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संस्कृत-विनोदः
(प्रथमो भाग:)
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संस्कृत-विनोदः
(प्रथमो भाग: )
उद्भावक
शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार .
प्रकाशक
22002 कह
0 ॥ 00) ५.४ 4,50,000
सूल्य : 8.00
| ) >>चलो
॥ट्यपुस्तक ब्यूरो में ओ. पी. नौटियाल सचिव दिल्ली पाठ्यपुस्तक ब्यूरो 25,/2 पंखा
८75०
पु ए
रोड, रास्थनीय
१ ९८५4।||
क्षेत्र, नई दिज्ली द्वारा प्रकाशित तथायूनिक प्रैस प्रा० लि0, ए-37, सेक्टर-4, नोएडा--20430। द्वारा मुद्रित!
प्रस्तावना
प्रस्तत पस्तक हमारी पिछली पस्तक का परवार्धित रूप है। इसकी रचना कई वर्ष पूर्व डॉ
भारद्वाज, मॉडर्न सकल के निर्देशन में हई थी। पिछले वर्ष संस्कृत-भाषा के कुछ अध्यापकों को इस
पुस्तक की समीक्षा करने के उद्देश्य से बुलाया गया। इसमें इसके परिवेश को कुछ बदलने के लिए
सुझाव दिए गए। इन सझावों का उद्देश्य व्याकरण की दृष्टि से पाठों में अधिक अच्छा तारतर
लाना तथा विषय को सग्राह्य बनाना था। बीच-बीच में कई और भी अच्छे सुझाव प्राप्त होते रहे
हैं। इनको ध्यान में रखते हए तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 4986 की आवश्यकताओं के अनुसार इस
पस्तक को सगम एवं सग्राह्य बनाने का प्रयास किया गया। आशा है यह पुस्तक अपने इस प्रस्तुत
रूप में बच्चों के लिए अधिक लाभकारी सिद्ध होगी तथा अध्यापक इसको पढ़ाने में अधिक
आसानी अनभव करेंगे। हमें अध्यापकों से इसके-सुधार के लिए अच्छे सझावों की अपेक्षा रहती है
जिनका हम सदैव स्वागत करेंगे।
राजेन्द्र कमार
शिंक्षा निदेशक : दिल्ली
कृतज्ञता ज्ञापन
पुनरी क्षण-समिति
सनन््तोष खुल्लर
सम्पांदन
श्याम सुन्दर शर्मा
मुख पृष्ठ
भारती मीरचंदाणी
चित्र
_ मेवा लाल.
उत्पादन मंडलं |
केशव प्रसाद शर्मा, दीप चन्द्र जोशी
ऊअन्निल शर्मा
अध्यापकों के लिये
संस्कृत भाषा प्राचीन भाषां है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता इसी में निहित है। इसका
अध्यापन करवाते समय निम्नलिखित बातें ध्यातव्य हैं-
क. उपंयकक्त वातावरण का निर्माण
' कक्षा में संस्कतमय वातावरण बनाने के लिये श्लोकों का सस्वर वाचन करवाया जा
सकता है। आदेश निर्देश भी यदि संस्क॒त में ही दिये जाएं तो ज्ञानवद्धि के साथ-साथ बच्चों
की भाषा में भी रुचि जागत होगी। उत्तिष्ठत, उपविशत, आगच्छत, गच्छत, तष्णी भवत।
- किम॒अहं बहिःगच्छानि ? आगच्छानि किम ? आदि वाक्य सरलता से प्रयक््त किये अथवा
करवाये जा सकते हैं। ।
ख. वाक्य संरचनाओं का कक्षा के वातावरण से सम्बन्ध 5
पाठों में आई वाक्य संरचनाओं को कक्षा के वातावरण से जो इकर अभ्यास करवाना
अपेक्षित है, जैसे अशोकः पठति। इस सामान्य वाक्य का भी <'क्षा के प्रत्येक बालक/
बालिका द्वारा प्रश्नोत्तरी शैली में अभ्यास कराया जा सकता है 5,.से क: पठाति ? किम स
पठति अथवा खेलति ? नहि, सः पठति न त खेलति आदि।
ग. सदर्वोत्ति परिचय 5
सदवृत्ति विषयक वाक््यों का मात्र अन॒वाद ही न कर के उस पर वार्तालाप करवाया जा
सकता है। छात्रों को उससे सम्बन्धित कक्षाओं एवं कविताओं का संकलन करने की प्रेरणा
दी जा सकती है।
घ. संस्कृत-साहित्य से परिचय
संस्कृत भाषा में मात्र धर्मग्रन्थ और उपदेश ही ८हीं है, उस में ज्ञान-विज्ञान सम्बन्धी
अनेक विषयों के गौरव-पग्रन्थ विद्यमान हैं, सांख्य, प्याय, ज्योतिष, आयर्वेद, छन््द आदि।
आज का विश्व प्राचीन संस्कृत-शास्त्रों के गहन चिन्तन को देखकर आश्चर्य चकित है।
अतः छात्रों को संस्कृत साहित्य से एरिचित कराना नितान्त आवश्यक है। पस्तकालय से
ऐसे ग्रन्थों को लेकर उन्हें दिखाया जा सकता है। इससे वे अपने समृद्ध संस्कृत वाइमय
संस्कृति और सभ्यता पर गर्व कर सकेंगे, तथा पश्चिमी देशों की भौतिक समृद्धि के समक्ष
आत्महीनता का अनुभवन करेंगे। इसी दृष्टिकोण से शिक्षा-नीति में सांस्कृतिक धरोहर को
महत्त्व दिया गया है।
च. विभिन्न परियोजनाएं ।
चित्र-संकलन, शब्द-० का निर्माण, सक्ति संचयन, श्लोक-गायन प्रतियोगिता, निज
शब्द कोष निर्माण छात्र /छात्राओं में अवकाश के समय का उचित उपयोग करने के लिये
अवसर प्रदान कर सकता है।
छ. मौखिक अभ्यास पर बल
परीक्षा में दस प्रतिशत अंक मौखिक परीक्षा के लिये निर्धारित हैं। अत: मौखिक अभ्यास
पर भी अपेक्षित ध्यान देने की आवश्यकता है। श्लोक वाचन के लिये भी दस प्रतिशत अंक
निर्धारित हैं। परीक्षा के समय इन की गेयता और शुद्ध उच्चारण पर बल दिया जाये।
विषय सूची
कमांक:ः विषया: पृष्ठ-संकेत:
उपदेश:
७“
प्रथम: पुरुष: (पुल्लिग एकवचन)
न
[>
प्रथम: प्रुष: (स्त्रीलिग एकवचन)
९५
.
