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2 cheese

हम अनजाने म ही असफलता से डर लगने लगता है य क सफलता के लए हम अपने दायरे से बाहर नकलना पड़ेगा । हम
आरामदायक वृ को छोड़ना पड़ेगा जो क हम करना नह चाहते । चाहे हम कुछ कर , चाहे ना कर, खतरे तो फर भी बने
रहगे । यह तभी र ह गे जब हम इन खतर से लड़गे और इन पर वजय हा सल करगे । नह तो मन हम वा त वकता से र ले
जाएगा । सोनू के मन म भी ऐसे ही कई नेगे टव याल आ रहे थे, ज ह मोनू सुनकर भयभीत हो गया । नया चीज cheese
खोजने क आशा और इ छा भी कम हो गई थी और इस तरह मोनू के मन म असफलता का डर आ गया था । कह म सोनू
क तरह बना चीज cheese क थ त को पसंद तो नह करने लगा ? या म बना चीज cheese के आरामदायक महसूस
कर रहा ं ? या मेरे मन म असफलता का डर है ? या फर म बाहरी खतर से डरा आ ं या फर म पुराने चीज cheese के
वचार को छोड़ नह पा रहा ँ, जसके कारण म अपने आप म सुर त महसूस कर रहा ं इस लए म अपनी वतमान थ त को
बदल नह पा रहा ँ । म जानता ं क म इस भूल भुलैया म कई बार, कई भाग म, कई ग लयार म, कई कमर म पहले भी
दौड़ चुका ं और ऐसा म दोबारा भी कर सकता ं ले कन फर भी म उस पुरानी जगह को छोड़ नह पा रहा ँ । सोनू भी अपनी
पुरानी जगह छोड़ नह पाया सफ मन म बैठे डर के कारण । जब सोनू ने मोनू से मन क इ छा पूछ तो उसके मन म असफलता
का डर पैदा हो गया और नया चीज cheese खोजने क उसक उ मीद और इ छा भी ख म हो गई । आम जदगी म भी हमारे
चार ओर सोनू जैसे करदार मौजूद ह जो हम डराते रहते ह य क उनके वयं के मन म डर बैठा होता है । पुराने चीज cheese
के कारण उनका अपना व ास इतना कमजोर हो जाता है क वह नई चीज cheese क क पना भी नह कर सकते और नई
चीज के लए उनक अपनी इ छा श भी काम करने से इनकार कर दे ती है । हम नई चीज cheese के बारे म सोच नह पाते
और हम वह रह जाते ह, उसी दायरे म बंधकर रह जाते ह जहां हम पहले से ही मौजूद ह । सोनू भी अपने दायरे म इस कदर बंधा
आ था क वह उसी म खुश रहने क को शश कर रहा था । उन दोन करदार ने अगले दन से त दन वही काम जारी रखा
जो वह इससे पहले करते आ रहे थे---अनाव यक मेहनत, बना उ पादकता के काम करना । य क उ ह वहां पर अपना चीज
cheese नह मलता और वह अपने साथ चता , कुंठा , परेशा नय , तनाव को लेकर वापस घर लौट जाते थे । उन दोन
करदार ने यह नकारने का यास कया क उनके साथ या घ टत हो रहा है ? उ ह ने अपनी वतमान नकारा मक थ त को
पूरी तरह अनदे खा कर दया । सोनू और मोनू अब भी वही पुरानी जगह पर जाते और हर रोज वहां बैठकर अपने चीज cheese
का इंतजार करते रहते । ले कन अंत म उनके हाथ कुछ ना लगता । यादातर लोग ऐसा ही करते ह--- वह नई चीज cheese
के लए मेहनत ना करके, पुराने चीज cheese के इंतजार करना यादा पसंद करते ह । उ ह मालूम है क यहाँ पर कोई चीज
cheese नह है फर भी वे वा त वकता को पूरी तरह नकार दे ते ह । वह स चाई को वीकार ही नह करने है, उसका सामना
