You are on page 1of 15

प्रतियोगी परीक्षाओ की िैयारी करने के तिए

नए YouTube चैनि “प्रज्ञान तहिंदी” को Join करे


1. प्िेटो - न्याय का सिद्ाांत, सिक्षा का सिद्ाांत, िाम्यवाद का
सिद्ाांत, दािश सनक राज्य, आदिश राज्य
2. अरस्िु - राज्य, दािता, िािन का वगीकरण, नागररकता,
क्ाांसत
1. व्याख्या
2. साम्यवाद की स्थापना के कारण
3. प्िेटो के साम्यवाद के प्रकार
4. आिोचना
 प्लेटो ने ररपसललक में राज्य के सनमाश ण के सलए प्रथम आधार न्याय बताया ।
 न्याय की प्रासि एवां दािश सनक िािकों के सनमाश ण के सलए प्लेटो ने िाम्यवादी योजना प्रस्तुत की ।
 प्लेटों मानवीय दुबशलता िे पररसचत था । स्वाथश एवां मोह मनुष्य के कतश व्यपालन में बाधक बन िकते
हैं और अपने िािकों को वह इन बाधाओां िे मुि रखना चाहता था ।
 प्लेटो की िाम्यवादी योजना नई नहीं थी । उििे पहले यन ू ान के अन्य नगर राज्यों - स्पाटाश व क्ीट
में इििे समलती-जुलती व्यवस्थाएां थी ।

 नेटितिव - प्लेटो का िाम्यवाद सिक्षा द्वारा उत्पन्न की हु ई सवचारधारा को


प्रभाविाली बनाने वाला तथा उिे नवजीवन एवां नव िसि प्रदान करने वाला
एक परू क यांत्र है ।
2. साम्यवाद की स्थापना के कारण

1) मनोवैज्ञातनक कारण

2) राजनीतिक कारण

3) दािशतनक कारण

4) भावनात्मक कारण
2. साम्यवाद की स्थापना के कारण
1) मनोवैज्ञातनक कारण
प्लेटो अपने िािक एवां िैसनकों को लोभ, ममता, लालच, तष्ृ णा आसद िे मुि रखना चाहता था । मानव की इन्हीं
कमजोररयों के कारण राज्य में भ्रष्टाचार फै लता है ।
2) राजनीतिक कारण
प्लेटो राजनीसतक िसि को आसथश क िसि िे पथ ृ क रखना चाहता था । इिसलए आसथश क िसि वह उत्पादक वगश को िोपता
है । इिमें राजनीसतज्ञों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा ।
3) दािशतनक कारण
प्लेटो कायश सवषष्ठीकरण में सवश्वाि रखता था । प्रत्येक व्यसि अपनी योग्यता के अनुिार कायश करें । दािश सनक व िैसनक
िाांिाररक प्रलोभनों िे बचे रहे ।
4) भावनात्मक कारण
प्लेटो राज्य की एकता का िमथश क था, इिसलए उिने गुणों के आधार पर वगों का सनमाश ण सकया । वह यह नहीं चाहता था
सक वगश िांघषश हो । उिके अनुिार न तो िािन ित्ता के कारण उत्पादक व्यवस्था में हस्तक्षेप कर िकेंगे और ना उत्पादक
आसथश क िसि के कारण राजनीसत में हस्तक्षेप करें गे ।
3. प्िेटो के साम्यवाद के प्रकार
प्िेटो ने साम्यवाद के दो रूप प्रतिपातदि तकए हैं –
1) सिंपति का साम्यवाद, 2) तियों का साम्यवाद ।

2. पररवार िथा
1. सिंपति का
तियों का
साम्यवाद
साम्यवाद
3. प्िेटो के साम्यवाद के प्रकार
1) सिंपति का साम्यवाद

• िांपसत्त के िाधनों पर राज्य या िमाज का सनयांत्रण हो और िभी को उनका लाभ िमान रूप िे समले ।
• प्लेटो का िाम्यवाद इििे अलग था, प्लेटो अपने िांरक्षकों को (िैसनक व िािकों को) िाांिाररक
प्रलोभन िे मुि रखना चाहता था, तासक वह सनस्वाथश भाव िे अपने दासयत्व पण ू श कर िके । इिसलए
वह िैसनकों व िािकों को सनजी िांपसत्त िे दूर रखना चाहता था ।

