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Unit I-IV
Unit I-IV
अथ, आयाम और मह व
डॉ. धां वता संह/ डॉ. रंक
अनुवादक : वशाल कुमार गु ता
संरचना
प रचय
लोक शासन या है?
शासन, संगठन और बंधन
लोक शासन क प रभाषा
लोक शासन के आयाम
लोक शासन का मह व
एक कायकलाप के प म लोक शासन का मह व
न कष
संदभ
प रचय
1
लोक शासन का अथ
2
मु य तौर पर उपरो त प रभाषाएँ संगठन क जाँच म दो मौ लकता को सि म लत
करती ह, जो ह : (1) उपयोगी म (Helpful Exertion), और (2) ाथ मक गंत य क खोज
(Quest for Primary Destinations)। कसी भी संगठन को केवल एक यि त वारा संभाला
नह ं जा सकता, बि क इसम सम यास क आव यकता होती है । संगठन को 'सामािजक
संबंध का नवाचार' (Innovation of Social Connections) भी कहा जाता है । इसके अ त र त
संगठन एक मह वपूण च है जो सभी सामू हक यास, सावज नक या नजी, सामा य और
सै य, वशाल े , म यम अथवा छोटे े म होता है । इसका एक खद
ु रा ख
ंृ ला म, एक
बक म, महा व यालय म, व यालय, रे लवे माग, मे डकल, पड़ोसी बंधक (Neighborhood
Executive), रे लवे माग क सड़क का आंकलन कया जाता है , जो क साथ म मलकर
यि तगत प से वशेष गंत य म अ धकांश तौर पर दे खने को मलता है । आगे हम, लोक
शासन क प रभाषाओं का व लेषण करगे जो व भ न व वान वारा द ग ।
इससे पहले हम इस वषय के संदभ म आगे बढ़, हम यह जानने का यास करना होगा क
शासन, संगठन और बंधन के म य पर पर या या है? ये सभी संकेत अ सर
त छे द बंद ु व सम पता के लए योग होते ह। यह सामा यताओं को समझने म संब ध
है और तीन कार क श दाव लय के म य मत के अंतर को समझता है। व लयम कूलज
(William Schulze) के अनस
ु ार, यह शासन को त परता दान करता है जो क उ दे य
को कट करता है तथा दस
ू र ओर जो बंधन के मु द क प रि थ तय म काय करने का
यास करते ह, वे उसके भीतर बंधन को भी शा मल करते ह।
3
लोक शासन क प रभाषा
लोक शासन इस त य से संबं धत हो सकता है क यह एक कार का संघ है , जो यव था
क सी मत सीमाओं म रहकर काय करता है । यह सेवा वतरण को अ धक कुशल व
भावशाल बनता है । जनता वारा इसे ‘सरकार’ के समान दे खा जा सकता है । इस कार से
लोक शासन सरकार क ग त व धय तथा सरकार क याओं को सभी े म वशेषकर
खल
ु े शासन म भी यानपूवक संचा लत करता है । टे नका के अनुसार लोक शासन
‘अपने शासन के मा यम से एक रा य क यव था का संचालन करता है ’। नी त
या वयन संगठन के उस भाग को इं गत करता है जो शासन के व नयामक अ यास से
संबं धत है । आगे हम, लोक शासन के संबंध म व भ न व वान वारा द गई प रभाषाओं
के अथ को समझगे—
वुडरो व सन
“लोक शासन व ध क व तत
ृ तथा यवि थत युि त है । व ध क येक वशेष युि त
शासन का काय है ।”
एम.ई. डमॉक
“ शासन का संबंध सरकार के ' या' और 'कैसे' से है । ' या' वषय व तु है , कसी े का
तकनीक ान है िजसके वारा एक शासक अपने काय को पूरा कर पाता है । 'कैसे' बंध
क तकनीक या प ध त है , यह वह स धा त है िजनके अनुकूल संचा लत काय म को
सफलता तक पहुँचाया जाता है । दोन ह अ नवाय ह, दोन का सम वय ह शासन कहलाता
है ।”
उपरो त प रभाषाओं के आधार पर हम व भ न व वान वारा दए गए ववरण को
त बं बत कर सकते ह, जो इस कार से ह—
4
एक अ तबं धत संगठन म सामू हक यास हो।
सरकार क तीन शाखाओं एवं इसके अंतसबंध को संग ठत करना।
एक मह वपूण काय को योजना क खल
ु यव था और एक कारक के च के
अनुसार पूण करना।
यह नजी संगठन से काफ अलग होता है ।
यह व भ न नजी सं थान के साथ मजबूती से जड़
ु ा होता है ।
सं ेप म, लोक शासन—
यह लोग के हत के लए काय करता है ।
यह सरकार क याओं का भाग है , जो नी त या वयन से संबं धत काय करता
है ।
यह सरकार के तीन अंग को सि म लत करता है । इस त य के बावजद
ू क यह
सामा य तौर पर अ य ीय शाखा म यह थान प रव तत करे गा।
यह शासक य और शासन के यि तय को मता दान करता है ता क उ म
जीवन का नमाण कया जा सके।
यह नजी संगठन से भ न होता है , वशेषकर इसम सामा य प से जनता पर बल
दया जाता है ।
7
जैसे क उदार मत णाल ने इस उ च आदश को पूरा कया क वधा यका को
असामा य वचार को लेना चा हए। य द यह मु दा हो क इस उ रदा य व को कौन
नभाएगा? इसका उ चत उ र यह है क उदारवाद सरकार के मह वपूण दा य व को आदश
यायनी त वा तव म ा त हो और सभी को नी त या वयन क ग त व धय का भाग भी
मले। आरं भक समय के नी त बंधन म इस पर वचार नह ं कया गया।
अ ययन का मह व
हम अगले खंड म शासन के मह व को एक ग त व ध व अ ययन के प म जानगे।
अ ययन का मह व
शासन ने अ धक मह व व े को हण कर लया है । वुडरो व सन के अनुसार, ये सभी
समाज म उ प न सम याओं का प रणाम, रा य क स य भू मका और इसक
क याणकार ग त व धयाँ ह, जो क हाल ह के वष म बढ़ है । सरकार क स य भू मका
ह सभी ग त व धय म भागीदार का प रणाम है जो क शासन के काय को फर से
सी मत नह ं कर सकता है । आज के प र य म मु य प से शासन वारा न न ल खत
भू मका नभाई जाती है —
1) सरकार का आधार।
2) यह सामा य जनता क उ न त का साधन है ।
3) यह यि तय के जीवन म अ नवाय काय का प मान लया गया है ।
4) यह रा य के कानून , रणनी तय एवं प रयोजनाओं के या वयन का यं है ।
5) यह आम जनता म शि त का संतुलन बनाए रखता है जैसे क यह अनक
ु ू लता दान
करता है ।
6) यह कृ ष पर आधा रत रा म जनता को जोड़ने का मा यम है जो वग-संघष का
वरोधी हो।
लोक शासन का मह व
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ने त न ध प रष म संगठन के भीतर क सम याओं का व लेषण एवं वभ न
सावज नक आव यकताओं का मुकाबला करने के लए उपयु त मशीनर का नधारण कया।
व वान के वचार :—
“ शासन सरकार क याओं का भाग है और यह यि तय के जीवन को भा वत करता
है ।”
9
कसी भी समाज के संतुलन का संर ण बहुत ह आव यक है एवं इससे लोक शासन
क यथा ि थ त को कायम रखा जा सकता है ।
सरकार क सभी नी तयाँ चाहे वह सामिजक ह अथवा आ थक इनको शास नक
सं थाओं वारा लागू कया जाता है । इन नी तय का मु य उ दे य प रवतन लाना और
जनता के लए मानक को बढ़ाना होता है ।
न कष
समय के साथ शासन हमारे समाज का मह वपण
ू घटक बन गया है , जो सरकार वारा
नधा रत नी तय को लागू करने म सहायक है । गज ु रते हुए समय के साथ सरकार के काय
म नरं तर व ृ ध हुई है और इस लए यह बड़े पैमाने पर जनता को लाभाि वत कर रहा है ।
शासन क पो टकोब (POSDCORB) या ने सरकार के नी तय के पथ को अ सर
करने का काम कया है और इसके संतुलन को बनाये रखने म सरकार क सहयता क है ।
संदभ सूची
10
लोक शासन और नजी शासन
डॉ. धां वता संह
अनुवादक : वशाल कुमार गु ता
संरचना
प रचय
सावज नक संगठन एवं नजी संगठन के म य अंतर
न कष
संदभ
प रचय
11
पर काय क ि थ तय पर आधा रत होता है । इसम पूववत
ृ , यवहार का पसंद दा काम
शा मल होता है । तीसरा, यावसा यक सुधार ह काय के े एवं संघ के भीतर उ न त और
सुधार के वातावरण को लाने का यास करता है। चौथा, ढ़ तथा सामािजक ि टकोण ह
काय थल को अ धक मै ीपूण वातावरण बनाने से सहायक होता है । पाँचवाँ, सावज नक तथा
नजी े म यापार के ि टकोण म, इन सभी प रि थ तय म त न धय को अपनी
समझ से करना चा हए।
सभी के लए समान पहुँच (Equal Access for all) : लोक शासन म सभी को
समान पहुँच मलती है , परं तु नजी म नह ं मल पाती।
12
व ीय नयं ण (Budgetary Control) : सरकार तं को व ीय नयंत ्रण से होकर
गुजरना पड़ता है , जब क यह यव था नजी े म नह ं होती है ।