प्रथम: प्रुष: (पुल्लिग द्विवचन)
०
प्रथम: प्रुष: (स्त्रीलिग द्विवचन) ]
प्रथम: परुष; (पुल्लिग बहवचन)
हर]
पर्गिशप्टम
(के) व्याकरण भाग: 5 75
(व. व्याकरण भाग. 46
लस्कृत साहित्य प्रमुख ग्रन्थों कवियों तथा तिथियों का परिचय।
ः
82
प्रथम: पाठ:
उपदेश:
मातृदेवो भव ।
पितृदेवो भव ।
आचार्यदेवो भव ।
प्रिय छात्रो! ये पंक्तियां तैत्तिरीय उपनिषद् की शिक्षा वंल्ली से ली गई हैं। संस्कृत में उपनिषदों
का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनमें वेदों का सार है। इन पंक्तियों में यह उपदेश दिया गया है कि हमें
माता, पिता तथा आचार्य-इन तीनों की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
[ अध्यापक कृपया इन पंक्तियों का प्रतिदिन वाचन करवायें, जिससे छात्रों को अभीष्ट संस्कार
प्राप्त हों।]
द्वितीय: पाठ:
वर्तमानकाल (लटू) प्रथम: पुरुष:
पुल्लिग (एक वचन)
बाल: नमति ।
सः नमति ।
बाल: पठति
सः पठति ।
बाल: लिखति |
सः लिखति । (५
| सः खादति ।
गज: चलति
बाल: चलति । पा रा
। ' सः चलति
तह ।
सः चलति ।
अभ्यास:
याद कीजिए-
(अ) नए शब्द- |
बाल: - बालक अशोक: - अशोक (नाम)
सः - वह गज: - हाथी
(आ) नई धातुएँ-
नम् - नमस्कार करना (झुकना) . लिखू - लिखना
पढ़ - पढ़ना खाद - खाना
| चल् - चलना
(इ) मौखिक-
(क) पठ्-पठति, (वह पढ़ता है) इसके अनुसार नीचे लिखी प्रत्येक धातु की
क्रिया और उसका अर्थ बताइये- नम्, लिख, खाद, चल्
(ख) ऐसी धातुएँ बताइये जिनका अर्थ हो-
: नमस्कार करना, लिखना/पढ़ना, खाना, चलना।
3
राम क०००
(ई) लिखित-
रिक्त स्थान भरिये- :
(क) बाल: ........ आय ।
सा ) गाया ।
(00 लिखति । ........ पठति ।
057. खादति । ........ चलति ।
2४] नमति ।
(उ) संस्कृत में अनुवाद कीजिये-
बालक पढ़ता है। वह लिखता है।
हाथी खाता है। अशोक चलता है।
वह नमस्कार करता है।
तृतीय: पाठ:
वर्तमानकाल (लटू) प्रथम: पुरुष:
सत्रीलिग (एकवचन )
बाला पठति ।
सा पठति ।
0 बाला पचति ।
28 सा पचति ।
| बाला लिखति ।
| सा लिखति ।
रमा खादति ।
सा खादति ।
विभा हसति ।
“सा हंसति ।
छात्रा धावति ।
सा धावतिं ।
राधा खेलति ।
सा खेलति ।
अध्यापिका वदति ।
सा वदति ।
शाखा पतति !
सा पतति
अम्बा पचति ।
सा पचति ।
द याद कीजिए-
(क) नए शब्द- .
बाला - बालिका
अम्बा - माता
सा - वह (लड़की)
शाखा - टहनी
(ख) नई धातएँ-
हस् - हँसना
धाव् - दौड़ना
खेल - खेलना
वद् - बोलना
पत् - गिरना
पच् - पकाना
(ग) सौखिक- न् आओ मी
पचति, धावति, खेलति, वदति, पतति - इन क्रियाओं से पूर्व सा जोड़
अर्थ बताइए, जैसे:- ।
सा हसति 5 वह हँसती है।
(घ) लिखित-
इन्हें रिक्त स्थानों में भरिये-
सा, पठति, हसति, धावति, बाला
पचति । विभा
छात्रा *
सलेखा खेलति ।
. (ड) संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
बालिका पढ़ती है। वह पकाती है। सलेखा नमस्कार करती है। आशा हँसती
है। लता गिरती है। सीता बोलती है। वह दौड़ती है। राधा खेलती है।
चतर्थ: पाठ:
प्रथम: पुरुष:
(पुल्लिग द्विवचनं)
तौ लिखतः ।
(क) 'तौ पठत: - वे दो पढ़ते हैं।'' इस संकेत के अनसार नीचे लिखी प्रत्येक
धात् की क्रिया तथा अर्थ बताइए:- नम्, लिख, हस, पच, खेल
(ख) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
-
कत्र नमतः ? तौ तत्र
रमेश: ____ पठत: । च हसत: ।
गज: अरवः 5 आवत नरेश: च पचत: ।
२. लिखित: -
(क) शुक:, तौ, चलत:, वदत:, च इन्हें अपने वाक्यों में प्रयक््त
कीजिए
(ख) इन्हें संस्कृत में लिखिए:-
वे दो बोलते हैं। हाथी और घोड़ा कहां चलते हैं ? राम और श्याम वहां ही खेलते
हैं। पिता और पत्र हंसते हैं। वे दोही पढ़ते
दो घोड़े दौडते है| ! हते हैं। वह नमस्कार करता है। वह हँसती है।
[0॥
._ पञु्चम: पाठ:
वर्तमानकाल (लट्) प्रथम: पुरुष:
सत्रीलिग (द्विवचन)
]|
ते लिखत: पठतः च। ते एव नमतः; तौ न ।
ते कत्र भ्रमतः ? ते अन्न एवं भ्रमत: ।
ते तत्र न धावतः; अत्र एव धावतः ।
रेखा-सुलेखा च अत्र एव पठत:ः खादतः च ।
ते तत्र किम् खादतः ? ते तत्र किम् अपि न खादतः ।
संरला विमला च कदा पठतः ? ते प्रातः पठत: ।
ते कदा क्रीडत: ? ते सायम् क्रीडतः ।
विभा आभा च न पठतः » ते वदतः ।
ते न पचतः । ते खेलत: । तौ पठतः क्रीडतः च । ते लिखतः,तौ न ।
अभ्यास:
नई धातुएँ:- नए अव्यय-
क्रीड - खेलना कदा - कब प्रात: - सबह
भ्रम - घूमना किम् - कया सायम् - शाम
। अपि - भी
समौखिकः-
ते पठतः' - वे दो पढ़ती है,- इसी प्रकार निम्न धातुओं के साथ स्त्रीलिग
द्विवचन (ते) जोड़कर वाक्य बनाइये- .
नम्, क्रीड, अ्रम्, हसू, चल, वद्
अन्तर बताइए:-
ते अत्र एव पठतः । तौ अत्र एव पठते: ।
किम् ते प्रात: क्रीडत: ? तौ प्रातः क्रीडतः ।
ते न पचतः । तौ न पचत: ।
हे लिखितः- ।
(क) इन शब्दों को संस्कृत में लिखिये-
कहाँ, क्या, ही, भी, और, वहाँ, यहाँ।
(ख) इन वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिये:-
राधा और विभा घूमती हैं। सीता और ]
हैं। वे दो र गीता वहाँ जाती
ईँसत हैं।
ी वेह ै ं । दो
वे कहाँ
दोनों खेलती हैं ? वे
ः दो ही बोलती कब दौड ़ती हैं ?
दोनों पकाती हैं। हैं ? वो दो भी हँसती हैं। वे दोनों खेलते हैं। वे
2
षष्ठ: पाठ:
प्रथम: पुरुष:
(पुल्लिग बहवचन )
वार्तालाप:
रमेश: - किम् गज:, अश्वः अज: च खादन्ति अथवा चरन्ति ?
- नरेश: - ते न खादन्ति, ते चरन्तिं ।
रमेश: - महेशः, सुरेश:, विनोद: च कदा पठन्ति ?
नरेश: - ते तदा पठन्ति, यदा ते न क्रीडन्ति |
रमेश: - ते क॒त्र लिखन्ति ?
