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इकाई -18: सचिवीय कायों का स्वरूप और क्षेत्र

इकाई की रूपरे खा
1.0 उद्दे श्य
1.1 प्रस्तावना
1.2 सचिव चिसे िहते हैं
1.3 सचिव िा महत्व
1.4 सचिव िी भू चमिा
1.4.1 िार्ाा लर् अचििारी िे रूप में
1.4.2 संपिा अचििारी िे रूप में
1.4.3 सलाहिार िे रूप में
1.5 सचिव िे िताव्य
1.6 सचिव िी र्ोग्यताएं
1.7 सचिवीर् िार्ों िा महत्व
1.8 सचिवों िे प्रिार
1.9 चनजी सचिव
1.9.1 र्ोग्यताएं
1.9.2 िताव्य
1.10 सारां श
1.11 शब्दावली
1.12 बोि प्रश्ों िे उत्तर
1.13 स्वपरख प्रश्

1.0 उद्दे श्य

इस इिाई िे अध्यर्न िे पश्चात आप इस र्ोग्य हो सिेंगे चि:


 सचिव िी पररभाषा िर सिें
 सचिव और सचिवीर् िार्ा िी व्याख्या िर सिें
 सचिव िी भू चमिा एवं उसिे िताव्यों िा वर्ान िर सिें
 सचिव िी र्ोग्यताओं िा चववेिन िर सिें
 चनजी सचिव िी पररभाषा िर सिें
 चनजी सचिव िी र्ोग्यता एवं िताव्यों िा वर्ान िर सिें

1.1 प्रस्तावना

प्रत्येि संगठन िो एि िार्ाा लर् िी आवश्यिता होती है चजसिे माध्यम से समस्त सचिवीर् िार्ा
चिए जाते हैं । क्ोंचि र्ह िार्ा संगठन से संबंचित सभी चिर्ाओं से जुडा हुआ है अतः एि ऐसे
अचििारी िी आवश्यिता होती है जो संगठन िे समस्त िार्ों िी िुशलतापूवाि दे खभाल िर सिे
और उनमें परस्पर समन्वर् बनाए रखे चजससे चि संगठन िी चवश्वसनीर्ता बनी रहे । आजिल ऐसे
अचििारी िो सरल शब्दों में ‘सचिव’ िहा जाता है । इस इिाई में आप सचिव िा अर्ा , उसिा
महत्व, उसिे िताव्यों व र्ोग्यताओं िे बारे में चवस्तार से पढ़ें गे। इसिे अचतररक्त र्हां पर सचिवों िे
प्रिार एवं उनिी चवचभन्न प्रिार िी भू चमिाओं िे बारे में ही वर्ान चिर्ा गर्ा है ।

1.2 सचिव चकसे कहते हैं ?


ऑक्सफ़ोर्ा शब्दिोष में ‘सचिव’ िा चनम्नचलखखत अर्ा चदर्ा गर्ा है :

“सचिव वह व्यखक्त होता है चजसिा िार्ा दू सरों िे चलए चलखना है चवशे षतः ऐसा व्यखक्त जो चिसी
अन्य व्यखक्त, समाज, चनगम र्ा सावाजचनि संस्र्ा िे चलए पत्र व्यवहार िरने , ररिॉर्ा रखने तर्ा अन्य
िई तरह िे िार्ा िरने िे चलए चनर्ुक्त चिर्ा जाता है ”।

वास्तव में सचिव शब्द िी उत्पचत्त लै चिन भाषा िे शब्द ‘सेिेिे ररर्स’ से हुई है , इसिा अर्ा है
‘गोपनीर् बातों िा रखवाला’ अर्वा ‘चवश्वासपात्र अचििारी’। इसी प्रिार, सचिवीर् पद्यचत िी पुस्ति में
सचिव िे पेशे िो सबसे पुराना बतार्ा गर्ा है और िहा गर्ा है चि “जहां पर िाम िरने वाला
व्यखक्त होगा, वहां पर उसिे िार्ों िो ररिॉर्ा िरने िे चलए भी एि व्यखक्त होता है ”।

अतः, सरल शब्दों में , सचिव िे चवशे ष लक्षर्ों िा चनम्नचलखखत प्रिार से वर्ान चिर्ा जा सिता है :

1) सचिव एि व्यखक्त होता है िाहे वह पुरुष हो र्ा स्त्री।


2) वह गोपनीर् प्रिृचत िे िार्ों िो िरने िे र्ोग्य होना िाचहए।
3) वह चिसी अन्य व्यखक्त र्ा संगठन िे चलए िार्ा िरता/िरती है ।
4) उसिी आचििाररि खस्र्चत होती है ।

आजिल उद्योग, वाचर्ज्य, सामाचजि संस्र्ाओं, क्लबों, सरिारी िार्ाा लर्ों में सचिव िा अत्यंत महत्वपूर्ा
स्र्ान होता है । र्ही नहीं बखि राजने ताओं, चिचित्सिों, विीलों तर्ा संसद सदस्ों जै से व्यखक्तर्ों िे
चलए भी सचिव िा बहुत महत्व है । उसिे िार्ों एवं िताव्यों में पत्र व्यवहार िरना, ररिार्ों िो
रखना, ले खों िो रखना, सभाओं िो िार्ावृत्त एवं ररपोिा चलखना आचद आते हैं । इन िार्ों िे सार्-
सार् वह जन संपिा अचििारी एवं चनर्ोक्ता िे प्रचतचनचि िे रूप में भी िार्ा िरता है ।

1.3 सचिव का महत्व

सचिव चजन चवचभन्न संस्र्ाओ से जु डा हुआ होता है , उनिे अनु सार ही उसिे प्रिार एवं िार्ा भी
चभन्न-चभन्न होते हैं । अचिितर खस्र्चतर्ों में वह परदे िे पीछे से िार्ा िरता है , परन्तु इससे उसिे
िार्ाा लर् िा महत्व चिसी भी तरह से िम नहीं हो जाता। आजिल चिसी भी संगठन में सचिव िी
भू चमिा अपररहार्ा है , वह संगठन िाहे ब्यापाररि, सामाचजि अर्वा राजनै चति हो। िुछ पररखस्र्चतर्ों में
उसिी क़ानू नी खस्र्चत होती है , जै से िंपनी िा सचिव र्ा चिर चिसी सरिारी चवभाग िा सचिव जबचि
अन्य पररखस्र्चतर्ों में सचिव िो चनर्ोक्ता द्वारा ने चम (routine) िार्ों िो िरने िे चलए चनर्ुक्त चिर्ा
जाता है । चजससे चि चनर्ोक्ता अन्य महत्वपूर्ा मामलों पर अपना ध्यान िेंचित िर सिे। परन्तु प्रत्येि
पररखस्र्चत में सचिव चिसी भी संगठन र्ा अपने चनर्ोक्ता िा सबसे अचिि चवश्वसनीर् ब्यखक्त होता है ।

1.4 सचिव की भूचमका

सचिव िी भू चमिा िे प्रिार िा ठीि से वर्ान िरने िे चलए उसिा चनर्ोक्ता िे सार् िैसा संबंि
है तर्ा उससे चिन-चिन िार्ों िो िरने िे अपेक्षा िी जाती है, र्ह जानना आवश्यि है । चजस
संगठन में सचिव िार्ा िरता है , उसिी चनर्ुखक्त िी शतों पर र्ह चनभा र िरता है चि वह चिसी
महत्वपूर्ा पद पर है अर्वा उसिी भू चमिा िेवल एि चवश्वसनीर् सहार्ि िी है अर्वा वह िेवल
ने मी (नै खत्यि) प्रिृचत िे चलचपिीर् िार्ा िरने िे चलए चनर्ुक्त चिर्ा गर्ा है । मू लत: सचिव िी
भू चमिा उसिे द्वारा चिए जाने वाले िार्ों िी प्रिृचत व महत्त्व पर चनभा र िरती है । इसिे बाद र्ह
अन्य िारिों पर भी चनभार िरती है जै से चि संगठन िी प्रिृचत, उसिा आिार, चजम्मेदारी िे िार्ा
चनर्ोक्ता चिस सीमा ति अन्य व्यखक्तर्ों िो स पं ने िे चलए तैर्ार है तर्ा इसिे सार्-सार् र्ह भी चि
सचिव चजम्मेदारी िे िार्ा िरने िे चलए स्वर्ं चितना र्ोग्य व तैर्ार है । िानून िे अन्तगात सचिव िे
अचििार, िताव्यों एवं दाचर्त्वों िे आिार पर भी सचिव िी भू चमिा चनभा र िरती है , जै से चि िंपनी िी
खस्र्चत में होता है ।

