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HOME • GENERAL HINDI • िद्वतीय वषर् • बी.ए. िद्वतीय वषर् (अिनवायर् िहं दी) • 6 सेम ेस्ट र
• बी.ए. तृत ीय वषर् (DSE-1) • बी.ए. तृत ीय वषर् (GE-1) • बी. ए./बी. कॉम प्रथम वषर् अिनवायर् िहन्दी
प्रयोजनमूल क िहं दी यूि नट 1 , बी. ए./बी. कॉम प्रथम वषर् अिनवायर् िहन्दी
सरकारी पत्राचार में प्रारूपण लेखन का िवशेष महत्त्व होता है। कायार्लयों में जब िकसी
व्यिक्त, संस्था या िकसी अन्य कायार्लय, मंत्रालय को कोई पत्र िलखा जाता है, तो उससे
पहले उस पत्र का कच्चा रूप तैयार कर िलया जाता है, पत्र का वह कच्चा रूप ही
प्रारूपण कहलाता है। इस कच्चे प्रारूप को पहले अिधकारी क िदखाया जाता है और
अिधकारी उसे स्वीकृत कर देता है तो िफर संबंद्ध संस्था को वह पत्र अंितम रूप में टंिकत
कर के िभजवा िदया जाता है।
प्रारूपण को अंग्रेजी में ड्रािफ्टंग (Dra!ing) के रूप में प्रयोग िकया जाता है। ड्रािफ्टंग
का अथर् है िकसी कायर् की रूपरेखा तैयार करना। िहं दी में प्रारूपण को मसौदा लेखन,
आलेखन तथा प्रारूप लेखन आिद नामों से जाना जाता है। सामान्य अथोर्ं में प्रारूपण से
अिभप्राय पत्रों, सूचनाओं, पिरपत्रों और समझौतों के प्रारूप तैयार करने से है िजन्हें
सरकारी कायार्लयों और व्यवसाियक संस्थानों में आए िदन तैयार िकया जाता है।
प्रारूप आवश्यकता अनुसार िलिपक से लेकर उच्चतम अिधकारी िकसी को भी तैयार
करना पड़ सकता है।
1- प्रारंिभक भागः
ख) क्रम संख्या के ठीक नीचे भारत सरकार तथा मंत्रालय का नाम िलखा जाता है।
ग) इसके बाद नीचे प्रेषक अथार्त भेजने वाले का पद तथा नाम पता िलखा जाता है।
घ) इसके बाद सेवा में िलखकर उस व्यिक्त का नाम पद तथा पता िलखा जाता है िजसे
पत्र भेजा जा रहा है।
ङ) इसके बाद पत्र का मुख्य िवषय िशष्य के अंतगर्त िलखा जाता है तािक पत्र पढ़ने
वाला िवषय को देखकर ही अनुमान लगा ले िक पत्र में क्या बात कही जा रही है।
च) िवषय के बाद िकसी ना िकसी संबोधन के साथ पत्र प्रारंभ िकया जाता है सरकारी
पत्रों में प्रायः महोदय, महोदया, मान्यवर आिद संबोधन प्रयुक्त िकए जाते हैं। इस प्रकार
सरकारी पत्र के प्रारूप का प्रारंिभक भाग पूरा हो जाता है।
2- मध्य भागः
क) पत्र के मध्य भाग को आरंभ करते समय यह देखना चािहए िक पत्र िकसी व्यिक्त या
मंत्रालय को पहली बार भेजा जा रहा है या िकसी पत्र के उत्तर में भेजा जा रहा है। यिद
पत्र िकसी पत्र के उत्तर के रूप में िलखा जा रहा है तो िनिश्चत ही इस पत्र का आरंभ करते
समय उस पत्र का हवाला (संख्या, िदनांक आिद) संदभर् के रूप में देना आवश्यक होता
है।
ख) यिद प्रारूप बड़ा है तथा कई अनुच्छेदों में पूरा होता है तो पहले अनुच्छेद को छोड़कर
शेष अनुच्छेदों पर संख्या डाल देनी चािहए ।
ग) यिद मसौदा लेखक चाहे तो अपने तकोर्ं को पुष्ट करने के िलए िनयमों उप िनयमों या
िकसी उच्च अिधकारी द्वारा िदए गए आदेशों को उद्धृत करना चाहता है तो वह कर सकता
है।
3- अंितम भागः
क) सरकारी पत्रों की समािप्त प्रायः भवदीय भवदीय आपका स्विनदेर्श के द्वारा की जाती
है।
ख) स्वर िनदेर्श शब्द के नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर के िलए स्थान छोड़ िदया जाता है
तथा हस्ताक्षर के नीचे हस्ताक्षर करने वाले व्यिक्त का पूरा नाम तथा पद कोष्ठक में
िलखा जाता है।
