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RPSC कॉलेज व्याख्याता पाठ्यक्रम इतिहास हिंदी में।College lecturer history syllabus %
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RPSC कॉलेज व्याख्याता पाठ्यक्रम इतिहास हिंदी में।College lecturer history syllabus
July 2023 by मनोहर सिंह शेखावत
यदि आप कॉलेज व्याख्याता RPSC इतिहास विषय की आयोजित होने वाली परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो इस विषय का पाठ्यक्रम यहां हिंदी में पढ़ सकते हैं।
इतिहास विषय के कॉलेज लेक्चरर पदों के लिए होने वाली परीक्षा के प्रश्न पत्र एवं एग्जाम पैटर्न तथा इतिहास कॉलेज व्याख्याता सिलेबस यहां हिंदी में दिया गया है।
RPSC college lecturer syllabus history in hindi/कॉलेज व्याख्याता इतिहास पाठ्यक्रम हिंदी में। Assistant professor history syllabus in
PDF. आरपीएससी असिस्टेंट प्रोफे सर हिस्ट्री सिलेबस 2023
जैसा कि आप जानते हैं कॉलेज व्याख्याता इतिहास या अन्य किसी विषय के सिलेबस में अधिक परिवर्तन नहीं होता है इसलिए आप इस सिलेबस से तैयारी कर
सकते हैं। RPSC College Lecturer Notification में परीक्षा पैटर्न का उल्लेख किया जा चुका है।
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RPSC द्वारा कॉलेज व्याख्याता इतिहास के लिए तीन प्रश्न पत्र का आयोजन किया जाएगा। प्रथम दो प्रश्न पत्र विषय(History subject) के होंगे जबकि तीसरा प्रश्न पत्र
सामान्य अध्ययन (general studies of Rajasthan) का होगा।
राजस्थान का सामान्य अध्ययन College Lecturer Syllabus Paper III का पाठ्यक्रम आप हिंदी में यहां पढ़ सकते हैं।
कॉलेज लेक्चरर सिलेबस हिंदी में। RPSC college lecturer syllabus in Hindi
Maximum Marks 75
Number of Question
Duration(समयावधि) 3 घंटे
इस तरह इतिहास के प्रत्येक पेपर में 150-150 प्रश्न होंगे जो कु ल 75-75 अंकों के होंगे।
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3. वैदिक युग – वैदिक वांग्मय, ऋग्वैदिक काल से बाद तक परिवर्तनवैदिक काल; राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन; धर्म, अनुष्ठान और
दर्शन.वैदिक युग का महत्व.
4. राज्य गठन और महाजनपदों का उदय: गणतंत्र और राजशाही; की वृद्धिशहरी कें द्र; आर्थिक विकास- शिल्प, शिल्प, धन और व्यापार; का उद्भवजैन धर्म,
बौद्ध धर्म और आजीवक संप्रदाय; मगध का उदय. सिकं दर का आक्रमण और उसके भारत पर असर.
5. मौर्य साम्राज्य- मौर्य साम्राज्य की नींव, राजनीतिक उपलब्धियाँचन्द्रगुप्त, बिन्दुसार और अशोक; अशोक और उसका धम्म, अशोक के
शिलालेख;राजनीति, प्रशासन और अर्थव्यवस्था; कला और वास्तुकला.
6. उत्तर मौर्य काल: शुंग और कण्व्य; बाहरी दुनिया से संपर्क -इंडो-ग्रीक,शक, कु षाण, पश्चिमी क्षत्रप; शहरी कें द्रों, व्यापार और अर्थव्यवस्था का
विकास,धार्मिक संप्रदायों का विकास: वैष्णव, शैव, महायान; कला, वास्तुकला, औरसाहित्य।
7. दक्कन और दक्षिण भारत में प्रारं भिक राज्य और समाज: महापाषाण काल, दसातवाहन, संगम युग के तमिल राज्य; प्रशासन, अर्थव्यवस्था, संगमसाहित्य
और संस्कृ ति; कला और वास्तुकला.
8. शाही गुप्त- राजनीतिक इतिहास, राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था, व्यापार और वाणिज्य,साहित्य और कला.