परन्तु आिुचनि संगठनों में सचिव सािारर्तः चनम्नचलखखत में से चिसी एि र्ा अचिि प्रिार िी
भू चमिा चनभाता है :

।) िार्ाा लर् अचििारी (Office Executive)


2) संपिा अचििारी (Liaison Officer)
3) प्रबन्ध िा सलाहिार (Advisor)

1.4.1 काययचिय अचिकारी के रूप में

इस खस्र्चत में िार्ाा लर् िे ने मी प्रिृचत िे िार्ों िो संगचठत िरने व प्रबंि िा िार्ा सचिव िो िरना
पडता है । इसमें सचिवीर् तर्ा नेमी प्रिृचत िे चलचपिीर् िार्ा जै से पत्र-व्यवहार िरना, ररिार्ा रखना,
ले खे तैर्ार िरना आचद िार्ों िे चलए र्ोजना बनाना, पर्ावेक्षर् िरना तर्ा चवचभन्‍न िार्ो में समन्वर्
िरना व चनर्ंत्रर् िरना शाचमल हैं । पर्ावेक्षर् तर्ा समन्वर् चिए जाने वाले सचिवीर् िार्ों में सभाओं
िो बुलाने िे चलए सूिना भे जना, सभा िी िार्ावाही िे चलए आवश्यि प्रबंि िरना व सभा िी
िार्ावाही िा ठीि-ठाि चववरर् रखना शाचमल है । िार्ाा लर् िा प्रशासचनि अचििारी होने िे नाते
सचिव िो िार्ाा लर् िे िमा िाररर्ों से संबंचित मामलों िी भी दे खभाल िरनी पडती है । इसमें
िमा िाररर्ों िा िर्न व उनिी चनर्ुखक्त, उन्हें चदर्े जाने वाले िार्ा, उनिे िाम िी प्रगचत पर ध्यान
रखना व िार्ाा लर् में अनु शासन बनाए रखना शाचमल हैं ।

1.4.2 संपकय अचिकारी के रूप में

सचिव, व्यवसार् िे अचििाररर्ों तर्ा बाह्य व्यखक्तर्ों, चजसमें मु वखिल, ग्राहि तर्ा जनता शाचमल होते हैं ,
िे बीि िडी िा िाम िरता है । वह उच्च स्तर िे प्रबंििों तर्ा प्रशासचनि िमा िाररर्ों िे बीि भी
िडी िे रूप में िार्ा िरता है । इस खस्र्चत में , सचिव एि प्रिार से अपने चनर्ोक्ता िो नैखत्यि
(routine) प्रिृचत िे िार्ों व सािारर् मामलों से संबंचित िार्ों िो िरने िे चलए बाह्य व्यखक्तर्ों व
िमा िाररर्ों िे सार् प्रत्यक्ष रूप से संबंचित होने से बिाता है । आवश्यिता पडने पर वह प्रबंि िे
प्रवक्‍ता िे रूप में िमा िाररर्ों व जनता से संबंचित चवषर्ों पर चनर्ार्ों िो उन ति पहुं िाने िा िार्ा
भी िरता है । सचिव िो संगठन िे जन संपिा अचििारी िी भू चमिा भी चनभानी पडती है , वह संस्र्ा
िी गचतचवचिर्ों से जनता िो अवगत िराता है और वह इस संबंि में पत्र-व्यवहार भी िरता है।
वास्तव में सचिव ही ऐसा व्यखक्त होता है जो र्ह भू चमिा अदा िरने िे चलए सवाा चिि र्ोग्य है , क्ोंचि
वह संगठन िे उद्दे श्यों, र्ोजनाओं तर्ा िार्ािमों से भली भां चत पररचित होता है तर्ा चवचभन्‍न िार्ों से
संबंचित प्रबंि नीचतर्ों िो समझता है । समस्त बातों िो ध्यान में रखते हुए सचिव जन संपिा अचििारी
िे रूप में िार्ा िरते हुए व्यस्त अचििाररर्ों व प्रबंििों िो र्ह अवसर दे ता है चि वे संगठन िे
दू रगामी चहतों िे चलए अपना ध्यान प्रार्चमि बातों पर ही िेंचित िर सिें।

1.4.3 सिाहकार के रूप में

सचिव, प्रबंि िे सलाहिार िी महत्त्वपूर्ा भू चमिा चनभाता है । आवश्यिता पडने पर उसे र्ह िार्ा
िरना पडता है क्ोंचि चनर्ार् ले ने िे चलए और चवशे षतः नीचत संबंिी चवषर्ों पर चनर्ार् ले ने िे चलए
प्रबंि अचििाररर्ों िे पास आवश्यि सूिनाएं उपलब्ध नहीं होती। इस िमी िो दू र िरने िा िार्ा
सचिव िरता है , ले चिन वह र्ह िार्ा तभी िर सिता है जब वह चवचभन्न क्षे त्रों में होने वाली
गचतचवचिर्ों िी नवीनतम जानिारी रखता हो और सूिनाओं िे स्रोतों िे संपिा में बराबर रहे । संगठन
िी चदन प्रचतचदन िी गचतचवचिर्ों िी जानिारी सचिव िो अच्छी तरह से होती है , अतः प्रबंि जब नीचत
संबंिी चनर्ार् ले ता है उस समर् वह अपने सुझाव िे रूप में उसे उपर्ुक्त सलाह दे सिता है । सचिव
िी सलाहिार िे रूप में भू चमिा उसिे आचििाररि स्तर िा अंग हो सिती है अर्वा उसिी
ईमानदारी व िार्ा िुशलता िे िारर् उसे र्ह चवशे षाचििार प्राप्त हो सिता है । र्चद प्रबंि िे
अचििारी सचिव से सलाह मां गते हैं तो इससे र्ह बात प्रिि होती है चि उस पर चितना चवश्वास
चिर्ा जाता है । ऐसी खस्र्चत में िहा जा सिता है चि अपने चलए उसने आदशा खस्र्चत बना ली है । वैसे
तो संगठन िी प्रिृचत व आिार पर ही र्ह चनभा र िरता है चि सलाहिार िे रूप में उसिी भू चमिा
चिस प्रिार िी होगी। व्यापाररि संघों, पेशेवर संस्र्ाओं और सां स्कृचति संगठनों िे सचिवों, िंपनी
सचिवों तर्ा सरिारी चवभागों िे सचिवों िो चवचभन्‍न मात्रा में सलाहिार िी भू चमिा अदा िरनी पडती
है ।

1.5 सचिव के कतयव्य

सचिव िे िताव्य उसिी न िरी िी शतों पर चनभा र िरते हैं और र्े चनर्ोिता िे िार्ों और संगठन
िे उसिे स्तर िे अनु सार चभन्‍न हो सिते हैं । हम 'ने मी सचिव' और 'िार्ािारी सचिव' िे िार्ों में मोिे
त र से अंतर िर सिते हैं । 'ने मी सचिव' सामान्यतः िार्ाा लर् िा मु ख्य अचििारी होता है एवं वह
िार्ाा लर् िे चदन प्रचतचदन िे िाम िी दे खभाल िरता है । उसिा मु ख्य िार्ा िार्ाा लर् िी िार्ावाचहर्ों
िो संगचठत िरना एवं चनर्ंचत्रत िरना है , अर्ाा त संगठन िो िुशल एवं चििार्ती चलचपिीर् सेवाएं
प्रदान िरना। जहां ति िार्ाा लर् िी सामान्य सेवाओं, जै से सभी चवभागों िे संबंि में पत्र-व्यवहार
िरना, ररिार्ा आचद रखना आचद िा संबंि है , सचिव िे िताव्य एि लाइन अचििारी िे समान हैं । इन
िार्ों में र्े 'शाचमल हैं : िार्ाा लर् िे िमा िाररर्ों िा िर्न, उनिा प्रचशक्षर्, उन्हें चनर्ुक्त िरना व
पाररश्रचमि तर् िरना, िार्ाा लर् िे िार्ा िे चलए आवश्यि िामा , स्टे शनरी, मशीन एवं अन्य उपिरर्
प्रदान िरना तर्ा िार्ाा लर् िे िमा िाररर्ों िो िाम िा ऐसा अनु िूल वातावरर् उपलब्ध िराना, चजससे
वे अपने उत्तरदाचर्त्व िो िुशलता से चनभा सिें। उपर्ुाक्त सामान्य सेवाओं िे अचतररक्त, िार्ाा लर् में
ऐसी ि॒छ िार्ावाचहर्ां भी होती हैं जो चवचभन्‍न िार्ाा त्मि (functional) चवभागों में उसी चवभाग िे
िमा िाररर्ों द्वारा िी जाती हैं । िार्ाा लर् िी ऐसी िार्ावाचहर्ों िे चलए सचिव चवभागीर् अध्यक्ष िो
परामशा दे ता है एवं उसिा िार्ा स्टाि अचििारी िी तरह िा होता है ।

