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श्री सीताराम चरणौ शरणं प्रपद्ये

श्री सीताष्टाक्षर स्तोत्र (वशशष्ठ


संशिता अन्तर्गत)
अंगद उवाच:-
लंकाया शि प्रचण्डोग्नेयगत्पाठाद् रशक्षतोऽशस तत्।
श्री सीताष्टाक्षरस्तोत्रं वक्तुमगिगशस मारूते।।
उसके लिए लिसने आपको िंका की भीषण आग के पाठ से
बचाया है । हे वायुपुत्र, तुम श्री सीता के अष्ां गी स्तोत्र का पाठ
करो।
For that which has saved you from the
lesson of the terrible fire of Lanka. O son
of wind, you should recite the eight-
syllable stotra of Sri Sita.

हनुमान उवाच
रामभक्त मिाभार् सन्मते बाशलनन्दन।
श्री सीताष्टाक्षर स्तोत्रं सवगभीतशतिरं श्रृणु।
हे बालिनंदन महाभाग रामभक्त अंगद! सभी भयों को दू र
करने वािे श्री सीता अष्ाक्ष स्तोत्र का पाठ करें ।
O Balinandana mahabhag rambhakt
Listen to the Sri Sita Ashtakshara Stotram
which removes all fears.

श्रीमद् रामशप्रया पुण्या श्रीमद् राम परायणा।


श्रीमद् रामाद् शभन्ना च श्री सीता शरणं मम्।।
वह श्रीमद राम को लिय है और पलवत्र और श्रीमद राम के
िलत समलपित है ।श्री सीता, िो धन्य राम से लभन्न हैं , मेरी
शरण हैं ।
She is dear to Srimad Rama and is pious and
devoted to Srimad Rama.
Sri Sita, who is different from the blessed
Rama, is my refuge.

शरणाशश्रत रशक्षत्री भास्करादे शव भाशसता।


आकार त्रय शशशक्षत्री श्रीसीता शरणं मम्।।
आपकी शरण में आने वािा रक्षक सूयि के समान चमकता है
तीनों रूपों की लशलक्षका श्री सीता मेरी शरणस्थिी हैं ।
The protector who takes refuge in you
shines like the sun Sri Sita, the teacher
of the three shapes, is my refuge.
शक्तक्तदा शक्तक्तिीनानाम् भक्तक्तदा भक्तक्तकाशमनाम्।
मुक्तक्तदा मुक्तक्तकामानाम् श्रीसीता शरणं मम्।।
शक्तक्तहीन को शक्तक्त दाता, भक्तों की भक्तक्त। मोक्ष दा मोक्ष
की इच्छा रखने वािों के लिए मां सीता ही मेरी शरणस्थिी हैं ।
Giver of strength to the powerless,
devotion to the devotees. Sri Sita, the
giver of liberation, is my refuge for those
who desire liberation.

ब्रह्माण्यु मारमाराध्य ब्रह्मेशाशद सुरस्तुता।


वेदवेद्या र्ुणाम्भाश िः श्रीसीता शरणं मम्।
ब्राह्मणस्वरुलपणी िो ब्रह्मा ईश आलद सुरों के द्वारा पुिीत
हैं ।सीता, वेदों की वेदी, गु णों का सागर, मेरी शरण है ।
Brahman swarupini who is adored and
worshipped by Brahma , shiv and other devas
surastuta.Sri Sita, the altar of the Vedas,
the ocean of virtues, is my refuge.
शुन्या शि शनग्रिे णाथानु ग्रिाक्तधिःसुव्तसलािः।
जननी सवगलोकानां श्री सीता शरणं मम्।।
िो कभी लकसी को दं ड नहीं दे ती और वात्सल्य का ही िमुख
स्वरूप है और िगत की आलद िननी है , वो मां सीता ही
मेरी शरण है
Who never punishes anyone and who is very
form of compassion and who is mother of
jagat , that maa Sita is my refuge.

