Professional Documents
Culture Documents
Management (Hindi)
Management (Hindi)
व्यवसाय एवं संगठन के सन्दभर् म प्रबन्धन (Management) का (क) प्रिक्रया (ख) प्रभावी ढंग से एवं (ग) पूणर् क्षमता
अथर् है - उपलब्ध संसाधन का दक्षतापूवर्क तथा प्रभावपूणर् तरीके से।
से उपयोग करते हुए लोग के काय म समन्वय करना तािक ल य
क प्रािप्त सुिनश्चत क जा सके। प्रबन्धन के अन्तगर् त आयोजन प रभाषा म प्रयुक्त प्रिक्रया से अभप्राय है प्राथिमक कायर् अथवा
(planning), संगठन-िनमार्ण (organizing), स्टा फग (staffing), िक्रयाएँ ■जन्ह प्रबंध काय को पूरा कराने के लए करता है। ये कायर्
नेतृत्व करना (leading या directing), तथा संगठन अथवा पहल
ह- िनयोजन, संगठन, िनयुिक्तकरण, िनदशन एवं िनयंत्रण ■जन पर
का िनयंत्रण करना आिद आते ह।
चचार् इस अध्याय म एवं पुस्तक म आगे क जाएगी।
संगठन भले ही बड़ा हो या छोटा, लाभ के लए हो अथवा गैर-
लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा िविनमार्णकतार्, प्रबंध प्रभावी अथवा कायर् को प्रभावी ढंग से करने का वास्तव म अभ-
सभी के लए आवश्यक है। प्रबंध इस लए आवश्यक है िक व्यिक्त प्रायः िदए गए कायर् को संपन्न करना है। प्रभावी प्रबंध का संबध ं
सामूिहक उद्देश्य क पूत म अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सक। प्रबंध सही कायर् को करने , िक्रयाओं को पू र ा करने एवं उद्दे श् य को प्राप्त
म पारस्प रक प से संबं धत वह कायर् स म्म लत ह ■जन्ह सभी करने से है। दस ू रे शब्द म, इसका कायर् अंतम प रणाम प्रा-
प्रबंधक करते ह। प्रबंधक अलग-अलग काय पर भन्न समय लगाते प्त करना है। लेिकन मात्र कायर् को संपन्न करना ही पयार्प्त नह है
ह। संगठन के उच्चस्तर पर बैठे प्रबंधक िनयोजन एवं संगठन पर इसका एक और पहलू भी है और वह है कायर् कुशलता अथार्त् कायर्
नीचे स्तर के प्रबंधक क तुलना म अधक समय लगाते ह। को कुशलतापूवर्क करना।
कुशलता का अथर् है कायर् को सही ढंग से न्यूनतम लागत पर
करना। इसम एक प्रकार का लागत-लाभ िवश्लेषण एवं आगत तथा
िनगर् त के बीच संबध ं होता है। यिद कम साधन (आगत) का उपयोग
1 प्रबंध क प रभाषाएँ कर अधक लाभ (िनगर् त) प्राप्त करते ह तो हम कहगे िक क्षमता म
वृद्ध हुई है। क्षमता म वृद्ध होगी यिद उसी लाभ के लए अथवा
प्रबंध प रवतर् नशील पयार्वरण म सीिमत संसाधन का िनगर् त के लए कम साधन का उपयोग िकया जाता है एवं कम
कुशलतापूवर्क उपयोग करते हुए संगठन के उद्देश्य लागत व्यय क जाती है। आगत साधन वे ह जो िकसी कायर् िवशेष
को, प्रभावी ढंग से प्राप्त करने, के लए दस
ू र से िम- को करने के लए आवश्यक धन, माल उपकरण एवं मानव संसाधन
लकर एवं उनके माध्यम से कायर् करने क प्रिक्रया है। ह । स्वभािवक है िक प्रबंध का संबध ं इन संसाधन के कुशल प्रयोग
-- क्रीटनर से है क्य िक इनसे लागत कम होती है एवं अन्त म इनसे लाभ म
वृद्ध होती है।
11 अवधारणा
2 प्रभावपूणर्ता बनाम कुशलता
कई लेखक ने प्रबंध क प रभाषा दी है। प्रबंध शब्द एक बहुप्रच लत
शब्द है ■जसे सभी प्रकार क िक्रयाओं के लए व्यापक प से प्रयुक्त यह दोन शब्द अलग-अलग होते हुए भी एक दस ू रे से संबं धत ह।
िकया गया है। वैसे यह िकसी भी उद्यम क िवभन्न िक्रयाओं के लए प्रबंध के लए प्रभावी एवं क्षमतावान दोन का होना मह वपूणर् है।
मुख्य प से प्रयुक्त हुआ है। उपरोक्त उदाहरण एवं वस्तु स्थत के प्रभावपूणर्ता एवं कौशल दोन एक ही ■सक्के के दो पहलू ह। लेिकन
अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया होगा िक प्रबंध वह िक्रया है जो हर इन दोन पक्ष म संतुलन आवश्यक है तथा कभी-कभी प्रबंध को
उस संगठन म आवश्यक है ■जसम लोग समूह के प म कायर् कर
कुशलता से समझौता करना होता है। उदाहरण के लए प्रभावपूणर्
रहे ह। संगठन म लोग अलग-अलग प्रकार के कायर् करते ह लेिकन
होना एवं कुशलता क अनदेखी करना सरल है ■जसका अथर् है
वह अभी समान उद्देश्य को पाने के लए कायर् करते ह। प्रबंध लोग
के प्रयत्न एवं समान उद्देश्य को प्राप्त करने म िदशा प्रदान करता कायर् को पूरा करना लेिकन ऊँची लागत पर। उदाहरण के लए,
है। इस प्रकार से प्रबंध यह देखता है िक कायर् पूरे ह एवं ल य प्राप्त माना एक कंपनी का ल य वषर् म 8,000 इकाइय का उत्पादन
िकए जाएँ (अथार्त् प्रभाव पूणर्ता) कम-से-कम साधन एवं न्यूनतम करना है। इस ल य को पाने के लए अधकांश समय िबजली न
िमलने पर प्रबंधक प्रभावोत्पादक तो था लेिकन क्षमतावान नह
लागत (अथार्त् कायर् क्षमता) पर हो।
था क्य िक, उसी िनगर् त के लए अधक आगत (श्रम क लागत,
अतः प्रबंध को प रभािषत िकया जा सकता है िक यह उद्देश्य िबजली क लागत) का उपयोग िकया गया। कभी-कभी व्यवसाय
को प्रभावी ढंग से एवं दक्षता से प्राप्त करने के उद्देश्य से काय कम संसाधन से माल के उत्पादन पर अधक ध्यान किद्रत करता
को पूरा कराने क प्रिक्रया है। हमे इस प रभाषा के िवश्लेषण क है अथार्त् लागत तो कम कर दी लेिकन िनधार् रत उत्पादन नह
आवश्यकता है। कुछ शब्द ऐसे ह ■जनका िवस्तार से वणर् न करना कर पाए। प रणामस्व प माल बाजार म नह पहुँच पाया इस-
