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सामान्य प्रबंधन -1

प्रबंधन क्या है ं ?
• व्यवसाय एवं संगठन के सन्दर्भ में पर् बन्धन (Management) का अर्भ है - भक
उपलबध् संसाधनों का तर्ा
दक्
षतापव
पर् र्ावपर्भ तरीके से उपयोग करते हएु लोगों के कायों में समनव् य करना
ताकक लक्ष्यों की पर् ाकि सकनकित की जा
सके ।
• पर् बनध् न के अनत् गभत आयोजन (planning), संगठन-कनमाभर् (organizing), स्टाक ं ग आत
(staffing), नेततृ् े
(leading या directing), तर्ा संगठन अर्वा पहल का कनयंतर् र् करना आकद ह।ैं
• संगठन र्ले ही बडा हो या छोटा, लार् के कलए हो अर्वा गैर-लार् वाला, सेवा पर् दान करता हो अर्वा व करना
कवकनमाभर्क ताभ, पर् बंध सर्ी के कलए आवश्यक ह।ै
• पर् बंध इसकलए आवश्यक है कक व्यकि सामकहक उद्दश्यों की पकतभ में अपना रेषेठतमतम
योगदान दे सकें ।
• पर् बंध में पारस्पररक रूप से संबंकधत वह कायभ सकममकलत हैं कजन्हें सर्ी
पर् बंधक करते ह।ैं
सामान्य प्रबंधन -1
प्रबंधन की पररभाषाएं ?
• पवाभनमान करना तर्ा योजना बनाना, सगं ठन
बनाना, आदश दना, समन्वय करना ही पर् बन्धन ह। - हनरीे फे योल
• ("to manage is to forecast and to plan, to organize, to command, to co-ordinate and to
control.")
• पर् बंध पररवतभनशील पयाभवरर् में सीकमत संसाधनों का कु शलतापवभक उपयोग
करते हएु सगं ठन के उद्दश्यों
को,
पर् र्ावी ढंग से पर् ाि करने, के कलए दसरों से कमलकर एवं - क् रीटनर
उनके माध्यम से कायभ करने की पर् करियया ह।
• "पर् बंध यह जानने की कला है कक क्या करना है तर्ा उसे करने का
सवोत्तम एवं सल र् तरीका क्या है -
"एफ.डब्ल्यू.टेलर "
सामान्य प्रबंधन -1
प्रबंधन की अवधारणा ?
• पर् बंध शबद् एक बहुपर् चकलत शबद् है कजसे सर्ी पर् कार की करिययाओ ं ककया गया
के कलए व्यापक रूप से पर् यि ह।
• पर् बंध वह करियया है जो हर उस संगठन में आवश्यक है कजसमें लोग समह संगठन में लोग
के रूप में कायभ कर रहे ह।
अलग-अलग पर् कार केकायभ करते हैं लेककन वह सर्ी समान उद्दश्य को पाने केकलए कायभ करते ह।
• पर् बंध लोगों के पर् यतन् ों एवं समान उद्दश्य को पर् ाि करने में कदशा पर् दान करता ह।
• इस पर् कार से पर् बंध यह दखता है कक कायभ परे हों एवं लक्ष्य भता) कम-से-कम
पर् ाि ककए जाएँ (अर्ाभत् पर् र्ाव पर्
साधन एवं न्यनतम लागत (अर्ाभत् कायभ क्षमता) पर हो।
• अतः पर् बंध को पररर्ाकित ककया जा सकता है कक यह उद्दश्
यों को पर् र्ावी ढंग से एवं दक्षता से पर् ाि करने के उद्दश्य
से कायों को परा कराने की पर् करियया ह।
• कु छ शबद् ऐसे हैं कजनका कवस्तार से वर्भन ये शब्द ह-
करना आवश्यक ह।
• (क) प्रजक् रया (ख) प्रभावी ढंग से एवं (ग)
पूणण क्षमता से।
सामान्य प्रबंधन -1
• (क) प्रजक् रया (ख) प्रभावी ढंग से एवं (ग) पूणण क्षमता से।
• पररर्ािा में पर् यि पर् करियया से अकर्पर् ाय है पर् ार्कमक कायभ अर्वा करिययाएँ कजन्हें पर् बधं
कायों को परा
कराने के कलए
करता ह।ै
• ये कायभ ह- कनयोजन, सगं ठन, कनयकिकरर्, कनदशन एवं
कनयतर् र्ं कजन पर चचाभ इस अध्याय में एवं पस्तक में आगे