पॉल एच. एपलबी के अनुसार, लोक शासन का नजी संगठन से एक अनोखा संबंध है ।
उ ह ने कहा है क “ यापक अथ म सरकार काय व ि थ त के कम-से-कम तीन ऐसे पूरक
पहलू ह जो सरकार तथा अ य सभी सं थाओं एवं याओं (गैर सरकार ) के बीच व भ नता
कट करते ह, वे पहलू ह; े , भाव व वचार, जनता के त उ रदा य व और राजनी तक
कृ त।” कसी भी गैर- वधायी सं थान म सरकार का भाव नह ं होता है ।
ये मह वपण
ू व श ट बंद ु इस कार से ह—
14
टाफ को संग ठत करना, नदशन, बजट क रपो टग तैयार करना आ द दोन शासन क
मुख वशेषताएँ होती ह। नगम का वकास इसके वा ण य के बीच एक समझौता होता है
तथा वभाग के कार, समकाल न प से शासन म
च लत हुए ह। इस लए लोक एवं
नजी शासन म काफ समानताएँ पाई जाती ह। इन समानताओं के अ त र त, ये दोन
व भ न पयावरण म काय व दशन भी भ न करते ह तथा यह बाहर लोग के समूह
वारा भा वत होते ह। िजस पयावरण म लोक शासन काय करता है , वह संर णा मक
ि टकोण को बढ़ावा दे ता है और यह जनता को बड़े पैमाने पर लाभ दे ता है ता क
उ रदा य व व जवाबदे ह को तय कया जा सके। पॉल एच. एपलबी के श द म “सरकार
शासन सभी दस
ू रे शासक य काय से एक सीमा तक भ न होता है और बाहर से उसका
आभास तक नह ं होता है , य क सावजा नक लोक शासन का ल ण है , जनता नर ण व
समी ा तथा उसक माँग कर सकती है । शासक के सेवा म आने पर या तुरंत उसके बाद
भी शासक के जीवन क येक ग त व ध, यि त व तथा आचरण पर समाचार-प और
सावजा नक हत का भाव पड़ता रहता है। यह सावज नक हत ाय: शासक य काय का
आधार होता है । जब क नजी यापार म केवल संगठन के आंत रक हत को सवा धक मह व
दया जाता है ।”
आकृ त 1 : सावज नक और नजी शासन के बीच अंतर
उनके अनस
ु ार तीन कारक वारा लोक और नजी शासन को अलग कया जा
सकता है , वे इस कार है —
1. े , भाव व वचार
2. जनता के त उ रदा य व
3. राजनी तक कृ त
15
आकृ त 2 : पॉल एच. एपलबी के अनुसार सावज नक और नजी शासन के बीच अंतर
न कष
लोक शासन एवं नजी शासन एक कार से म त संक पना है , जहाँ इसम कुछ
समानताएँ ह, वह ं असमानताएँ भी नजर आती ह। शासन क अवधारणा सावभौ मक है
और यह समय के साथ अ धक मह वपण
ू हो रह है । नजी े अ धक अनक
ु ू ल है और
नवीनता व प रवतन का समथन करता है । नजी शासन अ धक लचीला है य द इसक
तल
ु ना लोक शासन से क जाए। नजी े प रि थ तय व ि थ तय के साथ प रवतन
लाने का यास करता रहता है जैसे क आ थक मु द को सल
ु झाने म, राजनी तक व
सामािजक व प रवतन म और इस लए यह पन
ु वचार क या को उजागर करता है , इस
कार यह प रवतन को समावेश करता है ।
संदभ सूची
17
लोक शासन का वकास
डॉ. रंक
अनुवादक : आशीष कुमार शु ल
प रचय
तत
ृ ीय चरण—चन
ु ौ तय का यग
ु (1938-1947)
चतथ
ु चरण—अि मता का संकट (1948-1970)
पंचम चरण—सावज नक नी त प र े य (1970 से आगे)
न कष
संदभ
प रचय
18
लोक शासन के वकास के व भ न चरण
तत
ृ ीय चरण— चन
ु ौ तय का यग
ु (1938-1947)
19
अतः इस चरण को राजनी त तथा शासन के वभाजन के प म भी जाना जाता है ; जहाँ
राजनी त का काय नी तयाँ बनाना तथा शासन का काय नी तय को कायाि वत करना था।
20
तथा शासन का वभाजन कया गया था जो दस
ू रे चरण म भी लया गया था, परं तु पहले
चरण म अ ययन क व ध व धक के थान पर वै ा नक थी।
तत
ृ ीय चरण— चन
ु ौ तय का युग (1938-1947)
21
सावज नक बंधन के लए सावज नक सेवाओं के त यावसा यक ि टकोण रखने वाले
कुछ पेशव
े र यि तय क आव यकता होती है । लोकतं के अंतगत आदश मू य पर बल
दया गया। यह वीकार कया गया क आ थक, सामािजक तथा राजनी तक नी तय का एक
दस
ू रे पर भाव पड़ता है । लोक सेवक के काय म न केवल कानून तथा यव था बनाना
सि म लत है , अ पतु सावज नक नी तय के नमाण म उनक मह वपूण भू मका को भी
वीकार कया गया था। यहाँ वभाग न तो एक-दस
ू रे से अलग थे तथा न ह काय वभािजत
था। इस चरण म यह अनभ
ु व कया गया क राजनी त तथा शासन आपस म संब ध ह।
22
चतुथ चरण— अि मता का संकट (1948-1970)
23
को भा वत करते ह। दस
ू र सम या म कहा गया है क लोक शासन के व ान के वकास
के लए मानवीय प का अ ययन आव यक है। मानव यवहार सभी संभा वत व वधताओं
तथा अ नि चतताओं से भरा है, िजसके कारण इसे वै ा नक प से जाँचना असंभव है ।
तीसर सम या के अंतगत, यह कहा गया है क सी मत रा य एवं ऐ तहा सक संदभ से
लए गए उदाहरण के आधार पर सावभौ मक स धांत का पता लगाने क वृ है । यहाँ
शासन के मूल स धांत क नंदा क गई तथा कहा गया है क लोक शासन वै ा नक
नह ं अ पतु मौ लक, सावभौ मक नह ं अ पतु रा क सं कृ त से जड़
ु ा हुआ है । इस कार
डाहल वारा व णत ये सम याएँ शासन व ान के वकास म बाधा उ प न करती ह।
24
होना चा हए। इसने त पधा तथा नजीकरण पर बल दया। नी त चयन का कूल मानता
है क नाग रक को सेवाएँ दान करने के लए वक प उपल ध होने चा हए। इसके अंतगत
रा य के भु व को बाजार क भू मका ने चन
ु ौती द । साथ ह , यह गैर-नौकरशाह नाग रक
भागीदार संगठन के वक प तथा नौकरशाह क शि त को कम करने क संभावनाओं के
साथ था पत हुआ।
तत
ृ ीय मनो ुक स मेलन 2008 म आयोिजत कया गया था। इस स मेलन म,
लोकतं , नै तकता, उ रदा य व, दशन तथा अथशा क जाँच क गई तथा सेवा
आव यकताओं क उ च गुणव ा पर बल दया गया। ल य को पूरा करने पर सावज नक
बंधक , संगठन तथा यि तय क वाय ता बढ़ाने के साथ-साथ स मा नत कया जाना
चा हए। नाग रक को सेवाएँ दान करने म अ छा दशन करने के लए आव यक मानव
तथा तकनीक संसाधन उपल ध कराए जाने चा हए। ओसबोन एंड गे लर के काशन
‘र इ व टंग गवनमट’ (1992) ने सरकार के काय को पुनः प रभा षत कया, उ य मता
सरकार पर बल दया गया; जहाँ माप तथा मू यांकन के मा यम से लोक बंधन म सुधार
होगा तथा सरकार क भू मका यून हो जाएगी; तथा अंत म इसम चय नत सावज नक े
क इकाइय (पीएसयू) का नजीकरण सि म लत है ।
25
लोक शासन के े म नवीन व ृ याँ
1990 के दशक के अंत म जेनेट डेनहा ट ने नया सावज नक सेवा तमान तुत
कया, िजसम लोकतां क स धांत पर बल दया गया। डेनहा ट तथा डेनहा ट ने अपने
काशन ‘द यू पि लक स वस : स वग रादर दे न ट य रंग’ म सरकार वारा नाग रक क
सेवा करने पर बल दया। इस काशन म कहा गया है क सरकार यवसाय के प म नह ं
चल सकती, परं तु सरकार को लोकतं क तरह चलना चा हए। नाग रक के त अ धका रय
के उ रदा य व पर बल दया गया है जहाँ अ धकार नाग रक को सेवाएँ दान करते ह।
अ धका रय का नाग रक के त जुड़ाव होना चा हए। उनम समाज के त सेवा क भावना
होनी चा हए। इसके अंतगत शासन क या म नाग रक क भागीदार से सह-शासन क
एक नई सं कृ त क थापना पर बल दया गया।
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पर बल दया गया था, जो नौकरशाह से दरू था। सावज नक सेवाओं तथा व तुओं के
वतरण म भी प रवतन हुआ। सावज नक सेवाएँ तथा व तुओं का वतरण लोक शासन के
मह वपूण काय थे। वै वीकरण के समय म लोक शासन का एक सहकार व प
क याणकार रा य क भू मका को कम करने म उभरा। क याण वतरण के नजीकरण को
बढ़ाने के लए व भ न तर क का योग कया गया; इसम नजी ावधान तथा वैि छक
े को बढ़ावा दे ना भी सि म लत है । इसका अथ यह नह ं है क इसने लोक शासन को
अनाव यक बना दया था। लोक शासन अभी भी मह वपण
ू है । लोक शासन क क यता
को न तो रा य वारा नकारा जा सकता है तथा ना ह बाजार वारा।
न कष
संदभ
Bhattacharya, M. (2011). New Horizons of Public Administration. New Delhi: Jawahar Publishers.