9. गुप्त काल के बाद की अर्थव्यवस्था- व्यापार और वाणिज्य, बैंकिं ग और मुद्रा।
10.हर्षवर्धन- विजय, राजनीति, धर्म, कला और साहित्य।
11. क्षेत्रीय राज्यों का उदय- चालुक्य, पल्लव, चोल, राष्ट्र कू ट, प्रतिहार औरपलास.
12. भारत का बाहरी विश्व-पश्चिम एशिया, मध्य एशिया और पूर्वी एशिया से संपर्क ।
13. पूर्व-मध्यकालीन भारत (700A.D. से 1200A.D.) – समाज और अर्थव्यवस्था, सामंतवाद औरसामाजिक-राजनीतिक जीवन पर इसका प्रभाव, क्षेत्रीय
सांस्कृ तिक पहचान का विकास औरक्षेत्रीय राजनीतिक शक्तियाँ। इस काल में दर्शन एवं धर्म का विकास हुआ।
प्राचीन भारत में विविध कला, साहित्य और संस्कृ ति का विकास – वास्तुकला,मूर्तिकला, संगीत, शास्त्रीय भाषाओं का साहित्य, शिक्षा का विकास,दर्शन,
विज्ञान और तकनीक।
(ए) इतिहास का दर्शनइतिहास का विश्लेषणात्मक और सट्टा दर्शन।इतिहास का विश्लेषणात्मक दर्शन:ऐतिहासिक साक्ष्य, अनुमान और तथ्य की प्रकृ ति; इतिहास के
प्रमाण एवं स्रोत:साहित्यिक- प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक और पुरातात्विक स्रोत।ऐतिहासिक व्याख्या.सामान्य-कानून मॉडल; ऐतिहासिक निष्पक्षता; कारण।
आदर्शवादी परं परा:डिल्थी-क्रोसे-कॉलिंगवुडउत्तर आधुनिक ‘इतिहास का अंत’ – उत्तर आधुनिक चुनौती।इतिहास का सट्टा दर्शन।इतिहास के विभिन्न काल्पनिक
दार्शनिकों का संक्षिप्त सर्वेक्षण- विको, हर्डर, हेगेल,मार्क्स, स्पेंगलर, टॉयनबी और फु कु यामा।भारतीय इतिहासकार: बरनी, अबुल फज़ल, आर.सी. मजूमदार, जे.एन.
सरकार, डी.डी. कोसंबी औरके .एम. अशरफ.(बी) इतिहासइतिहासलेखन की विभिन्न परं पराओं का एक संक्षिप्त सर्वेक्षण: भारतीय (प्राचीन, मध्यकालीन और)।
आधुनिक); चीनी (कन्फ्यूशियस), ग्रेको-रोमन (हेरे डोटस), जूदेव-ईसाई,इस्लामी इतिहासकार (इब्न ख़र्दुम), रैंके और वैज्ञानिक इतिहास, मार्क्सवादी,
औपनिवेशिक,राष्ट्र वादी, कै म्ब्रिज, सबाल्टर्न और उत्तर आधुनिक।
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यह था कॉलेज व्याख्याता इतिहास प्रश्न पत्र प्रथम का सिलेबस। इतिहास विषय के पाठ्यक्रम को RPSC द्वारा दो भागों में या दो प्रश्न पत्रों में विभाजित किया है। प्रथम
प्रश्न पत्र की तरह ही History Subject के द्वितीय प्रश्न पत्र का भी बिंदुवार आप यहां हिंदी पाठ्यक्रम देख सकते हैं।
आधुनिक भारत
18वीं सदी का संक्रमण:(ए) मुगल साम्राज्य का पतन(बी) क्षेत्रीय शक्तियों का उदय(सी) यूरोपीय शक्तियों का आगमन
.ब्रिटिश शासन की स्थापना एवं विस्तार-बंगाल, अवध, मैसूर,मराठा और सिख.
