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गृध्रसी
गृध्रसी रोग
संप्राप्ति घटक :-
दोष - वात,कफ प्रधान त्रिदोष
दूष्य - रक्त,मांस,मेद,नाड़ी संस्थान
अधिष्ठान - कटि,उरू,जानु,जंघा,पैर
स्त्रोतस् - रक्तवह,मांसवह,मेदवह,अस्थिवह
स्त्रोतोदुष्टि प्रकार - संग,सिराग्रंथि
अग्नि स्थिति - विषमाग्नि,मंदाग्नि
व्याधि स्वभाव - आशुकारी,चिरकारी
साध्यासाध्यता - कृ च्छ्र साध्य
साध्यसाध्यता :-
कृ च्छ्र साध्य
जीर्ण गृध्रसी रोग - असाध्य
वातकफज गृध्रसी - साध्य
चिकित्सा सूत्र:-
पोटली स्वेद
4.बस्ति-
- कटि बस्ति
- सैंधवादि तैल की अनुवासन बस्ति तथा एरण्डमूलादि क्वाथ की निरूह बस्ति अत्यंत
लाभदायक होती है।
- अनुवासन बस्ति को स्नेह बस्ति भी कहा जाता है।
इसमें स्नेह अपने स्निग्ध व गुरू गुण से वात को हर लेता है।
कटि बस्ति
निरूह बस्ति:-
एरण्डमूलादि निरूहबस्ति:-
एरण्ड का मूल -३ पल
२ आढ़क जल
सिरावेध
सिरावेध रक्तमोक्षण का ही एक प्रकार है जिसका प्रयोग गृध्रसी के उपचार के लिए किया जाता है।
गृध्रसी में कण्डरा दूष्य है और कण्डरा रक्त की उपधातु है।
व्यान वायु प्रकोप- गृध्रसी- और व्यान वायु का संबंध रक्त धातु से है।
आम स्त्रोत्स का अवरोध करता है और सिरावेध द्वारा आम का निष्कासन किया जाता है जिससे वायु का
अनुलोमन होता है।
जानुसंधि से 4 अंगुल ऊपर अथवा नीचे की ओर सिरावेध(सुश्रुत)
गुल्फ से 4 अंगुल ऊपर सिरावेध(हारीत)
कण्डरा एवं गुल्फ के मध्य सिरावेध(चरक)
योगासन व प्राकृ तिक चिकित्सा:-
1. शवासन
2. सुखासन
3. भुजंगासन
4. उष्ण जल से कटि स्नान व वाष्प स्नान
शवासन
भुजंगासन सुखासन
पथ्य :-
आहार - मधुर,अम्ल,लवण
विहार - वातनाशक तैल से मालिश,बस्ति
अपथ्य:-
आहार - रूक्ष,शीत,लघु
विहार - अति जागरण,पैदल चलना
SCIATICA
DEFINATION
Sciatica is pain in the lower extremity
resulting from irritation of the sciatica
nerve
The pain of sciatica is typically felt from
the lower back(lumbar) to the behind the
Thigh& radiating down below the knee &
may reach the foot.
PATHOPHYSIOLOGY
TREATMENT
NSAID such as ibuprofen or codeine ( in acute
cases)
Physiotherapy
Muscle relaxant
SURGERY