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------------------ दऩपण त्राटक :- ---------------------

Size 8x6

Distance 2-3 feet

दऩपण त्राटक उच्च कोटट के उन त्राटको भें से एक है जजनभे भजततष्क को उच्चतभ ततय ऩय
बाव शुन्म कय लरमा जाता है .इसके अरावा साॉस बी ननम्नतभ हो जाती है .एक ऐसी अवतथा
जजसभे हभ सॊसाय भें यह कय बी सॊसाय से ऩथ
ृ क हो जाने का बाव,सबी तयह के बाव से हट
जाने का आनॊद इस त्राटक भें अनब
ु व होता है .
--------------------------- दऩपण का चन
ु ाव :- ---------------------------

1. दऩपण त्राटक भें दऩपण का चन


ु ाव ककमा जामे वो सादा (साधायण) होना चाटहए.
2. दऩपण का आकाय चौकोय हो औय ज्मादा सजावटी न हो.इसका आकाय इतना फड़ा हो की
आऩका चेहया ऩण
ू प रूऩ से इस दऩपण भें टदख सके. इससे फड़ा हो सकता है ऩय सवु वधा के लरए
लसपप उतना ही फड़ा हो जजतने भें चेहया टदखे इससे अभ्मास भें ज्मादा ध्मान नहीॊ बटकता है .
3. जजस कभये भें इसका अभ्मास ककमा जाता है उस कभये की प्रकाश की वमवतथा ऐसी हो
की प्रकाश के ननचे की टदवाय ऩय ही दऩपण तथावऩत ककमा जाना चाटहए.जजससे की दऩपण भें
चेहया साप टदखे औय प्रकाश का ऩयावतपन दऩपण से न हो.

------------------------- अभ्मास :- --------------------------------

दऩपण को टदवाय ऩय तथावऩत कय उससे इतनी दयु ी ऩय तथावऩत कये की आऩका चेहया उस
दऩपण भें साप टदखाई दे . त्राटक मा तो आॉखों ऩय ककमा जाता है मा कपय बक
ृ ु टट ऩय.साभान्मत
शरू
ु भें दोनों आॉखों ऩय त्राटक कयना आसान नहीॊ होता है इस लरए शरू
ु भें बक
ृ ु टट ऩय त्राटक
कयना चाटहए.इससे त्राटक भें आसानी यहती है . जफ बाव शून्मता की उच्च जतथनत प्राप्त हो
जामे तफ आॉखों ऩय बी त्राटक कय सकते है .
--------------------------- अनुबव :- -------------------------------

शुरू भें जफ बक
ृ ु टट ऩय त्राटक ककमा जाता है तफ हभाये आऻा चक्र ऩय तऩॊदन होना शुरू हो
जाता है क्मों की उस जतथनत भें हभायी ही आकषपण शजक्त (चफ
ुॊ कीम शजक्त) हभाये ही आऻा
चक्र को प्रबाववत कय उसे जाग्रत कयती है . इसके अरावा दऩपण त्राटक भें जफ हभ अभ्मास के
साथ साथ बाव शन्
ु म होना शरू
ु हो जाते है तफ हभें अऩना ही चेहया फदरता हुआ टदखाई दे ता
है .जैसे की हभाया रूऩ फदर यहा हो. जो की बाव शुन्म होते वक़्त होने वारा भ्रभ भात्र होता
है .इसके अरावा कई फाय हभ इतने खो जाते है की हभाया चेहया टदखना फॊद हो जाता है.मे
लसपप तफ होता है जफ हभ कई दे य तक एक साथ बाव शुन्म होने की ऺभता यखते हो औय
हभायी साॉस लसपप नाभ भात्र की गनत ऩय हो मानन की हभाये साॉस को धीये धीये अनब
ु व बी न
हो. इस अवतथा भें हभ जैसे अऩने शयीय से फाहय हो इस तयह से अनुबव बी हो सकते है.क्मों
की हभ जजतने बाव शुन्म होते है उतना ही अऩनी शूक्ष्भता का अनुबव कयते है .
------------------------ ध्मान यखने मोग्म :- ------------------------------

