You are on page 1of 116

t.

me/HindiNovelsAndComics
t.me/HindiNovelsAndComics

िवषक या
एक अनोखी ेम कहानी
पु तक-V

लिलत संह वमा


t.me/HindiNovelsAndComics

सूचना
इस पु तक को पढ़ने के िलए आपको इस ंखला क पूव पु तके पढ़ने क
आव यकता नह ह ले कन य द आप इस महागाथा को पूरा पढ़ना चाहते ह तो नीचे दी
गयी पु तक को भी अव य पढ़े । यह पु तक का पिनक ह और इसका कसी भी घटना से
कोई स ब ध नह ह ।

1. शौय एक यो ा
2. परा मी महादेव
3. शंकर ीप
4. वायुपु
t.me/HindiNovelsAndComics
t.me/HindiNovelsAndComics

“ ेम मा कोई अहसास या दमाग म होने वाली रासायिनक या नह ह,


कसी के िलए यह जीवन ह, तो कसी के िलए मौत”

-लिलत संह वमा


t.me/HindiNovelsAndComics

नागवन के दि ण म एक अ यंत बूढ़ा आदमी लकड़ी के सहारे चल रहा था । ी म


ऋतु थी और दोपहर का समय था । िचलिचलाती धूप से तंग आकर बूढ़े आदमी ने कु छ देर
िव ाम करने का िनणय िलया । बूढ़े आदमी को सामने एक िवशाल बरगद का वृ दखाई
दया । बरगद के वृ के नीचे वह आदमी लेट गया । वृ क शीतल छांव म उसे थोड़ा
सुकून िमला । शीतल पवन उसके चेहरे को छु कर जा रही थी । कु छ ही समय म उस बूढ़े
आदमी क आँख लग गयी और वह गहरी नं ा म लीन हो गया ।
कु छ लोग धीमे कदमो से चलते ए नागवन म िवचरण कर रहे थे । ये सं या म
लगभग बारह थे और इ होने हरे रं ग के कवच पहन रखे थे । दखने म सभी सैिनक लग रहे
थे । इनमे से दो के कं धे पर धनुष था और बाक सैिनको के हाथ म तलवारे थी । सभी
सैिनक सावधानी से वन म चारो तरफ देख रहे थे ।
“मुझे लगता ह क वो यहाँ से चला गया ह,” एक सैिनक ने कहा ।
“ फर भी हमे उसे ढू ँढना होगा,” दूसरे सैिनक ने कहा ।
“य द हम यादा आगे बढ़े तो यह खतरनाक हो सकता ह,” पहले सैिनक ने कहा ।
“अपना मुँह बंद करो और ढू ंढते रहो,” दूसरे सैिनक ने कहा ।
सभी अलग-अलग दशा म फै ल गए । कु छ देर बाद लगभग सभी सैिनक
वापस उसी थान पर एकि त हो गए । एक सैिनक उन सैिनको के पास तेजी से चलता
आ आया और कहने लगा “मुझे िमल गया ।”
“कहाँ?” दूसरे सैिनक ने पूछा ।
“यहाँ से कु छ ही दूरी पर,” पहले सैिनक ने कहा ।
“ठीक ह चलो,” पहले सैिनक ने कहा ।
सभी सैिनक आगे बढ़ने लगे । कु छ दूर जाकर वो सभी एक वृ के पीछे क गए
। सभी को सामने थोड़ी दूरी पर एक बूढ़ा आदमी सोता आ दखा रहा था । सभी सैिनक
उस बूढ़े आदमी को दूर से ही देखते ए हमले क योजना बना रहे थे ।
“हम सभी उसे पहले घेर लगे,” तलवार हाथ म िलए सैिनक ने कु छ सैिनको से कहा ।
“और हम?” धनुष िलए ए सैिनक ने कहा ।
“तुम दोन यह पर िछपे रहो, य द वो भागने का यास कर तो उसे मार देना,” तलवार
िलए सैिनक ने कहा ।
“अव य,” धनुष िलए सैिनक ने कहा ।
तलवार िलए सभी सैिनक िबना पैरो क आवाज कए आगे बढ़ने लगे । आगे जाकर
t.me/HindiNovelsAndComics

सभी ने उस सोते ए बूढ़े आदमी को घेर िलया । एक सैिनक ने अपनी तलवार को बूढ़े
आदमी के गले पर लगाया । बूढ़े आदमी क न द खुली । उसने वयं को चार तरफ से
सैिनको ारा िघरा आ पाया । बूढ़ा आदमी धीरे से खड़ा आ । सैिनक ने तलवार अभी
भी उसके गले पर रखी ई थी ।
“ये सब या है?” बूढ़े आदमी ने पूछा ।
“हम जानते ह क तुम कौन हो,” तलवार िलए सैिनक ने कहा ।
“अ छा...” बूढ़े आदमी ने कहा ।
“और तुम भी अ छी तरह से जानते हो क हम कौन ह और यहाँ य आए ह?” तलवार
िलए सैिनक ने कहा ।
“हाँ जानता ,ँ ” बूढ़े आदमी ने कहा ।
“तो तु हारे िलए अ छा यही होगा क तुम वो चीज हम दे दो और हम तु हे सुरि त छोड़
दगे,” सैिनक ने कहा ।
“ऐसा नह हो सकता,” बूढ़े आदमी ने कहा ।
“तो मरो...” सैिनक ने कहा और वार करने के िलए अपनी तलवार को पीछे खंचा ।
इससे पहले क वो सैिनक वार करता बूढ़ा आदमी एक प ी म बदल गया और
उड़ता आ वृ पर जा बैठा । सभी सैिनक वृ क तरफ देखने लगे । घनी पि य और
शाखाओ के कारण प ी को नीचे से ढू ंढना अ यंत क ठन था । अचानक एक प ी नीचे क
तरफ आया और जमीन पर आकर एक बाघ म प रव तत हो गया । सैिनको ने अब बाघ को
घेर िलया । सभी सैिनको ने अपनी तलवार को बाएँ हाथ म मजबूती से पकड़ रखा था
और च क े होकर बाघ को देख रहे थे ।
सभी साथ-साथ आगे बाघ क तरफ बढ़ने लगे । बाघ एक सैिनक क तरफ
उछला और अपने पंजो से उसके चेहरे पर वार कया । इसी बीच पीछे खड़े सैिनको ने
अपनी तलवार से बाघ पर वार कया । बाघ तुरंत पीछे मुड़ा और सैिनक पीछे हट गये ।
िजस सैिनक पर बाघ ने हमला कया था वह अब दद से कराह रहा था । उसके चेहरे पर
गहरी खंरोचे लगी ई थी िजनमे से खून िनकलकर उसके चेहरे पर फै ल रहा था ।
बाघ क पीठ पर भी चोटे लगी ई थी । बाघ गुराता आ सैिनको क तरफ
गु से से देख रहा था । सैिनक बाघ के गु से और भयानक दांत को देखकर सहम गए थे
ले कन उनके पास लड़ने के िसवा और कोई रा ता नह था । सैिनको ने अपने सामने खड़े
सैिनको से नजरे िमलाई और िवशेष इशारा कया । अब एक सैिनक तलवार लेकर तेजी से
पैरो को जमीन पर पटकते ए बाघ क तरफ बढ़ा । जैसे ही वो बाघ के नजदीक आया बाघ
ने उसक जांघ को मुँह म दबा िलया । बाघ के ल बे दांत उसक ह ीय तक घुस गये थे ।
t.me/HindiNovelsAndComics

वह सैिनक तेज दद के कारण िच लाया । अब बाघ ने उसक जांघ को छोड़


दया और जोर से दहाड़ा । पीछे सैिनको ने बाघ क पीठ पर तलवार से गहरे घाव कर
दए थे । बाघ को इनके बारे म पता नही चला य क सामने से सैिनक अपने पैरो को जोर
से पटकता आ आ रहा था और पीछे सैिनक उसके पैरो के शोर म आगे बढ़ गये थे । तेज
दद के कारण सामने वाला सैिनक नीचे िगर कर बेहोश हो गया । बाघ क पीठ से भी ल
िनकल रहा था । दद और चोट के कारण बाघ अपने िपछले पैरो पर ढंग से खड़ा नह रह
पा रहा था ।
मौका देख कर सभी सैिनक एक साथ बाघ पर झपटे । जैसे ही वो हमला करने के
िलए तैयार ए तो बाघ एक िवशाल पंचमुखी सप म बदल गया और सामने से पांच
सैिनको को अपने मुख म दबा िलया । अब सप तेजी से वृ पर चढने के िलए वृ क तरफ
बढ़ा । पीछे खड़े सैिनक लगातार सप क पूँछ पर हमला कर रहे थे । सप वृ पर आधा चढ़
गया था ले कन सैिनक अपनी पूरी ताकत से उसक पूँछ पर वार कर रहे थे । सप कु छ
समय तक वृ से िलपटा रहा और फर नीचे िगर पड़ा ।
नीचे िगरते ही सैिनक उसके पास आए ले कन सप अब एक छोटे प ी म बदल गया
और सैिनको के बीच से उड़ गया । थोड़ी ऊंचाई पर जाकर एक तीर प ी के शरीर से आर-
पार हो गया । थोड़ी दूरी पर खड़े धनुधरो ने यह तीर चलाया था । प ी वापस जमीन पर
आ िगरा । जमीन पर िगरते ही वह एक नवयुवक म बदल गया । उस नवयुवक का पूरा
शरीर ल लुहान था । एक तीर उसके सीने के आर-पार लगा आ था ।
“तो ये तु हारा असली प ह,” एक सैिनक ने नवयुवक से कहा ।
“मने तुमसे कहा था क वो चीज हम दे दो और हम तु हे छोड़ दगे ले कन तुम नह माने,”
दूसरे सैिनक ने कहा ।
नवयुवक के शरीर म थोड़ी ही जान बची थी । उसने िह मत जुटाई और अपने
आिखरी श द कहे “जय महादेव...जय वासुक ...”, इतना कहकर नवयुवक ने अपने ाण
याग दए ।
एक सैिनक ने अपनी कमर से एक खंजर िनकाला और मृत नवयुवक क ओर
बढ़ा । उसके खंजर को नवयुवक के सीने पर रखा और अ दर घुसा दया । उसके नवयुवक
के सीने पर एक बड़ा चीरा लगाया । उस चीरे से एक सफ़े द रोशनी िनकल रही थी ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

माधवगढ़ चार तरफ से पहािडय से िघरा आ था । यह पहािड़याँ सुर ा के


साथ-साथ वातावरण क दृ ी से भी ब त लाभदायक थी । महल चमक ले सफ़े द एवम्
काले प थर से बना आ था । महल अ यंत िवशाल और दशनीय था । महल के तीन तरफ
िवशाल जलकुं ड बने ए थे और सामने क तरफ एक बड़ा खुला मैदान था । माधवगढ़ का
राजा चं के तु महल के झरोखे से बाहर खुले मैदान म देख रहा था । बाहर राजा के तीन
पु आपस म यु कला का अ यास कर रहे थे ।
सबसे बड़ा राजकु मार राघव और उससे छोटा मयूर वज दोन युवा थे । इनसे
छोटी एक राजकु मारी थी िजसका नाम रोिहणी था और सबसे छोटा राजकु मार भ था
जो क अभी कशोर था । भ यु कला म अपने बड़े भाइय क तरह पारं गत नह था ।
राजकु मारी रोिहणी भी महल के ार पर अपनी सहेिलय के साथ खड़ी होकर ित दन क
तरह अपने भाइयो को अ यास करते ए देख रही थी ।
राजकु मार राघव अपने दोन भाइयो से अके ले ही मुकाबला कर रहा था ।
राघव और मयूर वज आपस म थोड़े समय तक लड़े और राघव ने मयूर वज को परािजत
कर दया । अब भ ने राघव पर हमला कया ले कन राघव ने भ क तलवार को नीचे
िगराकर गदा से भ के सीने पर कड़ा हार कया । भ पीछे जा िगरा । मयूर वज और
रोिहणी तेजी से दौड़ते ए भ के पास गये ।
“तु हे इसे इतनी जोर से नह मारना चािहए,” मयूर वज ने राघव से कहा ।
“यु म चोट लगना आम बात ह,” राघव ने बेपरवाही से जवाब दया ।
“ले कन यह यु ा यास है,” मयूर वज ने कहा ।
“अ छा होगा क यह अ यास म ही सीख ले वरना यु म इसक हालत और भी यादा
खराब हो जाएगी,” राघव ने कहा ।
“उसके िलए तुम चंता मत करो,” रोिहणी ने कहा ।
“तुम होने वाले युवराज के साथ स मान से बात करो,” राघव ने कहा ।
“होने वाले युवराज...” रोिहणी ने मुँह मरोड़ते ए कहा, “ले कन अभी तक ए तो नह ...”
राघव अपने चेहरे पर िबना कसी भाव को कट कये महल के अ दर चला
गया । मयूर वज ने भ को अपनी बाह म उठाया और महल के अंदर ले गया ।
राजकु मारी रोिहणी अपनी सहेिलय के साथ सामने खड़े रथ म बैठ गयी । रथ पि म क
ओर िनकल पड़ा । राजकु मारी के पीछे कु छ सैिनक भी घोड़े पर सवार होकर िनकल पड़े ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

माधवगढ़ के पि म म ि थत वन म एक वृ के पास कु छ सैिनक घोड़ो के पास


खड़े थे । उनसे कु छ दूरी पर ही एक झील थी । उस झील म राजकु मारी रोिहणी अपनी
सहेिलय के साथ ान कर रही थी । राजकु मारी रोिहणी अपनी सहेिलय पर पानी फक
रही थी और सहेिलयां राजकु मारी पर पानी फक रही थी । झील के कनारे पर कु छ
दािसयाँ खड़ी थी । दािसय के हाथ म व थे और वो झील म राजकु मारी और उनक
सहेिलय को देखकर मु कु रा रही थी ।
राजकु मारी ने अपना ान स पूण कया और अपनी सहेिलय के साथ झील से
बाहर िनकल गयी । सभी ने व धारण कये और पास म ि थत झािड़य से बेर तोड़कर
खाने लगी । कु छ समय तक राजकु मारी और उसक सहेिलय ने वहां पर खेल खेले और
फर वापस रथ पर सवार हो गयी । कु छ दूरी पर खड़े सैिनक भी रथ के आगे-आगे चलने
लगे । वृ और झािड़य के बीच एक संकरा रा ता बना आ था ।
कु छ आगे जाकर एक सैिनक अपने घोड़े से नीचे िगर पड़ा । सभी सैिनको ने
अपने घोड़ो को रोक दया । एक सैिनक अपने घोड़े से नीचे उतरकर उस सैिनक के पास
गया जो िगर गया था । सैिनक ने उसके पास जाकर देखा तो उसके गले पर एक गहरा छेद
था और उसमे से थोड़ा-थोड़ा खून रस कर बाहर िनकल रहा था ।
“सावधान....” सैिनक िच लाकर खड़ा आ ।
सभी सैिनको ने अपनी तलवारे बाहर िनकाल ली और घोड़ो से नीचे उतर गए
। रा ते के दोन तरफ ि थत झािड़य म से कु छ जंगली कबीले के लोग बाहर िनकले । उनम
से कु छ के म प थर और लकड़ी से बने हिथयार थे और कु छ के हाथो म एक ल बी र सी थी
िजसके दूसरे िसरे पर गाँठ लगी ई थी । इन सब क कमर पर एक कपड़े क थैली बंधी ई
थी िजसमे छोटे-छोटे ितकोने प थर थे । इनमे से एक ने थैली म से प थर िनकाला और उसे
र सी के िसरे पर लगी गाँठ म फं साकर र सी को जोर से वृ ाकार घुमाया और एक ह का
सा झटका दया । झटके के कारण वह प थर गाँठ से िनकलकर तेज र तार से सामने क
तरफ गया और एक सैिनक के सीने पर जा लगा ।
वह प थर सैिनक के कवच को भेदते ए उसके सीने के पार होकर पीठ से
िनकल गया । सैिनक के मुँह से खून िनकल गया और सैिनक घुटन पर बैठकर धीरे से नीचे
जमीन पर िगर गया । सैिनको और कबीले के लोगो के बीच म यु शु हो गया । कु छ ही
समय म यु का िनणय प हो गया क सैिनक यह यु नह जीत पाएंगे य क सैिनक
सं या म ब त कम थे और सैिनक माधवगढ़ म िसखाए गए यु िनयमो का पालन करते
ए लड़ रहे थे जब क कबीले के लोगो को कसी भी िनयम क परवाह नह थी ।
सैिनक समझ गए थे क यह लड़ाई वो ज द ही हार जाएंगे और वीरगित को
ा हो जाएंगे । एक सैिनक ने चारो तरफ देखा और जीिवत सैिनको को िगना । अभी
पं ह सैिनक ही जीिवत थे । सैिनक ने जोर से िच लाते ए कहा “दस सैिनक राजकु मारी
के रथ के साथ चले जाओ और हम यहाँ ककर इ ह रोकने का यास करगे ।”
t.me/HindiNovelsAndComics

यह सुनकर दस सैिनक अपने-अपने घोड़े पर सवार हो गए और उनमे से पांच


रथ के आगे और पांच रथ के पीछे चलने लगे । नीचे खड़े पांच सैिनक कबीले के लोगो से
लड़ते ए उ ह झािडय क तरफ धके लने का यास कर रहे थे, िजससे रथ को िनकलने के
िलए रा ता बन सके । कु छ ही समय म रथ उनके पास आया और नीचे खड़े सैिनको ने
कबीले के लोगो को अपनी पूरी ताकत लगाकर रा ते से दूर हटा दया और रथ आसानी ने
िनकल गया ।
अब र सी लेकर खड़े लोगो ने अपनी रि सय पर प थर चढ़ाए और रथ क
तरफ फके । प थर रथ के पीछे घोड़ो पर सवार पांचो सैिनको को लगे और वो नीचे िगर
गए । एक बार फर कबीले के लोगो ने र सी पर प थर चढ़ाए और फके । इस बार प थर
रथ के पीछे वाले पिहय पर जाकर लगे । प थर लगने के कारण रथ का एक पिहया रथ से
अलग हो गया और लुढकता आ आगे जाकर िगर गया । एक पिहया अलग होने के कारण
रथ अब उतनी गित से नह चल पा रहा था ।
अब कबीले के लोगो ने वहां पर लड़ रहे पांचो सैिनको को मार दया था और
रथ क तरफ बढ़ रहे थे । पास जाकर उ ह ने रथ के आगे चल रहे सैिनको को भी मार
दया और अब रथ म से राजकु मारी बाहर िनकल गयी । राजकु मारी क सहेिलयां और
दािसयाँ उसे बाहर िनकलने से रोक रही थी ले कन राजकु मारी ने उनक नह सुनी । बाहर
िनकलते ही राजकु मारी को कबीले के लोगो ने घेर िलया ।
“तुमको या चािहए?” राजकु मारी ने पूछा ।
“हम तु हे ले जाने आए ह,” कबीले के एक आदमी ने कहा ।
“मुझे ले जाने?” राजकु मारी ने कहा ।
“हाँ...” कबीले के आदमी ने कहा ।
“ठीक ह म तु हारे साथ चलने के िलए तैयार ,ँ ” राजकु मारी ने कहा ।
“अ छा... तो चलो,” कबीले के आदमी ने कहा ।
“ले कन मेरी एक शत ह,” राजकु मारी ने कहा ।
“ या?” कबीले के आदमी ने कहा ।
“तुम मेरी सहेिलय को छोड़ दोगे,” कबीले के आदमी ने कहा ।
“ठीक ह,” कबीले के आदमी ने कहा ।
राजकु मारी कबीले के लोगो के साथ जंगल म चली गयी । राजकु मारी क
सहेिलयां रथ से बाहर िनकलकर महल क तरफ जाने लगी ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

िवलाप करते ए राजकु मारी क सहेिलय ने महल के भीतर वेश कया ।


राजा चं के तु उनके पास गए और राजकु मारी को उनके साथ ना पाकर उ ह ने पूछा
“रोिहणी कहाँ ह?”
सहेिलयाँ कु छ बोल ना सक । राजा क बात सुनकर वे और जोर से रोने लगी ।
यह देखकर राजा के मन म बुरी शंकाए उ प होने लगी ।
“तुम रो य रही हो? मुझे बताओ क रोिहणी कहाँ ह?” राजा ने फर से पूछा ।
“व...वो...वो जंगल म कु छ लोगो ने हम पर हमला कया और....और...राजकु मारी को ले
गए...” िससकते ए एक सहेली ने कहा ।
राजा के मन क शंका अब ोध म बदल गयी थी । राजा ने अपने ोध को
चेहरे पर न दखाते ए, एक सहेली के सर पर हाथ रखा और उन सब से कहा “हम
राजकु मारी को ढू ंढ लगे..., तुम चंता ना करो और अ दर जाकर कु छ समय िव ाम कर लो
।”
सभी सहेिलयां रोते ए महल के अ दर चली गयी । राजा ने अब महल के उपर
झरोखे क तरफ देखा तो पाया क उनक प ी महारानी उ मला और राजकु मार भ दोन
खड़े थे । उ ह देखकर राजा के दय म एक पीड़ उ प ई ले कन राजा ने अपनी
भावना को काबू कया और दरबार क तरफ जाने लगे । दरबार ब त िवशालकाय था ।
इसम ब त से त भ थे जो दरबार क छत के भार को झेलते ए खड़े थे । दरबार इतना
िवशाल था क सम त माधवगढ़ क जा इसम समा जाए और फर भी इसम ब त र
थान रहेगा ।
दरबार के मु य ार के ठीक सामने संहासन था । संहासन शु सोने का बना
आ था और उस पर ब त सारे नगीने भी जड़े ए थे । संहासन के पास पांच सु दर
कु सयां लगी थी िजन पर पांच मं ी बैठे ए थे । ये पांचो राजा के िवशेष मं ी थे । ये सभी
अपने-अपने े के िव ान थे । इनमे ापार िवशेष अिनल, खा िवशेष अकरम,
कला िवशेष रित, याय िवशेष ग वन और र ा िवशेष सोम थे । इनमे से कला
िवशेष रित ही मिहला थी बाक सभी पु ष थे ।
राजा तेजी से आगे बढे और संहासन पर िवराजमान हो गए । पांचो मं ी
राजा के इस अंदाज से िचर प रिचत थे । वे जानते थे क आज राजा अ यंत ोिधत ह ।
सभी चुप रहे ।
“ या आ महाराज? आज आप ब त चंितत दखाई दे रहे ह,” ग वन ने कहा ।
“राजकु मारी रोिहणी को कु छ जंगली कबीले के लोगो ने बंदी बना िलया ह,” राजा चं के तु
ने कहा ।
“ले कन इसके पीछे या कारण हो सकता ह?” ापार िवशेष अिनल ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“हमे नह पता,” राजा ने कहा ।


“हम अभी सेना क एक टु कड़ी को जंगल म भेज देते ह,” र ा िवशेष सोम ने कहा ।
“हाँ यह ठीक रहेगा,” राजा ने मायूस होकर जवाब दया ।
“आप चंता ना करे महाराज हम राजकु मारी को सही सलामत आपके पास ले आयगे,”
सोम ने कहा ।
“ठीक ह जो तु हे उिचत लगे वो करो,” राजा ने कहा ।
“जी महाराज,” कहकर पांचो खड़े हो गए ।
पांचो मंि यो ने राजा के सामने अपना सर झुकाया और दरबार से बाहर
िनकल गए ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

म यराि का समय था । अधच िसतार के बीच म साफ़ आसमान म चमकते


ए शीतलता िबखेर रहा था । रजतगढ़ के महल म स ाटा छाया आ था । रजतगढ़ के
महल का मु य ार दि ण दशा म था और उ र व पूव म भी दो छोटे-छोटे ार थे ।
महल हरे रं ग का था िजस पर काले प थर क सु दर न ाशी क ई थी । महल के चारो
तरफ सैिनक पहरा दे रहे थे । सैिनको ने हरे रं ग का कवच पहन रखा था और सभी के हाथो
म तलवारे थी । महल के चारो तरफ कोई सुर ा दीवार नह थी जैसी क येक महल म
होती थी । महल के दि णी ार पर लगभग प ह सैिनक खड़े थे जब क शेष दो ारो पर
दो-दो सैिनक खड़े थे ।
महल के उ र म ि थत नागवन म से पांच सुंदर क याएं बाहर िनकली । उन
सभी ने व छ ेत रं ग क धोती पहन रखी थी जो उनके घुटन के नीचे तक आ रही थी ।
धोती के कनार पर चमक ले सुनहरे रं ग क एक प ी लगी ई थी जो धोती को ब त
आकषक बना रही थी । सीने पर सफ़े द रं ग का एक अंगव लपेटा आ था जो पीछे पीठ
पर बंधा आ था । अंगव थोड़ा छोटा था िजसके कारण उनके व थल का उभार प
दखाई दे रहा था । अंगव और धोती के बीच उनके गे एं रं ग का पेट प दखाई दे रहा
था । ल बे बाल का जुड़ा बनाकर उ ह पु प से सुशोिभत कया आ था ।
बड़ी गोल आँख,े र से लाल होठ, ल बी सुराहीदार गदन, बलखाती कमर
और चेहरे पर ऐसी सु दरता क देखने वाला उ ह देखता ही रह जाए । इस बीच ये कपड़े
उ ह और कामुक बना रहे थे । पांचो क याएं धीमी गित से महल के उ री ार क तरफ
बढ़ रही थी । ार पर खड़े दोन सैिनक अधखुले मुँह के साथ उनक सु दरता को िबना
पलक झपकाए िनहार रहे थे । िनरं तर आगे बढती ई पांचो क याएं सैिनको के पास आ
प च
ं ी । सैिनक अभी भी उ ह बेसुध होकर िनहार रहे थे । कु छ समय बाद एक सैिनक ने
होश संभाला और कहा “जी बताईये...”
“ या?” सबसे आगे खड़ी क या िवषैना ने पूछा ।
“यहाँ आने का कारण,” सकपकाते ए सैिनक ने कहा ।
“हम यहाँ आपसे िमलने आये ह,” िवषैना ने सैिनक के चेहरे पर अपनी तजनी अंगुली
घुमाते ए कहा ।
“हम...हम...हमसे या काम ह?” सैिनक ने कहा ।
“हम इस जंगल म खो गई थी और अब हमे यह महल नजर आया तो हमने सोचा क य
ना यहाँ के महल म ही कु छ काम कर ले और यही पर रह जाए,” िवषैना ने कहा ।
“ले कन अभी तो सब सो रहे ह, आपको सवेरे आना होगा और दरबार म बात करनी
होगी,” सैिनक ने कहा ।
“पर तु इतनी रात म हम कहा जायगे?” िवषैना ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

इस बात पर सैिनक चुप हो गया और सोचने लगा । अब पीछे खड़ी एक क या


दूसरे सैिनक के पास जाकर खड़ी हो गयी । दोन सैिनक उन क याओ क सु दरता पर
मोिहत हो चुके थे ले कन उनके मन म राजा का भी भय था य क छोटी सी गलती पर
भी राजा उ ह मृ युदड
ं दे देगा ।
“चुप य हो गए आप ही बताइए क हम कहाँ जाए,” िवषैना ने कहा ।
एक ण के िलए सैिनक के मन म उसके िलए दया और ेम उ प आ ले कन
अगले ही ण उसने अपनी ती भावना पर काबो पाते ए कहा “हम नह जानते
ले कन आपको सवेरे ही आना होगा ।”
“ या आज रात के िलए आप हमे महल म नह रख सकते?” िवषैना ने पूछा ।
“नह ...” सैिनक ने कहा ।
“ य हम आपको पसंद नह ह या?” मासूिमयत के साथ िवषैना ने कहा ।
“यह बात नह ह,” सैिनक ने कहा ।
“तो फर या बात ह?” िवषैना ने पूछा ।
“राजा के आदेशानुसार रात के समय कसी भी अनजान ि का महल म वेश िनषेध
ह, मा करे ले कन आपको सवेरे ही आना होगा,” सैिनक ने अपने दल पर प थर रखकर
कहा ।
“ठीक ह,” कहकर िवषैना और उसके साथ दूसरे सैिनक के पास खड़ी क या पीछे मुड़ गयी ।
सैिनक अभी भी उ ह िनहार रहे थे । अगले ही ण दोन वापस सैिनको के
सामने खड़ी हो गयी । इस बार उनके हाथो म खंजर थे और आँख म ोध । सैिनक कु छ
समझ पाते या अपनी तलवार को िनकाल पाते दोन क याओ ने खंजर को उनके सीने म
गहरा घुसा दया और दािहना हाथ उनके मुँह पर रख दया ता क उनक आवाज महल के
भीतर ना जा सके । जैसे ही सैिनको क धड़कने क गयी उनके जमीन पर लेटा दया और
िवषैना ने अपनी साथी क याओ से कहा “हमे ज दी करना होगा अिधक समय नह ह ।”
पांचो क याएं महल के भीतर चली गयी । एक संकर लंबे गिलयारे से पांच ने
अंदर वेश कया । अंदर एक दीवार पर शीशा टंगा आ था l िवषैना सबसे आगे चल रही
थी, शीशे को नजरअंदाज करते ए िवषैना और सभी क याएं आगे बढ़ गई । उसे पीछे आ
रही क या ने दीवार पर लगे शीशे को एक नजर भर देखा । शीशे म अपना सुंदर चेहरा
देखकर कु छ समय के िलए वह क या वह खड़ी हो गई । िवषैनावापस पीछे आई और उस
क या के कं धे पर अपना हाथ रखा । वह क या अभी भी शीशे को एकटक देख रही थी ।
“ या कर रही हो?” िवषैना ने पूछा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“म वो...,” क या ने हड़बड़ा कर कहा ।


“तु हारी सुंदरता तु हारी ताकत है, इसे अपनी कमजोरी मत बनाओ,” िवषैना ने कहा ।
“ठीक है,” क या ने िसर झुका कर कहा ।
“अब चलो,” िवषैना ने क या क बांह पकड़कर कहा।
वह क या िवषैना के साथ चल पड़ी । गिलयारे म घना अंधेरा था । वहां थोड़ी
थोड़ी दूरी पर दीवार पर जली ई मशाले टंगी ई थी । गिलयारे से िनकलकर वे सभी
महल के भीतर एक खुले थान पर आ प च ं ी । यहां चार तरफ तंभ खड़े थे और तंभो के
बीच म से ब त सारे क नजर आ रहे थे । सभी क का ार बंद था ।
“चार तरफ फै ल जाओ और एक-एक करके सभी क को देखो,” िवषैना ने कहा ।
सभी क याएं अलग-अलग दशा म जाकर एक-एक क के अंदर जाने लगी । कु छ
समय बाद सभी वापस खुले मैदान म एकि त ई ।
“कु छ िमला?” िवषैना ने सभी क या से पूछा ।
सभी क या ने असहमित म अपना िसर िहलाया । िवषैना ने चार तरफ देखा ।
उसे सामने कु छ सी ढ़यां नजर आई । उनम से एक ऊपर क तरफ जा रही थी और एक
नीचे क तरफ ।
“ठीक है तुम सभी ऊपर जाओ और म नीचे जा कर आती ,ं ” िवषैना ने क या से कहा ।
सभी ने हामी भरी और ऊपर क तरफ जाने लगी । िवषैना भी सी ढयां उतर कर
नीचे चली गई । नीचे ब त अंधेरा था । िवषैना ने पास रखी मशाल को प थर क मदद से
जलाया और मशाल क रोशनी म आगे बढ़ने लगी । वहां चार तरफ छोटी-छोटी गिलयारे
थे िवषैना एक-एक करके सभी म जाने लगी । एक गिलयारा उसे एक बड़े क म ले गया ।
क के चार ार थे और क पूरा खाली था। एक ार से िवषैना अंदर आई थी ।
अब वह धीमे कदम से चलते ए सामने एक ार क तरफ बढ़ने लगी ार के अंदर से कु छ
आवाज आ रही थी । िवषैना अंदर गई और उसने देखा क क के अंदर चार सैिनक थे ।
उनम से दो सो रहे थे और दो आपस म बात कर रहे थे । एक सैिनक क नजर िवषैना पर
पड़ी ।
“तुम कौन हो और यहां या कर रही हो?” सैिनक ने पूछा ।
“म यहां आपके िलए आई ,ं ” कहती ई िवषैना दोन सैिनक क तरफ बढ़ने लगी ।
सैिनक के चेहरे पर खुशी क एक झलक दखाई दी ।
“ले कन तु ह कसने भेजा...” इससे पहले क सैिनक अपनी बात पूरी कर पाता िवषैना ने
t.me/HindiNovelsAndComics

