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भि वैभव छा पुि तका 1

भि वैभव छा पुि तका 2

भि वैभव

छा पुि तका
-बक और पाठ्य म िदशािनदश

भि वेदातं िव ापीठ
इ कॉन गोवधन इकोिवलेज,
गालतरे , हमरापुर पो , वाडा तालुका, पालघर िजला, महारा , भारत - 421303. | www.vidyapitha.in
भि वैभव छा पुि तका 3

अनु मिणका

1. पा म संरचना

2. बंद िकताब परी ा( सीबी)


a. मॉ ूल 1 [ ं ध 1 और 2]
i. सीबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 1.1-9)
ii. सीबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 1.10-19)
iii. सीबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 2.1-10)
b. मॉ ूल 2 [ ं ध 3]
i. सीबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 3.1-11)
ii. सीबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 3.12-21)
iii. सीबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 3.22-33)
c. मॉ ूल 3 [ ं ध 4]
i. सीबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 4.1-11)
ii. सीबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 4.12-21)
iii. सीबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 4.22-31)
d. मॉ ूल 4 [ ं ध 5 और 6]
i. सीबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 5.1-26)
ii. सीबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 6.1-9)
iii. सीबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 6.10-19)

3. खुली िकताब परी ा( ओबी)


a. मॉ ूल 1 [ ं ध 1 और 2]
i. ओबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 1.1-9)
ii. ओबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 1.10-19)
iii. ओबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 2.1-10)
b. मॉ ूल 2 [ ं ध 3]
i. ओबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 3.1-11)
ii. ओबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 3.12-22)
iii. ओबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 3.23-33)
c. मॉ ूल 3 [ ं ध 4]
i. ओबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 4.1-11)
भि वैभव छा पुि तका 4

ii. ओबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 4.12-21)


iii. ओबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 4.22-31)
d. मॉ ूल 4 [ ं ध 5 और 6]
i. ओबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 5.1-26)
ii. ओबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 6.1-9)
iii. ओबी परी ा-3 ( ीम ागवतम 6.10-19)

4. मौ खक ु ितयां
a. ु ित के िलए िदशािनदश
b. मू ां कन ि या
c. ु ित िवषय - ं ध 1 और 2
d. ु ित िवषय - ंध3
e. ु ित िवषय - ंध4
f. ु ित िवषय - ं ध 5 और 6

5. ोक परी ण

6. अ यन साम ी
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पाठ्य म संरचना

भ वैभव पा म म, ीम ागवतम के पहले छह ं दों को चार मॉ ूल म इस कार शािमल िकया गया है :


 मॉ ूल 1 ( ं ध 1 और 2)
 मॉ ूल 2 ( ं ध 3)
 मॉ ूल 3 ( ं ध 4)
 मॉ ूल 4 ( ं ध 5 और 6)

मू ांकन का कार मह
1 ब िवक ीय (एमसी ू टे ) 10%
2 बंद िकताब परी ा और ोक परी ण 35%
3 खुली िकताब परी ा 30%
4 मौ खक ुितयां 25%

 भ वैभव िड ी ा करने के िलए छा को ेक कार के मू ांकन के िलए ेक मॉ ूल म ूनतम


65% अं क ा करने की आव कता होती है।
 ज रत पड़ने पर दोबारा परी ा की सुिवधा उपल करायी जायेगी.
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बं द िकताब परी ा
ेक मॉ ूल के िलए बंद िकताब परी ा का ा प (कुल – 100 अं क)
अनुभाग I: लघु उ रीय (~75 श )
 6 , ेक 5 अंक
अनुभाग II: लघु िनबं ध (~200 श )
 4 , ेक 10 अंक
अनुभाग III: लं बे िनबंध (~500 श )
 2 , ेक 15 अंक
यिद संभव हो तो छा अपने उ रों म ासंिगक ोक उद् धृत कर सकते ह, हालां िक यह अिनवाय नहीं है।

बंद पु क परी ा बक

मॉ ूल 1 ( ीम ागवतम ं ध 1 और 2)

सीबी परी ा-1 ( ीम ागवतम 1.1-9)

अनुभाग I - लघु उ रीय (~75 श )

1. 1.1.1 के आधार पर परम स के 7 ल ण िल खए।


2. नैिमषार के ऋिषयों के 6 िल खए । (1.1.9-23)
3. किलयुग के लोगों के गुणों पर एक संि िट णी िल खए। (1.1.10)
4. ील भुपाद 1.4.1 के अपने ता य म "आ अनुभूित" की ा ा कैसे करते ह।
5. 1.7 म कृ से अजुन की ाथनाओं का सारां श ुत कर।
6. ील भुपाद भी दे व के अितिथ के ागत के तरीके से ा िश ा दे ते ह। (1.9.1-11)
7. सािह की दो ेिणयाँ कौन सी ह? ा ा करना। (1.5.10-11)
8. ासदे व ने अपने ान म ा दे खा? (1.7.1-7)
9. ऐसे कौन से अवसर ह जब कृ ने पां डवों की र ा की । (1.8.17-43)
10. कृ ने अजुन को तुरंत अ ामा को मारने के िलए े रत करने के ा कारण बताए? (1.7)

