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4/9/24, 11:53 AM Rahulnath OSGY: महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-५)

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Rahulnath OSGY
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ब्लॉग आर्काइव मंगलवार, 18 दिसंबर 2018 Rahulnaath


► 2022 (83) Rahulnath Osgy

► 2021 (4)
महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-५) मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

► 2020 (11)
#महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-५)
▼ 2018 (12) #शक्ति-
▼ दिसंबर (9) त्रिपुरीपनिषद में-
दशमहाविद्या_तारा तिस्त्रः पुर स्त्रिपथा विष्वचर्ष्णि,अचाकथा अक्षरा: सान्निविष्टा:।
#महाकालसंहिता
(तंत्र)गुह्यकालीखं अधिष्ठायैना अजरा पुराणी,महत्तरा महिमा देवतानाम।।
ड:...
महाकालसंहिता(तंत्र मंत्र की द्वारा उसे अजरा पुराणी एवं समस्त देवताओं की महिमा कहा गया है
)गुह्यकालीखंड: त्रिपुरातापीनी में शक्ति को ह्रींकार ह्ले लेखा त्रिपुरात्मिका आदि कहा गया है-ह्रींकारे ण
(भाग-५) ह्ले खाख्या भगवती त्रिकू टावसाने निलये विलये धामनी धामनि महासा घोरे ण प्राप्नोति।
स्नान का साबर एवं सेवायं भगवती त्रिपुरे ति व्यापद् घते।(१/१)
वैदिक मंत्र
सितापनिषद में भगवती सीता को मूलप्रकृ ति कहा गया है।
महाकालसंहिता(तंत्र
)गुह्यकालीखंड: सीता भगवती ज्ञेया मूलप्रकृ तिसंज्ञीता।
(भाग-४) सरस्वतिरहस्योपनिषद में शक्ति ब्रह्मशक्ति कही गई है-
नवार्ण मंत्र और मेरी अद्वैत ब्रह्मणः शक्तिः सा मां पातु सरस्वति।
अनुभूति
यह रहा उपनिषदों में शक्ति का वर्णन ।
महाकालसंहिता(तंत्र
शक्ति की चर्चा अष्टादश पुराणों-उपपुराणों में भी प्रचुर मात्रा में पाई गई है
)गुह्यकालीखंड:
(भाग-३) मार्कं डेयपुराण इसका ज्वलंत उदाहरण है संपूर्ण पूर्व एवं मध्य भारत में श्रद्धा और प्रेम
के साथ नवरात्र के अनुष्ठान में पाठ के रूप में पढ़ी जाने वाली दुर्गा सप्तशती के ७००
अघोर_गायत्री_मंत्र
पद्य मार्कं डेय पुराण के हैं इसमें महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती दुर्गा चामुंडा
महाकालसंहिता(तंत्र कालरात्रि आदि के नाम से चर्चित शक्ति की महिमा राक्षसों के वध के संदर्भ में वर्णित है
)गुह्यकालीखंड:
(भाग-२) कू र्मपुराण में अर्धनारीश्वर के पुरुष अंश से रूद्र तथा स्त्री अंश से अनेक शक्तियों के
अवतार को दर्शाया गया है विष्णुपुराण में भगवती लक्ष्मी के रूप में शक्ति की चर्चा है
महाकालसंहिता(तंत्र
)गुह्यकालीखंड:
इसमें लक्ष्मी को वेदगर्भा, यशगर्भा, सूर्यगर्भा,देवगर्भा, दैत्यगर्भा आदि कहा गया है।
(भाग:-१) भागवतपुराण शक्तितत्व एवं शक्ति के रहस्य का विशद विवेचन करता है। वामनपुराण
में शिव एवं शक्ति के समवेद रूप का वर्णन है ब्रह्मांडपुराण भगवती त्रिपुरसुंदरी के
► नवंबर (1)
महात्म्य की चर्चा तथा भगवती ललिता के सहस्त्रनाम का वर्णन करता है पद्मपुराण
► अक्तूबर (2) वैष्णवी एवं चामुंडा शक्तियों द्वारा दैत्यों के वध के साथ कामाख्या का एवं कृ ष्ण की
शक्ति राधा का विस्तृत वर्णन प्रस्तुतकर्ता है।
► 2017 (89)
देवी भागवत पुराण जैसा कि नाम से स्पष्ट है। देवी अर्थात शक्ति का ही पुराण है यह
► 2016 (176) शक्ति साहित्य की अद्वितीय निधि है।वेद माता गायत्री की विशेष चर्चा के साथ इसमें षष्ठी
आदि अनेक देवियों की कथाएं एवं महात्म्य उल्लेखित है जहां तक उप पुराणों का प्रश्न है
नारदीयपुराण महालक्ष्मी राधा ललिता दुर्गा यक्षिणी आदि शक्तियों का वर्णन करते हुए
दीक्षा यंत्र मंत्र पूजा पद्धति का भी उल्लेख करता है शिवपुराण सती पार्वती के आख्यान
से भरा पड़ा है इसमें उमा के लोकातीत कृ त्यों की चर्चा की गई है सूतसंहिता शक्ति
स्त्रोत युक्त है। हरिवंशपुराण भी शक्ति के वर्णन से अछू ता नहीं है यहां शक्ति के दो
रूप सर्वव्यापीनी मातृशक्ति के समन्वित रूप से आख्यात है। कालिका पुराण काली की
ही गाथा है नब्बे अध्यायो में उपनिबद्ध पुराण में काली सती पार्वती महामायाकल्प

