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व गुका भाव

व ह का नाम सु
नकर अ सर लोग डर जाते ह। ह के व व का अथ वे अ न से लगाते
ह। ज म कु

डली म य द कोई
ह व हैतो लोग समझते ह क उनकेसाथ कु छ न कु छ बुर ा होता रहे
गा, ले
कन यह पू
ण स य नह है
। ज म कु

डली म य द
कोई ह अ छ थ त म बै ठा है
और वह व हो रहा है तो वह जातक को लाभ दे ता है
और य द कु

डली म कोई ह अ य
पाप ह सेयु हो या पाप ह क म हो तो बु
र ा भाव दे ता है।

आज हम बात कर रहे ह बृ
ह प त क । कसी जातक क ज म कुं
डली म य द बृ
ह प त व है तो समझो उसक क मत के
ार खुलेए ह। व बृ ह प त वालेजातक उन काय म भी सफल हो जातेह जनम सरे लोग असफल हो जातेह। ऐसे
लोग उस जगह से काय ारंभ करतेह जहां
अ य लोग नराश होकर काम बं
द कर दे
तेह। व बृ ह प त वाले
जातक म काय
करने क अ तु मता और साम य होती है।

व बृ
ह प त जातक को राजा भी बना सकता है

ऐसे य द कसी बंद ोजे ट म भी हाथ डाल तो वह दोगु


नी ग त सेारं
भ हो जाता हैऔर उ ह अपार लाभ दे
ता है

अ य शु
भ ह का साथ मले तो व बृ ह प त जातक को राजा भी बना सकता है। बात य द वभाव क कर तो व
बृ
ह प त जन लोग क कु ंडली म होता हैवेरदश और लोग को साथ ले कर चलने वालेहोते
ह। ऐसेलोग पहले से
भांप
जातेह क भ व य म उ ह कौन लाभ देगा और कससे धोखा मल सकता है ।

कसी केलए यह शु
भ और कसी केलए म त फल

इस लए वेपहले से
सचेत होकर उसी के
अनु
सार आगे
बढ़तेह। हालां
क व बृ
ह प त का अलग-अलग भाव म अलग-अलग
प रणाम होता है
। कसी भाव केलए यह शु
भ और कसी केलए म त फल देने
वाला होता है

ल न थान म व

थम भाव: बृ
ह प त थम भाव ल न थान म व हो तो व ान और वशे
ष पू
जनीय होता है
। व थ और सुं
दर शरीर
का मा लक होता है
। सावज नक जीवन म ऐसा ब त स मान ा त करता है
, ले
कन सरी ओर कई मामल म सही
याय करनेसे चू
क जाता है। अपने य के त प पाती हो जाता है
और सर के त ईमानदारी नह बरत पाता।

तीय भाव: व बृह प त तीय भाव म है तो लापरवाहीपूण खच करता है


। इ ह पै
तृक संप ा त होती इस लए
वह उसका मह व नह समझ पाता और अं धाधुध
ंखच करता है
। य द तीय भाव म व बृ ह प त के साथ शु हो तो
आलीशान जीवनशै ली, ल जरी घर और आभूषण का शौक न होता है
। बोलने
म कु
शल, वाकपटु , दानी और उदार होता है

प नी सेसु
ख मलता है ।

तृ
तीय भाव: जन जातक क कुंडली के
तीसरेघर म व बृ ह प त है
तो उसका मलाजुला भाव समझना चा हए। ऐसा
वयंके यास सेउ च पद तक प चंता है
। श ा के ेम ारं भ म लापरवाह कतुबाद म उ च तर तक प च
ंता
है
। धन सं
चय भी खू
ब करता है
, ले
कन अ य धक धन और उ च पद पर प चंतेही ये
अहंकारी हो जाते
ह और सर का
अपमान करते
ह। अ यायी हो जाते
ह।