नरेश: - ते अत्र एव लिखन्ति ।.
रमेश: - किम् शुकः, पिकः कपोतः च वदन्ति ?«
नरेश: - ते न वदन्ति, ते कजन्ति ।
रमेश: -- किम राम:, श्यामः गोपाल: च क्रीडन्ति ?
नरेश: - ते न क्रीडन्ति, ते त यजन्ति ।
रमेश: - ते कत्र गच्छन्ति ?
नरेश: - ते तत्र गच्छान्ति ।
रमेश: - किम ते तरन्ति ?
नरेश+< आम, ते तरान्ति ।
रमेश: - ते प्रात: पठन्ति अथवा भ्रमन्ति ?
नरेश: - ते प्रात: भ्रमन्ति, पठन्ति न. ।
रमेश: -- किम् मतोजः:, गोपाल: मनोहर: च पतन्ति ?
नरेश: - ते न गतन्ति, ते तु तत्र धावन्ति ।
नए शब्द:- '
मीन: -- मछली कपोतः -- कबूतर
सकर 55 मगरमच्छ कच्छप: ८-कछआ
[4
नई धात॒एँ:-
यज् ८ यज्ञ करना चर् ८5 चरना
तृ (तर्) -- तैरना गम् (गच्छ) - जाना
ली ।
'नए अव्यय:-
हत्या 5 दल अथवा नया
यदा -- जब तॉतो
मौखिक:-
(क) वाक्य पूर्ति कीजिए:-
पठन्ति । एवं गच्छन्ति। '
मीन: मकर: कच्छप: च |
ते पठन््ति अथवा ? ।
ते प्रातः भ्रमन्ति न।
(खं) इनका वाकयों में प्रयोग कीजिए:-
किम्, प्रातः, पठन्ति, ते, तरन्ति, अथवा ।
लिखितः-
संस्कत में अन॒वाद कीजिए:-
वे यहां घमते हैं। वे पढ़ते हैं या लिखते हैं?मदन, चन्दन और पंकज कबपढ़ते हैं ?
वे ही तैरते हैं। वे यज्ञ नहीं करते हैं
सप्तमः पाठ:
वर्तमानकाल (लटू) प्रथम: पुरुष:
सत्रीलिग (बह॒वचन)
न्ट 5 नन्ततन्2 नर के के
$ >७ $ 3 । ५-७ ! |] २ घ््ा -6।
||
__8 |
अष्टम: पाठ:
न लंट) मध्यमपुरुष | पा
तीनों वचन
युवाम्-ए | यूसंसू 5 ,ः
लत तिल
जी ए 5 फाफएउ ि एपऊा5 फड
]9
त्वस तत्र भ्रमसि, यत्र सा न क्रीडति ।
त्वम् अपि खादसि, रमेश: अपि खादति ।
यदा यवाम् पठथः, तदा रमेश: स॒रेश: च खेलतः ।
यथा युवाम् लिखथ: तथा तौ न लिखतः ।
यूयम् एव पचथ, ता: न पचन्ति । *
यूयम् शनैः शनै: चलथ, ते शीघ्रम॒ चलन्ति ।
सः नमति । तौ गच्छतः । ते क्रीडन्ति ।
सा खेलति । ते नमतः । ता: हसन्ति ।
त्वम् पश्यसि । युवाम् पश्यथ: । यूयम् पश्यथ ।
नए अव्यय-
किम् -- क्या
यदा -- जब
तदा -- तब
यथा -- जिस प्रकार (जैसे)
तथा -- उसी प्रकार (वैसे)
शनेः शनै: - धीरे धीरे
यंत्र -- जहा !
नई धात् -
दृश् (प»य) -- देखना
अभ्यास:
१. मौखिक-
(क) त्वम् पठसि । युवाम् पठथः । यूयम॒ पठथ ।
इन वाक्यों को ध्यान में रखिये और त्वम्, युवाम्, यूयम् के साथ पच्, नम, लिख,
वद्, क्रीड, गम, धातओं की क्रियाएं जोड़िए ,
(ख) कोष्ठकों में दी गई धातुओं से उचित क्रियाएं बनाकर उन्हें रिक्त स्थानों में
भरिए
000 (गम) । जो ताल (दुश्) ।
ते अधि 02 (लिख) । त्वम् अत्र........ (खाद) ।
युवाम् एव....... (नृत्) । यूयम् सदा....... (पठ) ।
राजीव: ......... (नम्) । ते कते... आछ. (धाव) ।
२. लिखित-
(क) कोष्ठकों से शब्द लेकर जितने वाक्य बना सकें, बनाइए:-
सः पठन्ति अत्र .
त्वम् लिखति तत्र
युवाम् चलामि कत्र
तौ हसेथ, . अपि
शा आगच्छतः एव
ते नमसि गा
आवाम नमथ:ः सदा
अहम् पठामि.।
वयम् पठाम:
०
अहम् राजीव: शनै: शनै: पठामि ।
अहम् विजया अत्र एव पठामि ।
अहम् स्वयम् एव तत्र लिखामि ।
अहम् अपि तत्र एव धावामि ।
आवाम प्रात:ःखादाव: । _
आवाम् बहि: गच्छावः ।
आवाम तष्णीम पठाव: ।
आवाम अंपि अधना पठाव: ।
. वयम् सायं बहि:ः भ्रमामः |
वयम, श्याम, राम:, सरेशः च पश्याम: ।
वयम् अपि अत्र एव पिबाम: । ;
वयम् एव प्रस्परम् न वदामः ।
वार्तालापः
अध्यापक: - त्वम॒ कत्र वससि ?
नरेश: - अहम तत्र वसामि यत्र तौ बालकौ वसतः ।
अध्यापक: -- किम त्वम हससि ?
. रमा - नहि, अहम् न हसामि, ताः कन्या एवं हसन्ति ।
अध्यापक: - यवाम कत्र खेलथ: ?
छात्रे - आवाम् तत्र खेलाव:, यत्र ते बालका: क्रीडन्ति ।
अध्यापक: - किम ययम॒ लिखथ ? ह
छात्रा: - आम्, वयम् लिखाम: परम सः राजीव: सा विजया च न लिखतः ।
नए शब्द- 322 !
अहम् -- मैं आवाम 55 हम दो वर्यम् -- हम सब
नए अव्यय-
. बहिः ८ बाहर 'एम्परम् -- आपस में -
तृष्णीम् -- चुपचाप हा
नहि -- नहीं “20
अधुना -- अब रे
| अभ्यास:
१. मौखिक-
नीचे लिखी धातुओं के लट्लकार (वर्तमान काल) में तीनों पुरुषों तथा वचनों
में रूप बताइए:-
नम्, चर्, वद्, लिखू, गम, भ
२. लिखित-
नीचे कोष्ठकों से शब्द लेकर जितने वाक्य बना सकते हैं; बनाइए:-
याद कीजिए:-
पठ धातु के वर्तमान काल के रूप ।
24
दशमः पाठ:
कर्ता कारक (प्रथमा विभक्त)
(अकारान्त पुल्लिग शब्द)
सिह: गर्जीति ।
अज: चरति ।
अनलः ज्वलति ।
पवन: वहति ।
सूद: पचति ।
. बालः पठति ।
श्याम: लिखति ।
सुरेश: क्रीडति ।
-+-र् कक,
अभ्यास:
१. मौखिक-
नीचे लिखी क्रियाओं के साथ उचित शब्द लगाकर वाक्य-पर्ति कीजिए तथा
प्रत्येक वाक्य का अर्थ भी बताइए; जैसे:-
2 क॥ धावति ।
अश्व: धावति 5"- एक घोड़ा दौड़ता है ।
(0 गर्जतः । ......--ज्वलति ।
2007 पठन्ति । ..-.----हैसाम: ।
रा) वहति । ........पठथ
२. लिखित-
(क) संस्कृत के वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए:-
छात्रौ, अश्वा:, गज:, तौ, ते, च, मृगा:, युवाम्ू, अनलः, आवाम्
(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए:-
शेर ही गर्जते हैं। दो तोते वहाँ बोलते हैं। हवा धीरे-धीरे चलती है। घोड़ा बाहर
चरता है। छात्र कहाँ जाते हैं ? आग ही जलती है; हवा नहीं। क्या बकरा भी गर्जता
है ? क्या बन्दर भी हँसता है ?
