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ववषय- ह द
िं ी (आधार)
अध्यायवार प्रश्न कोश
1
Foreword
Preparation of study material for all the major subjects of class X and XII and
presenting the same on the hands of the students well on time is not anything
new for the Kendriya Vidyalayas. However, this time the backdrop of the Covid-
19 pandemic looming large in front of all and the 9 months of suspended
physical classes have given an extra novel meaning and significance to this
endeavor. On all previous occasions, teachers sat together on a designated
place face to face to discuss, to reject, to select & modify and thereby gather
together the best material for the students. This time, they could not do so that
way because of the limitations of gatherings in light of the pandemic. And
therefore, this time, there has been the endeavor to craft out a chapter-wise
exhaustive question bank for all the major subjects. The major chunk of the
session has already played out in the most extraordinary way during this most
extraordinary time as we have all seen, with the syllabi having been covered
only through online classes with the teachers and the students never coming
face to face inside the classrooms.
Anyway, with our examination system the way it is, the role of intelligent and
rigorous study of question bank has been always enormous for success in all
examinations. Having a sound grasp of probable questions and the most
pertinent ones, leads to better negotiation of the course material on hand
especially when the examination comes near.
It is hoped that the teachers of each school will bring the materials home to the
needy students with further necessary guidance from them during this
extraordinary academic session and extraordinary time as a whole.
It has been wonderful for KVS RO Guwahati to be involved in preparation of
study material in the form of chapter wise question banks. The enormous
contribution of the Subject teachers and Principals for making the project
successful is highly praiseworthy.
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कक्षा- बारहिी ं
वहं दी (आधार)
सत्र: 2020-21
प्रश्न कोश
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अनक्र
ु माणिका
1. अपहित गदयािंश…………………………………………………………………………………………………………………………………7-11
2. अपहित पदयािंश……………………………………………………………………………………………………………………………….11-17
3. अभिव्यक्तत और माध्यम (जनसिंचार, सिंपादकीय)…………………………………………………………………...17-19
4. रचनात्मक लेखन…………………………………………………………………………………………………………………………….19-21
5. पत्र लेखन………………………………………………………………………………………………………………………………………….21-23
6. फीचर लेखन…………………………………………………………………………………………………………………………………….23-24
7. आलेख लेखन………………………………………………………………………………………………………………………………………….24
8. नाटक/कववता/क ानी की रचना प्रक्रक्रया……………………………………………………………………………………..24-27
आरो िाग-2
काव्य खिंड
9. एक गीत (हदन जल्दी-जल्दी ढलता ै )………………………………………………………………………………….27-28
10. कववता के ब ाने…………………………………………………………………………………………………………………………….29-32
11. कैमरे में बिंद अपाह ज…………………………………………………………………………………………………………………..32-35
12. स षष स्वीकारा ै …………………………………………………………………………………………………………………………….35-39
13. उषा…………………………………………………………………………………………………………………………………………………….39-42
14. कववतावली/लक्ष्मि मूर्च्ाष और राम का ववलाप……………………………………………………………………..42-49
15. रुबाइयााँ /ग़ज़ल………………………………………………………………………………………………………………………………..49-52
गदय खिंड
16. िक्ततन…………………………………………………………………………………………………………………………………………….52-56
17. बाज़ार दशषन…………………………………………………………………………………………………………………………………….56-60
18. काले मेघा पानी दे ………………………………………………………………………………………………………………………….60-63
19. प लवान की ढोलक………………………………………………………………………………………………………………………..63-65
20. नमक…………………………………………………………………………………………………………………………………………………..65-68
21. जातत प्रथा और श्रम वविाजन/ मेरी कल्पना का आदशष समाज……………………………………………68-71
ववतान िाग-2
अपहित गदयािंश
7
iv.आधनु नक यग
ु विज्ञान का यग
ु है
उत्तर- (iii) विज्ञान के उत्तरोत्तर विमभन्न हदिाओं में उन्मुख होने के कारण
(5) समि
ू ा विश्ि एक पररिार के सामान लगने का तया कारण है-
(i) मनुष्य के ह्रदय में (ii) अंतररक्ष में (iii) विदे िों में (iv) समुद्र में
(i) यथाथव (ii) सम्यक (iii) (i) और (ii) दोनों (iv) बनािट
उत्तर-(iii) रिनात्मक
भारतीय संस्कृनत की सबसे बड़ी वििेषता रह है -‘अनेकता में एकता’I यद्यवप ऊपर तौर पर भारत के
विमभन्न प्रदे िों में पयावप्त मभन्नता हदखाई दे ती है ,तथावप अपने आिार-वििार की एकता के कारण यहाूँ
सामामसक संस्कृनत का रूप दे खने को ममलता है I यह कारण है कक विमभन्नताओं के होते हुए भी भारत
सहदयों से एक भौगोमलक,राजनीनतक एिं सांस्कृनतक इकाई के रूप में विश्ि में अपना स्थान बनाये हुए
है I इसमलए भारत में अनेकता में एकता के सदै ि दिवन होते हैं I भारतीय संस्कृनत में आध्याष्त्मकता
और भौनतकता दोनो का ह ममश्रण रहा है I
9
आिरण के ननयम और मल्
ू य हैं,ष्जन्हें कोई समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है I इसमलए कहा जा
सकता है कक इसे हम अपने अतीत से विरासत के रूप में प्राप्त करते हैं I दस
ू रे िब्दों में कहें तो
संस्कृनत एक विमिष्ट जीिन-िैल का नाम है I यह एक सामाष्जक विरासत, है जो परम्परा से िल
आती रह है I
प्राय: सभ्यता और संस्कृनत को एक ह मान मलया जाता है , परन्तु इसमें भेद है I सभ्यता में मनुष्य के
जीिन का भौनतक पक्ष प्रधान होता है अथावत ् सभ्यता का अनुमान सुख से लगाया जा सकता है I इसके
विपर त संस्कृनत में आिार और वििार पक्ष की प्रधानता होती है I इस प्रकार,’सभ्यता’ को िर र माना
जा सकता है और ‘संस्कृनत’ को आत्मा, इसमलए इन दोनो को अलग-अलग नह ं दे खा जा सकता Iिास्ति
में , दोनों एक दस
ू रे के पूरक हैं I
(3) भारत में सामामसक संस्कृनत का रूप हदखाई पड़ने का तया कारण है-
उत्तर-(iii) एकता
(i) आध्याष्त्मकता का (ii) भौनतकता का (iii) (i) ि ् (ii) दोनों का (iv) अतीत का
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(i) भीतर उन्ननत से (ii) सख
ु सवु िधाओं से (iii) परोपकाररता से (iv) व्यािहाररकता से
(i) सभ्यता में (ii) संस्कृनत में (iii) इनतहास में (iii) भौनतकता में
(9) ककस वििेषता के कारण भारतीय संस्कृनत विश्ि में अपना वििेष स्थान रखती है -
(i) अनेकता में एकता (ii) सामाष्जकता (iii) भौनतकता (iv) आधनु नकता
अपहित पदयािंश
उस हदन
िह मैंने थी दे खी
धत्त तेरे की !
सोिा मैंने ,
पर मै समझ न पाया –
तया िह है दै ि की मार ?
या सम्बष्न्धयों की ननज
i)बूढ औरत को
ii)पगल को
iii)बच्िी को
iv)कोई नह ं
उत्तर- ii)पगल को
I) कॉलेज के ननकट
12
iii)गंद नाल पर
ii)पौष
iii) माघ
Iv)कोई नह ं
iii)उपरोतत दोनो
iv)इनमे से कोई नह ं
I)कोमल
Ii)कटु – ककवि
Iii) सहज
Iv)िांत
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जीिन अष्स्थर अनजाने ह ,हो जाता पथ पर मेल कह ं ,
कैसे िल पता यहद ममलते ,चिर- तष्ृ प्त अमरता -पूणव प्रहर I
I) दख
ु पूणव है
Ii) अष्स्थर है
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I)सख
ु ह सख
ु है
Ii) दःु ख ह दख
ु है
Iv) सभी
iv) कोई नह ं
I ) ररश्तेदार
ii) ममत्र
iii) अजनबी
iv) सुख–दःु ख
i) कपड़ा
Ii) िर र
Iii) ढांिा
Iv) कोई नह ं
उत्तर – ii) िर र
पि
ू व िलने के बटोह ,
बाट की पहिान कर ले
15
पस्
ु तकों में है नह ं छापी गयी इसकी कहानी ,
यह ननिानी मक
ू होकर भी ,बहुत कुछ बोलती है
ii) बटुआ
iii) धन
उत्तर – i) राहगीर
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2- कवि के अनस
ु ार व्यष्तत को ककस रास्ते पर िलना िाहहए-
ii) बस िलना है
ii) पचथक से
iv) कोई नह ं
I.अिधी
II.ब्रज
iii) खड़ीबोल
अभिव्यक्तत व माध्यम
जनसिंचार , सिंपादकीय
उत्तर (d) .6
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2.भारत की पहल मक
ू कफल्म थी?
(a) आलमआरा (b) राजा हररििन्द्र (c) दे ि प्रेम (d) इनमे से कोई नह
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10.टे ल विजन ककस प्रकार का माध्यम है ?