अनुभाग II लघु िनबंध (~200 श )

1. सूत गो ामी ने ऋिषयों के 1 और 2 का उ र कैसे िदया? (1.2)


2. ासदे व के काय म नारद मुिन ने कौन से दोषों की पहचान की? (1.5.8-22)
3. संि िट िणयाँ िलख :(i) कृ की भ -व ल और (ii) भ की शु ता और कृ पर िनभरता । (1.8.5-17)
4. ीम ागवत की मिहमा पर कोई दस त िल खए। (1.3.40-44)
5. 1.2.16-21 म ुत भ योग के िविभ र ा ह?
6. ौपदी ने िकस आधार पर अ ामा को रहा करने के िलए कहा? (1.7)
7. एक दासी के बे पु के प म नारद मुिन के िपछले जीवन से अपनी सीख िलख। (1.6)

अनुभाग III लं बे िनबंध (~500 श )


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1. ीम ागवतम् िलखने के िलए नारद मुिन ारा े रत होने के बाद ासदे व (1.7.4-7) के ान का वणन कर।
2. बताएं िक कृ िकस कार सभी अवतारों के ोत ह?
3. कुंती महारानी की ाथनाओं के िविभ खंडों को दशाने वाला एक वाह तािलका ( ो चाट) बनाएं ।
4. भी दे व ने पांडवों को कैसे शांत और ो ािहत िकया ? (1.9.12-17)
5. भी दे व की ाथनाओं का सारांश दीिजए । (1.9.29-43)
6. 1.5.8-22 म भ की ि या की मिहमा िकस कार बतायी गई ह?

सीबी परी ा-2 ( ीम ागवतम 1.10-19)

अनुभाग I लघु उ रीय (~75 श )

1. 1.11.6-10 से ारकावािसयों की वाता का सारां श ुत कर।


2. "भ पिव थान ह” पर एक संि िट णी िलख। (1.13.10)
3. युिधि र ारा दे खे गए िक ीं 6 अपशकुनों की सूची बनाइए । (1.14.11-20)
4. बताएं िक भगवद गीता का ान सभी प र थितयों म कैसे लागू होता है। (1.15.27 पी)
5. कृ के सुं दर प के िविभ पहलुओं का उपमाओं सिहत और उसे दे खने के भाव का वणन िकया गया है।
6. एक भ की सहनशीलता पर एक संि िट णी िल खए। (1.18.48)
7. ह नापुर की यों की बात वैिदक ऋचाओं से अिधक आकषक ों थीं? (1.10.20-30)
8. कौन से अवांिछत गुण धम के चारों चरणों को न कर दे ते ह ? (1.17.17-27)
9. भ ों की संगित की मिहमा ा है? (1.19.25-40)

अनुभाग II लघु िनबंध (~200 श )

1. ासंिगक छं दों और ता य के आधार पर कृ और उनकी रािनयों के बीच सं बंधों पर एक संि िट णी िलख ।


(1.11.28-39)
2. िवदु र ारा धृ तरा को िदये गये उपदे शों का सं ेप म वणन कीिजए । (1.13.18-28)
3. अजुन की िनराशा के दस कारण बताइये। (1.14.39-44)
4. अजुन की कृ से अलगाव की भावनाओं का सारां श ुत कर (1.15.1-6)
5. धा रणी के िवलाप के िलए धम ारा बताए गए िविभ सं भािवत कारण ा ह ? (1.16.18-24)
6. गंगा तट पर एकि त ऋिषयों से परीि त महाराज के ा थे ? (1.19.8-24)
7. ृंगी और सिमका के च र ों पर एक संि िट णी िलख।

अनुभाग III लं बे िनबंध (~500 श )

1. शोक के िनवारण के िलए नारद की युिधि र महाराज से ई बातचीत के मुख अंश िल खए । (1.13.38-60)
2. परीि त ने गाय और बैल से अपराधी के बारे म कैसे पूछा? ील भुपाद उन पूछताछों पर ा िट िणयाँ दे ते ह?
(1.17.1-16)
3. ंृगी के ाप का समाचार पाकर परीि त की ा िति या थी? िव ार म बताइए । उसने शमीक से माफ़ी ों नही ं
मां गी? (.19.1-7)
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4. परीि त महाराज के च र पर एक संि िट णी िलख ।

सीबी परी ा- 3 ( ीम ागवतम 2.1-10)

अनुभाग I लघु उ रीय (~75 श )

1. शुकदे व ने परीि त को बधाई ों दी ? (2.1.1-11)


2. अ ां ग -योग के अंग ा ह ? (2.1.15-39)
3. िवराट प के मह पर एक संि िट णी िलख | (2.1.26-27)
4. नारद मुिन के भगवान ा से 6 ा ह? (2.5.1-8)
5. ा ने नारद के संदेह को कैसे दू र िकया और परम भगवान का पद कैसे थािपत िकया? (2.5.9-13)
6. भगवान से ा के िलख | (2.9.26-30)
7. कोई भगवान को कैसे समझ सकता है और कैसे नहीं, इस पर एक संि िट णी िलख। (2.7.40-46)
8. भगवान और भ की सव ता थािपत कर. (2.7.47-49)
9. परीि त ने 2.8 म कृ -कथा का मिहमामं डन कैसे िकया?

