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संस्कृत-विनोदः
(प्रथमो भाग:)

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संस्कृत-विनोदः
(प्रथमो भाग: )

उद्भावक
शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्‍ली सरकार .
प्रकाशक

दिल्‍ली पाठ्य-पुस्तक ब्यूरो, दिल्ली


ए08छ
४॥(69)
- - 90
44,70,000

प्रथम संस्करण.................... 4990

22002 कह
0 ॥ 00) ५.४ 4,50,000

( शिक्षा विभाग, दिल्‍ली ।990

सूल्य : 8.00

| ) >>चलो
॥ट्यपुस्तक ब्यूरो में ओ. पी. नौटियाल सचिव दिल्ली पाठ्यपुस्तक ब्यूरो 25,/2 पंखा
८75०
पु ए

रोड, रास्थनीय
१ ९८५4।||

क्षेत्र, नई दिज्ली द्वारा प्रकाशित तथायूनिक प्रैस प्रा० लि0, ए-37, सेक्टर-4, नोएडा--20430। द्वारा मुद्रित!
प्रस्तावना

प्रस्तत पस्तक हमारी पिछली पस्तक का परवार्धित रूप है। इसकी रचना कई वर्ष पूर्व डॉ
भारद्वाज, मॉडर्न सकल के निर्देशन में हई थी। पिछले वर्ष संस्कृत-भाषा के कुछ अध्यापकों को इस
पुस्तक की समीक्षा करने के उद्देश्य से बुलाया गया। इसमें इसके परिवेश को कुछ बदलने के लिए
सुझाव दिए गए। इन सझावों का उद्देश्य व्याकरण की दृष्टि से पाठों में अधिक अच्छा तारतर
लाना तथा विषय को सग्राह्य बनाना था। बीच-बीच में कई और भी अच्छे सुझाव प्राप्त होते रहे
हैं। इनको ध्यान में रखते हए तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 4986 की आवश्यकताओं के अनुसार इस
पस्तक को सगम एवं सग्राह्य बनाने का प्रयास किया गया। आशा है यह पुस्तक अपने इस प्रस्तुत
रूप में बच्चों के लिए अधिक लाभकारी सिद्ध होगी तथा अध्यापक इसको पढ़ाने में अधिक
आसानी अनभव करेंगे। हमें अध्यापकों से इसके-सुधार के लिए अच्छे सझावों की अपेक्षा रहती है
जिनका हम सदैव स्वागत करेंगे।
राजेन्द्र कमार
शिंक्षा निदेशक : दिल्‍ली
कृतज्ञता ज्ञापन

पुनरी क्षण-समिति

_- जी. आर. मिश्रा डा. आर.के. डबास


डा. यशवन्त सिंह सुशीला शर्मा
ओ.पी. शर्मा वीना आनन्द
सुषमा पब्बी ओ.पी. ठाकर :

सनन्‍्तोष खुल्लर

सम्पांदन
श्याम सुन्दर शर्मा
मुख पृष्ठ
भारती मीरचंदाणी
चित्र
_ मेवा लाल.
उत्पादन मंडलं |
केशव प्रसाद शर्मा, दीप चन्द्र जोशी
ऊअन्निल शर्मा
अध्यापकों के लिये
संस्कृत भाषा प्राचीन भाषां है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता इसी में निहित है। इसका
अध्यापन करवाते समय निम्नलिखित बातें ध्यातव्य हैं-
क. उपंयकक्‍त वातावरण का निर्माण
' कक्षा में संस्कतमय वातावरण बनाने के लिये श्लोकों का सस्वर वाचन करवाया जा
सकता है। आदेश निर्देश भी यदि संस्क॒त में ही दिये जाएं तो ज्ञानवद्धि के साथ-साथ बच्चों
की भाषा में भी रुचि जागत होगी। उत्तिष्ठत, उपविशत, आगच्छत, गच्छत, तष्णी भवत।
- किम॒अहं बहिःगच्छानि ? आगच्छानि किम ? आदि वाक्य सरलता से प्रयक्‍्त किये अथवा
करवाये जा सकते हैं। ।
ख. वाक्य संरचनाओं का कक्षा के वातावरण से सम्बन्ध 5
पाठों में आई वाक्य संरचनाओं को कक्षा के वातावरण से जो इकर अभ्यास करवाना
अपेक्षित है, जैसे अशोकः पठति। इस सामान्य वाक्य का भी <'क्षा के प्रत्येक बालक/
बालिका द्वारा प्रश्नोत्तरी शैली में अभ्यास कराया जा सकता है 5,.से क: पठाति ? किम स
पठति अथवा खेलति ? नहि, सः पठति न त खेलति आदि।
ग. सदर्वोत्ति परिचय 5
सदवृत्ति विषयक वाक्‍्यों का मात्र अन॒वाद ही न कर के उस पर वार्तालाप करवाया जा
सकता है। छात्रों को उससे सम्बन्धित कक्षाओं एवं कविताओं का संकलन करने की प्रेरणा
दी जा सकती है।
घ. संस्कृत-साहित्य से परिचय
संस्कृत भाषा में मात्र धर्मग्रन्थ और उपदेश ही ८हीं है, उस में ज्ञान-विज्ञान सम्बन्धी
अनेक विषयों के गौरव-पग्रन्थ विद्यमान हैं, सांख्य, प्याय, ज्योतिष, आयर्वेद, छन्‍्द आदि।
आज का विश्व प्राचीन संस्कृत-शास्त्रों के गहन चिन्तन को देखकर आश्चर्य चकित है।
अतः छात्रों को संस्कृत साहित्य से एरिचित कराना नितान्त आवश्यक है। पस्तकालय से
ऐसे ग्रन्थों को लेकर उन्हें दिखाया जा सकता है। इससे वे अपने समृद्ध संस्कृत वाइमय
संस्कृति और सभ्यता पर गर्व कर सकेंगे, तथा पश्चिमी देशों की भौतिक समृद्धि के समक्ष
आत्महीनता का अनुभवन करेंगे। इसी दृष्टिकोण से शिक्षा-नीति में सांस्कृतिक धरोहर को
महत्त्व दिया गया है।
च. विभिन्न परियोजनाएं ।
चित्र-संकलन, शब्द-० का निर्माण, सक्ति संचयन, श्लोक-गायन प्रतियोगिता, निज
शब्द कोष निर्माण छात्र /छात्राओं में अवकाश के समय का उचित उपयोग करने के लिये
अवसर प्रदान कर सकता है।
छ. मौखिक अभ्यास पर बल
परीक्षा में दस प्रतिशत अंक मौखिक परीक्षा के लिये निर्धारित हैं। अत: मौखिक अभ्यास
पर भी अपेक्षित ध्यान देने की आवश्यकता है। श्लोक वाचन के लिये भी दस प्रतिशत अंक
निर्धारित हैं। परीक्षा के समय इन की गेयता और शुद्ध उच्चारण पर बल दिया जाये।
विषय सूची
कमांक:ः विषया: पृष्ठ-संकेत:
उपदेश:

७“
प्रथम: पुरुष: (पुल्लिग एकवचन)

[>
प्रथम: प्रुष: (स्त्रीलिग एकवचन)
९५

.
प्रथम: प्रुष: (पुल्लिग द्विवचन)


प्रथम: प्रुष: (स्त्रीलिग द्विवचन) ]
प्रथम: परुष; (पुल्लिग बहवचन)
हर]

प्रथम: पुरुष: (स्त्रीलग बह॒वचन) ]6


(9

वर्तमान (लट) मध्यम: पुरुष: (तीनों वचन) ]9


उनमे पुरुष (तीनों तचत) 22


. कर्ताकारक (प्रंथमा विभक्ति) 25


कर्म कारक (द्वितीया विभक्ति) 28
. करण कारक (तृतीया विर्भाक्‍तं) 3]
. सम्प्रदन कारक (चतर्थी विभक्ति) 34
४. अपादान कारक (पंचमी विभक्ति) 37
१) सम्बन्ध (पप्ठी वि्भाक्त) 39
९ आधिकरण कारक (सप्तमी विभक्ति) 42
9. सम्बोधन: 45
. सुभाषितानि (श्लोका: ) ४ 47
. अकारान्त नपुंसक लिग शब्द 49
. सायंकाल: (भविष्यत काल: ) 52
चत्रा बाला (आकारन्त स्त्रीलिग 55
. विविधा: श्लोका: 59
. उद्यमस्य फलए [भूतकालः] 6]
एतत तथा किम (स॒र्वनाम) 64
/. यत्॒ तथा ते (सर्वनाम) 657
यष्मद तथा अस्मद (सर्वनाम) 69
श्री राम: 8 ।
संख्या 43
>)

पर्गिशप्टम
(के) व्याकरण भाग: 5 75
(व. व्याकरण भाग. 46
लस्कृत साहित्य प्रमुख ग्रन्थों कवियों तथा तिथियों का परिचय।

82
प्रथम: पाठ:
उपदेश:

मातृदेवो भव ।
पितृदेवो भव ।
आचार्यदेवो भव ।

माता को देवता के समान मानो।


पिता को देवता के समान मानो। :
आचार्य को देवता के समान मानो।

प्रिय छात्रो! ये पंक्तियां तैत्तिरीय उपनिषद्‌ की शिक्षा वंल्‍ली से ली गई हैं। संस्कृत में उपनिषदों
का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनमें वेदों का सार है। इन पंक्तियों में यह उपदेश दिया गया है कि हमें
माता, पिता तथा आचार्य-इन तीनों की आज्ञा का पालन करना चाहिए।

[ अध्यापक कृपया इन पंक्तियों का प्रतिदिन वाचन करवायें, जिससे छात्रों को अभीष्ट संस्कार
प्राप्त हों।]
द्वितीय: पाठ:
वर्तमानकाल (लटू) प्रथम: पुरुष:
पुल्लिग (एक वचन)

बाल: नमति ।
सः नमति ।

बाल: पठति
सः पठति ।

बाल: लिखति |

सः लिखति । (५
| सः खादति ।

गज: चलति
बाल: चलति । पा रा
। ' सः चलति
तह ।
सः चलति ।

अभ्यास:

याद कीजिए-
(अ) नए शब्द- |
बाल: - बालक अशोक: - अशोक (नाम)
सः - वह गज: - हाथी
(आ) नई धातुएँ-
नम्‌ - नमस्कार करना (झुकना) . लिखू - लिखना
पढ़ - पढ़ना खाद - खाना
| चल्‌ - चलना
(इ) मौखिक-
(क) पठ्‌-पठति, (वह पढ़ता है) इसके अनुसार नीचे लिखी प्रत्येक धातु की
क्रिया और उसका अर्थ बताइये- नम्‌, लिख, खाद, चल्‌
(ख) ऐसी धातुएँ बताइये जिनका अर्थ हो-
: नमस्कार करना, लिखना/पढ़ना, खाना, चलना।

3
राम क०००
(ई) लिखित-
रिक्त स्थान भरिये- :
(क) बाल: ........ आय ।
सा ) गाया ।
(00 लिखति । ........ पठति ।
057. खादति । ........ चलति ।
2४] नमति ।
(उ) संस्कृत में अनुवाद कीजिये-
बालक पढ़ता है। वह लिखता है।
हाथी खाता है। अशोक चलता है।
वह नमस्कार करता है।
तृतीय: पाठ:
वर्तमानकाल (लटू) प्रथम: पुरुष:
सत्रीलिग (एकवचन )

बाला पठति ।
सा पठति ।

0 बाला पचति ।
28 सा पचति ।

| बाला लिखति ।
| सा लिखति ।
रमा खादति ।
सा खादति ।
विभा हसति ।
“सा हंसति ।

छात्रा धावति ।
सा धावतिं ।
राधा खेलति ।
सा खेलति ।

अध्यापिका वदति ।
सा वदति ।

शाखा पतति !
सा पतति
अम्बा पचति ।
सा पचति ।

द याद कीजिए-
(क) नए शब्द- .
बाला - बालिका
अम्बा - माता
सा - वह (लड़की)
शाखा - टहनी
(ख) नई धातएँ-
हस्‌ - हँसना
धाव्‌ - दौड़ना
खेल - खेलना
वद्‌ - बोलना
पत्‌ - गिरना
पच्‌ - पकाना
(ग) सौखिक- न्‍ आओ मी
पचति, धावति, खेलति, वदति, पतति - इन क्रियाओं से पूर्व सा जोड़
अर्थ बताइए, जैसे:- ।
सा हसति 5 वह हँसती है।
(घ) लिखित-
इन्हें रिक्त स्थानों में भरिये-
सा, पठति, हसति, धावति, बाला
पचति । विभा
छात्रा *
सलेखा खेलति ।
. (ड) संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
बालिका पढ़ती है। वह पकाती है। सलेखा नमस्कार करती है। आशा हँसती
है। लता गिरती है। सीता बोलती है। वह दौड़ती है। राधा खेलती है।
चतर्थ: पाठ:
प्रथम: पुरुष:
(पुल्लिग द्विवचनं)