(गं) पाठ के अन्त में दिए गए शब्दों के प्रथमा विभक्ति में रूप युद्ध कीजिए
जैसे:-बालकः बालकौ . बालका ५
गा]
27
एकादशः'ः पाठ:
कर्मकारक (द्वितीया विभक्ति)
अकारान्त पुल्लिग शब्द
| हीडाज़ ५ (5 कप | आम हम
् | फीता8हक
६
अश्वः चरणै: शीघ्रम् धावति ।
अश्वौ मृगैः सह एव चरतः ।
बाला: बालै: सह तत्र क्रीडन्ति ।
श्याम: कायेन कुश: अस्ति ।
देवदत्तः नेत्रेण काण: अस्ति ।
सोमदेव: नेत्राभ्याम् अन्ध: अस्ति ।
यज्ञदत्त: कर्णाभ्याम् वधिरः अस्ति ।
उष्ट्:ः चरणेन खऊ्जः अस्ति ।
मोहन: अशोकेन सह वदति, क्रीडति खादति च।
काय: परोपकारेण विभाति चन्दनेन न ।
गज: चरणै: चलति चरणाभ्याम् न ।
नए शब्द-
कलम: 5 कलम. चरण: ८ पैर
कन्दुक: - गेंद बधिर: -- बहरा
काण: -- काना अन्धः 5८5 अन्धा
कृशः -- दुबला, पतला खज्ज: -- लंगड़ा
अस्ति ८ है सह 5 साथ (अव्यय) <«
. स्पृश् -- छना (धात) तु -- तो (अव्यय)
अभ्यास:
१. मोखिक--...
(क) कोष्ठकों से उचित शब्द छांटकर वाक्यों की पूर्ति कीजिए
(१) नर: (चरंणेन, मुंखेन) खादति ।
| (२) वयम् (हस्ताभ्याम्, चरणाभ्याम्) चलाम: ।
(३) गज: (चरणै:, हस्तैः) धावति।
(४) यज्ञदत: (कर्णाभ्याम्, चरणाभ्याम्) बधिर: ।.
(५) मृगाः (बालै:, मृगैः) सह चरन्ति ।
' (ख) वाक्य- पूर्ति कीजिए:-
२. लिखित-
(क) वाक्यों में प्रयक्ता कीजिए :-
सह, कलमेन, मखेन, कन्दकेन, नेव्राभ्याम, नेत्रेण, चरणेन ।
(ख) निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों के वचन बदलिंए, जैसे -
सः हस्ताभ्याम् नमति । _
तौ हस्ताभ्याम् नमतः ।
ते हस्ताभ्याम् नमन्ति ।
वाक्य :--
(१) सा कन्दुकेन क्रीडति ।
(२) त्वम॒ दण्डेन चलसि ।
(३) अहम चरणाभ्याम् चलामिं ।
(४) अश्व: अश्वै: सह चरति ।
(ग) संस्कृत में अनुवाद कीजिए :-
वह कानों से बहरा है । बालकगेंद से खेलते हैं । मनष्य दो पैरों से चलते हैं ।
हाथी टांगों से दौड़ता है । हम कलम से लिखते हैं । लोग मख॒ से बोलते हैं ।
देवदत्त आंखों से अन्धा है । हिरन हिरनों के साथ चरते हैं ।
याद कीजिए :- पाठ के अन्त में दिये गये शब्दों के ततीया विभक्ति के रूप
जैसे - बालकेन बालकाभ्याम बालकै
जेड
अयोद शः पाठ:
सम्प्रैंदान कारक (चतुर्थी विभक्ति)
अकारान्त पुल्लिग शब्द
'-+नअ2:204-जन
बनना
दीपक: प्रकाशाय भवति ।
पराक्रम: विजयाय भवति । हि ।4
क्रोध: विनाशाय भवति ।
34
नए शब्द-
पराक्रम: -- वीरता मालाकार: -- माली
पटः -- कपड़ा पुस्तकालय: -- पुस्तकालय (लाइब्रेरी)
याचक: -- भिखारी आपणः: -- दुकान
आहार: -- भोजन घास: -- घास
भिक्षुक: -- भिखारी स्वस्ति -- कल्याण हो
नई धातुएं :-
दा (यच्छ) -- देना
»त्यज् -- छोड़ना
फल् 5 फलना
जीव् -- जीना
रच् (रचय) ८ बनाना .
आ + कर्ण (आकर्णय्) -- सुनना
पूर् (पूरय) ८ भरना
4003 अभ्यासः
मौखिक-
(क) रेखांकित पदों में चतुर्थी विभक्ति क्यों लगाई गई है? कारण बताइए :--
(ख) कोष्ठकों. में दिए हुए शब्दों में उचि रूप बनाइए :-
(राम) नमः । कृषक: (अश्ठ; सम् आनयति । जनक: (पुत्र) कन्दुकम्
यच्छति । (इन्द्र) स्वाहा ' #क्करः (आहार) भ्रमति । कृषक: (वृष) .
घासम् आनयति । (जीव' स्वस्ति । दीप: (प्रकाश) भवर्ति |
लिखित-
(क) निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों. का अर्थ लिखिए :-
त्वम बालकाभ्याम् जलम् आनयसि ।
35
त्वम् बालकाभ्याम॒ सह गच्छसि ।
7 >> अ»मम« «मन.