की जाएगी।
• पर् र्ावी अर्वा कायभ को पर् र्ावी ढंग से करने का वासत् व में पर् र्ाव
अकर्पर् ायः कदए गए कायभ को संपन्न करना ह। ी
पर् बंध का संबंध सही कायभ को करने, करिययाओ ं को परा करने एवं उद्दश्यों
को पर् ाि करने से ह। दसरे शबद् ों में, इसका
कायभ अंकतम पररर्ाम पर् ाि करना ह।ै
• कु शलता का अर्भ है कायभ को सही ढंग से न्यनू तम लागत पर करना। इसमें एक पर् कार का लागत-लार्
कवश्लेिर्
एवं आगत तर्ा कनगभत के बीच संबंध होता ह।
• यकद कम साधनों (आगत) का उपयोग कर अकधक लार् (कनगभत) पर् ाि करते हैं तो हम कहगे कक
क्षमता में वकि हुई
ह।ै
सामान्य प्रबंधन -1
• क्षमता में वकि होगी यकद उसी लार् के कलए अर्वा कनगभत के कलए कम साधनों
का उपयोग ककया जाता है एवं कम
लागत व्यय की जाती ह।ै
• आगत साधन वे हैं जो ककसी कायभ कवशेि को करने के कलए आवश्यक धन, माल उपकरर् एवं मानव संसाधन हों।
• स्वर्ाकवक है कक पर् बंध का संबंध इन संसाधनों के कु शल पर् योग से है
क्योंकक इनसे लागत कम होती है एवं अन्त में
इनसे लार् में वकि होती ह।
सामान्य प्रबंधन -1
प्रबंधन की जवशेषताएं
• कु छ पररर्ािाओ ं के अध्ययन के पिात् हमें कु छ ततव् ों
का पता लगता है कजन्हें हम पर् बंध की आधारर्तकवशेिताएँ कहते ह।ैं
• प्रबंध एक उद्देश्यपूणण प्रजक् रया है- ककसी र्ी संगठन के कु छ
मलाधार उद्दश्य होते हैं कजनके कारर् उसका अकस्तत्व ह।ै
• यह उद्दश्य सरल एवं सप् ष्ट होने चाकहए। पर् तय् ेक सगं ठन के उद्दश्य कर्न्न होते ह।
• उदाहरर् के कलए एक ु टकर दकान का उद्दश्य कबरियी बढाना हो सकता है लेककन ‘कद
स्पाकसट् कस सोसाइटी ऑ
इकिया’ का उद्दश्य कवकशषट् आवशय् कता वाले बचच् ों को कशक्षा पर् दान करना ह।
• पर् बंध संगठन के कवकर्न्न लोगों के पर् यतन् ों को इन उद्दश्यों की पर् ाकि हतु एक
सतर् में बाँधता ह।
• प्रबंध सवणव्यापी है- संगठन चाहे आकर्भक हो या सामाकजक या क र
राजनैकतक, पर् बंध की करिययाएँ सर्ी में समान
ह।ैं
• एक पेट्रोल पंप के पर् बंध की र्ी उतनी ही आवश्यकता है कजतनी की एक
असप् ताल अर्वा एक कवद्यालय की ह।ै
सामान्य प्रबंधन -1
प्रबंधन की जवशेषताएं
• प्रबंध सवणव्यापी है- र्ारत में एस- ए-, जमभनी अर्वा जापान में र्ी होगा। वह इन्ह
पर् बंधकों का जो कायभ है वह य-
कै से करते हैं यह कर्न्न हो सकता ह। यह कर्न्नता र्ी उनकी सस्ं कृ कत,
रीकत-ररवाज एवं इकतहास की कर्न्नता क
कारर् हो सकती ह।ै
• प्रबंध बहुआयामी है- पर् बंध एक जकटल करियया है कजसके तीन पर् मख पररमार् ह, जो
इस पर् कार ह-
• (अ) कायण का प्रबंध - सर्ी संगठन ककसी न ककसी कारखाने में ककसी उत्पादक
कायभ को करने के कलए होतेह।
का कवकनमाभर् होता है तो एक वस्तर् र्ंिार में गर् ाहक के ककसी आवश्यकता
की पकतभ की जाती है जबकक अस्पताल में
एक मरीज का इलाज ककया जाता ह।ै
• पर् बंध इन कायों को पर् ाप्य उद्दश्यों में पररवकतभत कर दता है तर्ा इन उद्दश्यों को
पर् ाि करने के मागभ कनधाररतभ करता ह।
• इनमें सममकलत ह-समस्याओ ं का समाधान, कनर्भय लनाे , योजनाएँ बनाना, बजट बनाना,
दाकयतव् कनकित करना एवं
