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Solution 1 ClassXII History
Solution 1 ClassXII History
5. फद्
ु ध के प्रथभ प्रवचन का 1
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केवऱ दृष्टिबाधिि परीऺाधथियों के लऱए:
b) धभमचक्र
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22. सूमामस्त ववचध के अनुसाय मदद ननक्श्चत तायीख को सूमम के अस्त होने तक याजस्व का 1+2
24 1) हड़प्ऩा सभाज भें जदटर ननणमम रेने औय उन्हें रागू कयने के सॊकेत लभरते हैं l
2) उदाहयण के लरए हड़प्ऩlई ऩयू ा वस्तओ
ु ॊ भें असाधायण एकरूऩता ऩाई जाती है
8
मह फात भद
ृ बाॊड,फाॊटो तथा ईटों से स्ऩष्ट है I
3) जम्भू से रेकय गज
ु यात तक ऩयू े ऺेि भें प्रमक्
ु त ईंटें सभान अनऩ
ु ात की थी I
4) ववशार दीवायों औय चफूतयो के ननभामण के लरए श्रलभकों को सॊगदठत ककमा गमा I
5) मह सबी कामम त्रफना ककसी सत्ता के सॊबव नहीॊ रगते हैं ।
6) भोहनजोदड़ो भें लभरे एक ववशार बवन को एक प्रसाद कहा गमा रेककन इससे
सॊफॊचधत कोई बव्म वस्तुएॊ नहीॊ लभरी हैं I
7) एक ऩत्थय की भूनतम को ऩुयोदहत याजा की सॊऻा दी गई थी तथा मह नाभ वतमभान
सभम भें बी प्रचलरत है I
8) हड़प्ऩा सभ्मता की अनुष्ठाननक प्रथाएॊ अबी तक ठीक प्रकाय से नहीॊ सभझी जा
सकी हैंI
9) हभाये ऩास मह जानने के साधन उऩरब्ध नहीॊ है कक क्मा जो रोग इस अनुष्ठानों
का ननष्ऩादन कयते थे उन्ही के ऩास याजनीनतक सत्ता होती थी I
10) कुछ ऩुयाताक्त्वक भानते हैं कक हड़प्ऩा सभाज भें शासक नहीॊ थे तथा सबी की
साभाक्जक क्स्थनत एक सभान थी।
11) दस
ू ये ऩुयातत्वववद भानते हैं कक महाॊ एक नहीॊ फक्ल्क कई शासक थे जैसे हड़प्ऩा औय
भोहनजोदड़ो आदद के अऩने शासक होते थे।
12) कोई अन्म भान्म त्रफन्द ु
(सभग्रता भें भूल्माॊकन)
Theme 1 page 16 8
अथवा
1) आयॊ लबक ऩयु ातत्वववदों को कुछ वस्तए
ु ॊ, जो असाभान्म औय अऩरयचचत रगती थी
सॊबवत: धालभमक भहत्व की होती थी I
2) इनभें आबूषणों से रदी हुई नायी ,लभट्टी की भूनतममाॊ क्जनभें से कुछ के शीषम ऩय
ववस्ततृ प्रसाधन शालभर हैं ,इन्हें भाि दे ववमों की सॊऻा दी गई थीI
3) ऩुरुषों की दर
ु ब
म ऩत्थय से फनी भूनतममाॊ क्जनभें उन्हें एक रगबग भानक की भुद्रा भें
एक हाथ घुटने ऩय यखा , फैठा गमा था जैसा कक ऩुयोदहत याजा को बी इसी प्रकाय
वगीकृत ककमा गमा थाI
4) सॊयचनाओॊ को अनुष्ठाननक भाना गमा है I इसभें ववशार स्नानागाय तथा कारीफॊगा
औय रोथर से लभरी वेददमाॉ सक्म्भलरत हैंI
5) भुहयों , क्जसभें से कुछ ऩय सॊबवत् अनुष्ठान के दृश्म फने हैं, के ऩयीऺण से
धालभमक आस्था औय प्रथाओॊ को ऩुनननमलभमत कयने का प्रमास बी ककमा गमा है ।
6) कुछ अन्म क्जन ऩय ऩेड़ ऩौधे उत्कीणम है ,भान्मतानुसाय प्रकृनत की ऩूजा के सॊकेत
दे ते हैं।
7) भुहयों ऩय फनाए गए कुछ जानवय जैसे कक एक लसॊह वारा जानवय क्जसे आभतौय
ऩय एकश्रग
ॊृ ी कहा जाता है कक्ल्ऩत तथा सॊक्श्रष्ट रगते हैं।
