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संगठन का अर्थ

विविन्न विद्वान ों के द्वारा सोंगठन के विन्न-विन्न अर्थ प्रस्तुत वकए


गए हैं ।
‘सोंविप्त ऑक्सफ र्थ शब्दक श’ (Concise Oxford Dictionary)
के अनु सार सोंगठन से अविप्राय ‘वकसी िस्तु का व्यिस्थर्त
ढााँ चा बनाना’ (To Give Orderly Structure to) अर्िा ‘वकसी
िस्तु का आकार वनवित करना एिों उसक कायथ करने की
स्थर्वत में लाना’ (To Frame and put into Working Order) है ।
इस प्रकार वकसी िस्तु के अन्य न्यावित िाग ों क सम्बस्ित
करने के कायथ क सोंगठन की सोंज्ञा दी गई है विससे वक प्रत्येक
िाग क विवश
संगठन की विशेषताएँ

संगठन की वनम्नविखित विशेषताएँ बतायी जा सकती हैं :


• (1) सोंगठन की थर्ापना कुछ विशेष लक्ष् ों या उद्दे श् ों की पूवतथ हे तु की िाती है ।
• (2) सोंगठन कायथकारी नेतृत्व के वनदे शन में व्यस्िय ों का एक समूह ह ता है ।
• (3) सोंगठन के माध्यम से व्यस्िय ों में औपचाररक ि अनौपचाररक सम्बि थर्ावपत
ह ते हैं ।
• (4) सोंगठन अविकार ों ि दावयत्व ों की िविल सोंरचना है ।
• (5) सोंगठन िम-वििािन, अविकार ों एिों दावयत्व ों के वििािन के आिार पर कायथ
सम्पादन करता है ।
• (6) सोंगठन में सन्दे श का आदान-प्रदान वनरन्तर ह ता रहता है ।
• (7) सोंगठन के अिाि में प्रबिक अपना कायथ व्यिस्थर्त ढों ग से नही ों कर सकता है

• (8) सोंगठन का रूप पररस्थर्वतय ों एिों आिश्कता के अनुसार बदलता रहता है
संगठन के प्रकार

• सामान्यतया संगठन को दो भागों में विभक्त


वकया जाता है :
• (1) औपचाररक सोंगठन,
• (2) अनौपचाररक सोंगठन ।
(1) औपचाररक संगठन

• ‘औपचाररक संगठन’ के विये प्रयुक्त होने िािे अन्य नाम


वनम्नविखित हैं :
• ‘यास्िक सोंगठन’ (Mechanical Organization), ‘इों िीवनयररों ग
सोंगठन’ (Engineering Organization) एिों ‘सोंरचनात्मक-
कायाथ त्मक सोंगठन’ (Structural-Functional Organization) ।
इनमें सोंगठन का स्वरूप व्यिस्थर्त ढों ग से रूपाों वकत वकया िाता
है ।
• प्रत्येक स्तर पर अस्थर् अविकार ों कायों एिों उत्तरदावयत्व ों क स्पष्ट
रूप से वनयमािली के माध्यम से वनवदथ ष्ट वकया िाता है । सोंगठन
के सदस् ों के व्यिहार में समन्वय थर्ावपत वकया िाता है तर्ा
प्रत्येक सदस् के कायों ि शस्िय ों क स्पष्ट कर वदया िाता है ।
अनौपचाररक संगठन
• अनौपचाररक सोंगठन प्राय: ‘सामाविक-मन िैज्ञावनक सोंगठन’
(Social-Psychological) एिों ‘मानितािादी सोंगठन’
(Humanitarian Organization) ह ते हैं । अनौपचाररक सोंगठन से
अविप्राय: उन व्यस्िगत तर्ा सामाविक सम्बि ों से है ि
व्यस्िय ों के एक-दू सरे के सार् सोंगवठत ह ने के उपरान्त स्वत:
उदय ह िाते हैं ।
• सोंगठन के अनौपचाररक स्वरूप के प्रमुख प्रितथक एल्टन मेय एिों
उनके सहय गी रहे हैं । उन् न ों े ‘िेस्टनथ इलेस्रि क कम्पनी’ के
हॉर् नथ सोंयोंत्र के सम्बि में प्रय ग करके यह वनष्कषथ वनकाला वक
िब कुछ व्यस्ि दीर्थकाल तक वमल-िुल कर कायथ करते हैं त
उनमें िािनात्मक एिों िैयस्िक सम्बि विकवसत ह िाते हैं ।

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