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नवरात्रि 9 शक्तिशाली दिन दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती के
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BY PREETI JHA Edited By: Publish Date: Mon, 12 Oct 2015 01:19 PM (IST) Updated Date: Mon, 12 Oct 2015 01:24 PM (IST)
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अवसर है। ये तीन देवियाँ अस्तित्व के तीन मूल गुणों – तमस, रजस और सत्व की प्रतीक हैं।
तमस का अर्थ है जड़ता। रजस का गुण सक्रियता और जोश से जुड़ा है। और सत्व गुण, ज्ञान और
बोध का गुण है। सभी नवरात्रि देवी को समर्पि त होते हैं, और दसवां दिन दशहरा तीनों मूल गुणों
सद्गुरु
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नवरात्रि ईश्वर के स्त्री रूप को समर्पि त है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती स्त्री-गुण यानी स्त्रैण के तीन
आयामों के प्रतीक हैं। वे अस्तित्व के तीन मूल गुणों – तमस, रजस और सत्व के भी प्रतीक हैं।
तमस का अर्थ है जड़ता। रजस का मतलब है सक्रियता और जोश। सत्व एक तरह से सीमाओं को
तोडक़र विलीन होना है, पिघलकर समा जाना है। तीन खगोलीय पिं डों से हमारे शरीर की रचना
का बहुत गहरा संबंध है – पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा। इन तीन गुणों को इन तीन पिं डों से भी जोड़
कर देखा जाता है। पृथ्वी माता को तमस माना गया है, सूर्य रजस है और चंद्रमा सत्व।
नवरात्रि के पहले तीन दिन तमस से जुड़े होते हैं। इसके बाद के दिन राजस से, और नवरात्रि के
जो लोग शक्ति, अमरता या क्षमता की इच्छा रखते हैं, वे स्त्रैण के उन रूपों की आराधना करते हैं,
जिन्हें तमस कहा जाता है, जैसे काली या धरती मां। जो लोग धन-दौलत, जोश और उत्साह,
जीवन और भौतिक दुनिया की तमाम दूसरी सौगातों की इच्छा करते हैं, वे स्वाभाविक रूप से
स्त्रैण के उस रूप की ओर आकर्षि त होते हैं, जिसे लक्ष्मी या सूर्य के रूप में जाना जाता है। जो लोग
ज्ञान, बोध चाहते हैं और नश्वर शरीर की सीमाओं के पार जाना चाहते हैं, वे स्त्रैण के सत्व रूप की
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तमस पृथ्वी की प्रकृ ति है जो सबको जन्म देने वाली है। हम जो समय गर्भ में बिताते हैं, वह समय Saran: मढ़ौरा में मजदूर को सांप ने
काटा, डिब्बे में बंद कर ले गया अस्पताल,
तामसी प्रकृ ति का होता है। उस समय हम लगभग निष्क्रिय स्थिति में होते हुए भी विकसित हो फिर बताई ये काम की बात
रहे होते हैं। इसलिए तमस धरती और आपके जन्म की प्रकृ ति है। आप धरती पर बैठे हैं। आपको
नोएडा में औद्योगिक प्लाट बेचने के नाम
पर 26 लाख रुपये की ठगी, सीमा हैदर
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,
उसके साथ एकाकार होना सीखना चाहिए। वैसे भी आप उसका एक अंश हैं। जब वह चाहती है, समेत चार लोगों के खिलाफ के स दर्ज
एक शरीर के रूप में आपको अपने गर्भ से बाहर निकाल कर आपको जीवन दे देती है और जब
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वह चाहती है, उस शरीर को वापस अपने भीतर समा ले ती है।
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दिशा वकानी की वापसी
इन तीनों आयामों में आप खुद को जिस तरह से लगाएं गे, वह आपके जीवन को एक दिशा देगा।
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अगर आप खुद को तमस की ओर लगाते हैं, तो आप एक तरीके से शक्तिशाली होंगे। अगर आप किन्नरों ने युवक का मुंडन कर पिलाया
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रजस पर ध्यान देते हैं, तो आप दूसरी तरह से शक्तिशाली होंगे। ले किन अगर आप सत्व की ओर गिरफ्तार
जाते हैं, तो आप बिल्कु ल अलग रूप में शक्तिशाली होंगे। ले किन यदि आप इन सब के परे चले