तौ लिखतः ।

महेशः सुरेश: च पठतः ,


तौ पठतः ।

विनोद: रमेश: च नमतः ।


तो नमतः ।
गज: अज: च क॒त्र चलत: ?
तौ अत्र चलत: । अश्व: गज: च न चलत: , तौ धावतः । पत्र: जनक: च खेलत:, तौ
न । शक: पिकः च तत्र खादत: । अशोक: सद:ः च पचत:, तौ न पचतः । छात्र
अध्यापक: च वदतः, तौ एव न वदतः । सिह: गज: च धावतः, श॒क: पिक:ः च न
धावत: । कृष्ण: त्तेश: च न पठत:, तौ खेलतः । तौ अत्र एव पचतः: । तौ कत्र
पठतः: ? तौ तत्र पठत: । मोहन: खादति । लता पचति । बालौ धावतः ।
नए शब्द:-
अज+ न बकरा अश्वः 5 5 घोड़ा
सूद: 55. रसोइया सिंह: -* शेर
शक: न्‍र तोता जनकः +< पिता
पिकः 5 5. कोयल -+ : गाता बेटा
नए अव्यय:- |
कंत्र उ८ कहां हट ज् ही
तिल वहां प्‌ क्र नहीं
शा िलत00 यही पान. ओर
ल्विशिधिदी अभ्यास:

(क) 'तौ पठत: - वे दो पढ़ते हैं।'' इस संकेत के अनसार नीचे लिखी प्रत्येक
धात्‌ की क्रिया तथा अर्थ बताइए:- नम्‌, लिख, हस, पच, खेल
(ख) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
-
कत्र नमतः ? तौ तत्र
रमेश: ____ पठत: । च हसत: ।
गज: अरवः 5 आवत नरेश: च पचत: ।
२. लिखित: -
(क) शुक:, तौ, चलत:, वदत:, च इन्हें अपने वाक्यों में प्रयक्‍्त
कीजिए
(ख) इन्हें संस्कृत में लिखिए:-
वे दो बोलते हैं। हाथी और घोड़ा कहां चलते हैं ? राम और श्याम वहां ही खेलते
हैं। पिता और पत्र हंसते हैं। वे दोही पढ़ते
दो घोड़े दौडते है| ! हते हैं। वह नमस्कार करता है। वह हँसती है।

[0॥
._ पञु्चम: पाठ:
वर्तमानकाल (लट्‌) प्रथम: पुरुष:
सत्रीलिग (द्विवचन)

सीता गीता च लिखतः ।


ते लिखतः ।

सुलेखा विजया च धावत: ।


ते धाव॑तः ।

राधा मीरा च पठतः ।


ते पठतः ।

]|
ते लिखत: पठतः च। ते एव नमतः; तौ न ।
ते कत्र भ्रमतः ? ते अन्न एवं भ्रमत: ।
ते तत्र न धावतः; अत्र एव धावतः ।
रेखा-सुलेखा च अत्र एव पठत:ः खादतः च ।
ते तत्र किम्‌ खादतः ? ते तत्र किम्‌ अपि न खादतः ।
संरला विमला च कदा पठतः ? ते प्रातः पठत: ।
ते कदा क्रीडत: ? ते सायम्‌ क्रीडतः ।
विभा आभा च न पठतः » ते वदतः ।
ते न पचतः । ते खेलत: । तौ पठतः क्रीडतः च । ते लिखतः,तौ न ।
अभ्यास:
नई धातुएँ:- नए अव्यय-
क्रीड - खेलना कदा - कब प्रात: - सबह
भ्रम - घूमना किम्‌ - कया सायम्‌ - शाम
। अपि - भी
समौखिकः-
ते पठतः' - वे दो पढ़ती है,- इसी प्रकार निम्न धातुओं के साथ स्त्रीलिग
द्विवचन (ते) जोड़कर वाक्य बनाइये- .
नम्‌, क्रीड, अ्रम्‌, हसू, चल, वद्‌
अन्तर बताइए:-
ते अत्र एव पठतः । तौ अत्र एव पठते: ।
किम्‌ ते प्रात: क्रीडत: ? तौ प्रातः क्रीडतः ।
ते न पचतः । तौ न पचत: ।
हे लिखितः- ।
(क) इन शब्दों को संस्कृत में लिखिये-
कहाँ, क्या, ही, भी, और, वहाँ, यहाँ।
(ख) इन वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिये:-
राधा और विभा घूमती हैं। सीता और ]
हैं। वे दो र गीता वहाँ जाती
ईँसत हैं।
ी वेह ै ं । दो
वे कहाँ
दोनों खेलती हैं ? वे
ः दो ही बोलती कब दौड ़ती हैं ?
दोनों पकाती हैं। हैं ? वो दो भी हँसती हैं। वे दोनों खेलते हैं। वे
2
षष्ठ: पाठ:
प्रथम: पुरुष:
(पुल्लिग बहवचन )

मदन:, राम: श्याम: च हसन्ति ।


ते हसन्ति ।

« अरविन्द:, जयदीप:, प्रदीप: च लिखन्ति ।


2 (४ ते लिखन्ति ।

राम: श्याम: बलराम: च तरबन्ति |


ते तरन्ति ।
घुमीतः, राजीवः, संजीव: महावीर: च क्रीडन्ति ।

पंकज:; मोहन: दीपक: च हसन्ति ।


सीन:,मकर: कच्छप: च तरन्ति ।
ते तत्र एव लिखन्ति, अत्र न ।
ते कत्र गच्छन्ति ? ते तत्र गच्छान्ति ।
ते कदा पठन्ति ? यदा ते न खेलन्ति ।
ते प्रात: तरन्ति सायम्‌ च धांवन्ति ।

वार्तालाप:
रमेश: - किम्‌ गज:, अश्वः अज: च खादन्ति अथवा चरन्ति ?
- नरेश: - ते न खादन्ति, ते चरन्तिं ।
रमेश: - महेशः, सुरेश:, विनोद: च कदा पठन्ति ?
नरेश: - ते तदा पठन्ति, यदा ते न क्रीडन्ति |
रमेश: - ते क॒त्र लिखन्ति ?
नरेश: - ते अत्र एव लिखन्ति ।.
रमेश: - किम्‌ शुकः, पिकः कपोतः च वदन्ति ?«
नरेश: - ते न वदन्ति, ते कजन्ति ।
रमेश: -- किम राम:, श्यामः गोपाल: च क्रीडन्ति ?
नरेश: - ते न क्रीडन्ति, ते त यजन्ति ।
रमेश: - ते कत्र गच्छन्ति ?
नरेश: - ते तत्र गच्छान्ति ।
रमेश: - किम ते तरन्ति ?
नरेश+< आम, ते तरान्ति ।
रमेश: - ते प्रात: पठन्ति अथवा भ्रमन्ति ?
नरेश: - ते प्रात: भ्रमन्ति, पठन्ति न. ।
रमेश: -- किम्‌ मतोजः:, गोपाल: मनोहर: च पतन्ति ?
नरेश: - ते न गतन्ति, ते तु तत्र धावन्ति ।
नए शब्द:- '
मीन: -- मछली कपोतः -- कबूतर
सकर 55 मगरमच्छ कच्छप: ८-कछआ
[4
नई धात॒एँ:-
यज्‌ ८ यज्ञ करना चर्‌ ८5 चरना
तृ (तर्‌) -- तैरना गम्‌ (गच्छ) - जाना
ली ।
'नए अव्यय:-
हत्या 5 दल अथवा नया
यदा -- जब तॉतो
मौखिक:-
(क) वाक्य पूर्ति कीजिए:-
पठन्ति । एवं गच्छन्ति। '
मीन: मकर: कच्छप: च |
ते पठन्‍्ति अथवा ? ।
ते प्रातः भ्रमन्ति न।
(खं) इनका वाकयों में प्रयोग कीजिए:-
किम्‌, प्रातः, पठन्ति, ते, तरन्ति, अथवा ।
लिखितः-
संस्कत में अन॒वाद कीजिए:-
वे यहां घमते हैं। वे पढ़ते हैं या लिखते हैं?मदन, चन्दन और पंकज कबपढ़ते हैं ?
वे ही तैरते हैं। वे यज्ञ नहीं करते हैं
सप्तमः पाठ:
वर्तमानकाल (लटू) प्रथम: पुरुष:
सत्रीलिग (बह॒वचन)

: प्रभा, विभा आभा च लिखन्ति '


ता: लिखन्ति ।

सीता, गीता लता च पठन्ति ।


ता: पठन्ति ।

निशा, शिखा प्रभा च खादन्ति । मेघा, रमा स्नेहा च क्रीडन्ति ।


ताः खादन्ति । ता: क्रीडन्ति ।
6
ता: एव तत्र क़्ीडन्ति । ताः अपि शीघ्रम्‌ धावन्ति ।
ताः स्वयम्‌ एव पठन्ति । ताः वुथा एव न वदन्ति ।
प्रभा, विभा आभा च भ्रमन्ति, ता: न भ्रमन्ति ।
वार्तालाप :
सीता - शारदा, विमला निर्मला च कत्र गच्छन्ति ?
गीता - ताः तत्र गच्छन्ति यत्र वानरा: न भवन्ति ।
सीता - किम ताः प्रातः पठन्‍्ति अथवा क्रीडन्ति ?
गीता - ता: प्रातः पठन्ति, न क्रीडन्ति ।
सीता - ताः कत्र भ्रमन्ति ?
गीता - ताः अत्र एव .भ्रमन्ति ।
सीता - किम्‌ आभा, विभा प्रभा च पचन्ति ?
गीता - ताः न पचन्ति, ताः तु यजन्ति ।
सीता +-त्ताः प्रातः क॒त्र गच्छन्ति ?
गीता - ताः प्रातः तत्र एव गच्छन्ति ।
सीता - किम्‌ ताः सायं तरन्ति अथवा क्रीडन्ति ?
गीता - ताः सायं क्रीडन्ति न तरन्ति ।
नए शब्द:- नए अव्यय:-
वानरः -- बन्दर शीघ्रम्‌ -- जल्दी
स्वयम्‌ -- अपने आप
व॒था -- बेकार
। मौखिकः- ः ४

निम्नलिखित में अन्तर बताइएः:-


(क) ते क्रीडन्ति ताः क्रीडन्ति
- ते गच्छन्ति ताः गच्छन्ति
ते पचन्ति ता: पचन्ति
ते चलन्ति ता: चलन्ति
ते लिखन्ति ता: लिखन्ति
(ख) निम्नलिखित धातुओं के साथ स्त्रीलिंग बहुवचन के रूप लगाकर अर्थ
बताइए:-
पढ़, वद्‌, नम्‌, तृ, 7
हे 3 पााजघ्सा3
775 0[05 फ्ारए
॥।४£ वफतिहड
॥+॥० नच्घर
| + ऋ्रज८
शा टःम्ह्ि

न्ट 5 नन्ततन्2 नर के के
$ >७ $ 3 । ५-७ ! |] २ घ््ा -6।
||

(क) निम्नलिखित में अन्तर बताडए:-*कप फ़नीगह


हरा हज " द कट
सा गच्छति सः ग्रच्छक्ति॥
ते गच्छतः ५ 7 गत: न
म ताः गच्छन्ति | | | हे ि 5 +
| | (९ गच्छ्न्ति 9 हे ५
(ख) रिक्त स्थान भरिएं;-+-5 कि पछाड़ फ़रीटए फगा
लिखन्ति । स ।
। पचन्ति । कि
(ग) निम्नलिखित का संस्कृत में अनुवाद-कीजिए:७ ८ एक) _ ५
हर ।

वे सब दौड़ती है। वे दो कब पढ़ते हैं।? वहबेकार ही ब्रोलेत्रा'है। वह तो संबंह


पढ़ती है। वे दो शाम को खेलती हैं। वे सब नहीं खेलते हैं वे।तो पढ़ते हैं। वे सब क्या
: पकाती हैं ? वे स्रब जल्दी-जल्दी लिखते हैं॥ #-ीहजफ एफ एफ :।
+#2 त् नर ४ ++५+ | ष्र ः धए वजफा पायरो

__8 |
अष्टम: पाठ:
न लंट) मध्यमपुरुष | पा
तीनों वचन
युवाम्‌-ए | यूसंसू 5 ,ः

लत तिल

चूका लिन नार्पीनुन्ल्यूचण अपापरत:5 है >्युब्० है


०७ ।४ 2465/- | (५!

