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GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL

Course Curriculum

Class Items Duration (hours)


Class 1 Introduction of Poetry and its various forms 1.5
Class 2 Various Terminologies used in Ghazals 1.5
Class 3 Classification of Ghazal, Subject & Properties 1.5
Class 4 More about Radeef and Kafiya 1.5
Class 5 Mathematics of Ghazals (Counting Matras) 1.5
Class 6 Introduction of Rukn and Bahar 1.5
Class 7 Freedom of dropping matras in Ghazal 1.5
Class 8 Discussing some famous Ghazals 1.5
8 Classes Basics of Ghazals 12

1. कविता के अलग अलग रूप - परिचय


GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
2. ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ (उदाहरण सहहत)
▪ ग़ज़ल = एक समान िदीफ़ (समाांत) तथा भिन्न भिन्न क़िाफ़़ी(क़ाफफ़या का बहुिचन)
(तुकाांत) से सुसज्जित एक ही िज़्न (मात्रा क्रम) अथिा बह्'ि (छां द) में भलखे गए
अश'आि(शे'ि का बहुिचन) समूह को ग़ज़ल कहते हैं ज्िसमें शायि फकसी चचांतन विचाि
अथिा िािना को प्रकट किता है
▪ शाइर / सख़
ु नवर = उदू काव्य भलखने िाला
▪ शाईरी = उदू काव्य लेखन
▪ ग़ज़लगो = ग़ज़ल भलखने िाला
▪ ग़ज़लगोई = ग़ज़ल भलखने क़ी प्रफक्रया
▪ शे'र = िदीफ़ तथा क़ाफफ़या से सुसज्जित एक ही िज़्न ( मात्रा क्रम) अथाूत बह्'ि में
भलखी गई दो पांज्ततयााँ ज्िसमें फकसी चचांतन विचाि अथिा िािना को प्रकट फकया गया
हो| उदाहिण स्िरूप दो अश'आि (शे'ि का बहुिचन) प्रस्तुत हैं -

फ़क़़ीिाना आये सदा कि चले


भमयााँ खुश िहो हम द'ु आ कि चले ||१||
िह तया चीज़ है आह ज्िसके भलए
हि इक चीज़ से ददल उठा कि चले ||२|| - (मीि तक़़ी मीि)
▪ अश'आर = शे'ि का बहुिचन
▪ फ़दथ = एक शे'ि | {पुिाने समय में फदू विधा प्रचचभलत थी िो ग़ज़ल क़ी उपविधा थी| िैसे
आि कतअ का मुसम्मन रूप प्रचचभलत है अथाूत अब कतअ ४ भमसिों में कही िाती है
(पुिानी कतआत में २ से अचधक अशआि िी भमलते हैं) आि अगि शायि कहता है फक
कतअ पढता हूाँ तो श्रोता समझ िाते हैं फक शायि चाि भमसिों क़ी िचना पढ़े गा, उसी
प्रकाि एक स्ितांत्र शेि को फदू कहा िाता है िब कोई शायि कहता था फक फदू पढता हूाँ
तो श्रोता समझ िाते थे फक अब शायि कुछ स्ितांत्र शेि पढ़ने िाला है | अशआि कहने से
यह पता चलता है फक सिी शेि एक िमीन के हैं औि फदू से पता चलता है फक सिी
शेि अलग अलग िमीन से हैं}
▪ मिसरा = शे'ि क़ी प्रत्येक पांज्तत को भमसिा कहते हैं, इस प्रकाि एक शे'ि में दो पांज्ततयााँ
अथाूत दो भमसिे होते हैं
• मिसरा -ए- उला= शे'ि क़ी पहली पांज्तत को भमसिा -ए- उला कहते हैं 'उला' का
शज्ददक अथू है 'पहला'

उदाहिण = हो गई है पीि पिूत सी वपघलनी चादहए <-- भमसिा -ए- उला


इस दहमालय से कोई गांगा ननकलनी चादहए - (दष्ु यांत त्यागी)
• मिसरा -ए- सानी = शे'ि क़ी दस
ू िी पांज्तत को भमसिा -ए- सानी कहते हैं 'सानी' का
शज्ददक अथू है 'दस
ू िा'

उदाहिण = हो गई है पीि पिूत सी वपघलनी चादहए


इस दहमालय से कोई गांगा ननकलनी चादहए <-- भमसिा ए सानी
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL

▪ रदीफ़ = िह समाांत शदद अथिा शदद समूह िो मतले (ग़ज़ल का पहला शे'ि) के दोनों भमसिों
के अांत में आता है तथा अन्य अश'आि के भमसिा -ए- सानी अथाूत दस
ू िी पांज्तत के अांत में
आता है औि पूिी ग़ज़ल में एक सा िहता है उसे िदीफ़ कहते हैं

उदाहिण = आग के दिभमयान से ननकला


मैं िी फकस इज्म्तहान से ननकला
चााँदनी झाांकती है गभलयों में
कोई साया मकान से ननकला - (शकेब िलाली)
प्रस्तुत अश'आि में से 'ननकला' िदीफ़ है
▪ काफफ़या = िह शदद िो प्रत्येक शे'ि में िदीफ़़़ के ठीक पहले आता है औि सम तुकाांतता के
साथ हि शे'ि में बदलता िहता है उसे क़ाफफ़या कहते हैं , शे'ि का आकर्ूण क़ाफफ़ये पि ही
दटका होता है क़ाफफ़ये का ज्ितनी सुांदिता से ननिूहन फकया िायेगा शे 'ि उतना ही प्रिािशाली
होगा

उदाहिण = फकस महूित में ददन ननकलता है


शाम तक भसफू हाथ मलता है
िक़्त क़ी ददल्लगी के बािे में
सोचता हूाँ तो ददल दहलता है -(बाल स्िरूप िाही)

अब हम िदीफ़क़ी पहचान कि सकते हैं इसभलए स्पष्ट है फक प्रस्तुत अश'आि में 'है' शदद
िदीफ़़़ है तथा उसके पहले के शदद ननकलता, मलता, दहलता सम तुकान्त शदद हैं तथा
प्रत्येक शे'ि में बदल िहे हैं इसभलए यह क़ाफफ़या है
▪ ितला = ग़ज़ल का पहला शे'ि ज्िसके दोनों भमसिों में क़ाफफ़या िदीफ़़़ होता है उसे मतला
कहते हैं

उदाहिण = बहुत िहा है किी लुत्फ़-ए-याि हम पि िी


गुज़ि चुक़ी है ये फ़स्ल-ए-बहाि हम पि िी || मतला ||
खता फकसी फक हो लेफकन खुली िो उनक़ी ज़बााँ
तो हो ही िाते हैं दो एक िाि हम पि िी || दस
ू िा शे'ि || - (अकबि इलाहाबादी)

▪ हुस्ने ितला = यदद ग़ज़ल में मतला के बा'द औि मतला हो तो उसे हुस्ने मतला कहा िाता
है

उदाहिण= ज्िक्र तबस्सुम का आते ही लगते हैं इतिाने लोग


औि ज़िा सी ठे स लगी तो िा पहुांचे मैखाने लोग || मतला ||
मेिी बस्ती में िहते हैं ऐसे िी दीिाने लोग
िात के आाँचल पि भलखते हैं ददन िि के अफ़साने लोग || हुस्ने मतला ||
- (अतीक इलाहाबादी)
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
प्रस्तुत अश'आि में पहला शे'ि मतला है तथा दस
ु िे शे'ि के भमसिा उला (पहली पांज्तत) में िी
िदीफ़़़ क़ाफफ़या का ननिूहन हुआ है इसभलए यह शे'ि हुस्ने मतला है

▪ तख़ल्लुस - उदू काव्य विधाओां क़ी िचनाओां के अांत में नाम अथिा उपनाम भलखने का प्रचलन
है | उपनाम को उदू में तखल्लस
ु कहते हैं |

उदाहिण = हुई मुद्दत फक 'ग़ाभलब' मि गया पि याद आता है


िो हि इक बात पि कहना फक, याँू होता तो तया होता - (असदउल्लाह खान 'ग़ाभलब')
इस शे'ि में शायि ने अपने तखल्लस
ु 'ग़ाभलब' का प्रयोग फकया है |

▪ िक़्ता = ग़ज़ल के आख़खिी शे'ि को मक़्ता कहते हैं इस शे'ि में शायि किी किी अपना
तखल्लस
ु (उपनाम) भलखता है |

उदाहिण = अिनबी िात अिनबी दनु नया


तेिा मिरूह अब फकधि िाये - (मिरूह सुल्तानपुिी)
यह मिरूह सल्
ु तानपिु ी क़ी ग़ज़ल का आख़खिी शे'ि है ज्िसमें शायि ने अपने तखल्लस

'मिरूह' (शाज्ददक अथू - घायल) का सुन्दि प्रयोग फकया है

▪ िुरद्दफ़ ग़ज़ल = िदीफ़़़िाि| िो ग़ज़ल ज्िसमें िदीफ़़़ होता है उसे मुिद्दफ़ ग़ज़ल कहते हैं

उदाहिण = उनसे भमले तो मीना-ओ-साग़ि भलए हुए


हमसे भमले तो िांग का तेिि भलए हुए
लड़क़ी फकसी ग़िीब क़ी सड़कों पे आ गई
गाली लबों पे हाथ में पत्थि भलए हुए - (िमील हापुडी)
प्रस्तत
ु अश'आि में 'भलए हुए' िदीफ़़़ है इसभलए यह मिु द्दफ़ ग़ज़ल है

▪ ग़़ैर िुरद्दफ़ ग़ज़ल = ज्िस ग़ज़ल में िदीफ़ नहीां होता है उसे ग़ैि मुिद्दफ़ ग़ज़ल कहते हैं

उदाहिण = िाने िाले तझ


ु े कब दे ख सकांू बािे दीगि
िोशनी आाँख क़ी बह िायेगी आसूां बन कि
िो िहा था फक तेिे साथ हाँसा था बिसों
हाँस िहा हूाँ फक कोई दे ख न ले दीदा-ए-ति - (शाज़ तमकनत)
प्रस्तुत अश'आि के पहले शे'ि में भमसिे 'दीगि', 'कि' शदद से समाप्त हुए हैं िो फक समतुकाांत
हैं तथा अलग अलग हैं इसभलए स्पष्ट है फक यह िदीफ़़़ के न हो कि क़ाफफ़या के शदद हैं
औि इस शे'ि में िदीफ़ नहीां है इस प्रकाि आगे के शे'ि में िी क़ाफफ़या को ननिाते हुए ति
शदद आया है इससे सुननज्चचत होता है फक यह ग़ैि मुिद्दफ़ ग़ज़ल है |

▪ िुसल्सल ग़ज़ल = ग़ज़ल का प्रत्येक शे'ि अपने आप में पूणू होता है तथा शायि ग़ज़ल के
प्रत्येक शे'ि में अलग अलग िाि को व्यतत कि सकता है पिन्तु िब फकसी ग़ज़ल के सिी
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अश'आि एक ही िाि को केन्र मान कि भलखे गए हों तो ऐसी ग़ज़ल को मुसल्सल ग़ज़ल
कहते हैं|

▪ ग़़ैर िुसल्सल ग़ज़ल = ग़ज़ल के प्रत्येक शे'ि अलग अलग िाि को व्यतत किें तो ऐसी ग़ज़ल
को ग़ैि मस
ु ल्सल ग़ज़ल कहते हैं

▪ वज़्न = मात्रा क्रम, फकसी शदद के मात्रा क्रम को उस शदद का िज़्न कहा िाता है

उदाहिण - कुछ शददों का मात्रत्रक विन्यास दे खें


शदद – िज़्न “
सदा - फ़अल (१२) लघु दीघू
सादा - फैलुन (२२) दीघू दीघू
साद - फ़ाअ (२१) दीघू लघु
हिा - फ़अल (१२) लघु दीघू
िाह - फ़ाअ (२१) दीघू लघु
हािा - फैलन
ु (२२) दीघू दीघू

▪ रुक्न = गण, घटक, पद, ननज्चचत मात्राओां का पुांि| िैसे दहांदी छां द शास्त्र में गण होते हैं , यगण
(२२२), तगण (२२१) आदद उस तिह ही उदू छन्द शास्त्र 'अरूज़' में कुछ घटक होते हैं िो
रुतन कहलाते हैं|
बहुिचन=अिकान
उदाहिण - फ़ा, फ़ेल, फ़अल , फ़ऊल, फ़इलुन, फ़ाइलुन फ़ाइलातुन, मुफ़ाईलुन आदद

o रुक्न के भेद - १ - साभलम रुतन २- मुज़ादहफ रुतन


▪ १ सामलि रुक्न - अरूज़शास्त्र में साभलम अिकान क़ी सांख्या आठ कही गई है
अन्य रुतन इन मूल अिकान में दीघू को लघु किके अथिा मात्रा को कम
किके बने हैं ये 7 मूल अिकान ननम्न हैं
रुतन - रुतन का नाम - मात्रा
फ़ईलन
ु - मत
ु क़ारिब - १२२
फ़ाइलुन - मुतदारिक - २१२
मुफ़ाईलुन - हिज़ - १२२२
फ़ाइलातुन - िमल - २१२२
मुस्तफ़्यलुन - ििज़ - २२१२
मत
ु फ़ाइलन
ु - काभमल - ११२१२
मफ़ाइलतुन - िाफफ़ि - १२११२
▪ २ िुज़ाहहफ रुक्न - परििनतूत रुतन| मुज़ादहफ़ शदद ज्ज़हाफ़ से बना है| िब
फकसी मल
ू रुतन से फकसी मात्रा को कम किके अथिा घटा कि एक नया
रुतन प्राप्त किते हैं तो उसे मुज़ादहफ़ रुतन कहते हैं
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उदाहिण = हिज़ के मूल रुतन मुफ़ाईलुन (१२२२) क़ी तीसिी मात्रा को लघु
किने से मुफ़ाइलुन (१२१२) रुतन बनता है िो हिज़ का एक मुज़ादहफ़ रुतन
है.
ििज़ का मूल रुतन हैं मुस्तफ़्यलुन(२२१२), इस मूल रुतन से
मफ़ाइलुन(१२१२), फ़ाइलुन (२१२), मफ़ऊलुन (२२२) आदद उप रुतन बनाया िा
सकता है |
प्रत्येक मूल रुतन से उप रुतन बनाये गए हैं तथा अरूज़ानुसाि इनक़ी सांख्या
सनु नज्चचत है
▪ अरकान = रुतन का बहुिचन, रुतन के दोहिाि से िो समूह से ननभमूत होते है उसे अिकान
कहते हैं, यह छां द का सूत्र होता है औि फकसी रुतन का शे'ि में फकतनी बाि औि कैसे प्रयोग
हुआ है इससे ग़ज़ल क़ी बह्'ि का िास्तविक रूप सामने आता है