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27
इकाई-2 : शास नक स धांत
शा ीय स धांत
वै ा नक बंध ि टकोण
डॉ. धां वता संह/डॉ. रंक
अनव
ु ादक : वशाल कुमार गु ता
प रचय
एफ. ड ल.ू टे लर : रचनाएँ एवं प ध तयाँ
वै ा नक बंध ि टकोण
वै ा नक बंध स दांत : एफ. ड ल.ू टे लर
1. काय का व ान व उसका वकास
2. वै ा नक चयन व मक का वकास
3. काय व ान का संयोजन एवं मक का वै ा नक चयन
4. मक एवं बंधन : उ रदा य व का बँटवारा
वै ा नक बंध आंदोलन
आलोचना
न कष
संदभ
प रचय
28
दे श म यह फैल गया, जहाँ पर इसने टे कनोवाईट आंदोलन (Stakhanovite Movement)
का प 1920-1940 के समय म ले लया।
29
केवल उ चत यि त को ह व भ न काय के लए चय नत कया जाना चा हए। औ यो गक
संगठन म अपने योग के दौरान उ ह ने एक घटना दे खी जो क मक क ओर से
उ पादन को कम (Soldiering- काम से बचना) करने क वृ थी। उ ह ने इसे दो भाग म
वभािजत कया : ाकृ तक सो ड रंग तथा यवि थत सो ड रंग।
वै ा नक बंध ि टकोण
30
लागू कए जाते ह। यह सुपरवाइजर क बेवजह आलोचना को समा त करने का काम करता
है ।
2. वै ा नक चयन व मक का वकास
कायबल के चयन और नरं तर प से काय सं कृ त के वकास म वै ा नक ि टकोण का
होना आव यक है । टे लर का मानना था क येक मजदरू चाहे वह म हला हो अथवा पु ष
उनक वयं क मताएँ होती ह। इसम यवि थत श ण का होना आव यक है । वै ा नक
ि टकोण इस बात पर बल दे ता है क उ चत काय के लए उ चत यि त का चयन होना
अ यंत ह आव यक है । एक उ चत पयावरण को बनाया जाए ता क मक नए तर क ,
उपकरण व ि थ तय को भरपरू जोश के साथ वीकृत कर सके। मक के लए अवसर
को पैदा कया जा सके ता क उनके भीतर क मताएँ उभर सक।
वै ा नक बंध आंदोलन
31
उपरांत बो शे वक ां त क समाि त के प चात ् ह ले नन ने टे लर क प ध तयाँ स म
ारं भ क । इस यव था को “यह एक पँज
ू ीप तय के शोषण के सू म ू रता का म ण है
और सबसे बड़ी वै ा नक उपलि धय क व वधता है ।” के संदभ म दे खा गया था। टे लर के
वचार व तकनीक ने ग त ा त क तथा स से बाहर समथन ा त कया। शी ह
ता कक आंदोलन को क यु न ट दल ने पूण समथन दान कया। इसके अलावा, टे लर के
वचार को श ा के पा य म म तथा अ य काय के सार हे तु इंजी नयर के श ण म
भी सि म लत कया गया।
आलोचना और मतभेद
32
नमाण का यास करता है । जो क मक संघ क भू मका को अ ासं गक बना दे ता
है , कंतु यह पूण स य नह ं ह।
न कष
संदभ सूची
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33
शास नक बंधन
महादे नो जुंगी
अनुवादक : बेबी तब सुम
अ धगम के उ दे य
शास नक बंधन के ि टकोण और इसके मह व से प र चत ह ।
इस ि टकोण के योगदानकताओं वारा दए गए स धांत के मह व को जाने।
यह समझ सकगे क बेहतर बंधन के मा यम से बेहतर प रणाम लाने के लए इन
स धांत का उपयोग कैसे कया जा सकता है ।
भू मका
प ृ ठभू म
34
इसी बीच, आधु नक रा य ने जीवन के हर पहलू म लोक शासन क कृ त और दायरे
को बढ़ा दया था और सावज नक सेवाओं क माँग म व ृ ध हुई। एक ह समय म सी मत
संसाधन के लए सरकार म अ धक कुशल और मत ययी संचालन के लए नि चत न पण
क आव यकता महसूस हुई। इसने वकास या वै ा नक बंधन के लए व तु न ठ स धांत
को खोजा, जो नौकरशाह और शास नक बंधन म भी लागू हो सकते ह। इस कार, दोन
स धांत द ता और मत यता के बीच एक सं लेषण हुआ, िजसे संयु त रा य अमे रका म
सरकार तं म सध
ु ार करने हे तु आयात कया गया था और सरकार सधु ार पर इसका गहरा
भाव दे खने को मला।
तत
ृ ीय, इन स धांत को वै ा नक प से मा य माना जाता है य क उ ह उ योग
और सेना के कठोर अनभ
ु वज य अवलोकन के मा यम से ा त कया जाता है ।
35
संगठन के कामकाज म मानवीय यवहार से प र चत नह ं था। इसके बजाय संगठन को
मशीन के प म और मनु य को मशीन म महज पुज के प म दे खा गया था।
इस उपागम का योगदान
हे नर फेयोल फेयोल एक ांसीसी खनन इंजी नयर थे, जो उ योगप त और सफल बंधक
माने जाने वाल म मुख थे। िजनका बंधन या म मह वपूण योगदान है । वे ‘ बंधन
या वचारधारा’ के शु आती अ दत
ू म से एक ह। उ ह ने कहा क एक स धांत क
अनुपि थ त के कारण बंधन एक उपे त ग त व ध थी। इस लए, उनका काम “जनरल एंड
इंड यल मैनेजमट” (1916) ‘शा ीय बंधन स धांत’ क आधार शला बन गया है । लोक
शासन म उनका सबसे मुख योगदान उनका पेपर “द योर ऑफ एड म न े शन इन द
टे ट” (1923) है । इसके अलावा, उनका काम “जनरल ं सप स ऑफ एड म न े शन”
(1908) अपने आप म उ लेखनीय है ।
37
अनु प था। इस लए, उ ह ने सुझाव दया क उ चत सावधानी के साथ ‘गग लक’ (एक
पदानु मत संगठन म तर कूदना) पदानु म मु द पर काबू पाने म मदद कर सकता है ।
लूथर गुि लक और ऊ वक
38
एक संगठन को डजाइन करते समय गुि लक और ऊ वक के लए, संगठन म यि तय
क भू मका क तुलना म शासन क ‘संरचना’ अ धक मह वपूण है । ऊ वक के अनुसार,
“दोषपूण संरचनाएँ समाज म वैमन य और म के लए िज मेदार ह।” इस कार, संगठन
के डजाइन म, काय क पहचान के साथ-साथ नौकर क कृ त और उसक ोफ़ाइल को
ाथ मकता द जाती है , जब क बाद म एक समारोह म यि तय क भू मका को फर से
नधा रत कया जाता है । ऊ वक के अनुसार डजाइन क अभाव, “अता कक, ू र, बेकार और
अ म है ।”
40
4) पैन ऑफ कं ोल (Span of Control) : एक पयवे क भावी प से केवल सी मत
सं या म (5-6) लोग क दे खरे ख कर सकता है , य द उनका काय आपस म जुड़ा
हुआ है । अ धक मक के साथ, पयवे क के लए िज मेदार नाटक य प से बढ़
जाती है ।
5) कैलर स धांत (Scalar principle) : एक परा मड संरचना म पदानु म का
आयोजन।
6) व श ट करण (Specialisation) : कसी के काम को एकमा िज मेदार तक सी मत
करना। इससे काय के व श ट करण को बढ़ावा मलता है ।
7) सम वय (Coordination) : संगठन के व भ न अंग का सामंज यपण
ू ढं ग से काम
करना।
8) नधारण का स धांत (Definition) : येक का मक के कत य को नधा रत करने
का स धांत।
41
iii. यि त (Person) : तीसरे काम को ाहक , यु ध के द गज , पशनभो गय ,
उ योग आ द जैसे ाहक क सेवा के अनुसार वगाकृत कया जा सकता है । गुि लक
का मानना है क “ वभाग के सद य वशेष कौशल वक सत करते ह, जब उनके
काय क परे खा कसी वशेष समूह को पूरा करता है ।”
iv. थान (Place) : अंत म काय े /आधार के अनुसार भी वग कृत कए जा सकते ह।
का मक को उस े के अनुसार वग कृत कया जा सकता है , जो वे नोएडा, गुड़गाँव
जैसे े म सेवा करते ह और तदनस
ु ार वभाग बनाए जा सकते ह। यह सद य को
े वशेष बनने के लए बढ़ावा दे गा और उनक वशेष ता और ान के साथ यह
उस े के वकास को भी बढ़ावा दे गा।
42
नयं ण क अव ध (Span of control) : हमने पहले ऊ वक वारा तपा दत ‘ नयं ण क
अव ध’ के अथ को व तार से समझने का यास कया है । गुि लक उनम अ य पहलुओं को
जोड़ते हुए तीन कारक क पहचान करता है , जो ‘ नयं ण क अव ध’ नधा रत करते ह।
मन
ू े और र ले ने अपने काम म ‘ऑनवड इंड ’ (1931) को बंधन के स धांत के
लए एक क य ढाँचा दान कया। िजसम उ ह ने संगठन के चार स धांत बताए— सम वय
स धांत, कैलर स धांत, काया मक स धांत एवं टाफ और लाइन।
43
उपरो त के संबंध म उनका तक है क “ बंधन को इन काय के बारे म पता होना चा हए,
जब आव यक हो तो उ ह नवहन करने के लए तैयार रहना चा हए।”
आलोचना
44
करने के लए सव म मानदं ड ह।” जैसा क आलोचनाक ाओं वारा बताया गया है क “इस
उपागम क माण के साथ स धांत का सामना करने क अ मता सबसे मह वपूण
आलोचनाओं म से एक है ।”
ासं गकता
45
उपसंहार
संदभ सूची
46
मै स वेबर का नौकरशाह का स धांत
आंचल
अनुवादक : व क झा
पाठ क परे खा
प रचय
मै स वेबर : उनका जीवन और लेख
ा धकार पर मै स वेबर के वचार
ा धकार के कार
मै स वेबर : नौकरशाह क संक पना
मै स वेबर : नौकरशाह क वशेषताएँ
मै स वेबर : नौकरशाह क सीमाएँ
न कष
संदभ सूची
प रचय
47
करके उ ह ने ब लन के व व व यालय म अनुदेशक (Instructor) के प म काय कया।
उ ह ने कानून वषय अनेक लेख लखे, िजसम क सामािजक, राजनी तक और आ थक
कारक का उ लेख कया गया है । वेबर का मु य यान व लेषा मक और यवि थत
अ ययन पर था। वह सदै व ह अनुभव से ा त ान को ह तरजीह दे ते थे य क वे
ग तशील ि टकोण के थे। उनके मु य लेख म शा मल ह— सामािजक और आ थक
संगठन के स धांत ‘‘सामा य आ थक इ तहास’’, और ‘‘ ोटे टट वचार और पँज
ू ीवाद क
भावना।’’
नौकरशाह का अथ
48
ा धकार के कार
i) क र माई ा धकार
iii) व धक ता कक ा धकार
क र माई ा धकार : क र मा श द क या या ‘‘लाव य या मनोहरता के उपहार’’
(Gift of Grace) के प म क जा सकती है । क र माई नेताओं के पास कुछ
यि तगत गुण होते ह जो क उ ह सामा य आद मय से अलग बनाता है । वह ह रो,
मसीहा या कोई पैग बर हो सकता है और उनके जादईु शि तय के कारण उनक
यापक तर पर वीकृ त होती है जो क वैधता णाल का आधार होता है । लोग
बना न कए उनके आदे श और आ ाओं को मानते ह य क लोग उनके
असाधारण मताओं पर व वास करते ह। क र माई नेताओं के अनुयायी उनम पूर
न ठा रखते ह। हालाँ क उनके पास कोई वशेष है सयत और यो यता नह ं होता है ।
ा धकार के इस कार का शास नक तं
अि थर और बहुत ह ढ ला होता है
य क इसम अनय
ु ायी नेता के पसंद और नापसंद के अनस
ु ार काम करते ह।
परं परागत ा धकार : परं परागत ा धकार अतीत क अ छाई से अपनी वैधता करता
है जहाँ काय परं पराओं और र त- रवाज पर आधा रत होते ह। जो यि त इस
ा धकार का योग करते ह उ ह वामी कहा जाता है और जो वामी क आ ा का
पालन करते ह उ ह अनय
ु ायी कहा जाता है । वामी को उसके ि थ त के आधार पर
अ धकार है , जो क पूव के शासक से उसे वरासत म मला होता है — उ ह ं
अनय
ु ा यय वारा उनके आदे श और आ ाओं का पालन कया जाता है जो क उनके
त यि तगत न ठा रखते ह और परं परागत ि थ त म व वास करते ह िजसम
उनके प रवार के सद य, र तेदार और वामी वारा चन
ु े गए खास लोग शा मल है ।
व धक ता कक ा धकार : व ध ता कक ा धकार के अंतगत संगठन के सभी
सद य पर नयम या यक प से लागू होते ह। आधु नक समाज म ा धकार
भु वशाल भू मका नभाते ह। यह व धक है य क यह यवि थत नयम और
याओं पर आधा रत है । यह ता कक है य क यह प ट तौर से प रभा षत है
और सा य को ा त करने के लए उ चत याओं से मेल खाता है । इस ा धकार
का योग करने वाले सद य को व र ठ अ धकार के प म न द ट कया जाता है
जो क एक नवैयि तक आदे श का पालन करते ह— और अ य शास नक कमचार
शा मल है जो क कानून का पालन करते ह। नयम और याओं का कठोरता से
पालन, व र ठ अ धकार के स ा को सी मत करता है ।
49
वेबर के नौकरशाह पर वचार
51
7. कमचार के काय और वा म व का वभाजन— कमचार के काय और वा म व के
बीच पूर तरह से वभाजन होना चा हए। नजी इ छाओं और माँग को अलग रखते
हुए संगठन के काय म ह त प े नह ं करना चा हए य क कोई भी कमचार अपने
पद का वामी नह ं हो सकता है ।
नौकरशाह क सीमाएँ
i) सामू हक करण
ii) शि तय का वभाजन
iv) य लोकतं
v) तनध व
53
भू मका को सी मत करने म भी मदद करता है परं तु इसके प रणाम व प उ रदा य व
नधा रत करने और नणय लेने के ग त के संदभ म भी नुकसान होता है ।
54
यहाँ तक क लेटो नक समझ म भी ‘‘आदश’’ नह ं है । इस लए नौकरशाह म वशेषतौर से
कुछ ‘‘आदश’’ नह ं है । इसके अलावा य द वे ‘‘आदश’’ थे तो ‘‘ कार’’ नह ं ह गे य क
‘‘ कार’’ अपनी वशेषता अनुभ वक वा त वकताओं से नकालते ह, िजसके क वे तीक ह...