अनुभाग II लघु िनबंध (~200 श )

1. ील भुपाद के ता य के आधार पर 2.1.5-6 की ा ा कर।


2. एक लोचाट के साथ आस और अनास योिगयों के माग का वणन कर । (2.2.22-32)
3. 2.4 म शुकदे व गो ामी की ाथनाओं का सारांश ुत कर।
4. ह रकथा म िच न लेने वाले पशुवत का अंग-अंग वणन कीिजए । (2.3.13-25)
5. िवराट प के िविभ पहलुओं को सारणीब कर। (2.5.36-42)
6. एकपाद-िवभू ित और ि पाद-िवभूित के बीच अंतर िल खए । (2.6.19-22)
7. भौितक शरीर के साथ आ ा के संबंध पर एक संि िट णी िलख। (2.9.1-3पी)
8. ा के वैकु के दशन पर एक संि िट णी िलख । (2.9.9-18)

अनुभाग III लं बे िनबंध (~500 श )

1. 2.2.33-37 के आधार पर भ योग की मिहमा बताइये ।


2. चतु ोकी ीम ागवत पर संि नोट िलख |
3. ीम ागवत के दस िवषयों को प रभािषत कर । थम 9 िवषयों का वणन करने की ा आव कता है?
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खु ली िकताब परी ाएँ

िदशा-िनदश
 ओपन बुक ए ाम छा ों की याद रखने की मता से ादा उनकी समझ की परी ा ले ते ह।
 ावहा रक अनु योग, गत अनु योग, िव ेषण और शा ीय समझ कुछ ऐसे िवषय ह िजन पर खुली िकताब
के पूछे जाते ह।
 उ र के िवषय के अनु प होने चािहए। उ र ासंिगक तक ुत करके को नकार भी सकता है।
आव कतानु सार वा िवक जीवन की घटनाएं और ासंिगक शा ीय उ रण, उपमाएं , उदाहरण और गत
ितिबंब भी शािमल िकए जा सकते ह।
 खुली िकताब िनबंधों के मू ांकन म दे खे गए कुछ पहलू िन िल खत ह -
o संतुिलत ुित: कृपया सू ( पी गत/ ावहा रक अनु योग, एल िनबंध, ई उदाहरण, ए नालॉजी, एस
ए क कने न और ई योगशाला - उ र म इनम से एक या अिधक पहलू शािमल हो सकते ह)
o दाशिनक सटीकता
o की ासंिगकता की िड ी (कृपया)।
o वा टु ता, अितरे क, श ों की सं ा, आिद।
 ीमद-भागवतम के पहले छह ं दों पर कुल 20,000 श ों तक के खु ले पु क िनबंध िलखने की
उ ीद की जाती है ।
 ेक परी ा के िलए 12-20 खुली िकताब वाले िदए गए ह और छा ों को उनम से िकसी भी 7 से
12 का उ र दे ना होगा, िजससे सभी िनबंधों की कुल श सं ा िनिद सं ा 5000 ित मॉ ूल हो
जाएगी।

खुली िकताब परी ा बक

मॉ ूल 1 ( ीम ागवतम ं ध 1 और 2)

खुली िकताब परी ा-1 ( ीम ागवतम ं ध 1.1-9)


1. सुत गो ामी से पूछने म नैिमषार के संतों ारा अपनाए गए िस ां तों और िश ाचार को इक ा कर |

2. नैिमषार के संतों, पां डव, परीि त आिद ऋिषयों जैसी महान आ ाओं की सामा जनता के ित मनोदशा से हम
ा िस ां त सीखते ह?

3. ील भुपाद कहते ह:
“िपछले पांच सौ वष के भीतर, कई िव ान िव ानों और आचाय जैसे जीव गो ामी, सनातन गो ामी, िव नाथ
च वत , व भाचाय और भगवान चैत के समय के बाद भी कई अ िति त िव ानों ने भागवत पर िव ृत
िट िणयाँ कीं। और गंभीर िव ाथ के िलए अ ा होगा िक वह पारलौिकक संदेशों का बेहतर आनंद लेने के िलए
उनका अ यन करने का यास करे ।'' (1.1.1 पी)
“ गत अहसास का मतलब यह नहीं है िक िकसी को, घमंड से बाहर, िपछले आचाय से आगे िनकलने की
कोिशश करके अपनी खुद की सीख िदखाने का यास करना चािहए। उसे िपछले आचाय पर पूरा भरोसा होना
चािहए, और साथ ही उसे िवषय व ु का इतनी अ ी तरह से एहसास होना चािहए िक वह िवशेष प र थितयों के
िलए िवषय को उपयु तरीके से ुत कर सके”- (1.4.1 पी)
इस पर िवचार कर िक ील भुपाद के ता य म कैसे थर रहा जाए, िफर भी िपछले आचाय की िट िणयों
का अ यन कर, और िफर भी, स म हो सक आधुिनक दशकों के िलए भागवतम को उपयु प से ुत
भि वैभव छा पुि तका 10

कर।

4. एक िश के प म ील ासदे व के आचरण और नारद की िवशेष ता तथा एक आ ा क गु के पम


ईमानदारी। यह आपको कैसे े रत करता है ?