उदाहिण = – “फ़ाइलातुन”(२१२२) िमल का मूल रुतन है


फ़ाइलातुन / फ़ाइलातुन / फ़ाइलातुन / फ़ाइलातुन (२१२२/२१२२/२१२२/२१२२)
यह रुतनों का एक समह
ू है ज्िसमें िमल के मूल रुतन फ़ाइलातन
ु को चाि बाि िखा गया है
ऐसा किने से एक बह्'ि(छां द) का ननमाूण होता है ज्िसे “बह्'ि-ए-िमल मुसम्मन साभलम” कहते
हैं| इस अिकान पि शे'ि भलखा/कहा िा सकता है |

▪ बह्'र = छां द, िह लयात्मकता ज्िस पि ग़ज़ल भलखी/ कही िाती है

उदाहिण = बह्'ि -ए- िमल, बह्'ि -ए- हिज़, बह्'ि -ए- ििज़ आदद
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3. ग़ज़ल का वगीकरण, ववषय और अच्छी ग़ज़ल के गण



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4. रदीफ़ और काफफ़या

▪ रदीफ िदीफ़ अिबी शदद है इसक़ी उत्पवि “िद्” धातु से मानी गयी है| िदीफ का शाज्ददक अथू
है '“पीछे चलाने िाला'” या '“पीछे बैठा हुआ'” या 'दल्
ू हे के साथ घोड़े पि पीछे बैठा छोटा लड़का'
(बल्हा)| ग़ज़ल के सन्दिू में िदीफ़ उस शदद या शदद समूह को कहते हैं िो मतला (पहला
शेि) के भमसिा ए उला (पहली पांज्तत) औि भमसिा ए सानी (दस
ू िी पांज्तत) दोनों के अांत में
आता है औि हू-ब-हू एक ही होता है यह अन्य शेि के भमसिा-ए-सानी (द्वितीय पांज्तत) के
सबसे अांत में हू-ब-हू आता है |

उदाहिण –
हो गयी है पीि पिूत सी वपघलनी चाहहए इस दहमालय से कोई गांगा ननकलनी चाहहए – (दष्ु यांत
कुमाि)

इस मतले में दोनों पांज्तत के अांत में “चाहहए” शदद हू-ब-हू आया है औि इसके पहले क्रमशः
“विघलनी” औि “ननकलनी” शदद आया है िो समतक ु ाांत तो है पिन्तु शदद अलग अलग हैं
इसभलए यह िदीफ का हफ़ू नहीां हो सकता है अतः मतले में हफे िदीफ तय हुआ – “चाहहए”,
अब यदद ग़ज़ल में औि मतला नहीां है अथाूत हुस्ने मतला नहीां है तो आगे के शेि में
“चादहए” िदीफ हि शेि क़ी दस
ू िी पांज्तत के अांत में आएगा | आगे के शेि दे खें -

मेिे सीने में नहीां तो तेिे सीने में सही


हो कहीां िी आग लेफकन आग िलनी चाहहए

ग़ज़ल के मतले में िो शदद अथिा शदद समह


ू हफ़ू -ए- िदीफ ननधाूरित हो िाता है
अरूज़ानुसाि िह ग़ज़ल में आगे के हि शेि में हू-ब-हू िहता है| एक मात्रा या अनुस्िाि क़ी घट
बढ़ िी सांिि नहीां है यदद कोई बदलाि फकया िाता है तो शेि दोर्पूणू हो िाता है

कुछ औि शेि में िदीफ दे खें -

फटी कमीि नुची आस्तीन कुछ तो ह़ै


गिीब शमो हया में हसीन कुछ तो ह़ै
फकधि को िाग िही है इसे खबि ही नहीां
हमािी नस्ल बला क़ी िहीन कुछ तो ह़ै

भलबास क़ीमती िख कि िी शहि नांगा है


हमािे गााँि में मोटा महीन कुछ तो ह़ै
(पद्मश्री बेकल उत्साही)
प्रस्तुत अशआि में "कुछ तो ह़ै " हफ़ू-ए-िदीफ है

बेनाम सा ये ददू ठहि क्यों नहीं जाता


GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
िो बीत गया है िो गुिि क्यों नहीं जाता

िो एक ही चेहिा तो नहीां सािे िहााँ में


िो दिू है िो ददल से उति क्यों नहीं जाता

मैं अपनी ही उअलाझी हुई िाहों का तमाशा


िाते हैं ज्िधि सब मैं उधि क्यों नहीं जाता
( ननदा फ़ािली )
प्रस्तुत अशआि में क्यों नहीं जाता हफ़ू-ए-िदीफ है

कदठन है िाह गुिि र्ोडी दरू सार् चलो बहुत कडा है सफि र्ोडी दरू सार् चलो

नशे में चूि हूाँ मैं िी, तुम्हें िी होश नहीां


बड़ा मिा हो अगि र्ोडी दरू सार् चलो

यह एक शब क़ी मुलाक़ात िी गनीमत है


फकसे हैं कल फक खाि र्ोडी दरू सार् चलो (अहमद फिाज़)
प्रस्तुत अशआि में र्ोडी दरू सार् चलो हफ़ू-ए-िदीफ है

आकाि के आधाि पि िदीफ का तीन िेद फकया िा सकता है


१- छोटी रदीफ – ऐसी िदीफ िो मात्र एक अक्षि या एक शदद क़ी हो छोटी िदीफ कहलाती है
उदाहिण –
भसलभसला िख्म िख्म िािी ह़ै
ये िमीन दिू तक हमािी ह़ै
मैं बहुत कम फकसी से भमलता हूाँ
ज्िससे यािी है उससे यािी ह़ै
(अख्ति नजमी)
प्रस्तुत अशआि में ह़ै हफ़ू-ए-िदीफ है िो फक केिल एक अक्षि क़ी है | यह छोटी िदीफ है

२- िझली रदीफ - ऐसी िदीफ िो दो-तीन शदद क़ी हो तथा भमसिे क़ी लम्बाई के अनुपात में
आधे भमसिे से छोटी हो उसे मझली िदीफ कहा िायेगा|
उदाहिण –
तेिी िन्नत से दहिित कर रहे हैं
फ़रिचते तया बगाित कर रहे हैं
हम अपने िुमू का इकिाि कि लें
बहुत ददन से ये दहम्मत कर रहे हैं
(पद्मश्री बशीि बर)
प्रस्तुत अशआि में कर रहे हैं हफ़ू-ए-िदीफ है िो फक तीन शदद क़ी है | भमसिे क़ी लम्बाई
अनस
ु ाि यह मझली िदीफ है
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३ - लंबी रदीफ – ज्िस ग़ज़ल के भमसिे में एक दो शदद के अनतरितत पूिे शदद िदीफ के हो
अथिा भमसिे क़ी लम्बाई अनुसाि भमसिे में आधे से अचधक शदद िदीफ का अांश हो, उसे लांबी
िदीफ कहा िायेगा

उदाहिण –
त्रबखि िाने की जजद िें तुि र्े हि भी
फक टकिाने की जजद िें ति
ु र्े हि भी
अगि तुम हुस्न थे तो हम ग़ज़ल थे
भसतम ढाने की जजद िें तुि र्े हि भी
(िीनस केसिी)

ये नतचनगी का सफर खत्ि क्यों नहीं होता


मेिी नदी का सफर खत्ि क्यों नहीं होता
हुनि िी है, मेिे माभलक फक मुझ पे िहमत िी
तो मुज्फ़्लसी का सफर खत्ि क्यों नहीं होता
(िीनस केसिी)

िुरद्दफ़ ग़ज़ल = ज्िस ग़ज़ल में िदीफ होती है उसे िुरद्दफ़ ग़ज़ल कहते हैं, इस लेख में ऊपि
क़ी सिी ग़ज़लें इसका उदाहिण हैं

ग़ैर िुरद्दफ़ = अरूिानुसाि ऐसी ग़ज़ल िी कही िा सकती है ज्िसमें िदीफ न हो | ऐसी
ग़ज़ल को ग़ैर िुरद्दफ़ ग़ज़ल कहते है

उदाहिण –
इस िाि को तया िानें सादहल के तिाशाई हम डूब के समझे हैं दरिया तेिी गहराई
ये िब्र िी दे खा है तािीख क़ी नज़िों ने
लम्हों ने खता के थी सददयों ने सज़ा िाई

तया सनेहा याद आया 'िजमी' क़ी तबाही का


तयों आपक़ी नाज़क
ु सी आखों में नमी आई (मज़
ु फ्फफ़ि िजमी)

अशआि के अांत में क्रमशः तिाशाई, गहराई, िाई, आई शदद आ िहा है िो समतुकाांत है पिन्तु
हू-ब-हू िही नहीां है इसभलए यह िदीफ के हफ़ू नहीां हो सकते हैं अतः ग़ज़ल में िदीफ नहीां है
औि इस ग़ज़ल को गैि मिु द्दफ़ कहें गे
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▪ काफफया अिबी शदद है ज्िसक़ी उत्पवि “कफु” धातु से मानी िाती है| काफफया का शाज्ददक
अथू है 'जाने के मलए त़ैयार' | ग़ज़ल के सन्दिू में काफफया िह शदद है िो समतुकाांतता के
साथ हि शेि में बदलता िहता है यह ग़ज़ल के हि शेि में िदीफ के ठीक पहले ज्स्थत होता
है
उदाहिण -
हो गयी है पीि पिूत सी वपघलनी चादहए
इस दहमालय से कोई गांगा ननकलनी चादहए

मेिे सीने में नहीां तो तेिे सीने में सही


हो कहीां िी आग लेफकन आग िलनी चादहए – (दष्ु यांत कुमाि)

िदीफ से परिचय हो िाने के बाद हमें पता है फक प्रस्तुत अशआि में चाहहए हफ़ू-ए-िदीफ है
इस ग़ज़ल में “विघलनी”, “ननकलनी”, “जलनी” शदद हफू -ए- िदीफ ‘चादहए’ के ठीक पहले
आये हैं औि समतुकाांत हैं, इसभलए यह हफ़ू-ए-किाफ़ी (किाफ़ी = काफफया का बहुिचन) हैं
औि आपस में हम काफफया शदद हैं
स्पष्ट है फक काफफया िो शदद होता है िो समस्ििाांत के साथ बदलता िहता है औि हि शेि
में हफ़ू -ए- िदीफ के ठीक पहले आता है अथाूत मतले क़ी दोनों पांज्तत में औि अन्य शेि
क़ी दस
ू िी पांज्तत में आता है |

काफफया ग़ज़ल का केन्र त्रबांद ु होता है, शायि काफफया औि िदीफ के अनस
ु ाि ही शेि भलखता
है, ग़ज़ल में िदीफ सहायक िूभमका में होती है औि ग़ज़ल के हुस्न को बढाती है पिन्तु
काफफया ग़ज़ल का केन्र होता है , आपने "क्रम -१ िदीफ़" लेख में पढ़ा है फक,
"ग़ज़ल त्रबना िदीफ के िी कही िा सकती है" पिन्तु काफफया के साथ यह छूट नहीां
भमलती, ग़ज़ल में हफ़ू-ए-किाफ़ी का होना अननिायू है , यह ग़ज़ल का एक मूलिूत तत्ि है
अथाूत ज्िस िचना में किाफ़ी नहीां होते उसे ग़ज़ल नहीां कहा िा सकता
कुछ औि उदाहिण से काफफया को समझते हैं -

फटी कमीि नुची आस्तीन कुछ तो है


गिीब शमो हया में हसीन कुछ तो है

फकधि को िाग िही है इसे खबि ही नहीां


हमािी नस्ल बला क़ी जहीन कुछ तो है

भलबास क़ीमती िख कि िी शहि नांगा है


हमािे गााँि में मोटा िहीन कुछ तो है (बेकल उत्साही)
प्रस्तुत अशआि में आस्तीन, हसीन, जहीन, िहीन हफ़ू-ए-किाफ़ी हैं

बेनाम सा ये ददू ठहर तयों नहीां िाता


िो बीत गया है िो गुजर तयों नहीां िाता
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
िो एक ही चेहिा तो नहीां सािे िहााँ में
िो दिू है िो ददल से उतर तयों नहीां िाता

मैं अपनी ही उअलाझी हुई िाहों का तमाशा


िाते हैं ज्िधि सब मैं उिर तयों नहीां िाता ( ननदा फ़ािली )
प्रस्तुत अशआि में ठहर, गुजर, उतर, उिर हफ़ू-ए-किाफ़ी हैं

कदठन है िाह गज
ु र थोड़ी दिू साथ चलो
बहुत कडा है सफर थोड़ी दिू साथ चलो

नशे में चूि हूाँ मैं िी, तुम्हें िी होश नहीां


बड़ा मिा हो अगर थोड़ी दिू साथ चलो

यह एक शब क़ी मुलाक़ात िी गनीमत है


फकसे हैं कल फक खबर थोड़ी दिू साथ चलो (अहमद फिाज़)
प्रस्तत
ु अशआि में गज
ु र, सफर, अगर, खबर हफ़ू-ए-किाफ़ी हैं