अकधकारों का पर् त्यायोजन करना।
सामान्य प्रबंधन -1
प्रबंधन की जवशेषताएं
• (ब) लोगों का प्रबंध- मानव संसाधन अर्ाभत् लोग ककसी र्ी तकनीक में
संगठन की सबसे बडी संपकत्त होते ह।
सधारों के बाद र्ी लोगों से काम करा लेना आज र्ी पर् बंधक का पर् मख
कायभ ह।
• लोगों के पर् बंधन के दो पहलू ह-ैं
• (1) पर् र्म तो यह कमभचाररयों को अलग-अलग आवश्यकताओ ं एवं व्यवहार वाले व्यकियों
के रूप में मानकर व्यवहार करता ह।ै
• (2) दसरे यह लोगों के सार् उन्हें एक समह मानकर व्यवहार करता ह। पर् बंध लोगों
की ताकत को पर् र्ावी बनाकर
एवं उनकी कमजोरी को अपर् सांकगक बनाकर उनसे संगठन के उद्दश्यों की पर् ाकि
के कलए काम कराता ह।
• (स) पररचालन का प्रबंध - संगठन कोई र्ी क्यों न हो इसका आकसत् तव् ककसी न
ककसी मल उतप् ाद अर्वा सेवा
को पर् दान करने पर कटका होता ह।ै
• इसके कलए एक ऐसी उत्पादन पर् करियया की आवशय् कता होती है जो आगत माल को उपर्ोग के कलए
आवशय् क
कनगभत में बदलने के कलए आगत माल एवं तकनीक के पर् वाह को व्यवकस्र्त करती
ह।ै
सामान्य प्रबंधन -1
प्रबंधन की जवशेषताएं
• (द) प्रबंध एक जनरंतर चलने वाली प्रजक् रया है- पर् बंध लेककन क- क कायों
पर् करियया कनरं तर, एकजट पर् पर्
(कनयोजन संगठन, कनदशन कनयकिकरर् एवं कनयतर् र्ं ) की एक रेषंखला ह।
• इन कायों को सर्ी पर् बंधक सदा सार्-सार् ही कनष्पाकदत करते ह।ैं
• (इ) प्रबंध एक सामूजहक जक् रया है - संगठन कर्न्न-कर्न्न आवशय् कता वाले अलग- अलग
पर् कार के लोगों का
समह होता ह।ै
• समह का पर् तय् ेक व्यकि संगठन में ककसी य को लेकर सकममकलत होता है लेककन
न ककसी अलग उद्दश् संगठन क
सदस्य केरूप में वह संगठन केसमान उद्दश् यों की पक तभ के कलए कायभ करते ह।
इसके कलए एक टीम केरूप में कायभ
करना होता है एवं व्यकिगत पर् यतन् ों में समान कदशा में समन्वय की आवशय् कता
होती ह।
• इसके सार् ही आवश्यकताओ ं एवं अवसरों में पररवतभन के अनसार पर् बंध सदस्यों
को बढने एवं उनके कवकास को
संर्व बनाता ह।ै
सामान्य प्रबंधन -1
प्रबंधन की जवशेषताएं
• (फ) प्रबंध एक गजतशील कायण है- पर् बंध एक गकतशील कायभ होता है एवं इसे
बदलते पयाभवरर् में अपनेअनरूु प
ढालना होता ह।ै
• संगठन बाह्य पयाभवरर् के संपकभ में आता है कजसमें कवकर्न्न सामाकजक,
आकर्भक एवं राजनैकतक ततव् सकममकलत
होते हैं सामान्यता के कलए संगठन को, यों को पयाभवरर् के प बदलना होता ह।
अपने आपको एवं अपने उद्दश् अनरू
(ि) प्रबंध एक अमूतण शजि है- पर् बंध एक अमतभ शकि है जो कदखाई
नहीं पडती लेककन सगं ठन के कायों
के रूप
में कजसकी उपकस्र्कत को अनर्व ककया जा सकता ह।
• संगठन में पर् बंध के पर् र्ाव का ार लक्ष्यों की पर् ाकि, कमभचारी के
र्ान योजनाओ ं के अनसवय् वसर् ा
् स्र्ान पर
पर् सन्न एवं
के रूप में होता ह।ै
संतष्

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सामान्य प्रबंधन -2
प्रबंधन के
उद्देश्य यों को पर ा करने के लिए कायय करता ह।
• पर् बंध कु
छ उद्दश्
• उद्दश्य लकसी भी लिया के इन्हें वय् वसाय पर् योजन से पर् ापत् लकया जाना चालहए।