त्राटक भें कई अनुबव ऐसे होते है जो हभें ववचलरत कय दे ते है जैसे की एकाएक साॉस का
ननम्नतभ हो जाना, दऩपण भें चेहये के फदरते प्रनतरूऩ का भ्रभ, शयीय का एकदभ हल्का हो
जाना, चेहया गामफ हो जाना मे सफ अनुबव भन के बावशून्म औय साॉस के गनत से जुड़े यहते
है .अगय हभ इनसे ववचलरत होते है तो आगे नहीॊ फढ़ ऩाते है .इन जतथनत भें भन को सॊमलभत
कय अभ्मास कयना चाटहए जो होता है उसे तकप ववतकप से न तोर कय तवीकाय कयना चाटहए.
जफ आऩ इस जतथनत को तवीकाय कय रेते है तफ वो आऩके भन भें कोई सवार नहीॊ होने दे ती
है .औय आऩ अऩने आऩ आगे फढ़ते चरे जाते है .
दऩपण त्राटक भें सभम का कोई अनब
ु व नहीॊ होता है न ही कोई थकान क्मों की हभ अऩने ऩण
ू प
ध्मान को अऩने चेहये ऩय रगते है औय वक़्त का ऩता ही नहीॊ चरता है . जफ की दस
ू ये त्राटक
भें हभ थकान भहसूस कय सकते है इस त्राटक भें ऐसा कोई प्रबाव नहीॊ है .

नोट :-
अरग अरग जतथनत भें आॊलशक अनुबव भें अॊतय हो सकते है .मे आऩके भजततष्क की जतथनत
ऩय ननबपय कयता है .

त्राटक भें हभें कई सभतमा आती है आॉखों भें ऩानी आना, आॉखे रार होना, सय का बायी होना,
इसी तयह की सभतमा होने ऩय हभें त्राटक भें घफयाना मा ऩये शान नहीॊ होना चाटहए अभ्मास
भें सयरता रेकय हभ इससे फच सकते है . त्राटक भें होने वारी सभतमा औय उसका सभाधान
इसके अरावा अनुबव औय उनका भतरफ बी ववतताय से दस
ू ये अध्माम भें वणपन ककमा
जामेगा
भन की गहयाई भें डूफते चरे जाना, हय ऩर भन शाॊत औय आत्भसॊतुजष्ट का बाव भन भें
यहना.मे कुछ अनुबव ह जो ध्मान से ककमे जाते है .रेककन कुछ औय अनुबव बी है जजससे
भन भें शॊका उत्ऩन होती है की हभ सही याह ऩय है मा नहीॊ.
जैसे की त्राटक के फाद आॉखों भें जरन भहसूस कयना मा कपय जहा बी दे खे वाही ऩय कुछ ऩर
के फाद एक सफ़ेद चभक दे खना.
ध्मान के फाद हभें अऩने बक
ृ ु टट के भध्म खखॊचाव भहसूस कयना.
जहाॉ बी दे खे वाही ऩय एक अनजान आकषपण भहसस
ू कयना(जैसे की आऩका भन उस वततु
से एक सक्ष्
ु भ डोय से फॊधा हुआ हो)
अऩने शयीय भें हय ऩर एक उष्णता भहसूस कयना.
ककसी खास ऩर अऩने शयीय औय भन भें एक फदराव भहसूस कयना.भन का एकदभ से
योभाॊचचत हो जाना.
मे वो अनब
ु व है जो हभ भहसस
ू कयते है ऩय सभझ नहीॊ ऩाते की मे क्मों होता है .औय हभ बम
से शॊककत हो जाते है .
मे बी साभान्म अनुबव ही होते है . आइमे जाने ऐसा क्मों होता है .