काफफया ववज्ञान

काफफया से प्रथम परिचय के बाद अब हम फकसी ग़ज़ल में हफ़ू -ए- किाफ़ी को पहचान
सकते हैं, ग़ज़ल कहते समय मतला में काफफया का चुनाि बहुत सोच समझ कि किना
चादहए, तयोफक यह ग़ज़ल का केन्र होता है आप िैसा किाफ़ी चन
ु ेंगे आगे के शेि िी िैसे ही
बनेंगे| यदद आप ऐसा कोई काफफया चुन लेते हैं ज्िसके हम काफफया शदद न हों तो आप
ग़ज़ल में अचधक शेि नहीां भलख पायेंगे अथिा एक हफ़ू -ए- काफफया को कई शेि में प्रयोग
किें गे| ग़ज़ल में एक हफ़ू -ए- काफफया को कई शेि में प्रयोग किना दोर्पूणू तो नहीां माना
िाता है पिन्तु यह हमािे शदद िण्डाि क़ी कमी को दशाूता है तथा अच्छा नहीां समझा िाता
है| यदद हमने ऐसा काफफया चन
ु भलया ज्िसके हम-काफफया शदद भमलने मज्ु चकल हों अथिा
अप्रचचभलत हों तो हमें तांग हफ़ू -ए- काफफया पि शेि भलखना पड़ेगा|
िैस-े मतला में “पसांद” औि “बांद” काफफया िखने के बाद शायि अरूिनुसाि मिबूि हो िायेगा
क़ी “छां द” “कांद” आदद हफ़ू ए किाफ़ी पि शेि भलखे| इससे ग़ज़ल में कथ्य क़ी व्यापकता पि
प्रनतकूल प्रिाि पड़ता है|
शेि में हि -ए- काफफया ऐसा होना चादहए िो आम बोल चाल में इस्तेमाल फकया िाता है ि
ज्िसका अथू अलग से न बताना पड़े तयोफक ग़ज़ल सुनते/पढते समय श्रोता/पाठक काफफया
को लेकि ही सबसे अचधक उत्सुक होता है फक इस शेि में कौन सा काफफया बााँधा गया है
औि िब काफफया सिल औि सटीक औि सधा हुआ होता है तो श्रोता चमत्कृत हो िाता है
औि यह चमत्काि ही उसे आत्मवििोि कि दे ता है |

(यहााँ सामान्य शददों में काफफया के प्रकाि क़ी चचाू क़ी गयी है ज्िससे नए पाठकों को
काफफया के िेद समझने में आसानी हो, िल्द ही काफफया के िेद ि प्रकाि पि अरूिानस
ु ाि
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
आलेख िी प्रस्तुत फकया िायेगा)

मुख्यतः काफफया दो प्रकाि के होते हैं


१ – स्िि काफफया
२ – व्यांिन काफफया

१- स्वर काफफया
ज्िस काफफया में केिल स्िि क़ी तुकाांतता िहती है उसे स्िि काफफया कहते हैं

स्िि काफफया के प्रकाि


आ मात्रा का काफफया ऐसा हफ़ू –ए- काफफया ज्िसमें केिल आ मात्रा क़ी तुकाांतता ननिानी हो
उसे आ स्िि का काफफया कहें गे
िैसे –
ददल-ए- नादाां तुझे हुआ तया है
आख़खि इस ददू क़ी दिा तया है -(ग़ाभलब)

शेि में तया है िदीफ है , औि हुआ, दिा किाफ़ी हैं | काफफया के शददों को दे खें तो इनमें आपस
में केिल आ क़ी मात्रा क़ी ही तुकाांतता है औि उसके पहले हफे काफफया में क्रमशः ““अ””
“औि “ि” आ िहा है िो समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में शायि को छूट है फक
काफफया के भलए ऐसे शदद इस्तेमाल कि सके िो ““आ”” क़ी मात्रा पि खत्म होता हो | आगे
के शेि दे खें फक 'ग़ाभलब' ने तया हफे काफफया िखा है

हम हैं मुचताक औि िो बेिाि


या इलाही ये माििा तया है

आ मात्रा के काफफया पि दस
ू िी ग़ज़ल के दो शेि औि दे खें -

बोलता है तो पता लगता है


िख्म उसका िी नया लगता है

िास आ िाती है तन्हाई िी


एक दो िोि बुि ा लगता है -(शक़ील िमाली)

ई मात्रा का काफफया ऐसा हफ़ू –ए- काफफया ज्िसमें केिल ई मात्रा क़ी तुकाांतता ननिानी हो
उसे ई स्िि का काफफया कहें गे
िैसे –
लूटा गया है मुझको अिब ददल्लगी के साथ
इक हादसा हुआ है मेि ी बेबसी के साथ -(सुिेश िामपुिी)
शेि में के साथ िदीफ है , औि ददल्लगी, बेबसी हफू -ए- किाफ़ी हैं | किाफ़ी को दे खें तो इनमें
आपस में केिल ई क़ी मात्रा क़ी ही तुकाांतता है औि उसके पहले हफू -ए- किाफ़ी में क्रमशः
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
“”ग”” “औि “स”” आ िहा है िो समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में शायि को छूट
है फक काफफया में ऐसे कोई िी शदद िख सके िो “ई” क़ी मात्रा पि खत्म होता हो | आगे के
शेि दे खें फक शायि ने तया हफू-ए- किाफ़ी िखा है
मुझपे लगा िहा था िही आि कहकहे
भमलता था सदा िो मझ
ु े शभमिंदगी के साथ

मैं तयों फकसी से उसक़ी िफा का चगला करूाँ


मिबूरियाां बहुत हैं हि इक आदमी के साथ

ई मात्रा के काफफया पि दस
ू िी ग़ज़ल के दो शेि औि दे खें –
कहीां शबनम कहीां खुशबू कहीां ताज़ा कली िखना
पुिानी डायिी में खूबसूित ज्ज़ांदगी िखना

गिीबों के मकानों पि भसयासत खूब चलती है


कहीां पि आग िख दे ना कहीां पि चाांदनी िखना (इांतज़ाि गािीपुि ी)

ऊ मात्रा का काफफया ऐसा हफ़ू –ए- काफफया ज्िसमें केिल ऊ मात्रा क़ी तुकाांतता ननिानी हो
उसे ऊ स्िि का काफफया कहें गे
िैसे –
खैि गुििी क़ी तू नहीां ददल में
अब कोई आििू नहीां ददल में (अल्हड बीकानेिी)

इसमें नहीां ददल में िदीफ है , औि 'तू', 'आििू' हफू -ए- किाफ़ी है | किाफ़ी को दे खें तो इनमें
आपस में केिल ऊ क़ी मात्रा क़ी ही समतुकाांतता है औि उसके पहले हफे काफफया में क्रमशः
“”त” “औि “ि”” आ िहा है िो फक समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में शायि को
छूट है फक काफफया में ऐसे कोई िी शदद िख सके िो “ऊ” क़ी मात्रा पि खत्म होता हो| आगे
के शेि दे खें फक शायि ने तया हफे काफफया िखा है
मय पे मौकूफ धडकनें ददल क़ी
एक कतिा लहू नहीां ददल में

ऊ मात्रा के काफफया पि दस
ू िी ग़ज़ल के दो शेि औि दे खें –

हि खुशी क़ी आाँख में आांसू भमले


एक ही भसतके के दो पहलू भमले

अपने अपने हौसले क़ी बात है


सूयू से भिडते हुए िुगनू भमले (िहीि कुिै शी)

ए मात्रा का काफफया ऐसा हफ़ू –ए- काफफया ज्िसमें केिल ए मात्रा क़ी तक
ु ाांतता ननिानी हो
उसे ए स्िि का काफफया कहें गे
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
िैसे –
अब काम दआ
ु ओां के सहािे नहीां चलते
चािी न ििी हो तो ख़खलौने नहीां चलते (शक़ील िमाली)

इसमें नहीं चलते िदीफ है, औि सहारे , खखलौने हफू -ए- किाफ़ी हैं | किाफ़ी को दे खें तो इनमें
आपस में केिल ए मात्रा क़ी ही समतुकाांतता है औि उसके पहले हफे किाफ़ी में क्रमशः ि
“औि न आ िहा है िो फक समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में शायि को छूट है
फक काफफया में ऐसे कोई िी शदद िख सके िो “ए” क़ी मात्रा पि खत्म होता हो | आगे के शेि
दे खें फक शायि ने तया हफे काफफया िखा है

इक उम्र के त्रबछडों का पता पूछ िहे हो


दो िोि यहााँ खून के रिचते नहीां चलते

भलखने के भलए कौम के दःु ख ददू बहुत हैं


अब शेि में महबूब के नखिे नहीां चलते

ए मात्रा के काफफया पि दस
ू िी ग़ज़ल के दो शेि औि दे खें –

उसको नीांदें मुझको सपने बााँट गया


ितत िी कैसे कैसे तोहफे बााँट गया

अगली रूत में फकसको पहचानेंगे हम


अब के मौसम ढे िो चेहिे बााँट गया

घि का िेदी लांका ढाने आया था


िाते िाते िेद अनोखे बााँट गया

ओ मात्रा का काफफया ऐसा हफ़ू –ए- काफफया ज्िसमें केिल ओ मात्रा क़ी तुकाांतता ननिानी हो
उसे ओ स्िि का काफफया कहें गे
िैसे –
हाथ पकड़ ले अब िी तेिा हो सकता हूाँ मैं
िीड़ बहुत है इस मेले में खो सकता हूाँ मैं ( आलम खुशीद)

इसमें सकता हूाँ मैं िदीफ है, औि हो तथा खो हफू -ए- किाफ़ी हैं | किाफ़ी को दे खें तो इनमें
आपस में केिल ओ मात्रा क़ी ही समतुकाांतता है औि उसके पहले हफे काफफया में क्रमशः
“”ह” “औि “ख” आ िहा है िो फक तुकाांत नहीां है , इसभलए इसके अन्य शेि में शायि को छूट है
फक काफफया में ऐसे कोई िी शदद िख सके िो “ओ” क़ी मात्रा पि खत्म होता हो | आगे के
शेि दे खें फक शायि ने तया हफे किाफ़ी िखा है

सन्नाटे में हि पल दहशत गूांिा किती है


GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
इन िांगल में चैन से कैसे सो सकता हूाँ मैं

सोच समझ कि चट्टानों से उलझा हूाँ िनाू


बहती गांगा में हाथों को धो सकता हूाँ मैं

'ओ' मात्रा के किाफ़ी पि दस


ू िी ग़ज़ल के दो शेि औि दे खें –

औिों के िी गम में ज़िा िो लूां तो सुबह हो


दामन पे लगे दागों को धो लूां तो सुबह हो

दनु नया के समांदि में है िो िात फक कचती


उस िात फक कचती को डुबो लूां तो सुबह हो

अनुस्िाि का काफफया ऐसा हफ़ू –ए- काफफया ज्िसमें फकसी स्िि के साथ अनुस्िाि क़ी
समतक
ु ाांतता िी ननिानी हो उसे अनस्
ु िाि काफफया कहें गे

अनुस्िाि फकसी अन्य स्िि के साथ िुड कि ही फकसी शदद में प्रयुतत होता है
िैसे - िहााँ = ि +ह+आ+ आाँ
चलाँ ू = च+ल+ऊ +====ऊाँ====

आ मात्रा के साथ अनुस्िाि काफफया का उदाहिण दे खें -


लहू न हो तो कलम तिुूमााँ नहीां होता
हमािे दौि में आाँसू िबाां नहीां होता (िसीम बिे लिी)

इसमें नहीं होता िदीफ है , तिुूमााँ औि िबाां हफू -ए- किाफ़ी हैं | किाफ़ी को दे खें तो इनमें
आपस में केिल आाँ मात्रा क़ी ही तुकाांतता है औि उसके पहले हफे काफफया में क्रमशः “”म”
“औि “ब” आ िहा है िो फक समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में शायि को छूट है
फक काफफया में ऐसे कोई िी शदद िख सके िो “आाँ” क़ी मात्रा पि खत्म होता हो | आगे के
शेि दे खें फक शायि ने तया हफे काफफया िखा है
िहााँ िहेगा िहीां िोशनी लुटाएगा
फकसी चिाग का अपना मकााँ नहीां होता

िसीम सददयों क़ी आखों से दे ख़खये मुझको


िह लफ्फज़ हूाँ िो किी दास्तााँ नहीां होता

“आाँ” मात्रा के काफफया पि दस


ू िी ग़ज़ल के दो शेि औि दे खें –

कुछ न कुछ तो उसके मेिे दिभमयााँ बाक़ी िहा


चोट तो िि ही गयी लेफकन ननशााँ बाक़ी िहा
आग ने बस्ती िला डाली मगि हैित है ये
फकस तिह बस्ती में मुख़खया का मकााँ बाक़ी िहा - (िाि गोपाल भसांह)
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL

व्यंजन काफफया ऐसा हफ़ू ए काफफया ज्िसमें फकसी व्यांिन क़ी तुकाांतता ननिानी हो उसे
व्यांिन काफफया कहें गे
उदाहिण -
फकसी कली ने िी दे खा न आाँख िि के मुझे
गुिाि गयी ििसे-गुल उदास कि के मुझे -(नाभसि काज़मी)

प्रस्तत
ु शेि में के िझ
ु े िदीफ है, भर औि कर हफू -ए- किाफ़ी हैं| किाफ़ी को दे खें तो इनमें
आपस में ि व्यांिन क़ी समतुकाांतता है औि उसके पहले हफू-ए- किाफ़ी में क्रमशः 'ि' औि
'क़' आ िहा है िो फक समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में शायि को ऐसा शदद
िखना होगा िो 'ि' व्यांिन पि खत्म होता हो तथा उसके पहले के व्यांिन में कोई स्िि न
िुड़ा हो अथाूत कि, िि हफ़ू -ए- काफफया के बाद अन्य अशआि में अि को ननिाना होगा
तथा ऐसा शदद चन
ु ना होगा ज्िसके अांत में अि क़ी तुकाांतता हो िैसे - सफि, नज़ि, फकधि,
इधि, गुिि, उिि, उति आदद| इस ग़ज़ल िें फफर, सुर आहद शब्द को काफफया के रूि िें नहीं
बााँि सकते हैं क्योफक इनिें क्रिशः इर, व उर की तुकांतता ह़ै जो ननयिानुसार दोष ि़ैदा
करें गे| दे खें फक शायि ने तया हफू -ए- किाफ़ी िखा है