करने को तैयारी ही नह है और इस रवईये के कारण कई नकारा मक प रवतन होते ह । जैसे क भूखे रहने के कारण न द
नह आती, वभाव अ धक चड़ चड़ा हो जाता है, मन म नराशा और कुंठाएं आ जाती है, य द कभी न द आ भी जाए तो चीज
cheese ना मलने के कारण बुरे बुरे सपने आते ह, समय गुजारना अ धक मु कल होता जाता है, कुछ भी अ छा नह लगता,
मन म कोई खुशी नह रहती यानी पहले जैसी आरामदायक थ त नह रहती । जब हम नई चीज cheese के लए शारी रक
मेहनत नह करते तब पहले जैसी सकारा मक प र थ तयाँ और समय नह रहता और प र थ तयाँ बगड़ती चली जाती ह ।
हम इस प रवतन को रोक नह सकते । सोनू और मोनू के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा था । उनके सामने अपने चीज cheese
का इंतजार करने के सवाय कोई सरा रा ता नजर नह आ रहा था । इससे परेशान होकर सोनू ने अपने साथी से कहा, "य द
हम मलकर दोबारा कड़ी मेहनत कर तो हम पाएंगे क वा तव म कुछ नह बदला है" । यह सच है क कड़ी मेहनत से कुछ नह
बदलता । हम सबके सामने नेगे टव प र थ तय होती ह और हम अपने नई चीज cheese क तलाश है और इसके लए हम
दो तरह से मेहनत करते ह---एक है मान सक मेहनत, जसम हम सफ सोचते ही रहते ह, थ त का मू यांकन ही करते रहते
ह ले कन हम करते कुछ नह ह । मान सक मेहनत से नतीजा कुछ नह नकलता ब क नकले ए नतीजे और यादा खराब
हो जाते ह । हम मान सक मेहनत से खो चुके चीज cheese को दोबारा हा सल नह कर सकते ह । इससे हमारी थ त पहले
से और यादा नेगे टव हो जाती है ले कन फर भी हम अपने आप को संतु करते रहते ह । एक अलग उ मीद के सहारे अपने
आप को जदा रखने क को शश करते ह । हम सफ इंतजार ही कर सकते ह और इससे यादा हम सोच भी नह पाते । वह
सरी तरह क मेहनत है--- शारी रक मेहनत । जसम हम सोचते काम है और काम करने म यादा व ास करते ह । हम अपने
बनाए ए व ास के त मेहनत करते ह । शारी रक मेहनत से कभी भी प र थ तयाँ नेगे टव नह बनती ब क बनी ई नेगे टव
प र थ तयाँ बदलकर सकारा मक हो जाती ह । यह हमारी मान सक सोच का आउटपुट है । हमारी शारी रक मेहनत, मान सक
मेहनत का ही नतीजा है । उन दोन करदार ने भी एक बार फर शारी रक मेहनत करने का फैसला कया । उ ह ने अपने चार
ओर बनी द वार को छे नी व हथौड़ क सहायता से तोड़ दया । यही सोचकर क शायद चीज cheese यही कह , आसपास हो
। हो सकता है, इन द वार के पीछे छु पा दया गया हो ले कन अफसोस उ ह चीज cheese कह नह मला । वे नराश थे, परंतु
उ ह व ास था क वह सम या को सुलझा सकते ह इस लए उ ह ने मलकर अ धक समय तक, अ धक मेहनत करना शु कर
दया । कुछ समय बाद उनके हाथ कुछ ना लगा । हमारे चार ओर ब त से लोग ऐसे ह, जो इसी तरह क कड़ी मेहनत करते ह
। यह एक ऐसी मेहनत है, जहां कोई नतीजा नह नकलता । हम बना कसी उ पादकता के मेहनत करते रहते ह । हम कुछ ना
कुछ ज र करते ह, हम ब त कुछ करते ह, हम कुछ भी करते रहते ह । हम इस बात का एहसास होता है क म काम कर रहा ं,
मेहनत कर रहा ं, म बेकार क मेहनत नह कर रहा ं, मेरे पास खाली समय नह है, म कुछ कर तो रहा ं ले कन फर भी हम
