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Sansar Ek Pusthak Hai
Sansar Ek Pusthak Hai
*शब्द -अर्थ :-
१.अक्सर - प्राय:
२.इरादा -विचार
५.गढ़ना -बनाना
६.दररया -नदी
७.पेंदे -सतह
९.ज़राथ -कण
१०.िरौंदे -विट्टी का िर
*प्रश्न-उत्तर (संक्षप
े िें )
प्र१:-लेखक ने ‘प्रकृ वत के अक्षर’ ककन्हें कहा है ?
उ१:- लेखक ने पत्र्रों के टु कड़ों ,पहाड़ों ,सिु द्रों नकदयों ,जंगलों और जानिरों
की हवियों आकद को प्रकृ वत के अक्षर कहा है I
उ२:-लाखों-करोड़ों िर्थ पहले हिारी धरती बहुत गरि र्ी I उस सिय यहााँ
ककसी भी जीि का कोई अवस्तत्ि नहीं र्ा क्योंकक इतनी गरिी िें कोई प्राणी
जीवित नहीं रह सकता र्ा I
उ३:-दुवनया का हाल जानने के वलए दुवनया के सभी देशों और यहााँ बसी सभी
जावतयों का ध्यान रखना पड़े गा I
उ२:- पुराने ज़िाने की बात यकद हि बैठे-बैठे सोचने लगें तो कोई न कोई
िनगढ़ंत कहानी ज़रूर बन जाएगी I हिें जो अच्छा लगेगा हि िही सोच लेंगे I
हो सकता है हि सुन्दर पररयों और भयानक राक्षसों की कर्ा सोच लें परन्तु
वबना देखे -जाने ककसी बात की कल्पना करना गलत होता है ,क्योंकक ऐसी
बातों का न कोई तथ्य होता है ,न आधार I
*िाक्य बनाइए:-
१.आबाद :-
२.शौक:-
३.इवतहास :-
४.िरौंदा :-
५.पृष्ठ:-