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2/28/2021

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भा कराचाय का जीवन प रचय -


Bhaskaracharya Biography in Hindi
1

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ू 2019

Bhaskaracharya Biography in Hindi

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2/28/2021

आज हम आपके लए भा कराचाय का जीवन प रचय Bhaskaracharya Biography in Hindi लेकर आए ह। इसे आप भा कराचाय वतीय क

जीवनी Bhaskaracharya in Hindi भी कह सकते ह। स पण


ू व व म उनक गनती महान ग णत Greatest Mathematicians के प म

होती है । उ ह ने ग णत, ह और यो तष स बंधी मह वपण


ू थापनाएं द ह। हम उ मीद है क भा कराचाय का जीवन प रचय

Bhaskaracharya Biography in Hindi आपको पसंद आएगा।

भा कराचाय वतीय क जीवनी - Bhaskaracharya in Hindi


भारतीय इ तहास म भा कराचाय नामक दो व वान क चचा मलती है , िज ह भा कराचाय थम (Bhāskara i ) एवं
भा कराचाय वतीय ( Bhāskara ii ) के नाम से जाना जाता है । जहाँ तक भा कराचाय थम क बात है वे दशन
तथा  वेदा त के ाता थे। उनका ज म ईसा बाद 9वीं शता द म हुआ था।  जब क भा कराचाय वतीय एक ग णत
एवं खगोल शा के व वान थे। जब क भा कराचाय वतीय एक भारतीय ग णत Indian Mathematician एवं
खगोल शा के व वान थे। यहाँ पर भा कराचाय वतीय क जीवनी Bhaskaracharya in Hindi के बारे म व तार
से चचा क गयी है ।

भा कराचाय का ज म Bhaskaracharya Date of Birth

ाचीन भारत के अ य व वान क तरह ग णत भा कराचाय ( Bhaskaracharya mathematician ) के बारे म भी


यादा जानकार उपल ध नह ं है । उ ह ने अपने मख
ु थ ‘ स ा त शरोम ण’ म अपने बारे म लखा है क उनका
ज म शक-संवत 1036 म हुआ था और उ ह ने 36 वष क आयु म इस थ क रचना क है । शक-संवत ईसवी सन से
78 वष ाचीन है । इस कार 1036 म 78 वष जोड़ने पर उनका ज म वष 1114 ईसवी ठहरता है । भा कराचाय ने
अपने ज म थान के बारे म लखा है क उनका ज म स या पवत- दे श म ि थत व जड वड नामक गाँव म हुआ
था। स या पवत महारा म ि थत है , क तु उनका गाँव व जड वड महारा के कस िजले म ि थत है , यह ात
नह ं हो सका है ।

Read: Aryabhata Biography in Hindi

भा कराचाय के पता महे वराचाय एक उ च को ट के ग णत ( Great Mathematician of India ) थे। उनके भाव
से ह भा कराचाय क ग णत म च जागत
ृ हुई। ा त जानकार के अनस
ु ार भा कराचाय का काय े उ जैन माना
जाता है । म य दे श ि थत इस थान पर उ ह ने व या का अ ययन कया और वह ं पर रहकर अपने थ क रचना
क । कुछ व वान का मत है क भा कराचाय उ जैन ि थत यो तषीय वेधशाला के धान थे और वह ं पर रहकर
उ ह ने अपने थ का णयन कया।

आमतौर से यह दे खने म आता रहा है क ाचीनकाल के व वान कसी राज-दरबार के संर ण म रहकर अपना
रचनाकम कया करते थे। इस कारण वे अपनी कृ तय म अपने संर क क मु त कंठ से शंसा भी कया करते थे।
क तु भा कराचाय के थ म इस तरह का कोई वणन नह ं मलता है । इससे तीत होता है क भा कराचाय वतं
कृ त के व वान थे और बना कसी राजा क सहायता के अपना अनस
ु ंधान काय करने म च रखते थे।

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भा कराचाय क कृ तयाँ Bhāskara ii Books

भा कराचाय वतीय क जीवनी Bhaskaracharya Biography in Hindi म उनक कृ त ‘ स ाँत शरोम ण’