तेिे फफिाक क़ी िातें किी न िूलेंगी


मिे भमले उन्हीां िातों में उम्र िि के मुझे

मैं िो िहा था मुकद्दि फक सख्त िाहों में


उड़ा के ले गए िाद ू तेिी नज़ि के मुझे

व्यंजन काफफया के अन्य उदाहरण दे खें -


१-
िो कुछ कहो क़ुबूल है तकिाि तया करूां
शभमिंदा अब तुम्हें सिे बाज़ाि तया करूां

प्रस्तुत शेि में क्या करूं िदीफ है , तकिाि औि बाज़ाि हफू -ए- किाफ़ी हैं| किाफ़ी को दे खें तो
इनमें आपस में ि व्यांिन के साथ साथ उसके पहले आ स्िि िी समतुकाांत है औि उसके
पहले हफे काफफया में क्रमशः 'ि' औि 'ज़' आ िहा है िो फक समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके
अन्य शेि में शायि को ऐसा शदद िखना होगा िो 'आि' हफ़ू पि खत्म होता हो अथाूत ि के
साथ साथ आ स्िि को िी प्रत्येक शेि के काफफया में ननिाूह किने क़ी बाध्यता है | ि व्यांिन
के पहले आ स्िि के अनतरितत औि कोई स्िि न िुड़ा हो अथाूत तकिाि, बाज़ाि हफ़ू -ए-
काफफया बाद अन्य अशआि में ऐसा शदद चुनना होगा ज्िसके अांत में आि क़ी तुकाांतता हो
िैसे - दीिाि, इिहाि, आज़ाि, गुनहगाि आदद| इस ग़ज़ल िें जोर, तीर, दरू आहद शब्द को
काफफया के रूि िें नहीं बााँि सकते हैं क्योफक इनिें क्रिशः ओर, ईर व ऊर की तुकांतता ह़ै
जो ननयिानुसार दोष ि़ैदा करें गे|
दे खें फक शायि ने अन्य अशआि में तया हफे काफफया िखा है
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
तनहाई में तो फूल िी चुिता है आाँख में
तेिे बगैि गोशा -ए- गुलिाि तया करूां

यह पिु सक
ु ू न सब
ु ह, यह मैं, यह फ़ज़ा 'शऊि'
िो सो िहे हैं, अब उन्हें बेदाि तया करूां

२-
अनोखी िि ्अ हैं सािे ज़माने से ननिाले हैं
ये आभशक कौन सी बस्ती के या िब िहने िाले हैं - (अल्लामा इतबाल)

प्रस्तुत शेि में हैं िदीफ है , ननराले औि वाले हफू -ए- किाफ़ी हैं| किाफ़ी को दे खें तो इनमें आपस
में आ स्िि + ल व्यांिन + ए स्िि अथाूत आले क़ी समतुकाांत है औि उसके पहले हफे
काफफया में क्रमशः 'अ' औि 'ि' आ िहा है िो समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में
शायि को ऐसा शदद िखना होगा िो 'आले' हफ़ू पि खत्म होता हो अथाूत आ स्िि + ल
व्यांिन +ए स्िि को काफफया में ननिाूह किने क़ी बाध्यता है | ल व्यांिन के पहले आ स्िि के
अनतरितत औि कोई स्िि न िुड़ा हो अथाूत ननिाले तथा िाले हफ़ू ए काफफया बाद अन्य
अशआि में ऐसा शदद चन
ु ना होगा ज्िसके अांत में आले क़ी तुकाांतता हो िैसे - ननकाले, छाले,
काले, आदद| इस ग़ज़ल िें ढे ले, नीले, फफोले आहद शब्द को काफफया के रूि िें नहीं बााँि
सकते हैं क्योफक इनिें क्रिशः एले, ईले व ओले की तुकांतता ह़ै जो ननयिानुसार दोष ि़ैदा
करें गे| तर्ा ऐसे शब्द को भी काफफया नहीं बना सकते जजसिें केवल ए की िात्रा को ननभाया
गया हो और उसके िहले ल व्यंजन की जगह कोई और व्यंजन हो| ज़ैसे - जागे, सादे , ये, वे,
के आहद को हफ़थ ए काफफया नहीं बना सकते हैं| दे खें फक शायि ने अन्य अशआि में तया
हफे काफफया िखा है

फला फूला िहे या िब चमन मेिी उमीदों का


ज्िगि का खून दे दे कि ये बूते मैंने पाले हैं

उमीदे हूि ने सब कुछ भसखा ितखा है िाइज़ को


ये हज़ित दे खने में सीधे साधे िोले िाले हैं

३-
फकतने भशकिे चगले हैं पहले ही
िाह में फाभसले हैं पहले ही -(फारिग बुखािी)

प्रस्तुत शेि में हैं िहले ही िदीफ है, धगले औि फामसले हफू -ए- किाफ़ी हैं| किाफ़ी को दे खें तो
इनमें आपस में इ स्िि + ल व्यांिन + ए स्िि = इले क़ी समतक
ु ाांत है औि उसके पहले हफे
काफफया में क्रमशः 'ग' औि 'स' आ िहा है िो समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि में
शायि को ऐसा शदद िखना होगा िो 'इले' हफ़ू पि खत्म होता हो अथाूत इ स्िि + ल व्यांिन
+ए स्िि को काफफया में ननिाूह किने क़ी बाध्यता है | यह ध्यान दे ना है फक ल व्यांिन के
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
पहले इ स्िि के अनतरितत औि कोई स्िि न िुड़ा हो अथाूत चगले तथा फाभसले हफ़ू ए
किाफ़ी के बाद अन्य अशआि में ऐसा शदद चुनना होगा ज्िसके अांत में इले क़ी तुकाांतता हो
िैसे - काफफले, भसले, ख़खले, भमले आदद| इस ग़ज़ल िें चले, खुले आहद शब्द को काफफया के
रूि िें नहीं बााँि सकते हैं क्योफक इनिें क्रिशः अले , व उले की तुकांतता ह़ै जो ननयिानुसार
दोष ि़ैदा करें गे| तर्ा ऐसे शब्द को भी काफफया नहीं बना सकते जजसिें केवल ए की िात्रा को
ननभाया गया हो और उसके िहले ल व्यंजन की जगह कोई और व्यंजन हो| ज़ैसे - जागे,
सादे , ये, वे, के आहद को हफ़थ ए काफफया नहीं बना सकते हैं|
दे खें फक शायि ने अन्य अशआि में तया हफे काफफया िखा है

अब िबाां काटने फक िस्म न डाल


फक यहााँ लैब भसले हैं पहले ही

औि फकस शै फक है तलब 'फारिग'


ददू के भसलभसले हैं पहले ही

४ -
त्रबछड़ा है िो इक बाि तो भमलते नहीां दे खा
इस ज़ख्म को हमने किी भसलते नहीां दे खा

प्रस्तुत शेि में नहीं दे खा िदीफ है, मिलते औि मसलते हफू -ए- किाफ़ी हैं| किाफ़ी के शददों को
दे खें तो इनमें आपस में इ+ल+त+ए = इलतेक़ी समतुकाांत है औि ल व्यांिन के पहले हफे
काफफया में क्रमशः 'म' औि 'स' आ िहा है िो फक समतुकाांत नहीां है, इसभलए इसके अन्य शेि
में शायि को ऐसा शदद िखना होगा िो 'इलते' हफ़ू पि खत्म होता हो अथाूत इ स्िि + ल
व्यांिन + त व्यांिन +ए स्िि को काफफया में ननिाूह किने क़ी बाध्यता है | यह ध्यान दे ना है
फक ल व्यांिन के पहले इ स्िि के अनतरितत औि कोई स्िि न िुड़ा हो अथाूत अन्य अशआि
में ऐसा शदद चुनना होगा ज्िसके अांत में इलते क़ी तुकाांतता हो िैसे - दहलते, नछलते
आदद| इस ग़ज़ल िें चलते, िलते, हदखते, बबकते, दे खे, क़ैसे आहद शब्द को काफफया के रूि िें
नहीं बााँि सकते हैं ननयिानुसार यह मिलते-मसलते के हिकाफफया शब्द नहीं हैं|
दे खें फक शायि ने अन्य अशआि में तया हफे काफफया िखा है

इक बाि ज्िसे चाट गई धप


ू फक ख्िादहश
फफि शाख पे उस फूल को ख़खलते नहीां दे खा

कााँटों में नघिे फूल को चूम आयेगी लेफकन


नततली केपिों को किी नछलते नहीां दे खा

काफफया के भेद (अरूजानुसार)

काफफया के १५ भेद होते हैं जजनिें से ६ हस्व स्वर होते हैं और ९ अक्षर के होते हैं|
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
(९ व्यंजन की जगह ९ अक्षर इसमलए कहा गया ह़ै क्योफक व्यंजन कहने िर हि उस स्र्ान िर िात्रा
अर्ाथत स्वर को नहीं रख सकते िरन्तु अक्षर कहने िर स्वर तर्ा व्यंजन दोनों का बोि होता ह़ै )
अतः काफफया के १५ भेद होते हैं जजनिें से ९ भेद व्यंजन और दीघथ िात्रा के होते हैं वह
ननम्नमलखखत हैं -

१. हफ़थ -ए- तासीस


२. हफ़थ -ए- दखील
३. हफ़थ -ए- रद्फ़
४. हफ़थ -ए- क़ैद
५. हफ़थ -ए- रवी
६. हफ़थ -ए- वस्ल
७. हफ़थ -ए- खरु
ु ज
८. हफ़थ -ए- िजीद
९. हफ़थ -ए- नाइरा

इनके अनतररक्त ६ भेद और हैं जो छोटी िात्रा अर्ाथत अ, इ, उ के होते हैं


१. रस्स
२. इश्बाअ
३ हज्व
४. तौजीह
५. िजरा
६. नफ़ाज़

काफफया के प्रकार (अरूजानुसार) अरूिनुसाि काफफया के १० प्रकाि होते हैं


GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL

5. ग़ज़ल िें गखणत

बहि परिचय
ग़ज़ल कुछ ननज्चचत धुनों पि कही िाती है यह धुनें दो मात्राओां (लघु १ औि दीघू २) के क्रम से
बनती हैं, यदद पुिाने गानों पि गौि किें तो पायेंगे फक अचधकति सदाबहाि गाने ऐसे हैं िो फकन्हीां
'विभशष्ट' धन
ु ों पि भलखे गए हैं,

ऐसा तयों होता है फक, िब हम फकसी गाने के बोल गुनगुनाते हैं औि लय के उसी उताि चढाि पि
अलाप लेते हैं तो लगता है िैसे बोल औि अलाप में कोई अांति नहीां है ,
िैसे एक गाना है –
किी किी मेिे ददल में ख्याल आता है
के िैसे तुझको बनाया गया है मेिे भलए

अब िब हम बाि बाि इसके बोल को गन


ु गग
ु ाते हैं औि फफि अचानक ही बोल फक िगह यह अलाप
लेते हैं
ललालला, लललाला, ललालला, लाला
तो िी हमको ऐसा लगता है फक हम गाना के बोल ही गुनगुना िहे हैं, इसका कािण यह है फक यह
ललालला.... उस गाने क़ी धुन है इस धुन पि ही इस गाने को भलखा गया है ग़ज़ल िी इस तिह क़ी
धुनों पि कही िाती है.अरूि शास्त्र में इस तिह क़ी अनेक धुनों को ही “बह्र” कहा गया है , ग़ज़ल क़ी
विभिन्न धुनों में एक प्रिाह औि लयात्मकता होती है धुन क़ी लयात्मकता औि प्रिाह के कािण ही
ग़ज़ल लयात्मक हो िाती है

आप िान चुके हैं फक लय क़ी एक ननज्चचत मात्रा पि ही पूिी ग़ज़ल भलखी िाती है
आईये अब इसको औि समझते हैं, कुछ पांज्ततयााँ प्रस्तुत हैं इनको एक ही उताि चढाि में पढ़ने का
प्रयास किें -

िाम आये, िाम आये, िाम आये, िाम आये


लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाललाला
िोि सोचा, िोि दे खा, िोि पाया, िोि खोया
लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाललाला
मुस्कुिाना, मुस्कुिाना, मुस्कुिाना, मुस्कुिाना
लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाललाला
िब भलखेंगे, गीत सािन, क़ी फुहािों, पि भलखेंगे
लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाललाला

आप पाते हैं फक इस धुन में एक विभशष्ठ मात्रत्रक क्रम को ही चाि बाि िखा गया है इस मात्रा पुांि,
गण या घटक को 'रुतन' कहते हैं औि इन प्रस्तुत पांज्ततयों में यह मात्रत्रक क्रम है = लाललाला या
“२१२२” या “दीघू लघु दीघू दीघू” या फाइलातुन औि इसे ही चाि बाि िखने पि यह धुन बनी है
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
ज्िसका मात्रत्रक क्रम होगा

लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाललाला


दीघूलघद
ु ीघूदीघू, दीघूलघद
ु ीघूदीघू, दीघूलघद
ु ीघूदीघू, दीघूलघद
ु ीघूदीघू
गाफलामगाफगाफ, गाफलामगाफगाफ, गाफलामगाफगाफ, गाफलामगाफगाफ,
फाइलातुन, फाइलातुन, फाइलातुन, फाइलातुन
२१२२, २१२२, २१२२, २१२२

इस मात्रत्रक क्रम (बह्र) का एक ननज्चचत नाम – “बह्र -ए- िमल मुसम्मन साभलम”

रुतन का नाम - िमल


रुतन - फाइलातन
ु (अरूिानस
ु ाि) सिल विचध में कहें तो - लाललाला
रुतन क़ी मात्रा - २१२२

सीधे क्रम में दे खें तो अब आप स्पष्ट समझ सकते हैं फक, रुतन के बहुिचन को अकाून कहते हैं,
रुतन के ननज्चचत समह ू से बहि के अकाून बनते हैं िैसे – २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ आदद.
इससे एक ननज्चचत धुन (बह्र) बनती है
इस धुन पि भमसिा भलखा िाता है,
िैसे - िोि से ही, आ धमकती, गभमूयों क़ी, ये दप
ु हिी

