You are on page 1of 1

अशभ

ु साढ़े सती और शनि का प्रभाव


अशभ
ु शनि अपना प्रभाव 3 चरणों में दिखाता है , जो साढ़े सात वर्ष तक होता है ।
पहले चरण में : जातक का मानसिक संतल
ु न बिगड़ जाता है और वह अपने उद्देश्य से भटक कर
चंचल वत्ति
ृ धारण कर लेता है । उसके अंदर स्थिरता का अभाव अपनी गहरी पैठ बना लेता है ।
पहले चरण की अवधि लगभग ढाई वर्ष तक होती है ।

दस
ू रे चरण में : मानसिक के साथ-साथ शारीरिक कष्ट भी उसको घेरने लगते हैं , उसके सारे
प्रयास असफल होते जाते हैं। तन , मन , धन से वह निरीह और दयनीय अवस्था में अपने को
महसूस करता है । इस दौरान अपने और परायों की परख भी हो जाती है । अगर उसने अच्छे कर्म
किए हों तो इस दौरान इसके कष्ट भी धीरे -धीरे कम होने लगते हैं। अगर दषि
ू त कर्म किए हैं
और गलत विचारधारा से जीवनयापन किया है तो साढ़े साती का दस
ू रा चरण घोर कष्टप्रद होता
है । इसकी अवधि भी ढाई साल होती है ।

तीसरे चरण में : तीसरे चरण के प्रभाव से ग्रस्त जातक अपने संतुलन को पूर्ण रूप से खो चुका
होता है और उसमें क्रोध की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है । परिणाम स्वरूप हर कार्य का उल्टा ही
परिणाम सामने आता है तथा उसके शत्रओ
ु ं की वद्धि
ृ होती जाती है । मतिभ्रम और गलत निर्णय
लेने से फायदे के काम भी हानिप्रद हो जाते हैं। स्वजनों और परिजनों से विरोध बढ़ता है । आम

लोगों में छवि खराब होने लगती है । अत: जिन राशियों पर साढे साती और ढै या का प्रभाव है ,
उन्हें शनि की शांति के उपचार करने पर अशुभ फलों की कमी होने लगती है और धीरे -धीरे वे
संकट से निकलने के रास्ते प्राप्त कर सकते हैं।

You might also like