36
विदा पाप कक का पक ैगयूणिपफणय पु भा. पराथशााशप्््प््््रपर्प्र्प्पर. समय क-नव७ थक ५७७+क७-७.-७७०8आ-ककनक की कमान ७थब-क -पा+ल् ३» - माक मा ुलाभक-ुक-३-प--क “8 क 3 कला कप का" कष्णक कार: की 7 हनन नसा ऊन न्यातभभ पे कमन" काना "०-१ का का फकूएक- कम कभा३--लन्तम्याुस्ुआाकुतत- कक कमन
चतर्दशः पाठ:
अपादान कारक (पंचमी विभक्त )
अकारान्त पल्लिग शब्द
37
पथिक: -- मुसाफिर कम्भकार: -- कम्हार
भल्लूक: -- भालू नृप: -- राजा
कपः -- कआं प्रासाद: -- महल
उपहारः -- भेंट
१. मौखिक-
(क) नीचे लिखे शब्दों के विभक्ति और वचन बताइए :-
ग्रामात्, वानरा:, वृक्षेभ्य:, सिंह, ग्रामम् ।
(ख) नीचे कोष्ठकों के शब्दों में उचित विभक्तियाँ लगाइए :-
(१) विनोद: (ग्राम) आगच्छति ।
(२) तांपस: (आश्रम) आगच्छति ।
(३) सं: (कलम) लिखति ।
(४) बाला: (पाठ) स्मरन्ति ।
(५) जनक: (बाल) कन्दुकम् यच्छति ।
२. लिखित- "
(क) निम्नलिखित शब्दों के जितने अर्थ हो सकते हैं, उन्हें लिखिए :-
जैसे - वृक्षाभ्याम् ८ दो वृक्षों के द्वारा ।
दो व॒क्षों के लिए ।
दो व॒क्षों से (अलग) ।
अश्वाभ्याम्, गजाभ्याम्
हस्ताभ्याम्, चरणाभ्याम्,
बालकेभ्य:, वानरेभ्य:
(खं) इन्हें संस्कृत में बदलिए :-
बालक पेड़ से गिरता है । छात्र विद्यालय से आते हैं । त्विद्यालय से कब आता
है ? रीछ पेड़ से उतरता है । पथिक गाँव से आता है । नौकर राजा के लिए संदेश
लाता है । हम घर से विद्यालय को जाते हैं । हम गुरुजी से पाठ पढ़ते हैं |...
याद कीजिए :-
पाठ के अन्त में दिए गए विद्यालय आदि शब्दों के पञचमी विभक्ति के रूप । _
जैसे - बालकांत बालकाभ्याम् बालकेभ्य:
29
पंचदश: पाठ:
सम्बन्ध कारक (षष्ठी विभक्ति)
अकारान्त पुल्लिग शब्द
39
नए शब्द-
पितामह: -- दादा आतप: -- धूप
अग्रज: -- बड़ाभाई जनक: -- पिता
अनुज: 55 छोटाभाई दाडिम: -- अनार
पौत्र: -- पोता आतपः -- धूप
केश: -- बाल 'शुकः -- तोता
नाल आन पिक: -- कोयल
विशेषण शब्द-
कृष्ण -- काला शीतल <- ठण्डा
शुभ -5 अच्छा तीव्र - तेज
मधुर -- मीठा
: अभ्यास:
१ मौखिक _
_ (क) कोष्ठकों में दिए गए शब्दों का ठीक-ठीक मिलान कीजिए :-
उष्ट्रस्य : वर्ण:
बकस्य वर्ण:
सूर्यस्य आतप:
पिकस्य स्वरः
'शंखस्य - नादः
चन्द्रस्थ . “प्रकाश:
(ख) पाठ में आए हुए कोई दस ऐसे शब्द चुनिये, जिन में षष्ठी विभक्ति का
प्रयो ग हो तथा उन के अर्थ बताइए ।
२ लिखित
(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-
जनक: पितामह: भवति ।
भीष्मे: एफ पितामहः अस्ति ।
40
हिमालय: “एेः पर्वत: अस्ति ।
युधिष्ठिर: एप अग्रज: अस्ति ।_
भरतः रामस्य ए अस्ति ।
(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए :-
गोपाल का सकल यहां ही है । भौरे का रंग काला होता है । बालकों का दादा
गांव जाता है । चांद का प्रकाश तेज नहीं होता । राम के हाथों का रंग सफेद है ।
याद कीजिए:-
पाठ के अन्त में दिए गए शब्दों के षष्ठी विभक्ति के रूप । जैसे :-
बालकस्य बाल॒कयो: बालकानाम्
4
घोडशः पाठ:
अधिकरण कारक (सप्तमी विभक्ति)
८
फटहर अकारान्त पुल्लिग शब्द
वार्तालाप:
मनोज:-किम् त्वम् प्रात: आरामे विहाराय गच्छसि
?
विनोद:-आम्, अहम् प्रतिदिनम अजयेन-सह गच्छाएि हरित
े घासे च चलामि ।
मनोज:-युवाम् तत्र किम् पश्यथ: ?
+2
अककअीए
विनोद:--आवाम तत्र वक्षान पश्याव:. वक्षेष च खगान पश्याव:। त्वम प्रात: कत्र
गच्छसि ?
मनोज:-अह प्रातः परिवारस्य सदस्य: सह भ्रमणाय गच्छामि ।
नए शब्द- ।
पञ्जर: 5८5 पिंजरा नीड: 5८5 घोंसला
अंगुष्ठ: - अंगूठा राजमार्ग: -5 सड़क
सरोवर: ८5 तालाब दर्पण: 55 शीशा
मीन: 5८” मछली आराम: 5८5 बाग
अव्यय-
आम् - हां
अभ्यास:
१. मौखिक- ।
(क) रेखांकित शब्दों के स्थान पर उचित शब्द बताइए:
नप: वने वसति । खगा: सरोवरे वसन्ति । सिंहः प्रासादे वि: । मीना: वृक्षेष्
वसन्ति । सर्यः आरामे भ्रमति । भ्रमराः दर्पणे गुझ्जन्ति ।
(ख) नीचे लिखे शब्दों के विभक्ति और वचन बताइए:-
_ आकाशे, कालः, सदस्यै:, सरोवरेषु, चरणयो:, आरामस्य ।
२.लिखित- .
(क) इन वाक््यों को ठीक-ठीक लिखिए:-
(१) चणकान् वानरा: खादन्ति आश्रमेषु ।
(२) च वसन्ति आश्रमेषु कृषकाः तापसाः ग्रामेषु ।
(३) मोदका: सन्ति हस्तयो: सुरेशस्य ।
(४) पठन्ति खगाः विद्यालये वृक्षे वसन्ति छात्रा: च ।
(५) मार्गे च धावतः अश्व: कक््क्रः ।
43
(ख) संस्कृत में बदलिए:-
“ यक्षी घोंसलों में रहते हैं। हाथी रास्ते में चलते हैं। लोग बागों में घूमते हैं।
मछलियां तालाबों में तैरती हैं। शेर भी वनों में घूमते हैं। हम दोनों विद्यालय में पढ़ते
और लिखते हैं। तम दोनों भी परिश्रम से पढ़ती और लिखते हो।
याद कीजिए- 20 ;
* पाठ में आए किन्हीं तीन शब्दों के सप्तमी विभक्ति में रूप । जैसे:-
बालके बालकयो:' हक लालकप,
जमकर अमन: नह चाबरााः छा का ।
॥|
सप्तदशः पाठ: 0
सम्बोधन |
अकारान्त पुल्लिग शब्द |
गणतन्त्र-दिवस-समारोह: द
नए शब्द- ई
. . स्व 5 अपना नर्तक: -- नृत्य करने वाला
श्रीमन - श्रीमान् जी सम्मुखे -- सामने
प्रदेश: -- देश का एक भाग
5
मई धातु-
पाल, (पौलय) 5 पालना, पूणाकरजा .०७-5छ5जऊ
. नए अव्यय- ३ कह
लीचैः -- नीचे कम ला व)
; पं पड ञ ज्यार्स +छहछाणा#ः
१. मौखिक-. । »
(क) प्रत्येक कोष्ठक में दी हुई:दो क्रियाओं में से उचित क्रिया द्वारा वाक्य-पूर्ति .