उ पादक नह होते ।
लोग को यह लगता है क कुछ भी करना--एक काम करना होता है । काम करना--एक मेहनत करना होता है । वह ग त व ध तो
कर रहे होते ह ले कन वह उ पादक नह होते ह । वह ग त व ध और उ पादकता के बीच म अंतर को समझ नह पाते ह । ठ क
इसी तरह आपने भी मेहनत क है ले कन उस मेहनत से कोई भी नतीजा नह नकालना । उस मेहनत म कोई उ पादकता नह
थी । इस लए वह मेहनत आपक सफ एक ग त व ध मा है । जस मेहनत म उ पादकता होगी, उसमे न त दशा व न त
योजना अव य ही होगी । जो मेहनत हमारे लए ज री नह है, वह हमारी ग त व ध मा है । जो काम हमारे लए ब त ज री
है , वह मेहनत हमारे लए उ पादक है । हम उ पादकता वाली मेहनत करने क ज रत है । यही हम अपना नया चीज cheese
दलाएगी । प है क जस मेहनत म हमारी कोई उ पादकता नह है, वह ग त व ध है, बेकार काम है, वह समय क बबाद है
। इस बात को मोनू ने भी महसूस कया क उसक मेहनत उ पादकता वाली नह है ले कन सोनू कुछ भी समझने को तैयार नह
था । उसने केवल इंतजार करना ही बेहतर समझा । वह यह दे खना चाहता था क आगे या होता है ? उसे अब भी उ मीद थी
क उस का चीज cheese वापस आ जाएगा । सोनू ने मोनू को इस बात का व ास दलाया क य द हम इंतजार कर तो हमारे
भी अ छे दन वापस लौट आएंगे । हम यही कना चा हए । उन दोन करदार ने ऐसा ही कया । काफ लंबे समय इंतजार
करने के बाद भी उनका अपना चीज cheese उ ह नह मला । इन करदार क तरह हम सबको भी अपने चीज क तलाश है
। हम सभी इसी दशा म मेहनत कर रहे ह । जब लोग को अपना चीज cheese नह मलता तो वह वह क जाते ह जहाँ पर
वे ह । उ ह लगता है क हमने इतनी मेहनत क है, यह बेकार हो जाएगी इस लए मुझे मेरा चीज cheese मलना ही चा हए ।
लोग अपने चीज cheese के लए इंतजार करने के लए तैयार ह ले कन दोबारा नए सरे से मेहनत करने के लए तैयार नह है ।
अ धकतर लोग को शश करना ही छोड़ दे ते ह इस लए उ ह अपना चीज cheese नह मलता है । कुछ लोग ऐसे भी ह जो सोनू
और मोनू क तरह सोचने म व ास करते ह और कुछ लोग ऐसे भी ह जो राजू और संजू क तरह अपना चीज cheese खोजने
म व ास करते ह । आप कस पर व ास करते ह ----- सोचने पर या सफ काम करने पर । यादातर लोग अपना समय सोनू
और मोनू क तरह बताते है । काम और मेहनत करने बजाय यादा समय उस थ त के बारे म और हा सल ए नतीजे के बारे
म सोचने म और उसका व ेषण करने म लगाते है इस लए यादातर लोग को मेहनत करने पर भी अपना चीज नह मलता
ह । लोग वह खड़े है और थ त के बदलने का इंतजार कर रहे ह । चीज cheese वहीन थ त को बना शारी रक मेहनत के
नह बदला जा सकता । मोनु थ त के सुधारने का इंतजार करते-करते थक चुका था । वह कमजोर भी हो चुका था । उसने अंत
म यह माना क वह अपनी चीज cheese वहीन थ त म जतनी अ धक समय रहेगा, उसका हाल उतना ही बुरा होता जाएगा
। उसने यह भी महसूस कया क वह अपनी वतमान नकारा मक थ त पर अपनी पकड़ खोते जा रहा है । थ तयां नयं ण
से बाहर होती जा रही है । हो सकता ह क आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा हो । आप भी चीज वहीन थ त म समय बता
