You are on page 1of 12

नाम अर्थः

गीता में कृष्ण के नाम

अच्युत

अरिसूदन

मधुसूदन
पूर्वकाल में मधु नाम के राक्षसः को भगवान् ने मारा था इसलिए भी उन्हें मधुसूदन कहा जाता है

माधव
A name for the Supreme Personality of Godhead meaning “He who appeared in the Madhu
dynasty.” It is also a name for the Yadu dynasty; also a name of Kṛṣṇa comparing Him to the
sweetness of springtime or the sweetness of honey.

माधव शब्द मधु शब्द की वृद्धि से आता है। इसमें अ प्रत्यय है। माधव के अनेक अर्थ है

मथुरा को मधुपुरी भी कहा जाता है और यदुवंश को मधु वंश। मधु वंश में उत्पन्न होने के कारण भगवान् कृष्ण को माधव कहा

जाता है।

माधवी सौभाग्य की दे वी लक्ष्मी का एक नाम है। माधवी के पति होने के कारण कृष्ण का नाम माधव है।

मधु के सामान रस से युक्त होने के कारण कृष्ण को माधव कहा जाता है।

मधु शब्द वस
ं त ऋतू के लिए भी प्रयोग किया जाता है. कृष्ण की तुलना वस
ं त ऋतू से की जाती है इसलिए उन्हें माधव कहा जाता

है

बृहदारायणयोक उपनिषद में भगवान् को जानने के लिए मधु विद्या का उल्लेख है। भगवान् को मधु विद्या से जाना जाता है

इसलिए भी भगवान् का नाम माधव है।

पुरुषोत्तम

केशव

केशी निषूदन

भगवान

भुत भावन

भूतेश

दे व दे व

जगत्पति

जनार्दन
विष्वेश्वर

हृषीकेश

कृष्ण

यादव

सखा

गोविन्द

वासुदेव

वार्ष्णेय

जगन्निवास

योगेश्वर

विष्णु

माधव

भगवद गीता में अर्जुन कृष्ण को माधव कहकर सम्बोधित

करते है। आईये आज हम माधव शब्द के पांच अर्थ जानते

है

मधु यानी शहद, कृष्ण की लीलाये शहद के सामान मधुर

होने के कारण कृष्ण को माधव कहा जाता है।


मधु शब्द वसंत ऋतू के लिए भी प्रयोग किया जाता है.