परं तु वेबर, इस कार के अनुभवज य अवलोकन और व लेषण के थान पर उनके ‘‘आदश
कारो’’ को मान सक संरचना के प म तुत करते ह। जो न तो उ च अवधारणाओं के
नगमन अनुपात के याओं वारा उ प न होते ह और न ह अनभ
ु वज य आँकड़ से
बनते ह।’’ ( े ड रक, 1963, प ृ ठ 469-70)
न कष
56
संदभ सच
ू ी
57
नव-शा ीय स धांत
परे खा
प रचय
ोफेसर जॉज ए टन मेयो
ारं भक योग
हॉथोन योग
o महान काश यव था योग (1924-1927)
o रले एसै बल अ ययन (1927-1932)
o मानवीय अ भव ृ व भावनाएँ (1928-1931)
o बक वाय रंग अवलोकन योग (1931-1932)
हॉथोन शोध क मख
ु खोज
चे टर आई-बनाड का मानव संबंधी स धांत म योगदान
मानव संबंधी स धांत के न कष
मानव संबंधी स धांत बनाम शा ीय स धांत
मानव संबंधी स धांत का मू यांकन
न कष
संदभ सूची एवं अ य लेख
प रचय
58
का समाधान अ धक मानवीय ढं ग से करने के लए संचार-साधन म व ृ ध क आव यकता
थी।
ारं भक योग
1923 म मेयो ने फलोडेि फया के नकट कपड़ा मल म अपना थम योग काय कया
िजसे बाद म थम खोज (First inquiry) नाम दया गया। इस शोध का थान काफ
संग ठत था। यहाँ क प रि थ तयाँ मक के लए काफ अनुकूल थीं। बावजूद इसके, सभी
वभाग म 5 तशत तक मक क अनुपि थ त रहती थी। वह ं दोमँुह बुनाई वभाग
(mule-spinning department) म यह अनुपि थ त का आँकड़ा 250 तशत तक था। इस
प रि थ त को सुधारने के लए मक को कई तरह के लोभन दए गए जो क यादा
सफल नह ं हुआ। प रणामतः ए टन मेयो व उनक ट म ने दोमँह
ु बुनाई वभाग (mule-
spinning department) क सम याओं का कई तर के से अ ययन कया। अपने योग के
आधार पर, मेयो ने पाया क मक शार रक थकान क सम या का सामना कर रहे ह और
उ ह पया त व ाम क सु वधा नह ं द जा रह है । इस लए उ ह व ाम के समय क
आव यकता है। इस योजना का भाव सकारा मक रहा। मेयो के अ ययन क कृ त यापक
थी। इसम उ पादन के तर, व ाम क अव ध, काम करने क ि थ त, कभी-कभी होने वाले
दघ
ु टनाओं को भी शा मल कया गया था। वह ं मक के लए व ाम के समय का नणय
दे कर बंधक ने कपड़ा मल म बंधन और मक के बीच सामािजक संपक था पत कया
जो क एक नई शु आत थी।
59
हॉथोन योग
60
रले एसै बल अ ययन (1927-1932)
काश स धांत क प रक पना के आलोचना मक समी ा करने के लए और उ पादन पर
व भ न कारक (factors) के भाव का आंकलन करने के लए, दो नए समूह का गठन
कया गया। यह दो प रक पनाओं पर आधा रत था जो क काश योग के अ ययन के
उपरांत शोधकताओं ने था पत कए थे—
(ii) दस
ू र प रक पना, यह माना गया क पयवे ण या नर ण (Supervision) प ध त
म सकारा मक प रवतन से यवहार और उ पादन म सध
ु ार आया है ।
इस अ ययन के लए, दो समह
ू के लए उनके काय के आधार पर यि तगत ो साहन
योजना लागू क गई। यह माना गया क ारं भ म तो कुल उ पादन म सध
ु ार हुआ, जब क
कुछ समय प चात ् उ पादन म ठहराव आ गया। दस ू रे समह
ू पर भी यि तगत ो साहन
योजना लागू थी। आराम क अव ध और काय क अव ध म प रवतन करके उ पादन पर
उनके भाव का भी अ ययन कया गया। शोध के 14 मह न क अव ध म औसतन
उ पादन म व ृ ध हुई।
शोधकता पहल प रक पना को स ध नह ं कर पा रहे थे। शोधकताओं ने यह पाया क
दोन समूह वारा उ पादन व ृ ध का कारण वेतन नह ं बि क अ य प रि थ तयाँ थीं। दस
ू रे
प रक पना क वैधता का पता लगाने के लए काय करने क प रि थ त को श थल
(Relaxed), सुचालक और सौहादपूण बनाया गया। पयवे क और मक के बीच वतं
और बेरोकटोक संचार को बढ़ावा दया गया। पयवे क ने अपने बंधक य काय म संशोधन
कया। अब पयवे क लोकतां क तर के से मक के साथ त या करने लगे िजससे
मक यह महसूस करने लगे क वे भी उ पादन या के अ भ न भाग ह। इससे उनक
त या और अ धक सकारा मक हो गई।
मेयो ने यह दे खा क काय संतुि ट मु यतया काय समूह के अनौपचा रक सामािजक
व प पर नभर करता है । उ ह ने यह भी पाया क पयवे क क सौहा पूण तकनीक का
सकारा मक भाव उ पादन पर पड़ता है ।
61
आँकड़ा इक ठा करे । इसम यह भी दे खा गया क मजदरू क भावनाओं क शंसा कए बना
उनक वा त वक सम याओं को गहराई से समझना मुि कल था। इस या म, शोधकताओं
ने मक क सम या को समझने के लए नए तर क का योग कया।
दस
ू रा— शोधकताओं के दल ने अपने अवलोकन म बंधक और पयवे क को मक क
सम याओं के त अ धक जवाबदे ह होने के लए ो सा हत कया।
62
अपने सहकम क नकारा मक रपोट पयवे क को नह ं दे नी चा हए।
2) समह
ू भाव— संगठना मक यव था म मक केवल यि त क तरह यवहार न
करके समह
ू के सद य के प म यवहार करते ह। समह
ू के मानक यि त के
यवहार पर मख
ु भाव डालते ह। मक का उ पादन इस मानक के अनु प होता
है । समह
ू कायकार तशोध से सरु ा भी उपल ध करवाता है । इस तरह अनौपचा रक
समूह के काय करने से कायकार शि तय को कुछ हद तक सी मत भी कया जाता
है ।
63
मनोवै ा नक कारक और मक के काय के प ध तय को बेहतर संचार वारा
पहचान करने का यास करना चा हए।
पहला— दस
ू रे शा ीय स धांत के वपर त, मानव संबंधी स धांत संगठन को पण
ू तः
सामािजक प र े य म दे खता है , जो क संगठन के काय म मानवीय त व पर जोर दे ता है ।
दस
ू रा— मानव संबंधी स धांत का मानना है क येक मक अपने साथ, अपनी
सं कृ त, अ भव ृ , व वास और जीवन जीने क प ध त लेकर चलता है । संगठन को इन
64
सभी सामािजक-सां कृ तक कारक को यान म रखना चा हए। मक के उ पादन और काय
संतुि ट म सामािजक और मनोवै ा नक कारक िज मेदार ह।
65
ii) पीटर एफ. कर भी इस स धांत क ओलाचना करते ह। उनके अनुसार यह
आ थक आयाम से नह ं जुड़ा हुआ है । हाबड समूह ने काय क कृ त को नजर
अंदाज कया है । इसका ाथ मक यान अंतर यि त संबंध पर है ।
न कष
66
कर, पीटर. एफ. (1961) द ेि टस ऑफ मैनेजमट, लंदन मर यूर बू स
ू े, एस.एन (2015) एड म न
झा, पी.के. एंड दब े शन एंड पि लक पा लसी, यू
दे हल : कॉलर टे क ेस
रोएथ लस बेगर टज जे., एंड डकसन, ड ल.ू जे. (1939) मैनेजमट एड द वकर,
कैि ज हवड यू नव सट ेस।
67
ता कक नणय- नमाण (हबट साइमन)
डॉ. दे वार ी रॉय चौधर
अनुवादक : व क झा
प रचय
नणय- नमाण क प रभाषाएँ
नणय- नमाण के कार
नणय- नमाण के स धांत
नणय स धांत का अथ
सहज ान संबंधी नणय- नमाण ा प
रचना मक नणय- नमाण ा प
ता कक नणय- नमाण ा प और आलोचना
ता कक नणय- नमाण और हबट साइमन : सी मत ता ककता क संक पना
हबट साइमन के ा प का आलोचना मक मू यांकन
न कष
संदभ सूची
प रचय
स पूण या का मु य उ दे य यह होता है क ता वक ल य क ाि त के लए
मानवीय ग त व ध (Human action) को नद शत करे । इसम संगठना मक संरचना और
आव यक संसाधन को ग त व ध के दौरान उ चत तौर से यवि थत करना होता है िजससे
क वां छत प रणाम को बेहतर तर के से ा त कया जा सके। ग त व ध क या म
‘‘उ दे य या है ’’, ‘‘उ दे य क ाि त के लए या कया जाना है ’’, ‘‘यह कैसे कया जाए’’
‘‘इसम कौन सब शा मल ह गे’’, ‘‘ या संसाधन है,’’ जैसे न को शा मल कया जा सकता
है । सभी न , वक प और संभावनाओं पर वचार करके योजना बनाई जाती है, और इसके
68
बाद सबसे बेहतर वक प का चन
ु ाव कया जाता है िजसको क ‘‘ नणय’’ कहा जाता है । इन
सभी याओं के मा यम से जो अं तम नणय लया जाता है , उसे नणय- नमाण के नाम
से जाना जाता है । ‘‘ नणय’’ या ड शजन श द क उ प लै टन श द ‘‘डे सदो’’ से हुई है ।
िजसका अथ ‘‘समझौता’’ या ‘‘समाधान’’ है और एक नि चत इरादे के वारा नणायक
प रणाम को ा त करने से है । नणय- नमाण का अथ है क सम या के समाधान के तौर
पर एक नि चत न कष पर पहुँचा जाए।
सभी शास नक काय जैसे ‘‘योना’’, ‘‘संगठन’’, ‘‘ नदशन’’, ‘‘बजट’’ और ‘‘ नयं ण’’ आ द
नणय वारा द शत होते ह इस लए, पूरा नणय- नमाण या शासन का सबसे
मह वपूण व प है ।
69
1) काय मत नणय और गैर-काय मत नणय
70
सामू हक नणय— सामू हक नणय वे नणय होते ह जो क कसी समूह या संगठन
वारा एक नि चत उ दे य क ाि त के लए लये जाते ह। इस नणय म समूह
से संबं धत जानकार , वमश क या और समूह के त पूण जवाबदे ह शा मल
है ।
4) नय मत नणय और व श ट नणय
71
नणय- नमाण के स धांत
सभी नणय पण
ू तः या आं शक तौर से इ ह ं स धांत पर आधा रत होते ह।
72
नणय स धांत का अथ
3. ता कक नणय- नमाण ा प
4. सी मत ता कक नणय- नमाण ा प
सहज ान संबंधी नणय- नमाण ा प कसी वषय पर बना पया त वचार कए ह नणय
लेने पर जोर दे ता है । ऐसा दे खने को मलता है , क अ नि चत प रि थ त, समय एवं पैसे के
