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शीघ्र विवाह हेतु गौरी साधना
शीघ्र विवाह हेतु गौरी साधना
भंत्रोऩासना की प्रायं लबक फातें विननमोग, न्मास औय संकल्ऩ आदद हैं, जजन्हें क्रकसी
अचधकायी गरु
ु मा आचामय से ऩछ
ू ना उचचत होगा। गोस्िाभी तर
ु सीदास ने भंत्र के
विषम भें कहा है- ‘भंत्र ऩयभ रघु जासु फर, विविहरयहय सयु सफय। भहाभत्त
गजयाज कहुं, फस कय अंकुस खफय।।’ क्रकन्तु भंत्र द्िाया सम्मक राब प्राजतत हे तु
उसभें श्रद्धा ि विश्िास कयना आिश्मक है। अनास्थाऩण
ू य क्रकमा गमा कोई बी
भंत्र लसवद्ध अथिा पर की सीभा तक नहीं ऩहुंचता। भंत्र की अऩरयलभनत शजक्त
के प्रनत रृदम भें अगाध आस्था होनी चादहए। वऩंगराभत के अनस
ु ाय- ‘भननं
विश्ि विऻानं त्राण संसायफन्धनात ्। धत
ृ : कयोनत संलसवद्धं भंत्र इत्मच्
ु मते तत:।।’
ऩज
ू ा के भंत्र इस प्रकाय के हैं-
तदन्तय केसयों की ऩज
ू ा कयें । तत्ऩश्चात ॐ ह्ां कार्णयकामै नभ:। ॐ ऺं
ऩष्ु कयाऺेभ्मो नभ:।। इन भंत्रों द्िाया कर्णयका एिं कभराऺों का ऩज
ू न कयें ।
इसके फाद ॐ ह्ां ऩष्ु िमै नभ:। ॐ ह्ीं ऻानामै नभ:। ॐ ह्ां क्रक्मामै नभ:। भंत्रों
द्िाया ऩजु ष्ि, ऻान एिं क्रक्मा शजक्त का ऩज
ू न कयें । ॐ नाराम नभ:। ॐ रुं
धभायम नभ:। ॐ रुं ऻानाम िै नभ:। ॐ िैयाग्माम नभ:। ॐ िै अधभायम नभ:।
ॐ रुं अऻानाम िै नभ:। ॐ अिैयाग्माम िै नभ:। ॐ अनैश्िमायम नभ:। इन भंत्रों
द्िाया नार आदद की ऩज
ू ा कयें ।
ॐ हूं िाचे नभ:। ॐ ह्ां याचगण्मै नभ:। ॐ हूं ज्िालरन्मै नभ:। ॐ ह्ां शभामै
नभ:। ॐ हूं ज्मेष्ठामै नभ:। ॐ ह्ौं यीं क्ीं निशक्त्मै नभ:। ॐ गौ गौमायसनाम
नभ:। इन भंत्रों द्िाया िाक् आदद शजक्तमों की ऩज
ू ा कयें ।
अफ गौयी का भर
ू भंत्र फतामा जाता है-
अथिा
ससत्मकश्चक: सब
ु दद्रकां काम्ऩीरिालसनीभ ्।।
ऩथ्
ृ िी तत्ि का प्रभख
ु मह भंत्र आकाश औय जर तत्ि प्रधान जातकों के लरए
दहतकय औय िामु प्रधान जातकों के लरए िजजयत है। दग
ु ायसतशती से संऩदु ित
कयके इस भंत्र का स्िमं ऩाठ कयना चादहए मा क्रकसी सम
ु ोग्म ऩंडडत से कयाना
चादहए।
नन्दगोऩसत
ु ं दे वि! ऩनतं भे कुरु ते नभ:।
संऩकय सत्र
ू