तकरण के मा यम से जा त के थान म कोई
लंबवत ग तशीलता नह आती है ब क न न जा त को
ऐसा लगता है क उनक त ा म बदलाव आया है और
संभवतः इस लए अपनी त ा म बदलाव लाने के
वचार से अ धकांश न न जा त के लोग ही अपने
वहार म इस कार का प रव न लाने क को शश म
लगे रहते ह। न संदेह यह कहा जा सकता है क
सामा जक ग तशीलता क धारणा से जा त म जो
प रव न आय ह उसम श ा, आय तथा पेशे म बदलाव
का होना एक मह वपूण कारण है और इनका
समाजशा ीय अ ययन कर सही थ त क पहचान
करने म इस अवधारणा का योगदान काफ मह वपूण
ह।

इ ह भी दे ख
सामा जक तरीकरण
सामा जक प रवतन
सां कृ तकरण

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title=सामा जक_ग तशीलता&oldid=4086404" से लया गया

Last edited 2 months ago by an ano…

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उ लेख


ना कया गया हो।

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