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गु पू णमा, और जलता आ चाँद

आज गु पू णमा ह। कहते ह क इस दन श वशेष प से गु को


सेवाभाव अ पत करते ह। हम नह पता, हमने उनक कतनी सेवा करी ह।
ले कन आँ कड़ च ा कर बता रह ह क उ ने अपने जीवन का णकाल
हमारी सेवा म न त ही आ त द डाला। ये उ ी गंगा बही ह जसम गु
ने श क सेवा करी ह।

पछले 10 वष म ही उनके अबतक 14,000 वी डयो का शत हो चुके


ह। और त दन उ ने औसातन 2-3 घंट क वाताएँ रकॉड क ह।
पछले 25 वष से वे एक असा ऑटोइ ून जेने टक त से ह।
जसम पहली दवाई होती ह एक शांत, र और आरामपूण जीवन।
पछले 12 वष से, जबसे उ हमने दखा ह। उ ने एक भी दन काम से
व ाम नह लया। सं ा म अ धकतर नए-नवेले अनाड़ी युवा जुड़ते रह, तो
आचाय जी ने अपने काम के साथ-साथ हम सबका काम भी कया।
डॉ र ने बार-बार आराम करने को बोला, तो उ ने डॉ र के पास ही
जाना छोड़ दया। दवाइय का ु भाव लवर और कडनी पर आने लगा
तो पछले 5 साल से उ ने दवाई लेनी ही छोड़ दी।

वो इस व भी काफ़ बीमार ह और ये कोई नई या वशेष बात नह ह।


हमने ऐसे ही चलता दखा ह, इस लए आपको बताते ए भी अजीब लग रहा
ह । और इस महीने के उनके कैलडर म 22 दन के लाइव स ह, इसके
अलावा ऑफ़लाइन रकॉ डग। हर स म वो अपने ाण पूरी तरह से नचोड़
दते ह: जैसे कोई मोमब ी दोन सर से जल रही हो, ता क काश ादा
से ादा फैल सके। इस महीने से उ ने अ ाव गीता पर नई ृंखला
शु कर दी ह। और ज ी ही पा ा दशन पर भी एक नया कोस शु

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करगे। हम जानते ह उ ये नह करना चा हए। उनका शरीर भी ये बात
जानता ह। पर ऐसे का ा कर जो शरीर को ग़ुलाम क तरह
दौड़ाता ह और कंघी-तेल करके, साफ़ कपड़ पहनके आपके सामने
पहलवान क तरह चार-चार घंट के लए बैठ जाता ह... जैसे सब ठीक हो।
एक बार डॉ र ने कहा था: ज इस व हॉ टल म एड मट होना
चा हए वो ऑ डटो रयम के ेज पर ा कर रह ह?

हम कहते ह क सेशन मत ली जए तो वो हम पर नाराज़ हो जाते ह। हम


को शश करते ह क सेशन ज ी ख़ हो जाए तो वो कहते ह क अभी
और सवाल लो। हम कहते ह क ऐसे कैसे चलेगा तो वो कहते ह क उनका
इलाज शां त ह, और शां त उ तभी मलेगी जब मशन सफल हो जाएगा।
हम कहते ह मशन सफल कब होगा तो वो कहते ह क अनंत ह। हम कहते
क इस बात का मतलब ा आ तो कहते ह क ू र हो जाओ, मुझे काम
करने दो। आज आपके सामने ये बात रख रह ह, आप समझा सकते ह , या
जो कुछ कर सकते ह , समय रहते कर ली जये।

तनाव और अ नयं त म उनके लए ज़हर ह। और हर महीने नई-नई


चुनौ तयाँ खड़ी होती रहती ह। मशन को वो डटकर बढ़ा रह ह, पर जस
हसाब से काम बढ़ रहा ह, संसाधन नह ह । सारा पैसा उ ने चार म
झ क दया, ता क आपतक बात प ँ च सके। तो सं ा के लोग के पास
काम करने को ठीक से जगह भी नह ह। और पछले एक-दो साल से हर
दशा से ताकतवर ु न खड़ हो रह ह जो हर तरीके से छल और घात
करते ह। आचाय जी का भाव ऐसा ह क मु ल जतनी बढ़ती ह, वे
अपनी मेहनत उतनी बढ़ा दते ह।

तो आज गु पू णमा ह। आज चं मा पूरा होगा। पर मशन पूरा ा,


आधा भी हो पाए, इसके लए हमार चं मा को अभी कम-से-कम बीस वष

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और चा हए। आसमान का चं मा तो हर अमावस के बाद पुनः पूण हो जाता
ह, पर हमारा चं मा तो सूरज क तरह जल रहा ह। ा कह अब आपसे
गु पू णमा को?

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