Professional Documents
Culture Documents
राघवयादवीयम् - Wikibooks PDF
राघवयादवीयम् - Wikibooks PDF
राघवयादवीयम्
साकेता या यायामासीत् या व ाद ता
आयाधारा।
पूः आजीत अदे वा ा व ासा अ या सावाशारावा
॥ २॥
भू रभूसुरकागारासना पीवरसारसा।
का अ प व अनघसौध असौ ीरसाल थभामका
॥ ३॥
हा अ तरादजरालोक वरोधावहसाहस।
यानसेरखग ीद भूयः म वम् अगः ुगः ॥ १९॥
तब, एक ा ण क मै ी से उस लु त अ वनाशी,
चर थायी ान व तेज को पुन ा त कर नाकेश
( वगराज, इं ) – जनक इ छा पलायन करने वाले
दे वता क र ा करने क थी – ने आकुल कुमार
ु न का ताप हर लया।
व सः वातकृतारा त ोभासारमताहतं।
तं हरोपदमः दासम् आव आभातनुभानुभाः ॥
२४॥
उस कृ ण के ह से नमल वजय ी क या त आई
जो बाण क वषा सहने म समथ ह, जनका तेज
यु भू म को असुर- वहीन करने से चमक रहा है,
उनका वाभा वक तेज दे वता पर वजय से दमक
उठा।
सागरा तगम् आभा तनाकेशः असुरमासहः।
तं सः मा तजं गो ता अभात् आसा गतः
अगजम् ॥ २६॥
वे, ु न को यु के क से उबारने के प ात ल मी
को नज व थली रखने वाले, क तय के
शरण थल जो ु न के हतैषी कृ ण, ऐरावत वाले
वगलोक को जीत कर पृ वी को वापस लौट आए।
बाहरी क डयांँ
राघवयादवीयम्
राघवयादवीयम के बारे म ( ह द व कपी डया)
"https://hi.wikibooks.org/w/index.php?
title=राघवयादवीयम्&oldid=9907" से लया गया