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NCERT Solutions for Class 9

Hindi
क्षिक्षिज-Chapter 11- रसखान

1.ब्रजभूक्षि के प्रक्षि कक्षि का प्रे ि क्षकन-क्षकन रूप ों िें अक्षभव्यक्त हुआ है ?


उत्तर: कवि ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण की जन्मभूवि के प्रवि गहरा लगाि प्रदवशि ि वकया है | िे
कहिे हैं की अगर उन्हें अगला जन्म िनुष्य के रूप िें प्राप्त हो, िो िह गोकुल के गाां ि के ग्वाले
के रूप िें रहना चाहें गे| यवद उनका अगला जन्म िनुष्य न होकर पशु हो जािा है िो िे गाये
बनकर िासुदेि की गायोां के बीच रहना चाहें गे | उन्हें यवद अगला जन्म पत्थर के रूप िें प्राप्त
हो िो िह उस गोिर्िन पििि पर रहना चाहें गे वजसे श्रीकृष्ण ने अपनी ऊँगली पर छत्र के रूप
िें र्ारण वकया था और यवद पक्षी बने िो िह यिुना नदी के वकनारे कदम्ब के पेड़ की डाल
पर रहना चाहें गे |

2.कक्षि का ब्रज के िन, बाग और िालाब क क्षनहारने के पीछे क्या कारण हैं?
उत्तर: कवि ब्रज के िन, बाग और िालाब को इसवलए वनहारिे हैं क्ोांवक िहाां कभी कृष्ण जी
रहिे थे एिां कवि उनसे एक जुड़ाि िहसूस करिे हैं | उनको कृष्णजी से अपार प्रेि हैं | यह
सब कवि को सुख , शाां वि और आनांद की प्राप्तप्त करािी हैं |

3.एक लकुटी और कािररया पर कक्षि सब कुछ न्य छािर करने क क्य ों िै यार है?
उत्तर: कवि के वलए श्रीकृष्ण िहत्वपूणि ि वप्रय हैं | कृष्णजी गायोां को चरािे िक़्त लकुटी एिां
कािररया अपने साथ रखिे थे | इसी कारण हे िु कृष्णजी के लकुटी और कािररया पर कवि
सब कुछ न्योछािर करने को िै यार है |

4.सखी ने ग पी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह क्षकया था? अपने शब् ों
िें िणणन कीक्षजए।
उत्तर: सखी ने गोपी से श्रीकृष्ण जै से वदखिे है िैसा ही रूप र्ारण करने के वलए कहा | उनके
सिान वसर पर िोर का पांख, गले िें गुांजा की िाला, िन पर पीले िस्त्र और हाथोां िें लाठी ले ने
की बाि कही |

5.आपके क्षिचार से कक्षि पशु, पिी और पहाड़ के रूप िें भी कृष्ण का साक्षिध्य क्य ों
प्राप्त करना चाहिा है?
उत्तर: कवि कृष्ण जी के अनन्य भक्त है | उनका कहना है वक उनका जन्म वकसी भी रूप िें
हो, िह श्री कृष्ण के सिीप रहना चाहिे है , उनसे सांबांवर्ि िस्तुओां के वनकट ही रहना चाहिे
है | इससे कवि को कृष्णा की वनकटिा का एहसास होिा है इसवलए कवि पशु , पक्षी और पहाड़
के रूप िें भी कृष्ण का साविध्य प्राप्त करना चाहिा है |

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6.चौथे सिैये के अनुसार ग क्षपयााँ अपने आप क क्य ों क्षििश पािी हैं?
उत्तर: चौथे सिैये के अनुसार गोवपयाँ अपने आपको इसवलए वििश पािी हैं क्ोांवक श्री कृष्ण
का रूप आकर्िक है और उनकी िुरली की र्ुन िनिोहक है | िह जब िुस्कािे हैं , उन्हें दे ख
गोवपयाँ अपने िन को िश िें नहीां रख पािी और अपना सब कुछ भूल जािी है और उनकी
िरफ आकवर्िि हो जािी है |

7.भाि स्पष्ट कीक्षजए-


(क) क क्षटक ए कलधौि के धाि करील के कोंु जन ऊपर िारौों।
उत्तर: उपयुिक्त पांप्तक्तयोां का भाि यह है वक करोड़ो के सोने के बने िहलोां को कभी काटोां की
झावड़योां के वलए त्याग दें गे| कवि बज्र की काां टेदार झावड़योां के वलए भी सोने के सौ िहल
न्योछािर करने के वलए िै यार है |

(ख) िाइ री िा िुख की िुसकाक्षन सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।


उत्तर: उपयुिक्त पांप्तक्तयोां का भाि यह है वक कृष्ण िुस्कान इिनी िनिोहक है की गोवपयाँ
अपनी सुर्बुर् खो दे िी है और कुछ भूलकर कृष्ण की ओर खीांची चली जािी है |

8.‘काक्षलोंदी कुल कदों ब की डारन’ िें कौन-सा अलों कार है?


उत्तर: ‘कावलां दी कुल कदां ब की डारन’ िें ‘क’ िणि की आिृवि हुई है । इसवलए यहाँ अनुप्रास
अलां कार का प्रयोग हुआ है ।

9.काव्य-सौ ोंदयण स्पष्ट कीक्षजए


या िुरली िुरलीधर की अधरा न धरी अधरा न धरौोंगी।।
उत्तर: भाि सौांदयि: गोवपयाँ कहिी है वक िह सर के ऊपर िोरपांख रखेंगी, गले िें गुांज की
िाला भी पहनेंगी िथा पीले िस्त्र र्ारण भी करें गी वकन्तु कृष्ण जी के होठोां से लगी िुरली को
अपने होठोां से नहीां लगाएां गी |
वशल्प सौांदयि: कवि ने ब्रजभार्ा का प्रयोग बड़ी दक्षिा के साथ वकया है | इस िाक् िें अनुप्रास
अलां कार का प्रयोग हुआ है ।

रचना और अक्षभव्यक्तक्त

10.प्रस्तुि सिैय ों िें क्षजस प्रकार ब्रजभूक्षि के प्रक्षि प्रे ि अक्षभव्यक्त हुआ है , उसी िरह आप
अपनी िािृ भूक्षि के प्रक्षि अपने िन भाि ों क अक्षभव्यक्त कीक्षजए।
उत्तर: िािृभूवि ने हिें जन्म वदया है | इसी विट्टी से हि आए हैं और इसी विट्टी िें विल जाएां गे
| यह हिारा किि व्य है की हि इस भूवि के परोपकार के बारे िें सोचें | जब जब हिारी िािृ भूवि
पर कैसी भी आां च आएगी, हि ढाल बनकर खड़े होांगे और उसकी रक्षा करें गे |

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