अपने खंजर से उसका गला काट दया ।


पास बैठा सैिनक यह देख कर चौक गया और अपनी तलवार को िनकालने के िलए
हाथ बढ़ाया इससे पहले क वह तलवार िनकाल पाता िवषैना नेउसके गले पर खंजर रख
दया ।
“तुम कौन हो और या चाहती हो?” सैिनक ने डरते ए पूछा ।
“मुझे बस इतना बताओ क वह मिण कहां है,” िवषैना ने आंखे दखाते ए पूछा ।
“क...क...कै सी मिण?” सैिनक ने कहा ।
“तुम जानते हो क म कसक बात कर रही ,ं ” खंजर उसके गले म गढ़ाते ए िवषैना ने
पूछा ।
“कु छ दन पहले उस मिण को यहां से िनकाल दया गया,” सैिनक ने कहा ।
“अब वह कहां है?” िवषैना ने पूछा ।
“मुझे नह पता,” सैिनक ने कहा ।
िवषैना ने अपने खंजर से उसका भी गला काट दया । उसके बाद िवषैना ने
आसपास के सभी कमर म जाकर देखा और कु छ ना िमलने पर वह वापस ऊपर चली गई
। ऊपर सभी क याए पहले से ही खड़ी थी ।
“कु छ िमला?” िवषैना ने क या से पूछा ।
“नह ,” एक क या ने जवाब दया ।
“ठीक है तुम सब वापस चली जाओ,” िवषैना ने कहा ।
“ले कन आप,” एक क या ने पूछा ।
“म यह महल म रहकर मिण के बारे म पता लगाऊंगी और पता चलने पर तु ह सूिचत
कर दूग
ं ी,” िवषैना ने कहा ।
“ठीक है, अपना खयाल रखना,” कहकर सभी क याएं चली गई ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

राि का समय था और घना अंधेरा था । जंगल म कु छ जंगली कबीले के लोग आग


जलाकर एक जानवर को सेक रहे थे और उस अि के चार तरफ बैठे ए थे । पास म एक
पेड़ पर राजकु मारी रोिहणी को बांधा आ था । उसके दोन हाथ पेड़ के पीछे क तरफ बंधे
ए थे और मुंह पर एक प ी बंधी ई थी िजससे वह शोर ना कर सके । राजकु मारी उन
कबीले के लोग को बात करते ए सुन रही थी । उनम से एक जो कबीले का सरदार था
वह लकड़ी पर बंधे ए जानवर को लकड़ी को घुमा कर अ छी तरह चार तरफ से पका
रहा था ।
कबीले का एक आदमी अपनी दृि राजकु मारी क तरफ गड़ाए ए था । वह
आदमी अचानक उठा और राजकु मारी क तरफ बढ़ने लगा। सरदार के पास बैठे एक
आदमी ने राजकु मार क तरफ जाते ए आदमी को देखा और इशारे से सरदार को बताया
। सरदार तुरंत उठ खड़ा आ और उस आदमी को रा ते म ही पकड़ िलया ।
“कहां जा रहे हो?” सरदार ने उस आदमी से पूछा ।
“यह िसफ आज रात हमारे साथ रहेगी तो य ना इसका भरपूर उपयोग कया जाए,”
राजकु मारी क तरफ इशारा करते ए उस आदमी ने सरदार से कहा ।
“नह तुम ऐसा नह कर सकते,” सरदार ने कहा ।
“ले कन य ?” उस आदमी ने पूछा ।
“ य क हम राजकु मारी को सही सलामत प च
ं ाना है,” सरदार ने कहा ।
“परं तु हम इसका अपहरण करके लाए ह और य द राजा को इस बात का पता चला तो वह
हम मार दगे, इसके िलए हमने अपनी जान को जोिखम म डाला है तो इतना उपयोग तो
हम कर ही सकते ह,” उस आदमी ने कु टलता से हंसते ए कहा ।
“नह ऐसा कु छ नह होगा,” सरदार ने तेज आवाज म कहा ।
सरदार क तेज आवाज को सुनकर सभी कबीले के लोग उन दोन के पास आकर
खड़े हो गए ।
“तुम चाहे जो भी कहो हमने इस काम म तु हारा साथ दया है और अपनी जान को
जोिखम म डाला है तो हम इस अवसर का पूरा उपयोग करगे,” उस आदमी ने कहा ।
“म इस कबीले का सरदार ं और तु ह मेरी बात माननी ही पड़ेगी,” सरदार ने कहा ।
“अब और नह ,” उस आदमी ने अपना हिथयार उठाते ए तेज आवाज म कहा ।
कबीले के सभी लोग ने अपने अपने हिथयार उठा िलए । पूरा कबीला दो भाग म
बढ़ चुका था । आधे लोग सरदार के साथ थे और लोग उस आदमी के साथ थे । जोश से भरे
दोन प म तुरंत ही लड़ाई शु हो गई । कु छ समय पहले जो जंगल इतना शांत था अब
t.me/HindiNovelsAndComics

उनके हिथयार क टकराहट और कोलाहल से गूंज उठा ।


दोन प एक दूसरे पर अ यिधक हंसक हो गए थे और एक-दूसरे के शरीर पर
घातक हार करने लगे । इस लड़ाई म कोई िनयम और कोई सहजता नह थी दोन प
एक दूसरे पर अपनी पूरी शि लगाकर अमानवीय तरीके से हार कर रहे थे ।
राजकु मारी उसी पेड़ पर बंधे ए दोन प को लड़ते ए देख रही थी । उ ह देखकर ऐसा
लग रहा था मानो जानवर के दो समूह म लड़ाई हो रही हो ।
देखते ही देखते एक प थर और लकड़ी का बना धारदार हिथयार उछल कर
राजकु मारी के पैर के पास आज िगरा । राजकु मारी ने यह देख कर भागने का उपाय
बनाया । राजकु मारी अपनी बाह को पेड़ पर सरकाते ए पेड़ क दूसरी तरफ जा खड़ी
ई । अब राजकु मारी नीचे बैठ गई िजससे उसके दोन हाथ पर बंधी ई र सी उस
धारदार हिथयार पर आ गई । राजकु मार म अपने दोन हाथ को जोर लगाकर आगे पीछे
कया िजससे कु छ समय म वह र सी टू ट गई ।
राजकु मारी खड़ी ई और र सी को अपने हाथ से हटाकर मुंह पर बंधी प ी को
खोल दया । राजकु मारी ने गहरी सांस ली और सामने देखा तो एक कबीले का आदमी
राजकु मार क तरफ दौड़ता आ आ रहा था । राजकु मारी क सांस तेज होने लगी और वह
घने जंगल क तरफ भागने लगी । अंधेरा होने के कारण राजकु मारी को कु छ भी नह दख
रहा था । कु छ दूर जाकर राजकु मारी एक प थर से टकराकर नीचे िगर पड़ी ।
राजकु मारी ने फर उठने का यास कया ले कन पैर म गहरी चोट आने के कारण
वह दद से कराह उठी और खड़ी ना हो सक । राजकु मारी ने पीछे मुड़कर देखा तो वह
आदमी तेजी से उसक तरफ आ रहा था । उसके पीछे लगभग पांच और आदमी दौड़ते ए
आ रहे थे । राजकु मारी बचाव के िलए िच लाने लगी । वह आदमी राजकु मारी के पास आ
गया और उसने अपना हिथयार फक दया और राजकु मारी के साथ जबद ती करने लगा ।
पीछे आ रहे आदिमय ने भी अपने हिथयार फक दए और राजकु मारी क तरफ तेजी से
दौड़ने लगे ।
राजकु मारी अ यंत तेज आवाज म बचाव के िलए िच लाने लगी । अंधेरे से उड़ता
आ एक तीर आया और राजकु मारी के साथ जबरद ती कर रहे आदमी के सीने को भेद
दया । अब राजकु मारी शांत हो गई और पांच आदमी जो दौड़कर राजकु मारी के पास
आए थे वो जंगल म चार तरफ देखने लगे । एक और तीर उड़ता आ आया और एक
आदमी के सीने म घुस गया । इसी कार एक-एक करके सभी कबीले के आदमी उन तीरो
का िशकार बन गए । यह देखकर राजकु मारी के मन म संतोष और िज ासा उ प ई ।
“कौन ह िजसने मेरी सहायता करके इन पापी कबीले के लोगो का वध कया है, कृ पा करके
सामने आइए,” राजकु मारी ने जंगल म चार तरफ देखते ए तेज आवाज लगाई ।
कु छ समय तक शांत रहने के बाद राजकु मारी ने फर से आवाज लगाई “ या तुम
t.me/HindiNovelsAndComics

कोई य हो, गंधव हो या देवता हो ।”


राजकु मारी क आवाज सुनकर एक नवयुवक हाथ म धनुष िलए राजकु मारी के
सामने आया । ब त अंधेरा होने के कारण राजकु मारी उसे ठीक से देख नह पाई । वह
नवयुवक घोड़े पर सवार था ।
“तुम कौन हो और इतने अंधेरे म यहां या कर रही हो?” उस नवयुवक ने राजकु मारी से
पूछा ।
“मेरा नाम रोिहणी है,” राजकु मारी ने कहा ।
“ले कन तुम यहां या कर रही हो?” उस नवयुवक ने पूछा ।
“जंगली कबीले के लोग मेरा अपहरण करके मुझे यहां लाए थे और म कसी तरह अपने
आप को छु ड़ाकर उनसे भागने का यास कर रही थी,” राजकु मारी ने कहा ।
“ठीक है अभी ब त अंधेरा हो चुका है तुम चाहो तो आज राि मेरे घर पर िव ाम कर
सकती हो, सुबह सूरज क पहली करण के साथ म वयं तु ह तु हारे घर ले जाऊंगा” उस
नवयुवक ने कहा ।
“ठीक है,” राजकु मारी ने कहा ।
“तो चलो,” नवयुवक ने कहा ।
राजकु मारी ने उठने का यास कया कं तु पैर पर आई चोट के कारण राजकु मारी
उठ ना सक । उस नवयुवक ने राजकु मारी को उठने का यास करते ए देखा और उसके
पैर पर लगी चोट को देखा और कहा “ को म तु हारी मदद करता ं ।”
वह नवयुवक घोड़े से नीचे उतरा और राजकु मारी को अपनी बाह म उठा कर घोड़े
पर िबठाया और फर वयं घोड़े पर चढ गया ।
“तुम हो कौन?” नवयुवक ने राजकु मारी से पूछा ।
“म माधवगढ़ के राजा चं के तु क पु ी ं मेरा नाम रोिहणी ह, और आप कौन ह?”
राजकु मारी ने कहा ।
“म सुजानगढ़ के राजा का पु ,ं ” राजकु मार ने कहा ।
बात करते करते दोन सुजानगढ़ क तरफ चल पड़े ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

सूय दय आ और सुजानगढ़ म छाया अंधकार हटने लगा । चार तरफ़ प ी


कलरव करते ए अपने दैिनक जीवन क तरह उड़ रहे थे। सुजानगढ़ के लोग ित दन क
तरफ अपने खेत क तरफ रवाना ए । राजकु मारी क भी नं ा खुली । आंखे खोलते ही
राजकु मारी ने अपने सामने एक सुंदर नवयुवक को देखा जो ना जाने कब से राजकु मारी के
जागने क ती ा कर रहा था । राजकु मार क सुंदरता पर पल भर म ही राजकु मारी
मोिहत हो गई और एकटक राजकु मार के चेहरे को िनहारती रही । राजकु मार का भी यही
हाल था ।
“सु भात,” राजकु मार ने चु पी तोड़ते ए राजकु मारी से कहा ।
आवाज सुनकर राजकु मारी ने पहचान िलया क ये वह राजकु मार ह िज ह ने कल
राि को उसके ाण बचाए थे ।
“सु भात,” राजकु मारी ने मु कु राकर कहा ।
“न द म कोई परे शानी तो नह ई,” राजकु मार ने पूछा ।
“नह ,” राजकु मारी ने कहा ।
“हमने कल राि को ही आपके यहां होने क सूचना आपके िपता तक प च
ं ा दी थी, ज द
ही वो आपको लेने आ रहे ह गे,” राजकु मार ने कहा ।
“ठीक है,” राजकु मारी ने कहा ।
राजकु मार वहां से उठा और क से बाहर िनकलने लगा । क के ार पर जाकर
अचानक उसे कु छ याद आया और वह वापस मुड़ गया । राजकु मारी अभी भी उसे िनहार
रही थी ।
“कल राि को आपने मुझे य , गंधव या देवता कहकर संबोिधत कया था, उसका या
कारण था?” राजकु मार ने कहा ।
“इतनी राि के समय जब चार तरफ घना अंधेरा था फर भी आपने इतने सटीक बाण
चलाए इसीिलए मने सोचा क यह कसी इं सान का काय नह हो सकता,” राजकु मारी ने
कहा ।
“अंधेरे म तीर चलाने मकौनसी बड़ी बात है,” राजकु मार ने कहा।
“मने तो मारीच के अलावा आज तक कोई ऐसा तीरं दाज नह देखा है जो अंधेरे म भी
इतना सटीक बाण चला सके , आपने यह सब कससे सीखा” राजकु मारी ने कहा ।
“मुझे राि के समय िशकार करना ब त पसंद है इसिलए िनरं तर अ यास के कारण मने
यह सीखा, कल राि को जब म आपको बचाने आया तब भी म िशकार के िलए ही गया
था,” वैसे ये मारीच कौन ह?” राजकु मार ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“हमारे वहां यो ा य का म से एक है,” राजकु मारी ने कहा ।


“यो ा य, ये या ह?” राजकु मार ने पूछा ।
“यो ा य म तीन महान यो ा ह उनके जैसी अ -श क िव ा कसी के पास भी नह
है, महाबा गदा म, गौरव तलवार म और मारीच तीरं दाजी म सव े ह,” राजकु मारी ने
कहा ।
“तब तो उनसे एक बार िमलना ही पड़ेगा,” राजकु मार ने कहा।
“अव य,” राजकु मारी ने कहा ।
एक सेवक ने िसर झुकाकर कमरे म वेश कया और कहने लगा “माधवगढ़ के
राजा पधार चुके ह और वो आपक राह देख रहे ह।”
राजकु मार और राजकु मारी दोन कमरे से िनकले और सभाक म प च ं गए सभा
क म राजा चं के तु, सुजानगढ़ के राजा िवजये के साथ बैठे ए थे । राजकु मारी ने जैसे
ही अपने िपता को देखा तो वह दौड़कर अपने िपता के पास गई और उ ह गले से लगा
िलया ।
“तुम ठीक हो?” चं के तु ने पूछा ।
“हां,” राजकु मारी ने जवाब दया ।
अब राजा चं के तु चलकर राजकु मार के पास आए और कहा “तुमने हमारी पु ी के
ाण बचाए ह, हम कस तरह तु हारा ध यवाद करे हम समझ नह आ रहा है ।”
“इसम ध यवाद क कोई बात नह है मने राजकु मारी को मुसीबत म देखा और उ ह बचाने
के िलए को बन पड़ा वो कया, कोई भी ि य होता तो यही करता,” राजकु मार ने कहा ।
राजकु मार क बात सुनकर राजा चं के तु मु कु राने लगे और पीछे मुड़कर हाथ
जोड़ते ए राजा िवजये से कहा “अब हम आ ा दीिजए ।”
िवजये ने भी हाथ जोड़े और सहमित म अपना िसर िहलाया । चं के तु और
राजकु मारी दोन महल से बाहर िनकले और रथ म बैठ गए । रथ म बैठते ही राजा को
िनमं ण प दखाई दया जो वो यहां देने के िलए आए थे ले कन राजकु मारी क चंता के
कारण उसे रथ म ही भूल गए ।
“तुम को म यह िनमं ण प देकर आता ,ं ” राजा ने प उठाते ए कहा ।
“म दे आती ,ं ” राजकु मारी ने कहा ।
“ठीक है,” कहकर राजा ने वह प राजकु मारी को दे दया ।
राजकु मारी वह प लेकर महल क तरफ बढ़ी । महल के मु य ार पर राजकु मार
t.me/HindiNovelsAndComics

खड़ा था और राजकु मारी को देख रहा था । राजकु मारी उसके पास गई और प उसके
हाथ म थमा दया ।
“यह या है?” राजकु मार ने प को देखते ए पूछा ।
“िनमं ण प ह,” राजकु मारी ने कहा ।
“ कसका?” राजकु मार ने पूछा ।
“हमारे वयंवर का, और उसी दन वयंवर के बाद मेरे बड़े भैया का रा यिभषेक होगा,”
राजकु मारी ने शमाते ए कहा ।
राजकु मार प खोलकर उसे पढ़ने लगा ।
“आप आएंगे ना,” राजकु मारी ने पूछा ।
“अव य,” राजकु मारने कहा ।
“मुझे एक और बात पूछनी थी,” राजकु मारी ने कहा ।
“ या?” राजकु मार ने कहा ।
“आपका नाम या है?” राजकु मारी ने कहा ।
“ये तो आप वयंवर के दन जान ही जाएंगी,” राजकु मार ने कहा ।
राजकु मारी मु कु राते ए रथ क तरफ बढ़ी और अपने िपता के साथ माधवगढ़ क
ओर थान कया ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

माधवगढ़ म वयंवर क तैया रयां जोर से चल रही थी । सभी रा य के पास


इसके िनमं ण प च ं चुके थे हालां क वंयवर म या होने वाला है यह कसी को भी पता
नह था । महल के सामने बने िवशाल मैदान म ही यह तैया रयां चल रही थी । तैया रय
के बीच ही कु छ सैिनक एक रथ को सजा रहे थे । तीनो राजकु मार तैया रय का िनरी ण
करने के िलए महल से बाहर िनकले । रथ तैयार होता देख वो सैिनक के पास गए ।
“यह रथ य तैयार कया जा रहा है या िपताजी कह जाने वाले ह?” राघव ने सैिनक
से पूछा ।
“हां,” एक सैिनक ने कहा ।
“कहां?” राघव ने पूछा ।
“हम नह पता हम तो बस इसे तैयार करने के िलए कहा गया है,” सैिनक ने जवाब दया ।
अब महल से राजा चं के तु बाहर िनकले । राजा रथ के पास आकर खड़े हो गए ।
“िपताजी आप कहां जा रहे ह?” भ ने पूछा ।
“म राजगु से िमलने जा रहा ,ं ” राजा ने कहा ।
“ य ?” भ ने पूछा ।
“ वयंवर का िनमं ण देन,े ” राजा ने कहा ।
“इसके िलए आपका जाना आव यक है या, कसी और को भी तो भेज सकते ह,” भ ने
कहा ।
“नह , राजगु को िनमं ण देने मुझे वयं ही जाना होगा,” राजा ने कहा ।
“तो या आप अके ले जाएंगे?” आपको सेना क एक टु कड़ी अपने साथ ले जानी चािहए
रा ते म जंगल ह,” मयूर वज ने कहा ।
“म पूरी सेना ही अपने साथ ले जा रहा ,ं ” राजा ने हंसते ए कहा ।
“ले कन हम तो सेना कह भी दखाई नह दे रही है,” भ ने चार तरफ़ देखते ए कहा ।
“वो देखो,” राजा ने अ तबल क तरफ इशारा करते ए कहा ।
अ तबल से तीन यो ा घोड़े पर सवार होकर राजा क तरफ आ रहे थे । उनम से
एक एक पास धनुष, दूसरे के पास गदा और तीसरे के पास तलवार थी ।
“यो ा य,” भ ने मु कु राते ए कहा ।
“हां,” राजा ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“ले कन इन तीन से या होगा,” राघव ने ई या भरे श द म कहा ।


“ये तीन हर खतरे से िनपटने के िलए पया है और इ ह ने भी अपनी िश ा राजगु से ही
ा क थी इसिलए ये भी उनसे िमल लगे,” राजा ने कहा ।
“आपक या ा मंगलमय हो,” भ ने कहा ।
राजा अपने रथ पर सवार हो गए और दि ण क तरफ रवाना ए । तीनो यो ा
भी राजा के पीछे चल पड़े ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

राजधानी म ि थत महल क छत से युवराज राजे ित दन क तरह माधवगढ़


क तरफ देख रहा था । ब त समय पहले यह पूरा महा ीप राजधानी के आिधप य म ही
था, ले कन माधवगढ़ के राजा चं के तु ने अ य राजा को अपने साथ िमलाकर एक नई
सेना बनाई और राजधानी के महाराज को मारकर यु के साथ स पूण महा ीप भी जीत
िलया । उस समय युवराज राजे कशोराव था म थे । वह यु युवराज को आज भी याद
है । उस समय िपता क मृ यु ने युवराज को गहरे सदमे म भेज दया था ।
युवराज को आज भी उसके िपता याद ह जब यु से उनका मृत शरीर महल म
लाया गया था । उनके शरीर पर छोटे-बड़े अनिगनत घाव थे । दो तीर पेट म, एक तीर
सीने म और एक तीर दाई जांघ म घुसा आ था। कवच पूरा टू टकर र रं िजत हो गया था
। तलवार से पूरा शरीर छलनी हो चुका था ।
एक चीज युवराज को आज भी अ छी तरह से याद है िजसके कारण उसे अपने
िपता पर ब त गव आ । सारे घाव और तीर उसके िपता के सामने क तरफ ही थे पीठ
पर घाव क सं या लगभग न के बराबर थी, जो इस बात क ओर संकेत करता था क
मृ यु के िनकट आकर भी उ ह ने यु से भागने क नह सोची बि क अपनी अंितम सांस
तक टके रहे ।
आज भी युवराज उस समय को याद करके सहम जाते ह । िपता क मृ यु के बाद
जब युवराज का रा यािभषेक कया तब युवराज ने संहासन पर बैठने से इनकार कर
दया और ित ा क , क वो जब तक संहासन पर नह बैठगे तब तक क वो पूरा
महा ीप फर से नह जीत लेते ।
उसी दन से युवराज क जंदगी का िसफ एक ही ल य था, पूरे महा ीप पर फर
से शासन करना और इसके िलए सबसे आव यक माधवगढ़ को हराना है, ले कन युवराज
ितशोध क अि म इतना भी नह जले थे क अपना होश खो बैठे । उ ह अ छी तरह से
यह बात पता थी क इस समय उनका बल माधवगढ़ को हराने के िलए पया नह ह और
ना ही कभी होगा य क राजधानी के अलावा सभी े माधवगढ़ के अधीन थे अत: उन
पर हमला करना सीधा माधवगढ़ से यु के बराबर था और इसके िलए उनका बल
अपया था ।
धीमे कदम से चलते ए मं ी िवराट युवराज के पास आकर खड़ा हो गया । िवराट
ने कदम क आहट सुनकर िवराट क तरफ देखा ।
“मने आपके चंतन म कोई बाधा तो नह डाल दी,” मं ी ने कहा ।
“नह , म तो बस...” युवराज ने कहा ।
“हां, मुझसे या छु पाना म तो यह जानता ही ं क माधवगढ़ अभी भी आपक आंख म
कांटे क तरफ चुभ रहा है,” मं ी ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“तुम कु छ नह जानते, जैस-े जैसे दन गुजरते ह मेरे दय म पीड़ा बढ़ती ही जाती ह, म ना


ठीक से खा पाता ं और ना ही सो पाता .ं .. तु हे या लगता है य द मेरे िपता इस ि थित
म होते तो वे या करते, तुम तो उनके सबसे करीबी थे,” युवराज ने भावुक होकर पूछा ।
“आपके िपता सचमुच एक महान ि और महान राजा थे, उनका िनणय और मन
िब कु ल सुलझा आ था, वो या िनणय लेने वाले ह यह कोई भी बता सकता था, ले कन
आप को देखकर ऐसा नह लगता है,”मं ी ने कहा ।
“ या मने कु छ गलत कया है?” युवराज ने पूछा ।
“नह ... येक बार काय करना ही गलत नह होता कभी-कभी कु छ ना करना भी ब त
बड़ी गलती बन सकता है,” मं ी ने कहा ।
“म कु छ समझा नह तुम कहना या चाहते हो?” युवराज ने पूछा ।
“युवराज, अब हमारे पास माधवगढ़ के बराबर बल ह और यह समय उिचत है हमले के
िलए, तो मेरी समझ म यह नह आ रहा है क आपने सेना बल इतना बढ़ा दया ले कन
आपका हमले को लेकर कोई मन नह है... य ?” मं ी ने पूछा ।
“िपता के समय बात अलग थी, उनके पास पया सेना बल था, बि क पया से भी अिधक
था, फर भी वो नाकाम रहे, वो और उनक सेना ने यु भी बहादुरी से लड़ा ले कन फर
भी उनक हार ई, इसका कारण यह है क उनके िम रा यो ने भी उनके िखलाफ
सािजश रची,” युवराज ने कहा ।
“तो या हम माधवगढ़ पर हमला नह करे ग,” मं ी ने पूछा ।
“हम य द आज माधवगढ़ पर हमला करते ह तो हम दोन क सै य शि बराबर ह अतः
यु जीतने क हमारी उ मीद आधी ह, सोच के देखो य द हम यु म नाकाम रहे तो हम
इतनी शि फर कभी नह जुटा पाएंगे और माधवगढ़ को हराना िसफ एक सपना ही रह
जाएगा,” युवराज ने कहा ।
“तो हम या करगे?” मं ी ने पूछा ।
“ ती ा,” युवराज ने उ र दया ।
“ कसक ?” मं ी ने पूछा ।
“सही समय क ,” युवराज ने कहा ।
“और वो कब आएगा?” मं ी ने पूछा ।
“हर रा य म समय एक ही समान नह चलता, समय सबसे बलवान है, समय अ छे िम ो
म भी दरार डालदेता है, जैसा एक बार हमारे साथ आ था और उसका लाभ माधवगढ़ ने
उठाया था, इस बार हम उिचत समय का इं तजार कर उसका पूण लाभ उठाना है, हमारे
t.me/HindiNovelsAndComics

गु चर पूरे महा ीप के कोने-कोने पर ह हम येक गितिविध क खबर िमल जाती ह और


जब सही समय होगा तो माधवगढ़ भी मेरे ोध क अि म दहक उठे गा,” युवराज ने कहा

“मान गए युवराज,” मं ी ने कहा और मंद-मंदमु कु राने लगा ।
युवराज भी उसके साथ मु कु राने लगा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

राजा चं के तु यो ा य के साथ जंगल से होकर जा रहे थे । जंगल क सुंदरता को


िनहारते ए राजा तीनो यो ा से वातालाप करते ए आगे बढ़ रहे थे । राजा तीनो से
उनक यु कला के बारे म पूछ रहे थे ।
“तो या तुम तीनो ने िव ा एक ही साथ अ जत क या अलग अलग समय पर,” राजा ने
पूछा ।
“म और मारीच एक ही क ा म थे जब क महाबा हमसे आगे थे,” गौरव ने कहा ।
“तुम तीनो हिथयार चलाने म इतने पारं गत कै से हो गए? राजगु ने मुझसे कहा था क
तुम तीनो एक पूरी सेना के बराबर हो, या यह स य है?” राजा ने पूछा ।
“गु ने हम ारं भ से ही आपक सेवा के िलए तैयार कया था, वो मानते थे क समृ देश
के िलए यह आव यक है क राजा सदैव सुरि त रहे,” महाबा ने भीषण वरो म कहा।
महाबा लगभग आठ फ ट लंबा और सुग ठत देह का था । उसका शरीर व सा
मजबूत तीत होता था । इससे पहले राजा ने कभी भी उसक आवाज नह सुनी थी । वह
सदैव चुप रहता था । उसे सबसे अिधक मोह अपनी गदा और अपने कत से ही था ।
इसके बाद उसे सबसे अिधक जो चीज पसंद थी वो ह खाना । वह एक समय पर पांच
आदमीय के बराबर खाना खाता था । राजा ने अभी तक उसे एक भी बार गदा चलाते ए
नह देखा था । अभी तक तीनो यो ा को अपना परा म दखाने क आव यकता ही
नह पड़ी ।
“तो तुम बोलते भी हो,” राजा ने महाबा से कहा और राजा हंसने लगा ।
गौरव और मारीच भी मंद-मंद मु कु राने लगे । सभी बात म लगे ए थे ले कन
अचानक कसी चीज ने मारीच का यान ख चा । मारीच ने सारथी को कहकर रथ कवा
दया ।
“ या आ?” राजा ने पूछा ।
मारीच ने अपना हाथ उठाकर राजा को चुप रहने का संकेत कया । अब मारीच ने
दोन साथी यो ा को इशारा कया । दोन यो ा अपने घोड़ से उतरकर राजा के पास
हिथयार लेकर खड़े हो गए ।
रा ता दोन तरफ से लता , पि य और टहिनय से ढका आ था । अब दाई
तरफ से कसी जानवर के गुराने क आवाज सुनाई दी । यह आवाज अब बाई तरफ से भी
आने लगी । मारीच ने अपनी धनुष को मजबूती से पकड़ िलया औरउस पर एक बाण चढ़ा
दया । मारीच का पूरा शरीर हरकत म था । उसके कान गुराने क विन को बारीक से
सुनकर जानवर क दूरी और उनक सं या का अनुमान लगा रहे थे ।
उसक आंखे ती गित से गुराने क आवाज़ क तरफ घूम रही थी । दा भुजा
t.me/HindiNovelsAndComics

