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Do Kamsin Ladkiyan Part 1 PDF
Do Kamsin Ladkiyan Part 1 PDF
हाय दोतो, म िनिकता िफर से एक बार आप सबको मे री धांस ू चु दाई की कहानी सु नाने
आयी हँ .ू मे री िपछली कहािनय म आपने पढ़ा िक कैसे म ने और िरया ने हरदम धकापे ल
सामूिहक से स का लु फ़ उठाया।
मे री सारी कहािनयां पढ़ कर मु झे दो हजार से ऊपर फैन मे स आये . म आप सब की तहे
िदल (या तहे चूत) शु गु जार हँ .ू अब की बार कहानी के िलए कुछ यादा ही इं तजार
करवाया आपको तो आप सबकी तहे िदल से माफ़ी मां गती हँ .ू
िरया हं सी, मे रे पास आकर उसने मे रे हठ चूमे और कहा- कमीनी, तू तो िदन ब िदन रं डी
बनती जा रही है . आज कौन सी खु राफात चल रही ते रे िदमाग म और वै से भी इस
कड़कती सदी म तू यहाँ टे रे स पे कपड़े उतार के नं गी भी हो गयी ना तो कोई तु झे दे खने
नहीं आने वाला।
इतना बोल कर उनसे मे रे हाथ से बोतल खींच ली और एक तगड़ा सा घूंट भरा. उसे दे ख कर
म ने भी एक घूंट भरा. शराब पूरा जलाती हुई पे ट म उतर गयी. सही म सदी खूब यादा
थी. जै से तै से दस िमनट टे रे स म बै ठ कर हम दोन वािपस अं दर आयी.
म ने िरया के ममे हके से दबाए तो उसके मुं ह से एक से सी आह िनकल गयी. म ने उसके
िनपल चु टिकय म पकड़े और एकदम से मरोड़ िदए. िरया के मुँ ह से एक हकी चीख
िनकल आयी. म ने दे खा िक अब वो काफी गम हो उठी थी. पानी तो मे री भी चु त से िनकल
रहा था, पूरे कमरे म हमारे बदन से िनकले हुए गम कपड़े िबखरे पड़े थे . हमारे बदन अब
िकसी सु लगती भट् टी की तरह दहक रहे थे . नशा सर चढ़के बोल रहा था. अब हम दोन के
बदन पे िसफ छोटे सी बे बीडॉल नाइटी रह गयी थी.
म ने खड़ी होकर िरया को अपनी तरफ खींचा और लगभग धकेलते हुए वािपस उसे टे रे स पे
ले गयी. बाहर कदम रखते ही ठड की वजह से पूरे बदन के रोय खड़े हो गए. इससे पहले
िक िरया कुछ कहे , म ने िफर से अपने हठ उसके होट पे रख िदए. हम दो पागल लड़िकयाँ
उस कड़ाके की सदी म , अधनं गी हो कर, दुिनया से बे खबर, एक दस
ू रे को चूम रही थी. म
एक पल के िलए उससे अलग हुई और म ने अपनी नाइटी हटा दी.
इतना कह कर म ने अपनी एक उं गली िरया के चु त म सरका दी. िरया िचहुंक उठी. अपने
आप उसके हठ मे रे हठ से जु ड़ गए. साथ ही साथ उसकी भी एक उं गली मे री चु त म घु स
ू री को उं गली से चोदने लगी. एक
गयी. अब हम दोन वहशी जानवर की तरह एक दस
ू री के िनपल काट खाने लगी, होट को काटने लगी. और कुछ ही दे र म दोन ने भरभरा
दस
कर पानी छोड़ िदया।
िरया ने उटा सवाल दागा- पागल है रात के 11 बज रहे ह . धुं ध की वजह से गाड़ी भी
नहीं चला पाएं गे। सारा कुछ बं द रहे गा। आिखर चाहती या है तू
म ने कहा- तू सोच मत, बस चली चल. जहा नसीब ले जाये गा, वहां चल गे ।
दो िमनट के बाद हम दोन अपनी कार म बै ठी थी. म ने और िरया ने घु टने तक लबे वाले
हाय हील बूट पहने थे . िरया ने रॅ प ऑन कट पहने था जो उसके घु टन तक ही था और
ऊपर जै केट था. उसके अं दर उसने पतली सी डोिरय वाली रे सरबै क बा पहनी थी. म ने
सफ़ेद िमनी कट के ऊपर सफ़ेद पु शअप बा पहनी थी और उसके ऊपर एक हाटर ने क
जै केट पहना था.
हम दोन ने कट के नीचे से सी सी थॉग प टी पहनी थी. कुल िमला कर हम दोन िबगड़ी
हुई रईसजािदयां लग रही थी.
कुछ ही दे र म हम यमु ना एसे सवे पहुँच गयी. जै से ही यहाँ पहुंची तो िरया की बड़बड़
चालू हुई- ये कहा सु नसान जगह पे ले आई तू कबत मु झे लगा िकसी पब पे ले
चले गी। अब या आगरा जा कर इतनी रात म ताज महल िदखाएगी कािमनी, ते रे
चकर म रात ख़राब हुई. पहले पता होता तो म िबकुल नहीं आती.
तभी मु झे अपने पीछे पु िलस की गाड़ी होने का अहसास हुआ. म ने बगल म पड़ी बोतल से
तगड़ा घूंट भरा और िरया को चु टकी काट कर कहा- िरयु , अब दे ख म तु झे कुतु बमीनार के
दशन करवा दे ती हँ .ू
इतना कह कर म ने कार की पीड बढ़ा दी. जािहर था िक हमारी पीड की वजह से पु िलस
की गाड़ी हमारे पीछे लग गयी.
