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धर्म-संसार / सनातन धर्म / महापुरुष / kashyap son aryama and sarvapitri amavasya

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पितरों के देव अर्यमा और सर्वपितृ अमावस्या के रहस्य को


जानिए...

Hindi Webdunia 15h

ज़रूर पढ़ें
Sarva Pitru Amavasya : कब है सर्व पितृ
अमावस्या 2023
।।ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।...ॐ मृत्योर्मा अमृतं
Sarva Pitru Amavasya
गमय।। 2023: 16 श्राद्ध पितृ पक्ष 29
सितंबर 2023 शुक्रवार से प्रारंभ हो
अर्थात : पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है। रहे हैं। श्राद्धपक्ष के बाद शारदीय…
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अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में कु तुप मुहूर्त
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प्रणाम। हे! पिता, पितामह, और में करते हैं श्राद्ध, जानें यह क्या है और कब है?
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प्रपितामह। हे! माता, मातामह और Kutup kaal Muhurat :
प्रमातामह आपको भी बारम्बार भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्‍विन
माह के कृ ष्ण पक्ष की अमावस्या
प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमृत की
तक 16 दिन तक श्राद्ध पक्ष रह…
ओर ले चलें।
ऋषि कश्यप की पत्नीं अदिति के Dussehra 2023 Date: दशहरा कब है 2023
Hindi
में 23 या 24 अक्टूबर को, जानें सही डेट Shop now
12 पुत्रों में से एक अर्यमन थे। ये
Vijayadashami 2023:
बारह हैं:- अंशुमान, इंद्र, अर्यमन,
विजयादशमी और दशहरा का पर्व
त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और त्रिविक्रम (वामन)। एक ही दिन मनाया जाता है। इस
महरष् में सप वधयक अबू
दिन माता
READ MOREने महिषासुर का वध…Skip Ad
आजम के ठकन पर IT क रेड
अर्यमा का परिचय : अदिति के तीसरे पुत्र और आदित्य नामक सौर-देवताओं में से
एक अर्यमन या अर्यमा को पितरों का देवता भी कहा जाता है। आकाश में
आकाशगंगा उन्हीं के मार्ग का सूचक है। सूर्य से संबंधित इन देवता का अधिकार प्रात:
और रात्रि के चक्र पर है। चंद्रमंडल में स्थित पितृलोक में अर्यमा सभी पितरों के Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि
पर्व कै से मनाते हैं
अधिपति नियुक्त हैं। वे जानते हैं कि कौन सा पितृत किस कु ल और परिवार से है।
Shardiya navratri 2023:
15 अक्टूबर 2023 से शारदीय
O LYM P T RADE नवरात्र‍ि प्रारंभ हो रही है। इस पर्व
में बहुत ही उल्लास और उत्साह …
A 26-Year-Old Girl From
Kurnool Became A Millionaire
Overnight Shraaddha paksha 2023: पितरों को जल
देते समय क्या बोलना चाहिए?
LEARN MORE Pitro ko jal dene ki vidhi:
29 सितंबर 2023 शुक्रवार से 16
श्राद्ध पितृ पक्ष प्रारंभ हो रहा है।
इस दौरान पितरों की मुक्ति तर्प…
आश्विन कृ ष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऊपर की किरण (अर्यमा) और किरण
वीडियो
के साथ पितृ प्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। पितरों में श्रेष्ठ है अर्यमा। अर्यमा पितरों के
और भी वीडियो देखें
देव हैं। ये महर्षि कश्यप की पत्नी देवमाता अदिति के पुत्र हैं और इंद्रादि देवताओं के
भाई। पुराण अनुसार उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र इनका निवास लोक है।

इनकी गणना नित्य पितरों में की जाती है जड़-चेतन मयी सृष्टि में, शरीर का निर्माण
नित्य पितृ ही करते हैं। इनके प्रसन्न होने पर पितरों की तृप्ति होती है। श्राद्ध के समय
इनके नाम से जलदान दिया जाता है। यज्ञ में मित्र (सूर्य) तथा वरुण (जल) देवता के
साथ स्वाहा का 'हव्य' और श्राद्ध में स्वधा का 'कव्य' दोनों स्वीकार करते हैं।

