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ेवार वग करण

‘क’, ‘ख’ और ‘ग’ े म हद

 राजभाषा नयम, 1976 म हमने दे खा क हद बोले जाने और लखे जाने क धानता के आधार प र

स!प ण# भारतवष# को तीन &े'( म बाँटा गया है : ‘क’ &े', ‘ख’ &े' एवं ‘ग’ &े'। ‘क’ &े' के अतग#त

वे रा2य एवं संघ रा2य &े' आत ह4 जहाँ क बोल ह हद है । ‘ख’ &े' वे रा2य एवं संघ रा2य &े'

ह4 जहाँ क भाषा हद न होने के बावजूद अ6धकतर 7थान( म हद बोल और समझी जाती है और

‘ग’ &े' के अतग#त वे रा2य एवं संघ रा2य &े' आत ह4 जहाँ क बोल हद न होकर उनक

ातीय भाषा है । ‘क’ &े', ‘ख’ &े' एवं ‘ग’ &े' का ;वभाजन न!नल<खत सारणी से समझा जा

सकता है :

‘क’ े ‘ख’ े ‘ग’ े

बहार, हरयाणा, हमाचल गुजरात, महारा>? और प ंजाब रा2य तथा ओDड़शा, बंगाल, असम,
दे श, चंडीगढ़, दमन और अGणाचल दे श, नागालेHड,
मय दे श, छीसगढ़, दव तथा दादरा और नगर मेघालय, म<णप ुर, I'प ुरा,
झारखंड, हवेल संघ रा2य &े' मजोराम, तमलनाडु,
उराखंड, राज(थान और तेलंगाना,
उर दे श रा+य तथा अंडमान और कणा#टक, आJ दे श, केरल
.नकोबार 0वीप समूह, द3ल
संघ
रा+य े

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