आवश्यक है। ये शब्द ह- लए इसक माँग कम हो गई तथा इसका स्थान प्रतयोिगय ने ले
1
2 3 प्रबंध क िवशेषताएँ
लया। यह कायर् कुशलता लेिकन प्रभावपूणर्ता क कमी क स्थत (१) प्रथम तो यह कमर् चा रय को अलग-
है क्य िक माल बाजार म नह पहुँच पाया। इस लए न्यूनतम लागत अलग आवश्यकताओं एवं व्यवहार वाले
पर (कुशलतापूवर्क) प्रबंधक लए ल य को प्राप्त करना (प्रभा- व्यिक्तय के प म मानकर व्यवहार
करता है।
वोत्पादकता) अधक मह वपूणर् है। इसके लए प्रभावपूणर्ता एवं
कुशलता म संतुलन रखना होता है।
साधारणतया उच्च कायर् कुशलता के साथ उच्च प्रभावपूणर्ता होती (२) दस
ू रे यह लोग के साथ उन्ह एक
है जो िक सभी प्रबंधक का ल य होता है। लेिकन बगैर प्रभाव- समूह मानकर व्यवहार करता है। प्रबंध
पूणर्ता के उच्च कायर् कुशलता पर अनावश्यक प से जोर देना भी लोग क ताकत को प्रभावी बनाकर एवं
अवांछनीय है। कमजोर प्रबंधन प्रभावपूणर्ता एवं कायर् कुशल दोना उनक कमजोरी को अप्रसांिगक बनाकर
क कमी के कारण होता है। उनसे संगठन के उद्देश्य क प्रािप्त के लए
काम कराता है।
411 जीिवत रहना प्रबंध एक सावर् भौिमक िक्रया है जो िकसी भी संगठन का अभन्न
अंग है। अब हम उन कुछ कारण का अध्ययन करगे ■जसके कारण
िकसी भी व्यवसाय का आधारभूत उद्देश्य अपने अ स्तत्व को बनाए प्रबंध इतना मह वपूणर् हो गया है-
रखना होता है। प्रबंध को संगठन के बने रहने क िदशा म प्रयत्न (क) प्रबंध सामूिहक ल य को प्राप्त करने म सहायक होता है- प्रबंध
करना चािहए। इसके लए संगठन को पयार्प्त धन कमाना चािहए
क आवश्यकता प्रबंध के लए नह ब ल्क संगठन के उद्देश्य क
■जससे िक लागत को पूरा िकया जा सके।
प्रािप्त के लए होती है। प्रबंध का कायर् संगठन के कुल उद्देश्य को
प्राप्त करने के लए व्यिक्तगत प्रयत्न को समान िदशा देना है।
412 लाभ (ख) प्रबंध क्षमता म वृद्ध करता है- प्रबंधक का ल य संगठन
क िक्रयाओं के श्रेष्ठ िनयोजन, संगठन, िनदेशन, िनयुिक्तकरण एवं
व्यवसाय के लए इसका बने रहना ही पयार्प्त नह है। प्रबंध को िनयंत्रण के माध्यम से लागत को कम करना एवं उत्पादकता को
यह सुिनश्चत करना होता है िक संगठन लाभ कमाए। लाभ उद्यम बढ़ाना है।
के िनरंतर सफल प रचालन के लए एक मह वपूणर् प्रोत्साहन का
(ग) प्रबंध गतशील संगठन का िनमार्ण करता है- प्रत्येक संगठन
कायर् करता है। लाभ व्यवसाय क लागत एवं जो खम को पूरा का प्रबंध िनरंतर बदल रहे पयार्वरण के अंतगर् त करना होता है।
करने के लए आवश्यक होता है। सामान्यतः देखा गया है िक िकसी भी संगठन म कायर् रत लोग
प रवतर् न का िवरोध करते ह क्य िक इसका अथर् होता है प रचत,
सुरक्षत पयार्वरण से नवीन एवं अधक चुनौतीपूणर् पयार्वरण क
4 1 3 बढ़ोतरी
ओर जाना। प्रबंध लोग को इन प रवतर् न को अपनाने म सहायक
होता है ■जससे िक संगठन अपनी प्रतयोगी श्रेष्ठता को बनाए रखने
दीघर् अवध म अपनी संभावनाओं म वृद्ध व्यवसाय के लए बहुत म सफल रहता है।
आवश्यक है। इसके लए व्यवसाय का बढ़ना बहुत मह व रखता
(घ) प्रबंध व्यिक्तगत उद्देश्य क प्रािप्त म सहायक होता है- प्रबंधक
है। उद्योग म बने रहने के लए प्रबंध को संगठन िवकास क संभा- अपनी टीम को इस प्रकार से प्रोत्सािहत करता है एवं उसका नेतृत्व
वना का पूरा लाभ उठाना चािहए। व्यवसाय के िवकास को िवक्रय
करता है िक प्रत्येक सदस्य संगठन के कुल उद्देश्य म योगदान देते
आवतर् , कमर् चा रय क संख्या म वृद्ध या िफर उत्पाद क संख्या
हुए व्यिक्तगत उद्देश्य को प्राप्त करता है। अभप्रेरणा एवं नेतृत्व के
या पूँजी के िनवेश म वृद्ध आिद के प म मापा जा सकता है।
माध्यम से प्रबंध व्यिक्तय को टीम-भावना, सहयोग एवं सामूिहक
सफलता के प्रत प्रतबद्धता के िवकास म सहायता प्रदान करता
है।
42 सामा■जक उद्देश्य
(ङ) प्रबंध समाज के िवकास म सहायक होता है- संगठन बहुउद्दे-
समाज के लए लाभ क रचना करना है। संगठन चाहे व्यावसायक श्यीय होता है जो इसके िवभन्न घटक के उद्देश्य को पूरा करता
है अथवा गैर व्यावसायक, समाज के अंग होने के कारण उसे कुछ है। इन सबको पूरा करने क प्रिक्रया म प्रबंध संगठन के िवकास
सामा■जक दायत्व को पूरा करना होता है। इसका अथर् है समाज म सहायक होता है तथा इसके माध्यम से समाज के िवकास म
4 6 प्रबंध क प्रकृत
सहायक होता है। यह श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली वस्तु एवं सेवाओं को उदाहरण के लए दो नतर् क, दो वक्ता, दो कलाकार अथवा दो
उपलब्ध कराने, रोजगार के अवसर को पैदा करने, लोग के भले लेखक क अपनी कला के प्रदशर् न म भन्नता होगी।
के लए नयी तकनीक को अपनाने, बुद्ध एवं िवकास के रास्ते पर
चलने म सहायक होता है।
6 1 3 व्यवहार एवं रचनात्मकता पर आधा रत
6 प्रबंध क प्रकृत सभी कला व्यवहा रक होती ह। कला वतर् मान ■सद्धांत को ज्ञान
का रचनात्मक उपयोग है। हम जानते ह िक संगीत सात सुर पर
आधा रत है। लेिकन िकसी संगीतकार क संगीत रचना िवशष्ट
प्रबंध इतना ही पुराना है ■जतनी क सभ्यता। यद्यिप आधुिनक अथवा भन्न होती है यह इस बात पर िनभर् र करती है िक इन सुर
संगठन का उद्गम नया ही है लेिकन संगिठत कायर् तो सभ्यता के का िकस प्रकार से संगीत सृजन म प्रयोग िकया गया है, जो िक