5. "कृ की मिहमा ही समाधान है" िवषय पर एक िनबंध िलख सभी सम ाओं के िलए," ासदे व-नारद करण
पर आधा रत | (1.4-6)

6. भ वेदांत ता य के आधार पर अपनी समझ ुत कर: (i) ीमद-भागवतम के व ा की यो ता, (ii) ीमद-
भागवतम के ोता के गुण, (iii) ीमद-भागवतम की श ।

7. “ लेिकन, वैसे भी, हम केवल सौहोने के िलए अपनी तक और भेदभाव करने की श को नहीं छोड़ना
चािहए। िकसी चीज़ को उसकी यो ता के आधार पर परखने के िलए के पास अ ी भेदभावपूण श
होनी चािहए ।
(1.7.42) ील भुपाद उपरो पं यों को वामा- भाव श के संबंध म िलखते ह, जो भाव से सौ और
न है। ा वामा- भाव जीवन की ावहा रकताओं से िनपटने म एक बाधा है ? िट णी।

8. ील भुपाद िलखते ह, “...यह भावना की गुणव ा पर िनभर करता है । एक असहाय भावनापूवक भगवान के
पिव नाम का उ ारण कर सकता है, जबिक एक जो महान भौितक संतुि के साथ उसी पिव नाम का
उ ारण करता है, वह इतना ईमानदार नहीं हो सकता..." कुछ चीज़ों का उ ेख कर जो आपको वा िवक भावना
के साथ पुकारने म मदद करती ह और कुछ चीज जो भु केपिव नाम म आपकी शरण की भावना को कम कर
दे ती ह |

9. रानी कुंती अिधक से अिधक किठनाइयों के िलए ाथना करती है तािक वह कृ को याद कर सके ।
a. कृ चेतना के अपने अ ास के िलए रानी से गत अनु योग के िस ां त ा कर , कु ी का ि कोण.
b. एक भ की ऐसी मनोदशा को िकसी नवागंतुक या गैर-अ ासी कृ चेतना के सम ुत करने पर अपने िवचार
िलख ।

10. “ जो िवषय व ु मरते ए मनु को आकिषत करती है वही उसके अगले जीवन की शु आत बन जाती है । ”
भी दे व ने अपना शरीर कैसे छोड़ा, इसके आधार पर , "जीवन - मरने की एक कला" पर अपने िवचार ुत कर।

11. i ) मेहमानों का ागत करना, ( ii ) समय की श के बारे म भी दे व के करण से हम कौन से सामा िस ांत
ले सकते ह ?

12. " िद माधुय म संबंध थािपत करने का सबसे अ ा तरीका है कृ के पास उनके मा ता ा भ ों के मा म
से जाना।" (1.9.22पी) कोई इसे कृ चेतना के अपने गत अ ास म कैसे लागू कर सकता है ?

खुली िकताब परी ा-2 ( ीम ागवतम ं ध 1.10-19 )

13. ह नापुर मिहलाओं के श ों को " सव ुित मनोहरम् " कहकर मिहमामंिडत िकया गया है । ील भुपाद
िट णी करते ह, " भगवान की ुित म गाया गया कुछ भी ुित मं है ।" िन िल खत के बारे म शा ीय संदभ
को उद् धृ त करते ए एक संि नोट िलख: ( i ) कृ चेतना का अ ास नही ं करने वाले लोगों ारा भ
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िफ , ऑिडयो ए म और िकताब, ( ii ) कृ चेतना के एक नवजात अ ासी ारा कृ कथा ।

14. “ मिहलाएं , जो भगवान के िवचारों और काय म लीन थीं, उ ोंने भगवान की कृपा से वैिदक ान की चे तना िवकिसत
की। और इसिलए, हालाँ िक ऐसी मिहलाएँ सं ृ त या िकसी अ भाषा म ब त िव ान नहीं थीं, िफर भी वे जो कुछ
भी बोलती थीं वह वैिदक मं ों की तुलना म अिधक आकषक था। ” (1.10.20पी) कोई भ म कैसे थर हो सकता
है और शा के गहन अ यन की तुलना म सरल ाथनाओं से भगवान को अिधक स कर सकता है ? िकसी को
धम ंथों का अ यन करने म इतना समय ों लगाना चािहए?