धनुष को मजबूती से पकड़े ए थी और बाई भुजा बाण और यंचा को ख चे ए थी ।


उसका सीना और पेट घोड़े पर संतुलन बनाए ए था जब क दोन पैर घोड़े को कसी भी
दशा म घुमाने के िलए आदेश देने के िलए तैयार थे ।
एक भेिड़ये ने अपना िसर रा ते के बाई तरफ़ िलपटी घास म से बाहर िनकाला ।
वह छलांग लगाने के िलए तैयार था, ले कन जैसे ही उसने अपना िसर घास से बाहर
िनकाला एक त ु गित से आता आ नुक ला बाण उसके िसर के पार हो गया । जब वह
बाण भेिड़ए के िसर म घुसने वाला था तब तक मारीच क धनुष पर एक नया बाण चढ
चुका था । भेिड़ए को देखते ही मारीच यह समझ गया था क इसके बाद और भी भेिड़ए
आएंगे य क भेिड़ए हमेशा झूंड म ही िशकार करते ह ।
अब दाई तरफ से दो भेिड़य ने एक साथ छलांग लगाई । एक भेिड़ए को िसर
िनकालते ही मारीच ने बाण मार दया और दूसरा भेिड़या जब हवा म था तब एक और
बाण ने उसके सीने को चीर दया । अब मारीच ने एक के बाद एक बाण िनकाले और रा ते
के दोन तरफ उगी ई लंबी घास म चलाने लगा । येक बाण के धनुष से िनकलने के कु छ
समय प ात ही भेिड़ए क चीख सुनाई देती थी । राजा इस कार क तीरं दाजी को
देखकर अ यंत हैरान था । जब मारीच ने सभी भेिड़य को मार दया तब राजा उसके पास
आए और कहा “म चाहता ं क राजकु मारी के वयंवर म अंितम चरण तुम िनधा रत करो
।”
मारीच ने सहमित म िसर िहलाया । राजा तीनो यो ा के साथ वापस अपने पथ
पर अ सर हो गए ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

राजा तीनो यो ा के साथ जंगल को पार करते ए सुमेर पवत ृंखला पर आ


प च
ं ा । राजा रथ से नीचे उतरा और यो ा भी अपने घोड़ से नीचे उतर गए । चार अब
पवत पर चढ़ाई करने लगे । चार एक पवत क चोटी पर प च ं गए । सामने एक सरोवर
दखाई दे रहा था जो चार तरफ से ऊंचे पहाड़ से िघरा आ था । सरोवर के कनारे एक
छोटी सी कु टया बनी ई थी । राजा और तीनो यो ा अब पवत से नीचे उतरते ए
सरोवर क तरफ बढ़ने लगे । सरोवर के पास जाकर चार ने उसमे ान कया और कु टया
क तरफ बढ़ने लगे ।
तीनो यो ा को अपना बचपन याद आ रहा था । ये तीनो िश ा हण करने के
बाद पहली बार वापस यहां आए थे । कु टया के बाहर कु छ िश य घूम रहे थे । राजा
कु टया के बाहर जाकर खड़े हो गए और बाहर खड़े एक िश य से कहा “हम गु अि से
िमलना है ।”
िश य कु टया के अंदर गया और कु छ समय बाद वापस बाहर आया ।
“आप अंदर चले जाइए,” िश य ने कहा ।
चार ने कु टया के अंदर वेश कया । कु टया के अंदर एक अ यंत बूढ़ा आदमी
जमीन पर बैठा आ था । उसका चेहरा झु रय से भरा आ था और उसने अपने शरीर को
एक व छ ेत व से ढक रखा था । तीनो यो ा समेत राजा ने उस वृ आदमी के
सामने एक साथ िसर झुकाकर णाम कया ।
“आयु मान भव:,”अि ने कहा ।
अि ने राजा को अपने पास बैठने का इशारा कया । राजा, गु के पास बैठ गया,
तीनो यो ा अभी भी हाथ जोड़कर खड़े थे ।
“यहां आने का कोई िवशेष कारण... राजन,” अि ने पूछा ।
“आप तो सब जानते ह, म अपनी पु ी के िलए वयंवर का आयोजन कर रहा ं और म
चाहता ं क आप भी उसम पधारे ,” राजा ने कहा ।
“अव य,” अि ने कहा ।
राजा कु छ समय तक अि के पास बैठा रहा ।
“और कु छ?” अि ने पूछा ।
“मुझे उस शाप के बारे म आपसे कु छ बात करनी थी,” राजा ने हाथ जोड़कर कहा ।
राजा ने तीनो यो ा को बाहर जाने का इशारा कया । तीनो यो ा कु टया से
बाहर िनकल गए । तीनो यो ा बचपन क तरह ही बाहर बने एक सुंदर उ ान म बैठ गए
और चार तरफ़ िनहारने लगे । लगभग एक पहर बीत जाने पर राजा उस कु टया से बाहर
t.me/HindiNovelsAndComics

िनकला । तीनो यो ा ने कु छ समय तक गु अि से बातचीत क और फर राजा


चं के तु के साथ वापस माधवगढ़ क तरफ रवाना हो गए ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

वयंवर का समय नजदीक आ गया । वयंवर और युवराज के रा यािभषेक क


लगभग सभी तैयारीयां पूरी हो गई थी । माधवगढ़ के महल म सभी े के राजकु मार
और युवराज वयंवर म िह सा लेने के िलए आ गए थे । उन सभी को राजमहल के पास
बने अितिथ गृह म ठहराया गया था । सभी के िलए खाने, रहने और अ यास करने क
उ म व था करवा दी गई थी ।
अितिथ गृह और राजमहल के बीच म बने सुंदर उ ान म अंचलनगर का युवराज
सुरसेन बैठा आ था । सुरसेन, माधवगढ़ म पहली बार आया था । यहां पर आने क उसक
कोई इ छा नह थी ले कन उसके िपता ने जबरद ती उसे यहां पर भेज दया था। अब वह
वयंवर से पहले एक बार राजकु मारी को देखना चाहता था । उसने मन बना िलया था क
राजकु मारी को देखने के बाद ही वो िनणय लेगा क उसे इस वयंवर म भाग लेना ह या
नह ।
वयंवर म भाग लेने आए एक अ य राजकु मार ने उसे बताया था क सवेरे के समय
राजकु मारी कु छ समय के िलए उ ान म आती ह । इसिलए सुरसेन, उ ान म राजकु मारी
के आने क ती ा कर रहा था । सुरसेन क नज़रे राजमहल के मु य ार पर जम ई थी
। आिखरकार सुरसेन का इं तजार ख म आ और राजकु मारी महल से बाहर िनकल गई ।
सुरसेन ने राजकु मारी को नजर भर देखा और मोिहत हो गया । सुरसेन उठ खड़ा आ और
राजकु मारी के पास चला गया ।
“सु भात,” सुरसेन ने राजकु मारी से कहा ।
राजकु मारी का यान कसी और तरफ था, इसिलए राजकु मारी को सुरसेन क
बात सुनाई नह दी ।
“सु भात,” सुरसेन ने इस बार तेज आवाज म कहा ।
राजकु मारी ने अपनी नज़रे घुमाकर सुरसेन क तरफ देखा और खे वर म कहा
“सु भात ।”
राजकु मारी फर से दूसरी तरफ देखने लग गई ।
“कु छ समय आप मेरे साथ घूमना पसंद करगी,” सुरसेन ने राजकु मारी से कहा ।
“आप कौन ह?” राजकु मारी ने पूछा।
“म अंचलनगर का युवराज सुरसेन ,ं यहां वयंवर म िह सा लेने आया ”ं सुरसेन ने कहा

राजकु मारी का यान फर से दूसरी तरफ चला गया ।
“आपने मेरे का उ र नह दया,” सुरसेन ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“ या?” राजकु मारी ने पूछा ।


“मेरे साथ घूमना पसंद करगी,” सुरसेन ने कहा ।
“नह ,” राजकु मारी ने कहा ।
“ले कन य ?” सुरसेन ने कहा ।
“मेरा मन नह है,” राजकु मारी ने जवाब दया ।
“मुझे लगता है क िववाह से पहले हम एक दूसरे को अ छी तरह जान लेना चािहए,”
सुरसेन ने कहा ।
“िववाह? ले कन कसका?” राजकु मारी ने आ य से पूछा।
“हम दोन का,” सुरसेन ने कहा ।
“ले कन अभी तो वयंवर आ ही नह ,” राजकु मारी ने कहा ।
“इस पूरे महा ीप म ऐसा कोई भी युवराज और राजकु मार नह ह जो मेरी बराबरी कर
सके ,” सुरसेन ने कहा ।
राजकु मारी क िनगाह जो इतने समय से इधर-उधर भटक रही थी वो अब एक
दशा म ठहर गई । चेहरा जो इतने समय से चंता म लग रहा था उस पर अब मु कान छा
गई ।
“सुरसेन जी, वो तो हम देख ही लगे क कौन कतना बलशाली है और मेरी राय मािनए तो
मेरे साथ अपना समय तीत करने से अ छा होगा य द आप कु छ समय अ यास कर ले,
अब म चलती ,ं ” कहकर राजकु मारी दौड़ी और अितिथ गृह के बाहर खड़े एक राजकु मार
के पास चली गई ।
वह सुजानगढ़ का राजकु मार था । सुरसेन ोध से भरी नजर से राजकु मारी को
जाते ए देख रहा था। सुरसेन अितिथ गृह क तरफ बढ़ने लगा । रा ते म उसने ितरछी
नजर से सुजानगढ़ के राजकु मार को देखा । गु से से देखते ए सुरसेन अितिथ गृह के अंदर
चला गया ।
राजकु मारी मंद-मंद मु कु राते ए सुजानगढ़ के राजकु मार को देख रही थी ।
राजकु मार भी राजकु मारी को देखकर अ यंत स आ ।
“माधवगढ़ म वागत है,” राजकु मारी ने कहा ।
“कै सी है आप?” राजकु मार ने पूछा ।
“ व थ ,ं म आपका ही इं तजार कर रही थी मुझे लगा क शायद आप नह आएंगे,”
राजकु मारी ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“कै से ना आता, आपको वापस सुजानगढ़ ले जाने का यह मौका म नह छोड़ सकता था,”
राजकु मार ने कहा ।
राजकु मार क बात सुनकर राजकु मारी अ यंत स ई।
“भगवान आपका साथ दे,” राजकु मारी ने कहा और वापस महल म चली गई ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

माधवगढ़ के महल के सामने ि थत िवशाल मैदान आज पूणत: लोगो से भरा आ


था । आज का दन माधवगढ़ के इितहास का एक अित मह वपूण दन था । मैदान के एक
तरफ एक ऊंचा अ थाई चबूतरा बना आ था । िजसे लकड़ी से बनाया गया था । उस पर
राजप रवार के सभी सद य बैठे ए थे। राजा चं के तु अपने संहासन पर िवराजमान थे ।
राजा के पास महारानी बैठी ई थी और उनके पास उनक चार संताने बैठी ई थी ।
पांच मं ी भी चबूतरे पर ही बैठे थे । यो ा य चबूतरे के कोने पर खड़े थे और सेना क
एक टु कड़ी ने सुर ा के िलए पूरे चबूतरे को घेर रखा था ।
चबूतरे के सामने खुले मैदान को दो भाग म बांस बांधकर बांट रखा था । िब कु ल
बीच म एक बड़ा आयताकार भाग था जहां पर वयंवर म भाग लेने वाले सभी राजकु मार
और युवराज बैठे थे । इस आयताकार भाग के िसर पर मजबूत बांस बांधकर इसक सीमा
बनाई गई थी और इसके बाहर सामा य जा के लोग बैठे ए थे । जा के लोग अित
उ साह के साथ वयंवर देखने के िलए बेताब थे । सभी राजकु मार भी वयंवर के िलए
तैयार लग रहे थे ।
आयताकार मैदान के कोन पर सभी राजकु मार बैठे ए थे । उन सभी के पास
अपना घोड़ा था और सभी कार के अ -श थे । उनक सं या लगभग चालीस थी ।
उनके बीच म एक िवशाल वृ ाकार प म कु छ लकड़ी के बड़े त ते खड़े कए गए थे ।
इसके पास चार बांस पर एक मोटे काले कपड़े क छत बंधी ई थी । छत के कोन पर भी
मोटे कपड़े क छोटी सी दीवार चार तरफ बनी ई थी । एक तरफ धातु क दीवार क
कु छ संकरी गिलयां बनी ई थी जो सभी बीच म एक ही थान पर िमलती थी ।
कोई भी नह जानता था क इस ितयोिगता म या होने वाला है । सभी इस
ितयिगता के ारं भ होने क ती ा कर रहे थे । चबूतरे पर बैठे ए पांच मंि य म से
ग वन खड़ा आ । सभी लोग उसे खड़ा होता देख आपस म बात करते ए क गए और
मैदान म पूणत: शांित छा गई ।
ग वन कु छ बोलने ही वाला था क तभी घोड़े पर सवार एक नवयुवक ने वेश
कया । सभी क नजर उस सुंदर से नवयुवक क तरफ गई । उसका चेहरा ोध से लाल
आ था । घोड़े को मैदान के बीच म ही रोककर उसने चार तरफ बैठे ए राजकु मार और
जा के लोग को देखा । कु छ देर बीच म ही खड़े रहने के बाद उसने घोड़े को एड़ लगाई
और चबूतरे के सामने जा खड़ा आ ।
“ या चाहते हो तुम?” ग वन ने उससे पूछा ।
“म इस वयंवर म अपना नाम दज कराने आया ,ं ” उस नवयुवक ने कहा ।
“ले कन इसम के वल राजप रवार के लोग ही िह सा ले सकते ह,” ग वन ने कहा ।
“हां.., म भी एक युवराज ,ं ” उस नवयुवक ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“तो अपना और अपने रा य का प रचय दो,” ग वन ने कहा ।


उस नवयुवक ने अपने घोड़े को उसी थान पर चार तरफ घुमाया और तेज आवाज
म कहा “म युवराज राजे , राजधानी से आया ।ं ”
इतना कहकर युवराज राजे तो चुप हो गया ले कन सभी जा के लोग, सभी
राजकु मार यहां तक क चबूतरे पर बैठे ए राजप रवार के सद य आपस म बात करते ए
बुदबुदाने लगे । राजा चं के तु अभी भी शांत बैठे ए थे, ले कन उनके चेहरे पर तमतमाता
गु सा उनके अंदर उठे तूफ़ान को प दखा रहा था । इससे पहले क ग वन कु छ बोल
पाता राजा चं के तु खड़े ए और कहा “तुम इसम िह सा नह ले सकते हो ।”
“ले कन य ? या कारण ह क म इसम िह सा नह ले सकता ?ं जहां तक मुझे ात है
तो िनयमानुसार म हर कार से इसम िह सा लेने के यो य ,ं अब तो बस एक ही कारण
हो सकता है क आपको डर है क म इसे जीत जाऊंगा इसीिलए आप मना कर रहे ह, वैसे
आपका डर िब कु ल जायज है,” हंसते ए युवराज राजे ने कहा ।
युवराज ने अपना घोड़ा जा क तरफ घुमाया और तेज आवाज म कहा “ये ह
तु हारा राजा जो एक युवराज से डर रहा है ।”
मं ी ग वन राजा के पास गया और धीरे से राजा के कान म कहा “महाराज
िनयमानुसार ये इस वयंवर म िह सा ले सकता है, युवराज होने के कारण दूसरो क तरह
ये भी इसके िलए हर तरह से यो य है और य द आप इसके िलए अनुमित नह देते ह तो
यह िनयम के िव होगा ।”
“आप चंता ना करे िपताजी ितयोिगता के चरण इतने क ठन है िजसे यह युवराज कभी
पार नह कर पाएगा,” राघव ने कहा ।
कु छ समय तक पूरा मैदान शांत रहा मानो वहां कोई हो ही ना । युवराज राजे ने
इस चु पी को तोड़ते ए तेज आवाज म गरजते ए कहा “ठीक है, म इस मौके पर कोई
अशांित नह चाहता ,ं मुझे जो सािबत करना था वो म कर चुका ,ं मुझे पता है क आप
मुझे इसम िह सा नह लेने दगे मुझे आपि नह है, म अब चलता ं ।”
कहकर युवराज ने घोड़े के एड़ लगाई और वापस जाने लगा ।
“ को,” तेज आवाज म राजा चं के तु ने कहा ।
युवराज क गया और पीछे मुड़ा ।
“तुम इसम िह सा ले सकते हो,” राजा ने कहा ।
युवराज अपने घोड़े से नीचे उतर गया और मैदान म बैठे ए अ य राजकु मारो के
पास आकर बैठ गया । कु छ ही समय म सब कु छ पहले क तरह सामा य हो गया, ले कन
यह िसफ देखने म लगता था । अब राजा के मन म संदहे बढ़ता जा रहा था क य द यह
t.me/HindiNovelsAndComics

युवराज वयंवर म िवजयी रहा तो वे अपनी पु ी को उसके साथ कै से भेज पाएंगे । इस


बात का डर राजा के मन म गहराता जा रहा था ।
“अलग-अलग े से आए राजकु मार और जा के लोग ,” ग वन कहने लगा, “माधवगढ़
क राजकु मारी रोिहणी के वयंवर म आप सभी का वागत है, यह ितयोिगता तीन
चरण म होगी और जो तीन चरण को पार कर लेगा उसका िववाह राजकु मारी रोिहणी
के साथ होगा । जो राजकु मार कसी चरण को पूरा नह कर पाता है तो वह इस
ितयोिगता से बाहर हो जाएगा । इस ितयोिगता को जीतने के िलए आपको बल के
साथ-साथ बुि का भी योग करना पड़ेगा। थम चरण म सभी को लकड़ी के त ते से
बनी इस िवशाल भूलभूलैया म जाना होगा इसम आप हिथयार भी ले जा सकते ह । इस
भूलभूलैया के क म सभी के िलए एक धनुष रखा आ है आपको वो धनुष लेकर समय
रहते वापस बाहर आना है । जो इस काय को कर लेगा उसे ि तीय चरण म वेश िमलेगा
।”
सभी राजकु मार ने मं ी क बात को यान से सुना और अपने थान पर पर खड़े
हो गए । सभी राजकु मार अब भूलभूलैया क तरफ बढ़ने लगे । उस भूलभूलैया का के वल
एक ही वेश ार था । तभी कु छ सैिनक बड़े-बड़े पंजर को लेकर मैदान म आ गए । उन
पंजर म शेर, बाघ, भेिड़ए और कई कार के खतरनाक जानवर थे ।
“इन सभी जानवरो को िपछले कई दन से भूखा रखा गया है, भूलभूलैया के अंदर आपको
देखते ही ये आप पर जानलेवा हमला करगे, इसिलए आप पूरी तैयारी के साथ ही इसम
वेश करे ,” ग वन ने कहा ।
सैिनक ने एक-एक करके सभी जानवर को भूलभूलैया म छोड़ दया । अब सभी
राजकु मार भूलभूलैया के वेश ार पर आकर खड़े हो गए ।
चबूतरे पर राजा चं के तु और राजकु मारी रोिहणी दोन खड़े ए । एक सेवक अपने
हाथ म थाली लेकर राजकु मारी के पास आया । उस थाली म एक कपड़ा रखा आ था ।
राजकु मारी थाली के पास गई और उस कपड़े को बाएं हाथ म उठाया । राजकु मारी ने
अपना हाथ सामने खड़े सभी राजकु मार क तरफ लंबा कया । सभी राजकु मार एकटक
राजकु मारी को देख रहे थे और भूलभूलैया म जाने के िलए तैयार थे ।
राजकु मारी ने अपनी नजर उठाकर सामने क तरफ देखा । राजकु मारी उन सभी म
से सुजानगढ़ के राजकु मार को ढू ंढने लगी । जैसे ही राजकु मारी को सुजानगढ़ का
राजकु मार दखा उसी समय राजकु मारी ने कपड़े को हाथ से छोड़ दया । सभी राजकु मार
तेजी से भूलभूलैया के अंदर घुस गए और कपड़ा जमीन पर िगर पड़ा ।
भूलभूलैया ब त िवशाल और ज टल होने के कारण एक ही रा ते से अंदर जाने के
बावजूद भी सभी राजकु मार अलग-अलग गिलयार म प च ं गए थे । सभी ने अपने हाथो
म हिथयार भी पकड़ रखे थे य क ब त सारे जंगली जानवर भी भूलभूलैया के गिलयार
t.me/HindiNovelsAndComics

म घूम रहे थे । सभी राजकु मार को एक के बाद एक कई सारे रा ते िमल रहे थे ले कन वो


उ ह भूलभूलैया के क म ले जाने के बजाय गोल-गोल घुमा रहे थे । गिलयार क दीवार
लगभग आठ फ ट ऊंची थी िज ह कू दना भी संभव नह था ।
युवराज राजे एक गिलयारे म रा ता ढू ंढ़ ही रहा था क एक भेिड़ए ने उस पर
हमला कर दया । अचानक ए हमले के कारण युवराज नीचे जमीन पर िगर गया और
इसक तलवार थोड़ी दूर िगर पड़ी । भेिड़ए ने युवराज क दा बांह पर काट िलया था
िजससे बांह से र का रसाव होने लगा । युवराज उठने क कोिशश कर ही रहा था क वो
भेिड़या युवराज के सीने पर आ खड़ा आ और काटने के िलए युवराज क तरफ मुंह बढ़ाया
। तलवार पास ना होने के कारण युवराज ने अपनी कमर से खंजर िनकाला और भेिड़ए के
गले म घुसा दया । भेिड़या पास ही िगर पड़ा ।
युवराज ने िह मत जुटाई और उठ खड़ा आ । उठते ही युवराज तलवार के पास
प चं ा और तलवार को उठा िलया । तलवार उठाकर जैसे ही राजकु मार ने भेिड़ए क तरफ
देखा तो भेिड़या तैयार खड़ा था । युवराज ने अपने चेहरे क चंता को मु कान म बदला
और भेिड़ए क तरफ दौड़ा । भेिड़या भी युवराज क तरफ दौड़ने लगा ।
जैसे ही दोन पास आए तो भेिड़ए ने अपना मुंह खोल कर भयानक दांत दखाए
और युवराजको काटने का यास कया, ले कन इस बार युवराज पूरी तरह तैयार था ।
फु त दखाते ए राजकु मार ने अपना शरीर भेिड़ए से दूर कया और तेजी से हवा म
तलवार घुमाई । िनरं तर गित के कारण युवराज आगे बढ़ गया । गित धीमी करके युवराज
ने पीछे मुड़कर देखा तो भेिड़ए का िसर कट चुका था और उसका र युवराज क तलवार
पर सुशोिभत हो रहा था ।
“एक दन तेरे राजा का भी िसर इसी कार काट दूग
ं ा,” युवराज ने अपनी तलवार को
साफ करते ए भेिड़ए से कहा जो मर चुका था ।
युवराज राजे अब लगातार आगे बढ़ता रहा । ब त समय बीत जाने के बाद
युवराज एक गिलयारे म प च ं ा अंदर जाने का रा ता ढू ंढने के िलए युवराज उस दीवार के
सहारे चार तरफ घूम गया ले कन उसके अंदर जाने का कोई रा ता नह था । घूमते-घूमते
उसे सुजानगढ़ का राजकु मार भी िमला जो अंदर जाने का रा ता ढू ंढ रहा था । दोन साथ
िमलकर रा ता ढू ंढने लगे ले कन उ ह नह िमला । अब अंचलनगर का युवराज सुरसेन भी
आप च ं ा । तीनो ने एक अंितम च र लगाया और रा ता ना िमलने के कारण तीनो वह
पर बैठ गए ।
“ या हम गलत थान पर आ गए ह?” सुरसेन ने पूछा।
“मुझे तो ऐसा नह लगता,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा ।
“तो अंदर जाने का रा ता य नह िमल रहा,” सुरसेन ने पूछा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“मनह जानता,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा ।


“कह वो बनाना भूलना गए हो,” सुरसेन ने कहा ।
सुरसेन क बात सुनकर सभी हंसने लगे । राजे अभी भी चार तरफ देख रहा था

“तो या करे वापस चले, यह तो बंद ह,” सुरसेन ने कहा ।
“नह यही इस भूलभूलैया का क है, हम इसी के अंदर जाना ह,” राजे ने कहा ।
“तु हे कै से पता?” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा ।
“बस... पता ह,” राजे ने कहा ।
“जब इतना कु छ पता है तो ये भी बता दो क इसके अंदर कै से जाएं,” सुरसेन ने कहा ।
राजे मौन रहा और आठ फ ट ऊंची त ते से बनी दीवार को देखने लगा । युवराज
ने तलवार से त ते क दीवारपर चोट मारी ले कन त ते पर एक ह क सी खर च ही आई

“यह त त इतना मजबूत ह क य द हम इस पर चढ़ने के िलए तलवार से काटकर रा ता
भी बनाएंगे तो हम समय पर वापस प च
ं नह पाएंगे,” राजे ने कहा ।
“तो या करे ?” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा ।
“पता नह ,” कहकर युवराज राजे दीवार का सहारा लेकर नीचे बैठ गया ।
सुरसेन और सुजानगढ़ का राजकु मार भी उसके पास बैठ गए । वो दोनो आपस म
बात कर रहे थे ले कन युवराज राजे अभी भी अंदर जाने के रा ते के बारे म सोच रहा
था । तीनो को अचानक शेर क दहाड़ सुनाई दी । एक ही झटके म तीनो उठ खड़े ए और
अपनी तलवार िनकाल ली । तीनो यान से शेर के पैरो क आवाज सुन रहे थे और चुप थे
ता क शेर आहट सुनकर उनके पास ना आ जाए ।
गिलयारे के एक तरफ सुजानगढ़ का राजकु मार और सुरसेन खड़े थे तो दूसरी तरफ
राजे खड़ा था । इ ह ने आपस म अपनी पीठ को सटा रखा था ता क दोन तरफ यान
रख सक। तभी युवराज राजे के मन म खुराफात सूझी और उसने अपनी तलवार को नीचे
िगरा दया । तलवार वजन म भारी होने के कारण जमीन पर िगरते ही आवाज उ प ई

“पागल हो गए हो या?” सुरसेन ने राजे से कहा ।
“शशशश....,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने मुंह पर अंगुली रखते ए आवाज िनकाली ।
तीनो चुप हो गए और शेर के पैरो क आवाज सुनने लगे । आवाज सुनकर तीनो को
t.me/HindiNovelsAndComics

पता चल गया था क शेर उनक तरफ ही आ रहा था । कु छ ही ण म सुजानगढ़ के


राजकु मार और सुरसेन के सामने शेर खड़ा हो गया । राजे उन दोन के बीच से िनकलते
ए शेर के सामने जा खड़ा आ । दोन पीछे खड़े आ य से राजे को देख रहे थे । राजे
शेर क तरफ तेजी से दौड़ा । शेर अपने थान पर खड़ा आ गुरा रहा था । राजे ने
अपनी तलवार को सामने क तरफ तान दया और लगातार शेर क तरह दौड़ता रहा ।
अब शेर भी राजे क तरफ झपटा ।
जब दोन के बीच कु छ ही दूरी थी तब शेर ने राजे के उपर छलांग लगाई ।
राजे ने खुद को नीचे िगरा दया और तलवार को ऊंचा उठाकर मजबूती से पकड़ िलया ।
तलवार शेर के गले म घुसी और पूरे पेट को चीरते ए िनकल गई । युवराज राजे खून से
लथपथ हो गया था । गिलयार म भी खून ही खून दख रहा था ।
सुरसेन और सुजानगढ़ का राजकु मार दोन दौड़कर राजे के पास प च
ं े और हाथ
पकड़कर उसे उठाया ।
“ या तुम ठीक हो?” सुजानगढ़ के राजकु मार ने राज से पूछा ।
“हां,” राजे ने जवाब दया ।
“यह कोई जंगल नह है, जो तुम पहले िशकार को अपने पास बुलाओगे और फर िशकार
करोगे,” सुरसेन ने कहा ।
“ या?” राजे ने िवि मत होकर कहा ।
“तुमने पहले तलवार िगराकर उसे बुलाया और फर उसे मार दया, मेरा कहने का ता पय
है क यह सब करने क या आव यकता थी,” सुरसेन ने कहा ।
राजे ने कु छ नह कहा । वह आगे बढ़ा और मेरे ए शेर को दीवार के पास धके ल
दया । फर कहने लगा “अंदर जाने का यह एकमा उपाय है ।”
“ या?” दोन ने एक साथ पूछा ।
“हम अिधक से अिधक जानवरो को मारकर उ ह एक के ऊपर एक रखना होगा, इसक
मदद से हम दीवार तक प च
ं जाएंगे फर हम कू दकर अंदर चले जाएंगे,” राजे ने कहा ।
“यह अ छा उपाय ह, या कहते हो?” सुजानगढ़ के राजकु मार ने सुरसेन क पीठ पर
मारते ए हंसकर पूछा ।
“उपाय तो अ छा है ले कन...,” सुरसेन ने कहा ।
“ या ले कन?” सुजानगढ़ के राजकु मार ने पूछा ।
“हम वापस कै से आएंगे?” सुरसेन ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

दोन ने सुरसेन क बात तो सुनी ले कन यादा यान नह दया।


“हम तीनो को अलग-अलग गिलयारे म जाकर जानवर को मारना होगा और यहां लाकर
ढेर लगाना होगा,” राजे ने कहा ।
“य द हम भटक गएतो,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने पूछा ।
“हम अपनी तलवार को इस शेर के र म िभगो दगे और िजस भी रा ते पर हम जाएंगे
उस पर तलवार को दीवार पर रगड़ते ए जाएंगे िजससे खून के िनशान दीवार पर लग
जाएंगे और हम नह भटकगे,” राजे ने कहा ।
“ठीक है,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा और दोन ने अपनी तलवार को मरे ए शेर के
र म िभगोकर लाल कर दया फर अलग-अलग रा ते पर िनकल गए ।
“अरे कोई ये तो बताओ क हम वापस कै से आएंग?े ” सुरसेन ने कहा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

मैदान म बैठे ए सभी लोगो क िनगाह उस भूलभूलैया के ार पर ही टक ई थी


। लगभग आधा समय समा हो चुका था ले कन अभी तक कोई भी बाहर नह आया था ।
राजकु मारी और राजा चं के तु क धड़कने हर पल तेज होती जा रही थी । राजा को यह
डर था क कह युवराज राजे जीत ना जाए और राजकु मारी को यह डर था क कह
सुजानगढ़ का राजकु मार हारना जाए । फर भी दोन िह मत जुटाकर सामने देख रहे थे
और अपने मन को दलासा दे रहे थे । तभी भूलभूलैया के ार के पास कसी के पैरो क
आवाज सुनाई दी ।
सभी का यान वहां पर के ि त हो गया । कु छ ही ण म एक शेर भूलभूलैयासे
बाहर िनकला । जा के लोग शेर को देखते ही भयभीत हो उठे और इधर-उधर भागने लगे
। कु छ सैिनक मैदान म आए और शेर को वापस पंजरे म बंद करने का यास करने लगे ।
सैिनक शेर के पास गए और भालो से डराकर शेर को पंजरे म बंद करने का यास कया
ले कन वह शेर अ यंत भूख के कारण परे शान था इसिलए उसने सैिनक पर हमला कर
दया । एक-एक करके उसने सभी सैिनक को मार दया ।
अब वह चबूतरे क तरफ बढ़ने लगा । चबूतरे पर खड़े मारीच ने अपना धनुष
पकड़ा और एक के बाद एक बाण चलाए । सभी बाण शेर के पैरो पर एक के बाद एक लगे ।
कु छ ही समय के बाद शेर भूख और दद के कारण चलने म असमथ हो गया । कु छ सैिनक
शेर के पास आए और उसे पंजरे म धके ल दया और उसे महल के अंदर ले गए । जा के
सभी लोग अब वापस अपने थान पर आकर बैठने लगे । कु छ समय बाद मयूर वज
टहलता आ मारीच के पास आया ।
“तुमने उसे मारा य नह ?” मयूर वज ने मारीच से पूछा ।
“ कसे?” मारीच नेकहा ।
“उस शेर को,” मयूर वज ने कहा ।
“ य क वह बुि मान था,” मारीच ने कहा ।
“तु हे कै से पता?” मयूर वज ने पूछा ।
“ य क इस भूलभूलैया को सबसे पहले उसी ने पार कया,” मारीच ने कहा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