कीजिए:- 7व व
५८40 तन
(१) बोल: रसम् (पिबेन्ति, पिबति) )
(२) सैनिका: देशम् (रक्षल्ति; त्यजन्ति)
( ३) ज़नकः पत्रम॒ (नयति; पालयति)-
(४) धनिकः निर्धनेभ्य; मोदकान (खोंदति, यच्छति)
(ख) शब्दों के रूप बताइए:-
ढ हक
नर (प्रथमा), जन (द्वितीया । हर के अश्व (चतु |)
(षष ्ठी) सैनिक का
4! संत्कल में अन्य जा हे छठ छा न् न्क यों त जी पा5 ! फा्गी8 --
नई धांतुएँ-
सिध् (सिध्य) > पूरा होगा तुष् (तुष्य्) - प्रसन्न होना
शम् (शाम्य्) -- शान्त होना
नए अव्यय- ह
हि 5 निश्चय से विना 5 बगैर
जन
4ा
अभ्यासः
१. मौखिक-
(क) प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
चन्द्र: दीपकः कदा भवति ? रवि: कदा दीपकः भवति ? कलस्य दीपक: कः
भवति ? कः न शाम्यति ? मन्त्रेण कः शाम्यति ?
(ख) वाक्य पूर्ति कीजिए:-
समुद्रेषु वृष्टि: । व॒था तृप्तस्य । उद्यमेन कार्याण____।
त्रैलोक्ये धर्म: । वृथा दीपः |
२. लिखित-
(क) पहले तथा दूसरे श्लोक का अन्वय और तीसरे तथा चौथे श्लोक का अर्थ
लिखिए ।
+ठ6
नवदशः पाठ:
अकारान्त नपुंसकलिग शब्द
नए शब्द-
मुखम् -- मुंह वस्त्रम् -- कपड़ा
नेत्रम् आँख भवनम् -5 मकान «
अंगम् -- अंग पत्रम् - पत्ता, चिट्ठी
कमलम् 5-5 कमल आम्रम् -- आम (फल)
मम -- मेरा उद्यानम् >“बगीचा
उपरि - ऊपर (अव्यय)
नई धातुएँ- ः
प्रा -- जिध्न् -- सूँघना - चूष् -- चूसना
सीव् (सीव्य) -- सीना
50
अभ्यास:
१. मौखिक-
(क) कोष्ठकों में दिए गए शब्दों द्वारा वाक््य-पूर्ति कीजिए:--
अहम् (पुष्प) जिप्नामि । श्याम: (पुष्प) हारम् धारयति । शरीरे अनेकानि
(अंग)भवन्ति । मम मुखे (नेत्र) स्तः । सरोवरे (कमल) विकसन्ति ।
(ख) शुद्ध कीजिए
सःपष्पान् जिप्नति । रामस्य मुखे नेत्रौ स््त: । अहम पत्रान् लिखामि । अश्वः
तृणान् चरति । सुरेश: पुस्तकौ पठति । सरोवरे जलः भवति ।
२. लिखितः- "
(क) निम्नलिखित शब्दों से रिक्त स्थान पूर्ति कीजिए:-
नेत्रे, कर्णयो:, अंगानि, मुखे, पुष्पाणि ।
(१) रामस्य रोग: अस्ति ।
(२) अहम् विद्यालयस्य आरामे पश्यामि ।
(३) मम मुखे स्तः।*
(४) शरीरे अनेकानि _ भवन्ति ।
(५) दन्ता: भवन्ति ।
(ख) अनुवाद कीजिए:-
राम के हाथ में फूल हैं। विजय पुस्तकें पढ़ता है। मैं दूध पीता हूँ, और फल खाता
के लिए बाग जाता
हूं। मेरे शरीर में बहुते से अंग हैं। जीव आँखों से देखते हैं। मैं फलों
हैं। देवदत्त फूलों से घर को सजाता है। डाकिया चिट्टयाँ ले जाता है।
याद कीजिए:- ।
'फल' शब्द के आठों कारकों के रूप ।
विंशः पाठ:
सायंकाल:
(भविष्यत्काल:) द
52
स्मरिष्याम:, लेखिष्याम: च। ततः दरधम पास्यामः। तत्पश्चात॒ शयनाय
गमिष्याम: ।
- नए शब्द- . :
नीड 5 घोंसला : ' चन्द्र: ८-- चाँद
अन्धकारः 5८- अंधेरा पथिक:ः -- राहगीर
कम॒द 55 कमुद (रात्रि कमल) क्रीडा-क्षेत्र -- खेल का मैदान
उलूकः -- उल्लू पाचकः -- रसोइया
सर्वत्र (अव्यय) -- सब जगह
म्लान (विशेषण) -- मुर॒झाया हुआ
अभ्यास:
१. मौखिक-
(क) शुद्ध कीजिए :-
तापस: यजिष्यति । सदः भोजनम पचिष्यति । बालः दर्धम पिविष्यति ।
छात्र: पाठान स्मष्यति । वयम उद्याने तिष्ठिष्याम: । ते विद्यालये गच्छिष्यन्ति ।
(ख) वाक्य-पूर्ति कीजिए :-
आप अर 2405-00 । पाचका: भोजनम् : ४४ । उलूकाः हा
"8, 28 शत
२. लिखित- /
(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-
एकवचन : द्विवचन बहुवचन
(७ ०7४ पा
5 : खगो कक 2
४4,0५0 लिन पी
फेलम ४७7 0/७/क फलानि
पत्रम सेल 00007 0/7%
००१०००००
#००००००
(ख) अनुवाद कीजिए :-
अशोक बाग में खेलेगा । मैं घर में नहीं खेलँगा । तम सब रास्ते में नहीं
पढ़ोगे । हम सब सकल जायेंगे । तम दोनों कहाँ पढ़ोगे ? हम दोनों फल खायेंगे ।
मुनि आश्रमों में यज्ञ करेंगे ।
याद कीजिए :-
पढ् आदि धातुओं के लुट लकार (भविष्यत् काल) के रूप ।
स्मरणार्थ-श्लोक :-
यावत् स्थास्यन्ति गिरयः: सरितश्च महीतले।
तावद रामायणकथा लोकेष प्रचरिष्यति। ।
- वाल्मीकि रामायण
अर्थ - जब तक पर्वत और नदियां पथ्वी पर रहेंगे, तब तक लोगों'में रामायण कथा
का प्रचार रहेगा।
34
एकविंशः पाठः
. चत्रा बाला
(आकारान्त स्त्रीलिंग शब्द) |
सुलेखा चतुरा बाला अस्ति । जनकः अम्बा च यदा सुलेखाम् पश्यतः तदा तौ
तुष्यतः । सुलेखा प्रातः जनकम् अम्बाम् च नमति । सा वस्त्राणि क्षालयति ।
स्नानस्य पश्चात् सूपम् ओदनम् च खादति । सुलेखया सह रमा अपि पाठशालाम्
गच्छति । सुलेखा तत्र अध्यापिकाम॒ नमति । अध्यापिका सुलेखायै पुस्तकम्
न )
सायं यदा सलेखा पाठशालाया: गहम आगच्छति तदा सलेखाया: अम्बा प्रसन्ना
भवति । सा सलेखायै दग्धम मिष्टान्नम च यच्छति । समये समये सलेखा प्रात
सायम् वा भोजनम् पचति, वस्त्राणि अपि सीव्यति । सलेखायाम अम्बाया: पर्ण
विश्वास: अस्ति । सा सदा वदति - हे सलेखे, त्वम सयोग्या बाला असि । सलेखा
पाठशालायाम् पठितान पाठान ध्यानेन स्मरति लिखति च ।
डे'शब्द-
पूर्ण - पूरा (विशे०) मिष्टान्नम् -- मिठाई
परिहासः: ल्- मजाक सूप -- दाल
अम्बा - माँ ओदनम् -- भात
नई धातएँ-
तुष् (तुष्य) - प्रसन्न होना प्रच्छ (पच्छ) - पूछना
चुर् (चोरय्) -- चुराना क्षाल् (क्षालय) -- धोना
नए अव्यय-
एकदा 55 एक बार पश्चात् - बाद में
अभ्यास:
१ मौखिक-
(क) वाक्य-पूर्ति कीजिए :- क्
रामवा न त। गाआ सीव्यति । सलेखा
जनकम् अम्बाम च ऊ एउसा पराठशालामू
बाला:पाठम॒
7 । '
(ख) प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
(१) सुलेखा कत्र गच्छति ?