(Siddhanta shiromani) का वशेष मह व है । ‘ स ाँत शरोम ण’ म भा कराचाय ने ग णत और खगोल व ान के
स ाँत क चचा है । इस थ क रचना उ ह ने 36 वष क आयु म वष 1150 ई0 म क थी। यह थ प य म है और
सं कृत भाषा म रचा गया है । उस समय तक दे श म ांतीय भाषाओं का ज म हो चक
ु ा था और सं कृत सफ व वत
समाज म ह योग म लाई जाती थी। ले कन इसके बावजद
ू भा कराचाय ने अपने थ क रचना सं कृत म क ।
सं कृत म होने के कारण यह पु तक इतनी गूढ़ मानी जाती थी क हर कसी के लए उसे समझना टे ढ़ खीर था। इसी
कारण उनके समय म कुछ व वान यह कहने लगे थे क ‘ स ाँत शरोम ण’ को या तो वयं भा कराचाय समझ सकते
ह या फर सर वती। भा कराचाय को भी जब इस बात का एहसास हुआ, तो उ ह ने वयं अपने थ क एक आसान
ट का तैयार क और उसका नाम दया ‘वासना भा य’।

स ाँत शरोम ण (Siddhanta Shiromani Book)

ग णत भा कराचाय ( Bhaskara mathematician ) वारा र चत स ाँत शरोम ण (Siddhānta shiromani)


एक वह
ृ द थ है , िजसे चार पु तक म बाँटा गया है । इन पु तक के नाम ह: पाट ग णत या ल लावती, बीजग णत,
गोला याय और हग णत। पाट ग णत म भा कराचाय ने सं या णाल , शू य, भ न, े म त आ द वषय पर
काश डाला है । ये सू हाई कूल क क ाओं म पढ़ाए जाते ह। पाट ग णत पु तक ‘ल लावती’ ( Lilavati book of
mathematics ) के नाम से भी जानी जाती है । यह पु तक ल लावती नामक ी को स बो धत है ।

‘ स ाँत शरोम ण’ के दस
ू रे ख ड का नाम बीज ग णत है । भा कराचाय ने
बीजग णत को ‘अ य त ग णत’ के प म स बो धत कया है । चँ ू क
बीजग णत क गणना अ ात अथवा अ य त रा शय के वारा क जाती
है , इसी लए ाचीन काल म इसे अ य त ग णत कहा जाता था। हम
जानते ह क बीजग णत म इन अ ात रा शय के लए , य जैसे अ र
का योग होता है । ाचीन काल म इ ह ‘यावत ्-तावत ्’ कहकर स बो धत
कया जाता था तथा लेखन म इनके लए ‘या’ का योग होता था।
भा कराचाय ने अपनी इस पु तक म धना मक तथा ऋणा मक रा शय
क चचा क है । उ ह ने सव थम यह बताया क दो ऋणा मक सं याओं के
गुणनफल का मान धना मक होता है । उ ह ने कहा क कसी एक
ऋणा मक सं या म दस
ू र ऋणा मक सं या से भाग दे ने पर जो भागफल
ा त होगा, वह धना मक होगा। उ ह ने बताया क धना मक सं या म
ऋणा मक सं या से गुणा करने पर गुणनफल का मान ऋणा मक होगा
तथा धना मक सं या म ऋणा मक सं या से भाग दे ने पर भागफल का मान ऋणा मक होगा।

भा कराचाय ने इसी ख ड म शू य एवं अन त के बारे म चचा मलती है । उनके अनस


ु ार कसी सं या म शू य से भाग
दे ने पर भागफल का मान अन त होगा। उ ह ने अन त क चचा करते हुए उसे ‘ख-हर’ नाम दया। यहाँ पर ‘ख’ का
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ता पय शू य से है । उ ह ने बताया क िजस सं या के हर थान म शू य हो, वह सं या अन त अथात ‘ख-हर’ होगी।

गोला याय नामक ख ड म भा कराचाय ने ह क ग तय तथा यो तष स ब धी य क काय णाल क चचा क


है । उ ह ने इस अ याय म उन य का भी वणन कया है , िजनके वारा वे खगोल य पयवे ण को स प न करते थे।
इसके अ त र त उ ह ने इस ख ड म खगोल व ान से स बं धत अनेक नयम का भी तपादन कया है ।

भा कराचाय ने इसी भाग म गु वाकषण क चचा है । ल लावती उनसे पछ


ू ती है : ‘यह प ृ वी, िजस पर हम नवास करते
ह, कस पर टक हुई है ?’ ल लावती के इस न के जवाब म भा कराचाय  ने कहा, ‘बाले, कुछ लोग यह कहते ह क यह
प ृ वी शेषनाग, कछुआ, हाथी या अ य कसी व तु पर टक है । वे लोग गलत कहते ह। य क य द यह मान लया
जाए क प ृ वी कसी व तु पर टक हुई है तो यहाँ पर यह न उठता है क वह व तु कसपर टक हुई है ? इस कार
कारण का कारण और फर उसका कारण... यह म कभी समा त नह ं होगा।

