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मेरा नया बचपन

मेरा नया बचपन ‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ द्वारा रचचत इस कचिता में अपने बचपन के समय की मधुर याद ों के
बारें में बताया हैं। किचयत्री कह रही है चक उसे बचपन की मधुर यादें बार-बार आती रहती है। उसे लगता है
जैसे बचपन के जाने के बाद उसके जीिन में से मस्ती का समय चला गया। बचपन में िह चबना चकसी चचोंता के
खेलती और खाया करती थी। िह चबना चकसी भय के घूमा करती थी। भला बचपन के उस आनोंद क कोई
कैसे भूल सकता है। उसका चकसी बात पर र ना मचल जाना, सभी क आनोंचदत चकया करता था। जब उनकी
आँ ख ों में आँ सू ढु लकने लगते त सभी उन्हें मनाने में लग जाते थे। उसे अपने मचलने से जैसे मनचाही चिजय
चमल जाया करती थी।
जब कभी किचयत्री र ने लगती त उसकी माँ घर के सारे काम छ ड़कर तुरोंत आकर उसे ग द में भर ले ती थी
और उनके आँ सुओों से भीगे गाल क ह ठ ों से चू म-चू मकर ही सुखा चदया करती थी।
जब िह बचपन से चिर से आने का अनुर ध कर रही थी, तभी उनकी छ टी-सी बेटी अचानक उन्हें ‘ओ माँ’
कहकर पु कार उठी। किचयत्री ने अचानक उसकी ओर दे खा त दे खती ही रह गई। चबचटया के ब लते ही ऐसा
लगा चक किचयत्री का िह घर, प्रसन्नता के मारे स्वगग के नों दनिन के समान िूल ों से भर गया ह । बेटी भी चमट्टी
खाकर आई थी। कुछ चमट्टी अभी भी मुँह में भी चमट्टी थी, चजसे िह अपनी माँ क खखलाने के चलए आई थी।
चमट्टी चखने का र माोंचचत आनोंद, उनके अोंग-अोंग से छलका पड़ रहा था। आँ ख ों में भ ला कौतूहल छाया हुआ
था। मुख परम हर्ग से लाल ह रहा था और लगता था चबचटया क अपने चमट्टी खाने जैसे महान कायग पर बड़ा
गिग भी ह रहा था। अपनी छ टी-सी चबचटया की त तली ब ली में ‘माँ काओ’, यह सुनते ही किचयत्री का हृदय
िात्सल्य से प्रसन्न ह उठा और उन्ह न ों े कहा-‘चबचटया तुम्ीों खाओों’ इस प्रकार िह स्वयों भी बच्ची बन गई। उन्हें
लगा चक उनका बचपन ही बेटी बनकर आ गया है। इस घटना से उत्साचहत ह कर िह स्वयों भी बच्ची जैसी बन
गई है। अब िह बेटी के साथ खेलती और खाती और तु तलाकर ही ब लती है। बेटी की भ ली बात ों और
मनम हक क्रीड़ाओों क दे खकर िह स्वयों भी बच्ची की तरह व्यिहार चकया करती है। किचयत्री क लगता है
चक िह चजस बचपन क िर्ों से ख ज रही थी, उसे अब उन्ह न ों े अपनी बेटी के रूप में पा चलया है।
CLASS WORK:
प्रश्न 1: किचयत्री बचपन की कौन सी बातें नहीों भूल पाती है ?
उत्तर: किचयत्री बचपन की चनचचोंतता, चनडरता, स्वच्छों दता से घूमना-चिरना आचद बातें भूल नहीों पाती है।
प्रश्न 2: माँ का घर के सारे काम छ ड़कर किचयत्री क चुप कराने आ जाना, क्या सोंकेत करता था?
उत्तर: माँ का घर के सारे काम छ ड़कर किचयत्री क चुप कराने आ जाना, यह सोंकेत करता था चक िह
अपनी बेटी को बहुत लाड़-प्यार करती थी।
प्रश्न 3: चमट्टी खखलाने आई बे टी की छचि कैसी थी?
उत्तर: चमट्टी खखलाने आई बेटी का अोंग-अोंग पुलचकत ह रहा था और उसकी भ ली आँ ख ों से उत्सु कता छलक
रही थी।
प्रश्न 4: बेटी के आगमन से किचयत्री के जीिन में क्या पररितगन आ गया है?
उत्तर: बेटी ने किचयत्री के जीिन क आनोंदमय बना चदया। बेटी बन घर आए बचपन का जी भरकर आनोंद
लेने लगी। िह बे टी के साथ खेलती और खाती और तुतलाकर ही ब लती है। बेटी की भ ली बात ों और
मनम हक क्रीड़ाओों क दे खकर िह स्वयों भी बच्ची की तरह व्यिहार चकया करती है।
प्रश्न 5: इस कचिता द्वारा क्या सोंदेश चमलता है?
उत्तर: इस कचिता द्वारा हमें यह सोंदेश चमलता है चक हमें सारी उम्र अपने बचपन क अपनी जीिनचयाग का
अोंग बनाए रखना चाचहए। हम एक प्रौढ़ बालक बने रहें त तनाि-मुक्त, सहज़ मस्ती और भेद भाि रचहत
चज़ोंदगी का आनोंद पा सकते हैं।

चनम्नचलखखत प्रश्न ों के उत्तर छात्र स्वयों चलखेंगे:


1.किचयत्री क अपना बचपन क्य ों याद आ रहा था?
2.बचपन क ‘अतुचलत आनोंद दे नेिाला’ क्य ों कहा गया है?
3.बच्ची के र ने पर माँ ने उसे कैसे चुप कराया?
4.किचयत्री क अपने बचपन की याद बार –बार क्य ों आती है ?
5.किचयत्री का बच्ची बन जाने का क्या अथग है?
6.किचयत्री की बेटी किचयत्री क क्या खखलाना चाहती थी?

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