जी ए 5 फाफएउ ि एपऊा5 फड

युवाम्‌ वृथा न वदथः । _यूयम शीघ्रम्‌ धावथ।


कि

]9
त्वस तत्र भ्रमसि, यत्र सा न क्रीडति ।
त्वम्‌ अपि खादसि, रमेश: अपि खादति ।
यदा यवाम्‌ पठथः, तदा रमेश: स॒रेश: च खेलतः ।
यथा युवाम्‌ लिखथ: तथा तौ न लिखतः ।
यूयम्‌ एव पचथ, ता: न पचन्ति । *
यूयम्‌ शनैः शनै: चलथ, ते शीघ्रम॒ चलन्ति ।
सः नमति । तौ गच्छतः । ते क्रीडन्ति ।
सा खेलति । ते नमतः । ता: हसन्ति ।
त्वम्‌ पश्यसि । युवाम्‌ पश्यथ: । यूयम्‌ पश्यथ ।
नए अव्यय-
किम्‌ -- क्या
यदा -- जब
तदा -- तब
यथा -- जिस प्रकार (जैसे)
तथा -- उसी प्रकार (वैसे)
शनेः शनै: - धीरे धीरे
यंत्र -- जहा !

नई धात्‌ -
दृश्‌ (प»य) -- देखना

अभ्यास:

१. मौखिक-
(क) त्वम्‌ पठसि । युवाम्‌ पठथः । यूयम॒ पठथ ।
इन वाक्यों को ध्यान में रखिये और त्वम्‌, युवाम्‌, यूयम्‌ के साथ पच्‌, नम, लिख,
वद्‌, क्रीड, गम, धातओं की क्रियाएं जोड़िए ,
(ख) कोष्ठकों में दी गई धातुओं से उचित क्रियाएं बनाकर उन्हें रिक्त स्थानों में
भरिए
000 (गम) । जो ताल (दुश्‌) ।
ते अधि 02 (लिख) । त्वम्‌ अत्र........ (खाद) ।
युवाम्‌ एव....... (नृत्‌) । यूयम्‌ सदा....... (पठ) ।
राजीव: ......... (नम्‌) । ते कते... आछ. (धाव) ।

२. लिखित-
(क) कोष्ठकों से शब्द लेकर जितने वाक्य बना सकें, बनाइए:-

सः पठन्ति अत्र .
त्वम्‌ लिखति तत्र
युवाम्‌ चलामि कत्र
तौ हसेथ, . अपि
शा आगच्छतः एव
ते नमसि गा
आवाम नमथ:ः सदा

_(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए:-


तम सब कहाँ जाते हो ? तम भी पढ़ते हो ।
तम सब नहीं लिखते । तम तो घमते हो ।
वे ही पकाती हैं; तम नहीं पकाते ।
क्या तम नहीं पढ़ते ? तम बेकार दौड़ते हो ।
वे दो पकाती हैं । वे दो खाते हैं ।
नवम: पाठ:
द उत्तम: पुरुष:
( अहम, आवास, वबमस्‌' पुल्लिग तथा स्त्रीलिग तीनों वचन)

अहम्‌ पठामि.।

वयम्‌ पठाम:


अहम्‌ राजीव: शनै: शनै: पठामि ।
अहम्‌ विजया अत्र एव पठामि ।
अहम्‌ स्वयम्‌ एव तत्र लिखामि ।
अहम्‌ अपि तत्र एव धावामि ।
आवाम प्रात:ःखादाव: । _
आवाम्‌ बहि: गच्छावः ।
आवाम तष्णीम पठाव: ।
आवाम अंपि अधना पठाव: ।
. वयम्‌ सायं बहि:ः भ्रमामः |
वयम, श्याम, राम:, सरेशः च पश्याम: ।
वयम्‌ अपि अत्र एव पिबाम: । ;
वयम्‌ एव प्रस्परम्‌ न वदामः ।
वार्तालापः
अध्यापक: - त्वम॒ कत्र वससि ?
नरेश: - अहम तत्र वसामि यत्र तौ बालकौ वसतः ।
अध्यापक: -- किम त्वम हससि ?
. रमा - नहि, अहम्‌ न हसामि, ताः कन्या एवं हसन्ति ।
अध्यापक: - यवाम कत्र खेलथ: ?
छात्रे - आवाम्‌ तत्र खेलाव:, यत्र ते बालका: क्रीडन्ति ।
अध्यापक: - किम ययम॒ लिखथ ? ह
छात्रा: - आम्‌, वयम्‌ लिखाम: परम सः राजीव: सा विजया च न लिखतः ।
नए शब्द- 322 !
अहम्‌ -- मैं आवाम 55 हम दो वर्यम्‌ -- हम सब

नए अव्यय-
. बहिः ८ बाहर 'एम्परम्‌ -- आपस में -
तृष्णीम्‌ -- चुपचाप हा
नहि -- नहीं “20
अधुना -- अब रे
| अभ्यास:
१. मौखिक-
नीचे लिखी धातुओं के लट्लकार (वर्तमान काल) में तीनों पुरुषों तथा वचनों
में रूप बताइए:-
नम्‌, चर्‌, वद्‌, लिखू, गम, भ
२. लिखित-
नीचे कोष्ठकों से शब्द लेकर जितने वाक्य बना सकते हैं; बनाइए:-

सं ' तत्र . पठामि


त्वम्‌ अत्र लिखति
अहम्‌ एव ' वदाव:
युवाम्‌ कत्र गच्छथ:
ते बहि: पठसि
आवाम्‌ कदा लिखन्ति

याद कीजिए:-
पठ धातु के वर्तमान काल के रूप ।

24
दशमः पाठ:
कर्ता कारक (प्रथमा विभक्त)
(अकारान्त पुल्लिग शब्द)

सिह: गर्जीति ।

अज: चरति ।
अनलः ज्वलति ।
पवन: वहति ।

सूद: पचति ।

. बालः पठति ।
श्याम: लिखति ।
सुरेश: क्रीडति ।
-+-र् कक,

अश्वौ शीघ्रम्‌ धावतः । सरेश: रमेश: च क्रीडतः |...


गजौ शनै: शनै: चलत: । छात्रौ तत्रं धावतः: ।
व॒कौ अत्र खादतः । मगौ तत्र चरत: ।
अ्रमरौ तत्र गुज्जतः । गजौ अपि चरत: ।
सिहा: एवं गर्जन्ति; गजा: न ।
मृगा: धावन्ति, शुकाः न धावन्ति ।
सरेन्द्र:, नरेन्‍्द्र:, नगेन्द्र: च वदन्ति ।
वृका: धावन्ति । अजाः तत्र चरन्ति ।
वारत्तालाप:
रमेश: - वृकः-खादति अथवा.चरति ?
- सुरेश: - वृकः खादति, सः न चरति । ।
*'रमेशः - नगेन्‍द्र: शैलेन्द्रः च अधुना पठत: अथवा लिखतः ?
« सुरेश: - तौं अधुना न पठतः; तौ तु लिखतः ।
रमेश: - किम त्वम प्रातः खादसि ? ६५
सुरेश: - अहमू प्रातः न खादामि; अहम्‌ प्रातः पठामि ।
रमेश: - ययम कत्र पठथ ?
सुरेश: - वयम्‌ अत्रःएवं पठाम: ।
८0
नए शब्द - :
अनलः ८- आर्ग पवन: 5-5 हवा
मुग: -- हिरण छात्र: - विद्यार्थी .
नई धातुएं-
'ज्वल्‌-जलना ८: वह 5 चलना, बहना

अभ्यास:
१. मौखिक-
नीचे लिखी क्रियाओं के साथ उचित शब्द लगाकर वाक्य-पर्ति कीजिए तथा
प्रत्येक वाक्य का अर्थ भी बताइए; जैसे:-
2 क॥ धावति ।
अश्व: धावति 5"- एक घोड़ा दौड़ता है ।
(0 गर्जतः । ......--ज्वलति ।
2007 पठन्ति । ..-.----हैसाम: ।
रा) वहति । ........पठथ
२. लिखित-
(क) संस्कृत के वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए:-
छात्रौ, अश्वा:, गज:, तौ, ते, च, मृगा:, युवाम्‌ू, अनलः, आवाम्‌
(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए:-
शेर ही गर्जते हैं। दो तोते वहाँ बोलते हैं। हवा धीरे-धीरे चलती है। घोड़ा बाहर
चरता है। छात्र कहाँ जाते हैं ? आग ही जलती है; हवा नहीं। क्या बकरा भी गर्जता
है ? क्‍या बन्दर भी हँसता है ?
(गं) पाठ के अन्त में दिए गए शब्दों के प्रथमा विभक्ति में रूप युद्ध कीजिए
जैसे:-बालकः बालकौ . बालका ५
गा]

27
एकादशः'ः पाठ:
कर्मकारक (द्वितीया विभक्ति)
अकारान्त पुल्लिग शब्द

संजय: वेदम्‌ पठति ।


सः: विजय: सुलेखम्‌ लिखति ।
तौ छात्रौ पाठम स्मरतः ।

ते सैतिकाः राष्ट्रध्वजम्‌ न्मान्ति ।


3००० ० २७०७ 3...
पता अवििसय
व॥, स2त-+

. कृषक वृषौ नयति ।

सा सेविका बालकौ नयति ।:


ते छात्रे मोदकौ खादतः ।
पट छात्रौ आचार्यान नमत : |
ता: कन्या: आचार्यों नम्न्तिं । शक
ईश्वर: भकतान्‌ रक्षति ।
भकताः ग्रन्थान्‌ पठन्ति |
छात्रा: विकलांगान्‌ गृहं नयन्ति |
(राजीव: प्रविशति)
राजीव:- अहम्‌ पाठान्‌ पठामि लेखान्‌ च लिखामि ।
(संजीव: प्रविशति)
'संजीव:- केवलम्‌ त्वम्‌ एव पाठान न स्मरसि लेखान च न लिखसि; अहम अपि
पाठान्‌ पठामि लेखान च लिखामि ।
(विजय: आगच्छति)
विजय:- युवाम्‌ एव पाठान न पठथः लेखान च न लिखथः, अहम अपि पाठान
पठामि लेखान्‌ च लिखामि । वयम सकला: एव पाठान पठाम: लेखान च
लिखामः ।
नए. शब्द- |
आचार्य: - गरु सेवक: -- नौकर
कृषक: 55 किसान मोदकः -- लड॒ड
लेख: 5 लेख, निबंध. जनक: -- पिता
नई धातुएँ-
स्मु (समर) > याद करना वह 5- ढोना
रक्ष्‌ -- रक्षा करना ४ 0:
अभ्यास:
१. मौखिक- द द
(क) नीचे दिये शब्द-समूहों को आगे -पीछे करके ऐसे वाक्य बनाइए जैसे आप
बोलना चाहेंगेः- सः तत्र पाठ स्मरति
स्मरति सः पाठम तत्र । ग्रन्थान 'हम लिखामि अपि । धर्मम चरामः सदा
वयम । यवाम कत्र पठथ: कदा ? र गीव: किम पठति अपि तत्र न ? ययम कत्र
वहथ भारम्‌ ?
(ख) निम्नलिखित शब्दों क' वाक्‍्यों में प्रयोग कीजिए:-
मोदकौ, भक्‍्तान्‌, स्मरति, ईश्वरम्‌, पाठान्‌, राष्ट्र-ध्वजम्‌, कुषक:, लेखान्‌ ।
“२. लिखित-
(क) नीचे के कोष्ठकों से शब्द लेकर जितने वाक्य बना संकंतें हैं, बनाइए:-

(कडारी + छ रर्फितक़ार अमित क


त्व्म्‌ पत्रम ४ पहति, लिखति “|
रि मि, लिखसि |
अहम. (#्नेलक फाप्की)_लिखा

कह (खं) संस्कृत में अनुवाद कीजिए:--


मैं पाठ पढ़ता हँ। हम दोनों हाथी को देखते हैं। तम सब लडंड खाते हा। वह्द दो
ग्रंथों को पढ़ता है। घोड़ा घांस को खाता है।
याद कीजिए- पाठ के अंत में दिये गए नए शब्दों के द्विंतीया विंभक्ति के रूप
जैसे बालकम _ बालकों _. बालकान
' द्वादशः पाठ
करण कारक (ततीया विभक्ति)
अकारान्त पुल्लिग शब्द