भूलभूलैया के बीच म सुजानगढ़ का राजकु मार एक शेर और एक भेिड़ए को दोन


कं धो पर लादकर ला रहा था । सुरसेन ने भी एक शेर और एक भेिड़ए को ला पटका।
“हम दोन ने बराबर ही काय कया है,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा ।
“नह ,” सुरसेन ने कहा ।
“ य ?” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा ।
“मने अिधक कया है,” सुरसेन ने कहा ।
“कै से?” सुजानगढ़ के राजकु मार ने पूछा ।
सुरसेन ने अपनी कमर पर बंधे ए कपड़े को खोला और एक मरा आ सांप
सुजानगढ़ के राजकु मार को दखाया और दोन हंसने लगे ।
“राजे नह आया अभी तक,” सुरसेन ने कहा ।
“लो आ गया,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने सामने क तरफ इशारा करते ए कहा ।
सुरसेन पीछे मुड़ा और देखा क राजे क पीठ पर एक भी जानवर नह है । उसके दोन
हाथ पीछे क तरफ थे । जब राजे उनके पास आया तब उन दोन ने देखा क राजे
चार बाघ को घसीटते ए ला रहा था ।
“ या बात है? य द मुझे राजकु मारी नह िमली तो म तुमसे िववाह कर लूँगा,” सुरसेन ने
हंसते ए राजे से कहा ।
“अब ज दी से इनको एक के ऊपर एक रखो,” राजे ने कहा ।
तीनो ने सभी मरे ए जानवरो को एक के ऊपर एक रख दया ।
“अब तो कोई मुझे बता दो क हम वापस कै से आएंग?े ” सुरसेन ने कहा ।
“पहले अंदर तो जाने दो,” सुजानगढ़ के राजकु मार ने कहा ।
“सबसे पहले म जाऊंगा,” राजे ने कहा ।
“म तो सबसे पहले जाना भी नह चाहता, तुम ऐसा करना क अंदर से तीन धनुष उठा कर
ले आना,” सुरसेन ने कहा ।
राजे ने कु छ नह कहा । वह चुपचाप लाश पर चढ़कर दीवार को कू दकर अंदर
चला गया । कु छ ही समय म वो एक धनुष के साथ वापस आ गया ।
“मने तुमसे तीन धनुष लाने को कहा था,” सुरसेन ने कहा ।
“इस ितयोिगता को करवाने वाले इतने मंदबुि नह है क वो इसके िलए कोई उपाय ना
t.me/HindiNovelsAndComics

ढू ंढ ले, इसिलए उ ह ने धनुष का वजन इतना रखा क एक ि एक से यादा धनुष


लेकर दीवार नह कू द सकता है,” राजे ने कहा ।
“तो,”सुरसेन ने कहा ।
“तो या? ज दी से जाओ और धनुष लेकर आओ,” राजे ने कहा ।
राजे क बात सुनते ही सुजानगढ़ का राजकु मार दीवार कू दकर अंदर चला गया ।
“तुम वापस बाहर कै से आए?” सुरसेन ने राज से पूछा ।
“तु हे कु छ ही समय म पता चल जाएगा,” राजे ने कहा ।
अब सुजानगढ़ का राजकु मार भी धनुष को लेकर वापस आ गया । अब सुरसेन
लाश पर चढ़ा और दीवार को कू दकर अंदर चला गया । उसने देखा क जमीन का तल
बाहर क तुलना म यहां ब त ऊंचा है । इस घेरे म अित र िम ी डालकर तक को ऊंचा
कया गया था ता क बाहर िनकलने म अिधक परे शानी ना हो । यहां पर दीवार लगभग
तीन फ ट ऊंची ही थी । इस घेरे के अंदर ब त सारे धनुष रखे ए थे ।
सभी धनुष के दोन िसर पर दो नायाब हीरे जड़े ए थे। सुरसेन ने एक धनुष को
उठाया । धनुष का वजन ब त अिधक था । सुरसेन ने दूसरे हाथ से एक और धनुष को
उठाया । उठा तो िलया ले कन दो धनुषो का भार इतना हो गया क चलना तो दूर अब वह
िहलने म भी असमथ था ।
सुरसेन ने एक धनुष को वापस रख दया और एक धनुष को लेकर दीवार कू द कर
दोन के पास प च ं गया । अब तीनो वापस भूलभूलैया से बाहर िनकलने के िलए चल पड़े
। रा ते म उ ह कु छ राजकु मार िमले और इ ह ने धनुष लाने का उपाय पूछा तो राजे ने
उ ह सब कु छ बता दया । कु छ ही समय म तीनो भूलभूलैया से बाहर िनकल गए ।
सुजानगढ़ के राजकु मार को देखकर राजकु मारी अ यंत स ई ले कन राजे को देखकर
राजा के सीने म ोध क अि दहक उठी ।
तीनो के आने के बाद कु छ अ य राजकु मार ने भी धनुष हाथ म िलए थम चरण
को समय रहते पार कर िलया । कु छ राजकु मार तो अभी भी भूलभूलैया म फं से ए थे और
कु छ भूखे जानवरो का िशकार बन चुके थे ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

रजतगढ़ के महल म राजकु मार देवरथ अपने क म िव ाम कर रहा था । िब तर


पर कु छ समय लेटे-लेटे उसे न द आ गई । क महल के सबसे ऊपरी िह से म था । क क
सभी िखड़ कयां खुली ई थी । क अ यिधक ऊंचाई पर होने के कारण तेज हवाएं
िखड़ कय से अंदर आ रही थी। कभी-कभी हवा क गित म अिनयिमतता होने के कारण
हवाएं िखड़ कय से टकराती और लकड़ी क बनी िखड़क दीवार पर टकराकर आवाज
करने लगती थी ।
हवा के अलावा यह क िब कु ल शांत था । इसक शांित के कारण ही राजकु मार
देवरथ इसम िव ाम करना पसंद करता था । इस समय राजकु मार के महल म होने का
पता उसक बहन राजकु मारी संयु ा के अलावा कसी और को नह था इसिलए
राजकु मार के िव ाम म यहां कोई बाधा भी डालने नह आएगा यह सोचकर राजकु मार
गहरी न द सो गया । महल म सभी सोच रहे थे क राजकु मार देवरथ वयंवर म भाग लेने
माधवगढ़ गया है ।
जब कु छ ही समय म युवराज क न द अ यंत गहरी हो गई तब हाथ म खंजर िलए
कोई राजकु मार के क क तरफ उपर जाने लगा । उसने अपने पूरे शरीर को एक काले
व से ढक रखा था । महल म सभी क नजरो से बचते ए वह उपर जाने म सफल रहा ।
उसने राजकु मार के क म वेश कया और क का ार अंदर से बंद कर दया । अब
उसने अपने शरीर पर लगे कपड़े को फक दया ।
वह िवषैना थी । खंजर हाथ म िलए धीमे कदम से चलते ए वह सोते ए
राजकु मार क तरफ बढ़ी । उसने अपनी चाल और पूरे शरीर को संतुलन म रखा आ था
ता क राजकु मार क न द ना खुल जाए । शरीर के साथ-साथ उसने अपनी सांस पर भी
िनयं ण रख रखा था । धीमी गित से ले कन िनरं तर आगे बढ़ते ए वह राजकु मार के
िब तर के पास आ प चं ी । वह िब तर के उपर चढ़ी और राजकु मार के पेट पर बैठ गयी ।
पेट पर बोझ पड़ने के कारण राजकु मार क न द खुल गई । आँख खोलते ही राजकु मार ने
सामने अपने उपर खंजर हाथ म िलए एक सु दर क या को देखा । इससे पहले क
राजकु मार कु छ सोच पाता या कु छ समझ पाता उस क या ने एक हाथ से राजकु मार का
मुंह बंद कया और दूसरे हाथ म पकडे ए खंजर को युवराज के गले पर रख दया ।
“य द चीखने या िच लाने का यास कया तो यह खंजर तु हारे गले म उतर जाएगा,”
िवषैना ने राजकु मार के कान म धीरे से कहा ।
राजकु मार ने अपने दोन हाथो को हवा म उठाकर समपण का संकेत दया ।
िवषैना कु छ समय तक वैसे ही रही और फर उसने अपना हाथ राजकु मार के मुंह से हटा
दया, ले कन खंजर अभी भी राजकु मार के गले को छु रहा था और िवषैना ने उस खंजर को
मजबूती से पकड़ रखा था ता क राजकु मार कोई होिशयारी ना दखा सके । िवषैना का
हाथ अपने मुंह से दूर जाते ए देख राजकु मार ने धीरे से कहा “ध यवाद ।”
t.me/HindiNovelsAndComics

राजकु मार िवषैना को देखकर मु कु रा रहा था । यह देखकर िवषैना ोिधत हो


गयी और उसने खंजर को ह का सा राजकु मार के गले पर गढ़ाकर पूछा “तुम मु कु रा य
रहे हो?”
“पूरे महा ीप के युवराज और राजकु मार आज एक राजकु मारी से िववाह करने के िलए
आज माधवगढ़ म गए ह और ना जाने कौनसी ज टल ितयोिगता को पूरा कर रहे ह गे,
ले कन मेरी क मत देखो िबना कह पर गए और िबना कसी ितयोिगता म भाग िलए
राजकु मारी से भी सु दर क या खुद चलकर मेरे पास आई ह,” राजकु मार ने मु कु राते ए
कहा ।
“तो राजकु मार जी इसम इतना खुश होने और मु कु राने क आव यकता नह ह य क
य द तुमने यादा दांत दखाए तो यह खंजर तु हारी जान ले लेगा,” िवषैना ने कहा ।
“तु हे देखते ही मेरी जान तुममे बस गयी ह, अब चाहे तो खंजर से मुझे मार दो या जीिवत
छोड़ दो कोई फक नह पड़ता,” राजकु मार ने कहा ।
“ यादा ेम गीत गाने क आव यकता नह ह, िजस दन तुम मेरे बारे म जान जाओगे तो
उसी दन से तुम मुझसे डरने लग जाओगे,” िवषैना ने कहा ।
“अ छा तो तुम मुझे यहाँ डराने आई हो, य द ऐसा ह तो म तु हे पहले ही बता दूँ क तुम
इसम असफल रहोगी य क म जैसे ही तु हे देखता ँ तो मेरा दय तेजी से धडकने
लगता ह,” राजकु मार ने अपने सीने पर हाथ रखकर कहा ।
“ब त हो गया, इन सब बात को छोड़ो और जो म पूछती ँ उसका सही जवाब देना,”
िवषैना ने कहा ।
“अ छा ठीक है,” राजकु मार ने कहा ।
“वो मिण कहां है?” िवषैना ने पूछा ।
“कौनसी मिण?” राजकु मार ने िब कु ल शांत वभाव म पूछा ।
“तुम जानते हो क म कस मिण के बारे म पूछ रही ,ं ” िवषैना ने कहा ।
“नह ... म नह जानता,” राजकु मार ने कहा ।
“झूठ मत बोलो, म अब बार-बार नह पूछूंगी, मुझे बताओ क वो मिण कहां है?” िवषैना
ने खंजर को राजकु मार के गले म बलपूवक गादते ए तेज आवाज म पूछा ।
खंजर क नुक ली नोक के कारण खून क एक बूंद राजकु मार के गले से िनकल गई ।
ले कन राजकु मार के चेहरे पर डर या दद का कोई भी संकेत दखाई नह दे रहा था ।
राजकु मार के चेहरे पर य द कु छ प दखाई दे रहा था तो वो था आ य । राजकु मार ने
अपने हाथ से िवषैना के उस हाथ क कलाई पकड़ी िजस म िवषैना ने खंजर पकड़ रखा था
t.me/HindiNovelsAndComics


“चाहे तो मुझे मार दो ले कन म कसी मिण के बारे म नह जानता ,ं ” िवषैना के हाथ को
अपने गले क तरफ ध ा देते ए राजकु मार ने कहा ।
राजकु मार के ध ा देने से खंजर और अंदर घुसा िजससे अब राजकु मार के गले पर
र एक रे खा के प म बह पड़ा । िवषैना समझ गई थी क राजकु मार को मिण के बारे म
कु छ भी पता नह है । िवषैना इस चंतन म थी क वह अब मिण तक कै से प च ं ेगी और
राजकु मार इस चंतन म था क यह क या कस मिण के बारे म बात कर रही है । कु छ
समय तक दोन उसी अव था म थे फर िवषैना ने वहां से जाने के िलए उठने का यास
कया, ले कन उसक कलाई अभी भी राजकु मार ने पकड़ रखी थी ।
िवषैना ने अपना हाथ ख चा । हाथ ख चने से वह खंजर राजकु मार के गले से थोड़ा
दूर हो गया ले कन उसका हाथ अभी भी राजकु मार ने पकड़ रखा था ।
“मेरा हाथ छोड़ो,” िवषैनाने आंखे दखाते ए राजकु मार से कहा ।
“हम एक बार कसी का हाथ पकड़ लेते ह तो इतनी आसानी से तो छोड़ते नह है,”
राजकु मार ने शायरी के अंदाज म कहा ।
िवषैनाने हाथ छु ड़ाने के िलए बल लगाया ले कन राजकु मार ने उसका हाथ मरोड़
दया िजससे वह खंजर िगर पड़ा और िवषैना भी िब तर पर िगर पड़ी । अब राजकु मार
खड़ा आ और उसने िब तर पर िबछी ई क बल लेकर िवषैना के हाथ और पैर बांध
दए।
“तुम य द राजकु मार हो तो तु हे ये जान लेना चािहए क म भी एक राजकु मारी ं और
मेरे बड़े भैया को य द इसे बारे म पता चला तो यह तु हारे और तु हारे पूरे रा य के िलए
अ छा नह होगा,” िवषैना ने कहा ।
“य द ऐसा है तो मुझे कोई आपि नह है य क म भी तु हारे भैया से िमलना चाहता ,ं
िववाह के िलए तु हारा हाथ जो मांगना है,” राजकु मार ने कहा और क का ार बंद
करके चला गया ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

माधवगढ़ म वयंवर का पहला चरण पूण हो चुका था और सभी ि तीय चरण क


ती ा कर रहे थे । लगभग बीस राजकु मार ने थम चरण पूण कर िलया था । जा के
लोगो म भी उ साह बराबर बना आ था । सभी राजकु मार अपने साथ लाई ई धनुष को
साथ लेकर बैठे ए थे और अगले चरण क ती ा कर रहे थे ।
ग वन फर से खड़ा आ और कहने लगा “िजन भी ितभािगय ने थम चरण को
पूण करके धनुष को ा कया है उ ह अब ि तीय चरण म वेश िमलेगा । ि तीय चरण
म सामने दख रही धातु के पतले च र से बनी दीवार के गिलयार के अंदर आपको जाना
है और गिलयारे के अंत म एक तीर रखा आ है । आपको वह तीर लेकर आना है । जो भी
ितभागी उस तीर को लेकर समय पर वापस आ जाएगा उसे तृतीय चरण म वेश
िमलेगा। आप इसम अपने साथ हिथयार भी ले जा सकते ह । इस चरण म थम चरण से
भी अिधक खतरा है। इसम आप क मृ यु भी हो सकती है या आपके शरीर पर गहरी चोटे
आ सकती ह । अब आप सभी अपने-अपने िनयत थान पर खड़े हो जाएं ।”
सभी राजकु मार उस धातु के बने गिलयारे के ार पर आ खड़े हो गए । अभी
गिलयारे का ार बंद था इसिलए कसी को भी यह पता नह था क अंदर कौनसी मुसीबत
उनका इं तज़ार कर रही है । यहां येक के िलए अलग गिलयारा था अथात् एक गिलयारे
म एक ही ितभागी जा पाएगा । सभी ितभागी तैयार होकर अ -श के साथ
गिलयार के पास खड़े हो गए और आदेश का इं तजार करने लगे । सभी ने अपने कं धो पर
थम चरण म ा क ए धनुष भी टांग रखी थी ।
ग वन खड़ा आ और सैिनक को गिलयार के ार खोलने का आदेश दया ।
सैिनक ने ार खोल दए और राजा का आदेश पाकर सभी ितभागी गिलयार के अंदर
चले गए । अंदर प च
ं ते ही ार को वापस बंद कर दया गया।
युवराज राजे भी जैसे ही अंदर प चं ा दरवाजा बंद कर दया गया । गिलयार म
पया रोशनी थी और चार तरफ और गिलयारे क छत पर युवराज को अपने ही सैकड़
ित बंब दखाई दे रहे थे। सभी तरफ शीशे लगे ए थे । यहां तक क युवराज के पैरो तले
और छतपर भी शीशे लगे ए थे । हालां क गिलयारे का रा ता िब कु ल सीधा था और
युवराज ने बाहर भी देख िलया था क गिलयारा एकदम सीधा था ले कन अंदर कु छ अलग
ही मायाजाल था । दीवार के अलावा सामने भी शीशे लगे ए थे और उ ही शीश के
मा यम से सीधे रा ते को भी उलझा आ और टेढ़ा मेढ़ा बनाया आ था । युवराज को
चार तरफ, उपर नीचे और यहां तक क सामने भी िसफ अपने ही ित बंब दखाई दे रहे
थे ।
युवराज हर एक कदम को संभलकर रखते ए आगे बढ़ रहा था। मायाजाल इतना
सटीक और भयानक था क िजस तरफ़ रा ता दखाई देता वहां पर शीशा लगा आ था
और िजस तरफ़ युवराज को वयं का ित बंब दखाई पड़ता वहां पर रा ता था । युवराज
ने अपनी तलवार को िनकाला और सामने क तरफ शीशे क जांच करने के िलए लगाया ।
t.me/HindiNovelsAndComics

अब सभी ित बंबो म तलवार युवराज के पेट के नजदीक आ रही थी । यह देखकर युवराज


सकते म आ गया और उसने अपनी तलवार को वापस ख च िलया ।
धीरे -धीरे सावधानी से कदम बढ़ाते ए युवराज उस गिलयारे के बीच म आ गया ।
यहां पर नजारा और भी अिधक भयानक था । युवराज को यहां पर अपने ित बंब पहले
से कई यादा दखाई दे रहे थे । ब त समय तक अपने ही ित बंबो को देखकर युवराज का
िसर चकराने लग गया । कु छ समय तक युवराज वह खड़ा सोचता रहा । सामा य हो जाने
के बाद युवराज ने ब त य कया ले कन युवराज वहां से आगे ना बढ़ सका । िजस भी
दशा म युवराज जाता तो शीशे से टकरा जाता । यहां तक क युवराज वापस पीछे मुड़कर
भी नह जा सका ।
अब युवराज को इससे नफरत होने लगी और उसने तलवार िनकालकर शीशे पर
एक जोरदार हार कया । इतने बलपूवक हार के बाद भी शीशे पर एक खरोच भी नह
आई । ब त समय तक युवराज ने शीश पर तलवार से हार कया ले कन येक हार
िवफल रहा । युवराज ने थक हारकर तलवार और सभी हिथयार को नीचे िगरा दया और
हताश होकर खड़ा रहा ।
उधर मैदान म सभी लोग नज़रे गड़ाकर कसी ितभागी के बाहर िनकलने क
ती ा कर रहे थे । अचानक पीछे क तरफ वाले गिलयार के दो दरवाज ने आवाज क ।
सभी हैरान थे य क उन दरवाज से तो कोई भी अंदर नह गया था । दोन दरवाजे खुले
और एक म से सुरसेन और दूसरे म से सुजानगढ़ का राजकु मार बाहर िनकला । दोन का
शरीर ल लुहान था। शरीर पर छोटे-छोटे और गहरे अनेक घाव थे । दोन के हाथ म धनुष
और एक िवशेष बाण था । सुजानगढ़ के राजकु मार को आता देख राजकु मारी क खुशी का
ठकाना ना रहा ।
युवराज राजे अभी भी मायूस होकर खड़ा था तभी उसे अपनी तरफ कु छ आता
आ दखाई दया । युवराज ने देखा क सैकड़ तीर एक साथ उसक तरफ बढ़ रहे ह।
युवराज ने यह देखकर डर के मारे दोन हाथ आंखो पर रखकर आंखे बंद कर दी । कु छ ही
समय म एक तीर युवराज के पेट म लगा । युवराज ने दोन हाथो से तीर को पकड़ा और
एक गहरी सांस लेकर एक झटके म तीर को िनकाल दया । तीर के साथ ही कु छ खून क
बूंद पेट से रसती ई िनकल गई।
युवराज संभल पाता इससे पहले ही उसे वापस सैकड़ तीरे एक साथ उसक तरफ
आती ई दखाई दी । युवराज समझ गया था क इनम से एक तीर ही असली ह बाक सब
उसके ित बंब ह ले कन उस एक तीर को पहचानना युवराज के िलए संभव नह था । वह
तीर युवराज क दा जांघ पर आ लगा । युवराज ने उसे भी िनकाल दया और एक के बाद
एक तीर युवराज के शरीर पर लगते रहे ।
युवराज का शरीर तीर के कारण िनकले र से लथपथ हो गया था। एक और तीर
आया और युवराज क कमर पर आ लगा । इस बार दद के कारण युवराज कराह उठा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

युवराज ने तीर को िनकाला और गु से से उसे जमीन पर पटका । नीचे िगरने पर तीर से


एक िविच विन उ प ई । विन ऐसी थी जैसे क कोई दो मजबूत धातु आपस म
टकराई हो । युवराज ने नीचे देखा तो पता चला क वह तीर धनुष के िसरे पर लगे हीरे से
टकराया था ।
यह वह धनुष था िजसे युवराज थम चरण से लाया था । अचानक युवराज को
कु छ याद आया और युवराज ने नीचे झुककर वह धनुष उठा िलया । युवराज ने दोन हाथो
से उस धनुष को पकड़ा और अपनी पूरी शि लगाकर एक शीशे क तरफ भागा । युवराज
ने उस धनुष से शीशे पर हार कया । जैसे ही धनुष शीशे से टकराया तो धनुष के िसरे पर
लगा आ हीरा शीशे म छेद करके अंदर घुस गया । अब उसी अव था म युवराज ने धनुष
को शीशे के चार तरफ घुमाया । घुमाने के कारण शीशा कट गया । अब युवराज ने लात
मारकर शीशे को नीचे िगरा दया ।
युवराज को अब इसका भेद पता चल गया था । युवराज ने एक-एक करके सभी
शीश को काटकर नीचे िगरा दया । अब युवराज को दोन तरफ धातु क दीवार दख
रही थी और सामने एक लंबा और सीधा दरवाजा दख रहा था । युवराज अब तेजी से
गिलयारे म दौड़ता आ आगे बढ़ रहा था । युवराज थोड़ा आगे जाकर क गया ।
ककर युवराज ने देखा क चार तरफ के गिलयारे बीच म उस थान पर आकर
िमल रहे थे । वहां पर एक वृताकार लकड़ी क टेबल रखी ई थी िजस पर कु छ तीर पड़े
ए थे । युवराज ने उसम से एक तीर उठाया और वापस आगे बढ़ता रहा । आगे जब
गिलयारा ख म आ तो वहां पर ार बंद था । युवराज ने अंदर से दरवाजा खोला और
गिलयारे से बाहर िनकल गया ।
बाहर िनकलते ही तेज सूय क करण युवराज को चुभने लगी िजसके कारण
युवराज ने अपनी आंखो के उपर हाथ ढक दया । युवराज को चार तरफ बैठे ए जा के
लोगो का शोर सुनाई दे रहा था जो युवराज के िलए ब त खुश थे । अब युवराज ने चबूतरे
क तरफ देखा । चबूतरे पर बैठे राजा चं के तु के मुख पर िनराशा और ोध प दखाई
पड़ रहा था । युवराज ने राजा क हालत देखी और मु कु राने लगा । अगले ही ण युवराज
जमीन पर िगर पड़ा और मैदान म चु पी छा गई।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

दोपहर का समय था और सूय िसर के ठीक ऊपर था । िचलिचलाती धूप तापमान


को बढ़ा रही थी । इसी दोपहर म नागवन के बीच म एक अित सुंदर और मासूम क या
सािव ी अपनी सहेली के साथ िवचरण कर रही थी । सािव ी क सुंदरता और उसक
मासूिमयत कसी को भी एक नजर म भा जाती थी । सािव ी अपनी सहेली के साथ आज
सवेरे से ही वन म घूमने के िलए िनकली थी । दोन तेज धूप म कई समय से चल रही थी।
दोन का गला सूख चुका था और वो यास से ाकु ल होउठी । दोन ने ब त समय तक
ढू ंढा ले कन उ ह कह पर भी जल नह िमला ।
सािव ी को ब त कम उ म ही उसक दादी ने नागवन के राजा नागेश को स प
दया था । इस बीच वो कभी-कभी अपनी दादी से िमलने आया करती थी । सािव ी के
प रवार म के वल उसक दादी ही थी । कु छ ही समय पहले उसक दादी क मृ यु हो गई
थी । दादी के मरने के बाद वो आज पहली बार अपने गांव म आई थी । सवेरे को ही उसक
सहेली के साथ उसने वन म घूमने का िन य कयाऔरदोन वन म िवचरण के िलए िनकल
पड़ी ।
जल क खोज म वो दोनो वन के अंदर चली जा रही थी । ब त समय तक चलने के
बाद उ ह एक सरोवर दखाई दया । वह सरोवर पूरा सूखा आ था । दोन उस सरोवर के
बीच म गई । बीच म उन दोन को एक छोटे से ग े म थोड़ा सा जल भरा आ दखा। उस
जल के पास एक िहरण और िहरणी मरे ए पड़े थे । जल ब त ही कम था । दोन ने उसम
से आधा-आधा जल पी िलया ।
इतने से जल से उनक यास तो नह बुझी ले कन सूखे गले को आराम ज र प चं ा
। जल पीकर सािव ी क सहेली वापस जाने के िलए मुड़ गई ले कन सािव ी अभी भी
खड़ी-खड़ी मरे ए िहरण और िहरणी को देख रही थी । उसके मन म उन जानवर के िलए
ब त दुख था । सािव ी ने अपनी सहेली से थानीय भाषा म पूछा “ऊभो न दखे पारधी
ल यो न दखे बाण, म तन पूछूं हे सखी ये कस िबध त या ाण ।”
(अथात् यहां कोई िशकारी नजर नह आ रहा है और ना ही कोई बाण लगा आ दख रहा
है तो सहेली म तुझे यह पूछ रही ं क इनक मृ यु कै से हो गई)
थानीय भाषा म ही उ र देते ए सहेली ने कहा “जळ थोड़ा नेहा घणा ल या ेम
का बाण, तू पी, तू पी करत ही दोन त या ाण ।”
(अथात् जल कम था ले कन इन दोन के बीच ेम ब त अिधक था । फर इनके बीच तुम
िपओ, तुम िपओ पी ेम के बाण चले । दोन एक दूसरे को बचाने के िलए जल खुद नह
पी रहे थे और इसी िजद म दोन ने ाण याग दए)
सािव ी को यह सुनकर ब त आ य आ । वह अभी भी इस बात को पूणतः नह
समझ पाई थी क ेम म कोई कै से ाण याग सकता है। दोन वापस अपने गांव क तरफ
चलने लगी ले कन सािव ी अभी भी चुप थी और इसी बारे म सोच रही थी क य द उन
t.me/HindiNovelsAndComics

िहरण और िहरणी ने ेम के कारण ाण यागे है तो इस दुिनया म ेम ही सबसे बलवान है


या फर सबसे दुबल । इ ह ेम के असमंजस भरे िवचार के साथ वो आगे बढ़ रही थी।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

वयंवर का तृतीय चरण आरं भ होने को था । सभी दशक और राजप रवार के


सद य आपस म बैठकर िवजेता का पूवानुमान लगा रहे थे। अभी तक कोई भी नह जानता
था क तृतीय चरण म या होगा? कसी को ये भी पता नह था क ितभािगय को
तृतीय चरण म या करना होगा वयं राजा को भी नह । यह काय मारीच को स पा गया
था ।
सुजानगढ़ का राजकु मार और सुरसेन दोन पास म बैठे ए थे । युवराज राजे
मू छत हो गया था इसिलए उसे राजक य वै के पास ले जाया गया । राजा चं के तु उसके
मू छत होने से अ यंत स थे । मैदान म मारीच कु छ सैिनक के साथ कपड़े क छत के
पास खड़ा तृतीय चरण क तैयारी कर रहा था ।
राजा ने मं ी ग वन को अपने पास बुलाया और धीरे से उसके कान म कहा “इतना
समय य लग रहा है? ज द से ज द तृतीय चरण ारं भ करो ।”
राजा को भय था क कह युवराज राजे ना आ जाए इसिलए वो इस
ितयोिगता को ज द से ज द पूरा करवाना चाहते थे ।
“ले कन महाराज इस तृतीय चरण क िज मेवारी यो ा मारीच क है, वो ही इसे ारं भ
करने क घोषणा करगे,” ग वन ने कहा ।
कु छ समय बीत जाने पर मारीच चलकर चबूतरे पर आया । मारीच को देखकर
सभी लोग शांत हो गएऔर मारीच ने अपनी बात ारं भ क “इस वयंवर म अलग-अलग
देश से आए ब त वीर राजकु मार और युवराज ने भाग िलया । सभी का दशन उ म
था । थम और ि तीय चरण म आपके साहस, धैय और बुि म ा का परी ण ए ।
सामने बैठे इन दो युवराज ने दोन चरण को भलीभांित पूण कया । थम चरण म इ हे
एक धनुष िमला जो मने मुख उ े य से इस ितयोिगता के िलए ही मुख राजिमि य
से बनवाया है । इस धनुष क सटीकता और ताकत कसी भी अ य धनुष से कई अिधक ह।
यह इस महा ीप के सबसे शि शाली हिथयार म से एक है । इसका नाम शूलपाणी ह ।
इससे िनकले बाण क गित और उसके ारा तय क जाने वाली दूरी का मू यांकन करना
भी ब त क ठन है । इसका भार भी ब त अिधक है इस कारण से कोई सामा य या िनबल
धनुधर तो इसक यंचा को भी नह ख च सकता । राजिमि य ने धनुष के साथ कु छ
बाण भी बनाए ह जो इन ितभािगय को ि तीय चरण म ा ए । अब तृतीय चरण म
इ हे अपनी धनु व ा सािबत करनी ह । जो इस तृतीय चरण को पार करे गा राजकु मारी
उसी से िववाह करे गी । सामने दख रही इस कपड़े क छत पर एक चूहे क पूछ पर एक
छोटा सा धागा बंधा आ है उस धागे क लंबाई मा एक अंगुल ह । उसी धागे के दूसरे
िसरे पर कान म पहनने का झुमका बंधा आ है । अब दोन ितभािगय को तीर से उस
धागे को काटना ह । इसम ना तो झुमके को कोई खर च आनी चािहए और ना ही चूहे को ।
ितभािगय को िसफ उस धागे को काटकर चूहे और झुमके को अलग करना है । इस काय
हेतु आप उन धनुष और बाण का योग करोगे जो आपने थम और ि तीय चरण म
t.me/HindiNovelsAndComics