"िार्ािारी सचिव' (Executive Secretary) िे िताव्यों िा िार्ाक्षेत्र अचिि चवस्तृत होता है । उसे अनेि
प्रशासचनि एवं प्रबन्धिीर् िार्ा स प ं े जाते हैं और उनिे चलए उसे िार्ािारी अचििार भी स प ं े जाते
हैं । उसिे िताव्यों में मु ख्यत: चनम्नचलखखत शाचमल होते हैं : सचिवीर् चवभाग िा संगठन एवं प्रबन्ध
िार्ा, चजसमें िमा िाररर्ों से संबंचित समस्त मामले आते हैं , अन्य चवभागों तर्ा बाह्य पक्षिारों से पत्र-
व्यवहार िरना, लेखे संबंिी िार्ा िा संगठन व चनर्ंत्रर् िरना, संचवदाओं संबंिी बातिीत में प्रबंि िी
ओर से प्रचतचनचित्व िरना, िानू नी चववादों िा चनपिारा िरना तर्ा मु वखिलों, ग्राहिों, जनता िे सार्-
सार् सरिारी चवभागों, िमा िाररर्ों िी र्ूचनर्नों, चविेताओं व पूचतािताा ओं िे सार् संपिा बनाना।

बोि प्रश्न क

1 सचिव ि न होता है?


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2 सचिब िी मु ख्य भू चमिाओं िो सूिीबद्ध िीचजए।
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बताइए चि चनम्नचलखखत िर्मनों में से ि न से सही हैं और ि न से गलत।

i) ऐसा िोई भी व्यखक्त जो चिसी अन्य व्यखक्त िे चलए गोपनीर् पत्र-व्यवहार िा


िार्ा िरता है , सचिव होता है ।

ii) सचिव सदै व चिसी अन्य व्यखक्त र्ा संगठन िे चलए िार्ा िरता है ।

iii) सचिव िो आशु चलचपि िे रूप में िार्ा िरना र्ा नहीं िरना पड सिता है ।

iv) िार्ाा लर् िा अचििारी होने िे िारर् सचिव िार्ाा लर् में अनु शासन बनाए रखने
िे चलए उत्तरदार्ी होता है।

v) जन संपिा अचििारी िे रूप में सचिव िा िार्ा संपिा बनाए रखना होता है ।

vi) सचिव, प्रबन्धि िो परामशा नहीं दे सिता परन्तु वह समस्ाओं िो हल िरने िे


चलए चवचभन्‍न उपार्ों िा सुझाव दे सिता है ।

vii) िार्ािारी सचिव इस बात िे चलए उत्तरदार्ी होता है चि उत्पाचदत माल श्रे ष्ठतम
चिस्म िी हो।

viii) ने मी सचिव िा िार्ा िेवल िार्ाा लर् िी सेवाओं ति ही संबंचित होता है जो चि


सािारर्तः िार्ाा लर् में ही िेंचित होती हैं ।

1.6 सचिव की योग्यताएं

सचिव िी चनर्ुखक्त िरते समर् र्ा जब िोई व्यखक्त स्वर्ं िो इस िे पद िे चलए प्रस्तु त िरता है ,
तब र्ह प्रश् पूछना अत्यंत महत्त्वपूर्ा होता है चि सचिव िा िार्ा िशलपूवाि ढं ग से िरने िे
चलए उसमें क्ा-क्ा र्ोग्यताएं होनी िाचहए। क्ोंचि सचिव िो अने ि िार्ा िरने पडते हैं , इसचलए
उसमें शै चक्षि र्ोग्यता, ब खद्धि गुर् व व्यखक्तगत गुर् अवश्य होने िाचहए। इसिे अचतररक्त चिसी
संगठन िी चवशे ष आवश्यिताओं िे अनु रूप सचिव िे िताव्यों िो सिलतापू वाि पालन िरने िे
चलए उसमें चवचशष्ट ज्ञान भी अवश्य होना िाचहए। सचिव िी िुछ आवश्यि र्ोग्यताएं व गुर् चनम्न
प्रिार से हैं :

1. सामान्य चिक्षा: सचिव, िाहे चिसी भी प्रिार िे संगठन िे चलए िार्ा िरे , प्रत्येि सचिव िो
पर्ाा प्त रूप से चशचक्षत होना आवश्यि है । उसिे पास िला, वाचर्ज्य र्ा िानून िी चर्ग्री िा होना
वां छनीर् र्ोग्यता है ।
2. इं गचिि भाषा में पटु ता: म खखि रूप से अर्वा पत्र-व्यवहार िे माध्यम से चलखखत संप्रेषर्
सचिव िा महत्त्वपूर्ा िार्ा होता है । सचिव बाहर से आर्े हुए पत्रों िो ठीि से समझ सिे तर्ा
िुशलतापूवाि वह पत्र, ररपोिा , सार-ले खन आचद िा िार्ा िर सिे, इसिे चलए उसे इं गचलश भाषा
में पिु होना आवश्यि है । उच्च स्तर िी शै चक्षि चर्ग्री िे सार्-सार् उसे अच्छी इं गचलश िा ज्ञान
तो हो ही जाता है । ले चिन व्यापाररि पत्र-व्यवहार िरने , बैठिों िे चलए प्रस्ताव तैर्ार िरने व
िार्ावाही िा ठीि-ठाि
चववरर् चलखने तर्ा प्रैस िो समािार दे ने िे चलए सचिव िो इं गचलश भाषा िा चवशे ष तरह से
प्रर्ोग िरने िा चशक्षर् व प्रचशक्षर् भी होना िाचहए। अर्ाा त् इं गचलश िे ज्ञान िे सार्-सार् उसे
इसिे व्यावसाचर्ि रूप में प्रर्ोग में भी चनपुर् होना िाचहए।

3. अन्य भाषाओं का ज्ञान: राष्टरीर् स्तर िी संस्र्ा में सचिव िे पद पर िाम िरने िे चलए उसे
चहन्दी भाषा िा और उसिे सार्-सार् िछ क्षे त्रीर् भाषाओं िा ज्ञान होना भी आवश्यि होता है ।
इसी प्रिार जब चिसी ऐसे संगठन में सचिव िी चनर्ुखक्त हो चजसिा िार्ािलाप चवश्व स्तर िा है
र्ा चजसिी शाबाएं अने ि दे शों में हैं तब र्चद उसे एि र्ा अचिि चवदे शी भाषाओं िी जानिारी
हो तो अचिि लाभिारी होता है ।

4. सामान्य ज्ञान: ब खद्धि उत्सु िता तर्ा पढ़ने िी आदत होने से सामान्य ज्ञान अच्छा होता है ।
एि ऐसा व्यखक्त जो अचिि पढ़ा-चलखा है तर्ा जो मानचसि त र पर जागरूि है , अच्छा सचिव
बन सिता है , क्ोंचि अपने सामान्य ज्ञान िे िारर् वह िचठन पररखस्र्चतर्ों में अपने िताव्यों िा
पालन भलीभां चत िर सिता है । इसिे अचतररक्त सुदृढ़ सामान्य ज्ञान िी सहार्ता से सचिव
प्रबंििों िो सामान्य महत्त्वपूर्ा जानिारी भी समर्-समर् पर दे सिता है । वह अच्छा परामशा भी
दे सिता है ।

5. कायायिय प्रबं ि का व्यावहाररक ज्ञान: सचिव िा िार्ा क्ोंचि िार्ाा लर् िी िार्ावाचहर्ों िा
संगठन व प्रबंि िरने से संबंचित होता है , अतः उसे िार्ाा लर् िी िार्ा-प्रर्ाचलर्ों व उपिरर्ों,
िाइल िरने व अनु िमाचर्िा बनाने िी आिुचनि चवचिर्ों, चनजी िम्प्यूिरों िे प्रर्ोग तर्ा िार्ाा लर्
में प्रर्ुक्त आं तररि संप्रेषर् प्रर्ाली िी व्यावहाररि जानिारी होनी िाचहए। उसे िमा िाररर्ों िे िर्न
व प्रचशक्षर्, उनिा वेतन चनिाा रर् तर्ा पेंशन व प्रॉचवर्ें ि िंर् व अन्य िल्यार् सुचविाओं से संबंचित
पद्धचतओं िे बारे में पूर्ा ज्ञान होना िाचहए।