अपेलित पररणाम होते ह। के मि
• लकसी भी संगठन के लभन्न-लभन्न उद्दश्य होते हैं तथा यों को पर् भावी गंग से एवं
पर् बंध को इन सभी उद्दश् ्िता से पाना होता ह।
• उद्दश्यों को सगं ठनात्मक उद्दश्य, य एवं यों में वगकृतकक त लकया जा सकता ह।
सामालजक उद्दश् वय् लिगत
उद्दश्
• संगठनात्मक • पर् बंध, संगठन
उद्देश्य के लिए उद्दश् यों के लनधायरण एवं उनको पर
ा करने के लिए उतत् र्ायी होता ह।
• इसे सभी िेतर् ों के यों को पर् ापत् करना होता है तथा सभी लहतालथययों धारी, कमयचारी, गर् ाहक, सरकार
अनेक पर् कार के उद्दश् जैसे-अश
आल ् के लहतों को ध्यान में रखना होता ह।
• लकसी भी संगठन का मख्य उद्दश्य मानव एवं भौलतक ससाधं नों के अलधकतम सभं व िाभ
के लिए उपयोग होना चालहए। लजसका
तात्पयय है वय् वसाय के आलथयक उद्दश्यों को परा करना।
• ये उद्दश्य ह- अपने आपको जीलवत रखना, िाभ अलजयत करना एवं बढोतरी।
सामान्य प्रबंधन -2
• िीजवत रहना
• लकसी भी वय् वसाय का आधारभत उद्दश्य अपने अलततत्व को बनाए रखना होता ह।
• पर् बंध को संगठन के बने रहने की ल्शा में पर् यत्न करना चालहए। इसके लिए संगठन को
पयायप्त धन कमाना चालहए लजससे लक िागतों
को परू ा लकया जा सके ।
• लाभ
• वय् वसाय के लिए इसका बने रहना ही पयायप्त नलित करना होता है लक संगठन
नहीं ह। पर् बंध को यह सल िाभ कमाए।
• िाभ उद्यम के लनरं तर सफि य पर् ोत्साहन का कायय करता ह।
पररचािन के लिए एक महत्त्वपण
• िाभ वय् वसाय की ा करने के लिए आवशय् क होता ह।
िागत एवं जोलखमों को पर
• बढ़ोतरी
• ्ीर्य अवलध में अपनी संभावनाओ ं में वलि वय् वसाय के लिए बहतु
ह। ह।ै इसके लिए वय् वसाय का बढना
बहुत महत्त्व रखता
• उद्योग में बने रहने के लिए पर् बंध को संगठन लवकास की संभावना का परा िाभ
उठाना चालहए।
• व्यवसाय के लवकास को लविय आवतय, कमयचाररयों की संख्या में वलि या ी के ि
लफर उत्पा्ों की सख्यां या लनवेश में आल्
पज वल
के रूप में मापा जा सकता ह।ै
सामान्य प्रबंधन -2
• सामाजिक उद्देश्य
• संगठन चाहे वय् ावसालयक है अथवा गैर होने के कारण उसे कु छ ा करना
वय् ावसालयक, समाज के अग सामालजक ्ालयत्वों को पर
होता ह। इसका अथय है समाज के लवलभन्न अगों के लिए अनकू ि आलथयक मल्यों की रचना
करना।
• इसमें सलममलित ह- उतप् ान् के पयायवरण लभन्न पिलत अपनाना, समाज के िोगों से वलचं त वगों को रोजगार
के अवसर पर् ्ान करना
एवं कमयचाररयों के लिए जैस वधाएूँ पर् ्ान करना।
लवद्यािय, लशशगह ी सल
• व्यजिगत उद्देश्य
• संगठन उन िोगों से लमिकर बनता ठ भलम, अनभ व एवं उद्देशय्
है लजनसे उनका वय् लित्व, अिग-अिग होते
पष् ह।
ये सभी अपनी
लवलवध आवशय् कताओ ं को संतलि हतु सगं ठन का अग बनते ह।
• यह पर् लतयोगी वेतन एवं अन्य िाभ जैसी लवतत् ीय आवशय् कताओ ं से िेकर सालथयों
द्वारा मान्यता जैसी सामालजक आवशय् कताओ
एवं वय् लिगत बढोतरी एवं लवकास जैसी उच्च ततरीय आवशय् कताओ ं के रूप में
अिग-अिग होती ह।ैं
• पर् बंध को संगठन में तािमेि के लिए वय् लिगत उद्दश्यों का सगं ठनात्मक
उद्दश्यों के साथ लमिान करना होता ह।
सामान्य प्रबंधन -2
प्रबंध का महत्त्व