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4/9/24, 11:53 AM Rahulnath OSGY: महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-५)
कामाख्या शारदा मातृका आदि के रूप में शक्ति का विषय विवेचन अन्यान्य
कथोपकथाओं के साथ किया गया है।
महाभारत को प्रथम पद्यमय इतिहास कहा जाता है।यह ग्रंथ शक्ति के भी इतिहास को
अपने अंदर समेटे हुए हैं उन दिनों शाक्त एवं पाशुपतसंप्रदाय का विशेष प्रचलन था।
विराट पर्व में युधिष्ठिर द्वारा दुर्गा की उपासना का उल्लेख मिलता है।-
*******(युधिष्ठिर कृ त दुर्गा स्तोत्रं)***********
1. यशोदा गर्भ संभूथां, नारायण वर प्रियां,
नन्द गोप कु ले जाथां, मङ्गल्य कु ल वर्धनीं.
2. कं स विध्रवनकरिं , असुराणां क्षयंकरिं ,
शिलात्ता विनिक्षिप्थं, आकासां प्रथि गमिनिं.
3. वासुदेवस्य भगिनीं, दिव्य मल विभूषिथां,
दिव्याम्बर धरं देवीं, खड्ग के तक धारिणीं.
4. भरवथारणे पुण्ये ये स्मरन्थि सदाशिवं,
थान वै थारयसे पापातः पन्खे गामिव दुर्भलां.
5. नमोस्थु वरदे कृ ष्णे. कु मारी ब्रह्मचारिणी,
बलकर्सध्रुसकरे , पूर्ण चन्द्र निभनने.
6. चथुर्भुजे, चथुर वक्त्रे पीन श्रोणि पयोधरे ,
मयूर पिच वलये के युरन्गध धारिणी,
भासि देवी यध पद्म नारायण परिग्रह.
7. श्र्वरूपम् ब्रह्मचर्ये च विसधं ग़गनेस्वरि,
कृ ष्णाच विसमा कृ ष्णा संकर्षण समानन.
8-9. विभ्रथि विपुलौ याह साकर द्वज समुच्रयौ,
पथ्रि च पन्लजि घ्न्ति स्त्री विशुद्धाच या भुवि,
पसं धनर महा चक्रं विविध अन्य आयुधानि च,
कु न्दलभ्यांम सुप्र्नाभ्यांम कर्णाभ्यां च विभूषिथा.
10-11. चन्द्र विस्पर्धीन देवी मुखेन थ्वम् विराजसे,
मुकु टेन विचिथ्रेण के स भन्धेन शोभिना,
भुजङ्ग भोग वासेन श्रेणी सुथ्रेण राजथा,
विभ्राजसे चबद्धेनभोगेनेवेहमन्धर.
12. ड्वजेन शिकी पिच्चन मुच्रुथेन विराजसे,
कौमारं वृथमस्थाय त्रिदिवं पविथं थ्वय.
13. थेन थ्वम् स्थूयसे देवी त्रिदशै पूज्यसे अपि च,
त्रि लोक्य रक्षणार्थं महिषासुर नासिनि,
प्रसन्न मय सुर स्रेष्टे दयां कु रु शिवा भव.
14,जया थ्वम् विजया चैव संग्रामे च जयप्रध,
ममापि विजयं देहि वरद थ्वम् च संप्रथं.
15. विन्ध्ये चैव नाग स्रेष्टे थ्व स्थानं हि सस्वथम्,
कलि कलि महा कलि गद्ग गद्वन्ग धारिणी.
16. कृ थनुयथ्रा भूथैस्थ्वं वरद कामचारिणी,
भ्रवथारे ये च थ्वाम् संस्मरिष्यन्थि मानवा,
17. प्रनमन्थि च ये थ्वाम् हि प्रभाथे थु नरा भुवि,
न थेशं दुर्लभं किन्चिथ्पुत्रतो धनथो अपि वा.
18. दुर्गातः थारयसे दुर्गे ततः थ्वम् दुर्गा समर्था जनै,
ख़न्थ्रेश्व वसन्नानं मग्नानां च महार्णवे.
19. दस्युभिर्वा निरुद् ध्हनं थ्वम् गथि परमा नृणां,
जल प्रथरणे चैव कन्थरे अश्वतवीषु च.
20. ये स्मरन्थि महा देवी न च सीधन्थि थेय नरा,
ठ् वम् कीर्थि शरीर धृथि सिध्रीर्ह्वीर् विध्या संथथर मथि.
21-22. संध्या रथ्रि प्रभा निद्रा ज्योथ्स्ना कनथि क्षमा धय,
नूनं च बन्धनं मोहं पुत्र नासं धन क्षयं,