6. व्यक्तिगत योग्यताएं : ऊपर वचर्ात र्ोग्यताओं िे सार् ही सचिव में अपने िार्ा में सिलता
प्राप्त िरने िे चलए, चनम्नचलखखत व्यखक्तगत गुर् भी होने िाचहए:

i) अच्छा व्यखक्तत्व, अिीनस्र्ों व सहर्ोचगर्ों में चवश्वास जागृत िरता है व उनिा सम्मान प्राप्त िरता
है ।

ii) शारीररि स्वस्र्ता, हं समुख व्यवहार तर्ा उत्साही प्रवृचत्त।

iii) मखस्तष्क व चदल िे गुर्: न्यार्शीलता, सही चनर्ार् ले ने िी क्षमता तर्ा जागरूिता।

iv) आत्मचवश्वास तर्ा स्वर्ं पर अनु शासन।

v) चनश्छलता, सत्यचनष्ठ िररत्र तर्ा विादारी।


vi) चजम्मेदारी, गररमा व सम्मान िी अनु भूचत।

vii) व्यवहार ि शल, समझबूझ तर्ा अच्छा आिरर्।

viii) तथ्ों, िेहरों तर्ा नामों िो र्ाद रखना।

1.7 सचिवीय कायों का महत्त्व

आिुचनि समर् में सचिवीर् िार्ा िी प्रिृचत और उसिे महत्त्व से इं िार नहीं चिर्ा जा सिता।
जै से-जै से सामाचजि एवं आचर्ा ि क्षेत्र में संगचठत चिर्ाओं िा िार्ाक्षेत्र बढ़ा है और वह अचिि
जचिल होता जा रहा है वैसे-वैसे अचििाररर्ों िे चलए-चदन-प्रचतचदन िा िार्ा प्रशाचसत िरने िे
चलए सचिवीर् सहार्ता िी आवश्यिता भी बढ़ती जा रही है । उद्योग, व्यापार और वाचर्ज्य में
उत्पादन, र्ातार्ात एवं संिार सािनों में जो तीब्र गचत से प्रगचत हई है और बाजार िा क्षे त्र भी
चवस्तृ त हो गर्ा है उससे सचिवीर् िार्ा िे महत्त्व िो और अच्छी प्रिार से जाना जाने लगा है।

सचिवीर् िार्ा िा महत्त्व बढ़ने िे िारर् र्े हो सिते हैं : (ि) सचिवीर् िार्ों िी दु भार
प्रिृचत, तर्ा (ख) सचिवीर् सहार्ता पर प्रबंि िी बढ़ती हुई चनभा रता।

सचिव िा िार्ा दु भार उत्तरदाचर्त्वों से भरपूर होता है । चिसी र्ाक्टर, विील र्ा व्यापाररि
अचििाररर्ों िे चनजी सचिवों द्वारा जो िार्ा चिर्ा जाता है उससे वे उनिे चलए अपररहार्ा हो गर्े
हैं , क्ोंचि सचिव अपने चनर्ोक्‍्ता िा ऐसा िाम संभालता है जो गोपनीर् प्रिृचत िे सार् चवत्तीर्
संबंिी भी होता है । चिसी सामाचजि संस्र्ा, चशक्षर् संस्र्ा, सहिारी सचमचत तर्ा राचजस्टर्ा संस्र्ाओं
िे सचिव िो बहुत चजम्मेदारी िे िाम िरने पडते हैं । िंपनी सचिव िो िार्ाा लर् िे िार्ापालि
अध्यक्ष िा िार्ा िरने िे सार्-सार् िानू न िे द्वारा चनिाा ररत अने ि िताव्यों व उत्तरदाचर्त्वों िा
पालन भी िरना पडता है। उसे प्रशासचनि दाचर्त्वों, जै से िार्ाा त्मि प्रबंिि िा िार्ा भी िरना
पडता है और इसिे सार्-सार् उसे उच्च प्रबंििों िे सलाहिार िे रूप में भी िाम िरना
पडता है ।

सचिवीर् िार्ा िा अचििां श भाग िार्ाा लर् द्वारा चिर्ा जाता है , चजसिे मु ख्य िार्ा चनम्नचलखखत हैं :

i) सूिनाओं िो प्राप्त व एिचत्रत िरना, ii) सूिनाओं िा ररिार्ा रखना र्ा ररिार्ा तैर्ार िरना, iii)
सूिनाओं िो संसाचित िरना, चजसमें गर्ना िरना व आं िडे तैर्ार िरने िा िाम भी शाचमल है ,
तर्ा iv) सूिनाओं िो संप्रेचषत िरना।

एि ओर तो िार्ाा लर् से र्ह अपेक्षा िी जाती है चि प्रबंि जब भी मां गे तब उसे वह एिचत्रत


एं वं ररिार्ा िी गई व संसाचित सूिनाएं प्रदान िरे और दू सरी ओर उसिा र्ह भी िताव्य है चि
प्रबंि द्वारा जो नीचत संबंिी आदे श व चनदे श जारी चिर्े गर्े हैं वह उन्हें चवचभन्‍न चवभागों िे
प्रबंििों ति प्रेचषत िरें ।

िार्ाा लर् द्वारा प्रदान िी गई सूिनाओं तर्ा आं िडों िे आिार पर ही प्रबंि र्ोजनाएं बनाता और
नीचत चनिाा ररत िरता है तर्ा चनर्ोचजत प्रर्ासों िे पररर्ामों िा आं िलन िरता है । इसी प्रिार,
िार्ाा लर् द्वारा संप्रेषर् िी जो प्रर्ाली स्र्ाचपत िी जाती है , उसिे माध्यम से प्रबंि चवचभन्‍न चिर्ाओं
िा चनदे शन व समन्वर् िर सिता है । इसिे अचतररक्त, र्चद िार्ाा लर् सही सूिना प्रदान िरता है ,
तभी व्यापाररि चिर्ाओं पर प्रभावपूर्ा चनर्ंत्रर् संभव हो सिता है ।

िम्प्यूिरीिरर् िी सुचविा होने से सूिनाओं िो ररिार्ा व संसाचित िरने तर्ा उन्हें संग्रचहत िरने
िा िाम बहुत सरल हो गर्ा है । परन्तु चवचभन्‍न स्रोतों से सूिनाएं एिचत्रत व प्राप्त िरने िा िार्ा
अभी भी बहुत बडा बना हुआ है । इसिे अचतररक्त, प्राप्त सूिनाओं एवं आं िडों िो इस प्रिार
वगीिृत िरना और उसे ठीि ढं ग से रखने िे िार्ा िे चलए भी चवशे ष साविानी िी आवश्यिता
होती है ताचि उसे िम्प्यूिर से सरलता से प्राप्त चिर्ा जा सिे।

आजिल िे अत्यंत गचतशील वातावरर् िी प्रिृचत तर्ा सूिनाओं व आं िडों िी चभन्‍नता व


आिार-प्रिार िे िलस्वरूप प्रार्ः सभी आिुचनि संस्र्ान अब बहुत अचिि सीमा ति सूिनाओं
िो प्रवाचहत (संप्रेचषत) िरने िी प्रर्ाचलर्ों व चवचिर्ों पर चनभा र िरने लगे हैं , इसे प्रबंि सूिना तंत्र
(Management Information System) भी िहते हैं । सचिव िो इस िार्ा िा प्रबंि िरना पडता है ।

सचिवीर् िार्ा िा एि और पक्ष भी है जो इसिे महत्त्व िो बढ़ाता है , वह बैठिों से संबंचित है ।


उच्च स्तर िे प्रबंि िो जो भी सचिवीर् सेवाएं प्रदान िी जाती हैं , उन सबमें से बैठिों से संबंचित
िार्ा अत्यचिि महत्त्वपूर्ा है , क्ोंचि बैठिों में जो ििाा िी जाती है और जो चनर्ार् चलए जाते हैं,
उन्हीं िे आिार पर िार्ा चिर्ा जाता है । इस संबंि में सचिव िे िार्ा में र्े शाचमल हैं , बैठि
बुलाना, उसिे चलए वैि सूिना भे जने िे सार्-सार् बैठि में चविार िे चलए प्रस्तु त मामले व
िार्ासूिी भे जना, बैठने िे चलए समु चित स्र्ान आचद िी व्यवस्र्ा िरना, बैठि िी िार्ावाही संिाचलत
िरने में अध्यक्ष िी सहार्ता िरना, बैठि में चलए गए चनर्ार्ों िे आिार पर िार्ावृत्त (minutes)
चलखना और अंत में िार्ावृत्त िो सदस्ों िो भेजना तर्ा उसिा अनु मोदन िराना। बैठि में जो
चनर्ार् चलए गर्े हैं , उन्हें संबंचित पक्षिारों ति भे जने िा िार्ा भी सचिव िो िरना पडता है।
चवचभन्‍न िानूनी औपिाररिताओं व संगठन िे चनर्मों िा ठीि व पूर्ा तरह से पालन िराने िे
चलए प्रबंि बहुत हद ति सचिव पर ही चनभा र िरता है चजससे,चि बैठिों िी वैिता, िार्ावाही व
िार्ावृत्त िे संबंि में िोई झगडा न हो र्ा िोई उसे िुन ती न दे सिे।

