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AB SATALITE सैटेलाइट कचरा
AB SATALITE सैटेलाइट कचरा
अपने आसमान से टू टते तारो की घटनाओं के बारे में पढ़ा और सुना होगा । हो सकता है आपने
दे खा भी हो |
लेकीन जैसे हर चमकती चीज़ सोना या हीरा नहीं होती । ठीक वैसे ही आसमान में हर चमकती चीज़
हमारे लिए मुसीबतों की वजह बनते जा रहे हैं । जिन्हें हम स्पेस जंक यानी कि सैटेलाइट कचरा के
नाम से भी जानते है ।
दे श इससे निपटने के लिए क्या कर रहे हैं? इन सभी सवालों का जवाब खोजेंगे आज के इस वीडियो
में ।
बात है , 4 अक्टू बर, 1957 को । इस दिन सोवियत यूनियन ने दुनिया का पहला कृत्रिम सैटेलाइट
आर-7 रॉकेट 'स्पूतनिक' लॉन्च किया था । जो दे खने में बिलकुल स्पूतनिक बास्केटबॉल के आकार
का मेटल का एक गोला था ।
स्पेस में छोड़ने के महज तीन महीनों बाद ही यह धरती के वायुमंडल में गिरा और बुरी तरह जल गया ।
मलवा अ
ं तरिक्ष में सैटेलाइटों की सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है ।
अ
ं तरिक्ष में मौजूद जब दो सेटेलाइट आपस में टकराते है तो उनके हजारों टु कड़े हो जाते हैं । जिससे
बहुत सारा मलवा बनता है और इसी मलबे को सेटेलाइट कचरा कहते हैं । अ
ं तरिक्ष में यह मलवा
स्पेसक्राफ्ट रॉकेट को अलग-अलग स्टेज में छोड़ने से बचे मटेरियल , कई स्पेस मिशन से निकले
तक स्पेस में 9300 मीट्रिक टन मलबा जमा हो चुका है और साथ ही ये कचरा अलग-अलग ऑर्बिट
में घूम रहा है । जैसे जैसे बीते कुछ बरसों में सैटेलाइट लॉन्च की रफ्तार बढ़ी है । वैसे वैसे इस कचरे
● नुकसान
आपको जानकार हैरानी होगी की, ये मलवा धरती के चारों ओर 25000 किलोमीटर की रफ्तार से
चक्कर लगाता है । इस पूरे मलवे का 70 फ़ीसदी लो अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी के सबसे करीब के
वायुमंडल में घूमता है । ये हिस्सा धरती से 150 किमी से लेकर 2000 किमी तक की ऊ
ं चाई में आता
है । आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि , वायुमंडल की ये परत कई मायनों में काफी अहम है।
मौसम का पूर्वानुमान और निगरानी वाले सैटेलाइट, हबल टेलीस्कोप जैसे साइंस मिशन और
इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन इसी लेयर में हैं और जब ये मलबा लगातार घूमता रहता है, आपस में
टकराता और टकराने के बाद फिर सैकड़ों-हज़ारों टु कड़ों में टू ट जाता है। ये टु कड़े सैटेलाइट्स के
साथ अ
ं तरिक्ष यात्रियों के लिए भी बेहद ख़तरनाक होते हैं। मिसाल के तौर पर छर्रे के बराबर का एक
टु कड़ा ह्यू मन स्पेस सूट में छेद कर सकता है। ऐसा हुआ तो स्पेस सूट के अ
ं दर का प्रेशर तुरंत घट
जाएगा और एस्ट्रोनॉट की मौत हो जायेगी | साथ ही दूसरे उपग्रहों के लिए भी ये मलवा खतरा बन
सकता है । ये मलवे दूसरे सेटेलाइट से टकरा सकते हैं और उन्हें नष्ट भी कर सकते हैं ।
● समाधान
Well ,सेटेलाइट कचरे की बढ़ती हुई समस्या को दे खते हुए वर्ष 2022 में ISRO ने टकराव के खतरों
आकलन करने और अ
ं तरिक्ष कचरे से उत्पन्न जोखिम को कम करने के लिये सिस्टम फॉर सेफ एंड
सस्टेनेबल ऑपरेशंस मैनेजमेंट की स्थापना की। साथ ही साथ ISRO की नेत्रा परियोजना
बात करें वैश्विक स्तर की तो साल 1993 में INTER- AGENCY SPACE DEBRIS COORDINATION
साथ ही स
ं युक्त राष्ट्र ने भी सेटेलाइट कचरे को कम करने के लिए committee on the peaceful
खराब उपग्रहों को कक्षा से हटाना और उन्हें वापस वातावरण में खींचना शामिल है | इन्ही तरीकों से
एक है , हापून का उपयोग करना | इसमें एक विशाल जाल में फैलाकर मलवे को पकड़ने के लिए
हालांकि, ये विधियां केवल पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले बड़े उपग्रहों के लिए उपयोगी हैं | वास्तव में
हमारे लिए मलबे के छोटे टु कड़ों जैसे कि पेंट और धातु के टु कड़ों को उठाने का कोई तरीका नहीं है |
इसलिए मलबे के खतरनाक स्तर तक ढेर होने से पहले प्रस्तावित वैश्विक योजना को लागू करने
और अगर आपको वीडियो अच्छा लगा तो वीडियो को लाइक , चैनल को सब्सक्राइब और अपने
धन्यवाद ।