15. 1.13.10 भ ों को पिव थानों के अवतार के प म विणत करता है । ासंिगक शा ीय सं दभ को उद् धृत करते
ए, एक धाम और एक भ की शु करण श की तुलना कर ।

16. पूछने पर भी िवदु र पा वों को यदु ओं के बारे म स ाई नहीं बताते । वह जीवन के न स को धृ तरा को तब भी
कट करता है जब उसने इसके िलए नहीं पूछा था। इस वहार से हम ा सीखते ह? चचा कर िक इसे भ के
अ ास म कैसे लागू िकया जाए ? [या]

17. "िकसी को नकारा कता फैलाने का साधन नहीं बनना चािहए।" 1.13 के ासंिगक छं दों के आधार पर इसकी ा ा
कर और एक अ ास करने वाले भ के जीवन म गत और सं थागत दोनों तरह से इसका पालन न करने के
िनिहताथ पर चचा कर।

18. युिधि र महाराज ( i ) यु म ए िवनाश, ( ii ) भी दे व के थान , ( iii ) अपने चाचा और चाची की बेख़बर
सेवािनवृ ि , ( iv ) भगवान कृ के गायब होने से दु खी थे । इनम से केवल दो मामलों म भ ों ने उ सलाह दी,
बाकी दो म नहीं। चचा कर िक इससे ा िन ष िनकाला जा सकता है और ा सीखा जा सकता है।

19. यिद परीि त महाराज ने कली को माफ करने के बजाय उसे मार डाला होता, तो अब हम कली के भाव नहीं झेल
रहे होते । यिद कोई यह तक उठाता है तो आप उसे ापक प से कैसे उ र दगे?

20. परीि त महाराज और ं ध 1 म विणत कई अ ों के साथ अनुिचत वहार िकया गया, लेिकन उ ोंने इसे
सहन िकया । 1.18.48 कहता है िक भ कभी ितकार नही ं करता। हम इसे अपने ावहा रक जीवन म कैसे लागू
कर? ा इसका मतलब यह है िक िकसी को अपना शोषण होने दे ना चािहए? िव ार म बताना।

21. ील भुपाद 1.13 के अिभ ाय म िलखते ह, " महान आ ाएँ एक महान उ े के िलए धोखा दे ती ह ।" कुछ
शा ीय उदाहरणों के आधार पर इस िस ांत का िव ार से वणन कर।

22. " समझदार को ऐसे उपकारों के िलए भगवान के ित कृत महसूस करना चािहए और ऐसी श का उपयोग
भगवान की सेवा के िलए करना चािहए। " (1.15.5पी). कोई अपने काय की सफलता का ेय गु की कृपा और
वै व आवास को कैसे दे सकता है ? अपने जीवन म एक थित चुन और उस थित के िविभ पहलुओं को अपने
व र ों के आशीवाद से ठोस तरीके से जोड़ने का यास कर।

23. अपने महल म वापस आने के बाद, परीि त ने शमीक ऋिष के साथ अपने वहार पर िवचार िकया । उसे अपनी
छोटी सी गलती के िलए खुद पर िवपि आने की उ ीद थी और वह चाहता भी था । उनके उदाहरण से आपको ा
ेरणा िमलती है ?
भि वैभव छा पुि तका 12

खुली िकताब परी ा-3 ( ीम ागवतम ंध2)

1. भ योग की े ता की चचा कीिजये शा कथनों के आधार पर, अ माग से तुलना की गई ।

2. " महान अिधका रयों के तरीकों के बाद पिव नाम का िनरं तर जप सभी के िलए सफलता का िन ंदेह और िनडर
तरीका है । " अपने जप म आने वाली बाधाओं को पहचान और चचा कर िक भागवत के इस अनुभाग का अ यन
आपको उन बाधाओं को दू र करने म कैसे मदद करता है ।

3. शुकदे व गो ामी के भौितकवादी यों के वणन आधुिनक समाज म कैसे ह? आप इस ि या म एक


नवागंतुक को भौितकवादी जीवन की इस कड़ी िनंदा को कैसे करगे?

4. 2.1-5, िवशेषकर 2.1.13 और 2.3.17-24 की साम ी के आधार पर िकसी के जीवन की सही उपयोिगता का वणन
कर।

5. भगवान के सावभौिमक प को समझने की आव कता का वणन करने वाले ील भुपाद के कथनों को एकि त
कर। उन कथनों से ावहा रक अनु योग िबंदु सामने लाएँ ।

6. ील शुकदे व गो ामी की ाथनाओं से उन िस ां तों की पहचान कर िज आप आ सात करना चाहगे। िव ार से


बताएं िक उनकी ाथनाओं पर िचंतन करने से आपकी चे तना भागवत बोलने के िलए कैसे तैयार होती है ।

7. 2.3.15पी म, एसपी कहते ह, " ...महाराजा पारीक का बचपन से हीाभािवक प से भगवान कृ की ओर झुकाव
था । उ ोंने उपयु गितिविधयों म से िकसी एक का अनुकरण िकया होगा, और ये सभी उनकी बचपन से ही महान
भ को थािपत करते ह, जो महाभागवत का एक ल ण है । ब ों को कृ की ओर आकिषत करने के कुछ
ावहा रक तरीके ुत कर ।