प्राचीन समय से ही होते रहे ह। वास्तव म संगठन को िवशष्ट लक्षण
उसक अपनी व्याख्या होती है।
माना जा सकता है जो सभ्य समाज को असभ्य समाज से अलग
करता है। प्रबंध के प्रारंभ के व्यवहार वे िनयम एवं कानून थे जो प्रबंध एक कला है क्य िक, यह िनम्न िवशेषताओं को पूरा करती
सरकारी एवं वाण ज्यक िक्रयाओं के अनुभव से पनपे। व्यापार एवं है-
वाणज्य के िवकास से क्रमशः प्रबंध के ■सद्धांत एवं व्यवहार का
िवकास हुआ।
• (क) एक सफल प्रबंधक, प्रबंध कला का उद्यम के िदन प्र-
‘प्रबंध’ शब्द आज कई अथ म प्रयुक्त होता है जो इसक प्रकृत तिदन के प्रबंध म उपयोग करता है जो िक अध्ययन, अव-
के िवभन्न पहलुओं को उजागर करते ह। प्रबंध के अध्ययन का लोकन एवं अनुभव पर आधा रत होती है। प्रबंध के िवभन्न
िवकास बीते समय म आधुिनक संगठन के साथ-साथ हुआ है। क्षेत्र ह ■जनसे संबं धत पयार्प्त सािहत्य उपलब्ध है। ये क्षेत्र ह-
िवपणन, िवत्त एवं मानव संसाधन ■जनम प्रबंधक को िवश-
यह प्रबंधक के अनुभव एवं आचरण तथा ■सद्धांत के संबध समूह
ष्टता प्राप्त करनी होती है। इनके ■सद्धांत पहले से ही िवद्यमान
दोन पर आधा रत रहा है। बीते समय म इसका एक गतशील ह।
िवषय के प म िवकास हुआ है। ■जसक अपनी िवशष्ट िवशे-
षताएँ ह। लेिकन प्रबंध क प्रकृत से संबं धत एक प्रश्न का उत्तर
देना आवश्यक है िक प्रबंध िवज्ञान है या कला है या िफर दोन • (ख) प्रबंध के िवभन्न ■सद्धांत ह ■जनका प्रतपादन कई प्रबंध
है? इसका उत्तर देने के लए आइए िवज्ञान एवं कला दोन क िवचारक ने िदया है तथा जो कुछ सवर् व्यापी ■सद्धांत को
िवशेषताओं का अध्ययन कर तथा देख िक प्रबंध कहाँ तक इनक अधकृत करते ह। कोई भी प्रबंधक इन वैज्ञािनक पद्धतय
पूत करता है। एवं ज्ञान को दी गई प र स्थत मामले अथवा समस्या के
अनुसार अपने िवशष्ट तरीके से प्रयोग करता है। एक अच्छा
प्रबंधक वह है जो व्यवहार, रचनात्मकता, कल्पना शिक्त,
6 1 प्रबंध एक कला पहल क्षमता आिद को िमलाकर कायर् करता है। एक प्रबंधक
एक लंबे अभ्यास के पश्चात् संपूणर्ता को प्राप्त करता है। प्र-
कला क्या है? कला इ च्छत प रणाम को पाने के लए वतर् मान बंध के िवद्याथ भी अपनी सृजनात्मकता के आधार पर इन
ज्ञान का व्यिक्तगत एवं दक्षतापूणर् उपयोग है। इसे अध्ययन, अव- ■सद्धांत को अलग- अलग ढंग से प्रयुक्त करते ह।
लोकन एवं अनुभव से प्राप्त िकया जा सकता है। अब क्य िक कला
का संबध ं ज्ञान के व्यिक्तगत उपयोग से है इस लए अध्ययन िकए
• (ग) एक प्रबंध इस प्राप्त ज्ञान का प र स्थतजन्य वास्त-
गए मूलभूत ■सद्धांत को व्यवहार म लाने के लए एक प्रकार क
िवकता के प र श्य म व्यिक्तनुसार एवं दक्षतानुसार उपयोग
मौ लकता एवं रचनात्मकता क आवश्यकता होती है। कला के
करता है। वह संगठन क गतिवधय म लप्त रहता है, ना-
आधारभूत लक्षण इस प्रकार ह-
जुक प र स्थतय का अध्ययन करता है एवं अपने ■सद्धांत
का िनमार्ण करता है ■जन्ह दी गई प र स्थतय के अनु-
6 1 1 सैद्धांतक ज्ञान का होना सार उपयोग म लाया जा सकता है। इससे प्रबंध क िवभन्न
शै लय का जन्म होता है। सवर् श्रेष्ठ प्रबंधक वह होते ह जो
सम पत ह, ■जन्ह उच्च प्रशक्षण एवं शक्षा प्राप्त ह, उनम
कला यह मानकर चलती है िक कुछ सैद्धांतक ज्ञान पहले से
उत्कट आकांक्षा, स्वयं प्रोत्साहन सृजनात्मकता एवं कल्प-
है। िवशेषज्ञ ने अपने-अपने क्षेत्र म कुछ मूलभूत ■सद्धांत का
नाशीलता जैसे व्यिक्तगत गुण ह तथा वह स्वयं एवं संगठन
प्रतपादन िकया है जो एक िवशेष प्रकार क कला म प्रयुक्त होता है।
के िवकास क इच्छा रखता है।
उदाहरण के लए नृत्य, जन संबोधन/भाषण, कला अथवा संगीत
पर सािहत्य सवर् मान्य है।
6 2 प्रबंध एक िवज्ञान के पम
612 व्यिक्तगत योग्यतानुसार उपयोग
प्रबंधक एक क्रमबद्ध ज्ञान-समूह है िकन्ह सामान्य सत्य अथवा
इस मूलभूत ज्ञान का उपयोग व्यिक्त, व्यिक्त के अनुसार अलग- सामान्य ■सद्धांत को स्पष्ट करता है िवज्ञान क मूलभूत िवशेषताएँ
अलग होता है। कला, इसी लए अत्यंत व्यिक्तगत अवधारणा है। िनम्न ह-
6 3 प्रबंध एक पेशे के पम 5
िवज्ञान, ज्ञान का क्रमबद्ध समूह है। इसके ■सद्धांत कारण एवं प र- सभी प्रकार क संगठन प्रिक्रयाओं का प्रबंधन आवश्यक है। आपने
णाम के बीच म संबध ं आधा रत ह। उदाहरण के लए, पेड़ से सेब यह भी अवलोकन िकया होगा िक संगठन को उनका प्रबंध करने
का टू टकर पृथ्वी पर आने क घटना गु त्वाकषर् ण के ■सद्धांत को के लए कुछ िवशष्ट योग्यताओं एवं अनुभव क आवश्यकता होती
जन्म देती है। है। आपने यह भी पाया होगा िक एक ओर तो व्यवसाय िनगिमत
स्व प म वृद्ध हुई है तो दस
ू री ओर व्यवसाय के प्रबंध पर अधक
जोर िदया जा रहा है। क्या इसका अथर् यह हुआ िक प्रबंध एक
622 परीक्षण पर आधा रत ■सद्धांत पेशा है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लए आइए पेशे क प्रमुख
िवशेषताओं का अध्ययन कर एवं देख िक क्या प्रबंध इनको पूरा
वैज्ञािनक ■सद्धांत को पहले अवलोकन के माध्यम से िवक■सत
करता है। पेशे क िनम्न िवशेषताएँ ह
िकया जाता है और िफर िनयंित्रत प र स्थतय म बार-बार परीक्षण
कर उसक जांच क जाती है।
6 3 1 भली-भाँत प रभािषत ज्ञान का समूह
