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पत्र - लेखन 9,10
पत्र - लेखन 9,10
लिखित रूप में अपने मन के भावों एवं विचारों को प्रकट करने का माध्यम 'पत्र' हैं। 'पत्र' का शाब्दिक अर्थ हैं,
'ऐसा कागज जिस पर कोई बात लिखी अथवा छपी हो'। पत्र के द्वारा व्यक्ति अपनी बातों को दस
ू रों तक लिखकर
पहुँचाता हैं। हम पत्र को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम भी कह सकते हैं।
पत्र के अंग –
1. पत्र लिखने वाले का पता तथा तिथि – आजकल ये दोनों पत्र के ऊपर बाएँ कोने में लिखे जाते हैं। निजी
अथवा व्यक्तिगत
पत्रों में प्रायः यह नहीं लिखे जाते किंतु व्यावसायिक और कार्यालयी पत्रों में पते के साथ-साथ प्रेषक का नाम
भी लिखा जाता है । विद्यार्थियों को यह ध्यान रहे कि परीक्षा में पत्र लिखते समय उन्हें भी ऐसा कुछ भी नहीं
लिखना चाहिए जिससे उनके निवास स्थान, विद्यालय आदि की जानकारी मिले। सामान्यतः प्रेषक के पते के
स्थान पर ‘परीक्षा भवन’ लिखना ही उचित होता
2. पाने वाले का नाम व पता-प्रेषक के बाद पष्ृ ठ की बाईं ओर ही पत्र पाने वाले का नाम व पता लिखा जाता
है ; जैसे –
सेवा में
थानाध्यक्ष महोदय
केशवपरु म ्
लखनऊ।
3. विषय-संकेत – औपचारिक पत्रों में यह आवश्यक होता है कि जिस विषय में पत्र लिखा जा सकता है उस
विषय को अत्यंत संक्षेप में पाने वाले के नाम और पते के पश्चात ् बाईं ओर से विषय शीर्षक दे कर लिखें। इससे
पत्र दे खते ही पता चल जाता है कि मल
ू रूप में पत्र का विषय क्या है ।
4. संबोधन – पत्र प्रारं भ करने से पहले पत्र के बाईं ओर दिनांक के नीचे वाली पंक्ति में हाशिए के पास जिसे
पत्र लिखा जा रहा
है , उसे पत्र लिखने वाले के संबंध के अनस
ु ार उपयक्
ु त संबोधन शब्द का प्रयोग किया जाता है ।
5. अभिवादन – निजी पत्रों में बाईं ओर लिखे संबोधन शब्दों के नीचे थोड़ा हटकर संबंध के अनस
ु ार उपयक्
ु त
अभिवादन शब्द सादर प्रणाम, नमस्ते, नमस्कार आदि लिखा जाता है । व्यावसायिक एवं कार्यालयी पत्रों में
अभिवादन शब्द नहीं लिखे जाते।
6. पत्र की विषय – वस्त-ु अभिवादन से अगली पंक्ति में ठीक अभिवादन के नीचे बाईं ओर से मल
ू पत्र का
प्रारं भ किया जाता है ।
7. पत्र की समाप्ति -पत्र के बाईं ओर लिखने वाले के संबंध सच
ू क शब्द तथा नाम आदि लिखे जाते हैं। इनका
प्रयोग पत्र प्राप्त करने वाले के संबंध के अनस
ु ार किया जाता है ; जैसे-औपचारिक-भवदीय, आपका आज्ञाकारी।
अनौपचारिक-तम्
ु हारा, आपका, आपका प्रिय, स्नेहशील, स्नेही आदि।
8. हस्ताक्षर और नाम – समापन शब्द के ठीक नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के ठीक नीचे
कोष्ठक में भेजने वाले का परू ा नाम अवश्य दिया जाना चाहिए। यदि पत्र के आरं भ में ही पता न लिख दिया
गया हो तो व्यावसायिक व सरकारी पत्रों में नाम के नीचे पता भी अवश्य लिख दे ना चाहिए। परीक्षा में पछ
ू े
गए पत्रों में नाम के स्थान पर प्रायः क, ख, ग आदि
लिखा जाता है । यदि प्रश्न-पत्र में कोई नाम दिया गया हो, तो पत्र में उसी नाम का उल्लेख करना चाहिए।
9. संलग्नक – सरकारी पत्रों में प्रायः मल
ू पत्र के साथ अन्य आवश्यक कागज़ात भी भेजे जाते हैं। इन्हें उस पत्र
के ‘संलग्न पत्र’ या ‘संलग्नक’ कहते हैं।
10. पन
ु श्च-कभी – कभी पत्र लिखते समय मल
ू सामग्री में से किसी महत्त्वपर्ण
ू अंश के छूट जाने पर इसका
प्रयोग होता है । विशेष- पहले पत्र भेजने वाले का पता, दिनांक दाईं ओर लिखा जाता था, पर आजकल इसे बाईं