ग) यिद आवश्यकता हो िक पत्र के साथ कुछ अन्य पत्रों की प्रितयां, पिरपत्र या अन्य
कोई कागजात भेजे जाने हैं, तो पत्र के एकदम नीचे बांयी ओर संलग्न शब्द िलखकर
संलग्न िकए गए पत्रों की संख्या िलख दी जाती है।
ङ) इसके बाद पत्रकार पृष्ठांकन िकया जाता है पृष्ठांकन में पत्र की संख्या िदनांक आिद
को िलखकर अंत में अिधकारी के हस्ताक्षर तथा पद आिद का हवाला िदया जाता है।
च) पृष्ठांकन तभी िकया जाता है जब पत्र की प्रितिलिप िकसी को भेजी जानी है यिद
प्रितिलिप नहीं भेजी जानी है तो िफर पृष्ठांकन की आवश्यकता नहीं होती।
प्रारूपण की िवशेषताएं ः
1. संिक्षप्तताः प्रारूप में सबसे बड़ी से बड़ी बात को संिक्षप्त में रूप में कहा जाना
चािहए। यिद िकसी िवशेष कारणवश लंबा मसौदा भी िलखना पड़ता है तो पूरा
मसौदा िलखने के बाद उनको सार रूप में िफर से कह देना उिचत होता है।
2. शुद्ध एवं सहीः िजस सरकारी पत्र का मसौदा तैयार िकया जा रहा है वह पूरी तरह से
सही होना चािहए। यह कोई भी भूल जैसे संदभर्, िदनांक, स्थान, क्रमांक आिद से
संबंिधत नहीं होने चािहए। शुद्धता प्रारूपण का सबसे बड़ा गुण होता है।
3. पूणर्ताः मसौदा स्वतः पूणर् होना चािहए। उसमें समस्त सूचनाएं आ जानी चािहए
और कोई तथ्य छूटना नहीं चािहए। साथ ही जो भी तथ्य, सूचनाएं , संदभर् आिद िदए
जा रहे हैं वह सब अपने आप में पूणर् होने चािहए िजससे िक बाद में कोई दू सरा
अिधकारी आकर उस पत्र को पढ़ना चाहे तो उसे भी सारी जानकारी प्राप्त हो सके।
4. तथ्यपरकताः प्रारूप में जो कुछ भी िलखा जाता है वह पूणर्ता तथ्यपरक होना
चािहए। यह अिभधात्मक शैली में होना चािहए। सरकारी पत्र औपचािरक होते हैं
इसिलए उनमें अनेकाथीर् संरचनाओं का प्रयोग भी नहीं िकया जाना चािहए, जो कुछ
भी कहना हो वह तथ्यों पर आधािरत एवं प्रामािणक होना चािहए।
5. िशष्ट भाषा का प्रयोगः प्रारूप लेखन में औपचािरक पत्र उनको तैयार िकया जाता
है इन पत्रों की भाषा िशष्ट सरल और स्पष्ट होनी चािहए। यिद िकसी व्यिक्त की
मांग को स्वीकार न िकया जाना हो तो भी अस्वीकृित िवनम्र और िशष्ट भाषा में ही दी
जानी चािहए। व्यिक्तगत आक्षेप का भी इसमें कोई स्थान नहीं होना चािहए।
यह स्पष्ट है िक सरकारी पत्राचार में जब िकसी मामले में िटप्पणी के माध्यम से िवचार
कर कोई िनणर्य ले िलया जाता है और उस िनणर्य से संबद्ध व्यिक्त या संस्था को उसकी
सूचना देनी होती है तो उस पत्र का एक अच्छा प्रारूप अनुमोदन के िलए अिधकारी के
समक्ष प्रस्तुत िकया जाता है। यिद अिधकारी कोई संशोधन सुझाता है तो उसमें संशोधन
भी कर िलया जाता है। अंत में अिधकारी द्वारा अनुमोिदत मसौदे की स्वच्छ टंिकत प्रित
अिधकारी के हस्ताक्षर कराकर संबंिधत संस्था या कायार्लय या व्यिक्त को िभजवा दी
जाती है। प्रारूप की प्रिक्रया सदैव िवषय और पत्राचार के रूप पर िनभर्र करती है।
पत्राचार के प्रकार का िनश्चय हो जाने पर उसके अनुसार ढांचा बनाया जाता है।
उदाहरण के िलए पिरपत्र का प्रारूप अलग ढंग का होता है और प्रेस िवज्ञिप्त का अलग
ढंग का। इसके बाद िवषय को पूणर् तरह समझ कर ज्ञात सूचनाओं का संग्रहण िकया
जाता है िफर उन्हें क्रमबद्ध कर के मसौदे के प्रारूप में समझते हैं। अतः मसौदा िलखने के
िलए एक कुशल एवं प्रिशिक्षत अिधकारी की आवश्यकता होती है।
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