बोि प्रश्न ख
1. िोष्ठिों में चदए गर्े शब्दों/वाक्‍्र्ों में से सही शब्दों /वाक्‍्र्ों से ररक्त स्र्ानों िी पूचता िीचजए |

i) समु चित सामान्य ज्ञान होने पर, सचिव प्रबंि िो सही …………………… तर्ा उत्तम ………. दे सिता
है ।
(मागादशा न, सलाह, सूिना, सहार्ता)

ii) सचिव िे चलए इं गचलश भाषा िा चवचशष्ट ज्ञान होना ………………………िे चलए आवश्यि
(सारां श लेखन, संिल्ों िे मस दे बनाना, संप्रेषर्ों िी व्याख्या िरना)

iii) राष्टरीर् स्तर िे संगठन िे सचिव िे चलए इं गचलश भाषा िे सार् …………….. भाषा तर्ा िुछ
………………… भाषाओं िा ज्ञान होना वां छनीर् है
(चहन्दी, गुजराती, चवदे शी, क्षे त्रीर्)

iv) िार्ाा लर् द्वारा चिए जाने वाले सचिवीर् िार्ों में नीचतर्ों, आदे शों तर्ा चनदे शों िो
………………….. िरना शाचमल है ।
(तैर्ार िरना, संप्रेचषत, मस दा बनाना, पहुं िाना)

v) सचिव िे अिीन िार्ाा लर् द्वारा उपलब्ध िराई गई …………………….. तर्ा ……………… िे आिार पर
प्रबंि अचिि र्र्ार्ा तरीिे से र्ोजना एवं नीचत बना सिता है ।
(चववरर्, सूिना, ररपोिा , आं िडों, साक्ष्य)

1.8 सचिवों के प्रकार

सचिवों िे द्वारा चिए जाने वाले चवचभन्‍न िार्ों व िताव्यों िो ध्यान में रखते हुए, सचिवों में
चनम्नचलखखत प्रिार से अंतर चिर्ा जा सिता है :

चनजी सचिव

संस्र्ाओं र्ा क्लबों िा सचिव


सहिारी सचमचत िा सचिव
सचिव
स्र्ानीर् चनिार् िा सचिव

सरिारी चवभाग िा सचिव

िंपनी सचिव

चित्र 1.1: सचिवों के प्रकार

इस इिाई में हम चनजी सचिव िे िार्ा, उसिी र्ोग्यताओं एवं उसे चदए जाने वाले िी चववेिना
िरें गे। अन्य प्रिार िे सचिवों से संबंचित खस्र्चत िी ििाा इस खं र् िी अगली इिाइर्ों में िी
जाएगी।

1.9 चनजी सचिव

चनजी सचिव चिसी अचििारी, प्रशासि र्ा व्यापाररि िमा िे मु ख्य अचििारी िा सचिव होता है ।
चनजी सचिव चनर्ुक्त िरने िा मु ख्य िारर् र्ा उद्दे श्य र्ह होता है चि वह अपने उत्तरदाचर्त्वों िा
िुछ भार सचिव िो हस्तां तररत िर दे ता है , इस प्रिार वह ने मी प्रिृचत िे िार्ों, जै से बैठिें
आर्ोचजत िरना, भें ि चनर्त िरना, र्ाि िी व्यवस्र्ा िरना, भाषर् िा मस दा बनाना, चिप्पर्ीर्ां
तैर्ार िरना, र्ात्रा िी व्यवस्र्ा र्ा प्रबंि िरना आचद से मु खक्त प्राप्त िर सिता है । चनजी सचिव
िा िार्ा अत्यचिि गोपनीर् व अंतरं ग प्रिृचत िा होता है , अत: चनर्ोक्ता िे प्रचत पूर्ा विादारी िी
आवश्यिता होती है ।

चिसी चवचशष्ट नागररि र्ा उच्च पद पर आसीन अचििारी द्वारा जब चनजी सचिव चनर्ुक्त चिर्ा
जाता है , तो उससे र्ह अपेक्षा िी जाती है चि वह अपने चनजी स्वार्ों िा पररत्याग िर दे गा और
िभी-िभी वह अपने चनर्ोक्‍्ता िी त्रु चिर्ों संबंिी दोषों िो भी खु शी से अपने ऊपर ले ले गा।
क्ोंचि चनजी सचिव िो चनजी िार्ों िो िरने िे चलए चनर्ुक्त चिर्ा जाता है अतः उसे अपने
स्वामी िो पूर्ा तरह से समझ ले ना िाचहए एवं उसिी रूचिर्ों व नापसंदों, आदतों श िों, पसन्द
आने वाले मामलों तर्ा उसिे जीवन िी पृष्ठभू चम से संबंचित सभी चववरर्ों िी जानिारी िर ले नी
िाचहए।
जब िोई व्यखक्त चनजी सचिव चनर्ुक्त िरने िा चनर्ार् िरता है तब वह चिंसी ऐसे व्यखक्त िी
तलाश िरता है चजसे वह अपने िुछ ने मी प्रिृचत िे िार्ा स प ं सिे, जो उसिी अनु पखस्र्चत में
उसिे उत्तरदाचर्त्वों िी दे खभाल िर सिे, चजसे वह गोपनीर् प्रिृचत िे चनजी मामले स प
ं सिे तर्ा
जो इतना व्यवहारिुशल हो चि वह संपिा में आने वाले सभी व्यखक्तर्ों िे सार् मिुर संबंि बनाए
रखे ।

र्द्यचप चनजी सचिव िा िार्ा चवचवि प्रिार िा तर्ा चदलिस्प होता है , परन्तु र्ह प्रार्: बहुत िचठन
भी होता है । चनजी सचिव िे िार्ा िरने िा समर् प्रार्: चनचश्चत नहीं होता और उसे अपने स्वामी
िे बदलते मू र् व व्यवहार िे सार् िाम िरना पडता है । वह अपने चनर्ोक्‍ता िे सार् पूरी तरह
से जु डा होता है ।

1.9.1 योग्यताएं

चनजी सचिव चजस व्यखक्त िे चलए िार्ा िरता है , उस व्यखक्त िे स्तर तर्ा प्रचतष्ठा िे अनु सार ही
र्ह तर् चिर्ा जाता है चि सचिव िी क्‍र्ा र्ोग्यताएं व व्यखक्तगत उपलखब्धर्ां होनी िाचहए।
अचिितर खस्र्चतर्ों में उसिे पास चनम्नचलखखत र्ोग्यताएं होनी िाचहए:

1) चवश्वचवद्यालर् िी चर्ग्री िे सार्-सार् पर्ाा प्त उच्च स्तरीर् सामान्य चशक्षा,

2) चिसी पेशेवर संस्र्ा द्वारा संिाचलत सचिवीर् पाठ्यिम िी चशक्षा एवं प्रचशक्षर्,

3) आशू चलचप व िाइचपंग िा ज्ञान,

4) िार्ाा लर् में िाम िरने िे तरीिों तर्ा चवचिर्ों िा व्यावहाररि प्रचशक्षर् और इसिे सार्-सार्
िार्ाा लर् में प्रर्ोग चिए जाने वाले उपिरर्ों व मशीनों िे संबंि में जानिारी,

5) सामान्य ज्ञान िी अच्छी जानिारी,

6) र्चद आवश्यि हो तो चिसी चवदे शी भाषा िा ज्ञान,

7) व्यखक्तगत र्ोग्यताओं में र्े हो सिते हैं :

चनष्ठा प्रसन्‍नता
र्ुखक्त-सम्पन्नता चनष्ठा र्ा विादारी
चववेि चवश्वसनीर्ता
व्यवहार िुशलता व्यवस्र्ा चप्रर्ता
औचित्य बोि समर् पालन