हािसल कए ह । महाराज चं के तु क आ ा से म तृतीय चरण ारं भ करने का ऐलान


करता ं ।”
सुरसेन और सुजानगढ़ का राजकु मार एक दूसरे क तरफ देख ही रहे थे क स पूण
जा एक साथ ह ला मचाने लगी । सभी ने मैदान के पास बने त बू क तरफ देखा । त बू
के ार पर लगे कपड़े उड़ने लगे और उस त बू से युवराज राजे बाहर िनकला। महाराज
चं के तु का चेहरा जो कु छ समय पहले तृतीय चरण के िलए उ सािहत था अब वो गु से म
बदल गया ।
“ को... जहां तक मुझे याद है तो मू छत होने से पूव ही मने ि तीय चरण पूरा कर िलया
था और उसी कार अब म इस तृतीय चरण को भी पूरा क ं गा,” युवराज राजे ने मैदान
म आगे बढ़ते ए कहा ।
राजे ने अपनी धनुष और बाण उठाया जो उसने िपछले चरण म हािसल कए थे
। अब वह आगे बढ़ता आ उस कपड़े क छत के नीचे आ प च ं ा । धीरे -धीरे जा का शोर
कम आ और अंततः मैदान म पूण प से शांित छा गई । मैदान म शांित इतनी थी क
बहती ई वायु क विन भी सुनाई दे रही थी । सभी के दय के धड़कने क गित बढ़ने
लगी । युवराज राजे ने धनुष पर बाण चढ़ाया और पूरी शि से यंचा को ख चा ।
कपड़े क छत लगभग पं ह फ ट ऊंची थी और वह मोटे काले कपड़े से बनी थी।
उस कपड़े के पार देखना असंभव था । कपड़े के ऊपर चूहा तेजी से इधर-उधर दौड़ रहा था
। छत के चार तरफ भी कपड़े क दीवार थी िजसके कारण चूहा छत से नीचे उतरने म
असमथ था । चूहे के तेजी से इधर-उधर दौड़ने के कारण झुमके पर बंधे छोटे-छोटे घूंघ ओ
क विन सुनाई दे रही थी । चूहे के तेज गित से दौड़ने के कारण घूंघ ओ क विन छत के
अलग-अलग भाग से सुनाई दे रही थी ।
युवराज ने अपना िसर नीचे झुकाया और धनुष बाण को उपर कया । युवराज ने
आंखे बंद क और घूंघ ओ क विन पर यान क त करने का यास कया । घूंघ ओ क
विन के साथ ही युवराज धनुष को भी विन क दशा म घुमा रहा था । जा के सभी
लोग और राजप रवार के सभी सद य क सांसे तो मानो थम सी गई । यो ा मारीच
युवराज राजे क येक हरकत को बारीक से देख रहा था।
ब त समय से इतनी भारी धनुष और तनी ई यंचा को ख चे रहने के कारण
युवराज के कं धो और बाह म अब दद होने लगा था । य द युवराज अब और देर करता तो
दद के कारण िनशाना चूक भी सकता था । युवराज ने एक गहरी सांस ली और अपने अंगूठे
और तजनी अंगुली से पकड़े ए बाण को मु कर दया । धनुष युवराज ने नीचे िगरा दी ।
िबजली क गित से बाण उपर क तरफ गया और कपड़े क छत को चीरते ए खुले
आसमान म ब त ऊंचाई तक गया ।
सभी क थमी ई सांसे तो वापस आ गई ले कन दय क धड़कन अभी भी तेज हो
t.me/HindiNovelsAndComics

रही थी । यो ा मारीच मु कु राया और बोला “युवराज राजे ने तृतीय चरण को पूरा कर


िलया है ।”
ये श द राजा चं के तु पर िबजली क तरह िगरे । सभी लोग अभी तक कु छ भी नह
समझ पाए थे क आ या है ।
“तुम अभी कै से कह सकते हो क तीसरा चरण पूरा हो गया है? अभी इसक जांच होगी
फर िनणय होगा,” राजा चं के तु ने तेज आवाज म मारीच से कहा ।
“ठीक है महाराज,” मारीच ने कहा और एक सैिनक को इशारा कया । सैिनक उस छत के
ऊपर चढ़ा और दोन हाथ को ऊंचा कया । उसके एक हाथ म चूहा था और दूसरे हाथ म
झुमका । वह दोन को राजा के पास लाया और राजा ने दोन का िनरी ण कया। धागा
अभी भी दोन पर बंधा आ था ले कन वह धागा उन दोन को जोड़ नह रहा था। बाण के
ारा धागा िब कु ल बीच म से कट गया था और चूहे के साथ झुमका भी सही सलामत था ।
“ये देिखए महाराज,” मारीच ने राजा से कहा ।
राजा को यह दृ य ब त क दे रहा था । राजा का ोध अब चरम पर था । राजा
ने कभी भी यह नह सोचा था क वयंवर इस कार पूण होगा । राजा ने आवेश म आकर
सैिनक से कहा “इस युवराज को यह मार दो ।”
महाराज क बात सुनते ही सैिनक युवराज राजे क तरफ बढ़ने लगे । य द
युवराज पूरी तरह व थ होता तो युवराज के िलए इन सैिनक का मुकाबला करना कोई
बड़ी बात नह थी ले कन इस अव था म युवराज उनका सामना करने म असमथ था ।
“ को...,” ग वन ने तेज आवाज म सैिनक से कहा ।
महाराज अब ग वन को घूरने लगे ।
“यह िनयम के िव ह, य द आप ऐसा करते ह तो आप राजकु मारी को िववाह से पूव
ही िवधवा कर दगे,” ग वन ने कहा ।
“ले कन म ऐसा होते ए नह देख सकता,” राजा ने कहा ।
“पर तु...,” ग वन ने कु छ कहने का यास कया ले कन युवराज राजे बीच म ही बोल
पड़ा “ क जाओ ।”
सभी युवराज राजे क तरफ देखने लगे । युवराज धीरे -धीरे चलता आ चबूतरे
के िनकट आया और कहने लगा “तुम आपस म मत लड़ो । लड़ाई का समय अभी नह है ।
मेरे इस वयंवर म िह सा लेने का मकसद राजकु मारी से िववाह करना िब कु ल भी नही
था। म तो िसफ तु हारे राजा को यह दखाने आया था क कसी भी व तु पर अिधकार
करने का सही तरीका या होता ह । य द कसी व तु क चाहत रखते हो तो उसके यो य
बनो और उसे िनयमानुसार हािसल करो, छल कपट से नह । मेरा यहां आने का मकसद
t.me/HindiNovelsAndComics

तु हारे राजा को यह दखाना था और हां अभी तो म यहां से राजकु मारी को िबना िलए
ही जा रहा ं य क मुझे उसक कभी चाह थी ही नह ले कन मब त शी वापस आऊंगा
वो लेने िजसक मुझे चाह है...तु हारा रा य ।”
अपनी बात पूरी करके युवराज अपने घोड़े क तरफ बढ़ने लगा ।
“ को...,” मारीच ने कहा ।
युवराज चलते-चलते क गया ।
मारीच चलकर उस कपड़े से बनी छत के पास गया और युवराज क िगरी ई धनुष
उठाकर युवराज राजे के पास गया ।
मारीच कहने लगा “मेरे ारा रिचत इस तृतीय चरण को पूण करना कसी
सामा य यो ा के बस क बात नह है । तुमने इस अ व थ अव था म भी इस चरण को
पूण कया है िजसके िलए तुम राजकु मारी को पाने के हकदार दो ले कन तुमने उसके िलए
मना कर दया । ऐसा महान काय करने के प ात् य द तुम यहां से खाली हाथ चले गए तो
यह इस रा य के िलए अपमान क बात होगी, इसिलए म चाहता ं क तुम इस शूलपाणी
धनुष को उपहार प म वीकार करो ।”
युवराज राजे ने िबना सोचे िसर झुकाकर उस धनुष को वीकार कर िलया और
कहने लगा “मुझे आपसे एक बात पूछनी थी ।”
“हां... िनःसंकोच पूछो,” मारीच ने कहा ।
“आपको कै से पता चला क मेरा बाण सही लगा ह?” युवराज ने पूछा ।
मारीच ने हंसते ए कहा “तु हारे बाण ने जैसे ही छत को पार कया उसी समय
घूंघ ओ क विन क गई ।”
युवराज भी हंसते ए अपने घोड़े पर सवार आ और राजधानी क तरफ थान
कया ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

राजकु मार देवरथ तेजी से चलते ए सभा भवन म प चं ा । सभा भवन म जाकर
उसने अपने िपता को आवाज लगाई । ब त समय बाद भी कोई जवाब ना आने पर
राजकु मार वह पर बैठ गया। कु छ ही समय म मं ी जसवंत और राजकु मार क ब ड़ी बहन
राजकु मारी संयु ा दोन सभा भवन के अंदर आए।
“ या आ देवरथ?” संयु ा ने पूछा ।
“िपताजी कहां है?” राजकु मार ने पूछा ।
“वो तो देश मण के िलए िनकल चुके ह, अब वो कई दन बाद आएंगे,” संयु ा ने कहा ।
“आप यहां या कर रहे ह राजकु मार, या आप वयंवर म नह गए?” मं ी जसवंत ने
पूछा ।
“नह ,” राजकु मार ने जवाब दया ।
“पर तु आपको िपताजी से या काम था?” मं ी ने पूछा ।
“एक अ यंत मह वपूणकाय था,” देवरथ ने कहा ।
“ या रा य से जुड़ा कोई काय है या आपका कोई िनजी काय?” मं ी ने पूछा ।
“रा य से जुड़ा,” देवरथ ने कहा ।
“तब तो आप मुझसे कह सकते ह य क आपके िपता ने जाने से पूव राजकाय मुझे स पा
ह,” मं ी ने कहा ।
“मुझे नह लगता है क िजस िवषय म, म करना चाहता ं उसके बारे म आपको कु छ
ात होगा,” देवरथ ने कहा ।
“म आपका राजमं ी ,ं इस रा य के िवषय म िजतना आपके िपता को ात है उतना मुझे
भी ात है और इसी कारण वो अपनी अनुपि थित म यह काय मुझे स प कर गए ह,” मं ी
ने कहा ।
“ठीक है, पर तु यह बात हम अके ले म ही करनी चािहए,” राजकु मार ने कहा ।
राजकु मार क बात सुनते ही राजकु मारी संयु ा वहां से चली गई ।
“अब बताओ राजकु मार ऐसा कौनसा काय ह?” मं ी ने पूछा ।
“काय नह एक है,” राजकु मार ने कहा ।
“कौनसा ?” मं ी ने पूछा ।
“ या आप कसी मिण के बारे म जानते ह?” देवरथ ने पूछा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

राजकु मार क बात सुनकर मं ी के चेहरे पर चंता क रे खाएं दखने लगी । उसके
माथे पर पसीना आने लगा ।
“ या आप कसी मिण के बारे म जानते ह?” राजकु मार ने एक बार फर से पूछा ।
“कौनसी मिण?” मं ी ने चंितत मुख के साथ धीरे से कहा ।
“आप जानते ह मिण के बारे म आपके चेहरे पर चंता क रे खाएं प दखाई दे रही है क
आप इस बारे म कु छ िछपा रहे ह,” राजकु मार ने कहा।
“म कु छ भी नह िछपा रहा ,ं ” मं ी ने कहा ।
“तो फर ये या ह?” राजकु मार ने ार क तरफ इशारा करते ए कहा ।
ार पर दो सैिनक रि सय से बंधी ई िवषैना को लेकर आए ।
“ या आप जानते ह इसने कु छ समय पहले मेरी ह या करने का यास कया था?”
राजकु मार ने कहा ।
“हां... म जानता ं मिण के बारे म ले कन वो मेरी चंता का कारण नह है, मेरी चंता का
कारण तो यह है क या मुझे इस बारे म आपको बताना चािहए या नह ? इस बारे म
िसफ आपके िपता और मुझे ही पता है, य द मै आपको इस बारे म बता दूं तो पता नह
आपके िपता या कहगे?” मं ी ने कहा ।
“इस समय राजकाय का िज मा आप पर ह इसिलए अभी आप राजा ह और इस समय
येक िनणय लेना आपके हाथ म है,” राजकु मार ने कहा ।
“ठीक है...,” एक गहरी सांस लेते ए मं ी ने कहना ारं भ कया “ब त समय पहले क
बात है जब आप ब त छोटे थे । उस समय आपके िपता को िशकार का ब त शौक था ।
एक दन आपके िपता और म नागवन म िशकार खेलने गए ए थे। नागवन म एक बाघ का
पीछा करते ए ब त देर हो गई औरराि का समय हो गया। मने आपके िपता को वापस
महल म आने के िलए ब त कहा ले कन वो नह माने । अंधेरे म ब त थक जाने के बाद
उ ह ने रथ पर ही कु छ समय िव ाम करने का िनणय कया । जब हम दोन िव ाम कर
रहे थे तभी हम उस वन म ब त तेज रोशनी दखाई दी । वह रोशनी ब त दूर से आए रही
थी । हम दोन उस रोशनी क तरफ चल पड़े । रोशनी के ोत से कु छ ही दूरी पर हमने
रथ को रोक दया और हिथयार के साथ पैदल चलने लगे । एक वृ के पीछे िछपकर हमने
उस रोशनी के ोत को देखा । वो एक मिण थी िजससे यह अ यंत तेज काश फू ट रहा था
। उस मिण के पास एक ि बैठा आ था । वह ि मिण क शि से अपना प
बदल रहा था। यह देखकर हम चुपचाप वापस आ गए । वापस महल म आने के बाद मेरे
िलए तो सब कु छ सामा य ही था ले कन आपके िपता को उस मिण के ित गहरा लगाव
हो गया । उ ह ने उस मिण को पाने का िन य कर िलया । फर हमने नागवन म कु छ
गु चर लगाए । गु चर के ारा हम पता चला क नागवान म एक गु स यता रहती है ।
t.me/HindiNovelsAndComics

उस स यता के बारे म कोई कु छ नह जानता था । उस स यता पर नागराज नाम का एक


ि राज करता था । और िजस ि को हमने मिण के साथ देखा था वो भी नागराज
ही था । गु चर के ारा हमने उसके बारे म सब पता कर िलया और एक दन जब वो
मिण के साथ उस वन म अके ला था तब हमने कु छ सैिनक भेजकर उसक ह या कर दी और
मिण को उससे छीन िलया । यह क या उसी नागराज क पु ी ह ।”
सारी बात सुनकर िवषैनाक आंखो म आंसू आ गए ।
“अब वो मिण कहां ह?” राजकु मार ने पूछा ।
“वो मिण इसी महल म ह,” मं ी ने कहा ।
“मुझे वो मिण इसी समय चािहए,” राजकु मार ने कहा ।
“ले कन...,” मं ी ने कहा ।
“मुझे कु छ नह सुनना, मुझे वो मिण इसी समय चािहए,” राजकु मार ने कहा ।
“ठीक है,” कहकर मं ी सभा भवन से बाहर चला गया ।
कु छ समय बाद जब वह मं ी वापस आया तो उसके पास एक छोटा संदक ू था ।
मं ी ने वह संदक
ू राजकु मार को दे दया । राजकु मार ने उस संदक
ू को खोला । संदक
ू खुलते
ही अ यंत ती रोशनी उस संदक ू से िनकली। रोशनी इतनी तेज थी क महल म िवषैना के
अित र सभी क आंखो म वह रोशनी चुभने लगी । राजकु मार ने तुरंत उस संदक ू को
फर से बंद कर दया । राजकु मार संदक
ू को लेकर जाने लगा ।
“पर तु इसका या करे राजकु मार?” मं ी ने िवषैनाक तरफ इशारा करते ए कहा ।
“िपताजी ने राजकाय आपको स पा ह, तो इसका फै सला भी आप ही करे ,” कहकर
राजकु मार उस सभा भवन से बाहर िनकल गया ।
“सैिनक इसे कारागृह म डाल दो,” मं ी ने कहा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

युवराज राजे के राजकु मारी से िववाह पर मना करने के बाद सभी जा के लोग
और राजप रवार के सद य अभी भी मैदान म ही बैठे थे । राजा चं के तु के मुख पर ोध
अब भी था । जा के सभी लोग असमंजस म थे और आपस म बात कर रहे थे । सभी
वयंवर से जुड़े तक आपस म दे रहे थे । मं ी ग वन अपने हाथ म एक मोटी पु तक िलए
बैठा था और उसके प े तेजी से पलट रहा था । ब त समय तक ऐसा ही चलता रहा फर
ग वन उठ खड़ा आ ।
ग वन कहने लगा “मने राजपु तक िनयामवली म सभी िनयम का गहन अ ययन
कया और ब त ढू ंढा ले कन मुझे इस कार के धमसंकट क ि थित से िनपटने के िलए कु छ
भी नह िमला । अतःमने यह िनणय िलया है क वयंवर अब उसी कार आगे बढ़ेगा और
शेष दोन ितभािगय म से जो भी तृतीय चरण को पूण करे गा वो ही राजकु मारी से
िववाह करे गा ।”
मं ी ग वन के कहते ही मारीच मैदान म गया और एक चूहे क पूंछ पर पुनः धागा
बांधकर धागे के दूसरे छोर पर झुमके को बांध दया । अब झुमके के साथ बंधे ए चूहे को
वापस कपड़े से बनी छत पर रख दया । अब तृतीय चरण एक बार पुनः आरं भ कया गया

सुजानगढ़ का राजकु मार और सुरसेन दोन एक दूसरे को देखने लगे । कु छ ही समय
म सुरसेन खड़ा आ और कपड़े क छत के नीचे धनुष और बाण लेकर आ गया । उ सािहत
जा के लोग एक बार फर शांत हो गए । सुरसेन ने धनुष पर बाण चढ़ाया और धनुष को
आसमान क तरफ तान दया । अब उसने यंचा ख ची । अ यंत भार और यंचा के
अ यिधक तने होने के कारण सुरसेन के हाथो क मांसपेिशय म खंचाव होने लगा ।
सुरसेन छत से आ रही घूंघ ओ क विन पर यान क त करने का यास कर रहा
था ले कन चूहा इतनी तेजी से भाग रहा था क सुरसेन के िलए यान क त करना
अ यिधक क ठन होता जा रहा था । कु छ समय तक सुरसेन ने यान लगाने का यास
कया ले कन हाथो क मांसपेिशय पर पड़े बल के कारण उसके हाथो से बाण मु हो गया
। पलक झपकने से पहले ही बाण छत को चीरता आ आसमान म चला गया ।
जैसे ही बाण ने छत को पार कया उसी समय घूंघ ओ क विन क गई । सुरसेन
अ यंत स आ और अपनी जीत का ज मनाने लगा । मारीच ने कहना शु कया
“अंचलनगर ने युवराज सुरसेन तृतीय चरण म िवफल रहे अब सुजानगढ़ के राजकु मार क
बारी है ।”
यह सुनते ही सुरसेन को ोध आ गया और उसने तीखे वर म मारीच से कहा
“तुम यह कै से कह सकते हो क म िवफल हो गया?”
“यह तो तुम वयं ही देख लो,” मारीच ने छत क तरफ इशारा करते ए कहा ।
सुरसेन छत के ऊपर चढ़ा और वहां का दृ य देखकर तुरंत नीचे उतर गया । सभी
t.me/HindiNovelsAndComics

लोग अब भी यह समझ नह पाए थे क या आ है । मारीच ने एक सैिनक को उपर चढ़ने


का आदेश दया । आदेश पाते ही सैिनक छत पर चढ गया । सैिनक ने उपर चढ़कर अपने
दोनो हाथ को ऊपर उठाया । एक हाथ म चूहे का आधा शरीर था और दूसरे हाथ म चूहे
के आधे शरीर के साथ झुमका लटक रहा था। यह दृ य देखकर सभी लोग हंसे िबना ना रह
सके । पूरा मैदान ठहाक से गूंज उठा ।
यह सुरसेन के िलए ल के घूंट पीने के समान था । सुरसेन को इतना अपमान सहन
नह आ और वह अपने घोड़े पर बैठकर अंचलनगर क तरफ रवाना हो गया ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

नागवन के अंदर वृ क गहरी शाखा के बीच कु छ हलचल हो रही थी । यहां


पर नागवंश का पूरा सा ा य था । एक बड़ी च ान के बीच कु छ गुफाएं थी और एक खुले
मैदान म प थर का एक संहासन बना आ था । कई सप उस संहासन पर िलपटे ए थे ।
संहासन पर सपराज नागेश िवराजमान था । उसने अपने मजबूत शरीर पर एक काले रं ग
क धोती पहन रखी थी । उसके दाएं हाथ के नीचे एक बड़ा लकड़ी का कटोरा पड़ा आ था
। नागेश के दाएं हाथ के अंगूठे म एक चीरा लगा आ था और उसम से र िनकलकर
कटोरे म जा रहा था ।
वहां एक कोने म अलग-अलग आयु वग क ब त सी क याएं खड़ी थी । सािव ी भी
उनम से एक थी । जब वह कटोरा पूरा भर गया तब नागेश ने अपने अंगूठे पर कपड़े क
एक प ी बांध दी । अब एक ि ने उस कटोरे को उठाया और उन क या के पास ले
गया । उस ि ने उस कटोरे म भरे नागेश के र को अलग-अलग छोटे पा म भरा ।
अब उन छोटे पा को सभी क या म उनक आयु के अनुसार उ ह दे दया । उन
क या म कु छ क याएं तो आयु म ब त ही छोटी थी । ब त छोटी क या को बड़ी
क या ने एक कांटे क नोक को र म डु बोकर उनके मुख म जीभ पर रख दया । ये
सभी िवषक याएं थी । ये सभी नागवन के अलग-अलग े से थी । इनमे से यादातर
अनाथ थी और कु छ को उनके घरवाल ने अपनी इ छा से नागेश को दे दया था ।
इनको पैदा होने के कु छ समय बाद ही यहां लाया जाता था और इ हे ब त कम
मा ा म नागेश का र दया जाता था । नागेश का र सभी सप म सबसे यादा िवषैला
था । इस र पी िवष को इन क या को दया जाता था । कम उ से ही कम मा ा म
िवष लेने के कारण अब यह उनक आदत बन चुक थी । क या क उ बढ़ने के साथ-साथ
िवष क मा ा भी बढ़ाई जाती थी ।
नागेश अपने पास बैठे ए लोग से बात कर रहा था । उसी समय एक ि ने उस
सभा म वेश कया । वह ि चंितत लग रहा था । आते ही उसने िसर झुकाकर नागेश
को णाम कया । वह नागेश का मुख गु चर था ।
“कहो या समाचार लाए हो?” नागेश ने कहा ।
“समाचार ब त ही दुःखद ह सपराज,” गु चर ने कहा।
“सुनाओ,” नागेश ने कहा ।
“आपक बहन राजकु मारी िवषैना को रजतगढ़ के कारागृह म डाल दया ह,” गु चर ने
कहा ।
यह सुनते ही नागेश अपने संहासन से खड़ा हो गया । नागेश चलकर गु चर के
पास गया । नागेश को इस बात पर ब त गु सा आ गया था । नागेश ने उस गु चर के कं धे
पर हाथ रखकर पूछा “ कसक इतनी िह मत ई क उसने मेरी बहन को कारागृह म डाल
t.me/HindiNovelsAndComics

दया ।”
“रजतगढ़ के राजकु मार देवरथ ने ऐसा कया,” गु चर ने जवाब दया ।
नागेश फर से अपने संहासन पर जाकर बैठ गया । नागेश ने सभी िवषक या
को अपने पास बुलाया ।
“अब तु हारे काय करने का समय आ गया है, तु हे उस राजकु मार देवरथ को यहां पर
लाना है और याद रहे क उस जीिवत लाना है, य क उसके ाण म लूंगा,” नागेश ने कहा

*****
t.me/HindiNovelsAndComics

माधवगढ़ म वयंवर का आयोजन अभी भी चल रहा था । अंितम चरण के िलए


एक अंितम राजकु मार बचा आ था । कपड़े क छत पर एक नए चूहे को लाया गया ।
उसक पूंछ पर भी उसी कार झुमका बंधा आ था ।
सुजानगढ़ का राजकु मार खड़ा आ और धनुष बाण लेकर छत के नीचे प च ं गया।
उसने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया और आंख बंद करके झुमके पर लगे घूंघ ओ क विन
को सुना और एक ण म ही बाण छोड़ दया । बाण छत के कपड़ेम छेद करके खुले
आसमान म चला गया ।
मारीच मु कु राता आ उसके पास आया और कहा “तुम कामयाब रहे ।”
एक सैिनक छत के ऊपर चढ़ा और दोन हाथ को ऊंचा कया । उसके एक हाथ म
चूहा था और दूसरे म झुमका । यह देखकर जा राजकु मार क जय जयकार करने लगी ।
राजकु मार, मारीच के थोड़ा और नजदीक आया और पूछा “सुरसेन के बाण छोड़ने पर
आपको कै से पता चला क वह िवफल रहा । घूंघ ओ क विन तो उस समय क गई थी
।”
मारीच हंसने लगा और फर कहा “घूंघ ओ क विन के साथ चूहे के क़दम क
विन भी क गई इसिलए मुझे पता चल गया था क चूहा मर चुका है ।”
“राजकु मारी ने आपके िवषय म स य ही कहा था,” राजकु मार ने कहा ।
“ या कहा था?” मारीच ने पूछा ।
“यह क इस महा ीप म आप सबसे े धनुधर है,” राजकु मार ने कहा ।
“यह तो देखने वाले के नज रए पर िनभर करता है,” मारीच ने कहा ।
अब दोन चलकर चबूतरे पर गए और राजकु मार, राजकु मारी के सामने जाकर
खड़ा हो गया । दोन के हाथ म वरमाला थी ।
ग वन खड़ा ए और कहने लगा “ वयंवर क इस ितयोिगता म सुजानगढ़ के
अर वंद ने िवजय ा क और वो राजकु मारी से िववाह के यो य बन चुके ह ।”
अर वंद और राजकु मारी रोिहणी ने स ता के साथ एक दूसरे को वरमाला
पहनाई। पूरा मैदान राजकु मार और राजकु मारी के जयकार से गूंज उठा ।
अब मैदान म राजगु अि ने वेश कया । उनके वागत हेतु वयं राजा चं के तु
आगे आए । नविवविहत जोड़े ने अि को णाम कया और उनसे आशीवाद ा कया ।
राजा के पास लगे आसन पर अि िवराजमान हो गए ।
मं ी ग वन ने एक बार पुनः घोषणा आरं भ क “ वयंवर के सफतापूवक पूण होने
के प ात अब राजगु अि क उपि थित म राजकु मार राघव के युवराज क घोषणा वयं
t.me/HindiNovelsAndComics

महाराज करगे ।”
राजा चं के तु अपने संहासन से खड़े ए । राजा के खड़े होते ही राजकु मार राघव
भी खड़ा हो गया । राजकु मार राघव इस समय ब त स दखाई पड़ रहा था । इसके
िवप रत राजा ब त िवचिलत दखाई पड़ रहे थे । ऐसा लग रहा था क मानो उ ह कोई
बलपूवक खड़ा कर रहा हो ।
राजा ने एक बार अि क तरफ देखा और फर सामने बैठी जा को संबोिधत
कया “आज राजकु मारी रोिहणी के वयंवर के इस शुभ अवसर पर म चं के तु इस रा य
और राज संहासन के बारे म ब त मह वपूण िनणय लेने वाला ं । राजगु अि के
आशीवाद से म यह घोषणा करता ं क राजकु मार राघव को अभी युवराज घोिषत नह
कया जाएगा ।”
यह सुनते ही पूरी जा दहल उठी । राजप रवार के सद य भी जा क भांित ही
दंग रह गए । राजकु मार राघव के मन म चल रहा सुनामी ब त िवशाल था ले कन उसे
देखना कसी के बस म ना था । सभी राजा चं के तु के मुख से िनकलने वाले अगले श द
को सुनने के िलए बैचैन थे ।
राजा ने कहना जारी रखा “िबना कसी ि को परखे इस संहासन पर बैठाना
इस रा य और रा य के लोग के साथ अ याय होगा। चाहे वो ि राजकु मार ही य ना
हो । इसिलए इसी समय से तीनो राजकु मार को इस रा य के अलग-अलग े म जाना
होगा और अपना जीवन सामा य ि क भांित तीत करना होगा । इस समय के
दौरान उनक पहचान भी उ ह गु रखनी होगी । इस परी ा के बाद इन तीन म से जो
इस रा य और रा य के लोगो के बारे म, उनक ि थित के बारे म और उनक
आव यकता के बारे म गहराई से जानकारी देगा और इस समय के दौरान जो जा के
लोगो से मै ीभाव बढ़ाएगा उसी को इस संहासन पर बैठाया जाएगा । इस दौरान तीनो
राजकु मार को अलग-अलग दशा म जाना होगा । दशा का चुनाव यादृिछक प से
कया जाएगा ।”
सभी लोग को राजा क बात सुनकर अपने कान पर िव ास नह हो रहा था ।
एक सैिनक हाथ म थाली िलए चबूतरे पर आया । थाली म तीन िच यां रखी ई थी ।
तीनो राजकु मार ने उसमे से एक-एक िच ी उठाई । राजा सबसे पहले राजकु मार राघव के
पास गए और उससे िच ी ले ली । राजा ने िच ी खोली और तेज वर म कहा “राजकु मार
राघव पूव दशा म जाएंगे।”
अब राजा मयूर वज के पास गए और उसके हाथ से िच ी लेकर कहा “राजकु मार
मयूर वज पि म क तरफ जाएंगे ।”
अब राजा भ के पास गए और िच ी लेकर कहा “राजकु मार भ दि ण दशा म
जाएंगे ।”
t.me/HindiNovelsAndComics

इसी स ाटे के साथ यह काय म पूण आ।


*****
t.me/HindiNovelsAndComics

तीन राजकु मार ने ेत व धारण कए और अपने िपता को णाम कया ।


िपता ने तीनो को िवजयी होने का आशीवाद दया । अब तीनो युवराज अपनी माता के
पास गए । माता क आंखो से अनवरत अ ुधारा बह रही थी । जैसे ही तीनो राजकु मार ने
माता को णाम कया माता ने तीन को उठाकर गले से लगा िलया ।
अब तीनो अपनी-अपनी दशा म थान क तैयारी कर रहे थे । वो िनकलने ही
वाले थे क राजा चं के तु ने उ ह रोक दया।
“ या आ?” तीनो ने अपने िपता से पूछा ।
“तु हे राजगु अि का आशीवाद ले लेना चािहए,” राजा ने कहा ।
“अव य,” कहकर तीनो राजकु मार अपने िपता के साथ राजगु अि के क म गए ।
अि का क ब त सामा य था । क के म य म अि आंख बंद करके तप या म
लीन थे । राजकु मारो और राजा के पैरो क आहट सुनकर अि ने अपनी आंखे खोली ।
सामने सभी को देख अि मु कु राने लगे ।
तीनो राजकु मार ने राजगु के चरण पश कए । राजगु ने भी उ ह िवजयी होने
का आशीवाद दया ।
“राजगु इस काय हेतु आप इनका पथ द शत कर,” राजा ने हाथ जोड़कर अि से कहा ।
अि मु कु राए और राजकु मार से कहने लगे “तु हारे राजमहल से बाहर जाने और
इस परी ा म वेश करने का िनणय मने ही िलया था ।”
“पर तु आपने ऐसा िनणय य िलया? या मराजा बनने के यो य नह ?ं ” राघव ने अि
से कया ।
“बात िसफ राजा बनने क नह है, ब त शी एक महायु होने वाला ह यह परी ा उसी
संदभ म ह,” अि ने कहा ।
“कै सा महायु ?” भ ने पूछा ।
“समय आने पर तु हे वत: ही ात हो जाएगा,” अि ने कहा ।
“तो हमारे िलए या आदेश ह?” मयूर वज ने पूछा ।
“तु हे स य और धम का पालन करते ए इस परी ा को पूण करना ह, यह परी ा तु हारे
उस महायु म भाग लेने क ि थित को िनधा रत करे गी,” अि ने कहा ।
“तो शुभ काय म देरी कै सी? हम आ ा दीिजए राजगु ,” भ ने कहा ।
“अव य ले कन तुम िजस राह पर जा रहे हो वो इतनी आसान नह है, इस महा ीप म कई
कार क द शि यां ह, उनम से कु छ अ छी तो कु छ बुरी ह इसिलए सहायता हेतु म
t.me/HindiNovelsAndComics

