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योग व आयर्वेु द शास्त्रों में आहार विषयक विचार

पस्ु तक समीक्षा
योगेन्द्र कुमार

"आहारसम्भवं वस्तु रोगाश्चाहारसम्भवा: "


आहार जहाँ एक ओर स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य से जड़ु ा है वहीं दसू री ओर रोगावस्था में भी उसकी अहम्
भमि ू का है। सम्बन्धित पक्ति
ं यो को ध्यान में रखते हुए इस पस्ु तक में आहार से सम्बन्धित विषयों को
प्रस्ततु किया गया है इस पस्ु तक में आयर्वेु द और योग के विभिन्न ग्रंथो से आहार से सम्बन्धित विषय
सामग्री को रखा है
पस्ु तक में पांच अध्याय लेखक के द्वारा रखे है इनको प्रकरण का नाम दिया है पहले प्रकरण में आहार क्या
है जिस को निगला जाता है उसे आहार कहते है। आहार के भेद लक्षण के अन सु ार द्रव्यों के अवयवो के
अनसु ार आहार का वर्गीकरण किया जाता है एकविध, द्वि योनी, षड विध आस्वाद षड भेद से इनका
संकेत मिलता है छ देखते रसो का भी पर्णू विवरण दियागया है यह प्रकरण प्रथम का पाठ है इसमें चरक
संहिता सश्रु तु संहिता और विभिन्न ग्रथं ो से विषय लिए गये है आहार सम्बन्धित आयर्वेु द दृष्टि को पर्णू
रूप से इस सचि ू में प्रस्ततु किया गया है

प्रकरण 2 में यौगिक आहार का वर्णन मिलता है इसमें हठ योग प्रदीपिका में आहार विहार का वर्णन
दिया गया है योग ग्रन्थ में जो भी आहार मख
ु है उनका एक वर्णन यह पर उपलब्ध होता है इसमें घेरंड
सहि
ं ता, भगवत गीता का भी बहुत आहार विषयक सन्दर्भ मिलता है

प्रकरण 3 में आयर्वेु द में वर्णित आहार का विवेचन मिलता है त्रिदोष, पथ्य अपथ्य, ऋतक
ु ाल के
अनसु ार विषय प्रस्ततु किया गया है
प्रकरण 4 विमर्शनात्मक अध्यन यौगिक ग्रंथो में किस स्थान पर क्या विशेष चर्चा की गई है उसका
विवेचन किया गया है सदु श े े धार्मिके राज्ये सभि
ु क्षे निरुपद्रवे, कुटीरं कीटवर्जितम,् सम्यग्गोमयलिप्तञ्च
कुटीरतन्त्रनिर्मितम् से आसन का भमि ू का कै सा होने का वर्णन भी सही से दिया गया है अति ं म प्रकरण को
उपसहं ार का नाम दियागया है

लेखक श्रीकान्त मक
ु ंु दराव पवनीकर

सम्पादक आचर्य श्री निवास वरखेडी, आचर्य मधसु दु न पेंन्ना

प्रकाशक कुलसचिव, कविकुलगरुु कालिदास संस्कृ त विश्वविद्यालय, रामटेक एवं न्यू भारतीय बक

कॉर्पोरे शन, दरियागंज, नई दिल्ली

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