इस तिह के दो भमसिों से शेि बनता है , िैसे -

िोि से ही, आ धमकती, गभमूयों क़ी, ये दप


ु हिी
बेहया मेह्, माां के िैसी, गभमूयों क़ी, ये दप
ु हिी

शेि क़ी पहली पांज्तत को “भमसिा ए उला” औि दस


ू िी पांज्तत को “भमसिा ए सानी” कहते हैं

िोि से ही, आ धमकती, गभमूयों क़ी, ये दप


ु हिी - भमसिा ए उला
बेहया मेह्, माां के िैसी, गभमूयों क़ी, ये दप
ु हिी - भमसिा ए सानी

शेि के बहुिचन को अशआि कहते हैं औि शेि के समह


ू से ग़ज़ल बनती है

यह 'बहि' से एक बहुत छोटी मुलाक़ात है इसके बाद बड़ी मुलाक़ातों से पहले मात्रा गणना सीखान
आिचयक है
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
िात्रा गणना का सािान्य ननयि

बा-बह्र ग़ज़ल भलखने के भलए तततीअ (मात्रा गणना) ही एक मात्र अचूक उपाय है , यदद शेि क़ी
तततीअ (मात्रा गणना) किनी आ गई तो दे ि सबेि बह्र में भलखना िी आ िाएगा तयोफक िब फकसी
शायि को पता हो फक मेिा भलखा शेि बेबह्र है तिी उसे सही किने का प्रयास किे गा औि तब तक
किे गा िब तक िह शेि बाबह्र न हो िाए
मात्राओां को चगनने का सही ननयम न पता होने के कािण ग़ज़लकाि अतसि बह्र ननकालने में या
तततीअ किने में ददतकत महसूस किते हैं आईये तततीअ प्रणाली को समझते हैं
ग़ज़ल में सबसे छोटी इकाई 'मात्रा' होती है औि हम िी तततीअ प्रणाली को समझने के भलए सबसे
पहले मात्रा से परिचचत होंगे -

मात्रा दो प्रकाि क़ी होती है


१- ‘एक मात्रत्रक’ इसे हम एक अक्षिीय ि एक हफी ि लघु ि लाम िी कहते हैं औि १ से अथिा
दहन्दी कवि | से िी दशाूते हैं
२= ‘दो मात्रत्रक’ इसे हम दो अक्षिीय ि दो हरूफ़ी ि दीघू ि गाफ िी कहते हैं औि २ अथिाS अथिा
दहन्दी कवि S से िी दशाूते हैं

एक मात्रत्रक स्िि अथिा व्यांिन के उच्चािण में ज्ितना ितत औि बल लगता है दो मात्रत्रक के
उच्चािण में उसका दोगुना ितत औि बल लगता है

ग़ज़ल में मात्रा गणना का एक स्पष्ट, सिल औि सीधा ननयम है फक इसमें शददों को िैसा बोला िाता
है (शुद्ध उच्चािण) मात्रा िी उस दहसाब से ही चगनाते हैं
िैसे - दहन्दी में कमल = क/म/ल = १११ होता है मगि ग़ज़ल विधा में इस तिह मात्रा गणना नहीां
किते बज्ल्क उच्चािण के अनस
ु ाि गणना किते हैं | उच्चािण किते समय हम "क" उच्चािण के बाद
"मल" बोलते हैं इसभलए ग़ज़ल में ‘कमल’ = १२ होता है यहााँ पि ध्यान दे ने क़ी बात यह है फक
“कमल” का ‘“मल’” शाचित दीघू है अथाूत िरूित के अनुसाि गज़ल में ‘कमल’ शदद क़ी मात्रा को १११
नहीां माना िा सकता यह हमेशा १२ ही िहेगा

‘उधि’- उच्च्चिण के अनुसाि उधि बोलते समय पहले "उ" बोलते हैं फफि "धि" बोलने से पहले पल
िि रुकते हैं औि फफि 'धि' कहते हैं इसभलए इसक़ी मात्रा चगनाते समय िी ऐसे ही चगनेंगे
अथाूत – उ+धि = उ १ धि २ = १२

िात्रा गणना करते सिय ध्यान रखे फक -

क्रिांक १ - सिी व्यांिन (त्रबना स्िि के) एक मात्रत्रक होते हैं


िैसे – क, ख, ग, घ, च, छ, ि, झ, ट ... आदद १ मात्रत्रक हैं

क्रिांक २ - अ, इ, उ स्िि ि अनुस्िि चन्रत्रबांदी तथा इनके साथ प्रयुतत व्यांिन एक मात्रत्रक होते हैं
िैसे = अ, इ, उ, फक, भस, पु, सु हाँ आदद एक मात्रत्रक हैं
क्रिांक ३ - आ, ई, ऊ ए ऐ ओ औ अां स्िि तथा इनके साथ प्रयत
ु त व्यांिन दो मात्रत्रक होते हैं
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
िैसे = आ, सो, पा, िू, सी, ने, पै, सौ, सां आदद २ मात्रत्रक हैं

क्रिांक ४. (१) - यदद फकसी शदद में दो 'एक मात्रत्रक' व्यांिन हैं तो उच्चािण अनुसाि दोनों िुड कि
शाचित दो मात्रत्रक अथाूत दीघू बन िाते हैं िैसे ह१+म१ = हम = २ ऐसे दो मात्रत्रक शाचित दीघू
होते हैं ज्िनको िरूित के अनुसाि ११ अथिा १ नहीां फकया िा सकता है
िैसे – सम, दम, चल, घि, पल, कल आदद शाचित दो मात्रत्रक हैं

४. (२) पिन्तु ज्िस शदद के उच्चािण में दोनो अक्षि अलग अलग उच्चरित होंगे िहााँ ऐसा मात्रा योग
नहीां बनेगा औि िहााँ दोनों लघु हमेशा अलग अलग अथाूत ११ चगना िायेगा
िैसे – असमय = अ/स/मय = अ१ स१ मय२ = ११२
असमय का उच्चािण किते समय 'अ' उच्चािण के बाद रुकते हैं औि 'स' अलग अलग बोलते हैं औि
'मय' का उच्चािण एक साथ किते हैं इसभलए 'अ' औि 'स' को दीघू नहीां फकया िा सकता है औि मय
भमल कि दीघू हो िा िहे हैं इसभलए असमय का िजन अ१ स१ मय२ = ११२ होगा इसे २२ नहीां
फकया िा सकता है तयोफक यदद इसे २२ फकया गया तो उच्चािण अस्मय हो िायेगा औि शदद
उच्चािण दोर्पूणू हो िायेगा|

क्रिांक ५ (१) – िब क्रमाांक २ अनस


ु ाि फकसी लघु मात्रत्रक के पहले या बाद में कोई शद्
ु ध व्यांिन(१
मात्रत्रक क्रमाांक १ के अनुसाि) हो तो उच्चािण अनुसाि दोनों लघु भमल कि शाचित दो मात्रत्रक हो
िाता है

उदाहिण – “तुम” शदद में “'त'” '“उ'” के साथ िुड कि '“तु'” होता है(क्रमाांक २ अनुसाि), “तु” एक मात्रत्रक
है औि “तुम” शदद में “म” िी एक मात्रत्रक है (क्रमाांक १ के अनुसाि) औि बोलते समय “तु+म” को एक
साथ बोलते हैं तो ये दोनों िुड कि शाचित दीघू बन िाते हैं इसे ११ नहीां चगना िा सकता
इसके औि उदाहिण दे खें = यदद, कवप, कुछ, रुक आदद शाचित दो मात्रत्रक हैं

५ (१) पिन्तु िहााँ फकसी शदद के उच्चािण में दोनो हफ़ू अलग अलग उच्चरित होंगे िहााँ ऐसा मात्रा
योग नहीां बनेगा औि िहााँ अलग अलग ही अथाूत ११ चगना िायेगा
िैसे – सम
ु धिु = स/ु म /धिु = स+उ१ म१ धिु २ = ११२

क्रिांक ६ (१) - यदद फकसी शदद में अगल बगल के दोनो व्यांिन फकन्हीां स्िि के साथ िड
ु कि लघु
ही िहते हैं (क्रमाांक २ अनुसाि) तो उच्चािण अनुसाि दोनों िुड कि शाचित दो मात्रत्रक हो िाता है
इसे ११ नहीां चगना िा सकता
िैसे = पुरु = प+उ / ि+उ = पुरु = २,
इसके औि उदाहिण दे खें = चगरि
६ (२) पिन्तु िहााँ फकसी शदद के उच्चािण में दो हफ़ू अलग अलग उच्चरित होंगे िहााँ ऐसा मात्रा
योग नहीां बनेगा औि िहााँ अलग अलग ही चगना िायेगा
िैसे – सुविचाि = सु/ वि / चा / ि = स+उ१ ि+इ१ चा२ ि१ = ११२१
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
क्रिांक ७ (१) - ग़ज़ल के मात्रा गणना में अधू व्यांिन को १ मात्रा माना गया है तथा यदद शदद में
उच्चािण अनुसाि पहले अथिा बाद के व्यांिन के साथ िुड िाता है औि ज्िससे िुड़ता है िो व्यांिन
यदद १ मात्रत्रक है तो िह २ मात्रत्रक हो िाता है औि यदद दो मात्रत्रक है तो िुडने के बाद िी २
मात्रत्रक ही िहता है ऐसे २ मात्रत्रक को ११ नहीां चगना िा सकता है
उदाहिण -
सच्चा = स१+च ्१ / च१+आ१ = सच ् २ चा २ = २२
(अतः सच्चा को ११२ नहीां चगना िा सकता है)
आनन्द = आ / न+न ् / द = आ२ नन ्२ द१ = २२१
कायू = का+ि् / य = काि् २ य १ = २१ (कायू में का पहले से दो मात्रत्रक है तथा आधा ि के िुडने
पि िी दो मात्रत्रक ही िहता है)
तुम्हािा = तु/ म्हा/ िा = तु१ म्हा२ िा२ = १२२
तुम्हें = तु / म्हें = तु१ म्हें २ = १२
उन्हें = उ / न्हें = उ१ न्हें २ = १२

७ (२) अपिाद स्िरूप अधू व्यांिन के इस ननयम में अधू स व्यांिन के साथ एक अपिाद यह है फक
यदद अधू स के पहले या बाद में कोई एक मात्रत्रक अक्षि होता है तब तो यह उच्चािण के अनुसाि
बगल के शदद के साथ िड
ु िाता है पिन्तु यदद अधू स के दोनों ओि पहले से दीघू मात्रत्रक अक्षि
होते हैं तो कुछ शददों में अधू स को स्ितांत्र एक मात्रत्रक िी माना भलया िाता है
िैसे = िस्ता = ि+स ् / ता २२ होता है मगि िास्ता = िा/स ्/ता = २१२ होता है
दोस्त = दो+स ् /त= २१ होता है मगि दोस्ती = दो/स ्/ती = २१२ होता है
इस प्रकाि औि शदद दे खें
बस्ती, सस्ती, मस्ती, बस्ता, सस्ता = २२
दोस्तों = २१२
मस्ताना = २२२
मस्
ु कान = २२१
सांस्काि= २१२१

क्रिांक ८. (१) - सांयुतताक्षि िैसे = क्ष, त्र, ज्ञ द्ध द्ि आदद दो व्यांिन के योग से बने होने के कािण
दीघू मात्रत्रक हैं पिन्तु मात्र गणना में खद
ु लघु हो कि अपने पहले के लघु व्यांिन को दीघू कि दे ते है
अथिा पहले का व्यांिन स्ियां दीघू हो तो िी स्ियां लघु हो िाते हैं
उदाहिण = पत्र= २१, िक्र = २१, यक्ष = २१, कक्ष - २१, यज्ञ = २१, शुद्ध =२१ क्रुद्ध =२१
गोत्र = २१, मूत्र = २१,

८. (२) यदद सांयुतताक्षि से शदद प्रािां ि हो तो सांयुतताक्षि लघु हो िाते हैं


उदाहिण = त्रत्रशूल = १२१, क्रमाांक = १२१, क्षक्षनति = १२

८. (३) सांयत
ु ताक्षि िब दीघू स्िि यत
ु त होते हैं तो अपने पहले के व्यांिन को दीघू किते हुए स्ियां िी
दीघू िहते हैं अथिा पहले का व्यांिन स्ियां दीघू हो तो िी दीघू स्िि युतत सांयुतताक्षि दीघू मात्रत्रक
चगने िाते हैं
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
उदाहिण =
प्रज्ञा = २२ िािाज्ञा = २२२,

८ (४) उच्चािण अनस


ु ाि मात्रा गणना के कािण कुछ शदद इस ननयम के अपिाद िी है -
उदाहिण = अनुक्रमाांक = अनु/क्र/माां/क = २१२१ ('नु' अक्षि लघु होते हुए िी 'क्र' के योग से दीघू नहीां
हुआ औि उच्चािण अनुसाि अ के साथ िुड कि दीघू हो गया औि क्र लघु हो गया)

क्रिांक ९ - विसगू यत
ु त व्यांिन दीधू मात्रत्रक होते हैं ऐसे व्यांिन को १ मात्रत्रक नहीां चगना िा सकता
उदाहिण = दःु ख = २१ होता है इसे दीघू (२) नहीां चगन सकते यदद हमें २ मात्रा में इसका प्रयोग
किना है तो इसके तद्िि रूप में 'दख ु ' भलखना चादहए इस प्रकाि यह दीघू मात्रत्रक हो िायेगा
---------------------------------------------------------------------
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िात्रा गणना के मलए अन्य शब्द दे खें -
नतिां गा = नत + िां + गा = नत १ िां २ गा २ = १२२
उधि = उ/धि उ१ धि२ = १२
ऊपि = ऊ/पि = ऊ २ पि २ = २२