रचनात्मक लेख
वैचाररक और िावनात्मक रूप से रचना करना एविं अपने मौभलक ववचारों की अभिव्यक्तत करना
रचनात्मक लेखन क लाता ै|
सुझाव: प्रश्न सिंख्या 7 रचनात्मक लेखन ोगा | रचनात्मक लेख समय तनम्न सुझाव आपके भलए कारगर
ोंगे |
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जनमानस में प्रिमलत उष्तत है कक ‘स्िस्थ िर र में ह स्िस्थ मष्स्तष्क का विकास होता है ’। इसमलए
िर र को पूणव रूप से स्िस्थ ि िुस्त बनाने के मलए कई प्रकार के िार ररक अभ्यास ककए जाते हैं, ककं तु
इनमें खेल-कूद सबसे प्रमुख हैं| बबना खेल-कूद के जीिन अधूरा रह जाता है । कहा गया है -“सारे हदन
काम करना और खेलना नह ं, यह होमियार को मूखव बना दे ता है ।” अत: खेलों से हमारा जीिन
अनुिामसत और आनंहदत होता है । खेल भािना के कारण णखलाड़ी सहयोग, संगठन, अनुिासन एिं
सहनिीलता का पाठ सीखते हैं। खेलने िालों में संघषव करने की िष्तत आ जाती है। खेल में जीतने की
दिा में उत्साह और हारने की ष्स्थनत में सहनिीलता का भाि आता है | खेलते समय णखलाड़ी जीत
हामसल करने के मलए अनुचित तर के नह ं अपनाता और पराजय की दिा में प्रनतिोध की आग में नह ं
जलता। उसमें स्िस्थ प्रनतस्पधाव का भाि होता है । खेल मनोरं जन का माध्यम भी हैं। णखलाडड़यों अथिा
खेल-प्रेममयों-दोनों को खेलों से भरपूर मनोरं जन ममलता है । जो लोग सदै ि काम में लगे रहते हैं खेलों के
मनोरं जन से िंचित रह जाते हैं िे खेलों से मनुष्य अनुिामसत जीिन जीना सीखता है । इससे मनुष्य
ननयमपूिवक कायव करने की मिक्षा लेता है । ननयमपूिवक कायव करने से व्यिस्था बनी रहती है तथा समाज
का विकास होता है । इस प्रकार खेलों का हमारे जीिन में बहुत महत्ि है । ये हमारे जीिन को संपन्न ि
खुिहाल बनाते हैं। इनके महत्ि को दे खते हुए हमें खेलों से अरुचि नह ं रखनी िाहहए।
1. िक्ष
ृ लगाना मेरा िौक
2. बदलते जीिन मूल्य
3. रास्ते में बस खराब होना
4. कामकाजी महहलाओं की समस्याएूँ/ दे ि की प्रगनत में महहलाओं का योगदान
5. राष्र-ननमावण में युिा पीढ़ का योगदान
6. इंटरनेट का मेरे जीिन में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाि
7. महानगर य जीिन की िुनौनतयां
8. लोकतंत्र में मीडडया की भूममका
9. महानगर य जीिन की िुनौनतयां
10. सीमा पर बढ़ते तनाि को कम करना
11. आज विश्ि में भारत की प्रनतष्ठा
12. काला धन : एक सामाष्जक कलंक
13. पयाविरण संरक्षण: आज की आिश्यकता
14. आनलाइन िोवपंग का बढ़ता िलन
15. भारत से प्रनतभा पलायन
16. चगरते नैनतक मूल्यों के कारण
पत्र लेखन
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प्रश्न. (i) आए हदन िोर और झपटमार की समस्या के प्रनत चिंता प्रकट करते हुए नगर के पमु लस-
कममश्नर को पत्र मलणखए।
कनक भिन
गणेिगुर गुिाहाट
हदनांक: 1 हदसम्बर 20XX
सेिा में ,
पुमलस आयत
ु त
गुिाहाट (असम)
ववषय- चोरी-झपटमारी की घटनाओिं के सिंबध
िं में ।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने िहर में ननरन्तर बढ़ रहें अपराधों की ओर आकवषवत
करना िाहता हूूँ। विगत एक माह से िहर में अपराध बढ़ रहे हैं ष्जससे इस क्षेत्र के ननिासी भय के
साये में रहने को वििि हैं। कुछ िरारती तत्िों द्िारा छीना-झपट तथा गमलयों में िोर की घटनाओं
को अंजाम हदया जा रहा है । सायं सात-आठ बजते ह ये लोग याबत्रयों के सामान एिं रुपये-पैसे छीन
लेते हैं तथा विरोध करने पर िाकू मारने का दस्
ु साहस कर बैठते हैं।बढ़ते अपराधों के कारण लोगों में
डर समाया हुआ है ।
आिा है कक आप इस समस्या पर गंभीरता से वििार करें गे तथा ठोस कदम उठाएूँगे ताकक क्षेत्र में िांनत
स्थावपत हो सके।
सधन्यिाद।
भिद य
कoखoगo
(ii) प्रनतहदन बढ़ती महूँगाई के प्रनत चिंता व्यतत करते हुए ‘पूिाांिल प्रहर ’ के संपादक को पत्र मलणखए।
पर क्षा भिन
गि
ु ाहाट
हदनांक: 22 मािव 20XX
सेिा में
संपादक महोदय
पूिाांिल प्रहर
जी0 एस0 रोड गुिाहाट ।
ववषय- बिती म ाँगाई के सिंदिष में ।
महोदय,
मैं आपके लोकवप्रय समािार-पत्र के माध्यम से प्रिासन ि नेताओं का ध्यान बढ़ती महूँगाई की तरफ
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हदलाना िाहता हूूँ। आज जीिन के मलए उपयोगी हर िस्तु आम आदमी की पहुूँि से बाहर होती जा रह
है । रोजमराव की िस्तुओं जैस-े सब्जी, दध
ू , फल, दालें आहद-के दाम ननत नई ऊूँिाइयों को छू रहे हैं। कुछ
दक
ु ानदार सामानों को गोदामों में जमाकर कालाबजार कर रहे हैं ष्जससे महूँगाई आसमान छू रह है
और गर ब को दाल-रोट के मलए भी संघषव करना पड़ रहा है ।
आपसे अनुरोध है कक इन खबरों को आप अपने समािार-पत्र में लगातार प्रकामित करे ताकक सरकार ि
प्रिासन इस ओर दें और इन पर कायविाह करें ।
धन्यिाद।
भिद य
अ०बoस०
फ़ीचर लेखन
प्रश्न :- तनम्न में से क्रकसी एक ववषय पर फ़ीचर लेखन कीक्जए—
अथवा
मेट्रो रे ल का सफ़र
उत्तर:-
पुस्तकों का वििाल भण्डार, सुहाना मौन | व्यिष्स्थत मेज़-कुमसवयाूँ | सेिा में तत्पर पस्
ु तकालयाध्यक्ष | यह
है मेरे विद्यालय का पुस्तकालय | मेरे विद्यालय के पुस्तकालय के तीन तल हैं | ननिले तल में
समािारपत्र, पबत्रकाएूँ तथा बैठने के मलए मेज़-कुमसवयाूँ हैं | बीि िाले तल में पुस्तकों की आलमाररयाूँ हैं |
लगभग तीस-िाल स आलमाररयों में हज़ारों मूल्यिान पुस्तकें व्यिस्था से सजी हैं | छात्र और अध्यापक
अपनी इच्छा से इनमें से पुस्तकें खोजते हैं, पढ़ते हैं और पढ़कर िापस मेज़ पर छोड़ दे ते हैं | इस
पुस्तकालय में पाठ्यक्म से सम्बंचधत पुस्तकें तो हैं ह ; असल आकषवण हैं- अन्य पुस्तकें- कथा
कहाननयों की पुस्तकें, महापुरुषों की जीिननयाूँ, विश्ि भर को िौकाने िाले कारनामे, िैज्ञाननक आविष्कार
आहद-आहद | छात्र इन पुस्तकों को पुस्तकालय के तीसरे तल पर रखी मेज़-कुमसवयों पर बैठकर पढ़ सकते
हैं | िाहे तो दो पुस्तकें घर भी ले जा सकते हैं | विद्यालय के तीन हज़ार विद्याचथवयों में से िाल स-
पिास छात्र ह पुस्तकालय में हदखाई दे ते हैं | यहाूँ बोलना बबल्कुल मना है | ज़रा भी बोले तो
पुस्तकालयाध्यक्ष की पैनी नज़रें उन्हें मौन करा दे ती हैं | पुस्तकालय सिमुि ज्ञान की गंगा है | मेरे जैसे
विद्या-व्यसनी के मलए तो यह सैरगाह है | मझ
ु े ख़ाल समय में पस्
ु तकों की आलमार के सामने खड़े
होकर नये-नये िीषवक दे खना और जानकार लेना अच्छा लगता है |
अथवा
मेट्रो रे ल का सफ़र
23
सामान्य भारतीय रे ल और मेरो रे ल के सफ़र में अंतर है | मेरो की यात्रा साफ़-सथ
ु र , िातानक
ु ू मलत और
आरामदायक होती है | इसकी हटकट णखड़की से लेकर सिार डडब्बे तक कह ं भी धूल-धतकड़ या
धींगामुश्ती नह ं होती | हटकट-णखड़की पर या तो भीड़ होती नह ं; होती भी है तो लोग पंष्ततबद्ध होकर
हटकट लेते हैं | हटकट दे ने िाले कमविार भी बड़ी कुिलता से हटकट बाूँटते हैं | टोकन िेक़ करने की
प्रणाल भी इलेतराननक होती है इसमलए यात्री भी समझ लेते हैं कक यहाूँ सबकुछ व्यिस्था के अनुरूप ह
िलेगा, मनमानी से नह ं | मेरो प्लेटफ़ॉमव तक पहुूँिने के मलए या तो स्ििामलत सीहढ़याूँ होती हैं, या
साफ़-सुथरे िौड़े मागव होते हैं | प्लेटफ़ॉमव बबल्कुल स्िच्छ और जगमगाते हुए होते हैं | प्रायः हर तीन से
पाूँि ममनट में एक गाड़ी आ जाती है | उसके दरिाजे स्ििामलत रूप से खुलते और बंद होते हैं | अंदर
साफ़-सुथर सीटें होती हैं | खड़े याबत्रयों के सहारे के मलए बीि में लटकनें लगी होती हैं |
आलेख
प्रश्न १: आलेख की पररभाषा दे ते हुए स्पष्ट कीष्जए कक समािार पत्र में ककस स्थान पर प्रकामित ककया जाता है
?
उत्तर ककसी एक विषय पर वििार प्रधान ,गद्य प्रधान अमभव्यष्तत को आलेख कहा जाता है । यह एक प्रकार के
लेख होते हैं जो अचधकतर संपादकीय पष्ृ ठ पर ह प्रकामित होते हैं।
प्रश्न २: आलेख के मुख्य अंगो के नाम मलणखए।
उत्तर : आलेख लेखन के मख्
ु य अंग हैं - भमू मका ,विषय का प्रनतपादन, तल
ु नात्मक ििाव और ननष्कषव ।
प्रश्न ३: आलेख लेखन में ककसकी प्रमुखता होती है ?