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यह सन
ु कर ल लावती बोल - ‘ले कन फर भी यह न बना रहता है क प ृ वी कस चीज पर टक है ?’ इसपर
भा कराचाय ने कहा, ‘हम यह य नह ं मान सकते क प ृ वी कसी भी व तु पर नह ं टक है ? ...य द हम यह कह क
प ृ वी वयं के बल से टक है और इसे धारणाि मका शि त कह द तो इसम या दोष है ? अपनी इस बात के समथन म
भा कराचाय ने व तओ
ु ं क शि त क ववेचना क है :

म लो भरू चला वभावतो यतो, व च ावतव तु श य:।।


( स ाँत शरोम ण गोला याय-भव
ु नकोश-5)
आकृि टशि त च मह तया यत ् ख थं, गु वा भमख
ु ं वश त या।
आकृ यते त पततीव भा त, समेसम तात ् व पति वयं खे।।
( स ाँत शरोम ण गोला याय-भव
ु नकोश-6)

(अथात ् प ृ वी म वयं क आकषण शि त है । वह अपनी आकषण शि त से पदाथ को अपनी ओर खींचती है । इसी


आकषण के कारण वह धरती पर गरते ह। पर जब आकाश म ( व भ न ह के वारा) समान ताकत चार ओर से लगे,
तो कोई कैसे गरे ? अथात ् आकाश म ह नरावल ब रहते ह य क आकश म ि थत सभी ह क गु व शि तयाँ
आपस म संतल
ु न बनाए रखती ह।)

इससे प ट है क भा कराचाय ने यट
ू न से 550 वष पव
ू गु वाकषण के बारे म बता दया था। य द उनके इस स ाँत
क ठ क ढ़ं ग से या या क जाती और उसका चार- सार होता, तो यह स ाँत भा कराचाय के नाम से जाना जाता।

स ा त शरोम ण के हग णत नामक ख ड म भा कराचाय ने ह के बीच क सापे क ग त तथा ह क नरपे


ग त क चचा है । इसके साथ ह साथ उ ह ने इस पु तक म काल, दशा तथा थान स ब धी ब दओ
ु ं पर भी काश
डाला है । इसके अ त र त उ ह ने सय
ू हण, च हण इ या द वषय क भी चचा क है ।

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भा कराचाय और ल लावती Bhaskaracharya Lilavati

भा कराचाय क पाट ग णत पु तक ‘ल लावती’ ( Lilavati book of mathematics ) के नाम से भी जानी जाती है ।


यह पु तक ल लावती नामक ी को स बो धत है ।  भा कराचाय ने अपनी पु तक म कह ं पर ल लावती को ‘सखी’
कहकर स बो धत करते ह, कह ं ‘ ये’ तो कह ं ‘बाले’। इससे कह ं भी यह पता नह ं चलता है क ल लावती से उनका या
स बंध था?

ल लावती र ते म उनक पु ी थी अथवा े मका? इस स बंध म सं कृत के अ य ाचीन थ भी चप


ु ह। ले कन दे खने
म यह आया है क बाद के व वान ने ल लावती को भा कराचाय क पु ी के प म च त कया है । भा कराचाय का
जीवन प रचय Bhaskaracharya Biography in Hindi पढते समय पता चलता है क अकबर के दरबार क व फैजी ने
जब ‘ल लावती’ का फारसी म अनव
ु ाद कया, तो उ ह ने ल लावती को उनक पु ी बताया। यह नह ं उ ह ने ल लावती
का एक रोचक क सा भी अपने थ म जोड़ दया। वह क सा कुछ इस कार है :

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ल लावती के ज म के समय भा कराचाय को पता चला क उसका वैवा हक जीवन क ट द होगा। इससे वे चं तत हो
गये। उ ह ने अपनी गणनाओं से यह न कष नकाला क य द लालावती क शाद एक खास मह
ु ु त पर क जाए, तो इस
ि थ त को बदला जा सकता है । उस शभ
ु मह
ु ु त को याद रखने के लए उ ह ने एक जलघड़ी बनाई। उसम एक नि चत
मा ा म पानी भरने के बाद उसे एक सरु त थान पर रख दया। बीच म अचानक भा कराचाय को कह ं जाना पड़ा।
ल लावती िज ासावश उस जलघड़ी को दे खने लगी। उसी दौरान उसके हाथ से फसलकर एक म ण जलघड़ी म गर
गयी। इससे जलघड़ी म बना पानी टपकने वाला छ बंद हो गया और भा कराचाय वारा नकाले गये मह
ु ुत म
ल लावती क शाद नह ं हो सक । इससे भा कराचाय बहुत द:ु खी हुए। उसी ण उ ह ने यह न चय कया क वह
अपनी पु ी को ह-न क ग तय को समझने वाल व या सखाएँगे। त प चात उ ह ने ल लावती को उस गढ़ ू
व या का ान दया और उन सार बात को संक लत करके ‘ल लावती थ' ( Lilavati book ) क रचना क ।