8) कुछ भोहयों ऩय एक आकृनत क्जसे ऩारथी भायकय मोगी की भुद्रा भें फैठा ददखामा
गमा है औय कबी-कबी क्जसे जानवयों से नघया दशाममा गमा है को आद्म लशव, दहॊद ू
धभम के प्रभुख दे वताओॊ भें एक का आयॊ लबक रूऩ की सॊऻा दी गई है I
9) शॊकु आकाय वस्तुओॊ को लरॊग के रूऩ भें वगीकृत ककमा गमा है ।
10)हड़प्ऩा सभ्मता भें धालभमक ऩुनननमभामण अनुभान के आधाय ऩय ककए गए हैं क्मोंकक
अचधकाॊश ऩयु ातत्वववद ऻात से अऻात की ओय फढ़ते हैं अथामत वतमभान से अतीत
की ओयI हाराॊकक मह नीनत ऩत्थय की चक्की तत्वों के सॊफॊध भें मक्ु क्तसॊगत हो
सकती है रेककन धालभमक प्रनतभानों के सॊदबम भें मह अचधक सॊददग्ध यहती है I
11)कोई अन्म भान्म त्रफन्द ु
(सभग्रता भें भल्
ू माॊकन)
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25 1) कफीय रगबग चौदहवीॊ-ऩॊद्रहवीॊ शताब्दी भें उबयने वारे सॊत कववमों भें अप्रनतभ थेI 8
2) 19 वीॊ शताब्दी भें कफीय के ऩद सॊग्रहों को कफीय की भत्ृ मु के फाद सॊकलरत ककमा
गमा औय फॊगार, गुजयात औय भहायाष्र भें भुद्राॊककत ककमा गमा।
3) कफीयदास जी के आध्माक्त्भक गुरु याभानॊद जी थे ऩयन्तु कफीय दास जी के ऩदों भें
गुरु सतगुरु शब्द का प्रमोग ककसी व्मक्क्त ववशेष के लरए नहीॊ ककमा गमा है ।
4) कफीय की फानी तीन ववलशष्ट ककन्तु ऩयस्ऩय व्माप्त ऩरयऩादटमों भें सॊकलरत है -
आददग्रन्थ सादहफ, कफीय ग्रॊथावरी औय कफीय फीजक
5) कफीय की यचनाएॉ अनेक बाषाओँ तथा फोलरमों भें सॊकलरत की गईं।
6) उनकी कुछ यचनाओॊ को 'उरटफाॊसी' ( उरटी कही उक्क्तमाॉ ) के नाभ से जाना जाता
है , जो योजभयाम के अथम को ऩरट दे ती है । मे ऩयभ सत्म के स्वरुऩ को सभझने की
भक्ु श्कर को दशामता है : जैसे केवर ज पूल्मा पूर त्रफना औय सभॊदयी रगी आचग
7) शब्द, औय शन्
ू म - मह मोगी ऩयॊ ऩया से री गई है ।
8) वेदाॊत दशमन से प्रबाववत हो वे सत्म को अरख ( अदृश्म ), ननयाकाय, ब्रह्भन औय
आत्भन कहकय बी सम्फोचधत कयते है ।
9) कुछ कववताओॊ भें इस्राभी दशमन के एकेश्वयवाद का सभथमन औय भूनतमऩूजा का
ववयोध कयते हुए दहन्द ू धभम के फहुदेववाद तथा भूनतमऩूजा का खॊडन ककमा गमा है
10) इस्राभी दशमन की तयह वे सत्म को अल्राह, ऽद ु ा, हज़यत औय ऩीय कहते है
11) अन्म कववताओॊ भें क्ज़क्र तथा इश़् जैसे सूफ़ी लसद्धाॊतों का प्रमोग नाभ लसभयन
की दहन्द ू ऩयॊ ऩया को अलबव्मक्त कयने के लरए ककमा गमा।
12) सभम की सीभा को ऩाय कयते हुए, उनकी यचनाएॉ आज बी उतनी ही प्रासॊचगक हैं
क्जतनी कक जफ लरखी गई थीॊi
13) धभम के प्रनत उनका एक धभमननयऩेऺ दृक्ष्टकोण था।
14) साभाक्जक सभानता के प्रनत कफीय का स्ऩष्ट दृक्ष्टकोण था। उन्होंने सभाज भें
बेदबाव को सभाप्त कयने के लरए जागरूकता ऩैदा की।
15) कफीय की सभद्
ृ ध ऩयॊ ऩया इस तथ्म की द्मोतक है की कफीय ऩहरे औय आज बी
उन रोगों के लरए प्रेयणा का स्िोत है जो सत्म की खोज भें रूदढ़वादी, धालभमक,
साभाक्जक सॊस्थाओॊ, ववचायों औय व्मवहायों को साभाक्जक दृक्ष्ट से दे खते है ।