तु हे कु छ देने वाला ,ं ” अि ने कहा।


अि ने अपने दोनो हाथ को बंद कया और एक मं का उ ारण कया। मं पूरा
होने पर अि के हाथ म तीन गदे आ गई । अि ने येक राजकु मार को एक गद दे दी ।
“इसका या उपयोग ह?” मयूर वजने पूछा ।
“ये द गद ह, इसके उपयोग से तुम आसमान क िबजली को जमीन पर ला सकते हो,
यह तु हारे श ु का सवनाश कर देगी । परं तु इसका योग सही काय हेतु एवं अ यिधक
आव यकता पड़ने पर ही करना । तुम के वल एक बार ही इसका योग कर सकते हो,”
अि ने कहा ।
तीनो राजकु मार ने अि को णाम कया और अपनी िनयत दशा म रवाना हो
गए ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

मयूर वज पि म दशा क ओर िनकल पड़े । वह नागवन म जा रहे थे। उनके पास


कु छ भी नह था । तन पर ेत व और हाथ म राजगु ारा दी गई एक गद थी ।
मयूर वज मन ही मन िवचार करते ए वन म आगे बढ़ रहा था । कु छ दूर जाने पर उसे
एक बाघ के दहाड़ने क आवाज सुनाई दी। मयूर वज ने चार तरफ देखा ।
हिथयार ना होने के कारण वह एक पेड़ पर चढ़ गया । पेड़ पर कु छ देर वह चार
तरफ देखते ए चुपचाप बैठा रहा । उसे थोड़ी दूर एक र सी दखाई दी । र सी देखते ही
उसके मन म िवचार क धा । उसने उस पेड़ क सभी टहिनय को यान से देखा िजस पर
वह बैठा आ था । उसे एक टहनी दखाई दी जो अ चं ाकर आकृ ित म मुड़ी ई थी । वह
टहनी अ यंत पतली थी । मयूर वजउस टहनी के पास गया और उसे बलपूवक तोड़ने का
यास कया । अ यंत यास के बाद भी वह उस टहनी को तोड़ने म असफल रहा ।
अब उसने उस टहनी पर चढ़ने का िन य कया । उसे पता था क अ यंत पतली
होने के कारण टहनी उसका भार सहन नह कर पाएगी फर भी वह उस टहनी पर चढ़
गया । उसके चढ़ने से टहनी और वृ के जुड़ाव के थान पर दरारे आने लगी । अब वह
अपना पूरा भार उस टहनी पर डालकर उछला । उसके उछलते ही टहनी टू टकर नीचे िगर
गई और मयूर वज भी टहनी के साथ नीचे िगर पड़ा ।
ह का सा दद से कराहते ए वह उठा और उस र सी क तरफ बढ़ा । उधर वह
बाघ विन सुनकर मयूर वज क और बढ़ने लगा । मयूर वज ने र सी लेकर उस टू टी ई
टहनी पर बांध दी और एक धनुष बना दया । अब उसने कु छ सीधी लकिड़यां इक ा क
और एक पैना प थर लेकर उन लकिड़य के एक िसरे को प थर क मदद से नुक ला करने
लगा । उसने पास आते ए बाघ क विन सुनी और प थर सिहत लकिड़य और धनुष को
लेकर पुनः वृ पर चढ गया । अब वह वृ के उपर बैठकर लकिड़य को नुक ला करने
लगा ।
कु छ ही समय म वह बाघ उसके पास आ गया । मयूर वज चुपचाप वृ पर बैठा
आ बाघ को देख रहा था । उसके सभी बाण तैयार थे । बाघ वृ के नीचे कु छ दूरी पर घूम
रहा था । उसने एक बाण को धनुष पर चढ़ाया और िनशाना साधकर बाघ के गले पर बाण
छोड़ा । बाण सीधा बाघ के गले पर जा लगा । बाण क गित कम होने और नुक ला कम
होने के कारण बाघ को यादा हािन नह प च ं ी ले कन मयूर वज ने एक के बाद एक बाण
छोड़कर उस बाघ को घायल कया और अंततः मार दया ।
अब मयूर वजवृ से नीचे उतर गया । उसने कु छ और बाण तैयार कए और आगे
बढ़ने लगा । आगे चलते-चलते उसे एक रथ दखाई दया । उस रथ पर एक राजकु मार
सवार था । वह राजकु मार अपने हाथ म धनुष बाण िलए िशकार करने आया था । थक
जाने के कारण मयूर वज उसी थान पर बैठ गया और दूर से राजकु मार को देखने लगा ।
राजकु मार को अब एक िहरण दखाई दया । राजकु मार धनुष पर बाण चढ़ाकर िबना
शोर कए उस िहरण पर िनशाना साधने लगा । िहरण ब त चपल था और चार तरफ
t.me/HindiNovelsAndComics

उछल कू द कर रहा था । राजकु मार उस िहरण पर िनशाना साधते ए उसके ि थर होने


क ती ा कर रहा था ।
मयूर वज क िनगाह राजकु मार पर ही टक ई थी ले कन पि य के सरसराने
क विन ने मयूर वज का यान आक षत कया । मयूर वज को घने पेड़ के पार कु छ भी
नह दख रहा था । मयूर वज ने कं धे पर लटका आ धनुष उतारा और एक बाण को उस
पर चढ़ाया । मयूर वज को कसी जंगली जानवर के होने क आशंका थी फर भी उसने
एक बार देखने का िनणय कया । कु छ समय प ात वृ म से तीन ि बाहर िनकले ।
उ ह पहचानना अ यंत क ठन था । तीन ने एक ढीले काले व को ओढ़ रखा था । उनक
िसफ आंखे ही दख रही थी ।
तीन उस राजकु मार क तरफ बढ़ने लगी जो िहरण पर िनशाना साधे ए था ।
उनम से एक ने धनुष बाण िनकाला और धनुष पर बाण चढ़ाया। मयूर वज उसी थान पर
बैठा आ उ हदेख रहा था । तीन म से एक ने बाण चढ़ाकर राजकु मार क तरफ िनशाना
साधा । अब मयूर वज ने भी अपने धनुष को उस अनजान ि क तरफ मोड़ िलया ।
राजकु मार िहरण पर िनशाना साधे ए था, उन तीन म से एक ि ने राजकु मार को
िनशाना बना रखा था और मयूर वज का िनशाना वो ि था ।
वह ि बाण चलाने ही वाला था क मयूर वज ने बाण को अपने हाथ से मु
कर दया । बाण उस ि के बाएं कं धे पर जा लगा और उसके हाथ से धनुष और बाण
छू ट गए । बाण क आवाज से िहरण भाग गया और राजकु मार ने पीछे मुड़कर देखा तो
तीन ि काले व ओढ़े ए दूर भाग रहे थे और मयूर वज उसके पास आ रहा था ।
राजकु मार तुरंत रथ से नीचे उतर गए और उस धनुष बाण क तरफ बढ़े जो उस ि के
हाथ से नीचे िगर गया था ।
राजकु मार ने उस धनुष और बाण को यान से देखा। बाण क नोक पर कु छ तरल
लगा आ था ।राजकु मार ने बाण को उठा िलया । मयूर वज भी राजकु मार के पास आ
गया । राजकु मार ने बाण को अपने नाक के पास ले जाकर सूंघा और कहा “िवष ।”
“ या आप ठीक है?” मयूर वज ने राजकु मार से कहा ।
“हां…तु हारा ध यवाद क तुमने सही समय पर आकर मुझे बचा िलया,” राजकु मार ने
कहा ।
“वैसे आप ह कौन और वे आपको मारना य चाहते थे?” मयूर वज ने पूछा ।
“म रजतगढ़ का राजकु मारदेवरथ ,ं तुम अपना प रचय दो तुम कौन हो?” राजकु मार ने
कहा ।
मयूर वज ने पल भर के िलए सोचा और उसे अपने िपता क कही बात याद आ गई
क तु हे अपनी पहचान गु रखनी होगी ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“मेरा नाम कुं दन ह और म इसी जंगल म रहता ,ं ” मयूर वज ने कहा ।


“तुम जंगल म य रहते हो तु हारा घर प रवार कहां ह?” राजकु मार ने पूछा ।
मयूर वज खामोश हो गया ।
“ चंता मत करो तुम जो भी हो ले कन तुम अब इस जंगल म नह रहोगे तुमने मेरे ाण
क र ा क है, अब तुम मेरे साथ महल म चलो,” देवरथ ने कहा ।
मयूर वज सोच म पड़ गया ।
“ या आ कोई आपि है?” देवरथ ने पूछा ।
“आप एक राजकु मार ह और म एक वन म रहने वाला सामा य ि …,” मयूर वज ने
कहा ।
“तुम एक वीर यो ा हो तुमने समय पर सटीक बाण चलाकर मेरे ाण क र ा क है म
अब तु हे ऐसे ही नह छोड़ सकता, मुझ पर तु हारा ऋणह,” देवरथ ने कहा ।
“ठीक है,” कहकर मयूर वज राजकु मार के साथ चला गया ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

भ राजमहल के दि ण दशा म दा ण वनसे होकर जा रहा था । चलते-चलते


सांयकाल का समय हो गया। आसमान म छाई ई लािलमा अचानक गायब हो गई और
शीतल हवा चलने लगी । काले मेघ गजन करने लगे और देखते ही देखते शीतल वषा क
बूंद जमीन पर िगरने लगी । कु छ ही ण म वषा ने िवकराल प धारण कर िलया ।
मूसलाधार वषा से बचने के िलए भ एक वृ के नीचे खड़ा हो गया ।
वषा िनरं तर चलने लगी । थोड़े समय प ात जल वृ के तने पर बहने लगा और
वृ क पि य पर ठहरी ई बूंदे हवा चलने पर नीचे भ के शरीर पर पड़ती थी । इस
मूसलाधार वषा के कने का कोई भी संकेत भ को नह दख रहा था । अतःभ उसी वृ
के तने का सहारा लेकर सो गया । सोते ही कु छ समय के बाद भ गहरी न द म लीन हो
गया ।
म यराि का समय आ । बा रश क चुक थी और वन म पूण शांित छाई ई थी
। अचानक एक चंड तूफान आया । तूफान के कारण भ क न द खुल गई । भ उठा और
यासा होने के कारण पास बने एक छोटे ग े म से वषा से एकि त आजल पीने लगा ।
जल पीने के बाद वह फर से सोने के िलए वृ क ओर बढ़ रहा था । भ अभी भी
अ नं ा म था ।
चलते-चलते एक ती रोशनी भ क आंखो म पड़ी । उस रोशनी से भ क न द
और आंखे पूणतः खुल गई । भ अपनी आंखो पर हाथ ढके ए रोशनी के ती तेज से
आंखो को बचाता आ उस रोशनी क तरफ बढ़ा । वह रोशनी के पास प चं गया । एक
सरोवर के िनकट वह रोशनी उ प हो रही थी और उसके चारो तरफ एक चंड तूफान
आ रहा था ।
भ एक वृ के पीछे िछपकर यह सब देख रहा था । देखते ही देखते उस रोशनी म
से एक अ यंत सुंदर लड़क बाहर िनकली । उसने व छ ेत व पहने ए थे । उसके
व के कनार पर मोती जड़े ए थे । व के साथ ही वो वयं भी चमक रही थी । अब
वह रोशनी और तूफान अदृ य हो गया िजसम से वो लड़क आयी थी पर तु उसके व से
ह क रोशनी अब भी फु टत हो रही थी ।
उसक सु दरता देखकर भ कायल था । भ उसके पास जाना चाहता था पर ना
जाने कु छ ऐसा था जो उसे रोक रहा था । वह लड़क उसी अव था म सरोवर के अंदर चली
गई । उसके तेज से सरोवर भी चमक उठा । भ अिवचल सा खड़ा उसे देख रहा था । वह
ान के बाद सरोवर से बाहर िनकल गई ।
बाहर िनकलते ही वह रोशनी और तूफान फर से कट ए । वह लड़क वापस
उस रोशनी क तरफ जा रही थी । भ ना जाने य उसक तरफ दौड़ने लगा । भ ने उसे
रोकने का यास कया ले कन पास प च ं ने से पहले ही वो अचानक गायब हो गई और
उसके साथ वो तूफान और रोशनी भी गायब हो गई । जंगल अब वापस शांत हो गया
ले कन भ का दय नह ।
t.me/HindiNovelsAndComics

*****
t.me/HindiNovelsAndComics

रजतगढ़ के कारागृह म एक सैिनक िवषैना को खाना देने गया । िवषैनाउसे ितरछी


नजर से देखने लगी । उसने खाने को कारागृह के अंदर रख दया । िवषैना ने उस सैिनक
का हाथ पकड़ िलया।
“ या है?” उस सैिनक ने कहा।
“यहां मेरा दम घुट रहा है, मुझे कु छ ण के िलए व छ वायु क आव यकता है, तो कु छ
ण के िलए मुझे यहां से बाहर िनकाल दो,” िवषैना ने कहा।
“ये कारागृह है इससे बाहर िनकलने के िलए राजा आदेश दगे तुम नह ,” सैिनक ने कहा।
“म इससे िनकलने क नह कह रही ,ं म तो कु छ ण के िलए व छ वायु लेना चाहती
ं बाद म वापस मुझे अंदर डाल देना,” िवषैना ने कहा ।
“मुझे इस िवषय म राजा से आ ा लेनी पड़ेगी,” सैिनक ने कहा ।
“ या तु हे डर ह क म भाग जाऊंगी? य द ऐसा है तो तुम सैिनक कहलाने यो य नह हो,
जो सैिनक एक क या से डरता हो वो कै सा सैिनक,” िवषैना ने कहा ।
“म तुमसे य ड ं गा?” सैिनक ने कहा।
“जब तुम मुझसे नह डरते हो तो तु हे राजा क आ ा क आव यकता य पड़ी, तुम वयं
भी तो मुझे वापस अंदर डाल सकते हो और वैसे भी महल के चारो तरफ सैिनक खड़े ह, म
यहां से कै से भाग सकती ,ं ” िवषैना ने कहा ।
“ठीक है, ले कन िसफ कु छ ण के िलए ही,” कहकर सैिनक ने ार खोल दया ।
ार खोलते ही िवषैना सैिनक पर झपटी और उसक कलाई को काट दया । वह
सैिनक कु छ करता इससे पहले ही वह नीचे िगर पड़ा । उसक कलाई नीली पड़ गई और
मुंह से झाग िनकलने लगे ।
रजतगढ़ के महल के एक झरोख म राजकु मार देवरथ, मयूर वज के साथ बैठे ए थे

“एक बात बताओ कुं दन, तुमने तीरं दाजी कहां से सीखी?” देवरथ ने पूछा ।
“राजकु मार..., भूख ब त कु छ सीखा देती ह, जंगल म िशकार करने के बार-बार यास से
म इसम कब िनपुण हो गया पता ही नह चला,” कुं दन बने मयूर वज ने उ र दया ।
“मुझे राजकु मार ना कहो कुं दन,” देवरथ ने कहा ।
“ य ? आप तो राजकु मार ह? आपको राजकु मार य ना क ?ं ” कुं दन ने कहा ।
“मेरा नाम देवरथ ह, यहां राजमहल म सभी मुझे राजकु मार ही कहते ह, जब तुम भी मुझे
राजकु मार कहते हो तो ऐसा लगता है क तुम यहां राजमहल म काम करने वाले कोई
t.me/HindiNovelsAndComics

सेवक हो, मेरा यहां तु हारे िसवा कोई और िम नह है अतः तुम मुझे देवरथ ही कहो,”
देवरथ ने कहा ।
“पर तु आप रजतगढ़ के राजकु मार ह आगे चलकर आप युवराज और फर राजा बनगे, म
ठहरा एक सामा य जंगल म रहने वाला ि आपने मुझे िम कह दया मेरे िलए यह
ब त ह पर तु मुझे अपनी जगह और पहचान नह भूलनी चािहए, म आपक िम ता के
यो य नह ,ं ” कुं दन ने कहा ।
“तुमने ये कै से कह दया क तुम मेरी िम ता के यो य नह हो, या िम ता दो ि य के
सामािजक और आ थक जीवन के आधार पर क जाती ह? मेरे गु ने मुझे यह िसखाया था
क िम ता और ेम म कोई छोटा या बड़ा नही होता ह,” देवरथ ने कहा ।
“स यवचन, आपने मुझे िम बनाकर बड़ा उपकार कया है मुझ पर, य द आपके िलए मुझे
अपने ाण भी देने पड़े तो म पीछे नह हटूंगा,” कुं दन ने कहा ।
“नह ... तुमने एक बार मेरे ाण क र ा क है, धम के अनुसार मेरे ाण तु हारे ही ह,”
देवरथ ने कहा ।
“पर तु ये तो बताओ क वो तु हे मारना य चाहते थे?” कुं दन ने पूछा ।
“अब या बताऊं तु हे कुं दन आज से पहले मेरे साथ ऐसा कु छ भी नह आ, एक मिण के
कारण कु छ दन पहले एक क या ने मेरे ाण लेने का यास कया और आज फर ऐसा
आ, जब से वह मिण मेरे जीवन म आई ह मेरे ाण पर संकट बढ़ गया है,”देवरथ ने कहा

“कौनसी मिण?” कुं दन ने पूछा ।
“मेरे साथ आओ,” कहकर देवरथ एक क क तरफ बढ़ा कुं दन ने भी उसका अनुसरण
कया । एक त भ के पीछे खड़ी िवषैना यह सब सुन रही थी ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

नागवन म क या को िवष िपलाया जा रहा था । सपराज नागेश अपने आसन पर


बैठा आ गु चर से सूचनाएं ले रहा था । सभी अपने-अपने काय म त थे । उसी समय
िवषैना उस जगह आ प च ं ी । िवषैना को देखते ही नागेश अपने आसन से उठा और उसके
पास जाकर िवषैना को गले से लगा िलया ।
“तुम ठीक हो?” नागेश ने पूछा ।
“हां भैया, म िब कु ल ठीक ,ं ” िवषैना ने कहा ।
“हम सूचना िमली थी क तु हे बंदी बना िलया गया था,” नागेश ने कहा ।
“हां, पर तु म वहां से भाग िनकली,” िवषैना ने कहा ।
“अ छा आ,” नागेश ने कहा ।
“म एक मह वपूण सूचना लेकर आई ,ं ” िवषैना ने कहा ।
“कहो,” नागेश ने कहा ।
“नागमिण अब रजतगढ़ के राजकु मार के पास ह और उसके बारे म िसफ राजकु मार और
उसके एक िम को पता है, आप मुझे आ ा दे क वह मिण म ले आऊं,” िवषैना ने कहा ।
“नह ,” नागेश ने कहा ।
“ य ? आपको मुझ पर कोई शंका ह,” िवषैना ने पूछा ।
“नह , तुमपर तो म आंख बंद करके भी िव ास करता ,ं ले कन वो राजकु मार तु हे
पहचानता है इसिलए यह काय तु हे नह करना चािहए, तुमने वैसे भी यह सूचना देकर
ब त बड़ा काय कया है अब यह तुम मुझ पर छोड़ दो,” नागेश ने पूछा ।
“पर तु आप करोगे या?” िवषैना ने पूछा ।
“यहां आओ,” राजकु मार ने िवष पीती ई सभी क या को अपने पास बुलाया ।
सभी क याएं नागेश के पास आकर खड़ी हो गई । सािव ी भी उनम से एक थी ।
“तु हारा काय करने का समय आ गया है, तु हे राजकु मार के नए िम को अपनी सु दरता
के बल पर ेम के जाल म फं साना ह और उससे मिण लेकर उसक ह या करनी ह यही
तु हारा काय ह,” नागेश ने कहा ।
सभी क या ने िसर झुकाकर नागेश के आदेश को वीकार कया ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

एक गु चर दौड़ता आ नागेश के पास आया । सपराज के सामने आकर उसने िसर


झुकाया ।
“ या समाचार ह?” नागेश ने पूछा ।
“राजकु मार देवरथ के िम िशकार के िलए नागवन क तरफ आने वाले ह,” गु चर ने
कहा।
“ कतना समय ह?” नागेश ने पूछा ।
“अिधक नह ,” गु चर ने कहा ।
“ठीक है,” कहकर नागेश िवषक या के पास गए ।
सभी िवषक या ने नागेश के सामने िसर झुकाया और कहा “ या आदेश ह
सपराज?”
“तैयार हो जाओ, जाने का समय आ गया है,”नागेश ने कहा ।
िवषक याएं उस गुफा के पास खड़े वृ के समीप गई । उ ह ने बाल सवारे और
आंखो म काजल लगाया । होठ पर लािलमा लगाई । पैरो म पायजेब पहनकर तैयार हो
गई । सािव ी अभी भी डरी ई थी । अपनी साथी क या मीना ी के पास खड़ी तैयार हो
रही थी । मीना ी उससे आयु म काफ अिधक थी । मीना ी सिहत अ य सभी क या ने
ऐसा काय पहले भी कया आ था ले कन सािव ी के िलए यह सब पहली बार ही था
इसिलए वह डरी ई थी । उसे नह पता था क कसी को अपनी सु दरता से कै से आक षत
कया जाता है ।
सािव ी इस िवषय म बार-बार मीना ी से कर रही थी और मीना ी उसे
समझाते ए जवाब दे रही थी । डरते-डरते सािव ी ने कया “ या म यह कर
पाऊंगी?”
“मुझे तो नह लगता,” मीना ी ने कहा ।
“पर तु य ?” सािव ी ने िनराशा भरे वर म पूछा ।
“ य क तुम ब त भोली हो, तु हे इस दुिनया क स ाई के बारे म पता नह है, कसी
पु ष को स मोिहत करना अ यंत सरल है ले कन पु ष य द दृढ़ संक प वाला हो तो उसे
आक षत करना अ यंत मुि कल हो जाता है,” मीना ी ने कहा ।
“तो इनके बारे म कै से पता चलता है? और आज मुझे उसे कै से आक षत करना ह?”
सािव ी ने पूछा ।
“गु चर के अनुसार राजकु मार का वह िम एक जंगल म रहने वाला साधारण आदमी ह
उसे आक षत करना क ठन नह होगा,” मीना ी ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“तो मुझे या करना होगा?” सािव ी ने पूछा ।


“तु हे कु छ नह करना ह?” मीना ी ने कहा ।
“पर तु य ?” सािव ी ने पूछा ।
“ य क तुम थम बार जा रही हो इसिलए तुमसे पहले हम जाएंगी और तु हे िसफ दूर से
देखना ह और सीखना ह,” मीना ी ने कहा ।
“तो या म िसफ सीखने के िलए ही जा रही ?ं ” सािव ी ने पूछा ।
“हां,” मीना ी ने कहा ।
यह सुनकर सािव ी के चेहरे पर थोड़ी मु कान उभर आई य क वह इस काय को
करने के िलए मन से इ छु क नह थी । वह िसफ सपराज के ित अपनी िज मेदारी सािबत
करना चाहती थी ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

लगभग पांच क याएं नागवन म एक वृ के पीछे िछपकर इं तज़ार कर रही थी ।


इनमे सािव ी और मीना ी भी थी । सभी मयूर वज के आने क ती ा कर रही थी ।
उसी समय एक गु चर उनके पास आया और कहा “वो आ गया है ।”
सव थम एक क या उस वृ से िनकली और आगे बढ़ी कु छ ही दूर मयूर वज एक
घोड़े पर बैठकर सामने से आ रहा था । वह क या उसके पास गई । सािव ी दूर से उ ह देख
रही थी । कु छ समय प ात वह क या वापस लौट आई । उसका चेहरा देखकर लग रहा था
क वह काय म िवफल रही । कु छ समय प ात वन के दूसरे िह से म एक क या और गई
और वह भी िवफल होकर लौट आई ।
अब मीना ी क बारी थी । वह भी गई और िवफल रही । मीना ी को मुंह लटकता
आ आता देख सािव ी ने पूछा “ या आ?”
“म िवफल रही,”मीना ी ने कहा ।
अब एक और क या मयूर वज से िमलने िनकल गई ।
“ले कन य ?” सािव ी ने मीना ी से पूछा ।
“मने उसके बारे म गलत सोचा था,” मीना ी ने कहा ।
“ या?” सािव ी ने पूछा ।
“याद है मने तु हे कहा था क कसी भी पु ष को स मोिहत करना अ यंत सरल काय ह
ले कन पु ष य द दृढ़ संक प वाला हो तो यह काय ब त क ठन हो जाता है,” मीना ी ने
कहा ।
“हां याद है,” सािव ी ने कहा ।
“मुझे इसके बारे म भी ऐसा ही लगता है क इसे स मोिहत करना अ यंत क ठन काय है,”
मीना ी ने कहा ।
कु छ समय प ात वह क या भी िनराशा के साथ लौट आई । सभी ने उससे पूछा
“ या आ?”
“यह असंभव काय ह,” उस क या ने कहा ।
“ले कन हम सपराज को या कहगे?” एक क या ने पूछा ।
“मुझे लगता है क हम सािव ी को भेजना चािहए,” मीना ी ने कहा ।
“हम सभी इसम असफल रहे तो ये जा के या कर लेगी,” एक क या ने मुंह मरोड़ते ए
कहा ।
“इसके िसवा हम कर भी या सकते ह,” मीना ी ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

अंततः सभी क याएं सहमत हो गई । अब मयूर वज वन के दूसरे छोर पर आ गया ।


सभी क याएं भी उसका पीछा कर रही थी । सािव ी जाने के िलए तैयार थी ले कन डरी
ई भी थी ।
“जाने से पहले मुझे कु छ सलाह नह दोगी,” सािव ी ने मीना ी से पूछा ।
“नह ,” मीना ी ने कहा ।
“ले कन य ?” सािव ी ने पूछा ।
“ य क येक पु ष के वल सूरत से ही स मोिहत नह होता, कु छ के िलए सीरत अहम
होती ह और य द ऐसा है तो तु हे कोई सलाह क आव यकता नह है,” मीना ी ने कहा ।
सािव ी को भेजा गया । सािव ी डरते ए सामने क तरफ देखते ए तेज़ी से जा
रही थी । वह मन ही मन कु छ बुदबुदा रही थी ।अब मयूर वज उससे कु छ ही दूरी पर था
और सामने दखाई दे रहा था । सभी क याएं सािव ी को जाते ए देख रही थी । जैसे-जैसे
सािव ी उसके िनकट जा रही थी उसके मन म भय उतना ही अिधक गहराता जा रहा था ।
सािव ी को अपने डर के िसवा कु छ भी सूझ नह रहा था ।
जैसे ही सािव ी ने अगला कदम बढ़ाया एक कांटा उसके पैर म चुभ गया । कांटा
उसके पैर के तलवे के आर-पार हो गया । सािव ी के मुख से एक ची कार फू ट पड़ी और वह
उसी थान पर नीचे बैठ गई । मयूर वज ने आवाज सुनी और तुरंत सािव ी क तरफ दौड़ा
आया । उसने आकर देखा तो सािव ी के दाएं पैर म एक कांटा आर-पार िनकल गया था ।
उसी कांटे के दद के कारण सािव ी कराह रही थी ।
मयूर वज ने सािव ी को अपनी गोद म उठाया और एक िवशाल प थर पर बैठा
दया । सािव ी के पैर उस प थर से नीचे लटक रहे थे। मयूर वज उसके पैरो के पास बैठ
गया और कांटे को यान से देखा । सािव ी का दद अब थोड़ा कम हो चुका था ।
“अब म इसे िनकालूंगा, इसम और यादा दद होगा,” मयूर वज ने सािव ी से कहा ।
सािव ी ने जवाब म कु छ नह कहा ले कन असहमित म अपना िसर िहलाया ।
मयूर वज ने उस पर यान नह दया । अब मयूर वज ने अपने कपड़े से एक टु कड़ा फाड़
दया और अपने बाएं हाथ से कांटे को पकड़ा । कांटे को पकड़ते ही सािव ी ने चीखकर
अपना पैर पीछे हटा दया ।
“मुझ पर भरोसा रखो, इसे िनकालना आव यक ह तुम बस गहरी सांस लो और अपने पैर
क तरफ मत देखो,” मयूर वज ने कहा ।
इस बार सािव ी ने सहमित म िसर िहलाया । अब मयूर वज ने कांटे को पकड़ा
और तेजी से ख चकर एक ण म बाहर िनकाल दया । कांटा िनकल गया और उस थान
से र बहने लगा । दद के कारण सािव ी उस प थर से नीचे िगर पड़ी और रोने लगी ।
t.me/HindiNovelsAndComics

रोते-रोते वह मयूर वज के सीने से िलपट गई । मयूर वजने उसक तरफ यान नह दया
वह उस फटे ए कपड़े क प ी बनाकर पैर पर बांध दया । कु छ ही समय म र का बहाव
क गया ।
अब दद भी कम पड़ गया । सािव ी ने वयं को संभाला और उस प थर का सहारा
लेकर बैठ गई । मयूर वज कु छ समय तक उसके पास बैठा रहा और फर उसे खड़ा करने
का यास कया । मयूर वज ने दोन हाथ से सािव ी के दोन कं धो को सहारा दया और
उसे खड़ा करने का यास कया। सािव ी खड़ी हो गई ले कन वह अपने बांए पैर के बल
पर ही खड़ी थी । दाएं पैर को जमीन पर टकाने का साहस वह नह जुटा पा रही थी ।
मयूर वज ने सािव ी को छोड़ दया और उससे अपना दांया पैर जमीन पर टकाने
को कहा । सािव ी ने पैर जमीन पर टकाया । पैर टकाते ही अ यंत दद के कारण उसका
संतुलन िबगड़ गया और वह नीचे िगरने लगी । पास खड़े मयूर वज ने उसे संभाला और
सािव ी उसक गोद म जा िगरी ।
मयूर वज ने उसे सहारा देकर वापस उसी प थर पर बैठा दया । सूया त हो गया
और अंधेरा जंगल म छाने लगा । कु छ देर तक िवचार करने के बाद मयूर वज ने कहा “म
तु हे उस अव था म यहां नह छोड़ सकता ,ं तु हारा घर कहां ह?”
“यह थोड़ी दूर ह,”सािव ी ने कहा ।
“तु हारे घर वाले भी परे शान ह गे, रात होने वाली है,” मयूर वजने कहा ।
“परे शान होने के िलए घर पर कोई नह है,” सािव ी ने कहा ।
“ य ?” मयूर वज ने पूछा ।
“एक दादी थी वो भी कु छ समय पहले वग िसधार गई,” सािव ी ने कहा ।
“तो इस हालत म घर पर तु हारा यान कौन रखेगा?” मयूर वज ने पूछा ।
“म वयं रख लूंगी,” सािव ी ने कहा ।
“तुम नह रख सकती,” मयूर वज ने जोर देकर कहा।
कु छ समय सोचने के बाद मयूर वज ने कहा “य द तुम चाहो तो मेरे साथ चल
सकती हो ।”
“पर तु म आपको जानती तक नह ,” सािव ी ने कहा ।
“म रजतगढ़ के राजकु मार देवरथ का िम ,ं मेरा नाम कुं दन ह, रजतगढ़ के महल म तुम
सुरि त रहोगी,” मयूर वज ने कहा ।
सािव ी खामोश रही । मयूर वज ने खामोशी म िछपे उ र को भांप िलया और
t.me/HindiNovelsAndComics