ण्श कण बिंनोदरकन्दुर “न क्रीडति-॥


जार णिपान पता
- 59 एफ
फाछक 55 शगजहक
प्र ८८ :कफ़क
.._. जाक 5८5 ःणक
फछफ़? ताछ़ाछड् न्‍5 :श््कु

है छिजफ़.. : (ाछ)छ ८ [छएउ


वृद्धा दण्डेन चलति ।
४ ३ मोदकौ स्पृशति।
" ५ शिष्य: ध्यानेन वेदान्‌
>>050 कि प्ाह उकांछ 59 फालीछ 5 किल्णक (क)
“--+ फीजकाजफ़ाउफज्ा लसि).|॥
सः कलमेन सलेखं लिखरति। कि अम
। जी (फ्ाम्शाण्प्रज फ्ाम्शाण्क) फड़ाद्ाए (४)
। फरीन कफ (:म्िर ,:ज्राड) थार (४)
_ +:एछारीकि फ्रीए -छाफ़ (छ)
एु35ाु६' हनन जज छााछ | गण ०००००००००००० जा
| फीडतिः जि ९०३०००० फऋ्ाए |
द 'ः

| हीडाज़ ५ (5 कप | आम हम
्‍ | फीता8हक


अश्वः चरणै: शीघ्रम्‌ धावति ।
अश्वौ मृगैः सह एव चरतः ।
बाला: बालै: सह तत्र क्रीडन्ति ।
श्याम: कायेन कुश: अस्ति ।
देवदत्तः नेत्रेण काण: अस्ति ।
सोमदेव: नेत्राभ्याम्‌ अन्ध: अस्ति ।
यज्ञदत्त: कर्णाभ्याम्‌ वधिरः अस्ति ।
उष्ट्:ः चरणेन खऊ्जः अस्ति ।
मोहन: अशोकेन सह वदति, क्रीडति खादति च।
काय: परोपकारेण विभाति चन्दनेन न ।
गज: चरणै: चलति चरणाभ्याम्‌ न ।
नए शब्द-
कलम: 5 कलम. चरण: ८ पैर
कन्दुक: - गेंद बधिर: -- बहरा
काण: -- काना अन्धः 5८5 अन्धा
कृशः -- दुबला, पतला खज्ज: -- लंगड़ा
अस्ति ८ है सह 5 साथ (अव्यय) <«
. स्पृश्‌ -- छना (धात) तु -- तो (अव्यय)

अभ्यास:

१. मोखिक--...
(क) कोष्ठकों से उचित शब्द छांटकर वाक्‍यों की पूर्ति कीजिए
(१) नर: (चरंणेन, मुंखेन) खादति ।
| (२) वयम्‌ (हस्ताभ्याम्‌, चरणाभ्याम्‌) चलाम: ।
(३) गज: (चरणै:, हस्तैः) धावति।
(४) यज्ञदत: (कर्णाभ्याम्‌, चरणाभ्याम्‌) बधिर: ।.
(५) मृगाः (बालै:, मृगैः) सह चरन्ति ।
' (ख) वाक्य- पूर्ति कीजिए:-
२. लिखित-
(क) वाक्‍यों में प्रयक्ता कीजिए :-
सह, कलमेन, मखेन, कन्दकेन, नेव्राभ्याम, नेत्रेण, चरणेन ।
(ख) निम्नलिखित वाक्‍यों में रेखांकित पदों के वचन बदलिंए, जैसे -
सः हस्ताभ्याम्‌ नमति । _
तौ हस्ताभ्याम्‌ नमतः ।
ते हस्ताभ्याम्‌ नमन्ति ।
वाक्य :--
(१) सा कन्दुकेन क्रीडति ।
(२) त्वम॒ दण्डेन चलसि ।
(३) अहम चरणाभ्याम्‌ चलामिं ।
(४) अश्व: अश्वै: सह चरति ।
(ग) संस्कृत में अनुवाद कीजिए :-
वह कानों से बहरा है । बालकगेंद से खेलते हैं । मनष्य दो पैरों से चलते हैं ।
हाथी टांगों से दौड़ता है । हम कलम से लिखते हैं । लोग मख॒ से बोलते हैं ।
देवदत्त आंखों से अन्धा है । हिरन हिरनों के साथ चरते हैं ।
याद कीजिए :- पाठ के अन्त में दिये गये शब्दों के ततीया विभक्ति के रूप
जैसे - बालकेन बालकाभ्याम बालकै

जेड
अयोद शः पाठ:
सम्प्रैंदान कारक (चतुर्थी विभक्ति)
अकारान्त पुल्लिग शब्द

'-+नअ2:204-जन

बनना
दीपक: प्रकाशाय भवति ।
पराक्रम: विजयाय भवति । हि ।4
क्रोध: विनाशाय भवति ।

. अहम याचकाय आहारम यच्छामि ।


त्वम बालकाय कन्दकम आनयसि ।
ककक्‍्कराः आहाराय एव भ्रमन्ति ।
सज्जना: परोपकाराय जीवन्ति ।
व॒क्षा: परोपकाराय फलन्ति ।
वीराः देशाय प्राणान्‌ त्यजन्ति । दीपक:
कृषकौ अश्वाभ्याम्‌ घासम्‌ आनयतः ।
बालिके याचकाभ्याम्‌ पटौ यच्छत: ।
छात्र: ग्रन्थाभ्यांम्‌ पुस्तकालयम्‌ गच्छति ।
मालष्कारः देवेभ्य: हारान्‌ रचयति ।
आवाम्‌ भिक्षुकेभ्य: भोजनम्‌ यच्छाव:
यूयम्‌ कलमेभ्य: आपणस्‌ गच्छथ ।
न - 7" .: सुशीला जलेन घटं प्रयति ।
ह छात्रौ कर्णाभ्याम्‌ उपदेशम्‌ आकर्णयतः ।
गजाः पादै: चलन्ति न त पादाभ्याम ।
देशभक्ताय नमः । जीवेभ्य: स्वस्ति ।

34
नए शब्द-
पराक्रम: -- वीरता मालाकार: -- माली
पटः -- कपड़ा पुस्तकालय: -- पुस्तकालय (लाइब्रेरी)
याचक: -- भिखारी आपणः: -- दुकान
आहार: -- भोजन घास: -- घास
भिक्षुक: -- भिखारी स्वस्ति -- कल्याण हो

नई धातुएं :-
दा (यच्छ) -- देना
»त्यज्‌ -- छोड़ना
फल्‌ 5 फलना
जीव्‌ -- जीना
रच्‌ (रचय) ८ बनाना .
आ + कर्ण (आकर्णय्‌) -- सुनना
पूर्‌ (पूरय) ८ भरना
4003 अभ्यासः

मौखिक-
(क) रेखांकित पदों में चतुर्थी विभक्ति क्‍यों लगाई गई है? कारण बताइए :--

जीवेभ्य: स्वस्ति । कृषक: वृषेभ्यः घासम आनयाते । देवाय नमः । जनक:


पृत्रेभ्य: ग्रन्थान्‌ यच्छति ।

(ख) कोष्ठकों. में दिए हुए शब्दों में उचि रूप बनाइए :-
(राम) नमः । कृषक: (अश्ठ; सम्‌ आनयति । जनक: (पुत्र) कन्दुकम्‌
यच्छति । (इन्द्र) स्वाहा ' #क्करः (आहार) भ्रमति । कृषक: (वृष) .
घासम्‌ आनयति । (जीव' स्वस्ति । दीप: (प्रकाश) भवर्ति |
लिखित-
(क) निम्नलिखित वाक्‍यों में रेखांकित पदों. का अर्थ लिखिए :-
त्वम बालकाभ्याम्‌ जलम्‌ आनयसि ।
35
त्वम्‌ बालकाभ्याम॒ सह गच्छसि ।
7 >> अ»मम« «मन.

अहम्‌ अश्वेन तत्र गच्छामि ।


अहम्‌ अश्वाय घासंम्‌ आनयामि ।
बालका: कन्दुकै: क्रीडन्ति ।
| बालका: कन्दुकेभ्य:ः आपणम्‌ गच्छन्ति ।
(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए :-
मैं मोहन को दीपक देता हूं । पिता पुत्र को गेंद देता है। किसान बैलों के लिए
घास लाता है । छात्र गुरुजी के लिए शंख लाता है । देवताओं को नमस्कार है ।
वृक्ष लोगों के लिए फलते हैं । सज्जन परोपकार के लिए जीते हैं । कत्ते आहार के
लिए इधर-उधर फिरते हैं । ।
याद कीजिए :- पाठ के अन्त में दिए गए शब्दों के चतर्थी विभक्ति के रूप ।
जैसे - बालकाय .बालकाभ्याम्‌ ._ बालकेभ्य

36
विदा पाप कक का पक ैगयूणिपफणय पु भा. पराथशााशप्््प््््रपर्प्र्प्पर. समय क-नव७ थक ५७७+क७-७.-७७०8आ-ककनक की कमान ७थब-क -पा+ल्‍ ३» - माक मा ुलाभक-ुक-३-प--क “8 क 3 कला कप का" कष्णक कार: की 7 हनन नसा ऊन न्यातभभ पे कमन" काना "०-१ का का फकूएक- कम कभा३--लन्तम्याुस्‍ुआाकुतत- कक कमन

चतर्दशः पाठ:
अपादान कारक (पंचमी विभक्त )
अकारान्त पल्लिग शब्द

छात्र: विद्यालयात्‌ आगच्छति ।


तापसौ आश्रमात्‌ आगच्छेतः ।
वीरा: रणात्‌ आगच्छन्ति ।
सैनिकौ अश्वाभ्याम्‌ अवतरतः ।
वानरा: वक्षाभ्याम्‌ कर्दन्ति ।
पथिकौ पर्वताभ्यांम्‌ पश्यतः ।
भल्लका: वृक्षेभ्य: अवतरन्ति ।
कन्या: कृपेभ्य:ः जलम्‌ आनयन्ति ।
सैनिका:ः अश्वेभ्य: न पतन्ति ।
त्वं विद्यालयात्‌ गृहम्‌ गच्छसि ।
सः गृहात्‌ शुल्कम्‌ आनयति ।
अहम्‌ आपणात्‌ पुस्तकम्‌ आनयामि ।
वद्ध: दरात किम अपि न पश्यति ।
भिक्षकी ग्रामात ग्रामम॒ भ्रमतः ।
बालिका: कम्भकारात्‌ घटम आनयन्ति ।
नृप: दिलीप: रथेन प्रासादात्‌ आश्रमम्‌ गच्छति ।
तंत्र सः हस्ताभ्याम गरुचरणौ स्पशति ।
सः आदरेण वसिष्ठाय उपहारम॒ यच्छति ।
वसिष्ठः नपाय आशीर्वाद यच्छति । 0 _ ..
नए शब्द :-
तापस: 5-5 तपस्वी शुल्कम्‌ -- फीस
रण: <- युद्ध वृद्ध: - बूढ़ा

37
पथिक: -- मुसाफिर कम्भकार: -- कम्हार
भल्लूक: -- भालू नृप: -- राजा
कपः -- कआं प्रासाद: -- महल
उपहारः -- भेंट
१. मौखिक-
(क) नीचे लिखे शब्दों के विभक्ति और वचन बताइए :-
ग्रामात्‌, वानरा:, वृक्षेभ्य:, सिंह, ग्रामम्‌ ।
(ख) नीचे कोष्ठकों के शब्दों में उचित विभक्तियाँ लगाइए :-
(१) विनोद: (ग्राम) आगच्छति ।
(२) तांपस: (आश्रम) आगच्छति ।
(३) सं: (कलम) लिखति ।
(४) बाला: (पाठ) स्मरन्ति ।
(५) जनक: (बाल) कन्दुकम्‌ यच्छति ।
२. लिखित- "
(क) निम्नलिखित शब्दों के जितने अर्थ हो सकते हैं, उन्हें लिखिए :-
जैसे - वृक्षाभ्याम्‌ ८ दो वृक्षों के द्वारा ।
दो व॒क्षों के लिए ।
दो व॒क्षों से (अलग) ।
अश्वाभ्याम्‌, गजाभ्याम्‌
हस्ताभ्याम्‌, चरणाभ्याम्‌,
बालकेभ्य:, वानरेभ्य:
(खं) इन्हें संस्कृत में बदलिए :-
बालक पेड़ से गिरता है । छात्र विद्यालय से आते हैं । त्‌विद्यालय से कब आता
है ? रीछ पेड़ से उतरता है । पथिक गाँव से आता है । नौकर राजा के लिए संदेश
लाता है । हम घर से विद्यालय को जाते हैं । हम गुरुजी से पाठ पढ़ते हैं |...
याद कीजिए :-
पाठ के अन्त में दिए गए विद्यालय आदि शब्दों के पञचमी विभक्ति के रूप । _
जैसे - बालकांत बालकाभ्याम्‌ बालकेभ्य:

