You are on page 1of 3

मोहनजोदड़ो का इितहास

मोहनजोदड़ो का मतलब है मुद का टीला, दि ण एिशया म बसे इस शहर को सबसे


पुराना शहर माना जाता है , इतने साल पहले बने इस शहर को इतने व थत ढं ग से
बनाया गया है , िक िजसकी क ना भी हम नहीं कर सकते है . पािक ान के िसंध म
2600 BC के आस पास इसका िनमाण आ था. खुदाई के दौरान इस शहर के बारे म
लोगों को जानकारी इ, इसम बड़ी बड़ी इमारत, जल कुंड, मजबूत िदवार वाले घर,
सुंदर िच कारी, िम ी व धातु के बतन, मु ाएँ , मूितयाँ , ईट, तराशे ए प र और भी
ब त सी चीज िमली. िजससे ये पता चलता है िक यहाँ एक व थत शहर बना आ
था, जैसे हम आज रहते है वैसे ही वे लोग भी घरों म रहते थे, खेती िकया करते थे.
िमटटी के नीचे दबे इस रह को जानने के ब त से लोग उ ािहत है , इस पर कई बार
खुदाई का काम शु आ और बंद आ है . कहा जाये तो अभी िसफ एक ितहाई भाग
की ही खुदाई ई है . ये शहर 200 है े यर े म बसा आ है . इस ाचीन स ता के
िलए पािक ान को एक नेशनल आइकॉन माना जाता है .

1856 म एक अं ेज इं िजिनयर ने रे लरोड बनाते समय इस ाचीन स ता को खोज


िनकाला था. रे लवे टै क बनाने के िलए ये इं िजिनयर प रों की तलाश कर रहा है , िजससे
वो िग ी बना सके. यहाँ उ ब त मजबूत और पुराने ईट िमली, जो िब ु ल आज की
ईट की तरह बनी ई थी. वहां के एक आदमी ने बताया िक सबके घर इ ी ईटो से बने
है जो उ खुदाई म िमलते है , तब इं िजिनयर समझ गया िक ये जगह िकसी ाचीन
शहर के इितहास से जुड़ी है . इस इं िजिनयर को सबसे पहले िस ु नदी के पास बसे इस
सबसे पुरानी स ता के बारे म पता चला था, इसिलए इसे िस ु घाटी की स ता कहा
गया. इस ाचीन स ता के समय एक और ाचीन स ता भी थी जो Egypt, ीस म
थी, ये बात पुरात वे ाओं के ारा कही गई है . िस ु घाटी की स ता 2600 BC से
3000 BC तक रही थी. इस ाचीन स ता म कुछ अबन सटर थे, जो है
मोहनजोदड़ो, ह पा, लोथल, कालीबंगन, धोलावीरा, र खगाथ . मोहनजोदड़ो इन सबम
सबसे अि म शहर था, उस समय ये सबसे बड़ा व व थत शहर माना जाता था.
इसिलए पुराता क ने इसकी सबसे पहले खोज शु की व इसके बारे म अिधक
जानकारी इ ठी करी. इसके बाद ह ापा ऐसा शहर था, जो व थत था व िजसको
अि म ढं ग से बनाया गया था.

मोहनजोदड़ो को दे ख ऐसा लगता है , िक ये शहर िकसी सफल िसिवल इं िजिनयर ने


बनाया है , लेिकन इसे अबन कारीगर ने बनाया था. 1900 BC म जब अचानक िस ु
स ता का पतन हो गया, तब मोहनजोदड़ो भी िमट गया. इन शहरों म रहने वालो का
तो पता नहीं, लेिकन इ दे ख ऐसा लगता है , िक पूरी ािनंग करके इनका िनमाण
िकया गया था. हर के चारों ओर ईट की मोती िदवार थी, जो र ा के िलए बनाई गई
थी. इसके साथ ही पता लगाया गया, िक कुछ लोग ईट के घरों म रहते थे, जो 3-3
मंिजल के बने ए थे. कुछ घरों म बाथ म भी थे, िजसम पानी िनकास के िलए नािलयाँ
भी थी. दु िनया म पहली नाली का िनमाण यही से आ. पुरात के अनुसार लोग खेती
भी िकया करते थे, उ गे ं चावल उगाना आता था. वे लोग जानवर भी पाला करते थे.