8. 2.5 म नारद मुिन के ों की तुलना ांड िव ान की आधुिनक जां च से कर। नारद के ों म आपके िलए सबसे
उ ेखनीय िवशेषताएँ ा ह? उनसे पूछकर उ ा हािसल होने वाला है , इसके बारे म अपनी समझ बताएं ।

9. पारीक ऋिष, शुकदे व, नारद, ा और भगवान के पा ों से गु , िश के आदश गुणों और उनके संबंधों को पहचान

10. भगवान ा ीकार करते ह िक वे कृ को नहीं समझ सकते ह ( ीम ागवतम 2.6.35) और कृ को समझना
ही भगवद ा का माग है ! (बी.जी. 4.9) बताएं िक इसे कैसे सुलझाया जाए और कृ को समझने के िलए कृ
चेतना म अपने यासों को उिचत ठहराया जाए । अपने उ र को शा पर आधा रत कर ील भुपाद और/या अ
आचाय के संदभ और कथन ।

11. 2.7.51-53 के संदभ म ीम ागवत के संदेश को संरि त करने और िवत रत करने के मह पर चचा कर । यह
िमशन आपके िलए िकस कार ासंिगक है ?

12. कैसे होता है चतुः - ोकी भागवत संबंध, अिभधेय और योजन की ा ा करते ह ?
भि वैभव छा पुि तका 13

मौ खक ु ितयां
 छा ों को पहले 6 सग पर चार ुितयाँ ( ेक 45-60 िमनट) दे नी होती ह:
o ं धस 1 और 2 पर ुित 1 (मॉ ूल 1 के बाद)
o ं ध 3 पर ुित 2 (मॉ ूल 2 के बाद)
o ं ध 4 पर ुित 3 (मॉ ूल 3 के बाद)
o ं धस 5 और 6 पर ुित 4 (मॉ ूल 4 के बाद)
 छा ों को अपनी समझ को पावरपॉइं ट ेजटे शन के पम ुत करना आव क है - ेक ुित के िलए 1
िवषय।
 िवषय नीचे िदए गए िवषयों की सू ची से चु ने जा सकते ह या छा अपना यं का िवषय लेकर आ सकते ह।
 ुित का 60% भाग मु पाठ और संबंिधत ं ध के भ वेदांत ता य पर आधा रत होना चािहए।

ुित के िलए िदशािनदश


साम ी - कृपया
 ुित का कम से कम 60% मु पाठ और सं बंिधत ीम ागवतम ं ध के भ वेदांत अिभ ाय पर आधा रत
होना चािहए।
 ुितकरण म िन िल खत म से कुछ या सभी "साम ी" हो सकती है -
o पी - गत या उपदे शा क अनु योग के िलए िस ांत
o एल - पाठ
o ई - उदाहरण
o ए - उपमाएँ
o एस - शा क कने न

ुित - PLEAS का भावी उपयोग


 ुितयाँ िवषयों के नीचे िदए गए संदभ के आधार पर तैयार की जा सकती ह, लेिकन इसे उन संदभ तक सीिमत
रखने की आव कता नहीं है । छा अपने गत िचंतन और समझ को शािमल कर सकता है।
 चीजों को चरम थितयों तक ले जाकर िवषय का मू ां कना क िव ेषण सराहनीय है।
 ुितकरण ाइड् स
o ाइड् स पर ब त अिधक टे से बच।
o 25 िमनट म िवषय को भावी ढं ग से ुत करने के िलए ूनतम सं ाम ाइड का उपयोग कर।
o सरलीकृत शीषकों, तािलकाओं, लोचाट और ासंिगक िच ों का उपयोग कर।
o ुितकरण स से पहले पीपीटी फ़ाइल जमा कर।
 जूरी पैनल ारा ो री और िट िणयों के िलए 10-15 िमनट।

िव ाथ ारा िवषय को समझना


 ऐसा िवषय चुन िजस पर आपकी काफी अ ी समझ हो।
 जूरी पैनल के ों का िबं दुवार उ र िदया जाना चािहए। कोई मूत उ र या िवषयां तर नहीं।
भि वैभव छा पुि तका 14

मू ांकन ि या
ुितयों का मू ां कन िन िल खत पहलुओं ( सीपीयू ) के आधार पर िकया जाता है
 साम ी - 30%
o साम ी का उपयोग करने की मता और भावशीलता (कृपया)
 ुित - 30%
o ील भुपाद के कथनों को भावी ढं ग से जोड़ना
o " ासंिगक" छं दों को उद् धृत करते ए, उिचत ासंिगक उपमाओं और उदाहरणों के साथ समझाते ए।
o ाकृितक वाह: बयान दे ने म कोई अचानक उछाल नहीं
o िवषय के िलए उद् धृत कृपया की ासंिगकता।
o ाइड, आ िव ास, शारी रक भाषा, ाकरण, आिद।
 िवषय की समझ – 40%
o िवषय के दाशिनक पहलुओं की समझ.
o शगल/घटना के संदभ को समझना।
o िवचारों की ता, ों का उ र दे ने की मता।