उत्तर: आलेख लेखन में लेखक के वििारों की प्रमुखता होती है ।इसी कारण इसे वििार प्रधान गद्य भी कहा
जाता है ।
(1) नाटक
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उत्तर – नाटक में श्रव्य काव्य से अचधक रमणीयता होती है ।
उत्तर – नाटक के आरं भ में जो कक्या होती है उसे मंगला िरण या पूिवरंग कहते हैं ।
उत्तर – कथािस्तु को नाटक ह कहा जाता है । अङ्ग्ग्रेज़ी में इसे प्लाट की संज्ञा द गई है ष्जसका अथव
आधार या भूमम से है ।
2) कववता
उत्तर - लय , तुक, छं द ,िब्द योजना, चित्रात्मक भाषा तथा अलंकार कविता के बाह्य तत्ि है ।
उत्तर - कविता के आंतररक तत्ि अनुभूनत की व्यापकता, कल्पना की उड़ान ,रसात्मकता और सौंदयव
बोध तथा भािों का उदात्तीकरण कविता के आंतररक भाि हैं ।
उत्तर - हहंद के दो महाकाव्य हैं पहला रामिररतमानस ष्जसे तुलसीदास ने मलखा है और कामायनी ष्जसे
जयिंकर प्रसाद ने मलखा है ।
उत्तर - हहंद का प्रथम महाकाव्य रामिररत मानस माना जाता है ष्जस के रिनाकार तल
ु सीदास जी हैं
।
(3) क ानी
कहानी हहंद में गद्य लेखन की एक विधा है 19िीं सद में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ
ष्जसे कहानी के नाम से जाना गया
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मनष्ु य के जन्म से साथ ह साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सन
ु ना मानि का
आज स्िभाि बन गया
प्रािीन काल में सहदयों तक प्रिमलत िीरों तथा राजाओं के िौयव प्रेम न्याय ज्ञान िैराग्य साहस समुद्र
यात्रा अगम्य पिवतीय प्रदे िों में प्राणणयों का अष्स्तत्ि आहद की कथाएं ष्जनकी कथानक घटना प्रदान
हुआ करती थी कहानी के ह रूप हैं
कथािस्तु पात्र अथिा िररत्र चित्रण कथाकथन अथिा संिाद दे िकाल अथिा िातािरण भाषा िैल तथा
उद्दे श्य कहानी के मख्
ु य तत्ि हैं
कथानक के िार अंग हैं आरं भ आरोह यानी विस्तार िरम ष्स्थनत यानी कहानी का उत्कषव तथा अिरो
या तलाइमैतस दस
ू रे िब्दों में समापन
हहंद कहानी का उद्भि द्वििेद युग में सरस्िती पबत्रका के प्रकािन से प्रारं भ होता है
राजेंद्र बाला घोष अथावत बंग महहला को हहंद की प्रथम कहानी लेणखका माना जाता है दल
ु ाईिाल उनकी
प्रमुख कहानी है
नाम धनपत राय था निाब राय के रूप में िे उदव ू में कहानी मलखते थे
प्रेमिंद के कहानी संग्रह सोजे ितन 1960 को बब्रहटि सरकार ने जप्त कर मलया था सोजे ितन पांि
कहाननयों का संग्रह था जो उदव ू में मलखा गया था
की प्रथम कहानी पंि परमेश्िर सन 1917 तथा अंनतम कहानी अंनतम उपन्यास कफन 1936 था
मंगलसूत्र उनका अपूणव और अंनतम उपन्यास है जो सन 1936 में मलखा गया
1960 ईस्िी में नई कहाननयां नामक पबत्रका श्री भैरि प्रसाद गप्ु त के संपादक त्त्ि में हदल्ल से
प्रकामित होने लगी थी
कहानी में जहटल यथाथव की व्यापक आधुननक बोध व्यष्तत के प्रनतष्ठा जीिन िेतना मध्यिगीय जीिन
िेतना िल भािन का भाि तथा संख्या ममलती है
26
हहंद कहानी की विकास यात्रा को ननम्नमलणखत बबंदओ
ु ं में समझा जा सकता है प्रेमिंद पि
ू व योग प्रेमिंद
योग प्रेमिंदोत्तर युग तथा स्िातंत्र्योत्तर युग।
आरो िाग-2
पाि-1 एक गीत हदन जल्दी-जल्दी ढलता ै ( ररविंश राय बर्चचन)
पहित पदयािंश- 1
हो जाए न पथ में रात कह ं,
मंष्जल भी तो है दरू नह -ं
यह सोि थका हदन का पंथी भी जल्द -जल्द िलता है !
हदन जल्द -जल्द ढलता है !
प्रश्न-1 पंथी को कहाूँ रात होने की संभािना है ?
(I)पथ में (II)घर में (III)बाज़ार में (IV)गल में
उत्तर- (I)पथ में
प्रश्न-2 तया दरू नह ं है ?
(I)विद्यालय (II)दक
ु ान (III)मंष्जल (IV)िहर
उत्तर- (III)मिंक्जल
प्रश्न-3 कौन जल्द -जल्द िलता है ?
(I)मिक्षक (II)पंथी (III)विद्याथी (IV)अमभभािक
उत्तर- (II)पिंथी
प्रश्न-4 पंथी कैसे िलता है ?
(I)धीरे -धीरे (II)दौड़कर (III)हूँसकर (IV)जल्द -जल्द
उत्तर- (IV)जल्दी-जल्दी
प्रश्न-5 हदन कैसे ढलता है ?
(I)जल्द -जल्द (II)धीरे -धीरे (III)मंद गनत से (IV)आस्य से
उत्तर- (I)जल्दी-जल्दी
पहित पदयािंश-2
27
(I)सख
ु में (II)प्रत्यािा (III)दख
ु में (IV)घर में
उत्तर- (II) प्रत्याशा
प्रश्न-2 बच्िे कहाूँ से झाूँकते होंगे?
(I)नीड़ों से (II)दरिाजे से (III)आसमान से (IV)िहर से
उत्तर- (I)नीड़ों से
प्रश्न-3 चिडड़यों के परों में तया भरती है ?
(I)उड़ान (II)गनत (III)िंिलता (IV)तेजी
उत्तर- (III)चिंचलता
प्रश्न-4 बच्िे ककसकी प्रत्यािा में होंगे?
(I)दोस्त की (II)वपता की (III)भाई की (IV)चिडड़यों की
उत्तर- (IV)गचडड़यों की
प्रश्न-5 हदन कैसे ढलता है ?
(I)जल्द -जल्द (II)धीरे -धीरे (III)मंद गनत से (IV)आस्य से
उत्तर- (I)जल्दी-जल्दी
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न- 1पंथी को कहाूँ रात होने की संभािना है ?
उत्तर-पिंथी को क ााँ रास्ते में ोने की सिंिावना ै तयोंक्रक उसे जल्दी अपनी मिंक्जल तक प ु ाँचना ै|
प्रश्न 2-पंथी के मलए तया दरू नह ं है?
उत्तर-पिंथी के भलए मिंक्जल दरू न ीिं ै तयोंक्रक उसके मन में अपनी मिंक्जल तक प ु ाँचने का उत्सा और
उमिंग ै|
प्रश्न 3-कौन जल्द जल्द िलता है-?
उत्तर-पिंथी जल्दीजल्दी चलता ै तयोंक्रक उसे अपनी मिंक्जल को पाना ै -|
प्रश्न 4-बच्िे ककसकी प्रत्यािा में होंगे?
उत्तर-बर्चचे अपनी मााँ की प्रत्याशा में ोंगे तयोंक्रक मााँ उन् ें दाना दे गी और मााँ से उन् ें प्यार िी भमलेगा|
प्रश्न 5-चिडड़यों के परों में िंिलता तयों आती है ?
उत्तर-जब गचडड़यों को अपने बर्चचों की याद आती ै तब उनके परों में चिंचलता आती ै , वे अपने बर्चचों
से जल्दी ी भमलना चा ती ै और उन् ें ब ु त सारा प्यार दे ना चा ती ै|
28
पाि–3 कववता के ब ाने (कुाँवर नारायि)
29
4. पंख से
उत्तर – (क) चिडड़या से
लघुत्तरीय प्रश्न -
31
उत्तर - बच्िे कह ं भी, कभी भी खेल खेलने लगते हैं। इस तरह कविता कह ं भी प्रकट हो सकती है ।
32
II. धमविीर भारती
III. हररिंि राय बच्िन
IV. सय
ू वकांत बत्रपाठी ‘ ननराला’
उत्तर I
(iii) ‘ दब
ु वल ‘ककसे कहा गया है ?
I. मीडडयाकमी को
II. कायवक्म ननमावता को
III. अपाहहज व्यष्तत को
IV. कैमरामैन को
उत्तर III
(iv) कैमरे में ककसे बड़ा- बड़ा हदखाने के मलए कहा गया है ?
I. स्टूडडयो का कमरा
II. अपाहहज का िेहरा
III. ममडडया कमी
IV. सभी को
उत्तर II
(v) काव्यांि की ककस पंष्तत से ममडडया कमी की संिेदनह नता का पता िलता है ?
I. तो आप तयों अपाहहज है ?
II.आपको अपाहहज होकर कैसा लगता है
III. यानी कैसा लगता है
IV. सभी
उत्तर IV
33
आप और िह दोनों
( कैमरा / बस करो / नह ं हुआ / रहने दो/ पदे पर ितत की कीमत है)
अब मुस्कुराएंगे हम
आप दे ख रहे थे सामाष्जक उद्दे श्य से यत
ु त कायवक्म
( बस थोड़ी ह कसर रह गई)
धन्यिाद !
(iii) ‘हम पूछ पूछ कर उसको रुला दें गे’-इस पंष्तत में कवि ने ककस के विषय में कहां है ?
I. दिवक
II. अपंग व्यष्तत
III. ननमावता-ननदे िक
IV. मीडडया कमी
उत्तर II
(iv) ( कैमरा / बस करो / नह ं हुआ / रहने दो)-पंष्तत में तया नह ं होने के बारे में संकेत ककया गया है :-
I. दिवकों द्िारा नह ं रोया गया
II. अपाहहज व्यष्तत और दिवक नह ं रोए
III. कायवक्म सफल नह ं
IV. अपाहहज व्यष्तत नह ं रोया
उत्तर IV
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-3 ननम्नमलणखत प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 िब्दों मे मलखे :-
34
( i) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता से संिार माध्यमों की कौन सी सच्िाई उजागर होती है ?
उत्तर : कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता के माध्यम से कवि ने ट .िी., समािार िैनलों आहद संिार
माध्यमों की इस सच्िाई को उजागर ककया है कक िेअपने कायवक्मों की लोकवप्रयता बढ़ाने के मलए
संिेदनह नता की हर सीमा तक जाने के मलए प्रस्तुत हो जाते हैं | “आपको अपाहहज होकर कैसा लगता
है ” जैसी पंष्ततयां इस तथ्य को प्रमाणणत करती हैं |
(ii) कायवक्म को रोिक बनाने के मलए कायवक्म संिालक तया-तया उपाय करता है ?
उत्तर: कायवक्म को रोिक बनाने के मलए कायवक्म संिालक अपाहहज व्यष्तत को रुलाने की पूर िेष्टा
करता है | िह उससे तरह तरह के प्रश्न पछ
ू ता है और उसकी भाि भंचगमा को कैमरे में फोकस करके
हदखाने के मलए कैमरामैन को कहता है |
(iii) मीडडया कमी अपाहहज व्यष्तत और दिवकों को एक साथ रूलाने का प्रयास तयों करता है ?
उत्तर :अपाहहज व्यष्तत तम
ु को एक साथ रुलाने से कायवक्म का उद्दे श्य- अपाहहज व्यष्तत के प्रनत
समाज में संिेदनिीलता उत्पन्न कर अपने कायवक्म की प्रमसद्चध बढ़ाना- पूणव हो जाता इसमलए मीडडया
कमी इस कोमिि में लगा रहता है कक अपाहहज व्यष्तत और दिवक एक साथरोयें |
(iv) ‘आप दे ख रहे थे सामाष्जक उद्दे श्य से युतत कायवक्म/( बस थोड़ी ह कसर रह गई)”-इस पंष्तत
में कवि ने तया व्यंग्य ककया है ?
