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1st HINDI For Web 5.0 F
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प म सं रण
त ात् योगी भवाजुन olqnsolqra¼u~½ nsoa¼³~½] oaÿlpk.kwjenZue~A
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ॐ ीपरमा ने नम:
ीम गव ीता
अथ थमोऽ ाय:
धृतरा उवाच
धम े े कु े े, समवेता युयु वः ।
मामकाः (फ्) पा वा ैव, िकमकुवत स य॥1॥
स य उवाच
ा तु पा वानीकं(म्), ूढं(न्) दय
ु धन दा।
आचायमुपस , राजा वचनम वीत्॥2॥
प ैतां(म्) पा ु पु ाणाम्, आचाय महती(ंञ्) चमूम्।
ूढां(न्) ुपदपु ेण, तव िश ेण धीमता॥3॥
अ शूरा महे ासा, भीमाजुनसमा युिध।
युयुधानो िवराट , ुपद महारथः ॥4॥
धृ केतु ेिकतानः (ख्), कािशराज वीयवान्।
पु िज ु भोज , शै नरपु वः ॥5॥
त
ात् योगी भवाजुन
ततः (श्) शङ् खा भेय , पणवानकगोमुखाः ।
सहसैवा ह , स श ुमुलोऽभवत्॥13॥
ततः (श्) ेतैहयैयु े, महित ने थतौ।
माधवः (फ्) पा व ैव, िद ौ शङ् खौ द तुः ॥14॥
पा ज ं(म्) षीकेशो, दे वद ं(न्) धन यः ।
पौ ं (न्) द ौ महाशङ् खं(म्), भीमकमा वृकोदरः ॥15॥
त
त ाप थता ाथः (फ्), िपतनथ
ॄ िपतामहान्।
त
ात् योगी भवाजुन
कुल ये ण , कुलधमाः (स्) सनातनाः ।
धम न े कुलं(ङ् ) कृ म्, अधम ऽिभभव ुत॥40॥
अधमािभभवा ृ , दु कुल यः ।
ीषु दु ासु वा य, जायते वणस रः ॥41॥
स रो नरकायैव, कुल ानां(ङ् ) कुल च।
पत िपतरो ेषां(म्), लु िप ोदकि याः ॥42॥
दोषैरेतैः (ख्) कुल ानां(म्), वणस रकारकैः ।
उ ा े जाितधमाः (ख्), कुलधमा शा ताः ॥43॥
उ कुलधमाणां(म्), मनु ाणां(ञ्) जनादन।
नरकेऽिनयतं(म्) वासो, भवती नुशु ुम॥44॥
अहो बत मह ापं(ङ् ), कतु(म्) विसता वयम्।
य ा सुखलोभेन, ह ुं(म्) जनमु ताः ॥45॥
यिद माम तीकारम्, अश ं(म्) श पाणयः ।
धातरा ा रणे ह ु: (स्), त े ेमतरं (म्) भवेत्॥46॥
● िवसग के उ ार जहाँ (ख्) अथवा (फ्) िलखे गय ह, वह ख् अथवा फ् नही ं होते, उनका उ ारण 'ख्' या 'फ्' के
जैसा िकया जाता है ।
● संयु वण (दो ंजन वण के संयोग) से पहले वाले अ र पर आघात (ह ा सा जोर) दे कर पढ़ना चािहये। '॥' का
िच आघात को दशाने हे तु िदया गया है ।
● कुछ थानो ं पर र के प ात् संयु वण होने पर भी अपवाद िनयम के कारण आघात नही ं िदये गये ह जैसे एक ही वण
के दो बार आने से, तीन ंजनो ं के संयु होने से, रफार (उपर र् ) या हकार आने पर आिद। िजन थानो ं पर आघात का
िच नही ं वहाँ िबना आघात के ही अ ास कर।