ुित िवषय - ं ध 1 और 2
1. ीम ागवतम 1.1.1 - "ज ा " ोक की ा ा
2. ीमद-भागवतम, अमल पुराण ( ीमद-भागवतम की मिहमा )
3. ं ध 1 और 2 म और उ र
4. परीि त महाराज की मिहमा
5. भगवान से अलगाव/िवरह (नारद, युिधि र, अजुन, भूिम... के उदाहरण के साथ)
6. ीमद-भागवतम की पर रा
7. भ सेवा म असंतोष
8. आ ा क गु - िश िश ाचार ( ास - नारद, सूत - नैिमषार के ऋिष, नारद - ा, ा - भगवान)
9. भगवान की इ ा को पहचानना (अजुन (1.7 म), पांडवों की सेवािनवृि , परीि त थान की तैयारी कर रहे ह)
10. भगवान पर िनभरता (अजुन का िवलाप, परीि त का आ य लेना, शुकदे व गो ामी के िनदश, आिद)
11. धम के चार चरण - उ े और मह
12. संत की या ा का उ े (िवदु र, शुकदे व गो ामी, नारद के उदाहरण के साथ...)
13. समय कारक (भी की ाथनाएँ ...)
14. एक वै व की सहनशीलता ( ौपदी, ासदे व, परीि त और धम के उदाहरणों के साथ ...)
15. भ सेवा के माग म चरण (1.5.23-37, 1.2.16-22, दासी के पु के प म नारद मुिन के जीवन के उदाहरण
के साथ)
16. भगवान अपने भ ों की मिहमा करते ह (परीि त, भी , पां डवों के उदाहरणों के साथ.. )
17. एक साधक की सफलता की कहानी (नारद मुिन का जीवन)
18. अ े िनदशों के ित हणशीलता (धृतरा , अ ामा, परीि त, ासदे व, ऋिष, नारद के उदाहरणों के साथ...)
19. भु के अवतार ( ीम ागवतम 1.3 और 2.7 से)
20. भु का अ हाथ दे खना (परीि त महाराज का जीवन - गभ म बचाया गया लेिकन मरने का ाप िदया गया )
21. ं अिकंचन गोचरम् ...
22. युिधि र और परीि त का शासन
23. भागवत के व ा और ोता की मनोदशा/यो ताएं (सुत गो ामी की मनोदशा से, नारद संवाद, और अ
भि वैभव छा पुि तका 15

अनुभाग...)
24. ' वणम्' की मिहमा (पहले 2 ं ध के िविभ ोकों/ख ों से )
25. भ -योग की े ता ( ीम ागवतम 1.5-6, ीम ागवतम 2.1-3, आिद से)
26. सृजन की ि या
27. भौितकवादी जीवन (िवदु र, शुकदे व गो ामी, ऋिषयों और ील भुपाद, आिद ारा भौितकवादी पु षों की
आलोचना से )
28. चतुः ोकी ( चतुः ोकी म संबंध , अिभधेय और योजन )
29. ीम ागवत के दस िवषय
30. िव प/सृि के बारे म ों जान?
31. भगवान के अिधकृत ितिनिध/भागवत व ा की भावना (सूत गो ामी की मनोदशा, शुकदे व गो ामी की
ाथना, ा-नारद सवाद और अ वग से)
32. भगवान ा के उपादान, िनिम और भावी कारण के प म ( ं ध 2)
33. शासन और नेतृ के िस ांत (परीि त, युिधि र और ाजी के उदाहरणों के साथ ... )
34. ाकृितक जीवन
35. भ ों के बारे म सुनना
भि वैभव छा पुि तका 16

ोका टे

 छा ों को उनके अथ के साथ कम से कम 75 ोक याद करने की आव कता होती है , सभी 6 सग को बनाते ह


