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व्यावसायिक अध्ययन प्रबंधन

BUSINESS STUDIES MANAGEMENT


प्रबंधन (परिचय)
 पूर्वानुमान करना तथा योजना बनाना, संगठन बनाना, आदेश देना, समन्वय
करना ही प्रबंधन है। - फ्रे डेरिक हेनरी फे योल

 उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए


लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा
सके ।
प्रबंधन के लक्षण (CHARACTERISTICS OF MANAGEMENT)
1. आर्थिक संसाधन (ECONOMIC RESOURCES) 2. लक्ष्य उन्मुख (GOAL ORIENTED)

प्रबंधन के लक्षण (CHARACTERISTICS OF MANAGEMENT)


3. विशिष्ट प्रक्रिया( DISTINCT PROCESS) 4. एकीकृ त बल(INTEGRATED FORCE)

 प्रबंधन एक अलग प्रक्रिया है, जिसमें संसाधनों  प्रबंधन प्रक्रियाओं का अनुप्रयोग जो गुंजाइश,
के उपयोग द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को निर्धारित अनुसूची, लागत, जोखिम, गुणवत्ता और
करने और पूरा करने के लिए नियोजन, संसाधनों के कु छ या सभी मूलभूत घटकों को
आयोजन, सक्रियण और नियंत्रित किया जाता एकीकृ त करता है।
है। - George R Terry

प्रबंधन के लक्षण (CHARACTERISTICS OF MANAGEMENT)


5. प्राधिकरण की प्रणाली 6. बहु-विषयक विषय

 प्रबंधकों की एक टीम के रूप में प्रबंधन  प्रबंधन अध्ययन के एक क्षेत्र (यानी अनुशासन) के रूप में
विकसित हुआ है, इंजीनियरिंग, नृविज्ञान, समाजशास्त्र और
प्राधिकरण की एक प्रणाली, कमांड और नियंत्रण मनोविज्ञान जैसे कई अन्य विषयों की मदद ले रहा है।
का एक पदानुक्रम का प्रतिनिधित्व करता है।
 विभिन्न स्तरों पर प्रबंधकों के पास प्राधिकरण
की अलग-अलग डिग्री होती है।
 आम तौर पर, जैसा कि हम प्रबंधकीय पदानुक्रम
में नीचे जाते हैं, प्राधिकरण की डिग्री धीरे-धीरे
कम हो जाती है।
 प्राधिकरण प्रबंधकों को अपने कार्यों को प्रभावी
ढंग से करने में सक्षम बनाता है।

प्रबंधन के लक्षण (CHARACTERISTICS OF MANAGEMENT)


प्रबंधन के लक्षण (CHARACTERISTICS OF MANAGEMENT)

7. यूनिवर्सल एप्लीके शन:


 प्रबंधन सार्वभौमिक है।
 प्रबंधन के सिद्धांत और तकनीक व्यापार, शिक्षा, सैन्य, सरकार और अस्पताल के क्षेत्र में समान रूप से लागू हैं।
 हेनरी फे योल ने सुझाव दिया कि प्रबंधन के सिद्धांत कमोबेश हर स्थिति में लागू होंगे।
प्रबंधन के लक्षण (CHARACTERISTICS OF MANAGEMENT)

7. यूनिवर्सल एप्लीके शन:

प्रबंधन सार्वभौमिक है।


प्रबंधन के सिद्धांत और तकनीक व्यापार,
शिक्षा, सैन्य, सरकार और अस्पताल के
क्षेत्र में समान रूप से लागू हैं।
हेनरी फे योल ने सुझाव दिया कि
प्रबंधन के सिद्धांत कमोबेश हर स्थिति में
लागू होंगे।
प्रबंधन के कार्य( FUNCTIONS OF MANAGEMENT)
नियोजन (PLANNING)
संगठन (ORGANISATION)