रहे ह इस लए आपक हालत म कोई सुधार नह हो रहा ह ब क हालात पहले से ओर बुरी होती जा रही है और नकारा मक
थ त आपके ऊपर हावी होती जा रही है । मेरे आस-पास कई ऐसे लोग मौजूद ह जो चीज वहीन थ त म समय बता रहे ह
ले कन उ ह यह नह पता क उ पादक बनने के लए हम कस तरह क मेहनत क आव यकता है । लोग मेहनत करते ह ले कन
बना उ पादकता के और इस तरह लोग के सामने चीज वहीन थ त बनी रहती है । लोग मान सक मेहनत करते ह ,सोचते ह,
मू यांकन करते ह , व ेषण करते ह ले कन थ त को बदलने के लए सही दशा म सही मेहनत नह करते ह । मोनू को तब
स चाई का पता चला, जब उसे आ म ान आ तो वह वयं पर जोर-जोर से हंसने लग गया । वह हैरान था क थ तयां य
नह सुधर रही ह ? उसने इस बात का अंदाजा नह लगाया था क उसे चीज cheese कहां पर मलेगा ? उसने भ व य के बारे म
सोचा ही नह था । उसे लगा क य द वह चीज cheese क तलाश म जाएगा तो वह गुम हो जाएगा--- उसे इसी बात का डर था
। उसे कसी भी बात पर, कसी भी चीज पर भरोसा नह था । ऐसा सोच कर वह अपनी मूखता पर हंस रहा था । वयं पर हंसने
से उसका सारा डर र हो गया और उसम दोबारा ह मत आ गई । गुजरे ए समय पर हम कुछ भी प रवतन नह कर सकते
हम सफ उस पर हंस ही सकते ह । मन का डर व नकारा मक भाव एक मान सक थ त है, ना क यथाथ थ त । वा त वक
प र थ त म डर व नकारा मकता जैसी कोई चीज नह होती ब क उस प र थ त के कारण हमारे मन म डर व नकारा मक
भाव पैदा होता है । मोनू ने इसी डर व नकारा मक भाव को जीत लया था । अब उसने अपना मन नई चीज cheese को तलाश
करने का बना लया था य क चीज वहीन थ त को लेकर उसके वचार अब बदल चुके थे ले कन उसके साथी सोनू का वचार
अब भी वह था---वह पुराने चीज cheese के इंतजार म था । मोनू यह जान चुका था क पुराना चीज cheese उसे अब नह
मलने वाला । पुराना चीज cheese अब कभी भी वापस नह आएगा । ना ही कोई और इसे यहां रखेगा । जो जा चुका है, वह
जा चुका है और जो समय बीत गया है, सो बीत गया है । अब वही चीज cheese और वही समय दोबारा हमारे हाथ म नह आने
वाला तो फर उसी का इंतजार करने से या फायदा ? इससे अ छ बात तो यह है क यही समय नई चीज cheese खोजने म
लगाया जाए । वह कल का चीज cheese था । आज का चीज cheese हमारे पास नह है इस लए अब नया चीज cheese
खोजने का व आ गया है । मोनू ने नया चीज cheese खोजने का मन बना लया था । ले कन सोनू को इस बात का व ास
नह था क मोनू नया चीज cheese खोज लेगा । वह अपने ही व ास, सोच, भावना पर टका आ था । उसका व ास था
क यह पर इंतजार करना ठ क है, या पता बाहर चीज cheese मले ना मले । हो सकता है बाहर कोई चीज cheese ही
ना हो और हम उसे खोज ही ना पाए । वह अपने आप को चीज वहीन थ त म सुर त महसूस कर रहा था इस लए वह बाहर
जाने से डर रहा था । उसके मन म कई शंकाएँ , कई नकारा मक भाव थे, उलझन थी । इसी डर व नकारा मक भाव ने सोनू और
मोनू को वह पर रोक रखा था, जहां पर वे थे । यही डर व नकारा मक भाव दोन को आगे बढ़ने से रोक रहा था । उ ह कमजोर