(२) सा स्नानस्य पश्चात् किम् खादति ?
(३) सुलेखायै अम्बा किम् यच्छति ?
(४) अध्यापिका सलेखायै किम यच्छति ?
२. लिखित- ह
(क) नीचे लिखे वाक््यों को द्विवचन और बहुवचन में लिखिए :-
बाल: पठति । सः धावति । सा गच्छति । माला पतति । पृष्पम्
विकसति । अहम् पठामि ।
नए शब्द-
भूतः प्राणी . ४ रक्त: -- खून
रतः -- लगा हुआ . सहस्र॒ ८ हजार
अशिक्षित -- अनपढ़ कल्याणम् 55 भलाई
ग्रीष्मावकाश: >> गर्मी की छट्टियां. ग्राहक: -- खरीदार
स्वल्प ८ थोड़ा द्रव्यम् -- सौदा, चीज
वद्धि: -- उन्नति, अधिकता _
५59
नई धातुएँ-
विद् (विन्द्) -- प्राप्त करना प्र + दा (प्रयच्छ) -- देना
नए अव्यय-
कदाचन 55 कभी भी . सर्वथा - निश्चित रूप से
सम्यक् - पूर्ण रूप से
अभ्यास:
१ मौखिक-
निम्नलेखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
(१) त्वम् अशिक्षितेम्य: किम् दास्यसि ?
(२) लोके मानम् क: विन्दति ?
(३) त्वम् कत्र गमिष्यसि ?
(४) क: घोरे नरके पतति ?
२ लिखित- _
तीसरे, पाँचवें तथा छठे श्लोकों के अर्थ लिखिए
याद कीजिए-
इस पाठ के श्लोकों को कण्ठस्थ कीाजये ।
त्रयोविंशः पाठ:
उद्यमस्य फलम्
(भूतकालः )
८
एकद' एक: काक: पिपासितः अभवत् । सं: जलस्य पानाय इतः ततः अश्रमत्
परन्त सः कत्र अपि जलम् न अपश्यत ।
अन्ते सः उद्याने एकम् घटम् अपश्यत् । सः घटस्य समीपे अगच्छत् । घटस्य
च मुखे उपाविशत् ।
घटे स्वल्पस् जलम् अभवत् । सः जलस्य पानाय वार वारम् प्रयत्नम्
अकरोत् । '
68]!
काक: पर्याप्तम् जलम् अपिबत् । सः अति प्रसन्न: अभवत् अवदत
् च -..
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याण न मनोरथै:
।
' नए शब्द--
!
' पिपासित - प्यासा
घट: -- घड़ा
पाषाण -- पत्थर खण्ड -- टुकड़ा
. तलस्थ -- नीचे का पर्याप्त -- काफी
अपिबत - पीया _अकरोत्|- किया
जए अव्यय-
तथा अपि >- तो भी क॒त्र अप
समीपे -- पास -- कही
िं भी
वार वारम् - बार-बार
अहो ! -- अहा । ह
नई धातुएँ-
उप + विश् -- बैठना
क्षिप् - फेंकना . चिन्त् (चिन्तय) -- चिन्ता.करना
पा [पिब] - पीना ।
४62:
अभ्यासः
कप समौखिक-
(क) प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
(१) काकः घटम् कत्र अपश्यत् ?
(२) सः उद्याने किम् अपश्यत् ?
(३) काकः घटे किम् अक्षिपत् ?
(४) काक: किम् अपिबत् ?
(५) घटे कः उपाविशत् ?
(ख) कौए के लिए प्रयुक्त पांच विशेषण पाठ में से छाँटिये ।
२ लिखित :-
(क) वाक्यपूर्ति कीजिए :-
काक: जलस्य पानाय 5 अभ्रमत् ।
स+छ्ाउच हाअपश्यत | से का दा मखे।।
घटे जलम् ! स: उपायम 7
(ख) काक:' पर संस्कृत में पांच वाक्य लिखिए
(ग) 'वद्' धातु के तीनों कालों में रूप लिख कर याद कीजिए
'श्लोकां श-
सोत्साहस्य हि लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम् ।
अथं-संसार में उत्साही पुरुष के लिए कछ भी दरर्लभ नहीं है ।
03
चत्र्विशः पाठ:
एतत् (यह) तथा किम् (क्या, कौन)
सर्वनाम
(पुल्लिग प्रथमा)
एष: क: धावति ?
एष: बाल: धावति ।
एतौ कौ धावत: ?
एतौ अश्वौ धावतः ।
एते के धावन्ति ?
एते अश्वा: धावन्ति ।
(पुल्लिग द्वितीया)
एतम् कम् पश्यसि ?
एतम् सिंहम् पश्यामि ।
एतौ कौ पश्यसि ?
राह एतौ सिंहौ पश्यामि ।
( प्रथमा) | एतान् कान् पश्यसि ?
_एतान् सिंहान् पश्यामि ।
एषा का पठति?
एषा बालिका पठति ।
एते के पठतः ?
एते बालिके पठत:
एता: का: पठन्ति ?
एता: बालिका: पठन्ति ।
७4
(स्त्रीलिंग द्वितीया)
: एताम् काम् नमसिं ? एताम् अम्बाम् नमामि ।
एते के पश्यसि ? एते विभाम् उमाम् च पश्यामि ।
एता: का: नयसि ? एता: बाला: नयामि ।
(न्पुंसकलिंग प्रथमा)
हे किम् अस्ति ? एतत् पत्रम् अस्ति ।
एते के स्तः ? ४ एते फले स्तः ।
एतानि कानि सन्ति : एतानि आम्राणि सन्ति ।
(नपुंसकलिंग द्वितीया)
एतत् किम् पिबसि ? एतत् दुग्धम् पिबामि ?
एते के पश्यसि ? एते नेत्रे पश्यामि ।
एतानि कानि खादसि ? एतानि आम्राणि खादामि ।
अभ्यास:
१ मौखिक--
शुद्ध कीजिए :-
एप: राधा अस्ति । एतान् वालिकाः पश्यामि । एते काः गच्छन्ति?