29
पंचदश: पाठ:
सम्बन्ध कारक (षष्ठी विभक्ति)
अकारान्त पुल्लिग शब्द

'शंखस्य नाद: शुभः भवति ।


सूर्यय्य आतपः तीव्र: भवति ।
चन्द्रस्य प्रकाश: शीतल: भवति |

लवकशयो: जनक: राम: अस्ति ।


नकलसहदेवयो: अग्रज: युधिष्ठिरः अस्ति ।
रामलक्ष्मणयो: अनुज: शत्रुघ्तः अस्ति ।
छात्राणां समूह: विद्यालयं गच्छति ।
भ्रमराणाम्‌ वर्ण: कृष्ण: भवति ।
दाडिमानाम्‌ रसः स्वास्थ्यवर्धकः: भवति ।
हिमालय: भारतस्य पर्वद: अस्ति ।
पिकशुकयो: स्वरः मधुर: भवति ।
केशानाम्‌ वर्ण: कृष्ण: भवति ।
जनकस्य जनक: पितामहः भवांत ।
की ।
पत्रस्य पत्र: पौत्र: भवति
पत्रा: पौत्रा: च.प्रातः पितामहं नमन्ति ।
पितामह:ः बदति - पृत्रेभ्यः पौत्रेभ्य: च स्वस्ति ।
भीष्म: पाण्डवानाम्‌ कौरवाणाम्‌ च पितामहः अस्ति ।

39
नए शब्द-
पितामह: -- दादा आतप: -- धूप
अग्रज: -- बड़ाभाई जनक: -- पिता
अनुज: 55 छोटाभाई दाडिम: -- अनार
पौत्र: -- पोता आतपः -- धूप
केश: -- बाल 'शुकः -- तोता
नाल आन पिक: -- कोयल

विशेषण शब्द-
कृष्ण -- काला शीतल <- ठण्डा
शुभ -5 अच्छा तीव्र - तेज
मधुर -- मीठा
: अभ्यास:
१ मौखिक _
_ (क) कोष्ठकों में दिए गए शब्दों का ठीक-ठीक मिलान कीजिए :-

उष्ट्रस्य : वर्ण:
बकस्य वर्ण:
सूर्यस्य आतप:
पिकस्य स्वरः
'शंखस्य - नादः
चन्द्रस्थ . “प्रकाश:

(ख) पाठ में आए हुए कोई दस ऐसे शब्द चुनिये, जिन में षष्ठी विभक्ति का
प्रयो ग हो तथा उन के अर्थ बताइए ।
२ लिखित
(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-
जनक: पितामह: भवति ।
भीष्मे: एफ पितामहः अस्ति ।

40
हिमालय: “एेः पर्वत: अस्ति ।
युधिष्ठिर: एप अग्रज: अस्ति ।_
भरतः रामस्य ए अस्ति ।
(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए :-
गोपाल का सकल यहां ही है । भौरे का रंग काला होता है । बालकों का दादा
गांव जाता है । चांद का प्रकाश तेज नहीं होता । राम के हाथों का रंग सफेद है ।
याद कीजिए:-
पाठ के अन्त में दिए गए शब्दों के षष्ठी विभक्ति के रूप । जैसे :-
बालकस्य बाल॒कयो: बालकानाम्‌

4
घोडशः पाठ:
अधिकरण कारक (सप्तमी विभक्ति)

फटहर अकारान्त पुल्लिग शब्द

सिंह: पञ्जरे गर्जति ।


खगा: नीडे वसन्ति ।
सैनिका: राजमार्गे चलन्ति । अशोकस्य हस्तयोः दर्पण: अस्ति ।
जयन्तस्य हस्तयो: मोदकौ स्त: ।
मीना: सरोवरेषु तरन्ति । ह 0 चरणयो:08 अंगुष्ठौ न भवतः ।
तापस: आश्रमेषु भ्रमति ।
भारतीया विदेशेषु अपि वसन्ति ।

वार्तालाप:
मनोज:-किम्‌ त्वम्‌ प्रात: आरामे विहाराय गच्छसि
?
विनोद:-आम्‌, अहम्‌ प्रतिदिनम अजयेन-सह गच्छाएि हरित
े घासे च चलामि ।
मनोज:-युवाम्‌ तत्र किम्‌ पश्यथ: ?

+2
अककअीए

विनोद:--आवाम तत्र वक्षान पश्याव:. वक्षेष च खगान पश्याव:। त्वम प्रात: कत्र
गच्छसि ?
मनोज:-अह प्रातः परिवारस्य सदस्य: सह भ्रमणाय गच्छामि ।

नए शब्द- ।
पञ्जर: 5८5 पिंजरा नीड: 5८5 घोंसला
अंगुष्ठ: - अंगूठा राजमार्ग: -5 सड़क
सरोवर: ८5 तालाब दर्पण: 55 शीशा
मीन: 5८” मछली आराम: 5८5 बाग
अव्यय-
आम्‌ - हां
अभ्यास:

१. मौखिक- ।
(क) रेखांकित शब्दों के स्थान पर उचित शब्द बताइए:
नप: वने वसति । खगा: सरोवरे वसन्ति । सिंहः प्रासादे वि: । मीना: वृक्षेष्‌
वसन्ति । सर्यः आरामे भ्रमति । भ्रमराः दर्पणे गुझ्जन्ति ।
(ख) नीचे लिखे शब्दों के विभक्ति और वचन बताइए:-
_ आकाशे, कालः, सदस्यै:, सरोवरेषु, चरणयो:, आरामस्य ।
२.लिखित- .
(क) इन वाक्‍्यों को ठीक-ठीक लिखिए:-
(१) चणकान्‌ वानरा: खादन्ति आश्रमेषु ।
(२) च वसन्ति आश्रमेषु कृषकाः तापसाः ग्रामेषु ।
(३) मोदका: सन्ति हस्तयो: सुरेशस्य ।
(४) पठन्ति खगाः विद्यालये वृक्षे वसन्ति छात्रा: च ।
(५) मार्गे च धावतः अश्व: कक्‍्क्रः ।
43
(ख) संस्कृत में बदलिए:-
“ यक्षी घोंसलों में रहते हैं। हाथी रास्ते में चलते हैं। लोग बागों में घूमते हैं।
मछलियां तालाबों में तैरती हैं। शेर भी वनों में घूमते हैं। हम दोनों विद्यालय में पढ़ते
और लिखते हैं। तम दोनों भी परिश्रम से पढ़ती और लिखते हो।
याद कीजिए- 20 ;
* पाठ में आए किन्हीं तीन शब्दों के सप्तमी विभक्ति में रूप । जैसे:-
बालके बालकयो:' हक लालकप,
जमकर अमन: नह चाबरााः छा का ।

॥|

सप्तदशः पाठ: 0
सम्बोधन |
अकारान्त पुल्लिग शब्द |
गणतन्त्र-दिवस-समारोह: द

ड्ड“जार्य:-हे विजय ! चित्रे त्वं किम्‌ पश्यसि ?


विदय:-श्रीमन्‌ ! अहं चित्रे गणतन्त्र-दिवस-समारोहं पश्यामि ।
आचार्य:-बालकौ ! किम्‌ युवाम्‌ ध्यानेन आकर्णयथ: ?
बालकौ-श्रीमन्‌, आवाम्‌ ध्यानेन सर्वम्‌ आकर्णयावः ।
आचार्य:-छात्रा:! यूयम भारतस्य नागरिकाः:। स्वतन्‍त्रता-दिवसः
गणतन्त्र-दिवसः च भारतस्य प्रमुखौ उत्संवौ स्तः । तौ जनेभ्य: एकताया: सन्देशं
यच्छतः । ः
छात्रा:-आम, श्रीमन्‌ ! वयं सर्वे समानाः सम: । वयम्‌ भेदभावम्‌ त्यजामः देशम्‌ च
रक्षाम: । |

नए शब्द- ई
. . स्व 5 अपना नर्तक: -- नृत्य करने वाला
श्रीमन - श्रीमान्‌ जी सम्मुखे -- सामने
प्रदेश: -- देश का एक भाग

5
मई धातु-
पाल, (पौलय) 5 पालना, पूणाकरजा .०७-5छ5जऊ
. नए अव्यय- ३ कह
लीचैः -- नीचे कम ला व)
; पं पड ञ ज्यार्स +छहछाणा#ः

१. मौखिक-. । »
(क) प्रत्येक कोष्ठक में दी हुई:दो क्रियाओं में से उचित क्रिया द्वारा वाक्य-पूर्ति .
कीजिए:- 7व व
५८40 तन
(१) बोल: रसम्‌ (पिबेन्ति, पिबति) )
(२) सैनिका: देशम्‌ (रक्षल्ति; त्यजन्ति)
( ३) ज़नकः पत्रम॒ (नयति; पालयति)-
(४) धनिकः निर्धनेभ्य; मोदकान (खोंदति, यच्छति)
(ख) शब्दों के रूप बताइए:-
ढ हक
नर (प्रथमा), जन (द्वितीया । हर के अश्व (चतु |)
(षष ्ठी) सैनिक का
4! संत्कल में अन्य जा हे छठ छा न्‍ न्क यों त जी पा5 ! फा्गी8 --

क्ष आज है? के-कालक़ो: क्य्नातम रोज़ स्कल-ज़ाते हो; हे सिपाही


2 । ०. क्रीःरक्षा कस््ते की #हे बेटे;#आज तुम-झुक़॒ल क्यों।नहीं-जाते।-?7हे
' अकलःमरछढूटी है-॥ हेँतकड़के /ल क्या खाता है औरक्या पीतातक्ै।?
श्रीमान्‌ जी, मैं लड॒ड खाता हूँ । 4 ९३ हा ५
यादें कीजिए: पाठमें जएश्रकारातपल्लम-सब्त केसबोचर्नभें हूव जैसेंटाए
हे बालक ५
हे बालको हे बालकी: गा9 377८४

प्प ' (4 08, पाए छा


है अष्टादशः पाठ: 2
50 80 सुभाषितानि . 3
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याण न मनोरथै: ।
नहि सुप्तस्य सिहस्य प्रविशन्ति मुंखे म॒गाः । | १े।।
पुस्तकस्था तु या विद्या परहस्तगतं धनम्‌ | | ।
कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम्‌ .॥॥२।॥७ 5 ।
प्रदोषे दीपक: चन्द्र, प्रभाते दीपक: रवि: । क्‍
त्रैलोक्ये दीपक: धर्म:, सुपृत्र: कल-दीपकः ।। ३।॥। द
व॒था वृष्टि: समृद्रेष, व॒था तृप्तस्य भोजनम्‌ ।
व॒था दानं समर्थस्य, वृथा दीपो दिने तथा ।।४।।
सर्प: क़रः-खल: क्ररः, सर्पात्‌ क्रतर: खलः.।
सर्प: शाम्यति मन्त्रेण, दुर्जनः नैव शाम्यति ।। ५।।
एए शब्द-
उद्यमः ८ प्रयत्न ' : पुस्तकस्था - बिना याद की हुई
मनोरथः -- मन की इच्छा कार्यकाले -- काम के समय पर ।
सप्त 55 सोया हुआ समुत्पन्ने -- आने पर । |
प्रदोष: -- सायंकाल त्रैलोक्ये - तीनों लोकों में ।
वृष्टि: - वर्षा सर्प: -- साँप
खल: - दुष्ट : क्ररतरः -- अधिक कठोर
क्रर -- कठोर

नई धांतुएँ-
सिध्‌ (सिध्य) > पूरा होगा तुष्‌ (तुष्य्‌) - प्रसन्न होना
शम्‌ (शाम्य्‌) -- शान्त होना
नए अव्यय- ह
हि 5 निश्चय से विना 5 बगैर