व्याधिं मृत्युं भयं चैव पूजिथा नासयिष्यथि,
सो अहं राज्यतः परि बृष्ट सरणं थ्वाम् प्रपन्नवान.
23. प्रनथस्च यधा मूर्ध्ना थ्व देवी सुरे स्वरि,
थ्राहि मां पद्म पथ्रक्षि सत्ये सत्या भवखा न.
24. सरणं भव दुर्गे सारण्ये भक्था वथ्सले,
येथं स्थुथा हि सा देवी दर्सयमस पाण्डवं.
देव्युवाच :-
25-26. ये च संम्कीर्थयिष्यन्थि लोके विगथ कल्मषा,
थेशां थुष्टा प्रधास्यामि राज्य मयूर वपु,
से रे पि मे
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4/9/24, 11:53 AM Rahulnath OSGY: महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-५)
प्रवसेनगरे चापि संग्रामे शत्रु संकटे,
अटव्यां दुर्ग कान्थारे सागरे गहने गिरौ,
ये स्मरिष्यन्थि मां राजन यधाहं भवथा समर्था.
27-28. न थेशं किञ्चिद अस्मिं लोके भविष्याथि,
इधं स्तोत्र वरं भक्त्या स्रुन्यद वा पदेतः वा,
थस्य सर्वाणि कार्याणि सिधिं यस्यन्थि पाण्डव,
मतः प्रसदच्ह य सर्वान विरत नगरे स्थिथान.
29. इथ्यक्थ्व वरद देवी युधिष्त्र मरिन्धमं,
रक्षां क्रु थ्वा च पाण्डू नां थाथ्रै वन्थर धीय।
(युधिष्ठिर कृ त दुर्गा स्तोत्रं समापतं)
*************************************
देवी के आठवें गर्व से उत्पन्न कृ ष्ण के स्थान पर वासुदेव ने यशोदा की जिस कन्या को ले
आ कर रखा था। तथा कं स ने जिसे पत्थर की शिला पर पटक कर मारना चाहा
था,आकाशगामिनी वही देवी विंध्याचलवासिनी हुई। उसी का यहां वर्णन है वह
कृ ष्णस्वरूपा एवं कृ ष्ण की भगिनी दुर्गा देवी है उसका मुख बलभद्र के मुख्य की भांति
है भीष्म पर्व में दुर्गा उमा चंडी कात्यायनी शाकं भरी महाकाली भद्रकाली कपाली
कपिला एवं कु मारी आदि की चर्चा है। मंदराचल निवासिनी दुर्गा को कात्यायनी कपाली
कपिला आदि कहा गया है। इसे भद्रकाली महाकाली स्वाहा स्वधा कला काष्ठा श्री
वेदमाता वेदांत स्कं दमाता कांतारवासनी महा निद्रा आदि के नाम से संबोधित किया गया
है।यहां भी अर्जुन ने युद्ध में विजय के लिए उनकी ही स्तुति की है शल्यपर्व में देवी को
परा शक्ति या निर्घोषा वाक कहा गया है छयालिसवे अध्याय में स्कं ध के अनुयाई
मातृगणों का विस्तृत वर्णन उपलब्ध है तीस श्लोकों में उनके नामों का वर्णन मिलता है।
उपयुक्त विवरण के अतिरिक्त प्रकीर्ण स्त्रोत्र साहित्य में भी शक्ति का नाना रूपों में
वर्णन मिलता है सौंदर्यलहरी पूर्ण रूप से शक्ति स्तोत्र है जिसमें त्रिपुरसुंदरी की चर्चा है।
करपुरस्तव काली की वाम मार्गी पूजा और स्तुति से संबंध है गंगालहरी यमुनास्तोत्र
राजराजेश्वरीत्रिपुरसुंदरीनित्याराधनस्त्रोत्र,ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र आदि अनेक ग्रंथ
शक्ति से सम्बद्ध है शाक्ततंत्र की यात्रा में ५००ईस्वी से लेकर ९०० अथवा अधिकतम
१२००ईस्वी तक का काल तांत्रिक-ग्रंथ-रचना-तंत्र-साधना का स्वर्ण युग था इसमें शाक्त
ग्रंथों की सर्वाधिक रचना हुई।