एतेम फलम् खादामि । एतान् फलानि पश्यामि । एतत् बालम नयामि ।
' २ लिखित-
(क) एतान्, काम्, एष:, एतत्, एतानि, कौ, के, एषा - इन्हें वाक््यों में प्रयुक्त
कीजिए ।
(ख) अनुवाद कीजिए :-
यह क्या है ? यह कौन (स्त्री) है । यह किस पाठ को पढ़ती है ? राम इस पस्तक
को नहीं पढ़ता । तृ किसे देखता है ? यह कौन सी लड़की है ? त कौन है ”?यह आम
है । यह पत्ता है । यह शेर है ।
65
याद कीजिए :-
एतत् तथा किम् शब्दों के तीनों लिगों के प्रथमा तथा द्वितीया के रूप ।
स्मरणार्थ श्लोक :--
कः काल: कानि मित्राणि
को देश: कौ व्ययागमौ ।
कस्याहं का च मे शक्ति:
इति चिन्तय मुहूर्महः ।।
अर्थ- समय कैसा है ? कौन मित्र है ? कौन देश है ? आय और व्यय
क्या है ? मैं किसे का हूं ? मेरी शक्ति क्या है ? ऐसा बार बार सोचते
रहना चाहिए
66
पंचविंश: पाठः
यत् (जो) तथा तत् (वह) सर्वनाम
(पुल्लिग प्रथमा)
यः अत्न पठति सः सुरेश: अस्ति ।
यौ अत्र पठतः तौ बालकौ स्तः ।
ये अधुना धावन्ति ते अश्वाः सन्ति ।
(पुल्लिग द्वितीया)
यम त्वम नमसि तम अहम नमामि ।
यो त्वम पश्यसि तौ अहम पश्यामि ।
यान् त्वम् वदसि तान् आवाम् वदावः ।
(स्त्रीलिंग प्रथमा)
या प्रात: पठात सा साय न पठति ।
ये सायम् पठत: ते प्रात: न पठत:ः ।
या: अन्न पठन््ति ताः तत्र न धावन्ति ।
(स्त्रीलिंग द्वितीया)
याम सीता पश्यति ताम् उर्मिला न पश्यति ।
ये त्वम नमास ते राधा न नमतते ।
या: रामः वात ता: श्याम: न वदति ।
(नर्पुँसकलिंग प्रथमा)
यत् फलम् अहम् खादामि तत् पक्वम् न अस्ति ।
ये पहले करण्डके स्त: ते मम न स्त: ।
यानि फलानि तत्र सन्ति तानि उमाया: सन्ति ।
(न्पुँसकलिंग द्वितीया)
यत् फलम् त्वम् खादसि तत् अहम् अपि खादामि ।
ये फले मोहन: खादति ते विभा न खादति ।
यानि फलानि राम: नयति तानि त्वम् न पश्यसि | -
3
अभ्यास:
१ मौखिक-
(क) ताम्, ते, तम्, एते, एतत्, तानि, तानू, यानि - इन्हें अपने वाकयों में
प्रयुक्त कीजिए ।
(ख) शुद्ध कीजिए :-
_ताम् अश्वम्, या फलम्, यः फलम्, ये बालौ, तौ बाला:, ते फलानि,
या: गजा:, एताम् बालम ।
२ लिखित-
(क) प्रत्येक वाक्य के आगे के कोष्ठक से उचित शब्द लेकर वाक्य पूर्ति
कीजिए :-
(0 रा जाग वा लाति| (फल:, फलम्)
(२) ते कन्ये बालानू | (पश्यतः, पश्यन्ति)
0) राम बतायति॥ (फलेन, फलम्)
(४) तो विद्यालयस् 7 (गच्छति, गच्छतः)
(५) एषः एएर गच्छति। (बालक:, बालिका)
(ख) अनुवाद कीजिए :-
जो बालक दूध पीते हैं, वे स्वस्थ होते हैं। जो फल पका होता है वह
मीठा होता है। यह कौन बालक है ? जिसको तुम देखते हो वह ऊँट है। ये
कौन लड़कियाँ हैं ? जो लड़कियाँ पढ़ती हैं, वे चत्र होती हैं।
याद कीजिए:--
यत् तथा तत् शब्दों के तीनों लिंगें के प्रथमा तथा द्वितीया रूप।
छ6
घडविंश: पाठ:
युष्मद (त्) अस्मद (मैं) सर्वनाम
(उभय लिंग )
69
२ लिखित-
संस्कृत में बदलिए :-
त् क्या पढ़ता है? मैं पुस्तक पढ़ता हूँ । तुम दोनों कहाँ रहते हो? हम दोनों
गाँव में रहते हैं | तुम किस को देखते हो? हम पक्षियों को देखते हैं । तुम को
कौन नमस्कार करता है? हम को बालक भी नमस्कार करते हैं ।
याद कीजिए :- ।
युष्मद् और अस्मद् शब्द के प्रथमा और द्वितीया के रूप ।
फ्ि
पाठ:
श्रीराम:
१0
अगच्छताम् । श्रीरामस्य वियोगेन दशरथ: स्वर्गस् अगच्छत् ।
वने लंकाया: नृप: रावण: छलेन सीताम् अहरत् । श्रीराम: लक्ष्मण: च वने इतः
तत: अश्रमताम । श्रीराम: सग्रीवस्य सहायक: अभवत् । सग्रीवस्य पवनकमारस्य .
च सहायतया स:ः लंकाम॒ अविशत् । तत्र श्रीरामस्य रावणेन सह यद्धम अभवत॒ ।
युद्धे श्रीराम: सकलान् राक्षसान लंकापतिं रावणम् च अमारयत ।
श्रीराम: रावणस्य अन॒जाय विभीषणाय लंकाया: राज्यम अयच्छत । तत
चतर्दश वर्षाणाम् पश्चात् सः सीतया लक्ष्मणेन च सह अयोध्याम प्रत्यागच्छत ।
तत्र श्रीरामस्य राजतिलकः अभवत् । श्रीरामस्य राज्ये सकलाः अपि प्रजा
सुरक्षिता: प्रसन्नाःच अभवन् । अतः रामराज्यम प्रसिद्धम अस्ति ।
नए शब्द-
प्रवीण (वि०) -- चत्र, योग्य श्रीरामेण सह -- राम के साथ
ज्येष्ठ: -- सबसे बड़ा ; अमारयत् (क्रि०) 5 मार दिया
अभ्यास:
१ मौखिक-
(क) प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
दशरथस्य कति पृत्रा: अभवन् ? श्रीरामस्य भार्या का आसीत् ?
रावण: काम् अचोरयत् । दशरथ: क: आसीत् ? राम: युद्धे कम् अजयत् ?
(ख) तीसरे अनुच्छेद का अर्थ बताइए ।
२ लिखित-
(क) संस्कृत की विभक्तियाँ लगाइए :-
राम का, राक्षसों का, वन में, लंका में, विभीषण के लिए, छल से,
सहायता द्वारा, बालकों पर ।
(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए :-
श्रीराम सुग्रीव के सहायक हुए । राम की पत्नी सीता थी । मैं वहाँ
गया । लक्ष्मण तथा सीता भी वन में गये । लक्ष्मण तथा शत्रघ्न समित्रा
केपुत्र थे । बन में राक्षस रहते थे । रावण सीता को हर ले गया ।वानरों
ने राक्षसों को मारा ।
याद कीजिए :-
लड् लकार में वस् और नम् धातुओं के रूप ।
अष्टविंश: पाठ:
संख्या
(74
(क) ब्याकरण भागे
वर्ण माला
फ5
(ख) व्याकरण-भाग
तप
अकारान्त नपुंसकलिग 'फल' शब्द
१. “"फलम् फले फलानि
२ . )) )7 / ब्र