 संगठन (organisation) वह सामाजिक व्यवस्था


या युक्ति है जिसका लक्ष्य एक होता है, जो अपने कार्यों
की समीक्षा करते हुए स्वयं का नियन्त्रण करती है, तथा
अपने पर्यावरण से जिसकी अलग सीमा होती है।
संगठन तरह-तरह के हो सकते हैं - सामाजिक,
राजनैतिक, आर्थिक, सैनिक, व्यावसायिक, वैज्ञानिक
आदि।
नियुक्तिकरण(APPOINTMENT)
 किसी पद पर योग्य, कु शल एवं सही
व्यक्ति का चुनाव करना ही नियुक्तिकरण
कहलाता है। नियुक्तिकरण से किसी
संगठन या उपक्रम के कार्यों का
कु शलतापूर्वक निष्पादन करके निरन्तर
विकास को प्राप्त किया जा सकता है।
निर्देशन(DIRECTING)
 निर्देशन एक प्रक्रिया है जिसके अनुसार एक व्यक्ति को
सहायता प्रदान की जाती है जिससे कि वह अपने
समस्या को समझते हुए आवश्यक निर्णय ले सके और
निष्कर्ष निकालते हुये अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सके ।
 चाइशोम इस व्याख्या को इस प्रकार लिखते है कि –
रचनात्मक उपक्रम तथा जीवन से सम्बन्धित
समस्याओं के समाधान की व्यक्ति में सूझ विकसित
करना निर्देशन का उद्देश्य है ताकि वह अपनी जीवन
भर की समस्याओं का समाधान करने के योग्य बन
सके ।
नियंत्रण(CONTROLLING)
 नियंत्रण यह सुनिश्चित करने की
प्रक्रिया है कि वास्तविक गतिविधियां
योजना गतिविधियों के अनुरूप हों।
नियंत्रित करना सुनिश्चित करता है कि
योजनाबद्ध लक्ष्यों को प्राप्त करने के
लिए संगठनात्मक संसाधनों का प्रभावी
और कु शल उपयोग हो।
प्रबंधन के सिद्धांत(PRINCIPLES OF MANAGEMENT)
एफ० डब्ल्यू० टेलर के वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत

1. विज्ञान न की  अंगूठा टेक शासन- इस 3. मानसिक क्रांति- इसके द्वारा श्रमिकों व प्रबंधक
सिद्धांत के अनुसार निर्णय तत्वों के आधार को को एक दूसरे के प्रति सोच को बदलने पर जोर
तथ्यों पर आधारित होने चाहिए ना कि अंगूठा दिया गया है l जिससे संगठन में परस्पर विश्वास की
टेक नियमों के आधार पर संगठन में किए जाने भावना उत्पन्न हो सके तथा उत्पादन को बढ़ाया जा
वाले प्रत्येक कार्य वैज्ञानिक जांच के आधार पर सके l  दोनों पक्षों के लाभ के बंटवारे की अपेक्षा
होना चाहिए ना कि अंतदृष्टि व निजी विचार पर l लाभ में वृद्धि की बात सोचनी चाहिए l