उसे अपने हाथो म उठा िलया ।


“मने तो अपना प रचय दे दया तुम भी तो बताओ क तुम कौन हो?” मयूर वज ने कहा ।
“मेरा नाम सािव ी ह,” सािव ी ने कहा ।
मयूर वज उसे अपनी बाह म उठाए चलने लगा । उस प थर के पास जहां सािव ी
का र कु छ सूखे प ो पर िगरा था । र िगरने के कारण वह प े जल गए थे।
मयूर वज के चलने पर सािव ी के पैरो म बंधे पायजेब के घूंघ ओ क झनकार उस
जंगल म गूंज रही थी । यह अ यंत कणि य विन मयूर वज के मन म सािव ी के ित म े
क भावना का बीज थी ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

म यराि का समय हो गया । दा णवन म भ एक वृ पर बैठा आ था । आज


का पूरा दन वह उस लड़क के बारे म ही सोच रहा था जो गत राि िविच प से कट
ई और गायब हो गई । आज भ उस लड़क को रोकने का मन बना चुका था । वह उसके
आने से पूव ही एक वृ पर चढ़ गया । वह उसी थान पर लगातार देख रहा था िजस
थान पर कल वो लड़क कट ई थी । आज उसने सोचा था क वह उस लड़क को अपने
दय क बात बताएगा ।
उसका मन कभी उसको मना करता तो कभी साथ देता । वह सोच रहा था क ऐसा
कहने से वो गु सा तो नह हो जाएगी । ऐसा सोचने परउसे डर लगता और वह उसे अपने
दय क बात नह बताना चाहता ले कन अगले ही पल उसे अपने दय क पीड़ा का
अहसास होता और वह उलझन म पड़ जाता । इ ह उलझन भरे िवचार के साथ वह वृ
पर बैठा उसक ती ा कर रहा था ।
भ िजस वृ पर बैठा था उससे कु छ दूरी पर घास के अंदर हलचल ई । सामा य
प र थितय म भ इतनी दूर से भी ह क आवाज़ को सुन लेता था पर तु अभी वह अपने
अंतमन म उस लड़क को लेकर दुिवधा म था । वृ से थोड़ी दूर एक आदमी घास म चलते
ए भ क तरफ बढ़ रहा था । उसके हाथ म एक धनुष था और कं धे पर तरकश । तरकश
म कु छ बाण पड़े ए थे । सभी तीर क नोक पर गाढ़े काले रं ग का एक तरल लगा आ था

वह आदमी अब भ से कु छ ही दूरी पर था । उसने तरकश म से एक बाण िनकाला
और धनुष पर लगाया । यंचा ख चकर भ क पीठ पर िनशाना साधा और बाण छोड़
दया । बाण उड़ता आ भ क पीठ म जालगा । बाण छोड़ते ही वह ि वहां से भाग
गया । भ बाण लगने के कारण थोड़ा िच लाया । ले कन बाण से उसे इतनी भी पीड़ा नह
हो रही थी क वह असहाय हो जाता ।
उसने अपने दोन हाथ को पीठ पर घुमायाऔर अपने बाएं हाथ से तीर को
पकड़कर िनकाल दया । भ ने मुड़कर पीछे देखा जहां से बाण आया था ले कन उसे कु छ
भी नह दखा । वह वापस उस लड़क के आने क ती ा करने लगा । कु छ ही पल म भ
का िसर चकराने लगा। उसे च र इतनी जोर से आ रहे थे क वह उस वृ पर टके रहने म
भी उसे क ठनाई होने लगी । उसने अपनी आंखो को जोर लगाकर बंद कया और कु छ
समय बाद आंखे खोलकर सामने देखने का भरसक यास कया ले कन वह असफल रहा ।
अगले ही ण वह धड़ाम से जमीन पर िगर पड़ा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

मयूर वज, सािव ी को लेकर रजतगढ़ के महल म आ गया । उसने सािव ी को एक


अितिथ गृह म बने क म िव ाम करने के िलए छोड़ दया और वह वयं वै के पास गया
। वै के पास जाकर कु छ जड़ीबुटीय का िम ण को लेकर वह पुनः सािव ी के पास आया

मयूर वज ने जड़ीबुटी के िम ण को एक जगह पर रख दया और सािव ी के पैर
पर बंधी ई प ी को खोल दया । अब उस जड़ीबूटी के िम ण को सािव ी के पैर पर लगे
घाव पर लगाया । अब उसने प ी को वापस बांध दया ता क जड़ीबुटी इधर-उधर ना फै ले
और घाव पर बनी रहे ।
“अब तुम कु छ देर सो जाओ,” मयूर वज ने कहा ।
“ठीक है,” सािव ी ने जवाब दया।
मयूर वज क से बाहर िनकल गया । सािव ी को कु छ ही समय म गहरी न द आ
गई । ब त देर तक सोने के बाद सािव ी ने अपनी आंखे खोली । आंखे खोलते ही मयूर वज
को सामने बैठा पाया । अचानक कसी को सामने देखते ही वह च क गई और बैठ गई ।
“आराम से,” मयूर वज ने उसके कं धे को पकड़कर सहारा देकर कहा।
अब सािव ी आराम से बैठ गई । पास िगलास से सािव ी ने जल िपया । मयूर वज
ने पास रखी थाली को उठाया और अपने हाथो से सािव ी को िखलाने लगा । खाना समा
होने के बाद मयूर वज ने एक बार पुनः पैर पर बंधी प ी को खोला और पुराने िम ण
कोहटाकर जड़ीबुटी का नया िम ण लगा दया ।
“ या आप वै भी ह?” सािव ी ने पूछा ।
“नह ,” मयूर वज ने कहा ।
“तो फर आपको यह सब कै से आता है?” सािव ी ने पूछा ।
“ ाथिमक उपचार तो सभी लोग जानते ह,” मयूर वज ने कहा।
“जानते ह गे, मने तो कभी नह सीखा,” सािव ी ने कहा ।
“तु हे भी सीखादगे, पर तु अभी तो तुम के वल िव ाम करो,” कहकर मयूर वज ने
सािव ी को सहारा देकर लेटा दया ।
मयूर वज क से बाहर चला गया ले कन सािव ी के िवचारो से नह । सािव ी बार-बार
एक ही बात सोच रही थी क या मुझे इस ि के साथ धोखा करना चािहए जो इस
अव था म मेरा इतना यान रख रहा है ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

भ क आंख खुली । उसका शरीर कमजोर था और रोम-रोम म दद था । आंख


खुलने पर भी वह प देख नह पा रहा था । उसे सब धुंधला सा दखाई दे रहा था । उसे
सामने से एक लड़क आती ई दखाई दी । वह लड़क उसके पास आ गई । भ को अब
थोड़ा साफ दखाई देने लगा । यह वह लड़क थी िजसे रोकने के िलए वह वृ पर चढ़ा
था । भ ने िह मत जुटाकर उठने का यास कया ।
“लेटे रहो,” उस लड़क ने कहा ।
भ वापस लेट गया ।
“तुम कौन हो? और मुझे या आ है?” भ ने एक साथ दो कए।
“तुम अचेत हो गए थे,” उस लड़क ने कहा ।
“तीर लगने से?” भ ने पूछा ।
“नह , िसफ तीर लगने से नह ,” लड़क ने कहा ।
“तो,” भ ने कहा ।
“उस तीर पर िवष लगा आ था,” लड़क ने कहा ।
“कौनसा िवष?” भ ने पूछा ।
“ये तो नह पता ले कन िवष इतना खतरनाक था क उसका इलाज अ यंत क ठन था, कोई
भी वै तु हे उस िवष से नह बचा पाता,” लड़क ने कहा ।
“ले कन तुमने तो बचा िलया,” भ ने कहा ।
“हां, य क म वै नह ,ं ” उस लड़क ने कहा ।
“तो कौन हो तुम?” भ ने पूछा।
“तुम जान जाओगे,” लड़क ने कहा।
वह लड़क उठ गई और पीछे क तरफ चलने लगी । उसके सामने एक तूफान आ
रहा था और उस तूफान म से रोशनी िनकल रही थी ।
“ले कन कब?” भ ने पूछा ।
“जब समय आएगा,” कहकर वह लड़क उस रोशनी म खड़ी हो गई ।
“ क जाओ कृ पया, मत जाओ,” भ ने कहा ।
वह लड़क मु कु राई और पल भर म वहां से गायब हो गई । भ फर से बेहोश हो
गया ।
t.me/HindiNovelsAndComics

*****
t.me/HindiNovelsAndComics

मयूर वज और राजकु मार देवरथ महल के एक ऊपरी क म बात कर रहे थे ।


दोन एक दूसरे के ित ब त ईमानदार थे और उनक िम ता दन ित दन गहरी होती
जा रही थी ।
“अब उसक ि थित कै सी है?” देवरथ ने पूछा ।
“ कसक ?” मयूर वज ने पूछा ।
“उस लड़क क ,” देवरथ ने कहा ।
“हां... अब बेहतर है, कु छ ही समय म चलने लग जाएगी,” मयूर वज ने कहा ।
“एक बात बताओ कुं दन,” देवरथ ने कहा ।
“हां,” कुं दन बने मयूर वज ने कहा ।
“ या तु हे वो लड़क पसंद है?” देवरथ ने पूछा ।
“मतलब?” कुं दन ने कहा ।
“इस बात का िसफ एक ही मतलब होता है और वो तुम अ छी तरह से जानते हो,” देवरथ
ने कहा ।
“हां..., ले कन अचानक ये तु हारे मन म कै से आया?” कुं दन ने पूछा ।
“मुझे लगने लगा है क तुम उस लड़क से ेम करने लगे हो,” देवरथ ने कहा ।
कुं दन कु छ समय खामोश रहा ।
“देखो तुम मेरे िम हो और तुम मुझे िबना िझझक के सब कु छ बता सकते हो,” देवरथ ने
कहा ।
“मुझे सच म अभी तक कु छ भी समझ म नह आ रहा है, हां मुझे वो अ छी लगती ह
ले कन मुझे उससे ेम ह इस बात को लेकर म वयं भी दुिवधा म ,ं ” कुं दन ने कहा ।
“इतना मत सोचो, यादा सोचने से येक व तु अिधक उलझ जाती ह, अपने दय और
मन को मु कर दो और उनके साथ ही चलो,” देवरथ ने कहा ।
महल के बाहर एक दीवार के पीछे एक आदमी हाथ म धनुष और बाण िलए खड़ा
था । बाण क नोक पर काले रं ग का गाढ़ा तरल लगा आ था । उसका िनशाना उसक क
क िखड़क म था िजस क म कुं दन और देवरथ थे । वह आदमी ती ा कर रहा था
य क कभी उसके िनशाने पर देवरथ आ जाता तो कभी कुं दन । कु छ समय तक वो
िनशाना साधे खड़ा रहा ।
कुं दन क नजर िखड़क से बाहर गई और कुं दन ने उस आदमी को देख िलया । उस
t.me/HindiNovelsAndComics

आदमी को भी इसका पता चल गया । अभी उसके िनशाने पर देवरथ था और उसने


हड़बड़ी म बाण चला दया । कुं दन ने देवरथ को ध ा देकर दूर हटा दया और वयं बाण
के सामने आ गया । बाण उसक बा भुजा पर आ लगा ।
कु छ समय तक तो देवरथ कु छ समझ ही नह पाया, ले कन वह इतना ज र समझ
गया था क कुं दन ने दूसरी बार उसके ाण क र ा क है । दोन खड़े ए । कुं दन ने
अपनी भुजा पर लगा बाण िनकाल दया और देवरथ क तरफ देखकर मु कु राया । देवरथ
ने भी देखा क यादा हािन नह ई है इसिलए वह भी कुं दन के साथ मु कु राया ।
अगले ही ण कुं दन नीचे िगर पड़ा और अचेत हो गया । देवरथ चलकर कुं दन के
पास आया और उसे उठाने का यास कया पर तु वह नह उठा । देवरथ ने तुरंत राजवै
को बुलायाऔर उसे सब बता दया । राजवै , कुं दन को अपने क म ले गया उपचार के
िलए ।
वै ने अपने अनुभवी हाथो से कुं दन क कलाई पकड़ी और न ज क जांच क । अब
उसक बंद आंखो को खोलकर देखा । अब उसने उस तीर को देखा । कु छ देर जांच के बाद
वह वै क से बाहर आ गया । क के बाहर देवरथ बैचैनी से इं तजार कर रहा था । वै
को देखते ही राजकु मार उसके पास आ गया ।
“ या आ?” देवरथ ने पूछा ।
“वह जीिवत तो ह ले कन अिधक समय तक नह रह पाएगा,” वै ने कहा ।
“ य ?” देवरथ ने पूछा ।
“ य क उसे िवष दया गया है,” वै ने कहा ।
“िवष... ले कन आप तो िवष का उपचार कर सकते ह,” देवरथ ने कहा ।
“हां कर सकता ं ले कन इस िवष का नह ,” वै ने कहा ।
“कौनसा िवष?” देवरथ ने पूछा ।
“यह कोई साधारण िवष नह है, यह सबसे घातक िवष ह, यह रे िग तानी िब छू ओ का
िवष ह, इसका उपचार करना मेरे तो या कसी के भी बस म नह है,” वै ने कहा ।
देवरथ वह पर हताश होकर बैठ गया । सािव ी को आज ब त देर से कुं दन िमलने
नह गया था इसिलए सािव ी ने एक सेिवका को बुलाकर पूछा “कुं दन कहां ह?”
“वो राजवै के क म अचेत पड़े ह,” सेिवका ने कहा।
“अचेत..., या आ उनको?” सािव ी ने पूछा ।
“उ ह िवष दया गया है और उस िवष का वै के पास भी कोई उपचार नह है,” सेिवका
t.me/HindiNovelsAndComics

ने कहा।
यह सुनते ही सािव ी बैठ गई और खड़ी होने लगी ।
“आपको अभी िव ाम करना चािहए,” सेिवका ने कहा ।
सािव ी ने उसको अनसुना करते ए खड़ी हो गई । खड़ी होते ही उसके पैर से र
वापस बहने लग गया । वह अपने ज मी पैरको घसीटते ए राजवै के क म प च ं गई ।
क के बाहर देवरथ उसे देख रहा था । सािव ी ने क म वेश करके ार को बंद कर
दया ।
ब त समय बाद वै वहां आया । क के ार को बंद देखकर उसने देवरथ से पूछा
“ ार कसने बंद कया?”
“वो एक लड़क अंदर गई है उसने बंद कया है,”देवरथ ने कहा ।
दोन ार के पास गए और ार खोलने का यास कया ले कन ार अंदर से बंद
था । कु छ देर यास करने के बाद उ ह ने ार को तोड़ दया । अंदर जाकर देखा तो
सािव ी, कुं दन के पास अचेत अव था म पड़ी ह ।
वै ने जाकर वापस परी ण कया ।
“ या आ?” देवरथ ने वै से पूछा ।
“आपका िम अब व थ ह, कु छ ही समय म इसे होश आ जाएगा, ले कन इस क या का
बचना क ठन है,” वै ने कहा ।
“ य ?” देवरथ ने पूछा ।
“ य क इसने आपके िम के शरीर से िवषको चूस िलया है,” वै ने कहा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

दा ण वन म भ जमीन पर लेटा आ था । राि का समय था । िवष का भाव


ख म होने पर भ उठा । वह लड़क भ के पास ही बैठी थी। भ ने उस लड़क को देखा
और पूछा “तुम तो चली गई थी ।”
“हां.. कल राि को गई थी,” उस लड़क ने कहा।
“मतलब म पूरे दन बेहोश रहा,” भ ने कहा ।
“हां,” उस लड़क ने जवाब दया ।
“तुमने मुझे अभी तक नह बताया क इस िवष का उपचार तुमने कै से कया?” भ ने पूछा

“समय आने पर तु हे सब कु छ पता चल जाएगा,” लड़क ने कहा ।
“ठीक है, या तु हारा नाम तो जान सकता ं या वो भी समय आने पर ही पता चलेगा,”
भ ने कहा ।
“मेरा नाम रं जना ह,” लड़क ने कहा ।
“म भ ,ं ” भ ने कहा।
“भ तु हे िवष कसने दया था?” रं जना ने पूछा ।
“एक आदमी ने मुझ पर िवषैला बाण चलाया, मने उसको पहले कभी भी नह देखा था,”
भ ने कहा।
“तुम इस जंगल म या कर रहे हो?” रं जना ने पूछा ।
“म यहां से गुजर रहा था ले कन एक रात मने तु हे यहां देखा था और मै यह क गया,”
भ ने पूछा ।
“यह क गए, ले कन य ?” रं जना ने पूछा ।
“पता नह , शायद मुझे तुम अ छी लगने लगी,” भ ने कहा ।
“शायद?” रं जना ने िवि मत होकर कहा ।
“नह मेरा मतलब है तुम मुझे ब त पसंद आई,” भ ने कहा ।
“ या?” च क कर रं जना ने कहा ।
“म या बोल रहा ं मुझे समझ नह आ रहा है और जो म बताना चाह रहा ं वो तुम
समझ नह रही हो या शायद समझ गई हो,” भ ने हड़बड़ी म कहा ।
“म समझ गई ं ले कन मुझे तु हारा बात करने का ढंग ब त अजीब सा लगा इसिलए म
t.me/HindiNovelsAndComics

च क गई थी,” रं जना ने कहा ।


“तुम समझ गई... सच म,” भ ने कहा ।
“हां, ले कन अब मुझे जाना होगा, इस िवषय म कल बात करगे,” कहकर रं जना चली गई ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

रजतगढ़ के आयुरालय म अचेत पड़े ए कुं दन (मयूर वज) क आंख खुली ।


राजवै और देवरथ उसके पास ही खड़े थे । देवरथ क आंखे भीगी ई थी। वह कुं दन के
उठने से ब त खुश था । उठते ही उसने पास मू छत पड़ी सािव ी को देखा ।
“इसे या आ है? और मुझे या आ था?” कुं दन ने पूछा ।
“तु हे िवष दया गया था,” राजवै ने कहा ।
“ले कन इसे या आ है?” कुं दन ने पूछा ।
“िवष का कोई उपचार ना होने के कारण इसके तु हारे शरीर से िवष चूसकर तु हे बचा
िलया,” राजवै ने कहा ।
“तो इसका उपचार करो और उठाओ इसे,” पीड़ा भरे वरो म कुं दन ने कहा ।
“अब यह नह उठ सकती, इस िवष का कोई तोड़ नह है,” राजवै ने कहा ।
“नह ... नह ... ऐसा नह हो सकता, इसे उठना ही पड़ेगा,” कुं दन ने आंसे वर म कहा ।
कुं दन क आंखे भीग चुक थी । आंसू उसक आंखो से िनकलने का भरसक यास
कर रहे थे ले कन कुं दन उ ह रोके ए था । अपने िम को इस हाल म देख देवरथ ने उसे
गले से लगा दया । कुं दन के िलए अब आंसुओ को रोक पाना संभव नह था । अब आंसुओ
क अनवरत धारा बह पड़ी।
समय बीत गया । पूरा दन कुं दन, सािव ी के पास ही बैठा रहा । वह बार-बार
उसक अिनयिमत धड़कन को जांचता रहता । कभी-कभी धड़कने ब त धीमी हो जाती
तो कभी वापस सामा य हो जाती । उसक धड़कन के कम होने पर कुं दन का दय तेजी से
धड़कने लगता । राि होते-होते सािव ी ने अपनी आंखे खोल दी ।
आंखे खोलते ही उसने पास बेहाल ए कुं दन को देखा और पूछा “तु हारा ये हाल
कसने कया?”
“तुमने,” कुं दन ने जवाब दया ।
“तुम कब से बैठे हो यहां?” सािव ी ने पूछा ।
“जब से उठा ,ं ”कुं दन ने कहा ।
“और य द म नह उठती तो?” सािव ी ने पूछा ।
“तो म भी लेट जाता तु हारे पास... हमेशा के िलए,” कुं दन ने कहा।
दोन मु कु राने लगे ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

सवेरा हो चुका था । कुं दन और सािव ी दोन पूरी तरह व थ थे । देवरथ और


कुं दन छत पर खड़े रजतगढ़ को िनहार रहे थे । देवरथ के हाथ म एक छोटा सा संदक
ू था ।
“ये अपने पास रखो,” देवरथ ने कुं दन को संदक
ू देते ए कहा ।
“पर तु तुम मुझे यह य दे रहे हो?” कुं दन ने पूछा ।
“ य क तुम ही हो जो इसक सुर ा कर सकते हो और इसके लायक हो,” देवरथ ने कहा ।
कुं दन ने संदक
ू ले िलया । अब सािव ी भी छत पर आ गई । सािव ी को आता देख
देवरथ नीचे उतर गया ।
“म आपसे कहने आई ं क म जा रही ,ं ” सािव ी ने कहा ।
“कहां?” कुं दन ने पूछा ।
“घर,” सािव ी ने कहा ।
“ या तु हे यहां कोई परे शानी ह?” कुं दन ने पूछा ।
“परे शानी तो नह है ले कन मुझे घर तो जाना ही होगा,” सािव ी ने कहा ।
कुं दन कु छ समय तक चुप रहा ।
“ या आपको कोई परे शानी ह?” सािव ी ने पूछा ।
“मुझे नह पता क म तु हारे िबना कै से रह पाऊंगा,” कुं दन ने कहा ।
“ य ?” सािव ी ने शरमाते ए पूछा ।
“पता नह ले कन तु हारा साथ मुझे अ छा लगता है, कु छ समय के िलए तुम जब बेहोश
हो गई थी तो ना जाने य मुझे अपना जीवन िनरथक लगने लगा था,” कुं दन ने कहा ।
“मन तो मेरा भी नह लगेगा,” सािव ी ने कहा ।
“तो क जाओ,”कुं दन ने कहा ।
“मुझे जाना होगा, कु छ अधूरा काय ह मुझे उसे पूरा करना ह,” सािव ी ने कहा ।
“ले कन तुम वापस कब आओगी?” कुं दन ने पूछा ।
“हम कल शाम को वन म िमलगे,” सािव ी ने कहा ।
“कौनसे थान पर?” कुं दन ने पूछा ।
“उसी प थर पर जहां तुमने मेरे पैर से कांटा िनकाला था,”सािव ी ने कहा ।
सािव ी अब महल से नीचे उतर गई । कुं दन भी उसके साथ था । महल के मु य
t.me/HindiNovelsAndComics

ार तक वह सािव ी के साथ गया और फर सािव ी अके ली नागवन म चली गई ।


*****
t.me/HindiNovelsAndComics

सपराज नागेश अपने गु चर से सूचनाएं ले रहे थे । नागेश अपनी बहन िवषैना के


साथ बैठा था ।
“हमारी एक क या सािव ी रजतगढ़ म वेश ले चुक ह और उस राजकु मार के िम को
भी ेम के जाल म फं सा चुक है, अब मिण अिधक दूर नह ,” नागेश ने कहा ।
“ले कन मुझे तो लगता है क उस िम ने क या को जाल म फं सा िलया है,” गु चर ने कहा

“ये या कह रहे हो?” नागेश ने कहा ।
“हां... उन दोन को देखकर लगता तो यह है क वो एक-दूसरे से सच म ेम करने लगे ह,”
गु चर ने कहा ।
“तब तो मिण का िमलना क ठन हो जाएगा,” नागेश ने कहा ।
“नह ... वो मिण अब राजकु मार ने अपने िम को दे दी है, य द क या चाहे तो मिण को
पाना क ठन नह होगा,” गु चर ने कहा ।
तभी एक सेवक ने वहां वेश कया और कहा “सािव ी आ चुक ह और सीधे
आपसे िमलने के िलए आ रही ह ।”
“ठीक है आने दो उसे,”नागेश ने कहा ।
नागेश के चेहरे पर गु सा देखकर िवषैना ने कहा “उस पर गु सा मत करना, वो
हमारी आिखरी उ मीद है ।”
“तो या करे ?” नागेश ने पूछा ।
“म उससे बात क ं गी,” िवषैना ने कहा ।
“ठीक है,” नागेश ने कहा ।
सािव ी उन दोन के सामने आकर खड़ी हो गई । वह थोड़ी डरी ई थी और उसने
िसर झुकाया आ था ।
“ या तुम उस लड़के को अपने ेम के जाल म फं साने म सफल ई?” िवषैना ने पूछा।
“हां,” धीमी आवाज़ म सािव ी ने कहा ।
“ या तुम उससे सच म ेम करने लगी हो?” िवषैना ने पूछा ।
यह सुनकर सािव ी खामोश हो गई । ब त देर चुप रहने के बाद िवषैना ने फर से
पूछा “देखो तु हे डरने क कोई ज रत नह है, जो स य है वो कह दो, या तुम उससे ेम
करती हो?”
t.me/HindiNovelsAndComics

सािव ी ने सहमित म िसर िहलाया ।


“अब मेरी बात यान से सुनो,” िवषैना कहने लगी, “तुम चाहो तो हमेशा के िलए उसके
पास जा सकती हो, तु हे कोई नह रोके गा । तु हे बस एक काय करना होगा । य द तुम वो
मिण हम लाकर दे दो तो हम तु हे मु कर दगे ।”
सािव ी खामोश खड़ी रही ।
“ या तुमवो मिण लेकर आओगी?” िवषैना ने पूछा ।
“हां,” िसर उठाकर सािव ी ने जवाब दया ।
अब सािव ी वहां से चली गई।
“ये तुमने उससे या कह दया? उसने हमारे साथ धोखा कया है उसक सजा तुम अ छी
तरह से जानती हो फर भी तुमने ऐसा कहा,” नागेश ने गु से से िवषैना से कहा ।
“एक बार मिण हमारे पास आ जाए बाद म उसे जो सजा देनी हो दे देना,” िवषैना ने कहा

“सजातो उसे िमलेगी और वो भी मौत क ,” नागेश ने कहा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

राि का समय हो गया । सािव ी अपने िब तर पर लेटी ई थी ले कन उसे न द


नह आ रही थी । उसके पास ही उसक सहेली मीना ी लेटी ई थी । खुले म सोने के
कारण चांदनी उन दोन पर पड़ रही थी ।
“ या सोच रही हो?” मीना ी ने पूछा ।
“यह क म कुं दन से मिण लेकर कै से आऊंगी? उसे तो अभी तक पता भी नही है क म
कौन ?ं और उसके पास कसिलए आई ?ं ” सािव ी ने कहा ।
“तो उसे बता दो,”मीना ी ने कहा ।
“ या बता दू?ं ” सािव ी ने पूछा ।
“स ाई,” मीना ी ने कहा ।
“मुझे भी ऐसा ही लगता है, ले कन मुझे डर ह क शायद वो मुझ पर यक न करे गा या
नह ,” सािव ी ने कहा ।
“य द तुम उससे सच म ेम करती हो तो उसे सब सच बता दो, वो इस बारे म तु हारी
मजबूरी को समझ जाएगा और य द इस बारे म उसे कसी और से पता चला तो उसका
भरोसा तुम पर से हमेशा के िलए उठ जाएगा,” मीना ी ने कहा ।
“नह नह ... म कल शाम को ही उसे सब कु छ बता दूग
ं ी,” सािव ी ने कहा ।
कु छ देर चुप रहने के बाद फर से सािव ी ने पूछा “तु हे या लगता है?”
“ कस बारे म?” मीना ी ने पूछा ।
“ या वो मिण मुझे दे देगा?” सािव ी ने पूछा ।
“य द वो भी तुमसे सच म ेम करता है तो ज र दे देगा,” मीना ी ने कहा ।
“और...,” इससे पहले क सािव ी अपनी बात पूरी करती मीना ी ने बीच म कह दया
“अब सो जाओ, इस िवषय म अिधक िवचार मत करो ।”
“ य िवचार करने से या होता है?” सािव ी ने पूछा ।
“िवचार करना वैसे तो अ छी बात है ले कन कभी-कभी अिधक िवचार करना भी गलत
सािबत हो सकता है,”मीना ी ने कहा ।
“कै से?” सािव ी ने पूछा ।
“याद है उस दन जब हम पांच क याओको उसके पास उसे ेम के जाल म फं साने भेजा
था, उस दन हम सब असफल रही पता है यो?” मीना ी ने पूछा ।
“नह ,”सािव ी ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“ य क हम ब त अिधक िवचार कर रही थी,”मीना ी ने कहा ।


*****
t.me/HindiNovelsAndComics

म देश म राघव एक मकान के छोटे से कमरे म बैठा आ था। राघव के साथ एक


ि बैठा आ था जो िपछले कई समय से उसके साथ था । राघव ने िनयम को तोड़ते
ए उसे बता दया था क वह माधवगढ़ का राजकु मार ह और युवराज बनने के सफर पर
िनकला आ है ।
उसके साथ बैठे ए ि का नाम जयमल था । जयमल कू टनीित म ब त तेज था
। उसने राघव से उसके युवराज बनने के सफर म उसक सहायता करने का वादा कया
था। बदले म उसे िसफ ये चािहए था क जब वो राजा बने तो जयमल उसका मुख मं ी
बनना चाहता था । राघव ने उसे मं ी बनाने का वादा कया और जयमल ने राघव को
युवराज बनने का ।
जयमल को इस पूरे े क जानकारी थी इसिलए वह राघव क मदद करना
चाहता था । जयमल को जब कोई ल य दखता है तो वह उसे हर ि थित म पाना चाहता
था इस बीच वह सही-गलत, धम-अधम कु छ नह देखता था ।
“उसे और कतना समय लगेगा,” राघव ने जयमल से पूछा ।
“बस आता ही होगा,” जयमल ने कहा ।
“तु हे या लगता है क उसने काय कर दया होगा?” राघव ने पूछा ।
“वह इस देश का सबसे पारं गत ह यारा है, उसने काय ज र कर दया होगा,” जयमल ने
कहा।
उसी समय ार से एक आदमी ने वेश कया । उस आदमी के हाथ म एक धनुष था
और कं धे पर लगे तरकश म कु छ बाण । सभी बाण के कोन पर एक काले रं ग का गाढ़ा
तरल लगा आ था । यह वही आदमी था िजसने भ और मयूर वज को िवषैला बाण मारा
था ।
“ या काय पूरा आ?” जयमल ने उस आदमी से पूछा ।
“हां, मैने दोनो राजकु मारो को िवषैला बाण मार दया था और दोन कु छ ही समय म
मू छत हो गए थे ।
“ या तुमने उ ह मरते ए देखा?” राघव ने उस आदमी से पूछा ।
“नह म बाण मारकर वापस लौट गया था,” उस आदमी ने कहा ।
“तो फर तुम कै से कह सकते हो क काय पूण हो गया,” राघव ने पूछा ।
“ चंताक कोई बात नह है बाण पर रे िग तानी िब छु का िवष लगा आ था, आज तक
इस िवष से कोई भी नह बच पाया है,” जयमल ने कहा ।
“तो अब हम या कर?” राघव ने जयमल से पूछा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“युवराज बनने का रा ता अब िब कु ल साफ है य क तु हारे दोन भाई अब तक मर चुके