623 व्यापक वैधता
सभी पेशे भली-भाँत प रभािषत ज्ञान के समूह पर आधा रत होते
वैज्ञािनक ■सद्धांत, वैधता एवं उपयोग के लए सावर् भौिमक होते ह। ह ■जसे शक्षा से अ■जर् त िकया जा सकता है।
उपयुर्क्त िवशेषताओं के आधार पर हम कह सकते ह प्रबंध िवज्ञान
के प म कुछ िवशेषताओं को धारण करता है- 6 3 2 अवरोधत प्रवेश
• (क) प्रबंध भी क्रमबद्ध ज्ञान-समूह है। इसके अपने ■सद्धांत पेशे म प्रवेश, परीक्षा अथवा शैक्षणक योग्यता के द्वारा सीिमत
एवं िनयम ह जो समय-समय पर िवक■सत हुए ह। लेिकन ये होती है। उदाहरण के लए भारत म यिद िकसी को चाटर् डर् एकाउं टट
बनना है तो उसे भारतीय चाटर् डर् एकाउं टट संस्थान द्वारा आयो■जत
अन्य िवषय जैसे-अथर् शा , समाज शा , मनोिवज्ञान शा-
क जाने वाली एक िवशेष परीक्षा को पास करना होगा।
एवं गणत से भी प्रे रत होता है। अन्य िकसी भी संगिठत
िक्रया के समान प्रबंध क भी अपनी शब्दावली एवं अवधार-
णाओं का शब्दकोष है। उदाहरण के लए हम िक्रकेट अथवा
6 3 3 पेशागत प रषद्
फुटबॉल जैसे खेल पर चचार् के समय समान शब्दावली का
उपयोग करते ह। खलाड़ी भी एक दस ू रे से बातचीत करने सभी पेशे िकसी न िकसी प रषद् सभा से जुड़े होते ह जो इनम
म इन्ह शब्द का प्रयोग करते ह। इसी प्रकार से प्रबंधक
प्रवेश का िनयमन करते ह कायर् करने के लए प्रमाण पत्र जारी
को भी एक दस ू रे से संवाद करते समय समान शब्दावली का करते ह एवं आधार संिहता तैयार करते ह तथा उसको लागू करते
प्रयोग करना चािहए तभी वह अपने कायर् क स्थत को सही ह। भारत म वकालत करने के लए वक ल को बार काउं ■सल का
प म समझ पाएं गे। सदस्य बनना होता है जो उनके काय का िनयमन एवं िनयंत्रण
करता है।
• (ख) प्रबंध के ■सद्धांत, िवभन्न संगठन म बार-बार के परीक्षण
एवं अवलोकन के आधार पर िवक■सत हुए ह। अब क्य िक
प्रबंध का संबध ं मनुष्य एवं मानवीय व्यवहार से है, इस लए 6 3 4 नैतक आचार संिहता
इन परीक्षण के प रणाम क न तो सही भिवष्यवाणी क जा
सकती है और न ही यह प्रतध्विनत होते ह। इन सीमाओं सभी पेशे आचार संिहता से बंधे ह जो उनके सदस्य के व्यवहार
के होते हुए भी प्रबंध के िवद्वान प्रबंध के सामान्य ■सद्धांत को िदशा देते ह। उदाहरण के लए जब डॉक्टर अपने पेशे म प्रवेश
क पहचान करने म सफल रहे ह। एफ- डब्ल्यू- टेलर के करते ह तो वह अपने कायर् नैतकता क शपथ लेते ह।
वैज्ञािनक प्रबंध के ■सद्धांत एवं हैनरी फेयॉल के कायार्त्मक
प्रबंध के ■सद्धांत इसके उदाहरण ह।
6 3 5 सेवा का उद्देश्य
• (ग) प्रबंध के ■सद्धांत, िवज्ञान के ■सद्धात के समान िवशुद्ध पेशे का मूल उद्देश्य िनष्ठा एवं प्रतबद्धता है तथा अपने ग्राहक के
नह होते ह और न ही उनका उपयोग सावर् भौिमक होता िहत क साधना है। एक वक ल यह सुिनश्चत करता है िक उसके
है। इनम प र स्थतय के अनुसार संशोधन िकया जाता है।
मुविक्कल को न्याय िमले। प्रबंध, पेशे के ■सद्धांत को पूरी तरह से
लेिकन यह प्रबंधक को मानक तकनीक प्रदान करते ह ■जन्ह
पूरा नह करता है। वैसे इसम कुछ िवशेषताएँ होती ह जो िनम्न ह-
भन्न-भन्न प र स्थतय म प्रयोग म लाया जा सकता है। इन
■सद्धांत का प्रबंधक को प्रशक्षण एवं उनके िवकास के लए
भी उपयोग िकया जाता है। स्पष्ट है िक प्रबंध िवज्ञान एवं कला • (क) पूरे िवश्व म प्रबंध िवशेष प से एक संकाय के प म
दोन क िवशेषताएँ लए हुए है। प्रबंध का उपयोग कला है। िवक■सत हुआ है। यह ज्ञान के व्यव स्थत समूह पर आधा रत
लेिकन प्रबंधक और अधक श्रेष्ठ कायर् कर सकते ह यिद वह है ■जसके भली-भाँत प रभािषत ■सद्धांत ह जो व्यवसाय
प्रबंध के ■सद्धांत का उपयोग कर। कला एवं िवज्ञान के प क िवभन्न स्थतय पर आधा रत ह। इसका ज्ञान िवभन्न
म प्रबंध एक दस ू रे से भन्न नह ह ब ल्क पूरक ह। महािवद्यालय एवं पेशेवर संस्थान म पुस्तक एवं पित्रकाओं
6 8 प्रबंध के कायर्
के माध्यम से अ■जर् त िकया जा सकता है। प्रबंध को िवषय है। उच्च स्तर के ये प्रबंधक संगठन के कल्याण एवं िनरंतरता के
के प म िवभन्न संस्थान म पढ़ाया जाता है। इनम से कुछ लए उत्तरदायी होते ह। फमर् के जीवन के लए ये व्यवसाय के
संस्थान क स्थापना केवल प्रबंध क शक्षा प्रदान करने के पयार्वरण एवं उसके प्रभाव का िवश्लेषण करते ह। ये अपनी उप-
लए क गई है जैसे भारत म भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM)। ल ब्ध के नए संगठन के ल य एवं व्यूह-रचना को तैयार करते ह।
व्यवसाय के सभी काय एवं उनके समाज पर प्रभाव के लए ये ही
इन संस्थान म प्रवेश साधारणायतः प्रवेश परीक्षा के माध्यम
से होता है। उत्तरदायी होते ह। उच्च प्रबंध का कायर् जिटल एवं तनावपूणर् होता
है। इसम लंबा समय लगता है तो संगठन के प्रत पूणर्प्रतबद्धता
• (ख) िकसी भी व्यावसायक इकाई म िकसी भी व्यिक्त को क आवश्यकता होती है।
प्रबंधक मनोनीत अथवा िनयुक्त िकया जा सकता है। व्य- (ख) मध्य स्तरीय प्रबंध- ये उच्च प्रबंधक एवं नीचे स्तर के बीच क
िक्त क कोई भी शैक्षणक योग्यता हो उसे प्रबंधक कहा जा कड़ी होते ह, ये उच्च प्रबंधक के अधीनस्थ एवं प्रथम रेखीय प्रबं-
सकता है। चिकत्सा अथवा कानून के पेशे म डॉक्टर अथवा धक के प्रधान होते ह। इन्ह सामान्यतः िवभाग प्रमुख, प रचालन