• पर् बंध एक सावयभौलमक लिया है जो लकसी ह। अब हम उन कु छ कारणों का अध्ययन करेंगे लजसक
भी संगठन का अलभन्न अग
कारण पर् बंध इतना महत्त्वपणय हो गया ह-
• (A) प्रबंध सामूजहक लक्ष्यों क़ो प्राप्त करने में सहायक ह़ोता है- पर् बंध की आवशय् कता
पर् बंध के लिए नहीं बलल्क संगठन क
उद्दश् यों की पर् ालप्त के पर् बंध का कायय संगठन य को पर् ापत् करने के लिए वय् लिगत पर् यत्न को समान लश् ा
लिए होती ह। के कु ि उद्दश्
्ना ह।ै
• (B) प्रबंध क् षमता में वृजि करता है- पर् बंधक का लनयोजन, संगठन, लन्शन, िकरण
िक्ष्य संगठन की लियाओ ं के शठर् ष् लनयल एवं
लनयंतर् ण के माधय् म से िागत को कम करना एवं
उत्पा्कता को बढाना ह।ै
• (C) प्रबंध गजतशील संगठन का जनमााण करता है- पर् त्येक संगठन का पर् बंध लनरं तर
ब्ि रहे पयायवरण के अतगयत करना होता ह।
• सामान्यतः ्खा गया है लक लकसी भी सगं ठन में काययरत िोग पररवतयन का लवरोध करते
हैं क्योंलक इसका अथय होता है पररलचत,
सरलित पयायवरण से नवीन एवं अलधक चनौतीपणय पयायवरण की ओर जाना।
• पर् बंध िोगों को इन पररवतयनों को अपनाने में सहायक होता है लजससे लक संगठन अपनी
पर् लतयोगी
शर् ष
्ठता को बनाए रखने में सफि
रहता ह।ै
सामान्य प्रबंधन -2
प्रबंध का महत्त्व
• (D) प्रबंध व्यजिगत उद्देश्यों की प्राजप्त में सहायक ह़ोता है- पर् बंधक अपनी टीम को
इस पर् कार से पर् ोत्सालहत करता है एवं
उसका नेतत्व करता है लक पर् त्येक स्तय यों में योग्ान ्ते यों को पर् ाप्त करता ह।
सगं ठन के कु ि उद्दश् हएु

वय् लिगत उद्दश्


• अलभपर् ेरणा व के माधय् म से पर् बंध वय् लियों को टीम- हक सफिता के पर् लत
एवं नेतत् भावना, सहयोग एवं सामल पर् लतबिता के लवकास
में सहायता पर्ा
् न करता ह।ै
• (E) प्रबंध समाि के जवकास में सहायक यीय होता है जो इसके यों को परा
ह़ोता है- संगठन बहुउद्दश् लवलभन्न र्टकों के उद्दश्
करता ह। इन सबको पर
ा करने पर् लिय पर् बंध संगठन के लवकास में सहायक होता है तथा इसके माध्यम से समाज के
की ा में लवकास
में सहायक होता ह।
• यह
शर् ष
्ठ गणवतत् ा वािी वततु एवं सेवाओ ं को उपिब्ध कराने, रोजगार के अवसरों को पैा्
करने, िोगों के भिे के लिए नयी
तकनीकों को अपनाने, बलि एवं लवकास के रातते पर चिने में सहायक होता ह।
सामान्य प्रबंधन -2
प्रबंध केस्तर
• पर् बंध एक सावयभौलमक शब्् है लजसे, लकसी में एक रे े िोगों द्वारा
उद्यम में संबंधों के समहकरने के लिए उपयोग में ्स से कु छ कायों को
िाया जाता ह।ै जड
• पर् तय् क
े -व्यलि का िा में लकसी न लकसी ा करने का उत्तर्ालयतव्
संबंधों की इस शंख कायय लवशेष को पर होता ह। इस
उतत् र्ालयतव् को परा करने के लिए उसे कु छ अलधकार ल्ए जाते हैं
अथायत् लनणयय िेने का अलधकार।
• अलधकार एवं उत्तर्ालयतव् का यह संबंध व्यलियों को अलधकारी एवं
अधीनतथ के रूप में एक ्सरे को बाूँधते ह।
इससे संगठन में लवलभन्न ततरों का लनमायण होता ह।ै
• लकसी संगठन के अलधकार शंखिा में तीन ततर होते ह-
• (A) उच्च स्तरीय प्रबंध- यह संगठन के वररषठ् तम काययकारी अलधकारी ारा जाता
