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८.

आचंद्रसूर्य न ंदो
परिचर् :
ग. दद. म डगूळकि -
पूर्य न व - गज नन ददगंबि म डगूळकि (1919 - 1977) प्रदसद्ध कवी, कथ क ि, क दंबिीक ि,
पटकथ लेखक.
लेखन स दित्र् -
प्रदसद्ध क दंबिी - 'आक श ची फळे '
प्रदसद्ध क व्र्संग्रि - 'जोदगर् ', 'चैत्रबन', 'गीति म र्र्' इत्र् दी.
आत्मचरित्र - 'व टेविल्र् स वल्र् '
'जोदगर् ', 'चैत्रबन', 'मंतिलेले ददवस' र् पुस्तक न मि ि ष्ट्र श सन ची प रितोदिके दमळ ली आिेत.भ ित
सिक ितफे पद्मश्री दकत ब ने त्र् ंन सन्म दनत किण्र् त आले.गीत ि म र्र् च्र् िचनेनंति त्र् ंन
‘आधुदनक व दल्मकी' म्िर्ून ओळखले ज ऊ ल गले.
प्रस्तुत कदवत सुिेश गंग धि तुप्तेव ि र् ंनी संकलन केलेल्र् 'देशभक्ती गीत तून' घेतली आिे.
स्वतंत्र भ ित च पौि दर्क, ऐदति दसक व ि जकीर् दृष् ंत देऊन गौिव केलेल आिे.
(मूल्र् – देशप्रेम,देशभक्ती)

शब्द थय :
■ आचंद्रसूर्य - चंद्रसूर्य असेपर्ंत ■ प्रेदित- अनुर् र्ी

■ दिमवंत-दिम लर् ■ प थय - अजुयन ■ म धव - श्रीकृष्ट्र्

■ गीत ख्र्- भगवद्गीत ■ जनश सन - लोकसत्त ■ सीत िघूत्तम- सीत व श्रीि म

■ सत्र् थय- सत्र् स ठी


स्व ध्र् र् :
प्र.1 (ल ) ख लील पर् यर् तून र्ोग्र् तो पर् यर् दनवडून दलि .
(अ) ग. दद. म डगूळकि र् ंच जन्म र् विी झ ल .
(अ) 1977 (ब) 1919 (क) 1976 (ड) 1980
उत्ति - (ब) 1919
(आ) 'आक श ची फळे ' र् पुस्तक च स दित्र् प्रक ि ि आिे.
(अ) क दंबिी (ब) क व्र्संग्रि (क) आत्मचरित्र (ड) कथ संग्रि
उत्ति - (अ) क दंबिी
(ई) प थ यस बोध र् ंने केल .
(अ) श्रीि म न (ब) दशवब ने (क) म धव ने (ड) गौतम ने
उत्ति -(क) म धव ने
(उ) र्ेथे र् च प र् च सत्र् आिे.
(अ) जनश सन च (ब) भ ंडवलश िीच (क) िुकूमश िीच (ड) स वक िश िीच
उत्ति -(अ) जनश सन च
प्र. 2 ि ख लील प्रश् ंची उत्तिे एक व क्र् त दलि .