पूंजीवाद, साम्राज्यवाद और औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में संक्रमण:(ए) ब्रिटिश भारत में भू-राजस्व निपटान; का आर्थिक प्रभावराजस्व व्यवस्था; कृ षि का
व्यावसायीकरण; की गिरावटलघु उद्योग; भूमिहीन कृ षि मजदू रों का उदय; दरिद्रताग्रामीण समाज का.(बी) पारं परिक व्यापार और वाणिज्य का विस्थापन;
डी-औद्योगिकीकरण;धन का निकास; ब्रिटिश पूंजी निवेश, यूरोपीय व्यापार उद्यम और उसका प्रभाव।
ब्रिटिश राज की प्रारं भिक संरचना: प्रारं भिक प्रशासनिक संरचना; द्वैध शासन से प्रत्यक्ष नियंत्रण तक;रे गुलेटिंग एक्ट (1773); पिट्स इंडिया एक्ट (1784);
चार्टर अधिनियम(1833); मुक्त व्यापार की आवाज और अंग्रेजों का बदलता चरित्र प्रवासीय शासनविधि; अंग्रेजी उपयोगितावादी और भारत.
5. ब्रिटिश शासन के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया: सामाजिक-संस्कृ ति परिवर्तन:(ए) भारत में पश्चिमी शिक्षा की शुरूआत; प्रेस, साहित्य का उदयऔर जनता की
राय; आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास और साहित्य; विज्ञान की प्रगति; भारत में ईसाई मिशनरी गतिविधियाँ।(बी) सामाजिक और धार्मिक सुधार
आंदोलन: ब्रह्मो आंदोलन;देवेन्द्र नाथ टैगोर; ईश्वरचंद्र विद्यासागर; युवा बंगाल आंदोलन; दयानंद सरस्वती; महाराष्ट्र के सामाजिक सुधार आंदोलन और भारत
के अन्य हिस्से; भारतीय पुनर्जागरण का योगदान आधुनिक भारत का विकास; सर सैय्यद अहमद खान और अलीगढ़ आंदोलन।इस्लामी पुनरुत्थानवाद-
फ़राज़ी और वहाबी आंदोलन।(सी) दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए आंदोलन।
6. ब्रिटिश शासन द्वितीय के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया: विद्रोह और बगावत(ए)18वीं और 19वीं शताब्दी में किसान आंदोलन और आदिवासी विद्रोहजिनमें
रं गपुर ढिं ग (1783), कोल विद्रोह (1832), मोपला शामिल हैंमालाबार में विद्रोह (1841-1920), संताल हुल (1855), इंडिगो विद्रोह(1859-60), दक्कन
विद्रोह (1875) और मुंडा उलगुलान (1899-1900);1857 का महान विद्रोह – उत्पत्ति, चरित्र, विफलता के कारण, परिणाम;1857 के बाद के काल में
किसान विद्रोह के चरित्र में बदलाव;1920 और 1930 के दशक के किसान आंदोलन।
भारतीय राष्ट्र वाद का उदय(ए) भारतीय राष्ट्र वाद के जन्म के लिए अग्रणी कारक; एसोसिएशन की राजनीति;भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना; प्रारं भिक के
उद्देश्यकांग्रेस; नरमपंथी और उग्रवादी; बंगाल का विभाजन (1905);बंगाल में स्वदेशी आंदोलन; के आर्थिक और राजनीतिक पहलूस्वदेशी आंदोलन; भारत
में क्रांतिकारी उग्रवाद की शुरुआत. (बी) गांधीवादी राजनीति का युग: गांधीवादी राष्ट्र वाद का चरित्र; गांधी कालोकप्रिय अपील; रौलट सत्याग्रह; खिलाफत
आंदोलन; असहयोग आंदोलन; असहयोग आन्दोलन के अंत से लेकर सविनय अवज्ञा के प्रारम्भ तक राष्ट्रीय राजनीतिआंदोलन; सविनय अवज्ञा आंदोलन के
दो चरण; साइमनआयोग; नेहरू रिपोर्ट; गोलमेज़ सम्मेलन; चुनाव1937 का और मंत्रालयों का गठन; क्रिप्स मिशन; भारत छोड़ोआंदोलन; वेवेल योजना;
कै बिनेट मिशन. (सी) राष्ट्रीय आंदोलन में अन्य पहलू: राष्ट्र वाद और किसानआंदोलन; राष्ट्र वाद औरश्रमिक वर्ग। क्रांतिकारी हलचलें: बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र ,
यू.पी. मद्रासराष्ट्र पति पद और भारत के बाहर; भारतीय राष्ट्रीय सेना (आजाद हिंद फौज)।बाएं ; कांग्रेस के भीतर वामपंथी: जवाहरलाल नेहरू, सुभाष
चंद्रबोस, कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अन्य वामपंथीदलों।
1858 और 1935 के बीच औपनिवेशिक भारत में संवैधानिक विकास।
भारतीय राजनीति में मुस्लिम लीग और साम्प्रदायिकता का विकास;भारत के विभाजन की परिस्थितियाँ।
स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण- राज्यों का भाषाई पुनर्गठन,पंचवर्षीय योजना, नेहरूवादी युग के दौरान संस्थागत निर्माण, विकासविज्ञान और प्रौद्योगिकी का
पुनर्जागरण – कारण और प्रभाव; सुधार – कारण, विकास और महत्व;काउंटर रिफॉर्मेशन और उसका प्रभाव; 15वीं की भौगोलिक खोजें-16वांसदियों.
