You are on page 1of 14

प्रतियोगी परीक्षाओ की िैयारी करने के तिए

नए YouTube चैनि “प्रज्ञान त िंदी” को Join करे


1. स्वतंत्रता
2. समानता
3. न्याय
4. अधिकार
( 5. नागररकता )
1. समानता का अर्थ
2. समानता के प्रकार
1. समानिा का अर्थ
• सामान्यतः समानता का अथथ है कक - मनुष्य जन्म से ही समान होते हैं और इसी कारण व्यकियों को
व्यवहार और आय का समान अकधकार प्राप्त होना चाकहए ।
• ककिंतु समानता का यह अकिप्राय उतना ही ब्रह्मपण
ू थ है, और प्रकृकत के द्वारा िी सिी व्यकियों को एक समान
शकियािं नहीं दी गई है ।
• राज्य के द्वारा इस प्रकार की समानता को अपनाया जाना अनुकचत ही नहीं बककक असिंिव िी है ।
● प्राकृतिक असमानिा
• प्रकृकत के द्वारा कवकिन्न व्यकियों में बुकि, बल और प्रकतिा की दृकि से िेद
ककया जाता है और इस िेद के कारण जो असमानता उत्पन्न होती है उसे
प्राकृकतक असमानता कहते हैं ।

● कृतिम या सामातिक असमानिा


• अनेक बार बुकि, बल और प्रकतिा की दृकि से श्रेष्ठ होने पर
िी कनधथ न व्यकियों के बच्चे अपने व्यकित्व का उतना
कवकास नहीं कर पाते, कजतना कवकास उससे कम बुकि, बल
के धकनक बच्चे कर लेते हैं ।
• इस सामाकजक असमानता के कारण सिी व्यकियों को
व्यकित्व के कवकास के समान अवसर प्राप्त नहीं हो पाते हैं ।
• समानता का तात्पयथ - सामाकजक कवषमता के कारण उत्पन्न इस असमानता के अिंत से है
। यह कवषमता राज्य द्वारा सिी व्यकियों को व्यकित्व के कवकास के समान अवसर कदए
जाने से समाप्त हो सकती है ।

• अतः कहा जा सकता है कक समानता का तात्पयथ ऐसी पररकथथकतयों के


अकथतत्व से होता है, कजसके कारण व्यकियों को व्यकित्व के कवकास
हे तु समान अवसर प्राप्त हो सके और इस प्रकार असमानता का अिंत हो
सके, कजसका मल ू कारण सामाकजक वैषम्य (कवषमता) है ।
2. समानिा के प्रकार

नागररक समानिा

सामातिक समानिा

रािनीतिक समानिा

आतर्थक समानिा

प्राकृतिक समानिा

धातमथक समानिा

सािंस्कृतिक और तिक्षा सिंबिंधी समानिा


2. समानिा के प्रकार
1) नागररक समानिा
 कानन ू की दृकि में सिी व्यकि समान होने चाकहए और राज्य के कानन ू ों द्वारा दिंड या सुकवधा
प्रदान करने में ककसी कि प्रकार का िेदिाव नहीं ककया जाना चाकहए ।
 इसके अलावा सिी व्यकियों को अकधकार एविं थवतिंत्रता समान रूप से प्राप्त होनी चाकहए ।
2) सामातिक समानिा

 समाज के कवशेष अकधकारों का अिंत ही सामाकजक समानता है !


 समाज में सिी व्यकियों को महत्व कदया जाना चाकहए ।
 समाज में जाकत, धमथ , कलिंग, वणथ और कायथ आकद के आधार पर िेदिाव नहीं
ककया जाना चाकहए ।
2. समानिा के प्रकार
3) रािनीतिक समानिा
 सिी को समान राजनीकतक अकधकार एविं अवसर प्राप्त होने चाकहए । रिं ग, जाकत, धमथ और कलिंग के
आधार पर कोई िेदिाव नहीं ककया जाना चाकहए !

4) आतर्थक समानिा

 आय में इतना अकधक अिंतर नहीं होना चाकहए कक, एक व्यकि अपने धन के
बल पर दसू रे व्यकियों के जीवन पर अकधकार कर ले ।
 जब तक सिी व्यकियों की अकनवायथ आवश्यकता सिंतुि नहीं हो जाती, उस
तब तक समाज से ककन्हीं िी व्यकियों को कवलाकसता के साधनों के उपयोग
का अकधकार प्राप्त नहीं होना चाकहए ।
 इस प्रकार आकथथ क समानता धन के उकचत कवतरण पर बल देती है ।
2. समानिा के प्रकार
5) प्राकृतिक समानिा
 प्रकृकत ने सिी मनुष्यों को एक समान बनाया है और सिी मनुष्य आधारित
ू रूप से बराबर है ।
6) धातमथक समानिा
 सिी धमथ समान है और सिी व्यकियों को समान रूप से अपनी इच्छा अनुसार धाकमथ क जीवन
व्यतीत करने का अकधकार प्राप्त होना चाकहए ।
 राज्य के द्वारा धमथ के आधार पर अपने नागररकों में कोई िेद नहीं ककया जाना चाकहए ।
7) सािंस्कृतिक और तिक्षा सिंबिंधी समानिा
 समान रूप से कशक्षा प्राप्त करने का अकधकार । कशक्षा के क्षेत्र में जाकत, धमथ , वणथ
और कलिंग के आधार पर कोई िेद नहीं ककया जाना चाकहए ।
 सािंस्कृतिक समानिा - सािंथकृकतक दृकि से बहु सिंख्यक और अकपसिंख्यक
सिी वगों को अपनी िाषा, कलकप और सिंथकृकत बनाए रखने का अकधकार होना
चाकहए ।
Next Session will be on…
New way of Learning„.
https://t.me/lodhajiclasses

You might also like