होते हैं लजन्हें कई नामों से पक ह।
यह सामानय् तः चेयरमैन, मख् य काययकारी य पर् चािन अलधकारी, पर् धान, उपपर् धान आल् के
जाने जाते ह।ैं अलधकारी, मख् नाम से
सामान्य प्रबंधन -2
प्रबंध केस्तर
• (A) उच्च स्तरीय प्रबंध- कायय संगठन के यों को ध्यान में रखते हुए लवलभन्न
उनका मि कु ि उद्दश् ततव् ों में एकता
एवं लवलभन्न लवभागों के कायों में सामंजतय तथालपत करना ह।ै
• उच्च ततर के ये पर् बंधक संगठन के कल्याण एवं लनरं तरता के लिए
उत्तर्ायी होते ह।ैं
• फमय के जीवन के लिए ये व्यवसाय के पयायवरण एवं उसके पर् भाव का
लवश्लेषण करते ह।
• ये अपनी उपिलबध् के नए संगठन के िक्ष्य एवं व्यह-रचना को तैयार करते ह।
• व्यवसाय के सभी कायों एवं उनके समाज पर पर् भाव के लिए ये ही
उत्तर्ायी होते ह।
• उच्च पर् बंध का कायय जलटि एवं तनावपणय होता ह।
• इसमें िंबा समय िगता है तो संगठन के पर् लत पणयपर् लतबिता की
आवश्यकता होती ह।
सामान्य प्रबंधन -2
• (B) मध्य स्तरीय प्रबंध- ये उचच् पर् बंधकों एवं नीचे ततर ये उच्च पर् बंधकों
के बीच की कडी होते ह, के अधीनतथ
एवं पर् थम रेखीय पर् बंधकों के पर् धान होते ह।ैं
• इन्हें सामान्यतः लवभाग पर् मख, पररचािन पर् बंधक अथवा सयतर् ंं
अधीिक कहते ह।
• मध्य ततरीय पर् बंधक, उच्च पर् बंध द्वारा लवकलसत लनयंतर् ण योजनाएूँ एवं व्यह-रचना के
लियान्वयन के लिए
उत्तर्ायी होते ह।*
• इसके साथ-साथ ये पर् थम रेखीय पर् बंधकों के सभी कायों के लिए उत्तर्ायी
होते ह।
• इनका मख्य कायय उच्च ततरीय पर् बंधकों द्वारा तैयार इसके लिए
योजनाओ ं को परा करना होता ह।
• (क) उच्च पर् बंधकों द्वारा बनाई गई योजना की व्याख्या करते ह,
• (ख) अपने लवभाग के लिए पयायप्त नलित करते ह,
संख्या में कमयचाररयों को सल
• (ग) उन्हें आवश्यक कायय एवं ्ालयतव्
सौंपते ह,ैं
• (र्) यों की ु अन्य लवभागों से इसके साथ-साथ वे पर् थम
इलच्छत उद्दश् पर् ालप्त हत सहयोग करते ह। पंलि के पर् बंधकों क
कायों के लिए उत्तर्ायी होते ह।ैं
सामान्य प्रबंधन -2
• (C) पयावेक्षीय अथवा प्रचालन प्रबंधक- संगठन की अलधकार पंलि में
फोरमैन एवं पययवेिक लनमन ततर पर
आते ह।ैं
• पययवेिक काययबि के कायों का पर् तय
् ि रूप से अविोकन करते ह।ैं
• इनके अलधकार एवं कत्तयव्य उच्च पर् बंधकों द्वारा बनाई गई योजनाओ ं द्वारा लनधायररत
होती ह।ैं
• पययवेिण, पर् बंधकों की संगठन में महत्त्वपणय भलमका होती है क्योंलक यह सीधे
वाततलवक कायय बि से सवं ा्
करते
हैं एवं मध्य ततरीय पर् बंधकों के ाते ह।
ल्शालन्शों को कमयचाररयों तक पहचु
• इन्हीं के पर् यतन् ों से उतप् ा् की गणवत्ता को बनाए रखा तम रखा जाता है
जाता ह, माि की हालन को न्यन एवं सरिा
के ततर बनाए रखा जाता ह।ै
• कारीगरी की गणवत्ता, एवं उतप् ा्न की मातर् ासन एवं तवामीभलि पर
कमयचाररयों के पररशर् म, अनश लनभयर करती ह।
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सामान्य प्रबंधन -3
प्रबंध केकायय
• पर् बंध को संगठन से सदसय् ों से कायों न एवं ननयंतर् ण एवं यों की पर् ानि के निए संगठन क
के ननयोजन, संगठन, ननदशसंसाधनों के ननधाारित उपॖ् श्