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1.गददम ंन भ ित सिक िने कोर्ते दकत ब ददले?
उत्ति -भ ित सिक िने गददम ंन पद्मश्री ि दकत ब ददल .
2.आधुदनक व दल्मकी असे कोर् ल म्िटले आिे?
उत्ति -गीत ि म र्र् च्र् िचनेनंति गददम ंन आधुदनक व दल्मकी असे म्िर्ून ओळखले ज ऊ ल गले.
3.र्ेथे मेळ कश च झ ल आिे?
उत्ति - इथे भ ित देश च स्वस मर्थर्य आदर् संर्म ि खून क र्य किर्े र् दोन गोष्ींच मेळ झ ल आिे.
4.निदसंि र्ोग्र्तेचे कोर् आिे?
उत्ति - दशव जीि ज ंच्र् स िखे निदसंि स िखे की जे व्र् घ्रनख्र् नी लढू शकत त अशी शूि म र्से आिेत.
5.ि देश कश चे स्तन्र् प्र् ल आिे
उत्ति - ि देश श्रीकृष्ट्र् ने भगवद्गीतेतून स ंदगतलेल्र् तत्वज्ञ न चे स्तन्र् दूध प्र् ल आिे.
प्र. 3 दोन तीन व क्र् त उत्तिे दलि .
1. िे क्षेत्र पुण्र्द र्ी कश ने बनले आिे?
उत्ति - र् भ ित त भ ितीर् ंच्र् स मर्थर् ंच आदर् संर्म च मन वि त ब ठेवण्र् च एकत्र मेळ बसलेल
आिे.तसेच दसद्ध थय गौतम बुद्ध जर्ू त्र् ंचे प्रतीक असून त्र् ंच जन्मिी भ ित तच झ ल आिे. अस ि
तथ गत म्िर्जेच भगव न गौतम बुद्ध ंस िख्र् मुळे भ ित िे पुण्र्द र्ी क्षेत्र बनले आिे.
2.पिस्पि ंच सन्म न दनत्र् आिे असे कवीने क म्िटले आिे?
उत्ति - र् भ ित देश ने लोकसत्त आदर् त्र् करित असर् ऱ्र् खऱ्र् गोष्ीच न्र् र् दनव ड कित न
ल गर् ऱ्र् गोष्ी र् दोघ ंच िी म न ि खल आिे. क िर् उच्च स्वि ने ग त न र् देश च्र् दवजर् गीत ंचे
आव ज उठत त.क िर् िे एक ज गत
ृ ि ष्ट्र आिे.
3.र् देश तील ज गती प्रथ कोर्ती?
उत्ति -र् देश तील सत्र् सदैव जर्गीत ग र्े,सव ंच सन्म न किर्े,पिस्पि ंच सन्म न ि खर्े िी र्
देश ची खिी ज गती प्रथ आिे.
प्र. 4- संदभ यसदित स्पष्ीकिर् कि
1.'शीि उं च उं च व्ि वे दिमवंत पवयत चे'
संदभय - विील क व्र्पंक्ती ग.दद.म डगूळकि र् ंच्र् 'आचंद्रसूर्य न ंदो' र् कदवतेतील असुन िी कदवत सु. ग.
े ि र् ंनी संकदलत केली आिे.
तुप्तव
स्पष्ीकिर् - र् गीत ंमधून भ ित ने मोठ्र् अदभम न ने आपली म न उं च वून ि ि वे असे म्िटले आिे
आदर् उं च असलेल्र् र् दिम लर् ची उं ची अदधक उं च व्ि वी.असे विील ओळीत कवी म्िर्त आिेत.
2. 'र्ेथे सद दनन दो जर्गीत ज गत
ृ चे'
संदभय - विील क व्र्पंक्ती ग.दद.म डगूळकि र् ंच्र् 'आचंद्रसूर्य न ंदो' र् कदवतेतील असुन िी कदवत सु. ग.
े ि र् ंनी संकदलत केली आिे.
तुप्तव
स्पष्ीकिर् - र् ओळीतन
ू कवीने असे म्िटले आिे की,र् भ ित देश त ग र्ली ज र् िी ग र्ी िी दवजर्श्री

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ची दवजर् ग थ असलेली ग र्ीच ग र्ली ज वीत.त्र् चे दनन द,आव ज सवयत्र उमटोत व र् भ ित देश त
नेिमी ज गत
ृ दस्थती न ंदो.
प्रश् 5.ख लील प्रश् ंची आठ दि ओळीत उत्तिे दलि .
1.कदवतेच स ि ंश थोडक्र् त दलि
स ि ंश - 'आचंद्रसूर्य न ंदो' र् ग.दद.म डगूळकि ंच्र् कदवतेतून स्वतंत्र भ ित च पौि दर्क ऐदति दसक व
ि जकीर् दृष् ंत देशभक्ती कशी अस वी िी भूमी कतयव्र्दक्ष असून मर् यद पुरुिोत्तम सीत ि म ची,
पि क्रम ने उं च दिम लर् च्र् त ठ म न ने ि िर् िी आिे.इथे दनि श पि भव नको.स मर्थर्य आदर् संर्म च
मेळ घ लून वतयन किर् ऱ्र् गौतम बुद्ध ंच जन्म र्ेथे झ ल .भ ित देश ि पुण्र् देर् ि आिे.क िर्
दवक्रमि ज स िखे िे ि ष्ट्र आिे आदर् िे स्व तंत्र्र् चंद्रसूर्य असे तोवि न ंदू देत असे कवीने म्िटले आिे.
भ ि अभ्र् स
अ. सम न थी शब्द दलि
1. बोध – अक्कल 2.झुंज – लढ ई 3.अमत
ृ - अमित्व प्र प्त करून देर् िे प्रर्
4.पवयत - डोंगि 5.चंद्र - शशी 6.सूर्य - भ स्कि
आ.सम स ओळख
1.आचंद्रसूर्य –
2.कतयव्र्दक्ष - कतयव्र् चे प लन किर् ि (कमयध िर् सम स)
3.पुण्र्द र्ी - पुण्र् देर् ि अस तो.(कमयध िर् सम स)

4.निदसंि - नि म्िर्जे पुरुि,दसंि म्िर्जे एक पि क्रमी जन वि (अलुक् तत्पुरुष समास )


इ. अलंक ि ओळख
िे ि ष्ट्र दवक्रम चे िे ि ष्ट्र श ंततेचे
उत्ति - दृष् ंत अलंक ि

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