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CH- 05 विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार

विशेष लेखन का अर्थ है-वकसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर वकया गया लेखन।
बीट रिपोर्टिग के र्िए तैयािी
सामान्य बीट ररपोवटथग के वलए भी एक पत्रकार को काफ़ी तैयारी करनी पड़ती है। उदाहरण के तौर पर
जो पत्रकार राजनीवत में वदलचस्पी रखते हैं या वकसी खास राजनीवतक पाटी को किर करते हैं, उन्हें
पता होना चावहए वक उस पाटी का इवतहास क्या है, उसमें समय-समय पर क्या हुआ है, आज क्या
चल रहा है, पाटी के वसद्ाांत या नीवतयााँ क्या हैं, उसके पदाविकारी कौन-कौन हैं और उनक़ी पृष्ठभवू म
क्या है, बाक़ी पावटथयों से उस पाटी के ररश्ते कै से हैं और उनमें आपस में क्या फकथ है, उसके
अवििेशनों में क्या-क्या होता रहा है, उस पाटी क़ी कवमयााँ और खवू बयााँ क्या हैं, आवद-आवद।
बीट रिपोर्टिग औि र्िशेषीकृत रिपोर्टिग में अंति
बीट ररपोवटथग और विशेषीकृ त ररपोवटथग के बीच सबसे महत्िपणू थ अांतर यह है वक अपनी बीट क़ी
ररपोवटथग के वलए सिां ाददाता में उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और वदलचस्पी का होना पयाथप्त है। इसके
अलािा एक बीट ररपोटथर को आमतौर पर अपनी बीट से जड़ु ी सामान्य खबरें ही वलखनी होती हैं।
लेवकन विशेषीकृ त ररपोवटथग का तात्पयथ यह है वक आप सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष
क्षेत्र या विषय से जड़ु ी घटनाओ,ां मद्दु ों और समस्याओ ां का बारीक़ी से विश्लेषण करें और पाठकों के
वलए उसका अर्थ स्पष्ट करने क़ी कोवशश करें ।
र्िशेष िेखन की भाषा औि शैिी
विशेष लेखन का सांबिां वजन विषयों और क्षेत्रों से है, उनमें से अविकाश ां क्षेत्र तकनीक़ी रूप से जवटल
हैं और उनसे जड़ु ी घटनाओ ां तर्ा मद्दु ों को समझना आम पाठकों के वलए कवठन होता है। इसवलए इन
क्षेत्रों में विशेष लेखन क़ी जरूरत पड़ती है, वजससे पाठकों को समझने में मवु श्कल न हो। विशेष लेखन
क़ी भाषा और शैली कई मामलों में सामान्य लेखन से अलग होती है। उनके बीच सबसे बुवनयादी
फकथ यह होता है वक हर क्षेत्र-विशेष क़ी अपनी विशेष तकनीक़ी शब्दािली होती है जो उस विषय पर
वलखते हुए आपके लेखन में आती है।
जैसे कारोबार पर विशेष लेखन करते हुए आपको उसमें इस्तेमाल होने िाली शब्दािली से पररवचत
होना चावहए। दसू रे , अगर आप उस शब्दािली से पररवचत हैं तो आपके सामने चुनौती यह होती है वक
आप अपने पाठक को भी उस शब्दािली से इस तरह पररवचत कराना चावहए तावक उसे आपक़ी
ररपोटथ को समझने में कोई वदक्कत न हो।
उदाहिणार्ि-‘सोने में भारी उछाल’, ‘चााँदी लढ़ु क़ी’ या ‘आिक बढ़ने से लाल वमचथ क़ी कड़िाहट
घटी’ या ‘शेयर बाजार ने वपछले सारे ररकॉर्थ तोड़े, सेंसेक्स आसमान पर’ आवद के अलािा खेलों में
भी ‘भारत ने पावकस्तान को चार विके ट से पीटा’, ‘चैंवपयांस कप में मलेवशया ने जमथनी के आगे घटु ने
टेके’ आवद शीषथक सहज ही ध्यान खींचते हैं।
र्िशेष िेखन के अनेक क्षेत्र हैं, जैसे- कारोबार और व्यापार,खेल,विज्ञान-
प्रौद्योवगक़ी,कृ वष,विदेश,रक्षा,पयाथिरण,वशक्षा,स्िास््य,वफल्म-मनोरांजन,अपराि,सामावजक मद्दु ,े काननू ,
आवद।
कै से हार्सि किें र्िशेषज्ञता
विशेष लेखन के वकसी भी विषय में विशेषज्ञता हावसल करने के वलए

1. वजस भी विषय में विशेषज्ञता हावसल करना चाहते हैं, उसमें आपक़ी िास्तविक रुवच
होनी चावहए।
2. उच्चतर माध्यवमक (+2) और स्नातक स्तर पर उसी या उससे जड़ु े विषय में पढ़ाई करें ।
3. अपनी रुवच के विषय में पत्रकारीय विशेषज्ञता हावसल करने के वलए उन विषयों से
सबां वां ित पस्ु तकें खबू पढ़नी चावहए।
4. विशेष लेखन के क्षेत्र में सविय लोगों के वलए खदु को अपर्ेट रखना बेहद जरूरी होता
है। इसके वलए उस विषय से जड़ु ी खबरों और ररपोटीं क़ी कवटांग करके फाइल बनानी
चावहए।
5. उस विषय के प्रोफे शनल विशेषज्ञों के लेख और विश्लेषणों क़ी कवटांग भी सहेजकर
रखनी चावहए।
6. एक तरह से उस विषय में वजतनी सभां ि हो, सदां भथ सामग्री जटु ाकर रखनी चावहए।
7. उस विषय का शब्दकोश और इनसाइक्लोपीवर्या भी आपके पास होनी चावहए।
8. विषय विशेष से जड़ु े सरकारी और गैरसरकारी सांगठनों और सांस्र्ाओ ां क़ी सचू ी, उनक़ी
िेबसाइट का पता, टेलीफोन नांबर और उसमें काम करने िाले विशेषज्ञों के नाम और
फोन नांबर अपनी र्ायरी में रखना चावहए।

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