पितृलोक : धर्मशास्त्रों अनुसार पितरों का निवास चंद्रमा के उर्ध्वभाग में माना गया है।
यह आत्माएं मृत्यु के बाद एक वर्ष से लेकर सौ वर्ष तक मृत्यु और पुनर्जन्म की मध्य
धर्म संसार
की स्थिति में रहते हैं। पितृलोक के श्रेष्ठ पितरों को न्यायदात्री समिति का सदस्य माना
जाता है। अन्न से शरीर तृप्त होता है। अग्नि को दान किए गए अन्न से सूक्ष्म शरीर और Ganesh visarjan muhurat 2023: अनंत
चतुर्दशी इन मुहूर्त में करें गणेश प्रतिमा का…
मन तृप्त होता है। इसी अग्निहोत्र से आकाश मंडल के समस्त पक्षी भी तृप्त होते हैं।
Ganesh visarjan Vidhi
पक्षियों के लोक को भी पितृलोक कहा जाता है। 2023: भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की
अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व : सूर्य की सहस्त्रों किरणों में जो सबसे प्रमुख है मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।…
उसका नाम 'अमा' है। उस अमा नामक प्रधान किरण के तेज से सूर्य त्रैलोक्य को Anant Chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी
प्रकाशमान करते हैं। उसी अमा में तिथि विशेष को चंद्र (वस्य) का भ्रमण होता है, तब व्रत की पूजा विधि और मुहूर्त
Hindi
उक्त किरण के माध्यम से चंद्रमा के उर्ध्वभाग से पितर धरती पर उतर आते हैं Anant Chaturdashi
इसीलिए श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि का महत्व भी है। अमावस्या के साथ मन्वादि Worship 2023 : वर्ष 2023 में
अनंत चतुर्दशी का पर्व 28 सितंबर,
तिथि, संक्रांति काल व्यतिपात, गजच्दाया, चंद्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण इन समस्त तिथि-
दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है…
वारों में भी पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जा सकता है।
महरष् में सप वधयक अबू
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Ganesh Visarjan 2023 आजम
: गणेशके विसर्जन
ठकन परकी
IT क रेड
संपूर्ण 'सरल पूजन विधि'
पितरों का परिचय : पुराण अनुसार मुख्यत: पितरों को दो श्रेणियों में रखा जा सकता
है- दिव्य पितर और मनुष्य पितर। दिव्य पितर उस जमात का नाम है, जो जीवधारियों
के कर्मों को देखकर मृत्यु के बाद उसे क्या गति दी जाए, इसका निर्णय करता है। इस
जमात का प्रधान यमराज है।
Ganesh Puja Visarjan :
गणेश उत्सव हमारे देश का
चार व्यवस्थापक : यमराज की गणना भी पितरों में होती है। काव्यवाडनल, सोम,
महत्वपूर्ण उत्सव है। प्रतिवर्ष गणेश
अर्यमा और यम- ये चार इस जमात के मुख्य गण प्रधान हैं। अर्यमा को पितरों का चतुर्थी के दिन घर-घर में गणेश …
प्रधान माना गया है और यमराज को न्यायाधीश।
कै से करें गणपति मूर्ति का विसर्जन, जानें
प्रामाणिक विधि, रखें ये सावधानियां
इन चारों के अलावा प्रत्येक वर्ग की ओर से सुनवाई करने वाले हैं, यथा- अग्निष्व,
Ganesh visarjan Vidhi
देवताओं के प्रतिनिधि, सोमसद या सोमपा-साध्यों के प्रतिनिधि तथा बहिर्पद-गंधर्व, 2023: भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की
राक्षस, किन्नर सुपर्ण, सर्प तथा यक्षों के प्रतिनिधि हैं। इन सबसे गठित जो जमात है, चतुर्थी से गणेश प्रारंभ होकर अनंत
वही पितर हैं। यही मृत्यु के बाद न्याय करती है। चतुर्दशी पर इसका समापन होता…

गणेशोत्सव विशेष : इस खास चालीसा पाठ से


दिव्य पितर की जमात के सदस्यगण : अग्रिष्वात्त, बहिर्पद आज्यप, सोमेप, रश्मिप, करें विघ्नहर्ता को प्रसन्न
उपदूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक व नान्दीमुख ये नौ दिव्य पितर बताए गए हैं। आदित्य, Ganesh Chalisa : आज घर-
वसु, रुद्र तथा दोनों अश्विनी कु मार भी के वल नांदीमुख पितरों को छोड़कर शेष सभी घर में विघ्नहर्ता श्री गणपति बप्पा
का आगमन होगा। 10 दिनों तक
को तृप्त करते हैं।
गणेश जी की सेवा करके हर को…

सूर्य किरण का नाम अर्यमा : देसी महीनों के हिसाब से सूर्य के नाम हैं- चैत्र मास में
धाता, वैशाख में अर्यमा, ज्येष्ठ में मित्र, आषाढ़ में वरुण, श्रावण में इंद्र, भाद्रपद में
विवस्वान, आश्विन में पूषा, कार्तिक में पर्जन्य, मार्गशीर्ष में अंशु, पौष में भग, माघ में
त्वष्टा एवं फाल्गुन में विष्णु। इन नामों का स्मरण करते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का
विधान है।

श्राद्ध या तर्पण : पितृ पक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष के तथा तीन पीढ़ियों
तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता है। इन्हीं को पितर कहते हैं।
दिव्य पितृ तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण और दिव्य मनुष्य तर्पण के पश्चात ही स्वयं
पितृ तर्पण किया जाता है।

पितर चाहे किसी भी योनि में हों वे अपने पुत्र, पु‍त्रियों एवं पौत्रों के द्वारा किया गया
श्राद्ध का अंश स्वीकार करते हैं। इससे पितृगण पुष्ट होते हैं और उन्हें नीच योनियों से
मुक्ति भी मिलती है। यह कर्म कु ल के लिए कल्याणकारी है। जो लोग श्राद्ध नहीं
करते, उनके पितृ उनके दरवाजे से वापस दुखी होकर चले जाते हैं। पूरे वर्ष वे लोग
उनके श्राप से दुखी रहते हैं। पितरों को दुखी करके कौन सुखी रह सकता है?

श्राद्ध की महिमा एवं विधि का वर्णन ब्रह्म, गरूड़, विष्णु, वायु, वराह, मत्स्य आदि
पुराणों एवं महाभारत, मनुस्मृति आदि शास्त्रों में यथास्थान किया गया है।

संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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