इन सबिो दे खिर र्ह िहा जा सिता है चि चनजी सचिव िो बहुचवज्ञ (all rounder) होना
िाचहए। उसे समस्त चवषर्ों से संबंचित जानिारी होनी िाचहए, अच्छे संपिा बनाए रखना िाचहए तर्ा
जब ति आवश्यि न हो तब ति उसे परदे िे पीछे से ही िार्ा िरना िाचहए। उसे अपने स्वामी
िी गचतचवचिर्ों िी पूर्ा जानिारी होनी िाचहए, परन्तु उसे अत्यचिि चजज्ञासु नहीं होना िाचहए व
उसिे चनजी मामलों में नहीं पडना िाचहए। उसे अपने स्वामी िे पेशे से संबंिी मामलों में
अनावश्यि तां ि-झां ि नहीं िरनी िाचहए, परन्तु तथ्ों पर आिाररत परामशा दे ने िे चलए सदै व
तैर्ार रहना िाचहए। उसे सदै व ग रवपूर्ा चदखना िाचहए तर्ा िभी भी िोई ऐसा िार्ा नहीं िरना
िाचहए चजससे चि उसिे चनर्ोक्‍ता र्ा अचििारी िी प्रचतष्ठा र्ा छचव चबगडती हो।

चनजी सचिव िो स्वस्र्, िुस्त, ज्ञानवान, अचिि दे र ति िाम िरने िे र्ोग्य, बदलती पररखस्र्चतर्ों िे
अनु सार अपने िो बदलने लार्ि और चनर्ोक्‍ता िा चवश्वसनीर् प्रचतचनचि होना िाचहए। उसिा बहुत
अचिि चशचक्षत होना आवश्यि नहीं है परन्तु उसे िार्ा से संबंचित सभी चवषर्ों िी अच्छी जानिारी
अवश्य ही होनी िाचहए।

1.9.2 कतयव्य

चनर्ोक्ता िी आवश्यितानुसार चनजी सचिव िे िताव्यों िा चभन्न होना आवश्यि है । मं त्री िे चनजी
सचिव िे िताव्य संसद सदस् िे चनजी सचिव से स्वाभाचवि ही चभन्न होंगे, र्ा चिसी व्यावसाचर्ि
अचििारी र्ा विील र्ा िॉले ज िे प्रािार्ा िे चनजी सचिव िे िताव्य एि दू सरे से चभन्‍न होंगे।
ऐसा चनजी सचिव जो अपने चनर्ोक्‍ता िी घरे लू एवं िार्ाा लर् िी सभी चजम्मेदाररर्ां ले ता है , उसे ऐसे
चनजी सचिव िी तुलना में अचिि चवचभन्‍न प्रिार िे िार्ा स प ं े जाते हैं जो िेवल िार्ाा लर् िे
िार्ों िी दे खभाल िरता हैं ।

मोिे त र पर, चनजी सचिव द्वारा चिए जाने वाले िार्ों िो सािारर्त: चनम्नचलखखत शीषा िों अंतगात
बां िा जा सिता है :

i) िार्ाा लर् िे नेमी िताव्य


ii) स्वागत अचििारी िे िताव्य
iii) साचहखत्यि िताव्य
iv) चवत्तीर् िताव्य
v) घरे लू एवं सामाचजि िताव्य
vi) बैठिों संबंिी िताव्य
vii) चवचवि िताव्य

आइए अब हम इन िताव्यों िे बारे में पढ़ते हैं ।

i) कायायिय के ने मी कतय व्य: इसमें आशु चलचप में श्रृ तले ख चलखना, पत्रों िा मस दा बनाना व िाइप
िरना, आने वाली तर्ा बाहर जाने वाली र्ाि िी व्यवस्र्ा िरना, पत्रों िो िाइल िरना, ररिार्ा
रखना, पुस्तिों व रचजस्टरों िो ठीि से रखना तर्ा िार्ाा लर् िे उपिरर्ों जै से िे लीिोन,
बहुप्रचतचलचप िरने िी मशीन, िैक्स आचद िी जानिारी होना शाचमल है ।

ii) स्वागत अचिकारी के कतयव्य: इसमें शाचमल हैं , िे लीिोन सुनना, बाहर से आने वाले तर्ा बाहर
चिए जाने वाले िे लीिोनों िा ररिार्ा रखना, भें ििताा ओं से बातिीत िरना व उन्हें जानिारी दे ना,
िे लीिोन पर उत्तर दे ना, भेंििताा ओं िो चमलने िे चलए समर् दे ना तर्ा आवश्यि बातों िो र्ार्री
में नोि िरना चजससे चि चनर्ोक्‍ता िो र्ा स्वर्ं िो र्ाद चदलार्ा जा सिे।
iii) साचहक्तिक कतयव्य: र्े िताव्य इस प्रिार हैं – चनर्ोक्ता िी ओर से ने मी प्रिृचत िे पत्र, ररपोिा ,
भाषर् र्ा वक्तव्य बनाना, पत्रों व ररपोिों िा सारां श िरना, पुस्तिों, पैम्प्िले िों, भाषर्ों आचद िी
छपाई िी व्यवस्र्ा िरना व प्रूि पढ़ना।

iv) चवत्तीय कतयव्य: इसमें र्े शाचमल हैं – चनर्ोक्ता िे बैंि से ले न-दे न िी व्यवस्र्ा िरना, चबलों,
िरों, िमा िाररर्ों िे वेतन, िंदा व दानराचश िा भु गतान िरना, चनर्ोक्‍ता िे चनवेशों िा तर्ा उनसे
प्राप्त हुई आर् िा चववरर् रखना, बीमा प्रीचमर्म िा भु गतान िरना, बीमा संबंिी दावे दाखखल िरना,
पॉचलचसर्ों िा नवीिरर् िरना, आर्िर चववरर् जमा िरना तर्ा समस्त व्यर्ों, चजसमें र्ात्रा व्यर् भी
शाचमल है , िा चहसाब-चिताब रखना तर्ा उनिे चलए चबल तैर्ार िरना।

v) घरे िू एवं सामाचजक कतयव्य: इसमें र्े शाचमल हैं – चनर्ोक्‍ता िे घरे लू मामलों िी दे खभाल
िरना, घरे लू िमा िाररर्ों िे वेतन व मजदू री िा भु गतान िरना, दावतों, माध्याहन भोजों, राचत्र भोजों व
अन्य आमोद-प्रमोद िी व्यवस्र्ा िरना, चनर्ोक्‍्ता िी तरि से चनमं त्रर् भे जना, द रों पर जाने िे चलए
र्ां त्रा िी समु चित व्यवस्र्ा िरना, घर में आर्े हुए अचतचर्र्ों िी आवभगत िरना, चवशे ष अवसरों पर
चनर्ोक्ता िी तरि से शु भिामनाएं व शोि संदेश भेजना, आचद।

vi) बै ठकों संबंिी कतयव्य: इसमें चनर्ोक्‍्ता द्वारा आर्ोचजत िी जाने वाली बैठि िे संबंि में
िार्ासूिी तैर्ार िरना, बैठि िी सूिना भेजना, बैठि िरने िे चलए व्यवस्र्ा िरना, बैठि िे चलए
प्रपत्रों तर्ा िाइलों िो ठीि से तैर्ार रखना, मतदान िी व्यवस्र्ा िरना, सचमचतर्ों व उप सचमचतर्ों
िी ररपोिे व िार्ा चववरर् तैर्ार िरना, बैठि िे बाद बैठि में चिए गर्े चनर्ार्ों िे पालन िी
व्यवस्र्ा िरना।

vii) चवचवि कतयव्य: इसमें ऐसे समस्त िार्ा शाचमल होते हैं चजसेसे चनर्ोक्ता िी छचव उभरती हो
और उसिे पेशेवर उद्दे श्यों िो ध्यान में रखते हुए जनता िे सार् अच्छे संबंि बनते हों।