भगवान शिव के 6 मुखों से 6 संप्रदायों का जन्म


**************************************
#षडाम्नाय-भगवान शिव के छह मुख से छह संप्रदायों का आविर्भाव हुआ।१.पूर्वाम्नाय
२.उत्तराम्नाय ३.पश्चिमाम्नाय४.दक्षिणाम्नाय ५.ऊर्ध्वाम्नाय और ६.अधाराम्नाय।
काली आदि दशमहाविद्याये उपयुक्त में से किसी ना किसी आम्नाय से सम्बद्ध है प्रत्येक
आम्नाये में सोलह-सोलह देवियों की स्थिति है इसका विस्तृत विवरण नीचे प्रस्तुत है।

#पूर्वाम्नाय-इसमे स्थित देवियो के नाम-


१.चण्डेश्वरी २.हरसिद्धा ३.कु क्कु टी ४.फे तकरी ५.बाभ्रवी ६.ब्रह्मवेतालराक्षसी
७.महाघोरकरालिनी ८.महाकाली ९.चंडखेचरी १०.कु लकामिनी ११.शबरे श्वरी
१२.बगलामुखी १३.अपराजिता १४.पिङ्गला १५.हायग्र्रीवेश्वरी और १६.भैरवी।

#दक्षिणाम्नाय-इसमे स्थित देवियो के नाम-


१.मातङ्गी २.अन्नपूर्णा ३.अश्वारूढा ४.सरस्वती ५.वज्रप्रस्तारिणी ६.नित्यक्लिंना
७.मुण्डमधुमति ८.जयन्ती ९.संकटा १०.क्लिंन्नक्लेदिनी ११.मातंगेश्वरी १२.शूलिनी
१३.शक्तिभूतिनि १४.मत्तमातंगयायिनी १५.ऋतंभरा और १६.मदद्रवा