वक ल के पास वैध डग्री का होना आवश्यक है लेिकन िव- प्रबंधक अथवा संयत्र ं अधीक्षक कहते ह। मध्य स्तरीय प्रबंधक, उच्च
श्व म भी प्रबंधक के लए कोई डग्री िवशेष, कानूनी प से प्रबंध द्वारा िवक■सत िनयंत्रण योजनाएँ एवं व्यूह-रचना के िक्रया-
अिनवायर् नह है। लेिकन यिद इस पेशे का ज्ञान अथवा प्र- न्वयन के लए उत्तरदायी होते ह। इसके साथ-साथ ये प्रथम रेखीय
शक्षण है तो यह उचत योग्यता मानी जाती है। ■जन लोग के प्रबंधक के सभी काय के लए उत्तरदायी होते ह। इनका मुख्य
पास प्रतिष्ठत संस्थान क डग्री अथवा डप्लोमा ह उनक कायर् उच्च स्तरीय प्रबंधक द्वारा तैयार योजनाओं को पूरा करना
माँग बहुत अधक है इस प्रकार से दस ू री आवश्यकता क
होता है। इसके लए
पूरी तरह से पूत नह होती है।
• (क) उच्च प्रबंधक द्वारा बनाई गई योजना क व्याख्या करते
• (ग) भारत म प्रबंध म लगे प्रबंधक के कई संगठन ह जैसे - ह,
आई. एम. ए. (ऑल इंडया मैनेजमट एसोशएसन)। ■जसने
अपने सदस्य के काय के िनयमन के लए आचार संिहता • (ख) अपने िवभाग के लए पयार्प्त संख्या म कमर् चा रय को
बनाई है। लेिकन प्रबंधक के ऊपर इस प्रकार के संगठन सुिनश्चत करते ह,
का सदस्य बनने के लए कोई दवाब नह है और न ही इनक
कोई वैधािनक मान्यता है। • (ग) उन्ह आवश्यक कायर् एवं दायत्व स पते ह,
• (घ) प्रबंध का मूल उद्देश्य संगठन को अपने उद्देश्य क प्रािप्त • (घ) इ च्छत उद्देश्य क प्रािप्त हेतु अन्य िवभाग से सहयोग
म सहायता करना है। यह उद्देश्य अधकतम लाभ कमाना करते ह। इसके साथ-साथ वे प्रथम पंिक्त के प्रबंधक के
हो सकता है या िफर अस्पताल म सेवा। वैसे प्रबंध का काय के लए उत्तरदायी होते ह।
अधकतम लाभ कमाने का उद्देश्य सही नह है तथा यह
तेजी से बदल रहा है। इस लए यिद िकसी संगठन के पास (ग) पयर् वेक्षीय अथवा प्रचालन प्रबंधक- संगठन क अधकार पंिक्त
एक अच्छे प्रबंधक क टीम है जो क्षमतावान एवं प्रभावी म फोरमैन एवं पयर् वेक्षक िनम्न स्तर पर आते ह। पयर् वेक्षक कायर् बल
है, तो वह स्वयं वही उचत मूल्य पर गुणवत्तापूणर् उत्पाद के काय का प्रत्यक्ष प से अवलोकन करते ह। इनके अधकार
उपलब्ध करा कर समाज क सेवा कर रहा है। एवं कत्तर्व्य उच्च प्रबंधक द्वारा बनाई गई योजनाओं द्वारा िनधार् रत
होती ह। पयर् वेक्षण, प्रबंधक क संगठन म मह वपूणर् भूिमका होती
है क्य िक यह सीधे वास्तिवक कायर् बल से संवाद करते ह एवं
मध्य स्तरीय प्रबंधक के िदशािनदश को कमर् चा रय तक पहुँचाते
7 प्रबंध के स्तर
ह। इन्ह के प्रयत्न से उत्पाद क गुणवत्ता को बनाए रखा जाता
है, माल क हािन को न्यूनतम रखा जाता है एवं सुरक्षा के स्तर
प्रबंध एक सावर् भौिमक शब्द है ■जसे, िकसी उद्यम म संबधं के समूह
बनाए रखा जाता है। कारीगरी क गुणवत्ता, एवं उत्पादन क मात्र
म एक दस ू रे से जुड़े लोग द्वारा कुछ काय को करने के लए उपयोग
कमर् चा रय के प रश्रम, अनुशासन एवं स्वामीभिक्त पर िनभर् र करती
म लाया जाता है। प्रत्येक-व्यिक्त का संबधं क इस ंखला म िकसी
है।
न िकसी कायर् िवशेष को पूरा करने का उत्तरदायत्व होता है। इस
उत्तरदायत्व को पूरा करने के लए उसे कुछ अधकार िदए जाते
ह अथार्त् िनणर् य लेने का अधकार। अधकार एवं उत्तरदायत्व
का यह संबध ं व्यिक्तय को अधकारी एवं अधीनस्थ के प म एक 8 प्रबंध के कायर्
दस ू रे को बाँधते ह। इससे संगठन म िवभन्न स्तर का िनमार्ण होता
है। िकसी संगठन के अधकार ंखला म तीन स्तर होते ह- प्रबंध को संगठन से सदस्य से काय के िनयोजन, संगठन, िनदेशन
एवं िनयंत्रण एवं िनधार् रत उद्देश्य क प्रािप्त के लए संगठन के
(क) उच्च स्तरीय प्रबंध-यह संगठन के व रष्ठतम कायर् कारी अध- संसाधन के प्रयोग क प्रिक्रया माना गया है।
कारी होते ह ■जन्ह कई नाम से पुकारा जाता है। यह सामान्यतः
चेयरमैन, मुख्य कायर् कारी अधकारी, मुख्य प्रचालन अधकारी,
प्रधान, उपप्रधान आिद के नाम से जाने जाते ह। उच्च प्रबंध, िव- 8 1 िनयोजन
भन्न कायार्त्मक स्तर के प्रबंधक क टीम होती है। उनका मूल
कायर् संगठन के कुल उद्देश्य को ध्यान म रखते हुए िवभन्न तत्व यह पहले से ही यह िनधार् रत करने का कायर् है िक क्या करना
म एकता एवं िवभन्न िवभाग के काय म सामंजस्य स्थािपत करना है, िकस प्रकार तथा िकसको करना है। इसका अथर् है उद्देश्य
8 5 िनयंत्रण 7
को पहले से ही िनश्चत करना एवं दक्षता से एवं प्रभावी ढंग से कमर् चा रय को अभप्रे रत करने का अथर् केवल एक ऐसा वातावरण
प्राप्त करने के लए मागर् िनधार् रत करना। सुहा■सनी के संगठन का तैयार करना है जो उन्ह कायर् के लए प्रे रत करे। नेतृत्व का अथर्
उद्देश्य है परंपरागत भारतीय हथकरघा एवं हस्तशल्प क वस्तुओं है दस ू र को इस प्रकार से प्रभािवत करना, िक वह अपने नेता के
को खरीदकर उन्ह बेचना। वह बुने हुए व , सजावट का सामान, इ च्छत कायर् संपन्न कर। एक अच्छा प्रबंधक प्रशंसा एवं आलोचना
परंपरागत भारतीय कपड़े से तैयार व एवं घरेलू सामान को बेचते क सहायता से इस प्रकार से िनदशन करता है िक कमर् चारी अपना
ह। सुहा■सनी इनक मात्र, इनके िवभन्न प्रकार, रंग एवं बनावट के श्रेष्ठतम योगदान दे सक। सुहा■सनी के डजाइनकतार्ओं क टीम ने