उत्तर: कायवक्म प्रस्तुतकताव अपाहहज व्यष्तत को रूलाकर अचधक से अचधक सहानभ
ु ूनत प्राप्त कर
कायवक्म को प्रमसद्ध करना िाहता था | पर आप अपाहहज व्यष्तत के रोने से पूिव ह कायवक्म की
अिचध समाप्त होने के कारण यह उद्दे श्य पूरा होने से रह गया |इस पंष्तत से कवि ने यह व्यंग ककया
है |
(v) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता का तया प्रनतपाद्य है ?
उत्तर : कैमरे में बंद अपाहहज कविता के माध्यम से कवि ने िार ररक िुनौती झेलते लोगों के प्रनत
संिेदनिील नजररया अपनाने के मलए प्रेरणा द है | इसके साथ ह संिार माध्यमों की सच्िाई को
उजागर करना भी कवि का उद्दे श्य रहा है |
35
जो कुछ भी जाग्रत हैं अपलक हैं-
संिेदन तुम्हारा हैं!!
जाने तया ररश्ता हैं, जाने तया नाता हैं
ष्जतना भी ऊूँड़ेलता हूूँ भरभर कफर आता हैं-
हदल में तया झरना है ?
मीठे पानी का सोता हैं
भीतर िह, ऊपर तुम
मुसकाता िाूँद ज्यों धरती पर रातभर-
मुझ पर त्यों तुम्हारा ह णखलता िह िेहरा हैं!
1. ‘स षष स्वीकारा ै ’ कववता के रचनाकार कौन ैं ?
क. भिानीप्रसाद ममश्र
ख. गजानन माधि मुष्ततबोध
ग. सष्च्िदानंद ह रानंद िात्स्यायन ‘अज्ञेय’
घ. जयिंकर प्रसाद
उत्तर.ख - नदी
3. ‘गिंिीर अनि
ु व’ में अनि
ु व क्रकस प्रकार का ै ?
क. सरल
ख. हास्यास्पद
ग. सहज
घ. गंभीर
उत्तर - घ गिंिीर
उत्तर .क - ख़ुशी
36
5. ‘अभिनव’ शब्द का अथष ोगा-
क. पुराना
ख. बबलकुल नया
ग. अत्यंत प्रािीन
घ. उपयुवतत में से कोई भी नह ं
काव्यािंश- 2
लघुत्तरीय प्रश्न
1. कवव तया दिं ड चा ता ैं और तयों ?
उत्तर- कवि अपनी वप्रयतमा (सबसे प्यार स्त्री)को भल
ू ने का दं ड िाहता है तयोंकक उसके
अत्यचधक स्नेह के कारण उसकी आत्मा कमजोर हो गई है । उसका अपराध बोध से दबा मन
यह प्रेम सहन नह ं कर पा रहा है । उसका मन आत्मग्लानन से भर उठता है ।
38
2. कवव अपने जीवन में तया चा ता ै?
उत्तर- कवि िाहता है कक उसके जीिन में अमािस्या और दक्षक्षणी ध्रुि के समान गहरा अंधकार
छा जाए। िस्तुत: िह अपने वप्रय को भूलना िाहता है तथा उसके विस्मरण को िर र, मुख और
हृदय में बसाकर उसमें डूब जाना िाहता है।
3. कवव को तया स न न ीिं ोता?
उत्तर-कवि की वप्रयतमा (यानी सबसे वप्रय स्त्री) के स्नेह का उजाला अत्यंत रमणीय है । कवि का
व्यष्ततत्ि िारों ओर से उसके स्नेह से नघर गया है । इस अद्भुत, ननश्छल और उज्ज्िल प्रेम के
प्रकाि को उसका मन सहन नह ं कर पा रहा है ।
4. कवव की आत्मा कैसे ो गई ै तथा तयों ?
उत्तर- कवि की आत्मा अत्यंत कमजोर हो गई है तयोंकक िह अपनी प्यार स्त्री के अत्यचधक
स्नेह के कारण पराचश्रत हो गया है । यह स्नेह उसके मन को अंदर-ह -अंदर पीडड़त कर रहा है ।
दख
ु से छटपटाता ककसी अनहोनी की कल्पना मात्र से ह उसका मन काूँप उठता है।
5. ‘स षष स्वीकारा ै ’ कववता का भशल्प-सौन्दयष स्पष्ट कीक्जए ।
उत्तर- कवि ने खड़ी बोल में सहज अमभव्यष्तत की है ।
० तत्सम िब्दािल का सुंदर प्रयोग है ।
० ‘अमािस्या’, ‘अंधकार’ ननरािा के प्रतीक हैं।
० ‘दक्षक्षण ध्रुिी अंधकार-अमािस्या’ में रूपक अलंकार है ।
० ‘अंधकार-अमािस्था’ में अनुप्रास अलंकार है ।
पाि-6 उषा (शमशेर ब ादरु भसिं )
ब ु ववकल्पीय प्रश्न
39
उत्तर – ख
2. कवि ने लाल केसर कहा है –
(क) केसर की तयार को
(ख) लाल फूलों को
(ग) उषा की लामलमा, को
(घ) मसल के रं ग को
उत्तर- ग
3. ‘उषा’ कविता में कवि ने स्लेट कहा है –
(क) भोर के आकाि को
(ख) धरती को
(ग) बच्िों के मलखने की स्लेट को
(घ) िौके को
उत्तर - ख
4. ‘बहुत नीला, िंख जैसा’ में अलंकार है -
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) उपमा
(घ) श्लेष
उत्तर - ग
5. काल मसल ककसे कहा गया है ?
(क) सय
ू व
(ख) आकाि
(ग) िंद्रमा
(घ) तारे
उत्तर - ख
2. तनम्नभलणखत पदयािंश को पिकर प्
ू े गये प्रश्नों का उत्तर भलखें |
नील जल में या ककसी की
गौर णझलममल दे ह
जैसे हहल रह हो।
और...
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूयोदय हो रहा है ।
40
(ग) नीले आकाि में छाए पीले प्रकाि का
(घ) प्रात: के धुंधले प्रकाि में दरू जलती आग का
उत्तर- ख
2. ‘उषा’ कविता की प्रमुख वििेषताएूँ हैं –
(क) भोर के नभ का िणवन
(ख) अलंकार योजना
(ग) निीन बबम्ब-योजना
(घ) भाषा-िैल
उत्तर - ग
3. उषा के जादू टूटने का तया कारण है ?
(क) ओस
(ख) सूयोदय
(ग) िंद्रास्त
(घ) तारे
उत्तर - ख
4. ‘नील जल में ……………गौर णझलममल दे ह जैसे हहल रह हो’ में कौन-सा भाि है ?
(क) सुगंध का
(ख) ननमवलता का
(ग) उज्ज्िलता क
(घ) तरलता का
उत्तर - ग
5. नीले आकाि में उहदत होता सय
ू व कैसा प्रतीत होता है ?
(क) िंख जैसा
(ख) मसंदरू जैसा
(ग) गौरिणीय संद
ु र जैसा
(घ) झील जैसा
उत्तर – क
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. प्रातः के नभ को बहुत नीला िंख जैसा बताकर कवि आकािी दृश्य की तया वििेषता बताना
िाहता है ?
उत्तर:
कवि इस कविता में ग्रामीण क्षेत्र के दरू -दरू तक दिवनीय आकाि के प्रात:काल न सौन्दयव का िणवन कर
रहा है । भोर के समय सय
ू ोदय से पहले धध
ंु लके में आकाि गहरा नीला या काला-सा प्रतीत होता है ।
41
इस रं ग में भोर के हल्के उजास का भी ममश्रण रहता है । अत: इसमें एक बहुत हल्की-सी दमक भी होती
है । कवि ने इसी कारण बहुत नीला ‘िंख’ जैसा बताया है । िंख में एक प्राकृनतक दमक दे खी जाती है ।
प्रश्न 2. भोर के आकाि के मलए कवि ने ‘राख से ल पा िौका (अभी गीला पड़ा है )’ उपमान का िुनाि
तयों ककया है ? अपना मत मलणखए।
उत्तर:
ग्रामीण घरों में आग भी रसोईघर को िौका कहा जाता है और उसके फिव को गोबर और ममट्ट से
ल पा जाता है । ताजा पीला हुआ फिव गीला रहता है । कवि ने इस घरे लू और सुपररचित बबम्ब में थोड़ा
सुधार करके उसे राख से ल पा बताया है । नीले आकाि में भोर के हल्के प्रकाि का ममश्रण उसे राख
जैसे रं ग िाला बना रहा है । इसी कारण कवि ने उसे राख से ल पा गया िौका कहा है ।
प्रश्न 3. बहुत काल मसल जरा-से लाल केसर से कक जैसे धुल गई हो।” इस पंष्तत की काव्यगत
वििेषताओं का पररिय कराइए।
उत्तर:
इस पंष्तत में कवि ने एक सिवथा नए घरे लू बबम्ब द्िारा उषाकाल न आकाि का िणवन ककया है ।
सामान्य घरों में आज भी मसाला िटनी आहद पीसने के मलए मसल का प्रयोग होता है । पीसने के
पश्िात ् मसल को धो हदया जाता है । ककन्तु प्रनतः के आकाि के गहरे नीले रं ग में उसकी लामलमा
नछटकी हुई है । कवि ने आकाि को काल मसल और लामलमा को लाल केसर ममचश्रत जल माना है ।
ष्जससे मसल को धोया गया है । इसके अनतररतत भाषा की सरलता और लाक्षणणकता तथा उत्प्रेक्षा
अलंकार का प्रयोग भी इस पंष्तत की वििेषता है ।
प्रश्न 4. “स्लेट पर या लाल खडड़या मल द हो ककसी ने इस पंष्तत द्िारा कवि ने प्रात:काल के ककस
दृश्य को बबम्ब साकार ककया है ? स्पष्ट कीष्जए।
उत्तर:
इस पंष्तत द्िारा कवि ने भोर के नीले-काले आकाि में छाई हुई उषा की लामलमा के दृश्य को एक
बबलकुल नए विम्ब द्िारा हमारे मने पर साकार ककया है ।
आकाि काला है और स्लेट भी काल है । आकाि में उषा की लामलमा छाई हुई है और काल स्लेट पर
लाल खडड़या या िाक मल हदया गया है । इस प्रकार कवि ने भोर के आकाि के मलए इस नए उपमान
की सष्ृ ष्ट की है । उपमेय और उपमान की समानता से हमें कवि द्िारा दे खे गए भोर के दृश्य की
प्रत्यक्ष जैसी अनभ
ु नू त होती है ।
प्रश्न 5. नीले जल में णझलममलाती गौरिणव दे ह’ का प्रयोग ककस दृश्य के मलए ककया है ?
उत्तर:
इस विम्ब में नीला जल नीले आकाि का प्रतीक है । आकाि में सूयोदय से पि
ू व का पीला प्रकाि गौरिणव
दे ह द्िारा व्यतत ककया गया है । नीले जल में स्नान करती गौरिणव सुन्दर का णझलममलाता िर र
बताकर इस विम्ब द्िारा सूयोदय पूिव के आकािीय दृश्य को प्रस्तुत कर रहा है ।
पहित पदयािंश 2
खेती न ककसान को, मभखार को न भीख, बमल,
बननक को बननज, न िाकर को िाकर
जीविका बबह न लोग सीद्यमान सोि बस,
कहैं एक एकन सों ‘ कहाूँ जाई, का कर ?’
