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गज केसरी योग

वैदिक ज्योतिष में गज केसरी योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कंु डली में बह
ृ स्पति चंद्रमा से केंद्र में हों
अर्थात चंद्रमा से गिनने पर यदि बह
ृ स्पति 1, 4, 7 अथवा 10 वें घर में स्थित हों तो ऐसी कंु डली में गज केसरी योग
बनता है जो जातक को व्यवसायिक सफलता, ख्याति, धन, संपति तथा अन्य शुभ फल प्रदान कर सकता है । जैसा कि
हम जानते हैं कि प्रत्येक कंु डली में केवल 12 घर होते हैं तथा बह
ृ स्पति को इन 12 घरों में से ही किसी एक घर में
स्थित होना होता है तो इस प्रकार चंद्रमा से गिनने पर 1, 4, 7 अथवा 10 वें घर में बह
ृ स्पति के स्थित होने से अर्थात
कंु डली के 12 घरों में से किन्हीं विशेष 4 घरों में से एक घर में बह
ृ स्पति के स्थित होने से कंु डली में गज केसरी योग
का निर्माण होता है जिसका अभिप्राय यह बनता है कि प्रत्येक तीसरे व्यक्ति की कंु डली में गज केसरी योग बनता है
क्योंकि कंु डली के 12 घरों में से किन्हीं 4 घरों में से एक घर में बह
ृ स्पति के स्थित होने की संभावना हर तीसरी कंु डली
में बनती है । एक अन्य तथ्य पर विचार करें तो जैसा कि हम जानते हैं कि बह
ृ स्पति एक राशि में लगभग एक वर्ष तक
रहते हैं तथा चन्द्रमा एक राशि में लगभग अढ़ाई दिन तक रहते हैं तथा गज केसरी योग का निर्णय चन्द्रमा की राशि से
बह
ृ स्पति की राशि के बीच की दरू ी से लिया जाता है । इस प्रकार गज केसरी योग एक बार बनने के पश्चात लगभग 2-3
दिन तक सक्रिय रहता है तथा इस अवधि में संसार भर में जन्म लेने वाले सभी के सभी लाखों जातकों की कंु डली में
गज केसरी योग बनता है ।