बोि प्रश्न ग
1. 'चनजी सचिव' िी पररभाषा िीचजए।
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………

i) िार्ाा लर् िे ने मी िताव्य

ii) स्वागत अचििारी िे िताव्य

iii) साचहखत्यि िताव्य

iv) चवत्तीर् िताव्य

v) घरे लू एवं सामाचजि िताव्य

vi) बैठिों संबंिी िताव्य

vii) चवचवि िताव्य


आइए अब हम इन िताव्यों िे बारे में पढ़ते हैं ।

i) कायायिय के ने मी कतयव्य: इसमें आशु चलचप में श्रु चतलेख चलखना, पत्रों िा मस दा बनाना व िाइप
िरना, आने वाली तर्ा बाहर जाने वाली र्ाि िी व्यवस्र्ा िरना, पत्रों िो िाइल िरना, ररिार्ा
रखना, पुस्तिों व रचजस्टरों िो ठीि से रखना तर्ा िार्ाा लर् िे उपिरर्ों जै से िे लीिोन,
बहुप्रचतचलचप िरने िी मशीन, िैक्स आचद िी जानिारी होना शाचमल है । |

ii) स्वागत अचिकारी के कतयव्य: इसमें शाचमल हैं , िे लीिोन सुनना, बाहर से आने वाले तर्ा बाहर
चिए जाने वाले िे लीिोनों िा ररिार्ा रखना, भें ििताा ओं से बातिीत िरना व उन्हें जानिारी दे ना,
िे लीिोन पर उत्तर दे ना, भेंििताा ओं िो चमलने िे चलए समर् दे ना तर्ा आवश्यि बातों िो र्ार्री
में नोि िरना चजससे चि चनर्ोक्‍ता िो र्ा स्वर्ं िो र्ाद चदलार्ा जा सिे।

iii) साचहक्तिक कतयव्य: र्े िताव्य इस प्रिार हैं – चनर्ोक्ता िी ओर से नेमी प्रिृचत िे पत्र, ररपोिा ,
भाषर् र्ा वक्तव्य बनाना, पत्रों व ररपोिों िा सारां श िरना, पुस्तिों, पैम्प्िले िों, भाषर्ों आचद िी छपाई
िी व्यवस्र्ा िरना व प्रूि पढ़ना।

iv) चवत्तीय कतयव्य: इसमें र्े शाचमल हैं – चनर्ोक्ता िे बैंि से ले न-दे न िी व्यवस्र्ा िरना, चबलों,
िरों, िमा िाररर्ों िे वेतन, िंदा व दानराचश िा भु गतान िरना, चनर्ोक्‍ता िे चनवेशों िा तर्ा उनसे
प्राप्त हुई आर् िा चववरर् रखना, बीमा प्रीचमर्म िा भु गतान िरना, बीमा संबंिी दावे दाखखल िरना,
पॉचलचसर्ों िा नवीिरर् िरना, आर्िर चववरर् जमा िरना तर्ा समस्त व्यर्ों, चजसमें र्ात्रा व्यर् भी
शाचमल है , िा चहसाब-चिताब रखना तर्ा उनिे चलए चबल तैर्ार िरना।

v) घरे िू एवं सामाचजक कतयव्य: इसमें र्े शाचमल हैं – चनर्ोक्‍्ता िे घरे लू मामलों िी दे खभाल
िरना, घरे लू िमा िाररर्ों िे वेतन व मजदू री िा भु गतान िरना, दावतों, माध्याहन भोजों, राचत्र भोजों व
अन्य आमोद-प्रमोद िी व्यवस्र्ा िरना, चनर्ोक्ता िी तरि से चनमं त्रर् भे जना, द रों पर जाने िे चलए
र्ात्रा िी समु चित व्यवस्र्ा िरना, घर में आर्े हुए अचतचर्र्ों िी आवभगत िरना, चवशेष अवसरों पर
चनर्ोक्ता िी तरि से शु भिामनाएं व शोि संदेश भेजना, आचद।

vi) बै ठकों संबंिी कतयव्य: इसमें चनर्ोक्ता द्वारा आर्ोचजत िी जाने वाली बैठि िे संबंि में
िार्ासूिी तैर्ार िरना, बैठि िी सूिना भे जना, बैठि िरने िे चलए व्यवस्र्ा िरना, बैठि िे चलए
प्रपत्रों तर्ा िाइलों िो ठीि से तैर्ार रखना, मतदान िी व्यवस्र्ा िरना, सचमचतर्ों व उप सचमचतर्ों
िी ररपोिा व िार्ा चववरर् तैर्ार िरना, बैठि िे बाद बैठि में चिए गर्े चनर्ार्ों िे पालन िी
व्यवस्र्ा िरना।

vii) चवचवि कतयव्य: इसमें ऐसे समस्त िार्ा शाचमल होते हैं चजससे चनर्ोक्ता िी छचव उभरती हो
और उसिे पेशेवर उद्दे श्यों िो ध्यान में रखते हुए जनता िे सार् अच्छे संबंि बनते हों।
बोि प्रश्न ग
1. 'चनजी सचिव' िी पररभाषा िीचजए।
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2. बताइए चि चनम्नचलखखत िर्मनों में से ि न से सही हैं और ि न से गलत।


i) चनर्ोक्‍ता िी पसंद र्ा नापसंद िो ध्यान में रखते हुए चनजी सचिव िो अपने िताव्यों िा पालन
िरना िाचहए।

ii) विील िे चनजी सचिव िे चलए िानू न िा स्नाति होना आवश्यि होता है।

iii) र्चद स्वागत अचििारी र्ा िे लीिोन ऑपरे िर हैं तब चनजी सचिव िे चलए िे लीिोन
सूनना आवश्यि नहीं होता।

iv) चनजी सचिव िा र्ह सामाचजि िताव्य है चि वह चनर्ोक्ता िी तरि से चनर्चमत


रूप से उसिे संबंचिर्ों िो पत्र चलखता रहे ।

v) चनजी सचिव से सदै व आशा िी जाती है चि वह चनर्ोक्‍ता िे खिों िो िम से िम


िरे गा।

vi) चनजी सचिव िे िुछ साचहखत्यि िाम वास्तव में ने मी िताव्य होते हैं ।

vii) चनजी सचिव िा अचििार है चि वह चनर्ोक्‍ता द्वारा आर्ोचजत बैठि में र्ा ऐसी
बैठि चजसमें उसिा चनर्ोक्‍ता अध्यक्ष हो, भाग ले तर्ा वोि दे ।

viii) चनजी सचिव िो सामान्यतः अपने चनर्ोिता िे पेशे से संबंचित चवषर्ों में हस्तक्षे प
नहीं िरना िाचहए।

1.10 सारांि
'सचिव' ऐसा व्यखक्त होता है जो चिसी अन्य िे चलए चलखा-पढ़ी िा िार्ा िरता है , चवशेषतः उसे
चिसी अन्य व्यखक्त, संस्र्ा, िंपनी र्ा सावाजचनि चनिार् िे चलए पत्र-व्यवहार िरने , तर्ा चवचभनन
प्रिार िे ले न-दे नों िा ररिार्ा रखने िे चलए चनर्ुक्त चिर्ा जाता है । आिुचनि समर् में उद्योग,
वाचर्ज्य, सामाचजि संस्र्ाओं, क्लबों, सरिारी िार्ाा लर्ों में और र्हां ति चि राजने ताओं, र्ाक्टरों,
विीलों एवं संसद सदस्ों िी खस्र्चत में भी सचिव िी भू चमिा अत्यंत महत्त्वपूर्ा हो गई है । िुछ
पररखस्र्चतर्ों में सचिव िा स्तर र्ा पद िानू न िे द्वारा चदर्ा जाता है , जबचि िुछ में वह चनर्ोक्ता
द्वारा ने मी प्रिृचत िे िार्ों में सहार्ता िरने िे चलए चनर्ुक्त चिर्ा जाता है , चजससे चि चनर्ोक्ता पर
िाम िा भार िम हो और वह अचिि महत्वपूर्ा चवषर्ों पर अपना ध्यान िेंचित िर सिे।

मू लतः सचिव िे िार्ों िे महत्त्व और प्रिृचत िे अनु सार ही उसिी भू चमिा चनचश्चत होती है ।
आिुचनि संगठनों में सचिव िी भू चमिा िा वर्ान िरने िे चलए उसिी खस्र्चत िा वर्ान चिर्ा
जाता है जै से (1) िार्ाा लर् अचििारी, (2) संपिा अचििारी, तर्ा (3) प्रबंि िा सलाहिार। िार्ाा लर्
अचििारी िे रूप में , सचिव िार्ाा लर् िे ने मी प्रिृचत िे चदन-प्रचतचदन चिए जाने वाले िार्ों िा
संगठन व प्रबंि िरने िे चलए उत्तरदार्ी होता है । संपिा अचििारी िे रुप में वह व्यवसार् िे
अचििाररर्ों तर्ा बाह्य पक्षिारों जै से मु वखिलों, ग्राहिों तर्ा जनता िे मध्य िडी िे रूप में िार्ा
िरता है , इसिे सार् ही वह उच्च स्तर िे प्रबंििों एवं प्रशासचनि अचििाररर्ों िे मध्य भी िडी
िी भू चमिा चनभाता है । वह जन संपिा अचििारी िी भू चमिा िा भी पालन िरता है । प्रबंि िे
सलाहिार िे रूप में सचिव िी भू चमिा इस रुप में है चि व्यवसार् िे संबंि में िोई भी चनर्ार्
और चवशे षतः नीचत संबंिी चनर्ार् ले ने िे समर् प्रबंििों िे चलए सम्भव नहीं होता चि वे इसिे चलए
समस्त सूिनाएं एिचत्रत िरें , अतः उन्हें इसिे चलए सचिव िी आवश्यिता पडती है । सचिव िी
सलाहिार िे रूप में भू चमिा उसिे पद िे स्तर िा एि अंग हो सिती है अर्वा वह अपनी
र्ोग्यताओं िे िारर् र्ह चवशे षाचििार प्राप्त िरता है ।