बना रहा था । ले कन मोनू भुखा नह मरना चाहता था, वह डरपोक नह बनना चाहता था । इस लए मोनु ने इस डर पर वजय
हा सल कर ली थी। जब मोनू ने नई चीज cheese को खोजने के बारे म सोचा तो उसम ह मत व ऊजा आ गई । उसक आंख
के सामने क पना म नया चीज cheese था जसे वह पा लेना चाहता था ।
इसी वचार ने उसके अंदर नई ऊजा भर द और वह एक बार फर आगे बढ़ाने के लए तैयार हो गया । मोनू यह समझ गया
था क प र थ तयाँ बदलती रहती ह और फर दोबारा वैसे ही प र थ तयाँ हमारे सामने नह होती । कई बार हमारे सामने
अनुकूल प र थ तयाँ होती ह और हम वैसी ही प र थ तय म रहने क आदत हो जाती है ले कन समय के साथ दोबारा वैसी ही
प र थ तयाँ नह आती ह, ना ही बनती है इस लए यह एक मूखतापूण वचार है क हम वैसे ही उ मीद कर जैसे क आदत हो
गई है । जैसी अनुकूल प र थ तयाँ पहले थी वह एक बता आ समय था । जब बीता आ समय कभी वापस नह आता तो
फर वही प र थ तयाँ दोबारा कैसे आ सकती ह ? यह जदगी है, जदगी आगे बढ़ती है और इस लए हम भी आगे बढ़ते रहना
चा हए । यही सच है क आगे बढ़ने का नाम ही जदगी है । इसी वचार के साथ मोनू भी आगे बढ़ना चाहता था । जैसे ही उसे
इस स चाई का पता चला, उसे इस बात पर हंसी आ गई क हम दोन कतने मूख थे । चीज cheese ना होने के कारण अब
सोनू, मोनू को दे खकर उसका डर ोध म बदल चुका था । वह कुछ भी सुनने और समझने के लए तैयार नह था । उसने कोई
भी त या नह क थी । अब मोनू ने यह महसूस कया क वह पुरानी व तु को छोड़कर नई व तु क और बढ़ सकता है
यानी क वह पुराने वचार को छोड़कर नए वचार को अपना सकता है या न क वह पुराने चीज cheese को छोड़कर नई चीज
cheese क तलाश कर सकता है । उसने यह जान लया क य द हम समय के साथ नह बदलते तो हम न हो सकते ह । जैसे
ही वह आगे बढ़ा उस समय उसे इस बात का एहसास आ क वह कस तरह इस चीज वहीन थ त म बुरे तरीके से फंसा आ
था । पहले उसे यह व ास था क इस भूल भुलैया म कह भी कोई भी नया चीज cheese नह है । य द कह होगा भी तो वह
उसे खोज नह पाएगा । इस तरह का भयपूण व ास व आ मशंका उसे कुछ करने नह दे रहा था, उसे ग तहीन कर रहा था और
उसे कमजोर बना रहा था । कुछ लोग इसी तरह का व ास करते ह और इस सोच म पूरी तरह से बंध जाते ह इसे छोड़ते तक
नह है । कुछ लोग को ऐसा भी लगता है क उनके सामने एक जैसी प र थ तयाँ बनी ई है जो सुधरने वाली नह है, बदलती
नह ह । ले कन वह यह नह जानते क हमारी अपनी उ पादकता वाली मेहनत से ही प र थ तयाँ बदलगी । य द हम अपना
नया चीज cheese चा हए तो हम कह ना कह , कोई ना कोई प रवतन करना ही होगा, तभी हम अपना नया चीज cheese
मलेगा । हम जतनी ज द उठगे, उतनी ज द हम आगे बढ़गे । हम जतनी ज द आगे बढ़गे, उतनी ज द हम अपना नया
चीज cheese मलेगा । इतना सब कुछ होने के बाद भी सोनू अब भी यही सोच रहा था क," मेरा चीज cheese कसने
हटाया" ? कुछ लोग अपनी इसी सोच के साथ बैठे रहते ह," मेरा चीज कसने हटाया" ? और वह नई चीज cheese क खोज म