अभाव म और बेह र सूचना न होने के कारण लोग वारा ता कक नणय- नमाण पर वचार
कए बना ह नणय ले लेते ह। यहाँ यह यान दे ना भी मह वपूण है क कुछ लोग वारा
कभी-कभी इसक आलोचना भी क जाती है । यह ा प आंत रक अनुभू त और अनुमान पर
73
यादा आधा रत होता है । यह नणय- नमाण का यवि थत ा प भी है (लूमेनलेरा नंग
कोस)।
74
उ भवन— इस या म सम या से अलग हो जाते ह। हालाँ क अवचेतन अव था म
मि त क सम या पर वचार करता रहता है ।
ता कक नणय- नमाण ा प
नणय के प म बेह र वक प का चन
ु ाव करना— जब एक बार वक प का
मू यांकन करना समा त हो जाता है तो उसके बाद नणय नमाता को बेह र वक प
का चन
ु ाव करना होता है । चन
ु ा हुआ वक प ह नणय के प म आता है ।
1. लोग को सम या के बारे म पण
ू ान और उससे संबं धत सच
ू नाओं क परू
जानकार होती है । िजसके आधार पर वह वक प का नमाण करते ह।
76
है ता क बेह र वक प का चन
ु ाव कया जा सके। ता कक नणय नमाता से ‘ े ठ वक प’
के चन
ु ाव क अपे ा क जाती है , िजसम क हा न कम और लाभ अ या धक हो। इस
नणय- नमाण या म नै तक एवं मानक य मानदं ड पर कोई यान नह ं दया जाता है ।
इस ा प म त य, आँकड़ा और वै ा नक व लेषण को ाथ मकता दे ने वाले वचार का
भु व होता है । (हे नर 2003)
दस
ू रा— यादा सूचना इक ठा होने से यह ‘‘सूचना के व लेषण को कमजोर’’ कर सकता
है य क सूचना के व लेषण म काफ यादा समय बबाद होगा और कोई नणायक नणय
पर पहुँच नह ं पाएँगे। इन अवा त वक मा यताओं पर अ या धक नभरता ह इसक सम या
है ।
नोबेल पुर कार वजेता अथशा ी हबट साइमन (1916-2001) क ‘‘ शास नक यवहार :
एक नणय- नमाण या’’ एक स ध कृ त है जो क 1947 म का शत हुई थी। इनक
स ध कृ त है —
77
फांडामटल रसच इन एड म न े शन (1953)
आगनाइजेशन (1958)
हबट साइमन ने अपने पु तक ‘एड म न े टव’ बहे वयर म माना है क संगठन और उसके
काय को समझने के लए नणय- नमाण एक क य इकाई है । संगठन को बेहतर तरह से
समझने के लए आव यक है क पूरे नणय- नमाण या म यि त के यवहार और
उसके वारा ाथ मकता द जाने वाल मू य एवं नै तकताओं का व लेषण करना होगा।
‘‘डूइंग’’ (ग त व ध)
78
गतवध अभ न प से नणय लेने से संबं धत है । इस लए नणायक कारक का व लेषण
होना चा हए। ये नणय स धांत पर आधा रत होना चा हए। ता क यह भावशाल ग त व ध
को सु नि चत कर सके। साइमन का तक था क परं परागत शास नक चंतक ने प रि थ त
का पहचान नह ं कया। इस दौरान एक नदश तं क कमी थी। इसी कारण अंततः उ ह
सावभौ मक वैधता क सम या का सामना करना पड़ा। इस लए साइमन ने अपने ता कक
नणय- नमाण के ा प को तपा दत कया। जो क तकसंगत सकारा मकवाद पर आधा रत
है और इसम से मू य नणय, ाथ मकता और कोई मानदं ड को ब ह कृत करता है ।
79
इस नणय- नमाण के या म कई चरण शा मल ह—
चन
ु ाव और या वयन— इस चरण म सबसे े ठ वक प का चन
ु ाव और उसका
या वयन कया जाता है ।
80
उपयो गता के आधार पर उसको सं यावाद मू य दया जाएगा। िजसम से उ च मू य वाले
वक प को एक ता ककपूण नणय के प म चन
ु ा जाएगा। (हे नर 2003)
81
वमश ता ककता— वमश ता ककता का अथ है क साधन से सा य तक का सोच
समझ कर समायोजन करना।
82
इसके बावजूद कसी वशेष प रि थ त म नणय- नमाता अपने ता ककता के आधार पर
एक अ यु त नणय का चन
ु ाव करते ह। ता क उनका नणय काफ अ छा बन सके। यहाँ
ता ककता से अ भ ाय है क नणय नमाता अपने वारा लए गए नणय संबंधी सीमाओं
को अ छे से जानते ह। इसके बाद ह वह कसी एक संभा वत वक प को चन
ु ते ह।
83
हबट साइमन कहते ह क ‘‘असल म संतुि ट श द दो श द ‘‘संतु ट होना और पया त’’ के
मेल से बना है । एक यि त सार सूचनाएँ हा सल कर सकता है और य द कसी को सार
सूचनाएँ मल भी जाएँ तो भी वह इन सभी सच
ू नाओं को आधार मान कर नणय लेने म
असमथ है । इसके वपर त सी मत ता ककता म उसी वक प क तलाश क जाती है जो क
‘‘काफ अ छा’’ हो, जो क संतु टदायक हो, यूनतम मानदं ड को पूण करता हो और िजसे
सबसे बेह र माना जाए। इस वा त वक द ु नया म संतु टदायी नणय- नमाण ह वा त वक
ि टकोण है ।’’ साइमन ने यि त से लेकर संगठना मक नणय के लए सी मत ता ककता
और संतुि ट क अवधारणा का योग कया। (साइमन 1947—1955)
वा त वक और शास नक उ दे य क ग तशील और ज टल कृ त।
84
एक यावहा रक नणय नमाता सम या को हल करने के लए एक आदशपूण वक प
क खोज म नह ं जाता बि क वह एक संतु टदाय नणय को चन
ु ता है । एक अ छा नणय
नमाता केवल उन सूचनाओं पर ह वचार करे गा िजनको वह जानता है , िजसका वह मह व
दे खता है , िजससे क वह नमाता के लए उ चत नणय संसा धत और प रभा षत कर सके।
साइमन के सी मत ता कक ा प क आलोचना
85
जाता है । इन कारक को केवल लागत क इकाइय म मापना मुि कल होता है । (हे नर
2003)
86
अनेक आलोचनाओं के बावजूद भी, साइमन वारा दए गये योगदान और लोक शासन
म उनके स ध काय को नकारा नह ं जा सकता है । ता कक नणय- नमाण ा प के साथ
ह लोक शासन के वषय म एक नया तमान उभरा था। यवहारवाद ि टकोण के साथ
ह परं परागत ि टकोण म प रवतन आया। िजससे क वह और यादा वै ा नक और
ता कक उ मुख बन सका। हबट साइमन ने चयन के प म नणय- नमाण के मह व पर
काश डाला है िजससे क शासन और शास नक यवहार क ग तशीलता को समझने म
मदद मल है ।
नणय मह वपण
ू है ।
सहजबो ध ल य अ प ट है ।
आपको सम या का अनुभव है ।
रचना सम या का समाधान प ट नह ं है ।
नई समाधान को उ प न करने क ज रत है ।
87
न कष
संदभ सूची
साइमन, एच.ए. (1955) अ बहे वयर माडल ऑफ रे शनल वाइस, वाटल जनल
ऑफ इकोनॉ म स, 59 प ृ ठ सं या 99-118
88
इकाई-3 : वकास शासन
बज झा
अनुवादक : वशाल कुमार गु ता
संरचना
89
वकासा मक सरकार सामने आई। वतीय व वयु ध के प चात ्, यु ध त यूरोप के
पुन नमाण के संदभ म सामािजक-आ थक वकास काय म के प म माशल योजना को
लागू करने तथा ए शया, अ का व लै टन अमे रका के इन नव- वतं दे श (उप नवे शत
रा य) म वकास काय म के शुभार भ हे तु ‘ वकास’ श द ने ग त ा त क । तीसर द ु नया
के दे श ने अपने उ योग , कृ ष, व व व यालय , व ान एवं ौ यो गक , संचार, च क सा,
कला और सं कृ त के े म ग त के लए रा य के नेत ृ व वाल आदे शत आ थक वकास
(command economic development) क नी त को ाथ मकता द तथा मौजद
ू ा चरम
तर पर फैल हुई गर बी, असमानता, अ ानता, रोग, नर रता एवं सामािजक वकृ तय को
मटाने का यास कया। इस संदभ म, ‘ वकास शासन’ वशेषकर रा य योजना तैयार
करने के लए लोक शासन क एक शाखा के प म उभरा। वकास एवं आ थक वकास के
लए लोक शासन के व वान और वशेष ने तीसर द ु नया के दे श म वकास के रा य
क भू मकाओं ( वशेषकर नौकरशाह क भू मका) का अ ययन करने म च ल।
‘ वकास शासन’ क जड़ ‘बड़ी सरकार’, रा य योजना और रा य के नेत ृ व वाल
आदे शत आ थक वकास रणनी त क वशेषता वाले युग म थीं। इसने सावज नक नौकरशाह
के वकासा मक ल य को पूरा करने के अवसर दए थे। वकास शासन क संक पना
काय मुखी और वकास-योजना काया वयन क रणनी त का काय म है ।
आइए ‘ वकास शासन’ अवधारणा को प ट कर। पहला श द ‘ वकास’, इसके यापक
आयाम ह। म टन ए मान (1991: 5-6 quoted in Jreisat, 2011) ने रा य वकास के
लए पाँच ल य क पहचान क है— क) आ थक वकास (economic growth), ख) समता
(equity), ग) मता (capacity) (कौशल व ृ ध), घ) ामा णकता (authenticity), और
ङ) सशि तकरण (empowerment) (सभी नाग रक को भागीदार के समान अवसर)। रा य
ने आधु नक करण और रा - नमाण को न पत करने के लए वकास क क पना क तथा
वकास क या म वदे शी ोत और समथन से सहायता लेने के बजाय आ म नभरता
पर बल दया। इसके अ त र त, ‘ शासन’ श द का अथ है सावज नक उ दे य के लए
सामू हक काय करना। इसे ‘प रभा षत उ दे य क पू त के साथ काय को पूरा’ करना है।
इसम दो श द को एक साथ लया गया है , वकास शासन का ता पय आ थक वकास,
समता, कौशल और सं थान म सुधार लाना, सशि तकरण जैसे वकासा मक ल य वारा
सरकार के नेत ृ व म उपलि ध से है । आधु नक करण और रा य नमाण क एक रा य के
नेत ृ व वाल प रयोजना को प रभा षत करने क उपलि ध के साथ काम करना िजसम
नौकरशाह , सरकार का एक मज़बूत ढाँचा, वकास रणनी त तथा उसके काया वयन आ द
शा मल ह। इसका उ दे य ‘ वकास के लए अ धकतम नवाचार’ (Weidner, 399:1970
quoted in Rathod, 2010) उ योग और बु नयाद ढाँचे व सामािजक प रवतन के