16) कोई अन्म भान्म त्रफन्द ु
(सभग्रता से भूल्माॊकन)
4+4
1) रॉडम ववलरमभ फेंदटक की नीनतमाॊ- रॉडम ववलरमभ फेंदटक के सभम त्रब्रदटश सयकाय
ने ऩक्श्चभी लशऺा, ऩक्श्चभी ववचायों, औय ऩक्श्चभी सॊस्थाओॊ के द्वाया बायतीम
सभाज को सध
ु ायने के लरए ववशेष नीनतमाॊ
2) 1829 भें सती प्रथा का अॊत औय 1856 भें ववधवा वववाह को वैधता प्रदान कयना
3) रॉडम डरहौजी ने अचधग्रहण की नीनत के अॊतगमत कई रयमासतों के शासकों- झाॊसी,
सताया- को दत्तक ऩि
ु रेने की अनभ
ु नत नहीॊ दी उनको त्रब्रदटश साम्राज्म भें लभरा
लरमा I
4) अऩने साम्राज्म भें लभराए गए ऺेिों भें अॊग्रेज अऩने ढॊ ग की शासन व्मवस्था, अऩने
कानून व न्माम ऩद्धनत, रागू कयते थे इन काममवादहमों का बायतीम रोगों ऩय
फुया प्रबाव ऩड़ा I
5) अवध का ववरम- रॉडम डरहौजी ने प्रशासन का आयोऩ रगाकय अवध का ववरम
ककमा नवाफ वाक्जद अरी शाह जो कक रोगों भें रोकवप्रम थे , को कोरकाता बेज
ददमा
6) अॊग्रेजों की नीनतमों के कायण जनता भें आक्रोश व सॊदेह था उनका ववचाय था कक
अॊग्रेज बायतीमों का धभम नष्ट कयने ऩय तर
ु े हुए हैं औय एक ऐसी व्मवस्था रागू
कयना चाहते हैं जो दभनकायी थी।
7) अॊग्रेज अपसयों द्वाया बायतीम लसऩादहमों के सॊग दव्ु ममवहाय
8) सॊदेह की इन्ही ऩरयक्स्थनतमों भें एनफ़ील्ड याइपल्स औय चफी वारे कायतूसों की
घटना थी क्जसभें अॊग्रेजों के प्रमत्न कयने ऩय बी लसऩादहमों ने उन ऩय ववश्वास नहीॊ
ककमा औय सही सॊदेह औय अववश्वास 1857 के सैननक ववद्रोह का तात्कालरक कायण
फनाI
9) कोई अन्म भान्म त्रफन्द ु
Theme 11 page 299-300
अथवा
1) अॊग्रेजों औय बायतीमों द्वाया ववद्रोह की कई तस्वीयें - ऩें लसर से फने ये खा, स्क्रीन
चचि, ऩोस्टय काटूमन आदद फनाए थे इनसे ववद्रोह की ननम्नलरखखत छववमों का ऻान
होता है I
2) चचिों भें त्रब्रदटश यऺकों का अलबनॊदन मा अॊग्रेज नामकों का गुणगान ककमा गमा है ।
3) टॉभस जोन्स फाकमय द्वाया फनामा गमा चचि ‘द रयरीप ऑप रखनऊ’ भें कैंऩफेर
के आगभन ऩय जश्न भनाने का दृश्म है जो मह दशामता है कक त्रब्रदटश सत्ता औय
ननमॊिण स्थावऩत हो चक
ु ा था।
4) कुछ चचिों भें ववद्रोह के दौयान अॊग्रेजों की दद
ु म शा को दशाममा गमा है , जैसे जोसेप
नोएर ऩेटन ने ‘इन भेभोरयमभ’ चचि भें ववद्रोदहमों की दहॊसा व फफमयता का प्रदशमन
है इसके अनतरयक्त कुछ चचि, जैसे लभस व्हीरय का ववद्रोदहमों का साभना कयते हुए
चचि, क्जसभें धयती ऩय फाइफर ऩड़ी है - अॊग्रेज औयतों के सॊघषम का चचिण है धभम
की यऺा का सॊघषम सात्रफत कयता है ।
5) इन चचिों भें अॊग्रेजों द्वाया ववद्रोदहमों से प्रनतशोध की बावना औय उनको सफक
लसखाने की बावना ऩनऩती है जैसे एक हाथ भें तरवाय औय दस
ू ये हाथ भें ढार
ददए हुए भदहरा का आक्राभक रूऩ भें चचि, ऩेशावय भें ववद्रोदहमों को भत्ृ मद
ु ॊ ड- तोऩ
से उड़ा ते हुए चचि प्रदलशमत कयते हैंI
6) ववद्रोदहमों को ननभमभ तयीके से भौत के घाट उतायना मा खर
ु ेआभ पाॊसी ऩय