नह नकलते । इस तरह उनके सामने नकारा मक थ त बनी रहती है । नये चीज cheese क तलाश म अब मोनू थोड़ा आगे
नकल चुका था ।जब उसने पीछे पलट कर दे खा, तब उसने जाना क जहां पर वह पहले था, वह थान कतना आरामदायक
और जाना पहचाना था । हालां क वहां पर कोई चीज cheese नह था, फर भी वह अपने प र चत दायरे के त एक लगाव
महसूस कर रहा था । हम सभी के साथ भी ऐसा होता है । हम सभी अपनी पुरानी जगह म, या पुरानी थ त म या वचार म,
सोच म, पुराने वहार म आरामदायक महसूस करते ह । अपने पुराने दायरे के त लगाव होता है, एक आकषण होता है, एक
जुडाव होता है इस लए हम प रवतन का वरोध करते ह, और हम आगे बढ़ नह पाते । कई बार हम भी ( म भी ) उसी थ त
को अपनाते ह, जस थ त म हम ( म ) आरामदायक महसूस करते ह । और वही करते ह, जो करते आ रहे ह । हम इस बात
क परवाह नह करते क हमारे आराम के दायरे म चीज cheese ह ( उ पादकता, कमाई ) या नह है ? बस , आरामदायक
थ त म रहने क आदत हो गई है । हम यह भी पता होता है क यहां पर चीज cheese नह है और मुझे नया चीज कह ओर
से मलेगा, इस आरामदायक दायरे से बाहर मलेगा और इसके लए मुझे अपनी वतमान थ त को छोड़ना पड़ेगा, सुख और
आराम को छोड़ना पड़ेगा, मुझे मेहनत करनी पड़ेगी और चीज cheese क खोज के लए नकलना पड़ेगा ले कन फर भी हम
कुछ कर नह पाते सफ आराम क आदत के कारण , गलत अहसास, गलत नज रये व सोच के कारण और इस तरह सुख और
आराम के कारण हमारा गलत mind set बन जाता है । इसी सुख,आराम व लगाव के कारण हमारा आ म व ास कमजोर
हो जाता है । हम आगे बढ़ने से डर लगता है और यही डर, शंकाएं, उलझन, नकारा मक भाव हम कुछ करने नह दे ती । इसी
डर व नकारा मक भाव के कारण हम असुर त महसूस करते ह और अपनी सोच को छोड़ नह पाते । डर भी कई तरह के होते
ह । कुछ डर ऐसे होते ह जनके कारण अ छे प रणाम नकलते ह । यही डर आपको ग त व ध के लए े रत करता है, आप
ग तशील होते ह । तब यही डर आपके लए अ छा होता है । कई बार यही डर आपको भयभीत करता ह , आप ग त हन हो
जाते है , जसके कारण थ तयां और यादा बगड़ने लगती है । तब यही डर आपके लए अ छा नह होता य क जब आप
डरे ए होते ह परंतु थ त को सुधारने के लए कुछ नह करते । डर और नकारा मक भाव हमारे मन म नकारा मक थ त को
उ प कर वा त वक प र थ तय को भी नकारा मक बना दे ता है । जरा यान द,"य द आप भयभीत न होते, ये नकारा मक
भाव ना होते, तो आप या करते," ? तब आप कह नह कते, कुछ नह सोचते, आप ग तशील होते, पूरी मेहनत करते, तनाव
मु व चता मु होते, आप आशावाद होते, आप उ पादक होते, आप ऊजावान होते । यक नन आप नये चीज cheese क
तलाश कर रहे होते । यही डर व नकारा मक भाव हम अ ात क ओर जाने से रोकता है । जब क हमारा नया चीज cheese
इसी अ ात जगह पर है जसे सफ खोजना ही है । इसी डर व नकारा मक भाव के कारण हम अपने चीजcheese के इंतजार
म ब त अ धक समय गवां दे ते है ले कन चीज cheese फर भी नह मलता और हमारा डर ओर गहरा हो जाता है ।

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