कृष्ण की तुलना वसंत ऋतू से की जाती है इसलिए उन्हें

माधव कहा जाता है

लक्ष्मी जी का एक नाम माधवी है। माधवी के पति होने के

कारण कृष्ण का नाम माधव है।

मथुरा को मधुपुरी भी कहा जाता है और यदुवंश को मधु

वंश। मधु वंश में जन्म लेने के कारण भगवान् कृष्ण को

माधव कहा जाता है।

बृहदारायणयोक उपनिषद में भगवान् को जानने के लिए

मधु विद्या का उल्लेख है। भगवान् को मधु विद्या से जाना

जाता है इसलिए भी भगवान् का नाम माधव है।


भगवान

भगवद गीता में कृष्ण के लिए भगवान शब्द प्रयोग किया

जाता है।

भगवान शब्द भग धातु में वान प्रत्यय जोड़ने से बनता है।

भग धातु के संस्कृत में छः अर्थ होते है। जैसा की विष्णु

पुराण में बताया गया है।

ऐश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशसः श्रियः।

ज्ञान-वैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतीरणा॥

ऐश्वर्य यानि समृद्धि

वीर्य यानि वीरता

यश यानि प्रसिद्धि

श्रियः यानि सुंदरता

ज्ञान

वैराग्य
कृष्ण में यह छः गुण अधिकतम मात्रा में है इसलिए कृष्ण

को भगवान् कहा जाता है।


केशव

भगवद गीता में अर्जुन कृष्ण को केशव कहकर बुलाते है।

केशव शब्द का अर्थ है लम्बे सुन्दर केशो वाला।

कृष्ण में बाल ल


ं बे और सुन्दर है इसलिए भगवान् को

केशव कहा जाता है।

केशव शब्द का और भी अर्थ है

केशी नाम का राक्षस जो घोड़े के रूप में आया था उसको

मारने के कारण कृष्ण का नाम केशव है।

शालिग्राम शिला जो भगवान् विष्णु का स्वरूप है उसका

एक प्रकार है केशव। ये शिला नीले रंग के होते है और

इनमे चक्र की आकृति भी होती है।

केशव भगवान् विष्णु के चौबीस चतुर्भुज रूप में से पहले

है।
वे अपने नीचे के दाहिने हाथ में पद्मा, ऊपर में दाहिने हाथ

में शंख, ऊपर के बाएं हाथ में चक्र और नीचे के बाएं हाथ

में गदा धारण करते है


हृषीकेश

भगवद गीता में संजय कृष्ण के लिए हृषीकेश शब्द का

प्रयोग करते है।

हृषीकेश शब्द हृषिका और ईश से मिलकर बना है।

हृषिका शब्द का अर्थ है इन्द्रिया और ईश का अर्थ है

स्वामी।

कृष्ण इन्द्रियों के स्वामी है और वो अपने भक्त की

इन्द्रियों को अपनी और आकर्षित करते है इसलिए

उनका नाम हृषिकेश है।

क्या आपको पता है हृषीकेश शालिग्राम का एक रूप है

जो अर्ध चंद्राकार होता है।

भगवान् विष्णु के चौबीस चतुर्भुज रूप में से पहले है।


वे अपने नीचे के दाहिने हाथ में गदा, ऊपर में दाहिने हाथ

में चक्र, ऊपर के बाएं हाथ में पद्मा और नीचे के बाएं हाथ

में शंख धारण करते है

अच्युत

गीता में कृष्ण के लिए अच्युत नाम प्रयोग किया जाता है।

च्युत शब्द का अर्थ होता है निचे गिरना। च्युत में अ

उपसर्ग जोड़ने से अच्युत होता है। कृष्ण जो की अपने

पद से निचे नहीं गिरते इसलिए उनका नाम अच्युत है।

शालिग्राम शिला का प्रकार अच्युत होता है

जिसमे में 4 वदन हैं - 8 चक्र दाएं या बाएं तरफ; क


ं ु डल;

शंख, चक्र, गदा, धनुष, बाण, तलवार, मूसल, ध्वजा, छत्र

और कमल, हाथी, अ
ं कुश चिन्हों से युक्त शालिग्राम

शिला को अच्युत शालिग्राम कहा जाता है।


कृष्ण

कृष्ण भगवान् का प्रमुख नाम है। कृष्ण नाम के कितने

अर्थ है १,२

आइये जानते है

कृष्णौ वर्णो स्येति कृष्ण: - कृष्ण का रंग कृष्ण अथवा

काला होने के कारण उनका नाम कृष्ण है।

कर्षत अरिन इति कृष्ण: - जो शत्रूओं का कर्षण या

विनाश करता है।

आ - कर्षति मनः इति कृष्ण: - जो भक्तो के मन को

आकर्षित करता है

कर्षति पापाः इति कृष्ण: - जो पापो का नाश करता है


गोपाल तापनि उपनिषद में

कृषि भू वाचकः शब्दः णस्य तस्य निवृत्ति वाचकः

तयोरौक्यम् परब्रह्म कृष्ण इत्यभिधीयते

कृष का अर्थ है भू अथवा सत्ता और ण आनंद का सूचक


है। ये दोनों कृष्ण में है इसलिए कृष्ण परब्रम्ह है।

महाभारत शांति पर्व में कृष्ण स्वयं अपने नाम का अर्थ

बताते है

कृष्णामि मेदिनीम पार्थ भूत्वा कृष्णायसो महान

कृष्णौ वर्णाश्चा में यस्मात तेन कृष्णोहम अर्जुनः

जब पृथ्वी कठोर हो जाती है तब मै अपने आप को काले

लौहे में बदल लेता हू


ँ । इस काले वर्ण के कारण में कृष्ण

ँ । इसका एक और अर्थ यह भी है कि कृष्ण


कहलाता हू

रहस्यमय होने के कारण आसानी से नहीं है।


एक ओर निरुक्त के अनुसार कृष सत्ता का घोतक है

और णा जन्म मृत्यु से मुक्त करने का सूचक है। इस

प्रकार कृष्ण जन्म मृत्यु से मुक्त करने वाले परब्रम्ह है।

कृष धातु का एक अर्थ आकर्षण भी होता है इसलिए

कृष्ण का अर्थ होता है सर्वाकर्षक और आनंदमय

You might also like