जन

4ा
अभ्यासः

१. मौखिक-
(क) प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
चन्द्र: दीपकः कदा भवति ? रवि: कदा दीपकः भवति ? कलस्य दीपक: कः
भवति ? कः न शाम्यति ? मन्त्रेण कः शाम्यति ?
(ख) वाक्य पूर्ति कीजिए:-
समुद्रेषु वृष्टि: । व॒था तृप्तस्य । उद्यमेन कार्याण____।
त्रैलोक्ये धर्म: । वृथा दीपः |
२. लिखित-
(क) पहले तथा दूसरे श्लोक का अन्वय और तीसरे तथा चौथे श्लोक का अर्थ
लिखिए ।

+ठ6
नवदशः पाठ:
अकारान्त नपुंसकलिग शब्द

फलम वृक्षात्‌ पतति ।


रामस्य हस्ते फले स्तः ।
करण्डके फलानि सन्ति ।
अशोक: पकक्‍्वम्‌ फलम्‌ खादति ।
श्याम: उद्यानात्‌
फले आनयति ।
अहम्‌ मधुराणि फलानि खादामि ।

मम एकम्‌ मुखम॒ अस्ति ।


म्‌खस्य उपरि नेत्रे अपि भवतः ।
शरीरे अनेकानि अंगानि भवन्ति ।

उमा वस्त्राणि सीव्यति ।

अहम जलम पिबामि ! त्वम्‌ दुग्धम्‌ पिबसि । सरोवरे जलम्‌ भवति ।


भगरे भवनानि भवन्ति । वक्षेषु पत्राणि अपि भवन्ति । जना:आम्राणि चूषन्ति ।
पत्रवाहकः पत्राण आनयति ।
_ जना: पुष्पाणि जिप्रन्ति | .
“ भक्त: प्ष्पेभ्य:उद्यानम्‌ गच्छति .।
. भ्रमराः पष्पाणाम्‌ रसम्‌ पिबन्ति ।
पृष्पेष्‌ भ्रमरा: गुऊ्जन्ति ।
जना: पृष्पाणाम्‌ हारम॒ धारयन्ति ।

नए शब्द-
मुखम्‌ -- मुंह वस्त्रम्‌ -- कपड़ा
नेत्रम्‌ आँख भवनम्‌ -5 मकान «
अंगम्‌ -- अंग पत्रम्‌ - पत्ता, चिट्ठी
कमलम्‌ 5-5 कमल आम्रम्‌ -- आम (फल)
मम -- मेरा उद्यानम्‌ >“बगीचा
उपरि - ऊपर (अव्यय)
नई धातुएँ- ः
प्रा -- जिध्न्‌ -- सूँघना - चूष्‌ -- चूसना
सीव्‌ (सीव्य) -- सीना

50
अभ्यास:
१. मौखिक-
(क) कोष्ठकों में दिए गए शब्दों द्वारा वाक्‍्य-पूर्ति कीजिए:--
अहम्‌ (पुष्प) जिप्नामि । श्याम: (पुष्प) हारम्‌ धारयति । शरीरे अनेकानि
(अंग)भवन्ति । मम मुखे (नेत्र) स्तः । सरोवरे (कमल) विकसन्ति ।
(ख) शुद्ध कीजिए
सःपष्पान्‌ जिप्नति । रामस्य मुखे नेत्रौ स्‍्त: । अहम पत्रान्‌ लिखामि । अश्वः
तृणान्‌ चरति । सुरेश: पुस्तकौ पठति । सरोवरे जलः भवति ।
२. लिखितः- "
(क) निम्नलिखित शब्दों से रिक्त स्थान पूर्ति कीजिए:-
नेत्रे, कर्णयो:, अंगानि, मुखे, पुष्पाणि ।
(१) रामस्य रोग: अस्ति ।
(२) अहम्‌ विद्यालयस्य आरामे पश्यामि ।
(३) मम मुखे स्तः।*
(४) शरीरे अनेकानि _ भवन्ति ।
(५) दन्ता: भवन्ति ।
(ख) अनुवाद कीजिए:-
राम के हाथ में फूल हैं। विजय पुस्तकें पढ़ता है। मैं दूध पीता हूँ, और फल खाता
के लिए बाग जाता
हूं। मेरे शरीर में बहुते से अंग हैं। जीव आँखों से देखते हैं। मैं फलों
हैं। देवदत्त फूलों से घर को सजाता है। डाकिया चिट्टयाँ ले जाता है।
याद कीजिए:- ।
'फल' शब्द के आठों कारकों के रूप ।
विंशः पाठ:
सायंकाल:
(भविष्यत्काल:) द

सूर्य: अस्तम्‌ गमिष्यति। सायंकाल: भविष्यति। सर्वत्र अन्धकारस्य राज्यम


भविष्यति। खगा: स्वनीडानि आभमिष्यन्ति। कमलानि म्लानानि ्‌
भविष्यन्ति
कुमुदानि च विकसिष्यन्ति। आश्रमेषु तापसा: अनले यक्ष्यन्ति। कुषका: विश्रामम्‌
आचरिष्यन्ति। उलूका: आनन्देन इत: ततः भ्रमिष्यन्ति।
मन्दिरेषु शंखानां शब्द: भविष्यति। पाचका: भोज
माय स्थास्यन्ति। बाला: नम्‌ पक्ष्यन्ति। पथिका
क्रीडाक्षेत्रात्‌ स्वम्‌ स्वम्‌ गृहम आगमिष्यन्ति।
|
तत्र विविधान्‌ आहारान्‌ खादिष्यन्ति।
तत: तै स्वान्‌ स्वान पाठान पठिष्यन्ति-
लेखिष्यन्ति च। दा
वयम अपि अधुना स्वम्‌ स्वम्‌ गृहम्‌ गमिष्याम:। ॥/
तत्र विद्यालये पठितान्‌ पाठान

52
स्मरिष्याम:, लेखिष्याम: च। ततः दरधम पास्यामः। तत्पश्चात॒ शयनाय
गमिष्याम: ।
- नए शब्द- . :
नीड 5 घोंसला : ' चन्द्र: ८-- चाँद
अन्धकारः 5८- अंधेरा पथिक:ः -- राहगीर
कम॒द 55 कमुद (रात्रि कमल) क्रीडा-क्षेत्र -- खेल का मैदान
उलूकः -- उल्लू पाचकः -- रसोइया
सर्वत्र (अव्यय) -- सब जगह
म्लान (विशेषण) -- मुर॒झाया हुआ

अभ्यास:
१. मौखिक-
(क) शुद्ध कीजिए :-
तापस: यजिष्यति । सदः भोजनम पचिष्यति । बालः दर्धम पिविष्यति ।
छात्र: पाठान स्मष्यति । वयम उद्याने तिष्ठिष्याम: । ते विद्यालये गच्छिष्यन्ति ।
(ख) वाक्य-पूर्ति कीजिए :-
आप अर 2405-00 । पाचका: भोजनम्‌ : ४४ । उलूकाः हा

"8, 28 शत
२. लिखित- /
(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-
एकवचन : द्विवचन बहुवचन
(७ ०7४ पा
5 : खगो कक 2
४4,0५0 लिन पी
फेलम ४७7 0/७/क फलानि
पत्रम सेल 00007 0/7%
००१०००००
#००००००
(ख) अनुवाद कीजिए :-
अशोक बाग में खेलेगा । मैं घर में नहीं खेलँगा । तम सब रास्ते में नहीं
पढ़ोगे । हम सब सकल जायेंगे । तम दोनों कहाँ पढ़ोगे ? हम दोनों फल खायेंगे ।
मुनि आश्रमों में यज्ञ करेंगे ।
याद कीजिए :-
पढ्‌ आदि धातुओं के लुट लकार (भविष्यत्‌ काल) के रूप ।
स्मरणार्थ-श्लोक :-
यावत्‌ स्थास्यन्ति गिरयः: सरितश्च महीतले।
तावद रामायणकथा लोकेष प्रचरिष्यति। ।
- वाल्मीकि रामायण
अर्थ - जब तक पर्वत और नदियां पथ्वी पर रहेंगे, तब तक लोगों'में रामायण कथा
का प्रचार रहेगा।

34
एकविंशः पाठः
. चत्रा बाला
(आकारान्त स्त्रीलिंग शब्द) |
सुलेखा चतुरा बाला अस्ति । जनकः अम्बा च यदा सुलेखाम्‌ पश्यतः तदा तौ
तुष्यतः । सुलेखा प्रातः जनकम्‌ अम्बाम्‌ च नमति । सा वस्त्राणि क्षालयति ।
स्नानस्य पश्चात्‌ सूपम्‌ ओदनम्‌ च खादति । सुलेखया सह रमा अपि पाठशालाम्‌
गच्छति । सुलेखा तत्र अध्यापिकाम॒ नमति । अध्यापिका सुलेखायै पुस्तकम्‌
न )

यच्छति । यदा अध्यापिका विद्यालये न भवतिं तदा सुलेखाया: एव सकला: बाला: .


पठन्ति । | 0 0
पम-:9::9 ऋषि विदा न न आ आना मा कमी यकानकाककनककतकाआाका
कमल न लत कमनी लता

सायं यदा सलेखा पाठशालाया: गहम आगच्छति तदा सलेखाया: अम्बा प्रसन्ना
भवति । सा सलेखायै दग्धम मिष्टान्नम च यच्छति । समये समये सलेखा प्रात
सायम्‌ वा भोजनम्‌ पचति, वस्त्राणि अपि सीव्यति । सलेखायाम अम्बाया: पर्ण
विश्वास: अस्ति । सा सदा वदति - हे सलेखे, त्वम सयोग्या बाला असि । सलेखा
पाठशालायाम्‌ पठितान पाठान ध्यानेन स्मरति लिखति च ।
डे'शब्द-
पूर्ण - पूरा (विशे०) मिष्टान्नम्‌ -- मिठाई
परिहासः: ल्‍- मजाक सूप -- दाल
अम्बा - माँ ओदनम्‌ -- भात
नई धातएँ-
तुष्‌ (तुष्य) - प्रसन्न होना प्रच्छ (पच्छ) - पूछना
चुर्‌ (चोरय्‌) -- चुराना क्षाल्‌ (क्षालय) -- धोना
नए अव्यय-
एकदा 55 एक बार पश्चात्‌ - बाद में

अभ्यास:
१ मौखिक-
(क) वाक्य-पूर्ति कीजिए :- क्‍
रामवा न त। गाआ सीव्यति । सलेखा
जनकम्‌ अम्बाम च ऊ एउसा पराठशालामू
बाला:पाठम॒
7 । '
(ख) प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
(१) सुलेखा कत्र गच्छति ?
(२) सा स्नानस्य पश्चात्‌ किम्‌ खादति ?
(३) सुलेखायै अम्बा किम्‌ यच्छति ?
(४) अध्यापिका सलेखायै किम यच्छति ?
२. लिखित- ह
(क) नीचे लिखे वाक्‍्यों को द्विवचन और बहुवचन में लिखिए :-
बाल: पठति । सः धावति । सा गच्छति । माला पतति । पृष्पम्‌
विकसति । अहम्‌ पठामि ।

(ख) अनुवादं कीजिए :-


कक्षा में लड़कियाँ पढ़ती हैं | माँ के साथ उमा भी जाती है ।
5
लड़कियाँ अध्यापिका से पढ़ती हैं । मैं माँ को देखता हूं । मालाएं.हाथ से
गिरती हैं । बेटाःमाँ केलिए जल लाता है । लड़की मैदान में खेलती हैं ।
सलेखा का छोटा भाई शैलेन्द्र है । |
याद कीजिए :-
लता शब्द के रूप ।
द्वाविश: पाठ: .
विविधाः श्लोका:
| (१)
क्रोध त्यक्ष्यामि लोभं च भतानां वै हिते-रत+-।
सज्जन: त्‌ भविष्यामि असाधः न कदाचन ।।
| (२)
ग्रामात्‌ ग्राम गमिष्यामि सह मित्रै: सहायकै: ।
अशिक्षितेभ्य: दास्यामि शिक्षां ग्रीष्मावकाशके ।।
| ( ३) न

रक्‍त॑ धनं च देशाय- संकटे, य:- प्रयच्छछति .।


यज्ञानां सः सहस्रस्य--फलं, विन्द्रति-सर्वथा ।.-.. ,

प्राणान्‌ त्यजति देशाय, पीडिताज्ां-सहायक्र;- |:5


यः आचरति कल्याणं, लोके माजं;सः विन्द्रति-4 ।<:
(४)
समाचारस्य-पत्नं; यः -नित्यम्‌-पठति सानवः .।-
ज्ञाने वृद्धि: भवेत्‌ तस्य सम्यग्‌ भवति पण्डित: ।। 24080