ओर लिखने का चलन हो गया है । छात्र इससे भ्रमित न हों। हिंदी में दोनों ही प्रारूप मान्य हैं।
पत्रों के प्रकार
पत्र दो प्रकार के होते हैं –
(क) औपचारिक पत्र
(ख) अनौपचारिक पत्र।
(क) औपचारिक पत्र – अर्ध-सरकारी, गैर-सरकारी या सरकारी कार्यालय को जो भी पत्र लिखे जाते हैं, वे सभी पत्र
औपचारिक पंत्रों के अंतर्गत आते हैं। कार्यालय द्वारा अपने अधीनस्थ विभागों को जो पत्र लिखे जाते हैं, वे सब
भी इसी श्रेणी में आते हैं।
(ख) अनौपचारिक पत्र-जो पत्र निजी, व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक होते हैं, वे ‘अनौपचारिक’ पत्र कहलाते हैं। इस
पत्र में किसी तरह की औपचारिकता के निर्वाह का बंधन नहीं होता। इन पत्रों में प्रेषक अपनी बात व भावना
को उन्मक्
ु तता के साथ, बिना लाग-लपेट लिख सकता है ।
औपचारिक एवं अनौपचारिक पत्र के आरं भ व अंत की औपचारिकताओं की तालिका –
औपचारिक पत्रों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है –
1. प्रधानाचार्य को लिखे जाने वाले पत्र (प्रार्थना-पत्र)।
2. कार्यालयी प्रार्थना-पत्र-विभिन्न कार्यालयों को लिखे गए पत्र।
3. आवेदन-पत्र-विभिन्न कार्यालयों में नियक्ति
ु हे तु लिखे गए पत्र ।
4. संपादकीय पत्र-विभिन्न समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित कराने वाले संपादक को लिखे गए पत्र।
5. सझ
ु ाव एवं शिकायती पत्र-किसी समस्या आदि के संबंध में सझ
ु ाव दे ने या शिकायत हे तु लिखे गए पत्र।
6. अन्य पत्र-बधाई, शभ
ु कामना और निमंत्रण पत्र ।
औपचारिक पत्र
प्रार्थना-पत्र
प्रधानाचार्य को लिखे जाने वाले पत्र का प्रारूप
अपने पस्ु तकालय में हिंदी की पत्रिकाओं की कमी की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए अपने विद्यालय की
प्रधानाचार्या को प्रार्थना-पत्र लिखिए। आप दसवीं ‘सी’ में पढ़ने वाले उत्कर्ष हो।
सेवा में
प्रधानाचार्या जी
ज्ञानकंु ज पब्लिक स्कूल
दिलशाद गार्डन, दिल्ली
28 नवंबर, 20xx
विषय-पस्
ु तकालय में हिंदी की पत्रिकाओं की कमी के संबंध में
महोदया
विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं आपका ध्यान अपने विद्यालय के
पस्
ु तकालय में हिंदी पत्रिकाओं की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
इस विद्यालय के पस्
ु तकालय में हज़ारों पस्
ु तकें और पत्र-पत्रिकाएँ हैं। यहाँ अंग्रेज़ी की कई पत्रिकाएँ प्रतिमाह
मँगवाई जाती हैं, परं तु हिंदी की पत्रिकाओं की घोर कमी है जिससे हिंदी पत्रिकाएँ पढ़ने की इच्छा रखने वाले
छात्र-छात्राओं को निराश होकर लौटाना पड़ता है । अंग्रेज़ी पत्रिकाएँ पढ़ने वाले छात्रों को दे खकर वे स्वयं को
उपेक्षित-सा महसस
ू करते हैं। इन छात्रों के लिए सम
ु न-सौरभ, विज्ञान प्रगति, बाल हं स, पराग, चंपक, नंदन
चंदामामा जैसी हिंदी की पत्रिकाओं की आवश्यकता है ।
अतः आपसे प्रार्थना है कि पस्
ु तकालय में अंग्रेज़ी पत्रिकाओं के साथ-साथ हिंदी की पत्रिकाएँ मँगवाने की कृपा
करें । हम छात्र आपके आभारी होंगे।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
उत्कर्ष
दसवीं ‘सी’ अनक्र
ु मांक-13
आवेदन-पत्र
आवेदन-पत्र का प्रारूप
सीमा सरु क्षा बल में कांस्टे बल के कुछ पद रिक्त हैं। इस पद पर भरती के लिए सीमा सरु क्षा बल के
महानिदे शक को प्रार्थना पत्र लिखें।
उत्तरः
सेवा में
महानिदे शक
सीमा सरु क्षा बल
सी०जी०ओ० कांप्लैक्स