पर् योग की पर् निया माना गया ह।ै
• जनयोिन - यह पहिे से ही यह ननधाारित किने का काया है नक क्या किना ह, नकस पर् काि तथा नकसको किना ह।
• इसका अथा है उपॖ् श्यों को पहिे से ही नननित किना एवं दक्षता से एवं
पर् भावी ढगं से पर् ाि किने के निए
मागा ननधाारित किना।
• ननयोजन समसय् ाओें के पैदा होने से कोई िोक नहीं सकता िेनकन इनका
पवाानमान िगाया जा सकता है तथा यह जब भी पैदा होते
हैं तो इनको हि किने के निए आकनस्मक योजनाएँ बना सकती ह।ैं
• संगठन - यह ननधाारित योजना के नियानव् यन के निए काया सौंपने, कायों को समहों में बाटनें ,
अनधकाि नननित किने एवं ससाधनोंं के आवंटन के काया का पर् बंधन किता
ह।ै
• एक बाि संगठन के उपॖ् श्यों को पिा किने के निए नवनशष्ट योजना तैयाि कि
िी जाती है तो निि सगं ठन योजना के नियान्वयन क
निए आवशय् क नियाओ ं एवं संसाधनों की जांच किेगा।
• यह आवशय् क कायों एवं संसाधनों का ननधाािण किेगा।
• यह ननणाय िेता है नक नकस काया को कौन किेगा, इनह् ें कहाँ नकया जाएगा तथा कब नकया जाएगा।
सामान्य प्रबंधन -3
• संगठन - संगठन में आवशय् क कायों को पर् बंध के योगय् नवभाग एवं काया इकाईयों में
नवभानजत नकया जाता है एवं संगठन की
अनधकाि शंखिा में े के संबंधों का ननधाािण नकया जाता ह।
अनधकाि एवं नवविण दन
• संगठन के उनचत तकनीक काया के पिा किने एवं पर् चािन ता के संवधान में सहायता
की काया क्षमता एवं परिणामों की पर् भाव पण
किते ह।ैं
• नवनभन्न पर् काि के वय् वसायों को काया की पर् क नत के अनसाि नभन्न-नभन्न ढाँचों की
आवशय् कता होती ह।
• कमयचारी जनयुजिकरण - सिि शबद् ों में इसका अथा है सही काया के निए उनचत वय् नि को
ढूँ़नना।
• पर् बंध का एक महत्त्वपणा पहिू सगं ठन के उपॖ् श्यों की पर् ानि के निए सही योगय् ता
वािे सही वय् नि यों को, सही सथ् ान एवं समय पि
उपिब्ध किाने को सनु ननित किना ह।ै
• इसे मानव संसाधन काया भी कहते हैं तथा इसमें कमाचारियों की भती, चयन, काया पि
ननयनि एवं पर् नशक्षण सनममनित ह।
• जनदेशन - ननदशन का काया कमाचारियों को नेतत्व पर् दान किना, पर् भानवत किना एवं दा काया
अनभपर् ेरित किना है नजससे नक वह सप
को पिा कि सकें ।
• इसके निए एक ऐसा वाताविण तैयाि किने की आवशय् कता है जो कमाचारियों को सवाशर् ेष्ठ ढंग से काया
किने के निए पर् ेरित किे।
• अनभपर् ेिणा एवं नेतत्व-ननदशन के दो मि तत्व ह। कमाचारियों को अनभपर् ेरित किने का
अथा के वि एक ऐसा वाताविण तैयाि किना
है जो उन्हें काया के निए पर् ेरित किे ।
सामान्य प्रबंधन -3
• नेतत्व का अथा है दसिों को इस पर् काि से पर् भानवत किना, नक वह अपने नेता के इनछित
काया सपं न्न किें।
• एक अछिा पर् बंधक पर् शंसा एवं आिोचना की सहायता से इस पर् काि से ननदशन
किता है नक कमाचािी अपना शर् ेष्ठ तम योगदान द
सकें ।
• जनयंत्रण - ननयंतर् ण को पर् बंध के काया के उस रूप में परिभानित नकया है नजसमें वह
संगठन के िक्ष्यों को पर् ाि किने के निए संगठन काया के ननष्पादन को ननदनशत किता
ह।ै
• ननयंतर् ण काया में ननष्पादन के सत् ि ननधाारित नकए जाते ह, वतामान में ननष्पादन को मापा
