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सांवर सुरतिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

सांवर सुरतिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

अंखियां दीवाना हो गइल।

हमार अंखियां दीवाना हो गइल।।1।।

सांवर सुरतिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

एक तऽ तहरो अंखियां बड़का,

दोसरे ओहमें काजर लगावल।

तीसरे हई नज़रिया मिलावल,

अंखियां दीवाना हो गइल।।2।।

सांवर सरु तिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

एक तऽ तहरो अधर पातर,

दोसर एमें लाली लगावल।

तीसरा हई तहार मुस्की मारल,

अंखियां दीवाना हो गइल॥3।।


सांवर सुरतिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

एक तऽ तहरो हाथ कोमल,

दोसरे में बाजब


ु ंद बान्हल।

तीसरे हई धनुही चलावल,

अंखियां दीवाना हो गइल॥4।।

सांवर सुरतिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

एक तऽ तहरो पंउंवा सुकुवार,

दोसरे में धूरा लपिटाइल।

तीसरे हई अहिल्या के तारल,

अंखियां दीवाना हो गइल॥5।।

सांवर सरु तिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

एक तऽ तहरो भोग छप्पन,

दोसरे में माखन रोटी धइल।

तीसरे हई जूठ बइर खाइल,

अंखियां दीवाना हो गइल ॥6।।


सांवर सुरतिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

एक तऽ तहरा संगे सीता,

दोसरे में लछुमन खाड़।

तीसरे हई जिया में बसल,

अंखियां दीवाना हो गइल॥7।।

सांवर सुरतिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

एक तऽ तूं जगतपति हउवऽ,

दोसरे में करुनानिधान हमरो।

तीसरे हई जग के बंचावल,

अंखियां दीवाना हो गइल॥8।।

सांवर सरु तिया पर राघव,

अंखियां दीवाना हो गइल।

अंखियां दीवाना हो गइल,

सांवर सुरतिया पर राघव

हमार अंखियां दीवाना हो गइल।।9।।

राम प्रकाश तिवारी


(2)

गंउवा बोलावे जवरवा बोलावे

शहरिया ना अब मन भावे

रही रही गंउवा के इयाद आवे

अंगना के निमुआ बोलावे

दअ
ु रा के इनरा बोलावे

गंउवा बोलावे जवरवा बोलावे

शहरिया ना अब मन भावे

ओक्का बोक्का

तीन तलोका

दोल्हा-पाती चिक्का

इयाद सभ खेल आवे

अनसोहातो अंखियां भिंजावे

पल में हं सावे

पल में रोवावे

जब जब इयाद आवे

गंउवा बोलावे जवरवा बोलावे

शहरिया ना अब मन भावे
गंउवा में हमरा आजो चंदा

अंगनवा मोरा उतरी आवे

बबुआ बबुआ कही माई बोलावे

लंगड़ी साइकिल रमुवा चलावे

गांव भर के नउवा बोलावे

त अब सभ के छोड़ छाड़ के

शहरी नौकरी भागमभाग के

ठे ठबिहारी गंउवा भागे

गंउवा बोलावे जवरवा बोलावे

शहरिया ना अब मन भावे

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