सचिव िे िताव्य इस आिार पर चभन्‍न हो सिते हैं चि वह 'ने मी सचिव' है अर्वा 'िार्ािारी
सचिव'। ने मी सचिव िे रूप में वह सािारर्त: िार्ाा लर् िे मु ख्य अचििारी िा िार्ा िरता है
और अन्य चवभागों िो वह चलचपिीर् सहार्ता उपलब्ध िराता है । चवभागीर् िार्ाा लर्ों िे संदभा में ,
सचिव 'स्टाि अचििारी' िे िताव्यों िा पालन िरता है । 'िार्ािारी सचिव' िे िताव्यों में पत्र-
व्यवहार िरने िे सार्-सार् बहुत व्यापि प्रशासचनि और प्रबंि िार्ा भी शाचमल होते हैं ।

एि सचिव िे चलए आवश्यि र्ोग्यताएं व गुर् इस प्रिार हैं : अच्छे स्तर िी उच्च सामान्य चशक्षा,
इं गचलश भाषा िा चवचशष्ट ज्ञान, चहन्दी तर्ा क्षे त्रीर् भाषा िा ज्ञान, व्यापि रूप में सामान्य ज्ञान,
िार्ाा लर् प्रबंि िा व्यावहाररि ज्ञान तर्ा आिषा ि व्यखक्तत्व। सचिवीर् िार्ों िा महत्व इन िारर्ों
से है : (ि) सचिव द्वारा चिए जाने वाले दु भार िार्ों तर्ा (ख) प्रबंििों िी सचिवीर् सहार्ता पर
बढ़ती हुई चनभा रता। सामाचजि एवं आचर्ा ि क्षे त्र में जै से- जै से संगचठत चिर्ाओं िी वृखद्ध हो रही है
और वे अचिि जचिल होती जा रही हैं , वैसे-वैसे दै चनि प्रशासन व चनर्ार् लेने िा िार्ा िरने िे
चलए अचििाररर्ों िो सचिवीर् सहार्ता िी आवश्यिता में भी वृखद्ध होती जा रही है ।

सचिवों द्वारा चिए जाने वाले िताव्यों व िार्ों िी चवचभन्‍नता िे अनु रूप हम सचिवों िे चवचभन्‍न
प्रिारों िा वर्ान िर सिते हैं , जै से चनजी सचिव, संस्र्ा र्ा क्लब िा सचिव, सहिारी सचमचत िा
सचिव, स्र्ानीर् चनिार् िा सचिव, सरिारी चवभाग िा सचिव और िंपनी िा सचिव।

चनजी सचिव चिसी व्यखक्त, व्यापाररि िमा िे मु ख्य िार्ािारी अचििारी, अचििारी र्ा प्रशासि िे
चलए सचिव िा िार्ा िरता है । चनजी सचिव चनर्ुक्त िरने िा मु ख्य उद्दे श्य र्ह होता है चि िोई
व्यखक्त अपने िूछ उत्तरदाचर्त्वों िो अपने सचिव िो स प ं दे , चजससे चि स्वर्ं वह बैठिें आर्ोचजत
िरने , भें ििताा ओं िो चमलने िा समर् दे ने, र्ाि िो संभालने , ररपोिा आचद ने मी प्रिृचत िे िार्ों से
मु क्त हो जाता है।

चनजी सचिव में सािारर्तः चनम्नचलखखत र्ोग्यताओं िी अपेक्षा िी जाती है : उच्च स्तरीर् सामान्य
चशक्षा, सचिवीर् िार्ा िा प्रचशक्षर्, आशु चलचप व िाइप िरने िा ज्ञान, िार्ाा लर् प्रर्ाचलर्ों िा
व्यावहाररि ज्ञान, अच्छा सामान्य ज्ञान, र्चद आवश्यि हो तो चवदे शी भाषा िी जानिारी, चनश्छलता,
सािन सम्पन्नता, चववेि, व्यवहार िुशलता, औचित्य बोि, हं समु ख व्यवहार, चनष्ठा आचद व्यखक्तगत गुर्।
सचिव िे िताव्यों िो सािारर्त: इन श्रे चर्र्ों में चवभाचजत चिर्ा जा सिता है : िार्ाा लर् िे ने मी
प्रिृचत िे िताव्य, स्वागत अचििारी िे िताव्य, चलखा-पढ़ी िे िताव्य, चवत्तीर् िताव्य, घरे लू तर्ा
सामाचजि िताव्य, बैठिों से संबंचित िताव्य, तर्ा अन्य चवचवि िताव्य।

1.11 िब्दाविी

काययकारी सचिव (Executive Secretary):


ऐसा सचिव चजसे चवचभन्‍न प्रिार िे प्रशासचनि एवं प्रबंििीर् िार्ा स प
ं े जाते हैं । |

संपकय अचिकारी (Liaison Officer):


ऐसा व्यखक्त जो अचििाररर्ों तर्ा बाह्य पक्षिारों/चनिले स्तर िे अचििाररर्ों िे मध्य िडी
िा िार्ा िरता है । ।
कायायिय अचिकारी (Office Executive):
ऐसा व्यखक्त चजसे िार्ाा लर् िी दै चनि सेवाओं िो गचठत व प्रबंि िरने िा दाचर्त्व स प
ं ा
जाता है ।

चनजी सचिव (Private Secretary)


चिसी व्यखक्त, प्रशासचनि अचििारी र्ा व्यापाररि अचििारी िे चलए ने मी प्रिृचत िे िार्ा िरने िे
चलए चनर्ुक्त व्यखक्त।

सचिव (Secretary):
ऐसा व्यखक्त जो चिसी अन्य िे चलए चलखा-पढ़ी िरता है , पत्र-व्यवहार िरता है तर्ा,
ररिार्ा रखने आचद िा िार्ा िरता है । र्ह अन्य व्यखक्त िोई सचमचत र्ा िंपनी र्ा
सावाजचनि चनिार् हो सिता है ।

स्टाफ अचिकारी (Staff Officer):


वह व्यखक्त जो चवचशष्ट प्रिार िी परामशा सेवाएं प्रदान िरता है ।

1.12 बोि प्रश्नों के उत्तर


ि) 3) (i) गलत (ii) सही (iii) सही (iv) सही
(v) सही (vi) सही (vii) गलत (viii) गलत

ख) 1) (i) सूिना, सलाह (ii) संिल्ों िा मस दा बनाने


(iii) चहन्दी, क्षेत्रीर् (iv) संप्रेचषत (v) सूिना, आं िडों

ग) 2) (i) सही (ii) गलत (iii) गलत (iv) गलत


(v) गलत (vi) सही (vii) गलत (viii) सही

1.13 स्वेपरख प्रश्न

1) 'सचिव' ि न होता है? व्यापाररि जगत में सचिवों िा महत्व स्पष्ट िीचजए। िार्ाा लर् अचििारी िे
रूप मे सचिव िे िार्ों िी रूपरे खा बताइए।

2) (ि) िार्ाा लर् िे िार्ािारी अध्यक्ष, (ख) संपिा अचििारी, तर्ा (ग) प्रबंि िे सलाहिार िे रूप
में सचिव िी भू चमिा िा चववेिन िीचजए।

3) सचिव में क्‍र्ा र्ोग्यताएं होनी िाचहए? इन र्ोग्यताओं िा आवश्यि होने िे चलए तिा दीचजए।

4) 'ने मी सचिव' तर्ा 'िार्ािारी सचिव' िे ित्ताव्यों में अंतर बताइए।

5) चनजी सचिव िे िताव्यों पर व्याख्यात्मि चिप्पर्ी चलखखए।

6) चनजी सचिव िी खस्र्चत िो पररभां चषत िीचजए। चनजी सचिव में क्ा र्ोग्यताएं होनी िाचहए?
7) व्यावसाचर्ि संगठन िे सचिव िे िताव्यों िी प्रिृचत िा वर्ान िीचजए तर्ा इस संदभा में
सचिवीर् िार्ा िा महत्व स्पष्ट िीचजए।

नोट: इन प्रश्नों से आपको इस इकाई को भिीभााँचत समझने में मदद चमिेगी। इनका उत्तर
चिखने का प्रयास करें । िे चकन उत्तर चवश्वचवद्यािय को न भेजें। ये केवि आपके अभ्यास के
चिए हैं ।

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