संबध ं म िनणर् य लेती है िफर िवभन्न आपूतकतार्ओं से उनके क्रय पलंग क चादर के लए ■सल्क पर भड़क ले रंग के छापे िवक■सत
अथवा उनके घर म तैयार कराने पर संसाधन का आवंटन करती िकए। यद्यिप यह बहुत लुभावने लगते थे लेिकन ■सल्क के प्रयोग
है। िनयोजन समस्याओ के पैदा होने से कोई रोक नह सकता के कारण आम आदमी के लए यह बहुत अधक महँगे थे। उनके
लेिकन इनका पूवार्नुमान लगाया जा सकता है तथा यह जब भी कायर् क प्रशंसा करते हुए सुहा■सनी ने उन्ह सुझाव िदया िक इन
पैदा होते ह तो इनको हल करने के लए आक स्मक योजनाएँ बना ■सल्क क चादर को वह दीपावली, िक्रसमस जैसे िवशेष अवसर
सकती ह। के लए सहेज कर रख तथा उन्ह िनयिमत प से सूती व पर
छाप।
82 संगठन
8 5 िनयंत्रण
यह िनधार् रत योजना के िक्रयान्वयन के लए कायर् स पने, काय को
समूह म बांटने, अधकार िनश्चत करने एवं संसाधन के आवंटन
के कायर् का प्रबंधन करता है। एक बार संगठन के उद्देश्य को पूरा
िनयंत्रण को प्रबंध के कायर् के उस प म प रभािषत िकया है
करने के लए िवशष्ट योजना तैयार कर ली जाती है तो िफर संगठन
■जसम वह संगठन के ल य को प्राप्त करने के लए संगठन कायर्
योजना के िक्रयान्वयन के लए आवश्यक िक्रयाओं एवं संसाधन
के िनष्पादन को िनदशत करता है। िनयंत्रण कायर् म िनष्पादन के
क जांच करेगा। यह आवश्यक काय एवं संसाधन का िनधार्रण
स्तर िनधार् रत िकए जाते ह, वतर् मान िनष्पादन को मापा जाता है।
करेगा। यह िनणर् य लेता है िक िकस कायर् को कौन करेगा, इन्ह
इसका पूवर्िनधार् रत स्तर से िमलान िकया जाता है और िवचलन
कहाँ िकया जाएगा तथा कब िकया जाएगा। संगठन म आवश्यक
काय को प्रबंध के योग्य िवभाग एवं कायर् इकाईय म िवभा■जत क स्थत म सुधारात्मक कदम उठाए जाते ह। इसके लए प्रबंधक
िकया जाता है एवं संगठन क अधकार ंखला म अधकार एवं को यह िनधार् रत करना होगा िक सफलता के लए क्या कायर् एवं
िववरण देने के संबध ं का िनधार्रण िकया जाता है। संगठन के उत्पादन मह वपूणर् ह, उसका कैसे और कहाँ मापन िकया जा
उचत तकनीक कायर् के पूरा करने एवं प्रचालन क कायर् क्षमता सकता है तथा सुधारात्मक कदम उठाने के लए कौन अधकृत
एवं प रणाम क प्रभाव पूणर्ता के संवधर् न म सहायता करते ह। है। सुहा■सनी ने जब पाया िक उसके डजाइनकतार्ओं क टीम ने
िवभन्न प्रकार के व्यवसाय को कायर् क प्रकृत के अनुसार भन्न- पलंग क वह चादर बनाई जो उनक िवक्रय के लए िनश्चत मूल्य
भन्न ढाँच क आवश्यकता होती है। इसके संबध ं म आप आगे के से अधक महँगी थी तब उसने लागत पर िनयंत्रण के लए चादर
अध्याय म और अधक पढ़गे। हेतु कपड़ा ही बदल िदया।
प्रबंधक के िवभन्न काय पर साधारणतया उपरोक्त क्रम म ही चचार्
क जाती है ■जसके अनुसार एक प्रबंधक पहले योजना तैयार
8 3 कमर् चारी िनयुिक्तकरण करता है; िफर संगठन बनाता है; तत्पश्चात् िनदशन करता है; और
अंत म िनयंत्रण करता है। वास्तव म प्रबंधक शायद ही इन काय
सरल शब्द म इसका अथर् है सही कायर् के लए उचत व्यिक्त को एक-एक करके करता है। प्रबंधक के कायर् एक दस ू रे से जुड़े
को ढू ँ ढ़ना। प्रबंध का एक मह वपूणर् पहलू संगठन के उद्देश्य क ह तथा यह िनश्चत करना किठन हो जाता है कौन-सा कायर् कहाँ
प्रािप्त के लए सही योग्यता वाले सही व्यिक्तय को, सही स्थान समाप्त हुआ तथा कौन-सा कायर् कहाँ से प्रारंभ हुआ।
एवं समय पर उपलब्ध कराने को सुिनश्चत करना है। इसे मानव
संसाधन कायर् भी कहते ह तथा इसम कमर् चा रय क भत , चयन,
कायर् पर िनयुिक्त एवं प्रशक्षण स म्म लत ह। इनफो■सस टेक्नो-
9 समन्वय, प्रबंध का सार है
लॉजी, जो सॉफ्रटवेयर िवक■सत करती है, को प्रणाली िवश्लेष-
णकत्तार् एवं कायर् क्रम तैयार करने वाले व्यिक्तय क आवश्यकता
होती है जबिक लैबमाटर् को डजाइनकत्तार् एवं शल्पकार के टीम
क आवश्यकता होती है।
बांधती है। यह ऐसा धागा है जो संगठन के कायर् म िनरंतरता बनाए यह िवभन्न िवभाग को जोड़ने क शिक्त का कायर् करता है तथा
रखने के लए क्रय, उत्पादन, िवक्रय एवं िवत्त जैसे सभी काय यह सुिनश्चत करता है िक सभी िक्रयाएँ संगठन के ल य को प्राप्त
को िपरोए रखता है। समन्वय को कभी-कभी प्रबंध का एक अलग करने के लए क जाएँ । आपने पाया िक लैबमाटर् के उत्पादन एवं
से कायर् माना जाता है। लेिकन यह प्रबंध का सार है क्य िक यह िवक्रय िवभाग को अपने काय म समन्वय करना होता है ■जससे
सामूिहक ल य को प्राप्त करने के लए िकए गए व्यिक्तगत प्रयत्न िक बाजार क माँग के अनुसार उत्पादन िकया जा सके।
म एकता लाता है। प्रत्येक प्रबंधक य कायर् एक ऐसी गतिवध है
(ग) समन्वय िनरंतर चलने वाली प्रिक्रया है- समन्वय कोई एक बार
जो स्वयं अकेली समन्वय म सहयोग करती है। समन्वय िकसी भी
का कायर् नह है ब ल्क एक िनरंतर चलने वाली प्रिक्रया है। यह
संगठन के सभी काय म लक्षत एवं अन्त निहत ह।
िनयोजन से प्रारंभ होता है एवं िनयंत्रण तक चलती है। सुहा■सनी
संगठन क िक्रयाओं के समन्वय क प्रिक्रया, िनयोजन से ही प्रारंभ ठंड के समय के लए व के संबध ं म जून के महीने म ही योजना