• प्लेटो - िैसनक व िािकों के पाि केवल इतनी िांपसत्त होगी जो जीवन के सलए सनताांत आवश्यक है ।
न तो उनके पाि कोई घर होगा और ना ही कोई ऐिा गोदाम जो िबके सलए खुला ना हो ।
• अतः प्लेटो अपने िािकों को िांपसत्त िे दूर रखता है । इि प्रकार प्लेटो का िाम्यवाद भोग का
िाम्यवाद नहीं, त्याग का िाम्यवाद है ।
3. प्िेटो के साम्यवाद के प्रकार
2) पररवार िथा तियों का साम्यवाद

• िांपसत्त के िमान ही प्लेटो िािकों के सलए दूिरी बाधा पररवार मानता है । इिसलए वह िांरक्षक वगश के
ू श ता सनषेध करता है ।
सलए पररवार का पण
• प्लेटो के अनुिार िमान गुण वाले स्त्री - पुरुषों का अस्थाई सववाह होगा और इि सववाह िे उत्पन्न
िांतान का लालन-पालन राजकीय बालगहृ में होगा । ना तो माता-सपता जान पाएां गे सक उनकी िांतान
कौन है और ना बच्चे जान पाएां गे सक उनके माता सपता कौन है, माता सपता की बच्चों के प्रसत 'मेरे' की
भावना नहीं होगी, वे िब के होंगे ।
4. आिोचना

अधूरी व्यवस्था

मूि प्रवतृ ि के तवरुद्ध

पिायनवादी तवचारधारा

सिंरक्षक वगश में असिंिोष उत्पन्न होगा

पररवार स्वाभातवक है

किह व ईर्षयाश

आधतु नक दृति
5. प्िेटो के साम्यवाद की आिोचनाएिं
1) अधूरी व्यवस्था
• प्लेटो ने िाम्यवाद की योजना को राज्य के आधे भाग पर ही लाग ू सकया अथाश त िांरक्षक वगश
ू श िमाज पर लागू क्यों न सकया जाए । बाकशर
पर । यसद िाम्यवाद अच्छी व्यवस्था है तो िांपण
प्लेटो के िाम्यवाद को आधा िाम्यवाद कहते हैं ।

2) मूि प्रवतृ ि के तवरुद्ध


• मनुष्य की मल ू प्रवसृ त्त स्वासमत्व की है, वह छोटी िी वस्तु को भी अपना कहकर गौरवासन्वत
होता है । प्लेटो ने मनुष्य की इि मल ू प्रवसृ त्त पर ही आघात कर सदया ।

3) पिायनवादी तवचारधारा
• प्लेटो का दािश सनको के गुणों और अपनी सिक्षा पर िांभवत सवश्वाि नहीं था, इिसलए उिने
िांपसत्त और पररवार को ही िमाि करने का सवचार सकया ।
4) सिंरक्षक वगश में असिंिोष उत्पन्न होगा
• प्लेटो की िाम्यवादी योजना केवल असभभावकों (िािक वह िैसनकों ) पर ही लाग ू होगी,
िमाज में उनका महत्व होने पर भी यसद वे िांपसत्त व पररवार िे वांसचत रहे , तो उनमें अिांतोष
उत्पन्न होगा और अिांतुष्ट िािक िे आदिश राज्य का सनमाश ण नहीं हो िकेगा ।
5) पररवार स्वाभातवक है
• अरस्तु ने पररवार को मनुष्य की पहली पाठिाला माना है । बालकों को िबिे पहले सिक्षा
पररवार िे ही समलती है । पररवार को िमाि करना सकिी प्रकार िे उसचत नहीं । इतना ही
नहीं पररवार के अभाव में बालकों की उपेक्षा का अनुभव होगा ।
6) किह व ईर्षयाश
• इसतहाि िाक्षी है सक सस्त्रयों के सलए सकतने युद् हु ए हैं, प्लेटो के अस्थाई सववाद िे राज्य में
सकतना कलेह व िांघषश होगा, इिकी कल्पना करना कसठन है ।
7) आधतु नक दृति
• आधुसनक दृसष्ट िे भी प्लेटो के िाम्यवाद की आलोचना की गई है । िांपसत्त व पररवार का
मोह व्यसि में स्वाभासवक है । यसद पररवार िमाि हो जाए, तो िमाज भी िमाि हो जाएगा
और पररवार के पालन - पोषण और िुख - िुसवधाओां के सलए िांपसत्त की आवश्यकता होगी ।
Next Session will be on…

प्िटे ो का दािशतनक राज्य


New way of Learning„.
https://t.me/lodhajiclasses

You might also like