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9.गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहहए ?

उत्तर:- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा को अन्याय से बचाना तथा नीतत से राजधर्म का
िालन करना होना चाहहए।

10. गोपियों को कृष्ण र्ें ऐसे कौन-से िररवतमन हिखाई हिए जजनके कारण वे अिना र्न वािस िा लेने
की बात कहती हैं ?

उत्तर:- गोपियों को लगता है कक कृष्ण द्वारका जाकर राजनीतत के पवद्वान हो गए हैं। उनके अनुसार श्री
कृष्ण िहले से ही चतुर थे अब तो ग्रंथो को िढ़कर उनकी बद्
ु धध िहले से भी अधधक चतुर हो गयी है।
अब कृष्ण राजा बनकर चाले चलने चलने लगे हैं। छल-किट उनके स्वभाव के अंग बन गया है। उन्होंने
गोपियों से मर्लने के स्थान िर योग की मिक्षा िे ने के मलए उद्धव को भेज हिया है। श्रीकृष्ण के इस
किर् से गोपियों के बहुत हृिय आहत हुआ है। इन्ही िररवतमनों को िे खकर गोपियााँ अिनों को श्रीकृष्ण के
अनुराग से वािस लेना चाहती है।

11. गोपियों ने अिने वाक्चातुयम के आधार िर ज्ञानी उद्धव को िरास्त कर हिया, उनके वाक्चातुयम की
पविेषताएाँ मलखखए ?

उत्तर:- गोपियााँ वाक्चतुर हैं। वे बात बनाने र्ें ककसी को भी िरास्त कर िें । गोपियााँ उद्धव को अिने
उिालंभ (तानों) के द्वारा चुि करा िे ती हैं। गोपियों र्ें व्यंग्य करने की अद्भुत क्षर्ता है। वह अिने
व्यंग्य बाणों द्वारा उद्धव को घायल कर िे ती हैं। वह अिनी तकम क्षर्ता से बात-बात िर उद्धव को
तनरुत्तर कर िे ती हैं।

12. संकमलत ििों को ध्यान र्ें रखते हुए सरू के भ्रर्रगीत की र्ख्
ु य पविेषताएाँ बताइए ?

उत्तर:- भ्रर्रगीत की तनम्नमलखखत पविेषताएाँ इस प्रकार हैं –

1. ‘भ्रर्रगीत’ एक भाव-प्रधान गीततकाव्य है।

2. इसर्ें उिात्त भावनाओं का र्नोवैज्ञातनक धचत्रण हुआ है।

3. सूरिास ने अिने भ्रर्र गीत र्ें तनगुमण ब्रह्र् का खंडन ककया है।

4. ‘भ्रर्रगीत’ र्ें िुद्ध साहहजययक ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।

5. भ्रर्रगीत र्ें उिालंभ की प्रधानता है।

6.‘भ्रर्रगीत’ र्ें सूरिास ने पवरह के सर्स्त भावों की स्वाभापवक एवं र्ामर्मक व्यंजना की हैं।
7. भ्रर्रगीत र्ें उद्धव व गोपियों के र्ाध्यर् से ज्ञान को प्रेर् के आगे नतर्स्तक होते हुए बताया गया
है, ज्ञान के स्थान िर प्रेर् को सवोिरर कहा गया है।

8. सूरिास कपव होने के साथ-साथ सुप्रमसद्ध गायक भी थे। भ्रर्रगीत र्ें संगीतायर्कता का गुण
पवद्यर्ान है।

•रचना और अमभव्यजक्त

1. गोपियों ने उद्धव के सार्ने तरह–तरह के तकम हिए हैं, आि अिनी कल्िना से और तकम िीजजए।

उत्तर:- गोपियों ने उद्धव के सार्ने तरह-तरह के तकम हिए हैं। हर् भी तनम्नमलखखत तकम िे सकते हैं –

1. उद्धव िर कृष्ण का प्रभाव तो िडा नहीं िरन्तु लगता है कृष्ण िर उद्धव के योग साधना का प्रभाव
अवश्य िड गया है।

2. तनगुमण अथामत ् जजस ब्रह्र् के िास गुण नहीं है उसकी उिासना हर् नहीं कर सकते हैं।

3. योग का र्ागम कहिन है और हर् गोपियााँ कोर्ल हैं। हर्से यह किोर योग साधना कैसे हो िाएगी। यह
असम्भव है।

2. उद्धव ज्ञानी थे, नीतत की बातें जानते थे ; गोपियों के िास ऐसी कौन–सी िजक्त थी जो उनके
वाक्चातुयम र्ें र्ुखखरत हो उिी ?

उत्तर:- सच्चे प्रेर् र्ें इतनी िजक्त होती है कक बडे-से-बडा ज्ञानी भी उसके आगे घट
ु ने टे क िे ता है। गोपियों
के िास श्री कृष्ण के प्रतत सच्चे प्रेर् तथा भजक्त की िजक्त थी जजस कारण उन्होंने उद्धव जैसे ज्ञानी
तथा नीततज्ञ को भी अिने वाक्चातुयम से िरास्त कर हिया।

3. गोपियों ने यह क्यों कहा कक हरर अब राजनीतत िढ़ आए हैं? क्या आिको गोपियों के इस कथन
का पवस्तार सर्कालीन राजनीतत र्ें नज़र आता है, स्िष्ट कीजजए।

उत्तर:- गोपियों को लगता है कक कृष्ण द्वारका जाकर राजनीततके पवद्वान हो गए हैं। अब कृष्ण राजा
बनकर चाले चलने लगे हैं। छल-किट उनके स्वभाव के अंग बन गया है। गोपियों ने ऐसा इसमलए कहा है
क्योंकक श्री कृष्ण ने सीधी सरल बातें ना करके रहस्यातर्क ढं ग से उद्धव के र्ाध्यर् से अिनी बात
गोपियों तक िहुाँचाई है। गोपियों का यह कथन कक हरर अब राजनीतत िढ़ आए हैं। कहीं न कहीं आज की
भ्रष्ट राजनीतत को िररभापषत कर रहा है। आज की राजनीतत तो मसर से िैर तक छल-किट से भरी हुई
हैं। कृष्ण ने गोपियों को मर्लने का वािा ककया था और िूरा नहीं ककया वैसे ही आज राजनीतत र्ें लोग
कई वािे कर के भूल जाते हैं।

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