2. सहयोग न कि टकराव- 4. सहयोग ना की व्यक्तिवाद-


इस सिद्धांत के अनुसार प्रबंध एवं श्रमिकों में सिद्धांत मधुरता ना कि विवाद का संशोधित रूप है
विश्वास एवं  समझदारी होनी चाहिए l उन्हें एक lइसके अनुसार संगठन में श्रमिकों एवं प्रबंधकों के
दूसरे के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करनी बीच सहयोग होना चाहिए जिससे कार्य को सरलता
चाहिए जिससे वह एक टीम के रूप में कार्य कर से किया जा सके l
सकें l
एफ० डब्ल्यू० टेलर के वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत
5. अधिकतम  कार्य क्षमता एवं श्रमिकों का विकास-
टेलर के अनुसार श्रमिकों का चयन कार्य क्षमता के
अनुसार कार्य एवं योग्यता को ध्यान में रखकर किया
जाना चाहिए तथा उनकी कार्य क्षमता एवं कु शलता
बढ़ाने हेतु उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए
इससे कं पनी एवं श्रमिकों की खुशहाली बढ़ेगी तथा
कु शल श्रमिक के साथ सामूहिक उद्देश्य की प्राप्ति में 
सरलता होगी l
हेनरी फे योल के सिद्धान्त
1. कार्य विभाजन-कार्य का विभाजन कर विशिष्ट 3. अनुशासन- अनुशासन एक विस्तृत शब्द है जिसमें
व्यक्तियों को विशिष्ट कार्य के लिए नियुक्त किया जाये किसी संस्था के कर्मचारियों की आज्ञाकारिता, व्यवहार
ताकि लक्ष्य प्राप्ति के लिए अधिक तीव्रता से आगे बढा तथा आदर की अभिव्यक्ति है।
जा सके ।

4. आदेश की एकता - कार्य करने वाले व्यक्ति को एक


2. प्राधिकार एवं उत्तरदायित्व- प्राधिकार तथा समय में एक ही अधिकारी से आदेश मिलना चाहिए ।
उत्तरदायित्व एक-दूसरे से संबंधित तथा हैं । प्राधिकार आदेश देने वाले अधिक होने पर अनुशासन भंग होता है,
के अभाव में कोई व्यक्ति अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह अधिकार कमजोर पड़ता है तथा श्रमिक की प्रवृत्ति काम
नहीं कर सकता है । टालने की हो जाती है ।
हेनरी फे योल के सिद्धान्त

5. निर्देश की एकता- एक ही प्रकार के कार्यों के लिए एक  6. सामान्य हित के सामने व्यक्तिगत हित गौण-व्यक्तिगत
ही निर्देश तथा एक ही योजना होनी चाहिए । निर्देशों की और सामूहिक हितों में समन्वय रखना प्रबन्धकों का
एकता से फे योल का आशय है कि “सामान्य उद्देश्य के प्रमुख दायित्व है फिर भी यदि इनमें कहीं टकराव होता है
तो सामूहिक हितों की रक्षार्थ व्यक्तिगत हितों को समर्पित
लिए व्यक्तियों के एक समूह के लिए एक निर्देश होना
कर देना चाहिए ।
चाहिए ।”
हेनरी फे योल के सिद्धान्त

