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15. समानता
15. समानता
नागररक समानिा
सामातिक समानिा
रािनीतिक समानिा
आतर्थक समानिा
प्राकृतिक समानिा
धातमथक समानिा
4) आतर्थक समानिा
आय में इतना अकधक अिंतर नहीं होना चाकहए कक, एक व्यकि अपने धन के
बल पर दसू रे व्यकियों के जीवन पर अकधकार कर ले ।
जब तक सिी व्यकियों की अकनवायथ आवश्यकता सिंतुि नहीं हो जाती, उस
तब तक समाज से ककन्हीं िी व्यकियों को कवलाकसता के साधनों के उपयोग
का अकधकार प्राप्त नहीं होना चाकहए ।
इस प्रकार आकथथ क समानता धन के उकचत कवतरण पर बल देती है ।
2. समानिा के प्रकार
5) प्राकृतिक समानिा
प्रकृकत ने सिी मनुष्यों को एक समान बनाया है और सिी मनुष्य आधारित
ू रूप से बराबर है ।
6) धातमथक समानिा
सिी धमथ समान है और सिी व्यकियों को समान रूप से अपनी इच्छा अनुसार धाकमथ क जीवन
व्यतीत करने का अकधकार प्राप्त होना चाकहए ।
राज्य के द्वारा धमथ के आधार पर अपने नागररकों में कोई िेद नहीं ककया जाना चाकहए ।
7) सािंस्कृतिक और तिक्षा सिंबिंधी समानिा
समान रूप से कशक्षा प्राप्त करने का अकधकार । कशक्षा के क्षेत्र में जाकत, धमथ , वणथ
और कलिंग के आधार पर कोई िेद नहीं ककया जाना चाकहए ।
सािंस्कृतिक समानिा - सािंथकृकतक दृकि से बहु सिंख्यक और अकपसिंख्यक
सिी वगों को अपनी िाषा, कलकप और सिंथकृकत बनाए रखने का अकधकार होना
चाकहए ।
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