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नेतृत्व

नेतृत्व (leadership) की व्याख्या इस प्रकार दी गयी है "नेतृत्व एक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति सामाजिक प्रभाव के द्वारा
अन्य लोगों की सहायता लेते हुए एक सर्वनिष्ट (कॉमन) कार्य सिद्ध करता है।[1] एक और परिभाषा एलन कीथ गेनेंटेक ने दी
जिसके अधिक अनुयायी थे "नेतृत्व वह है जो अंततः लोगों के लिए एक ऐसा मार्ग बनाना जिसमें लोग अपना योगदान दे कर
कु छ असाधारण कर सकें .[2]

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भारतीयों का नेतृत्व करते हुए गांधी जी (दांडी मार्च)

ओसवाल्ड स्पैगलर ने अपनी पुस्तक 'मैन ऐण्ड टेक्निक्स' (Man and Techniques) में लिखा है कि ‘‘इस युग में के वल दो
प्रकार की तकनीक ही नहीं है वरन् दो प्रकार के आदमी भी हैं। जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति में कार्य करने तथा निर्देशन देने की
प्रवृति है उसी प्रकार कु छ व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी प्रकृ ति आज्ञा मानने की है। यही मनुष्य जीवन का स्वाभाविक रूप है। यह रूप
युग परिवर्तन के साथ कितना ही बदलता रहे किन्तु इसका अस्तित्व तब तक रहेगा जब तक यह संसार रहेगा।’’
शासन करना, निर्णय लेना, निर्देशन करना आज्ञा देना आदि सब एक कला है, एक कठिन तकनीक है। परन्तु अन्य कलाओं की
तरह यह भी एक नैसर्गिक गुण है। प्रत्येक व्यक्ति में यह गुण या कला समान नहीं होती है। उद्योग में व्यक्ति के समायोजन के
लिए पर्यवेक्षण (supervision), प्रबंध तथा शासन का बहुत महत्व होता है। उद्योग में असंतुलन बहुधा कर्मचारियों के स्वभाव
दोष से ही नहीं होता बल्कि गलत और बुद्धिहीन नेतृत्व के कारण भी होता है। प्रबंधक अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों
से अपने निर्देशानुसार ही कार्य करवाता है। जैसा प्रबंधक का व्यवहार होता है, जैसे उसके आदर्श होते हो, कर्मचारी भी वैसा ही
व्यवहार निर्धारित करते हैं। इसलिए प्रबंधक का नेतृत्व जैसा होगा, कर्मचारी भी उसी के अनुरूप कार्य करेंगे।

स्मिथ ने कहा है- यदि किसी व्यक्ति के पास सुन्दर बहुमूल्य घड़ी है और वह सही तरह से काम नही करती है तो वह उसे मामूली
घड़ीसाज को सही करने के लिए नहीं देगा। घड़ी की जितनी बारीक कारीगरी होगी, उसे ठीक करने के लिए भी उतना ही चतुर
कारीगर होना चाहिए। कारखाने या फै क्ट्री के विषय में भी यही बात है। कोई भी मशीन इतनी जटिल और नाजुक नहीं और न
ही इतना चातुर्यपूर्ण संचालन चाहती है, जितना प्रगतिशील प्रबंध नीति। यह आवश्यक नहीं कि प्रबंध नीति प्रगतिशील हो।
आवश्यकता इस बात की होती है कि प्रबंध नीति सुचारू रूप से हो, यदि सुचारू रूप से प्रबंध नीति चलेगी तो प्रगति अपने
आप होने लगेगी।

नेतृत्व संगठनात्मक संदर्भों के सबसे प्रमुख पहलुओं में से एक है। हालांकि, नेतृत्व को परिभाषित करना चुनौतीपूर्ण रहा है।

प्रबंध जगत में नेतृत्व का अपना एक विशिष्ट स्थान है एक संस्था की सफलता या असफलता हेतु काफी हद तक नेतृत्व
जिम्मेदार होता है कु शल नेतृत्व के अभाव में कोई भी संस्था सफलता के सोपान ओ को पार नहीं कर सकती है यहां तक भी
माना जाता है कि कोई भी संस्था तभी सफल हो सकती है जब उसका प्रबंधन ने नेतृत्व भूमिका का सही निर्वहन करता है
फिटर एक ट्रकर के शब्दों में प्रबंधक किसी व्यवसायिक उपक्रम का प्रमुख एवं दुर्लभ प्रसाधन है अधिकांश व्यावसायिक
प्रतिष्ठानों के सफल होने का प्रमुख कारण कु शल नेतृत्व ही है

नेतृत्व का अर्थ

विद्वानों ने नेतृत्व को भिन्न-भिन्न प्रकार से स्पष्ट किया है। कभी-कभी इसका अर्थ प्रसिद्धि से समझा जाता है। लोकतांत्रिक दृष्टि
से इसका अर्थ उस स्थिति से समझा जाता है जिसमें कु छ व्यक्ति स्वेच्छा से दूसरे व्यक्तियों के आदेशों का पालन कर रहे हों।
कभी-कभी यदि कोई व्यक्ति शक्ति के आधार पर दूसरों से मनचाहा व्यवहार करवा लेने की क्षमता रखते हो तो उसे भी नेतृत्व के
अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है। वास्तविकता यह है कि नेतृत्व का तात्पर्य इनमें से किसी एक व्यवहार से नहीं है बल्कि नेतृत्व
व्यवहार का वह ढंग होता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरों के व्यवहार से प्रभावित न होकर अपने व्यवहार से दूसरों को अधिक
प्रभावित करता है। भले ही यह कार्य दबाव द्वारा किया गया है अथवा व्यक्तिगत सम्बंधी गुणों को प्रदर्शित करके किया गया हो।
संस्कृ त भाषा में नेता शब्द का अर्थ नीयते यः अनेन अर्थात जो दूसरों का नेतृत्व करने की क्षमता रखता हो।