#पश्चिमाम्नाय-इसमे स्थित देवियो के नाम-


१.कु ब्जिका २.अघोरामुखी ३.एकांशा ४.चामुण्डा ५.ज्वालामुखी ६.वेतालमुखी
७.छिन्नसर्गा ८.पूर्णेश्वरी ९.महादिगम्बरी १०मुण्डमालिनी ११.चंडघंटा १२.अनंगमाला
१३.किरातेश्वरी १४.महाविद्या १५.मायूरी और १६.वेतालमुखी

#उत्तराम्नाय-इसमे स्थित देवियो के नाम-


१.गुह्यकाली २.सिद्धकराली ३.चंडयोगेश्वरी
४.उग्रचंडा ५.कात्यायनी ६.महिषमर्दिनी ७.रं गेश्वरी ८.चंडकापालेश्वरी ९.वागीश्वरी
१०.चामुण्डा ११.वज्रवैरोचिनी१२.शिवदुति१३.कालसंकीर्शिणी १४.धनदा १५.मृत्युहरा और
१६.महास्वर्णकु टेश्वरी

#उर्धवाम्नाय- इसमे स्थित देवियो के नाम-


१.महात्रिपुरसुंदरी २.महामोहिनी ३.कामाँगकु शा ४.तैलोक्यविजयेता ५.नित्या

नि भो प्रि नि
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4/9/24, 11:53 AM Rahulnath OSGY: महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-५)
६.अनित्यभोगप्रिया ७.निलपताका ८.परं हसेश्वरी ९.तत्वधारिणी १०.धूमावती ११.कामाख्या
१२.विश्वरूपा १३.शक्तिसौपर्णी १४.बगलामुखी १५.धनरूपा और १६मोक्षलक्ष्मी

#अधाराम्नाय- इसमे स्थित देवियो के नाम-


१.भीमादेवी २.हटाके श्वरी ३.महामाया ४.उग्रा ५.वज्रचंडी ६.जवालेश्वरी ७.कु लेश्वरी
८.कालेश्वरी ९.भ्रामरी १०.शमशानकापालिनी ११.रक्तदन्तिका १२.शाम्बरी १३.महामारी
१४.सुरे श्वरी १५.महाडाकिनी और १६.ज्वालामालिनी

इन आमनायस्थ देवियो के अपने-अपने मंत्र है जिनसे तत्तद देवियों की पूजा आदि की


जाती है।दस महाविद्याएं भी इन्ही षडाम्नायो के अंतर्गत है।वे दश महाविद्याएं कौन है?
उनके ध्यान मंत्रादि क्या है?इनका संक्षिप्त एवं सारगर्भित वर्णन अगली पोस्ट में किया
जाएगा।

निम्लिखित पोस्ट को लिखने के लिए "महाकालसंहिता" का सहयोग लिया गया है।यदि ये


तंत्रोक्त जानकारी जिसका उद्गम भगवान शिव के मुखारबिंद से है यदि आप भक्तो को
पसंद आती है तो भविष्य में इस पे लगातार मेरी कलम चलते रहेगी।
क्रमशः

🚩जै श्री महाकाल🚩


।। राहुलनाथ।।™
📞 +919827374074(W),+917999870013
**** #मेरी_भक्ति_अघोर_महाकाल_की_शक्ति ****
चेतावनी:- यहां तांत्रिक-आध्यात्मिक ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर
कु छ मंत्र-तंत्र सम्बंधित पोस्ट मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।जिसे मानने के लिए
आप बाध्य नहीं है।तंत्र-मंत्रादि की जटिल एवं पूर्ण विश्वास से साधना-सिद्धि गुरु
मार्गदर्शन में होती है अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे ।लेखक किसी भी
कथन का समर्थन नही करता | किसी भी स्थिति के लिए लेखक जिम्मेदार नही होगा |
विवाद की स्थिति में न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़
🚩JAISHRRE MAHAKAL OSGY🚩
प्रस्तुतकर्ता Rahulnath Osgy पर 10:04 pm

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