बेदहूूँ पुरान कह , लोकहूूँ बबलोककअत,
साूँकरे स सबैं पै, राम ! रािरें कृपा कर ।
दाररद-दसानन दबाई दन
ु ी, द नबंधु !
दरु रत-दहन दे णख तुलसी हहा कर ।
प्रश्न 0 2 प्रस्तत
ु पद में ककस ष्स्थनत का चित्रण है
(अ) अन्याय का
(ब) विलामसता का
(स) समाज की बेरोजगार एिं अकाल
(द) भष्तत का
*(स) समाज की बेरोजगार एिं अकाल
प्रश्न 0 3 प्रस्तुत पद में ककस अलंकार की छटा है
(अ) अनुप्रास अलंकार
(ब) यमक अलंकार
(स) रूपक अलंकार
(द) उपमा अलंकार
44
*(अ) अनप्र
ु ास अलंकार
प्रश्न 0 4 सांकरे िब्द का अथव है
(अ) संकरा
(ब) संकट के समय
(स) दब
ु ला
(द) जीिन
*(ब) संकट के समय
45
उत्तर:- कुछ लोग पेट की आग बझ
ु ाने के मलए पढ़ते हैं तो कुछ अनेक तरह की कलाएूँ सीखते हैं।
कोई पिवत पर िढ़ता है तो कोई घने जंगल में मिकार के पीछे भागता है । इस तरह िे अनेक छोटे -बड़े
काम करते हैं।
सत
ु बबत नारर भिन पररिारा। होहहं जाहहं जग बारह बारा।।
अस बबिारर ष्जय जागहु ताता। ममलइ न जगत सहोदर भ्राता।।
जथा पंख बबनु खग अनत द ना। मनन बबनु फनन कररबर कर ह ना।।
अस मम ष्जिन बंधु बबनु तोह । जों जड़ दै ि ष्जआिे मोह ।।
जैहउूँ अिध किन मुहुूँ लाई। नारर हे तु वप्रय भाड़ गिाई।।
बरु अपजस सहतेउूँ जग माह ं। नारर हानन बुसेष छनत नह ं।।
(1) अिधी
(2) बज्र
(3) बुन्दे ल
(4) मेिाती
उत्तर :- अिधी
प्रश्न 2. सुत बबत नारर भिन पररिारा। होहहं जाहहं जग बारह बारा।। पंष्तत में बबत िब्द का अथव है ?
(1) धन
(2) गाय
(3) पुत्र
(4) पत्नी
उत्तर :- धन
(1) तुलसीदास
(2) सूरदास
46
(4) हररदास
उत्तर :- तुलसीदस
(1) मुूँह
(2) मणण
(3) दांत
(4) पैर
उत्तर :- मणण
(1) राम
(2) सीता
(3) हनुमान जी
(4) सुग्रीि
उत्तर :- राम
प्रश्न 1. प्रस्तत
ु पद्यांि में रािण की सेना के कौन-कौनसे िीर मारे गए?
(1) दे िित्रु
(2) नरान्तक
(3) महोदर
(1) दे िित्रू
(2) रािण
(3) मेघनाथ
(4) विभीषण
उत्तर - रािण
(1) हनुमान जी
(2) राम
(3) लक्षमण
(4) कुम्भकरण
उत्तर - हनुमान जी
प्रश्न 4. सुनन दसकंधर बिन तब]कंु भकरन बबलखान।। पंष्तत में दसकंधर िब्द ककसके मलए प्रयुतत
हुआ है ?
(1) रािण
(2) मेघनाथ
(3) कुम्भकरण
(4) सुपणवखा
उत्तर :- रािण
(1) लक्ष्मी
(2) सीता
(3) मंदोदर
(4) सप
ु णवखा
उत्तर - सीता
लघुत्तरीय प्रश्न
48
(1) हनुमान जी ने भरत से तया कहा ?
उत्तर हनम
ु ान जी भरत से कहा कक हे नाथ! मैं आपके प्रताप को मन में धारणकर तरु ं त जाऊंगा |
उत्तर - राम को लक्ष्मण के बबना अपना जीिन उतना ह ह न लगता है , ष्जतना पंख के बबना पक्षी,
मणण के साूँप तथा संड
ु के बबना हाथी का जीिन ह न होता है |
उत्तर - रािण कुम्भकरण के पास गया तथा कुम्भकरण को अनेक तर को से नींद से जगाया |
उत्तर :- हनुमानजी लक्ष्मण के इलाज के मलए संजीिनी बूट लाने हहमायल पिवत गए थे| उन्हें आने एसा
दे र हो रह थी| इधर राम बहुत व्याकुल हो रहे थे | उनके विलाप से िानर सेना में िोक की लहर थी|
इसी बीि हनुमान जी संजीिनी बट ू लेकर आ गए| िैद्य ने तुरंत संजीिनी बट ू से दिा तैयार करके
लक्ष्मण को वपलाई तथा लक्ष्मण ठीक हो गया| लक्षमण के उठने से राम का िोक समाप्त हो गया |
लक्ष्मण स्ियं उत्साहहत िीर थे | उनके आ जाने से सेना को खोया मनोबल िावपस आ गया | इस तरह
हनुमान जी द्िारा पिवत उठा कर लाने से िोक ग्रस्त माहौल में िीररस का आविभावि हो गया |
द िाल की िाम घर पत
ु े और सजे
49
बालक तो हई िांद पै ललिाया है
i.अस्त व्यस्त
ii.साफ सुंदर पुते हुए घर
iii.बच्िों के णखलौने घरों में फैले हुए
iv.अस्िच्छ
i.कपड़े
ii.ममठाई
iii.िीनी ममट्ट के णखलौने
iv.िीनी के णखलौने
प्रश्न- 3 हदए जलाते समय बच्िे के मलए माता के िेहरे पर कैसा भाि आता है ?
i.कोमलता का
ii.मिचथलता का
iii.स्तब्धता का
iv.असमंजसता का
i.द पक जलाने का
ii.घर की साज-सज्जा का
iii.घर की साफ सफाई का
iv.उपयवत
ु त सभी
i.रूपिती सखी
ii.ममत्र
iii.माता
iv.सहयोगी
उत्तर – 1-साफ सुंदर पुते हुए घर, 2- िीनी के णखलौने, 3- कोमलता का ,4- उपयुवतत सभी,
5- माता
50
नौरस गुंिे पंखुडड़यों की नाजुक चगरहें खोले हैं
तम
ु भी सन
ु ो हो यारो ! िब में सन्नाटे कुछ बोले हैं
प्रश्न- 1 प्रथम दो पंष्ततयों में कवि ने ककसके सौंदयव का सुंदर िणवन ककया है ?
i.नानयका का
ii.प्रकृनत का
iii.आकाि का
iv.बगीिे का
प्रश्न- 2 िसंत ऋतु के आगमन से निीन कमलयों में ककस तरह का पररितवन हदखाई पड़ता है ?
प्रश्न- 3 कमलयां पल्लवित होकर ककस प्रकार के पररितवन से ओतप्रोत हो जाना िाहतीं हैं?
i.तारों के बोलने की
ii.लोगों के बोलने की
iii.सन्नाटा के बोलने की
iv.दे िदत
ू ों के बोलने की
i.तारों को
ii.सन्नाटा को
iii.ममत्रों को
iv.रात को
उत्तर-1- प्रकृनत का, 2- कमलयां निीन रस से युतत हैं, 3- खुिबू को िातािरण में फैलाना िाहती हैं,
51
4- सन्नाटा के बोलने की ,5- ममत्रों को
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बच्िा कब प्रसन्नता का अनुभि महसूस करता है ?
उत्तर:
जब माूँ अपने बच्िे को उछाल-उछाल कर प्यार करती है तो बच्िे की हूँसी सबसे ज्यादा गूूँजती है ।
बच्िा खलु े िातािरण में बहुत खि
ु ी महसस
ू करता है । जब िह ऊपर की ओर बार-बार उछलता है तो
िह रोमांचित हो उठता है ।
प्रश्न-2 कवि ने ‘िाूँद का टुकड़ा’ ककसे कहा है और तयों?
उत्तर- कवि ने िाूँद का टुकड़ा माूँ की गोद में खेल रहे बच्िे को कहा है तयोंकक िह िाूँद के समान ह
संद
ु र है ।
प्रश्न-3 कवि तथा ककस्मत तया कायव करते हैं?
उत्तर- कवि अपनी दयनीय दिा के मलए भाग्य को दोषी ठहराता है तथा ककस्मत उसकी अकमवण्यता को
दे खकर झल्लाती है । दोनों एक-दस
ू रे को ष्जम्मेदार ठहराते हैं।
प्रश्न-4 ननन्दक ककन्हें कहते हैं? िे ककसे बदनाम करना िाहते हैं?
उत्तर- ननंदक िे लोग होते हैं जो अकारण दस
ू रों की कममयों को बबना सोिे-समझे दस
ू रों के समक्ष प्रस्तुत
कर दे ते हैं। ऐसे लोग कवि को बदनाम करना िाहते हैं।
प्रश्न-5 बच्िे को लेकर माूँ के ककन कक्याकलापों का चित्रण ककया गया हैं? उनसे उसके ककस भाि की
अमभव्यष्तत हो रह है ?