और ेक ं ध से ूनतम 10 ोक बनाते ह।
 ोका टे िल खत ा प म होंगे (अिधकतर बंद-पु क परी णों के साथ)। ोक िलखने के िलए सं ृ त िवशेषक
िच या दे वनागरी पाठ अिनवाय नही ं ह।
 िजन लोगों को संदभ के िलए उनकी आव कता है, उनके िलए भागवत र माला की ऑिडयो रकॉिडग
https://gaurangdarhandas.com/media/sloka-recitations/ पर उपल ह।
 मू ां कन अं कन इस कार िकया जाता है:
o ोक - अ ा (2 अंक), औसत (1 अंक), ख़राब (0 अं क)
o अनुवाद (अनुमािनत) - अ ा (2 अंक), औसत (1 अंक), ख़राब (0 अंक)
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भि वैभव ोक सच
ू ी
Sr No Sloka No Sloka Sr No Sloka No Sloka
CANTO 1 28 3.9.11 tvaṁ bhakti-yoga...
1 1.1.1 janmādy asya... 29 3.9.25 so ’sāv adabhra-karuṇo...
2 1.1.2 dharmaḥ projjhita... 30 3.12.2 sasarjāgre ’ndha-tāmisram...
3 1.1.3 nigama-kalpa-taror... 31 3.15.43 tasyāravinda-nayanasya...
4 1.2.6 sa vai puṁsāṁ... 32 3.23.56 neha yat karma...
5 1.2.11 vadanti tat... 33 3.25.20 prasaṅgam ajaraṁ...
6 1.2.13 ataḥ pumbhir... 34 3.25.21 titikṣavaḥ kāruṇikāḥ...
7 1.3.28 ete cāṁśa-kalāḥ... 35 3.25.25 satāṁ prasaṅgān mama...
8 1.5.11 tad-vāg-visargo... 36 3.28.32 hāsaṁ harer avanatākhila...
9 1.7.7 yasyāṁ vai... 37 3.29.11-12 mad-guṇa-śruti-mātreṇa...
10 1.7.10 ātmārāmāś ca... 38 3.29.13 sālokya-sārṣṭi...
11 1.8.42 tvayi me ’nanya... 39 3.33.6 yan-nāmadheya...
12 1.11.36 uddāma-bhāva-piśunāmala... 40 3.33.7 ho bata śva-paco ’to...
13 1.13.10 bhavad-vidhā... CANTO 4
14 1.18.13 tulayāma lavenāpi... 41 4.3.17 vidyā-tapo-vitta...
15 1.18.48 tiraskṛtā vipralabdhāḥ... 42 4.8.34 guṇādhikān mudaṁ...
16 1.19.16 punaś ca bhūyād... 43 4.9.6 yo ’ntaḥ praviśya...
CANTO 2 44 4.9.11 haktiṁ muhuḥ...
17 1.19.16
2.1.16 etāvān sāṅkhya... 45 4.20.23 varān vibho...
18 2.3.10 akāmaḥ sarva-kāmo... 46 4.20.25 sa uttamaśloka...
19 2.9.33 aham evāsam evāgre... 47 4.22.39 yat-pāda-paṅkaja...
20 2.9.34 ṛte ’rthaṁ yat... 48 4.22.47 yair īdṛśī bhagavato...
21 2.9.35 yathā mahānti... 49 4.30.33 yāvat te māyayā...
22 2.9.36 etāvad eva... 50 4.31.14 yathā taror...
23 2.10.1 atra sargo... 51 4.31.19 dayayā sarva...
CANTO 3 CANTO 5
24 3.2.20 tathaiva cānye... 52 5.5.1 nāyaṁ deho...
25 3.2.23 aho bakī yaṁ... 53 5.5.2 mahat-sevāṁ...
26 3.7.14 aśeṣa-saṅkleśa-śamaṁ... 54 5.5.5 parābhavas tāvad...
27 3.8.2 so ’haṁ nṛṇāṁ... 55 5.5.8 puṁsaḥ striyā...
भि वैभव छा पुि तका 18

Sr No Sloka No Sloka

56 5.5.18 gurur na sa...

57 5.6.5 kāmo manyur mado...

58 5.10.17 nāhaṁ viśaṅke...

59 5.12.12 rahūgaṇaitat tapasā...


60 5.18.12 yasyāsti bhaktir...

61 5.19.12 kartāsya sargādiṣu...

62 5.19.24 na yatra vaikuṇṭha...

CANTO 6

63 6.1.15 kecit kevalayā...


64 6.1.19 sakṛn manaḥ...

65 6.2.14 sāṅketyaṁ pārihāsyaṁ...

66 6.2.49 mriyamāṇo harer nāma...

67 6.13.19 dharmaṁ tu sākṣād...

68 6.3.27 te deva-siddha...

69 6.3.29 jihvā na vakti...

70 6.11.24 ahaṁ hare tava...

71 6.11.25 na nāka-pṛṣṭhaṁ...
72 6.11.26 ajāta-pakṣā iva...

73 6.11.27 mamottamaśloka-janeṣu...

74 6.14.5 muktānām api...

75 6.17.28 nārāyaṇa-parāḥ...
भि वैभव छा पुि तका 19

अ यन साम ी

अ यन साम ी
 कृ कृपा मूित अभय चरणारिवंद भ वेदांत ामी ील भुपाद ारा ीम ागवतम ं द 1 से 6

अित र स भ
 साराथ दशनी ील िव नाथ च वत ठाकुर ारा, अं ेजी अनु वाद एचएच भानु ामी महाराज ारा
 भागवत सुबोिधनी (अ यन गाइड) ं ध 1-2, ं ध 3, ं ध 4 और ं ध 5-6, गौरांग दशन दास ारा
 भागवत र माला ( ोक पु क) ं ध 1-6, गौरां ग दशन दास ारा सं किलत

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