7. कर्मचारियों को पारिश्रमिक -आर्थिक पारिश्रमिक के लिए 8. के न्द्रीकरण-फे योल की मान्यता है कि किसी संस्था में
ही प्रत्येक व्यक्ति कार्य करता है । प्रेरणात्मक मजदूरी प्राधिकारों का के न्द्रीकरण उसी सीमा तक होना चाहिए
प्रणाली द्वारा कर्मचारी पूर्ण निष्ठा,लगन एवं क्षमता से जहां तक सम्भव हो और विभिन्न स्तरों पर प्राधिकार एवं
कार्य करते है तथा श्रम संबंध अधिक अच्छे बने रहते हैं दायित्वों में सन्तुलन बना रहे । के न्द्रीकरण इस बात पर
। भी निर्भर करता है कि संस्था की प्रकृ ति कै सी है और
अधीनस्थों की कार्य कु शलता का स्तर क्या है?
हेनरी फे योल के सिद्धान्त
9. श्रेणी श्रृंखला - श्रेणी शृंखला से तात्पर्य यह है 10. व्यवस्था - इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक
कि किसी उपक्रम में ऊपर से नीचे तक तथा वस्तु अथवा व्यक्ति के लिए एक निश्चित स्थान
नीचे से ऊपर तक पदाधिकारियों के मध्य निर्धारित हो तथा वह वस्तु अथवा व्यक्ति उसी
सम्प्रेषण के उद्देश्य से सम्पर्क रूपी एक निर्धारित स्थान पर रहे प्रबन्ध का आधारपूत
शृंखला होनी चाहिए और सभी स्तर के सिद्धान्त वस्तु एवं व्यक्ति दोनों की उचित
अधिकारियों को इसका पालन करना चाहिए व्यवस्था करना है ताकि न्यूनतम प्रयासों द्वारा
श्रेणी शृंखला का सबसे बड़ा लाभ यह होता है निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके । इसके
कि इससे आदेश की एकता का स्वतः ही अतिरिक्त विशिष्ट स्थान पर कार्यरत विशिष्ट
पालन हो जाता है । व्यक्ति को उसके कार्य के लिए उत्तरदायी
ठहराया जा सकता है ।
हेनरी फे योल के सिद्धान्त
11. समानता - प्रबन्ध न्यायपूर्ण व दयापूर्ण व्यवहार से 12. कर्मचारियों के कार्यकाल में स्थायित्व - इस सिद्धान्त के
कर्मचारियों की वफादारी एवं स्नेह को प्राप्त कर सकता अनुसार स्थिर कार्मिक दल संस्था की पूंजी है। यदि
है। प्रबन्धकों द्वारा किया गया समतापूर्ण व्यवहार कर्मचारियों के कार्यकाल में स्थायित्व होगा तो कर्मचारी
कर्मचारियों में निष्ठापूर्वक व समर्पित कार्य करने की सेवा असुरक्षा के भय से मुक्त रहेंगे। ऐसे वातावरण में
भावना को जन्म देता है जिससे उनकी कार्य क्षमता में कर्मचारी सेवा का अंग बनकर लगन और निष्ठा के साथ
वृद्धि होती है। कार्य सीखता है तथा अपने दायित्वों के निर्वाह के लिए
सजग रहता है। 
इससे उसकी कार्य-कु शलता में निरन्तर वृद्धि होती है
। कर्मचारियों के कार्यकाल में स्थिरता न होना
कु प्रबन्ध का प्रत्यक्ष प्रमाण है । फे योल ने दर्शाया कि
अनावश्यक कर्मचारी परिवर्तन की कीमत भयावह
होती है।
हेनरी फे योल के सिद्धान्त
13. पहल - फे योल के अनुसार यदि कर्मचारी 14. सहयोग की भावना - यह सिद्धान्त ‘संगठन ही
किसी अच्छी योजना को प्रस्तावित करता हैं तथा शक्ति है’ के महत्व को प्रदर्शित करता है । किसी भी
उसकी कार्यरूप देने की सुव्यवस्था का सुझाव उपक्रम के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए
देता है तो प्रबन्ध को उसे मान्यता देनी चाहिए प्रयास किये जाते है । यदि विभिन्न समूह तथा समूह
ताकि उनकी पहल-क्षमता का विकास हो सके । के सदस्यों के बीच सहयोग नहीं तो लक्ष्य प्राप्त
प्रबन्ध का प्रमुख ध्येय यही है कि व्यक्तियों का करना भी असम्भव होगा ।
उस स्तर तक विकास कर दिया जाये कि वह यह सिद्धान्त इस बात पर बल देता है कि सभी
अपने कार्यों को भली-भांति समझने लगें तथा कर्मचारी एक-दूसरे के सहयोगी ही और आपसी
उन्हें करने के लिए तत्पर रहें।  व्यक्ति में स्वयं कु छ मतभेद भुलाकर सदैव सहयोग की भावना से कार्य
करने की भावना का विकास होना एक बहुत बडी करें ताकि संस्था निर्बाध गति से अपने लक्ष्य की
उपलब्धि है । इससे निश्चित रूप से लक्ष्य प्राप्त ओर अग्रसर हो ।
करने में सहायता मिलती है।
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
फे योल एवं टेलर के सिद्धांत में अंतर
प्रबंधन प्रक्रिया (MANAGEMENT PROCESS)
प्रबंधन प्रक्रिया (MANAGEMENT PROCESS)
प्रबंधन प्रक्रिया किसी भी प्रकार की गतिविधि जैसे कि एक परियोजना या एक प्रक्रिया के निष्पादन को व्यवस्थित करने और
अग्रणी करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने, योजना बनाने और / या नियंत्रित करने की एक प्रक्रिया है। एक संगठन का
वरिष्ठ प्रबंधन अपनी प्रबंधन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जिम्मेदार होता है।
प्रबंधन प्रक्रिया (MANAGEMENT PROCESS)
नियोजन - क्या किया जाना है और कै से किया जाना है,
इस बारे में पहले से सोच और निर्णय लेने की एक
मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। इस प्रकार, योजना रचनात्मकता
और नवीनता के साथ निकटता से जुड़ी हुई है। यह
मानसिक गतिविधि है, जिसमें प्रबंधक प्राप्त किए जाने
वाले लक्ष्यों के बारे में निर्णय लेता है, और जिन कार्यों के
माध्यम से उन्हें पूरा करना होता है।
प्रबंधन प्रक्रिया (MANAGEMENT PROCESS)