िरया थोड़ी सी डर गयी- िनकी, साइड पे रोक दे . ले ने के दे ने ना पड़ जाय यार. हम दोन
ने पी हुई है . ये साले तं ग कर गे । क जा मे री माँ
मगर म ने उसकी बात को नजरअं दाज िकया और करीब दो िकलोमीटर तक वै से ही गाड़ी
भगाती गयी. जब पु िलस की गाड़ी हमारे बराबर आयी और उहने हम कने का इशारा
िकया तो म ने धीरे धीरे कार साइड म रोक दी.
लाइस स को दे खने का बहाना करके उसने अगला आदे श िदया- बाहर आइये । आप शायद
पी हुई है . चे क करना पड़े गा।
तब तक एक बदे को हमारी िपछली सीट पे पड़ी हुई बोतल िदख गयी तो और बवाल मच
गया. सीिनयर, िजसका नाम िसराजु ीन था उसने कहा िक हम पु िलस थाना चलना पड़े गा।
अब हम दोन िसराज के सामने िगड़िगड़ाने लगी- सर, पु िलस थाना जाकर या कर गे …
जो भी है यही सु लझा लीिजए लीज। अगर थाने म गई तो हम िकसी को मुँ ह िदखाने के
कािबल नहीं रह गी। लीज सर… लीज
वै गरह वै गरह
काफी दे र बाद उसने हम चु प रहने के िलए बोला। िफर उसका और उसके सािथय का
नजर म ही कुछ इशारा हुआ. तो वो बाकी चार पु िलिसए अपनी गाड़ी के पास गए.
िफर िसराज बोला- दे खो, म अकेला नहीं तय कर सकता िक आपको छोड़ दे ना है या नहीं।
अगर िकसी ने कंल ट मार दी तो मे री तो नौकरी गयी.
हमारे मम की तरफ घूर कर दे खते हुए उसने कहा- पै से तो नहीं चािहए हम । बाकी तो
आप समझ गयी हगी।
म ने भी पागल की तरह शल बनाई और कहा- मतलब
तभी िरया ने मु झे करीब खींचा और ऐसे िदखाया िक कुछ कानाफू सी कर रही है . मगर
असल म उसने धीरे से कहा- कमीनी, या खे ल खे ला है तूने। अब ठु कवा ले इन सबसे
और हम धीरे से हं स पड़ी.
आगे पु िलस की गाड़ी और पीछे हमारी गाड़ी, ऐसे हम चल पड़े . िसराज हमारी गाड़ी म ही
बै ठ गया. करीब दस िमनट चलने के बाद पु िलस की गाड़ी राता छोड़ कर कचे राते पे
मु ड़ गयी. हम उनके पीछे ही थे . अब तक िसराज ने हमारी ही बोतल ले कर घूंट भरना शु
िकया था. बीच बीच म कुछ मजािकया बात करके वो मे रे बदन को भी छू रहा था. मु ड़ कर
पीछे बै ठी िरया के मम का भी दीदार कर रहा था.
एक सु नसान जगह पे दोन गािड़यां क गयी. शायद कोई बड़ा सा खे त था. जै से गाड़ी
की, िसराज ने बोतल मु झे थमा दी, म ने एक घूंट भरा और अपना मुँ ह उसकी तरफ िकया।
वो मतलब समझ गया और उसने अपने हठ मे रे होट से जोड़ िदए. धीरे धीरे करके म ने
अपने मुं ह की थोड़ी दा उसके मुं ह म धकेल दी.
जै से हम बाहर िनकले , तो िरया ने झट से आगे आकर मे रे हठ चूमना चालू िकया। सभी
बद को इतनी ठरक चढ़ी िक हमारी बोतल खोल कर पीते हुए उहने हम दोन को अलग
िकया।
म िसराज और एक और के हाथ लग गयी तो बाकी तीन ने िरया को घे र िलया।
िकसी ने तब तक कुछ अलाव जै सी आग जलाई और खे त म ही कुछ बड़ा सा घास फू स
िबछा िदया। िसराज ने मु झे आगोश म िलया और वो मु झे पागल की तरह िकस करने
ू रा बं दा मे रे पीछे से मु झे िचपक गया था और जहां छू सकता था वहाँ वो मुँ ह मार
लगा. दस
रहा था.
उधर िरया और बाकी तीन के कपड़े िनकल गए थे . पै र के बूट छोड़ कर िरया के बदन पे
कोई कपड़ा नहीं था. िरया का बदन आग के काश म चमक रहा था. दो लोग उसके मम
पे पीले पड़े थे तो एक उसके हठ चूस रहा था.
इधर िसराज ने मे रे चहरे पे चु बन की झड़ी लगा दी, इतनी िक उसके थूक से मे रा पूरा
चे हरा गीला हो गया. खु ले आसमान के नीचे आग की तिपश के सहारे एक अलग ही
फीिलं ग आ रही थी. अगले कुछ पल म मे रे भी कपड़े िनकल गए. एक एक कर के सभी
पु िलस वाल ने अपने कपड़े िनकाल िलए. म ने दे खा िक सभी का भरा हुआ कसरती बदन
था. सबके लं ड बहुत ही अछे खासे थे . इधर जै से िसराज ने कपड़े िनकले तो मे री आँ ख
अपने आप बड़ी हुई. खता हुआ लं ड म िजं दगी म पहली बार दे ख रही थी, मु झसे रहा नहीं
गया और म खु दबखु द नीचे बै ठ के उसके लं ड को यार करने लगी. उस के ऊपर हाथ फेरने
लगी.
इधर िसराज मु झे बे तहाशा रद रहा था. पता नहीं या खा कर आया था िक छट
ू ने का नाम
नहीं ले रहा था.