इस तिह अन्य शदद क़ी मात्राओां पि ध्यान दें =


मािा = मा / िा = मा २ िा २ = २२
मिा = म / िा = म १ िा २ = १२
मि = मि २ = २
सत्य = सत ् / य = सत ् २ य २ = २१
असत्य = अ / सत ् / य = अ१ सत ्२ य१ =१२१
झठ
ू = झू / ठ = झू २ ठ१ = २१
सच = २
आमांत्रण = आ / मन ् / त्रण = आ२ मन ्२ त्रण२ = २२२
िाधा = २२ = िा / धा = िा२ धा२ = २२
चयाम = २१
आपको = २१२
ग़ज़ल = १२
मांज्िल = २२
नांग = २१
दोस्त = २१
दोस्ती = २१२
िाष्रीय = २१२१
तुिांत = १२१
तम्
ु हें = १२
तुम्हािा = १२२
िुमू = २१
हुस्न = २१
ज्िक्र = २१
फफ़क्र = २१
भमत्र = २१
सूज्तत = २१
सादहत्य = २२१
सादहज्त्यक = २२२
मुहाििा = १२१२
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6. रुक्न और बह्र
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7. िात्रा धगराने का ननयि

िात्रा धगराने का ननयि- िस्तत


ु ः "मात्रा चगिाने का ननयम" कहना गलत है तयोफक मात्रा को
चगिाना अरूज़ शास्त्र में "ननयम" के अांतगूत नहीां बज्ल्क छूट के अांतगूत आता है | अरूज़ पि
उदू भलवप में भलखी फकताबों में यह 'ननयम' के अांतगूत नहीां बज्ल्क छूट के अांतगूत ही बताया
िाता िहा है, पिन्तु अब यह छूट इतनी अचधक ली िाती है फक ननयम का स्िरूप धािण
किती िा िही है इसभलए अब इसे िात्रा धगराने का ननयिकहना िी गलत न होगा इसभलए
आगे इसे ननयम कह कि िी सांबोचधत फकया िायेगा | मात्रा चगिाने के ननयमानुसाि, उच्चािण
अनुसाि तो हम एक भमसिे में अचधकाचधक मात्रा चगिा सकते हैं पिन्तु उस्ताद शाइि हमेशा
यह सलाह दे ते हैं फक ग़ज़ल में मात्रा कम से कम चगिानी चादहए
यदद हम मात्रा चगिाने के ननयम क़ी परििार्ा भलखें तो कुछ याँू होगी -

" जब फकसी बहर के अकाथन िें जजस स्र्ान िर लघु िाबत्रक अक्षर होना चाहहए उस स्र्ान
िर दीघथ िाबत्रक अक्षर आ जाता ह़ै तो ननयितः कुछ ववशेष अक्षरों को हि दीघथ िाबत्रक होते
हुए भी दीघथ स्वर िें न िढ़ कर लघु स्वर की तरह कि जोर दे कर िढते हैं और दीघथ
िाबत्रक होते हुए भी लघु िाबत्रक िान लेते ह़ै इसे िात्रा का धगरना कहते हैं "

अब इस परििार्ा का उदाहािण िी दे ख लें - २१२२ (फ़ाइलातुन) में, पहले एक दीघू है फफि


एक लघु फफि दो दीघू होता है, इसके अनस
ु ाि शदद दे खें - "कौन आया" कौ२ न१ आ२ या२
औि यदद हम भलखते हैं - "कोई आया" तो इसक़ी मात्रा होती है २२ २२(फैलुन फैलुन) को२
ई२ आ२ या२
पिन्तु यदद हम चाहें तो "कोई आया" को २१२२ (फाइलातुन) अनुसाि िी चगनने क़ी छूट है |
दे खें -
को२ ई१ आ२ या२
यहााँ ई क़ी मात्रा २ को चगिा कि १ कि ददया गया है औि पढते समय िी ई को दीघू स्िि
अनुसाि न पढ़ कि ऐसे पढें गे फक लघु स्िि का बोध हो
अथाूत "कोई आया"(२२ २२) को यदद २१२२ मात्रत्रक मानना है तो इसे "कोइ आया" अनस
ु ाि
उच्चािण अनुसाि पढें गे

नोट - ग़ज़ल को भलवप बद्ध किते समय हमेशा शुद्ध रूप में भलखते हैं "कोई आया" को
२१२२ मात्रत्रक मानने पि िी केिल उच्चािण को बदें लेंगे अथाूत पढते समय "कोइ आया"
पढें गे पिन्तु मात्रा चगिाने के बाद िी "कोई आया" ही भलखेंगे

इसभलए ऐसा कहते हैं फक, 'ग़ज़ल कही िाती है |' कहने से तात्पयू यह है फक उच्चािण के
अनस
ु ाि ही हम यह िान सकते हैं फक ग़ज़ल को फकस बहि में कहा गया है यदद भलवप
अनुसाि मात्रा गणना किें तो कोई आया हमेशा २२२२ होता है , पिन्तु यदद कोई व्यज्तत "कोई
आया" को उच्चरित किता है तो तुिांत पता चल िाता है फक पढ़ने िाले ने फकस मात्रा
अनुसाि पढ़ा है २२२२ अनुसाि अथिा २१२२ अनुसाि यही हम कोई आया को २१२२ चगनने पि
"कोइ आया" भलखना शुरू कि दें तो धीिे धीिे भलवप का स्िरूप विकृत हो िायेगा औि
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
मानकता खत्म हो िायेगी इसभलए ऐसा िी नहीां फकया िा सकता है
ग़ज़ल "भलखी" िाती है ऐसा िी कह सकते हैं पिन्तु ऐसा िो लोग ही कह सकते हैं िो मात्रा
चगिाने क़ी छूट कदावप न लें, तिी यह हो पायेगा फक उच्चािण औि भलवप में समानता होगी
औि िो भलखा िायेगा िही िायेगा
आशा किता हूाँ तथ्य स्पष्ट हुआ होगा

आपको एक तथ्य से परिचचत होना िी रुचचकि होगा फक प्राचीन िाितीय छन्दस िार्ा में
भलखे गये िेद पुिाण आदद ग्रांथों के चलोक में मात्रा चगिाने का स्पष्ट ननयम दे खने को भमलता
है| आि इसके विपिीत दहन्दी छन्द में मात्रा चगिाना लगिग िज्िूत है औि अरूि में इस छूट
को ननयम के स्ति तक स्िीकाि कि भलया गया है

मात्रा चगिाने के ननयम को पूिी तिह से िानने के भलए ज्िन बातों को िानना होगा िह हैं -

अ) फकन दीघथ िाबत्रक को धगरा कर लघु िाबत्रक कर सकते हैं और फकन्हें नहीं ?
ब) शब्द िें फकन फकन स्र्ान िर िात्रा धगरा सकते हैं और फकन स्र्ान िर नहीं ?
स) फकन शब्दों की िात्रा को धगरा सकते हैं औत फकन शब्दों की िात्रा को नहीं धगरा सकते ?

हम इन तीनों प्रचनों का उिि क्रमानुसाि खोिेंगे आगे यह पोस्ट तीन िाग अ) ब) स) द्िािा
वििाज्ित है ज्िससे लेख में स्पष्ट वििािन हो सके तथा बातें आपस में न उलझें

नोट - याद िखें "स्िि" कहने पि "अ - अः" स्िि का बोध होता है , व्यांिन कहने पि "क -
ज्ञ" व्यांिन का बोध होता है तथा अक्षि कहने पि "स्िि" अथिा "व्यांिन" अथिा "व्यांिन +
स्िि" का बोध होता है, पढते समय यह ध्यान दें फक स्िि, व्यांिन तथा अक्षि में से तया
भलखा गया है
-----------------------------------------------------------------------------------------
अ) फकन दीघथ िाबत्रक को धगरा कर लघु कर सकते हैं और फकन्हें नहीं ?
इस प्रचन के साथ एक औि प्रचन उठता है हम उसे िी िोड़ कि दो प्रचन तैयाि किते हैं

१) जजस प्रकार दीघथ िाबत्रक को धगरा कर लघु कर सकते हैं क्या लघु िाबत्रक को उठा कर
दीघथ कर सकते हैं ?
२) हि कौन कौन से दीघथ िाबत्रक अक्षर को लघु िाबत्रक कर सकते हैं ?

पहले प्रचन का उिि है - सामान्यतः नहीां, हम लघु मात्रत्रक को उठा कि दीघू मात्रत्रक नहीां कि
सकते, यदद फकसी उच्चािण के अनुसाि लघु मात्रत्रक, दीघू मात्रत्रक हो िहा है िैसे - पत्र२१ में
"प" दीघू हो िहा है तो इसे मात्रा उठाना नहीां कह सकते तयोफक यहााँ उच्चािण अनुसाि
अननिायू रूप से मात्रा दीघू हो िही है , िबफक मात्रा चगिाने में यह छूट है फक िब िरूित हो
चगिा लें औि िब िरूित हो न चगिाएाँ
(िरन्तु ग़ज़ल की िात्रा गणना िें इस बात के कई अिवाद मिलाते हैं फक लघु िाबत्रक को
दीघथ िाबत्रक िाना जाता ह़ै इसकी चचाथ हि क्रि - ७ िें करें गे)
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL

दस
ू िे प्रचन का उिि अपेक्षाकृत थोडा बड़ा है औि इसका उिि पाने के भलए पहले हमें यह याद
किना चादहए फक अक्षि फकतने प्रकाि से दीघू मात्रत्रक बनते हैं फफि उसमें से वििािन किें गे
फक फकस प्रकाि को चगिा सकते हैं फकसे नहीां

इस लेखमाला में क्रम -४ (बहि परिचय तथा मात्रा गणना) में क्रमाांक १ से ९ तक लघु तथा
दीधू मात्रत्रक अक्षिों को वििाज्ित फकया गया है , यदद उस सारिणी को ले लें तो बात अचधक
स्पष्ट हो िायेगी| क्रमाांकों के अांत में मात्रा चगिाने से सम्बज्न्धत नोट लाल िां ग से भलख ददया
है, दे ख़खये -

क्रिांक १ - सभी व्यंजन (बबना स्वर के) एक िाबत्रक होते हैं


ज़ैसे – क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट ... आहद १ िाबत्रक हैं
यह स्ियां १ मात्रत्रक है

क्रिांक २ - अ, इ, उ स्वर व अनुस्वर चन्रबबंदी तर्ा इनके सार् प्रयुक्त व्यंजन एक िाबत्रक
होते हैं
ज़ैसे = अ, इ, उ, फक, मस, िु, सु हाँ आहद एक िाबत्रक हैं
यह स्ियां १ मात्रत्रक है

क्रिांक ३ - आ, ई, ऊ ए ऐ ओ औ अं स्वर तर्ा इनके सार् प्रयक्


ु त व्यंजन दो िाबत्रक होते हैं
ज़ैसे = आ, सो, िा, जू, सी, ने, ि़ै, सौ, सं आहद २ िाबत्रक हैं
इनमें से केिल आ ई ऊ ए ओ स्िि को चगिा कि १ मात्रत्रक कि सकते है तथा ऐसे दीघू
मात्रत्रक अक्षि को चगिा कि १ मात्रत्रक कि सकते हैं िो "आ, ई, ऊ, ए, ओ" स्िि के योग से दीघू
हुआ हो अन्य स्िि को लघु नहीां चगन सकते न ही ऐसे अक्षि को लघु चगन सकते हैं िो ऐ,
औ, अं के योग से दीघू हुए हों
उदाहिण =
मुझको २२ को मुझकु२१ कि सकते हैं
आ, ई, ऊ, ए, ओ, सा, की, हू, िे, दो आदद को दीघू से चगिा कि लघु कि सकते हैं पिन्तु ऐ, औ, अं,
ि़ै, कौ, रं आदद को दीघू से लघु नहीां कि सकते हैं
स्पष्ट है फक आ, ई, ऊ, ए, ओ स्िि तथा आ, ई, ऊ, ए, ओ तथा व्यांिन के योग से बने दीघू अक्षि
को चगिा कि लघु कि सकते हैं

क्रमाांक ४.
४. (१) - यहद फकसी शब्द िें दो 'एक िाबत्रक' व्यंजन हैं तो उच्चारण अनुसार दोनों जुड कर
शाश्वत दो िाबत्रक अर्ाथत दीघथ बन जाते हैं ज़ैसे ह१+ि१ = हि = २ ऐसे दो िाबत्रक शाश्वत
दीघथ होते हैं जजनको जरूरत के अनुसार ११ अर्वा १ नहीं फकया जा सकता ह़ै
ज़ैसे – सि, दि, चल, घर, िल, कल आहद शाश्वत दो िाबत्रक हैं
ऐसे फकसी दीघू को लघु नहीां कि सकते हैं| दो व्यांिन भमल कि दीघू मात्रत्रक होते हैं तो ऐसे
दो मात्रत्रक को चगिा कि लघु नहीां कि सकते हैं
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
उदहािण = किल क़ी मात्रा १२ है इसे क१ + मल२ = १२ चगनेंगे तथा इसमें हम िल को चगिा
कि १ नहीां कि सकते अथाूत कमाल को ११ अथिा १११ कदावप नहीां चगन सकते

४. (२) िरन्तु जजस शब्द के उच्चारण िें दोनो अक्षर अलग अलग उच्चररत होंगे वहााँ ऐसा
िात्रा योग नहीं बनेगा और वहााँ दोनों लघु हिेशा अलग अलग अर्ाथत ११ धगना जायेगा
ज़ैसे – असिय = अ/स/िय = अ१ स१ िय२ = ११२
असिय का उच्चारण करते सिय 'अ' उच्चारण के बाद रुकते हैं और 'स' अलग अलग बोलते
हैं और 'िय' का उच्चारण एक सार् करते हैं इसमलए 'अ' और 'स' को दीघथ नहीं फकया जा
सकता ह़ै और िय मिल कर दीघथ हो जा रहे हैं इसमलए असिय का वज्न अ१ स१ िय२ =
११२ होगा इसे २२ नहीं फकया जा सकता ह़ै क्योफक यहद इसे २२ फकया गया तो उच्चारण
अस्िय हो जायेगा और शब्द उच्चारण दोषिूणथ हो जायेगा|