संगठन- वह सामाजिक व्यवस्था या युक्ति है जिसका लक्ष्य एक होता है, जो अपने कार्यों की समीक्षा करते हुए स्वयं
का नियन्त्रण करती है, तथा अपने पर्यावरण से जिसकी अलग सीमा होती है। संगठन तरह-तरह के हो सकते हैं -
सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सैनिक, व्यावसायिक, वैज्ञानिक आदि।
प्रबंधन प्रक्रिया (MANAGEMENT PROCESS)
 निर्देशन- निर्देशन एक प्रक्रिया है जिसके अनुसार एक व्यक्ति को सहायता प्रदान की जाती है जिससे कि वह अपने
समस्या को समझते हुए आवश्यक निर्णय ले सके और निष्कर्ष निकालते हुये अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सके ।
प्रबंधन प्रक्रिया (MANAGEMENT PROCESS)
 अभिप्रेरण - व्यवहार को समझने के लिए अभिप्रेरणा प्रत्यय का अध्ययन अति आवश्यक है। अभिप्रेरणा शब्द का
प्रचलन अंग्रेजी भाषा के ‘मोटीवेशन’ (Motivation) के समानअर्थी के रूप में होता है। मोटीवेशन शब्द की उत्पत्ति
लैटिन भाषा के मोटम (Motum) धातु से हुई है, जिसका अर्थ मूव (Move) या इन्साइट टू ऐक्सन (Insight to
Action) होता है।   अतः प्रेरणा एक संक्रिया है, जो जीव को क्रिया के प्रति उत्तेजित करती है तथा सक्रिय करती है।

अभिप्रेरणा की परिभाषाएँ
फ्रे ण्डसन के अनुसार-‘‘सीखने में सफल अनुभव अधिक सीखने की प्रेरणा देते हैं।‘‘
गुड के अनुसार-‘‘किसी कार्य को आरम्भ करने, जारी रखने और नियमित बनाने की प्रक्रिया को प्रेरणा कहते है।‘‘
प्रबंधन प्रक्रिया (MANAGEMENT PROCESS)
 नियन्त्रण - प्रबन्धन के बहुत से कार्यों में से एक है। नियंत्रण के अलावा प्रबन्धन के अन्य कार्य हैं - नियोजन
(planning), संगठन (organizing), कर्मचारी नियुक्तिकरण (staffing) तथा निदेशन (directing)।
प्रबन्धन में नियंत्रण एक महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि यह गलतियाँ सुधारने तथा सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करता है
 आधुनिक संकल्पना यह है कि नियंत्रण, भविष्य को देखने जैसा कार्य है जबकि पहले नियंत्रण को गलती (error) को
सुधारने वाला कार्य समझा जाता था। प्रबन्धन में नियन्त्रण का अर्थ है - मानक घोषित करना (setting standards),
वास्तविक परफॉर्मैंस को मापना तथा सुधारात्मक कार्यवाही करना।
धन्यवाद

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