हो जाती है। उच्च प्रबंध पूरे संगठन के लए योजना बनाता है। इन बना लेती है। तत्पश्चात् वह पयार्प्त कायर् बल क व्यवस्था करती
योजनाओं के अनुसार संगठन ढाँच को िवक■सत िकया जाता है है। उत्पादन योजना के अनुसार ही इसके लए लगातार िनगरानी
एवं कमर् चा रय क िनयुिक्त क जाती है। योजनाओं का िक्रयान्वयन रखती है उसे अपने िवपणन िवभाग को समय रहते बताना होगा
योजना के अनुसार ही यह सुिनश्चत करने के लए िनदशन क िक वह िवक्रय प्रवतर् न एवं िवज्ञापन के प्रचार के लए तैयार कर।
आवश्यकता होती है। वास्तिवक िक्रयाओं एवं उनक उपल ब्धय (घ) समन्वय सवर् व्यापी कायर् है- िवभन्न िवभाग क िक्रयाएँ प्रकत
ृ
म यिद कोई मतभेद है तो इसका िनराकरण िनयंत्रण के समय िकया
से एक दस ू रे पर िनभर् र करती ह इसी लए समन्वय क आवश्यकता
जाता है। समन्वय क िक्रया के माध्यम से प्रबंध का समान उद्देश्य
क प्रािप्त के लए उठाए गए कदम म एकता को सुिनश्चत करने प्रबं
ध के सभी स्तर पर होती है। यह िवभन्न िवभाग एवं िवभन्न
स्तर के काय म एकता स्थािपत करता है। संगठन के उद्देश्य बना
के लए व्यिक्तगत एवं सामूिहक प्रयत्न क सही व्यवस्था करता
िवरोध आ सके, प्राप्त करने के लए सुहा■सनी को क्रय, उत्पादन
है, समन्वय संगठन क िवभन्न इकाइय के भन्न-भन्न काय एवं
प्रयत्न म एकता स्थािपत करता है। यह प्रयत्न क आवश्यकता एवं िवक्रय िवभाग के काय म समन्वय करना होता है। क्रय िवभाग
राश, मात्र, समय एवं क्रमबद्धता उपलब्ध कराता है जो िनयो■जत का कायर् कपड़ा खरीदना है। यह उत्पादन िवभाग क िक्रयाओं के
उद्देश्य को न्यूनतम िवरोधाभास, प्राप्त करने को सुिनश्चत करता लए आधार बन जाता है और अन्त म िवक्रय संभव हो पाता है।
यिद कपड़ा घिटया गुणवत्ता वाला है या िफर उत्पादन िवभाग द्वारा
है।
िनधार् रत िवशष्टताएँ लए हुए नह है तो इससे आगे क िबक्री
कम हो जाएगी। यिद समन्वय नह है तो िक्रयाओं म एकता एवं
9 1 समन्वय क प रभाषाएँ एक करण के स्थान पर पुनरावृ त्त एवं अव्यवस्था होगी।
(ङ) समन्वय सभी प्रबंधक का उत्तरदायत्व है- िकसी भी संगठन
• समन्वय कायर् दल म संतुलन बनाने तथा उसे एक जुट बनाए म समन्वय प्रत्येक प्रबंधक का कायर् है उच्च स्तर के प्रबंधक यह
रखने क प्रिक्रया है, ■जसम भन्न-भन्न व्यिक्तय के बीच कायर् सुिनश्चत करने के लए िक संगठन क नीतय का िक्रयान्वयन हो,
का सही-सही िवभाजन िकया जाता है तथा यह देखा जाता अपने अधीनस्थ के साथ समन्वय करते ह। मध्यस्तर के प्रबंधक,
है िक ये व्यिक्त िमलकर तथा एकता के साथ अपना-अपना उच्चस्तर के प्रबंधक एवं प्रथम पंिक्त के प्रबंधक , दोन के साथ
कायर् कर सक। - ई. एफ. एल. ैच समन्वय करते ह। यह सुिनश्चत करने के लए िक कायर् योजनाओं
के अनुसार िकया जाए, प्रचालन स्तर के प्रबंधक अपने कमर् चा रय
• समन्वय एक प्रिक्रया है ■जसके द्वारा एक अधकारी अपने
अधीनस्थ के सामूिहक प्रयास को एक व्यव स्थत ताने-बाने के काय म समन्वय करते ह।
म बाँधता है तथा समान उद्देश्य क प्रािप्त के लए कायर् म (च) समन्वय सोचा-समझा कायर् है- एक प्रबंधक को िवभन्न लोग
एकता लाता हैय् -मैक फरलड फ्समन्वय अधीनस्थ कमर् - के काय का ध्यानपूवर्क एवं सोच समझकर समन्वय करना होता
चा रय के काय का इस प्रकार परस्पर िमलान करता है िक है। िकसी िवभाग म सदस्य स्वेच्छा से एक दसू रे से सहयोग करते
प्रत्येक कमर् चारी के कायर् क गत, प्रगत और श्रेणी दस
ू रे हुए कायर् करते ह, समन्वय इस सहयोग क भावना को िदशािनदश
कमर् चारी के कायर् क गत, प्रगत तथा श्रेणी से मेल खाये देता है। समन्वय के न होने पर सहयोग भी िनरथर् क ■सद्ध होगा
तथा आपस म िमलकर संस्था के समान उद्देश्य क प्रािप्त और िबना सहयोग के समन्वय कमर् चा रय म असंतोष को ही जन्म
म सहायक है। - थयो हेमन ै देगा।
इस लए हम कह सकते ह िक समन्वय, प्रबंध का पृथक से एक
9 2 समन्वय क प्रकृत कायर् नह है ब ल्क यह उसका सार है। यिद कोई संगठन अपने
उद्देश्य को प्रभावी ढंग से एवं कुशलता से प्राप्त करना चाहता है
तो उसे समन्वय क आवश्यकता होगी। माला म धागे के समान
उपरोक्त प रभाषाओं से समन्वय क िनम्न िवशेषताएँ स्पष्ट होती
ही समन्वय प्रबंध के सभी काय का अभन्न अंग है।
ह-
(क) समन्वय सामूिहक काय म एकात्मकता लाता है- समन्वय
ऐसे िहत को जो एक दस ू रे से संबं धत नह ह या एक दस
ू रे से
9 3 समन्वय का महत्व
भन्न ह उद्देश्य पूणर् कायर् गतिवध म एकता लाता है। यह समूह के
काय को एक केन्द्र बद ु प्रदान करता है जो यह सुिनश्चत करता
िवभन्न प्रबंधक य काय को एक कृत करना व्यिक्तय एवं िवभाग
है िक िनष्पादन योजना एवं िनधार् रत कायर् क्रम के अनुसार हो।
म पयार्प्त मात्र म समन्वय को सुिनश्चत करता है। जैसे समन्वय क
(ख) समन्वय कायर् वाही म एकता लाता है- समन्वय का उद्देश्य समस्या के पैदा होने के कारण बड़े पैमाने के संगठन म अंत निहत
समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लए कायर् वाही म एकता लाना है। िनरंतर प रवतर् न कमजोर अथवा िन ष्क्रय नेतृत्व एवं जिटलताएं
9
ह। बड़े संगठन म इस प्रकार क जिटलताओं के समन्वय के लए है, इस सबक समझ का होना बहुत आवश्यक है।
िवशेष प्रयत्न क आवश्यकता होती है।