रटकाना जैसे चचि रोगों भें दहशत मा डय पैराने के लरए ऩि-ऩत्रिकाओॊ के द्वाया
ववलबन्न स्थानों ऩय बेजे गए I
7) कैननॊग को एक बव्म नेक वद्
ृ ध के रूऩ भें दशाम कय उसका भजाक उड़ामा गमा है
इस से तात्ऩमम है कक प्रनतशोध की आग भें दमा का कोई स्थान नहीॊ है औय
ववद्रोदहमों से शक्क्त का व्मवहाय ककमा जाना चादहए I
8) याष्रवादी दृश्म कल्ऩना- ववद्रोह को प्रथभ स्वतॊिता सॊग्राभ के रूऩ भें बी ददखामा
गमा, जैसे रक्ष्भीफाई ववदे शी शासन के ववयोध का प्रतीक थी I
9) मे तस्वीयें अऩने सभम की बावनाओॊ, अहसासों औय सॊवेदनाओॊ को प्रनतत्रफक्म्फत कय
यही थी।
10) कोई अन्म भान्म त्रफन्द ु
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खंड ड
27 द्रौऩदी के प्रश्न 1+2+2
द्रौऩदी ने मह प्रश्न ककमा था कक द्रौऩदी को दाॊव ऩय रगाने से ऩहरे क्मा मुचधक्ष्ठय स्वमॊ
27.1
को हाय फैठे थे I मह प्रश्न सुनकय सबा भें सबी फेचन
ै हो गए क्मोंकक ककसी के ऩास बी
इसका जवाफ नहीॊ था I
27.2 द्रौऩदी के प्रश्न ने सबा का सोच भें डार ददमा औय दो लबन्न भत प्रस्तुत ककए गएI
प्रथभ- मदद मचु धक्ष्ठय स्वमॊ को दाॊव ऩय रगाने के फाद बी ऩत्नी ऩय ननमॊिण यखें यह
सकते थे
दस
ू या- दासता प्राप्त व्मक्क्त ककसी औय को दाॊव ऩय नहीॊ रगा सकता
प्रबाव- स्ऩष्ट उत्तय न होने तथा भतबेद के कायण धत
ृ याष्र ने सबी ऩाॊडवों तथा द्रौऩदी को
27.3 उनकी ननजी स्वतॊिता उन्हें रौटा दी I
द्रौऩदी के प्रश्न को प्रशॊसनीम भाना जाता है क्मोंकक अक्स्भता से जड़
ु ा हुआ था I
इसका उत्तय न होने के कायण सभस्मा का हर नहीॊ ननकारा जा सका व द्रौऩदी को
स्वतॊिता लभर गई I
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28 वनों की कटाई व स्थाई कृवष के फाये भें 1+2+2
28.2
फुकानन ने याजभहर की ऩहाडड़मों भें क्स्थत एक गाॊव का वणमन ककमा है उसकी ववशेषताएॊ
थी - दृश्म फहुत ही आकषमक है , घुभावदाय सॊकयी घादटमों भें धान की पसर रहरहा यही
है I दयू - दयू क्स्थत वऺ
ृ ों के फीच साप-सुथयी जभीन, चट्टानी ऩहाडड़माॊ अऩने आऩ
28.3
भें ऩूणम हैं I
29.2
कृष्णदे व याम के अनुसाय याज्म के उत्तयदानमत्व - याजा को अऩने फॊदयगाह सुधायने चादहए
औय वाखणज्म को प्रोत्सादहत कयना चादहए।
29.3
याजा द्वाया अऩने दे श की ऩरयक्स्थनतमों को सुधायने के लरए व्माऩाय ,वाखणज्म को प्रोत्साहन
दे ना चादहए , फॊदयगाहों को सुधायना, व्माऩारयमों की उचचत दे खबार कयनी चादहए क्जससे
ववदे शी नागरयकों के साथ उनके भधयु सॊफॊध फनें गे ,भैिी फढ़े गी, तोहपे दे ने से भधयु ता
आएगी औय ऐसा कयने से उनकी चीजें दश्ु भनों तक नहीॊ ऩहुॊच ऩाएॊगी I
Theme 7 page 173
30 1+1+1
30.1)
Meerut
Panipat
Champaran
Lothal
BodhGaya
30.2 A) अभत
ृ सय 1+1
B) फॉम्फे
केवऱ दृष्टिबाधििों के लऱए:
30.1) हड़प्ऩा, कारीफॊगा, रोथर (अन्म प्रासॊचगक स्थर बी भान्म )
अथवा
साॊची,अभयावती,नागाजन
ुम कोंडा (अन्म प्रासॊचगक स्थर बी भान्म)
30.2) भेयठ,ददल्री (अन्म प्रासॊचगक स्थर बी भान्म )