प रवार और समाज

चतुथ भाव: चौथे


भाव म बै
ठा व बृ हपत को घमंडी बना दे
ता है
। ऐसा अपने प रवार और समाज के त
उदार नह रहता। सर के बारेपू
वा ह रखकर चलता है
और मन ही मन कई लोग से मनी पाल बै ठता है
। ये
लोग य द
अपना वहार बदल ल तो फर उनकेलए जीवन म कु छ भी पाना असंभव नह । धन, स मान, यश, क त हा सल कर सकते
ह।

पं
चम भाव: बृ
ह प त व होकर पं चम थान म बै ठा है
तो को अपने ब च के त अ धक लगाव नह होता। ऐसा
अपनी प नी केअलावा कई य से शारी रक सं
बंध बनाता है
। पं
चम व गुसं तानसुख म भी बाधक होता है।यद
पं
चम थान म बृह प त कुं
भ या कक रा श म हो तो को सं
तान नह होती। मीन म हो तो कम संत त होती है
। धनु
म हो
तो ब त क के बाद सं
तान होती है
। हालां
क पंचम थ व गुवाला अपने वग का मु खया, धनी व सरकारी ेम
भावशाली होता है

ष म भाव: छठेथान म व गुहै तो बलवाल, श शाली और श ु को परा त करने वाला होता है


। वसाय क
अपेा नौकरी म अ धक लाभ होता है
। ऐसे
लोग वा य वभाग म उ च पद तक प च ंतेह। छठेव गुवाले लोग वयंके
वा य के त लापरवाह होते
ह। ऐसे लोग लड े
शर, डाय बट ज, लवर सं
बं
धी रोग सेपी ़
डत होते
ह।

स तम भाव: स तम थ व वाले जातक का ववाह के बाद भा योदय होता है


। जीवनसाथी उ चकु ल, धनवान, परोपकारी
और सु ख देनेवाला मलता है। मे
ष, सह, मथु
न या धनुरा श म गुहो तो उ च श ा, कु
ंभ का गुहो तो पुसं तान क चता
रहती है। वृ
षभ, क या, कक, वृक या मीन रा श का गुहो तो अ यंत मह वाकांी होता हे
। तु
ला या मकर का गुहो
तो दो प नी या अ य ी से संबं
ध का सू
चक है।

अ म भाव: आठव घर म व गुहो तो तं-मं, कालेजा क नया का बादशाह बनता है


। ऐसे को घटना
म मृयुका भय रहता है
। अ म व गुशु भ ह के साथ बै
ठा हो तो को पैतृ
क धन ा त होता है
। ऐसा बड़ा
यो तषी, मंशा ी, व ान व धनवान बनता है

क त ा

नवम भाव: व बृ ह प त नवम थान म हो तो चार मंजला भवन या चार भवन का वामी होता है। राजा तथा सरकार
केउ चा धका रय सेघ न ता होती है
। ऐसे धमभी भी दे खेगए ह। अपनी मनपसंद बात न हो तो ऐसे ज द
ो धत हो जाते
ह और अपनी मन क करने केलए कुछ भी कर जाते
ह।
दशम भाव: दशम व गुवाले क त ा अपनेपता, दादा सेयादा होती है
। ऐसा धनी और राजा का य
होता है
। सरी हो दशम भाव म व गुवाले
जातक क व भ वरोधी ग त व धयां इनकेवकास म बाधक होती है
। गै

ज मेदारी पू
ण हरकत और कमजोर नणय मता के
कारण येकई मौकेगं
वा बैठते ह।

एकादश भाव: 11व भाव म व गुहो तो लगातार आगे बढ़ने


का यास करता है
, ले
कन अपनेसेन न वग के
लोग
सेम ता के कारण इनका जीवन तर सामा य ही बना रहता है
। ऐसे य क सोच भी छोट होती है
। शराबी, सनी लोग
सेदो ती के
कारण येधन भी बबाद करतेह।

ादश भाव: 12व भाव म व गुवाले जातक शुभ काय म पै


सा लगाते
ह। इनके
गुतश ुसदा इ ह बदनाम करने
का
यास करते रहते
ह, लेकन इनक र ा होती है
। इ ह आगे
बढ़नेके कई अवसर आतेह ले
कन अवसर को नह पहचान पाने
केलए कारण मौके हाथ से
छूट जाते
ह।

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