उदाहरण के लए जो प्रबंधक िवभन्न संस्कृतय म पैठ रखता है
(क) संगठन का आकार-बड़े संगठन म लगे बड़ी संख्या म लोग वह पश्चमी यूरोप, गैर अंग्रेजी बोलने वाले देश म कायर् कर सकता है
समन्वय क समस्या को जिटल बना देते ह। प्रत्येक व्यिक्त अपने
िफर मलेशया अथवा केन्या जैसे िवकासशील देश म जा सकता
आप म िवशष्ट है। तथा अपनी एवं संगठन क आवश्यकताओं
है और िफर उसे न्यूयाकर्, यू- एस- ए- के कायार्लय म हस्तांत रत
को महसूस करता है। प्रत्येक क अपनी कायर् करने क आदत ह,
िकया जा सकता है। वह इन तीन स्थान पर तुरत ं प्रभावी ढंग से
अपनी पृष्ठभूिम ह, प र स्थतय से िनपटने के प्रस्ताव/तरीके ह
कायर् कर सकेगा।
तथा दसू र से संबध ं ह। वैसे एक अकेला व्यिक्त सदा बुद्धमानी
से कायर् नह करता है। उसके व्यवहार को न तो सदा ठीक से वैश्वक प्रबंधक क भूिमका का िवकास उसी प्रकार से हुआ है ■जस
समझा जाता है और न ही पूरी तरह से उसका पूवार्नुमान लगाया प्रकार से वैश्वक उद्योग एवं अथर् व्यवस्था का िवकास हुआ है। यह
जा सकता है। इस लए संगठन क कायर् कुशलता के लए यह एक प रभािषत व्यवसाय के सन्दभर् म एक आयामी भूिमका से
बहुआयामी भूिमका म प रवतत हो गया है ■जसके लए तकनीक
अिनवायर् है िक व्यिक्त एवं समूह के उद्देश्य को समन्वय द्वारा
एक कृत कर िदया जाए। कौशल, सॉफ्रट प्रबंध एवं कौशल एवं िवभन्न संस्कृतय को ग्रहण
(ख) कायार्त्मक िवभेदीकरण- संगठन के काय को बार-बार िव- करना एवं सीखने के स म्मश्रण क आवश्यकता होती है।
भाग , प्रभाग , वग आिद म बाँटा जाता है। समन्वय क समस्या
इस लए पैदा होती है क्य िक अधकार क्षेत्र का ढ़ीकरण हो जाता
है और उनके बीच के अवरोधक और भी अधक मजबूत हो जाते 11 प्रबंधन के क्षेत्र, श्रेणयां और कायार्न्वयन
ह। कई बार यह इस लए होता है क्य िक काय का वग करण युिक्त
संगत नह होता या िफर प्रबंधक तकर् संगत मागर् न अपना कर
अनुभव का मागर् अपनाते ह। ऐसे मामल म संगठन म प्रभावी ढंग 12 यह भी देख
से कायर् करने के लए समन्वय आवश्यक है।
(ग) िवशष्टीकरण- आधुिनक संगठन म उच्च स्तर का िवशष्टीकरण 13 सन्दभर्
है। िवशष्टीकरण का जन्म आधुिनक तकनीक क जिटलताओं
तथा काय एवं इन्ह करने वाल क िविवधता के कारण होता
है। िवशेषज्ञ सोचते ह िक वे एक दस ू रे को पेशे के आधार पर 14 बाहरी किड़याँ
जाँचने के योग्य ह लेिकन दस ू रे लोग क े पास इस प्रकार के िनणर् य
का कोई पयार्प्त आधार नह हो सकता। यिद िवशेषज्ञ को िबना • व्यावसायक संगठन एवं प्रबन्धन, भाग - १० (गूगल पुस्तक
समन्वय एक भूमड ं लीय प्रबंधक के सामने चुनौती के कायर् करने क ; लेखक - डॉ आर के ↓सग्ला)
अनुमत दे दी जाए तो प रणाम काफ मंहगे ह गे। इसी लए संगठन
• व्यावसायक अध्ययन (गूगल पुस्तक ; लेखक - डॉ आर के
म लगे िवभन्न िवशेषज्ञ के काय म समन्वय हेतु एक रचना तंत्र
↓सग्ला)
क आवश्यकता है।
समन्वय प्रबंध का सार है। यह कुछ ऐसा नह है तिक ■जसके लए • व्यावसायक संगठन, प्रबन्ध एवं प्रशासन (गूगल पुस्तक ;
एक प्रबंधक आदेश दे। ब ल्क यह तो वह चीज है ■जसे एक प्रबंधक लेखक - मनमोहन प्रसाद)
िनयोजन, संगठन, िनयुिक्तकरण, िनदशन िनयंत्रण काय को करते • व्यापार प्रबंधन म पेशेवर का संगठन (ऐपीबीएम)
हुए प्राप्त करने का प्रयास करता है। अतः प्रत्येक कायर् समन्वय का
अभ्यास है। • प्रबंधन पा क्रम एमआईटी स्लोअन पर, ओपन कोसर् वेयर
• (संयक्त
ु राज्य) प्रबंधन क अकादमी: छात्रवृ त्त और प्रबंधन
10 इक्क सव शताब्दी म प्रबंध
के अभ्यास के लए सम पत.
संगठन एवं इनके प्रबंध म प रवतर् न आ रहा है। जैसे-जैसे िवभन्न • प्रमाणत पेशेवर प्रबंधक का संस्थान
संस्कृतय एवं देश क सीमाएँ धुध ं ली पड़ रही ह एवं संप्रेषण क
• प्रबन्धन ब्लॉग (प्रबंधन जीवन के लये अिनवायर् है।)
नयी-नयी तकनीक के कारण िवश्व को एक वैश्वक गाँव समझा जा
ं भी तेजी से बढ़ रहे
सकता है। अंतरार्ष्ट्रीय एवं अंतर संस्कृत संबध
ह। आज का संगठन एक वैश्वक संगठन है ■जसका प्रबंध भूमड ं लीय
प र श्य म िकया जाता है।
सारांश म कह सकते ह िक एक वैश्वक प्रबंधक वह है ■जसके
पास ‘हाडर् ’ एवं ‘सॉफ्ट’ दोन प्रकार का कौशल ह। जो प्रबंधक
िवश्लेषण करना, व्यूहरचना करना, इंजीिनय रग एवं प्रौद्योिगक का
ज्ञान रखते ह उनक आज भी आवश्यकता है लेिकन िवश्वव्यापी
सफलता के लए व्यिक्तय म टीम कैसे कायर् करती है, संगठन कैसे
कायर् करते ह एवं लोग को िकस प्रकार से अभप्रे रत कर सकता
10 15 पाठ और चत्र के ोत, योगदानकतार् और लाइसस
15 1 पाठ
• प्रबन्धन ोत: https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%
8D%E0%A4%A7%E0%A4%A8?oldid=2805335 योगदानकतार्: Escarbot, Thijs!bot, JAnDbot, TXiKiBoT, VolkovBot, अनुनाद ↓सह,
SieBot, Zorrobot, Vkborah, Xqbot, Rubinbot, Wikitrans, Siddhartha Ghai, RedBot, EmausBot, Mayur, ZéroBot, JackieBot, Mayurbot,
Bill william compton, Movses-bot, Manubot, CocuBot, MerlIwBot, Gopal mishra, VibhijainBot, Orbot1, AvocatoBot, संजीव कुमार,
Addbot, Sanjeev bot और अनािमत: 3
15 2 चत्र
15 3 सामग्री लाइसस
• Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0