आधु नक करण का ल य है ।
90
वै वीकरण के युग म, वैि वक नाग रक समाज और अंतरा य गैर-सरकार सं थान
(INGOs) थानीय समुदाय-आधा रत संगठन (CBOs) के साथ ह नाग रक समाज समूह,
वयं सहायक समह
ू वकास शासन के े म उ साह के साथ आगे आए ह। इस संदभ म,
संयु त रा वकास काय म (UNDP) क भू मका वकासशील दे श के साथ काम करने म
वशेष प से मजबूत नी तयाँ बनाने, कौशल वकास म सहायता करने तथा ग त और
वकास के लए सं थागत समथन दान करने म बहुत मह वपूण है । 21वीं सद के दौरान,
व व के नेता सह ाि द वकास ल य (MDGs) के मा यम से द ु नया के यापक भ व य
को दे खने के लए सहमत हुए। सह ाि द वकास ल य, मापने यो य समयब ध तर क से
ल य के भीतर आठ वकास ल य के साथ, मानवीय ग रमा के स धांत को बनाए रखने
क त ा एवं द ु नया को अ य धक गर बी से मु त करने क बात करता है । सतत ् वकास
ल य (SDGs) ने सह ाि द वकास ल य क जगह ले ल और गर बी उ मल
ू न, धरती क
र ा करने एवं यह सु नि चत करने के लए स ह वकास ल य नधा रत कए क सभी
शां त और समृ ध का आनंद ल। आ थक वकास के साथ-साथ इस सतत ् वकास के ल य
को रा -रा य ने वकास शासन म पूर तरह से बदल दया। भारत ने 2015 म योजना
आयोग को समा त कर दया और समकाल न वकास क आव यकतानुसार रा य वकास
ाथ मकताओं को फर से डजाइन करने के लए नेशनल इं ट यूशन फॉर ांसफॉ मग
इं डया (नी त आयोग) क थापना क ।
92
आव यकता है , इस लए इसे ौ यो गक वक सत करने क आव यकता है , 2) सं मणकाल न
ि थ त (transitional stage)- यह तकनीक वकास बढ़ोतर के आधार पर पूव शत शा मल
है ; 3) टे क-ऑफ (take-off)- यह आ म नभर आ थक वकास का एक चरण है ;
4) प रप वता क ओर सं मण (drive to maturity)-औ योगीकरण और उ च उपभोग तर
क शु आत होना; और 5) उ च तर का जनसंचार (high level of mass
communication)- जब समाज को टकाऊ व तुओं का उपभोग करने क आव यकता होती
है । एक अ य मह वपण
ू व वान ए.एफ.के. ऑग क ने अपनी रचना (1965) ‘ द टे जेस
ऑफ पॉ ल टकल डेवलपमट’ म द शत कया है क आ थक वकास मु यतः आ थक व ृ ध
का एक अ भ न अंग है और यह वकास के चार चरण का सझ
ु ाव दे ता है— क) आ दम
एक करण (primitive unification), ख) औ योगीकरण (industrialization), ग) जन
क याण (national welfare) और घ) चरु ता क राजनी त (the politics of
abundance)। वकास के इन स धांत ने इस बात पर बल दया क वकासशील रा को
अपने दे श म व ृ ध और वकास को सरु त करने के लए वकास के पँज
ू ीवाद मॉडल के
न शेकदम पर चलना चा हए। इसके अ त र त, वकास पर स ध सा ह य, उदाहरण के
लए, जी. आलमंड और जे.एस. कोलमैन क रचना ‘ द पॉ ल ट स ऑफ डेवल पंग ए रयाज़’
(1960), एल. ड यू पाई, क रचना ‘ द क यु नकेशन एंड पॉ ल टकल डेवलपमट’ (1963),
और एस. हं टंगटन क रचना ‘पॉ ल टकल ऑडर इन चिजंग सोसाइट ज़’ (1968)’ म
पारं प रक समाज से आधु नक समाज म यापक प रवतन के संदभ म आधु नक करण क
बात कह (Jresait, 2011)।
93
क या म रा य क भू मका पर संयु त रा के बल दे ने के साथ ह सं थागत
ि टकोण ने ‘ वकास शासन’ को ज म दया।
दस
ू रा, तीसर द ु नया म नए रा -रा य क वतं ता : सा ा यवाद के युग का अंत
होने लगा और वतीय व वयु ध के बाद के युग म वघटन क या शु
हुई िजसने
ए शया, अ का व लै टन अमे रक महा वीप म नए वतं रा -रा य को ज म दया।
अंतरा य णाल शि त संतुलन से व- व
ु ीय व व म थानांत रत हो गई, दो वपर त
आ थक और वैचा रक वचारधाराओं ने वकास रणनी तय म अपनी अवधारणा तुत क ।
दोन ह मामल म, रा य एवं उसक नौकरशाह क भू मका वकास रणनी तय क संरचना,
ा प व काया वयन इ या द म मह वपूण रहे । ए शया, अ का और लै टन अमे रका के इन
सभी नव वतं रा -रा य को सामािजक-आ थक प रवतन के लए ‘ वकास शासन’ के
लए सभी बड़े कदम उठाने ह गे।
94
के प म उभरा िजसम क सामािजक-आ थक प रवतन के लए आ थक नयोजन म रा य
क मशीनर , वशेषकर नौकरशाह शा मल थी। यह वकास योजना, प रयोजनाओं, योजनाओं,
काय म और ‘ वकास के उ दे य, मौजूदा एवं नए संसाधन को जुटाने तथा वकास के
ल य को ा त करने के लए उपयु त कौशल के संवधन’ के काय हे तु अ धक चं तत रहती
है । वीडनर के अनुसार, ‘ वकास शासन मूल प से एक काय मुखी और ल यो मुखी
शास नक यव था है ’।
‘ वकास शासन’ के ारं भक चरण म पूरा यान आधु नक करण पर था (पि चमीकरण
अथात ् वकास के पि चमी मॉडल के माग क ओर जाना वशेषकर संयु त रा य अमे रका
और टे न के वकास का मॉडल)। इस लए, वकास के मुख ल य पि चमी ौ यो गक व
मू य का सार थे। इसके साथ-साथ, आ थक वकास को वकास के संदभ म प रभा षत
कया गया था (जो क समय क अव ध म त यि त सकल रा य उ पाद का व तार
95
है ); मा ा मक आ थक प रवतन जो क जनता के जीवन क गुणव ा म अनु प प रवतन ला
सकते ह। यह उ मीद क गई थी क आ थक वकास ह सामािजक प रवतन क ओर ले
जाएगा और इससे राजनी तक वकास का माग श त होगा। एक अ ययन के प म,
वकास शासन ने इस या ा क शु आत रा य योजना बनाने एवं अ प- वकास को दरू
करने के लए क तथा अब इसने सतत ् वकास के ल य पर यान क त कया है । ओ.पी.
ववेद ने अपनी रचना ‘डेवलपमट एड म न े शन : ॉम अंडरडेवलपमट टू स टे नेबल
डेवलपमट’ (1994) म वकास शासन क वषय-व तु को रे खां कत कया। इसने पछले
सात दशक म अ वक सत- वक सत क बहस से लेकर सतत ् वकास तक क अपनी या ा
क शु आत क । हालाँ क, हम वकास शासन के इन सात दशक को न न ल खत चरण
म वभािजत कर सकते ह—
वकास शासन के त व
98
केवल योजना एवं उसके वकासा मक काय के या वयन क ओर क त नह ं रहना
चा हए बि क इसका यान संपूण समाज के बदलाव क ओर होना चा हए।
ाहक उ मुखी (Client-Oriented): वकास शासन को ाहक उ मुखी होना चा हए।
इससे ाहक /नाग रक क आकां ाओं और आ ह को संतु ट करने का यास करना
चा हए, उदाहरण के लए वशेष े म रहने वाले लोग। इसे वशेष े के लोग क
आव यकताओं और इ छाओं को रणनी तक तर क से संतु ट करने का यास करना
चा हए।
अ थायी आयाम (Temporal Dimension): वकास शासन क एक मख
ु बाधा है
जैस—
े समय। इसे इस ओर अपना यान क त करना चा हए क कस कार से
नाग रक क आव यकताओं को एक नि चत समय के अंदर पण
ू कया जा सके।
योजनाब ध एवं समि वत यास (Planned and Coordinated efforts): वकास
शासन का ता पय एक संग ठत एवं नयोिजत वकास क रणनी तय से है । इसम
नौकरशाह और नाग रक क भागीदार के म य सहयोग क आव यकता है ।
ल यो मुखी शासन (Goals oriented administration): वकास शासन को
ल यो मुखी होना चा हए। वकास शासन का मु य ल य आ थक वकास के साथ
सामािजक प रवतन भी लाना है ।
बंधक य मता (Management Capacity): वकास शासन को वकासा मक
या के काय म ारं भ से अंत तक बंधन के लए मता क आव यकता होती
है । इसे वकास के नधा रत ल य क ाि त के लए मता को बनाना व बढ़ाना
चा हए।
ग तवाद (Progressivism): यह वकास शासन का एक मह वपूण काय है । यह
मानव ग त के लए दरू गामी भ व य को ा त करने क तैयार करता है ।
भागीदार (Participation): लोग को वकास के काय म वारा केवल लाभ ा त
नह ं होता है, वे वकासा मक याओं म स य भागीदार होते ह। इसम वे मा
केवल वकास के साधन नह ं होते, बि क वे वकास के सा य होते ह। हालाँ क,
वकास शासन म लोग क अ धक भागीदार क आव यकता होती है।
रचना मकता तथा नवीनता (Creativity and Innovation): ये वकास शासन के
दो मुख त व ह। इ ह वकास क या म पूर तरह से रचना मक एवं नवीन
होना चा हए।
जवाबदे ह व उ रदा य व (Responsiveness and Accountability): वकास
शासन को उ रदायी व िज मेदार होना चा हए। इसे वकास के ल य क ाि त के
लए शासक के त अ धक े रत और ऊजावान होना आव यक है ।
अ त यापी (Overlapping): वकास क याओं का पालन करते हुए, कई
औपचा रक एवं अनौपचा रक सं थान ह जो आपस म अ त यापी होते ह।
99
उदाहरण व प ाय: नौकरशाह जा त, वग, समूह और े के साथ अ त यापी हो
जाती है । हालाँ क, अ त यापन वकास शासन का त व है ।
न कष
संदभ सच
ू ी
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102
इकाई-4 : लोकनी त क समझ
• प रचय
• लोक नी त को समझना
• लोक नी त के ल ण
• लोक नी त के कार
• नी त व लेषण का मह व
• नी त व लेषण के तर
• नी त अ ययन के व भ न प
• नी त नमाण के मॉडल
• लोक नी त क ासं गकता
• संदभ
प रचय
एक मह वपण