_लोभेन ग्राहकेम्य: यः स्वल्पं द्रव्यं प्रयच्छति ।


- नरः पतति सः घोरे नरके नात्र संशय: ।।

नए शब्द-
भूतः प्राणी . ४ रक्त: -- खून
रतः -- लगा हुआ . सहस्र॒ ८ हजार
अशिक्षित -- अनपढ़ कल्याणम्‌ 55 भलाई
ग्रीष्मावकाश: >> गर्मी की छट्टियां. ग्राहक: -- खरीदार
स्वल्प ८ थोड़ा द्रव्यम्‌ -- सौदा, चीज
वद्धि: -- उन्नति, अधिकता _

५59
नई धातुएँ-
विद्‌ (विन्द्‌) -- प्राप्त करना प्र + दा (प्रयच्छ) -- देना
नए अव्यय-
कदाचन 55 कभी भी . सर्वथा - निश्चित रूप से
सम्यक्‌ - पूर्ण रूप से

अभ्यास:

१ मौखिक-
निम्नलेखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
(१) त्वम्‌ अशिक्षितेम्य: किम्‌ दास्यसि ?
(२) लोके मानम्‌ क: विन्दति ?
(३) त्वम्‌ कत्र गमिष्यसि ?
(४) क: घोरे नरके पतति ?
२ लिखित- _
तीसरे, पाँचवें तथा छठे श्लोकों के अर्थ लिखिए
याद कीजिए-
इस पाठ के श्लोकों को कण्ठस्थ कीाजये ।
त्रयोविंशः पाठ:
उद्यमस्य फलम्‌
(भूतकालः )


एकद' एक: काक: पिपासितः अभवत्‌ । सं: जलस्य पानाय इतः ततः अश्रमत्‌
परन्त सः कत्र अपि जलम्‌ न अपश्यत ।
अन्ते सः उद्याने एकम्‌ घटम्‌ अपश्यत्‌ । सः घटस्य समीपे अगच्छत्‌ । घटस्य
च मुखे उपाविशत्‌ ।
घटे स्वल्पस्‌ जलम्‌ अभवत्‌ । सः जलस्य पानाय वार वारम्‌ प्रयत्नम्‌
अकरोत्‌ । '

सः जलस्य पाने सफल: न अभवत॒ तथा अपि सः निराश: न अभवत्‌ ।


ततः काक: एकम॒ उपायम अचिन्तयत -
सः पाषाणस्य खण्डानि घटे अक्षिपत्‌ । “##*
एवम्‌ घटस्य तलस्थम्‌ जलम्‌ घटस्य कण्ठे आगच्छत्‌ ।

68]!
काक: पर्याप्तम्‌ जलम्‌ अपिबत्‌ । सः अति प्रसन्न: अभवत्‌ अवदत
्‌ च -..
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याण न मनोरथै:

' नए शब्द--
!
' पिपासित - प्यासा
घट: -- घड़ा
पाषाण -- पत्थर खण्ड -- टुकड़ा
. तलस्थ -- नीचे का पर्याप्त -- काफी
अपिबत - पीया _अकरोत्‌|- किया
जए अव्यय-
तथा अपि >- तो भी क॒त्र अप
समीपे -- पास -- कही
िं भी
वार वारम्‌ - बार-बार
अहो ! -- अहा । ह
नई धातुएँ-
उप + विश्‌ -- बैठना
क्षिप्‌ - फेंकना . चिन्त्‌ (चिन्तय) -- चिन्ता.करना
पा [पिब] - पीना ।
४62:
अभ्यासः
कप समौखिक-
(क) प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
(१) काकः घटम्‌ कत्र अपश्यत्‌ ?
(२) सः उद्याने किम्‌ अपश्यत्‌ ?
(३) काकः घटे किम्‌ अक्षिपत्‌ ?
(४) काक: किम्‌ अपिबत्‌ ?
(५) घटे कः उपाविशत्‌ ?
(ख) कौए के लिए प्रयुक्त पांच विशेषण पाठ में से छाँटिये ।
२ लिखित :-
(क) वाक्यपूर्ति कीजिए :-
काक: जलस्य पानाय 5 अभ्रमत्‌ ।
स+छ्ाउच हाअपश्यत | से का दा मखे।।
घटे जलम्‌ ! स: उपायम 7
(ख) काक:' पर संस्कृत में पांच वाक्य लिखिए
(ग) 'वद्‌' धातु के तीनों कालों में रूप लिख कर याद कीजिए
'श्लोकां श-
सोत्साहस्य हि लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्‌ ।
अथं-संसार में उत्साही पुरुष के लिए कछ भी दरर्लभ नहीं है ।

03
चत्‌र्विशः पाठ:
एतत्‌ (यह) तथा किम्‌ (क्या, कौन)
सर्वनाम

(पुल्लिग प्रथमा)

एष: क: धावति ?
एष: बाल: धावति ।
एतौ कौ धावत: ?
एतौ अश्वौ धावतः ।
एते के धावन्ति ?
एते अश्वा: धावन्ति ।
(पुल्लिग द्वितीया)
एतम्‌ कम्‌ पश्यसि ?
एतम्‌ सिंहम्‌ पश्यामि ।
एतौ कौ पश्यसि ?
राह एतौ सिंहौ पश्यामि ।
( प्रथमा) | एतान्‌ कान्‌ पश्यसि ?
_एतान्‌ सिंहान्‌ पश्यामि ।
एषा का पठति?
एषा बालिका पठति ।
एते के पठतः ?
एते बालिके पठत:
एता: का: पठन्ति ?
एता: बालिका: पठन्ति ।

७4
(स्त्रीलिंग द्वितीया)
: एताम्‌ काम्‌ नमसिं ? एताम्‌ अम्बाम्‌ नमामि ।
एते के पश्यसि ? एते विभाम्‌ उमाम्‌ च पश्यामि ।
एता: का: नयसि ? एता: बाला: नयामि ।
(न्पुंसकलिंग प्रथमा)
हे किम्‌ अस्ति ? एतत्‌ पत्रम्‌ अस्ति ।
एते के स्तः ? ४ एते फले स्तः ।
एतानि कानि सन्ति : एतानि आम्राणि सन्ति ।

(नपुंसकलिंग द्वितीया)
एतत्‌ किम्‌ पिबसि ? एतत्‌ दुग्धम्‌ पिबामि ?
एते के पश्यसि ? एते नेत्रे पश्यामि ।
एतानि कानि खादसि ? एतानि आम्राणि खादामि ।

अभ्यास:
१ मौखिक--
शुद्ध कीजिए :-
एप: राधा अस्ति । एतान्‌ वालिकाः पश्यामि । एते काः गच्छन्ति?
एतेम फलम्‌ खादामि । एतान्‌ फलानि पश्यामि । एतत्‌ बालम नयामि ।
' २ लिखित-
(क) एतान्‌, काम्‌, एष:, एतत्‌, एतानि, कौ, के, एषा - इन्हें वाक्‍्यों में प्रयुक्त
कीजिए ।
(ख) अनुवाद कीजिए :-
यह क्या है ? यह कौन (स्त्री) है । यह किस पाठ को पढ़ती है ? राम इस पस्तक
को नहीं पढ़ता । तृ किसे देखता है ? यह कौन सी लड़की है ? त कौन है ”?यह आम
है । यह पत्ता है । यह शेर है ।
65
याद कीजिए :-
एतत्‌ तथा किम्‌ शब्दों के तीनों लिगों के प्रथमा तथा द्वितीया के रूप ।
स्मरणार्थ श्लोक :--
कः काल: कानि मित्राणि
को देश: कौ व्ययागमौ ।
कस्याहं का च मे शक्ति:
इति चिन्तय मुहूर्महः ।।
अर्थ- समय कैसा है ? कौन मित्र है ? कौन देश है ? आय और व्यय
क्या है ? मैं किसे का हूं ? मेरी शक्ति क्या है ? ऐसा बार बार सोचते
रहना चाहिए

66
पंचविंश: पाठः
यत्‌ (जो) तथा तत्‌ (वह) सर्वनाम
(पुल्लिग प्रथमा)
यः अत्न पठति सः सुरेश: अस्ति ।
यौ अत्र पठतः तौ बालकौ स्तः ।
ये अधुना धावन्ति ते अश्वाः सन्ति ।
(पुल्लिग द्वितीया)
यम त्वम नमसि तम अहम नमामि ।
यो त्वम पश्यसि तौ अहम पश्यामि ।
यान्‌ त्वम्‌ वदसि तान्‌ आवाम्‌ वदावः ।
(स्त्रीलिंग प्रथमा)
या प्रात: पठात सा साय न पठति ।
ये सायम्‌ पठत: ते प्रात: न पठत:ः ।
या: अन्न पठन्‍्ति ताः तत्र न धावन्ति ।
(स्त्रीलिंग द्वितीया)
याम सीता पश्यति ताम्‌ उर्मिला न पश्यति ।
ये त्वम नमास ते राधा न नमतते ।
या: रामः वात ता: श्याम: न वदति ।
(नर्पुँसकलिंग प्रथमा)
यत्‌ फलम्‌ अहम्‌ खादामि तत्‌ पक्‍वम्‌ न अस्ति ।
ये पहले करण्डके स्त: ते मम न स्त: ।
यानि फलानि तत्र सन्ति तानि उमाया: सन्ति ।
(न्पुँसकलिंग द्वितीया)
यत्‌ फलम्‌ त्वम्‌ खादसि तत्‌ अहम्‌ अपि खादामि ।
ये फले मोहन: खादति ते विभा न खादति ।
यानि फलानि राम: नयति तानि त्वम्‌ न पश्यसि | -

3
अभ्यास:
१ मौखिक-
(क) ताम्‌, ते, तम्‌, एते, एतत्‌, तानि, तानू, यानि - इन्हें अपने वाकयों में
प्रयुक्त कीजिए ।
(ख) शुद्ध कीजिए :-
_ताम्‌ अश्वम्‌, या फलम्‌, यः फलम्‌, ये बालौ, तौ बाला:, ते फलानि,
या: गजा:, एताम्‌ बालम ।
२ लिखित-
(क) प्रत्येक वाक्य के आगे के कोष्ठक से उचित शब्द लेकर वाक्य पूर्ति
कीजिए :-
(0 रा जाग वा लाति| (फल:, फलम्‌)
(२) ते कन्‍ये बालानू | (पश्यतः, पश्यन्ति)
0) राम बतायति॥ (फलेन, फलम्‌)
(४) तो विद्यालयस्‌ 7 (गच्छति, गच्छतः)
(५) एषः एएर गच्छति। (बालक:, बालिका)
(ख) अनुवाद कीजिए :-
जो बालक दूध पीते हैं, वे स्वस्थ होते हैं। जो फल पका होता है वह
मीठा होता है। यह कौन बालक है ? जिसको तुम देखते हो वह ऊँट है। ये
कौन लड़कियाँ हैं ? जो लड़कियाँ पढ़ती हैं, वे चत्र होती हैं।
याद कीजिए:--
यत्‌ तथा तत्‌ शब्दों के तीनों लिंगें के प्रथमा तथा द्वितीया रूप।

छ6
घडविंश: पाठ:
युष्मद (त्‌) अस्मद (मैं) सर्वनाम
(उभय लिंग )

|! (युष्मद्‌-अस्मद्‌ - पुल्लिग प्रथमा)


त्वम॒ कः. असि ? अहम्‌ छात्र: अस्मि ।
युवाम्‌ कौ स्थः ? आवाम्‌ छात्रौ स्वः ।
ययम्‌ के स्थ ? वयम्‌ सैनिका: सम: ।
(युष्मदू-अस्मद - पुल्लिग द्वितीया)
अहम त्वाम॒ पश्यामि परन्तु त्वम्‌ माम्‌ न पश्यसि ।
शोक: यवाम॒ अपि नमति, आवाम्‌ अपि नमति ।
सः यष्मान वदति, अस्मान्‌ न वदति ।
(युष्मद्‌-अस्मद्‌ - स्त्रीलिग प्रथमा)
त्वम्‌ का असि ? अहम्‌ उमा अस्मि ।
यवाम्‌ के स्थः ? आवाम्‌ विभा आभा च स्वः ।
ययम्‌ का: स्थ । वयम्‌ कन्या: सम: ।
(युष्मद्‌-अस्मद्‌ - स्त्रीलिग द्वितीया)
राम: त्वाम अपि पश्यति, माम्‌ अपि पश्यति ।
श्याम: यवाम॒ एव नमति, आवाम्‌ न नमति ।
विजय: यष्मान न पश्यति, अस्मान्‌ पश्यति ।
अभ्यास
१ झौखिक-
(क) यष्मद्‌ और अस्मद्‌ के प्रथमा तथा द्वितीया के रूप बताइए ।
:--
(ख) इन्हें अपने वाक्यों में प्रयकत कीजिए ‌, त्वम्‌,
त्वाम्‌, अहम्‌, युष्मान्‌, अस्मान्‌, आवाम्‌, युवाम्‌, वयम्‌, माम्
यूयम्‌ ।.

