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Hindi - Study Notes
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कारक शब्द का शाब्ब्दक अर्थ है – करने वाला अर्ाथत क्रिया को पूरी तरह करने में क्रकसी न क्रकसी भूब्मका को ब्नभाने वाला ।
संज्ञा या सवथनाम के ब्िस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसे कारक कहते है
ब्वभब्ि या परसर्थ
कारकों का रुप प्रकट करने के ब्लये उनके सार् िो शब्द ब्चन्ह लर्ते है, उन्हें ब्वभब्ि कहते है । इन कारक ब्चन्हों या ब्वभब्ियों
को परसर्थ भी कहतें है । िैसे – ने, में, को, से ।
कारक के भेद
कारक ब्चन्ह
• कताथ ने
• कमथ को
• करण से (द्वारा)
• सम्प्प्रदान के ब्लए
• अपादान से
• सम्प्बन्ध का, की, के
• अब्धकरण में, पर
• सम्प्बोधन हे, अरे
1. कताथ कारक – क्रिया के करने वाले को कताथ कारक कहतें है । यह पद प्रायः संज्ञा या सवथनाम होता है । इसका सम्प्बन्ध क्रिया
से होता है । िैसे – राम ने पत्र ब्लखा । यहााँ कताथ राम है ।
कताथ कारक का प्रयोर् दो प्रकार से होता है –
• परसर्थ रब्हत – (क) भूतकाल की अकमथक क्रिया के सार् परसर्थ ‘ने’ नही लर्ता
।
िैसे –राम र्या । मोहन ब्र्रा ।
3. करण कारक – संज्ञा के ब्िस रुप से क्रिया के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहते है । इसका ब्वभब्ि चन्ह है – से
(द्वारा) िैसे –राम ने रावण को बाण से मारा ।
यहााँ राम बाण से या बाण द्वारा रावण को मारने का काम करता है । यहााँ ‘बाण से’ करण कारक है ।
4. सम्प्प्रदान कारक – सम्प्प्रदान का अर्थ है देना । ब्िसे कु छ क्रदया िाए या ब्िसके ब्लए कु छ क्रकया िाए उसका बोध कराने वाले
संज्ञा के रुप को सम्प्प्रदान कारक कहते है । इसका ब्वभब्ि ब्चन्ह ‘के ब्लए’ या ‘को’ है । िैसे मोहन ब्राह्मण को दान देता है या
मोहन ब्राह्मण के ब्लए दान देता है । यहााँ ब्राह्मण को या ब्राह्मण के ब्लए सम्प्प्रदान कारक है ।
5. अपादान कारक – संज्ञा के ब्िस रुप से अलर्ाव का बोध हो उसे अपादान कारक कहते है । इसका ब्वभब्ि ब्चन्ह ‘से’ है ।
िैसे – वृक्ष से पत्ते ब्र्रते हैं । मदन घोड़े से ब्र्र पड़ा ।
यहााँ वृक्ष से और घोड़े से अपादान कारक है । अलर् होने के अब्तररि ब्नकलने, सीखने, डरने, लिाने, अर्वा तुलना करने के भाव
में भी इसका प्रयोर् होता है ।
• ब्नकलने के अर्थ में - र्ंर्ा ब्हमालय से ब्नकलती है ।
• डरने के अर्थ में - चोर पुब्लस से डरता है ।
• सीखने के अर्थ में - ब्वद्यार्ी अध्यापक से सीखते है ।
• लिाने के अर्थ में - वह ससुर से लिाती है ।
• तुलना के अर्थ में - राके श रुपेश से चतुर है ।
• दूरी के अर्थ में - पृथ्वी सूयथ से दूर है ।
6. सम्प्बन्ध कारक – संज्ञा या सवथनाम के ब्िस रुप से उसका सम्प्बन्ध वाक्य की दूसरी संज्ञा से प्रकट हो, उसे सम्प्बन्ध कारक
कहते हैं ।
इसके परसर्थ हैं – का, के , की, ना, ने, नो, रा, रे, री आक्रद ।
िैसे – रािा दशरर् का बड़ा बेटा राम र्ा ।
रािा दशरर् के चार बेटे र्े ।
रािा दशरर् की तीन राब्नयााँ र्ी ।
• ब्वशेष – संबंध कारक की यह ब्वशेषता हैं क्रक उसकी ब्वभब्ियााँ (का, के , की)
संज्ञा, ललंर्, वचन के अनुसार बदल िाती हैं ।
िैसे – (क) लड़के का ब्सर दुख रहा है ।
(ख) लड़के के पैर में ददथ है ।
(र्) लड़के की टााँर् में चोट है ।
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7. अब्धकरण कारक – अब्धकरण का अर्थ है आधार या आश्रय । संज्ञा या सवथनाम
के ब्िस रुप से क्रिया के आधार (स्र्ान, समय, अवसर आक्रद) का बोध हो, उसे
अब्धकरण कारक कहतें हैं । इस कारक के ब्वभब्ि ब्चन्ह हैं – में, पे, पर ।
िैसे – (क) उस कमरे में चार चोर र्े
(ख) मेि पर पुस्तक रखी र्ी ।
• ब्वशेष :– कभी–कभी नाम पर िोर देकर सम्प्बोधन का काम चला ब्लया िाता है । वहााँ कारक ब्चन्हों की आवश्यकता नही
होती ।
िैसे –अरे । आप आ र्ए ।
अिी । इधर तो आओ ।