यहााँ उच्चािण अनस


ु ाि स्ियां लघु है अ१ स१ औि िय२ को हम ४.१ अनस
ु ाि नहीां चगिा
सकते

क्रिांक ५ (१) – जब क्रिांक २ अनुसार फकसी लघु िाबत्रक के िहले या बाद िें कोई शुद्ि
व्यंजन(१ िाबत्रक क्रिांक १ के अनस
ु ार) हो तो उच्चारण अनस
ु ार दोनों लघु मिल कर शाश्वत
दो िाबत्रक हो जाता ह़ै

उदाहरण – “तुि” शब्द िें “'त'” '“उ'” के सार् जुड कर '“तु'” होता ह़ै(क्रिांक २
अनुसार), “तु” एक िाबत्रक ह़ै और “तुि” शब्द िें“ि” भी एक िाबत्रक ह़ै (क्रिांक १ के
अनुसार) और बोलते सिय “तु+ि” को एक सार् बोलते हैं तो ये दोनों जुड कर शाश्वत दीघथ
बन जाते हैं इसे ११ नहीं धगना जा सकता
इसके और उदाहरण दे खें = यहद, कवि, कुछ, रुक आहद शाश्वत दो िाबत्रक हैं

ऐसे दो मात्रत्रक को नहीां चगिा कि लघु नहीां कि सकते

५ (१) िरन्तु जहााँ फकसी शब्द के उच्चारण िें दोनो हफ़थ अलग अलग उच्चररत होंगे वहााँ ऐसा
िात्रा योग नहीं बनेगा और वहााँ अलग अलग ही अर्ाथत ११ धगना जायेगा
ज़ैसे – सुििुर = सु/ ि /िुर = स+उ१ ि१ िरु २ = ११२

यहााँ उच्चािण अनुसाि स्ियां लघु है स+उ=१ ि१ औि िुर२ को हम ५.१ अनुसाि नहीां चगिा
सकते

क्रिांक ६ (१) - यहद फकसी शब्द िें अगल बगल के दोनो व्यंजन फकन्हीं स्वर के सार् जुड
कर लघु ही रहते हैं (क्रिांक २ अनुसार) तो उच्चारण अनुसार दोनों जुड कर शाश्वत दो
िाबत्रक हो जाता ह़ै इसे ११ नहीं धगना जा सकता
ज़ैसे = िरु
ु = ि+उ / र+उ = िरु
ु = २,
इसके और उदाहरण दे खें = धगरर
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
ऐसे दो मात्रत्रक को चगिा कि लघु नहीां कि सकते

६ (२) िरन्तु जहााँ फकसी शब्द के उच्चारण िें दो हफ़थ अलग अलग उच्चररत होंगे वहााँ ऐसा
िात्रा योग नहीं बनेगा और वहााँ अलग अलग ही धगना जायेगा
ज़ैसे – सुववचार = सु/ वव / चा / र = स+उ१ व+इ१ चा२ र१ = ११२१
यहााँ उच्चािण अनुसाि स्ियां लघु है स+उ१ व+इ१

क्रिांक ७ (१) - ग़ज़ल के िात्रा गणना िें अिथ व्यंजन को १ िात्रा िाना गया ह़ै तर्ा यहद
शब्द िें उच्चारण अनुसार िहले अर्वा बाद के व्यंजन के सार् जुड जाता ह़ै और जजससे
जुडता ह़ै वो व्यंजन यहद १ िाबत्रक ह़ै तो वह २ िाबत्रक हो जाता ह़ै और यहद दो िाबत्रक ह़ै
तो जुडने के बाद भी २ िाबत्रक ही रहता ह़ै ऐसे २ िाबत्रक को ११ नहीं धगना जा सकता ह़ै
उदाहरण -
सच्चा = स१+च ्१ / च१+आ१ = सच ् २ चा २ = २२
(अतः सच्चा को ११२ नहीं धगना जा सकता ह़ै)

आनन्द = आ / न+न ् / द = आ२ नन ्२ द१ = २२१


कायथ = का+र् / य = कार् २ य १ = २१ (कायथ िें का िहले से दो िाबत्रक ह़ै तर्ा आिा र
के जुडने िर भी दो िाबत्रक ही रहता ह़ै)
तुम्हारा = तु/ म्हा/ रा = तु१ म्हा२ रा२ = १२२
तम्
ु हें = तु / म्हें = त१
ु म्हें २ = १२
उन्हें = उ / न्हें = उ१ न्हें २ = १२

क्रमाांक ७ (१) अनुसाि दो मात्रत्रक को चगिा कि लघु नहीां कि सकते

७ (२) अिवाद स्वरूि अिथ व्यंजन के इस ननयि िें अिथ स व्यंजन के सार् एक अिवाद यह
ह़ै फक यहद अिथ स के िहले या बाद िें कोई एक िाबत्रक अक्षर होता ह़ै तब तो यह उच्चारण
के अनुसार बगल के शब्द के सार् जुड जाता ह़ै िरन्तु यहद अिथ स के दोनों ओर िहले से
दीघथ िाबत्रक अक्षर होते हैं तो कुछ शब्दों िें अिथ स को स्वतंत्र एक िाबत्रक भी िाना मलया
जाता ह़ै
ज़ैसे = रस्ता = र+स ् / ता २२ होता ह़ै िगर रास्ता = रा/स ्/ता = २१२ होता ह़ै
दोस्त = दो+स ् /त= २१ होता ह़ै िगर दोस्ती = दो/स ्/ती = २१२ होता ह़ै
इस प्रकार और शब्द दे खें
बस्ती, सस्ती, िस्ती, बस्ता, सस्ता = २२
दोस्तों = २१२
िस्ताना = २२२
िस्
ु कान = २२१
संस्कार= २१२१
क्रमाांक ७ (२) अनुसाि हस्ि व्यांिन स्ियां लघु होता है
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
क्रिांक ८. (१) - संयुक्ताक्षर ज़ैसे = क्ष, त्र, ज्ञ द्ि द्व आहद दो व्यंजन के योग से बने होने
के कारण दीघथ िाबत्रक हैं िरन्तु िात्र गणना िें खुद लघु हो कर अिने िहले के लघु व्यंजन
को दीघथ कर दे ते ह़ै अर्वा िहले का व्यंजन स्वयं दीघथ हो तो भी स्वयं लघु हो जाते हैं
उदाहरण = ित्र= २१, वक्र = २१, यक्ष = २१, कक्ष - २१, यज्ञ = २१, शुद्ि =२१ क्रुद्ि =२१
गोत्र = २१, ित्र
ू = २१,
क्रमाांक ८. (१) अनुसाि सांयुतताक्षि स्ियां लघु हो िाते हैं

८. (२) यहद संयुक्ताक्षर से शब्द प्रारं भ हो तो संयुक्ताक्षर लघु हो जाते हैं


उदाहरण = बत्रशल
ू = १२१, क्रिांक = १२१, क्षक्षनतज = १२
क्रमाांक ८. (२) अनुसाि सांयुतताक्षि स्ियां लघु हो िाते हैं

८. (३) संयुक्ताक्षर जब दीघथ स्वर युक्त होते हैं तो अिने िहले के व्यंजन को दीघथ करते हुए
स्वयं भी दीघथ रहते हैं अर्वा िहले का व्यंजन स्वयं दीघथ हो तो भी दीघथ स्वर यक्
ु त
संयुक्ताक्षर दीघथ िाबत्रक धगने जाते हैं
उदाहरण =
प्रज्ञा = २२ राजाज्ञा = २२२, ित्रों = २२
क्रमाांक ८. (३) अनुसाि सांयुतताक्षि स्िि के िुडने से दीघू होते हैं तथा यह क्रमाांक ३ के
अनुसाि लघु हो सकते हैं

८ (४) उच्चारण अनस


ु ार िात्रा गणना के कारण कुछ शब्द इस ननयि के अिवाद भी ह़ै -
उदाहरण = अनुक्रिांक = अनु/क्र/िां/क = २१२१ ('नु' अक्षर लघु होते हुए भी 'क्र' के योग से
दीघथ नहीं हुआ और उच्चारण अनुसार अ के सार् जुड कर दीघथ हो गया और क्र लघु हो
गया)
क्रमाांक ८. (४) अनुसाि सांयुतताक्षि स्ियां लघु हो िाते हैं

क्रिांक ९ - ववसगथ युक्त व्यंजन दीिथ िाबत्रक होते हैं ऐसे व्यंजन को १ िाबत्रक नहीं धगना जा
सकता
उदाहरण = दःु ख = २१ होता ह़ै इसे दीघथ (२) नहीं धगन सकते यहद हिें २ िात्रा िें इसका
प्रयोग करना ह़ै तो इसके तद्भव रूि िें 'दख
ु ' मलखना चाहहए इस प्रकार यह दीघथ िाबत्रक हो
जायेगा
क्रमाांक ९ अनुसाि विसगू युतत दीघू व्यांिन को चगिा कि लघु नहीां कि सकते हैं

अतः यह स्पष्ट हो गया है फक हम फकन दीघू को लघु कि सकते हैं औि फकन्हें नहीां कि
सकते, पिन्तु यह अभ्यास से ही पूणूतः स्पष्ट हो सकता है िैसे कुछ अपिाद को समझने के
भलए अभ्यास आिचयक है |
उदाहरण स्वरूि एक अिवाद दे खें = "क्रिांक ३ अनस
ु ार" िात्रा धगराने के ननयि िें बताया
गया ह़ै फक 'ऐ' स्वर तर्ा 'ऐ' स्वर युक्त व्यंजन को नहीं धगरा सकते ह़ै| ज़ैसे - "ज़ै" २ को
धगरा कर लघु नहीं कर सकते िरन्तु अिवाद स्वरूि "ह़ै" "हैं" और "िैं" को दीघथ िाबत्रक से
धगरा कर लघु िाबत्रक करने की छूट ह़ै अिी अनेक ननयम औि हैं ज्िनको िानना आिचयक
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
है पि उसे पहले कुछ अशआि क़ी तततीअ क़ी िाये ज्िसमें मात्रा को चगिाया गया हो उदाहिण
- १
ज्िांदगी में आि पहली बाि मुझको डि लगा
उसने मुझ पि फूल फेंका था मुझे पत्थि लगा

तू मुझे कााँटा समझता है तो मुझसे बच के चल


िाह का पत्थि समझता है तो फफि ठोकि लगा

आगे आगे मैं नहीां होता किी नजमी मगि


आि िी पथिाि में पहला मुझे पत्थि लगा
(अख्ति नजमी)
नोट - िहााँ मात्रा चगिाई गई है भमसिे में िो अक्षि औि मात्रा बोल्ड किके दशाूया गया है आप
दे खें औि भमलान किें फक िहााँ मात्रा चगिाई गई है िह शदद ऊपि बताए ननयम अनस
ु ाि सही
है अथिा नहीां

ज्िांदगी में / आि पहली / बाि मुझको / डि लगा


२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२२
उसने मुझ पि / फूल फेंका / था मुझे पत ् / थि लगा
२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२२

तू मुझे कााँ / टा समझता / है तो मुझसे / बच के चल


२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२२
िाह का पत ् / थि समझता / है तो फफि ठो / कि लगा
२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२२

आगे आगे / मैं नहीां हो / ता किी नि ् / मी मगि


२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२२
आि िी पथ / िाि में पह / ला मझ
ु े पत ् / थि लगा
२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२२

उदाहिण - २

उसे अबके िफाओां से गुज़ि िाने क़ी िल्दी थी


मगि इस बाि मुझको अपने घि िाने क़ी िल्दी थी

मैं अपनी मुट्दठयों में कैद कि लेता िमीनों को


मगि मेिे क़बीले को त्रबखि िाने क़ी िल्दी थी

िो शाखों से िदु ा होते हुए पिे पे हाँसते थे


बड़े ज्िन्दा नज़ि थे ज्िनको मि िाने क़ी िल्दी थी
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
(िाहत इन्दौिी)

उसे अबके / िफाओां से / गुज़ि िाने / की िल्दी थी


१२२२ / १२२२ / १२२२ / १२२२
मगि इस बा/ ि मुझको अप/ ने घि िाने / की िल्दी थी
१२२२ / १२२२ / १२२२ / १२२२

िैं अपनी मुट् / दठयों में कै / द कि लेता / िमीनों को


१२२२ / १२२२ / १२२२ / १२२२
मगि मेिे / क़बीले को / त्रबखि िाने / की िल्दी थी
१२२२ / १२२२ / १२२२ / १२२२

वो शाखों से / िुदा होते / हुए पिे / िे हाँसते थे


१२२२ / १२२२ / १२२२ / १२२२
बड़े ज्िन्दा / नज़ि थे ज्िन / को मि िाने / की िल्दी थी
१२२२ / १२२२ / १२२२ / १२२२

उदाहिण - ३

कैसे मांज़ि सामने आने लगे हैं


गाते गाते लोग चचल्लाने लगे हैं

अब तो इस तालाब का पानी बदल दो


ये काँिल के फूल कुम्हलाने लगे हैं

एक कत्रब्रस्तान में घि भमल िहा है


ज्िसमें तहखानों से तहखाने लगे हैं
(दष्ु यांत कुमाि)

कैसे मांज़ि / सामने आ / ने लगे हैं


२१२२ / २१२२ / २१२२
गाते गाते / लोग चचल्ला / ने लगे हैं
२१२२ / २१२२ / २१२२

अब तो इस ता / लाब का पा / नी बदल दो
२१२२ / २१२२ / २१२२
ये काँिल के / फूल कुम्हला / ने लगे हैं
२१२२ / २१२२ / २१२२

एक कत्रब्रस ् / तान में घि / भमल िहा है


GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
२१२२ / २१२२ / २१२२
ज्िसिें तहखा / नों से तहखा / ने लगे हैं
२१२२ / २१२२ / २१२२