69
२ लिखित-
संस्कृत में बदलिए :-
त्‌ क्या पढ़ता है? मैं पुस्तक पढ़ता हूँ । तुम दोनों कहाँ रहते हो? हम दोनों
गाँव में रहते हैं | तुम किस को देखते हो? हम पक्षियों को देखते हैं । तुम को
कौन नमस्कार करता है? हम को बालक भी नमस्कार करते हैं ।
याद कीजिए :- ।
युष्मद्‌ और अस्मद्‌ शब्द के प्रथमा और द्वितीया के रूप ।
फ्ि
पाठ:
श्रीराम:

अयोध्याया: शासकस्य दशरथस्य चत्वार: पत्रा: अभवन ।

(राम:, सीता लक्ष्मण: च ।)


श्रीराम: ज्येष्ठ: पत्र: अभवत्‌ । सः बाल्यकाले एव. शास्त्रेषु शस्त्रविद्यायाम्‌ च.
प्रवीण: अभवत्‌ ।। सीता रामस्य भार्या आसीतू । दशरथस्य आदेशेन श्रीराम:
चतर्दश वर्षाण वने अवसत्‌ । सीता लक्ष्मण: च अपि रामेण सह वनम्‌

१0
अगच्छताम्‌ । श्रीरामस्य वियोगेन दशरथ: स्वर्गस्‌ अगच्छत्‌ ।
वने लंकाया: नृप: रावण: छलेन सीताम्‌ अहरत्‌ । श्रीराम: लक्ष्मण: च वने इतः
तत: अश्रमताम । श्रीराम: सग्रीवस्य सहायक: अभवत्‌ । सग्रीवस्य पवनकमारस्य .
च सहायतया स:ः लंकाम॒ अविशत्‌ । तत्र श्रीरामस्य रावणेन सह यद्धम अभवत॒ ।
युद्धे श्रीराम: सकलान्‌ राक्षसान लंकापतिं रावणम्‌ च अमारयत ।
श्रीराम: रावणस्य अन॒जाय विभीषणाय लंकाया: राज्यम अयच्छत । तत
चतर्दश वर्षाणाम्‌ पश्चात्‌ सः सीतया लक्ष्मणेन च सह अयोध्याम प्रत्यागच्छत ।
तत्र श्रीरामस्य राजतिलकः अभवत्‌ । श्रीरामस्य राज्ये सकलाः अपि प्रजा
सुरक्षिता: प्रसन्नाःच अभवन्‌ । अतः रामराज्यम प्रसिद्धम अस्ति ।
नए शब्द-
प्रवीण (वि०) -- चत्र, योग्य श्रीरामेण सह -- राम के साथ
ज्येष्ठ: -- सबसे बड़ा ; अमारयत्‌ (क्रि०) 5 मार दिया
अभ्यास:
१ मौखिक-
(क) प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
दशरथस्य कति पृत्रा: अभवन्‌ ? श्रीरामस्य भार्या का आसीत्‌ ?
रावण: काम्‌ अचोरयत्‌ । दशरथ: क: आसीत्‌ ? राम: युद्धे कम्‌ अजयत्‌ ?
(ख) तीसरे अनुच्छेद का अर्थ बताइए ।
२ लिखित-
(क) संस्कृत की विभक्तियाँ लगाइए :-
राम का, राक्षसों का, वन में, लंका में, विभीषण के लिए, छल से,
सहायता द्वारा, बालकों पर ।
(ख) संस्कृत में अनुवाद कीजिए :-
श्रीराम सुग्रीव के सहायक हुए । राम की पत्नी सीता थी । मैं वहाँ
गया । लक्ष्मण तथा सीता भी वन में गये । लक्ष्मण तथा शत्रघ्न समित्रा
केपुत्र थे । बन में राक्षस रहते थे । रावण सीता को हर ले गया ।वानरों
ने राक्षसों को मारा ।
याद कीजिए :-
लड्‌ लकार में वस्‌ और नम्‌ धातुओं के रूप ।
अष्टविंश: पाठ:
संख्या

ईश्वर: एक: अस्ति ।


दहौ कर्णोा भवतः । दक्षिण: वामः च ।
त्रयः रामाः आसन्‌-राम:, बलरामः, परशुराम: च ।
चत्वार: वेदा: सन्ति-ऋग्वेद:, यजुर्वेद: सामवेद:, अथर्ववेद: च ।
दुग्धस्य पञच विकाराः भवन्ति-दघि, घृतम्‌, नवनीतम्‌, तक्रम्‌,
कूर्चिका च ।
भारतवर्षे घट ऋतव:ः भवन्ति-वसन्तः, ग्रीष्म:, वर्षा, शरद
हेमेन्त:ः, शिशिरः च॑ ।
सप्ताहे सप्त दिवसाः भवन्ति-रविवार:, सोमवार:, मंगलवार:,
ब॒धवार:, गरुवारः, श॒क्रवार:, शनिवार: च ।
अष्ट- लताया: अष्ट चरणा: भवन्ति ।
नव- ग्रहा: नव भवन्ति-सर्य:, चन्द्र, भौम:, ब॒ध:, गुरु:, शुक्र:, शनि
राहः:, केतः च ।
दशा- दिशः दश भवन्ति-पर्वा, पश्चिमा, उत्तरा, दक्षिणा,
ईशान-कोण:, अग्निकोण:, वायुकोण:, निरक्रीतकोण:, ऊर्ध्वम्‌,
अधः च ।
एकादश- क्रिकेट-क्रीडायां एकादश क्रीडकाः भवन्ति ।
द्वादश- द्वादश मासा: भवन्ति-चैत्र:, वैशाख:, ज्येष्ठ., आषाढ:, श्रावण:,
भाद्रपद:, आश्विन:, कार्तिक:, मार्गशीर्ष., पौष:, माघः, फाल्गुनः
च।
त्रयोदश- गोपालस्य पुस्तके त्रयोदश पाठा: सन्ति ।
चतुर्दश- जयदेवस्य पुस्तके चतुर्दश श्लोका: सन्ति ।
पञुचदश- पक्षे पञचदश दिवसाः भवन्ति ।
षोडश- चन्द्रस्य पोडश कला: भवन्ति
सप्तदश- राधाया: समीपे सप्तदश क्रीडनकानि सन्ति ।
“ अष्टादश- - मोहनस्य उद्याने आम्राणाम्‌ केवलम्‌ अष्टादश वृक्षा: सन्ति !
नवदश- _ उमाया: समीपे नवदश रूप्यकाणि सन्ति ।
विंशतिः:- सुलेखाया: कक्षायाम्‌ विंशतिः छात्रा: पठन्ति ।
नए शब्द-
न दही नवनीतम्‌ 5 मक्खन
तक्रम्‌ 55 मट्ठा | : दिवसः ८ दिन
कर्चिका 5 खुर्चन लूता -- मकड़ी
दक्षिण: ८ दायाँ ऋतु: -- मौसम
वाम: - बायाँ स्वर्णम्‌ -- सोना
रूप्यकम्‌ -- रुपया क्रीडक: -- खिलाड़ी
घृतम्‌ त्घी क्रीडनकम्‌ -- खिलौना
अभ्यास:
१ मौखिक-
रिक्त स्थानों में संख्यावाची शब्द भरिए :--
रामस्य - कर्णों सत:। गजस्य-चरणा: भवन्ति ।-वेदा: भवन्ति ।.
ईश्वर:-अस्ति । उमाया: कक्षायाम्‌-छात्रा: सन्ति । वर्षे-मासा: भवन्ति ।
अशोकस्य-हस्तः अस्ति । ग्रहा:-भवन्ति । दश-भवन्ति । द्वादशश-.
भवन्ति ।
२ लिखित-
ग्रह नौ होतेहैं । उमा के दो कान हैं । भौरे क छः पैर होते हैं । दर्गा के चार
हाथ होते हैं । रावण के दस मुख थे । हमदो पैरों से चलती हैं । बन्दर के दो
हाथ और दो पैर होते हैं । रावण के बीस हाथ थे । *
याद कीजिए :-
बीस तक संख्या-वाची शब्द ।

(74
(क) ब्याकरण भागे
वर्ण माला

संस्कृत वर्णमाला पाणिनीय के १४ सूत्रों पर आधारित है ।


स्वर- (0) हस्व अ इ उठ ऋ लू।
(0) दीर्घ आ ई ऊकऋ
(7) संयुक्तस्वर ए ऐ ओ औ।
(५) अयोगवाह अं अः। 0

व्यण्जन () स्पर्श के खतगां जे. ड


' चाप जग हा
25% ड४6ट ण
तय कप. न
प फब भम
गत आओ लव
(॥) ऊष्म शा रा (ह
(५) संयुक्त व्यंजन कु+ष ८ क्ष
। गत
ज्‌+ज् ++- «5

फ5
(ख) व्याकरण-भाग

अकारान्त पुल्लिग 'देव' शब्द के रूप

कारक-विभक्ति विभकक्‍ति के... एकवचन द्विवचन बहुवचन


चिह्न |
प्रथमा ने, या कुछ नहीं देव: देवौ देवा:
कला
द्वितीया - को, या कुछ नहीं देवम्‌ )ै)
देवान्‌
आल
तृतीया से, के द्वारा ं देवेन देवाभ्याम्‌ देवै:
(करण)
चतुर्थी के लिये, को देवाय देवाभ्याम्‌ देवेभ्य:
(सम्प्रदान)
पंचमी से (पृथक देवात्‌ 7 )ै

(अपादान) होने में)


: घष्ठी का, के, की देवस्य देवयो: देवानाम्‌
(सम्बन्ध)
सप्तमी में, पर देवे री
देवेष्‌_
(अधिकरण)
सम्बोधन हे, अरे हे देव हे देवौ हे देवा:
इसी प्रकार अकारान्त्र (अ अन्त वाले) सभी पुल्लिग शब्दों (तर राम मनुष्य
आदि) के रूप चलते हैं। विभक्तियों के जो चिह्न ऊपर बताये गये हैं, वे सभी शब्दों
की विभक्तयों के होते हैं।

तप
अकारान्त नपुंसकलिग 'फल' शब्द
१. “"फलम्‌ फले फलानि
२ . )) )7 / ब्र

सं० हे फल हे फले हे फलानि


'फल शब्द के शेष विभक्तियों में देव की तरह रूप चलेंगे। अन्य नपुंसकलिग,
अकारान्त शब्दों के रूप 'फल' की भाँति चलेंगे।

आकारान्त स्त्रीलिग 'लता' शब्द

प्रथमा. लता लते ४ लताः


द्वितीया लताम्‌ है ॥
तृतीया लतया लताभ्याम्‌ लताभिः
न्नत्थी लताये ः लताभ्य:
पठ चमी लताया: ' ४
- षष्ठी ५ लतयो:ः लतानाम्‌
सप्तमी लतायाम्‌ *। / लतास्‌
ग़म्बोधन हे लते हे लते हालता:
-7 प्रकार आकारान्त (आ अन्त वाले) कला, रमा, प्रभा आदि स्त्रीलिग शब्दों
के ._ 'लते हैं।

'इकारान्त पुल्लिग म॒नि' शब्द


प्रथमा गान मुनी मुनयः
द्वितीया मुनिम्‌ कं मुनीन्‌
तृतीया मुनिना : मुनिभ्याम्‌ मुनिभिः
चतुर्थी मुनये | है सनिभ्य:
पञ्चमी मुने: ५ जा
षष्ठी | मन्यो:ः मुनीनाम्‌
सप्तमी मुनौ ॥ मुनिषु
सम्बोधन हे म॒ने हे मुनी हे मुनयः
इसी प्रकार ऋषि, कवि' आदि इकारान्त (इ अन्त वाले) पुल्लिग शब्दों के रूप
चलते हैं | 77]

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