जाता ह। इसका पवाननधाारित सत् िों से नमिान
नकया जाता है औि नवचिन की नसथ् नत में सधािात्मक कदम उठाए जाते ह।
• इसके निए पर् बंधकों को यह ननधाारित किना होगा नक ा,
सििता के निए क्या काया एवं उत्पादन महत्त्वपण

उसका कै से औि कहाँ
मापन नकया जा सकता है तथा सधािात्मक कदम उठाने के निए कौन अनधक त ह।
• पर् बंधक के नवनभन्न कायों पि साधािणतया उपिोि ाि एक पर् बंधक पहिे
िम में ही चचाा की जाती है नजसके अनस योजना तैयाि
किता ह; निि सगं ठन बनाता ह; में ननयंतर् ण किता ह।
तत्पिात् ननदशन किता ह; औि अत
• वासत् व में पर् बंधक शायद ही इन कायों को एक-एक किके किता ह।
• पर् बंधक के काया एक दसिे से जडे हैं तथा यह नननित किना कनठन हो जाता है
कौन-सा काया कहाँ समाि हआु तथा कौन-सा
काया
कहाँ से पर् ािं भ हुआ।
सामान्य प्रबंधन -3
समन्िय, प्रबंध का सार है
• नकसी संगठन के पर् बंधन की पर् निया में एक िे से संबंनधत संगठन एक ऐसी पपॗ ् नत
पर् बंधक को पाँच एक दस काया किने है जो
होते ह।
एक दसिे से िे पि आधारित उपपपॗ ् नतयों से बनी ह।
जडे एवं एक दस
• पर् बंधक को इन नभन्न समहों को समान उपॖ् श्यों की पर् ानि के निए एक दसिे से जोडना
होता ह।
• नवनभनन् नवभागों की गनतनवनधयों की एकातम् कता की पर् निया को समनव् य (coordination) कहते ह।
• समन्वय वह शनि है जो, पर् बंध के अन्य सभी कायों को एक दसिे से बाधं ती ह। यह ऐसा
धागा है जो सगं ठन के काया में ननिं तिता
बनाए िखने के निए िय, उत्पादन, नविय एवं नवत्त जैसे सभी कायों को नपिोए िखता ह।
• समनव् य को कभी-कभी पर् बंध का एक अिग से काया माना जाता ह। िेनकन यह पर् बंध
का साि है क्योंनक यह सामनहक िक्ष्यों को
पर् ाि किने के निए नकए गए वय् नि गत पर् यतन् ों में एकता िाता ह।ै
• पर् त्येक पर् बंधकीय काया एक ऐसी गनतनवनध है जो सव् यं अके िी समन्वय में सहयोग
किती ह। समन्वय नकसी भी सगं ठन के सभी कायों में िनक्षत एवं अन्तननानहत ह।ैं
• संगठन की नियाओ ं के समन्वय की पर् निया, ननयोजन से ही पर् ािं भ हो जाती
ह। उछच पर् बंध पिे सगं ठन के निए योजना
बनाता ह।
इन योजनाओ ं के अनसाि सगं ठन ढाँचों को नवकनसत नकया ि की जाती ह।
जाता है एवं कमाचारियों की ननयन
• योजनाओ ं का ाि ही यह ननित किने न की आवश्यकता होती ह।
नियान्वयन योजना के सन के निए ननदश
अनस
सामान्य प्रबंधन -3
• वासत् नवक नियाओ ं एवं उनकी उपिनब्धयों में यनद कोई मतभद है तो इसका
ननिाकिण ननयंतर् ण के समय नकया जाता ह।
• समन्वय की निया के माधय् म से पर् बंध का समान उपॖ् श्यों की पर् ानि ननित किने
के निए उठाए गए कदमों में एकता को सन के निए
वय् नि गत हक पर् यत्नों की सही समन्वय संगठन की नवनभनन् इकाइयों के नभन्न-नभन्न
एवं सामन वय् वसथ् ा किता ह, कायों एवं पर् यतन् ों
में एकता स्थानपत किता ह।ै
• यह पर् यतन् ों की आवशय् कता िानश, मातर् , समय एवं िमबपॗ ् ता उपिब्ध यों को न्यन तम
किाता है जो ननयोनजत उपॖ् श् नविोधाभास
,
पर् ाि किने को सनननित किता ह।
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