उत्तर - बच्िे को लेकर माूँ आूँगन में खड़ी है । िह हूँसाने के मलए बच्िे को हिा में झुला रह है , लोका दे
रह है । इन कक्याओं से प्रेम और िात्सल्य के साथ ह उसकी ममता की अमभव्यष्तत हो रह है ।
गदय िाग
पाि-11 िक्ततन (म ादे वी वमाष)
वपता का उस पर अगाध प्रेम होने के कारण स्िभाित: ईष्यावलु और संपवत्त की रक्षा में सतकव विमाता ने उनके
मरणांतक रोग का समािार तब भेजा जब िह मत्ृ यु की सूिना भी बन िुका था । रोने पीटने के अपिकुन से
बिने के मलए सास ने भी उसे कुछ ना बताया। बहुत हदन से नैहर नह ं गई, सो जा कर दे ख आिे, यह कहकर
और पहना -उढ़ाकर सास ने उसे विदा कर हदया। इस अप्रत्यामित अनुग्रह ने उसके पैरों में जो पंख लगा हदए थे,
िह गांि की सीमा में पहुंिते ह झड़ गए।'हाय लक्षममन अब आई'की अस्पष्ट पुनरािनृ तयां और स्पष्ट सहानुभूनत
पूणव दृष्ष्टयां उसे घर तक ठे ल ले गई। पर िहां न वपता का चिन्ह िेष था, न माता के व्यिहार में मिष्टािार का
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लेि था। दख
ु से मिचथल और अपमान से जलती हुई िह उस घर में पानी भी बबना वपए उलटें पैरों ससरु ाल लौट
पड़ी। सास को खर -खोट सन
ु ाकर उसने विमाता पर आया हुआ क्ोध िांत ककया और पनत के ऊपर गहने फेंक
फेंक कर उसने वपता के चिर बबछोह की ममव व्यथा व्यतत की।
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प्रश्न २ तनम्नभलणखत गदयािंश को ध्यान से पिें ।
सेिक धमव में हनुमान जी से स्पधाव करने िाल भष्ततन ककसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या
गोपामलका की कन्या है -नाम है लछममन अथावत लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की वििालता मेरे मलए दि
ु वह है िैसे ह
लक्ष्मी की समद्
ृ चध भष्ततन के कपाल की कंु चित रे खाओं में नह ं बंध सकी। िैसे तो जीिन में प्रायः सभी को
अपने अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है ; पर भष्ततन बहुत समझदार है , तयोंकक िह अपना
समद्
ृ चध सि
ू क नाम ककसी को बताती नह ं । केिल जब नौकर की खोज में आई थी, तब ईमानदार का पररिय
दे ने के मलए उसने िेष इनतित
ृ के साथ यह भी बता हदया; पर इस प्राथवना के साथ कक मैं कभी नाम का उपयोग न
करूं ।उपनाम रखने की प्रनतभा होती तो मैं सबसे पहले उसका उपयोगअपने ऊपर करती, इस तथ्य को िह
दे हानतन तया जाने , इसी से जब मैंने कंठी माला दे खकर उसका नया नामकरण ककया तब िह भष्ततन जैसे
कवित्िह न नाम को पाकर भी गदगद होती उठी।
उत्तर : भष्ततन का नामकरण लेणखका ने उसके िेिभूषा ि गले में कंठी माला को दे खते हुए ककया तयोंकक
भष्ततन गर ब थी और लक्ष्मी नाम उसकी ष्स्थनत के अनुरूप नह ं था इसमलए उसने लेणखका से अपने िास्तविक
नाम से न बुलाने की प्राथवना की। इसमलए लेणखका को उसका उपनाम रखना पड़।
उत्तर: भष्ततन का पनत भष्तत से इसमलए प्रेम करता था तयोंकक भष्ततन बात की पतकी, पररश्रमी , तेजष्स्िनी ि
कमवठ थी। ष्जसे िह अलग होने के बाद अपने घर गह
ृ स्थी को विचधित संभाल कर साबबत कर हदया था।
iii) भष्ततन की सास भष्तत इनके साथ भेदभाि पूणव बुरा व्यिहार तयों करती थी?
उत्तर: भष्ततन की सास भष्तत के साथ इसमलए भेदभाि पूणव िह बुरा व्यिहार करती थी तयोंकक भष्ततन ने एक
के बाद एक तीन कन्याओं को जन्म हदया। जबकक उसकी सास को तीन कमाऊ बेटे थे। भष्ततन के ससरु ाल में
पररिार में लड़कों का अचधक महत्ि था । जो आज भी समाज में लड़के- लड़ककयों में भेद ककए जाने को दिावता
है ।
iv) भष्ततन के मन में जेल जलने िालों के प्रनत तया भाि थे?
उत्तर: भष्ततन के मन में जेल जाने िालों के प्रनत सहानुभनू त के ि आदर के भाि थे। िह अपनी व्यथा अपने
िब्दों में कक विद्याचथवयों को इतनी कम उम्र में जेल भेजना बहुत ह अत्यािार ि अन्याय पूणव है और इस
अन्याय से प्रलय हो जाएगा कहकर व्यतत करती थी।
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उत्तर-भष्ततन के आ जाने से महादे िी िमाव का खाना पहनना दे हाती िैल में ढल गया । भष्ततन जो कुछ बनाती
थी लेणखका को िैसा ह खाना पड़ा। रात को उसे मकई के दमलया के साथ मट्ठा पीना पड़ा। बाजरे की नतललिाले
पुए खाने पड़े। ज्िार के भुने भुट्टे से बनी णखिड़ी खानी पड़ी। महुए की लपसी का आनंद लेना पड़ा। इन सब
िीजों को सामान्यता दे हाती लोग खाते हैं ष्जससे साबबत होता है लेणखका महादे िी अचधक दे हाती हो गई।
उत्तर- क
)क( जब मन भरा हो ।
)ग( जब पैसा हो
उत्तर ख -:
उत्तर- क
उत्तर क-
उत्तर क-
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बढ़ती का अथव परस्पर में सद्भाि की घट ।
उत्तर- ख
उत्तर ख -
उत्तर ख -
)क( साथवकता
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)ख( बाज़ारूपन।
उत्तर ग-
)क( कता
)ख( ता
) ग( आ
) घ( सा
उत्तर ख -
लघउ
ु त्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1:बाजार का जादू िढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर तयातया असर पड़ता हैं-?
उत्तर –संकेत -:जब बाज़ार का जादू िढ़ता है तो व्यष्तत कफजल
ू की खर ददार करता है----
प्रश्न 2:बाजार में भगत जी के व्यष्ततत्ि का कौन सा सितत पहल-ू उभरकर आता हैं? तया आपकी
नजर में उनका आिरण समाज में िांनतस्थावपत करने में मददगार हो सकता हैं-?
उत्तर – संकेत -:बाजार में भगत जी के व्यष्ततत्ि का यह सितत पहलू उभरकर आता है कक उनका
अपने मन पर पूणव ननयंत्रण है ।
प्रश्न.3‘ बाजार दिवन’ पाठ के आभार पर बताइए कक पैसे की पािर का रस ष्जन दो रूपेँ में प्राप्त ककया
जाता हैं?
उत्तर –संकेत -:मकान, संपवत्त, कोठी, कार, सामान आहद दे खकर।
प्रश्न 4:‘बाजारूपन’ से तया तात्पयव है ? ककस प्रकार के व्यष्तत बाज़ार को साथवकता प्रदान करते है
अथिा बाज़ार की साथवकता ककसमे है ?
उत्तर – बाज़ारूपन से तात्पयव है कक बाजार की िकािौंध में खो जाना। केिल बाजार पर ह ननभवर
रहना।
59
प्रश्न 5.बाज़ार ककसी का मलंग ,जानत ,धमव या क्षेत्र नह ं हदखाया ? िह दे खता है मसफ़व उसकी क्य -
िष्तत को। इस रूप में िह एक प्रकार से सामाष्जक समता की भी रिना कर रहा है। आप इससे कहाूँ
तक सहमत है ?
उत्तर – यह बात बबलकुल सह है कक बाजार ककसी का मलंग, जानत, धमव या क्षेत्र नह ं दे खता। िह मसफव
ग्राहक की क्य िष्तत को दे खता है ।-
गद्यांि :1
"पानी की आिा पर जैसे सारा जीिन आकर हटक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नह ं आती थी
कक जब िारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कहठनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ
पानी बाल्ट भर-भरकर इन पर तयों फेंकते हैं। कैसी ननमवम बरबाद है पानी की। दे ि की ककतनी क्षनत
होती है इस तरह के अंधविश्िासों से। कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी
हदलिा सकते हैं तो खुद अपने मलए पानी तयों नह ं माूँग लेते? तयों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करिाते
घूमते हैं? नह ं यह सब पाखंड है । अंधविश्िास है । ऐसे ह अंधविश्िासों के कारण हम अंग्रेजों से वपछड़
गए और गुलाम बन गए।"
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(स) पानी की बरबाद ,
(द) उपयुवतत सभी।
5. गद्यांि के माध्यम से लेखक तया संदेि दे ना िाहते हैं ?
(अ) पाखंड विखंडन,
(ब) अंधविश्िासों से मुष्तत,
(स) पानी की ननमवम बरबाद को रोकना,
(द) उपयुवतत सभी।
(उत्तर : 1 ब, 2 द, 3 अ, 4 द, 5 द)
गद्यांि : 2
"सिमि
ु ऐसे हदन होते जब गल -मह
ु ल्ला, गाूँि-िहर हर जगह लोग गरमी में भन
ु -भन
ु कर त्राहहमाम कर
रहे होते, जेठ के दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखिारा भी बीत िुका होता, पर क्षक्षनतज पर कह ं
बादल की रे ख भी नह ं हदखती होती, कुएूँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता
भी तो आधी रात को भी मानो खौलता हुआ पानी हो। िहरों की तुलना में गाूँि में और भी हालत
खराब होती थी। जहाूँ जुताई होनी िाहहए िहाूँ खेतों की ममट्ट सख
ू कर पत्थर हो जाती, कफर उसमें
पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती, लू ऐसी कक िलते-िलते आदमी आधे रास्ते में लू खाकर चगर पड़े।
ढोर-ढं गर प्यास के मारे मरने लगते लेककन बाररि का कह ं नाम ननिान नह ं , ऐसे में पूजा-पाठ कथा-
विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंनतम उपाय के रूप में ननकलती यह इंदर सेना। िषाव के
बादलों के स्िामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोल बाूँधकर कीिड़ में लथपथ ननकलती, पुकारते हुए मेघों
को, पानी माूँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के मलए।"
1. लोगों की परे िानी का तया कारण था ?
(अ) पानी का अभाि,
(ब) में ढक मंडल का बढ़ता दबदबा,
(स) बढ़ती गमी,
(द) बढ़ते हुए अंधविश्िास।
2. िषाव के स्िामी ककसे माना जाता है ?
(अ) िरुण,
(ब) यम,
(स) इन्द्र,
(द) कुबेर।
3. गाूँि िाले बाररि के मलए तया उपाय करते थे ?
(अ) पज
ू ा-पाठ,
(ब) कथा-विधान,
(स) उपयत
वु त दोनों,
(द) इनमें से कोई नह ं।
4. गद्यांि में प्रयत
ु त "ल"ू िब्द का मतलब है :
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(अ) गरम हिा,
(ब) ठं डी हिा,
(स) सुगंचधत हिा,
(द) मलयाननल
5. गल -मुहल्ला, गाूँि-िहर हर जगह लोग :
(अ) परे िान थे,
(ब) प्रसन्न थे,
(स) नाराज थे,
(द) िांत थे।
(उत्तर : 1 अ, 2 स, 3 स, 4 अ, 5 अ)
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: काले मेघा पानी दे ,संस्मरण के लेखक ने लोक – प्रिमलत विश्िासों को अंधविश्िास कहकर
उनके ननराकरण पर बल हदया है । – इस कथन की वििेिना कीष्जए ?