ू बंद ु जो यहाँ उजागर करना आव यक है वह यह है क चँ ू क सभी दे श अपने
पहलओ
ु ं म भ न है , इस लए उनक लोक नी त भी भ न है । सामािजक, राजनी तक,
आ थक पहल,ू ाथ मकताओं, उपल ध संसाधन , हतधारक क भागीदार आ द के आधार
पर नी त क कृ त, या, नी त ाथ मकता और भाव एक दे श से दस
ू रे दे श म काफ
भ न होते ह। भारत म नी तयाँ, गर बी क सम याओं, अ श ा, बड़े पैमाने पर बेरोजगार ,
खा य असरु ा, सामािजक और ल गक याय जैसी ाथ मकताएँ, समाज के कमजोर वग का
सशि तकरण, कृ ष और उ योग का वकास, बेहतर मानव सुर ा संकेतक, पयावरणीय
ि थरता और रा य तर पर यापक प से आ थक वकास को
यान म रखते हुए बनाई
जाती ह। लोक नी त क यापकता और ज टलताओं का एहसास आसानी से कया जा सकता
है य क यह व भ न पहलुओं से अ य धक अंतसबं धत होती है ।
कोचरन एट अल के अनस
ु ार, “सरकार के काय और इरादे जो उन काय को नधा रत करते
ह।”
104
रॉबट आई टोन ने लोक नी त का उ लेख “अपने वातावरण के लए सरकार इकाइय के
संबंध” के प म कया है ।
लोक नी त के ल ण
लोक नी त के कार
नी त व लेषण का मह व
107
इसी तरह, चोचरन और मेलोन ने बताया क “नी त व लेषण उन जाँच का वणन करता
है जो नणय नमाताओं के लए सट क और उपयोगी जानकार का उ पादन करते ह।”
अ धक ृ नोट पर, जेन कंस ि मथ ने उ लेख
व तत कया है क “नी त व लेषण
तकनीक और मानदं ड का एक समूह है िजसके साथ लोक-नी त वक प का मू यांकन
करना और उनके बीच चयन करना है ... और लोक नी त के वकास और काया वयन को
युि तसंगत बनाना है ... और लोक संसाधन के आवंटन म अ धक द ता और इि वट के
साधन के प म।”
चा स जो स के अनस
ु ार, “नी त व लेषण लोक नी त को समझने का एक अ छा तर का
है ।” उ ह ने अपनी पु तक ‘एन इं ोड शन टू द टडी ऑफ़ पि लक पा लसी’ म नी त
नधारण म नी त व लेषण क ासं गकता बताते हुए कुछ ट प णय का उ लेख कया। ये
न न ल खत ह—
108
म, सरकार को नी त नधारण के साथ योग करते रहने के लए भी तैयार कर रहा
है , य क कुछ वष पहले जो नी त प रणामदायक रह थी ज र नह ं वह समकाल न
समय म ासं गक हो। इस संबंध म, यह अ यंत आव यक हो जाता है क नणायक
नणय तक पहुँचने के लए येक सम या और नी त या का पूण व लेषण
कया जाए।
6. नी त णाल क अपनी सीमाएँ होती ह। संसाधन और व ीय बाधाएँ ह, कई
हतधारक क अपनी ाथ मकताएँ, राजनी तक और आ थक ाथ मकताएँ,
संगठना मक दबाव और कई अ य सीमाएँ ह। ये सभी नी त म प रल त होते ह
और यह कारण है क सभी ि टकोण से नी त या को समझने और इसे
उपयोगी बनाने के लए एक बहुत ह उ दे यपण
ू नी त व लेषण होना बहुत आव यक
है । ( कंगडन 2003)
109
छव ोत : डाई 2008
नी त व लेषण के तर
110
3. नणय व लेषण : यह ि टकोण िजस मुख न क जाँच करता है, वह यह है क
ि टकोण म ‘ कसे, या और कैसे मलता है ’। इस स दभ म, नी त नधारण को
केवल उ दे य को समझने के लए नह ं समझा जाता है , बि क मु यतः यह समझने
के लए व लेषण कया जाता है क नणय कौन ले रहा है , कसके लए नणय लया
गया है और सभी लोग को नणय से या
ा त हुआ है ? मा सवाद, अ भजा यवाद,
तकनीक वाद, बहुलवाद, नगमवाद जैसे मॉडल इस ि टकोण के अंतगत आते ह।
4. वतरण व लेषण नी त के न पादन, मू यांकन, भाव और प रवतन तर के संदभ
म नी त के प रणाम को समझता है । ( कंगडन 2003)
नी त अ ययन के व भ न प
नी त नमाण के मॉडल
नी त वै ा नक ने परू नी त बनाने क या को समझने के लए व भ न मॉडल
वक सत कए ह।
थॉमस डाई के अनुसार, “लोक नी त के मॉडल न न ल खत बात के लए यास करते ह”—
राजनी त और लोक नी त के बारे म हमार सोच को सरल और प ट करने के लए।
नी तगत सम याओं के मह वपूण पहलुओं क पहचान कराने के लए।
राजनी तक जीवन क आव यक वशेषताओं पर यान क त करते हुए एक दस
ू रे के
साथ संवाद करने म हमार मदद करते ह।
लोक नी त को बेहतर तर के से समझने के लए हमारे यास को नद शत करते ह
क या मह वपूण है और या मह वह न है ।
111
लोक नी त के लए प ट करण का सझ
ु ाव दे ते ह और इसके प रणाम क
भ व यवाणी करते ह”।
थॉमस डाई ने अपनी पु तक म ‘नी त मॉडल’ के बारे म बात क है , और इसी वैचा रक
योजना के अनुसार, लोक नी त के मु य मॉडल न नानुसार ह—
या मॉडल सं थागत मॉडल तकसंगत मॉडल
कुल न मॉडल अ भव ृ धशील मॉडल समह
ू मॉडल
सावज नक वक प मॉडल यव था मॉडल खेल स धांत
एक मह वपूण बंद ु िजस पर यहाँ पर काश डालने क आव यकता है क येक मॉडल एक
वश ट ि टकोण से लोक नी त को समझने का यास है और लोक नी त नमाण क एक
अलग समझ दान करता है । हालाँ क, नी तयाँ लोक पसंद, कुल न वर यता, राजनी तक
या, णाल या, तकसंगत योजना, व ृ धशीलता, समूह ग त व ध और गेम फ़ं शन
का प रणाम होती ह।
1. या तमान
इस मॉडल म, नी त नमाण क राजनी तक ग त व धय के पैटन, जो क नी त नमाण क
या है , क जाँच क जाती है । या मॉडल के व भ न चरण ह—
सम या क पहचान : नी तगत सम या क पहचान उन माँग का व लेषण करके क
जाती है जो स पूण समाज या समाज के व भ न समूह वारा सरकार के सम
कायवाह के लए तुत क जाती है ।
एजडा से टंग : वभ न हतधारक जैसे शास नक अ धकार , मी डया आ द क
व श ट माँग पर यान क त करते ह और इस आधार पर क जाने वाल कायवाह
का नणय लया जाता है ।
नी त नमाण : नी त ताव व भ न हतधारक वारा शा मल कए जाते ह।
नी त नधारण : सम या से नपटने के लए कायवाह का एक व श ट प चन
ु ा
जाता है और वधा यका, कायकार और शास नक णाल के मा यम से उसको लागू
कया जाता है ।
नी त काया वयन : इस नी त को अब लोक अ धका रय और सरकार सं थान के
मा यम से न पा दत कया जाता है ।
नी त मू यांकन : इस चरण म प रणाम और न हताथ का व लेषण कया जाता है।
सरकार एज सयाँ खद
ु , और मी डया, ं टक,
थक नजी परामशदा ी और नाग रक
समाज जैसे व भ न अ य अ भकता, आम जनता नी तगत प रणाम का मू यांकन
करती है ।
छव ोत : डाई 2008
113
सामािजक लाभ को अ धकतम करने के लए दो मह वपूण पूव आव यकताएँ ह—
य द पॉ लसी क इनपुट लागत इसके आउटपुट लाभ या रटन से अ धक हो तो नी त
को नह ं अपनाया जाना चा हए।
नी त को अं तम कायवाह के प म चन
ु ते समय, नणय नमाता को उस नी त का
चयन करना चा हए जो इनपुट लागत क तुलना म अ धकतम लाभ दान कर।
इस तरह, एक तकसंगत नी त वह नी त है जो लागत क तुलना म अ धकतम लाभ/ रटन
दे ती है । थॉमस डाई के श द म, “एक नी त तकसंगत है जब िजन मू य का यागा गया
और जो मू य ा त हुए के बीच अंतर सकारा मक होता है और यह कसी भी अ य नी त
वक प से अ धक है ।”
यह मॉडल कुछ स धांत पर काम करता है िजनका नी त नमाता को पालन करना चा हए—
नी त नमाता को सामािजक मू य , ाथ मकताओं का सह ान होना चा हए,
नी त नमाता को व श ट सम या को हल करने के सभी संभा वत वक प को
जानना चा हए,
नी त नमाता को येक कायवाह के संभा वत प रणाम क क पना करनी चा हए,
नी त नमाता को येक नी त वक प के लागत-लाभ व लेषण का पता होना चा हए,
नी त नमाता तकसंगत होना चा हए, जो मू य वर यता और समाज क माँग को
जानता हो और उसे सबसे भावी और कुशल वक प का चयन करना चा हए।
4. कुल न मॉडल
114
छव ोत : डाई 2008
115
6. स य कुल न उदासीन जनता से अपे ाकृत कम भा वत होते ह। कुल न आम
जनता को भा वत अ धक करते ह, और वे आप-जनता से कम भा वत होते ह”।
हालाँ क, कुल न स धांत का अथ यह नह ं है क अ भजात वग लोक नी त को आम लोग
के लए पूर तरह से तकूल बना दे ता है , बि क समाज के त अ भजा य वग क
िज मेदार को उजागर करता है ।
5. अ भव ृ धशील मॉडल
यह मॉडल राजनी तक वै ा नक डे वड े क
ु और चा स लंड लम
ू के काय से जड़
ु ा है ।
उ ह ने सबसे पहले इस मॉडल को नणय लेने के तकसंगत मॉडल क आलोचना के प म
वक सत कया। उ ह ने तक दया क नी त नमाताओं को एक शास नक णाल म
मौजूदा और ता वत नी तय के बारे म नणय लेते समय ज टल सामािजक माँग , समय
क कमी, ढाँचागत सीमाओं, व ीय बाधाओं जैसे कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है
(Anyebe 2017)
अ भव ृ धशील मॉडल एक सह तकसंगत नणय लेने क या क सीमाओं और
यथाथवाद बाधाओं क पहचान करता है और नी त नमाताओं को नणय लेने के लए
अ धक यापक और यावहा रक ि टकोण अपनाने म मदद करता है ।
इस मॉडल म, लघु अ भव ृ धशील प रवतन पर यान दया जाता है जो एक नी त का
नमाण करता है और नी त और यय पहलू म लागत लाभ व लेषण म भी प रवतन करता
है ।
6. समूह मॉडल