इसका अर्थ यह हुआ कि जो व्यक्ति स्वयं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करें तथा दूसरे उसका अनुसरण करें वही ने

पिंजर (Pingor) ने नेतृत्व को इस प्रकार परिभाषित किया है- ‘‘नेतृत्व व्यक्ति और पर्यावरण के संबंध को स्पष्ट रखने वाली एक
धारणा है, यह उस स्थिति का वर्णन करती है जिसमें एक व्यक्ति ने एक विशेष पर्यावरण में इस प्रकार स्थान ग्रहण कर लिया हो
कि उसकी इच्छा भावना और अन्तर्दृष्टि किसी सामान्य लक्ष्य को पाने के लिए दूसरे व्यक्तियों को निर्देशित करती है तथा उन पर
नियंत्रण रखती है।’’ इस परिभाषा के आधार समीकरण के रूप में इस प्रकार रखा जा सकता है- विशिष्ट पर्यावरण, व्यक्ति की
स्थिति, निर्देश, नेतृत्व अर्थात् व्यक्ति एक विशेष पर्यावरण (आर्थिक, धार्मिक आदि) में एक विशेष स्थिति को प्राप्त कर लेता है
जो वह अपनी क्षमताओं अथवा गुणों के द्वारा दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करने लगता है। यही नेतृत्व की स्थिति है। लेपियर
और फार्न्सवर्थ (Lapiere and Farnisworth) के अनुसार- ‘‘नेतृत्व वह व्यवहार है जो दूसरों के व्यवहार को उससे अधिक
प्रभावित करता है जितना कि दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार नेता को प्रभावित करते हैं।’’ सीमेन तथा मौरिस (Seemen and
Morris) के अनुसार- ‘‘नेतृत्व व्यक्तियों द्वारा दी जाने वाली उन क्रियाओं में है जो दूसरे व्यक्तियों को एक विशेष दिशा में
प्रभावित करती हो।’’ किंवाल यंग के अनुसार- ‘‘नेतृत्व की विवेचना प्रभुत्त्व के रूप में की जानी चाहिए।’’

नेतृत्व की विशेषताएं

नेतृत्व का महत्त्व

नेता के कार्य

अधिकारियों की भूमिका

नेतृत्व की प्रकृ ति एवं प्रारूप

नेतृत्व-प्रशिक्षण

उद्योग में सफल नेता के गुण

जनतांत्रिक नेता के कार्य

नेतृत्व के नियम

अधिकारियों से संबंधित अनुसंधान

नेतृत्व के सिद्धांत

नेतृत्व की शैलियाँ
नेतृत्व की शैलियाँ

नेतृत्व प्रदर्शन

नेतृत्व के संदर्भ

नेतृत्व पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण

दल के कार्य प्रधान नेतृत्व कौशल

प्राधिकार पर बल देने वाले शीर्षक

नेतृत्व की अवधारणा की आलोचना

नोअम चोमस्की ने नेतृत्व की अवधारणा की आलोचना की और कहा कि यह लोगों को अपने अधीनस्थ आवश्यकताओं से
अलग किसी और को शामिल करना है। जबकि नेतृत्व का परंपरागत दृष्टिकोण यह है कि लोग चाहते है कि 'उनको यह बताया
जाए कि उन्हें क्या करना है। व्यक्ति को यह सवाल करना चाहिए कि वे क्यों कार्यों के अधीन हैं जो तर्क संगत और वांछनीय है।
जब 'नेता', 'मुझ पर विशवास कीजिए', 'विशवास रखिए' कहते हैं तो उसमें प्रमुख तत्व - तर्क शक्ति की कमी होती है। यदि
तर्क शक्ति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है तो लोगों को 'नेता' का अनुसरण चुपचाप करना पड़ता है।[60]
नेतृत्व की
अवधारणा की एक और चुनौती यह है कि यह दलों और संगठनों के 'अनुसरण की भावना' को बनाता है। कर्मचारिता की
अवधारणा हालाँकि, एक नयी विकसित जिम्मेदारी है जो उसके कार्य क्षेत्र में उसके कौशल और नजरिये को उजागर करते हैं,
जो सभी लोगों में आम होते हैं और नेतृत्व को एक अस्तित्व रूप में अलग रखता है।

यह भी देखिये

सन्दर्भ

नोट्स
1. [1] ^ चेमेर्स, एम एम 2002 संज्ञानात्मक, सामाजिक और ट्रांस्फोर्मशनल नेतृत्व के
भावनात्मक खुफिया: प्रभावकारिता
और प्रभावशीलता. आर.ई.रिग्गिओव, एसई मरफी, फ.जे. पिरोज्जोलो (एड्स.), एकाधिक इंटेलीजेंस और नेतृत्व.)
2. [2] ^ कौजेस, जे और पोस्नेर, बी. (2007).नेतृत्व चैलेंज. सीए: जोस्सेय बास.
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बाहरी कड़ियाँ

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title=नेतृत्व&oldid=5611306" से प्राप्त


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