उत्तर – लेखक ने इस संस्मरण में लोक-प्रिमलत विश्िासों को अंधविश्िास कहा है । पाठ में इंदर सेना के
कायव को िह पाखंड मानता है । आम व्यष्तत इंदर सेना के कायव को अपने-अपने तकों से सह मानता है ,
परं तु लेखक इन्हें गलत बताता है । इंदर सेना पर पानी फेंकना पानी की क्षनत है जबकक गरमी के मौसम
में पानी की भार कमी होती है । ऐसे ह अंधविश्िासों के कारण दे ि का बौद्चधक विकास अिरुद्ध होता
है । हालाूँकक एक बार इन्ह ं अंधविश्िास की िजह से दे ि को एक बार गुलामी का दं ि भी झेलना पड़ा।
प्रश्न 2: ‘काले मेघा पानी दे ’ पाठ की ‘इंदर सेना’ युिाओं को रिनात्मक कायव करने की प्रेरणा दे सकती
हैं-तकव सहहत उत्तर द ष्जए।
उत्तर – इंदर सेना युिाओं को रिनात्मक कायव करने की प्रेरणा दे सकती है । इंदर सेना सामूहहक प्रयास
से इंद्र दे िता को प्रसन्न करके िषाव कराने के मलए कोमिि करती है । यहद युिा िगव के लोग समाज की
बरु ाइयों, कममयों के णखलाफ़ सामहू हक प्रयास करें तो दे ि का स्िरूप अलग ह होगा। िे िोषण को
समाप्त कर सकते हैं। दहे ज का विरोध करना, आरक्षण का विरोध करना, निाखोर के णखलाफ़ आिाज
उठाना-आहद कायव सामहू हक प्रयासों से ह हो सकते हैं।
प्रश्न 3: यहद आप धमविीर भारती के स्थान पर होते तो जीजी के तक सुनकर तया करते और तयों?
‘काले मेघा पानी दे ’-पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर – यहद मैं लेखक के स्थान पर होता तो जीजी का तकव सुनकर िह करता जो लेखक ने ककया,
तयोंकक तकव करने से तो जीजी िायद ह कुछ समझ पातीं, उनका हदल दख
ु ता और हमारे प्रनत उनका
सद्भाि भी घट जाता। लेखक की भाूँनत मैं भी जीजी के प्यार और सद्भाि को खोना नह ं िाहता ।
यह कारण है कक आज भी बहुत-सी बेतुकी परं पराएूँ हमारे दे ि को जकड़े हुए हैं।
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प्रश्न 4: ‘काले मेघा पानी दे ’ पाठ के आधार पर जल और िषाव के अभाि में गाूँि की दिा का िणवन
कावष्जए।
उत्तर – गल -मोहल्ला, गाूँि-िहर हर जगह लोग गरमी से भुन-भन
ु कर त्राहहमाम-त्राहहमाम कर रहे थे।
जेठ मास भी अपना ताप फैलाकर जा िुका था और अब तो आषाढ़ के भी पंद्रह हदन बीत िुके थे। कुएूँ
सूखने लगे थे, नलों में पानी नह ं आता था। खेत की माट सूख-सूखकर पत्थर हो गई थी। पपड़ी पड़कर
अब खेतों में दरारें पड़ गई थीं। झुलसा दे ने िाल लू िलती थी। ढोर-ढं गर प्यास से मर रहे थे, पर प्यास
बुझाने के मलए पानी नह ं था। ननरुपाय से ग्रामीण पूजा-पाठ में लगे थे। अंत में इंद्र से िषाव के मलए
प्राथवना करने इंदर सेना भी ननकल पड़ी थी।
प्रश्न 5: हदन-हदन गहराते पानी के संकट से ननपटने के मलए तया आज का युिा िगव ‘काले मेघा पानी दे ’
काव इंदर सेना की तजव पर कोई सामहू हक आंदोलन प्रारं भ कर सकता हैं? अपने वििार मलणखए।
उत्तर – आज के समय पानी के गहरे संकट से ननपटने के मलए यि
ु ा िगव सामहू हक आंदोलन कर सकता
है । यि
ु ा िगव िहर ि गाूँिों में पानी की कफजल
ू खिी को रोकने के मलए प्रिार आंदोलन कर सकता है ।
गाूँिों में तालाब खद
ु िा सकता है ताकक िषाव के जल का संरक्षण ककया जा सके। यि
ु ा िक्ष
ृ ारोपण
अमभयान िला सकता है ताकक िषाव अचधक हो तथा पानी भी संरक्षक्षत रह सके। िह घर-घर में पानी के
सह उपयोग की जानकार दे सकता है ।
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उत्तर-I
5-लुट्टन को कसरत करने की धुन तयों सिार हुई-
(I)उसकी सास को लोग तंग करते थे| (II)िह पहलिान बनाना िाहता था|
(III)िह नौ िषव का था| (IV)उसकी सास ने कहा था|
उत्तर-I
लघत्त
ु रीय प्रश्न
1-‘गाूँि भयात्तव मििु की तरह थर-थर काूँप रहा था|’ गाूँि की ऐसी दिा का कारण स्पष्ट कीष्जए|
उत्तर-गाूँि में महामार का आंतक था| प्रत्येक घर में कोई न कोई मर िुका था| कोई दिा और उपाय
नह ं बिा था| ऐसे में गाूँि का कांपना स्िाभाविक था|
2- अंधेर रात के िुपिाप आूँसू बहाने और तारों के हं सने से ककस पररष्स्थनत का पता िलता है ?
उत्तर-गाूँि की ष्स्थनत बहुत दयनीय थी| महामार और अकाल ने गाूँि को लगभग समाप्त कर हदया था|
तारे आसमान से टूटकर रोिनी दे ने के मलए आने लगते तो दस
ू रे तारे उसके ननरथवक प्रयास पर हं सते
थे|
3- पहलिान की ढोलक संध्या से लेकर प्रातःकाल तक बजकर तया सन्दे ि दे ना िाहती थी?
उत्तर-लोगों को हर नह ं मानना िाहहए| कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है | लोगों के मन में संजीिनी
िष्तत का संिार भी ढोल की आिाज़ करती थी|
उत्तर-लुट्टन के माता-वपता बिपन में ह मर गए| िाद बिपन में होने से सास ने ह माूँ की भूममका
ननभाई| यह उसका सौभाग्य ह था|
5- लुट्टन पर कसरत की धुन तयों सिार हुई थी और उसका पररणाम तया हुआ?
उत्तर-लुट्टन के सास को लोग तंग करते थे| लोगों से बदला लेने के मलए उसके मन में कसरत की धुन
सिार हुई| लुट्टन का िर र मांसल और गठीला हो गया|
1- “जब डडिीजन हुआ तभी आये, मगर हमारा ितन ढाका है , मैं तो कोई बारह-तेरह साल का था। पर
नजरूल और टै गोर साहब को तो हम लोग बिपन से पढ़ते थे। ष्जस हदन हम रात में यहां आ रहे थे ,
उसके ठीक एक िषव पहले मेरे सबसे परु ाने, सबसे प्यारे बिपन के दोस्त ने मझ
ु े यह ककताब द थी।
उस हदन मेर सालचगरह थी-कफर हम कलकत्ता रहे , पढ़े , नौकर भी ममल गयी, पर हम ितन आते-जाते
थे।“
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प्रश्न-1 यह कथन ककसने-ककससे कहा है ?
क) लाहौर कस्टम अचधकार ने सकफ़या से
ख) सकफ़या ने मसख बीबी से
ग) सकफ़या के भाई ने सकफ़या से
घ) सुनील दास गुप्त (भारतीय कस्टम अचधकार ) ने सकफ़या से
उत्तर-घ) सुनील दास गुप्त (िारतीय कस्टम अगधकारी ) ने सक्रफ़या से
प्रश्न-4 सन
ु ील दासगप्ु त का ितन कौन सा था?
क) ढाका
ख) लाहौर
ग) दे हल
घ) पेिािर
उत्तर क) ढाका
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2- प्लेटफ़ॉमव पर उसके बहुत-से दोस्त, भाई, ररश्तेदार थे, हसरत भर नजरों, बहते हुए आूँसओ
ु ं, ठं डी साूँसों
और मभिे हुए होंठों को बीि में से काटती हुई रे ल सरहद की तरफ बढ़ । अटार में पाककस्तानी पमु लस
उतर , हहंदस्
ु तानी पुमलस सिार हुई। कुछ समझ में नह ं आता था कक कहाूँ से लाहौर खत्म हुआ और
ककस जगह से अमत ृ सर िुरू हो गया। एक जमीन थी, एक जबान थी, एक-सी सूरतें और मलबास, एक-सा
लबोलहजा, और अंदाज थे, गामलयाूँ भी एक ह -सी थीं ष्जनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दस
ू रे को निाज रहे
थे। बस मुष्श्कल मसफव इतनी थी कक भर हुई बंदक
ू ें दोनों के हाथों में थीं।
प्रश्न-1 प्लेटफ़ॉमव पर कैसा दृश्य था?
क) बहुत भीड़ थी
ख) उसके भाई,दोस्त,ररश्तेदार थे
ग) सन्नाटा था
घ) बहुत िोर था
उत्तर- ख) उसके िाई,दोस्त,ररश्तेदार थे
प्रश्न-2 ककस स्थान पर पाककस्तानी पुमलस उतर और हहंदस्
ु तानी पुमलस सिार हुई।
क) लाहौर
ख) अमत
ृ सर
ग) ढाका
घ) अटार
उत्तर- घ) अटारी
प्रश्न-3 भारत और पाककस्तान के लोगों में तया समानता थी ?
क) मलबास और लबोलहजा
ख) जबान
ग) अंदाज
घ ) ये सभी
उत्तर- घ ) ये सिी
प्रश्न-4 लेणखका ककस मष्ु श्कल के बारे में बता रह हैं?
क) बहुत ठं डी थी
ख) िोर मि रहा था
ग) दोनों तरफ के लोगों की बंदक
ू ें भर हुई थी |
घ) रे न में भीड़ बहुत थी
उत्तर- ग) दोनों तरफ के लोगों की बिंदक
ू ें िरी ु ई थी |
प्रश्न-5 ‘निाज’ िब्द का अथव है –
क) सम्मान
ख) ष्जसमें आिाज न हो
ग) अपमान
घ) इनमें से कोई नह ं
उत्तर- क) सम्मान
67
लघत्त
ु रीय प्रश्न
जानत प्रथा को यहद श्रम विभाजन मान मलया जाए, तो यह स्िाभाविक विभाजन नह ं है , तयोंकक यह
मनुष्य की रूचि पर आधाररत नह ं है | कुिल व्यष्तत या सक्षम श्रममक-समाज का ननमावण करने के मलए
यह आिश्यक है कक हम व्यष्ततयों की क्षमता इस सीमा तक विकमसत करें ,ष्जससे िह अपना पेिा या
कायव का िुनाि स्ियं कर सके। इस मसद्धांत के विपर त जानत प्रथा का दवू षत मसद्धांत यह है कक
इससे मनष्ु य के प्रमिक्षण अथिा उसकी ननजी क्षमता का वििार ककए बबना, दस
ू रे ह दृष्ष्टकोण जैसे
माता,वपता के सामाष्जक स्तर के अनुसार- पहले से ह अथावत गभवधारण के समय से ह मनुष्य का
पेिा ननधावररत कर हदया जाता है |
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घ- उपयवत
ु त में से कोई नह ं है ।
उत्तर- तयोंकक यह मनुष्य की रुचि पर आधाररत नह ं है |
3- सक्षम श्रममक समाज के ननमावण के मलए तया आिश्यक है ?