शचदशचदाभ्ां शवशशष्टा च सक्तिदानन्दरुशपणी।


कायगकारणरुपा च श्रीसीता शरणं मम्।।
िो िड़ चेतन से लवलशष् है तथा िो स्वयं सक्तिदानंद स्वरुपा
है , तथा िो कायि कारण रुपा है , उन मां सीता ही मेरी
शरण हैं ।
Who is distinctive from root conciousness,
who is sacchidanand form and who is cause
and effect firm that maa Sita is my refuge.
शवशोक शदव्यलोका च शवम्बी शदव्या भुषणा।
शदव्याम्बरा च शदव्यांर्ी श्रीसीता शरणं मम्।।
िो शोकातीत है , िो लदव्य िोक वालहनी है , व्यापक है ,
लदव्य वस्त्र अिं कारों से अिंकृत है , उन मां सीता ही मेरी
शरण हैं ।
Who is beyond sorrow,. Who resides in
divine lok ie saket lok, who is
omnipresent, who wears divine ornaments
such maa Sita is my refuge.

भत्री च जर्तिः कत्री ित्री जनकनंशदनी।


जर्द्धत्री जर्द्योनीिः श्री सीता शरणं मम्।।
िो िगत की भरण, पोषण तथा संहार करती है , िो िगत्
को धारण करती है तथा िगत को उत्पन्न करती है , उन मां
सीता ही मेरी शरण हैं ।
Who cares, nourishes, destroys jagat, who
carries jagat, who creates jagat, that maa
Sita is my refuge.

सवगकमग समाराध्य सवगकमग फलप्रदा।


सवेश्वरी च सवगज्ञा श्री सीता शरणं मम्।।
सभी सत्कमों को करते समय लिनकी आराधना हो िाती है ,
सभी कमों के फि िदान करने वािी है , उन सवेश्वरी तथा
सविज्ञा श्री सीता ही मेरी शरण हैं ।
Who is getting worshipped by all good works
, who gives results of all work, to that
sarveshwari maa Sita is my refuge.

शनत्यमुक्तस्तुता स्तुत्या सेशवता शवमलाशदशभिः।


अमोघपुजन स्तोत्रा श्री सीता शरणं मम्।।
िो लनत्य मुक्त िन लिनकी पुिा करते हैं , िो स्तुलत करने
योग्य है , िो लवमिा उत्कलषिणी आलद अष् महा शक्तक्तयों द्वारा
सेलवत है , लिनका पुिा अमोघ फि िदान करने वािा है उन
मां सीता ही मेरी शरण हैं ।
Who is regularly worshipped by avimukt, who
should be sung in stutis, who is being
served by vimla, utkarshini and other 8
maha Shakti, whose worship gives permanent
result, that maa Sita is my refuge.
कल्पवल्ली शि दीनानां सवगदाशियशवनाशशनी।
भुशमजा शाक्तन्तदाशान्ता श्रीसीता शरणं मम्।।
िो दीनो का दररद्रो का लवनाश करने वािी है , िो भु लम के
बेटी शान्त स्वरुप तथा शाक्तन्त िदालयनी उन मां सीता ही मेरी
शरण हैं ।
Who destroys poverty of poor, who is
daughter of earth, who is silent form and
who gives peace that maa Sita is my refuge.

आपदािाररणी च अथकाररणी सवगसम्पदाम्।


भवाक्तधतताररणी सेव्य श्री सीता शरणं मम्।।
िो आपदा तथा लवपदा को हरण करने वािी है , िो सवि
सौभाज्ञ िदान करने, िो भव सागर से तारने वािी है उन मां
सीता ही मेरी शरण हैं ।
Who takes away all troubles and suffering,
who gives wealth and who gives moksh from
life and death, that maa Sita is my refuge.

वलशष्ठ उवाच
पाठाद् िनुमता प्रोक्तं शनत्य मुक्तन सदा।
श्रीसीताष्टाक्षर स्तोत्र भक्तक्त मुक्तक्त प्रदान सदा।।
िो लनत्य हनुमान िी द्वारा बोिा गया श्रीसीताष्क्षर पाठ
करे ग, उसे भक्तक्त और मुक्तक्त दोनो सुिभ िाप्त हो िाएं गे ।
Whoever regularly chants this sitashtaksgar
stotram, gets both bhakti and mukti very
easily.

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