                उदाहरण के लिए यदि बह


ृ स्पति किसी समय विशेष में मेष राशि में गोचर कर रहे हैं अथवा मेष राशि
में स्थित हैं तो इस राशि में बह
ृ स्पति एक वर्ष तक रहें गे तथा इस एक वर्ष के बीच जब जब चन्द्रमा मेष, कर्क , तुला
अथवा मकर में गोचर करें गे, जो इनमें से प्रत्येक राशि में लगभग 2-3 दिन तक रहें गे, तो इस अवधि में जन्म लेने वाले
सभी जातकों की कंु डली में गज केसरी योग बनेगा क्योंकि चन्द्रमा के उपरोक्त चारों राशियों में से किसी भी राशि में
स्थित होने से मेष राशि में स्थित बह
ृ स्पति प्रत्येक कंु डली में चन्द्रमा से गिनने पर केंद्र में ही आएंगे। इस प्रकार यह
सिद्ध हो जाता है कि अपनी प्रचलित परिभाषा के अनुसार गज केसरी योग प्रत्येक तीसरी कंु डली में बनता है तथा एक
बार आकाश में उदय होने के पश्चात यह योग लगभग 2-3 तक उदय ही रहता है । इन दोनों में से कोई भी तथ्य
व्यवहारिक रूप से सत्य नहीं हो सकता क्योंकि गज केसरी जैसा शभ
ु फल दायक योग दर्ल
ु भ होता है तथा प्रत्येक तीसरे
व्यक्ति की कंु डली में नहीं बन सकता तथा कोई भी दर्ल
ु भ योग बहुत कम समय के लिए ही आकाश में उदित होता है
तथा ऐसे योग सामान्यतया कुछ घंटों या फिर कुछ बार तो कुछ मिनटों में ही उदय होकर विलीन भी हो जाते हैं फिर 2-
3 दिन तो बहुत लंबा समय है । इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि गज केसरी योग की परिचलित परिभाषा में बताई
गई शर्त इस योग के किसी कंु डली में निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं है तथा इस योग के किसी कंु डली मे बनने के लिए
कुछ अन्य शर्तें भी आवश्यक होंगीं। 
                किसी कंु डली में किसी भी शुभ योग के बनने के लिए यह आवश्यक है कि उस योग का निर्माण
करने वाले सभी ग्रह कंु डली में शुभ रूप से काम कर रहे हों क्योंकि अशुभ ग्रह शुभ योगों का निर्माण नहीं करते अपितु
अशभ
ु योगों अथवा दोषों का निर्माण करते हैं। इसी आधार पर यह कहा जा सकता है कि किसी कंु डली में गज केसरी
योग के निर्माण के लिए कंु डली में बह
ृ स्पति तथा चंद्रमा दोनों का ही शुभ होना आवश्यक है तथा इन दोनों में से किसी
भी एक ग्रह के अथवा दोनों के ही किसी कंु डली में अशुभ होने पर उस कंु डली में गज केसरी योग नहीं बन सकता बल्कि
इस प्रकार के अशुभ बह
ृ स्पति तथा चन्द्रमा के संयोग से कंु डली में कोई अशुभ योग बन सकता है । उदाहरण के लिए यदि
किसी कंु डली में शुभ चन्द्रमा अशुभ गुरु के साथ एक ही घर में स्थित हैं तो इस स्थिति में कंु डली में गज केसरी योग
नहीं बनेगा बल्कि शभ
ु चन्द्रमा के साथ अशभ
ु गरु
ु के बैठने से चन्द्रमा को दोष लग जाएगा जिसके कारण जातक को
चन्द्रमा की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है तथा इसी प्रकार किसी कंु डली में शुभ गुरू का
अशुभ चन्द्रमा के साथ केन्द्रिय संबंध होने पर भी कंु डली में गज केसरी योग नहीं बनता बल्कि शुभ गुरू को अशुभ
चन्द्रमा के कारण दोष लग सकता है जिससे जातक को गरु
ु की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती
है । किसी कंु डली में सबसे बरु ी स्थिति तब पैदा हो सकती है जब कंु डली में गुरु तथा चन्द्रमा दोनों ही अशुभ हों तथा
इनमें परस्पर केन्द्रिय संबंध बनता हो क्योंकि इस स्थिति में गुरु चन्द्रमा का यह संयोग कंु डली में गज केसरी योग न
बना कर भयंकर दोष बनाएगा जिसके कारण जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत हानि उठानी पड़ सकती
है ।
            इसलिए किसी कंु डली में गज केसरी योग के निर्माण का निश्चय करने से पहले कंु डली में चन्द्रमा तथा
गरु
ु दोनों के स्वभाव का भली भांति निरीक्षण कर लेना चाहिए तथा दोनों के शभ
ु होने पर ही इनका संयोग कंु डली में
होने पर गज केसरी योग का निश्चय करना चाहिए। यहां पर यह बात ध्यान रखने योग्य है कि किसी कंु डली में वास्तव
में गज केसरी योग बन जाने पर भी इस योग से ज ुड़े सभी उत्तम फल जातक कों मिल हीं जाएं, ऐसा आवश्यक नहीं
क्योंकि विभिन्न कंु डलियों में बनने वाला गज केसरी योग कंु डलियों में उपस्थित अनेक तथ्यों तथा संयोगो के कारण
भिन्न भिन्न प्रकार के फल दे सकता है । उदाहरण के लिए किसी कंु डली में शुभ चन्द्रमा तथा शुभ गुरु के कर्क राशि में
स्थित होने पर बनने वाला गज केसरी योग उत्त्म फलदायी हो सकता है जबकि किसी कंु डली में शभ
ु चन्द्रमा तथा शभ

गुरु के वश्चि
ृ क अथवा मकर राशि में स्थित होने से बनने वाला गज केसरी योग उतना अधिक फलदायी नहीं होता
क्योंकि वश्चि
ृ क में स्थित होने से चन्द्रमा बलहीन हो जाते हैं तथा मकर में स्थित होने से गुरु बलहीन हो जाते हैं
जिसके कारण इस संयोग से बनने वाला गज केसरी योग भी अधिक बलशाली नहीं होता। इसी प्रकार किसी कंु डली में
शुभ चन्द्रमा तथा शुभ गुरु के एक ही घर में स्थित होने पर बनने वाला गज केसरी योग ऐसे चन्द्रमा तथा गुरु के
परस्पर सातवें घरों में स्थित होने से बनने वाले गज केसरी योग की तुलना में अधिक प्रभावशाली होगा जो अपने आप
में ऐसे चन्द्रमा तथा गुरु के परस्पर चौथे तथा दसवें घर में स्थित होने से बनने वाले गज केसरी योग की तुलना में
अधिक प्रभावशाली होगा। इसके अतिरिक्त किसी कंु डली में चन्द्रमा तथा गुरु पर अन्य शुभ अथवा अशुभ ग्रहों का प्रभाव,
कंु डली में बनने वाले अन्य शभ
ु अशभ
ु योगों का प्रभाव तथा अन्य कुछ महत्वपर्ण
ू तथ्यों के चलते भी विभिन्न कंु डलियों
में बनने वाले गज केसरी योग का फल बहुत भिन्न हो सकता है ।
             इसलिए गज केसरी योग के किसी कंु डली में बनने तथा इसके शुभ फलों से संबंधित निर्णय करने से
पहले इस योग के निर्माण तथा फलादे श से संबंधित सभी महत्वपर्ण
ू तथ्यों पर भली भांति विचार कर लेना चाहिए तथा
उसके पश्चात ही किसी कंु डली में इस योग के बनने का तथा इसके शुभ फलों का निर्णय करना चाहिए।

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