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Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 - Harivansh Rai Bachchan
Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 - Harivansh Rai Bachchan
Hindi (Sparsh)
उत्तर: नए बसते इलाक ों में कवि रास्ता इसवलए भूल जाता है क् वों क यहााँ हमेशा नया वनमाा ण
ह ता रहता है । वनत नई घटनाएाँ घटती रहती हैं । अपने विकाने पर जाने के वलए ज ज
वनशावनयाों बनाई जाती है िह जल्दी ही खत्म ह जाती है | चाहे िह पीपल का पेड़ ह या क ई
मकान ह खाली प्लॉट ह सब में जल्दी ही पररिता न ह जाता है इसवलए िह हमेशा रास्ता भूल
जाता है ।
• पीपल का पेड़
• ढहा हुआ घर
उत्तर: कभी अपने वनर्ाा ररत दर से आगे या पीछे इसवलए चल दे ता है क् वों क उसके घर तक
पहुों चने िाली सारी वनशावनयाों बदल चुकी है वमट चुकी है उसने एक मोंवजले मकान की वनशानी
ज बना रखी थी वजस पर वबना रों ग िाला ल हे का दरिाजा लगा हुआ था परों तु अब िहाों पर ना
त मैं फाटक रहा ना िह मकान एक मोंवजला रहा इसवलए िह अपने वनश्चय लक्ष्य क ढू ों ढता
ढू ों ढता आगे या पीछे चल दे ता है ।
‘बैसाख का गया भाद ों क लौटा’ का अवभप्राय है -कुछ ही समय में एकाएक पररिता न ह जाना।
जाने के समय और लौटने के समय में ही अद् भुत पररिता न ह जाना।
उत्तर: कभी अपने वनर्ाा ररत दर से आगे या पीछे इसवलए चल दे ता है क् वों क उसके घर तक
पहुों चने िाली सारी वनशावनयाों बदल चुकी है वमट चुकी है उसने एक मोंवजले मकान की वनशानी
ज बना रखी थी वजस पर वबना रों ग िाला ल हे का दरिाजा लगा हुआ था परों तु अब िहाों पर ना
त मैं फाटक रहा ना िह मकान अब एक मोंवजल रहा इसवलए िह भटक जाता हैं ।
उतर: इस कविता में कवि ने शहर ों की वनरों तर गवतशीलता, कमावप्रयता और वनमाा ण की अोंर्ी
दौड़ के कारण ख ती आत्मीयता का वचत्रण वकया है । शहर ों में नई-नई बखस्तयााँ, नए-नए वनमाा ण
त र ज ह रहे हैं वकोंतु उनकी पहचान और आत्मीयता नष्ट ह रही है । आपसी प्रेम लगाि और
आत्मीयता घटती जा रही हैं i सब आगे वनकलना चाहते हैं ।
व्याख्या कीवजए-
उत्तर: प्रस्तुत पोंखिय ों द्वारा कभी यह बताना चाहता है वक आज के इस बदलते समय में
स्मृवतय ों के सहारे नहीों वदया जा सकता क् वों क आज प्रवतवदन दु वनया का नक्शा बदलता जा
रहा है समय की गवतशीलता के साथ दु वनया भी गवतशील ह ती जा रही है ।
उत्तर: प्रस्तुत पोंखियाों समय की कमी की ओर इशारा करती हैं | वनरों तर चलते रहने िाले समय
के कारण पहचान के पैमाने बदल चुके हैं आज कुछ भी स्थाई नहीों है सब कुछ अस्थाई है |
वफर भी इस बदलते पररिेश में अभी भी आशा की एक वकरण बची हुई है वक कहीों से क ई
पुराना पररवचत वमल जाए और हमारी सहायता कर दे ।