ह गे, अब िसफ तु हे वो ताकत चािहए जो इस महा ीप म कसी के पास ना हो, वह के वल
राजा के पास ही होनी चािहए,”जयमल ने कहा ।
“कौनसी ताकत?” राघव ने पूछा ।
“दैवी अ ,”जयमल ने मु कु राते ए कहा ।
“ये कौनसा अ ह?” राघव ने पूछा ।
“ये एक ब त ही शि शाली अ ह, कहते ह क इस अ से देवता को भी मारा जा
सकता है,” जयमल ने कहा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

सांयकाल का समय हो गया । सूय आसमान को नारं गी रं ग म रं ग चुका था ।कुं दन


(मयूर वज) उस प थर के पास प चं गया । उसे सािव ी से िमलने के िलए ब त बैचैनी
महसूस हो रही थी । उसे एक-एक ण पूरे वष क भांित लग रहा था । वह बार-बार चार
तरफ देख रहा था ।
कु छ ही समय म उसका इं तजार ख म हो गया । उसे थोड़ी दूर से सािव ी उसक
तरफ आती ई दखाई दी । कुं दन के चेहरे पर ऐसी मु कान उसक जंदगी म अब तक
नह आई थी । वह दूसरी तरफ सािव ी जो हमेशा कुं दन को देखकर शम और स ता से
लाल हो जाती थी आज उसके चेहरा असमंजस झलका रहा था ।
सािव ी को एक ही बात खाए जा रही थी क वह कुं दन को कै से बताए क वह
उससे य िमली थी । उसे डर था क कह कुं दन उसे हमेशा के िलए छोड़कर चला ना
जाए । इसी उलझन के साथ वो आगे बढ़ते जा रही थी । वह कुं दन के थोड़ा नजदीक प च
ं ी
और कुं दन भागकर उसके पास आया और उसे गले से लगा िलया ।
कुं दन सािव ी के चेहरे को िनहार रहा था वह सािव ी क नज़रे नीचे झुक ई
थी। कुं दन ने सािव ी को उस प थर पर बैठाया और खुद भी उसके पास बैठ गया । कु छ
समय तक दोन खामोश रहे फर इस चु पी को तोड़ते ए सािव ी ने कहा “मुझे तुमसे
कु छ कहना ह ।”
कुं दन को लग रहा था क सािव ी उससे ेम का इजहार करने वाली है इसिलए
झट से कुं दन बोल पड़ा “मुझे भी तुमसे कु छ कहना ह और पहले म क ग
ं ा ।”
सािव ी चुप हो गई । अब कुं दन नेउसक आंखो म देखते ए कहा “मुझे तुमसे ेम
हो गया है और म अपना पूरा जीवन तु हारे साथ ही गुजारना चाहता ,ं अब म तु हारे
मुंह से सुनना चाहता ं क या तु हे भी मुझसे ेम ह?”
सािव ी चुप हो गई उसक आंखे भीग चुक थी । यह बात सुनकर उसे उस बात
बताने म और अिधक क ठनाई हो गई जो वह बताने आई थी । सािव ी क चु पी देखकर
कुं दन हैरान था वह समझ नह पा रहा था क सािव ी उससे या कहने वाली है इसिलए
कुं दन ने सािव ी के दोन कं धो को अपने दोनो हाथ से पकड़ा और उसक आंखो म देखते
ए ही कहा “म तु हारे मन क बात...,” इससे आगे कुं दन कु छ बोल पाता उससे पहले ही
उसे सािव ी के बाएं कं धे पर कु छ महसूस आ ।
यान से देखने के िलए कुं दन ने सािव ी के कं धे पर पहने ए व को हटाया और
उसने देखा क उसके बाएं कं धे पर एक ठीक ए घाव का िनशान ह । कुं दन इस घाव को
अ छी तरह से पहचानता था । यह एक बाण के लगने के कारण घाव आ था और ये बाण
कुं दन ने ही चलाया था । फर कुं दन को याद आया क राजकु मार देवरथ को थम बार
तीन काले व ओढ़े ि य से बचाने के िलए उसने एक बाण चलाया था जो उनम से
एक के बाएं कं धे पर जा लगा था ।
t.me/HindiNovelsAndComics

यह सोचकर कुं दन, सािव ी से दूर हट गया । उसके मन म अनजाने िवचार का


बहाव ारं भ हो गया । वह ठीक से कु छ भी सोच और समझ नह पा रहा था ले कन उसे
यह अ छे से समझ आ गया था क वह िजस कार सािव ी के बारे म पहले सोचता था
वह उससे ब त अलग ह ।
“कौन हो तुम?” गु से भरी आंख के साथ कुं दन ने सािव ी से पूछा ।
सािव ी चुप रही । उसक भीगी ई आंख से आंसू मोती के समान िगरने लगे ।
“मने पूछा कौन हो तुम?” तेज आवाज म चंड गु से के साथ कुं दन ने फर से पूछा ।
“म एक िवषक या ,ं ” सािव ी ने रोते ए जवाब दया ।
“तो इसीिलए तुम उस दन उस िब छू के िवष से बच पाई,” कुं दन ने कहा ।
“मेरी रग-रग म िवष दौड़ रहा है, इतना िवष क मेरी खून क एक बूंद से कई लोग क
जान जा सकती ह,” सािव ी ने कहा ।
“और तुम मेरे िम राजकु मार देवरथ को य मारना चाहती हो,” कुं दन ने पूछा ।
“मुझे एक काय स पा गया है,” सािव ी ने कहा ।
“कौनसा काय?” कुं दन ने पूछा ।
“मिण लाने का,” सािव ी ने कहा ।
“तो यह सब एक धोखा था, मुझसे ेम करने का नाटक िसफ इसिलए था क तुम उस मिण
तक प चं सको,” कुं दन ने कहा ।
“नह ...,” सािव ी ने कहा ले कन कुं दन वहां से उठकर जाने लगा ।
सािव ी ने उसके पैर पकड़ िलए और रोते ए कहने लगी “ को मेरी बात सुनो ।”
कुं दन अपने पैर को उसक पकड़ से छु ड़ाकर चला गया । सािव ी वह जमीन पर
बैठी-बैठी रोने लगी ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

रजतगढ़ के महल राजकु मार देवरथ कुं दन के क क तरफ बढ़ रहा था । क से


कु छ दूर उसे एक सेवक दखाई दया जो कुं दन का यान रखने के िलए देवरथ ने िनयु
कया था । उस सेवक को देखते ही देवरथ ने उससे पूछा “कुं दन कहां ह?”
“वो अपने क म ही बैठे ह,” सेवक ने कहा ।
“आज पूरा दन हो गया वो मुझसे िमलने नह आया,” देवरथ ने कहा ।
“वो कल राि से ही अपने क म बैठे ए ह, उ ह ने ठीक से भोजन भी नह कया,” सेवक
ने कहा ।
“ठीक है म देखता ,ं ” देवरथ ने कहा ।
देवरथ ने कुं दन के क म वेश कया । कुं दन अपने क म शांत बैठा आ था ।
देवरथ उसके पास जाकर बैठ गया। कुं दन क नज़रे िखड़क पर टक ई थी उसे देवरथ के
क म आने का भी पता नह चला ।
“ या आ?” देवरथ ने कुं दन के चेहरे को अपने तरफ घुमाकर पूछा ।
कुं दन का चेहरा और आंखे सूखी ई थी जो यह दखा रही थी क रो-रोकर कुं दन के
आंसू भी ख म हो चुके ह । कुं दन ने एक गहरी सांस ली और कहा “कु छ नह ।”
“देखो म तु हारा िम ,ं तु हे मुझे अपने मन क बात बतानी चािहए... या यह सािव ी
के बारे म ह?” देवरथ ने पूछा ।
“हां,” कुं दन ने कहा ।
“ या तु हारे बीच झगड़ा आ है?” देवरथ ने पूछा ।
“हां,”कुं दन ने कहा ।
“तो इसम इतना परे शान होने क या बात ह? झगड़े तो होते रहते ह,” देवरथ ने कहा ।
“वो यह सब नाटक कर रही थी,” कुं दन ने कहा ।
“ या... ले कन य ?” देवरथ ने पूछा ।
“ता क उसे वो मिण िमल सके , वो एक िवषक या ह, और उस दन नागवन म तु हारी
जान लेने क कोिशश भी उसी ने क थी” कुं दन ने कहा ।
“तो तुम इसिलए इतना परे शान हो, देखो नागवन म सपराज राज करता है, वह छोटी
लड़ कय को पकड़कर उ ह िवषक या बना देता है कई बार लड़ कय क इ छा ना होने
पर भी उ ह ये करना पड़ता है और जहां तक सािव ी क बात है मुझे नह लगता है क वो
तुमसे ेम करने का नाटक कर रही थी, मने उसक आंखो म तु हारे िलए ेम देखा है और
आंखे झूठ नह बोलती,” देवरथ ने कहा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

“मुझे तो ऐसा नह लगता,” कुं दन ने कहा ।


“इस बारे म हम बाद म बात करगे अभी तुम भोजन कर लो,” कहकर देवरथ ने कुं दन को
खाना िखलाया ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

सािव ी भी अपने क म ब त समय से बैठी ई थी । मीना ी उसे देखने गई ।


मीना ी ने देखा क सािव ी खुद म ही खोई ई ब त उदास बैठी ई है । उसका रो-रो
ब त बुरा हाल हो गया है । मीना ी उसके सामने जाकर खड़ी हो गई ।
“मुझे लगता है क कल तु हारे साथ कु छ अ छा नह आ है,” मीना ी ने कहा ।
“उसे मेरे बताने से पहले ही पता चल गया था,” सािव ी ने आंसी आवाज म कहा ।
“ फर उसने या कहा तुमसे?” मीना ी ने पूछा ।
“वो चला गया हमेशा के िलए, मुझे नह लगता है क वो कभी मेरा चेहरा वापस देखना
चाहेगा,” सािव ी ने कहा ।
“ऐसा कु छ नह होगा,” मीना ी ने कहा ।
“मुझे नह पता क म उसके िबना कै से जी पाऊंगी, अभी से मुझे घुटन सी महसूस हो रही
है,” सािव ी ने कहा ।
“म उससे जाकर बात क ं गी,” मीना ी ने कहा ।
“इससे कोई लाभ नह होगा वो कभी नह मानेगा,” सािव ी ने कहा ।
“वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो, तुम बस कल शाम को तैयार रहना,” मीना ी ने कहा और
वह क से बाहर िनकल गई ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

रजतगढ़ के मु य ार पर एक क या को ारपाल ने रोक दया और पूछा “कौन हो


तुम और कहां जा रही हो?”
“अपने राजकु मार से जाकर बोलना क सािव ी क सखी आपसे िमलना चाहती है,”
मीना ी ने कहा ।
एक ारपाल संदश
े लेकर महल के अंदर गया और कु छ समय बाद वापस लौट आया ।
“तुम जा सकती हो,” ारपाल ने कहा ।
सािव ी महल के अंदर चली गई । रा ते म ही उसे राजकु मार देवरथ िमल गया जो
उसी क तरफ आ रहा था ।
“ या तुम कुं दन से िमलने आई हो?” देवरथ ने पूछा ।
“हां,” मीना ी ने कहा ।
“वो अपने क म ही ह म तु हे ले जाता ,ं उसक हालत ब त खराब है, शायद तुम उसे
समझा सको,” देवरथ ने कहा ।
“सािव ी का हाल भी कु छ ऐसा ही है,” मीना ी ने कहा ।
कु छ ही समय म दोन कुं दन के क म जा प च
ं ,े वहां कुं दन शांत बैठा िखड़क को
िनहार रहा था । क म उसने मीना ी और देवरथ को आते ए देखा ।
मीना ी उसके पास गई और कहने लगी “म सािव ी क सखी ,ं मेरा नाम
मीना ी ह । म बस तुमसे ये कहने आई ं क ये जो भी आ है उसम सािव ी का कोई दोष
नह है, यह सब उसने सपराज के कहने पर कया है और वो उस दन तु हे सब सच बताने
ही आई थी ले कन उसे मौका ही नह िमला और य द तुम यह सोच रहे हो क उसने
तु हारे साथ ेम का नाटक कया है तो तुम पूणतः गलत हो ।”
“य द ऐसा है तो उसे मुझ पर भरोसा रखकर ब त पहले ही मुझे बता देना चािहए था, उसे
यह सब छु पाने क या आव यकता थी?” कुं दन ने कहा।
“ या तुमने उससे कोई बात नह छु पाई ह?” मीना ी ने पूछा ।
“हां छु पाई ह, मने अपनी पहचान छु पाई ह और इसके िलए म ितब ,ं ” कुं दन ने कहा ।
“तो उसने भी तो यह कया था फर उससे इतनी नफरत यो? जब से तुम उसे छोड़कर
गए हो तभी से वो के वल मृ यु क ती ा कर रही ह, तु हारे िलए तो फर भी ये सब
आसान था ले कन वो तो राजा के आदेश और अपने ेम के बीच िपछले कई समय से
दुिवधा म थी, य द तुमने भी उससे ेम कया था या करते हो तो उसे इस समय सबसे
अिधक तु हारी आव यकता है नह तो कसी भी समय वो अपने ाण याग देगी और तुम
जीवन भर इस बारे म िवलाप ही करते रहोगे,” मीना ी ने कहा।
t.me/HindiNovelsAndComics

यह सुनकर कुं दन क आंखो से आंसू टपक पड़े उसे अपनी गलती का अहसास हो
गया और वो तुरंत अपने थान से उठ खड़ा आ और ार क तरफ बढ़ने लगा ।
“कहां जा रहे हो?” देवरथ ने पूछा ।
“सािव ी से िमलने,” कुं दन ने कहा ।
“नह ... वहां तु हे मार दगे, तुम आज शाम को उससे िमलने जा सकते हो म उसे भेज
दूग
ं ी,”मीना ी ने कहा ।
कुं दन वापस अपने थान पर आकर बैठ गया और कहा “य द उसे कु छ हो गया तो
म भी जी नह पाऊंगा ।”
“उसे कु छ नह होगा, म वादा करती ,ँ ” मीना ी ने कहा ।
कु छ समय तक क म शांित छाई रही फर देवरथ ने पूछा “वैसे तु हारी असली
पहचान है या?”
“मेरा नाम कुं दन नह ह, म मयूर वज ं माधवगढ़ का राजकु मार और युवराज बनने के
सफर पर िनकला आ ,ं ” मयूर वज ने कहा ।
यह सुनकर मीना ी और देवरथ क आंखे फटी क फटी रह गई ।
“तो तुमने हमसे ये बात िछपाई यो?” देवरथ ने पूछा ।
“यह इस परी ा क शत थी ले कन अब फक नह पड़ता मुझे ना संहासन चािहए और ना
ही रा य मुझे तो बस सािव ी चािहए,” मयूर वज ने कहा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

मीना ी, सािव ी के पास गई और कहा “तुम कल उससे िमलने जाओगी ।”


सािव ी ने ह क सी मु कान के साथ सहमित म िसर िहलाया । तभी एक क या ने
उस क म वेश कया और मीना ी से कहा “सपराज ने आपको बुलाया है अभी ।”
“म थोड़ी देर म आती ,ं ” मीना ी ने सािव ी से कहा ।
मीना ी उस क या के साथ चली गई । वह क या मीना ी को सपराज के क म ले
गई । उस क म सपराज(नागेश) और िवषैना दोन उपि थत थे । मीना ी ने नागेश के
सामने अपना िसर झुकाया और कहा “ या आदेश ह?”
“हम गु चर से सूचना िमली ह क तुम रजतगढ़ गई थी राजकु मार के िम से िमलने,”
नागेश ने पूछा ।
“हां,” मीना ी ने कहा ।
“ य ?” नागेश ने पूछा ।
“अपनी सखी सािव ी के िलए,” मीना ी ने कहा ।
“तु हे पता है क यह िनयम के िव ह,” नागेश ने कहा ।
“हां,” मीना ी ने कहा ।
“तो तु हे ये भी पता होगा क इसका दंड या है?” नागेश ने कहा ।
“हां,” मीना ी ने कहा ।
नागेश ने एक खंजर उठाया और मीना ी के गले म गड़ा दया । उसके गले से खून
का एक फ वारा फू ट पड़ा । उसने अपने हाथ से खून को रोकने क कोिशश क मगर ब त
अिधक खून पहले ही बह चुका था । मीना ी जमीन पर लुढ़क गई । नागेश ने खंजर को
िनकालकर उस पर लगे खून को साफ करते ए कहा “ब त हो गई तुम सब क रणनीित
अब एक जाल म िबछाऊंगा, सेना को तैयार करो ।”
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

माधवगढ़ का महल को कभी हमेशा चहल-पहल म रहता था आज वो िब कु ल शांत


था । महाराज चं के तु अपने क म ित दन क तरह िनराश होकर बैठे थे । महारानी
उ मला महाराज के क से होकर गुजर रही थी तो उ ह ने महाराज का िनराशा भरा
चेहरा देखा । महारानी को पता था क जब से तीनो राजकु मार गए ह तब से महाराज
हमेशा ही उदास रहते ह ।
महारानी ने िबना कदम क आवाज कए क म वेश कया । वह महाराज के
पास जाकर बैठ गई । महारानी ने महाराज के कं धे पर हाथ रखकर पूछा “आजकल आप
ब त दुःखी रहते ह ।”
“नही ऐसा कु छ नह है,” महाराज ने कहा ।
“म देख रही ं क जब से तीन राजकु मार गए ह तब से आप ब त चंता म रहते ह, य द
आपको उनक इतनी ही चंता थी तो उ ह भेजना ही नह चािहए था और य द भेज दया
है तो अब उस िनणय पर पछतावा नह करना चािहए,” महारानी ने कहा ।
“मेरी चंता का कारण ये नह है, मेरे तीनो पु परम यो ा ह उ ह लेकर म इतना परे शान
नह ,ं ” महाराज ने कहा ।
“तो फर आपक चंता का या कारण ह?” महारानी ने पूछा ।
“मेरे पु परम यो ा ह वो कसी भी श ु का िबना भय के सरलता से सामना कर सकते ह
और श ु को समा कर सकते ह पर तु कसी शाप का सामना वो नह कर पाएंग,े ”
महाराज ने कहा ।
“कौनसा शाप?” महारानी ने पूछा ।
“जब हमारे पु न हे िशशु थे तब एक दन म उनके साथ खेल रहा था, उसी समय राजगु
अि कसी िवशेष काय से महल म आए थे ले कन म पु ेम म इतना खोया आ था क
मुझे उनका यान ही नह रहा, ब त समय ती ा करने के बाद राजगु अि को गु सा
आ गया और उ ह ने मुझे शाप दया क िजस पु ेम म तुम इतना पागल हो गए हो वह
पु एक दन कसी और के ेम के कारण तु हे छोड़कर चला जाएगा,” महाराज ने कहा ।
“ या यह शाप हमारे तीनो पु को िमला?” महारानी ने रोते ए पूछा ।
“नह , िसफ एक को,” महाराज ने कहा ।
“ कसे?” महारानी ने पूछा ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

दा ण वन म भ क जंदगी ब त स ता से कट रही थी । पूरा दन वह खाना


बनाने, लकिड़यां इक ा करने और अ य काय म त रहता था और राि के समय रं जना
उससे िमलने आ जाती । दोन खूब बात करते और खुशी से रहते थे । भ को उसक
जंदगी म आने वाले स ाटे का जरा भी अंदाजा नह था ।
एक रात हमेशा क तरह रं जना उससे िमलने के िलए वहां पर आई ले कन वह
ित दन क तुलना म आज कु छ अलग दख रही थी । हमेशा स रहने वाला उसका
सुंदर मुख आज मुरझाया आ था । दोन हमेशा क तरह आग जलाकर बैठ गए और बात
करने लगे । भ उसको रोज क तरह अपने बहादुरी के क से सुना रहा था ।
उसक बात ख म होने के बाद रं जना ने उससे पूछा “ या हो य द म कल तुमसे
िमलने ना आऊं तो?”
“म समझा नह क तुम या कहना चाहती हो... तुम कल नह आओगी, या तु हे कोई
मह वपूण काय ह?” भ ने पूछा ।
“मने तुमसे कया है और तुम मेरे का जवाब देने के बजाय मुझसे ही कर रहे
हो,” रं जना ने कहा।
“अ छा ठीक है, पूछो या पूछना चाहती हो,” भ ने कहा ।
“य द म कल तुमसे िमलने नह आऊं तो तुम या करोगे?” रं जना ने पूछा ।
“म बस यहां बैठे-बैठे तु हारा इं तज़ार क ं गा और अके ले ही रात िबताऊंगा, और अगले
दन फर तु हारा इं तजार क ं गा,” भ ने कहा ।
“और य द म अगले दन भी ना आई तो?” रं जना ने पूछा ।
“तो उसके अगले दन म तु हारा इं तजार क ं गा,”भ ने कहा ।
“और य द म कभी ना आई तो?” रं जना ने पूछा ।
“तो म अपना पूरा जीवन यह तु हारा इं तजार करते ए िबता दूग
ं ा, ले कन तुम ऐसी बात
यो कर रही हो?” भ ने कहा ।
“देखो हमारे देश म कु छ सम या चल रही ह और हो सकता है क उसके कारण म कु छ
दन तुमसे िमलने ना आऊं और यह भी हो सकता है क म कभी ना आऊं,” रं जना ने कहा ।
“नह ... नह ...ऐसा नह होगा,” भ ने कहा ।
“तुम मुझसे एक वादा करो क य द म कल ना आऊं तो फर से तुम अपने सफ़र पर आगे
बढ़ जाओगे,” रं जना ने कहा ।
“नह ... म ऐसा कोई वादा नह क ं गा और तु हे जाने भी नह दूग
ं ा,” भ ने भावुक होकर
t.me/HindiNovelsAndComics

कहा ।
“तु हे मुझसे ये वादा करना ही होगा क तुम अपना जीवन मेरे पीछे थ नह करोगे,”
रं जना ने कहा ।
“ठीक है ले कन तु हे भी मुझसे एक वादा करना होगा,” भ ने कहा ।
“ या?” रं जना ने पूछा ।
“क तुम मुझसे िमलने आओगी,” भ ने कहा ।
“ठीक है, य द सब कु छ ठीक रहेगा तो म तुमसे िमलने आऊंगी, चाहे तुम कह भी रहो म
तु हे ढू ंढ़ लूंगी,” रं जना ने कहा ।
सूया त होने से कु छ समय पूव ही रं जना वापस चली गई । भ ने उसका वहां ब त
इं तजार कया ले कन वह फर कभी नह आई । भ उसी जंगल म पूरा दन और पूरी रात
उसे ढू ंढ़ता फरता ।
*****
t.me/HindiNovelsAndComics

सायंकाल का समय आ । आज मयूर वज के चेहरे पर खुशी क एक नई उमंग थी ।


उसका मन बार-बार सािव ी से िमलने के िलए उतावला हो रहा था । उसने आज का पूरा
दन बड़ी मुि कल से काटा था । अभी वह समय आ गया था क वह सािव ी से िमलने जा
सकता है । उसने एक नई रे शम क ेत वण क धोती पहनी और रे शम का ेत वण का
एक अंगव अपने शरीर पर लपेट िलया । वह अभी भी रं ग-िबरं गे कपड़े ना पहन कर
अपने िपता के िनयम का पालन कर रहा था ।
उसने रजतगढ़ के बगीचे से सुंदर और खुशबूदार पु प तोड़े और नागवन क ओर
िनकल गया । पूरे रा ते उसे बस यह चंता थी क वह सािव ी से या कहेगा, ले कन जब
वह सािव ी से िमलने और उसका सुंदर मुख देखने के बारे म सोचता तो सब चंताएं भूल
जाता । राजकु मार देवरथ अपने िम को इतना स देखकर ब त खुश था ।
मयूर वज मन ही मन कु छ राग बुदबुदाता आ एक छोटे बालक क भांित उछल
कू द करता ए वन म आगे बढ़ रहा था । कु छ देर चलने के बाद उसे वह प थर दखाई
दया । उसे दूर से ही सािव ी उस पर बैठी ई दखाई दी जो उसे ही देख रही थी ।
सािव ी भी नए व पहन कर पूरा ृंगार करके आई ई थी ।
अब मयूर वज ने बालक क तरह चलना छोड़ अपनी खुशी को काबू म करते ए
शालीनता से चल रहा था । सािव ी भी उस प थर पर िब कु ल शांत बैठी उसे िबना पलक
झपकाए देख रही थी । मयूर वज आगे बढ़ा और उसके पास जाकर बैठ गया । कु छ समय
तक दोन चुप रहे । सािव ी िबना िहले-डु ले एकटक उसे देख रही थी ।
कु छ समय बाद इस चु पी को तोड़ते ए मयूर वज ने कहा “म खुश ं क तुम यहां
मुझसे िमलने आई हो, देखा जाए तो िजस कार मने तु हारे साथ बताव कया था उसे
देखते ए मुझे लग रहा था क तुम शायद नह आओगी । और हां य द हो सके तो मुझे
उसके िलए मा कर देना । मुझे नह पता था क तुम पर या बीत रही थी । इस समय
मने एक अनुभव कया क चाहे कु छ भी हो ले कन म तु हारे िबना नह रह सकता ।”
कहकर मयूर वज क आंखे भीग गई । सािव ी क पीड़ा भरी आंख म भी आंसू आ
गए । कु छ समय तक इं तजार करने के बाद भ ने कहा “ या तुम कु छ नह कहोगी?”
सािव ी ने कु छ कहने का यास कया ले कन उसके ह ठ कांप रहे थे। उसे इस
समय ब त पीड़ा अनुभव हो रही थी फर भी उसने िह मत जुटाकर आंसू भरी आंख के
साथ कहा “च...चले... चले जाओ यहां से ।”
यह सुनते ही मयूर वज पर मानो पहाड़ टू ट पड़ा हो । अब वह अिधक समय तक
अपने आंसुओ को नह रोक पाया। आंसू उसक आंखो से छल कही गए ।
“ या तुम मुझसे अभी भी गु सा हो?” मयूर वज ने रोते ए पूछा ।
सािव ी कु छ कह ना सक ले कन उसक आंखो से अनवरत बहती अ ुधरा ने
t.me/HindiNovelsAndComics

सबकु छ कह दया । मयूर वज ने आगे िखसक कर उसे अपने सीने से लगा िलया । कु छ देर
रोने के बाद मयूर वज ने महसूस कया क उसके हाथ जो सािव ी क पीठ पर थे वो गीले
हो गए ह । उसने तुरंत अपने हाथो को ख चा और देखा तो उसके होश उड़ गए । उसक
आंखे फटी क फटी रह गई । उसके हाथ पूरे लाल हो गए थे । खून से सने हाथो को देखता
आ वह उठा और उसने सािव ी क पीठ को देखा । एक खंजर सािव ी क पीठ पर गड़ा
आ था ।
“चले जाओ यहां से,” सािव ी ने एक बार फर से कहा ।
मयूर वज के दमाग म हजार तरह क क ण भावना का बहाव एक साथ
िहलोरे मारने लगा । मयूर वज ने आसमान क तरफ चेहरा करके एक जोर से ची कार क
। उस ची कार क विन इतनी तेज थी क माधवगढ़ और रजतगढ़ म भी सुनाई दे रही थी
। मयूर वज को अब कु छ भी सुनाई नह दे रहा था । उसके दय क गित मानो थम सी गई
। आंखो के सामने अंधेरा छाने लगा । वह गहरे अंधकार म धंसता चला जा रहा था । फर
एक विन ने उसे इन सब से बाहर िनकाल दया । यह वह पायजेब क झनकार थी जब
उसने पहली बार सािव ी को गोद म उठाया था ।
उसका दय तो सामा य हो गया ले कन उसके हाथ पैर जम गए और वह वापस
बेहाल होकर उसी प थर पर सािव ी के पास बैठ गया । वह उससे ब त कु छ कहना चाह
रहा था ले कन उसक जुबान भी जम गई । ब त यास करने के बाद भी उससे एक श द
भी नह कहा गया । दोन एक दूसरे क पीड़ा को अनुभव कर रहे थे । उसी समय दूर पेड़
से नागेश क सेना ने उन दोन को घेर िलया और धीरे -धीरे उनके पास आने लगे ।
“चले जाओ यहां से,” सािव ी ने एक बार फर से कहा ।
मयूर वज समझ गया था क सािव ी उसक जान बचाने के िलए कह रही है
य क कु छ ही समय म नागेश क सेना उनके पास आ जाएगी । अब एकाएक मयूर वज
के शरीर म फु त आ गई । अब उसक जुबान और हाथ पैर भी सामा य हो गए ।
रोते ए मयूर वज कहने लगा “याद है जब तुम िवष के कारण बेहोश होकर उठी
थी और मुझसे पूछा था क य द म कभी नह उठती तो, और फर मने या कहा था, मने
कहा था क म भी तु हारे पास सो जाऊंगा हमेशा के िलए । और तुम ये भी जानती हो क
म एक राजकु मार ं और अपनी बात पर अड़ा र ग ं ा ।”
मयूर वज क बात सुन सािव ी फर से रो पड़ी । हालां क उसे रोने के कारण ब त
दद हो रहा था ले कन वह खुद को रोकने म असमथ थी । नागेश क सेना अब उनसे कु छ
ही दूरी पर थी । मयूर वज ने अपनी जेब से वो छोटी सी गद िनकाली जो अि ने उसे दी
थी ।
“हो सके तो मुझे माफ़ कर देना, पर तु तु हारे अंदर कु छ ह जो मेरा ह” कहकर मयूर वज
सािव ी के होठ पर चु बन लेने लगा ।
t.me/HindiNovelsAndComics

इस चु बन के कारण सािव ी के र म बहता आ िवष मयूर वज के शरीर म


बहने लगा । नागेश क सेना उनके पास आई और हमला करने ही वाली थी क उस गद क
शि से आसमान म एक िबजली कड़क और जमीन पर िगरकर उन सभी सैिनक को
जलाकर भ म कर दया ।
सूरज पूरा डू ब चुका था । मानो सुएय भी यह क ण दृ य देखकर िछप सा गया ।
आसमान अब भी ह का नारं गी था । उस प थर पर मयूर वज और सािव ी अपनी अंितम
सांसे ले रहे थे । दोन ने एक-दूसरे का हाथ कसकर पकड़ रखा था । अंितम सांस के समय
भी मयूर वज क कान म एक ही विन गूंज रही थी जो उसके दय म ठं डक प च ं ा रही
थी । वह पायजेब क खनक ।

कहानी जारी रहेगी...


t.me/HindiNovelsAndComics

ग ड़
पु तक-V

ज द आएगी...

You might also like