क- समानता
ख- व्यिसाय ियन की स्ितंत्रता
ग- समथवन
घ- समान विभाजन
उत्तर- व्यिसाय ियन की स्ितंत्रता
4- जानत प्रथा का दवू षत मसद्धान्त तया है ?
क- जानत आधाररत व्यिसाय का ियन
ख- जानत व्यिस्था सिोपरर
ग- जानत का विभाजन
घ- समान दृष्ष्टकोण
उत्तर- जानत आधाररत व्यिसाय का ियन
5- जानत प्रथा के अनुसार मनुष्य का पेिा कब ननधावररत होता है ?
क- गभव धारण के समय
ख- गभव धारण के बाद
ग- जन्म से पहले
घ- जन्म के बाद
उत्तर- गभव धारण के समय
गदयािंश 2
जानत प्रथा के पोषक, जीिन, िार ररक-सुरक्षा तथा संपवत्त के अचधकार की स्ितंत्रता को स्िीकार तो कर
लेंगे,परं तु मनुष्य के सक्षम एिं प्रभाििाल प्रयोग की स्ितंत्रता दे ने के मलए जल्द तैयार नह ं
होंगे,तयोंकक इस प्रकार की स्ितंत्रता का अथव होगा अपना व्यिसाय िुनने की स्ितंत्रता ककसी को नह ं
है ,तो उसका अथव उसे’दासता‘ में जकड़ कर रखना होगा,तयोंकक ’दासता‘ केिल कानन
ू ी पराधीनता को ह
नह ं कहा जा सकता‘|दासता’ में िह ष्स्थनत भी सष्म्ममलत है , ष्जससे कुछ लोगों को दस
ू रे लोगों के
द्िारा ननधावररत व्यिहार एिं कतवव्यों का पालन करने के मलए वििि होना पड़ता है यह| ष्स्थनत कानन
ू ी
पराधीनता ना होने पर भी पाई जा सकती है | उदाहरणाथव,जानत प्रथा की तरह ऐसे िगव होना संभि
है ,जहां कुछ लोगों की अपनी इच्छा के विरुद्ध पेिे अपनाने पड़ते हैं।
1- जानत प्रथा के पोषक ककसका अचधकार स्िीकार कर लेंगे?
क-संपवत्त के अचधकार की स्ितंत्रता
ख-धाममवक स्ितंत्रता
ग- सामाष्जक स्ितंत्रता
घ- सांस्कृनतक स्ितंत्रता
उत्तर- संपवत्त के अचधकार की स्ितंत्रता
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2- लेखक के अनस
ु ार दासता है -
क- व्यिसाय ियन की स्ितंत्रता
ख- अन्य द्िारा ननधावररत कतवव्यों का पालन करना
ग- दस
ू रे के कतवव्यों का पालन न करना
घ- राजनीनतक पराधीनता
उत्तर- अन्य द्िारा ननधावररत कतवव्यों का पालन करना
3- कुछ व्यष्ततयों को दस
ू रे लोगों द्िारा ननधावररत ननयमों का पालन करना पड़ता है-
क- तयोंकक िह सक्षम होते हैं|
ख- कयोंकक िे समथव होते हैं|
ग- कयोंकक िे कमज़ोर होते हैं|
घ- तयोंकक िे िष्ततिान होते हैं|
उत्तर- तयोंकक िे कमज़ोर होते हैं|
4- दासता केिल................ नह ं कहा जा सकता|
क- कानूनी पराधीनता को
ख- सामाष्जक स्ितंत्रता को
ग- राजनैनतक स्ितंत्रता को
घ- पूिव ननधावररत ननयम को
उत्तर- कानूनी पराधीनता को
5- ननधावररत िब्द में उपसगव मूल िब्द प्रत्यय होंगे-
क- नी:, धारण, इक
ख- ननर, धारण, इत
ग- नन, धार, इट
घ- ननत धारण, इत
उत्तर- ननर, धारण, इत
लघुत्तरीय प्रश्न
5-डॉ. अंबेडकर अपनी कल्पना में समाज का कैसा रूप दे खते हैं ?
उत्तर –
70
1- भारत की जानत प्रथा श्रममकों का अस्िाभाविक विभाजन तो करती ह है , इसके साथ-साथ विभाष्जत
िगों को एक दस
ू रे की अपेक्षा ऊूँि-नीि भी करार दे ती है | ऐसा विश्ि के ककसी भी समाज में नह ं पाया
जाता|
2-आधुननक युग में भी जानत प्रथा इसमलए बनी हुई है , तयोंकक जानत प्रथा के पोषक इसको समाप्त नह ं
होने दे ते | िे हमेिा इसको बढ़ािा दे ते हैं |
3-आज के उद्योगों में गर बी और उत्पीड़न समस्या होते हुए भी इतनी बड़ी समस्या नह ं है , ष्जतनी
बड़ी समस्या यह है कक बहुत से लोग ननधावररत काम को अरुचि के साथ वििितािि करते हैं | यह
प्रिवृ त्त टालू काम कराने ि कम काम कराने को प्रेररत करती है |
4-जानत प्रथा का सबसे बड़ा दोष यह है कक जानत प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की अपनी इच्छा पर
ननभवर नह ं रहता | इसमें मनुष्य की व्यष्ततगत भािना या रुचि को कोई महत्ि नह ं हदया जाता |
ववतान िाग- 2
पाि-1 भसल्वर वैडडिंग (मनो रश्याम जोशी)
1- सुविधाजनक और आधुननक होते हुए भी अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे कुछ बदलाि
बज
ु ग
ु ों को अच्छे नह ं लगते। उनको यह बदलाि अच्छे न लगने के तया कारण हो सकते हैं?
2- 'मसल्िर िेडडंग' पाठ में 'जो हुआ होगा' िातय की अथव छवियां ननम्न में जो नह ं है उसे छांहटए।
क- अकेलेपन के कारण
ख- कोई खोज खबर लेने िाला न हो
ग- बबरादर से घोर उपेक्षा ममल
घ- क्षय रोग से
71
उत्तर- घ- क्षय रोग से
5- ’‘मसल्िर िैडडंग’ पाठ में ऑकफस से घर लौटते समय यिोधर बाबू कहाूँ िले जाते थे?
क- गोल माकेट
ख- पहाड़ी पर
ग- मसनेमाघर
घ- बबरला मंहदर
क-प्रेमिंद
ख-मनोहर श्याम जोिी
ग-डॉतटर आनंद यादि
घ-ओम थानिी
72
क-9 जनिर 1932
ख-9 मािव 1932
ग-9 अगस्त 1933
घ-9 अगस्त 1930
क-अजमेर में
ख-लखनऊ में
ग-भोपाल में
घ-कानपुर में
क-ककसी की ओर दे खना
ख-जोरदार जिाब दे ना
ग-ठहाका मारकर हं सना
घ-प्रिंसा करना
क-ककिन दा
ख-भूषण
ग-िड्ढा
घ-यिोधर पंत
73
प्रश्न 1. ‘जझ
ू ’ िीषवक का पाठ के संदभव में तया औचित्य है ?
उत्तर (i)
i.आंनद गुप्ता
ii.आनंद रतन यादि
iii.आनंदा मसंह
iv.राजेि जोिी
उत्तर (ii)
i.दत्ता जी राि
ii.आनंदा
iii.लेखक का दादा
iv.श्री सौंदलगेकर
उत्तर (ii)
i.ब्रज भाषा का
ii.खड़ी बोल हहन्द का
iii.मराठी भाषा का
iv.अिधी भाषा का
उत्तर (iii)
प्रश्न 5. बालक आनंदा के वपता सबसे पहले कोल्हू िलाना तयों िाहते हैं?
74
उत्तर (i)
प्रश्न 6. आनंदा ने बसंत पाहटल को अपना ममत्र बनाने की कोमिि तयों की?
उत्तर (i)
i.सहृदय ि दयालु
ii.मेहनती ि जुझारू
iii.कठोर ि अमिक्षक्षत
iv.विनम्र ि ईमानदार
उत्तर (iii)
i.सम्मान की बात थी
ii.भय की बात थी
iii.अपमाजनक
iv.िोभनीय बात थी
उत्तर (i)
उत्तर (i)
प्रश्न 9. लेखक बिपन में ककस प्रकार कविताओं की रिना ककया करता था?
i.भैसों की पीठ पर
ii.ढोर को िराते हुए
iii.पत्थर की मिला पर कंकड़ से
75
iv.उपरोतत सभी प्रकार से
उत्तर (iv)
i.लेखक की माूँ का
ii.दत्ता जी राि का
iii.लेखक के दादा का
iv.आनंदा के अध्यापक का
उत्तर (ii)
ब ु ववकल्पीय प्रश्न
(क ) ओम थानिी
(ख ) कुमार गन्धिव
प्रश्न -2 दनु नया के सबसे पुराने ननयोष्जत िहर माने जाते हैं |
1. ब्राजील
2. िंडीगढ़
3. ममसोपोटाममया
4. मअ
ु नजो –दड़ो और हड़प्पा
1. 100
2. 200
3. 300
76
4. 400
प्रश्न -5 मअ
ु नजो –दड़ो की आबाद लगभग थी ?
1. 84000
2. 75000
3. 85000
4. 80 000
1. काल िूडड़याूँ
2. मोहन का पूरा
3. मुदों का ट ला
4. कृष्ण का गाूँि
1. ताम्रकाल
2. पाषाण काल
3. लौह काल
4. कांस्य काल
1. पंजाब से
2. गज
ु रात
3. राजस्थान से
4. कश्मीर से
1. सीमें ट से
2. ममट्ट से
3. पतकी ईंटों से
4. ककसी और से
प्रश्न -10 – मुअनजो की मुहरों में ककस पिु के चित्र पाए जाते हैं ?
1. िेर
2. बकर
3. ऊूँट
77
4. घोडा
1. ऐन फ्रेंक कौन थी ?
• द डायर ऑफ़ अ गलव
• द डायर ऑफ़ अ यंग गलव (*)
• ऐन फ्रेंक की डायर
• डायर ऑफ़ एन फ्रेंक
• जंगल में
• ऑकफस की बबष्ल्डंग में (*)
• जेल में
• इनमे से कह नह ं
• अमेररका
• फ़्ांस
• जमवनी (*)
• रूस
• अंग्रेजी
• पुतवगाल
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• डि (*)
• जमवन
• अपनी बहन को
• अपनी सहे ल को
• अपनी गुडडया को
• अपने वपता को
• ममस्टर हहटलर को
• ममस्टर िानदान और ममस्टर दसेल को (*)
• ममस्टर कुगलेर और वपटर को
• मगोत ओर वपटर को
• डाक हटकटों का
• गुडड़यों का
• कफ़ल्मी कलाकारों की तस्िीरों का (*)
• ककसी का भी नह ं
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