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त्राटक के फाद जरन मा एक चभक कुछ सभम के फाद भहसूस कयना :-


जफ हभ त्राटक कयते है तफ साभान्म रूऩ से हभायी आॉखे उस प्रकाश की आदी हो जाती है जफ हभ दस
ू ये
प्रकाश भें जाते है तफ अचानक से ऩरक सभजॊतम कयती है इस वजह से हभें जरन मा कपय झऩका भहसूस
होता है .इसके आरावा जफ हभ ककसी वततु को कुछ ऩर के लरए दे खते है तफ एक आकषपण हभायी आॉखों
औय उस वततु के भध्म फन जाता है .उस वक़्त हभायी आकषपण शजक्त आॉखों से ननकर कय उस वततु को
ढकने का प्रमास कयती है . इस कायण वह ऩय सपेद चभक टदखाई दे ती है .
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ध्मान मा त्राटक के फाद बक
ृ ु टट के भध्म खखॊचाव:-

जफ हभ ध्मान मा त्राटक कयते है तफ हभाया भन अनेक से एक जगह ऩय केंटित होने रगता है औय


भानलसक शजक्त का ननभापण होना शरू
ु होता है .औय शरू
ु भें हभ इसे ननमॊत्रत्रत नहीॊ कय ऩाते है . इसके अरावा
ध्मान के कुछ सभम फाद अऩने आऩ हभाया भन एक जगह ऩय ही चचॊतन कयता यहता है . इस वजह से हभाये
भजततष्क भें लसपप एक ववचाय ही घूभता है औय ज्मादा दफाव के कायण वहाॉ ऩय खखॊचाव होने रगता है .उस
वक़्त आॉखे फाद कय भन भें बावना दे की भन शाॊत हो यहा है .आऩका खखॊचाव फॊद हो जामेगा औय भन
ववचायशून्म हो जाता है .
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वततु को कुछ दे य तक दे खने के फाद उस वततु से एक आकषपण भहसस


ू कयना:-
ध्मान औय त्राटक से हभायी भानलसक शजक्त भजफूत होती है .इसलरए जफ हभ ककसी वततु को कुछ सभम
तक दे खते यहते है तो हभायी भानलसक शजक्त उस वततु से जुड़ जाती है मे भजततष्क औय आॉखों से ननकरती
है .मे बी साभान्म है .
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अऩने शयीय भें हय ऩर एक उष्णता भहसूस कयना:-


ध्मान औय त्राटक से हभाये शयीय भें + ऊजाप का सयॊ ऺण होना शुरू हो जाता है .औय हभाया भन शाॊत यहने के
कायण हभ इस उष्णता को बी भहसस
ू कय सकते है .
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ककसी खास ऩर भें अऩने शयीय भें योभाॊच भहसस
ू कयना:-

जफ हभ ध्मान/त्राटक का अभ्मास कयते है तफ हभाया अवचेतन भन जाग्रत होना शुरू हो जाता है .अवचेतन
भन एक अराभप का काभ कयता है .औय इसके अरावा मे भन से ननकरी तयॊ ग का सॊचाय औय ग्रहण कयने का
काभ कयता है .इस वजह से हभ आने वारे ऩर की मा वतपभान भें अऩने से दयू होने वारे घटनाकभप को
भहसूस कयते है .औय एक योभाॊच भहसूस कयते जैसे की अचानक अऩने शयीय भें कॊऩकॊऩी मा कपय भन का
एकदभ से बाव फदरना ककस खास के फाये भें सोचना. मे कुछ ऐसे अनुबव है जो हभें ध्मान मा त्राटक के
भाध्मभ से होते है .
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इसके अरावा हभ जफ त्राटक कयते है तफ हभें ऐसे दृश्म भहसस


ू मा दीखते है जो की कल्ऩना जैसे होते है . मे
दृश्म हभें अवचेतन भन टदखता है.जो हभ ऩहरे कबी सोचते है मा कपय तवऩन भें दे खते है वो अवचेतन भन
भें दजप हो जाता है औय हभें ऐसे दृश्म दीखते है मे त्रफरकुर साभान्म है . इसभें भन भें शॊका ककमे फगैय
अभ्मास जायी यखना चाटहए.

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