इस प्रकाि यह स्पष्ट हुआ फक हम फकन दीघू मात्रत्रक को चगिा सकते हैं


अब मात्रा चगिाने को काफ़ी हद तक समझ चुके हैं औि यह िी िान चु के हैं फक कौन सा
दीघू मात्रत्रक चगिे गा औि कौन सा नहीां चगिे गा|
-------------------------------------------------------------------------------------------------------
ब) अब हि इस प्रश्न का उत्तर खोजते हैं फक शब्द िें फकस स्र्ान का दीघथ धगर सकता ह़ै
और फकस स्र्ान का नहीं धगर सकता - ननयम अ के अनुसाि हम ज्िन दीघू को चगिा कि
लघु मात्रत्रक चगन सकते हैं शदद में उनका स्थान िी सनु नज्चचत है अथाूत हम शदद के फकसी
िी स्थान पि स्थावपत दीघू अक्षि को अ ननयम अनुसाि नहीां चगिा सकते
उदाहिण - पाया २२ को पाय अनुसाि उच्चािण कि के २१ चगन सकते हैं पिन्तु पया अनुसाि
१२ नहीां चगन सकते

प्रश्न उठता ह़ै फक, जब िा और या दोनों िें एक ही ननयि (क्रिांक ३ अनुसार) लागू ह़ै तो
ऐसा क्यों फक 'या' को धगरा सकते हैं 'िा' को नहीं ? इसका उिि यह है फक हम शदद के केिल
अांनतम दीघू मात्रत्रक अक्षि को ही चगिा सकते हैं शदद के आख़खिी अक्षि के अनतरितत फकसी
औि अक्षि को नहीां चगिा सकते
कुछ औि उदाहिण दे खें -
उसूलों - १२२ को चगिा कि केिल १२१ कि सकते हैं इसमें हम "सू" को चगिा कि ११२ नहीां
कि सकते तयोफक 'सू' अक्षि शदद के अांत में नहीां है
तो - २ को चगिा कि १ कि सकते हैं तयोफक यह शदद का आख़खिी अक्षि है
बोलो - २२ को चगिा कि २१ अनुसाि चगन सकते हैं
(पोस्ट के अांत में औि उदाहिण दे खें)

नोट - इस ननयि िें कुछ अिवाद भी दे ख लें -


कोई, िेरा, तेर ा शदद में अपिाद स्िरूप पहले अक्षि को िी चगिा सकते हैं)
कोई - २२ से चगिा कि केिल २१ औि १२ औि ११ कि सकते हैं पि यह २ नहीां हो सकता
है
मेिा - २२ से चगिा कि केिल २१ औि १२ औि ११ कि सकते हैं पि यह २ नहीां हो सकता है
तेिा - २२ से चगिा कि केिल २१ औि १२ औि ११ कि सकते हैं पि यह २ नहीां हो सकता है
-----------------------------------------------------------------------------------------
अब यह भी स्िष्ट ह़ै फक शब्द िें फकन स्र्ान िर दीघथ िाबत्रक को धगरा सकते हैं

स) अब यह जानना शेष ह़ै फक फकन शब्दों की िात्रा को कदावि नहीं धगरा सकते -
१) हि फकसी व्यजक्त अर्वा स्र्ान के नाि की िात्रा कदावि नहीं धगरा सकते
उदाहिण - (|)- "मीिा" शदद में अांत में "िा" है िो क्रमाांक ३ अनुसाि चगि सकता है औि शदद
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
के अांत में आ िहा है इसभलए ननयमानुसाि इसे चगिा सकते हैं पिन्तु यह एक मदहला का
नाम है इसभलए सांज्ञा है औि इस कािण हम मीिा(२२) को "मीि" उच्चािण किते हुए २१ नहीां
चगन सकते| "मीिा" शदद सदै ि २२ ही िहेगा इसक़ी मात्रा फकसी दशा में नहीां चगिा सकते | यदद
ऐसा किें गे तो शेअि दोर् पूणू हो िायेगा
(||)- "आगिा" शदद में अांत में "िा" है िो क्रमाांक ३ अनस
ु ाि चगिा सकते है औि शदद के अांत
में "िा" आ िहा है इसभलए ननयमानुसाि चगिा सकते हैं पिन्तु यह एक स्थान का नाम है
इसभलए सांज्ञा है औि इस कािण हम आगिा(२१२) को "आगि" उच्चािण किते हुए २२ नहीां
चगन सकते| "आगिा" शदद सदै ि २१२ ही िहेगा | इसक़ी मात्रा फकसी दशा में नहीां चगिा
सकते | यदद ऐसा किें गे तो शेअि दोर् पूणू हो िायेगा

२) ऐसा माना िाता है फक दहन्दी के तत्सम शदद क़ी मात्रा िी नहीां चगिानी चादहए
उदाहिण - विडम्बना शदद के अांत में "ना" है िो क्रमाांक ३ अनस
ु ाि चगिा सकते है औि शदद
के अांत में "ना" आ िहा है इसभलए ननयमानुसाि चगिा सकते हैं पिन्तु विडम्बना एक तत्सम
शदद है इसभलए इसक़ी मात्रा नहीां चगिानी चादहए पिन्तु अब इस ननयम में काफ़ी छूट ले
िाने लगे हैतयोफक तद्िि शददों में िी खूब बदलाि हो िहा है औि उसके तद्िि रूप से िी
नए शदद ननकालने लगे हैं
उदाहिण - दीिावली एक तत्सम शदद है ज्िसका तद्िि रूप दीवाली है मगि समय के साथ
इसमें िी बदलाि हुआ है औि दीवाली में बदलाि हो कि हदवाली शदद प्रचलन में आया तो अब
ददिाली को तद्िि शदद माने तो उसका तत्सम शदद दीिाली होगा इस इस अनस ु ाि दीिाली
को २२१ नहीां किना चादहए मगि ऐसा खूब फकया िा िहा है औि लगिग स्िीकायू है | मगि
ध्यान िहे फक मूल शदद दीपािली (२२१२) को चगिा कि २२११ नहीां किना चादहए
यह िी याद िखें फक यह ननयम केिल दहन्दी के तत्सम शददों के भलए है | उदू के शददों के
साथ ऐसा कोई ननयम नहीां है तयोफक उदू क़ी शददािली में तद्िि शदद नहीां पाए िाते
(अगि फकसी उदू शदद का बदला हुआ रूप प्रचलन में आया है तो िह शदद उदू िार्ा से से
फकसी औि िार्ा में िाने के कािण बदला है िैसे उदू का अलविदाअ २१२१ दहन्दी में
अलविदा २१२ हो गया, सहीह(१२१) दबदल कि सही(१२) हो गया शुरुअ (१२१) बदल कि
शुरू(१२) हो गया मन ्अ(२१) बदल कि मना(१२) हो गया, औि ऐसे अनेक शदद हैं ज्िनका
स्िरूप बदल गया मगि इनको उदू का तद्िि शदद कहना गलत होगा )

_______________________________________________________
अब िब सािे ननयम साझा हो चुके हैं तो कुछ ऐसे शदद को उदाहिण स्िरूप प्रस्तुत किता हूाँ
ज्िनक़ी मात्रा को चगिाया िा सकता है

नोट - इसमें िो मात्रा लघु है उसे '१' से दशाूया गया है


िो २ मात्रत्रक है पिन्तु चगिा कि लघु नहीां फकया िा सकता उसे '२' से दशाूया गया है
िो २ मात्रत्रक है पिन्तु चगिा कि लघु कि सकते हैं उसे '#' से दशाूया गया है

िाम - २१
निि - १२
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
कोई - ##
मेिा - ##
तेिा - ##
औि - २१ अथिा २
तयों - २
सत्य - २१
को - #
मैं - #
है - #
हैं - #
सौ - २
त्रबछड़े - २#
तू - #
िाते - २#
तूने - २#
मुझको - २#

ननिेदन है फक ऐसी एक सूचच आप िी बना कि कमेन्ट में भलखें


------------------------------------------------------------------------------------------------
मात्रा चगिाने के बाद मात्रा गणना से सम्बज्न्धत कुछ अन्य बातें ज्िनका ध्यान िखना
आिचयक है -
स्िष्ट कर हदया जाये फक फकसी(१२) को धगरा गर फकमस (११) कर सकते हैं िरन्तु इसे हि
िात्रा गणना क्रिांक ६.१ अनुसार दीघथ िाबत्रक नहीं िन सकते "फकसी" िात्रा धगरने के बाद
११ होगा और सद़ै व दो स्वतंत्र लघु ही रहेगा फकसी दशा िें दीघथ नहीं हो सकता |
इसी प्रकार आमशकी (२१२) को धगरा कर आमशफक २११ कर सकते हीं िरन्तु यह २२ नहीं हो
सकता
िरन्तु इसका भी अिवाद िौजूद ह़ै उसे भी दे खें - और(२१) िें िहले अक्षर को अिवाद स्वरूि
धगराते हैं तर्ा अर अनुसार िढते हुए "दीघथ" िाबत्रक िान लेते हैं| यहााँ याद रखें फक "और" िें
"र" नहीं धगरता इसमलए "औ" मलख कर इसे लघु िाबत्रक नहीं िानना चाहहए| यह अनधु चत ह़ै
|

याद रखे -

कुछ ऐसे शदद हैं ज्िनके दो या दो से अचधक उच्चािण प्रचचभलत औि मान्य हैं
िैसे िाहबि(२१२) के साथ िहबि(२२) िी मान्य है मगि यह मात्रा चगिाने के ननयम के कािण
नहीां है,इस प्रकाि के कुछ औि शदद दे खें -

१ - तिह (१२) - तहू (२१)


२ - िाहिन (२१२) - िहिन (२२)
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
३ - दीपािली (२२१२) - दीिाली (२२२) - ददिाली (१२२)
४ - दीिाना (२२२) - ददिाना (१२२)
५ - नदी (१२) - नद्दी (२२)
६ - िखी (१२) - ितखी (२२)
७ - उठी (१२) - उट्ठी (२२)
८ - शुरुअ (१२१) - शुरू (१२)
९ - सहीह (१२१) - सही (१२)
१० - शाम ्अ (२१) - शमा (१२)
११ - अलविदाअ (२१२१) - अलविदा (२१२)
१२ - ग्लास (२१) - चगलास (१२१)
१३ - ज्ियादः (१२२) - जयादा (२२)
१४ - िगनाू (१२२) - िनाू (२२)
१५ - आईना (२२२) - आइना (२१२ )
१६ - एक (२१) - इक (२) ........ आदद

नोट - इनमें से कुछ शदद में पहला शदद 'तत्सम रूप' औि दस


ू िा रूप 'तद्िि रूप' है,

कुछ शदद में उस्तादों द्िािा छूट भलए िाने के कािण दस


ू िा रूप प्रचलन में आ गया औि
सिूमान्य हो गया

कुछ शदद उदू से दहन्दी में आ कि अपना उच्चािण बदल बैठे

उदू से दहन्दे में आने िाले शददों के भलए हमें कोभशश किनी चादहए फक अचधकाचधक उस रूप
का प्रयोग किें िो सचू च में पहले भलखा है, बदले रूप का प्रयोग किने से बचाना चादहए पिन्तु
प्रयोग ननर्ेध िी नहीां है

दहन्दी में ऐसे अनेकानेक शदद हैं िो तद्िि रूप में प्रचचभलत हैं उन पि िी यह बात लागू
होती है
िैसे - "दीपािली" भलखना श्रेष्ठ है दीिाली भलखना "श्रेष्ठ" औि "ददिाली" भलखना स्िीकायू
(यह बात यहााँ स्पष्ट किना इसभलए िी आिचयक था फक कहीां इसे िी मात्रा चगिाना ननयम
के अांतगूत मान कि लोग भ्रभमत न हों)

लेख का अांत एक दल ु ूि ग़ज़ल को साझा किते हुए किना चाहता हूाँ | इस ग़ज़ल में विशेर् यह
है फक दहन्दी के तत्सम शददों का सुन्दि प्रयोग दे खने को भमलाता है औि ग़ज़ल २० िी
शताददी के चौथे दशक क़ी है (अथाूत १९३१ से १९४० के बीच के फकसी समय क़ी) शायि के
नाम स्िरूप "दीन" का उल्लेख भमलाता है
िहााँ मात्रा चगिी है बोल्ड कि ददया है

(२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२)


GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
ख़खल िही है आि कैसी िूभम तल पि चाांदनी
खोिती फफिती ह़ै फकसको आि घि घि चाांदनी

घन घटा घांघ
ू ट हटा मस्
ु काई है कुछ ऋतु शिद
मारी मािी फफिती है इस हे तु दि दि चाांदनी

िात क़ी तो बात तया ददन में भी बन कि कांु दकास


छाई िहती है बिाबि िभू म तल पि चाांदनी

सेत सािी* युतत प्यािी क़ी छटा के सामने


िांचती है जयों फूल के आगे ह़ै पीति चाांदनी
(सेत सािी - चिेत साड़ी, सफ़ेद साड़ी)

स्िच्छता मेिे ह्रदय क़ी दे ख लेगी िब किी


सत्य कहता हूाँ फक कांप िायेगी थि थि चाांदनी

नोट - यह ग़ज़ल इसभलए िी साझा क़ी है फक तत्सम शददािली के भलए कही बात बहुतहद
तक सत्य भसद्ध होती है , आप िी ऐसी ग़ज़ल खोिें ज्िसमें तत्सम शददािली का प्र्य्ग फकया
गया हो औि दे खें फक तया तत्सम शदद क़ी मात्रा चगिाई गई है
एक ननिेदन
मात्रा चगिाने का लेख भलखना अत्यचधक दष्ु कि है तयोफक इसमें भलख कि उस बात स्पष्ट
किना है िो उच्चािण अनुसाि स्पष्ट होती है इसभलए अिचय ही कुछ िगह पि बातें उलझ
गई होंगी, आप उन स्थान का ज्िक्र िी किें तो मैं उसे औि स्पष्ट किने क़ी कोभशश करूाँ गा|
मात्रा चगिाने का कोई स्पष्ट लेख आि तक मुझे नहीां भमला है इसभलए ननज्चचत ही कई बातें
ऐसी होंगी िो छूट गई होंगी यदद आपके सांज्ञान में आये तो कृपया साझा किें
साथ ही आप यदद ऐसी विचध सुझा सके ज्िससे मात्रा चगिाने क़ी किायद को औि सिल रूप
से साझा फकया िा सके तो अिचय बताने क़ी कृपा किें
GHAZAL 101 – Basic of GHAZAL
8. ग़ज़ल िर चचाथ

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