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फैजी के लखने के बाद यह क सा इतना लोक य हो गया क ल लावती को उनक पु ी के प म जाना जाने लगा।
जब क भा कराचाय क पु तक म इस बात का कोई िज नह ं मलता है । इससे पता चलता है क यह क सा परू तरह
कपोल कि पत है और इसका वा त वकता से कोई स बंध नह ं है ।

महाभा कर य (Mahabhaskariya Book)

भा कराचाय Bhaskaracharya Biography in Hindi क एक अ य मख


ु कृ त है महाभा कर य, िजसम उ ह ने
आयभट य के खगोल व या स बंधी अ याय क व तत
ृ या या तत
ु क है । एस.एन. सेन वारा र चत पु तक ‘ए
कंसाइज ह ऑफ साइंस इन इं डया’ के अनस
ु ार इस पु तक म कुल आठ अ याय ह। भा कराचाय ने इस पु तक म
मु य प से न न वषय पर चचा क गई है ः 
1. ह के म य के रे खाँश एवं अ नधाय व लेषण। 
2. रे खाँश संशोधन। 
3. समय, थान, दशा, गोल य कोण म त, शर एवं चं हण। 
4. ह के वा त वक रे खाँश। 
5. सय
ू एवं चं हण। 
6. ह का उदय-अ त एवं यु त। 
7. खगोल य नयताँक। 
8. त थ एवं व वध उदाहरण।

आयभट (Aryabhatt) ने जहाँ खगोल व ान से स बं धत अ नधाय व लेषण के नयम का नधारण कया, वह ं


भा कराचाय ने उ ह व तत
ृ प दे ते हुए खगो लक य अनु योग के लए लागू भी कया। भा कर ने अपनी मख

कृ तय का एक सं त सं करण भी तैयार कया, जो ‘लघभ
ु ा कर य’ के नाम से स है ।

करण-कुतह
ू ल (Karan Kutuhal Book)

भा कराचाय के स ाँत शरोम ण म फ लत यो तष क कोई चचा नह ं है ( फरभी बहुत से लोग उनके नाम से च लत
भा कर हारो कोप bhaskar horoscope का उपयोग करते पाए जाते ह।)। अपनी उ के अि तम पड़ाव म उ ह ने 68
वष क आयु म ‘करण-कुतह
ु ल’ नामक पु तक क रचना क । इस पु तक म उ ह ने पंचाँग बनाने के तर के समझाए थे।
इसे ‘कारण थ’ भी कहा जाता है । चँ ू क पंचाँग के साथ ह फ लत यो तष भी जड़
ु ा हुआ है , इसी लए यो तष के े
म भी उ ह इस पु तक के कारण स मानपव
ू क याद कया जाता है ।

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भा कराचाय अपनी थापनाओं और स ाँत के कारण सारे व व म सराहे गये। उनक रचनाओं का सबसे पहला
अनव
ु ाद अकबर के दरबार फैजी ने कया था। उ ह ने 1587 म ‘ल लावती’ का फारसी म अनव
ु ाद कया। लालावती के
अनवु ाद को पढ़कर मग
ु ल बादशाह शाहजहाँ बहुत स न हुआ। उसने अपने दरबार अताउ लाह रसीद से 1634 म
भा कराचाय के ‘बीजग णत’ का फारसी म अनव ु ाद कराया। ई ट इि डया कंपनी के एक अ धकार एडवड ै ची को

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कह ं से ‘बीजग णत’ के फारसी अनव


ु ाद क जब त मल , तो वह उससे बहुत भा वत हुआ और उसने उस पु तक का
1816 म अं ेजी म अनव
ु ाद कया। बाद म हे नर थॉमस कोल क ु नामक एक अ य अं ेज  ने 1817 म ‘ल लावती’ तथा
‘बीजग णत’ का सीधा सं कृत से अं ेजी म अनव
ु ाद कया।

भा कराचाय के पु ल मीधर भी अपने पता क तरह ग णत एवं खगोल शा के व वान थे। ले कन वे अपने पता
क तरह न तो इतनी मह वप
ू ण
ू थापनाएँ दे पाए और न ह उनका इतना नाम ह हुआ। वा तव म उस कालख ड म
फर भारत क धरती पर भा कराचाय जैसा कोई व वान उ प न नह ं हुआ। यह कारण है क वे ाचीन भारत के
अि तम वै ा नक के प म याद कये जाते ह।

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