इस मॉडल के अनुसार, लोक नी त समूह संघष का प रणाम है । एंडरसन (1997) के अनस
ु ार,
“िजसे समूह क लोक नी त कहा जा सकता है , वह कसी भी समय म मौजूदा समूह के बीच
संघष से ा त कया गया संतुलन है , और यह एक ऐसे संतुलन का त न ध व करता है ,
िजसमे वरोधी गुट या समूह लगातार अपने प म नी त को लाने का यास करते ह। लोक
नी तयाँ समूह क ग त व धय को दशाती ह और यह मॉडल इस बात पर काश डालता है
क समाज के व भ न समूह म से येक लोक नी त को नी त नमाण तर पर अपने
लाभ के लए कैसे भा वत करता है”।
116
का बंधन करके, सभी समूह संघष को संतु लत करने, तैयार करने और नी तय को लागू
करने के लए समायोजन नी तयाँ बनाती ह। ( कंगडन 2003)
छव ोत : डाई 2008
7. सावज नक वक प मॉडल
117
थॉमस डाई ने उपयु त प से न कष नकाला है क “लोग राजनी त और बाजार दोन
म अपने वाथ को आगे बढ़ाते ह, ले कन वाथ उ दे य के साथ वे सामू हक नणय लेने
के मा यम से पार प रक प से लाभ भी उठा सकते ह।”
8. यव था मॉडल
छव ो : कं गडन (2008)
फ डबैक-लप
ू बाद म घ टत होने वाला भाव है जो पयावरण को बदल दे ता है और जब
नी त के प रणाम दखाई दे ने लगते ह तब यह माँग म प रव तत हो जाता है । नी तगत
आउटपट
ु नई माँग क ओर जाता है और यह एक च य या है ।
9. खेल स धांत
संदभ सूची
120
सावज नक नी त : नमाण, काया वयन और मू यांकन
संरचना
प रचय
सावज नक नी त का अथ
सावज नक नी त के ल ण
नी त-च या है
नी त नमाण को समझना
नी त काया वयन
नी त मू यांकन
अ छ नी त क वशेषताएँ
नी त च वारा सामना क जाने वाल चन
ु ौ तयाँ
सावज नक नी त का मह व
न कष
संदभ-सच
ू ी
प रचय
सावज नक नी त का अथ
हे रो ड को टज़ के अनस
ु ार, “काय के एक म के प म, सावज नक नी त को राजनी तक
बंधन, व ीय और शास नक तं के प म समझा जा सकता है जो प ट ल य तक
पहुँचने के लए यवि थत होते ह। नी त इकाइय के भीतर ववेक और पहल को ो सा हत
करने का एक साधन है ।”
121
रचड रोज के अनुसार, “सावज नक नी त अपने आप म एक नणय नह ं है , यह ग त व ध
का एक पा य म या पैटन है ”।
सावज नक नी त के ल ण
सावज नक नी त एक ज टल या है ।
सावज नक नी त म व भ न घटक सि म लत ह।
फ डबैक लप
ू मू यांकन क गई समी ाओं को पयावरण को भेजता है जो नी त के
प रणाम, लोग क धारणाओं को भा वत करता है और नई माँग उ प न करता है ।
सावज नक नी त भ व य क ओर नद शत होती है ।
नी त नमाण भी लचीला है
य क भ व य म बहुत सार अ नि चतताएँ ह, नी त
नमाण भ व य क आव यकताओं के अनुसार अपना वर और पा य म बदलता है ।
123
सावज नक नी त सव म उपल ध व धय का उपयोग करती है ।
नी त-च या है ?
सामा य नी त च
124
2. नी त नमाण
यह नी त नमाण का औपचा रक चरण है । इसम उ दे य क थापना, इनपुट लागत क
पहचान, कारवाई के व भ न संभा वत तर क क खोज, नी तगत साधन का चयन,
प रणाम को तुत करना और नणय के प म उपयु त वक प का चयन करना शा मल
है ।
3. नी त वैधता
इसम यह सु नि चत करना शा मल है क जो नणय उपयु त वक प के प म लया गया
है उसका समथन और कानूनी अनुमोदन होना चा हए। समथन म वधायी समथन, पूण
शासन का समथन और हत समूह क सहम त भी शा मल थी।
4. नी त काया वयन
यह नी त च का बहुत मह वपूण चरण है िजसम व भ न शास नक इकाइय को कत य
का नवहन, नी तय के सचु ा प से अ ध नय मत करने के लए उ चत ढाँचागत यव था
करना और नणय लेना शा मल है ।
5. नी त मू यांकन
सम नी त च का अं तम और सबसे मह वपण
ू चरण नी त मू यांकन है िजसम नी त के
प रणाम का मू यांकन कया जाता है , नी त क सफलता, वां छत प रणाम क उपलि ध
और नी त के भाव के बारे म आकलन कया जाता है ।
6. नी त रखरखाव, उ रा धकार, या समाि त
नी त नमाण को समझना
125
इसम सि म लत ह—
अनुसंधान म जानकार एक करना और संसा धत करना सि म लत है ,
समी ा का अथ है संभा वत वक प क खोज करना,
ेपण येक वैकि पक और संभा वत प रणाम क यवहायता नधा रत करता है,
चयन म कारवाई के संभा वत पा य म के प म उपयु त वक प को प र कृत
करना और चन
ु ना सि म लत है ।
फॉमले
ू शन मॉडल दो कार के होते ह—
नी त नमाण म सि म लत अ भनेता
सरकार के बाहर, ं
थक टक, नी त नेटवक, हत समह
ू , नाग रक समाज, नाग रक
संगठन, नजी संगठन, अंतरा य संगठन ह जो नी त नमाण को भा वत करते ह।
अ भनेता भू मका
राजनेता शि त
नौकरशाह सं था
हत समह
ू तनध व
टे नो े ट ान
दाताओं भाव
ोत : वॉ ट और गलसन 1994
126
फॉमले
ू शन दशा- नदश—
फॉमले
ू शन के लए कई अ भनेताओं और एज सय क स य भागीदार क
आव यकता होती है।
नी त नमाण के व भ न तर के—
नय मत न पण का अथ है समान नी त ताव तैयार करना।
रचना मक सू ीकरण म एक नई अंत ि ट के साथ, एक अभूतपूव तर के से सम या
का सामना करना सि म लत है ।
अनु प सू ीकरण, वतमान, नई सम या के उपचार के लए पछले अनुभव और
नी त प रणाम , पछल सम याओं का उपयोग करता है ।
नी त नमाता को वैधता ा त करने के बारे म सोचना चा हए। (हाउलेट और रमेश
1995)
127
े पर सरकार का यान आक षत करते ह या भा वत करते ह। सरकार खद
ु भी
सामािजक ज रत पर यान दे ती है और उसके अनुसार कारवाई करती है ।
इसके बाद एक बार सम या क पहचान हो जाने के बाद एजडा तय कया जाता है । यहाँ
तीन मह वपूण कारक पूर या को भा वत करते ह।
दस
ू रा कारक नी त को लागू करने के लए आव यक वैकि पक संभा वत रणनी तय
को वक सत करने से संबं धत है । जैसे, य लाभ ह तांतरण या सि सडी,
लाभा थय को सामान और सेवाएँ दान करने के व भ न तर क के बारे म नणय
लेना। लाभाथ क सह पहचान करने और लाभा थय क सह जानकार एक करने
के लए एक रणनी त भी वक सत क जाती है । सह डेटा नी त ताव को अ धक
यथाथवाद और ा त करने यो य बनाने म मदद करता है ।
नी त काया वयन
वतन : कानन
ू ी प व ता के तहत लोग के अनप
ु ालन क तलाश कर।
129
काफ हद तक उ चत नी त डजाइन पर नभर करती है । हालाँ क, कई बार नी तय , जो लागू
क जाती ह, आव यक प रणाम ा त नह ं करती ह।
नी त वफलता
एका धक ल य उ दे य
चँ ू क नी तयाँ ज टल सम याओं का समाधान कर रह ह, अ सर ये नी तयाँ बहु ल यो मुख
होती ह। ले कन यह ताकत बाधा बन सकती है य क ल य क बहुलता नी त को समझने
म क ठन और अ ाि त यो य बनाती है ।
अ प टता और अ प ट नी त डजाइन
उपयु त बंद ु के समान, सम याओं और उनके संबं धत ल य का ज टल अंतसबंध नी त को
अ य धक अ प ट और दशा कम बना सकता है ।
● बेजोड़ ाथ मकताएँ
नी त डजाइन और उ दे य से असहम त
जब नी त लागू क जाती है , तो कई बार यह दे खा गया है क काया वयन नी त के उ दे य
के अनु प नह ं हो रहा है ।
130
उ चत बु नयाद ढाँचे का अभाव, गलत डेटा, व ीय बाधाएँ, वशेष ता क कमी, समय
सीमा आ द नी त के सफल काया वयन के लए शास नक बाधाओं के प म काय
करते ह।
नी त काया वयन क सफलता ल य क एक अ छ थापना, उ चत आवंटन और संसाधन
के इ टतम उपयोग और वधायी वैधता ा त करने और नी त के लए लोग क वीकृ त
पर नभर करती है ।
नी त मू यांकन
यह एक ग त व ध है जो नी त के तीन पहलओ
ु ं को समझने म मदद करती है । ये—
तभा,
यो यता, और
उपयो गता
131
छव ोत: ाउनसन एट अल 2009
बी) भाव मू यांकन : सकारा मक और नकारा मक दोन भाव का मू यांकन कया जाता
है । न पादन के बाद जो प रवतन हुए, उ ह भी जाँच के लए माना जाता है ।
या यक : या यक समी ा और या यक ववेक सि म लत है ।
भ व य क नी तय के लए मदद।
नी त मू यांकन म कुछ चन
ु ौ तयाँ ह—
133
नी त मू यांकन व धय का अभाव।
उ चत उपाय का अभाव।
अ छ नी त क वशेषताएँ
134
नी त क लोकतां क कृ त, नी त नमाण के दौरान उ चत परामश, पारद शता, नी त
से संबं धत जानकार के प म खल
ु ापन लोग और अ य हतधारक के साथ साझा
कया जाता है , ये एक अ छ नी त के मुख त व ह।
नी तयाँ भ व य और उ दे य उ मख
ु होनी चा हए। और साझा ल य और मू य के
इद- गद पर पर जड़
ु े होने चा हए।
135
मू य वर यताएँ, राजनी तक और सामािजक हत वभ न हतधारक और नणय
नमाताओं को भा वत कर रहे ह जो अ सर अ धक संघष का कारण बन सकते ह।
एक मह वपण
ू चन
ु ौती म उ दे य और यि तपरक वभाजन। वग करण के संदभ म
व तु- न ठता क भावना है , सम या से जड़
ु ी या या है जब क समान सम याओं क
या या मू य नणय और वर यताओं के आधार पर अलग-अलग तर के से क जा
सकती है ।
सावज नक नी त का मह व
136
न कष
संदभ सूची
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