लोदी रोड, नई दिल्ली
विषय-सीमा सरु क्षा बल में कांस्टे बल पद पर भरती के संबंध में
महोदय
25 सितंबर 20XX को प्रकाशित दै निक समाचार पत्र ‘हिंदस् ु तान’ से ज्ञात हुआ कि आपके कार्यालय के माध्यम
से सीमा सरु क्षा बल में कांस्टे बल के पदों की रिक्तियाँ विज्ञापित की गई हैं। इस पद के लिए मैं भी अपना
प्रार्थना-पत्र प्रस्तत
ु कर रहा हूँ, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
1. नाम – रोहित शर्मा ।
2. पिता का नाम – श्री राम रतन शर्मा
3. जन्म तिथि – 15 नवंबर, 1996
4. पत्राचार का पता – सी-51, रे लवे स्टे शन रोड, भोपाल, मध्य प्रदे श
5. शैक्षिक योग्यता
(क)
बाज़ार से घर आते समय आपके पिता जी का ए०टी०एम० कार्ड खो गया है । इसकी सच ू ना दे ते हुए संबंधित
बैंक के प्रबंधक को प्रार्थना-पत्र लिखिए, जिसमें नया ए०टी०एम० कार्ड प्रदान करने का अनरु ोध किया गया हो।
उत्तर
सेवा में
प्रबंधक महोदय
पंजाब नेशनल बैंक
कंु दन भवन, आजादपरु
दिल्ली
विषय-खोए ए०टी०एम० की सच
ू ना दे ने तथा नया ए०टी०एम० प्राप्त करने के संबंध में ।
महोदय
निवेदन यह है कि कल शाम आदर्शनगर मेन मार्के ट से घर जाते समय इसी बैंक का ए०टी०एम० कहीं खो गया
है । बहुत ढूँढ़ने के बाद भी यह कार्ड मझ
ु े न मिल सका। मैंने इसकी सच
ू ना संबंधित थाने में दे दिया है , जिसकी
प्रति मेरे पास है । इस ए०टी०एम० कार्ड से कोई लेन-दे न न कर सके, इसलिए इसे ब्लॉक करने (रोकने) का
कष्ट करें तथा नया कार्ड दे ने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें ।
अतः आपसे प्रार्थना है कि परु ाने ए०टी०एम० कार्ड को बंद कर नया ए०टी०एम० कार्ड जारी करने की कृपा करें ।
सधन्यवाद,
भवदीय
रोहित कुमार
125/4 बी
महें द्र एन्क्लेव, दिल्ली
05 नवंबर, 20XX
शिकायती-पत्र
अपने छोटे भाई को स्कूल में नियमित उपस्थित रहने की सलाह दे ते हुए पत्र
लिखिए।
एफ/197, मयरू विहार,
दिल्ली।
दिनांक 12 जनवरी, 20XX
प्रिय सरु े श,
शभ
ु ाशीष।
कल तम्ु हारे कक्षाध्यापक का पत्र मिला। यह जानकर मझ ु े अत्यधिक दःु ख हुआ कि पिछले दो
महीनों से तम ु कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो रहे हो। यह भी पता चला हैं कि तमु
स्कूल से हर दस
ू रे -तीसरे दिन उपस्थित रहते हो।
सरु े श, इस वर्ष तम्
ु हारी बोर्ड की परीक्षा हैं। यदि तम
ु इसी तरह कक्षा से गैर-हाजिर रहकर अपना
कीमती समय बर्बाद करते रहे तो बाद में पछताने के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा। पढ़ाई में
लापरवाही से तम
ु अनत
ु ीर्ण हो जाओगे। एक वर्ष असफल होने का मतलब हैं- अपने को लाखों
से पीछे धकेल दे ना। समय बहुत तेजी से करवट ले रहा हैं। तम
ु पिछले कुछ दे ख ही रहे हो कि
डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में भी केवल उन्हीं छात्रों को प्रवेश मिल रहा हैं, जिन्होंने 75% से अधिक
अंक प्राप्त किए हों।
अगले दो वर्षों में स्थिति और भी विकट हो जाएगी। यदि तम
ु अपना भविष्य संवारना चाहते
हो, तो मन लगाकर परीक्षा की तैयारी करो। सफलता हमेशा उसी के कदम चम
ू ती हैं, जो मेहनत
से जी नहीं चरु ाता।
मझ
ु े विश्वास हैं कि तम
ु मेरी बातों पर गम्भीरता से ध्यान दे ते हुए नियमित रूप से विद्यालय
जाओगे और परीक्षा की भली-भाँति तैयारी करोगे।
भावी सफलताओं की शभ
ु कामनाओं सहित।
तम्
ु हारा बड़ा भाई,
दिनेश
एक बार पन
ु ः बधाई एवं शभ
ु ाशीष।
तम्
ु हारा शभ
ु चिन्तक,
राजेन्द्र सिंह