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जाते हैं, तो बात शक्ति की नहीं रह जाएगी, फिर आप मोक्ष की ओर बढ़ेंगे। के अंदर का नजारा देखकर उड़ गए लोगों
के होश, खून से लथपथ मिली युवक की
लाश
जो पूर्ण जड़ता है, वह एक सक्रिय रजस बन सकता है। रजस पुन: जड़ता बन जाता है। यह परे भी
जा सकता है और वापस उसी तमस की ओर भी जा सकता है। दुर्गा से लक्ष्मी, लक्ष्मी से दुर्गा,
सरस्वती कभी नहीं हो पाई। इसका मतलब है कि आप जीवन और मृत्यु के चक्र में फं से हैं। उनसे
तो ये दोनों घटित होते रहते हैं। जो चीज जड़ता की अवस्था में है, वह रजस व सक्रियता की स्थिति
में आएगी और फिर से वापस जाकर एक खास समय के लिए जड़ता की स्थिति में पहुंच सकती
है। उसके बाद फिर सक्रिय हो सकती है। यह एक व्यक्ति के रूप में आपके साथ हो रहा है, यही
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पृथ्वी के साथ हो रहा है, यही तारामंडल के साथ हो रहा है, यही समूचे ब्रह्मांड के साथ हो रहा है।
ये सब जड़ता की अवस्था से सक्रिय होते हैं, और फिर जड़ता की अवस्था में चले जाते हैं। मगर
महत्वपूर्ण चीज यह है कि इस इं सान में इस चक्र को तोडक़र उसके परे जाने की काबिलियत है।
लिं ग भैरवी (ईशा योग कें द्र में सद्गुरु द्वारा प्रतिष्ठित देवी का एक रूप) के रूप में देवी के इन तीन
आयामों को स्थापित किया गया है। आपको अपने अस्तित्व और पोषण के लिए इन तीन आयामों
को ग्रहण करने में समर्थ होना चाहिए, क्योंकि आपको इन तीनों की जरूरत है। पहले दो की
जरूरत आपके जीवन और खुशहाली के लिए है। तीसरा परे जाने की चाहत है।
नवरात्रि के बाद दसवां और आखिरी दिन विजयदशमी या दशहरा होता है। इसका अर्थ है कि
आपने इन तीनों गुणों पर विजय पा ली है। आपने इनमें से किसी से हार नहीं मानी, आपने तीनों
के आर-पार देखा है। आप हर एक में शामिल हुए मगर आपने किसी में भी खुद को लगाया नहीं।
आपने उन्हें जीत लिया। यही विजयदशमी है यानि विजय का दिन। इससे हमें यह संदेश मिलता है
कि हमारे जीवन में जो चीजें मायने रखती हैं, उनके लिए श्रद्धा और कृ तज्ञता का भाव रखना
हम जिन चीजों के संपर्क में हैं, जो चीजें हमारे जीवन को बनाने में योगदान देती हैं, उनमें से
सबसे महत्वपूर्ण उपकरण हमारा अपना शरीर और मन हैं, जिनका इस्तेमाल हम अपने जीवन
को कामयाब बनाने में करते हैं। जिस पृथ्वी पर आप चलते हैं, जिस हवा में सांस ले ते हैं, जिस
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पानी को पीते हैं, जिस भोजन को खाते हैं, जिन लोगों के संपर्क में आते हैं और अपने शरीर व
मन समेत हर चीज जिसका आप इस्तेमाल करते हैं, उन सब के लिए आदर भाव रखना, हमें
समर्पण रखना हमारी हर कोशिश में सफलता को सुनिश्चित करने का तरीका है।
इस धरती पर रहने वाले हर इं सान के लिए विजयदशमी या दशहरा का उत्सव बहुत सांस्कृ तिक
महत्व रखता है, चाहे उसकी जाति, वर्ग या धर्म कोई भी हो। इसलिए इस उत्सव को खूब उल्लास
स्त्री शक्ति की पूजा इस धरती पर पूजा का सबसे प्राचीन रूप है। सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि पूरे
यूरोप और अरब तथा अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों में स्त्री शक्ति की हमेशा पूजा की जाती थी।
वहां देवियां होती थीं। धर्म न्यायालयों और धर्मयुद्धों का मुख्य मकसद मूर्ति पूजा की संस्कृ ति को
मिटाना था। मूर्ति पूजा का मतलब देवी पूजा ही था। और जो लोग देवी पूजा करते थे, उन्हें कु छ हद
तक तंत्र-मंत्र विद्या में महारत हासिल थी। चूंकि वे तंत्र-मंत्र जानते थे, इसलिए स्वाभाविक था कि
आम लोग उनके तरीके समझ नहीं पाते थे। उन संस्कृ तियों में हमेशा से यह समझ थी कि
अस्तित्व में ऐसा बहुत कु छ है, जिसे आप नहीं समझ सकते और इसमें कोई बुराई नहीं है। आप
उसे समझे बिना भी उसके लाभ उठा सकते हैं, जो हर किसी चीज के लिए हमेशा से सच रहा है।
मुझे नहीं पता कि आपमें से कितने लोगों ने अपनी कार का बोनट या अपनी मोटरसाइकिल का