मोहनजोदड़ो की खोज िकसने की

1922 म राखालदास बेनज जो पुरात सव ण के सद थे पािक ान म िस ु नदी


के पास म खुदाई का काम िकया था. उ बु का ूप सबसे पहले िदखाई िदया.
िजसके बाद आशंका जताई गई िक यहाँ नीचे कुछ इितहास दबा आ है . इस खोज को
आगे बढ़ाते ए 1924 म काशीनाथ नारायण व 1925 म जॉन माशल ने खुदाई का
काम करवाया. 1965 तक इसे भारत के अलग अलग लोगों की कमां ड म करवाया
गया. लेिकन इसके बाद इस खोज को बंद करा िदया गया और कहा गया िक खुदाई की
वजह से कित को नुकसान हो रहा है .

मोहनजोदड़ो की िवशेषताएं (Mohenjo Daro Specification)–

● खोज के दौरान पता चला था, िक यहाँ के लोग गिणत का भी ान रखते थे,
इ जोड़ घटाना, मापना सब आता था. जो ईट उस समय अलग अलग शहर
म उपयोग की गई थी, वे सब एक ही वजन व साइज़ की थी, जैसे मानो इसे
एक ही सरकार के ारा बनवाया गया था.
● पु रात वे ाओं के अनु सार िस ु घाटी के स ता के लोग गाने बजाने , खे लने
कूदने के भी शौक़ीन थे. उ ोंने कुछ ूिजक इं मट, खलोने भी खोज
िनकाले थे. वे लोग साफ सफाई पर ान दे ते थे. पुरात वे ाओं को कंघी,
साबुन व दवाइयां भी िमली है . उ ोंने कंकालों के दां त का िन र ण भी िकया
था, िजससे पता चला िक उनके नकली दां त भी लगे ए होते थे. मतलब
ाचीन स ता म भी डॉ र भी आ करते थे.
● खोजकता ने ब त से धातु के गहन व कॉटन के कपड़े भी खोज िनकाले थे. ये
गहन आज भी ब त से सं हालय म रखी ई है .
● इसके अलावा ब त सी िच कारी, मूितयाँ , िस े , िदए, बतन, औजार भी
िमले थे िज दे श िवदे श के सं हालयों म रखा गया है .
● खोज म पता चला था िक ये लोग खेती भी िकया करते थे, काले पड़ गए ग
को आज भी संभालकर रखा गया है .
● कुछ िलिपक भी िमले है , िजससे िस होता है िक इनको पढ़ना िलखना भी
आता था.
● कहते है ये लोग सोने चां दी के गहने भी पहनते है , लेिकन ये सब का पता नहीं
है , ूंिक ये चोरी हो गए.

कहते है ाचीन स ता म 50 लाख तक लोग रहते थे, भूचाल आया और सब तहस


नहस कर िदया. कहते है इसी भूचाल के चलते मोहनजोदड़ो दब गया और भूकंप के
बाद िहमालय पवत बन गया. कुछ खोज म पता चलता है िक उस समय वहां रहने वालों
के दु न भी आ करते थे, कुछ हमलावरों ने वहां हमला कर पुरे शहर को न कर
िदया था. अभी पुरात वाले और खोज म लगे ए है , वे पता कर रहे है िक कैसे इस
शहर का िनमाण आ, वहां रहने वालों ने कैसे इतनी अि म स ता का िनमाण िकया,
और कैसे इनका अंत आ. इन सब सवालों के जबाब के िलए पुरात वे ाओं की खोज
जारी है .

You might also like