ज्ञानोदय और आधुनिक दृष्टिकोण: ज्ञानोदय के प्रमुख विचार औरवैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास, औद्योगिक क्रांति-कारण एवं प्रभावसमाज।
राष्ट्र -राज्यों का विचार- फ्रांसीसी और ब्रिटिश राष्ट्र राज्य का गठन, अमेरिकीक्रांति-कारण और प्रभाव.
फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन युग- कारण, महत्वपूर्ण घटनाएँ और प्रभाव,नेपोलियन बोनापार्ट का योगदान.
19वीं सदी में राष्ट्र वाद का उदय और साम्राज्यों का विघटन। राष्ट्र जर्मनी और इटली में निर्माण।
19वीं सदी में साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विकास-एशिया औरअफ्रीका। प्रथम विश्व युद्ध: कारण और
परिणाम, प्रथम विश्व युद्ध और पेरिस शांति सम्मेलन.
1917 की रूसी क्रांति- कारण और महत्व।
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महान मंदी और उसका प्रभाव, फासीवाद और नाज़ीवाद का उदय।
. द्वितीय विश्व युद्ध- कारण, महत्वपूर्ण घटनाएँ और प्रभाव।
विश्व संगठन- राष्ट्र संघ एवं यू.एन.ओ.
.औपनिवेशिक शासन से मुक्ति: लैटिन अमेरिका, अरब विश्व, दक्षिण एशिया औरदक्षिण-पूर्व एशिया, 1949 की चीनी क्रांति।
शीत युद्ध – दो ब्लॉकों का उदय।
तीसरी दुनिया का उद्भव और गुटनिरपेक्षता।
सोवियत संघ का विघटन और शीत युद्ध की समाप्ति।
तो इस लेख में आपने इतिहास विषय के कॉलेज व्याख्याता पाठ्यक्रम Assistant Professor history syllabus PDF का हिंदी में अध्ययन किया है। आप इन
विषयों की बिंदुवार अच्छी पुस्तकों के साथ तैयारी कर सकते हैं। हालांकि राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा कॉलेज व्याख्याता इतिहास पाठ्यक्रम 2023 नए
सिलेबस के अनुसार है।
RPSC द्वारा अभी कॉलेज व्याख्याता की परीक्षा तिथियों की घोषणा नहीं की गई है परं तु फिर भी अभ्यर्थियों को तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। RPSC assistant
professor histry syllabus PDF का हिंदी में नवीनतम हिस्ट्री पाठ्यक्रम जारी किया गया है।
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आप RPSC कॉलेज व्याख्याता राजनीति विज्ञान का पाठ्यक्रम भी हिंदी में यहां पढ़ सकते हैं और कमेंट बॉक्स में अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। यदि आपको
यह लेख पसंद आया हो तो अपनी मित्रगण में इसे शेयर अवश्य करें । धन्यवाद।
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कॉलेज लेक्चरर हिस्ट्री सिलेबस, कॉलेज व्याख्याता इतिहास सिलेबस
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