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इं जिन खोलकर देखा है कि वह कै से काम करता है। आप उसके बारे में कु छ भी नहीं जानते,
इसी तरह तंत्र विज्ञान के पास लोगों को देने के लिए बहुत कु छ था, जिन्हें तार्कि क दिमाग समझ
नहीं सकते थे और आम तौर पर समाज में इसे स्वीकार भी किया जाता था। बहुत से ऐसे क्षेत्र होते
हैं, जिन्हें आप नहीं समझते मगर उसका फायदा उठा सकते हैं। आप अपने डॉक्टर के पास जाते
हैं, आप नहीं समझते कि यह छोटी सी सफे द गोली किस तरह आपको स्वस्थ कर सकती है मगर
वह उसे निगलने के लिए कहता है। वह जहर भी हो सकती है मगर आप उसे निगल जाते हैं और
कभी-कभी वह काम भी करती है, हर समय नहीं। वह हर किसी के लिए काम नहीं करती। मगर
वह बहुत से लोगों पर असर करती है। इसलिए जब वह गोली निगलने के लिए कहता है, तो आप
उसे निगल ले ते हैं। मगर जब एके श्वरवादी धर्म अपना दायरा फै लाने लगे, तो उन्होंने इसे एक
संगठित तरीके से उखाडऩा शुरू कर दिया। उन्होंने सभी देवी मंदिरों को तोड़ कर मिट्टी में मिला
दिया।
दुनिया में हर कहीं पूजा का सबसे बुनियादी रूप देवी पूजा या कहें स्त्री शक्ति की पूजा ही रही है।
भारत इकलौती ऐसी संस्कृ ति है जिसने अब भी उसे संभाल कर रखा है। हालांकि हम शिव की
चर्चा ज्यादा करते हैं, मगर हर गांव में एक देवी मंदिर जरूर होता है। और यही एक संस्कृ ति है
जहां आपको अपनी देवी बनाने की आजादी दी गई थी। इसलिए आप स्थानीय जरूरतों के
मुताबिक अपनी जरूरतों के लिए अपनी देवी बना सकते थे। प्राण-प्रतिष्ठा का विज्ञान इतना
व्यापक था, कि यह मान लिया जाता था कि हर गांव में कम से कम एक व्यक्ति ऐसा होगा जो
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ऐसी चीजें करना जानता हो और वह उस स्थान के लिए जरूरी ऊर्जा उत्पन्न करेगा। फि र लोग
नवरात्र साधना
नवरात्रि के दिनों में लिं ग भैरवी देवी मंदिर में होने वाले आयोजनों का लाभ सभी उठा सकते हैं।
जो लोग देवी की कृ पा से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए सद्गुरु ने एक सरल और शक्तिशाली
साधना बनाई है, जिसका अभ्यास सभी अपने घरों में कर सकते हैं। ये साधना हर दिन 13
देवी के फोटो, गुडी, देवी यंत्र या फिर अविघ्ना यंत्र के सामने “जय भैरवी देवी” स्तुति को कम से
कम तीन बार गाएं । बेहतर होगा कि आप 11 बार यह स्तुति गाएं । (एक पूरी स्तुति देवी के 33
इस साधना को दिन या रात में किसी भी समय कर सकते हैं और यह साधना सभी कर सकते हैं।
इस साधना में खाने-पीने से जुड़े कोई नियम नहीं हैं, ले किन नवरात्रि त्यौहार के समय सात्विक
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ये देवी के 33 पावन नाम हैं। अगर आप भक्ति भाव से इन्हें गाएं , तो आप देवी की कृ पा के पात्र
बन जाते हैं।
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आओम महा शक्ति लिं ग भैरवी नमः श्री नमः श्री नमः श्री देवी नमः श्री
लिए वार्षि क कालभैरव शान्ति का आयोजन किया गया है। नवरात्रि 2015 – 13 अक्टू बर से शुरू
होंगे और 22 अक्टू बर तक चलें गे। अंधकार पर विजय का प्रतीक माना जाने वाला विजयदशमी
शाम 6 बजे : लिं ग भैरवी मंदिर में अग्नि अर्पण –अग्नि में तिलके लड्डु ओं की भेंट
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कु मकु म / हरिद्रम / चंदन का अभिषेक (अक्टू बर 13, अक्टू बर 16 और अक्टू बर 19 को) : सुबह
7:00 से 7:30
शाम के कार्यक्रम:
सद्गुरु
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राधामोहन की छु ट्टी
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ऋतुराज सिन्हा को एंट्री दी गई है। उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाने के साथ ही भाजपा ने राधा मोहन सिंह की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के प…
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